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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

rohnny4545

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रघु ट्यूबवेल की टंकी में ठंडे पानी का मजा ले रहा था पानी उसके छाती तक था,,,, बहुत दिनों बाद करो ट्यूबवेल की टंकी में घुसकर नहाने का आनंद ले रहा था और अपनी मां की तरफ देख रहा था जो कि अपनी साड़ी को धीरे धीरे उतार कर एक तरफ झाड़ियों पे रख रही थी,,, रघु,, तिरछी नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि कुछ ही देर में उसकी मां भी उसी में ट्यूबवेल की टंकी में नहाने के लिए आने वाली थी,,, पहली बार उसकी मां उसके बेहद करीब नहाने वाली थी,,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह से अपनी ही मां के सामने नहाएगा,,, और यही बात कजरी के मन में भी चल रही थी,,, उसके तन बदन में भी अजीब सी बेचैनी छाई हुई थी उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था,,, अपने बेटे की आंखों के सामने उसके बेहद करीब नहाने का अनुभव कैसा होता है इससे वह भी पूरी तरह से अंजान थी,,,। देखते ही देखते कजरी अपने आप को अपने बेटे के बेहद करीब उस टंकी में जाने के लिए तैयार कर ली,,, एक बार उस ट्यूबवेल की टंकी में घुसने से पहले वह चारों तरफ निगाह घुमाकर पूरी तरह से तसल्ली कर ली कि कोई उसे देख तो नहीं रहा है,,,, ना जाने आज कजरी के मन में क्या चल रहा था,,, इस बात का अंदाजा रघु को भी नहीं था,,। कजरी धीरे धीरे टंकी की तरफ आगे बढ़ने लगी जो कि पानी से लबालब भरा हुआ था और उसमें से पानी निकल कर खेतों में जा रहा था,,,रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जैसे-जैसे उसकी मां टंकी की तरफ आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे उसकी दोनों टांगों के बीच उसके मुसल में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, धीरे-धीरे उसके पजामे में तंबू बन गया,,, कजरी आगे बढ़ी और थोड़े से ऊंची पत्थर पर अपने पैर रखकर टंकी के पत्थर पर बैठ गई और पहले पानी से भरी टंकी में अपने दोनों पैर डालकर पानी की गहराई और उसकी ठंडक का अंदाजा लगाने लगी,,, पानी बहुत ठंडा था लेकिन गर्मी में बहुत ही शीतलता प्रदान कर रहा था,,, टंकी में घुसने से पहले विवाह ट्यूबवेल के पानी के आगे अपने दोनों हाथ लगाकर उसमें से ठंडे ठंडे पानी को पी कर अपने गले को तर करने लगी,,, रघु अपनी मां को बड़े गौर से देख रहा था हाथ में पानी लेकर पीने की वजह से पानी उसके ब्लाउज कर गिर रहा था जिसकी वजह से उसका ब्लाउज गीला होने के साथ-साथ अंदर के मनमोहक दृश्य को उजागर कर रहा था,,। पानी की बुंदो का यू ब्लाउज को गीला करना और उसके अंदर के बेहद खूबसूरत नग्नता को ब्लाउज की ऊपरी सतह पर उजागर करना यह सब रघु के लिए कामवासना को और ज्यादा बढ़ावा दे रहे थे,,, रघु का दील जोर से उछल रहा था,,, रघु दोनों हाथों से टंकी के पानी को छप छपाते हुए अपनी मां के खूबसूरत नजारे को देखकर मस्त हो रहा था कजरी अपने पेटिकोट को घुटनो पर चढ़ा कर पानी के अंदर अपने पैर को डालकर अपने पैरों को हिला रही थी अपनी मां की गोरी गोरी टांग को देख कर,, रघु का लंड पजामे में गदर मचा रहा था,,।कजरी कोठी इस बात का आभास था कि जिस तरह से वह पानी पी रही थी पानी के कारण इसका ब्लाउज पूरी तरह से गीता होने लगा था और पल भर में उसका पूरा ब्लाउज पानी से गीला हो करके ब्लाउज के अंदर की चूचियों के गोलाकार आकार को एकदम से उजागर कर रहा था जोकि रघु के दिल पर कामुकता भरी छुरीयां चला रहा था,,,। रघु से रहा नहीं जा रहा था वह चाहता था कि उसकी मां जल्द से जल्द पानी के अंदर आ जाए ताकि कोई ना कोई बहाने से उसके अंगों को छूने का उसे मौका मिल जाए,,, इसलिए वो खुद ही अपनी मां से बोला,,,।

अब ऊपर बैठी ही रहोगी अंदर भी आओगी,,,(अपने दोनों हाथ से पानी लेकर अपने चेहरे पर मारते हुए रघु बोला,, कजरी अपने बेटे की उत्सुकता देखकर उत्साहित हो गई और धीरे से पांव अंदर डालकर अपना दूसरा पांव भी पानी में डालकर टंकी की गहराई में उतरने लगी,,, ट्यूबवेल का पानी काफी ठंडा था,,,जिसकी वजह से कजरी को अपने बदन में ठंडक का एहसास हो रहा था लेकिन वह ठंडक उसे बेहद भा भी रहा था,, क्योंकि गर्मी अत्यधिक थी,,, वह तो गनीमत थी कि तीनों ने मिलकर काम को जल्दी से पूरा कर लिया था वरना एकदम दोपहर हो जाती तो गर्मी की वजह से और ज्यादा हालत खराब हो जाती,,,,)

पानी बहुत ठंडा है रघु,,,,(कजरी अपने दोनों पैरों को टंकी की गहराई में धीरे-धीरे उतारते हुए बोली)

गर्मी में ठंडा पानी ही सुकून देता है मां,,,, और देखो तो तुम कितनी गर्म हो गई हो,,,,(रघु एक बहाने से अपनी मां के दोनों हाथों को पकड़ते हुए बोला,,,) जब बदन गरम हो जाए तो,,, ठंडा पानी पड़ने से ही बदन शांत होता है,,,,।


तु ठीक कह रहा है,,,, रघु,,,(कजरी पूरी तरह से टंकी के अंदर उसकी गहराई में अपने दोनों पैरों को रखकर अपने आप को संभालते हुए बोली,, उसे इतना तो समझ में आ रहा था कि उसका बेटा दो अर्थ वाली बातें कर रहा था लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह जानबूझकर ऐसा कह रहा था या उसके मन से यूं ही औपचारिक रूप से निकल गया था,,, लेकिन फिर भी अपने बेटे की कही गई बात का दूसरा अर्थ निकाल कर कजरी अपने तन बदन में सुरसुरा हट का अनुभव कर रही थी,,,, टंकी में भरे हुए पानी में उतरते ही कजरी का बेटी कौन है हवा भरे गुब्बारे की तरह होने लगा और पूरा का पूरा पेटीकोट टंकी के पानी के ऊपरी सतह पर आ गया यह देखते ही रघु के लंड में खलबली मचने लगी क्योंकि,,,वह अच्छी तरह से जानता था कि पेटीकोट का इस तरह से हवा भरे गुब्बारे की तरह फूलकर पानी के ऊपरी सतह पर फुल कर गुब्बारा बन जाने का मतलब था कि उसकी मां कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी हो चुकी है,,,, कजरी को जैसे ही इस बात का एहसास हुआ वह तुरंत अपने हाथों से पानी के ऊपरी सतह पर फूली हुई अपनी पेटीकोट को पकड़कर नीचे की तरफ दबाने की कोशिश करने लगी रघु अपनी मां की यह मद भरी हरकत को देखकर अपने अंदर उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रहा था,,, रघु की हालत खराब हो रही थी क्योंकि रुको यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां पानी के अंदर अपने नंगे पन को ढकने की कोशिश कर रही थी जो कि पानी के अंदर वह अपनी कोशिश को अंजाम नहीं दे पा रही थी,,,, वह रघु की तरफ देख भी रही थी औरकमर के नीचे के नंगे पन को ढकने की कोशिश भी कर रही थी और इसी अफरा-तफरी में वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और पानी के अंदर ही टंकी के नीचली सतह पर पैर फिसल जाने की वजह से वह सीधा रघु के ऊपर जा गिरी रघु उसे संभालने की कोशिश करते हुए पानी के अंदर ही अपने दोनों हाथ उसे पकड़ने के चक्कर में उसके गोलाकार नितंबों पर रखकर पकड़ लिया हालांकि वह अपनी मां को संभाल लिया था लेकिन पानी के अंदर अपने दोनों हाथों से वह अपनी मां की गांड को थामे हुए था जैसे ही रघु को इस बात का एहसास हुआ उसके तन बदन में बिजली सी दौड़ने लगी उसका पूरा वजूद उत्तेजना के मारे कांपने लगा,,, उसके दोनों पैरों में थरथराहट महसूस होने लगी,,,कजरी भी अपने बेटे के दोनों हाथों को अपनी गांड पर महसूस कर के ऊपर से नीचे तक गनगना गई,,,, पल भर में ही उसकी सांसो की गति तेज हो गई,,, रघु टंकी के अंदर के बाहर का सहारा लेकर खड़ा था और उसकी मां उसके ऊपर एकदम से जा गीरी थी लेकिन फिर भी रघु उसे अपने हाथों से संभाल लिया था और उसे चोट लगने नहीं दिया था,, अभी भी रघु को का हाथ उसकी मां की गांड पर था एकदम नंगी बिल्कुल कोरी,,, नरम नरम रुई की तरह,,, रघुअपनी मां की भारी-भरकम गोल गोल गांड को छूने का स्पर्श करने का उसे दबाने के एहसास से वंचित नहीं रहना चाहता था,,,इसलिए अपनी मां को संभालने की अफरातफरी में वह अपनी मां की गांड को दोनों हाथों से पकड़कर उसकी दोनों फांकों को अपनी हथेली में भर कर उसे हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया था,,,रघु अपने दोनों हाथों में अब तक ना जाने कितनी औरतों की गांड को लेकर दबा चुका था लेकिन जो मजा उसे अपनी मां की गांड दबाने में आ रहा था वैसा मजा उसे आज तक नहीं आया था पहली बार उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि साड़ी के अंदर से साड़ी के सतह पर दिखने वाली गोलाकार कड़क गांड अंदर से कितनी नरम नरम थी,,,,, कजरी संभल कर स्थिर हो पाती इससे पहले ही रघु अपना काम कर चुका था,,,कजरी को भी इस बात का आभास हो चुका था कि उसका बेटा उसे संभालने के चक्कर में अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को पकड़े हुए हैं बरसों के बाद किसी मर्द के हाथों में उसकी दोनों मदमस्त गोरी गोरी कहां थे और वह भी किसी गैर के नहीं बल्कि अपने खुद के सगे बेटे के हाथों में,,, इस बात का एहसास उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था तभी कजरी को अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ कड़क चीज महसूस होने लगी,,, कजरी अभी भी कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी थी उसका पेटीकोट गुब्बारे की तरह टंकी के पानी की सतह के ऊपर फुला हुआ था जिसे कजरी चाह कर भी नीचे नहीं कर पाई थी,,, रघु भी जानता था कि पर जाने के अंदर उसका खड़ा लंड सीधे उसकी मां की मखमली बुर के ऊपर दस्तक दे रहा था,,,, रघु को यह अद्भुत सुख संभोग से भी कहीं ज्यादा ऊत्तेजनिया और संतुष्टि भरा एहसास दिला रहा था,,, आखिरकार एक औरत होने के नाते कब तक कजरी अभी दोनों टांगों के बीच कड़क चीज के चुभने का गलत अंदाजा लगाती,,, जैसे ही कचरी को इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बुर्के ऊपर कड़क चीज चोदने वाली कोई और नहीं उसके बेटे का खड़ा लंड है तो इस बात के एहसास से वह पूरी तरह से पानी-पानी हो गई,, और पल भर में ही टंकी के ठंडे पानी के अंदर ही उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,,। कजरी हैरान थी क्योंकि पहली बार हुआ इस कदर मदहोश होते हुए चुदाई का एहसास को महसूस करते हुए झड़ी थी,,,इतनी जल्दी वह कभी भी नहीं झड़ी थी जितनी जल्दी उसके बेटे ने अपने खड़े लंड का एहसास उसकी बुर के ऊपर करा कर उसे पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया था,,,। उत्तेजना के मारे कजरी अपनी सांसो को दुरुस्त नहीं कर पा रही थी,,,। रघु अपने अंदर इतना अत्यधिक ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था कि उसका बस चलता तो इसी समय अपनी मां की दोनों टांगें फैलाकर अपनी खड़े लंड को उसकी नंगी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दिया होता,, लेकिन शायद अभी उचित समय नहीं था इसलिए वह अपने आप को एकदम वश में कर के रखे हुए था,,, यही हाल कजरी का भी था अगर उसका बेटा अपने हाथों से उसकी दोनों टांगे फैलाकर उसकी चुदाई करने लगता तो शिकायत कैसी उसे रोक पाने में असक्षम थी,,। कचरी अपने आप को संभाल कर पीछे अपने पैर लेते हुए बोली,,,।

ना जाने कैसे पैर फिसल गया,,,,,


हा मा,,,, अच्छा हुआ कि चोट नहीं लगा,,,,।


सही समय पर तूने थाम लिया वरना मैं गिर जाती,,,,


मैं तुमको गिरने नहीं दूंगा,,,, देखो तो सही तुम्हारा पेटीकोट कैसे गुब्बारे की तरफ फूल गया है,,,,(अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही वह एकदम शर्म से पानी पानी होने लगी और अगले ही पल रघु अपने हाथों से पानी की ऊपरी सतह पर गुब्बारे जैसी बोली हुई पेटीकोट को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसे पानी के अंदर करते हुए बोला,,।) रुक जाओ में ही ठीक कर देता हूं,,,(कजरी एकदम शर्म से थोड़ी जा रही थी क्योंकि उसका बेटा अपने हाथों से उसके नंगे पन को ढकने की कोशिश कर रहा था लेकिन रघु की यह हरकत उसे काफी हद तक उत्तेजित भी कर रही थी रघु पेटीकोट को पानी के नीचे करते हुए अपने दोनों हाथों को उसकी मोटी मोटी जांघों पर रखकर नीचे की तरफ फिसलाने लगा था,,,,रघु को अपनी मां की चिकनी चिकनी जांघों का स्पर्श बेहद मदहोश कर देने वाला लग रहा था,,, और कजरी को भी अच्छा ही लग रहा था देखते ही देखते रघु अपनी मां की पेटीकोट को एकदम सही कर दिया लेकिन उसे छुने का उसके नंगे पन के एहसास को अपने अंदर महसूस करने के सुख को भी प्राप्त कर लिया था,,, कजरी शर्म के मारे अपने बेटे से आंख नहीं मिला पा रही थी,,,

और दूसरी तरफ बिरजू शालू का हाथ पकड़े हुए उसे घनी झाड़ियों के बीच ले गया,,,।


क्या है मुझे इस तरह से यहां लाने का क्या मतलब है,,,?(शालू धीरे से बोली)

क्या तुम्हें नहीं पता एक प्रेमी प्रेमिका को इस तरह से झाड़ियों में क्यों ले जाता है,,,,( बिरजू शालू को अपनी बाहों में भरते हुए बोला,,,)

नहीं मुझे तो बिल्कुल भी नहीं पता,,,,


अभी बताता हूं,,,,(इतना कहने के साथ बिरजू शालू के होठों पर अपने होंठ रखकर चुंबन करने लगा,,, थोड़ी ही देर में सालु भी गर्म होने लगी,,,लेकिन शालू के मन में यही था कि बिरजू उसके बदन की प्यास उसकी गर्मी नहीं मिटा पाएगा,,, इसलिए वह बिरजू के चुंबन का आनंद लेते हुए बोली,,,)

रहने दो काम शुरू तो कर देते हो लेकिन पूरा नहीं कर पाते,,,


आज पूरा करूंगा मेरी जान,,,, आज तुम्हें बीच मझधार में छोड़कर नहीं जाऊंगा,,,,(इतना कहने के साथ ही बिरजू अपने हाथों से सालु के सलवार की डोरी खोलने लगा,,, शालू हैरान भी थी कि आज बिरजू में इतनी ताकत कहां से आ गई इसलिए वह बोली)

क्या बात है आज इतनी हिम्मत कहां से आ गई,,,,।

तुम्हारे प्यार में बहुत ताकत है सालु,,,,(इतना कहने के साथ ही बिरजू सालु के सलवार का नाड़ा को खोल दिया और उसे नीचे घुटनों तक सरका दिया,,, शालू का दिल जोरो से धड़कने लगा झाड़ियों के बीच वह अपने प्रेमी से मिल रही थी और उसमें एकाकार होने जा रही थी उसे डर भी लग रहा था कि कोई देख ना ले इसलिए अपने चारों तरफ नजर घुमाकर देखते हुए बोली,,)

बिरजू अगर किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,।


कुछ नहीं होगा मेरी जान और यहां कोई देखने वाला नहीं है इतनी घनी झाड़ियों के बीच कोई नहीं आता,,, बस अब पीछे की तरफ घूम जाओ अपनी गांड को थोड़ा उठा दो,,,
(बिरजू के मुंह से ऐसा की गंदी बातें शालू को बेहद रोचक लग रही थी इसलिए तुरंत वह वीडियो की बात मानते हुए अपनी गांड को,,, बिरजू की तरफ कर दी और झाड़ियों को पकड़कर अपनी गोलाकार तरबूज जेसी गांड को हवा में उछाल दी,,,, बिरजू तो सालु की गोरी गोरी नंगी गांड देखकर एकदम से उत्तेजित हो गया,,, और तुरंत अपने पजामा का नाड़ा खोल कर घुटनों तक नीचे गिरा कर अपने खड़े लंड को हाथ में ले लिया और,, थोड़ा सा थूक लगाकर उसे सालु की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया,,,। सालु की सांसे अटक गईहालांकि उसे अपने छोटे भाई रघु के लंड के स्पर्श जितनी गर्माहट महसूस नहीं हुई लेकिन फिर भी वह बिरजू का मन रखने के लिए उसके साथ संभोग करने के लिए तैयार हो गए थे क्योंकि उसके साथ उसे शादी जो करना था,,, लेकिन इस बार बिरजू गजब की ताकत दिखा रहा था और देखते ही देखते सालु की कमर को पकड़ कर वो धीरे धीरे अपने लंड सालु की गुलाबी बोर के नाम से डालना शुरू कर दिया,,, शालू को धीरे-धीरे मजा आने लगा था देखते ही देखते बिरजू अपना पूरा लंड सालु कि गुलाबी छेद में डाल दिया,,,, और देखते ही देखते वह सालु को चोदना शुरू कर दिया,,,, शालू को मजा आ रहा था,,, महीनों की कोशिश के बाद आज जाकर बिरजू अपने मर्दाना लय में आया था,,।


दूसरी तरफ ट्यूबवेल की टंकी में दोनों मां बेटे आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे हालांकि दोनों संभोग के मंजिल तक नहीं पहुंच पाए थे लेकिन उस सफ़र से गुजर रहे थे और उन्हें इस समय मंजिल से ज्यादा सफर का आनंद मिल रहा था,,, उत्तेजना के मारे कजरी की बुर कचोरी की तरफ फूल चुकी थी,,, पजामे के अंदर होने के बावजूद भी जिस तरह का स्पर्श कजरी को अपने बेटे का लंड अपनी पेड़ के ऊपर हुआ था उसे महसूस करके वह अपने मन में यही प्रार्थना कर रही थी कि काश वह अपने बेटे के नंगे लंड को अपनी बुर पर महसूस कर पाती,,,।

थोड़ी देर बाद वह साबुन लेकर उसे अपने बदन पर लगाने लगी,,, रघु प्यासी नजरों से अपनी मां को ही देख रहा था,,, वाकई में जितनी भी औरतें उसने अपने बेहद करीब देखा था उस में से सबसे ज्यादा खूबसूरत उसे अपनी मां की लग रही थी,, पीठ तक कजरी का हांथ नहीं पहुंच पा रहा था तो रघु अपनी मां से बोला,,,।

लाओ मे लगा देता हूं,,,,,,(इतना सुनकर कजरी अपनी बेटियों को साबुन थमा दी और उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उत्तेजना के परम शिखर पर वह पूरी तरह से विराजमान हो चुका था,,, कांपते हाथों से रघु अपनी मां की पीठ पर साबुन लगाने लगा हालांकि ब्लाउज पहने होने की वजह से वह ठीक तरह से साबुन लगा नहीं पा रहा था और अपनी मां को यह भी नहीं कह पा रहा था कि अपना ब्लाउज उतार दो,,,कजरी के मन में भी यही हो रहा था कि काश उसका बेटा उसे अपना ब्लाउज उतारने के लिए कह दे,,, कुछ देर तक वह उसी तरह से ब्लाउज के ऊपर से ही साबुन लगाता रहा रघु की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया होता ना देख कर कजरी बोली,,,)

साबुन ठीक तरह से नहीं लगा पा रहा है ना,,,।


हां मां ब्लाउज है ना इसके लिए,,,
(रघु की बात सुनते ही कजरी का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि उसकी बात सुनकर उसने भी ऐसा लग रहा था कि रघु भी शायद यही चाहता है कि वह अपना ब्लाउज उतार दे इसलिए वह बोली,,)

अच्छा रुक जा मैं ब्लाउज थोड़ा ऊपर कर देती हुं,,,(कजरी चाहती तो अपना पूरा ब्लाउज उतारने की बात कर सकती थी लेकिन वह अपने बेटे के सामने इतनी भी ज्यादा बेशर्म नही बनना चाहती थी इसलिए थोड़ा सा लिहाज रख कर वह अपने ब्लाउज को थोड़ा ऊपर करने के लिए बोली थी इसलिए वह अपने ब्लाउज के पीछे के तीन बटन को खोलकर ब्लाउज को ऊपर की तरफ कर दी एक बटन अभी भी ब्लाउज में लगा हुआ था जिसकी वजह से ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज पहनी हुई है लेकिन जिस तरह से ब्लाउज को वह अपने हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ कर दी थी उसे सेवकों को लगने लगा था कि उसके दोनों खरबूजे बाहर उछल रहे होंगे और वास्तव में ऐसा ही हो रहा था उसकी दोनों चूचियां पानी में डूबी हुई थी,,, अपने बेटे के इतने करीब रहकर अपने वस्त्रों को इस कदर से अस्त व्यस्त कर के उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, इस बार कजरी को कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं पड़ी और रघु खुद ही उसकी नंगी पीठ पर साबुन लगाने लगा,,,धीरे-धीरे साबुन लगाने के बहाने रखो अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया इतना करीब कि उसका खड़े लंड उसके लिए तंबू पर हल्के हल्के से स्पर्श होने लगा था जो कि पानी के अंदर भी साफ महसूस हो रहा था,,, कचरी का दिल जोरों से धड़क रहा था,, उसकी सांसे अटक रही थी ट्यूबवेल की पाइप में से पानी दोनों के सिर पर गिर रहा था दोनों भीग रहे थे,,,, रघु मेरे पर इतना ज्यादा आगे की तरफ आ जाता था कि उसका खड़ा लंड पजामे मेंहोने के बावजूद भी कजरी को पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी दोनों गांड की फांकों के बीच चुभता हुआ महसूस हो रहा था,,,। रघु के साथ-साथ कजरी को भी मजा आ रहा था कजरी के मन में इस बात का डर दिखाकर कहीं उसकी बेटी सालु ना आ जाए,,, अपने बेटे के हाथों से साबुन लगवा कर उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,वह चाहती थी कि उसका बेटा अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी चूचियों पर भी साबुन लगाएं,,, इसलिए वह खुद ही बोली,,,।

आगे भी लगा दे रघु,,,,
(बस फिर क्या था कजरी ने तो रघु के मन की बात बोल दी थी इसलिए वह बिना कुछ सोचे समझे ही अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की छातियों पर साबुन लगाने लगा हालांकि उसकी दोनों चूचियां पानी के अंदर डूबी हुई थी लेकिन फिर भी वह उसे साबुन लगाने के बहाने उसे छुने का आनंद प्राप्त कर रहा था,,,।उसके एक हाथ में शामिल था लेकिन वह दोनों हाथों से अपनी मां की चूची पकड़ कर उस पर साबुन लगाने के बहाने उसे दबा रहा था जो कि यह बात कजरी को भी अच्छी तरह से समझ में आ रहा था लेकिन उसे अपने बेटे के हाथों की हरकत बेहद आनंददायक लग रही थी,,,कजरी के मुंह से हल्की हल्की सिसकारी फूट पड़ रही थी जो कि ट्यूबवेल में से निकल रहे पानी के शोर में दब जा रही थी,,,चारों तरफ हरियाली छाई हुई थी चारों तरफ घनी झाड़ियां के खेतों के बीच में बनाती बगैर किसी भी दूर चलते राही के नजर में नहीं आ सकता था और ना ही दूर दूर तक कोई नजर आ रहा था इसलिए डर उसे सिर्फ अपनी बेटी सालु से था कि वह किसी भी वक्त वहां आ सकती थी,,। रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी नंगी छाती उसकी मां की नंगी पीठ पर सटी हुई थी उसे अधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,। ट्यूबवेल की पाइप में से पानी बड़ी तेजी से दोनों के ऊपर गिर रहा था जिसकी वजह से अपने आप ही कजरी का पेटीकोट नीचे की तरफ सरक रहा था,, जिसे कजरी संभालने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी,, लेकिन इस बात का एहसास रघु को हो इसलिए वह जानबूझकर बोली,,


मेरा पेटीकोट नीचे सरक रहा है,,,,


पानी की वजह से मां,,,,, पानी इतना ज्यादा है ना और टंकी के अंदर ही इधर उधर उड़ल रहा है इसलिए आपकी पेटीकोट नीचे उतर रही है मेरा पैजामा भी नीचे खसक रहा है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से इतनी बात सुनते ही कजरी की बुर फुदकने लगी,,, वह बोली कुछ नहीं वह तो यहीं चाहती थी कि उसके बेटे का पजामा नीचे सरक जाए,,, लेकिन रघु का पैजामा अपने आप नहीं सरक रहा था बल्कि वह खुद अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने पजामे के नाड़े को खोल रहा था,,, रघु अपनी इस खुद की हरकत पर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपना पजामा खोल कर अपनी मां को चोदने जा रहा है,,, हालांकि अपने हाथ की हरकत को अपनी मां की चुचियों पर जारी रखें हुए था,, ब्लाउज का एक बटन बंद होने के बावजूद भी रघु के हाथों में कजरी की दोनों चूचियां बड़ी आसानी से आ जा रही थी लेकिन कजरी की चूचियां काफी बड़ी थी खरबूजे के आकार की लेकिन उसमें ढीलापन बिल्कुल भी नहीं था एकदम जवान लड़की की तरह एकदम टाइट और कड़क थे लेकिन दबाने पर एहसास होता था कि जैसे दशहरी आम,,,, रघु को आनंद ही आनंद मिल रहा था,,,कजरी लगातार अपने नितंबों पर अपने बेटे के मुसल की रगड़ को महसूस करके काफी उत्तेजित हुए जा रही थी,,,अब तो रघु ने अपनी पजामे का नाड़ा खोल कर उसे नीचे कर दिया था और पानी के अंदर उसका लंड एकदम नंगा हो चुका था कचरी को अपने बेटे की इस अद्भुत हरकत का एहसास तब हुआ जब रघु उसकी दोनों चूचियों पर साबुन लगाते हुए,,, उसके बेहद करीब आ गया इतना करीब कि उसका खड़ा लंड उसकी दोनों टांगों के बीच सीधे-सीधे उसकी बुर वाली जगह पर रगड़ खाने लगी,,, कजरी के तन बदन में अजीब सी कुलुकुलाहट होने लगी,,, कजरी को अपने बेटे के लंड की ताकत और उसकी लंबाई का अंदाजा इससे ही लग गया कि उसके पीछे पड़ा था लेकिन फिर भी उसकी दोनों टांगों के बीच से होता हुआ उसका लंड सीधे दिल के ऊपर मानो उसकी बुर की गुलाबी फांको पर चुंबन कर रहा हो और वहां तक बड़ी आसानी से पहुंच गया था,,,, इस अहसास से कजरी के तनबदन में झुंनझुनी फैलने लगी,,, रघु अपने दोनों हाथों से अपनी मां की दोनों चूचियों को मसल रहा था अब वह साबुन नहीं लगा रहा था बल्कि उसकी चूचियों की मालिश कर रहा था जो कि ट्यूबवेल की पाइप में से पानी सीधे उसकी छातियों पर ही गिर रहा था जिससे कजरी की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ रही थी,,,, कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसकी टांगों के बीच उसके बेटे का लंड बिल्कुल नंगा है और उसकी नंगी बुर पर दस्तक दे रहा है,,, कजरी अपनी सांसो को दुरुस्त नहीं कर पा रही थी उसकी सांसें उखड़ने लगी थी,,,।
रघु तो मानो सातवें आसमान में उड़ रहा हूो वह अपनी मां की दोनों चुचियों को पकड़कर इन सूचियों का सहारा लेकर अपनी मां की नंगी पीठ के साथ-साथ उसके नितंबों पर एकदम से सट गया था,,,,और उसका लंड उसकी दोनों टांगों के बीच से गुजरता हुआ सीधे उसकी बुर के ऊपरी भाग पर स्पर्श कर रहा था,,,। टंकी पानी से लबालब भरी हुई थी और दोनों की अंदर मौजूदगी की वजह से पानी में ज्वार भाटा की तरह हलन चलन हो रहा था जिसका फायदा रघु को बराबर मिल रहा था क्योंकि उसका बदन इस तरह से हील रहा था मानों जैसे वह अपनी मां की चुदाई कर रहा हो,,। और रघु की मां कजरी भी उसका साथ बराबर देते हुए टंकी के दीवाल को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी गांड को उसकी तरफ ही ऊचकआए हुए थी,,,, दोनों को मजा आ रहा था,,,, बरसों के बाद कजरी की सूखी जमीन पर ओस की बूंदे गिला कर रही थी,,,

रघु बराबर से साबुन लगाने के बहाने अपनी मां की दोनों चूचियों से जी भर कर खेल रहा था उन्हें अपने हाथ में लेकर उन्हें दबाने का मजा उसे बेहद संतुष्टि प्रदान कर रहा था ,,हालांकि वह अपनी मां की चूचियों को अपनी आंखों से देख नहीं पा रहा था क्योंकि उसकी मां की पीठ उसकी तरफ थी और वह दोनों हाथ आगे की तरफ लाकर उसकी चूचियों को दबा रहा था जो कि टंकी के पानी में पूरी तरह से डुबी हुई थी,,।अपने बेटे के हाथों द्वारा स्तन मर्दन का आनंद लेते हुए कजरी के मुंह से गरमा गरम सिसकारी निकल जा रही थी लेकिन ऊपर माथे पर पानी गिरने की वजह से उसकी आवाज रघु के कानो तक नहीं पहुंच पा रही थी।
रघु के दोनों हाथों में लड्डू तो नहीं लेकिन लड्डू से भी बेशकीमती और स्वादिष्ट उसकी मां की चूचियां और नीचे दोनों टांगों के बीच लंड की रगड़ जोकि उसकी मां की बुर्के मुहाने तक रगड खा रहा था जिससे प्रभु की उत्तेजना और ज्यादा प्रज्वलित हो रही थी,,,।

बेहद अद्भुत और मादकता से भरा हुआ नजारा था,,,ना तो कजरी नहीं और ना ही रघु ने कभी सपने में भी सोचा था कि दोनों मां-बेटे इस तरह से एक साथ लगभग लगभग नग्न अवस्था में ट्यूबेल की टंकी में नहाएंगे,,, कजरी की हालत खराब हो रही थी क्योंकि बरसो के बाद किसी मर्दाना लंड ने उसकी बुर को छुआ था जिससे वह पानी में भी पानी पानी हो रही थी,,,,रघु के लंड की रगड उसकी बुर के ऊपर इतनी ज्यादा दबाव डाल रही थी कि ना चाहते हुए भी उसकी बुर ने दूसरी बार पानी फेंक दिया,,, अद्भुत अतुल्य चरम सुख का अहसास कजरी को हो रहा था,,। कजरी बादलों में उड़ रही थी उसके मन में यही हो रहा था कि जितनी हिम्मत है उसका बेटा दिखा रहा है काश और हिम्मत दिखाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में डाल देता,,,,, और यही मन रघु का भी कर रहा था जिस तरह से अपने लंड को अपनी मां की बुर पर रगड़ रहा था उसकी इच्छा भी हो रहा था कि वह अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर उसे चोदना शुरू कर दे,,। लेकिन इसे आगे बढ़ने की दोनों की हिम्मत नहीं हो रही थी शर्म और हया दोनों को आगे बढ़ने से रोक रही थी कजरी तो शायद अपने मन पर काबू कर पाने में असमर्थ साबित हो रही थी और वह खुद ही अपने बेटे को अपनी बुर में लंड डालने के लिए बोल देती लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं शालू ना आ जाए और काफी समय भी हो रहा था,,,,

सालु अपनी मां से सौच करने को बोल कर गई थी,,उसे गए काफी समय हो गया था इसलिए कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे डर था कि कहीं शालू आ ना जाए और उन दोनों को इस हाल में ना देख ले,,,, इसलिए वह रघु को रोकते हुए बोली,,,,।


बस बेटा,,,,, मैं नहा ली हूं अब मुझे बाहर निकलना चाहिए वरना पानी ज्यादा ठंडा है कहीं सर्दी लग गई तो बुखार आ जाएगा,,,,
(इतना कहकर वह निकलने को हुई तो तभी उसे याद आया कि ऊसकआ पेटीकोट तो नीचे सरक गया है और वह नीचे जो करो पानी सकती थी क्योंकि ऐसा करने से उसे पानी में अपना मुंह डालना पड़ता ऐसा उससे नहीं हो पाता इसलिए वह रघु से बोली,,,)

रघु मेरी पेटी कोट नीचे गिर गई है तू जरा पानी में घुस कर निकाल दे,,,

(इतना सुनते ही रघु पानी में डुबकी लगाने और नीचे हाथ डालकर अपनी मां की पेटीकोट को उठाने लगा लेकिन इस दौरान ,,, अनजाने में ही उसका सर उसकी मां की दोनों टांगों के बीच रगड़ खाने लगा कजरी को अपने बेटे का सिर अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी फुली हुई बुर के ऊपर महसूस होते ही एक बार फिर से वह उत्तेजित होने लगी,,, एक बार फिर से उसके बदन में कशमसाहट की तरंगे फैलने लगी,,,, जैसे ही इस बात का आभास रघु को हुआ इस मौके का फायदा उठाते हुए वह अपना मुंह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच कर दिया जिससे उसकी नाक सीधे कजरी की बुर की पतली दरार के बीच रगड़ खाने लगी,,।
एक बार फिर से कजरी के बदन में कंपन होने लगा और रघु का लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, ज्यादा देर तक रघु अपनी इस हरकत को जारी नहीं रख सकता था इसलिए तुरंत वह अपनी मां की पेटीकोट को हाथ में लेकर ऊपर आ गया,,, कजरी अपने बेटे से नजर तक मिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी,,,। हालांकि जब वो पानी में डुबकी लगाया था तब वह अपने ब्लाउज के सारे बटन बंद कर ली थी,,, रघु अपनी मां को पेटीकोट थमाते समय उसके ब्लाउज को देखा था लेकिन उसे निराशा हाथ लगी थी,,, कजरी अपने हाथ में पेटीकोट पकड़कर अजीब सी दुविधा में फंसी हुई थी क्योंकि इस हालत में बाहर निकलने का मतलब था कि वह पूरी तरह से नंगी थी और वह इस हालत में अपने बेटे की आंखों के सामने नंगी नहीं दीखना चाहती थी इसलिए वह पेटिकोट का अपने सिर के ऊपर से डालकर पहनने लगी,,, और टंकी से बाहर आकर अपने कपड़े पहन कर वहां से चलती बनी वह अपने बेटे से नजर तक मिला नहीं पा रही थी लेकिन एक मलाल उसके मन में रह गया था कि अपने बेटे के खड़े मोटे लंड को अपनी गांड पर और अपनी बुर पर महसूस कर चुकी थी लेकिन उसे अपने हाथ में पकड़ कर उसकी गर्माहट को उसकी लंबाई को नाप नहीं पाई थी,,,
दूसरी तरफ रघु भी अपना हाथ मलता रह गया था आज उसे जो सुख मिला था वह बेहद अद्भुत था और कल्पना से बिल्कुल परे था दूसरी तरफ शालू अपने प्रेमी बिरजू से चुदवा कर वापस लौट आई थी,,,, रघु को वहां अकेला देख कर बोली,,,।

मां कहां गई,,,

वह तो नहा कर कब से चली गई,,,, लेकिन दीदी मेरा मन बहुत कर रहा है तुम्हारी लेने के लिए,,,


यहां पर,,,,


तो क्या इस टंकी में पानी के अंदर बहुत मजा आएगा,,,, तुम अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर अंदर आ जाओ यहा कोई देखने वाला नहीं है,,,,।
(अपनी भाई की बात सुनकर उसके तन बदन में भी सुरसुरा हट होने लगे और उसकी बुर में खुजली होने लगी जो कि कुछ देर पहले ही अपने प्रेमी के लंड को लेकर आई थी लेकिन अपने भाई के प्रस्ताव से वहां इनकार नहीं कर पाई और तुरंत अपने सारे कपड़े उतार कर वही रख दी ,,और नंगी हो गई अच्छी तरह से जानती थी कि यहां कोई आने वाला नहीं है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत थी और अकेले ही बनवा भी टंकी के अंदर उतर गई जहां पर एक बार फिर से रघु अपनी बड़ी बहन की बुर में पीछे से अपना लंड डालते हुए से चोदना शुरू कर दिया पानी के अंदर चुदाई का उन दोनों का पहला मौका था और बेहद उत्तेजक तरीके से अपनी बहन को चोद रहा था,,,)
 

Anuj.Sharma

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Bahut jabardast… mind blowing excellent…
 

Nevil singh

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रघु ट्यूबवेल की टंकी में ठंडे पानी का मजा ले रहा था पानी उसके छाती तक था,,,, बहुत दिनों बाद करो ट्यूबवेल की टंकी में घुसकर नहाने का आनंद ले रहा था और अपनी मां की तरफ देख रहा था जो कि अपनी साड़ी को धीरे धीरे उतार कर एक तरफ झाड़ियों पे रख रही थी,,, रघु,, तिरछी नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि कुछ ही देर में उसकी मां भी उसी में ट्यूबवेल की टंकी में नहाने के लिए आने वाली थी,,, पहली बार उसकी मां उसके बेहद करीब नहाने वाली थी,,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह से अपनी ही मां के सामने नहाएगा,,, और यही बात कजरी के मन में भी चल रही थी,,, उसके तन बदन में भी अजीब सी बेचैनी छाई हुई थी उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था,,, अपने बेटे की आंखों के सामने उसके बेहद करीब नहाने का अनुभव कैसा होता है इससे वह भी पूरी तरह से अंजान थी,,,। देखते ही देखते कजरी अपने आप को अपने बेटे के बेहद करीब उस टंकी में जाने के लिए तैयार कर ली,,, एक बार उस ट्यूबवेल की टंकी में घुसने से पहले वह चारों तरफ निगाह घुमाकर पूरी तरह से तसल्ली कर ली कि कोई उसे देख तो नहीं रहा है,,,, ना जाने आज कजरी के मन में क्या चल रहा था,,, इस बात का अंदाजा रघु को भी नहीं था,,। कजरी धीरे धीरे टंकी की तरफ आगे बढ़ने लगी जो कि पानी से लबालब भरा हुआ था और उसमें से पानी निकल कर खेतों में जा रहा था,,,रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जैसे-जैसे उसकी मां टंकी की तरफ आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे उसकी दोनों टांगों के बीच उसके मुसल में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, धीरे-धीरे उसके पजामे में तंबू बन गया,,, कजरी आगे बढ़ी और थोड़े से ऊंची पत्थर पर अपने पैर रखकर टंकी के पत्थर पर बैठ गई और पहले पानी से भरी टंकी में अपने दोनों पैर डालकर पानी की गहराई और उसकी ठंडक का अंदाजा लगाने लगी,,, पानी बहुत ठंडा था लेकिन गर्मी में बहुत ही शीतलता प्रदान कर रहा था,,, टंकी में घुसने से पहले विवाह ट्यूबवेल के पानी के आगे अपने दोनों हाथ लगाकर उसमें से ठंडे ठंडे पानी को पी कर अपने गले को तर करने लगी,,, रघु अपनी मां को बड़े गौर से देख रहा था हाथ में पानी लेकर पीने की वजह से पानी उसके ब्लाउज कर गिर रहा था जिसकी वजह से उसका ब्लाउज गीला होने के साथ-साथ अंदर के मनमोहक दृश्य को उजागर कर रहा था,,। पानी की बुंदो का यू ब्लाउज को गीला करना और उसके अंदर के बेहद खूबसूरत नग्नता को ब्लाउज की ऊपरी सतह पर उजागर करना यह सब रघु के लिए कामवासना को और ज्यादा बढ़ावा दे रहे थे,,, रघु का दील जोर से उछल रहा था,,, रघु दोनों हाथों से टंकी के पानी को छप छपाते हुए अपनी मां के खूबसूरत नजारे को देखकर मस्त हो रहा था कजरी अपने पेटिकोट को घुटनो पर चढ़ा कर पानी के अंदर अपने पैर को डालकर अपने पैरों को हिला रही थी अपनी मां की गोरी गोरी टांग को देख कर,, रघु का लंड पजामे में गदर मचा रहा था,,।कजरी कोठी इस बात का आभास था कि जिस तरह से वह पानी पी रही थी पानी के कारण इसका ब्लाउज पूरी तरह से गीता होने लगा था और पल भर में उसका पूरा ब्लाउज पानी से गीला हो करके ब्लाउज के अंदर की चूचियों के गोलाकार आकार को एकदम से उजागर कर रहा था जोकि रघु के दिल पर कामुकता भरी छुरीयां चला रहा था,,,। रघु से रहा नहीं जा रहा था वह चाहता था कि उसकी मां जल्द से जल्द पानी के अंदर आ जाए ताकि कोई ना कोई बहाने से उसके अंगों को छूने का उसे मौका मिल जाए,,, इसलिए वो खुद ही अपनी मां से बोला,,,।

अब ऊपर बैठी ही रहोगी अंदर भी आओगी,,,(अपने दोनों हाथ से पानी लेकर अपने चेहरे पर मारते हुए रघु बोला,, कजरी अपने बेटे की उत्सुकता देखकर उत्साहित हो गई और धीरे से पांव अंदर डालकर अपना दूसरा पांव भी पानी में डालकर टंकी की गहराई में उतरने लगी,,, ट्यूबवेल का पानी काफी ठंडा था,,,जिसकी वजह से कजरी को अपने बदन में ठंडक का एहसास हो रहा था लेकिन वह ठंडक उसे बेहद भा भी रहा था,, क्योंकि गर्मी अत्यधिक थी,,, वह तो गनीमत थी कि तीनों ने मिलकर काम को जल्दी से पूरा कर लिया था वरना एकदम दोपहर हो जाती तो गर्मी की वजह से और ज्यादा हालत खराब हो जाती,,,,)

पानी बहुत ठंडा है रघु,,,,(कजरी अपने दोनों पैरों को टंकी की गहराई में धीरे-धीरे उतारते हुए बोली)

गर्मी में ठंडा पानी ही सुकून देता है मां,,,, और देखो तो तुम कितनी गर्म हो गई हो,,,,(रघु एक बहाने से अपनी मां के दोनों हाथों को पकड़ते हुए बोला,,,) जब बदन गरम हो जाए तो,,, ठंडा पानी पड़ने से ही बदन शांत होता है,,,,।


तु ठीक कह रहा है,,,, रघु,,,(कजरी पूरी तरह से टंकी के अंदर उसकी गहराई में अपने दोनों पैरों को रखकर अपने आप को संभालते हुए बोली,, उसे इतना तो समझ में आ रहा था कि उसका बेटा दो अर्थ वाली बातें कर रहा था लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह जानबूझकर ऐसा कह रहा था या उसके मन से यूं ही औपचारिक रूप से निकल गया था,,, लेकिन फिर भी अपने बेटे की कही गई बात का दूसरा अर्थ निकाल कर कजरी अपने तन बदन में सुरसुरा हट का अनुभव कर रही थी,,,, टंकी में भरे हुए पानी में उतरते ही कजरी का बेटी कौन है हवा भरे गुब्बारे की तरह होने लगा और पूरा का पूरा पेटीकोट टंकी के पानी के ऊपरी सतह पर आ गया यह देखते ही रघु के लंड में खलबली मचने लगी क्योंकि,,,वह अच्छी तरह से जानता था कि पेटीकोट का इस तरह से हवा भरे गुब्बारे की तरह फूलकर पानी के ऊपरी सतह पर फुल कर गुब्बारा बन जाने का मतलब था कि उसकी मां कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी हो चुकी है,,,, कजरी को जैसे ही इस बात का एहसास हुआ वह तुरंत अपने हाथों से पानी के ऊपरी सतह पर फूली हुई अपनी पेटीकोट को पकड़कर नीचे की तरफ दबाने की कोशिश करने लगी रघु अपनी मां की यह मद भरी हरकत को देखकर अपने अंदर उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रहा था,,, रघु की हालत खराब हो रही थी क्योंकि रुको यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां पानी के अंदर अपने नंगे पन को ढकने की कोशिश कर रही थी जो कि पानी के अंदर वह अपनी कोशिश को अंजाम नहीं दे पा रही थी,,,, वह रघु की तरफ देख भी रही थी औरकमर के नीचे के नंगे पन को ढकने की कोशिश भी कर रही थी और इसी अफरा-तफरी में वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और पानी के अंदर ही टंकी के नीचली सतह पर पैर फिसल जाने की वजह से वह सीधा रघु के ऊपर जा गिरी रघु उसे संभालने की कोशिश करते हुए पानी के अंदर ही अपने दोनों हाथ उसे पकड़ने के चक्कर में उसके गोलाकार नितंबों पर रखकर पकड़ लिया हालांकि वह अपनी मां को संभाल लिया था लेकिन पानी के अंदर अपने दोनों हाथों से वह अपनी मां की गांड को थामे हुए था जैसे ही रघु को इस बात का एहसास हुआ उसके तन बदन में बिजली सी दौड़ने लगी उसका पूरा वजूद उत्तेजना के मारे कांपने लगा,,, उसके दोनों पैरों में थरथराहट महसूस होने लगी,,,कजरी भी अपने बेटे के दोनों हाथों को अपनी गांड पर महसूस कर के ऊपर से नीचे तक गनगना गई,,,, पल भर में ही उसकी सांसो की गति तेज हो गई,,, रघु टंकी के अंदर के बाहर का सहारा लेकर खड़ा था और उसकी मां उसके ऊपर एकदम से जा गीरी थी लेकिन फिर भी रघु उसे अपने हाथों से संभाल लिया था और उसे चोट लगने नहीं दिया था,, अभी भी रघु को का हाथ उसकी मां की गांड पर था एकदम नंगी बिल्कुल कोरी,,, नरम नरम रुई की तरह,,, रघुअपनी मां की भारी-भरकम गोल गोल गांड को छूने का स्पर्श करने का उसे दबाने के एहसास से वंचित नहीं रहना चाहता था,,,इसलिए अपनी मां को संभालने की अफरातफरी में वह अपनी मां की गांड को दोनों हाथों से पकड़कर उसकी दोनों फांकों को अपनी हथेली में भर कर उसे हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया था,,,रघु अपने दोनों हाथों में अब तक ना जाने कितनी औरतों की गांड को लेकर दबा चुका था लेकिन जो मजा उसे अपनी मां की गांड दबाने में आ रहा था वैसा मजा उसे आज तक नहीं आया था पहली बार उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि साड़ी के अंदर से साड़ी के सतह पर दिखने वाली गोलाकार कड़क गांड अंदर से कितनी नरम नरम थी,,,,, कजरी संभल कर स्थिर हो पाती इससे पहले ही रघु अपना काम कर चुका था,,,कजरी को भी इस बात का आभास हो चुका था कि उसका बेटा उसे संभालने के चक्कर में अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को पकड़े हुए हैं बरसों के बाद किसी मर्द के हाथों में उसकी दोनों मदमस्त गोरी गोरी कहां थे और वह भी किसी गैर के नहीं बल्कि अपने खुद के सगे बेटे के हाथों में,,, इस बात का एहसास उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था तभी कजरी को अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ कड़क चीज महसूस होने लगी,,, कजरी अभी भी कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी थी उसका पेटीकोट गुब्बारे की तरह टंकी के पानी की सतह के ऊपर फुला हुआ था जिसे कजरी चाह कर भी नीचे नहीं कर पाई थी,,, रघु भी जानता था कि पर जाने के अंदर उसका खड़ा लंड सीधे उसकी मां की मखमली बुर के ऊपर दस्तक दे रहा था,,,, रघु को यह अद्भुत सुख संभोग से भी कहीं ज्यादा ऊत्तेजनिया और संतुष्टि भरा एहसास दिला रहा था,,, आखिरकार एक औरत होने के नाते कब तक कजरी अभी दोनों टांगों के बीच कड़क चीज के चुभने का गलत अंदाजा लगाती,,, जैसे ही कचरी को इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बुर्के ऊपर कड़क चीज चोदने वाली कोई और नहीं उसके बेटे का खड़ा लंड है तो इस बात के एहसास से वह पूरी तरह से पानी-पानी हो गई,, और पल भर में ही टंकी के ठंडे पानी के अंदर ही उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,,। कजरी हैरान थी क्योंकि पहली बार हुआ इस कदर मदहोश होते हुए चुदाई का एहसास को महसूस करते हुए झड़ी थी,,,इतनी जल्दी वह कभी भी नहीं झड़ी थी जितनी जल्दी उसके बेटे ने अपने खड़े लंड का एहसास उसकी बुर के ऊपर करा कर उसे पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया था,,,। उत्तेजना के मारे कजरी अपनी सांसो को दुरुस्त नहीं कर पा रही थी,,,। रघु अपने अंदर इतना अत्यधिक ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था कि उसका बस चलता तो इसी समय अपनी मां की दोनों टांगें फैलाकर अपनी खड़े लंड को उसकी नंगी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दिया होता,, लेकिन शायद अभी उचित समय नहीं था इसलिए वह अपने आप को एकदम वश में कर के रखे हुए था,,, यही हाल कजरी का भी था अगर उसका बेटा अपने हाथों से उसकी दोनों टांगे फैलाकर उसकी चुदाई करने लगता तो शिकायत कैसी उसे रोक पाने में असक्षम थी,,। कचरी अपने आप को संभाल कर पीछे अपने पैर लेते हुए बोली,,,।

ना जाने कैसे पैर फिसल गया,,,,,


हा मा,,,, अच्छा हुआ कि चोट नहीं लगा,,,,।


सही समय पर तूने थाम लिया वरना मैं गिर जाती,,,,


मैं तुमको गिरने नहीं दूंगा,,,, देखो तो सही तुम्हारा पेटीकोट कैसे गुब्बारे की तरफ फूल गया है,,,,(अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही वह एकदम शर्म से पानी पानी होने लगी और अगले ही पल रघु अपने हाथों से पानी की ऊपरी सतह पर गुब्बारे जैसी बोली हुई पेटीकोट को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसे पानी के अंदर करते हुए बोला,,।) रुक जाओ में ही ठीक कर देता हूं,,,(कजरी एकदम शर्म से थोड़ी जा रही थी क्योंकि उसका बेटा अपने हाथों से उसके नंगे पन को ढकने की कोशिश कर रहा था लेकिन रघु की यह हरकत उसे काफी हद तक उत्तेजित भी कर रही थी रघु पेटीकोट को पानी के नीचे करते हुए अपने दोनों हाथों को उसकी मोटी मोटी जांघों पर रखकर नीचे की तरफ फिसलाने लगा था,,,,रघु को अपनी मां की चिकनी चिकनी जांघों का स्पर्श बेहद मदहोश कर देने वाला लग रहा था,,, और कजरी को भी अच्छा ही लग रहा था देखते ही देखते रघु अपनी मां की पेटीकोट को एकदम सही कर दिया लेकिन उसे छुने का उसके नंगे पन के एहसास को अपने अंदर महसूस करने के सुख को भी प्राप्त कर लिया था,,, कजरी शर्म के मारे अपने बेटे से आंख नहीं मिला पा रही थी,,,

और दूसरी तरफ बिरजू शालू का हाथ पकड़े हुए उसे घनी झाड़ियों के बीच ले गया,,,।


क्या है मुझे इस तरह से यहां लाने का क्या मतलब है,,,?(शालू धीरे से बोली)

क्या तुम्हें नहीं पता एक प्रेमी प्रेमिका को इस तरह से झाड़ियों में क्यों ले जाता है,,,,( बिरजू शालू को अपनी बाहों में भरते हुए बोला,,,)

नहीं मुझे तो बिल्कुल भी नहीं पता,,,,


अभी बताता हूं,,,,(इतना कहने के साथ बिरजू शालू के होठों पर अपने होंठ रखकर चुंबन करने लगा,,, थोड़ी ही देर में सालु भी गर्म होने लगी,,,लेकिन शालू के मन में यही था कि बिरजू उसके बदन की प्यास उसकी गर्मी नहीं मिटा पाएगा,,, इसलिए वह बिरजू के चुंबन का आनंद लेते हुए बोली,,,)

रहने दो काम शुरू तो कर देते हो लेकिन पूरा नहीं कर पाते,,,


आज पूरा करूंगा मेरी जान,,,, आज तुम्हें बीच मझधार में छोड़कर नहीं जाऊंगा,,,,(इतना कहने के साथ ही बिरजू अपने हाथों से सालु के सलवार की डोरी खोलने लगा,,, शालू हैरान भी थी कि आज बिरजू में इतनी ताकत कहां से आ गई इसलिए वह बोली)

क्या बात है आज इतनी हिम्मत कहां से आ गई,,,,।

तुम्हारे प्यार में बहुत ताकत है सालु,,,,(इतना कहने के साथ ही बिरजू सालु के सलवार का नाड़ा को खोल दिया और उसे नीचे घुटनों तक सरका दिया,,, शालू का दिल जोरो से धड़कने लगा झाड़ियों के बीच वह अपने प्रेमी से मिल रही थी और उसमें एकाकार होने जा रही थी उसे डर भी लग रहा था कि कोई देख ना ले इसलिए अपने चारों तरफ नजर घुमाकर देखते हुए बोली,,)

बिरजू अगर किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,।


कुछ नहीं होगा मेरी जान और यहां कोई देखने वाला नहीं है इतनी घनी झाड़ियों के बीच कोई नहीं आता,,, बस अब पीछे की तरफ घूम जाओ अपनी गांड को थोड़ा उठा दो,,,
(बिरजू के मुंह से ऐसा की गंदी बातें शालू को बेहद रोचक लग रही थी इसलिए तुरंत वह वीडियो की बात मानते हुए अपनी गांड को,,, बिरजू की तरफ कर दी और झाड़ियों को पकड़कर अपनी गोलाकार तरबूज जेसी गांड को हवा में उछाल दी,,,, बिरजू तो सालु की गोरी गोरी नंगी गांड देखकर एकदम से उत्तेजित हो गया,,, और तुरंत अपने पजामा का नाड़ा खोल कर घुटनों तक नीचे गिरा कर अपने खड़े लंड को हाथ में ले लिया और,, थोड़ा सा थूक लगाकर उसे सालु की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया,,,। सालु की सांसे अटक गईहालांकि उसे अपने छोटे भाई रघु के लंड के स्पर्श जितनी गर्माहट महसूस नहीं हुई लेकिन फिर भी वह बिरजू का मन रखने के लिए उसके साथ संभोग करने के लिए तैयार हो गए थे क्योंकि उसके साथ उसे शादी जो करना था,,, लेकिन इस बार बिरजू गजब की ताकत दिखा रहा था और देखते ही देखते सालु की कमर को पकड़ कर वो धीरे धीरे अपने लंड सालु की गुलाबी बोर के नाम से डालना शुरू कर दिया,,, शालू को धीरे-धीरे मजा आने लगा था देखते ही देखते बिरजू अपना पूरा लंड सालु कि गुलाबी छेद में डाल दिया,,,, और देखते ही देखते वह सालु को चोदना शुरू कर दिया,,,, शालू को मजा आ रहा था,,, महीनों की कोशिश के बाद आज जाकर बिरजू अपने मर्दाना लय में आया था,,।


दूसरी तरफ ट्यूबवेल की टंकी में दोनों मां बेटे आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे हालांकि दोनों संभोग के मंजिल तक नहीं पहुंच पाए थे लेकिन उस सफ़र से गुजर रहे थे और उन्हें इस समय मंजिल से ज्यादा सफर का आनंद मिल रहा था,,, उत्तेजना के मारे कजरी की बुर कचोरी की तरफ फूल चुकी थी,,, पजामे के अंदर होने के बावजूद भी जिस तरह का स्पर्श कजरी को अपने बेटे का लंड अपनी पेड़ के ऊपर हुआ था उसे महसूस करके वह अपने मन में यही प्रार्थना कर रही थी कि काश वह अपने बेटे के नंगे लंड को अपनी बुर पर महसूस कर पाती,,,।

थोड़ी देर बाद वह साबुन लेकर उसे अपने बदन पर लगाने लगी,,, रघु प्यासी नजरों से अपनी मां को ही देख रहा था,,, वाकई में जितनी भी औरतें उसने अपने बेहद करीब देखा था उस में से सबसे ज्यादा खूबसूरत उसे अपनी मां की लग रही थी,, पीठ तक कजरी का हांथ नहीं पहुंच पा रहा था तो रघु अपनी मां से बोला,,,।

लाओ मे लगा देता हूं,,,,,,(इतना सुनकर कजरी अपनी बेटियों को साबुन थमा दी और उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उत्तेजना के परम शिखर पर वह पूरी तरह से विराजमान हो चुका था,,, कांपते हाथों से रघु अपनी मां की पीठ पर साबुन लगाने लगा हालांकि ब्लाउज पहने होने की वजह से वह ठीक तरह से साबुन लगा नहीं पा रहा था और अपनी मां को यह भी नहीं कह पा रहा था कि अपना ब्लाउज उतार दो,,,कजरी के मन में भी यही हो रहा था कि काश उसका बेटा उसे अपना ब्लाउज उतारने के लिए कह दे,,, कुछ देर तक वह उसी तरह से ब्लाउज के ऊपर से ही साबुन लगाता रहा रघु की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया होता ना देख कर कजरी बोली,,,)

साबुन ठीक तरह से नहीं लगा पा रहा है ना,,,।


हां मां ब्लाउज है ना इसके लिए,,,
(रघु की बात सुनते ही कजरी का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि उसकी बात सुनकर उसने भी ऐसा लग रहा था कि रघु भी शायद यही चाहता है कि वह अपना ब्लाउज उतार दे इसलिए वह बोली,,)

अच्छा रुक जा मैं ब्लाउज थोड़ा ऊपर कर देती हुं,,,(कजरी चाहती तो अपना पूरा ब्लाउज उतारने की बात कर सकती थी लेकिन वह अपने बेटे के सामने इतनी भी ज्यादा बेशर्म नही बनना चाहती थी इसलिए थोड़ा सा लिहाज रख कर वह अपने ब्लाउज को थोड़ा ऊपर करने के लिए बोली थी इसलिए वह अपने ब्लाउज के पीछे के तीन बटन को खोलकर ब्लाउज को ऊपर की तरफ कर दी एक बटन अभी भी ब्लाउज में लगा हुआ था जिसकी वजह से ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज पहनी हुई है लेकिन जिस तरह से ब्लाउज को वह अपने हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ कर दी थी उसे सेवकों को लगने लगा था कि उसके दोनों खरबूजे बाहर उछल रहे होंगे और वास्तव में ऐसा ही हो रहा था उसकी दोनों चूचियां पानी में डूबी हुई थी,,, अपने बेटे के इतने करीब रहकर अपने वस्त्रों को इस कदर से अस्त व्यस्त कर के उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, इस बार कजरी को कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं पड़ी और रघु खुद ही उसकी नंगी पीठ पर साबुन लगाने लगा,,,धीरे-धीरे साबुन लगाने के बहाने रखो अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया इतना करीब कि उसका खड़े लंड उसके लिए तंबू पर हल्के हल्के से स्पर्श होने लगा था जो कि पानी के अंदर भी साफ महसूस हो रहा था,,, कचरी का दिल जोरों से धड़क रहा था,, उसकी सांसे अटक रही थी ट्यूबवेल की पाइप में से पानी दोनों के सिर पर गिर रहा था दोनों भीग रहे थे,,,, रघु मेरे पर इतना ज्यादा आगे की तरफ आ जाता था कि उसका खड़ा लंड पजामे मेंहोने के बावजूद भी कजरी को पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी दोनों गांड की फांकों के बीच चुभता हुआ महसूस हो रहा था,,,। रघु के साथ-साथ कजरी को भी मजा आ रहा था कजरी के मन में इस बात का डर दिखाकर कहीं उसकी बेटी सालु ना आ जाए,,, अपने बेटे के हाथों से साबुन लगवा कर उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,वह चाहती थी कि उसका बेटा अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी चूचियों पर भी साबुन लगाएं,,, इसलिए वह खुद ही बोली,,,।

आगे भी लगा दे रघु,,,,
(बस फिर क्या था कजरी ने तो रघु के मन की बात बोल दी थी इसलिए वह बिना कुछ सोचे समझे ही अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की छातियों पर साबुन लगाने लगा हालांकि उसकी दोनों चूचियां पानी के अंदर डूबी हुई थी लेकिन फिर भी वह उसे साबुन लगाने के बहाने उसे छुने का आनंद प्राप्त कर रहा था,,,।उसके एक हाथ में शामिल था लेकिन वह दोनों हाथों से अपनी मां की चूची पकड़ कर उस पर साबुन लगाने के बहाने उसे दबा रहा था जो कि यह बात कजरी को भी अच्छी तरह से समझ में आ रहा था लेकिन उसे अपने बेटे के हाथों की हरकत बेहद आनंददायक लग रही थी,,,कजरी के मुंह से हल्की हल्की सिसकारी फूट पड़ रही थी जो कि ट्यूबवेल में से निकल रहे पानी के शोर में दब जा रही थी,,,चारों तरफ हरियाली छाई हुई थी चारों तरफ घनी झाड़ियां के खेतों के बीच में बनाती बगैर किसी भी दूर चलते राही के नजर में नहीं आ सकता था और ना ही दूर दूर तक कोई नजर आ रहा था इसलिए डर उसे सिर्फ अपनी बेटी सालु से था कि वह किसी भी वक्त वहां आ सकती थी,,। रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी नंगी छाती उसकी मां की नंगी पीठ पर सटी हुई थी उसे अधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,। ट्यूबवेल की पाइप में से पानी बड़ी तेजी से दोनों के ऊपर गिर रहा था जिसकी वजह से अपने आप ही कजरी का पेटीकोट नीचे की तरफ सरक रहा था,, जिसे कजरी संभालने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी,, लेकिन इस बात का एहसास रघु को हो इसलिए वह जानबूझकर बोली,,


मेरा पेटीकोट नीचे सरक रहा है,,,,


पानी की वजह से मां,,,,, पानी इतना ज्यादा है ना और टंकी के अंदर ही इधर उधर उड़ल रहा है इसलिए आपकी पेटीकोट नीचे उतर रही है मेरा पैजामा भी नीचे खसक रहा है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से इतनी बात सुनते ही कजरी की बुर फुदकने लगी,,, वह बोली कुछ नहीं वह तो यहीं चाहती थी कि उसके बेटे का पजामा नीचे सरक जाए,,, लेकिन रघु का पैजामा अपने आप नहीं सरक रहा था बल्कि वह खुद अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने पजामे के नाड़े को खोल रहा था,,, रघु अपनी इस खुद की हरकत पर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपना पजामा खोल कर अपनी मां को चोदने जा रहा है,,, हालांकि अपने हाथ की हरकत को अपनी मां की चुचियों पर जारी रखें हुए था,, ब्लाउज का एक बटन बंद होने के बावजूद भी रघु के हाथों में कजरी की दोनों चूचियां बड़ी आसानी से आ जा रही थी लेकिन कजरी की चूचियां काफी बड़ी थी खरबूजे के आकार की लेकिन उसमें ढीलापन बिल्कुल भी नहीं था एकदम जवान लड़की की तरह एकदम टाइट और कड़क थे लेकिन दबाने पर एहसास होता था कि जैसे दशहरी आम,,,, रघु को आनंद ही आनंद मिल रहा था,,,कजरी लगातार अपने नितंबों पर अपने बेटे के मुसल की रगड़ को महसूस करके काफी उत्तेजित हुए जा रही थी,,,अब तो रघु ने अपनी पजामे का नाड़ा खोल कर उसे नीचे कर दिया था और पानी के अंदर उसका लंड एकदम नंगा हो चुका था कचरी को अपने बेटे की इस अद्भुत हरकत का एहसास तब हुआ जब रघु उसकी दोनों चूचियों पर साबुन लगाते हुए,,, उसके बेहद करीब आ गया इतना करीब कि उसका खड़ा लंड उसकी दोनों टांगों के बीच सीधे-सीधे उसकी बुर वाली जगह पर रगड़ खाने लगी,,, कजरी के तन बदन में अजीब सी कुलुकुलाहट होने लगी,,, कजरी को अपने बेटे के लंड की ताकत और उसकी लंबाई का अंदाजा इससे ही लग गया कि उसके पीछे पड़ा था लेकिन फिर भी उसकी दोनों टांगों के बीच से होता हुआ उसका लंड सीधे दिल के ऊपर मानो उसकी बुर की गुलाबी फांको पर चुंबन कर रहा हो और वहां तक बड़ी आसानी से पहुंच गया था,,,, इस अहसास से कजरी के तनबदन में झुंनझुनी फैलने लगी,,, रघु अपने दोनों हाथों से अपनी मां की दोनों चूचियों को मसल रहा था अब वह साबुन नहीं लगा रहा था बल्कि उसकी चूचियों की मालिश कर रहा था जो कि ट्यूबवेल की पाइप में से पानी सीधे उसकी छातियों पर ही गिर रहा था जिससे कजरी की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ रही थी,,,, कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसकी टांगों के बीच उसके बेटे का लंड बिल्कुल नंगा है और उसकी नंगी बुर पर दस्तक दे रहा है,,, कजरी अपनी सांसो को दुरुस्त नहीं कर पा रही थी उसकी सांसें उखड़ने लगी थी,,,।
रघु तो मानो सातवें आसमान में उड़ रहा हूो वह अपनी मां की दोनों चुचियों को पकड़कर इन सूचियों का सहारा लेकर अपनी मां की नंगी पीठ के साथ-साथ उसके नितंबों पर एकदम से सट गया था,,,,और उसका लंड उसकी दोनों टांगों के बीच से गुजरता हुआ सीधे उसकी बुर के ऊपरी भाग पर स्पर्श कर रहा था,,,। टंकी पानी से लबालब भरी हुई थी और दोनों की अंदर मौजूदगी की वजह से पानी में ज्वार भाटा की तरह हलन चलन हो रहा था जिसका फायदा रघु को बराबर मिल रहा था क्योंकि उसका बदन इस तरह से हील रहा था मानों जैसे वह अपनी मां की चुदाई कर रहा हो,,। और रघु की मां कजरी भी उसका साथ बराबर देते हुए टंकी के दीवाल को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी गांड को उसकी तरफ ही ऊचकआए हुए थी,,,, दोनों को मजा आ रहा था,,,, बरसों के बाद कजरी की सूखी जमीन पर ओस की बूंदे गिला कर रही थी,,,

रघु बराबर से साबुन लगाने के बहाने अपनी मां की दोनों चूचियों से जी भर कर खेल रहा था उन्हें अपने हाथ में लेकर उन्हें दबाने का मजा उसे बेहद संतुष्टि प्रदान कर रहा था ,,हालांकि वह अपनी मां की चूचियों को अपनी आंखों से देख नहीं पा रहा था क्योंकि उसकी मां की पीठ उसकी तरफ थी और वह दोनों हाथ आगे की तरफ लाकर उसकी चूचियों को दबा रहा था जो कि टंकी के पानी में पूरी तरह से डुबी हुई थी,,।अपने बेटे के हाथों द्वारा स्तन मर्दन का आनंद लेते हुए कजरी के मुंह से गरमा गरम सिसकारी निकल जा रही थी लेकिन ऊपर माथे पर पानी गिरने की वजह से उसकी आवाज रघु के कानो तक नहीं पहुंच पा रही थी।
रघु के दोनों हाथों में लड्डू तो नहीं लेकिन लड्डू से भी बेशकीमती और स्वादिष्ट उसकी मां की चूचियां और नीचे दोनों टांगों के बीच लंड की रगड़ जोकि उसकी मां की बुर्के मुहाने तक रगड खा रहा था जिससे प्रभु की उत्तेजना और ज्यादा प्रज्वलित हो रही थी,,,।

बेहद अद्भुत और मादकता से भरा हुआ नजारा था,,,ना तो कजरी नहीं और ना ही रघु ने कभी सपने में भी सोचा था कि दोनों मां-बेटे इस तरह से एक साथ लगभग लगभग नग्न अवस्था में ट्यूबेल की टंकी में नहाएंगे,,, कजरी की हालत खराब हो रही थी क्योंकि बरसो के बाद किसी मर्दाना लंड ने उसकी बुर को छुआ था जिससे वह पानी में भी पानी पानी हो रही थी,,,,रघु के लंड की रगड उसकी बुर के ऊपर इतनी ज्यादा दबाव डाल रही थी कि ना चाहते हुए भी उसकी बुर ने दूसरी बार पानी फेंक दिया,,, अद्भुत अतुल्य चरम सुख का अहसास कजरी को हो रहा था,,। कजरी बादलों में उड़ रही थी उसके मन में यही हो रहा था कि जितनी हिम्मत है उसका बेटा दिखा रहा है काश और हिम्मत दिखाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में डाल देता,,,,, और यही मन रघु का भी कर रहा था जिस तरह से अपने लंड को अपनी मां की बुर पर रगड़ रहा था उसकी इच्छा भी हो रहा था कि वह अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर उसे चोदना शुरू कर दे,,। लेकिन इसे आगे बढ़ने की दोनों की हिम्मत नहीं हो रही थी शर्म और हया दोनों को आगे बढ़ने से रोक रही थी कजरी तो शायद अपने मन पर काबू कर पाने में असमर्थ साबित हो रही थी और वह खुद ही अपने बेटे को अपनी बुर में लंड डालने के लिए बोल देती लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं शालू ना आ जाए और काफी समय भी हो रहा था,,,,

सालु अपनी मां से सौच करने को बोल कर गई थी,,उसे गए काफी समय हो गया था इसलिए कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे डर था कि कहीं शालू आ ना जाए और उन दोनों को इस हाल में ना देख ले,,,, इसलिए वह रघु को रोकते हुए बोली,,,,।


बस बेटा,,,,, मैं नहा ली हूं अब मुझे बाहर निकलना चाहिए वरना पानी ज्यादा ठंडा है कहीं सर्दी लग गई तो बुखार आ जाएगा,,,,
(इतना कहकर वह निकलने को हुई तो तभी उसे याद आया कि ऊसकआ पेटीकोट तो नीचे सरक गया है और वह नीचे जो करो पानी सकती थी क्योंकि ऐसा करने से उसे पानी में अपना मुंह डालना पड़ता ऐसा उससे नहीं हो पाता इसलिए वह रघु से बोली,,,)

रघु मेरी पेटी कोट नीचे गिर गई है तू जरा पानी में घुस कर निकाल दे,,,

(इतना सुनते ही रघु पानी में डुबकी लगाने और नीचे हाथ डालकर अपनी मां की पेटीकोट को उठाने लगा लेकिन इस दौरान ,,, अनजाने में ही उसका सर उसकी मां की दोनों टांगों के बीच रगड़ खाने लगा कजरी को अपने बेटे का सिर अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी फुली हुई बुर के ऊपर महसूस होते ही एक बार फिर से वह उत्तेजित होने लगी,,, एक बार फिर से उसके बदन में कशमसाहट की तरंगे फैलने लगी,,,, जैसे ही इस बात का आभास रघु को हुआ इस मौके का फायदा उठाते हुए वह अपना मुंह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच कर दिया जिससे उसकी नाक सीधे कजरी की बुर की पतली दरार के बीच रगड़ खाने लगी,,।
एक बार फिर से कजरी के बदन में कंपन होने लगा और रघु का लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, ज्यादा देर तक रघु अपनी इस हरकत को जारी नहीं रख सकता था इसलिए तुरंत वह अपनी मां की पेटीकोट को हाथ में लेकर ऊपर आ गया,,, कजरी अपने बेटे से नजर तक मिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी,,,। हालांकि जब वो पानी में डुबकी लगाया था तब वह अपने ब्लाउज के सारे बटन बंद कर ली थी,,, रघु अपनी मां को पेटीकोट थमाते समय उसके ब्लाउज को देखा था लेकिन उसे निराशा हाथ लगी थी,,, कजरी अपने हाथ में पेटीकोट पकड़कर अजीब सी दुविधा में फंसी हुई थी क्योंकि इस हालत में बाहर निकलने का मतलब था कि वह पूरी तरह से नंगी थी और वह इस हालत में अपने बेटे की आंखों के सामने नंगी नहीं दीखना चाहती थी इसलिए वह पेटिकोट का अपने सिर के ऊपर से डालकर पहनने लगी,,, और टंकी से बाहर आकर अपने कपड़े पहन कर वहां से चलती बनी वह अपने बेटे से नजर तक मिला नहीं पा रही थी लेकिन एक मलाल उसके मन में रह गया था कि अपने बेटे के खड़े मोटे लंड को अपनी गांड पर और अपनी बुर पर महसूस कर चुकी थी लेकिन उसे अपने हाथ में पकड़ कर उसकी गर्माहट को उसकी लंबाई को नाप नहीं पाई थी,,,
दूसरी तरफ रघु भी अपना हाथ मलता रह गया था आज उसे जो सुख मिला था वह बेहद अद्भुत था और कल्पना से बिल्कुल परे था दूसरी तरफ शालू अपने प्रेमी बिरजू से चुदवा कर वापस लौट आई थी,,,, रघु को वहां अकेला देख कर बोली,,,।

मां कहां गई,,,

वह तो नहा कर कब से चली गई,,,, लेकिन दीदी मेरा मन बहुत कर रहा है तुम्हारी लेने के लिए,,,


यहां पर,,,,


तो क्या इस टंकी में पानी के अंदर बहुत मजा आएगा,,,, तुम अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर अंदर आ जाओ यहा कोई देखने वाला नहीं है,,,,।
(अपनी भाई की बात सुनकर उसके तन बदन में भी सुरसुरा हट होने लगे और उसकी बुर में खुजली होने लगी जो कि कुछ देर पहले ही अपने प्रेमी के लंड को लेकर आई थी लेकिन अपने भाई के प्रस्ताव से वहां इनकार नहीं कर पाई और तुरंत अपने सारे कपड़े उतार कर वही रख दी ,,और नंगी हो गई अच्छी तरह से जानती थी कि यहां कोई आने वाला नहीं है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत थी और अकेले ही बनवा भी टंकी के अंदर उतर गई जहां पर एक बार फिर से रघु अपनी बड़ी बहन की बुर में पीछे से अपना लंड डालते हुए से चोदना शुरू कर दिया पानी के अंदर चुदाई का उन दोनों का पहला मौका था और बेहद उत्तेजक तरीके से अपनी बहन को चोद रहा था,,,)
Vishesh update dost
 

hellboy

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रघु ट्यूबवेल की टंकी में ठंडे पानी का मजा ले रहा था पानी उसके छाती तक था,,,, बहुत दिनों बाद करो ट्यूबवेल की टंकी में घुसकर नहाने का आनंद ले रहा था और अपनी मां की तरफ देख रहा था जो कि अपनी साड़ी को धीरे धीरे उतार कर एक तरफ झाड़ियों पे रख रही थी,,, रघु,, तिरछी नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि कुछ ही देर में उसकी मां भी उसी में ट्यूबवेल की टंकी में नहाने के लिए आने वाली थी,,, पहली बार उसकी मां उसके बेहद करीब नहाने वाली थी,,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह से अपनी ही मां के सामने नहाएगा,,, और यही बात कजरी के मन में भी चल रही थी,,, उसके तन बदन में भी अजीब सी बेचैनी छाई हुई थी उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था,,, अपने बेटे की आंखों के सामने उसके बेहद करीब नहाने का अनुभव कैसा होता है इससे वह भी पूरी तरह से अंजान थी,,,। देखते ही देखते कजरी अपने आप को अपने बेटे के बेहद करीब उस टंकी में जाने के लिए तैयार कर ली,,, एक बार उस ट्यूबवेल की टंकी में घुसने से पहले वह चारों तरफ निगाह घुमाकर पूरी तरह से तसल्ली कर ली कि कोई उसे देख तो नहीं रहा है,,,, ना जाने आज कजरी के मन में क्या चल रहा था,,, इस बात का अंदाजा रघु को भी नहीं था,,। कजरी धीरे धीरे टंकी की तरफ आगे बढ़ने लगी जो कि पानी से लबालब भरा हुआ था और उसमें से पानी निकल कर खेतों में जा रहा था,,,रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जैसे-जैसे उसकी मां टंकी की तरफ आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे उसकी दोनों टांगों के बीच उसके मुसल में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, धीरे-धीरे उसके पजामे में तंबू बन गया,,, कजरी आगे बढ़ी और थोड़े से ऊंची पत्थर पर अपने पैर रखकर टंकी के पत्थर पर बैठ गई और पहले पानी से भरी टंकी में अपने दोनों पैर डालकर पानी की गहराई और उसकी ठंडक का अंदाजा लगाने लगी,,, पानी बहुत ठंडा था लेकिन गर्मी में बहुत ही शीतलता प्रदान कर रहा था,,, टंकी में घुसने से पहले विवाह ट्यूबवेल के पानी के आगे अपने दोनों हाथ लगाकर उसमें से ठंडे ठंडे पानी को पी कर अपने गले को तर करने लगी,,, रघु अपनी मां को बड़े गौर से देख रहा था हाथ में पानी लेकर पीने की वजह से पानी उसके ब्लाउज कर गिर रहा था जिसकी वजह से उसका ब्लाउज गीला होने के साथ-साथ अंदर के मनमोहक दृश्य को उजागर कर रहा था,,। पानी की बुंदो का यू ब्लाउज को गीला करना और उसके अंदर के बेहद खूबसूरत नग्नता को ब्लाउज की ऊपरी सतह पर उजागर करना यह सब रघु के लिए कामवासना को और ज्यादा बढ़ावा दे रहे थे,,, रघु का दील जोर से उछल रहा था,,, रघु दोनों हाथों से टंकी के पानी को छप छपाते हुए अपनी मां के खूबसूरत नजारे को देखकर मस्त हो रहा था कजरी अपने पेटिकोट को घुटनो पर चढ़ा कर पानी के अंदर अपने पैर को डालकर अपने पैरों को हिला रही थी अपनी मां की गोरी गोरी टांग को देख कर,, रघु का लंड पजामे में गदर मचा रहा था,,।कजरी कोठी इस बात का आभास था कि जिस तरह से वह पानी पी रही थी पानी के कारण इसका ब्लाउज पूरी तरह से गीता होने लगा था और पल भर में उसका पूरा ब्लाउज पानी से गीला हो करके ब्लाउज के अंदर की चूचियों के गोलाकार आकार को एकदम से उजागर कर रहा था जोकि रघु के दिल पर कामुकता भरी छुरीयां चला रहा था,,,। रघु से रहा नहीं जा रहा था वह चाहता था कि उसकी मां जल्द से जल्द पानी के अंदर आ जाए ताकि कोई ना कोई बहाने से उसके अंगों को छूने का उसे मौका मिल जाए,,, इसलिए वो खुद ही अपनी मां से बोला,,,।

अब ऊपर बैठी ही रहोगी अंदर भी आओगी,,,(अपने दोनों हाथ से पानी लेकर अपने चेहरे पर मारते हुए रघु बोला,, कजरी अपने बेटे की उत्सुकता देखकर उत्साहित हो गई और धीरे से पांव अंदर डालकर अपना दूसरा पांव भी पानी में डालकर टंकी की गहराई में उतरने लगी,,, ट्यूबवेल का पानी काफी ठंडा था,,,जिसकी वजह से कजरी को अपने बदन में ठंडक का एहसास हो रहा था लेकिन वह ठंडक उसे बेहद भा भी रहा था,, क्योंकि गर्मी अत्यधिक थी,,, वह तो गनीमत थी कि तीनों ने मिलकर काम को जल्दी से पूरा कर लिया था वरना एकदम दोपहर हो जाती तो गर्मी की वजह से और ज्यादा हालत खराब हो जाती,,,,)

पानी बहुत ठंडा है रघु,,,,(कजरी अपने दोनों पैरों को टंकी की गहराई में धीरे-धीरे उतारते हुए बोली)

गर्मी में ठंडा पानी ही सुकून देता है मां,,,, और देखो तो तुम कितनी गर्म हो गई हो,,,,(रघु एक बहाने से अपनी मां के दोनों हाथों को पकड़ते हुए बोला,,,) जब बदन गरम हो जाए तो,,, ठंडा पानी पड़ने से ही बदन शांत होता है,,,,।


तु ठीक कह रहा है,,,, रघु,,,(कजरी पूरी तरह से टंकी के अंदर उसकी गहराई में अपने दोनों पैरों को रखकर अपने आप को संभालते हुए बोली,, उसे इतना तो समझ में आ रहा था कि उसका बेटा दो अर्थ वाली बातें कर रहा था लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह जानबूझकर ऐसा कह रहा था या उसके मन से यूं ही औपचारिक रूप से निकल गया था,,, लेकिन फिर भी अपने बेटे की कही गई बात का दूसरा अर्थ निकाल कर कजरी अपने तन बदन में सुरसुरा हट का अनुभव कर रही थी,,,, टंकी में भरे हुए पानी में उतरते ही कजरी का बेटी कौन है हवा भरे गुब्बारे की तरह होने लगा और पूरा का पूरा पेटीकोट टंकी के पानी के ऊपरी सतह पर आ गया यह देखते ही रघु के लंड में खलबली मचने लगी क्योंकि,,,वह अच्छी तरह से जानता था कि पेटीकोट का इस तरह से हवा भरे गुब्बारे की तरह फूलकर पानी के ऊपरी सतह पर फुल कर गुब्बारा बन जाने का मतलब था कि उसकी मां कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी हो चुकी है,,,, कजरी को जैसे ही इस बात का एहसास हुआ वह तुरंत अपने हाथों से पानी के ऊपरी सतह पर फूली हुई अपनी पेटीकोट को पकड़कर नीचे की तरफ दबाने की कोशिश करने लगी रघु अपनी मां की यह मद भरी हरकत को देखकर अपने अंदर उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रहा था,,, रघु की हालत खराब हो रही थी क्योंकि रुको यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां पानी के अंदर अपने नंगे पन को ढकने की कोशिश कर रही थी जो कि पानी के अंदर वह अपनी कोशिश को अंजाम नहीं दे पा रही थी,,,, वह रघु की तरफ देख भी रही थी औरकमर के नीचे के नंगे पन को ढकने की कोशिश भी कर रही थी और इसी अफरा-तफरी में वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और पानी के अंदर ही टंकी के नीचली सतह पर पैर फिसल जाने की वजह से वह सीधा रघु के ऊपर जा गिरी रघु उसे संभालने की कोशिश करते हुए पानी के अंदर ही अपने दोनों हाथ उसे पकड़ने के चक्कर में उसके गोलाकार नितंबों पर रखकर पकड़ लिया हालांकि वह अपनी मां को संभाल लिया था लेकिन पानी के अंदर अपने दोनों हाथों से वह अपनी मां की गांड को थामे हुए था जैसे ही रघु को इस बात का एहसास हुआ उसके तन बदन में बिजली सी दौड़ने लगी उसका पूरा वजूद उत्तेजना के मारे कांपने लगा,,, उसके दोनों पैरों में थरथराहट महसूस होने लगी,,,कजरी भी अपने बेटे के दोनों हाथों को अपनी गांड पर महसूस कर के ऊपर से नीचे तक गनगना गई,,,, पल भर में ही उसकी सांसो की गति तेज हो गई,,, रघु टंकी के अंदर के बाहर का सहारा लेकर खड़ा था और उसकी मां उसके ऊपर एकदम से जा गीरी थी लेकिन फिर भी रघु उसे अपने हाथों से संभाल लिया था और उसे चोट लगने नहीं दिया था,, अभी भी रघु को का हाथ उसकी मां की गांड पर था एकदम नंगी बिल्कुल कोरी,,, नरम नरम रुई की तरह,,, रघुअपनी मां की भारी-भरकम गोल गोल गांड को छूने का स्पर्श करने का उसे दबाने के एहसास से वंचित नहीं रहना चाहता था,,,इसलिए अपनी मां को संभालने की अफरातफरी में वह अपनी मां की गांड को दोनों हाथों से पकड़कर उसकी दोनों फांकों को अपनी हथेली में भर कर उसे हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया था,,,रघु अपने दोनों हाथों में अब तक ना जाने कितनी औरतों की गांड को लेकर दबा चुका था लेकिन जो मजा उसे अपनी मां की गांड दबाने में आ रहा था वैसा मजा उसे आज तक नहीं आया था पहली बार उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि साड़ी के अंदर से साड़ी के सतह पर दिखने वाली गोलाकार कड़क गांड अंदर से कितनी नरम नरम थी,,,,, कजरी संभल कर स्थिर हो पाती इससे पहले ही रघु अपना काम कर चुका था,,,कजरी को भी इस बात का आभास हो चुका था कि उसका बेटा उसे संभालने के चक्कर में अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को पकड़े हुए हैं बरसों के बाद किसी मर्द के हाथों में उसकी दोनों मदमस्त गोरी गोरी कहां थे और वह भी किसी गैर के नहीं बल्कि अपने खुद के सगे बेटे के हाथों में,,, इस बात का एहसास उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था तभी कजरी को अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ कड़क चीज महसूस होने लगी,,, कजरी अभी भी कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी थी उसका पेटीकोट गुब्बारे की तरह टंकी के पानी की सतह के ऊपर फुला हुआ था जिसे कजरी चाह कर भी नीचे नहीं कर पाई थी,,, रघु भी जानता था कि पर जाने के अंदर उसका खड़ा लंड सीधे उसकी मां की मखमली बुर के ऊपर दस्तक दे रहा था,,,, रघु को यह अद्भुत सुख संभोग से भी कहीं ज्यादा ऊत्तेजनिया और संतुष्टि भरा एहसास दिला रहा था,,, आखिरकार एक औरत होने के नाते कब तक कजरी अभी दोनों टांगों के बीच कड़क चीज के चुभने का गलत अंदाजा लगाती,,, जैसे ही कचरी को इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बुर्के ऊपर कड़क चीज चोदने वाली कोई और नहीं उसके बेटे का खड़ा लंड है तो इस बात के एहसास से वह पूरी तरह से पानी-पानी हो गई,, और पल भर में ही टंकी के ठंडे पानी के अंदर ही उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,,। कजरी हैरान थी क्योंकि पहली बार हुआ इस कदर मदहोश होते हुए चुदाई का एहसास को महसूस करते हुए झड़ी थी,,,इतनी जल्दी वह कभी भी नहीं झड़ी थी जितनी जल्दी उसके बेटे ने अपने खड़े लंड का एहसास उसकी बुर के ऊपर करा कर उसे पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया था,,,। उत्तेजना के मारे कजरी अपनी सांसो को दुरुस्त नहीं कर पा रही थी,,,। रघु अपने अंदर इतना अत्यधिक ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था कि उसका बस चलता तो इसी समय अपनी मां की दोनों टांगें फैलाकर अपनी खड़े लंड को उसकी नंगी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दिया होता,, लेकिन शायद अभी उचित समय नहीं था इसलिए वह अपने आप को एकदम वश में कर के रखे हुए था,,, यही हाल कजरी का भी था अगर उसका बेटा अपने हाथों से उसकी दोनों टांगे फैलाकर उसकी चुदाई करने लगता तो शिकायत कैसी उसे रोक पाने में असक्षम थी,,। कचरी अपने आप को संभाल कर पीछे अपने पैर लेते हुए बोली,,,।

ना जाने कैसे पैर फिसल गया,,,,,


हा मा,,,, अच्छा हुआ कि चोट नहीं लगा,,,,।


सही समय पर तूने थाम लिया वरना मैं गिर जाती,,,,


मैं तुमको गिरने नहीं दूंगा,,,, देखो तो सही तुम्हारा पेटीकोट कैसे गुब्बारे की तरफ फूल गया है,,,,(अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही वह एकदम शर्म से पानी पानी होने लगी और अगले ही पल रघु अपने हाथों से पानी की ऊपरी सतह पर गुब्बारे जैसी बोली हुई पेटीकोट को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसे पानी के अंदर करते हुए बोला,,।) रुक जाओ में ही ठीक कर देता हूं,,,(कजरी एकदम शर्म से थोड़ी जा रही थी क्योंकि उसका बेटा अपने हाथों से उसके नंगे पन को ढकने की कोशिश कर रहा था लेकिन रघु की यह हरकत उसे काफी हद तक उत्तेजित भी कर रही थी रघु पेटीकोट को पानी के नीचे करते हुए अपने दोनों हाथों को उसकी मोटी मोटी जांघों पर रखकर नीचे की तरफ फिसलाने लगा था,,,,रघु को अपनी मां की चिकनी चिकनी जांघों का स्पर्श बेहद मदहोश कर देने वाला लग रहा था,,, और कजरी को भी अच्छा ही लग रहा था देखते ही देखते रघु अपनी मां की पेटीकोट को एकदम सही कर दिया लेकिन उसे छुने का उसके नंगे पन के एहसास को अपने अंदर महसूस करने के सुख को भी प्राप्त कर लिया था,,, कजरी शर्म के मारे अपने बेटे से आंख नहीं मिला पा रही थी,,,

और दूसरी तरफ बिरजू शालू का हाथ पकड़े हुए उसे घनी झाड़ियों के बीच ले गया,,,।


क्या है मुझे इस तरह से यहां लाने का क्या मतलब है,,,?(शालू धीरे से बोली)

क्या तुम्हें नहीं पता एक प्रेमी प्रेमिका को इस तरह से झाड़ियों में क्यों ले जाता है,,,,( बिरजू शालू को अपनी बाहों में भरते हुए बोला,,,)

नहीं मुझे तो बिल्कुल भी नहीं पता,,,,


अभी बताता हूं,,,,(इतना कहने के साथ बिरजू शालू के होठों पर अपने होंठ रखकर चुंबन करने लगा,,, थोड़ी ही देर में सालु भी गर्म होने लगी,,,लेकिन शालू के मन में यही था कि बिरजू उसके बदन की प्यास उसकी गर्मी नहीं मिटा पाएगा,,, इसलिए वह बिरजू के चुंबन का आनंद लेते हुए बोली,,,)

रहने दो काम शुरू तो कर देते हो लेकिन पूरा नहीं कर पाते,,,


आज पूरा करूंगा मेरी जान,,,, आज तुम्हें बीच मझधार में छोड़कर नहीं जाऊंगा,,,,(इतना कहने के साथ ही बिरजू अपने हाथों से सालु के सलवार की डोरी खोलने लगा,,, शालू हैरान भी थी कि आज बिरजू में इतनी ताकत कहां से आ गई इसलिए वह बोली)

क्या बात है आज इतनी हिम्मत कहां से आ गई,,,,।

तुम्हारे प्यार में बहुत ताकत है सालु,,,,(इतना कहने के साथ ही बिरजू सालु के सलवार का नाड़ा को खोल दिया और उसे नीचे घुटनों तक सरका दिया,,, शालू का दिल जोरो से धड़कने लगा झाड़ियों के बीच वह अपने प्रेमी से मिल रही थी और उसमें एकाकार होने जा रही थी उसे डर भी लग रहा था कि कोई देख ना ले इसलिए अपने चारों तरफ नजर घुमाकर देखते हुए बोली,,)

बिरजू अगर किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,।


कुछ नहीं होगा मेरी जान और यहां कोई देखने वाला नहीं है इतनी घनी झाड़ियों के बीच कोई नहीं आता,,, बस अब पीछे की तरफ घूम जाओ अपनी गांड को थोड़ा उठा दो,,,
(बिरजू के मुंह से ऐसा की गंदी बातें शालू को बेहद रोचक लग रही थी इसलिए तुरंत वह वीडियो की बात मानते हुए अपनी गांड को,,, बिरजू की तरफ कर दी और झाड़ियों को पकड़कर अपनी गोलाकार तरबूज जेसी गांड को हवा में उछाल दी,,,, बिरजू तो सालु की गोरी गोरी नंगी गांड देखकर एकदम से उत्तेजित हो गया,,, और तुरंत अपने पजामा का नाड़ा खोल कर घुटनों तक नीचे गिरा कर अपने खड़े लंड को हाथ में ले लिया और,, थोड़ा सा थूक लगाकर उसे सालु की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया,,,। सालु की सांसे अटक गईहालांकि उसे अपने छोटे भाई रघु के लंड के स्पर्श जितनी गर्माहट महसूस नहीं हुई लेकिन फिर भी वह बिरजू का मन रखने के लिए उसके साथ संभोग करने के लिए तैयार हो गए थे क्योंकि उसके साथ उसे शादी जो करना था,,, लेकिन इस बार बिरजू गजब की ताकत दिखा रहा था और देखते ही देखते सालु की कमर को पकड़ कर वो धीरे धीरे अपने लंड सालु की गुलाबी बोर के नाम से डालना शुरू कर दिया,,, शालू को धीरे-धीरे मजा आने लगा था देखते ही देखते बिरजू अपना पूरा लंड सालु कि गुलाबी छेद में डाल दिया,,,, और देखते ही देखते वह सालु को चोदना शुरू कर दिया,,,, शालू को मजा आ रहा था,,, महीनों की कोशिश के बाद आज जाकर बिरजू अपने मर्दाना लय में आया था,,।


दूसरी तरफ ट्यूबवेल की टंकी में दोनों मां बेटे आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे हालांकि दोनों संभोग के मंजिल तक नहीं पहुंच पाए थे लेकिन उस सफ़र से गुजर रहे थे और उन्हें इस समय मंजिल से ज्यादा सफर का आनंद मिल रहा था,,, उत्तेजना के मारे कजरी की बुर कचोरी की तरफ फूल चुकी थी,,, पजामे के अंदर होने के बावजूद भी जिस तरह का स्पर्श कजरी को अपने बेटे का लंड अपनी पेड़ के ऊपर हुआ था उसे महसूस करके वह अपने मन में यही प्रार्थना कर रही थी कि काश वह अपने बेटे के नंगे लंड को अपनी बुर पर महसूस कर पाती,,,।

थोड़ी देर बाद वह साबुन लेकर उसे अपने बदन पर लगाने लगी,,, रघु प्यासी नजरों से अपनी मां को ही देख रहा था,,, वाकई में जितनी भी औरतें उसने अपने बेहद करीब देखा था उस में से सबसे ज्यादा खूबसूरत उसे अपनी मां की लग रही थी,, पीठ तक कजरी का हांथ नहीं पहुंच पा रहा था तो रघु अपनी मां से बोला,,,।

लाओ मे लगा देता हूं,,,,,,(इतना सुनकर कजरी अपनी बेटियों को साबुन थमा दी और उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उत्तेजना के परम शिखर पर वह पूरी तरह से विराजमान हो चुका था,,, कांपते हाथों से रघु अपनी मां की पीठ पर साबुन लगाने लगा हालांकि ब्लाउज पहने होने की वजह से वह ठीक तरह से साबुन लगा नहीं पा रहा था और अपनी मां को यह भी नहीं कह पा रहा था कि अपना ब्लाउज उतार दो,,,कजरी के मन में भी यही हो रहा था कि काश उसका बेटा उसे अपना ब्लाउज उतारने के लिए कह दे,,, कुछ देर तक वह उसी तरह से ब्लाउज के ऊपर से ही साबुन लगाता रहा रघु की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया होता ना देख कर कजरी बोली,,,)

साबुन ठीक तरह से नहीं लगा पा रहा है ना,,,।


हां मां ब्लाउज है ना इसके लिए,,,
(रघु की बात सुनते ही कजरी का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि उसकी बात सुनकर उसने भी ऐसा लग रहा था कि रघु भी शायद यही चाहता है कि वह अपना ब्लाउज उतार दे इसलिए वह बोली,,)

अच्छा रुक जा मैं ब्लाउज थोड़ा ऊपर कर देती हुं,,,(कजरी चाहती तो अपना पूरा ब्लाउज उतारने की बात कर सकती थी लेकिन वह अपने बेटे के सामने इतनी भी ज्यादा बेशर्म नही बनना चाहती थी इसलिए थोड़ा सा लिहाज रख कर वह अपने ब्लाउज को थोड़ा ऊपर करने के लिए बोली थी इसलिए वह अपने ब्लाउज के पीछे के तीन बटन को खोलकर ब्लाउज को ऊपर की तरफ कर दी एक बटन अभी भी ब्लाउज में लगा हुआ था जिसकी वजह से ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज पहनी हुई है लेकिन जिस तरह से ब्लाउज को वह अपने हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ कर दी थी उसे सेवकों को लगने लगा था कि उसके दोनों खरबूजे बाहर उछल रहे होंगे और वास्तव में ऐसा ही हो रहा था उसकी दोनों चूचियां पानी में डूबी हुई थी,,, अपने बेटे के इतने करीब रहकर अपने वस्त्रों को इस कदर से अस्त व्यस्त कर के उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, इस बार कजरी को कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं पड़ी और रघु खुद ही उसकी नंगी पीठ पर साबुन लगाने लगा,,,धीरे-धीरे साबुन लगाने के बहाने रखो अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया इतना करीब कि उसका खड़े लंड उसके लिए तंबू पर हल्के हल्के से स्पर्श होने लगा था जो कि पानी के अंदर भी साफ महसूस हो रहा था,,, कचरी का दिल जोरों से धड़क रहा था,, उसकी सांसे अटक रही थी ट्यूबवेल की पाइप में से पानी दोनों के सिर पर गिर रहा था दोनों भीग रहे थे,,,, रघु मेरे पर इतना ज्यादा आगे की तरफ आ जाता था कि उसका खड़ा लंड पजामे मेंहोने के बावजूद भी कजरी को पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी दोनों गांड की फांकों के बीच चुभता हुआ महसूस हो रहा था,,,। रघु के साथ-साथ कजरी को भी मजा आ रहा था कजरी के मन में इस बात का डर दिखाकर कहीं उसकी बेटी सालु ना आ जाए,,, अपने बेटे के हाथों से साबुन लगवा कर उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,वह चाहती थी कि उसका बेटा अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी चूचियों पर भी साबुन लगाएं,,, इसलिए वह खुद ही बोली,,,।

आगे भी लगा दे रघु,,,,
(बस फिर क्या था कजरी ने तो रघु के मन की बात बोल दी थी इसलिए वह बिना कुछ सोचे समझे ही अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की छातियों पर साबुन लगाने लगा हालांकि उसकी दोनों चूचियां पानी के अंदर डूबी हुई थी लेकिन फिर भी वह उसे साबुन लगाने के बहाने उसे छुने का आनंद प्राप्त कर रहा था,,,।उसके एक हाथ में शामिल था लेकिन वह दोनों हाथों से अपनी मां की चूची पकड़ कर उस पर साबुन लगाने के बहाने उसे दबा रहा था जो कि यह बात कजरी को भी अच्छी तरह से समझ में आ रहा था लेकिन उसे अपने बेटे के हाथों की हरकत बेहद आनंददायक लग रही थी,,,कजरी के मुंह से हल्की हल्की सिसकारी फूट पड़ रही थी जो कि ट्यूबवेल में से निकल रहे पानी के शोर में दब जा रही थी,,,चारों तरफ हरियाली छाई हुई थी चारों तरफ घनी झाड़ियां के खेतों के बीच में बनाती बगैर किसी भी दूर चलते राही के नजर में नहीं आ सकता था और ना ही दूर दूर तक कोई नजर आ रहा था इसलिए डर उसे सिर्फ अपनी बेटी सालु से था कि वह किसी भी वक्त वहां आ सकती थी,,। रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी नंगी छाती उसकी मां की नंगी पीठ पर सटी हुई थी उसे अधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,। ट्यूबवेल की पाइप में से पानी बड़ी तेजी से दोनों के ऊपर गिर रहा था जिसकी वजह से अपने आप ही कजरी का पेटीकोट नीचे की तरफ सरक रहा था,, जिसे कजरी संभालने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी,, लेकिन इस बात का एहसास रघु को हो इसलिए वह जानबूझकर बोली,,


मेरा पेटीकोट नीचे सरक रहा है,,,,


पानी की वजह से मां,,,,, पानी इतना ज्यादा है ना और टंकी के अंदर ही इधर उधर उड़ल रहा है इसलिए आपकी पेटीकोट नीचे उतर रही है मेरा पैजामा भी नीचे खसक रहा है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से इतनी बात सुनते ही कजरी की बुर फुदकने लगी,,, वह बोली कुछ नहीं वह तो यहीं चाहती थी कि उसके बेटे का पजामा नीचे सरक जाए,,, लेकिन रघु का पैजामा अपने आप नहीं सरक रहा था बल्कि वह खुद अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने पजामे के नाड़े को खोल रहा था,,, रघु अपनी इस खुद की हरकत पर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपना पजामा खोल कर अपनी मां को चोदने जा रहा है,,, हालांकि अपने हाथ की हरकत को अपनी मां की चुचियों पर जारी रखें हुए था,, ब्लाउज का एक बटन बंद होने के बावजूद भी रघु के हाथों में कजरी की दोनों चूचियां बड़ी आसानी से आ जा रही थी लेकिन कजरी की चूचियां काफी बड़ी थी खरबूजे के आकार की लेकिन उसमें ढीलापन बिल्कुल भी नहीं था एकदम जवान लड़की की तरह एकदम टाइट और कड़क थे लेकिन दबाने पर एहसास होता था कि जैसे दशहरी आम,,,, रघु को आनंद ही आनंद मिल रहा था,,,कजरी लगातार अपने नितंबों पर अपने बेटे के मुसल की रगड़ को महसूस करके काफी उत्तेजित हुए जा रही थी,,,अब तो रघु ने अपनी पजामे का नाड़ा खोल कर उसे नीचे कर दिया था और पानी के अंदर उसका लंड एकदम नंगा हो चुका था कचरी को अपने बेटे की इस अद्भुत हरकत का एहसास तब हुआ जब रघु उसकी दोनों चूचियों पर साबुन लगाते हुए,,, उसके बेहद करीब आ गया इतना करीब कि उसका खड़ा लंड उसकी दोनों टांगों के बीच सीधे-सीधे उसकी बुर वाली जगह पर रगड़ खाने लगी,,, कजरी के तन बदन में अजीब सी कुलुकुलाहट होने लगी,,, कजरी को अपने बेटे के लंड की ताकत और उसकी लंबाई का अंदाजा इससे ही लग गया कि उसके पीछे पड़ा था लेकिन फिर भी उसकी दोनों टांगों के बीच से होता हुआ उसका लंड सीधे दिल के ऊपर मानो उसकी बुर की गुलाबी फांको पर चुंबन कर रहा हो और वहां तक बड़ी आसानी से पहुंच गया था,,,, इस अहसास से कजरी के तनबदन में झुंनझुनी फैलने लगी,,, रघु अपने दोनों हाथों से अपनी मां की दोनों चूचियों को मसल रहा था अब वह साबुन नहीं लगा रहा था बल्कि उसकी चूचियों की मालिश कर रहा था जो कि ट्यूबवेल की पाइप में से पानी सीधे उसकी छातियों पर ही गिर रहा था जिससे कजरी की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ रही थी,,,, कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसकी टांगों के बीच उसके बेटे का लंड बिल्कुल नंगा है और उसकी नंगी बुर पर दस्तक दे रहा है,,, कजरी अपनी सांसो को दुरुस्त नहीं कर पा रही थी उसकी सांसें उखड़ने लगी थी,,,।
रघु तो मानो सातवें आसमान में उड़ रहा हूो वह अपनी मां की दोनों चुचियों को पकड़कर इन सूचियों का सहारा लेकर अपनी मां की नंगी पीठ के साथ-साथ उसके नितंबों पर एकदम से सट गया था,,,,और उसका लंड उसकी दोनों टांगों के बीच से गुजरता हुआ सीधे उसकी बुर के ऊपरी भाग पर स्पर्श कर रहा था,,,। टंकी पानी से लबालब भरी हुई थी और दोनों की अंदर मौजूदगी की वजह से पानी में ज्वार भाटा की तरह हलन चलन हो रहा था जिसका फायदा रघु को बराबर मिल रहा था क्योंकि उसका बदन इस तरह से हील रहा था मानों जैसे वह अपनी मां की चुदाई कर रहा हो,,। और रघु की मां कजरी भी उसका साथ बराबर देते हुए टंकी के दीवाल को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी गांड को उसकी तरफ ही ऊचकआए हुए थी,,,, दोनों को मजा आ रहा था,,,, बरसों के बाद कजरी की सूखी जमीन पर ओस की बूंदे गिला कर रही थी,,,

रघु बराबर से साबुन लगाने के बहाने अपनी मां की दोनों चूचियों से जी भर कर खेल रहा था उन्हें अपने हाथ में लेकर उन्हें दबाने का मजा उसे बेहद संतुष्टि प्रदान कर रहा था ,,हालांकि वह अपनी मां की चूचियों को अपनी आंखों से देख नहीं पा रहा था क्योंकि उसकी मां की पीठ उसकी तरफ थी और वह दोनों हाथ आगे की तरफ लाकर उसकी चूचियों को दबा रहा था जो कि टंकी के पानी में पूरी तरह से डुबी हुई थी,,।अपने बेटे के हाथों द्वारा स्तन मर्दन का आनंद लेते हुए कजरी के मुंह से गरमा गरम सिसकारी निकल जा रही थी लेकिन ऊपर माथे पर पानी गिरने की वजह से उसकी आवाज रघु के कानो तक नहीं पहुंच पा रही थी।
रघु के दोनों हाथों में लड्डू तो नहीं लेकिन लड्डू से भी बेशकीमती और स्वादिष्ट उसकी मां की चूचियां और नीचे दोनों टांगों के बीच लंड की रगड़ जोकि उसकी मां की बुर्के मुहाने तक रगड खा रहा था जिससे प्रभु की उत्तेजना और ज्यादा प्रज्वलित हो रही थी,,,।

बेहद अद्भुत और मादकता से भरा हुआ नजारा था,,,ना तो कजरी नहीं और ना ही रघु ने कभी सपने में भी सोचा था कि दोनों मां-बेटे इस तरह से एक साथ लगभग लगभग नग्न अवस्था में ट्यूबेल की टंकी में नहाएंगे,,, कजरी की हालत खराब हो रही थी क्योंकि बरसो के बाद किसी मर्दाना लंड ने उसकी बुर को छुआ था जिससे वह पानी में भी पानी पानी हो रही थी,,,,रघु के लंड की रगड उसकी बुर के ऊपर इतनी ज्यादा दबाव डाल रही थी कि ना चाहते हुए भी उसकी बुर ने दूसरी बार पानी फेंक दिया,,, अद्भुत अतुल्य चरम सुख का अहसास कजरी को हो रहा था,,। कजरी बादलों में उड़ रही थी उसके मन में यही हो रहा था कि जितनी हिम्मत है उसका बेटा दिखा रहा है काश और हिम्मत दिखाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में डाल देता,,,,, और यही मन रघु का भी कर रहा था जिस तरह से अपने लंड को अपनी मां की बुर पर रगड़ रहा था उसकी इच्छा भी हो रहा था कि वह अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर उसे चोदना शुरू कर दे,,। लेकिन इसे आगे बढ़ने की दोनों की हिम्मत नहीं हो रही थी शर्म और हया दोनों को आगे बढ़ने से रोक रही थी कजरी तो शायद अपने मन पर काबू कर पाने में असमर्थ साबित हो रही थी और वह खुद ही अपने बेटे को अपनी बुर में लंड डालने के लिए बोल देती लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं शालू ना आ जाए और काफी समय भी हो रहा था,,,,

सालु अपनी मां से सौच करने को बोल कर गई थी,,उसे गए काफी समय हो गया था इसलिए कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे डर था कि कहीं शालू आ ना जाए और उन दोनों को इस हाल में ना देख ले,,,, इसलिए वह रघु को रोकते हुए बोली,,,,।


बस बेटा,,,,, मैं नहा ली हूं अब मुझे बाहर निकलना चाहिए वरना पानी ज्यादा ठंडा है कहीं सर्दी लग गई तो बुखार आ जाएगा,,,,
(इतना कहकर वह निकलने को हुई तो तभी उसे याद आया कि ऊसकआ पेटीकोट तो नीचे सरक गया है और वह नीचे जो करो पानी सकती थी क्योंकि ऐसा करने से उसे पानी में अपना मुंह डालना पड़ता ऐसा उससे नहीं हो पाता इसलिए वह रघु से बोली,,,)

रघु मेरी पेटी कोट नीचे गिर गई है तू जरा पानी में घुस कर निकाल दे,,,

(इतना सुनते ही रघु पानी में डुबकी लगाने और नीचे हाथ डालकर अपनी मां की पेटीकोट को उठाने लगा लेकिन इस दौरान ,,, अनजाने में ही उसका सर उसकी मां की दोनों टांगों के बीच रगड़ खाने लगा कजरी को अपने बेटे का सिर अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी फुली हुई बुर के ऊपर महसूस होते ही एक बार फिर से वह उत्तेजित होने लगी,,, एक बार फिर से उसके बदन में कशमसाहट की तरंगे फैलने लगी,,,, जैसे ही इस बात का आभास रघु को हुआ इस मौके का फायदा उठाते हुए वह अपना मुंह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच कर दिया जिससे उसकी नाक सीधे कजरी की बुर की पतली दरार के बीच रगड़ खाने लगी,,।
एक बार फिर से कजरी के बदन में कंपन होने लगा और रघु का लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, ज्यादा देर तक रघु अपनी इस हरकत को जारी नहीं रख सकता था इसलिए तुरंत वह अपनी मां की पेटीकोट को हाथ में लेकर ऊपर आ गया,,, कजरी अपने बेटे से नजर तक मिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी,,,। हालांकि जब वो पानी में डुबकी लगाया था तब वह अपने ब्लाउज के सारे बटन बंद कर ली थी,,, रघु अपनी मां को पेटीकोट थमाते समय उसके ब्लाउज को देखा था लेकिन उसे निराशा हाथ लगी थी,,, कजरी अपने हाथ में पेटीकोट पकड़कर अजीब सी दुविधा में फंसी हुई थी क्योंकि इस हालत में बाहर निकलने का मतलब था कि वह पूरी तरह से नंगी थी और वह इस हालत में अपने बेटे की आंखों के सामने नंगी नहीं दीखना चाहती थी इसलिए वह पेटिकोट का अपने सिर के ऊपर से डालकर पहनने लगी,,, और टंकी से बाहर आकर अपने कपड़े पहन कर वहां से चलती बनी वह अपने बेटे से नजर तक मिला नहीं पा रही थी लेकिन एक मलाल उसके मन में रह गया था कि अपने बेटे के खड़े मोटे लंड को अपनी गांड पर और अपनी बुर पर महसूस कर चुकी थी लेकिन उसे अपने हाथ में पकड़ कर उसकी गर्माहट को उसकी लंबाई को नाप नहीं पाई थी,,,
दूसरी तरफ रघु भी अपना हाथ मलता रह गया था आज उसे जो सुख मिला था वह बेहद अद्भुत था और कल्पना से बिल्कुल परे था दूसरी तरफ शालू अपने प्रेमी बिरजू से चुदवा कर वापस लौट आई थी,,,, रघु को वहां अकेला देख कर बोली,,,।

मां कहां गई,,,

वह तो नहा कर कब से चली गई,,,, लेकिन दीदी मेरा मन बहुत कर रहा है तुम्हारी लेने के लिए,,,


यहां पर,,,,


तो क्या इस टंकी में पानी के अंदर बहुत मजा आएगा,,,, तुम अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर अंदर आ जाओ यहा कोई देखने वाला नहीं है,,,,।
(अपनी भाई की बात सुनकर उसके तन बदन में भी सुरसुरा हट होने लगे और उसकी बुर में खुजली होने लगी जो कि कुछ देर पहले ही अपने प्रेमी के लंड को लेकर आई थी लेकिन अपने भाई के प्रस्ताव से वहां इनकार नहीं कर पाई और तुरंत अपने सारे कपड़े उतार कर वही रख दी ,,और नंगी हो गई अच्छी तरह से जानती थी कि यहां कोई आने वाला नहीं है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत थी और अकेले ही बनवा भी टंकी के अंदर उतर गई जहां पर एक बार फिर से रघु अपनी बड़ी बहन की बुर में पीछे से अपना लंड डालते हुए से चोदना शुरू कर दिया पानी के अंदर चुदाई का उन दोनों का पहला मौका था और बेहद उत्तेजक तरीके से अपनी बहन को चोद रहा था,,,)
awesome update bro.bas ab next update me kajri ki chudai dikha die bro
 
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