लाजवाब और शानदार अपडेट है भाई
मजा आगया
अगले अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी भाई
मजा आगया
अगले अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी भाई
पिछले 6 महीने से मैं तुम्हें बेवकूफ नहीं बना रही हूं बल्कि तुम्हारे प्यार में और पागल होते जा रही हूं,,,, धीरे-धीरे तुम्हें इतनी तो छूट दी हूं कि देख लो कि तुम क्या कर रहे हो,,,,।
क्या कर रहा हूं मैं,,,,,( बिरजू कुर्ती के ऊपर से ही सालों की मदमस्त नारंगी जैसी चुचियों को दबाते हुए बोला,,,।)
इसे दबा तो रहे हो अब क्या चाहिए तुम्हें,,,,,
मुझे कम से कम एक बार यह (उंगली के इशारे से शालू की टांगों के बीच उसकी बुर की तरफ इशारा करते हुए।) खोल कर दिखा तो दो कि कैसी है,,,,
धत्,,,,, यह सब शादी के बाद और हां मेरे पास भी वैसी ही जैसा कि सबके पास है तुम्हारी बड़ी भाभी के पास भी ऐसी ही है,,,,
बड़ी भाभी से मुझे क्या लेना देना और थोड़ी ना मुझे अपना खोल कर दिखा देंगी,,,,
अगर दिखाएंगे तो क्या तुम देख लोगे,,,
हां इसमें हर्ज ही क्या है देखने वाली चीज है तो जरूर देख लूंगा,,,,
अरे तुम्हारी बड़ी भाभी है तुम्हारी मां के समान ,,,,तो भी,,,,
शालू तुम बात को गोल-गोल घुमा रही है सच कहूं तो सोने नहीं देती कम से कम सलवार उतार कर अपनी बुर ही दिखा दो,,,,
( बिरजू के मुंह से बुर शब्द सुनकर शालू के बदन में झुनझुनी सी फैल गई पहली बार वह किसी पराए मर्द के मुंह से अपने लिए यह शब्द सुन रही थी जिससे उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी साथ ही बिरजू जिस तरह,, से उसकी दोनों नारंगीयो से खेल रहा था,,, धीरे-धीरे उसके तन बदन में मदहोशी छाने लगी थी,,,, फिर भी बहुत बिरजू के आगे किसी भी तरह से कमजोर होना नहीं चाहती थी वह कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहती जिससे उसकी बदनामी हो इसलिए वह अपने आप को संभालते हुए बोली,,,।)
नहीं बिरजू मैं तुमसे पहले ही कह चुकी हूं कि यह सब शादी के बाद में अभी कुछ भी नहीं दिखाऊंगी,,,, और हां अब मुझे छोड़ो मुझे नहाना है,,,।( इतना कहने के साथ है यह शालू बिरजू की बाहों से अलग होते हुए उठ खड़ी हुई है,,,।)
अच्छा चलो कोई बात नहीं जैसा तुम कहो कि सबको शादी के बाद ही लेकिन आज इतनी तो कृपा कर दो कि अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर तालाब में उतर कर नहाओ मैं मां कसम खाकर कहता हूं कि तुम्हें हाथ तक नहीं लगाऊंगा,,,
( बिरजू की यह बात सुनकर एक बार फिर से शालू के बदन में झनझनाहट फैल गई वह उसे नजरें तेरा ते हुए देखने लगी और कुछ सोचने के बाद बोली।)
अच्छा ठीक है तो मां कसम खा रहे हो इसलिए मैं तुम्हारी बात मानने के लिए तैयार हूं लेकिन इसके बाद अगर तुम अपनी कसम तोड़े तो याद रखना मुझे फिर तुम अपने सामने कभी नहीं देख पाओगे मुझे भूल जाना,,,,
नहीं नहीं सालों में कसम खाता हूं मैं अपना वादा निभाऊंगा आखिरकार में मां कसम खा रहा हूं,,,
ठीक है,,,, लेकिन तुम अपना मुंह दूसरी तरफ करके खड़े हो जाओ मुझे शर्म आती है,,,।
ठीक है मेरी शालू रानी जैसा तुम कहो ,,,,(इतना कहने के साथ ही बिरजू दूसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया। शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके तन बदन में भी उत्तेजना का असर हो रहा था यह मदहोशी का ही आलम था कि वह बिरजू की बात मानते हुए अपने सारे कपड़े उतार कर तालाब में उतरने के लिए तैयार हो गई थी,,,, वह सोच विचार कर यह कदम उठाने जा रही थी,,,, क्योंकि वह जानती थी कि अगर वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो भी जाएगी तो बिरजू के सिवा वहां कोई तीसरा शख्स नहीं है जो उसे इस हालत में देख सकें वैसे भी यह जगह हमेशा सुनसान रहती यहां कोई नहीं आता क्योंकि पिछले 6 महीने से वह इधर लगातार आ रही है लेकिन आज तक ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि कोई भी वहां नजर आया हो और तो और वह धीरे-धीरे बिरजू पर विश्वास करने लगी थी इसलिए वह यह कदम उठाने जा रही थी,,,,
यह जानते हुए भी कि इधर कोई नहीं आता फिर भी वह चारों तरफ नजर घुमाकर देख लेना चाहती थी कि कोई है कि नहीं आखिरकार वह एक लड़की थी और एक लड़की के लिए उसकी इज्जत ही सब कुछ होती है इसलिए ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहती थी जिसे उसकी इज्जत पर बात बन आए,,, दूसरी तरफ नजर घुमा कर खड़ा था शालू धीरे-धीरे अपने सलवार की डोरी खोल कर अपनी सलवार को नीचे गिरा दी सलवार के अंदर वह किसी भी प्रकार का वस्त्र नहीं पहनी हुई थी इसलिए सलवार के नीचे आते ही वह पूरी तरह से नंगी हो गई और वह कुर्ती को भी निकाल कर उस बड़े से पत्थर के करीब रख दी,,, पैरों में फंसी हुई सलवार को अपने हाथों के सहारे बाहर निकाल कर वह पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,
हुआ कि नहीं हुआ,,,,( बिरजू अपने वादे के मुताबिक दूसरी तरफ मुंह फेर कर खड़े हुए ही बोला।)
अभी रुक जाओ बस होने वाला है,,,( शालू नहीं चाहती थी कि बिरजू उसे तालाब के बाहर एकदम नग्न अवस्था में देखे इसलिए वह धीरे धीरे तालाब में अपने पैर डालते हुए बोली पानी की आवाज सुनते ही बिरजू को समझ में आ गया के शालू तालाब के अंदर जा रही है और वह जैसे ही अपनी नजर फिर कर शालू की तरफ देखा तब तक शालू तालाब में उतर चुकी थी और तालाब का पानी उसके नितंबों के निचले हिस्से तक आ चुका था,,,, शालू की गोरी गोरी नंगी गांड देखकर बिरजू की आंखें फटी की फटी रह गई ऐसा लग रहा था कि मानो जिंदगी में पहली बार बिरजू किसी खूबसूरत चीज को देख रहा था उसी से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था बस वह एकटक शालू की मदमस्त मस्त उभरी हुई गांड को ही देख रहा था,,,, शालू अच्छी तरह से जानती थी कि बिरजू पीछे से उसके नंगे बदन को देखकर अपनी आंख सेंक रहा होगा,,, इसलिए वह जल्द से जल्द तालाब की गहराई में उतरकर अपने नितंबों को छुपा लेना चाहती थी इसलिए देखते ही देखते वह आगे बढ़ने लगी और अगले ही पल उसकी गोलाकार गांड पानी की परत के नीचे गायब हो गई,,,, बिरजू के लिए इतना काफी था उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,, और वह उसी स्थिति में तालाब में उतर गया,,, लेकिन जैसे ही बता लाभ में उतरना शुरू किया वैसे ही शालू ने उसे अपने करीब आने से बिल्कुल भी मना कर दिया,,,,
बस बिरजू दूर दूर से ही मेरे करीब बिल्कुल भी मत आना,,,
चलो ठीक है लेकिन मेरी तरफ घूम तो जाओ पिछवाड़ा तो दिखा दी आगे का दिखा दो,,,
नहीं अब कुछ भी नहीं इतना काफी है मैं तुम्हारी इतनी बात मानी वही बहुत है,,,,( शालू बिरजू की तरफ घूमे बिना ही बोली,,,, वह बिरजू की तरफ घूम कर अपनी मस्त कर देने वाली दोनों नारंगी ओके दर्शन उसे कराना नहीं चाहती थी बिरजू अपना मन मसोसकर रह गया,,,, दोनों नहाने का आनंद लेने लगे तालाब के अंदर बिरजू का लंड उसके पजामे में पूरी तरह से खड़ा हो गया था और शालू पराए मर्द के इतने करीब और वह भी नग्न अवस्था में नहाते हुए एकदम मदहोश होने लगी थी उत्तेजित होने लगी थी उसकी टांगों के बीच की हलचल उसे साफ महसूस हो रही थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो रहा है देखते ही देखते दोनों नहाने का मजा ले रहे थे शुभम पीछे से उसके ऊपर तालाब का पानी अपने दोनों हथेली में लेकर उसके ऊपर फेंक रहा था तो शालू उसकी तरफ देखे बिना ही अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ करके उसके ऊपर पानी फेंक रही थी दोनों इस समय एकदम जल क्रीड़ा में मग्न हो गए थे दोनों इस बात से अनजान की रघु और रामू दोनों ऊसी तरफ आ रहे थे,,,,
तभी अचानक जल क्रीड़ा करते करते शालू एकदम से शांत हो गए क्योंकि दूर से किसी के आने की पदचाप उसे सुनाई दे रही थी और साथ में हंसने की एकदम से घबरा गई उसे समझते देर नहीं लगी कि वहां पर कोई और भी आ रहा है,,,,
बिरजू जल्दी निकलो यहां से कोई जा रहा है,,,,
कोई नहीं आ रहा है शालू तुम्हारा भ्रम है,,,
नहीं बिरजू कोई आ रहा है मुझे हंसने की और उनके पैरों की आवाज सुनाई दी है,,,
लेकिन मुझे तो ऐसा कुछ भी सुनाई नहीं दिया,,,,
तुम रुको यही मैं तो जा रही हूं,,,, अगर मुझे कोई इस हाल में देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,( शालू तालाब से बाहर निकलने लगे जैसे जैसे वह बाहर निकलने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा रही थी वैसे वैसे दूर से आ रही आवाज एकदम करीब होती जा रही थी,,,, शालू एकदम घबरा गई थी,,, बिरजू की भी हालत खराब होने लगी थी उसे भी सब समझ में आ गया था कि सालु जो कुछ भी कह रही थी एक दम सच कह रही थी,,,, वह भी जल्दी जल्दी तालाब से बाहर निकलने लगा क्योंकि वह भी नहीं चाहता था कि शालू जिस हालात में थी उस हालात में कोई उन दोनों को देख ले,,,,
शालू तालाब से बाहर निकल चुकी थी वह एकदम हडबड़ाई हुई थी,,, वह एकदम नंगी थी,,,, वह जल्द से जल्द अपने कपड़े पहनकर नंगे बदन को छुपा लेना चाहती थी,,, रघु और रामू दोनों एकदम करीब पहुंच चुके थे रघु की तो नजर बिरजू पर पड़ चुकी थी और शालू बड़े पत्थर के करीब रखे हुए अपने कपड़े को उठा रही थी तभी रघु की नजर शालू पर पड़ी जोकी झुकी होने की वजह से केवल उसकी बड़ी-बड़ी गोल-गोल गांड ही नजर आ रही थी,,,, उसके चेहरे को देखने की कोशिश करी रहा था कि तब तक शालू कोई एहसास हो गया कि जो कोई भी था वह बेहद करीब पहुंच गया है और वह नहीं चाहती थी कि वह उसका चेहरा देखें,,, इसलिए अपने कपड़े उठाकर घनी झाड़ियों में भागकर अपने नंगे बदन को छुपाने की कोशिश करने लगी तब तक रघु फिर से बिरजू को आवाज देता हुआ बोला,,,
अरे वो बिरजू बाबू कौन लड़की है रे तुम्हारे साथ,,,,( शालू के कानों में यह आवाज पड़ते ही वह एकदम से सन हो गई क्योंकि वह इस आवाज से पूरी तरह से वाकिफ थी यह आवाज उसके भाई की थी,,, शालू का दिल जोरो से धड़कने लगा और वहां घनी झाड़ियों के बीच कपड़े पहने बिना ही अपने कपड़े लेकर भागने लगी और थोड़ी दूर जाकर जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहन कर गांव की तरफ भाग गई,,,,, तब तक रख और रामू दोनों धीरे-धीरे उतर कर नीचे की तरफ पहुंच गए जहां पर बिरजू खड़ा था,,,
क्या बात है बिरजू बाबू गांव से दूर आकर इस वीराने में गुलछर्रे उड़ाया जा रहा है,,, कौन थी यह लौंडिया जोकि लाज शर्म सब छोड़ कर तुम्हारे साथ एकदम नंगी होकर तालाब में नहाने का मजा लूट रही थी,,,,
ककककक,, कोई भी तो नहीं था रघु,,,,
देखो छोटे बाबू हमारी आंख में धूल ना झोंका करो रामू ने भी वही देखा जो मैंने देखा हूं बता रे रामू तूने क्या देखा,,,
मैंने भी सब कुछ अपनी आंखों से देखा हूं छोटे बाबू तुम और ओ लड़की जो कि अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी तुम्हारे साथ तालाब में नहाने का मजा लूट रही थी,,,
अब तो तुम्हें यकीन हुआ छोटे बाबू कि हम लोगों ने क्या देखा है तुम इससे घने जंगल के बीच झरने के नीचे तालाब में एक गांव की भोली भाली लड़की के साथ एकदम नग्न अवस्था में गुलछर्रे उड़ा रहे हो,,,, अगर यह बात मालिक को पता चल जाए तो क्या होगा,,,
नहीं नहीं रामू ऐसा बिल्कुल भी मत करना नहीं तो गजब हो जाएगा पहले से ही बाबू जी मुझसे नाराज रहते हैं अगर यह बात नहीं पता चल गई तो मुझे तो हवेली से ही निकाल देंगे,,,,( कुछ देर सोचने के बाद वह अपने पहचाने में इधर-उधर जेब में हाथ डालकर कुछ टटोलने लगा और उसे तभी ₹1 का सिक्का हाथ में पकड़ाया और वह सिक्के को बाहर निकाल कर,,, रामू की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
देखो रामू यह ले लो लेकिन यह बात किसी को कानों कान खबर नहीं होनी चाहिए,,,,
रघु तो काफी दिन हो गए थे ₹1 का सिक्का नहीं देखा था इसलिए झट से हाथ आगे बढ़ा कर बिरजू के हाथ से एक का सिक्का लेकर उसे गोल गोल घुमा कर इधर-उधर करके देखने लगा वह काफी खुश नजर आ रहा था और सिक्के को देखते हुए बोला,,,
छोटे बाबू तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो अगर तुम उस लड़की की गांड मार लेते तो भी मैं यह बात किसी को नहीं कहता,,,, आखिरकार तुमने कीमत जो चुकाई है।
( रघु की बात सुनकर फिर जो मन ही मन खुश होने लगा क्योंकि रघु की बात से साफ पता चल रहा था कि रघु ने उस लड़की को देखकर उसे पहचान नहीं पाया था कि वह उसी की बहन है इसीलिए अनजाने में ही अपनी बहन के बारे में गंदी गंदी बातें बोल रहा है,,,,।)
अच्छा रघु मैं चलता हूं,,,
जाते जाते यह तो बताते जाइए छोटे बाबू की वह लड़की थी कोन,,,
दूसरे गांव की थी अपने गांव की नहीं (इतना कहकर बिरजू वहां से चलता बना।)
यार रामू आज तो मजा आ गया पैसा भी मिल गया और खूबसूरत लड़की की गांड देखने को मिल गई देख नहीं रहा उसकी गांड देख कर मेरा यह हाल है कि अभी तक यह लगा नाराज खड़े के खड़े हैं बैठ नहीं रहे हैं,,,
हां यार रघु सच कह रहा है तू बहुत खूबसूरत लड़की थी,,,
साले बिरजू की किस्मत बहुत अच्छी है इतनी खूबसूरत लड़की को रोज चोद रहा है और एक हम हैं की,,, रोज हिला हिला कर काम चला रहे हैं लेकिन यार रामू आज तो हिलाने में भी बहुत मजा आएगा उसी लड़की के खूबसूरत गांड के ख्यालों में आज हिला हिला कर पानी निकालूंगा,,,,
( इसके बाद दोनों वहां से गांव की तरफ चल दिए दोनों को एक रुपैया जो मिल गया था आज उसी रुपए से समोसा कचोरी जलेबी का लुफ्त उठाना था और सीधे जाकर हलवाई की दुकान पर ही रुके,,,।)
Nice Storyकजरी नहा धोकर तैयार होती उससे पहले ही शालू ने खाना बना कर तैयार कर दी,,,, कजरी नहाकर धुले हुए कपड़ों को वहीं पास में रस्सी पर टांग कर रसोई घर में आ गई,,, आते ही छोटे से आईने में अपने खूबसूरत चेहरे को निहारने लगी,,, आईना इतना छोटा था कि उसमें केवल उसका चेहरा ही नजर आ रहा था और वह भी एकदम चांद सा खिला हुआ था अपनी खूबसूरत चेहरे को देखकर उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई,, अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर शालू बोली,,
क्या बात है मां आज इतना मुस्कुरा क्यों रहीं हो,,,
क्यों अब मुस्कुराने पर भी पाबंदी है क्या,,,? ( कपड़े के नाम पर कजरी मात्र अपने पेटिकोट को ऊपर चढ़ा कर उसकी डोरी को अपनी बड़ी बड़ी चूचियों पर बांध रखी थी वह भी इसलिए कि कहीं अचानक उसका लड़का आ जाए तो उसके नंगे बदन को देख ना ले,,, कजरी अपनी पेटिकोट के नीचे की छोर को पकड़कर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ उठाए हुए थी और खुद थोड़ा सा झुकी हुई थी जिससे वह अपने गीले बालों को साफ कर रही थी,,, लेकिन पीछे बैठी हुई शालू अपनी मां की इस हरकत की वजह से मुस्कुरा रही थी क्योंकि कजरी के इस तरह से थोड़ा सा झुकने और अपने पेटिकोट को थोड़ा सा ऊपर उठाने की वजह से उसकी मदमस्त गोरी गोरी पर बेहद गदराई हुई गांड नजर आ रही थी और वह भी पूरी नहीं बस गदराई गांड के नीचे वाला हिस्सा जिससे उसके बीच की दरार बेहद मादक लग रही थी,,, उसे मुस्कुराता हुआ देखकर कजरी बोली,,,,
अब तू इतना क्यों मुस्कुरा रही है,,,
नहीं बस ऐसे ही ऐसी कोई बात नहीं है,,,( शालू इतना कहते हुए भी अपनी नजरों को अभी मां की मदमस्त गांड पर गड़ाए हुए थी,,, जिससे कजरी उसकी नजरों का पीछा करते हुए समझ गई की वह क्या देख रही है,,,, अपनी बेटी की इस हरकत पर वह भी मुस्कुरा दी लेकिन वह अपने पेटिकोट को अपने हाथों से छोड़ी नहीं वह पहले की तरह ही अपने बालों को साफ करती रही,,, और बालों को साफ करते हुए वह बोली,,,।)
ऐसा लग रहा है कि जैसे पहली बार देख रही है,,,
नहीं मैं देखी तो बहुत बार हूं लेकिन आज कुछ ज्यादा खूबसूरत लग रही हो,,,,
मैं लग रही हूं या,,,,,( इतना कहकर वह वापस बालों को अपने पेटीकोट से साफ करने लगी अपनी मां का कहने का मतलब शालू समझ गई थी इसलिए वह बोली।)
तुम भी खूबसूरत लग रही हो मां और तुम्हारी ये,,, गांड भी,,( गांड शब्द शालू ने बेहद धीरे से और शरमाते हुए बोली थी,, अपनी बेटी की इस तरह की बात सुनकर कजरी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि शालू का इस तरह की बातों का मतलब उसकी तारीफ करना ही था इस उमर में भी एक लड़की के द्वारा अपने खूबसूरत नितंबों की तारीफ सुनकर वह मन ही मन गर्व महसूस कर रही थी,,, कजरी अपने बालों को साफ कर ली थी और कंगी लेकर अपने बालों को सवारते हुए बोली,,,)
तू पागल हो गई है शालू अब इस उमर में यह इतनी खूबसूरत थोड़ी रह गई है अब तो तेरे दिन हैं जरा आईने में अपना चेहरा देख कितनी खूबसूरत लगती है एकदम चांद का टुकड़ा और जैसा तेरा खूबसूरत चेहरा है वैसी तेरी( जोर से शालू की गांड पर चपत लगाते हुए) गांड है मुझसे भी बहुत खूबसूरत,,,
आहहहहह,,,, मां,,,,,( गांड पर जोर से चपत लगने की वजह से उसके मुंह से आह निकल गई ) ,,,,लेकिन मां तुम्हारे जैसी खूबसूरत और गदराई हुई नहीं है,,,,।
हो जाएगी मेरी रानी बेटी समय के साथ वो और भी खूबसूरत हो जाएगी,,,,
( अपनी मां का कहने का मतलब समझ कर शालू एकदम से शरमा गई और अपनी नजरें झुका कर बोली।)
क्या मां तुम भी,,,,( ऐसा क्या करवा अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर ली लेकिन कजरी अपना हाथ आगे बढ़ा कर दोनों हाथों से सालों के चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ बड़े प्यार से करते हुए बोली,,,)
अब तू शादी लायक हो गई है,,, कोई अच्छा सा लड़का मिल जाए तो मैं तेरे हाथ पीले कर दूं,,, तू मुझे तेरी चिंता सताए जाती है कोई अच्छा सा रिश्ता मिल जाए तो समझ लो गंगा नहा ली,,,
क्या मां जब देखो मेरी शादी की बात करती रहती हो मैं तुमको छोड़कर नहीं जाने वाली,,,( ऐसा कहते हो शालू अपनी मां के गले में बाहें डाल कर उसके गले से लग गई,,,)
जाना तो पड़ेगा बेटी लड़की का असली घर उसका ससुराल होता है,,,,( इतना कहते हुए कजरी का दिल भर आया क्योंकि वह जानती थी वह चाहे या ना चाहे शादी करके उसे इस घर से विदा करना जरूरी भी था शादी लायक हो चुकी थी लेकिन अभी तक कोई अच्छा सा लड़का नहीं मिला था इसलिए वह उसके हाथ पीले नहीं कर पाई थी,,, अच्छी तरह से जानती थी कि जवान लड़की का इस तरह से घर में रहना उचित नहीं था क्योंकि बहुत बार ऐसा होता है कि लड़कियां अपनी जवानी को संभाल नहीं पाती और शादी से पहले बदनाम हो जाती है जिससे उनकी शादी में बहुत दिक्कत है आती है इसलिए कजरी ऐसा कुछ भी नहीं चाहती थी कि उसके साथ कुछ ऐसा हो वैसी के जल्द से जल्द अपनी बेटी सालु का ब्याह कर देना चाहती थी,,, वह साली को अपने गले से अलग करते हुए बोली,,, अपना काम कर मुझे कपड़े बदलने दे,,,, शालू वापस जाकर उसी जगह पर बैठकर खाना परोस ने लगी और कजरी अपने पेटिकोट की डोरी को ढीली करके पेटीकोट को नीचे छोड़ दी देखते ही देखते शालू की आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी हो गई,,, अपनी मां की खूबसूरत नंगे बदन को देख कर शालू के मुंह से आह निकल गई शालू को भी अपनी मां के खूबसूरत बदन पर गर्व होता था क्योंकि उसके साथ की उम्र की औरतें बुड्ढी हो चली थी लेकिन कजरी अभी भी पूरी तरह से जवान थी या यूं कहने की इस उम्र में अब उसकी दूसरी बार जवानी शुरू हुई थी। कजरी की मदमस्त गोल-गोल नंगी गांड देखकर शालू को इस बात का एहसास होता था कि भले ही वो इतनी जवान लड़की है लेकिन फिर भी वह अपनी मां की मदमस्त जवानी और उसके खूबसूरत बदन के हिसाब से पूरी तरह से फीकी ही है,,,। अपनी मां की खूबसूरत गदर आई बदन को देख कर सालों खुद शर्म से पानी-पानी हो जाती थी क्योंकि उसे भी अपनी मां की तरह गदराया बदन बड़ी मदमस्त गदराई हुई गांड और गोल-गोल चुची की चाह रहती थी,,, लेकिन इस बात को वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि अपनी मां की तरह गदराई बदन की मालकिन बनने के लिए उसे शादी करना जरूरी था या तो पुरुष संसर्ग,,,,,
दुनिया के रीति रिवाज के मुताबिक वह शादी तो करने को तैयार थे लेकिन किसी गैर पुरुष के साथ संबंध बनाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं किया था क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से उसकी परिवार की इज्जत खराब हो,,, खाना परोसते हुए शालू अपनी मां की मदमस्त नंगी जवानी को देखते जा रही थी और खाना परोसे जा रहे थी,,,, तीन थालियां लगाते हुए देखकर कजरी अपनी दूसरी पेटीकोट की डोरी बांधते हुए जो कि पहली वाली बालों को साफ करने की वजह से गीली हो चुकी पेटीकोट को निकालकर कर वहीं नीचे जमीन पर रख दी थी,,, वह अपनी पेटीकोट की डोरी बांधते हुए शालू से बोली,,,)
तू खाना खा ले शालू रघु आ जाएगा तब मैं खाना खा लूंगी,,,
क्या मैं तुम भी उसका इंतजार कर रही हो जानती हो ना वह कब आएगा उसका कोई ठिकाना नहीं है अपने आवारा दोस्तों के साथ घूम रहा होगा कहीं,,,
तू खा ले शालू मैं उसके साथ ही खाऊंगी तू तो जानती ही हैं बिना उसको खिलाए मैं कभी नहीं खाती,,,,
हां जानती हूं जैसा तुम कहो,,,,,( इतना कहकर शालू दो थाली को बगल में रख दी और अपने लिए खाना परोसने लगी और कजरी कपड़े पहन कर घर से बाहर निकल गई अपने खेतों की तरफ,,,,