आहहहहहह आहहहहहह,,,,,ऊईईईईईईईई,मां,,,,,,,, मार डाला रे,,,, क्या खाया है आज तूने,,,,,,ऊफफ,,,,,आहहहहहह,,,,
(शालू के मुंह से लगातार सिसकारी के साथ-साथ दर्द भरी कराहने की आवाज भी निकल रही थी,,, वाकई में ऐसा लग रहा था कि आज रघु में घोड़े की शक्ति आ गई है,,,और यह सब उसकी मां कजरी कीमत मस्त जवानी का नतीजा उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी की खुशबू वह महसूस कर चुका था उसके बदन की गर्मी को अपने अंदर तपता हुआ महसूस कर चुका था,,, गजब की ताकत और लय दिखा रहा था रघु,,, पानी के अंदर भी गजब की फुर्ती का प्रदर्शन हो रहा था ,,, तेज गति से आगे पीछे हो रही रुकी कमर की वजह से छोटे से टंकी में भी लग रहा था जैसे पानी का सैलाब उठ रहा हो,,, शालू के चेहरे पर उत्तेजना मदहोशी उत्साह और आश्चर्य जनक का संपूर्ण भाव नजर आ रहा था उसका मुंह खुला का खुला रह गया था मानो बुर के अंदर घुसा लंड मुंह से बाहर आ जाएगा,,,, भले ही रघुअपनी बड़ी बहन शालू को चोद रहा था लेकिन उसके मन में शालू के बदन की जगह उसकी मां का खूबसूरत जिस्म ही था,,, जिसे भोगने की चाह में वह अपने अंदर घोड़े की स्फूर्ति और ताकत महसूस कर रहा था,,,, आखिरकार साधु एक बार फिर से अपना पानी छोड़ दी और कुछ देर बाद रघु भी अपनी बहन की बुर में ही भलभला कर झड़ गया,,,।
घर पर पहुंचने तक और पहुंचने के बाद भी कजरी की बुर टंकी के अंदर के दृश्य को याद करके पानी छोड़ रही थी,,,
वह आईने में अपना चेहरा देख कर उस पर फैली शर्म की लाली को देखकर खुद ही शर्मा गई,,, आज से पहले उसने अपनी जवानी की शुरुआत से लेकर अब तक इस तरह की उत्तेजना का अनुभव कभी नहीं कर पाई थी,,, अपने बालों को संवारते हुए बार-बार कजरी को अपने दोनों टांगों के बीच अपनी बुर के ऊपर अपने बेटे के खड़े लंड के कड़क पन का एहसास हो रहा था जो कि यह एहसास उसके तन बदन में अजीब सी चिकोटि काट रहा था,,, कजरी कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा कि जब वह अपने बेटे के सामने इस तरह से पूरी तरह से बेशर्मी का खुला प्रदर्शन करेगी भले ही ऐसा करने में उसे थोड़ी बहुत शर्म का एहसास हो रहा था लेकिन उसे अद्भुत आनंद की अनुभूति भी हो रही थी जिससे वह इंकार नहीं कर पा रही थी,,,अभी भी वह उस पल के बारे में सोच कर उत्तेजना से गदगद हो जा रही थी और अपने मन में सोच रही थी कि उसके बेटे का लंड उसकी बुर में घुसते घुसते रह गया,,,, कजरी को इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा नादान बिल्कुल भी नहीं था उसे औरत और मर्द के बीच इस तरह के छेड़छाड़ और आकर्षण के बारे में पूरी तरह से मालूम था तभी तो उसकी मौजूदगी में उसके बेटे का लंड इस कदर खड़ा और कड़क हो गया था अगर उसके अंदर इस तरह की अनुभूति और ज्ञान नहीं होता तो उसका लंड बिल्कुल खड़ा नहीं होता,,, इसका मतलब साफ था कि टंकी के अंदर जो कुछ भी हो रहा था उससे उसके बेटा पूरी तरह से उत्तेजित था और पूरी तरह से समझता भी था,,,, आईने में अपने बालों को कंघी से संवारते हुए कजरी के मन में भावनाओं के साथ साथ प्रश्नों का बवंडर उठ रहा था,,, जिसमें वह पूरी तरह से फंस चुकी थी और उसमे से निकलने का रास्ता ढूंढ रही थी,,,। उसके अंदर उठना एक सवाल बार-बार उसके दिमाग और उसकी बुर पर ठोकर मार रहा था कि क्या वाकई में उसका बेटा उसको चोदना चाहता था,,,इतना तो अच्छी तरह से समझते थे कि जो कुछ भी उसका बेटा उसके साथ कर रहा था या टंकी में जो कुछ भी हो रहा था अनजाने में तो बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,, जिस तरह से वह उसकी चूचियों पर साबुन लगा रहा था,,,आमतौर पर इस तरह से कोई भी साबुन नहीं लगाता बल्कि उसका बेटा साबुन नहीं लगाया था बल्कि साबुन लगाने के बहाने उसकी चूचियों से खेल रहा था उसे जोर जोर से दबा रहा थाना उससे आनंद ले रहा था तभी तो पल भर मे ही उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर उसके नितंबों पर ठोकर मार रहा था,,, और टांगों के बीच घुस कर अपने लिए जगह तलाश कर रहा था,,, कजरी यह बात अच्छी तरह से जानते थे कि उसका बेटा इस बात से भी भली-भांति अवगत था कि नीचे उसका लंड उसकी मां के कौन से अंग पर रगड़ खा रहा है और ठोकर मार रहा है,,,, यह सब सोचकर कजरी इसी निष्कर्ष पर आ रही थी कि,,, उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो चुका है और उसे चोदने के लिए बुर चाहिए थी तभी तो वह उसके साथ इस तरह की कामुक हरकत कर रहा था,,,,यह सब सोचकर कजरी का दिमाग एकदम से चकराने लगा था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी और उसकी बुर पूरी तरह से पानी-पानी हो रही थी जिसे वह अपनी ही पेटीकोट से साफ कर रही थी,,।
थोड़ी देर में शालू और रघु भी घर पर पहुंच गए शालू तो लोगों के साथ पूरी तरह से सहज थी लेकिन कजरी अपनी बेटे के साथ असहज महसूस कर रही थी शर्म के मारे उसे आंख तक नहीं मिला पा रही थी,,,
दूसरे दिन सुबह ही शालू को उल्टी होने लगी,,,, शालू को उल्टी करता हुआ देखकर उसकी मां उसे एक लोटा पानी भर कर ला कर दी और वह फिर से सामान्य हो गई लेकिन 1 घंटे बाद फिर से वह उल्टी करने लगी,,, लेकिन अब कजरी का दिन जोरो से धड़कने लगा उसका दिमाग घूमने लगा अनुभव से भरी हुई कजरी को इतना समझ में आ गया था कि शालू जिस तरह की उल्टी कर रही है वह बिल्कुल सामान्य नहीं है,,,। कजरी एकदम से घबरा गई थी,,,, वह शालू के पास गई और बोली,,,
यह सब क्या है सालु,,, तुझे कैसा लग रहा है,,,
मुझे अजीब सा लग रहा है मां चक्कर आ रहा है,,, बार बार उल्टी हो रही है,,,, लगता है खाना पचा नहीं है,,,।
(सालु की बात सुनते ही कजरी उसका हाथ पकड़कर घर के अंदर ले गई और उसे खटिए पर बैठा कर उसे डांटते हुए बोली,,,)
देख मुझसे झूठ मत बोल,,, यह उल्टी जो तू कर रही है यह सामान्य बिल्कुल भी नहीं है,,,।
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है मां की तु क्या बोल रही है,,,।(इस बात का अंदाजा शालू को भी बिल्कुल नहीं था इसलिए वह आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)
जिस तरह से तू उल्टी कर रही है यह सब तेरे पांव भारी होने की निशानी है तु पेट से है,,,,(कजरी एकदम गुस्से से बोली,, और यह सुनते ही शालू के पैरों तले से जमीन खिसकने लगी उसे चक्कर आने लगा,,,, वह हैरान होते हुए बोली,,)
यह तुम क्या कह रही हो मां,,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता,,,,
भगवान करे ऐसा बिल्कुल भी ना हो लेकिन निशानी तो सब वैसे ही है,,,, बता सालु,,,,, तेरे पेट में पल रहा बच्चा किसका है,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर सालु को तो समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, शालू के पास अपनी मां के सवाल का जवाब बिल्कुल भी नहीं था वह क्या बोलती खामोश रही,,, वह तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि ऐसा दिन भी आएगा,,,, शालू को इस तरह से खामोश बैठी देखकर कजरी गुस्से में चिल्लाते हुए बोली,,,)
बोल हरामजादी खामोश क्यों है,,,, किससे मुंह पर कालिख पोतवा कर आई है,,,।(कजरी शालू की बांहों को पकड़कर उसे झकझोरते हुए बोली,,,,पहली बार शालू अपनी मां के मुंह से अपने लिए इस तरह की गाली सुन रही थी और पहली बार कजरी अपने ही बेटी पर इस तरह से गुस्सा हो गई थी बात ही कुछ ऐसी थी,,, अगर यह बात बाहर पहुंच जाए तो तो कजरी किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाती,,,, फिर भी शालू खामोश थी अब वह अपनी मां से क्या कहती,,, शालू की खामोशी कजरी के दिल में शुल की तरह चुभ रही थी ,,, इसलिए कजरी एक मोटा सा डंडा उठा ली,,, यह देखकर शालू घबरा गई,,,)
बताती है या इस डंडे से तेरी चमड़ी निकाल लु,,,(कजरी एकदम क्रोधित होते हुए बोली और शालू अपनी मां का गुस्सा देखकर डर गई और अपने मन में सारी गणित लगाने लगी वह चित्र से जानती थी कि उसका छोटा भाई राकू ही दिन रात की चुदाई करता आ रहा था,,, और बिरजू तो कल हीं पहली बार ही सफलतापूर्वक उसके चुदाई कर पाया था,,। 1 दिन की चुदाई से दूसरे दिन ही गर्भ रहने का सवाल ही नहीं उठता था,,, यह सब अपने मन में सोचते हो सालु एकदम से घबरा गई क्योंकि जो उसकी मां कह रही थी अगर इस बात में सच्चाई है तो उसके पेट में उसके ही भाई का बच्चा था,,,। सानू की आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा उसे कुछ सूझ नहीं रहा था लेकिन इस बात से इंकार भी नहीं कर सकती थी कि बिना किसी से संभोग किए उसके पेट से होने का तो सवाल ही नहीं उठता था,,, और यह बात उसकी मां अच्छी तरह से जानती थी कि शालू और बिरजू दोनों के बीच प्रेम संबंध है और जाहिर है कि ऐसे में शारीरिक संबंध होना लाजमी था ,,,। इसलिए सालों रोते हुए बोली,,,)
मेरी इसमें कोई गलती नहीं है ,,,, बिरजू,,,,, बिरजू का ही दोष है,,,,,।
यह सुनते ही कजरी एक डंडा शालू की पीठ पर मारते हुए बोली,,,,
हरामजादी कुत्तिया शादी तक रुक नहीं सकती थी अगर उस बड़े बाप की औलाद है ना तेरा हाथ थामने से इंकार कर दिया तब क्या करेगी तू कहां जाएगी यह बात समाज से कैसे छुपाएगी,,,, इसके बारे में जरा भी सोची थी तु,,,
मुझे माफ कर दो,,,मां,,,,,,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,।
(शालू अपनी मां के आगे हाथ जोड़ते हुए रो रही थी और उससे बोल रही थी अपनी बेटी को इस तरह से रोते हुए देख कर एक मां का दिल एकदम से व्यतीथ हो गया,,, और वह शालू को अपने गले लगा कर रोने लगी,,, और रोते हुए अपनी बेटी को दिलासा देते हुए बोली,,,)
मैं जानती हूं बेटी इस में तेरी कोई गलती नहीं है उस बड़े बाप की औलाद की ही गलती है,,,, तू चिंता मत कर मैं कोई ना कोई रास्ता जरूर निकाल लूंगी,,,, और हां इस बारे में किसी को जरा भी कानो कान भनक नहीं लगनी चाहिए सब कुछ वैसे ही चलते रहना चाहिए मानो सब कुछ सामान्य है,,,, में खेतों में जा रही हूं,,,, तू आराम कर और किसी को भी यह बात मत बताना,,,,,(कजरी यह कह कर उठते हुए) अब जल्दी ही जमीदार से बात करनी होगी,,,
(इतना कहकर कजरी खेतों की तरफ चली गई और साधु वहीं बैठी सुबकते रही,,,, रघु इधर उधर से घूमकर घर पर आया और सालों को इस तरह से रोता हुआ देखकर एकदम से परेशान हो क्या और उसके करीब जाकर उसका दोनों हाथ अपने हाथों में लेकर बोला,,,)
क्या हुआ दीदी तुम रो क्यों रही हो,,,?
( रघु की बात सुनकर सालु बोली कुछ नहीं बस रोए जा रही थी,,, यह देखकर बार-बार रखो उसे समझा रहा था लेकिन सालु थी कि कुछ बोलने को तैयार नहीं थी,,, इस समय ना जाने क्यों उसे रघु पर गुस्सा आ रहा था,,,)
बोलो ना दीदी क्या हुआ अगर बोलो कि नहीं तो पता कैसे चलेगा,,,
(इतना सुनकर वह रघु की तरफ गुस्से से देखने लगी,,, रघु को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी बहन ऐसा क्यों कर रही है,,,)
मुझे क्यों गुस्से से देख रही हो बताओगी भी क्या हुआ,,,?
यह सब तेरी वजह से हुआ है,,,(शालू रोते हुए बोली)
मेरी वजह से क्या हुआ है मेरी वजह से,,,(रघु आश्चर्य जताते हुए बोला)
तुम्हारी वजह से मैं पेट से हो गई हूं,,,,(शालू रोते हुए एकदम से शर्मा कर दूसरी तरफ मुंह करके बोली,,,, इतना सुनकर रघु के भी हाथ पांव सुन्न हो गए,,,,)
यह क्या कह रही हो दीदी,,,
सच कह रही हूं,,,
लेकिन यह कैसे हो गया,,,,?
यह भी बताना पड़ेगा,,,,
लेकिन इसमें मेरा तो कसूर नहीं है,,,।
देख कसूर तेरा हो या मेरा लेकिन भुगतने को तो मुझे ही है,,,
(दोनों भाई बहन एकदम परेशान थी दोनों को कुछ भी सूझ नहीं रहा था दोनों खामोश होकर खटिए पर एक साथ बैठे हुए थे दोनों में जवानी की आग बुझाने के लिए एक दूसरे के बदन का सहारा लिया दोनों पूरी तरह से एक दूसरे से मस्ती का आनंद लिया,,, लेकिन दोनों ने कभी यह नहीं सोचा था कि उन दोनों का यह वासना से भरा खेल एक दिन यह मोड़ भी ले लेगा,,,शालू अपने भाई से रोज मौका मिलते ही चुदवाती हुई है रघु भी अपनी बड़ी बहन को उसकी गर्म जवानी के मदहोशी में मदहोश होकर उसे चोदता रहा लेकिन दोनों को नहीं पता था कि दोनों का यह वासना भरा खेल इस अंजाम तक पहुंच जाएगा कि सालु के पांव भारी हो जाएंगे,,,, दोनों खामोश थे शालू की आंखों से आंसू गिरना बंद हो गया था लेकिन उसका दिल रो रहा था अपने आप को कोस रही थी उस पल को कोस रही थी जब वह अपने भाई के प्रति आकर्षित हुई थी,,, शुन्य मनस्क होकर,,, सालु सामने की दीवार की तरफ देखते हुए बोली,,,।)
अब क्या होगा रघु,,, आज नहीं तो कल समाज को इस बारे में पता चल ही जाएगा तब लोग पूछेंगे तो मैं क्या कहूंगी क्या जवाब दुंगी,,,,,,
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो तेरी मैं कुछ सोचता हूं,,,
क्या सोचेगा तू करते समय बिल्कुल भी नहीं सोचा तो अब क्या सोचेगा,,,,।
तुम तो देखने से कह रही हो कि सारी गलती मेरी ही है मैं तो कोई तुम्हारे साथ जबरदस्ती तो किया नहीं था,,,, जो कुछ भी हुआ था आकर्षण के चलते हुआ था,,,,
यही तो रोना है रघु,,, अगर किसी को इस बारे में पता चल गया की हम दोनों के बीच अवैध संबंध के चलते ऐसा हुआ है तो हम लोग बर्बाद हो जाएंगे मां तो मर ही जाएगी,,,,(शालू रोते हुए बोली)
नहीं नहीं तेरी ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा मैं ऐसा नहीं होने दूंगा,,,, तुम सिर्फ मुझे एक बात बताओ,,, क्या तुम्हारी और बिरजू के बीच कुछ हुआ है,,,,
(रघु के मुंह से यह सवाल सुनकर शालू फिर से रघु को गुस्से से देखने लगी,,)
दीदी गुस्सा करने का वक्त नहीं है जो मैं पूछता हूं वह बताओ,,,
(इस बार शालू बोली कुछ नहीं बस हां मै सिर हिला दी,,)
कब,,,, मतलब कितना दिन हुआ,,,।
कल ही तो,,,
क्या कल,,,,,(रघु आश्चर्य जताते हुए बोला क्योंकि अभी तक उसे ऐसा लगता था की शायद यह सब बिरजू की वजह से हुआ हो,,,इन दोनों के बीच कल ही हुआ था तो संभव था कि जो कुछ भी हुआ है वह उसी के वजह से हुआ है,,, रघु अपने मन में यह सब सोच रहा था और कल वाली बात सुनकर सालु से बोला,,,)
कल तो तुम मेरे और मां के साथ खेत पर ही काम कर रही थी घर पर आ गई इसके बाद कहीं गई नहीं तो कल कैसे हो गया,,,,
( रघु के ईस सवाल पर शालू को शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि भले ही दोनों के बीच शारीरिक संबंध का रिश्ता था लेकिन फिर भी दूसरों के साथ के संबंध के बारे में बताने में उसे शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी वह रघु से बोली,,)
कल जब टंकी में नहाने के लिए जा रहे थे तब मैं एक बहाने से वहां से चली गई थी,,,, बिरजू ने ही मुझे इशारा करके बुलाया था,,,, और खेतों में ले जाकर,,,(इतना काकरवा खामोश हो गई,,,, )
चलो कोई बात नहीं अच्छा ही हुआ कि तुमने उसके साथ चुदवा ली,,,, क्योंकि अब हम दावे के साथ कह सकते हैं कि तुम्हारे पेट में बिरजू का ही बच्चा है ,,,। और यह सुनकर जमीदार अपने बेटे की शादी तुमसे कराने के लिए राजी हो जाएगा,,,
अगर ऐसा नहीं हुआ तो अगर वह इनकार कर दिया तो,,,
ऐसा नहीं होगा,,, बिरजू की शादी तुमसे ही होगी मुझे मालकिन पर पूरा विश्वास है,,,,
(रघु की बातें सुनकर सालु को कुछ राहत महसूस हुई,, तो रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
मां को इस बारे में पता है,,,।
हां उनसे ही तो मुझे पता चला,,,
मां क्या बोली,,,
वो तो मुझ पर बहुत गुस्सा कर रहे थे लेकिन फिर भी बोली कि सब सही हो जाएगा,,,
फिर क्यों चिंता करती हो,,,, सब सही हो जाएगा,,,,
रात को खाना खाते समय कजरी अपने बेटे रघु से बोली,,।
रखो अब हमें देर नहीं करना चाहिए जल्द से जल्द शालू के हाथ पीले हो जाए तो गंगा नहाए समझ लो,,,,
इतनी जल्दी क्या है मां,,,(रखो अपनी मां की बात को कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन फिर भी सोच रहा था कि देखे ही उसकी मां क्या कहती है,,,)
नहीं नहीं शालू अब बड़ी हो गई है शादी की उम्र निकली जा रही है जल्द से जल्द उसका शादी कर देना चाहिए तो अपनी मालकिन से बात कर और जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी शादी का इंतजाम कर दे,,,,
(रघु अपनी मां के चेहरे पर चिंता की लकीरों को अच्छी तरह से पढ़ रहा था मैं जानता था कि एक कुंवारी लड़कियों का बिन ब्याही मां बन जाना मां बाप के लिए कितना कष्ट दायक होता है,,,)
तुम चिंता मत करो मा मैं दो-तीन दिन में ही मालकिन से बात कर लेता हूं और सब कुछ तय कर लेता हूं,,,,
सोते समय जब कजरी सो गई इसके बाद शालू उठकर रघु के पास आई,,, यह देख कर रघु चुटकी लेते हुए बोला,,,।
क्या दीदी आज भी लेना है क्या तुम्हें,,,
बदमाश कहीं का,,,,मैं लेने नहीं मैं तुझसे यह कह रही हूं कि क्या बिरजू मान जाएगा कि मेरे पेट में उसका ही बच्चा है अभी 1 दिन तो हुआ है,,,
मान जाएगा दीदी,,, मैं जानता हूं उसे यह सब गणित बिल्कुल समझ में नहीं आएगा उसे बस इतना ही समझ में आता है कि वह तुम्हारी चुदाई कर चुका है,,,,(चुदाई वाली बात सुनकर शालू शर्मा गई,,,,) बस इतना ही काफी है,,, और वैसे भी वह अपने मां-बाप से यह तो नहीं कह पाएगा ना कि मैं कल ही सालु को चोदा हुं,,,, तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो दीदी,,,, जाकर सो जाओ और अगर नींद नहीं आ रही है तो एक बार फिर से चढ जाओ,,, शादी के बाद फिर ना जानें कब मौका मिले,,,।
यह मुसीबत कम है क्या,,,?
(इतना कह कर सालु वहां से चली गई और सो गई,,)