कजरी को बहुत चिंता हो रही थी,,, और चिंता होना लाजमी था क्योंकि वह शालू की मां थी,, वह नहीं चाहती थी कि उसकी बदनामी हो समाज में नाम खराब है और शादी में किसी भी प्रकार की दिक्कत पैदा हो,,, वह तो भगवान से मन ही मन रोज प्रार्थना करती थी कि कैसे भी करके शालू की शादी हो जाए बस,,,, जैसे जैसे दिन गुजर रहा था वैसे वैसे कजरी की चिंता बढ़ती जा रही थी,,, वह रोज रघु को जमीदार से शादी की बात करने को कहती और रघु भी दोनों मालकिन को जमीदार के ऊपर शादी का दबाव बनाने के लिए कहती रहती थी,,,, लेकिन दोनों की हिम्मत नहीं होती थी कि वह जमीदार को शादी की बात कर सके और वह भी शालू के साथ क्योंकि वह दोनों भी अच्छी तरह से जानती थी कि रघु के परिवार में और उनके परिवार में जमीन आसमान का फर्क था,,,,
लेकिन जमीदार की बीवी रात के समय जब जमीदार उसके साथ संभोग रत थे,,, जमीदार की बीवी सालु की शादी की बात छेड़ते हुए बोली,,,,।
आपसे एक बात करनी थी,,,,(जमीदार के झटको की वजह से हक लाते हुए उसकी आवाज निकली)
क्या बात करनी थी,,,,(जमीदार अपनी कमर को हिलाते हुए बोला)
शादी की बात करनी थी,,,
किसकी शादी,,,,
अरे विरजू की और किसकी,,, मेरी नजर में एक लड़की है बहुत सुंदर,,,, उसका नाम शालू है,,, अपने गांव की कजरी की लड़की,,,,
कजरी की,,,,(अपने धक्को पर काबु करते हुए जमीदार बोला,,,)
हां बहुत ही अच्छा परिवार है,,, अरे उसी की बड़ी बहन,,, जो तांगे से मुझे मेरे मायके लेकर गया था,,,,
तुम पागल हो गई हो,,,, हमारी और उसकी बराबरी कर रही हो,,,, यह बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है,,,(जमीदार अपने दोनों हाथों का कसाव अपनी बीवी की चूचियों पर बढ़ाता हुआ बोला,,,)
पर एक बार देखने में क्या हर्ज है मुझे पूरा यकीन है कि एक बार उसको देखोगे तो आपका इरादा बदल जाएगा,,,।(जमीदार को अपनी बाहों के घेरे में करते हुए बोली,,,)
नहीं नहीं मेरा इरादा कभी नहीं बदलने वाला,,, और वैसे भी मैं अपने समधी को वादा कर चुका हूं क्योंकि उन्होंने भी मुझे एक लड़की के बारे में बताया है वह भी ऊंचे घराने की तो नहीं लेकिन उनके कहे अनुसार बहुत सुंदर है,,, अब मैं उनकी बात नहीं काट सकता,,,(जमीदार अपनी कमर की रफ्तार को बढ़ाता हुआ बोला,,,)
मेरी जुबान का क्या,,,, मैं भी उससे वादा कर चुकी हूं कि बिरजू की शादी उसकी बहन से ही होगी और वैसे भी अपना बिरजू उससे प्रेम करता है,,,।
(अपनी बीवी की यह बात सुनकर जमीदार थोड़ा सा परेशान हो गया लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए और अपने लंड को अपनी बीवी की बुर में पेलते हुए बोला)
तो क्या हुआ प्रेम तो सभी को हो जाता है पर यह जरूरी तो नहीं किसी से प्रेम हो उसे शादी भी हो,,,, हम बिरजू की शादी वहीं करेंगे जहां हम चाहते हैं,,,,
लेकिन सुनो तो,,,,(जमीदारी की बीवी बात को संभालने की गरज से बोली)
हम कुछ नहीं सुनना चाहते,,,, चुदवा रही हो अच्छे से चुदवाओ मेरा दिमाग मत खराब करो,,,,(अब उसके पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं बचे थे वह अच्छी तरह से जानती थी कि अब बहस करना ठीक नहीं है ,,,, जमींदार वैसे भी अपनी मनमानी ही करता था वह किसी की भी दखल गिरी बर्दाश्त नहीं करता था खासकर के औरतों की भले ही वह क्यों ना उसकी बीवी हो,,,, जमीदार अपनी बीवी की एक चूची को मुंह में भर कर पीते हुए अपनी कमर को बड़ी तेजी से हिलाने लगा,,, जो कि इस बात का संकेत था कि उसका पानी निकलने वाला है,,,, जमीदार की बीवी अपने पति से कभी भी संतुष्ट नहीं हो पाई थी क्योंकि जमीदार एक उम्र दराज व्यक्ति थे और जमीदार की बीवी एकदम जवान, हसीन गदराए बदन की मालकिन थी,,, उसे रघु जैसा हट्टा कट्टा नौजवान चाहिए था जोकि उसके बदन की गर्मी को शांत कर सके,,,पूरा रखो उसकी उम्मीद पर पूरी तरह से खरा उतरा था उसके लिए तो रघु खरा सोना था लेकिन अब उसे जमीदार पर बेहद क्रोध आने लगा था वह बड़ेआत्मविश्वास के साथ रघु को इस बात का दिलासा दी थी कि उसकी बहन उसके घर की बहू बनेगी,,, लेकिन जमीदार ने सब कुछ बिगाड़ के रख दिया था उसके अरमानों पर पानी फेंक दिया था,,, वह उसी तरह से पीठ के बल अपनी दोनों टांगे फैलाए पड़ी रही और जमीदार तब तक उसकी बुर को रौंदता रहा जब तक कि उसका पानी नही निकल गया,,,। अपनी बीवी की चुदाई करने के बाद वह उसके बगल में करवट लेकर पसर गया और सोने से पहले अपनी बीवी को हिदायत देते हुए बोला,,,।
कल सुबह हम अपने समधी के साथ लड़की देखने जा रहे हैं सुबह तैयारी कर लेना,,,।( और इतना कहकर वह करवट लेकर सो गया,,, मानो की उसकी बीवी की कोई कदर ही नहीं थी उसके मन की कभी भी नहीं हो पाती थी जमीदार केवल उसे अपनी रातों को रंगीन करने के लिए ही लाया था,,, कहने को तो वह घर की मालकिन पीने की मालकिन जैसा उसे किसी भी प्रकार का अधिकार नहीं प्राप्त था,,,, इसलिए अपनी किस्मत को कोसते हुए वह दूसरी तरफ करवट लेकर सो गई,,,।)
दूसरे दिन रघु,,, नीम की दातून करते हुए घर के पीछे की तरफ जा रहा था तो उसके कानों में जानी पहचानी सीटी की मधुर आवाज सुनाई देने लगी,,, सीटी की आवाज सुनते ही उसका मन अधीर हो गया वह एकदम से व्याकुल हो गया,,, पर अपने चारों तरफ इधर उधर नजर घुमा कर देखने लगा लेकिन उसे कहीं भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था तो वह ध्यान से सीटी की आवाज वाली दिशा में ध्यान लगाकर सुनने लगा तो,,, वह सीटी की आवाज सामने की झाड़ियों में से आती हुई उसे सुनाई दी,,,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था वह धीरे-धीरे उन झाड़ियों के करीब जाने लगा,,,,, सीटी की आवाज को वह अच्छी तरह से पहचानता था इसीलिए तो उसका मन एकदम व्याकुल हुए जा रहा था,,,,वह बड़े ही आराम से धीरे धीरे कदम रख रहा था क्योंकि सूखी हुई पत्तियां नीचे गिरी हुई थी जिसकी आवाज से हो सकता था की झाड़ियों के बीच कोई चौकन्ना हो जाए,,,, लेकिन रघु किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहता था,,,
धीरे-धीरे वह झाड़ियों के बिल्कुल करीब पहुंच गया,,, और हल्के से झाड़ियों को अपने हाथों से अलग करते हुए जैसे ही उसकी नजर झाड़ियों के अंदर बीच में गई उसके होश उड़ गए उसके दिल की धड़कन बढ़ गई क्योंकि सिटी की मधुर आवाज सुनकर जिस नजारे कि उसने कल्पना किया था ठीक वैसा ही नजारा उसकी आंखों के सामने था,,,, एक बार फिर से उसकी नजरों ने अपनी मां को पेशाब करते हुए देख लिया था,,, उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,, सिटी की मधुर आवाज सुनकर उसके मन में जिस चित्र की कल्पना उभर रही थी ठीक वैसी ही चलचित्र उसकी आंखों के सामने उपसी हुई थी,,,,,कजरी निश्चिंत होकर अपनी साड़ी को कमर तक उठाए उसे कमर पर लपेट कर अपनी गोलाकार गांड को दिखाते हुए पेशाब कर रही थी,,,हालांकि वह इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि उसकी गोरी गोरी मदमस्त कर देने वाली गांड को पीछे से खड़ा होकर उसका लड़का देख रहा है,,,,,, पल भर में ही रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,, वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगा,,,,,, खेत में ट्यूबवेल की टंकी में नहाते समय अपनी मां की खूबसूरती से पूरी तरह से वाकिफ हो चुका था और अपने मर्दाना मस्ताए लंड को अपनी मां की दोनों टांगों के बीच ले जाकर उसकी मखमली गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर महसूस भी कर चुका था,,, लेकिन एक जवान लड़के का मन कहां मानने वाला था,,, यह जानते हुए भी कि अपनी मां को इस अवस्था में देखना ठीक नहीं है,,फिर भी रघु टस से मस नहीं हो रहा था आखिरकार नजारा ही ऐसा अद्भुत मादकता से भरा हुआ था कि रघु तो क्या उसकी जगह कोई भी मर्द होता तो उसकी पलक झपकना भूल जाती,,,, वास्तव में कजरी की गांड बेहद खूबसूरत गोल गोल और एकदम गोरी थी,, अंधेरे में भी जिसके होने का आभास हो जाए,, अभी भी रघु के कानों में उसकी मां की बुर से आ रही सीटी की आवाज गूंज रही थी मतलब साफ था कि अभी भी कजरी बड़ी शिद्दत से पेशाब कर रही थी,,,,, रघु का लंड तो पजामे के अंदर बवाल मचाए हुए था,,,, ऐसा लग रहा था किसी भी वक्त वह पैजामा फाड़ कर बाहर आ जाएगा,,, सुबह-सुबह इतना बेहतरीन खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा ऐसा कभी रघु ने बिल्कुल भी नहीं सोचा था,,, रघु बड़े गौर से अपनी मां की खूबसूरत गांड को देख रहा था जो कि उस समय ट्यूबवेल की टंकी में उसके बेहद करीब थी जिसकी गर्माहट और गोलेपन का एहसास उसे बड़ी अच्छी तरह से हुआ था,,, लेकिन एक कसक प्रभु के मन में रह गई थी कि वह अपनी मां की गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसे मसल नहीं पाया,,,कजरी सी जगह पर बैठी हुई थी उसके चारों तरफ घनी झाड़ियां थी धांसू की हुई थी और गौर से देखने पर रखो कोई भी आभास हुआ कि उसकी मां उस जगह मैं इसे धीरे-धीरे आलू खोद रही थी,,,, उसकी मां एक साथ दो काम कर रही थी पैसा भी कर रही थी और खेतों में से आलू की खोद रही थी,,, जिसकी शायद सुबह सुबह सब्जियां बनानी थी,,,,
कजरी इस बात से बेखबर थी वह निश्चिंत होकर मुतने में लगी हुई थी और आलू खोदने में,,,, लेकिन तभी उसे आहट सुनाई थी,,,,वह एकदम से सचेत हो गई,,, वह घबराकर पीछे मुड़ कर देखना नहीं चाहती थी हालाकी ऊसे डर भी लग रहा था,,,, कि ना जाने कौन उसे इस तरह से पेशाब करते हुए देख रहा है,,, एकाएक उसकी पेशाब की धार एकदम से कमजोर पड़ गई,,,, और वह धीरे से अपनी नजरों को तिरछी करके पीछे की तरफ देखी तो उसे केवल पैजामा नजर आया और वह उस पजामे को अच्छी तरह से पहचानती थी,,,, जिसे वह रोज सुबह धोती थी,,,, इस बात का एहसास होते हैं कि पीछे खड़ा शख्स जान पहचान का क्या उसका खुद का बेटा रघु है उसका दिल धक से करके रह गया,,, उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, वह समझ गई कि उसका बेटा फिर से उसे पेशाब करते हुए देख रहा है,,,,लेकिन इस समय ना जाने क्यों उसे अपने बेटे की हरकत पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था जैसा कि पहली बार वह खेतों में अपने बेटे को अपने आप को पेशाब करते हुए देखकर गुस्से से आगबबूला हो गई थी,,,, , लेकिन आज तो अपने बेटे की हरकत पर,, उसे प्यार आ रहा था और अपने अंदर की उसे उत्तेजना महसूस हो रही थी,,,, एक औरत के लिए भी वहां पर देहाती शर्मसार कर देने वाला होता है जब वह पेशाब करती हो और उसे पीछे से कोई चोरी-छिपे देख रहा है,,, क्योंकि वैसे भी औरतें हमेशा छुप कर पर्दे में ही पेशाब करती है,,,,,,एक औरत मर्द के सामने तभी पेशाब करती है जब आपस में वह दोनों पूरी तरह से खुल गए होते हैं और दोनों के अंदर वासना की चिंगारी बराबर भड़कती रहती है तब वह एक दूसरे को खुश करने के लिए उन्माद जगाने के लिए इस तरह की हरकत कर बैठते हैं,,,,। लेकिन यहां तो पहले अनजाने में ही हुआ था लेकिन जब इस बात का आभास कजरी को हो गया कि उसका बेटा पीछे से खड़ा होकर उसकी नंगी गांड को और उसे पेशाब करते हुए देख रहा है तब कजरी के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी ऊफान मारने लगी,,,,,, उसका दिल धड़कने लगा,,,और जो कुछ पल के लिए किसी की अपने पीछे आहट सुनकर उसकी पेशाब रुक गई थी वह अब उत्तेजना के मारे और तेज धार छोड़ते हुए मुतने लगी,,, रघु की धड़कनें तेज चलने लगी थी उसकी हालत खराब होती जा रही थी ट्यूबवेल की टंकी में जिस तरह की हरकत वह अपनी मां के साथ कर चुका था उसका दिल यही कर रहा था कि वह पीछे से जा करके अपनी मां बुर में पीछे से लंड डाल दे,,, क्योंकि उस दिन उसकी मां उसकी हरकत की वजह से उसे एक शब्द तक नहीं बोली थी,,, लेकिन इस तरह की हरकत करने में उसे डर भी लग रहा था कि कहीं उसकी मां उसके गाल पर थप्पड़ ना लगा दे,,,,
और दूसरी तरफ कजरी के तन बदन में वासना की आग सुलग रही थी इस समय वह अपने मन में सोच रही थी कि ऐसा क्या करें कि उसका बेटा पूरी तरह से उसकी जवानी का कायल हो जाए,,,क्योंकि वह जानती थी कि झाड़ियों के बीच इस तरह से वह बैठी है उसके बेटे को सिर्फ उसकी गोरी गोरी गांड नजर आ रही होगी लेकिन उसका असली और अनमोल खजाना उसके बेटे की नजरों से अभी काफी दूर है इसलिए वह चाहती थी कि उसका बेटा उसके गुलाबी खजाने को अपनी आंखों से देखें,,,,,, वैसे भी वह खेत में से आलू खोदकर निकाल रही थी,,,, इसलिए वह अपना मन बना चुकी थी अपने बेटे को अपनी गुलाबी बुर के दर्शन कराने के लिए,,, इसलिए वह एक बहाने से आगे झुकना चाहते थे आलू खोदने के बहाने ताकि उसका बेटा उसके गुलाबी बुर को अपनी नंगी आंखों से देख सकें,,, लेकिन ऐसा सोचकर ही कजरी की बुर से पानी बहा जा रहा था,,,, जिंदगी में पहली बार उसके साथ इस तरह की घटना घट रही थी उसने आज तक अपने पति के सामने भी के साथ करने की हिम्मत नहीं की थी क्योंकि वह पहले से ही बहुत शर्मीले किस्म की औरत थी,,,, और किसी मर्द के सामने पेशाब करने के बारे में तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी,,,, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं सोचने का नजरिया बदल चुका था अपने बेटे में उसे अब अपना बेटा नहीं बल्कि हट्टा कट्टा जवान मर्द नजर आता था,,,,
कजरी से रहा नहीं जा रहा था उसके तन बदन में उन्मादक हीलोरे गोते लगा रही थी,,, अपना दोनों हाथ पीछे की तरफ लाकर अपनी गोरी गोरी गांड पर रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगी,,, अपनी मां की यह हरकत देखकर रघु के तन बदन में शोले भड़कने लगे,,, पजामे में उसका लंड फट पड़ने की कगार पर आ गया था,,, रघु से रहा नहीं जा रहा थाऔर वह अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया,,,। तभी रघु की आंखों ने जो देखा उसे देख कर उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था कजरी अपने बेटे को अपनी गुलाबी बुर दिखाना चाहती थी और इसीलिए वह आगे की तरफ झुक कर आलू खोदने के बहाने अपनी गोरी गोरी गांड को थोड़ा सा ऊपर उठा दी,,, जिससे उसके गुलाबी बुर गुलाबी पत्तियों सहित रघु की आंखों के सामने चमकने लगी,,, यह नजारा देखकर तो रघु कि सांस ही अटक गई,,,, कजरी जानबूझकर आगे झुक कर मिट्टी में से आलू खोदने का क्रियाकलाप कर रही थी जबकि हकीकत यही था कि वह अपने ही बेटे को अपनी गुलाबी बुर के दर्शन करा रही थी,,, और यही देखने के लिए वह चुपके से अपनी नजरों को तिरछी करके पीछे की तरफ देखी तो अपने बेटे की हालत देखकर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी और उसे अपने बेटे की हालत पर तरस भी आ रहा था क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि जिस तरह से वह नीचे झुकी हुई है साफ तौर पर उसकी बुर उसके बेटे की आंखों में अपनी चमक छोड़ रही होगी,,, रघु का मुंह खुला का खुला रह गया था कजरी अपनी तिरछी नजरों को नीचे की तरफ पिलाकर उसके पजामे की स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां पर अपनी नजरों को टिकाई तो उसके होश उड़ गए,,, क्योंकि उसके पजामे में जबरदस्त तंबू बना हुआ था,,, यह देख कर ही कजरी की बुर से मदन रस की बूंदे नीचे टपकने लगी,,,,,,, हालांकि अब कजरी की बुर से पेशाब की धार टूट चुकी थी,,, लेकिन वह फिर भी उसी अवस्था में अपनी गांड को ऊपर उठाएं झुकी रही और खेतों में से आलू खोदने का कार्यक्रम जारी रखी,,,,, उत्तेजना से पूरी तरह से रघु मस्त हो चुका था,, उसे ऐसा लग रहा था कि बिना लंड हीलाए ही उसका लंड पानी छोड़ देगा,,,।,,,
और ऐसा हो भी जाता अगर उसकी बड़ी बहन की आवाज उसके कानों में ना पड़ती तो क्योंकि वह उसे ढूंढते हुए उसी दिशा में आ रही थी वह तुरंत एकदम हक्का-बक्का हो गया,,, और अपने कदमों को पीछे ले लिया,,, कजरी के कानों में भी उसकी बेटी की आवाज पड चुकी थी इसलिए वह भी तुरंत,,, खोदे हुए आलू को बटोरने लगी,,,,।
यहां क्या कर रहा है तू अभी दांतुन हीं कर रहा है,,,, खाना बन गया है पहले जाकर नहा ले फिर खा लेना,,,, और मा कहां है,,, आलू खोदने के लिए गई थी अभी तक वापस नहीं आई पता नहीं कहां रह गई तुझे मालूम है कहां है,,,,
नहीं मुझे कैसे मालूम हो सकता है मैं तो अभी अभी उठ कर आया हूं,,,,(रघु अपनी नजरों को इधर-उधर घुमाते हुए बोला तभी शालू की नजर उसके पजामे पर पड़ी तो वह एकदम दंग रह गई,,, पजामे के अंदर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,, इसलिए वह आश्चर्य से अपने हाथ की उंगली से उसके पजामे की तरफ इशारा करते हुए बोली,,,)
यह क्या है सुबह-सुबह,,,,,
कककक,,,कुछ नही,,,,, यह तो तुमको देखते ही खड़ा हो गया दीदी,,,,,(रघु एकदम शरारती अंदाज में बोला)
बाप रे सुबह सुबह तुझे यही सब सुझता है,,,,
क्या करूं दीदी तुम हो ही इतनी खूबसूरत,,,,
चल रहने दे मस्का लगाने को अभी कुछ नहीं होने वाला जा जाकर नहा ले,,,,
(इतना सुनकर बिना बोले रघु वहां से चला गया और शालू अपनी मां को खोजने लगी उसे लगा कि उसकी मां किसी से बात करने में लग गई होगी क्योंकि वैसे भी अक्सर वह गांव की औरतों के साथ बात करने बैठती थी तो घंटे बिता देती थी,,,, इसलिए वह खुद ही आलू खोदने के लिए झाड़ियों के करीब जाने लगी जहां पर कजरी अभी भी उसी अवस्था में बैठी हुई थी और खोदे हुए आलू को इकट्ठा कर रही थी,,,।
जैसे ही वहां झाड़ियों के बेहद करीब पहुंचीउसकी नजर झाड़ने के बीच बैठी अपनी मां पर पड़ गई जो कि अभी भी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और वह बैठी हुई थी मानों जैसे की पेशाब कर रही हो,,,,,,।
क्या मां तुम अभी तक यहीं बैठी हुई हो मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हुंं,,,
(पीछे से आ रही आवाज को सुनते ही,, कजरी एकदम से हड़बड़ा गई और तुरंत उठ कर खड़ी हो गई और अपनी साड़ी को दुरुस्त करने लगी,,,,)
वो ,,वो,,,मममम,, में,,,, आने ही वाली थी कि मेरे पेट में दर्द होने लगा इसलिए मैं यहां बैठ गई,,,, तू चल मैं आती हूं,,,,(इतना कहकर वह नीचे झुक कर होते हुए आलू को अपनी साड़ी के पल्लू में इकट्ठा करने लगी,,, कजरी शर्मा से अपनी बेटी से नजरें नहीं मिला पा रही थी,,, शालू को भी सब कुछ सामान्य ही लग रहा था कि तभी उसके दिमाग की घंटी बजना शुरू हो गई,,,, क्योंकि उसे याद आ गया कि उसका भाई रघु भी यहीं से वापस आ रहा था,,,, अपनी मां की हालत अपने भाई रघु के पजामे की स्थिति को देखकर उसका दिल जोर से धड़कने लगा,,,, उसके मन में शंका के बादल उमड़ने लगे,,,,क्योंकि वह अपनी आंखों से अपनी मां की गांड को देख चुकी थी जो कि कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी थी और वह बैठी हुई थी और इस बात का भी आभास उसे था कि उसका भाई वापस जाते समय उसे नजर चुरा रहा था और उसके पहचानने की स्थिति कुछ और बयां कर रही थी,,,,, वह वापस लौटते समय अपने मन में यही सोचने लगी कि कहीं उसका भाई खड़ा होकर अपनी ही मां की गांड को देखकर उत्तेजित तो नहीं हो रहा था,,,, क्योंकि उसके लंड की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी,,,, ऐसा तभी होता है जब एक मर्द उत्तेजित दृश्य को देख ले,,, और ऐसा ही हुआ होगा,,,, रघु इधर झाड़ियों में पेशाब करने आया होगा और उसे मां दिख गई होगी,,,उसकी नंगी गोरी गोरी गांड देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया होगा तभी तो पजामे में उसका लंड खड़ा हो गया था,,,,।
सच्चाई से वाकिफ होते ही शालू के तन बदन मे अजीब सी हलचल होने लगी,,, यह सोच कर कि उसका छोटा भाई अपनी ही सगी मां को गंदी नजरों से देख रहा है इस बातों से उसे पहले तो गुस्सा आया लेकिन फिर तन बदन में अजीब सी चिकोटि काटने लगी,,, अपनी भाई की गंदी नजरों को अपनी मां के बारे में सोचते हैं उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी वह इस बारे में अपने भाई से बात करना चाहती थी और मौके की तलाश में थी,,,।
दूसरी तरफ रघु अपने लंड की गर्मी को शांत करना चाहता था,,, इसलिए अपने छोटे से लकड़ी के बने हुए स्नानागार में जाकर अपनी मां को याद करके मुठ मारने लगा,,, और गर्मी बाहर निकलते ही वहां नहा धोकर वापस खाना खाने के लिए आ गया तब तक उसकी मां भी वहां आ चुकी थी शालू अपनी मां की उपस्थिति में अपने भाई से बात नहीं कर पाई,,, और खाना खाकर रघु वहां से बाहर चला गया,,,,।
जमीदार लड़की देखने के लिए जाने वाला था इसलिए वह तांगा लेकर अपने समधी लाला के घर की तरफ निकल गया,,, जहां पर लाला,,,अपनी बहू कोमल की खूबसूरत नितंबों की थिरकन को आते जाते देखकर लार टपका रहा था,,, उसका गला सूख रहा था उसी प्यास लगी थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी प्यास बुझाने के लिए उसे अपनी बहु कोमल के पास जाना चाहिए या मटके के पास,,,, वैसे तो अक्सर वह अपनी बहू से पानी मांग लिया करता था लेकिन आज वह खुद ही मटके से पानी लेने के लिए उठ खड़ा हुआ और रसोई घर की तरफ जाने लगा जहां पर उसकी बहू खड़ी होकर लकड़ी के पाटिया पर सब्जी काट रही थी,,, अपनी बहू पर नजर पड़ते ही उसकी धोती में हलचल होने लगी और मटके के करीब जाते-जाते वह अपना एक हाथ अपनी बहू को हमारी के नितंबों पर रखकर उसे जोर से दबा दिया,,,।
आहहहह,,, बाबूजी यह क्या कर रहे हैं आप,,,,(कोमल चौक ते हुए बोली,,,)
कुछ नहीं मेरी प्यारी बहू तेरी खूबसूरत मुलायम बदन का जायजा ले रहा था,,,।
जमीदार अपनी बहू के साथ मनमानी करता हुआ
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बाबू जी आपको इस तरह की हरकत करते हुए शर्म आनी चाहिए,,,,।
शर्म तो आती है मेरी रानी लेकिन क्या करूं तुझ पे तरस भी तो आता है,,,, साला मेरा बेटा ही नालायक और निकम्मा निकल गया कितनी खूबसूरत औरत को छोड़कर ना जाने कहां भटक रहा है,,,,(मटके में गिलास डालकर उसे पानी से भरते हुए बाहर निकालते हुए) आखिरकार तु एक औरत है तुझे भी तो अपने जिस्म में आग लगती हुई महसूस होती होगी,,, तुझे भी तो अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ कुछ होता होगा,,,,(इतना कहकर लाला पानी पीने लगा और अपने ससुर की इस तरह की गंदी बात सुनकर कोमल शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,,)
आपको शर्म आनी चाहिए बाबूजी मुझसे इस तरह से बातें करते हुए मैं आपकी बेटी समान हूं,,,।
तू एक औरत है और वह भी प्यासी,,,, और मेरा पूरा अधिकार बनता है तुझे प्यास से मुक्त कराने के लिए,,,,(इतना कहने के साथ है कि लाला अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी बहू का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसे सीधे अपनी बाहों में भरकर उसके लाल-लाल होठों को चूमने की कोशिश करने लगा,,, की तभी बाहर दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,,।)
लालाजी,,,, अरे ओ लाला जी कहां हो,,,,,
(इतना सुनते ही उसके होश उड़ गए अपने समधी की आवाज वह अच्छी तरह से पहचानता था,,,इसलिए तुरंत राधा को अपनी बाहों से आजाद करता हुआ बिना कुछ बोले वह दरवाजे की तरफ जाने लगा,,,)
अरे आया समधी जी,,,,(इतना कहने के साथ ही वह दरवाजा खोल दिया सामने उसके समधी खड़े थे,,)
अरे आज हमें लड़की देखने जाना था तुम भूल गए क्या,,,?
अरे भूला नहीं हूं सरकार आइए पहले जलपान तो कीजिए,,,
नहीं नहीं रहने दो मैं जलपान करके आया हूं,,,, हमें देर हो रही है हमें चलना चाहिए,,,, तांगा तैयार है,,,।
जी सरकार में अभी आया,,,,(इतना कहकर बा अंदर गया और गमछा लेकर बाहर आ गया दोनों तांगे पर बैठकर लड़की देखने के लिए दूसरे गांव की तरफ निकल गए और कोमल दीवाल से सेट करें बैठ गई और अपनी किस्मत पर रोने लगी,,,, थोड़ी देर बीता ही था कि दरवाजे पर फिर दस्तक होने लगी,,,, कोमल घबरा गई उसे लगा कि उसका ससुर फिर वापस आ गया है,,,)