नहर के किनारे बने घर में लाला अपने आदमियों के साथ कजरी की बेबसी का फायदा उठा रहा था नहर के किनारे लाला ने बगीचे की तरह इसे भी अपनी विलासिता के लिए ही बनवाया था,,,, घर में सुख सुविधा के सारे सामान मौजूद थे,,,,,,
घर के बाहर तूफानी बारिश अपना भयंकर रूप दिखा रही थी तेज आंधी के साथ-साथ बादलों की गड़गड़ाहट पूरे वातावरण को बेहद भयानक बना दे रहे थे ऐसे में रघु आगबबूला होकर हाथ में कुल्हाड़ी लिए लाला को जान से मार देने के उद्देश्य से घर से निकला था,,,, उसके मन में डर भी बना हुआ था कि कहीं उसकी मां के साथ कुछ गलत ना हो जाए,,,, रघु को इस बात का एहसास हो गया था कि माना उसकी मां के साथ गलत करना चाहता है,,, और यही सोच सोच कर उसका दिमाग खराब हो रहा था बार-बार वह अपने मन को मनाने की कोशिश कर रहा था कि उसकी मां सुरक्षित है उसे कुछ नहीं होगा लेकिन उसके मन में कहीं इस बात का डर जरूर बना हुआ था कि लाला ऐसे ही किसी औरत को नहीं उठवाता और बगीचे वाले दृश्य को याद करके उसका और खून खोलने लगता था क्योंकि ना चाहते हुए भी अपनी मां की दोनों टांगों के बीच ऊसे लाला नजर आ रहा था,,,,,, और यह दृश्य हकीकत में बदल जाए या उसे कभी भी गवारा नहीं था,,,, जब जब वह अपने दिमाग में इस तरह की कल्पना करता था तब तक उसकी आंखों से खून टपकता था उसके दिलो-दिमाग पर सिर्फ लाला ही छाया हुआ था वह लाला को खत्म कर देना चाहता था,,,। बरसात इतनी तेज थी और बहुत देर से हो रही थी जिसकी वजह से घुटनों तक पानी भर चुका था जिसमें रघु को चलने में तकलीफ हो रही थी लेकिन फिर भी वह आगे बढ़ रहा था,,,,
दूसरी तरफ लाला और उसके आदमियों के सामने कजरी बेबस लाचार नजर आ रही थी लाला के हुक्म का पालन करने के लिए वह उसकी जांघों पर से उठकर नीचे खड़ी हो गई,,,, लाला की जांघों पर अपनी गांड रखकर बैठने में कजरी शर्म से पानी पानी हो गई और वह कभी सपने में भी नहीं सोची था कि उसे यह दिन देखना पड़ेगा जोकी ना चाहते हुए भी उसे गैर मर्द की जांघों पर बैठना पड़ेगा,,,, किसी मर्द की जांघों पर बैठने का मतलब यही होता है कि वह उसकी रखैल या गुलाम हो गई है,,,, जोकि रखेल और गुलाम दोनों में से किसी भी प्रकार की पदवी कजरी को कभी भी मंजूर नहीं थी बेटे के मोह में,,, उसकी जानकी रक्षा के खातिर कजरी को ना चाहते हुए भी लाला की बात माननी पड़ रही थी,,। लाला को कजरी अच्छी तरह से जानती थी,,, वह जानती थी कि लाला कितना क्रुर और भोगी इंसान है,,,।इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी बात मानते हुए वह उसके सामने खड़ी होकर अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू हटा रही थी और लाला प्यासी नजरों से कजरी के भीगे बदन को घूर रहा था उसके तीनों आदमी भी मौके का फायदा उठाते हुए अपनी आंखों को सेंक रहे थे,,।
साड़ी कंधे पर से नीचे आते ही कजरी का सुडोल विशाल छातिया नजर आने लगी,,, ब्लाउज का बटन लाला पहले से ही ऊपर वाला खोल चुका था जिसकी वजह से दोनों पहाड़ नुमा चूचियों के बीच में से मानो कोई गहरी लंबी नहर कह रही हो इस तरह से उसकी दोनों चूचियों के बीच की पतली गहरी लकीर नजर आ रही थी,,,,,, और यह देखकर लाला के मुंह में पानी आ रहा था,,,, औरत के मामले में लाला बेहद उतावला किस्म का आदमी था लेकिन कजरी के साथ वह बड़े इत्मीनान से काम ले रहा था चाहता तो वह आगे बढ़कर अपने हाथों से उसकी साड़ी उतारने का सुख प्राप्त कर सकता था लेकिन वह जानता था की उसके पास बहुत समय है और अगर वह उसकी धमकी से मान गई तो हर दिन रात चांदनी होगी इसीलिए वह बड़े आराम से कजरी की हर एक लीला को अपनी आंखों से देख रहा था कजरी साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर धीरे-धीरे अपने कमर पर से साड़ी को खोलना शुरू कर दी,,,, कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी पूरी तरह से घबराई हुई थी खास करके अपने बेटे की सलामती के लिए मन ही मन में भगवान से प्रार्थना भी कर रही थी वह किसी गैर इंसान के सामने अपने साड़ी को इस तरह से खोलना नहीं चाहती थी लेकिन वह मजबूर थी अपनी साड़ी को कमर पर से खोलते हुए उसके हाथों की उंगलियां कांप रही थी,,,वह बड़े ही धीरे-धीरे अपनी साड़ी को खोल रही थी वह चाहती थी कि यह समय यही रुक जाए आगे ना बढ़े क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि वह लाला और उसके आदमियों के सामने नंगी हो लेकिन वो जानती थी कि ऐसा उसे करना ही होगा अगर बात बस तक ही रहती तो शायद वह अपनी जान देकर अपनी इज्जत बचा ली थी लेकिन बात उसके बेटे की थी और वह किसी भी हाल में अपने बेटे पर किसी भी प्रकार की मुसीबत आने देना नहीं चाहती थीआखिरकार धीरे-धीरे करके समय के प्रवाह के साथ वह अपनी साड़ी को कमर पर से खोलकर नीचे गिरा दी जो कि पानी से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,, लाल और उसके आदमियों के सामने वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी,,,जो की पूरी तरह से पानी में भीग जाने की वजह से उसके बदन से चिपकी हुई थी जिसमें से उसका पूरा भूगोल साफ तौर पर नजर आ रहा था,,,, कजरी अपने ब्लाउज के बाकी बटन को धीरे धीरे खोलने लगी,,,,,, और सारे बटन को खोलने के बाद वह अपने ब्लाउज उतारने में शर्मा रही थी यह देखकर लाला बोला,,,।
शरमाओ मत मेरी जान उतार दो उसे,,,,,शर्म आओगी तो फिर मजा कैसे आएगा और हमें विश्वास कैसे होगा कि तुम अपने बेटे के लिए कुछ भी कर सकती हो,,,,
(इतना सुनते ही कजरी ना चाहते हुए भी बेशर्मी का प्रदर्शन करते हुए अपने ब्लाउज का अपनी बाहों में से निकालने लगी लाला कजरी की इस उम्र में भी तनी हुई ठोस चूचियां देखकर एकदम काम विह्वल हो गया,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो उसकी आंखें देख रही है वह सच है,,,क्योंकि अब तक वह इस उम्र की ना जाने कितनी औरतों की चुदाई कर चुका था लेकिन उनकी चूचीया कजरी की जैसी ठोस वर्तनी में बिल्कुल भी नहीं थी सारे के सारे पपीते की तरह लटक गई थी इसलिए तो लाला के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया,,,,,, लाला के तीनों साथी कजरी कीमत मस्त जवानी भरी चूचियां देखकर दंग रह गए थे उन तीनों का ईमान डोल रहा था कजरी की चुदाई करने का ख्याल तीनों के मन में आ रहा था लेकिन लाला के सामने वह कुछ कर नहीं सकते थे इसलिए खामोश खड़े इस गरमा गरम नजारे का लुफ्त उठाते रहे,,,,
वाह कजरी तुम्हारी चूचियां इस उम्र मैं भी कितनी तनी हुई है,,,(ऐसा क्या तेरे लाला अपना हाथ आगे बढ़ा कर कचरी की चूची को हल्के से दबाते हुए,,,) ईसे मुंह में भर कर पीने में बहुत मजा आएगा कजरी,,,,(गिर मर्दाना हाथों को अपनी चुचियों पर महसूस करते ही शर्म के मारे वह संकुचाने लगी,,,,
डरो मत मेरी जान,,,,, बस सब उतारती जाओ,,,,,
(इतना सुनते ही कजरी धीरे से अपने दोनों हाथों को अपने पेटिकोट की डोरी के ऊपर रखी वह अपनी पेटीकोट को उतारना नहीं चाहती थी,,,,लेकिन फिर भी वह जानती थी किसके चाहने न चाहने से क्या होता है इसलिए अपनी पेटीकोट की डोरी को अपने दोनों हाथों की उंगली से पकड़कर खींच दी,,, और उसे ढीला छोड़ दी,,, पेटीकोट बरसात के पानी में पूरी तरह से गिला हो चुका था जिससे ढीला होने के बावजूद भी उसका पेटीकोट जांघों से नीचे नहीं आ पाया तो कजरी घबराते शर्मा कर अपनी पेटिकोट के नीचे की तरफ उतारने लगी,,, नीचे झुक कर पेटिकोट को उतारने की वजह से उसकी गोलाकार गांड हवा में लहराने लगी थी जिसे देखकर लाला के तीनों साथी गर्म आंहे भरते हुए,, अपने पजामे में बने तंबू को अपने हाथ से मसलने लगे,,,,अगले ही पल अपनी पेटिकोट को उतारकर कजरी पूरी तरह से लाला और उसके तीनों साथी के सामने नंगी हो गई थी,,, जिंदगी में इससे शर्मसार कर देने वाला पल उसकी जिंदगी में कभी नहीं आया था कजरी शर्म से गड़ी जा रही थी,,,, उसे असर इस बात का हो रहा था कि वह अभी तक जिंदा कैसे हैं उसे तो शर्म से डूब कर मर जाना चाहिए लेकिन अपने बेटे की जिंदगी की कीमत उसे अपनी इज्जत देकर चुकानी पड़ रही थी अपनी आंखों के सामने कजरी को एकदम नंगी देखकर लाला की आंखों में हवस की चमक नजर आने लगी एक दम से पागल हो गया,,,,और कजरी की आंखों के सामने ही अपनी दोनों टांगों को चौड़ा करके धोती के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ कर दबाने लगा और बोला,,,,।
आहहहहहह,,,कजरी मेरी रानी आज तो मजा आ जाएगा,,,
(लाला कि ईतनी गंदी हरकत को देखकर कजरी शर्म से पानी पानी हो गई लेकिन कुछ नहीं कर पाई बस अपने चेहरे को अपने दोनों हथेलियों में भरकर ढंक ली,,,अपने तन को लाला की आंखों के सामने निर्वस्त्र करके वह अपने चेहरे को छुपा कर अपने मन को तसल्ली दे रही थी,,,, लाला अपने तीनों आदमियों की तरफ देखा जो हवस पर ही आंखों से कजरी को ही देख रहे थे अब इससे आगे का दृश्य केवल लाना ही देखना चाहता था इसलिए बना ताली बजाकर उन तीनों की तंद्रा भंग करते हुए तीनों को कमरे से बाहर जाने का इशारा कर दिया वह तीनों की अपना मन मार कर कमरे से बाहर आ गए,,,।लाला अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था लेकिन वह पलंग पर से नीचे नहीं उतरा,, वह अत्यधिक उतावलापन का प्रदर्शन नहीं कर रहा था वह इत्मीनान से शरीर के अंग से टपकते हुए मदन रस को अपनी आंखों और होठों से पीना चाहता था,,,, कजरी को नंगी देखकर ऐसा लग रहा था जैसे लाला के अरमान पूरे हो रहे हो,,,।
वाह कजरी मेरी रानीयह तो जानता था कि तुम बहुत खूबसूरत हो तुम कि कपड़े उतारने के बाद इतनी ज्यादा खूबसूरत नजर आती हो या तो मैं आज पहली बार अपनी आंखों से देख रहा हूं कसम से अप्सरा हो अप्सरा ,,,,,
(लाला की हर एक बात कजरी के दिन पर छुरियां की तरह चल रही थी,,,,,)
मेरी जान थोड़ा उस तरफ घूम जाओ मैं तुम्हारी गांड देखना चाहता हूं,,,,
(इतना सुनते ही कजरी शर्मा कर दीवार की ओर मुंह करके खड़ी हो गई उसे इस बात का इत्मीनान थी कि वह तीनों हैवान कमरे से बाहर जा चुके थे,,, लाला की नजर जैसे ही कजरी की मदमस्त,, गोल गोल उभरी हुई गांड देखकर एकदम पागल हो गया कजरी शर्मा से गड़ी जा रही थी,,, वह जानती थी कि दीवार की तरफ मुंह करके वह लाला को अपनी गांड दिखा रही थी,,,जिसे कजरी आज तक अपनी जुती तक नहीं दिखाई थी आज अपने सारे कपड़े उतार कर उसे अपने नंगे बदन के दर्शन करा रही थी,,,,)
कच6री मेरी रानी तुम तो स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा हो,,, कसम से हमेशा के लिए मेरी बन जाओ तूने रानी की तरह रखुंगा,,,,
मेरे रघु को तो कुछ नहीं करोगे ना,,,,
ना ना कजरी रानी मे रघु को अपने बेटे की तरह रखुंगा,,,, बस तुम हमेशा के लिए मेरी बन जाओ,,,।
(कजरी को अपने बेटे की फिक्र हो रही थीइसलिए ना चाहते हुए भी आज वह अपने बेटे की खातिर अपनी इज्जत का सौदा करने के लिए तैयार हो गई थी,,,)
कजरी तुम्हारी मदमस्त गांड देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया है तुम जैसी खूबसूरत औरतों का तो महलों में रहना चाहिए कहां ऊस झोपड़ी में अपनी जिंदगी खराब कर रही हो,,,।
हमारी किस्मत ही वही है लाला,,,,
किस्मत को बदला भी जा सकता है रानी,,,
कौन बदलेगा मेरी किस्मत को,,,।
मैं बदलूंगा कजरी,,, (इतना कहने के साथ ही लाला पलंग पर से उठ कर खड़ा हुआ और कजरी के पास पहुंच गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया कजरी एकदम से सिहर उठी जिंदगी में पहली बार किसी गैर मर्द की बांहों में जाते ही वहां सर में से पानी पानी हो गई )तुम्हें अपनी बना कर तुम्हें रानी बनाकर मैं तुम्हें यही रखूंगा इसी घर में,,,,
(कजरी कुछ बोल नहीं रही थी बस लाला की बात सुनी जा रही थी,,, लाला संपूर्ण रूप से नंगी कजरी को अपनी बांहों में भरते हुए उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गया और उसकी धोती में उसका खडा लंड कजरी की दोनों टांगों के बीच हिलोरे मारने लगा,,, कजरी मन में क्रोधित हो रही थी लेकिनकुछ कर नहीं सकती थी क्योंकि उसकी तरफ से किसी भी प्रकार का प्रतिकार का मतलब था उसके बेटे की मौत,,, इसलिए उसे सब कुछ सहना ही था,,,, कजरी को लग रहा था कि लाला अब अपने बस में नहीं है किसी भी वक्त उसकी चुदाई कर सकता था,,,वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी उसकी इज्जत बचाने के लिए लेकिन जानती थी कि ऐसे माहौल में ऐसी तूफानी बारिश में वह उसे बचाने के लिए आने वाला कोई नहीं था और वैसे भी किसी को इस बात की खबर तक नहीं थी कि कजरी इस समय कहां है कौन ले गया है,,,,इसलिए अपने मन में ठान ली थी कि आज निश्चित तौर पर उसकी इज्जत तार-तार हो जाएगी,,,, लेकिन लाला के पास बहुत समय था इसलिए वह बड़े इत्मीनान से कजरी की मदहोश कर देने वाली जवानी का रस पीना चाहता था इसलिए वह कजरी को अपनी बाहों से आजाद करते हुए वापस पलंग पर बैठ गया और कजरी से बोला,,,)
आज मेरे लिए बहुत ही खुशी का दिन है और इसी खुशी के मौके पर कजरी मेरी रानी आज तुम मुझे शराब की लड़की अपने हाथों से शराब पीलाओगी,,,
(कजरी के बस में कुछ नहीं था इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी शर्त मानना उसकी मजबूरी थी इसलिए वह आगे बढ़ी संपूर्ण रूप से नंगी होकर चहलकदमी करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी लेकिन ऐसा करना उसके लिए मजबूरी बन चुकी थी वह नंगी पलंग के पास आई और टेबल पर रखी शराब की बोतल से सराब को गिलास में डालने लगी,,, दूसरी तरफ रघु नहर के पास बने घर के पास पहुंच चुका था,,, दूर से उसे वह घर दिखाई दे रहा था जिसके बाहर बरामदे में लालटेन तनी हुई थी और हंस लालटेन के उजाले में तीनों आदमी बैठे हुए थे आपस में बातें कर रहे थे जो कि उन लोगों को इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि रघु उन तक पहुंच जाएगा,,, रघु क्रोध से भरा हुआ थातीनों आदमी बाहर बरामदे में बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे और दरवाजे पर कड़ी लगी हुई थी जिसका मतलब साफ है कि घर के अंदर लाला औरउसकी मां थी इस बात का एहसास है तू ही उसकी आंखों के सामने एक बार फिर से अपनी मां और लाला के साथ का गंदा दृश्य नजर आने लगा,,, उस दृश्य के बारे में कल्पना करते ही रघु एकदम से आग बबूला हो गया और तुम तीनों आदमी की तरफ आगे बढ़ा,,, उन तीनों आदमियों में से एक की नजर रघु पर पड़ गई,,, रघु कुल्हाड़ी को अपने पीछे छिपा रखा था,,,
अरे वह देख कजरी का लड़का भी आ गया साले का आज काम तमाम कर देते हैं,,,,
चल तो मादरचोद को देख लेते हैं उसकी इतनी हिम्मत कि यहां तक आ गया,,,,,(इतना कहने के साथ ही तीनों उठ खड़े हुए और रघु की तरफ आगे बढ़ने लगी बारिश अभी भी जोरों पर थी तूफान चल रहा था बादलों की गड़गड़ाहट बड़ी तेज हो रही थी सब कुछ भयानक दृश्य था रघु उन तीनों को अपनी तरफ आता हुआ देखकर वहीं रुक गया,,,, तीनों रघु के पास आकर उसे घेर लिया,,,, रघु जोर से चिल्लाते हुए बोला,,,)
बता मेरी मां कहां है,,,,
(इतना सुनते ही तीनों जोर-जोर से हंसने लगे उनको हंसता हुआ देखकर रघु को और गुस्सा आने लगा,,,)
बोलता क्यों नहीं कहां है मेरी मां,,,,
यार बता देना इस बेचारे को क्यों तड़पा रहा है बता दे इसकी मां कहां है,,,?
सुनना चाहेगा कहां है तेरी मां,,,,(उसकी बात सुनकर रघु बोला कुछ नहीं बस गुस्से में उसे देखे जा रहा था,,,, और वह आदमी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) इस समय तेरी मां हमारे मालिक लाला के साथ अंदर कमरे में अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर लाला के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवा रही है,,,,
(इतना सुनते ही रघु एकदम से गुस्से से भर गया,,,, और रखो धीरे-धीरे अपना हाथ पीछे की तरफ जाने लगा,,, दूसरा आदमी बोला)
सच में यार तेरी मां बहुत खूबसूरत है मैं आज पहली बार इतनी खूबसूरत औरत को देखा हूं वह भी एक दम नंगी क्या गांड है तेरी मां की और चूचियां तो कमाल की है,,,, आज रात भर तेरी मां की चुदाई होगी और जब लाला का मन भर जाएगा तो उसके बाद हम तीनों का नंबर आएगा और सोच हम तीनों एक साथ तेरी मां की चुदाई करेंगे,,,(अब रघु के लिए अपनी मां के बारे में से ज्यादा सुनना नामुमकिन था वह अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर तेज धारदार कुल्हाड़ी बाहर निकाला और अगले ही पल पहले वाले आदमी की गर्दन पर दे मारा,,,,उसे छठ पटाने का भी मौका नहीं मिला और वहां पानी में गिर कर दम तोड़ दिया दूसरे दोनों आदमी तो देखते रह गए उन दोनों का समझ में नहीं आया कि पल भर में यह क्या हो गया,,,, तभी दूसरा आदमी जोर से चिल्लाया,,,।
हरामजादे,,, कुत्तिया की,,,,,(इतना ही बोलना था मेरे को कुल्हाड़ी का दूसरा बार उसकी गर्दन पर कर दिया और वह भी ज्यों का त्यों पल भर में ही नीचे गिरकर दम तोड़ दिया,,,,अपने दोनों साथी का हाल देख कर तीसरे वाले की हालत एकदम से खराब हो गई वह बोलने लायक नहीं रह गया था लेकिन वह भी रघु के गुस्से से बच नहीं पाया और कुल्हाड़ी का तीसरा वार उसके ऊपर हुआ और वह भी ढेर हो गया पल भर में ही लाला केसा गिर्द उसके मुस्टंडे आदमी रघु के हाथों मौत की नींद सो चुके थे,,, रघु का क्रोध बढ़ता जा रहा था वह दरवाजे की तरफ पहुंच गया बंद दरवाजे को देखकर उसे यकीन हो गया कि दरवाजे के पीछे लाला उसकी मां की चुदाई कर रहा है इसलिए रखो और ज्यादा गुस्सा हो गया,,, और वह दरवाजे की कड़ी खोले बिना ही जोर से दरवाजे पर एक लात मारा उसके अंदर इतना गुस्सा आ गया था इतनी ताकत आ गई थी कि उसके एक रात में ही पूरा दरवाजा टूट कर नीचे गिर गया और अंदर का दृश्य देखकर वह दंग रह गया,,,उसकी मां एकदम नंगी होकर पलंग के पास खड़ी थी हाथ में शराब का गिलास लिए हुए और लाला बिस्तर पर लेट कर अपनी धोती खोल रहा था,,, लाला और कजरी दोनों रघु को इस तरह से देखकर एकदम से चौंक गएकजरी तो अपनी स्थिति का भान होते ही और वह भी अपने बेटे के सामने एकदम से शर्मिंदा हो गई और वह बेहोश होकर वहीं गिर गई,,,।