सारे घटनाक्रम रघु के होश उड़ा दिया था ,, रघु कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी मां के साथ ऐसा हो जाएगा,,,, लेकिन वह मन ही मन कोमल को धन्यवाद देने लगा कि सही मौके पर आकर उसने सब कुछ बताती और वह सही समय पर लाला के घर पहुंच गया वरना अनर्थ हो जाता,,,, लेकिन फिर भी उसके मन में शंका हो रही थी कि ,,, लाला उसकी मां को चोदे बिना नहीं छोड़ सकता,,, उसके पहुंचने से पहले ही लाला उसकी मां की चुदाई कर दिया रघु यह बात अपने मन में सोच कर परेशान हो रहा था,,, लेकिन फिर अपनी ही बात को झूठ साबित करते हुए वह अपने मन में सोचने लगा कि जब वह दरवाजे तोड़कर कमरे में पहुंचा था तो उसकी मां पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और लाला अपनी धोती उतार रहा था,,, इसका मतलब था कि वह ऊसकी चुदाई करने जा रहा था,,, चोद नहीं पाया था,,, वह खटिए पर बैठा बैठा यही सोच रहा था कि लाला उसकी मां को चोद पाया या नहीं इसी सवाल का उत्तर उसे नहीं मिल पा रहा था,,,अपने बारे में सोचने लगा कि इस सवाल का जवाब उसकी माही दे सकती है होश आने पर वह अपनी मां से इस बारे में जरूर बात करेगा,,,,,, लाला इतना नीचे गिर जाएगा इतना तो वह जानता ही था लेकिन उसकी बुरी नजर उसके ही घर में पड़ी है इस बात को वह मान नहीं पा रहा था लेकिन आज सब गिले-शिकवे दूर कर दिया था,,, आज लाला और उनके साथियों का काम तमाम हो चुका था उनके जुर्म और उनकी हवस का शिकार हो रही औरतें जब यह खबर सुनेगी तो खुशी से झूम उठेंगी,,,,,,,यही सोचते हुए लोगों के मन में इस बात की तसल्ली थी कि चलो गांव वालों को उसके जुर्म से निजात दिलाया और साथ ही अपनी मां की इज्जत भी बचा लिया और तो और उन लोगों को किसने मारा है यह बात किसी को भी कानों कान पता तक नहीं चलेगी यह बात केवल कोमल और उसकी मां ही जान सकती है उसकी मां तो यह बात किसी को बताने वाली नहीं है और कोमल पर उसे पूरा भरोसा था और वैसे भी वहां अपने ससुर से खुद परेशान हो चुकी थी अपनी इज्जत बचाती आ रही थी वह भी जरूर खबर सुनेगी तो उसका मन प्रसन्नता से झूम उठेगा,,,, यही सब सोचते हुए रघु अपनी मां की तरफ देखा जो कि समय एकदम बेहोश लेटी हुई थी और एकदम नंगी रघु की नजर अपनी मां के नंगे बदन पर ऊपर से नीचे तक गई जिंदगी में पहली बार वह अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख रहा था,,,,अपनी मां के नंगे बदन को और अच्छे से देखने के लिए वह खटिया पर से खड़ा हो गया और खड़े होकर अपनी मां को खटिया पर लेटी हुई देखने लगा वह अपनी मां को एकदम नंगी देख कर मन में सोचने लगा वहां क्या रूप है क्या बदन है एकदम अद्भुत कारीगरी का नमूना ऐसा लगता है कि जैसे खुद भगवान ने अपने हाथों से उसके खूबसूरत जिस्म को बनाया हो,,,, कजरी पीठ के बल लेटी हुई थी रघु अपनी मां की दोनों तनी हुई नंगी छातियों को देख रहा था जो कि सुसुप्त अवस्था में भी,, अद्भुत कामगार लग रही थी,,,,खरबूजे जैसी दोनों बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छातियों पर लौटी हुई थी,,, पल भर में रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,उसका मन कर रहा था कि वह अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने हाथों में पकड़ कर जोर जोर से दबाने का सुख भोगले लेकिन वह अपनी मां की मदमस्त जवानी को शायद अपनी आंखों से ही पीना चाहता था,,,,, दोनों चूचियों के नीचे सपाट चिकना पेट,,,, और कमर पर हल्की सी चमडियो की पडती दरार,,,, उसके खूबसूरत बदन में और ज्यादा इजाफा कर रहे थे अपनी आंखों से अपनी मां की खूबसूरत नंगे बदन के कटाव और उसकी रूपरेखा को देख रहा था क्योंकि बेहद कामोत्तेजना से भरे हुए मादक नजर आ रहे थे,,, रघु के मुंह में पानी आने लगा था साथ ही पजामे का आकार आगे से बढ़ने लगा था,,,,,,, रघु इस माहौल में भी पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था जिसका एक ही कारण था कि उसकी मां की खूबसूरती,,, उसका खूबसूरत चिकना मादक गदराया बदन,,,, खूबसूरती में कजरी इस समय स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी,,,,, रघु का एक मन कह रहा था कि आज ही इसी समय वह अपनी मां के बेहोशी का फायदा उठाते हुए उसके साथ चुदाई का सुख प्राप्त कर लें लेकिन उसका दूसरा मन उसे ऐसा करने से रोक रहा था,,,, क्योंकि दूसरा मन ही जानता था कि ऐसा करना गलत है और माहौल भी ठीक नहीं था अभी अभी कुछ दिन पहले ही वह लाला के हाथों में थी जहां पर वह उसकी इज्जत लूटा जाता था और वहां भगवान से प्रार्थना कर रही थी पिक्चर बचाने के लिए,,, और ऐसे में रघुअपने बेटे का फर्ज निभाते हुए वहां पहुंचकर अपनी मां की इज्जत भी बचाया और उन है वानो का कत्ल भी कर दिया,,,,और उसका मन यही कह रहा था कि ऐसे में अगर वह अपनी मां की चुदाई करेगा तो लाला और उसके में बिल्कुल भी फर्क नहीं रह जाएगा वह एक तरह से अपनी मां के साथ जबरदस्ती कहीं जाएगी भले ही उसकी मां को इस बारे में पता नहीं चलेगा लेकिन,,, रघु इस मामले मेंअपने आप से ही नजर नहीं मिला पाएगा क्योंकि वह यही चाहता था कि उसकी मां अपने संमती से अपना बदन उसे सौंपे अपनी जवानी उस पर लुटाएं,,,,,,,, इसलिए रघु बहुत सोचने के बाद अपने आप को इस तरह की हरकत करने से रोकने लगा,,,,।
आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था,,, बरसात अभी भी बाहर हो रही थी रह रह कर बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई दे रही थी,,,,जिस तरह का खतरा उठा कर उठा ऐसी तूफानी बारिश लाला के आदमियों से लाला से भिडा था वह बेहद काबिले तारीफ था ऐसा शायद रघु के बस में बिल्कुल भी ना होता लेकिन ऐसी मुसीबत की घड़ी में रखो नहीं बल्कि एक बेटा अपना फर्ज निभाया था,,,, लाला से ना लाला के आदमियों से कोई भी इंसान भी भिडना नहीं चाहता था क्योंकि वह लोग बेहद बेरहम थे,,,,गांव की औरतों के साथ अपनी मनमानी करते थे उनका फायदा उठाते थे,,,, लेकिन शायद लाला की जिंदगी का यह आखरी मौका था जब वह कजरी के साथ अपनी मनमानी करना चाहा था,,,, आज ना तो लाला रह गया था और ना उसके आदमी,,,,वातावरण में अजीब सी शांति की केवल बारिश के शोर के सिवा और बीच-बीच में रह रहे कर बादलों की गड़गड़ाहट शांत वातावरण को भयानक बना दे रहा था,,,,हवा तेज चल रही थी जिसकी वजह से रघु को ठंड का एहसास हो रहा था,,,,उसके कपड़े भी पूरी तरह से किए थे वह कपड़े बदलने की सोचने लगा कि तभी उसे एहसास हुआ कि उसकी मां ऐसे ठंडे मौसम में भी एकदम नंगी लेटी हुई है भले ही बेहोश क्यों ना हो उसकी तबीयत खराब हो सकती है इसलिए वह,,,, उसके कपड़े जो कि घर में रस्सी पर टांग के रखे हुए थे उतार कर ले आया और सबसे पहले वह अपनी मां को ब्लाउज बनाने लगा हल्का सा सहारा देकर उसे उठाते हुए बराबर उसके दोनों हाथों में ब्लाउज डालकर उसे पहना दिया और उसके बटन बंद करते समय रघु की हालत खराब होने लगी क्योंकि ब्लाउज का बटन लगाते समय वह अपनी मां के चूची को अपने हाथ से पकड़ कर ब्लाउज के अंदर कर रहा था,,,, हालांकि इस तरह का काम वह बहुत सी औरतों के साथ कर चुका था लेकिन आज अपनी मां की चूची को हाथ से पकड़ कर ब्लाउज के अंदर डालने में उसे अद्भुत सुख का और उत्तेजना का एहसास हो रहा था,,,,,,, ज्यादा नहीं तो वह इस मौके का फायदा उठाते हुए अपनी मां की दोनों चुचियों को अपनी हथेली में भरकर दबा ले रहा था,,,, बारी-बारी से दोनों चूचियों को ब्लाउज में डालकर वह ब्लाउज का बटन बंद कर दिया,,,, और फिर पेटिकोट उठाकर उसे नीचे से दोनों टांग को पेटीकोट के अंदर डालकर पेटीकोट को ऊपर की तरफ उठाने लगा अपनी मां की चिकनी मांसल जांघों पर नजर करते हुए उसके होश खोने लगे इसकी आंखों में अपनी मां की मदमस्त जवानी की चमक नजर आने लगी,,, वह पेटीकोट को घुटनों से ऊपर की तरफ लाते हुए पेटीकोट को उसी तरह से छोड़कर अपने दोनों हाथों को अपनी मां की दोनों जांघों पर फिराने लगा,,, उसे अपनी मां की चरणों पर अपना हथेली फिराते हुए इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां की जांघ एकदम चिकनी एकदम मक्खन की तरह थी,,,,,, पल भर में ही रघु का लंड खड़ा हो गया,,,, जांघों के ऊपर उसे अपनी मां की बुर एकदम साफ नजर आ रही थी उसकी पतली पतली दरार लालटेन की रोशनी में चमक रही थी,,,,, ना जाने रघु के क्या सुझा ओर वह अपनी नाक को अपनी मां की बुर की दरार के बेहद करीब लाकर जोर से नाक से सांस अंदर की तरफ खींचने लगा,,,,, पल भर में भी कजरी की बुर से निकल रही मादक खुशबू रघु की छातियों में भर गई और बुर की खुशबू का मादकता भरा एहसास रघु के तन बदन में आग लगाने लगा,,,, रघु का मन तड़प रहा था अपनी मां की गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों को फैला कर उसमें जीभ डाल कर चाटने के लिए,,,,लेकिन ऐसा करने से वह बड़ी मुश्किल से अपने मन को शांत कर पाया और बस बुर की खुशबू लेकर अपने आपको मना लिया,,, पेटिकोट को कमर तक लाने के लिए वह अपनी मां की गांड को एक हाथ से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया और पेटीकोट को कमर तक ले आया और उसकी डोरी को बांध दिया कुछ देर पहले खटिया पर कजरी एकदम नंगी लेटी हुई थी लेकिन रघु उसके तन पर ब्लाउज और पेटीकोट पहना दिया था और बिना कुछ और सोचे बिना वहां अपनी मां की बदन पर चादर डालकर उसे ओढ़ा दिया और खुद अपने कपड़े को बदलकर वही नीचे चटाई बिछा कर लेट गया,,।