• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest बरसात की रात,,,(Completed)

pprsprs0

Well-Known Member
4,106
6,259
159
नहर के किनारे हड़कंप मचा हुआ था,,,, लाला और उसके तीनों साथी की लाश कीचड़ में सनी हुई थी,,, गांव वाले यह मंजर देख कर हैरान हो गए थे उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि लाना जैसे शैतान का भी यह हाल हो सकता है,,,, पूरा गांव इकट्ठा हो चुका था रघु भी दूसरों की तरह आश्चर्य जता रहा था,,,, जमीदार की बीवी भी वहां पहुंच चुकी थी और साथ ही अपने ससुर की मौत की खबर सुनते ही कोमल भी वहां पहुंच चुकी थी कोमल अपने ससुर की लाश देख कर हैरान हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रोए यहां से जिंदगी में उसने पहले कभी इस तरह का डरावना दृशय नहीं देखी थी,,,, पास में ही रघु खड़ा था,,, रघु की तरफ देखते ही उसे सारा मामला समझ में आ गया था वह समझ गई थी कि इन चारों की इस तरह की हरकत करने वाला रघु ही है लेकिन उसे भी आश्चर्य था कि रघु जैसा लड़का इतनी हिम्मत कैसे रख सकता है,,,। रघु और कोमल दोनों की नजरें आपस में मिली,,, आंखों ही आंखों में दोनों ने अपने मतलब की बात कर ली,,,, जमीदार की बीवी लाला की हालत देखकर परेशान हो गई थी गांव वालों से पूछने लगी कि यह किसने किया किसकी इतनी हिम्मत हो गई,,,, लाला रिश्ते से उसका समधी जो था,,, आखिरकार किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंच पाना गांव वालों के लिए बड़ा ही मुश्किल काम था,,,,,,,फिर भी इसी नतीजे पर निकलेगी या किसी रंजिश की वजह से किसी ने लाला की यह हालत कर दी,,,, गांव की औरतें लाला की मौत पर खुश नजर आ रही थी क्योंकि वो लोग अच्छी तरह से जानती थी कि लाला अपने आदमियों के सहारे,,, और मेरी मजबूरी का फायदा उठाकर उनके साथ मनमानी करता था,,,, कजरी भी वहां पहुंच चुकी थी अपनी आंखों के सामने अपने बेटे के किए गए कारनामे को देखकर वह मन ही मन अपने बेटे पर फक्र महसूस कर रही थी और इस बात से उसे राहत महसूस हुई थी कि लाल और उसके साथियों की हत्या में उसके बेटे का कहीं भी जिक्र नहीं हो रहा था,,,,, थोड़ी देर बाद भीड छंटने लगी,,,,,,, जैसे-जैसे लाला की मौत की खबर मिलते जा रही थी वैसे वैसे उसके रिश्तेदार इकट्ठा होते जा रहे थे और लाला के साथ साथ उसके 3 साथी के भी रिस्तेदार इकट्ठा हो चुके थे चारों का अग्नि संस्कार किया गया सारी विधि में रघु भी शामिल था और किसी को कानों कान रघु के कारनामे के बारे में भनक तक नहीं लगी,,,,,,

शाम ढलने के बाद सांत्वना देने के लिए रघु कोमल के घर पहुंच गया जहां कुछ देर पहले ही गांव की औरतें कोमल को समझा-बुझाकर वापस अपने घर लौट चुकी थी रघु को देखते ही वह रघु के गले लग कर रोने लगी,,,, उसे चुप कराते हुए रघु बोला,,,।


अपने आप को संभालो कोमल,,,,,,इस तरह से रोती रहोगी तो कैसे चलेगा तुम्हारी भी तबीयत खराब हो जाएगी मैं नहीं चाहता कि तुम्हें किसी भी तरह से तकलीफ पहुंचे तुम रोते हुए मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,,,,

तो हम क्या करें रघु,,,हमें तो यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि अपने ससुर की मौत पर खुश हो या दुखी,,,,


दुखी होने की जरूरत,,,नहीं है कोमल इस तरह से रो कर जिंदगी गुजारने का कोई मतलब नहीं है और वैसे भी अपने ससुर से छुटकारा पाकर तुम्हें तो राहत की सांस लेनी चाहिए थी क्योंकि वह तुम्हारा ससुर नहीं का हैवान था जो तुम्हारी इच्छा से खेलना चाहता था तुम्हें किसी भी वक्त लूट सकता था,,, और यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो एक तरह से मैंने उसे मार कर तुम्हें छुटकारा दिलाया है एक राक्षस के हाथों से तुम्हें बचाया है,,,


लेकिन हम तो इस समय एकदम अकेले पड़ गए एक तो हमारा पति जोकि ना जाने कहां भटक रहा है,,, और ससुर के मरने की खबर सुनकर हमें तो समझ में नहीं आ रहा है,,, सच कहूं तो रघु हमें तो डर लग रहा है,,,,अपने ससुर की मौत ने एक तरह से मेरा भी हाथ है मुझे डर लगता है कि कहीं वह भूत बनकर,,,,,
(इतना सुनते ही रघु जोर जोर से हंसने लगा,,, और हंसते हुए बोला,,,)

अच्छा तो तुम्हारे डरने की वजह यह है,,,,(इतना कहने के साथ ही रखो अपनी बाहों में से कोमल को अलग करते हुए उसके दोनों कंधों को पकड़कर उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला ,,,,)


अरे पागल भूत और कुछ नहीं होता मैं हूं ना,,,,,,


कब तक रहोगे रघु,,,,


जब तक मेरी धड़कन चलेगी तब तक मैं तुम्हारे साथ रहूंगा,,,,


किस रिश्ते से मेरे साथ रहोगे रघु एक ना एक दिन सारे गांव वालों को पता चल जाएगा उस समय मेरी कितनी बदनामी होगी यह बात का अंदाजा लगाए हो कभी,,,


पति के रिश्ते से,,,,
(रघु के मुंह से इतना सुनते ही कोमल आश्चर्य से रघु की आंखों में देखने लगी क्योंकि वास्तव में उसकी आंखों में ऊसे अपने लिए प्यार नजर आ रहा था,,। कोमल की आंखों में आंसू आ गए,,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें,,,,,, रघु की बातें सुनकर वो पूरी तरह से भावनाओं में बहती चली जा रही थी,,, उसके लिए यह पल बेहद हसीन और अनमोल था क्योंकि इस तरह से उसी से किसी ने भी नहीं कहा था रघु की तरह को पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी किसी छोटी-छोटी मदद वह करता रहता था और उसके प्रति आकर्षण के चलते वह अपना तन उसे सौंप चुकी थी,,,, रघु उसकी आंखों में देख रहा था,,, कोमल विस्की आंखों में डबडबाई आंखों से देख रही थी,,, कोमल की आंखों में कुछ सवाल है जिनका जवाब वक्त के साथ ही मिलने वाला था लेकिन फिर भी अपने मन की बात कोमल के होठों पर आ ही गई,,,)

रघु हमें डर लग रहा है,,,


किस लिए,,,,


यही तो तुम कह रहे हो क्या समाज इस रिश्ते को स्वीकार करेगा मेरा पति जीवित है या मर गया है इस बारे में कोई नहीं जानता अगर जिंदा है फिर भी एक पति के होते हैं दूसरी शादी कैसे कर सकती हो और अगर मर गया है तो क्या यह एक विधवा के लिए मुमकिन होगा एक कुंवारे लड़के से शादी कर सके,,,,


क्यों मुमकिन नहीं है कोमल,,,, वैसे भी जिंदगी अपने हिसाब से जीनी चाहिए यह समाज के रिश्तेदार यह किसी का दुख दूर नहीं कर सकते किसी का दुख बांट नहीं सकते केवल लोग समाज का डर दिखाकर तुम्हारी जिंदगी और नर्क कर देंगे क्या समाज को पता है कि तुम इतनेबड़े घर की बहू होने के बावजूद भी कितनी दुख सह रही हो पति के प्यार से वंचित हो शरीर सुख से वंचित हो और साथ ही अपने ही ससुर की गंदी नजरों से प्रताड़ित हो चुकी हो क्या समाज ही सब जानता है,,,, नहीं जानता ना तो मैं फिर दूसरों के हिसाब से जिंदगी जीने का क्या फायदा और वैसे भी तुम्हारी उम्र,,,, ही कितनी है,,, सच कहूं तो तुम्हें मेरी बीवी होना चाहिए था जो कि मैं ये कमि अब पूरी करना चाहती हूं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूं,,,,,,


सच में रघु क्या ऐसा हो सकता है,,,,


बिल्कुल हो सकता है मेरी कोमल,,,,भगवान लगता है हम दोनों को मिलाने के लिए यह सारी लीला रचे हैं,,,,


ओहहहहह,,, रघु,,,,,(इतना कहने के साथ ही कोमल भावनाओं में बहते हुए रघु के गले लग गई और इसी के साथ ही उसकी दोनों उन्नत चुचियां रघु की छाती से जा टकराई जिसके नुकीले एहसास से रघु पूरी तरह से कामविह्वल हो गया और अगले ही पल वह अपने होठों को कोमल के लाल लाल होठों पर रखकर उसका रस चूसना शुरू कर दिया,,,, पर अपने हाथ को उसकी पेट से नीचे की तरफ लाकर उसकी ऊभरी हुई गांड पर रखकर जोर जोर से दबाने लगा,,,, कोमल भी उत्तेजित होने लगी चुदवासी होकर उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,, पजामे में रघु का खड़ा लंड सीधे साड़ी के ऊपर से ही कोमल की बुर के ऊपर दस्तक देने लगा,,,, रघु और कोमल दोनों एकांत पाकर एकदम से चुदवासे हो गए,,,, रघु जोर-जोर से कोमल की गांड को दबाते हुए साड़ी को ऊपर कमर की तरफ उठाने लगा और देखते ही देखते रहो खूब कोमल की साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसकी नंगी चित्र में गांड को अपनी हथेली में लेकर उसकी गर्माहट और नर्माहट दोनों का आनंद लेते हुए जोर जोर से दबाने लगा कोमल भी उसका साथ देते हुए अपने गुलाबी होठों को खोल कर रघु की जीभ को अपने मुंह के अंदर लेकर उसे चाटना शुरू कर दी,,,,,,, दोनों की सांसें तेज चलने लगी रघुउसके लाल-लाल होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ लाकर उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा और देखते ही देखते उसके ब्लाउज के सारे बटन को खोलकर झटके से उसका ब्लाउज एकदम से उसके बदन से अलग कर दिया कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी हो गई और उसके नंगे पन के एहसास को अपनी छातियों पर महसूस करने के लिए अपने कुर्ते को झट से उतार कर कर अपनी नंगी छाती पर कोमल की नंगी छाती को दबा कर उसकी गरमाहट को महसूस करके उत्तेजित होने लगा,,,,,,।


ओहहहह कोमल,,,, क्या मस्त जवानी है तुम्हारी,,,, कसम से जवानी का गोदाम हो,,,,,(और इतना कहने के साथ ही एक हाथ में उसकी चूची पकड़ कर दूसरी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,,)

सससहहहह आहहहहहहह,,,, रघु,,,,,,,(रघु कि ईस तरह की हरकत से कोमल के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,, रघु पूरे जोश से कोमल की कोमल चूची को मुंह में भर कर उसकी गर्माहट उसके मद भरे रस के एहसास में डूबता चला जा रहा था,,, यह पल रघु के लिए बेहद उत्तेजक था,,,, कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव इस समय रघु कर रहा था क्योंकि इस समय का माहौल कुछ और था,,,, अभी-अभी कोमल के ससुर का अंतिम संस्कार हुआ था उसकी चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि उसकी बहू कोमल अपने मन की अपने तन की प्यास को बुझाने में लगी हुई थी जिसका कारण यह भी था कि ससुर की हरकत को देखते हुए वह उससे नफरत करने लगी थी और मन ही मन में उसे ससुर मानने से इंकार करती थी वह बात अच्छी तरह से जानती थी कि ससुर को बाप का दर्जा दिया जाता है लेकिन यहां तो ससुर ही हैवान हो चुका था ऐसे में कोमल के पास कोई विकल्प नहीं बचा रहा था और उसे सांत्वना की जरूरत थी ऐसे शाथी की जरूरत थी,,,जो उसको समझ सके उसे सहारा दे सके उसकी भावनाओं की कद्र कर सके और इस समय उसकी नजर में केवल रघु ही था जो कि इस समय हर एक मोड़ पर उसके साथ खड़ा था,,,, इसलिए तो रघु के सानिध्य को पाकर वह यह भी भूल गई थी कि आज ही उसके ससुर का देहांत हुआ था और वह रघु के द्वारा जारी किए गए काम कीड़ा में तल्लीन हो गई जिस शिद्दत से रघु उसकी दोनों कोमल सूचियों से खेलता हुआ उसे मुंह में बारी-बारी से भरकर पी रहा था उतने ही प्यार से कोमल अपनी चुचियों को रघु के मुंह में डालकर पिला रही थी,,,,
कुछ देर पहले गमगीन बन चुका कमरे का माहौल अब मादकता का रस घोल रहा था रघु धीरे-धीरे कोमल की साड़ी को अपने हाथों से खोल रहा था ,,, रघु कोमल को नंगी करना चाहता था और कोमल रघु के हाथों से नंगी होना चाहती थी,,, शायद ऐसा कभी ना होता अगर कोमल को अपने पति से मर्दाना क्यों से भरा प्यार मिला होता लेकिन पुरुष के मर्दाना प्यार से वंचित रह चुकी थी इसलिए रघु को पाते ही वह सब कुछ भूल चुकी थी कोमल रघु का हौसला बढ़ाने के लिए उसके बालों में अपनी उंगली डालकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, और रघु देखते ही देखते अपने हाथों से कमर पर बनी उसकी साड़ी को खोलकर नीचे जमीन पर फेंक दिया था और पल भर में ही उसकी पेटीकोट की डोरी खींच कर उसकी पेटीकोट को उसके कदमों में गिरा दिया था रघु की बाहों में रघु की आंखों के सामने कोमल पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और नंगी होने के बाद कोमल रत्ती का रूप लग रही थी,,,,,,, शाम ढल चुकी थी अंधेरा छाने लगा था,,,, जहां गांव वाले यह बात को सोचकर परेशान और चिंतित थे कि पति और ससुर के बिना कोमल कैसे अपनी जिंदगी बिताएगी,,,, वही दूसरों के सोच के विरुद्ध कोमल अपने प्रेमी की बाहों में नंगी होकर उसे अपने हुस्न का रस पिला रही थी,,,,,

रघु के मुंह में कोमल की चूची थी और रघु का एक हाथ कोमल की दोनों टांगों के बीच उसकी कोमल कस नरम नरम मद भरी बुर के ऊपर गश्त लगा रही थी कोमल की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, वह बार-बार रघु की हरकत से गर्म होकर लंबी लंबी सांसे लेकर छोड़ रही थी और उत्तेजना के आवेश में आकर वह अपना एक हाथ,,,रघु के पजामे में डालकर उसके खड़े टनटनाते हुए लंड को अपनी हथेली में भरकर उसकी गरमाहट को महसूस करते ही पानी पानी हुई जा रही थी,,,, जिसका एहसास रघु को अपनी उंगलियों पर महसूस हो रहा था,,,
अपनी महबूबा को पानी पानी होता देख रघु से रहा नहीं गया और वह,,,, कोमल को अपनी गोद नहीं उठा लिया,,,कोमल पहले तो घबरा गई लेकिन रघु कि ताकत सेपूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी कि निश्चिंत रहो गई रघु उसे अपनी गोद में उठाये हुए ही ऊसके कमरे की तरफ जाने लगा,,,, कोमल के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,,, उसके बदन के हर एक कोने में उसी छलकती जवानी चिकोटी काटने लगी,,,, उसे इस बात का था और ज्यादा गीला कर रहा था कि,,, रघु उसे अपनी गोद मैं उठाकर उसे चोदने के उसके कमरे में ले जा रहा है।,,, रघु उसकी आंखों में देख रहा था कोमल शर्मा रही थी,,,, रघु कोमल को अपनी गोद ने उठाए उसके संपूर्ण वजूद को अपनी आंखों से देख रहा था,,।रघु और कोमल दोनों में किसी भी प्रकार की वार्तालाप हो नहीं रही थी और रघु ना तो कोई बात करना चाहता था वह नहीं चाहता था कि बात करने पर किसी बात से उसे अपने परिवार की या अपने ससुर की याद आ जाए जिससे माहौल खराब हो जाए इसलिए वह चुप रह कर अपना काम धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहा था देखते ही देखते वह कोमल को लेकर उसे कमरे में पहुंच गया और धर्म धर्म करते पर लगभग उसे उछाल कर गिरा दिया जिससे वह नरम नरम गद्दी पर गिरते ही थोड़ा सा उछल गई और रघु अपने लिए जगह बनाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया और अपना मुंह ऊसकी पिघलती हुई बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, कोमल पागल हो गई मदहोश होने लगी,,,, ऐसा लग रहा था कि मानो वह हवा में उड़ रही हो रह रहे कर वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उछाल दे रही थी,,,,,,,,

लोहा गरम हो चुका था हां थोड़ा मारने की डेरी के मौके की नजाकत को समझते हुए रघु अपने बदन पर से पजामे को भी उतार फेंका,,, कोमल के कमरे में कोमल और रघु पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गए,, रघु के खड़े लंड को देखते ही,,, एक बार फिर से कोमल की आंखों में चमक आ गई,,, उसे इस बात का अहसास हुआ कि वास्तव में उस के नसीब में इसी तरह का जवान लंड होना चाहिए था जो कि अपनी इस कमी को वह पूरा कर लेना चाहती थी,,, इसलिए वह खुद ही अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,,,, कोमल की इस खूबसूरत हरकत ने रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर को ज्यादा बढ़ावा दे दिया और वह बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाया और कमर की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में डाल देना एक बार फिर से उसकी कमर ऊपर नीचे होने लगी,,,एक बार फिर से कोमल अपनी पुर के अंदर एक मोटे तगड़े लंड को अंदर बाहर होता हुआ महसूस करने लगी,,,,,,,
यह चुदाई रात भर चलती रहे,,, सुबह बाहर दरवाजे की दस्तक को सुनकर कोमल की नींद खुली तो बिस्तर में वह अपने आप को रघु की बाहों में पाई जो कि वह पूरी तरह से मांगा था और उसका ढीला उसका लंड फिर भी खंड की तरह उसकी गोलाकार गांड से सटा हुआ था और वह खुद एकदम नंगी उसकी बाहों में थी अपनी आंखों को मिलते हुए दरवाजे की दस्तक को सुनकर वह बिस्तर पर उठ कर बैठ गई,,, लेकिन बाहर से आ रही पैसे की आवाज के साथ साथ कुछ लोगों की आवाज को सुनकर वह उस आवाज को पहचानने की कोशिश करने की वजह से उस आवाज को पहचानी वह एकदम से चौंक गई दरवाजे पर उसकी मां और बापू जी थे और वह खुद एक अनजान लड़की के साथ अपने कमरे में एकदम नंगी लेटी हुई थी एकदम से घबरा गई और रघु को जगाने लगी,,,,

अरे उठो अभी तक सोए हो जल्दी उठो,,,,

क्या हुआ,,,?(रघु भी एकदम से हडबडाते हुए उठ कर बैठ गया,,,)

अरे बाहर मेरे मां और बाबू जी आए हैं जल्दी यहां से जाओ,,,


लेकिन कैसे जाऊं दरवाजे पर तो तुम्हारे मां और बाबू जी खड़े हैं,,,,

पीछे के रास्ते से चले जाओ,,,(कुछ देर सोचने के बाद वह धीरे से बोली,,,, रघु जल्दी से बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया और अपने कपड़े समेट कर पहनने लगा साथ में कोमल भी अपनी की साड़ी उठाकर पहनने लगी जल्दी से एक बार फिर से उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होठों पर चुंबन करके वहां से चलता बना और वह थोड़ा सा मायूस होकर दरवाजा खोलने लगी दरवाजे पर अपने मां-बाबु जी को देख कर वह फूट-फूट कर रोने लगी,,,


दूसरी तरफ कजरी रात भर रघु के बिना बिस्तर पर तड़पती रही,,,भले ही वह अपने बेटे के साथ चुदाई के सुख को प्राप्त नहीं कर पाई थी लेकिन उसके साथ दो अर्थ वाली गंदी बातें करके मस्त हो जाती थी,,,,थोड़ी ही देर में रघु अपने घर पर पहुंच गया और उसे देखते ही कजरी उस पर नाराज होते हुए बोली,,,।


रात भर कहां रह गया था मुझे कितनी चिंता हो रही थी तुझे मालूम है,,,।


अरे मा इसमें चिंता करने वाली कौन सी बात है दोस्त के घर रुक गया था वह जबरदस्ती घर पर रोक लिया तो क्या करता,,,


तो क्या करता,,,,,, यहां मेरी क्या हालत हो रही थी तुझे इस बात का अंदाजा है,,,,(कजरी मुंह बनाते हुए बोली,,)


जानता हूं मां,,,, तुम परेशान हो रही थी लेकिन क्या करता है मजबूर हो गया था,,,,,,


तेरे बिना आप एक पल भी अच्छा नहीं लगता मुझे छोड़कर मत जाना ,,,(ऐसा कहते हुए वह अपने बेटे को गले लगा ली,,, रघु भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया उसकी बड़ी बड़ी चूची को अपनी छाती पर महसूस करते हुए उसके तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसके पजामे में कैद घोड़ा अपना मुंह ऊठाने लगा,,, जो कि सीधा साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर पर ठोकर मारने लगा कजरी अपने बेटे के घोड़े को अपनी बुर की जमीन पर दौड़ता हुआ महसूस करते हुए एकदम से उत्तेजित हो गई और कसके उसे अपनी बाहों में भर ली अपनी मां की उत्तेजना को महसूस करते ही रघु अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ पर से नीचे लाते हुए उसकी गांड पर रख दिया उसे जोर से दबा दिया,,,,,,, लेकिन यह मतवाला घोड़ा कजरी की बुर पर दूर तक दौड़ कर जाता है इससे पहले ही बाहर से ललिया की आवाज आ गई,,,।

अरे कजरी खेतों पर चलना नहीं है क्या,,,,
(ललिया की आवाज सुनते ही अपने मन में उसे गाली देते हुए बोली आ गई हरामजादी डायन,,, उस दिन भी सारा काम करती थी और आज भी,,,)


हां आई,,,,,,
(रघु भी मन ही मन लगी आपको ढेर सारी गाली दिया कजरी मन मसोस कर चली गई,,,, और थोड़ी देर बाद रघु भी अपनी मां का हाथ बताने के लिए खेतों की तरफ चल दिया,,)
Ab khet mei khel hoga 😆
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,353
56,732
259
Bhai wah Kya baat hai. Dhasu update. Man karta Aap likhte raho or hum padhte rahe. Ab kajri ko bhi chudwa hi do raghu se
 
Top