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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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मैं तुझ से कैसे पूछूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,शायद एक मां को एक बेटे से इस तरह की बातें और इस तरह के सवाल पूछने तो नहीं चाहिए लेकिन हम दोनों के बीच के हालात बदल चुके हैं,,,, और जिस तरह का शंका का मेरे मन में पूछ रहा है उस शंके को दूर करना भी जरूरी है,,,।


किस तरह का शंका मां मैं कुछ समझा नहीं,,,,,!(रघु आश्चर्य के साथ बोला)

यही कि मैं आज तक तेरी बाबूजी के सिवा किसी के भी सामने अपने कपड़े नहीं उतारी हुं,,,, कल रात को मैं मजबूर हो गई थी,,,, कुछ अपने हालात पर और कुछ तेरे लिए,,,,


मेरे लिए मैं कुछ समझा नहीं,,,,(रघु एक बार फिर से आश्चर्य के साथ बोला)




लाला मेरी इज्जत लूटना चाहता था और अपने आदमियों से भी लूटवाना चाहता था,, और तुझे जान से मार देना चाहता था लेकिन मैं ऐसा कैसे होने देना चाहती थी मैं उससे हाथ जोड़कर विनती करने लगी और, फिर उसने तेरे जान के बदले में मेरे साथ एक सौदा किया,,,


कैसा सोदा मां,,,,,?


यही कि अगर मैं हमेशा के लिए उसकी हो जाऊं तो वह तेरी जान को बख्श देगा,,,,


फिर तुम क्या की,,,,


मैं मजबूर हो गई मैं भला अपने जीते जी अपने बेटे को मरता हुआ कैसे देख सकती थी इसलिए मुझे उसकी बात माननी पड़ी अपने सीने पर पत्थर रखकर उसके इस पौधे को मंजूर करना पड़ा,,,,


क्या मैं तुम्हें मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं,,,


तुझ पर तो मुझे बहुत भरोसा है लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि तू मेरे भरोसे से कहीं ज्यादा ताकतवर है,,,(अपनी मां की इस बात पर रघु मुस्कुराने लगा,,,) और इसीलिए आज तक मैंने किसी के सामने कपड़े नहीं जा रही थी लेकिन लाला की बात मानते हुए मुझे उसके सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होना पड़ा,,,.(कजरी जानबूझकर अपने बेटे के सामने इन सब बातों की चर्चा कर रही थी और बार-बार अपने नंगे पन का अपनी बातों से बोलकर प्रदर्शन कर रही थी ताकि उसका बेटा उत्तेजित हो सके,,,,इन सब बातों की चर्चा करना जरूरी नहीं था लेकिन फिर भी कजरी इस तरह की बातें कर रही थी क्योंकि वास्तव में रघु पर इसका आंसर होगी रहा था अपनी मां के मुंह से बार-बार अपने लिए नंगी शब्द सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ जा रही थी,,,। अपनी मां की बात सुनकर रघु बोला,,,)


मां तुम्हें जरा सा भी शर्म नहीं आ रहा था लाला के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी होने में,,,


मुझे बहुत शर्म आ रही थी मैं तो भगवान से मना रही थी कि मौत आ जाए लेकिन मैं मजबूर थी सिर्फ तेरे खातिर लाला के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,,,


मां तुम जब लाला के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हुई तो लाला को कैसा लग रहा था,,,।


लाला,,,,,, लाला तो पागल हुआ जा रहा था साथ में उसके तीनों आदमी गंदी नजरों से मुझे देख रहे थे,,,,।


क्या लाला के तीनों आदमी भी वहीं थे,,,,।


हां तो क्या लाला की तीनों आदमी वही थे और मुझे इस तरह से देख रहे थे जैसे मुझे कच्चा खा जाएंगे और हां मुझे लाला के पास सही सलामत पहुंचाना था वरना वह तीनों तो रास्ते में ही मुझे चोदने का मन बना लिए थे,,,,(कजरी चोदने शब्द पर कुछ ज्यादा ही भाव देते हुए बोली जिसका असर रघु पर बहुत ही भारी पड़ रहा था वह अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातों को पहली बार सुन रहा था और अपनी मां के मुंह से इस तरह के गंदे शब्दों को सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर कुछ ज्यादा ही उठने लगी थी,,,)


तुम्हें कैसे मालूम मां,,,,?



क्योंकि वह तीनों रास्ते पर मुझे परेशान करते आए,,, जो मुझे कंधे पर उठाए लिए जा रहा था वह बार-बार मेरी गांड को अपने हाथों में पकड़ कर दबा दे रहा था बार-बार उस पर चपत लगा रहा था,,,, और तो और वह तीनों इतने ज्यादा गरम हो गए थे कि तीनों आपस में बात करने लगे कि लाला के पास ले जाने से पहले क्यों ना वह तीनों ही उसकी चुदाई कर दें,,,,



फिर क्या हुआ,,,,?



फिर क्या तीनों तैयार भी हो चुके थे,,,,, लेकिन तीनों की बातें सुनकर मैं घबरा गई एक साथ तीन-तीन सोच कर ही मेरा बदन कांपने लगा,,,, और मैं लाला को सब कुछ बता देने के लिए बोली तो मैं तीनों घबरा गए,,,, तब जाकर मुझे लाला के पास सही सलामत पहुंचाएं लेकिन फिर भी वह तीनों को इस बात की तसल्ली थी कि लाला के बाद उन तीनों का भी नंबर लगेगा सच में रखो अगर तू ना होता तो ना जाने क्या हो जाता,,,,।


कुछ नहीं होता मैं हूं ना,,,,



तू है तभी तो मुझे कोई फिक्र नहीं होती और आज सही सलामत घर पर हूं,,,,


लेकिन मां लाला बहुत गंदा है यह बात तो मैं जानता था लेकिन उसकी गंदी नजर तुम पर आकर ठहर जाएगी यह नहीं जानता था,,,,



तुम लोग शायद यह बात नहीं जानते लेकिन लाला की नजर मुझ पर बहुत पहले से ही थी वह बहुत पहले ही मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर चुका था लेकिन मैं उसके आगे झुकी नहीं और शालू की शादी को लेकर वह बदला लेना चाहता था इसलिए तो अपनी मनमानी करने के लिए मुझे उठवा लिया और उसके पास मौका भी था,,,,


लेकिन मां काफी समय से तुम उसके पास थी लेकिन ईतनी देर में वह तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं कर पाया,,,,।


हां जो तू कह रहा है वह बिल्कुल ठीक है लेकिन वह बहुत इत्मीनान से था उसे लग रहा था कि रात भर में उसके पास रहूंगी उसे क्या मालूम था कि तो उसका काल बनकर वहां पहुंच जाएगा इसलिए वह मेरे साथ संबंध नहीं बना पाया,,,,



लेकिन एक बात है ना तुमको नंगी देख कर लाना पागल हो गया होगा इतना तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं,,,,


ऐसा क्यों,,,,? (कजरी अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली)


क्योंकि तुम गांव भर में सबसे ज्यादा खूबसूरत हो,,,


चल झूठी तारीफ करने को,,,,


नहीं मां मैं सच कह रहा हूं तुम बहुत खूबसूरत हो तभी तो लाला तुम्हारे पीछे पड़ा हुआ था,,,,,(रघु की बातें कजरी को बहुत अच्छी लग रही थी और वैसे भी कौन सी औरत होगी जो अपनी खूबसूरती की तारीफ नहीं सुनना चाहेगी और वह भी यहां तो अपने ही बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर कजरी मानो हवा में उड़ रही हो,,,)


हां यह तो है पीछे तो वह बहुत समय से पडा हुआ ही था,,,,(कटोरी कौवा खटिया के नीचे रखते हुए बोली)


अच्छा हुआ पहले वह कुछ कर नहीं पाया वरना शायद वह रोज तुम्हारे साथ वही करता,,,,।


हां तु सच कह रहा है,,, लाला बहुत नीच इंसान है,,,,। उसके तीनों आदमी भी मुझे पाने की आस में कमरे के बाहर इंतजार करते हुए बैठे थे लेकिन मुझे अपनी बाहों में भरने से पहले मौत को गले लगा लिए,,,,।


तुम्हें कोई हाथ लगाए और वह जिंदा रह पाए ऐसा कैसे हो सकता है मां,,,,



तू बहुत बहादुर है बेटा,,,,,


अच्छा एक बात बताओ मा पूछना तो नहीं चाहिए लेकिन फिर भी पूछ रहा हूं,,,,


क्या,,,,?


यही कि लाला तुमको जब मांगी देख रहा था तो तुम्हारे कौन से अंग पर उसकी निगाह ठहरी हुई थी,,,,,,,(रघु एकदम संकुचाते हुए बोला,,,)


पागल हो गया है क्या ऐसा कोई पूछता है,,,,

अब इसमें क्या हुआ मां,,,,


अरे मैं तेरी मां हूं और इस तरह का सवाल कोई अपनी मां से पूछता है,,,,



नहीं नहीं कभी नहीं मैं भी नहीं पूछता नहीं इस सवाल के पीछे सबसे बड़ा कारण है तुम्हारी खूबसूरती इसके लिए पूछ रहा हूं,,,,, क्योंकि दुनिया खूबसूरती के पीछे ही भागती है। अगर तुम खूबसूरत ना होती तो यह सब झमेला ही ना होता,,,,।


तो तुझको मेरी खूबसूरती अच्छी नहीं लग रही है यही कहना चाहता है ना तू,,,,



मुझे तो तुम पर नाज है कि तुम इतनी खूबसूरत हो,,,, इसलिए तो यह सवाल पूछ रहा हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारा खूबसूरत बदन का हर एक कोना बेहद खूबसूरत है,,,इसलिए तो पूछ रहा हूं कि लाला की नजर तुम्हारे बदन के कौन से हिस्से पर सबसे ज्यादा घूम रही थी,,,,।
(अपने बेटे के इस तरह के सवाल पर कजरी कुछ देर तक सोचने लगी और फिर बोली)


हमममम,,, इस पर ,,(अपनी आंखों से ही अपनी चुचियों पर इशारा करते हुए.... यह देख कर रघु मुस्कुराने लगा और हंसते हुए बोला,,,)


मैं भी यही सोच ही रहा था,,,,


लेकिन तू ऐसा क्यों सोच रहा था,,,,,,,, और हां मैं तुझसे जो पूछना चाहती थी वह तो मैं भूल ही गई,,,,


क्या पूछना चाहती थी,,,,?



यही कि तू मुझे एकदम नंगी देख चुका है मेरे नंगे बदन को देख चुका है तो जाहिर है कि मेरी हर एक अंग को तु देखा भी होगा,,,(इतना सुनते ही रघु शर्मा कर मुस्कुराने लगा) मुस्कुरा मत मेरे को सब पता है,,, तभी तो तू अंदाजा लगा लिया कि लाला,,,मेरी इसको ही देख रहा होगा,,,( एक बार फिर से आंखों से ही अपनी दोनों चूचियों की तरफ इशारा करते हुए),,,, क्यों सही कह रही हुं ना,,,,



अब मैं क्या कहूं,,,,


वही जो मैं पूछ रही हूं,,,,


अब यह पूछ कर तुम मुझे शर्मिंदा कर रही हो अगर जानना चाहती हो तो मैं बताता हूं मैं तुम्हें वहां से उठाकर अपनी गोद में यहां घर तक लेकर आएगा और अपने हाथों से तूने कपड़े भी पहनाया ,,, तो जाहिर सी बात है कि मैं तुम्हें तुम्हारी नंगे पन को अपनी आंखों से देख भी रहा था लेकिन मेरा इरादा कुछ ऐसा नहीं था लेकिन क्या करता जब आंखों के सामने इतनी खूबसूरत चीज हो तो भला देखे बिना कोई कैसे रह सकता है,,,,।


अच्छा इतनी खूबसूरत,,,(कजरी मुस्कुराते हुए अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,,)


तो क्या,,,,शायद तुम नहीं जानती मा कि तुम पूरे गांव में पूरे गांव में कया गांव के अगल बगल के जितने भी गांव हैं उन्हें सारी औरतों में सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत तुम्हीं लगती हो,,,,,,क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम सबसे ज्यादा खूबसूरत हो अपना बदन देखकर अपनी खूबसूरती देखकर दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी तुम्हारे बदन में जरा भी ढीलापन नही है,,,(ढीलेपन वाली बात रघु अपनी मां की सूचियों की तरफ देखते हुए बोला था जो कि इस समय ब्लाउज के अंदर कैद थी और अपने बेटे की इस बात को और उसकी आंखों कह इशारे को वाची तरह से समझ गई थी और अपने बेटे की इस बात से वह अंदर ही अंदर शर्मा गई थी और अपने बदन पर गर्व भी करने लगी थी,, अपने बेटे के इस बात पर कजरी कुछ बोली नहीं बस शर्मा गई,,,)

चल छोड़ सब बात को,,,, देखा तो देखा मैं इसके लिए कुछ नहीं कह रही हूं लेकिन क्या तूने छुआ तो नहीं ना,,,


अरे कैसी बात कर रही हो मैं तुम्हें वहां से हाथों को उठाकर लेकर आया हूं और बोल रही हो छुआ कि नहीं,,,,


अरे मेरा मतलब उससे नहीं है,,, मैं यह कह रही हूं कि,,, तो मुझे नंगी देखकर कहीं अपना काबू खो दिया और,,, और उत्तेजित होकर कहीं मेरी ये,,,(आंखों से अपनी चुचियों की तरफ इशारा करते हुए) और मेरी ये,,,(अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर अपनी आंखों का इशारा अपनी दोनों टांगों के बीच करते हुए) छुआ तो नहीं,,,,
(इतना कहते हुए कजरी एकदम से उत्तेजित हो गई थी और यही हाल रघु का भी था चुचियों की तरफ तो ठीक जैसे ही उसकी मां अपनी आंखों का इशारा अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर की तरफ़ की रघु का लंड एकदम से फुंफकारने लगा,,,,, धीरे-धीरे दोनों एकदम खुलते चले जा रहे थे रघु को समझते देर नहीं लगी थी कि उसकी मां चुदवासी हुए जा रही है,,, लाला से तो चुदवाने में एतराज था लेकिन उसका लंड लेने के लिए व्याकुल हुए जा रही है रघु मन ही मन में यही बात सोचने लगा था,,,,,, अपनी मां की यह बात सुनकर वह बोला,,)

केसी बात कर रही हो मां,,,,,, नंगी थी इसलिए नजर तो हटा नहीं सकता था इसलिए तुम्हारा सब कुछ (सूचियों की तरफ से आंखों को नीचे की तरफ दोनों टांगों के बीच लाकर रोकते हुए) देख ही लिया हूं लेकिन छुआ नहीं हु लेकिन हां दुल्हन ब्लाउज पहनाते समयबटन बंद करते वक्त तुम्हारी सूचियों को पकड़कर मुझे अंदर करना पड़ा था बस इतना ही किया था बाकी मैंने तुम्हारी बुर को देखा जरूर लेकिन उसे हाथ नहीं लगाया,,,,(रघु जानबूझकर एकदम खुले शब्दों में और अपनी मां की बुर का जिक्र साफ शब्दों में कर रहा था अपनी बेटे के मुंह से अपनी बुर के बारे में सुनते ही कजरी पेटीकोट के अंदर पानी पानी होने लगीऔर अपनी मां के सामने पुर शब्द का प्रयोग करते हुए रघु की हालत खराब हो रही थी पजामे में उसका लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था,,,,,अपने बेटे की बात सुनकर कचरी एकदम गरम हो गई थी और कर्म आहें भरते हुए एक लंबी सांस खींची और बोली,,,।)


चल अच्छा हुआ तू उसे हाथ नहीं लगाया करना शायद तुझसे अपने आप पर काबू कर पाना मुश्किल हो जाता,,(कजरी एकदम मादक अदा बिखेरते हुए बोली,,,, रघु अपनी मां के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था,,,, वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था अपनी मां की बात सुनकर वह बोला,,,,)


नहीं,,,, इतना भी कमजोर नहीं हूं कि तुम्हारी बुर को हाथ लगाते ही मैं अपने आप पर काबू ना रख पाऊं,,,,,


तुझे ऐसा लगता है बेटा अच्छे-अच्छे फिसल जाते हैं,,, तभी तो लाला बहककर इतना बड़ा कदम उठा लिया था,,,,,,


लेकिन मैं उनमें से नहीं हूं बहकना होता तो,,,, रात को ही बहक गया होता,,,(इतना कहते हुए रघु अपने पहचाने पर हाथ रखकर अपने खड़े लंड को दुरुस्त करने में लग गया और यह हरकत रघु बार-बार कर रहा था,,, पर अपने बेटे की हरकत देखकर कजरी समझ गई थी कि उसकी बातों से वह उत्तेजित हो जा रहा है और उसका लंड खड़ा हो रहा है भले ही वह लाख ना फिसलने की बात करें लेकिन कजरी अच्छी तरह से जानती थी कि अच्छे-अच्छे ऋषि मुनि विजय औरतों के अंगों को देखकर फिसल जाते हैं तो उसका बेटा क्या चीज है कजरी जानती थी कि उसका बेटा झूठ कह रहा हैलेकिन उसे हैरानी से बात की थी कि उसे संपूर्ण रूप से नंगी अपनी गोद में उठाकर घर तक लाने के बावजूद भी वह बहका कैसे नहीं वह चाहता तो उसके साथ कुछ भी कर सकता था और लाला का नाम दे सकता था,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,)


चल बड़ा आया ऋषि मुनि,,,, देखा तो सही ना,,,,


हां देखा जरूर,,,, पेटिकोट पहनाते समय सच कहूं तो आज मैं पहली बार बुर देखा हूं वरना मुझे तो उसके आकार के बारे में कुछ पता ही नहीं था,,,,,,,
(अपने बेटे की यह बात सुनकर कजरी मन ही मन में बोली चल झूठा पहली बार देख रहा है,,,, और अपनी बहन को चोद रहा था वह किस में डाल रहा था,,,, साला बहन चोद कजरी यह गाली अपने मन में जानबूझकर अपने बेटे को दी थी क्योंकि वह जानती थी कि सालु की चुदाई व करता हैऔर अपनी बहन को चोदने की वजह से ही कजरी अपने मन में उसे बहन चोद की गाली दे रही थी,,,,, कजरी अपने मन में यह भी बोल रही थी कि काश तू मादरचोद बन जाता तो कितना मजा आता,,,)

कैसा लगा तुझे उसका आकार,,,,


बहुत ही खूबसूरत दोनों टांगों के बीच नजर पड़ते ही में एकदम भौचक्का हो गया पता ही नहीं चल रहा था सिर्फ एक पतली दरार नजर आ रही थी,,,, मैं तो बस देखता ही रह गया,,,,


मैं बोली थी ना वह चीज ही ऐसी है कि अच्छे-अच्छे फिसल जाती है तो अगर उसे छू लिया होता तो पागल हो जाता,,,।

नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं,,, है।


ऐसा ही है बेटा,,,


कहो तो अभी छू कर दिखाओ,,,


धत्,,,, कितने हरामि हो गया है तू,,,


तुम खुद कह रही हो तो क्या करूं,,,, वैसे माजितनी भी औरतों को देखा हूं इनमें से सबसे ज्यादा खूबसूरत और कसी हुई चूची तुम्हारी है,,,,
(अपने बेटे की इस बात पर कजरी उसे तिरछी नजरों से देखने लगी) सच कह रहा हूं,,,,


कितनी औरतों की देख चुका है तू,,,,


अरे बिना कपड़ों की नहीं,,,, बस आते जाते उस पर नजर पड़ी ही जाती है,,, अब देखो ना अपनी ललिया चाची की उनकी चुची तुमसे छोटी और कसी हुई नहीं है,,,।


तुझे यह सब कैसे पता चला,,,,


अरे ब्लाउज को देख कर ही पता चल जाता है,,,,
अब देखो ना तुम्हारा ब्लाउज आगे से कितना उठा हुआ होता है और एकदम कड़क लगता है पता चल जाता है कि ब्लाउज के अंदर की चूचियां कितनी जानदार और शानदार है,,,


बाप रे कितना हरामि हो गया है तु एकदम शैतान हो गया है,,,(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी की हालत खराब होती जा रही थी उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी वह अपने आप को एकदम चुदवासई महसूस कर रही थी उसका मन कर रहा था कि रघु के ऊपर अभी चढ़ जाए और उसके लंड को अपनी बुर में डालकर अपनी प्यास बुझा ले,,, लेकिन ऐसे नहीं कजरी भी शायद धीरे धीरे बढना चाहती थी,,,।उसे इतना तो यकीन था कि उसका बेटा है कि उसकी दोनों टांगों के बीच जरूर आएगा क्योंकि जो अपनी बड़ी बहन को चोद सकता है तो मां को चोदने में क्या हर्ज है और वैसे भी जिस तरह की दोनों बातें कर रहे थे उससे यही लग रहा था कि जल्द ही कजरी की बुर नुमा जमीन पर सावन की फुहारे पडने वाली है,,,,,, बाहर चिड़ियों की आवाज सुनाई दे रही थी सुबह हो चुकी थी लोग अपने अपने खेतों की ओर जा रहे थे सुबह-सुबह दोनों मां-बेटे इस तरह की गंदी और कामोत्तेजना से भरपूर बातें करके एकदम से चुदवासे हो चुके थे,,,, रघु का लंड लोहे के रोड की तरह खड़ा हो चुका था,,। वह इसी समय अपनी मां को चोदने की फिराक में था क्योंकि वह पूरी तरह से गर्म हो चुका था और वह जानता था कि उसकी मां भी गरम हो चुकी है अगर वह अपनी मां की चुदाई करेगा तो उसकी मां को बिल्कुल भी ऐतराज नहीं होगा क्योंकि वो खुद यही चाह रही थी वरना इस तरह की बातें कभी नहीं करती और वैसे भी दोनों को खुला मौका जो मिल चुका था क्योंकि इस समय घर पर उन दोनों किसी का तीसरा कोई नहीं था शालू की शादी हो चुकी थी वहां अपने ससुराल जा चुकी थी इसलिए दोनों इत्मीनान थे,,,,,, और माहौल भी उसी तरह का बनता चला जा रहा था रघु बार-बार अपनी मां को दिखाते हुए अपने के जाने के ऊपर से लंड को दबा रहा था और कजरी अपने बेटे की इस हरकत को देखकर पानी-पानी हो जा रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि पजामे में उसके बेटे का लंड खड़ा हो चुका है और उसकी बुर में आने के लिए उतावला हो रहा है,,,, अपने बेटे को कजरी बहकाने के उद्देश्य से बोली,,,।)


सच कहना रघु तू मेरी उसको छूकर बहक नहीं जाएगा,,,


बिल्कुल भी नहीं मुझे अपने आप पर भरोसा है,,,
(कजरी अच्छी तरह से जानती थी कि अगर ऐसा कुछ भी हुआ तो उसका बेटा वही करेगा जो अपनी बड़ी बहन के साथ किया था और इसके लिए कजरी अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी,,,।)


नहीं नहीं तो बिल्कुल भी अपने आप पर काबू नहीं कर पाएगा मैं अच्छी तरह से जानती हूं तु बहक जाएगा,,,,


नहीं बहकुंगा अगर विश्वास नहीं है तो आजमा लो,,,,(रघु की हालत खराब होती जा रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसकी मां बात कर रही थी उसे लगने लगा था की अपनी मां को चोदने का मौका उसे आज मिलने वाला है,,,,साथ ही कजरी की भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसकी सांसे भारी हो चली थी वाह लड़खड़ाते हुए शब्दों में बोली,,)


तुझे आजमाना ही पड़ेगा मैं भी देखना चाहती हूं कि तुझसे कितना काबू हो सकता है,,,(और इतना कहने के साथ ही कजरी वापस खटिए पर पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़कर अपने पेटिकोट को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को उठाकर अपनी पेटीकोट को उठा नहीं जा रही थी कि तभी अचानक बाहर से आवाज आई,,,,।


अरे सुनती हो कजरी,,,,(कजरी एकदम से चौंक गई और तुरंत अपनी पेटीकोट को सही करके अपने ऊपर चादर डाल दी वह जान गई की ललिया आई है,,,, और ललिया तुरंत कमरे में आते हुए बोली,,,

अरे गजब हो गया कजरी,,,,
(ललिया कुछ देख पाती इससे पहले ही कजरी अपने कपड़ों को दुरुस्त कर चुकी थी और खटिए पर आराम से लेट गई थी)

अरे इतना हांफ क्यों रही है बताएगी भी क्या हुआ,,,? (कजरी को अंदेशा हो चुका था कि रात वाली बात गांव वालों को पता लग गई है उसे डर इस बात का था कि कहीं उसका या उसके बेटे का जिक्र ना आ जाए)

अरे नहर के किनारे लाला और उसके आदमियों की लाश मिली है,,,


अरे क्या कह रही है ललिया,,,,,,


एकदम सच कह रही हूं कजरी सारे गांव वाले उधर ही गए हैं,,,


चाची मुझे तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है यह कैसे हो गया,,,,, तुम भी वही जा रही हो क्या,,,(रघु सब कुछ जान कर भी अंजान बनते हुए बोला)

हा में भी वही जा रही हुं,,,,


रुको मैं भी चलता हूं,,,,,(इतना कहकर वह खड़ा हो गया,,,)

मां हम दोनों वहीं जा रहे हैं,,, तुम घर की थोड़ी सफाई करके वहीं आ जाना,,,,(इतना कहकर रघु ललिया को साथ लेकर घर से बाहर निकल गया और कजरी वही खटिए पर लेटी हुई भगवान से प्रार्थना करने लगी कि उसके परिवार का बिल्कुल भी जिक्र ना हो रात को जो कुछ भी हुआ है उसके बारे में किसी को पता ना चले,,,, और इसके बाद में खटिया पर से खड़ी हुई औरत अपनी साड़ी पहनकर वह भी नहर की तरफ जाने लगी,,,।)
Mast erotic update Bhai
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Great update with Awesome writing skills bhai aaj bhi adhura rahh gaya Yar
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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नहर के किनारे हड़कंप मचा हुआ था,,,, लाला और उसके तीनों साथी की लाश कीचड़ में सनी हुई थी,,, गांव वाले यह मंजर देख कर हैरान हो गए थे उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि लाना जैसे शैतान का भी यह हाल हो सकता है,,,, पूरा गांव इकट्ठा हो चुका था रघु भी दूसरों की तरह आश्चर्य जता रहा था,,,, जमीदार की बीवी भी वहां पहुंच चुकी थी और साथ ही अपने ससुर की मौत की खबर सुनते ही कोमल भी वहां पहुंच चुकी थी कोमल अपने ससुर की लाश देख कर हैरान हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रोए यहां से जिंदगी में उसने पहले कभी इस तरह का डरावना दृशय नहीं देखी थी,,,, पास में ही रघु खड़ा था,,, रघु की तरफ देखते ही उसे सारा मामला समझ में आ गया था वह समझ गई थी कि इन चारों की इस तरह की हरकत करने वाला रघु ही है लेकिन उसे भी आश्चर्य था कि रघु जैसा लड़का इतनी हिम्मत कैसे रख सकता है,,,। रघु और कोमल दोनों की नजरें आपस में मिली,,, आंखों ही आंखों में दोनों ने अपने मतलब की बात कर ली,,,, जमीदार की बीवी लाला की हालत देखकर परेशान हो गई थी गांव वालों से पूछने लगी कि यह किसने किया किसकी इतनी हिम्मत हो गई,,,, लाला रिश्ते से उसका समधी जो था,,, आखिरकार किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंच पाना गांव वालों के लिए बड़ा ही मुश्किल काम था,,,,,,,फिर भी इसी नतीजे पर निकलेगी या किसी रंजिश की वजह से किसी ने लाला की यह हालत कर दी,,,, गांव की औरतें लाला की मौत पर खुश नजर आ रही थी क्योंकि वो लोग अच्छी तरह से जानती थी कि लाला अपने आदमियों के सहारे,,, और मेरी मजबूरी का फायदा उठाकर उनके साथ मनमानी करता था,,,, कजरी भी वहां पहुंच चुकी थी अपनी आंखों के सामने अपने बेटे के किए गए कारनामे को देखकर वह मन ही मन अपने बेटे पर फक्र महसूस कर रही थी और इस बात से उसे राहत महसूस हुई थी कि लाल और उसके साथियों की हत्या में उसके बेटे का कहीं भी जिक्र नहीं हो रहा था,,,,, थोड़ी देर बाद भीड छंटने लगी,,,,,,, जैसे-जैसे लाला की मौत की खबर मिलते जा रही थी वैसे वैसे उसके रिश्तेदार इकट्ठा होते जा रहे थे और लाला के साथ साथ उसके 3 साथी के भी रिस्तेदार इकट्ठा हो चुके थे चारों का अग्नि संस्कार किया गया सारी विधि में रघु भी शामिल था और किसी को कानों कान रघु के कारनामे के बारे में भनक तक नहीं लगी,,,,,,

शाम ढलने के बाद सांत्वना देने के लिए रघु कोमल के घर पहुंच गया जहां कुछ देर पहले ही गांव की औरतें कोमल को समझा-बुझाकर वापस अपने घर लौट चुकी थी रघु को देखते ही वह रघु के गले लग कर रोने लगी,,,, उसे चुप कराते हुए रघु बोला,,,।


अपने आप को संभालो कोमल,,,,,,इस तरह से रोती रहोगी तो कैसे चलेगा तुम्हारी भी तबीयत खराब हो जाएगी मैं नहीं चाहता कि तुम्हें किसी भी तरह से तकलीफ पहुंचे तुम रोते हुए मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,,,,

तो हम क्या करें रघु,,,हमें तो यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि अपने ससुर की मौत पर खुश हो या दुखी,,,,


दुखी होने की जरूरत,,,नहीं है कोमल इस तरह से रो कर जिंदगी गुजारने का कोई मतलब नहीं है और वैसे भी अपने ससुर से छुटकारा पाकर तुम्हें तो राहत की सांस लेनी चाहिए थी क्योंकि वह तुम्हारा ससुर नहीं का हैवान था जो तुम्हारी इच्छा से खेलना चाहता था तुम्हें किसी भी वक्त लूट सकता था,,, और यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो एक तरह से मैंने उसे मार कर तुम्हें छुटकारा दिलाया है एक राक्षस के हाथों से तुम्हें बचाया है,,,


लेकिन हम तो इस समय एकदम अकेले पड़ गए एक तो हमारा पति जोकि ना जाने कहां भटक रहा है,,, और ससुर के मरने की खबर सुनकर हमें तो समझ में नहीं आ रहा है,,, सच कहूं तो रघु हमें तो डर लग रहा है,,,,अपने ससुर की मौत ने एक तरह से मेरा भी हाथ है मुझे डर लगता है कि कहीं वह भूत बनकर,,,,,
(इतना सुनते ही रघु जोर जोर से हंसने लगा,,, और हंसते हुए बोला,,,)

अच्छा तो तुम्हारे डरने की वजह यह है,,,,(इतना कहने के साथ ही रखो अपनी बाहों में से कोमल को अलग करते हुए उसके दोनों कंधों को पकड़कर उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला ,,,,)


अरे पागल भूत और कुछ नहीं होता मैं हूं ना,,,,,,


कब तक रहोगे रघु,,,,


जब तक मेरी धड़कन चलेगी तब तक मैं तुम्हारे साथ रहूंगा,,,,


किस रिश्ते से मेरे साथ रहोगे रघु एक ना एक दिन सारे गांव वालों को पता चल जाएगा उस समय मेरी कितनी बदनामी होगी यह बात का अंदाजा लगाए हो कभी,,,


पति के रिश्ते से,,,,
(रघु के मुंह से इतना सुनते ही कोमल आश्चर्य से रघु की आंखों में देखने लगी क्योंकि वास्तव में उसकी आंखों में ऊसे अपने लिए प्यार नजर आ रहा था,,। कोमल की आंखों में आंसू आ गए,,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें,,,,,, रघु की बातें सुनकर वो पूरी तरह से भावनाओं में बहती चली जा रही थी,,, उसके लिए यह पल बेहद हसीन और अनमोल था क्योंकि इस तरह से उसी से किसी ने भी नहीं कहा था रघु की तरह को पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी किसी छोटी-छोटी मदद वह करता रहता था और उसके प्रति आकर्षण के चलते वह अपना तन उसे सौंप चुकी थी,,,, रघु उसकी आंखों में देख रहा था,,, कोमल विस्की आंखों में डबडबाई आंखों से देख रही थी,,, कोमल की आंखों में कुछ सवाल है जिनका जवाब वक्त के साथ ही मिलने वाला था लेकिन फिर भी अपने मन की बात कोमल के होठों पर आ ही गई,,,)

रघु हमें डर लग रहा है,,,


किस लिए,,,,


यही तो तुम कह रहे हो क्या समाज इस रिश्ते को स्वीकार करेगा मेरा पति जीवित है या मर गया है इस बारे में कोई नहीं जानता अगर जिंदा है फिर भी एक पति के होते हैं दूसरी शादी कैसे कर सकती हो और अगर मर गया है तो क्या यह एक विधवा के लिए मुमकिन होगा एक कुंवारे लड़के से शादी कर सके,,,,


क्यों मुमकिन नहीं है कोमल,,,, वैसे भी जिंदगी अपने हिसाब से जीनी चाहिए यह समाज के रिश्तेदार यह किसी का दुख दूर नहीं कर सकते किसी का दुख बांट नहीं सकते केवल लोग समाज का डर दिखाकर तुम्हारी जिंदगी और नर्क कर देंगे क्या समाज को पता है कि तुम इतनेबड़े घर की बहू होने के बावजूद भी कितनी दुख सह रही हो पति के प्यार से वंचित हो शरीर सुख से वंचित हो और साथ ही अपने ही ससुर की गंदी नजरों से प्रताड़ित हो चुकी हो क्या समाज ही सब जानता है,,,, नहीं जानता ना तो मैं फिर दूसरों के हिसाब से जिंदगी जीने का क्या फायदा और वैसे भी तुम्हारी उम्र,,,, ही कितनी है,,, सच कहूं तो तुम्हें मेरी बीवी होना चाहिए था जो कि मैं ये कमि अब पूरी करना चाहती हूं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूं,,,,,,


सच में रघु क्या ऐसा हो सकता है,,,,


बिल्कुल हो सकता है मेरी कोमल,,,,भगवान लगता है हम दोनों को मिलाने के लिए यह सारी लीला रचे हैं,,,,


ओहहहहह,,, रघु,,,,,(इतना कहने के साथ ही कोमल भावनाओं में बहते हुए रघु के गले लग गई और इसी के साथ ही उसकी दोनों उन्नत चुचियां रघु की छाती से जा टकराई जिसके नुकीले एहसास से रघु पूरी तरह से कामविह्वल हो गया और अगले ही पल वह अपने होठों को कोमल के लाल लाल होठों पर रखकर उसका रस चूसना शुरू कर दिया,,,, पर अपने हाथ को उसकी पेट से नीचे की तरफ लाकर उसकी ऊभरी हुई गांड पर रखकर जोर जोर से दबाने लगा,,,, कोमल भी उत्तेजित होने लगी चुदवासी होकर उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,, पजामे में रघु का खड़ा लंड सीधे साड़ी के ऊपर से ही कोमल की बुर के ऊपर दस्तक देने लगा,,,, रघु और कोमल दोनों एकांत पाकर एकदम से चुदवासे हो गए,,,, रघु जोर-जोर से कोमल की गांड को दबाते हुए साड़ी को ऊपर कमर की तरफ उठाने लगा और देखते ही देखते रहो खूब कोमल की साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसकी नंगी चित्र में गांड को अपनी हथेली में लेकर उसकी गर्माहट और नर्माहट दोनों का आनंद लेते हुए जोर जोर से दबाने लगा कोमल भी उसका साथ देते हुए अपने गुलाबी होठों को खोल कर रघु की जीभ को अपने मुंह के अंदर लेकर उसे चाटना शुरू कर दी,,,,,,, दोनों की सांसें तेज चलने लगी रघुउसके लाल-लाल होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ लाकर उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा और देखते ही देखते उसके ब्लाउज के सारे बटन को खोलकर झटके से उसका ब्लाउज एकदम से उसके बदन से अलग कर दिया कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी हो गई और उसके नंगे पन के एहसास को अपनी छातियों पर महसूस करने के लिए अपने कुर्ते को झट से उतार कर कर अपनी नंगी छाती पर कोमल की नंगी छाती को दबा कर उसकी गरमाहट को महसूस करके उत्तेजित होने लगा,,,,,,।


ओहहहह कोमल,,,, क्या मस्त जवानी है तुम्हारी,,,, कसम से जवानी का गोदाम हो,,,,,(और इतना कहने के साथ ही एक हाथ में उसकी चूची पकड़ कर दूसरी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,,)

सससहहहह आहहहहहहह,,,, रघु,,,,,,,(रघु कि ईस तरह की हरकत से कोमल के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,, रघु पूरे जोश से कोमल की कोमल चूची को मुंह में भर कर उसकी गर्माहट उसके मद भरे रस के एहसास में डूबता चला जा रहा था,,, यह पल रघु के लिए बेहद उत्तेजक था,,,, कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव इस समय रघु कर रहा था क्योंकि इस समय का माहौल कुछ और था,,,, अभी-अभी कोमल के ससुर का अंतिम संस्कार हुआ था उसकी चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि उसकी बहू कोमल अपने मन की अपने तन की प्यास को बुझाने में लगी हुई थी जिसका कारण यह भी था कि ससुर की हरकत को देखते हुए वह उससे नफरत करने लगी थी और मन ही मन में उसे ससुर मानने से इंकार करती थी वह बात अच्छी तरह से जानती थी कि ससुर को बाप का दर्जा दिया जाता है लेकिन यहां तो ससुर ही हैवान हो चुका था ऐसे में कोमल के पास कोई विकल्प नहीं बचा रहा था और उसे सांत्वना की जरूरत थी ऐसे शाथी की जरूरत थी,,,जो उसको समझ सके उसे सहारा दे सके उसकी भावनाओं की कद्र कर सके और इस समय उसकी नजर में केवल रघु ही था जो कि इस समय हर एक मोड़ पर उसके साथ खड़ा था,,,, इसलिए तो रघु के सानिध्य को पाकर वह यह भी भूल गई थी कि आज ही उसके ससुर का देहांत हुआ था और वह रघु के द्वारा जारी किए गए काम कीड़ा में तल्लीन हो गई जिस शिद्दत से रघु उसकी दोनों कोमल सूचियों से खेलता हुआ उसे मुंह में बारी-बारी से भरकर पी रहा था उतने ही प्यार से कोमल अपनी चुचियों को रघु के मुंह में डालकर पिला रही थी,,,,
कुछ देर पहले गमगीन बन चुका कमरे का माहौल अब मादकता का रस घोल रहा था रघु धीरे-धीरे कोमल की साड़ी को अपने हाथों से खोल रहा था ,,, रघु कोमल को नंगी करना चाहता था और कोमल रघु के हाथों से नंगी होना चाहती थी,,, शायद ऐसा कभी ना होता अगर कोमल को अपने पति से मर्दाना क्यों से भरा प्यार मिला होता लेकिन पुरुष के मर्दाना प्यार से वंचित रह चुकी थी इसलिए रघु को पाते ही वह सब कुछ भूल चुकी थी कोमल रघु का हौसला बढ़ाने के लिए उसके बालों में अपनी उंगली डालकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, और रघु देखते ही देखते अपने हाथों से कमर पर बनी उसकी साड़ी को खोलकर नीचे जमीन पर फेंक दिया था और पल भर में ही उसकी पेटीकोट की डोरी खींच कर उसकी पेटीकोट को उसके कदमों में गिरा दिया था रघु की बाहों में रघु की आंखों के सामने कोमल पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और नंगी होने के बाद कोमल रत्ती का रूप लग रही थी,,,,,,, शाम ढल चुकी थी अंधेरा छाने लगा था,,,, जहां गांव वाले यह बात को सोचकर परेशान और चिंतित थे कि पति और ससुर के बिना कोमल कैसे अपनी जिंदगी बिताएगी,,,, वही दूसरों के सोच के विरुद्ध कोमल अपने प्रेमी की बाहों में नंगी होकर उसे अपने हुस्न का रस पिला रही थी,,,,,

रघु के मुंह में कोमल की चूची थी और रघु का एक हाथ कोमल की दोनों टांगों के बीच उसकी कोमल कस नरम नरम मद भरी बुर के ऊपर गश्त लगा रही थी कोमल की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, वह बार-बार रघु की हरकत से गर्म होकर लंबी लंबी सांसे लेकर छोड़ रही थी और उत्तेजना के आवेश में आकर वह अपना एक हाथ,,,रघु के पजामे में डालकर उसके खड़े टनटनाते हुए लंड को अपनी हथेली में भरकर उसकी गरमाहट को महसूस करते ही पानी पानी हुई जा रही थी,,,, जिसका एहसास रघु को अपनी उंगलियों पर महसूस हो रहा था,,,
अपनी महबूबा को पानी पानी होता देख रघु से रहा नहीं गया और वह,,,, कोमल को अपनी गोद नहीं उठा लिया,,,कोमल पहले तो घबरा गई लेकिन रघु कि ताकत सेपूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी कि निश्चिंत रहो गई रघु उसे अपनी गोद में उठाये हुए ही ऊसके कमरे की तरफ जाने लगा,,,, कोमल के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,,, उसके बदन के हर एक कोने में उसी छलकती जवानी चिकोटी काटने लगी,,,, उसे इस बात का था और ज्यादा गीला कर रहा था कि,,, रघु उसे अपनी गोद मैं उठाकर उसे चोदने के उसके कमरे में ले जा रहा है।,,, रघु उसकी आंखों में देख रहा था कोमल शर्मा रही थी,,,, रघु कोमल को अपनी गोद ने उठाए उसके संपूर्ण वजूद को अपनी आंखों से देख रहा था,,।रघु और कोमल दोनों में किसी भी प्रकार की वार्तालाप हो नहीं रही थी और रघु ना तो कोई बात करना चाहता था वह नहीं चाहता था कि बात करने पर किसी बात से उसे अपने परिवार की या अपने ससुर की याद आ जाए जिससे माहौल खराब हो जाए इसलिए वह चुप रह कर अपना काम धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहा था देखते ही देखते वह कोमल को लेकर उसे कमरे में पहुंच गया और धर्म धर्म करते पर लगभग उसे उछाल कर गिरा दिया जिससे वह नरम नरम गद्दी पर गिरते ही थोड़ा सा उछल गई और रघु अपने लिए जगह बनाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया और अपना मुंह ऊसकी पिघलती हुई बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, कोमल पागल हो गई मदहोश होने लगी,,,, ऐसा लग रहा था कि मानो वह हवा में उड़ रही हो रह रहे कर वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उछाल दे रही थी,,,,,,,,

लोहा गरम हो चुका था हां थोड़ा मारने की डेरी के मौके की नजाकत को समझते हुए रघु अपने बदन पर से पजामे को भी उतार फेंका,,, कोमल के कमरे में कोमल और रघु पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गए,, रघु के खड़े लंड को देखते ही,,, एक बार फिर से कोमल की आंखों में चमक आ गई,,, उसे इस बात का अहसास हुआ कि वास्तव में उस के नसीब में इसी तरह का जवान लंड होना चाहिए था जो कि अपनी इस कमी को वह पूरा कर लेना चाहती थी,,, इसलिए वह खुद ही अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,,,, कोमल की इस खूबसूरत हरकत ने रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर को ज्यादा बढ़ावा दे दिया और वह बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाया और कमर की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में डाल देना एक बार फिर से उसकी कमर ऊपर नीचे होने लगी,,,एक बार फिर से कोमल अपनी पुर के अंदर एक मोटे तगड़े लंड को अंदर बाहर होता हुआ महसूस करने लगी,,,,,,,
यह चुदाई रात भर चलती रहे,,, सुबह बाहर दरवाजे की दस्तक को सुनकर कोमल की नींद खुली तो बिस्तर में वह अपने आप को रघु की बाहों में पाई जो कि वह पूरी तरह से मांगा था और उसका ढीला उसका लंड फिर भी खंड की तरह उसकी गोलाकार गांड से सटा हुआ था और वह खुद एकदम नंगी उसकी बाहों में थी अपनी आंखों को मिलते हुए दरवाजे की दस्तक को सुनकर वह बिस्तर पर उठ कर बैठ गई,,, लेकिन बाहर से आ रही पैसे की आवाज के साथ साथ कुछ लोगों की आवाज को सुनकर वह उस आवाज को पहचानने की कोशिश करने की वजह से उस आवाज को पहचानी वह एकदम से चौंक गई दरवाजे पर उसकी मां और बापू जी थे और वह खुद एक अनजान लड़की के साथ अपने कमरे में एकदम नंगी लेटी हुई थी एकदम से घबरा गई और रघु को जगाने लगी,,,,

अरे उठो अभी तक सोए हो जल्दी उठो,,,,

क्या हुआ,,,?(रघु भी एकदम से हडबडाते हुए उठ कर बैठ गया,,,)

अरे बाहर मेरे मां और बाबू जी आए हैं जल्दी यहां से जाओ,,,


लेकिन कैसे जाऊं दरवाजे पर तो तुम्हारे मां और बाबू जी खड़े हैं,,,,

पीछे के रास्ते से चले जाओ,,,(कुछ देर सोचने के बाद वह धीरे से बोली,,,, रघु जल्दी से बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया और अपने कपड़े समेट कर पहनने लगा साथ में कोमल भी अपनी की साड़ी उठाकर पहनने लगी जल्दी से एक बार फिर से उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होठों पर चुंबन करके वहां से चलता बना और वह थोड़ा सा मायूस होकर दरवाजा खोलने लगी दरवाजे पर अपने मां-बाबु जी को देख कर वह फूट-फूट कर रोने लगी,,,


दूसरी तरफ कजरी रात भर रघु के बिना बिस्तर पर तड़पती रही,,,भले ही वह अपने बेटे के साथ चुदाई के सुख को प्राप्त नहीं कर पाई थी लेकिन उसके साथ दो अर्थ वाली गंदी बातें करके मस्त हो जाती थी,,,,थोड़ी ही देर में रघु अपने घर पर पहुंच गया और उसे देखते ही कजरी उस पर नाराज होते हुए बोली,,,।


रात भर कहां रह गया था मुझे कितनी चिंता हो रही थी तुझे मालूम है,,,।


अरे मा इसमें चिंता करने वाली कौन सी बात है दोस्त के घर रुक गया था वह जबरदस्ती घर पर रोक लिया तो क्या करता,,,


तो क्या करता,,,,,, यहां मेरी क्या हालत हो रही थी तुझे इस बात का अंदाजा है,,,,(कजरी मुंह बनाते हुए बोली,,)


जानता हूं मां,,,, तुम परेशान हो रही थी लेकिन क्या करता है मजबूर हो गया था,,,,,,


तेरे बिना आप एक पल भी अच्छा नहीं लगता मुझे छोड़कर मत जाना ,,,(ऐसा कहते हुए वह अपने बेटे को गले लगा ली,,, रघु भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया उसकी बड़ी बड़ी चूची को अपनी छाती पर महसूस करते हुए उसके तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसके पजामे में कैद घोड़ा अपना मुंह ऊठाने लगा,,, जो कि सीधा साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर पर ठोकर मारने लगा कजरी अपने बेटे के घोड़े को अपनी बुर की जमीन पर दौड़ता हुआ महसूस करते हुए एकदम से उत्तेजित हो गई और कसके उसे अपनी बाहों में भर ली अपनी मां की उत्तेजना को महसूस करते ही रघु अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ पर से नीचे लाते हुए उसकी गांड पर रख दिया उसे जोर से दबा दिया,,,,,,, लेकिन यह मतवाला घोड़ा कजरी की बुर पर दूर तक दौड़ कर जाता है इससे पहले ही बाहर से ललिया की आवाज आ गई,,,।

अरे कजरी खेतों पर चलना नहीं है क्या,,,,
(ललिया की आवाज सुनते ही अपने मन में उसे गाली देते हुए बोली आ गई हरामजादी डायन,,, उस दिन भी सारा काम करती थी और आज भी,,,)


हां आई,,,,,,
(रघु भी मन ही मन लगी आपको ढेर सारी गाली दिया कजरी मन मसोस कर चली गई,,,, और थोड़ी देर बाद रघु भी अपनी मां का हाथ बताने के लिए खेतों की तरफ चल दिया,,)
Awesome update
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
6,666
25,376
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नहर के किनारे हड़कंप मचा हुआ था,,,, लाला और उसके तीनों साथी की लाश कीचड़ में सनी हुई थी,,, गांव वाले यह मंजर देख कर हैरान हो गए थे उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि लाना जैसे शैतान का भी यह हाल हो सकता है,,,, पूरा गांव इकट्ठा हो चुका था रघु भी दूसरों की तरह आश्चर्य जता रहा था,,,, जमीदार की बीवी भी वहां पहुंच चुकी थी और साथ ही अपने ससुर की मौत की खबर सुनते ही कोमल भी वहां पहुंच चुकी थी कोमल अपने ससुर की लाश देख कर हैरान हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रोए यहां से जिंदगी में उसने पहले कभी इस तरह का डरावना दृशय नहीं देखी थी,,,, पास में ही रघु खड़ा था,,, रघु की तरफ देखते ही उसे सारा मामला समझ में आ गया था वह समझ गई थी कि इन चारों की इस तरह की हरकत करने वाला रघु ही है लेकिन उसे भी आश्चर्य था कि रघु जैसा लड़का इतनी हिम्मत कैसे रख सकता है,,,। रघु और कोमल दोनों की नजरें आपस में मिली,,, आंखों ही आंखों में दोनों ने अपने मतलब की बात कर ली,,,, जमीदार की बीवी लाला की हालत देखकर परेशान हो गई थी गांव वालों से पूछने लगी कि यह किसने किया किसकी इतनी हिम्मत हो गई,,,, लाला रिश्ते से उसका समधी जो था,,, आखिरकार किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंच पाना गांव वालों के लिए बड़ा ही मुश्किल काम था,,,,,,,फिर भी इसी नतीजे पर निकलेगी या किसी रंजिश की वजह से किसी ने लाला की यह हालत कर दी,,,, गांव की औरतें लाला की मौत पर खुश नजर आ रही थी क्योंकि वो लोग अच्छी तरह से जानती थी कि लाला अपने आदमियों के सहारे,,, और मेरी मजबूरी का फायदा उठाकर उनके साथ मनमानी करता था,,,, कजरी भी वहां पहुंच चुकी थी अपनी आंखों के सामने अपने बेटे के किए गए कारनामे को देखकर वह मन ही मन अपने बेटे पर फक्र महसूस कर रही थी और इस बात से उसे राहत महसूस हुई थी कि लाल और उसके साथियों की हत्या में उसके बेटे का कहीं भी जिक्र नहीं हो रहा था,,,,, थोड़ी देर बाद भीड छंटने लगी,,,,,,, जैसे-जैसे लाला की मौत की खबर मिलते जा रही थी वैसे वैसे उसके रिश्तेदार इकट्ठा होते जा रहे थे और लाला के साथ साथ उसके 3 साथी के भी रिस्तेदार इकट्ठा हो चुके थे चारों का अग्नि संस्कार किया गया सारी विधि में रघु भी शामिल था और किसी को कानों कान रघु के कारनामे के बारे में भनक तक नहीं लगी,,,,,,

शाम ढलने के बाद सांत्वना देने के लिए रघु कोमल के घर पहुंच गया जहां कुछ देर पहले ही गांव की औरतें कोमल को समझा-बुझाकर वापस अपने घर लौट चुकी थी रघु को देखते ही वह रघु के गले लग कर रोने लगी,,,, उसे चुप कराते हुए रघु बोला,,,।


अपने आप को संभालो कोमल,,,,,,इस तरह से रोती रहोगी तो कैसे चलेगा तुम्हारी भी तबीयत खराब हो जाएगी मैं नहीं चाहता कि तुम्हें किसी भी तरह से तकलीफ पहुंचे तुम रोते हुए मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,,,,

तो हम क्या करें रघु,,,हमें तो यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि अपने ससुर की मौत पर खुश हो या दुखी,,,,


दुखी होने की जरूरत,,,नहीं है कोमल इस तरह से रो कर जिंदगी गुजारने का कोई मतलब नहीं है और वैसे भी अपने ससुर से छुटकारा पाकर तुम्हें तो राहत की सांस लेनी चाहिए थी क्योंकि वह तुम्हारा ससुर नहीं का हैवान था जो तुम्हारी इच्छा से खेलना चाहता था तुम्हें किसी भी वक्त लूट सकता था,,, और यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो एक तरह से मैंने उसे मार कर तुम्हें छुटकारा दिलाया है एक राक्षस के हाथों से तुम्हें बचाया है,,,


लेकिन हम तो इस समय एकदम अकेले पड़ गए एक तो हमारा पति जोकि ना जाने कहां भटक रहा है,,, और ससुर के मरने की खबर सुनकर हमें तो समझ में नहीं आ रहा है,,, सच कहूं तो रघु हमें तो डर लग रहा है,,,,अपने ससुर की मौत ने एक तरह से मेरा भी हाथ है मुझे डर लगता है कि कहीं वह भूत बनकर,,,,,
(इतना सुनते ही रघु जोर जोर से हंसने लगा,,, और हंसते हुए बोला,,,)

अच्छा तो तुम्हारे डरने की वजह यह है,,,,(इतना कहने के साथ ही रखो अपनी बाहों में से कोमल को अलग करते हुए उसके दोनों कंधों को पकड़कर उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला ,,,,)


अरे पागल भूत और कुछ नहीं होता मैं हूं ना,,,,,,


कब तक रहोगे रघु,,,,


जब तक मेरी धड़कन चलेगी तब तक मैं तुम्हारे साथ रहूंगा,,,,


किस रिश्ते से मेरे साथ रहोगे रघु एक ना एक दिन सारे गांव वालों को पता चल जाएगा उस समय मेरी कितनी बदनामी होगी यह बात का अंदाजा लगाए हो कभी,,,


पति के रिश्ते से,,,,
(रघु के मुंह से इतना सुनते ही कोमल आश्चर्य से रघु की आंखों में देखने लगी क्योंकि वास्तव में उसकी आंखों में ऊसे अपने लिए प्यार नजर आ रहा था,,। कोमल की आंखों में आंसू आ गए,,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें,,,,,, रघु की बातें सुनकर वो पूरी तरह से भावनाओं में बहती चली जा रही थी,,, उसके लिए यह पल बेहद हसीन और अनमोल था क्योंकि इस तरह से उसी से किसी ने भी नहीं कहा था रघु की तरह को पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी किसी छोटी-छोटी मदद वह करता रहता था और उसके प्रति आकर्षण के चलते वह अपना तन उसे सौंप चुकी थी,,,, रघु उसकी आंखों में देख रहा था,,, कोमल विस्की आंखों में डबडबाई आंखों से देख रही थी,,, कोमल की आंखों में कुछ सवाल है जिनका जवाब वक्त के साथ ही मिलने वाला था लेकिन फिर भी अपने मन की बात कोमल के होठों पर आ ही गई,,,)

रघु हमें डर लग रहा है,,,


किस लिए,,,,


यही तो तुम कह रहे हो क्या समाज इस रिश्ते को स्वीकार करेगा मेरा पति जीवित है या मर गया है इस बारे में कोई नहीं जानता अगर जिंदा है फिर भी एक पति के होते हैं दूसरी शादी कैसे कर सकती हो और अगर मर गया है तो क्या यह एक विधवा के लिए मुमकिन होगा एक कुंवारे लड़के से शादी कर सके,,,,


क्यों मुमकिन नहीं है कोमल,,,, वैसे भी जिंदगी अपने हिसाब से जीनी चाहिए यह समाज के रिश्तेदार यह किसी का दुख दूर नहीं कर सकते किसी का दुख बांट नहीं सकते केवल लोग समाज का डर दिखाकर तुम्हारी जिंदगी और नर्क कर देंगे क्या समाज को पता है कि तुम इतनेबड़े घर की बहू होने के बावजूद भी कितनी दुख सह रही हो पति के प्यार से वंचित हो शरीर सुख से वंचित हो और साथ ही अपने ही ससुर की गंदी नजरों से प्रताड़ित हो चुकी हो क्या समाज ही सब जानता है,,,, नहीं जानता ना तो मैं फिर दूसरों के हिसाब से जिंदगी जीने का क्या फायदा और वैसे भी तुम्हारी उम्र,,,, ही कितनी है,,, सच कहूं तो तुम्हें मेरी बीवी होना चाहिए था जो कि मैं ये कमि अब पूरी करना चाहती हूं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूं,,,,,,


सच में रघु क्या ऐसा हो सकता है,,,,


बिल्कुल हो सकता है मेरी कोमल,,,,भगवान लगता है हम दोनों को मिलाने के लिए यह सारी लीला रचे हैं,,,,


ओहहहहह,,, रघु,,,,,(इतना कहने के साथ ही कोमल भावनाओं में बहते हुए रघु के गले लग गई और इसी के साथ ही उसकी दोनों उन्नत चुचियां रघु की छाती से जा टकराई जिसके नुकीले एहसास से रघु पूरी तरह से कामविह्वल हो गया और अगले ही पल वह अपने होठों को कोमल के लाल लाल होठों पर रखकर उसका रस चूसना शुरू कर दिया,,,, पर अपने हाथ को उसकी पेट से नीचे की तरफ लाकर उसकी ऊभरी हुई गांड पर रखकर जोर जोर से दबाने लगा,,,, कोमल भी उत्तेजित होने लगी चुदवासी होकर उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,, पजामे में रघु का खड़ा लंड सीधे साड़ी के ऊपर से ही कोमल की बुर के ऊपर दस्तक देने लगा,,,, रघु और कोमल दोनों एकांत पाकर एकदम से चुदवासे हो गए,,,, रघु जोर-जोर से कोमल की गांड को दबाते हुए साड़ी को ऊपर कमर की तरफ उठाने लगा और देखते ही देखते रहो खूब कोमल की साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसकी नंगी चित्र में गांड को अपनी हथेली में लेकर उसकी गर्माहट और नर्माहट दोनों का आनंद लेते हुए जोर जोर से दबाने लगा कोमल भी उसका साथ देते हुए अपने गुलाबी होठों को खोल कर रघु की जीभ को अपने मुंह के अंदर लेकर उसे चाटना शुरू कर दी,,,,,,, दोनों की सांसें तेज चलने लगी रघुउसके लाल-लाल होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ लाकर उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा और देखते ही देखते उसके ब्लाउज के सारे बटन को खोलकर झटके से उसका ब्लाउज एकदम से उसके बदन से अलग कर दिया कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी हो गई और उसके नंगे पन के एहसास को अपनी छातियों पर महसूस करने के लिए अपने कुर्ते को झट से उतार कर कर अपनी नंगी छाती पर कोमल की नंगी छाती को दबा कर उसकी गरमाहट को महसूस करके उत्तेजित होने लगा,,,,,,।


ओहहहह कोमल,,,, क्या मस्त जवानी है तुम्हारी,,,, कसम से जवानी का गोदाम हो,,,,,(और इतना कहने के साथ ही एक हाथ में उसकी चूची पकड़ कर दूसरी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,,)

सससहहहह आहहहहहहह,,,, रघु,,,,,,,(रघु कि ईस तरह की हरकत से कोमल के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,, रघु पूरे जोश से कोमल की कोमल चूची को मुंह में भर कर उसकी गर्माहट उसके मद भरे रस के एहसास में डूबता चला जा रहा था,,, यह पल रघु के लिए बेहद उत्तेजक था,,,, कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव इस समय रघु कर रहा था क्योंकि इस समय का माहौल कुछ और था,,,, अभी-अभी कोमल के ससुर का अंतिम संस्कार हुआ था उसकी चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि उसकी बहू कोमल अपने मन की अपने तन की प्यास को बुझाने में लगी हुई थी जिसका कारण यह भी था कि ससुर की हरकत को देखते हुए वह उससे नफरत करने लगी थी और मन ही मन में उसे ससुर मानने से इंकार करती थी वह बात अच्छी तरह से जानती थी कि ससुर को बाप का दर्जा दिया जाता है लेकिन यहां तो ससुर ही हैवान हो चुका था ऐसे में कोमल के पास कोई विकल्प नहीं बचा रहा था और उसे सांत्वना की जरूरत थी ऐसे शाथी की जरूरत थी,,,जो उसको समझ सके उसे सहारा दे सके उसकी भावनाओं की कद्र कर सके और इस समय उसकी नजर में केवल रघु ही था जो कि इस समय हर एक मोड़ पर उसके साथ खड़ा था,,,, इसलिए तो रघु के सानिध्य को पाकर वह यह भी भूल गई थी कि आज ही उसके ससुर का देहांत हुआ था और वह रघु के द्वारा जारी किए गए काम कीड़ा में तल्लीन हो गई जिस शिद्दत से रघु उसकी दोनों कोमल सूचियों से खेलता हुआ उसे मुंह में बारी-बारी से भरकर पी रहा था उतने ही प्यार से कोमल अपनी चुचियों को रघु के मुंह में डालकर पिला रही थी,,,,
कुछ देर पहले गमगीन बन चुका कमरे का माहौल अब मादकता का रस घोल रहा था रघु धीरे-धीरे कोमल की साड़ी को अपने हाथों से खोल रहा था ,,, रघु कोमल को नंगी करना चाहता था और कोमल रघु के हाथों से नंगी होना चाहती थी,,, शायद ऐसा कभी ना होता अगर कोमल को अपने पति से मर्दाना क्यों से भरा प्यार मिला होता लेकिन पुरुष के मर्दाना प्यार से वंचित रह चुकी थी इसलिए रघु को पाते ही वह सब कुछ भूल चुकी थी कोमल रघु का हौसला बढ़ाने के लिए उसके बालों में अपनी उंगली डालकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, और रघु देखते ही देखते अपने हाथों से कमर पर बनी उसकी साड़ी को खोलकर नीचे जमीन पर फेंक दिया था और पल भर में ही उसकी पेटीकोट की डोरी खींच कर उसकी पेटीकोट को उसके कदमों में गिरा दिया था रघु की बाहों में रघु की आंखों के सामने कोमल पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और नंगी होने के बाद कोमल रत्ती का रूप लग रही थी,,,,,,, शाम ढल चुकी थी अंधेरा छाने लगा था,,,, जहां गांव वाले यह बात को सोचकर परेशान और चिंतित थे कि पति और ससुर के बिना कोमल कैसे अपनी जिंदगी बिताएगी,,,, वही दूसरों के सोच के विरुद्ध कोमल अपने प्रेमी की बाहों में नंगी होकर उसे अपने हुस्न का रस पिला रही थी,,,,,

रघु के मुंह में कोमल की चूची थी और रघु का एक हाथ कोमल की दोनों टांगों के बीच उसकी कोमल कस नरम नरम मद भरी बुर के ऊपर गश्त लगा रही थी कोमल की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, वह बार-बार रघु की हरकत से गर्म होकर लंबी लंबी सांसे लेकर छोड़ रही थी और उत्तेजना के आवेश में आकर वह अपना एक हाथ,,,रघु के पजामे में डालकर उसके खड़े टनटनाते हुए लंड को अपनी हथेली में भरकर उसकी गरमाहट को महसूस करते ही पानी पानी हुई जा रही थी,,,, जिसका एहसास रघु को अपनी उंगलियों पर महसूस हो रहा था,,,
अपनी महबूबा को पानी पानी होता देख रघु से रहा नहीं गया और वह,,,, कोमल को अपनी गोद नहीं उठा लिया,,,कोमल पहले तो घबरा गई लेकिन रघु कि ताकत सेपूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी कि निश्चिंत रहो गई रघु उसे अपनी गोद में उठाये हुए ही ऊसके कमरे की तरफ जाने लगा,,,, कोमल के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,,, उसके बदन के हर एक कोने में उसी छलकती जवानी चिकोटी काटने लगी,,,, उसे इस बात का था और ज्यादा गीला कर रहा था कि,,, रघु उसे अपनी गोद मैं उठाकर उसे चोदने के उसके कमरे में ले जा रहा है।,,, रघु उसकी आंखों में देख रहा था कोमल शर्मा रही थी,,,, रघु कोमल को अपनी गोद ने उठाए उसके संपूर्ण वजूद को अपनी आंखों से देख रहा था,,।रघु और कोमल दोनों में किसी भी प्रकार की वार्तालाप हो नहीं रही थी और रघु ना तो कोई बात करना चाहता था वह नहीं चाहता था कि बात करने पर किसी बात से उसे अपने परिवार की या अपने ससुर की याद आ जाए जिससे माहौल खराब हो जाए इसलिए वह चुप रह कर अपना काम धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहा था देखते ही देखते वह कोमल को लेकर उसे कमरे में पहुंच गया और धर्म धर्म करते पर लगभग उसे उछाल कर गिरा दिया जिससे वह नरम नरम गद्दी पर गिरते ही थोड़ा सा उछल गई और रघु अपने लिए जगह बनाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया और अपना मुंह ऊसकी पिघलती हुई बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, कोमल पागल हो गई मदहोश होने लगी,,,, ऐसा लग रहा था कि मानो वह हवा में उड़ रही हो रह रहे कर वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उछाल दे रही थी,,,,,,,,

लोहा गरम हो चुका था हां थोड़ा मारने की डेरी के मौके की नजाकत को समझते हुए रघु अपने बदन पर से पजामे को भी उतार फेंका,,, कोमल के कमरे में कोमल और रघु पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गए,, रघु के खड़े लंड को देखते ही,,, एक बार फिर से कोमल की आंखों में चमक आ गई,,, उसे इस बात का अहसास हुआ कि वास्तव में उस के नसीब में इसी तरह का जवान लंड होना चाहिए था जो कि अपनी इस कमी को वह पूरा कर लेना चाहती थी,,, इसलिए वह खुद ही अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,,,, कोमल की इस खूबसूरत हरकत ने रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर को ज्यादा बढ़ावा दे दिया और वह बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाया और कमर की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में डाल देना एक बार फिर से उसकी कमर ऊपर नीचे होने लगी,,,एक बार फिर से कोमल अपनी पुर के अंदर एक मोटे तगड़े लंड को अंदर बाहर होता हुआ महसूस करने लगी,,,,,,,
यह चुदाई रात भर चलती रहे,,, सुबह बाहर दरवाजे की दस्तक को सुनकर कोमल की नींद खुली तो बिस्तर में वह अपने आप को रघु की बाहों में पाई जो कि वह पूरी तरह से मांगा था और उसका ढीला उसका लंड फिर भी खंड की तरह उसकी गोलाकार गांड से सटा हुआ था और वह खुद एकदम नंगी उसकी बाहों में थी अपनी आंखों को मिलते हुए दरवाजे की दस्तक को सुनकर वह बिस्तर पर उठ कर बैठ गई,,, लेकिन बाहर से आ रही पैसे की आवाज के साथ साथ कुछ लोगों की आवाज को सुनकर वह उस आवाज को पहचानने की कोशिश करने की वजह से उस आवाज को पहचानी वह एकदम से चौंक गई दरवाजे पर उसकी मां और बापू जी थे और वह खुद एक अनजान लड़की के साथ अपने कमरे में एकदम नंगी लेटी हुई थी एकदम से घबरा गई और रघु को जगाने लगी,,,,

अरे उठो अभी तक सोए हो जल्दी उठो,,,,

क्या हुआ,,,?(रघु भी एकदम से हडबडाते हुए उठ कर बैठ गया,,,)

अरे बाहर मेरे मां और बाबू जी आए हैं जल्दी यहां से जाओ,,,


लेकिन कैसे जाऊं दरवाजे पर तो तुम्हारे मां और बाबू जी खड़े हैं,,,,

पीछे के रास्ते से चले जाओ,,,(कुछ देर सोचने के बाद वह धीरे से बोली,,,, रघु जल्दी से बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया और अपने कपड़े समेट कर पहनने लगा साथ में कोमल भी अपनी की साड़ी उठाकर पहनने लगी जल्दी से एक बार फिर से उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होठों पर चुंबन करके वहां से चलता बना और वह थोड़ा सा मायूस होकर दरवाजा खोलने लगी दरवाजे पर अपने मां-बाबु जी को देख कर वह फूट-फूट कर रोने लगी,,,


दूसरी तरफ कजरी रात भर रघु के बिना बिस्तर पर तड़पती रही,,,भले ही वह अपने बेटे के साथ चुदाई के सुख को प्राप्त नहीं कर पाई थी लेकिन उसके साथ दो अर्थ वाली गंदी बातें करके मस्त हो जाती थी,,,,थोड़ी ही देर में रघु अपने घर पर पहुंच गया और उसे देखते ही कजरी उस पर नाराज होते हुए बोली,,,।


रात भर कहां रह गया था मुझे कितनी चिंता हो रही थी तुझे मालूम है,,,।


अरे मा इसमें चिंता करने वाली कौन सी बात है दोस्त के घर रुक गया था वह जबरदस्ती घर पर रोक लिया तो क्या करता,,,


तो क्या करता,,,,,, यहां मेरी क्या हालत हो रही थी तुझे इस बात का अंदाजा है,,,,(कजरी मुंह बनाते हुए बोली,,)


जानता हूं मां,,,, तुम परेशान हो रही थी लेकिन क्या करता है मजबूर हो गया था,,,,,,


तेरे बिना आप एक पल भी अच्छा नहीं लगता मुझे छोड़कर मत जाना ,,,(ऐसा कहते हुए वह अपने बेटे को गले लगा ली,,, रघु भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया उसकी बड़ी बड़ी चूची को अपनी छाती पर महसूस करते हुए उसके तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसके पजामे में कैद घोड़ा अपना मुंह ऊठाने लगा,,, जो कि सीधा साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर पर ठोकर मारने लगा कजरी अपने बेटे के घोड़े को अपनी बुर की जमीन पर दौड़ता हुआ महसूस करते हुए एकदम से उत्तेजित हो गई और कसके उसे अपनी बाहों में भर ली अपनी मां की उत्तेजना को महसूस करते ही रघु अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ पर से नीचे लाते हुए उसकी गांड पर रख दिया उसे जोर से दबा दिया,,,,,,, लेकिन यह मतवाला घोड़ा कजरी की बुर पर दूर तक दौड़ कर जाता है इससे पहले ही बाहर से ललिया की आवाज आ गई,,,।

अरे कजरी खेतों पर चलना नहीं है क्या,,,,
(ललिया की आवाज सुनते ही अपने मन में उसे गाली देते हुए बोली आ गई हरामजादी डायन,,, उस दिन भी सारा काम करती थी और आज भी,,,)


हां आई,,,,,,
(रघु भी मन ही मन लगी आपको ढेर सारी गाली दिया कजरी मन मसोस कर चली गई,,,, और थोड़ी देर बाद रघु भी अपनी मां का हाथ बताने के लिए खेतों की तरफ चल दिया,,)
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Nevil singh

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कोमल जिसके मन में अब रखो पूरी तरह से फंस चुका था और उसके साथ शादी करके अपना जीवन बिताने के सपने बुनने लगी थी वह रोते-रोते अपना सारा दुखड़ा,,, अपने माता पिता को बता दी,,,,पहली बार कोमल के माता-पिता को इस बात का एहसास हो रहा था कि बड़े घर में शादी करके उन्होंने गलती कर दी है,,, उन्हें तो यही लग रहा था कि उनकी बेटी बड़े घर की बहू बनकर खुश हैं,,,, उन्हें क्या मालूम था कि उसकी बेटी नरक की जिंदगी बिता रही थी और इस बात का जैसे उन्हें पता चला कि उसके ससुर की गंदी नजर उनकी बेटी कोमल पर थी वैसे ही कोमल के माता-पिता को लाला के मरने का जरा भी दुख नहीं होगा उन्हें बल्कि मन ही मन प्रसन्नता हो रही थी कि उनकी बेटी शैतान के हाथों से छूट चुकी थी आजाद हो चुकी थी लेकिन उन्हें इस बात की भी फिकर थी कि इतने बड़े हवेली और जायदाद को कोमल अकेले कैसे संभाल पाएगी,,,, कोमल से ही उन्हें इस बात का पता चला कि उसका पति महीनों गुजर गई घर नहीं लौटा था ना उसकी कोई खबर मिली थी और उसके नकारा होने का भी पता चल चुका था,,,। बात ही बात में कोमल ने मां बाप के सामने कर दी कोमल के मां-बाप हैरान थे कि पति के जीवित होने के बावजूद वह दूसरी शादी कैसे कर पाएगी समाज क्या कहेगा और तो और क्या रघु के घरवाले इस बात के लिए राजी होंगे,,, लेकिन कोमल ने अपने मां-बाप को रघु से विवाह करने के लिए मना ली थी,,,,।

जैसी तेरी इच्छा बेटी हम तो तेरी खुशी के लिए इतने बड़े घर में तेरा विवाह किए थे लेकिन हमें क्या मालूम था कि इतनी बड़ी हवेली तेरे लिए नर्क के समान होगी लेकिन फिर भी अगर तेरी इच्छा है रघु से विवाह करने की तो हमें इसमें कोई एतराज नहीं लेकिन फिर भी हम एक बार रघु से मिलना चाहते हैं,,,, और कुछ दिनों के लिए अपने साथ ले जाना चाहते हैं,,,, क्योंकि लाला के देहांत के बाद तेरा मन यहां नहीं लग पाएगा,,,,


ठीक है पिताजी में किसी को खबर देकर रघु को यहां बुलवा लेती हूं,,,,,,,(इतना कहकर कोमल प्रसन्न नजर आने लगी लेकिन उसे इस बात का मलाल था कि मायके चले जाने से उसके कहीं की इच्छा अधूरी रह जाएगी क्योंकि रघु के साथ संभोग का सुख प्राप्त करके उसकी लत लग चुकी थी लेकिन फिर भी जिस तरह से उसके मां-बाप विवाह के लिए राजी हो गए थे इस बात से खुश थी और अपने मां-बाप को नाराज नहीं करना चाहती थी इसलिए ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गई थी थोड़ी ही देर बाद रघु भी वहां आ गया आते ही वह कोमल की मां बाप के पैर छूकर उन्हें प्रणाम किया,,,, रघु को देखकर कोमल के मां-बाप दोनों खुश नजर आ रहे थे क्योंकि रघु पूरी तरह से कोमल के लिए एकदम ठीक था लेकिन फिर भी उनके मन में संदेह था इसलिए रघु से बोले,,,)

बेटा क्या तुम कोमल से विवाह करने के लिए राजी हो,,,


जी बाबू जी मैं कोमल से विवाह करना चाहता हूं,,,


यह बात जानते हुए भी कि वह शादीशुदा है फिर भी,,,


जी बाबू जी मैं सबको चाहता हूं और यह भी जानता हूं कि शादीशुदा होने के बावजूद भी कोमल नरक की जिंदगी जी रही थी और यहां से बिल्कुल भी खुश नहीं है,,,,


क्या तुम्हारे माता-पिता इस बात से राजी होंगे,,,,


पिताजी नहीं है और मैं मां को जानता हूं वह मेरी खुशी के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हो जाएगी और वैसे भी मैं कोमल के बिना एक पल भी नहीं रह सकता दुनिया चाहे इधर की उधर हो जाए लेकिन मैं कोमल का हाथ कभी नहीं छोडूंगा,,,,
(रघु की बातें सुनकर कोमल के माता-पिता को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान हुई और वह खुश थे कि आगे की जिंदगी कोमल हंसी खुशी से गुजारेगी वैसे भी लाला की हवेली और जायदाद की रखवाली करने के लिए कोई तो चाहिए था और उन्हें रघु पर पूरा भरोसा हो चुका था इसलिए वह लोग बेहद खुश थे,,,, रघु इस बात से थोड़ा असहज हो गया कि कोमल भी उन लोगों के साथ जा रही थी लेकिन इस बात से खुश भी था कि उसके मां बाबूजी की शादी के लिए तैयार हो चुके थे शाम का वक्त हो रहा था वह बाहर तांगा तैयार था रघु कोमल की माता-पिता का सामान तांगे में रख रहा था,,,, और वह दोनों तानी पर बैठ गए थे लेकिन कोमल अभी भी अपने कमरे में ही थी,,,, तो कोमल के बाबूजी रघु से बोले,,,)


जा बेटा जरा देख तो कोमल कहां रह गई,,,,, शादी हो गई लेकिन अभी भी लापरवाह है जरा सा भी ध्यान नहीं रहता,,,



जी बाबू जी मैं भी जा कर देखता हूं,,,,(रघु इतना कह कर घर में प्रवेश करते हुए आवाज लगाया,,,)


कोमल ,,,,,ओ,,,,,कोमल कहां हो तैयार नहीं हुई क्या,,,,
(कोमल चौकी अपने कमरे में रघु का इंतजार कर रही थी उसे इस बात का अहसास था कि उसे ढूंढते हुए रघु उसके कमरे में जरूर आएगा और इस तरह से उसे आवाज लगाता हुआ देखकर वो एकदम से भाव विभोर हो गई रघु के अंदर उसे अपना पति नजर आने लगा था वह रघु को अपने पति के रूप में ही देखने लगी थी इसलिए वह प्रसन्नता से अंदर ही अंदर झूम उठे और खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू आ गए क्योंकि वह रघु से दूर नहीं होना चाहती थी,,, और रघु उसे आवाज लगाता हुआ ढूंढता हुआ उसके कमरे में पहुंच गया जहां पर,,, दरवाजे की तरफ पीठ करके कोमल खड़ी थी,,,,,, कोमल के गोल गोल पिछवाड़े को देखकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, जाने से पहले रघु के मन में कोमल के साथ संभोग सुख भोगने की कामना जारी रखी और यही कामना कोमल के भी मन में प्रज्वलित हो चुकी थी तो मैं किस बात का एहसास हो गया कि रघु ठीक उसके पीछे खड़ा है लेकिन उससे नजरें मिलाने की उसके में बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी,, कुछ दिनों के लिए दोनों अलग होने वाले थे और यह जुदाई ऊस से बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,। रघु खुदा तू बड़ा और पीछे से जाकर कोमल को अपनी बाहों में भर लिया पलभर में ही कोमल के पिछवाड़े को देख कर रघु के लंड में तनाव आना शुरू हो गया था जो कि पीछे से उसे अपनी बाहों में भरने की वजह से उत्तेजना में उसका लंड उसके पिछवाड़े से रगड़ खाने लगा था जिसके एहसास से कोमल के तन बदन में उत्तेजना की आग भड़कने लगी थी,,,,,,, रघु के द्वारा इस तरह से अपनी बाहों में भरने की वजह से,,,कोमल अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और जोर से रोने लगी उसे रोता हुआ देखकर रघु एकदम हैरान हो गया और उसके कंधे को पकड़कर अपनी तरफ घुमाते हुए उसे गौर से देखने लगा,,,,, कोमल को रोता हुआ देखकर रखो कि परेशान हो गया और उसकी आंखों से आंसु को साफ करने लगा और बोला,,,


रो क्यों रही हो कोमल तुम रोते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,,,


हमसे यह जुदाई बर्दाश्त नहीं हो रही है,,,,


कुछ दिनों की तो बात है,,,, उसके बाद तो हम दोनों को जिंदगी भर साथ ही रहना है,,,,


हमें यकीन नहीं हो रहा है कि हम दोनों शादी के बंधन से जुड़ जाएंगे,,,,


तुम चिंता मत करो और मुझ पर विश्वास करो ऐसा ही होगा हम दोनों की शादी होगी तुम मेरी पत्नी बनोगी,,,,,(ऐसा बोलते हो कोमल की खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों में ले लिया और उसकी आंखों में जाकर भी अपने होठों को उसके गुलाबी होठों पर चूसना शुरू कर दिया पल भर में ही यह चुंबन एकदम प्रगाढ़ होने लगा दोनों उत्तेजित होने लगे बाहर कोमल के माता-पिता उसका इंतजार कर रहे थे और अंदर रघु उनकी लड़की के साथ उत्तेजित पल गुजर रहा था,,,, रघु जाने से पहले कोमल की चुदाई करना चाहता था,,, इसलिए देखते ही देखते हुए साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, कोमल भी इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी इसलिए रघु का किसी भी प्रकार से विरोध ना करते हुए उसका सहकार कर रही थी यह जानते हुए भी कि बाहर उसके माता-पिता उसका इंतजार कर रहे हैं,,,,देखते ही देखते कोमल की साड़ी को व कमर तक उठा दिया और कोमल इसके बाद क्या करना है वह अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह बिना कुछ बोले अपनी गांड को रघु की तरफ करके पलंग के ऊपर झुक गई और अपने हाथ की कोहनी को पलंग के नरम नरम गद्दे पर रखकर,,, अपनी मतवाली गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा आसन में कोमल को देखकर रघु से राह नहीं किया और तुरंत अपने पजामे को घुटनो तक खींच लिया और अपने खड़े लंड को ठीक कोमल की गुलाबी बुर पर लगा कर,,, बिना थूक लगाए जोरदार धक्का दिया और पहली ही प्रयास में रघु का मोटा तगड़ा लंड कोमल की बुर को छेंदता हुआ,, सीधा उसके बच्चेदानी से टकरा गया और कोमल के मुंह से हल्की सी आहह निकल गई,,, रघु कोमल को चोदना शुरू कर दिया कोमल मस्त हुए जा रही थी,,,। हर एक धक्के का जवाब वह अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल कर दे रही थी,,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए,,,
रघु कोमल की अटैची लेकर हवेली के बाहर आया और तांगे में रखने लगा,,,, अटैची के रखने के बाद कोमल रघु के हाथ का सहारा लेकर तांगे पर बैठ गई रघु और कोमल दोनों की आंखें नम थी दोनों एक दूसरे को छोड़ना नहीं चाहते थे लेकिन इस समय कोमल का उसके मायके जाना ही ठीक था थोड़ा मन बहल जाता,,,, तांगा आगे बढ़ गया और रघ6 तब तक वहीं खड़ा होकर तांगे को देखता रहा जब तक तांगा आंखों से ओझल नहीं हो गया,,,।

शाम ढलने लगी थी रघु इधर-उधर घूमता हुआ अपने घर पहुंचा तो कजरी उसका ही इंतजार कर रही थी,,,,।


क्या बना रही हो मां,,,

आज तेरी पसंद का खीर और पूड़ी बना रही हूं लेकिन मेरे बदन में आज बहुत दर्द है थोड़ी मेरी मदद कर देगा,,,।


अरे हां हां क्यों नहीं,,,, आखिरकार मुझे ही तो अब तुम्हारी मदद करना पड़ेगा शालू जो नहीं है,,,,


ठीक है तू सब्जी काट दे और मैं आटा गुंथ देती हूं,,,,


ठीक है मां,,,,

(कजरी के मन में कुछ और चल रहा था वह अपने बेटे को पूरी तरह से उत्तेजित कर देना चाहती थी ताकि उसके मन की मुराद पूरी हो सके इसलिए वह लंबी लंबी लौकी को रघु की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,)

ले ईसे छोटी-छोटी काट दे,,,,


लेकिन मुझे तो लौकी बिल्कुल भी पसंद नहीं,,,


मैं जानती हूं लेकिन मुझे तो पसंद है ना तेरे लिए तो मैं खीर पूड़ी बना रही हूं,,,,


मा मुझे समझ में नहीं आता कि तुम्हें लौकी क्यों पसंद है,,, लंबी लंबी है इसलिए,,,,



हां तो सच कह रहा है लंबी लंबी है इसलिए क्योंकि हम औरतों को लंबी लंबी चीज ही पसंद आती है,,,(अपने बेटे की तरफ कातिल मुस्कान बिखेरते हुए बोली)


ना जाने क्यों तुम औरतों को लंबी लंबी चीज ही पसंद आती है हम लड़कों को तो गोल-गोल चीज ज्यादा पसंद आती है,,,(लौकी को चाकू से छीलते हुए बोला,,,)


भला तुम लड़कों को गोल-गोल चीज ही क्यों पसंद आती है,,,,(आटे में लोटे से पानी डालते हुए बोली)


क्योंकि मां गोल गोल चीज पकड़ने में आसान होती है और अच्छा भी लगता है,,,,(लौकी को काटते हुए बोला,,कजरी की बातों को रघु और रघु की बातों को कितनी अच्छी तरह से समझ रही थी दोनों मां-बेटे दो अर्थ वाली बातें कर रहे थे दोनों को इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर कजरी बोली,,)


अच्छी बात है तुम लोगों की यही आदत तो औरतों को अच्छी भी लगती है,,,(गहरी सांस लेते हुए कजरी बोली और अपनी मां की यह बात सुनकर रघु उत्तेजना से गदगद हो गया और अपनी मां के कहने का मतलब को जानते हुए भी जानबूझ कर बोला,,,)


हम लोगों की आदत औरतों को क्यों पसंद आती है,,,,


समय आने पर तु खुद समझ जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी जानबूझकर अपनी साड़ी को घुटनों तक चढ़ाकर बैठ गई जिससे उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया दिखने लगी और अपनी मां की गोरी गोरी मांसल चिकनी पिंडली को देखकर पजामें में रघु का लंड तनने लगा,,,।और कजरी जानबूझकर अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर अपनी दोनों हाथों को टांगों के बीच से लाकर आंटे को जोर जोर से गुंथने लगी,,,कचरी पहले से ही जानबूझकर अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल कर रखी थी क्योंकि वह जानती थी इस तरह से आटा गूंथने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां छलक कर बाहर आ जाएंगी,,, और यही हुआ जैसे ही वह आटा गूंथने के लिए थोड़ा सा झुकी,,,ब्लाउज का पहला बटन खुला होने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के बाहर छलक उठी जिसे देखते ही रघु की हालत खराब हो गई और वह फटी आंखों से अपनी मां की सूचियों को देखने लगा,,,,।
Sweat update bhai
 

Nevil singh

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पल भर में ही रघु की हालत खराब हो चुकी थी ऐसा नहीं था कि पहली बार वह इस नजारे को अपनी आंखों से देख रहा था इससे पहले कि वह अपनी मां के खूबसूरत कथन के लगभग लगभग हर किस्से को देखे चुका था लेकिन अपनी मां के बदन में जिस तरह की लचक मरोड़ और कटाव को देखकर वह उत्तेजित होता था उस तरह से वह किसी भी औरत के खूबसूरत बदन को देखकर उत्तेजित नहीं होता था अपनी मां में उसे कुछ ज्यादा ही उत्तेजनापूर्ण अंगों का एहसास होता था,,,वह सब्जी काटते काटते जिस तरह से अपनी आंखें चौड़ी करके ब्लाउज में से झांक रहे उसकी बड़ी बड़ी चूची को देख रहा था उसे कजरी बेहद खुश नजर आ रही थी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,,,, कजरी को लगने लगा था कि उसका पहला वार ठीक निशाने पर जा लगा था,,,, वह उसी तरह से अपनी दोनों टांगों को चोरी करके रोटी दोनों टांगों के बीच से अपने दोनों हाथों को थाली में रखकर आटे को गुंथने लगी,,,, और आटे को गुंथते समय ऊपर नीचे हिलने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चुचियों में जैसे जान आ गई हो इस तरह से आपस में रगड़ खाकर हिल रही थी,,, कुछ पल के लिए रघु सब्जी काटना भूल गया था और फटी आंखों से अपनी मां की चूचियों को ही देख रहा था मानो कि जैसे अभी दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां के ब्लाउज को खोल कर उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में भरकर दबाना शुरु कर देगा,,,,,,रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कब तक जितनी भी चुचियों को वह देख चुका था उनमें से लाजवाब चुची उसकी मां की ही थी,,,, अपने बेटे को इस तरह से अपनी चुचियों को घूरता हुआ देखकर कजरी बोली,,,।


अरे सब्जी भी काटेगा कि देखता ही रहेगा,,,,

(अपनी मां की बात सुनते ही रघु एकदम से झेंपता हुआ फिर से सब्जी काटने लगा लेकिन चोर नजरों से बार-बार वह अपनी मां की चूची की तरफ देख ले रहा था आखिरकार आंखों के सामने इतना मादक दृश्य जो था भला उस देश से को देखने से वह अपने मन को कैसे मना कर सकता था,,,। बड़ा ही मोहक दृश्य के साथ-साथ मौसम भी बनता जा रहा था,, अंधेरा हो चुका था ठंडी हवा चल रही थी आसमान में धीरे-धीरे बादल छाने लगी,थे,,, बारिश पड़ने के आसार नजर आ रहे थे,,,, कजरी बन में बारिश पड़ने की प्रार्थना भी कर रही थी,,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि बरसात के मौसम में तन बदन कुछ ज्यादा ही व्याकुल हो जाता है पुरुष संसर्ग के लिए और यही हाल मर्दों का भी होता है,,,,)

शालू के जाने के बाद मुझे लगता नहीं था कि तू मेरी इतनी मदद करेगा,,,(चूल्हे में सूखी हुई लकड़ी डालते हुए)


तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा था,,,,


वैसे भी तू घर का काम कहां करता था जब कोई काम बोलो तो बहाना बनाकर निकल जाता था लेकिन जिस तरह से तु शालू के जाने के बाद से मेरी मदद कर रहा है मुझे बहुत खुशी मिल रही है,,,,


पहले की बात कुछ और थी मा पहले शालू थी तो मुझे बिल्कुल भी फिकर नहीं होती थी मैं जानता था कि शालू सब कुछ कर देगी लेकिन शालु के जाने के बाद तुम अकेली पड़ गई हो,,,,,,(इतना कहने के बाद वह अपनी मां को गौर से देखने लगा उसकी मां की उसकी आंखों में देखने लगी रघु को यही सही मौका लगा अपनी मां के मन में चल रहे भावनाओं के बारे में जानने के लिए इसलिए वह बेझिझक अपनी मां से बोला) वैसे भी मैं पिताजी के जाने के बाद वर्षों से तुम अकेले ही हो,,,,
(अपनी बेटे के मुंह से इस बात को सुनते ही कजरी थोड़ा सा असहज महसूस करने लगी क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि रघु इस तरह का सवाल पूछ बैठेगा फिर भी अपने बेटे के सवाल का जवाब देते हुए वह बोली,,,)

नहीं रे अकेले कहां पड़ गई हूं तू है चालू है तुम दोनों तो हो,,,



यह तो मैं भी जानता हूं मां,,,, लेकिन पिताजी नहीं है इसका तो भरपाई नहीं हो सकता ना,,,,


हां वो तो है,,,,(आटे की लोई बनाते हुए बोली,,,)

कितना कठिन हो जाता है एक औरत के लिए बिना आदमी के जीवन गुजारना,,,(सब्जी काटते हुए रघु बोला,,,)


तु बात तो एकदम ठीक ही कह रहा है,,,, मुझे ही देख ले कैसे मैंने तुम दोनों को पाल पोस कर बड़ा किया,,,,, लेकिन सच कहूं तो तेरा मुझे बहुत सहारा है,,,(रोटी को बेलते हुए बोली,,,)


मेरा सहारा,,,, कैसे,,,?(सब्जी और चाकू को उसी तरह से हाथ में पकड़े हुए बोला)


अरे देखना,,, जो काम तेरे पिताजी को करना चाहिए था वह काम तूने किया,,,


कौन सा काम मां,,,,


अरे तेरी बहन की शादी,,,,अब तूने ही तो सब कुछ तय किया था,,, वरना मैं कहां मालकिन को जानती थी शादी की बात तो तेरे से ही शुरू हुई और देखा चालू अपनी ससुराल है और बड़ी हंसी खुशी से राज कर रही है,,,।


हां सो तो है लेकिन यह तो मेरा फर्ज था,,,,,,


फिर भी रघु इस दौरान तूने अपने बाबूजी की कमी महसूस होने नहीं दिया,,,


कुछ भी हो मा लेकिन उनकी जगह तो नहीं ले सकता ना,,,,
(रघु के कहने का मतलब को कजरी अच्छी तरह से समझ रही थी उसके पति की जगह लेने से उसका मतलब साफ था कि वह उसके साथ हमबिस्तर का संबंध बनाना चाहता था,,,, अपने बेटे की बात का मतलब समझते ही,,, कजरी को अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस होने लगी,,, लेकिन कजरी बोली कुछ नहीं,,,, रघु उसी तरह से सब्जी करता रहा,,, ब्लाउज में से झांसी अपनी मां की चूचियों के ऊपर पसीने की बूंदे उपसता हुआ देखकर रघु बोला,,,)

इतनी ठंडी हवा चल रही है फिर भी तुम्हारी उस पर,,,( चुची की तरफ उंगली से इशारा करते हुए) पसीना हो रहा है,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर उसके ऊंगली का इशारा अपनी चूची की तरफ होता देख कर अपनी चूची की तरफ देखने लगी जिसपर वास्तव में पसीने की बूंदे उपस रही थी,,,)

ओहहहह,,, चुल्हा जल रहा है ना इसकी वजह से,,, जरा इसे पोछ दे मेरे हाथों में आटा लगा है,,,,
(इतना सुनते ही रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, वह तुरंत सब्जी छोड़कर घुटनों के बल चलता हुआ अपनी मां की करीब गया और अपनी मां की साड़ी का पल्लू अपने हाथ में लेकर अपनी मां की चूची पर से पसीने की बूंदों को साफ करने लगाअपनी मां की चूची पर हाथ लगाते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी उसका लंड खड़ा होने लगा ब्लाउज में से झांक रही खरबूजे जैसी उसकी दोनों चूचियां दशहरी आम की तरह रस से भरी हुई थी जिसे रघु अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबाने के लिए उतावला हो रहा था,,,, कजरी भी अपने बेटे की हाथों का स्पर्श अपनी चूची पर पाते ही मस्त हो गई,,,,उसका दिल तो चाहता था कि अपने हाथों से अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपनी चूची को तोहफे के रूप में उसके हाथों में थमा दे,,, लेकिन कजरी अभी इतनी बेशर्म नहीं हुई थी,,, धीरे धीरे साड़ी के पल्लू से अपनी मां की चूची पर उपसी हुई पसीने की बूंदों को वह अच्छी तरह से साफ कर दिया,,,,,,,अपनी मां की चूची की नरमाहट को एक बार और महसूस करके वह पूरी तरह से गनगना गया,,,,उत्तेजना के मारे रघु की सांसें तेज हो चली थी जिसका एहसास कजरी को अच्छी तरह से हो रहा था अपने बेटे की हालत पर उसे अंदर ही मजा आ रहा था,,,,,,।

अब देखो अच्छी तरह से साफ हो गया ना,,,,(ऐसा कहते हुए वक्त पीछे की तरफ घुटनों के बल आने लगा तो उसकी मां बोली,,,)


यह तो फिर पसीने से भीग जाएगी,,,,


तो क्या हुआ मैं फिर साफ कर दूंगा,,,,


कब तक साफ करते रहेगा,,,


जब तक तुम्हारी गीली होती रहेगी,,,,(इस बार रघु अपनी मां की चूची के लिए नहीं बल्कि अपनी मां की बुर के लिए बोला था,,, जो की कजरी इतनी नादान नहीं थी कि अपनी बेटी के कहने का मतलब कुछ समझ ना पाए वह अपने बेटे के कहने का मतलब को समझ चुकी थी और उसकी बात सुनकर अपनी बुर में से पानी की बूंद को टपकती हुई महसूस भी की थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,, वो ज्यादा कुछ नहीं बोली बस अपने बेटे की बात सुनकर बोली,,,)


चल देखूंगी कब तक तु साथ देता है,,,


हमेशा,,,, जब तक तुम संतुष्ट ना हो जाओ,,,,(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी रघु कि तरफ आश्चर्य से देखी तो रघु तुरंत अपनी बात को बदलता हुआ बोला,,)


मेरा मतलब है कि जिंदगी भर,,,,


तुझ पर मुझे पूरा भरोसा है,,,,(इतना कहने के साथ गर्मी का बहाना करके अपनी साड़ी को थोड़ा सा और घुटनों के ऊपर ले जाकर बैठ गई जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच अच्छा खासा जगह बन गया रघु सब्जी काट चुका था इसलिए एक बहाने से उसे खड़ा करती हो हुए बोली,,)


बेटा जरा लालटेन की रोशनी बढ़ा देना तो,,, कढ़ाई में सब्जी डालनी है,,,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी पास में पड़ी कढ़ाई को उठाकर चूल्हे पर रखने लगी रघु को लगा कि उसकी मां सच में कढ़ाई में सब्जी डालने के लिए उसे लालटेन की रोशनी बढ़ाने के लिए बोली ताकि कढ़ाई में अच्छी तरह से दिखाई दे सके लेकिन जैसे ही वह खड़ा होकर लालटेन की रोशनी को बढ़ाने लगा वैसे ही उसकी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी नजर सीधे अपनी मां की दोनों टांगों के बीच साड़ी के बीचो बीच चली गई जिसमें लालटेन की रोशनी में रघु को अपनी मां की कसी हुई और फुली हुई बुर साफ नजर आ रही थी,,, जिस पर हल्के हल्के रेशमी बालों का गुच्छा भी नजर आ रहा था लोगों की तो हालत खराब हो गई पल भर में ही उसकी पजामी का आगे वाला भाग एकदम से तन कर तंबू हो गया कजरी की नजर जैसे यह अपने बेटे पर गई और साथ में उसके तंबू पर गई तो उसके भी होश उड़ गए लेकिन वह मन ही मन खुश हो गई क्योंकि उसकी यह तरकीब काम कर गई थी वो जानबूझकर अपनी दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर लोगों को खड़े होकर रोशनी बढ़ाने के लिए बोली थी वह जानती थी कि जब वह खड़ा होगा तो उसकी नजर उसकी टांगों के बीच जरूर जाएगी और ऐसा ही हुआ,,,, कजरी कुछ बोली नहीं बस सब्जी डालकर उसने मसाला डालने लगी वह कुछ देर तक और अपने बेटे को अपनी मदमस्त कसी हुई बुर के दर्शन कराना चाहती थी ताकि रघु पूरी तरह से उसकी बुर देखकर मदहोश हो जाए और जो वह चाहती है वह करने के लिए बिना किसी रोक-टोक के तैयार हो जाए,,,। रघु की तो हालत खराब हो रही थी,,,ठंडी ठंडी हवा में भी उसके पसीने छूट रहे थे,,,, बडा ही मादक दृश्य उसकी आंखों के सामने था,,,वह फटी आंखों से लगातार घूर घुर के अपनी मां की बुर को देखे जा रहा था जो कि,,, साड़ी के पर्दे में कैद होने के बावजूद भी पड़ी साफ साफ नजर आ रही थी,,,,,,, उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देख देख कर कजरी ललचा रही थी,,,,,, बस कजरी इस मादक दृश्य पर पर्दा डालना चाहती थी क्योंकि वह धीरे-धीरे पूरी तरह से रघु को उत्तेजित कर देना चाहती थी,,,,,, इसलिए अपनी टांगों को ठीक कर के वह रघु की तरफ देखे बिना ही बोली,,,,


थोड़ा सा तेल देना तो,,,
(और कजरी की आवाज सुनते ही रघु की जैसी तंद्रा भंग हुई हो और वह तुरंत तेल के डिब्बे को लेकर अपनी मां के पास रख दिया और वहीं बैठ गया क्योंकि तब तक उसे इस बात का अहसास हो गया था कि,, उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया है और पजामे में अच्छा खासा तंबू बन गया है इसलिए वह तुरंत नीचे बैठ गया था,,,,,,, रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और अपने बेटे के हाल पर कजरी मंद मंद मुस्कुरा रही थी वह जानती थी कि उसके बेटे के पजामे में छुपा हथियार कैसा है,,,,,,,क्योंकि बड़ी करीबी से उसने अपने बेटे के लंड को अपने बुर के इर्द-गिर्द महसूस कर चुकी थी,,, इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, रघु के हाथों से तेल का डिब्बा लेकर कढ़ाई में तेल डालने लगी और सब्जी को पकने के लिए ढक कर रख दी,,,, दूसरे चूल्हे पर दूसरी कढ़ाई रखकर रोटी बेल कर उस पर रखने लगी,,, रघु पूरी तरह से आवाक् हो चुका था,,,ऐसा नहीं था कि जिंदगी में पहली बार वह किसी बुर के दर्शन कर रहा हो,,,, ना जाने कितनी बार और न जाने कितनी औरतों की बुर चोद चुका था,,, लेकिन जो उत्तेजना जक्ष जो एहसास उसे अपनी मां की बुर देखने पर होता था,,, उस तरह का एहसास उसे किसी की भी बुर देखने में या उस में लंड डालकर चोदने में नहीं होता था,,, रघु पूरी तरह से अद्भुत अहसास से भर चुका था,,,,


कुछ क्षण के लिए दोनों खामोश हो चुके थे,, कजरी इस तरह के पल की विवसता ऊन्मादकता और कमजोरी को अच्छी तरह से समझती थी,,, इसलिए कुछ क्षण तक वह भी खामोश रहना ही उचित समझी,,,, रघु वही पास में बैठा अपनी मां की रसीली बुर की संरचना के बारे में कल्पना करने लगा,,,जबकि वह यह बात अच्छी तरह से जानता था कि औरतों की बुर एक जैसी ही होती है,,,,, फर्क सिर्फ कसाव और ढीलेपन के साथ-साथ बुर वाली के चरित्र का होता है,,,,

माहौल पूरी तरह से ठंडा हो चुका था लेकिन रसोई के दायरे का वातावरण पूरी तरह से उन्मादकता से भरा हुआ था उत्तेजना की गर्मी मां बेटे दोनों को सुलगा रही थी,,, कजरी प्रसन्न होते हुए उसी डिब्बे में से थोड़ा तेल कढ़ाई में डालकर उसमें बेली हुई पुडी को डालकर पका रही थी,,, जो कि थोड़ी ही देर में गर्म होकर फूल गई,,,,,,


तू जानता है की पूडी इतनी फूल क्यों जाती है,,,?(बड़े चमचे से गरम तेल में तेरती हुई पूडी को पलटते हुए बोली,,)


नहीं मैं नहीं जानता,,,,


मैं तुझे बताती हूं जब कोई चीज ज्यादा गर्म हो जाती है तो वह इसी तरह से फूल जाती है,,, जैसे कि यह पूडी,,, और भी ऐसी चीज है जो गरम होने के बाद फुल जाती है,,,(अपने बेटे की तरह मुस्कुराते हुए देख कर बोली)


पुड़ी के अलावा और कौन सी चीज है जो गर्म होने पर फुल जाती है,,,(रघु अपनी मां के कहने की मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन वह अपनी मां के मुंह से जानना चाहता था इसलिए वह नादान बनता हुआ बोला)


हममम,,, ऐसी चीज बहुत ही खास लेकिन वक्त आने पर तुझे खुद ब खुद पता चल जाएगा,,,,


भला ऐसी कौन सी चीज है जो वक्त आने पर पता चल जाएगा अभी भी तो बता सकती हो,,,,


तू बड़ा बेसब्रा है,,, थोड़ा इंतजार तो कर समय आने पर मुझे बताने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी,,,,(कढ़ाई में दूसरी पुडी को तलते हुए बोली,,,,, अपनी मां के कहने का मतलब को रुको अच्छी तरह से समझ रहा था और जिस अंदाज में उसने गरम होकर फुलने वाली बात की थी अपनी मां का इशारा अपनी बुर की तरफ,,, एकदम साफ लफ्जो में कहते हुए देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था,,, वह समझ गया था कि उसकी मां बहुत ही जल्द उसके लिए अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी बुर को उसके आगे परोस देगी,,, अपनी मां की बातों को सुनकर रघु की हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई थी कि उसे लगने लगा था कि कहीं उसके लंड की नसें ना फट जाए,,, जिस तरह से उसकी मां दिलासा दे रही थी रघु कुछ और नहीं पूछा सका,,,, बस पूडी को बेलते हुए वह अपनी मां के खूबसूरत चेहरे के साथ-साथ ब्लाउज में हलचल कर रही चूचियों को देखता रहा,,,,,,मां बेटे दोनों उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुके थे दोनों के तन बदन में उत्तेजना अपना पूरा असर दिखा रहा था कजरी की बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, और रघु को इसी बात का डर था कि कहीं उसका लंड पानी ना फेंक दें,,,,,


आखिरकार भोजन बन कर तैयार हो गया,,,,,,,, दोनों मां-बेटे हाथ मुंह धो कर खाना खाने की तैयारी करने लगे लेकिन कजरी हाथ पैर धोने के बाद अपनी साड़ी को करते हो तब उठाकर उसने अपनी कमर पर खोस ली जिससे घुटनों से नीचे तक का भाग पूरी तरह से उजागर हो गया अपने हाथ को तोड़ते हुए मेरे को अपनी मां की इस हरकत पर ध्यान दिया था वह घुटनों से नीचे मांसल पिंडलियों, चिकनी टांग को देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,। कजरी का भी दिल धक-धक कर रहा था,,,, अपने बेटे को और खुद को खाना परोस कर वहीं खाने बैठ गई लेकिन कजरी अपने बेटे के ठीक सामने बैठ गई और लालटेन को उतार कर जहां बैठी थी वहां से थोड़ी सी ऊंचाई पर लालटेन को रख दी,,, कजरी अपने बेटे के सामने टांगों को फैला कर बैठ गई और बीच में खाली लेकर खाने लगी क्योंकि वह जानती थी कि इस तरह से बैठने पर उसकी दोनों टांगें खुल जाएंगे और एक बार फिर से उसके बेटे को उसकी रसीली बुर के दर्शन करने को मिल जाएंगे,,, और ऐसा ही हुआ इस बार भी रघु की नजर अपनी मां के इस तरह से बैठने की वजह से उसकी दोनों टांगों के बीच चली गई और इस बार लालटेन एकदम करीब होने की वजह से उसका उजाला पूरी तरह से कजरी के साड़ी तक पहुंच रहा था मानो की लालटेन से उठ रही पीली रोशनी उसकी मां की बुर को स्पर्श करना चाहती हो,,,,,,
रघु की हालत एक बार फिर से खराब होने लगी जिस तरह सेउसकी मां बता रही थी कि कोई भी चीज जब गर्म हो जाती हो तो मैं पूरी तरह से फूल जाती है उसी तरह से उसकी मां की बुर भी पूरी तरह से गर्म होकर कचोरी की तरह खुल चुकी थी जिसे देखते ही रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया,,,, लेकिन कजरी जानबूझकर अपने बेटे पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही थी,,,वह अपनी कामुक हरकत से पूरी तरह से अनजान बनी रहना चाहती थी ताकि उसका बेटा अपनी खुली आंखों से उसके गदराए जिस्म की उत्तेजना से भरपूर केंद्र बिंदु को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो सके,,,,,, और ऐसा हो भी रहा था रघु का लंड था कि नीचे बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था,,,। रघु के खाने में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था उसका पूरा ध्यान अपनी मां की दोनों टांगों के बीच केंद्रीत हो चुकी थी,,,,,, कजरी के गजराए बदन में उसकी कचोरी जैसी फुली हुई बुर और ज्यादा सुशोभित हो रही थी,,,,, रघु की आंखें पलक झपकना भूल चुकी थी वह एक टक अपनी मां की बुर को ही देखे जा रहा था,,,कजरिया बात अच्छी तरह से जानती थी किसी तरह से वह बैठी हुई है उसकी बुर उसके बेटे को साफ दिखाई दे रही होगी इसलिए कुछ देर तक वह अपने बेटे पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दि लेकिन वह समझ चुकी थी कि उसका बेटा पूरी तरह से तड़प उठा होगा और यही तड़प तो वह उसके अंदर चाहती थी इसलिए,,,,,, वह यही बात पक्की करने के लिए कि उसका बेटा उसकी दोनों टांगों के बीच देख रहा है या नहीं इसलिए वह रघु की तरफ देखते हूए बोली,,,,


अरे तू अभी तक खाया नहीं कहां ध्यान है तेरा,,,,(इतना कहने के साथ ही उसकी नजरों की तरफ उसके सिद्धांत को समझते हुए अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति को देखी तो जानबूझकर शर्मा ने का नाटक करते हुए बोली,,,)

अरे बाप रे,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी दोनों टांगे एक तरफ कर ली और शर्मा कर अपनी नजरें झुका ली,, रघु अपनी मां के इस हरकत पर पूरी तरह से मस्त हो गया क्योंकि जिस तरह से हुआ शर्मा कर अपनी दोनों टांगों को एक तरफ करके इतनी दूर को छुपा ली थी वह नजारा पूरी तरह से मदहोश कर देने वाला था,, और कजरी खाते हुए बोली,,,)

जल्दी से खा ले नहीं तो ठंडा हो जाएगा,,,,


अभी तो पूरा गर्म हुआ हूं,,,,


क्या,,,,?


कककक,,,कुछ नहीं मैं कह रहा हूं कि इतनी जल्दी ठंडा नहीं होगा अभी तो गरम खाना है,,,,
(कजरी अपने बेटे के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी थोड़ी देर बाद दोनों ने अपना अपना खत्म कर लिया और सोने की तैयारी करने लगे,,,, आसमान में बादल छाने लगे थे बारिश होने के आसार नजर आ रहे थे,,, दोनों छत पर सोने के लिए जा रहे थे और रघु आगे आगे और कजरी पीछे लालटेन लिए चल रही थी कि तभी उसके मन में एक और युक्ति सूझी और वह सीडी पर ही लालटेन को रख दी तब तक रघु 3 सीढ़ियां चढ़ चुका था,,,।


रघु तू चल मैं थोड़ी देर में आती हूं,,,


कहां जा रही हो,,,( रघु सीडी पर चढ़े हुए ही अपनी गर्दन पीछे घुमा कर अपनी मां की तरफ देखती हुए बोला,,)


अरे तुझे बताना जरूरी है क्या तू चल मैं आ रही हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी जानबूझकर जाने लगी और लालटेन को वही सीढ़ी के पास रख दी,,, रघु को अंदेशा हो गया था कि उसकी मां क्या करने जा रही है,,, इसलिए वह छत की तरफ ना जाकर वही खड़ा रहा और अपनी मां की तरफ देखता रहा जोकी ताडपत्री और टूटे हुए लकड़ी से बनाए हुए गुसल खाने की तरफ जा रही थी रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,।)
Masti bhari update mitr
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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कोमल जिसके मन में अब रखो पूरी तरह से फंस चुका था और उसके साथ शादी करके अपना जीवन बिताने के सपने बुनने लगी थी वह रोते-रोते अपना सारा दुखड़ा,,, अपने माता पिता को बता दी,,,,पहली बार कोमल के माता-पिता को इस बात का एहसास हो रहा था कि बड़े घर में शादी करके उन्होंने गलती कर दी है,,, उन्हें तो यही लग रहा था कि उनकी बेटी बड़े घर की बहू बनकर खुश हैं,,,, उन्हें क्या मालूम था कि उसकी बेटी नरक की जिंदगी बिता रही थी और इस बात का जैसे उन्हें पता चला कि उसके ससुर की गंदी नजर उनकी बेटी कोमल पर थी वैसे ही कोमल के माता-पिता को लाला के मरने का जरा भी दुख नहीं होगा उन्हें बल्कि मन ही मन प्रसन्नता हो रही थी कि उनकी बेटी शैतान के हाथों से छूट चुकी थी आजाद हो चुकी थी लेकिन उन्हें इस बात की भी फिकर थी कि इतने बड़े हवेली और जायदाद को कोमल अकेले कैसे संभाल पाएगी,,,, कोमल से ही उन्हें इस बात का पता चला कि उसका पति महीनों गुजर गई घर नहीं लौटा था ना उसकी कोई खबर मिली थी और उसके नकारा होने का भी पता चल चुका था,,,। बात ही बात में कोमल ने मां बाप के सामने कर दी कोमल के मां-बाप हैरान थे कि पति के जीवित होने के बावजूद वह दूसरी शादी कैसे कर पाएगी समाज क्या कहेगा और तो और क्या रघु के घरवाले इस बात के लिए राजी होंगे,,, लेकिन कोमल ने अपने मां-बाप को रघु से विवाह करने के लिए मना ली थी,,,,।

जैसी तेरी इच्छा बेटी हम तो तेरी खुशी के लिए इतने बड़े घर में तेरा विवाह किए थे लेकिन हमें क्या मालूम था कि इतनी बड़ी हवेली तेरे लिए नर्क के समान होगी लेकिन फिर भी अगर तेरी इच्छा है रघु से विवाह करने की तो हमें इसमें कोई एतराज नहीं लेकिन फिर भी हम एक बार रघु से मिलना चाहते हैं,,,, और कुछ दिनों के लिए अपने साथ ले जाना चाहते हैं,,,, क्योंकि लाला के देहांत के बाद तेरा मन यहां नहीं लग पाएगा,,,,


ठीक है पिताजी में किसी को खबर देकर रघु को यहां बुलवा लेती हूं,,,,,,,(इतना कहकर कोमल प्रसन्न नजर आने लगी लेकिन उसे इस बात का मलाल था कि मायके चले जाने से उसके कहीं की इच्छा अधूरी रह जाएगी क्योंकि रघु के साथ संभोग का सुख प्राप्त करके उसकी लत लग चुकी थी लेकिन फिर भी जिस तरह से उसके मां-बाप विवाह के लिए राजी हो गए थे इस बात से खुश थी और अपने मां-बाप को नाराज नहीं करना चाहती थी इसलिए ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गई थी थोड़ी ही देर बाद रघु भी वहां आ गया आते ही वह कोमल की मां बाप के पैर छूकर उन्हें प्रणाम किया,,,, रघु को देखकर कोमल के मां-बाप दोनों खुश नजर आ रहे थे क्योंकि रघु पूरी तरह से कोमल के लिए एकदम ठीक था लेकिन फिर भी उनके मन में संदेह था इसलिए रघु से बोले,,,)

बेटा क्या तुम कोमल से विवाह करने के लिए राजी हो,,,


जी बाबू जी मैं कोमल से विवाह करना चाहता हूं,,,


यह बात जानते हुए भी कि वह शादीशुदा है फिर भी,,,


जी बाबू जी मैं सबको चाहता हूं और यह भी जानता हूं कि शादीशुदा होने के बावजूद भी कोमल नरक की जिंदगी जी रही थी और यहां से बिल्कुल भी खुश नहीं है,,,,


क्या तुम्हारे माता-पिता इस बात से राजी होंगे,,,,


पिताजी नहीं है और मैं मां को जानता हूं वह मेरी खुशी के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हो जाएगी और वैसे भी मैं कोमल के बिना एक पल भी नहीं रह सकता दुनिया चाहे इधर की उधर हो जाए लेकिन मैं कोमल का हाथ कभी नहीं छोडूंगा,,,,
(रघु की बातें सुनकर कोमल के माता-पिता को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान हुई और वह खुश थे कि आगे की जिंदगी कोमल हंसी खुशी से गुजारेगी वैसे भी लाला की हवेली और जायदाद की रखवाली करने के लिए कोई तो चाहिए था और उन्हें रघु पर पूरा भरोसा हो चुका था इसलिए वह लोग बेहद खुश थे,,,, रघु इस बात से थोड़ा असहज हो गया कि कोमल भी उन लोगों के साथ जा रही थी लेकिन इस बात से खुश भी था कि उसके मां बाबूजी की शादी के लिए तैयार हो चुके थे शाम का वक्त हो रहा था वह बाहर तांगा तैयार था रघु कोमल की माता-पिता का सामान तांगे में रख रहा था,,,, और वह दोनों तानी पर बैठ गए थे लेकिन कोमल अभी भी अपने कमरे में ही थी,,,, तो कोमल के बाबूजी रघु से बोले,,,)


जा बेटा जरा देख तो कोमल कहां रह गई,,,,, शादी हो गई लेकिन अभी भी लापरवाह है जरा सा भी ध्यान नहीं रहता,,,



जी बाबू जी मैं भी जा कर देखता हूं,,,,(रघु इतना कह कर घर में प्रवेश करते हुए आवाज लगाया,,,)


कोमल ,,,,,ओ,,,,,कोमल कहां हो तैयार नहीं हुई क्या,,,,
(कोमल चौकी अपने कमरे में रघु का इंतजार कर रही थी उसे इस बात का अहसास था कि उसे ढूंढते हुए रघु उसके कमरे में जरूर आएगा और इस तरह से उसे आवाज लगाता हुआ देखकर वो एकदम से भाव विभोर हो गई रघु के अंदर उसे अपना पति नजर आने लगा था वह रघु को अपने पति के रूप में ही देखने लगी थी इसलिए वह प्रसन्नता से अंदर ही अंदर झूम उठे और खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू आ गए क्योंकि वह रघु से दूर नहीं होना चाहती थी,,, और रघु उसे आवाज लगाता हुआ ढूंढता हुआ उसके कमरे में पहुंच गया जहां पर,,, दरवाजे की तरफ पीठ करके कोमल खड़ी थी,,,,,, कोमल के गोल गोल पिछवाड़े को देखकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, जाने से पहले रघु के मन में कोमल के साथ संभोग सुख भोगने की कामना जारी रखी और यही कामना कोमल के भी मन में प्रज्वलित हो चुकी थी तो मैं किस बात का एहसास हो गया कि रघु ठीक उसके पीछे खड़ा है लेकिन उससे नजरें मिलाने की उसके में बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी,, कुछ दिनों के लिए दोनों अलग होने वाले थे और यह जुदाई ऊस से बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,। रघु खुदा तू बड़ा और पीछे से जाकर कोमल को अपनी बाहों में भर लिया पलभर में ही कोमल के पिछवाड़े को देख कर रघु के लंड में तनाव आना शुरू हो गया था जो कि पीछे से उसे अपनी बाहों में भरने की वजह से उत्तेजना में उसका लंड उसके पिछवाड़े से रगड़ खाने लगा था जिसके एहसास से कोमल के तन बदन में उत्तेजना की आग भड़कने लगी थी,,,,,,, रघु के द्वारा इस तरह से अपनी बाहों में भरने की वजह से,,,कोमल अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और जोर से रोने लगी उसे रोता हुआ देखकर रघु एकदम हैरान हो गया और उसके कंधे को पकड़कर अपनी तरफ घुमाते हुए उसे गौर से देखने लगा,,,,, कोमल को रोता हुआ देखकर रखो कि परेशान हो गया और उसकी आंखों से आंसु को साफ करने लगा और बोला,,,


रो क्यों रही हो कोमल तुम रोते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,,,


हमसे यह जुदाई बर्दाश्त नहीं हो रही है,,,,


कुछ दिनों की तो बात है,,,, उसके बाद तो हम दोनों को जिंदगी भर साथ ही रहना है,,,,


हमें यकीन नहीं हो रहा है कि हम दोनों शादी के बंधन से जुड़ जाएंगे,,,,


तुम चिंता मत करो और मुझ पर विश्वास करो ऐसा ही होगा हम दोनों की शादी होगी तुम मेरी पत्नी बनोगी,,,,,(ऐसा बोलते हो कोमल की खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों में ले लिया और उसकी आंखों में जाकर भी अपने होठों को उसके गुलाबी होठों पर चूसना शुरू कर दिया पल भर में ही यह चुंबन एकदम प्रगाढ़ होने लगा दोनों उत्तेजित होने लगे बाहर कोमल के माता-पिता उसका इंतजार कर रहे थे और अंदर रघु उनकी लड़की के साथ उत्तेजित पल गुजर रहा था,,,, रघु जाने से पहले कोमल की चुदाई करना चाहता था,,, इसलिए देखते ही देखते हुए साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, कोमल भी इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी इसलिए रघु का किसी भी प्रकार से विरोध ना करते हुए उसका सहकार कर रही थी यह जानते हुए भी कि बाहर उसके माता-पिता उसका इंतजार कर रहे हैं,,,,देखते ही देखते कोमल की साड़ी को व कमर तक उठा दिया और कोमल इसके बाद क्या करना है वह अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह बिना कुछ बोले अपनी गांड को रघु की तरफ करके पलंग के ऊपर झुक गई और अपने हाथ की कोहनी को पलंग के नरम नरम गद्दे पर रखकर,,, अपनी मतवाली गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा आसन में कोमल को देखकर रघु से राह नहीं किया और तुरंत अपने पजामे को घुटनो तक खींच लिया और अपने खड़े लंड को ठीक कोमल की गुलाबी बुर पर लगा कर,,, बिना थूक लगाए जोरदार धक्का दिया और पहली ही प्रयास में रघु का मोटा तगड़ा लंड कोमल की बुर को छेंदता हुआ,, सीधा उसके बच्चेदानी से टकरा गया और कोमल के मुंह से हल्की सी आहह निकल गई,,, रघु कोमल को चोदना शुरू कर दिया कोमल मस्त हुए जा रही थी,,,। हर एक धक्के का जवाब वह अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल कर दे रही थी,,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए,,,
रघु कोमल की अटैची लेकर हवेली के बाहर आया और तांगे में रखने लगा,,,, अटैची के रखने के बाद कोमल रघु के हाथ का सहारा लेकर तांगे पर बैठ गई रघु और कोमल दोनों की आंखें नम थी दोनों एक दूसरे को छोड़ना नहीं चाहते थे लेकिन इस समय कोमल का उसके मायके जाना ही ठीक था थोड़ा मन बहल जाता,,,, तांगा आगे बढ़ गया और रघ6 तब तक वहीं खड़ा होकर तांगे को देखता रहा जब तक तांगा आंखों से ओझल नहीं हो गया,,,।

शाम ढलने लगी थी रघु इधर-उधर घूमता हुआ अपने घर पहुंचा तो कजरी उसका ही इंतजार कर रही थी,,,,।


क्या बना रही हो मां,,,

आज तेरी पसंद का खीर और पूड़ी बना रही हूं लेकिन मेरे बदन में आज बहुत दर्द है थोड़ी मेरी मदद कर देगा,,,।


अरे हां हां क्यों नहीं,,,, आखिरकार मुझे ही तो अब तुम्हारी मदद करना पड़ेगा शालू जो नहीं है,,,,


ठीक है तू सब्जी काट दे और मैं आटा गुंथ देती हूं,,,,


ठीक है मां,,,,

(कजरी के मन में कुछ और चल रहा था वह अपने बेटे को पूरी तरह से उत्तेजित कर देना चाहती थी ताकि उसके मन की मुराद पूरी हो सके इसलिए वह लंबी लंबी लौकी को रघु की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,)

ले ईसे छोटी-छोटी काट दे,,,,


लेकिन मुझे तो लौकी बिल्कुल भी पसंद नहीं,,,


मैं जानती हूं लेकिन मुझे तो पसंद है ना तेरे लिए तो मैं खीर पूड़ी बना रही हूं,,,,


मा मुझे समझ में नहीं आता कि तुम्हें लौकी क्यों पसंद है,,, लंबी लंबी है इसलिए,,,,



हां तो सच कह रहा है लंबी लंबी है इसलिए क्योंकि हम औरतों को लंबी लंबी चीज ही पसंद आती है,,,(अपने बेटे की तरफ कातिल मुस्कान बिखेरते हुए बोली)


ना जाने क्यों तुम औरतों को लंबी लंबी चीज ही पसंद आती है हम लड़कों को तो गोल-गोल चीज ज्यादा पसंद आती है,,,(लौकी को चाकू से छीलते हुए बोला,,,)


भला तुम लड़कों को गोल-गोल चीज ही क्यों पसंद आती है,,,,(आटे में लोटे से पानी डालते हुए बोली)


क्योंकि मां गोल गोल चीज पकड़ने में आसान होती है और अच्छा भी लगता है,,,,(लौकी को काटते हुए बोला,,कजरी की बातों को रघु और रघु की बातों को कितनी अच्छी तरह से समझ रही थी दोनों मां-बेटे दो अर्थ वाली बातें कर रहे थे दोनों को इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर कजरी बोली,,)


अच्छी बात है तुम लोगों की यही आदत तो औरतों को अच्छी भी लगती है,,,(गहरी सांस लेते हुए कजरी बोली और अपनी मां की यह बात सुनकर रघु उत्तेजना से गदगद हो गया और अपनी मां के कहने का मतलब को जानते हुए भी जानबूझ कर बोला,,,)


हम लोगों की आदत औरतों को क्यों पसंद आती है,,,,


समय आने पर तु खुद समझ जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी जानबूझकर अपनी साड़ी को घुटनों तक चढ़ाकर बैठ गई जिससे उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया दिखने लगी और अपनी मां की गोरी गोरी मांसल चिकनी पिंडली को देखकर पजामें में रघु का लंड तनने लगा,,,।और कजरी जानबूझकर अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर अपनी दोनों हाथों को टांगों के बीच से लाकर आंटे को जोर जोर से गुंथने लगी,,,कचरी पहले से ही जानबूझकर अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल कर रखी थी क्योंकि वह जानती थी इस तरह से आटा गूंथने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां छलक कर बाहर आ जाएंगी,,, और यही हुआ जैसे ही वह आटा गूंथने के लिए थोड़ा सा झुकी,,,ब्लाउज का पहला बटन खुला होने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के बाहर छलक उठी जिसे देखते ही रघु की हालत खराब हो गई और वह फटी आंखों से अपनी मां की सूचियों को देखने लगा,,,,।
Nice update
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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कोमल जिसके मन में अब रखो पूरी तरह से फंस चुका था और उसके साथ शादी करके अपना जीवन बिताने के सपने बुनने लगी थी वह रोते-रोते अपना सारा दुखड़ा,,, अपने माता पिता को बता दी,,,,पहली बार कोमल के माता-पिता को इस बात का एहसास हो रहा था कि बड़े घर में शादी करके उन्होंने गलती कर दी है,,, उन्हें तो यही लग रहा था कि उनकी बेटी बड़े घर की बहू बनकर खुश हैं,,,, उन्हें क्या मालूम था कि उसकी बेटी नरक की जिंदगी बिता रही थी और इस बात का जैसे उन्हें पता चला कि उसके ससुर की गंदी नजर उनकी बेटी कोमल पर थी वैसे ही कोमल के माता-पिता को लाला के मरने का जरा भी दुख नहीं होगा उन्हें बल्कि मन ही मन प्रसन्नता हो रही थी कि उनकी बेटी शैतान के हाथों से छूट चुकी थी आजाद हो चुकी थी लेकिन उन्हें इस बात की भी फिकर थी कि इतने बड़े हवेली और जायदाद को कोमल अकेले कैसे संभाल पाएगी,,,, कोमल से ही उन्हें इस बात का पता चला कि उसका पति महीनों गुजर गई घर नहीं लौटा था ना उसकी कोई खबर मिली थी और उसके नकारा होने का भी पता चल चुका था,,,। बात ही बात में कोमल ने मां बाप के सामने कर दी कोमल के मां-बाप हैरान थे कि पति के जीवित होने के बावजूद वह दूसरी शादी कैसे कर पाएगी समाज क्या कहेगा और तो और क्या रघु के घरवाले इस बात के लिए राजी होंगे,,, लेकिन कोमल ने अपने मां-बाप को रघु से विवाह करने के लिए मना ली थी,,,,।

जैसी तेरी इच्छा बेटी हम तो तेरी खुशी के लिए इतने बड़े घर में तेरा विवाह किए थे लेकिन हमें क्या मालूम था कि इतनी बड़ी हवेली तेरे लिए नर्क के समान होगी लेकिन फिर भी अगर तेरी इच्छा है रघु से विवाह करने की तो हमें इसमें कोई एतराज नहीं लेकिन फिर भी हम एक बार रघु से मिलना चाहते हैं,,,, और कुछ दिनों के लिए अपने साथ ले जाना चाहते हैं,,,, क्योंकि लाला के देहांत के बाद तेरा मन यहां नहीं लग पाएगा,,,,


ठीक है पिताजी में किसी को खबर देकर रघु को यहां बुलवा लेती हूं,,,,,,,(इतना कहकर कोमल प्रसन्न नजर आने लगी लेकिन उसे इस बात का मलाल था कि मायके चले जाने से उसके कहीं की इच्छा अधूरी रह जाएगी क्योंकि रघु के साथ संभोग का सुख प्राप्त करके उसकी लत लग चुकी थी लेकिन फिर भी जिस तरह से उसके मां-बाप विवाह के लिए राजी हो गए थे इस बात से खुश थी और अपने मां-बाप को नाराज नहीं करना चाहती थी इसलिए ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गई थी थोड़ी ही देर बाद रघु भी वहां आ गया आते ही वह कोमल की मां बाप के पैर छूकर उन्हें प्रणाम किया,,,, रघु को देखकर कोमल के मां-बाप दोनों खुश नजर आ रहे थे क्योंकि रघु पूरी तरह से कोमल के लिए एकदम ठीक था लेकिन फिर भी उनके मन में संदेह था इसलिए रघु से बोले,,,)

बेटा क्या तुम कोमल से विवाह करने के लिए राजी हो,,,


जी बाबू जी मैं कोमल से विवाह करना चाहता हूं,,,


यह बात जानते हुए भी कि वह शादीशुदा है फिर भी,,,


जी बाबू जी मैं सबको चाहता हूं और यह भी जानता हूं कि शादीशुदा होने के बावजूद भी कोमल नरक की जिंदगी जी रही थी और यहां से बिल्कुल भी खुश नहीं है,,,,


क्या तुम्हारे माता-पिता इस बात से राजी होंगे,,,,


पिताजी नहीं है और मैं मां को जानता हूं वह मेरी खुशी के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हो जाएगी और वैसे भी मैं कोमल के बिना एक पल भी नहीं रह सकता दुनिया चाहे इधर की उधर हो जाए लेकिन मैं कोमल का हाथ कभी नहीं छोडूंगा,,,,
(रघु की बातें सुनकर कोमल के माता-पिता को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान हुई और वह खुश थे कि आगे की जिंदगी कोमल हंसी खुशी से गुजारेगी वैसे भी लाला की हवेली और जायदाद की रखवाली करने के लिए कोई तो चाहिए था और उन्हें रघु पर पूरा भरोसा हो चुका था इसलिए वह लोग बेहद खुश थे,,,, रघु इस बात से थोड़ा असहज हो गया कि कोमल भी उन लोगों के साथ जा रही थी लेकिन इस बात से खुश भी था कि उसके मां बाबूजी की शादी के लिए तैयार हो चुके थे शाम का वक्त हो रहा था वह बाहर तांगा तैयार था रघु कोमल की माता-पिता का सामान तांगे में रख रहा था,,,, और वह दोनों तानी पर बैठ गए थे लेकिन कोमल अभी भी अपने कमरे में ही थी,,,, तो कोमल के बाबूजी रघु से बोले,,,)


जा बेटा जरा देख तो कोमल कहां रह गई,,,,, शादी हो गई लेकिन अभी भी लापरवाह है जरा सा भी ध्यान नहीं रहता,,,



जी बाबू जी मैं भी जा कर देखता हूं,,,,(रघु इतना कह कर घर में प्रवेश करते हुए आवाज लगाया,,,)


कोमल ,,,,,ओ,,,,,कोमल कहां हो तैयार नहीं हुई क्या,,,,
(कोमल चौकी अपने कमरे में रघु का इंतजार कर रही थी उसे इस बात का अहसास था कि उसे ढूंढते हुए रघु उसके कमरे में जरूर आएगा और इस तरह से उसे आवाज लगाता हुआ देखकर वो एकदम से भाव विभोर हो गई रघु के अंदर उसे अपना पति नजर आने लगा था वह रघु को अपने पति के रूप में ही देखने लगी थी इसलिए वह प्रसन्नता से अंदर ही अंदर झूम उठे और खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू आ गए क्योंकि वह रघु से दूर नहीं होना चाहती थी,,, और रघु उसे आवाज लगाता हुआ ढूंढता हुआ उसके कमरे में पहुंच गया जहां पर,,, दरवाजे की तरफ पीठ करके कोमल खड़ी थी,,,,,, कोमल के गोल गोल पिछवाड़े को देखकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, जाने से पहले रघु के मन में कोमल के साथ संभोग सुख भोगने की कामना जारी रखी और यही कामना कोमल के भी मन में प्रज्वलित हो चुकी थी तो मैं किस बात का एहसास हो गया कि रघु ठीक उसके पीछे खड़ा है लेकिन उससे नजरें मिलाने की उसके में बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी,, कुछ दिनों के लिए दोनों अलग होने वाले थे और यह जुदाई ऊस से बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,। रघु खुदा तू बड़ा और पीछे से जाकर कोमल को अपनी बाहों में भर लिया पलभर में ही कोमल के पिछवाड़े को देख कर रघु के लंड में तनाव आना शुरू हो गया था जो कि पीछे से उसे अपनी बाहों में भरने की वजह से उत्तेजना में उसका लंड उसके पिछवाड़े से रगड़ खाने लगा था जिसके एहसास से कोमल के तन बदन में उत्तेजना की आग भड़कने लगी थी,,,,,,, रघु के द्वारा इस तरह से अपनी बाहों में भरने की वजह से,,,कोमल अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और जोर से रोने लगी उसे रोता हुआ देखकर रघु एकदम हैरान हो गया और उसके कंधे को पकड़कर अपनी तरफ घुमाते हुए उसे गौर से देखने लगा,,,,, कोमल को रोता हुआ देखकर रखो कि परेशान हो गया और उसकी आंखों से आंसु को साफ करने लगा और बोला,,,


रो क्यों रही हो कोमल तुम रोते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,,,


हमसे यह जुदाई बर्दाश्त नहीं हो रही है,,,,


कुछ दिनों की तो बात है,,,, उसके बाद तो हम दोनों को जिंदगी भर साथ ही रहना है,,,,


हमें यकीन नहीं हो रहा है कि हम दोनों शादी के बंधन से जुड़ जाएंगे,,,,


तुम चिंता मत करो और मुझ पर विश्वास करो ऐसा ही होगा हम दोनों की शादी होगी तुम मेरी पत्नी बनोगी,,,,,(ऐसा बोलते हो कोमल की खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों में ले लिया और उसकी आंखों में जाकर भी अपने होठों को उसके गुलाबी होठों पर चूसना शुरू कर दिया पल भर में ही यह चुंबन एकदम प्रगाढ़ होने लगा दोनों उत्तेजित होने लगे बाहर कोमल के माता-पिता उसका इंतजार कर रहे थे और अंदर रघु उनकी लड़की के साथ उत्तेजित पल गुजर रहा था,,,, रघु जाने से पहले कोमल की चुदाई करना चाहता था,,, इसलिए देखते ही देखते हुए साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, कोमल भी इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी इसलिए रघु का किसी भी प्रकार से विरोध ना करते हुए उसका सहकार कर रही थी यह जानते हुए भी कि बाहर उसके माता-पिता उसका इंतजार कर रहे हैं,,,,देखते ही देखते कोमल की साड़ी को व कमर तक उठा दिया और कोमल इसके बाद क्या करना है वह अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह बिना कुछ बोले अपनी गांड को रघु की तरफ करके पलंग के ऊपर झुक गई और अपने हाथ की कोहनी को पलंग के नरम नरम गद्दे पर रखकर,,, अपनी मतवाली गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा आसन में कोमल को देखकर रघु से राह नहीं किया और तुरंत अपने पजामे को घुटनो तक खींच लिया और अपने खड़े लंड को ठीक कोमल की गुलाबी बुर पर लगा कर,,, बिना थूक लगाए जोरदार धक्का दिया और पहली ही प्रयास में रघु का मोटा तगड़ा लंड कोमल की बुर को छेंदता हुआ,, सीधा उसके बच्चेदानी से टकरा गया और कोमल के मुंह से हल्की सी आहह निकल गई,,, रघु कोमल को चोदना शुरू कर दिया कोमल मस्त हुए जा रही थी,,,। हर एक धक्के का जवाब वह अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल कर दे रही थी,,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए,,,
रघु कोमल की अटैची लेकर हवेली के बाहर आया और तांगे में रखने लगा,,,, अटैची के रखने के बाद कोमल रघु के हाथ का सहारा लेकर तांगे पर बैठ गई रघु और कोमल दोनों की आंखें नम थी दोनों एक दूसरे को छोड़ना नहीं चाहते थे लेकिन इस समय कोमल का उसके मायके जाना ही ठीक था थोड़ा मन बहल जाता,,,, तांगा आगे बढ़ गया और रघ6 तब तक वहीं खड़ा होकर तांगे को देखता रहा जब तक तांगा आंखों से ओझल नहीं हो गया,,,।

शाम ढलने लगी थी रघु इधर-उधर घूमता हुआ अपने घर पहुंचा तो कजरी उसका ही इंतजार कर रही थी,,,,।


क्या बना रही हो मां,,,

आज तेरी पसंद का खीर और पूड़ी बना रही हूं लेकिन मेरे बदन में आज बहुत दर्द है थोड़ी मेरी मदद कर देगा,,,।


अरे हां हां क्यों नहीं,,,, आखिरकार मुझे ही तो अब तुम्हारी मदद करना पड़ेगा शालू जो नहीं है,,,,


ठीक है तू सब्जी काट दे और मैं आटा गुंथ देती हूं,,,,


ठीक है मां,,,,

(कजरी के मन में कुछ और चल रहा था वह अपने बेटे को पूरी तरह से उत्तेजित कर देना चाहती थी ताकि उसके मन की मुराद पूरी हो सके इसलिए वह लंबी लंबी लौकी को रघु की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,)

ले ईसे छोटी-छोटी काट दे,,,,


लेकिन मुझे तो लौकी बिल्कुल भी पसंद नहीं,,,


मैं जानती हूं लेकिन मुझे तो पसंद है ना तेरे लिए तो मैं खीर पूड़ी बना रही हूं,,,,


मा मुझे समझ में नहीं आता कि तुम्हें लौकी क्यों पसंद है,,, लंबी लंबी है इसलिए,,,,



हां तो सच कह रहा है लंबी लंबी है इसलिए क्योंकि हम औरतों को लंबी लंबी चीज ही पसंद आती है,,,(अपने बेटे की तरफ कातिल मुस्कान बिखेरते हुए बोली)


ना जाने क्यों तुम औरतों को लंबी लंबी चीज ही पसंद आती है हम लड़कों को तो गोल-गोल चीज ज्यादा पसंद आती है,,,(लौकी को चाकू से छीलते हुए बोला,,,)


भला तुम लड़कों को गोल-गोल चीज ही क्यों पसंद आती है,,,,(आटे में लोटे से पानी डालते हुए बोली)


क्योंकि मां गोल गोल चीज पकड़ने में आसान होती है और अच्छा भी लगता है,,,,(लौकी को काटते हुए बोला,,कजरी की बातों को रघु और रघु की बातों को कितनी अच्छी तरह से समझ रही थी दोनों मां-बेटे दो अर्थ वाली बातें कर रहे थे दोनों को इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर कजरी बोली,,)


अच्छी बात है तुम लोगों की यही आदत तो औरतों को अच्छी भी लगती है,,,(गहरी सांस लेते हुए कजरी बोली और अपनी मां की यह बात सुनकर रघु उत्तेजना से गदगद हो गया और अपनी मां के कहने का मतलब को जानते हुए भी जानबूझ कर बोला,,,)


हम लोगों की आदत औरतों को क्यों पसंद आती है,,,,


समय आने पर तु खुद समझ जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी जानबूझकर अपनी साड़ी को घुटनों तक चढ़ाकर बैठ गई जिससे उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया दिखने लगी और अपनी मां की गोरी गोरी मांसल चिकनी पिंडली को देखकर पजामें में रघु का लंड तनने लगा,,,।और कजरी जानबूझकर अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर अपनी दोनों हाथों को टांगों के बीच से लाकर आंटे को जोर जोर से गुंथने लगी,,,कचरी पहले से ही जानबूझकर अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल कर रखी थी क्योंकि वह जानती थी इस तरह से आटा गूंथने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां छलक कर बाहर आ जाएंगी,,, और यही हुआ जैसे ही वह आटा गूंथने के लिए थोड़ा सा झुकी,,,ब्लाउज का पहला बटन खुला होने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के बाहर छलक उठी जिसे देखते ही रघु की हालत खराब हो गई और वह फटी आंखों से अपनी मां की सूचियों को देखने लगा,,,,।
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