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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

rohnny4545

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Av aur ek Barsat ki Raat ho jaye, jis raat me Raghu Maa (Kajri) aur Beti (Salu) dono ki bur chod le. Kajri ki toh pura aarati utarana chahiye us raat kyu ki aakhir dono lund aur bur (Raghu ki aur Salu ki) ki srijana Kajari se jo hui hai.

..Jyadatar x-forum me kahani regular porn ki tarah hote hai jaha seduction kam aur chudai jyada ho ti hai but ish kahani unme se alag ja raha hai.
Keep on going....
Thanks
 

rohnny4545

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अब तक की कहानी का सार ये हैं रघु ने शुरवात हलवाई की बीवी से किया जो जा पहुंचा मां के देह तक बीच के सफर में बहुत सी बाला आई उसे भी निपटता चाला। टांगे में की जमींदार की बीबी की कुटाई जो जा पुछा उसके घर तक जमीदार के घर में हुआ बड़ा ही रंगारंग क्रियाक्रम लेकिन जमींदरकुछ नहीं कर पाया विचारा लेटा था विस्तार पर उसे विस्तार पार पहुंचने का सारा स्रेह रघु राधा और उसकी बीबी को जाता हैं। कारण वानी शालू क्यों कि शालू से जवानी की गर्मी ब्रदस्त न हुए कर बैठा घर में ही कांड कांड का नतीजा पेट बाहर निकल आया। फिर सुरु हुआ खेल निराला दिया गया बहुत से कांड को अंजाम रस्ते में मिल गई कोमल उसे भी रघु ने निपटा दिया पहले बाग में घुमाया फिर नदी किनारे घोड़ी बनाया। आया रात जब बरसात की मां की लाज बचाने खातिर रघु बन गया कातिल एक नहीं तीन तीन का किया कत्ल फिर बन गया मां के जिस्म का हकदार सावन की बेला में जिस्म की ज्वाला को किया शान्त इसलिए कहानी का नाम हैं बरसात की रात।

दिए गए सारे अपडेट एक से बडकर एक था मैं काफी दिनों से यह कहानी पढ़ रहा हूं बस id न होने के कारण रेवो नहीं दे पाए गजब लिख रहे हों ऐसे ही लिखते रहो और पाठकों का मनोरंजन करते रहे अप्रतिम
Gajab ka comment thanks dost ase hi comments ka mujhe besabri se intejar rahta he lekn is tarah kcomment milte nahi he xossip ki baat hi kuch or thi,,, bahot dino bad is tarah ka comment mila he thanks
 

jayantaDS

Aao kabhi haveli pe
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बेहद काम उत्तेजना से भरा हुआ यह नजारा था,,, कजरी पर बदन से खूबसूरती शहद की तरह टपक रही थी,,, लालटेन की रोशनी में उसका मादक मांसल भरा हुआ बदन,,, और भी ज्यादा लुभावना लग रहा था कजरी इस समय स्वर्ग से उतरी में कोई अप्सरा लग रही थी,,, रघु अपनी मां के बदन के हर एक कटाव को देखकर अपने तन मन में उठती हुई चिंगारी ओ को दबाने की कोशिश कर रहा था,,,,,, लेकिन जितनी भी वह अपनी भावनाओं को दबाने की कोशिश करता था उतना ही उसका मन और ज्यादा मचल उठता था,,,,एक बार अपनी मां को चोद लेने के बाद भी उसका मन बिल्कुल भी भरा नहीं था ना ही उसका तन थका था,,, वह सुबह तक जितना हो सकता था उतना अपनी मां को चोदना चाहता था,,, यह बरसात की रात उसके लिए बेहद खास थी उसकी जीवन की सबसे बेहतरीन रात थी,,,

कजरी अंदर के कमरे के परदे को अपने हाथों से हटाते हुए आगे बढ़ रही थी,,। उसकी नंगी भराव दार गांड को देखकर रघु का लंड अकड़ रहा था,,, वैसे भी रघू खटिया पर एक बार अपनी मां की चुदाई कर लेने के बाद भी अपना लंड बुर में से बिना निकाले,, दोबारा तैयार हो गया था और अपनी मां को चोदना भी शुरू कर दिया था लेकिन उसकी मां को बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी और अगर वह अपनी कसम देकर उसे रुकने को ना कहती तो रघु एक बार फिर से खटिया पर ही अपनी मां की चुदाई कर दिया होता ,,,इसलिए बड़े बेमन से वहां अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकाला था और उसे मुताने के लिए बाहर ले जा रहा था,,

कजरी की बड़ी बड़ी गांड जितनी बार भी रघू देखता था उतना उसके लिए कम था अपनी मां की गांड को देख कर उसे ऐसा लगता था जैसे कि वह जन्नत का नजारा देख लिया उसकी बनावट बेहतरीन थी उसका उभार उसका उसकी गौलाई सब कुछ बेहतरीन थी एकदम उम्दा किस्म की,,,, रघु को तो जैसे पूरी दुनिया मिल गई थी हाथ में लालटेन लिए हुए भी अपने लालच को रोक नहीं पा रहा था और बार-बार पीछे से अपनी मां की गांड पर जोर जोर से चपत लगा दे रहा था,,,, लालटेन की पीली रोशनी की वजह से रघु के द्वारा चपत लगाने की वजह से कजरी की गोरी गोरी गाल टमाटर की तरह लाल हो गई थी यह बराबर दिखाई नहीं दे रहा, था,,,कचरी को रघु के द्वारा इस तरह से गांड पर चपत लगाने की वजह से उसे हल्का हल्का दर्द हो रहा था लेकिन उसने उसे आनंद की अनुभूति भी हो रही थी,,, इसलिए वह हल्की आहह लेकर इस से ज्यादा कुछ बोल नहीं रही थी,,,। अपने बेटे के सामने इस तरह से एकदम नंगी होकर चलने में उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी आज तक वह पूरी तरह से नंगी होकर चार कदम भी नहीं चली थी लेकिन आज उसे पूरी तरह से नंगी होकर अपनी बेटे की आंखों के सामने अपने बेटे के साथ साथ बाहर तक जाना था इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,,, और अपने बेटे के द्वारा बार-बार अपनी बड़ी बड़ी गांड को छेड़े जाने के कारण वह पूरी तरह से उत्तेजना से भरती चली जा रही थी,,, की पेशाब ना लगी होती तो एक बार फिर से अपने बेटे से चुदवाने में और ज्यादा मजा आता,,,

देखते ही देखते वह बाहर आ गई बाहर बड़े जोरों की बारिश हो रही थी चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा था,,, घर से बाहर भी घुटनों तक पानी लगा हुआ था तेज तूफानी हवा से पानी की बौछार अंदर तक आ रही थी जिससे पानी की बूंदे,, उसके नंगे बदन पर पड रही थी और ठंडी बुंदो की वजह से उसका नंगा बदन गनगना जा रहा था,,,, रघु लालटेन ले अपनी मां के पास खड़ा था वह भी पूरी तरह से धंधा है उसका लंड अपनी मां की मटकती गांड को देखकर अभी भी पूरी तरह से खड़ा का खड़ा था,,,, घर के बाहर घुटनों तक पानी और तेज बारिश को देख कर कजरी अपनी बेटे से बोली,,,,।


मैं वहां तक कैसे जाऊं यहां तो घुटने तक पानी भरा हुआ है और तेज बारिश हो रही है,,,,(गुसल खाने की तरफ इशारा करते हुए बोली,,, रघु को भी घर के बाहर की स्थिति अच्छी तरह से मालूम थी वह जानता था कि इतने पानी में और तेज बारिश में वहां तक नहीं जाया जा सकता,,,, इसलिए वह एक नजर घर के बाहर चारों तरफ घुमाते हुए बोला,,)

तो यही मुंह मुत लो ना,,, बाहर जाने की क्या जरूरत है,,,

धत्त,,,, पागल हो गया है क्या ,,,,(कजरी अपने बेटे की बात सुनकर शरमाते हुए बोली)


अरे इसमें शर्माने वाली कोई बात नहीं है,,,,तुम भी अच्छी तरह से देख रही हो कि घर से बाहर निकलना भी मुश्किल है इतनी तेज बारिश हो रही है बादलों की गड़गड़ाहट और तेज हवाएं और ऊपर से घुटनों तक पानी भरा हुआ है बाहर जाओगे की तो कैसे जाओगी अगर पैर फिसल गया तो,,, और मुसीबत बढ़ जाएगी,,,
(कजरी अपने बेटे की बात को अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन जो बात उसका बेटा कर रहा था कजरी इस बारे में कभी सोचा भी नहीं थी,,, एक तो वह घर के किनारे ही उसे मुतने के लिए बोल रहा था और उसकी आंखों के सामने ही,,, भले ही रघु उसे चोरी-छिपे पेशाब करते हुए देख चुका था और कुछ देर पहले वह खुद जानबूझकर उसकी आंखों के सामने पेशाब कर रही थी जिसे वह चोरी चुपके से देख भी रहा था लेकिन ना जाने क्यों इस समय उसे इस बारिश में उसकी आंखों के सामने मुतने में शर्म आ रही थी,,,,लेकिन उसे बड़े जोरों की फसल लगी हुई थी कुछ देर अगर वह इसी तरह से रुकी रही तो अपने आप ही पेशाब हो जाएगी यह बात भी अच्छी तरह से समझ रही थी,,, इसलिए वह कसमसा ते हुए बोली,,,।)


यहां पर,,,, यहां पर मुझे बड़ा अटपटा लग रहा है,,,


कैसा अटपटा,,,,(रघु लालटेन को नीचे जमीन पर रखते हुए बोला,,,)


रघु मैं यहां पर कैसे कर सकती हूं,,,,(अपनी कमर पर अपने दोनों हाथ रखते हुए बोली,,, रघु अपनी मां की यह अदा देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,,)


कर सकती हो यहीं पर बैठ जाओ,,, और मुत लो,,,,(रघू इस बारअपने खड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए बोला अपने बेटे की यह हरकत देखकर कजरी पूरी तरह से मदहोश हो गई,,, वह तिरछी नजर से अपने बेटे के लैंड को देख कर बोली,,,)


कोई देख लिया तो,,,,


क्या मां तुम भी एकदम पागल हो गई हो,,,, देख रही हो बारिश कितनी तेज हो रही है कहां कुछ भी तो दिखाई नहीं दे रहा है,,,, कोई देखता भी होगा तो उसे कुछ दिखाई भी नहीं देता होगा,,,,जो भी करना है जल्दी करो मेरे लंड से रहा नहीं जा रहा है जल्दी से मुत लो तो तुम्हारी बुर में लंड डाल दुं,,,(रघु एकदम से बेशर्म बनता हुआ अपनी मां से एकदम गंदी बात करने लगा अपने बेटे के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर कजरी के बदन में सरसराहट दौड़ने लगी,,,कजरी को इस बात का अहसास होने लगा कि उसका बेटा कितना उतावला है उसकी बुर में लंड डालने के लिए,,,इस बात से कचरी भी पूरी तरह से उत्तेजित हो गई उसकी बुर में खुजली होने लगी वह भी जल्द से जल्द मुतने के बाद अपनी बुर में अपने बेटे के लंड को लेने के लिए मचलने लगी,,,,,,,, इसलिए उसकी भी उत्सुकता बढ़ने लगी अपने बेटे की आंखों के सामने ही अपनी बड़ी बड़ी गांड दीखाते हुए पेशाब करने के लिए,,,,,,

बरसाती माहौल होने के बावजूद भी दोनों मां-बेटे के बदन में गर्मी छाई हुई थी,, कजरी कुछ देर तक उसी तरह से खड़ी रही तो रघु बोला,,,,


चलो आगे बढ़ो नहीं तो यही शुरु हो जाऊंगा क्योंकि मुझसे रहा नहीं जा रहा है तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर,,,,


एकदम बेशर्म हो गया है तु,,,(गहरी सांस लेते हुए कजरी अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली)

बेशर्म हो गया हूं तभी तो तुम्हें चोद रहा हूं,,,(अपने लंड को ऊपर नीचे करके जोर से हिलाते हुए बोला,, कजरी से अपनी बेटे की हरकत बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वह एक कदम आगे बढ़ी,, तेज चलती हवाओं के साथ साथ पानी की बौछार कजरी पर बराबर पड रही थी जिससे पानी के ठंडक से वह पूरी तरह से गन गना जा रही थी,,,,,, उत्तेजना के मारे रघु की हालत खराब हो रही थी,,। कजरी एकदम किनारे खड़ी हो गई जहां से एक कदम भी आगे लेने से घुटने भर पानी था,,,,,

कजरी वहीं पर गांड फैलाकर बैठ गई,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, रघू एकदम से मस्त हो गया उसकी आंखों के सामने उसकी मां बैठ कर पेशाब कर रही थी,,,कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी उसका बेटा उसके पास में खड़ा होकर उसे पेशाब करते हुए देख रहा है उसकी बड़ी-बड़ी गांड उसकी आंखों के सामने थी उसका पूरा नंगा वजूद उसकी आंखों के सामने था,,,,,
कजरी कितनी चोरों की पेशाब लगी हुई थी कि उसकी बुर से बहुत ही तेजी से सीटी की आवाज निकलने लगी थी लेकिन बारिश का शोर इतना था कि वह ठीक से सुनाई नहीं दे रही थी लेकिन फिर भी रघु बड़े गौर से अपनी मां की बुर से निकल रही सीटी की आवाज को सुनने की कोशिश कर रहा था और उसे हल्की-हल्की सीटी की आवाज सुनाई देने लगी थी वह पूरी तरह से मदहोश होता हुआ एकदम से उत्तेजित हो गया,,, रघु से रहा नहीं जा रहा कजरी भी एकदम निश्चिंत होकर पेशाब कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि इतनी रात को और तेज बारिश में उसके बेटे के सिवा कोई तीसरा उसे नहीं देख रहा है,,,,
रघु अपनी उत्तेजना पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाया और जिस तरह से कजरी बैठी थी ठीक उसी तरह से उसके पीछे जाकर बैठ गया,, कजरी को यह एहसास हो गया कि उसका बेटा ठीक उसके पीछे बैठ गया है और इस वजह से उसके पसीने छूटने लगे,,, एक तरफ उसकी बुर से पेशाब छूट रही थी और माथे से पसीना,,,,अपन दोनों के लिए बेहद अतुल्य और अद्भुत था दोनों इस पल को जीने की कभी कल्पना भी नहीं किए थे,,,,, रघू धीरे-धीरे पीछे से अपनी मां से एकदम से सट गया,,, और नीचे से रघू अपने लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी मां की बुर की गुलाबी होंठ पर सटा दिया,,, जैसे ही अपने बेटे को लंड को कजरी अपनी बुर के ऊपरी सतह पर महसूस की वह एकदम से गनगना ऊठी,,,, उसकी सांसों की गति एकदम से तेज हो गई,,,, रघु की भी हालत खराब थी रघूनीचे से अपनी दोनों हथेली को अपनी मां की गांड पर रखकर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ से तकरीबन 1 इंच जितना,,, और उसका लंड पूरी तरह से कजरी की बुर के एकदम ऊपरी सतह पर आ गया जहां से उसके पेशाब की धार छूट रही थी,,,, और देखते ही देखते रघु की भी पेशाब छूट गई कजरी को बेहद अजीब और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था क्योंकि लालटेन की रोशनी में उसे साफ दिखाई दे रहा था कि,, उसके पेशाब की धार उसके बेटे के लंड पर पड रही थी कजरी पूरी तरह से मदहोश हो गई पुरुष के पेशाब की धार और तेज हो गई,,,, वह साफ देख पा रही थी कि उसका बेटा भी मुत रहा था,,,,
दोनों मां-बेटे उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गए थे,,, रघु अभी भी अपनी मां की गांड को उसी स्थिति में पकड़े हुए था,, बेहद उत्तेजना से भरा हुआ यह मादक दृश्य था,,, तूफानी बारिश में बादलों की गड़गड़ाहट के बीच अंधेरी रात में दोनों मां-बेटे,, जवानी का मजा लूट रहे थे,,, रघू अपनी मां की गांड को उसी स्थिति में छोड़कर अपने दोनों हाथ को आगे की तरफ लाकर अपनी मां के दोनों दशहरी आम को थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाने लगा,,,।

सससहहहहह आहहहहहहह,,,रघु,,,,,,,


क्या हुआ मा,,, मजा आ रहा है ना,,,,,

सससहहहहह,,, आहहहहहहह,,,,,,,, थोड़ा धीरे दबा,,,,, दर्द कर रहा है,,,,


मजा भी तो आ रहा है ना मां,,,,,, बस ऐसे ही अपने पेशाब की धार मेरे लंड पर गिराते जाओ देखो कैसे और मोटा हो रहा है,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर कजरी अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगी जहां से उसके पेशाब की धार सीधे उसके लंड के सुपाड़े पर पड रही थी,,, अपनी आंखों से यह दृश्य देखकर कजरी उत्तेजना से गदगद हो गई,,,, उसकी सांसे बहकने लगी,,, अपने बेटे की हरकत का मजा लेते हुए कजरी बोली,,,)

तु सच में बहुत बेशर्म हो गया है रे,,,


तुम भी तो बेशर्म हो गई हो मां तभी तो नंगी होकर मजा ले रही हो,,,


वह तो तूने मजबूर कर दिया वरना मैं कभी सपने में भी ऐसा काम नहीं करने वाली थी,,,,



सहहहहहह,,,, मजबूर क्यों हो गई मां,,,(अपनी मां की दोनों चूचियों को जोर से दबाते हुए बोला,,,)


पता नहीं कैसे लेकिन हो गई,,,,,


मजा तो आ रहा है ना मां,,,,


मजा नहीं आता तो तेरे साथ रात भर जागती नही,,,,


ओहहहहह मां तुम बहुत प्यारी हो,,,,( ऐसा कहती है रखी है तेरी मां की नंगी पीठ पर चुंबनों की बारिश कर दिया,,,कजरी अपने बेटे की हरकत की वजह से पल-पल उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंचती चली जा रही थी रघु अपनी मां की जवानी से धीरे-धीरे खेलते हुए उसे जवानी की आग में और ज्यादा तड़पा रहा था,,,,)

आखरी बूंद तक मेरे लंड पर गिरा दो,,,, मां,,,,

(कजरी ऐसा ही कर रही थी वह पेशाब कर चुकी थी लेकिन अपने बेटे के कहे अनुसार अपनी बुर से पेशाब की आखिरी बूंद तक निचोड़ कर रख दे रही थी,,,, रघू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, घर के बाहर का खुला मौसम और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था,,, यही हाल कजरी का भी था कजरी से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी,,, इसलिए वह अपनी गोल गोल गांड को आगे पीछे करके अपने बेटे के लंड पर रगड रही थी,,, अंदर कमरे में अपनी मां को ले जाने तक का इंतजार रघु से अब कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था इसलिए रघु अपने हाथ को अपनी मां की गांड के नीचे से लाते हुए अपने लंड को ऊपर की तरफ उठाकर,, अपनी मां की बुर् के गुलाबी छेद को ढूंढने लगा,,,, उसे ठीक से अपनी मां का गुलाबी छेद मिल नहीं रहा था,,,, इसलिए कोशिश करते हुए रघु बोला,,,।

आहहहहह,, मां तुम्हारा छेद मिल नहीं रहा है,,,।

(अपने बेटे की बात सुनते ही कजरी बिना कुछ बोलो अपनी गांड को थोड़ा सा और ऊपर उठाकर एक हाथ नीचे की तरफ ले गई और अपने बेटे का लंड को पकड़ कर सीधे अपने गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दी रघु को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां ने मंजिल तक जाने का रास्ता दिखा दि थी,,, इसलिए रघु बड़े आराम से अपनी मां की बुर में अपना पूरा का पूरा लंड डाल दिया और अपनी कमर हिलाने की जगह अपनी मां की कमर पकड़कर उसे ऊपर नीचे उठक बैठक कराने लगा जिससे रघु का लंड पूरी तरह से कजरी की बुर में अंदर बाहर होने लगी कजरी भी बड़ी शिद्दत से अपने बेटे के लंड पर बैठ बैठ रही थी उसे मजा आ रहा था,,, रघु थोड़ी ही देर में अपनी मां की कमर पर से अपना हाथ हटाकर अपने हाथ को अपनी मां की चूची पर रखकर दबाना शुरू कर दिया क्योंकि वह‌ समझ गया था कि उसकी मां को क्या करना है यह अच्छी तरह से वह जान गई थी,,,, कजरी बिना अपने बेटे का सहारा लिए अपने बेटे के लंड पर उठबैठ रही थी,,,।


सहहहहहह,,, बहुत मजा आ रहा है मा मैं कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम्हें चोद पाऊंगा,,,,


आहहहहह आहहहहहहह,,,,मे भी कभी नहीं सोची थी कि हम दोनों के बीच इस तरह का रिश्ता कायम हो जाएगा,,,।

इस रिश्ते से खुश तो हो ना मां,,,,


हां लेकिन डर भी लग रहा है कि कहीं किसी को पता ना चल जाए,,,,



कभी किसी को पता नहीं चलेगा मा,,,, घर के बाहर हम लोग उसी तरह से रहेंगे लेकिन घर के अंदर आते ही हम दोनों के बीच एक औरत और मर्द का रिश्ता कायम हो जाएगा,,,,


क्या जिंदगी भर तु मुझे ऐसे ही खुश रखेगा,,,,


जिंदगी भर,,,, मैं तुम्हें ऐसे ही खुशी देते रहूंगा,,,,

(रघु और कजरी दोनों मदमस्त जवानी का मजा लूट रहे थे कजरी कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका सारा बेटा उसे इस तरह से शारीरिक सुख देगा उसके साथ संभोग करेगा उसे चुदाई का अद्भुत सुख प्रदान करेगा,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी आंखों के सामने तूफानी बारिश हो रही थी चारों तरफ पानी ही पानी था एक दूसरे का घर कब दिखाई नहीं दे रहा था बड़े-बड़े पेड़ सूखे पत्तों की तरह लहरा रहे थे बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी,,, अपनी बेटी की शादी करने के बाद उसके बेटे के साथ इस तरह का रिश्ता कायम हो जाएगा इस बारे में कभी उसने कल्पना भी नहीं की थी,,, लेकिन कजरी की सोच और धारणा के विरुद्ध सब कुछ बदल चुका था आज कजरी अपने बेटे के साथ इस पल का बेहद आनंद लूट रही थी,,,
रघु अपनी मां को जबरदस्ती दुखों के साथ उसकी चुदाई करना चाहता था लेकिन इस आसन से ठीक से हो नहीं पा रहा था,,, इसलिए वह अपना लंड अपनी मां की बुर से बाहर निकाल कर उसकी बांह पकड़कर उसे खड़ी किया,,, और दीवार के सहारे उसे खड़ी करके हल्का सा झुकाते हुए उसके पीछे आगे और अपनी मां की चिकनी कमर को थाम कर लालटेन की रोशनी अपनी मां की गुलाबी बुर में लंड डाल दिया और से चोदना शुरू कर देना इस तरह से रघू को बहुत अच्छी तरह से अपनी मां की चुदाई करने का मौका मिल रहा था,,, कजरी की मस्त हुए जा रही थी,,,। और तूफानी बारिश के शोर का फायदा उठाते हुए कचरी दिल खोलकर गरम सिसकारी की आवाज अपने मुंह से निकाल रहे थे क्योंकि वह जानती थी कि उसकी मादकता भरी आवाज को कोई सुन नहीं पाएगा,,,,

एक बार झड़ जाने के बाद रघू झड़ने का नाम नहीं ले रहा था,,, और कजरी दूसरी बार की चुदाई में दो बार झड़ चुकी थी,,,,,, अपने बेटे के हर धक्के के साथ उसके मुंह से आह निकल जा रही थी अपने बेटे की मर्दाना ताकत पर उसे गर्व होने लगा था वाकई में पहली रात में ही उसने चार पांच बार उसका पानी निकाल चुका था,,, कुछ देर तक इसी तरह से झुका कर चोदने के बाद वह एक बार फिर से अपने लंड को बुर में से बाहर निकाल लिया पर अपनी मां को सीधे खड़ी करके उसके होंठों पर होठ रखकर चूसना शुरू कर दिया,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी रघु अपनी मां की जान को पकड़ कर ऊपर करते हैं उसे अपनी कमर से लपेट लिया और इसी तरह से दूसरी जांघ को भी मजबूती से पकड़ कर अपनी कमर से लपेट ते हुए उसके नितंबों को नीचे से पकड़ कर अपनी गोद में उठा लिया और अपनी मां को गोद में उठाए हुए ही अपने लंड को बुर में डालकर बड़े आराम से अपनी मां की चुदाई करना शुरू कर दी कजरी अपने बेटे की ताकत पर गदगद हुए जा रही थी क्योंकि उसका वजन अच्छा खासा था उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इस तरह से उसे अपनी गोद में उठा लेगा,,,


रघु अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और उसे चोदने का आनंद लूटने लगा कुछ देर तक रघू बाहर वाले घर में खड़े होकर इसी तरह से अपनी मां की चुदाई करता रहा और उसे चोदते हुए ही अपनी गोद में उठाए हुए हैं अंदर कमरे तक ले आया और उसे खटिया पर लेटा कर उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर उसे चोदना शुरू कर दिया खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी,,,कजरी को इस बात की चिंता थी कि उसके बेटे के दमदार धक्के की वजह से कहीं खटिया टूट ना जाए लेकिन कजरी के आनंद की कोई सीमा नहीं थी,,,
कुछ देर बाद दोनों की सांसें तेज होने लगी दोनों चरम सुख की तरफ आगे बढ़ते चले जा रहे थे और देखते ही देखते रघु के तेज धक्के के साथ कजरी गरम सिसकारी लेते हुए झड़ने लगी और दो चार धक्कों के बाद रघू भी कजरी के ऊपर ढेर हो गया,,,।
:sex: zabardast updated tha .......
 

Sanju@

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बेहद काम उत्तेजना से भरा हुआ यह नजारा था,,, कजरी पर बदन से खूबसूरती शहद की तरह टपक रही थी,,, लालटेन की रोशनी में उसका मादक मांसल भरा हुआ बदन,,, और भी ज्यादा लुभावना लग रहा था कजरी इस समय स्वर्ग से उतरी में कोई अप्सरा लग रही थी,,, रघु अपनी मां के बदन के हर एक कटाव को देखकर अपने तन मन में उठती हुई चिंगारी ओ को दबाने की कोशिश कर रहा था,,,,,, लेकिन जितनी भी वह अपनी भावनाओं को दबाने की कोशिश करता था उतना ही उसका मन और ज्यादा मचल उठता था,,,,एक बार अपनी मां को चोद लेने के बाद भी उसका मन बिल्कुल भी भरा नहीं था ना ही उसका तन थका था,,, वह सुबह तक जितना हो सकता था उतना अपनी मां को चोदना चाहता था,,, यह बरसात की रात उसके लिए बेहद खास थी उसकी जीवन की सबसे बेहतरीन रात थी,,,

कजरी अंदर के कमरे के परदे को अपने हाथों से हटाते हुए आगे बढ़ रही थी,,। उसकी नंगी भराव दार गांड को देखकर रघु का लंड अकड़ रहा था,,, वैसे भी रघू खटिया पर एक बार अपनी मां की चुदाई कर लेने के बाद भी अपना लंड बुर में से बिना निकाले,, दोबारा तैयार हो गया था और अपनी मां को चोदना भी शुरू कर दिया था लेकिन उसकी मां को बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी और अगर वह अपनी कसम देकर उसे रुकने को ना कहती तो रघु एक बार फिर से खटिया पर ही अपनी मां की चुदाई कर दिया होता ,,,इसलिए बड़े बेमन से वहां अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकाला था और उसे मुताने के लिए बाहर ले जा रहा था,,

कजरी की बड़ी बड़ी गांड जितनी बार भी रघू देखता था उतना उसके लिए कम था अपनी मां की गांड को देख कर उसे ऐसा लगता था जैसे कि वह जन्नत का नजारा देख लिया उसकी बनावट बेहतरीन थी उसका उभार उसका उसकी गौलाई सब कुछ बेहतरीन थी एकदम उम्दा किस्म की,,,, रघु को तो जैसे पूरी दुनिया मिल गई थी हाथ में लालटेन लिए हुए भी अपने लालच को रोक नहीं पा रहा था और बार-बार पीछे से अपनी मां की गांड पर जोर जोर से चपत लगा दे रहा था,,,, लालटेन की पीली रोशनी की वजह से रघु के द्वारा चपत लगाने की वजह से कजरी की गोरी गोरी गाल टमाटर की तरह लाल हो गई थी यह बराबर दिखाई नहीं दे रहा, था,,,कचरी को रघु के द्वारा इस तरह से गांड पर चपत लगाने की वजह से उसे हल्का हल्का दर्द हो रहा था लेकिन उसने उसे आनंद की अनुभूति भी हो रही थी,,, इसलिए वह हल्की आहह लेकर इस से ज्यादा कुछ बोल नहीं रही थी,,,। अपने बेटे के सामने इस तरह से एकदम नंगी होकर चलने में उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी आज तक वह पूरी तरह से नंगी होकर चार कदम भी नहीं चली थी लेकिन आज उसे पूरी तरह से नंगी होकर अपनी बेटे की आंखों के सामने अपने बेटे के साथ साथ बाहर तक जाना था इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,,, और अपने बेटे के द्वारा बार-बार अपनी बड़ी बड़ी गांड को छेड़े जाने के कारण वह पूरी तरह से उत्तेजना से भरती चली जा रही थी,,, की पेशाब ना लगी होती तो एक बार फिर से अपने बेटे से चुदवाने में और ज्यादा मजा आता,,,

देखते ही देखते वह बाहर आ गई बाहर बड़े जोरों की बारिश हो रही थी चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा था,,, घर से बाहर भी घुटनों तक पानी लगा हुआ था तेज तूफानी हवा से पानी की बौछार अंदर तक आ रही थी जिससे पानी की बूंदे,, उसके नंगे बदन पर पड रही थी और ठंडी बुंदो की वजह से उसका नंगा बदन गनगना जा रहा था,,,, रघु लालटेन ले अपनी मां के पास खड़ा था वह भी पूरी तरह से धंधा है उसका लंड अपनी मां की मटकती गांड को देखकर अभी भी पूरी तरह से खड़ा का खड़ा था,,,, घर के बाहर घुटनों तक पानी और तेज बारिश को देख कर कजरी अपनी बेटे से बोली,,,,।


मैं वहां तक कैसे जाऊं यहां तो घुटने तक पानी भरा हुआ है और तेज बारिश हो रही है,,,,(गुसल खाने की तरफ इशारा करते हुए बोली,,, रघु को भी घर के बाहर की स्थिति अच्छी तरह से मालूम थी वह जानता था कि इतने पानी में और तेज बारिश में वहां तक नहीं जाया जा सकता,,,, इसलिए वह एक नजर घर के बाहर चारों तरफ घुमाते हुए बोला,,)

तो यही मुंह मुत लो ना,,, बाहर जाने की क्या जरूरत है,,,

धत्त,,,, पागल हो गया है क्या ,,,,(कजरी अपने बेटे की बात सुनकर शरमाते हुए बोली)


अरे इसमें शर्माने वाली कोई बात नहीं है,,,,तुम भी अच्छी तरह से देख रही हो कि घर से बाहर निकलना भी मुश्किल है इतनी तेज बारिश हो रही है बादलों की गड़गड़ाहट और तेज हवाएं और ऊपर से घुटनों तक पानी भरा हुआ है बाहर जाओगे की तो कैसे जाओगी अगर पैर फिसल गया तो,,, और मुसीबत बढ़ जाएगी,,,
(कजरी अपने बेटे की बात को अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन जो बात उसका बेटा कर रहा था कजरी इस बारे में कभी सोचा भी नहीं थी,,, एक तो वह घर के किनारे ही उसे मुतने के लिए बोल रहा था और उसकी आंखों के सामने ही,,, भले ही रघु उसे चोरी-छिपे पेशाब करते हुए देख चुका था और कुछ देर पहले वह खुद जानबूझकर उसकी आंखों के सामने पेशाब कर रही थी जिसे वह चोरी चुपके से देख भी रहा था लेकिन ना जाने क्यों इस समय उसे इस बारिश में उसकी आंखों के सामने मुतने में शर्म आ रही थी,,,,लेकिन उसे बड़े जोरों की फसल लगी हुई थी कुछ देर अगर वह इसी तरह से रुकी रही तो अपने आप ही पेशाब हो जाएगी यह बात भी अच्छी तरह से समझ रही थी,,, इसलिए वह कसमसा ते हुए बोली,,,।)


यहां पर,,,, यहां पर मुझे बड़ा अटपटा लग रहा है,,,


कैसा अटपटा,,,,(रघु लालटेन को नीचे जमीन पर रखते हुए बोला,,,)


रघु मैं यहां पर कैसे कर सकती हूं,,,,(अपनी कमर पर अपने दोनों हाथ रखते हुए बोली,,, रघु अपनी मां की यह अदा देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,,)


कर सकती हो यहीं पर बैठ जाओ,,, और मुत लो,,,,(रघू इस बारअपने खड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए बोला अपने बेटे की यह हरकत देखकर कजरी पूरी तरह से मदहोश हो गई,,, वह तिरछी नजर से अपने बेटे के लैंड को देख कर बोली,,,)


कोई देख लिया तो,,,,


क्या मां तुम भी एकदम पागल हो गई हो,,,, देख रही हो बारिश कितनी तेज हो रही है कहां कुछ भी तो दिखाई नहीं दे रहा है,,,, कोई देखता भी होगा तो उसे कुछ दिखाई भी नहीं देता होगा,,,,जो भी करना है जल्दी करो मेरे लंड से रहा नहीं जा रहा है जल्दी से मुत लो तो तुम्हारी बुर में लंड डाल दुं,,,(रघु एकदम से बेशर्म बनता हुआ अपनी मां से एकदम गंदी बात करने लगा अपने बेटे के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर कजरी के बदन में सरसराहट दौड़ने लगी,,,कजरी को इस बात का अहसास होने लगा कि उसका बेटा कितना उतावला है उसकी बुर में लंड डालने के लिए,,,इस बात से कचरी भी पूरी तरह से उत्तेजित हो गई उसकी बुर में खुजली होने लगी वह भी जल्द से जल्द मुतने के बाद अपनी बुर में अपने बेटे के लंड को लेने के लिए मचलने लगी,,,,,,,, इसलिए उसकी भी उत्सुकता बढ़ने लगी अपने बेटे की आंखों के सामने ही अपनी बड़ी बड़ी गांड दीखाते हुए पेशाब करने के लिए,,,,,,

बरसाती माहौल होने के बावजूद भी दोनों मां-बेटे के बदन में गर्मी छाई हुई थी,, कजरी कुछ देर तक उसी तरह से खड़ी रही तो रघु बोला,,,,


चलो आगे बढ़ो नहीं तो यही शुरु हो जाऊंगा क्योंकि मुझसे रहा नहीं जा रहा है तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर,,,,


एकदम बेशर्म हो गया है तु,,,(गहरी सांस लेते हुए कजरी अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली)

बेशर्म हो गया हूं तभी तो तुम्हें चोद रहा हूं,,,(अपने लंड को ऊपर नीचे करके जोर से हिलाते हुए बोला,, कजरी से अपनी बेटे की हरकत बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वह एक कदम आगे बढ़ी,, तेज चलती हवाओं के साथ साथ पानी की बौछार कजरी पर बराबर पड रही थी जिससे पानी के ठंडक से वह पूरी तरह से गन गना जा रही थी,,,,,, उत्तेजना के मारे रघु की हालत खराब हो रही थी,,। कजरी एकदम किनारे खड़ी हो गई जहां से एक कदम भी आगे लेने से घुटने भर पानी था,,,,,

कजरी वहीं पर गांड फैलाकर बैठ गई,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, रघू एकदम से मस्त हो गया उसकी आंखों के सामने उसकी मां बैठ कर पेशाब कर रही थी,,,कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी उसका बेटा उसके पास में खड़ा होकर उसे पेशाब करते हुए देख रहा है उसकी बड़ी-बड़ी गांड उसकी आंखों के सामने थी उसका पूरा नंगा वजूद उसकी आंखों के सामने था,,,,,
कजरी कितनी चोरों की पेशाब लगी हुई थी कि उसकी बुर से बहुत ही तेजी से सीटी की आवाज निकलने लगी थी लेकिन बारिश का शोर इतना था कि वह ठीक से सुनाई नहीं दे रही थी लेकिन फिर भी रघु बड़े गौर से अपनी मां की बुर से निकल रही सीटी की आवाज को सुनने की कोशिश कर रहा था और उसे हल्की-हल्की सीटी की आवाज सुनाई देने लगी थी वह पूरी तरह से मदहोश होता हुआ एकदम से उत्तेजित हो गया,,, रघु से रहा नहीं जा रहा कजरी भी एकदम निश्चिंत होकर पेशाब कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि इतनी रात को और तेज बारिश में उसके बेटे के सिवा कोई तीसरा उसे नहीं देख रहा है,,,,
रघु अपनी उत्तेजना पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाया और जिस तरह से कजरी बैठी थी ठीक उसी तरह से उसके पीछे जाकर बैठ गया,, कजरी को यह एहसास हो गया कि उसका बेटा ठीक उसके पीछे बैठ गया है और इस वजह से उसके पसीने छूटने लगे,,, एक तरफ उसकी बुर से पेशाब छूट रही थी और माथे से पसीना,,,,अपन दोनों के लिए बेहद अतुल्य और अद्भुत था दोनों इस पल को जीने की कभी कल्पना भी नहीं किए थे,,,,, रघू धीरे-धीरे पीछे से अपनी मां से एकदम से सट गया,,, और नीचे से रघू अपने लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी मां की बुर की गुलाबी होंठ पर सटा दिया,,, जैसे ही अपने बेटे को लंड को कजरी अपनी बुर के ऊपरी सतह पर महसूस की वह एकदम से गनगना ऊठी,,,, उसकी सांसों की गति एकदम से तेज हो गई,,,, रघु की भी हालत खराब थी रघूनीचे से अपनी दोनों हथेली को अपनी मां की गांड पर रखकर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ से तकरीबन 1 इंच जितना,,, और उसका लंड पूरी तरह से कजरी की बुर के एकदम ऊपरी सतह पर आ गया जहां से उसके पेशाब की धार छूट रही थी,,,, और देखते ही देखते रघु की भी पेशाब छूट गई कजरी को बेहद अजीब और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था क्योंकि लालटेन की रोशनी में उसे साफ दिखाई दे रहा था कि,, उसके पेशाब की धार उसके बेटे के लंड पर पड रही थी कजरी पूरी तरह से मदहोश हो गई पुरुष के पेशाब की धार और तेज हो गई,,,, वह साफ देख पा रही थी कि उसका बेटा भी मुत रहा था,,,,
दोनों मां-बेटे उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गए थे,,, रघु अभी भी अपनी मां की गांड को उसी स्थिति में पकड़े हुए था,, बेहद उत्तेजना से भरा हुआ यह मादक दृश्य था,,, तूफानी बारिश में बादलों की गड़गड़ाहट के बीच अंधेरी रात में दोनों मां-बेटे,, जवानी का मजा लूट रहे थे,,, रघू अपनी मां की गांड को उसी स्थिति में छोड़कर अपने दोनों हाथ को आगे की तरफ लाकर अपनी मां के दोनों दशहरी आम को थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाने लगा,,,।

सससहहहहह आहहहहहहह,,,रघु,,,,,,,


क्या हुआ मा,,, मजा आ रहा है ना,,,,,

सससहहहहह,,, आहहहहहहह,,,,,,,, थोड़ा धीरे दबा,,,,, दर्द कर रहा है,,,,


मजा भी तो आ रहा है ना मां,,,,,, बस ऐसे ही अपने पेशाब की धार मेरे लंड पर गिराते जाओ देखो कैसे और मोटा हो रहा है,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर कजरी अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगी जहां से उसके पेशाब की धार सीधे उसके लंड के सुपाड़े पर पड रही थी,,, अपनी आंखों से यह दृश्य देखकर कजरी उत्तेजना से गदगद हो गई,,,, उसकी सांसे बहकने लगी,,, अपने बेटे की हरकत का मजा लेते हुए कजरी बोली,,,)

तु सच में बहुत बेशर्म हो गया है रे,,,


तुम भी तो बेशर्म हो गई हो मां तभी तो नंगी होकर मजा ले रही हो,,,


वह तो तूने मजबूर कर दिया वरना मैं कभी सपने में भी ऐसा काम नहीं करने वाली थी,,,,



सहहहहहह,,,, मजबूर क्यों हो गई मां,,,(अपनी मां की दोनों चूचियों को जोर से दबाते हुए बोला,,,)


पता नहीं कैसे लेकिन हो गई,,,,,


मजा तो आ रहा है ना मां,,,,


मजा नहीं आता तो तेरे साथ रात भर जागती नही,,,,


ओहहहहह मां तुम बहुत प्यारी हो,,,,( ऐसा कहती है रखी है तेरी मां की नंगी पीठ पर चुंबनों की बारिश कर दिया,,,कजरी अपने बेटे की हरकत की वजह से पल-पल उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंचती चली जा रही थी रघु अपनी मां की जवानी से धीरे-धीरे खेलते हुए उसे जवानी की आग में और ज्यादा तड़पा रहा था,,,,)

आखरी बूंद तक मेरे लंड पर गिरा दो,,,, मां,,,,

(कजरी ऐसा ही कर रही थी वह पेशाब कर चुकी थी लेकिन अपने बेटे के कहे अनुसार अपनी बुर से पेशाब की आखिरी बूंद तक निचोड़ कर रख दे रही थी,,,, रघू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, घर के बाहर का खुला मौसम और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था,,, यही हाल कजरी का भी था कजरी से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी,,, इसलिए वह अपनी गोल गोल गांड को आगे पीछे करके अपने बेटे के लंड पर रगड रही थी,,, अंदर कमरे में अपनी मां को ले जाने तक का इंतजार रघु से अब कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था इसलिए रघु अपने हाथ को अपनी मां की गांड के नीचे से लाते हुए अपने लंड को ऊपर की तरफ उठाकर,, अपनी मां की बुर् के गुलाबी छेद को ढूंढने लगा,,,, उसे ठीक से अपनी मां का गुलाबी छेद मिल नहीं रहा था,,,, इसलिए कोशिश करते हुए रघु बोला,,,।

आहहहहह,, मां तुम्हारा छेद मिल नहीं रहा है,,,।

(अपने बेटे की बात सुनते ही कजरी बिना कुछ बोलो अपनी गांड को थोड़ा सा और ऊपर उठाकर एक हाथ नीचे की तरफ ले गई और अपने बेटे का लंड को पकड़ कर सीधे अपने गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दी रघु को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां ने मंजिल तक जाने का रास्ता दिखा दि थी,,, इसलिए रघु बड़े आराम से अपनी मां की बुर में अपना पूरा का पूरा लंड डाल दिया और अपनी कमर हिलाने की जगह अपनी मां की कमर पकड़कर उसे ऊपर नीचे उठक बैठक कराने लगा जिससे रघु का लंड पूरी तरह से कजरी की बुर में अंदर बाहर होने लगी कजरी भी बड़ी शिद्दत से अपने बेटे के लंड पर बैठ बैठ रही थी उसे मजा आ रहा था,,, रघु थोड़ी ही देर में अपनी मां की कमर पर से अपना हाथ हटाकर अपने हाथ को अपनी मां की चूची पर रखकर दबाना शुरू कर दिया क्योंकि वह‌ समझ गया था कि उसकी मां को क्या करना है यह अच्छी तरह से वह जान गई थी,,,, कजरी बिना अपने बेटे का सहारा लिए अपने बेटे के लंड पर उठबैठ रही थी,,,।


सहहहहहह,,, बहुत मजा आ रहा है मा मैं कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम्हें चोद पाऊंगा,,,,


आहहहहह आहहहहहहह,,,,मे भी कभी नहीं सोची थी कि हम दोनों के बीच इस तरह का रिश्ता कायम हो जाएगा,,,।

इस रिश्ते से खुश तो हो ना मां,,,,


हां लेकिन डर भी लग रहा है कि कहीं किसी को पता ना चल जाए,,,,



कभी किसी को पता नहीं चलेगा मा,,,, घर के बाहर हम लोग उसी तरह से रहेंगे लेकिन घर के अंदर आते ही हम दोनों के बीच एक औरत और मर्द का रिश्ता कायम हो जाएगा,,,,


क्या जिंदगी भर तु मुझे ऐसे ही खुश रखेगा,,,,


जिंदगी भर,,,, मैं तुम्हें ऐसे ही खुशी देते रहूंगा,,,,

(रघु और कजरी दोनों मदमस्त जवानी का मजा लूट रहे थे कजरी कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका सारा बेटा उसे इस तरह से शारीरिक सुख देगा उसके साथ संभोग करेगा उसे चुदाई का अद्भुत सुख प्रदान करेगा,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी आंखों के सामने तूफानी बारिश हो रही थी चारों तरफ पानी ही पानी था एक दूसरे का घर कब दिखाई नहीं दे रहा था बड़े-बड़े पेड़ सूखे पत्तों की तरह लहरा रहे थे बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी,,, अपनी बेटी की शादी करने के बाद उसके बेटे के साथ इस तरह का रिश्ता कायम हो जाएगा इस बारे में कभी उसने कल्पना भी नहीं की थी,,, लेकिन कजरी की सोच और धारणा के विरुद्ध सब कुछ बदल चुका था आज कजरी अपने बेटे के साथ इस पल का बेहद आनंद लूट रही थी,,,
रघु अपनी मां को जबरदस्ती दुखों के साथ उसकी चुदाई करना चाहता था लेकिन इस आसन से ठीक से हो नहीं पा रहा था,,, इसलिए वह अपना लंड अपनी मां की बुर से बाहर निकाल कर उसकी बांह पकड़कर उसे खड़ी किया,,, और दीवार के सहारे उसे खड़ी करके हल्का सा झुकाते हुए उसके पीछे आगे और अपनी मां की चिकनी कमर को थाम कर लालटेन की रोशनी अपनी मां की गुलाबी बुर में लंड डाल दिया और से चोदना शुरू कर देना इस तरह से रघू को बहुत अच्छी तरह से अपनी मां की चुदाई करने का मौका मिल रहा था,,, कजरी की मस्त हुए जा रही थी,,,। और तूफानी बारिश के शोर का फायदा उठाते हुए कचरी दिल खोलकर गरम सिसकारी की आवाज अपने मुंह से निकाल रहे थे क्योंकि वह जानती थी कि उसकी मादकता भरी आवाज को कोई सुन नहीं पाएगा,,,,

एक बार झड़ जाने के बाद रघू झड़ने का नाम नहीं ले रहा था,,, और कजरी दूसरी बार की चुदाई में दो बार झड़ चुकी थी,,,,,, अपने बेटे के हर धक्के के साथ उसके मुंह से आह निकल जा रही थी अपने बेटे की मर्दाना ताकत पर उसे गर्व होने लगा था वाकई में पहली रात में ही उसने चार पांच बार उसका पानी निकाल चुका था,,, कुछ देर तक इसी तरह से झुका कर चोदने के बाद वह एक बार फिर से अपने लंड को बुर में से बाहर निकाल लिया पर अपनी मां को सीधे खड़ी करके उसके होंठों पर होठ रखकर चूसना शुरू कर दिया,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी रघु अपनी मां की जान को पकड़ कर ऊपर करते हैं उसे अपनी कमर से लपेट लिया और इसी तरह से दूसरी जांघ को भी मजबूती से पकड़ कर अपनी कमर से लपेट ते हुए उसके नितंबों को नीचे से पकड़ कर अपनी गोद में उठा लिया और अपनी मां को गोद में उठाए हुए ही अपने लंड को बुर में डालकर बड़े आराम से अपनी मां की चुदाई करना शुरू कर दी कजरी अपने बेटे की ताकत पर गदगद हुए जा रही थी क्योंकि उसका वजन अच्छा खासा था उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इस तरह से उसे अपनी गोद में उठा लेगा,,,


रघु अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और उसे चोदने का आनंद लूटने लगा कुछ देर तक रघू बाहर वाले घर में खड़े होकर इसी तरह से अपनी मां की चुदाई करता रहा और उसे चोदते हुए ही अपनी गोद में उठाए हुए हैं अंदर कमरे तक ले आया और उसे खटिया पर लेटा कर उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर उसे चोदना शुरू कर दिया खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी,,,कजरी को इस बात की चिंता थी कि उसके बेटे के दमदार धक्के की वजह से कहीं खटिया टूट ना जाए लेकिन कजरी के आनंद की कोई सीमा नहीं थी,,,
कुछ देर बाद दोनों की सांसें तेज होने लगी दोनों चरम सुख की तरफ आगे बढ़ते चले जा रहे थे और देखते ही देखते रघु के तेज धक्के के साथ कजरी गरम सिसकारी लेते हुए झड़ने लगी और दो चार धक्कों के बाद रघू भी कजरी के ऊपर ढेर हो गया,,,।
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Bhai....jabarajast likha hai aapne. Sayad main utta achha lekhak nahi hoon ko apni soch ko exactly words me bayaan kar sakoon yaha lekin bahut sahi lekhni hai aapki Bhai...bemisaal. Aise hi lihte rahiye
 
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