रामू रघु का बोझ सर पर उठाकर कजरी के पीछे पीछे घर चला गया,,, रघु ललिया की मदद करने के लिए खेत में उतर गया,,,, ललिया जल्दी-जल्दी कटी हुई घास का ढेर बना रही थी,,,।
क्या हुआ चाची इतनी देर क्यों लगा दी,,,।
इसकी वजह से ही हुआ है ना तुम मुझे खाना खाने के लिए बुलाता और ना मैं खाना खा कर आराम करने बैठ गई और ना मेरी आंख लग जाती तो इतनी देर ना होती,,,।
अरे कोई बात नहीं चाची मैं आ गया हूं ना अब जल्दी हो जाएगा,,,।
अच्छा हुआ तू आ गया रघु अब जल्दी से घास का ढेर रस्सी से बांधकर मेरे सर पर रख दे,,,,।( ललिया एकदम सीधी खड़ी होते हुए और अपने दोनों हाथ को कमर पर रखकर बड़ी ही मादक अदा दिखाते हुए बोली हालांकि यह बिल्कुल उसके लिए सहज था उसने कोई जानबूझकर इस तरह की अदा नहीं दिखाई थी लेकिन रघु के देखने का रवैया पूरी तरह से बदल चुका था इसलिए ललिया के इस तरह से खड़े होने पर भी ऐसे ललिया के अंदर मादकता नजर आ रही थी,,, रघु घास के ढेर को रस्सी से बांधते बांधते ललिया के खूबसूरत यौवन का रस अपनी आंखों से पीने लगा,,,, ललिया की दोनों चूचियां कसे हुए ब्लाउज में और भी ज्यादा उछाल मार रहे थे,,,। उनको देखते ही रघु के मुंह में पानी आ गया,,,,,
रघु घास के ढेर के बोझ को रस्सी से अच्छी तरह से बांध चुका था,,,। वैसे तो इस बोझ को रघु को ही उठाना था लेकिन रघु के मन में कुछ और चल रहा था,,,। इसलिए वह घास के ढेर को उठाकर ललिया के सर पर रखने की तैयारी करने लगा और ललिया भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी वह अपने लिए जगह बना कर अच्छी तरह से खड़ी हो गई ताकि रघु आराम से उसके सर पर घास का ढेर रख सके,,, घास के बोझ को उठाकर रघु ललिया के सर पर रखने लगा,,, घास का ढेर कुछ ज्यादा ही था,,, रघु ललिया के ठीक सामने से उसके सर पर बोझ रखने लगा,,, वह बोझ उसके सर पर रखने के बहाने धीरे-धीरे ललिया के एकदम करीब आने लगा इतना करीब के देखते ही देखते ललिया की मदमस्त जवान चूचियां रघु के सीने से स्पर्श होने लगी,,, ललिया कीमत मस्त चूचियों की कड़ी निकल जैसे ही रघु के सीने में स्पर्श करते हुए चुभने लगी वैसे ही तुरंत रघु के तन बदन में आग लग गई उसका पूरा शरीर उत्तेजना के मारे गनगना गया,,,,, पल भर में ही रघु को लगने लगा कि जैसे वह उछल कर चांद को छू लिया हो,,, अद्भुत अहसास से वह पूरी तरह से भर गया,,,, पर यही हाल ललिया का भी होगा भोज उसके सर पर रखने के बहाने खरगोश के बेहद करीब आ गया था और उसे भी अपनी मदमस्त चूचियां रघु की चौड़ी छाती पर स्पर्श के साथ-साथ रगड़ होती हुई भी महसूस होने लगी थी,,,, ललिया के तन बदन में भी उत्तेजना का संचार होने लगा,,,। पल भर में ही उसे भी ना जाने क्या अपने तन बदन में हलचल महसूस होने लगी थी,,,,। रघु के इतने करीब होते हुए ललिया अपने आप को असहज महसूस करने लगी थी,,,। रघु अभी भी उसके माथे पर घास के बोझे को ठीक तरह से रखने की कोशिश कर रहा था,,,, और इसी कोशिश में वह ललिया के और ज्यादा करीब आ गया अब वह इतना ज्यादा करीब आ गया था कि उसके पजामे में बना तंबू देखते ही देखते ललिया की दोनों टांगों के बीच स्पर्श होने लगी,,,, और देखते ही देखते रघु के पजामे का तंबू लग जा की दोनों टांगों के बीच के मखमली द्वार पर ठोकर मारने लगा,,, ललिया तीन बच्चों की मां थी और अभी जवान बच्चे इसलिए उसे समझते देर नहीं लगेगी इसके दोनों टांगों के बीच की है ठोकर रघु के बदन के कौन से अंग की है पर यह एहसास ललिया को होते ही वह पूरी तरह से कसमसाने लगी और वह पूरी तरह से लाचार और असहज हो गई जिसकी वजह से वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और पीछे की तरफ गिर गई साथ ही वह गिरते-गिरते अनजाने में ही अपने दोनों हाथ को रघु के कमर पर रखकर अपने आप को संभालने की कोशिश करते हुए उसको भी लेकर गिर गई,,,, रघु ठीक उसके दोनों टांगों के बीच गिरा हुआ था और ललिया उसके ठीक नीचे थी,,,। वह तो अच्छा हुआ था कि ललिया घास के ढेर पर गिरी थी वरना उसे चोट लग जाती,,,,
लेकिन ललिया के होश उड़ गए जब उसे साफ महसूस होने लगा कि शुभम का लंड जोकि पजामे में होने के बावजूद भी तंबू की तरह खड़ा था वह ठीक उसकी बुर के ऊपर ठोकर लगा रहा था रघु का लंड तो पजामे के अंदर था लेकिन गिरने की वजह से ललिया की साड़ी पूरी तरह से कमर के ऊपर चढ़ चुकी थी जिससे वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी हो गई थी और इस समय ललिया की नंगी बुर पर रघु के पजामे मैं बना तंबू पूरी तरह से छा चुका था,,,। रघु के लंड के कठोरपन को अपनी मखमली बुर के ऊपर महसूस करते ही ललिया एकदम से गनगना गई,,,, रघु को इस बात का एहसास हो गया था कि उसके लंड की ठोकर लगी या की नंगी बुर के ऊपर हो रही है इसलिए वह पूरी तरह से मदहोश होने लगा था उसने जानबूझकर और अपनी कमर को हल्के से नीचे की तरफ दबा दिया जिससे इस बार रघु के पजामे के तंबू का घेराव ललिया की मखमली बुरके गुलाबी पत्तियों को हल्का सा खोल कर अंदर की तरफ जाने का प्रयास करने लगी,,। और ललिया को इसका एहसास हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें बड़ी गर्मजोशी के साथ वह शुभम को अपने आप में समाने की इजाजत दे दे या उसे रोक दें इसी कशमकश में वह,,, दर्द के मारे कराह उठी,,,,
आहहहहह,,,,,,
क्या हुआ चाची तुम्हें चोट तो नहीं लगी,,,,
मेरे ऊपर गिरा पड़ा है और कहता है कि चोट नहीं लगी अच्छा हुआ कि मैं घास के ऊपर गिरी वरना आज तो तेरी वजह से मेरी कमर टूट जाती,,,
क्या चाहती मेरी वजह से तुमसे यह पूछा नहीं संभल रहा है है और तुम उसे उठाने की कोशिश कर रही हो तो गिरोगी ही,,,( रघु अभी भी बातें करता हुआ अपने कमर का दबाव ललिया कि दोनों टांगों के बीच उसकी मखमली बुर पर बनाया हुआ था,,,। सच पूछो तो रघु का मन ललिया के ऊपर से उठने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था उसका मन तो कर रहा था कि पैजामा थोड़ा नीचे करके अपने नंगे लंड को उसकी नंगी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दें लेकिन इस तरह से करना अभी उचित नहीं था,,,।)
चल अब उठेगा भी या इसी तरह से पड़ा रहेगा,,,,
हां चाची उठता हूं मुझे तो तुम्हारी फिक्र थी,,,,( रघु अच्छी तरह से जानता था कि कमर के नीचे से ललिया पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी इसलिए उसके मखमली बदन को स्पर्श करने के लालच को रोक नहीं सका,,, और उसने के बहाने वह ललिया की नंगी चिकनी जांघों को अपनी हथेली से स्पर्श करते हुए उठा जिस तरह से वह अपनी हथेली उसकी जांघों पर रखकर उसे हल्का सा दबाया था,,,, ललिया पूरी तरह से उत्तेजना में सिहर उठी थी उसका संपूर्ण बदन अपना वजूद होता हुआ महसूस कर रहा था,,,,। अपने मन के अरमान को पूरा करते हुए रखो ललिया के ऊपर से उठा तो लग जा झट से अपनी साड़ी को अपनी कमर के नीचे फेंक कर अपने नंगे जिस्म को ढक ली,,,, रघु उसका हाथ पकड़ कर उसे खड़ी किया,,,, पल भर में ही ललिया के लिए सब कुछ बदला बदला सा हो गया था,,,, शराबी पति की चुदाई का सुख ना के बराबर था और रघु के जवान लंड ने जिस तरह का स्पर्श कराकर उसे पूरी तरह से झकझोर दिया था उस तरह का एहसास उसके पति के द्वारा कभी नहीं उसे हुआ था,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूख गया था जिसे वह अपने थूक से गीला करने की कोशिश कर रही थी,,,। रघु भी समझ रहा था कि कुछ ज्यादा ही हो गया था,,,। इसलिए वह ज्यादा छूट छूट लेने की कोशिश नहीं कर रहा था कहीं लेने के देने न पड़ जाए यही सोचकर वह बोला,,,।
चाची तुम एक काम करो यह बोजा में ही उठाकर ले चलता हूं तुमसे नहीं होने वाला,,,,( और वहां पहुंचा उठाकर अपने सर पर रख लिया और आगे आगे चलने लगा क्योंकि उसका काम हो चुका था,,, ललिया की नंगी जांघों को अपनी हथेली से स्पर्श करके उसके तन बदन में आग लग गई थी और तो और उसके पिज्जा में बना तंबू का स्पर्श उसकी मखमली बुर के द्वार पर होते ही हलवाई की बीवी उसे याद आ गई थी,,,, जिस की चुदाई का अद्भुत सुख अभी तक उसके रगों में दौड़ रहा था,,,,। थोड़ी ही देर में रखो घर पर पहुंच गया और घास के ढेर को ललिया के घर पर रखकर अपने घर जाने ही वाला था कि उसे कुछ याद आ गया और वह रामू को आवाज देकर बुलाने लगा रामू जो कि घर के अंदर था वह बाहर आ गया और रघु उसे घर पर थोड़ी दूर ले जाकर उसे बोला,,,।
रामू जन्नत का नजारा देखना है,,,।( रामू अच्छी तरह से जानता था कि रघु किस बारे में बात कर रहा है,,, वह खुश होता हुआ बोला,,,।)
हां जरूर देखूंगा,,,।
तो जब मैं तुझे आवाज दूं तू जल्दी से आ जाना मैं तुझे ले चलूंगा जन्नत का नजारा दिखाने,,,
( इतना कह कर रखो अपने घर चला गया हाथ मुंह धोने के लिए और रामू अपने घर चला गया वह काफी उत्सुक था रघु के साथ जाने के लिए,,,,। रघु अपने घर से ललिया के उपर बराबर नजर रखे हुए था,,,, वह उसके मैदान जाने का इंतजार कर रहा था और थोड़ी देर बाद जब हैंडपंप चलने की आवाज आने लगी तो वह सकते में आ गया वह समझ गया कि अब ललिया सोच करने के लिए मैदान जाएगी और वह हैंडपंप पर डिब्बा भर रही थी,,,,। वह बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहता था क्योंकि ललिया से पहले उसे वहां पहुंचना था,,,, वह रामू को आवाज दिया रघु की आवाज सुनते ही रामू तुरंत घर से बाहर आ गया और बिना कुछ सोचे समझे सवाल किए रघु उसे जहां ले जाने लगा वह लगभग दौड़ते हुए वहां जाने लगा,,,।
थोड़ी ही देर में रघु रामू को झाड़ियों के पीछे लेकर गया,,
वह दोनों जाकर बैठ गए दोनों का दिल जोरों से धड़क रहा था रघु को अच्छी तरह से मालूम था कि वहां पर सोच करने के लिए कौन आने वाला है लेकिन इस बात का भाई रामू को बिल्कुल भी नहीं था उसे यही लग रहा था कि कोई औरत वहां पर आएगी लेकिन वह यह नहीं जानता था कि वह औरत कोई और नहीं बल्कि उसकी ही मां होगी,
थोड़ी ही देर में दोनों की उत्सुकता खत्म हो गई चांदनी रात होने की वजह से सब कुछ साफ नजर आ रहा था और रघु और रामू दोनों खली झाड़ियों के पीछे बैठे हुए थे जहां से सामने का खाली मैदान एकदम अच्छी तरह से नजर आ रहा था,,,, कुछ दिन का यह मेहनत का ही फल था जो रघु और रामू दोनों को प्राप्त होने वाला था रघु ने इस पर काफी मेहनत किया था वह शाम ढलने के बाद ले लिया कौन सी जगह मैदान जाती है इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लिया था,,,। तभी तो वह बड़े आत्मविश्वास से रामू का हाथ पकड़ कर उधर लाया था वह जानबूझकर रामू को अपने साथ लाया था क्योंकि वह रामू को उसकी मां की मदमस्त गोरी गोरी गांड दिखाना चाहता था,,,। और देखना चाहता था कि रामू अपनी ही आंखों से अपनी मां की मदमस्त गोरी गोरी गांड देखकर क्या करता है,,, क्योंकि रघु को इससे यह पता चलने वाला था कि अगर आगे वह है रामू की मां से शारीरिक संबंध बनाता है तो इसका असर रामू पर किस तरह से पड़ेगा अगर आज वह उठकर नाराज होकर वहां से चला जाएगा तो इसका मतलब साफ था कि उसकी मां के साथ चुदाई करने के बाद उसे एक अच्छा दोस्त खोना पड़ेगा और अगर अपनी मां की मस्त गांड देखकर रामू भी मस्त हो जाता है तो रघु के लिए उसका रास्ता एकदम साफ हो जाएगा इसके बाद वह रामू की मां से रामू की उपस्थिति में भी उसके साथ शारीरिक संबंध बना सकता है,,,।
थोड़ी देर में दोनों की उत्सुकता खत्म हो गई,,, क्योंकि हाथ में डब्बा लिए ललिया ठीक उन दोनों की आंखों के सामने खाली मैदान में जमीन पर नीचे डब्बा रखकर खड़ी हो गई,,, ललिया का चेहरा रघु और रामू दोनों के ठीक सामने था,,,।
ललिया चारों तरफ नजर घुमाकर जाकर पकड़ देख ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है,,, रामू अपनी आंखों के ठीक सामने अपनी मां को खड़ी देखकर एकदम मदहोश हो गया,,, उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया था क्योंकि अब उसे इस बात का एहसास हुआ था कि रघु उसे यहां क्या दिखाने के लिए लाया था लेकिन रामू रघु की तरफ बिल्कुल भी नहीं देख रहा था वह आंखें फाड़े अपनी मां को भी देखे जा रहा था जो उसे से 5 मीटर की दूरी पर खुले मैदान में खड़ी थी और किसी भी वक्त अपनी साड़ी कमर तक उठाकर नीचे बैठने वाली थी,,,। रघु का भी दिल जोरों से धड़क रहा था।