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कजरी नहा धोकर तैयार होती उससे पहले ही शालू ने खाना बना कर तैयार कर दी,,,, कजरी नहाकर धुले हुए कपड़ों को वहीं पास में रस्सी पर टांग कर रसोई घर में आ गई,,, आते ही छोटे से आईने में अपने खूबसूरत चेहरे को निहारने लगी,,, आईना इतना छोटा था कि उसमें केवल उसका चेहरा ही नजर आ रहा था और वह भी एकदम चांद सा खिला हुआ था अपनी खूबसूरत चेहरे को देखकर उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई,, अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर शालू बोली,,
क्या बात है मां आज इतना मुस्कुरा क्यों रहीं हो,,,
क्यों अब मुस्कुराने पर भी पाबंदी है क्या,,,? ( कपड़े के नाम पर कजरी मात्र अपने पेटिकोट को ऊपर चढ़ा कर उसकी डोरी को अपनी बड़ी बड़ी चूचियों पर बांध रखी थी वह भी इसलिए कि कहीं अचानक उसका लड़का आ जाए तो उसके नंगे बदन को देख ना ले,,, कजरी अपनी पेटिकोट के नीचे की छोर को पकड़कर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ उठाए हुए थी और खुद थोड़ा सा झुकी हुई थी जिससे वह अपने गीले बालों को साफ कर रही थी,,, लेकिन पीछे बैठी हुई शालू अपनी मां की इस हरकत की वजह से मुस्कुरा रही थी क्योंकि कजरी के इस तरह से थोड़ा सा झुकने और अपने पेटिकोट को थोड़ा सा ऊपर उठाने की वजह से उसकी मदमस्त गोरी गोरी पर बेहद गदराई हुई गांड नजर आ रही थी और वह भी पूरी नहीं बस गदराई गांड के नीचे वाला हिस्सा जिससे उसके बीच की दरार बेहद मादक लग रही थी,,, उसे मुस्कुराता हुआ देखकर कजरी बोली,,,,
अब तू इतना क्यों मुस्कुरा रही है,,,
नहीं बस ऐसे ही ऐसी कोई बात नहीं है,,,( शालू इतना कहते हुए भी अपनी नजरों को अभी मां की मदमस्त गांड पर गड़ाए हुए थी,,, जिससे कजरी उसकी नजरों का पीछा करते हुए समझ गई की वह क्या देख रही है,,,, अपनी बेटी की इस हरकत पर वह भी मुस्कुरा दी लेकिन वह अपने पेटिकोट को अपने हाथों से छोड़ी नहीं वह पहले की तरह ही अपने बालों को साफ करती रही,,, और बालों को साफ करते हुए वह बोली,,,।)
ऐसा लग रहा है कि जैसे पहली बार देख रही है,,,
नहीं मैं देखी तो बहुत बार हूं लेकिन आज कुछ ज्यादा खूबसूरत लग रही हो,,,,
मैं लग रही हूं या,,,,,( इतना कहकर वह वापस बालों को अपने पेटीकोट से साफ करने लगी अपनी मां का कहने का मतलब शालू समझ गई थी इसलिए वह बोली।)
तुम भी खूबसूरत लग रही हो मां और तुम्हारी ये,,, गांड भी,,( गांड शब्द शालू ने बेहद धीरे से और शरमाते हुए बोली थी,, अपनी बेटी की इस तरह की बात सुनकर कजरी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि शालू का इस तरह की बातों का मतलब उसकी तारीफ करना ही था इस उमर में भी एक लड़की के द्वारा अपने खूबसूरत नितंबों की तारीफ सुनकर वह मन ही मन गर्व महसूस कर रही थी,,, कजरी अपने बालों को साफ कर ली थी और कंगी लेकर अपने बालों को सवारते हुए बोली,,,)
तू पागल हो गई है शालू अब इस उमर में यह इतनी खूबसूरत थोड़ी रह गई है अब तो तेरे दिन हैं जरा आईने में अपना चेहरा देख कितनी खूबसूरत लगती है एकदम चांद का टुकड़ा और जैसा तेरा खूबसूरत चेहरा है वैसी तेरी( जोर से शालू की गांड पर चपत लगाते हुए) गांड है मुझसे भी बहुत खूबसूरत,,,
आहहहहह,,,, मां,,,,,( गांड पर जोर से चपत लगने की वजह से उसके मुंह से आह निकल गई ) ,,,,लेकिन मां तुम्हारे जैसी खूबसूरत और गदराई हुई नहीं है,,,,।
हो जाएगी मेरी रानी बेटी समय के साथ वो और भी खूबसूरत हो जाएगी,,,,
( अपनी मां का कहने का मतलब समझ कर शालू एकदम से शरमा गई और अपनी नजरें झुका कर बोली।)
क्या मां तुम भी,,,,( ऐसा क्या करवा अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर ली लेकिन कजरी अपना हाथ आगे बढ़ा कर दोनों हाथों से सालों के चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ बड़े प्यार से करते हुए बोली,,,)
अब तू शादी लायक हो गई है,,, कोई अच्छा सा लड़का मिल जाए तो मैं तेरे हाथ पीले कर दूं,,, तू मुझे तेरी चिंता सताए जाती है कोई अच्छा सा रिश्ता मिल जाए तो समझ लो गंगा नहा ली,,,
क्या मां जब देखो मेरी शादी की बात करती रहती हो मैं तुमको छोड़कर नहीं जाने वाली,,,( ऐसा कहते हो शालू अपनी मां के गले में बाहें डाल कर उसके गले से लग गई,,,)
जाना तो पड़ेगा बेटी लड़की का असली घर उसका ससुराल होता है,,,,( इतना कहते हुए कजरी का दिल भर आया क्योंकि वह जानती थी वह चाहे या ना चाहे शादी करके उसे इस घर से विदा करना जरूरी भी था शादी लायक हो चुकी थी लेकिन अभी तक कोई अच्छा सा लड़का नहीं मिला था इसलिए वह उसके हाथ पीले नहीं कर पाई थी,,, अच्छी तरह से जानती थी कि जवान लड़की का इस तरह से घर में रहना उचित नहीं था क्योंकि बहुत बार ऐसा होता है कि लड़कियां अपनी जवानी को संभाल नहीं पाती और शादी से पहले बदनाम हो जाती है जिससे उनकी शादी में बहुत दिक्कत है आती है इसलिए कजरी ऐसा कुछ भी नहीं चाहती थी कि उसके साथ कुछ ऐसा हो वैसी के जल्द से जल्द अपनी बेटी सालु का ब्याह कर देना चाहती थी,,, वह साली को अपने गले से अलग करते हुए बोली,,, अपना काम कर मुझे कपड़े बदलने दे,,,, शालू वापस जाकर उसी जगह पर बैठकर खाना परोस ने लगी और कजरी अपने पेटिकोट की डोरी को ढीली करके पेटीकोट को नीचे छोड़ दी देखते ही देखते शालू की आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी हो गई,,, अपनी मां की खूबसूरत नंगे बदन को देख कर शालू के मुंह से आह निकल गई शालू को भी अपनी मां के खूबसूरत बदन पर गर्व होता था क्योंकि उसके साथ की उम्र की औरतें बुड्ढी हो चली थी लेकिन कजरी अभी भी पूरी तरह से जवान थी या यूं कहने की इस उम्र में अब उसकी दूसरी बार जवानी शुरू हुई थी। कजरी की मदमस्त गोल-गोल नंगी गांड देखकर शालू को इस बात का एहसास होता था कि भले ही वो इतनी जवान लड़की है लेकिन फिर भी वह अपनी मां की मदमस्त जवानी और उसके खूबसूरत बदन के हिसाब से पूरी तरह से फीकी ही है,,,। अपनी मां की खूबसूरत गदर आई बदन को देख कर सालों खुद शर्म से पानी-पानी हो जाती थी क्योंकि उसे भी अपनी मां की तरह गदराया बदन बड़ी मदमस्त गदराई हुई गांड और गोल-गोल चुची की चाह रहती थी,,, लेकिन इस बात को वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि अपनी मां की तरह गदराई बदन की मालकिन बनने के लिए उसे शादी करना जरूरी था या तो पुरुष संसर्ग,,,,,
दुनिया के रीति रिवाज के मुताबिक वह शादी तो करने को तैयार थे लेकिन किसी गैर पुरुष के साथ संबंध बनाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं किया था क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से उसकी परिवार की इज्जत खराब हो,,, खाना परोसते हुए शालू अपनी मां की मदमस्त नंगी जवानी को देखते जा रही थी और खाना परोसे जा रहे थी,,,, तीन थालियां लगाते हुए देखकर कजरी अपनी दूसरी पेटीकोट की डोरी बांधते हुए जो कि पहली वाली बालों को साफ करने की वजह से गीली हो चुकी पेटीकोट को निकालकर कर वहीं नीचे जमीन पर रख दी थी,,, वह अपनी पेटीकोट की डोरी बांधते हुए शालू से बोली,,,)
तू खाना खा ले शालू रघु आ जाएगा तब मैं खाना खा लूंगी,,,
क्या मैं तुम भी उसका इंतजार कर रही हो जानती हो ना वह कब आएगा उसका कोई ठिकाना नहीं है अपने आवारा दोस्तों के साथ घूम रहा होगा कहीं,,,
तू खा ले शालू मैं उसके साथ ही खाऊंगी तू तो जानती ही हैं बिना उसको खिलाए मैं कभी नहीं खाती,,,,
हां जानती हूं जैसा तुम कहो,,,,,( इतना कहकर शालू दो थाली को बगल में रख दी और अपने लिए खाना परोसने लगी और कजरी कपड़े पहन कर घर से बाहर निकल गई अपने खेतों की तरफ,,,,
क्या बात है मां आज इतना मुस्कुरा क्यों रहीं हो,,,
क्यों अब मुस्कुराने पर भी पाबंदी है क्या,,,? ( कपड़े के नाम पर कजरी मात्र अपने पेटिकोट को ऊपर चढ़ा कर उसकी डोरी को अपनी बड़ी बड़ी चूचियों पर बांध रखी थी वह भी इसलिए कि कहीं अचानक उसका लड़का आ जाए तो उसके नंगे बदन को देख ना ले,,, कजरी अपनी पेटिकोट के नीचे की छोर को पकड़कर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ उठाए हुए थी और खुद थोड़ा सा झुकी हुई थी जिससे वह अपने गीले बालों को साफ कर रही थी,,, लेकिन पीछे बैठी हुई शालू अपनी मां की इस हरकत की वजह से मुस्कुरा रही थी क्योंकि कजरी के इस तरह से थोड़ा सा झुकने और अपने पेटिकोट को थोड़ा सा ऊपर उठाने की वजह से उसकी मदमस्त गोरी गोरी पर बेहद गदराई हुई गांड नजर आ रही थी और वह भी पूरी नहीं बस गदराई गांड के नीचे वाला हिस्सा जिससे उसके बीच की दरार बेहद मादक लग रही थी,,, उसे मुस्कुराता हुआ देखकर कजरी बोली,,,,
अब तू इतना क्यों मुस्कुरा रही है,,,
नहीं बस ऐसे ही ऐसी कोई बात नहीं है,,,( शालू इतना कहते हुए भी अपनी नजरों को अभी मां की मदमस्त गांड पर गड़ाए हुए थी,,, जिससे कजरी उसकी नजरों का पीछा करते हुए समझ गई की वह क्या देख रही है,,,, अपनी बेटी की इस हरकत पर वह भी मुस्कुरा दी लेकिन वह अपने पेटिकोट को अपने हाथों से छोड़ी नहीं वह पहले की तरह ही अपने बालों को साफ करती रही,,, और बालों को साफ करते हुए वह बोली,,,।)
ऐसा लग रहा है कि जैसे पहली बार देख रही है,,,
नहीं मैं देखी तो बहुत बार हूं लेकिन आज कुछ ज्यादा खूबसूरत लग रही हो,,,,
मैं लग रही हूं या,,,,,( इतना कहकर वह वापस बालों को अपने पेटीकोट से साफ करने लगी अपनी मां का कहने का मतलब शालू समझ गई थी इसलिए वह बोली।)
तुम भी खूबसूरत लग रही हो मां और तुम्हारी ये,,, गांड भी,,( गांड शब्द शालू ने बेहद धीरे से और शरमाते हुए बोली थी,, अपनी बेटी की इस तरह की बात सुनकर कजरी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि शालू का इस तरह की बातों का मतलब उसकी तारीफ करना ही था इस उमर में भी एक लड़की के द्वारा अपने खूबसूरत नितंबों की तारीफ सुनकर वह मन ही मन गर्व महसूस कर रही थी,,, कजरी अपने बालों को साफ कर ली थी और कंगी लेकर अपने बालों को सवारते हुए बोली,,,)
तू पागल हो गई है शालू अब इस उमर में यह इतनी खूबसूरत थोड़ी रह गई है अब तो तेरे दिन हैं जरा आईने में अपना चेहरा देख कितनी खूबसूरत लगती है एकदम चांद का टुकड़ा और जैसा तेरा खूबसूरत चेहरा है वैसी तेरी( जोर से शालू की गांड पर चपत लगाते हुए) गांड है मुझसे भी बहुत खूबसूरत,,,
आहहहहह,,,, मां,,,,,( गांड पर जोर से चपत लगने की वजह से उसके मुंह से आह निकल गई ) ,,,,लेकिन मां तुम्हारे जैसी खूबसूरत और गदराई हुई नहीं है,,,,।
हो जाएगी मेरी रानी बेटी समय के साथ वो और भी खूबसूरत हो जाएगी,,,,
( अपनी मां का कहने का मतलब समझ कर शालू एकदम से शरमा गई और अपनी नजरें झुका कर बोली।)
क्या मां तुम भी,,,,( ऐसा क्या करवा अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर ली लेकिन कजरी अपना हाथ आगे बढ़ा कर दोनों हाथों से सालों के चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ बड़े प्यार से करते हुए बोली,,,)
अब तू शादी लायक हो गई है,,, कोई अच्छा सा लड़का मिल जाए तो मैं तेरे हाथ पीले कर दूं,,, तू मुझे तेरी चिंता सताए जाती है कोई अच्छा सा रिश्ता मिल जाए तो समझ लो गंगा नहा ली,,,
क्या मां जब देखो मेरी शादी की बात करती रहती हो मैं तुमको छोड़कर नहीं जाने वाली,,,( ऐसा कहते हो शालू अपनी मां के गले में बाहें डाल कर उसके गले से लग गई,,,)
जाना तो पड़ेगा बेटी लड़की का असली घर उसका ससुराल होता है,,,,( इतना कहते हुए कजरी का दिल भर आया क्योंकि वह जानती थी वह चाहे या ना चाहे शादी करके उसे इस घर से विदा करना जरूरी भी था शादी लायक हो चुकी थी लेकिन अभी तक कोई अच्छा सा लड़का नहीं मिला था इसलिए वह उसके हाथ पीले नहीं कर पाई थी,,, अच्छी तरह से जानती थी कि जवान लड़की का इस तरह से घर में रहना उचित नहीं था क्योंकि बहुत बार ऐसा होता है कि लड़कियां अपनी जवानी को संभाल नहीं पाती और शादी से पहले बदनाम हो जाती है जिससे उनकी शादी में बहुत दिक्कत है आती है इसलिए कजरी ऐसा कुछ भी नहीं चाहती थी कि उसके साथ कुछ ऐसा हो वैसी के जल्द से जल्द अपनी बेटी सालु का ब्याह कर देना चाहती थी,,, वह साली को अपने गले से अलग करते हुए बोली,,, अपना काम कर मुझे कपड़े बदलने दे,,,, शालू वापस जाकर उसी जगह पर बैठकर खाना परोस ने लगी और कजरी अपने पेटिकोट की डोरी को ढीली करके पेटीकोट को नीचे छोड़ दी देखते ही देखते शालू की आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी हो गई,,, अपनी मां की खूबसूरत नंगे बदन को देख कर शालू के मुंह से आह निकल गई शालू को भी अपनी मां के खूबसूरत बदन पर गर्व होता था क्योंकि उसके साथ की उम्र की औरतें बुड्ढी हो चली थी लेकिन कजरी अभी भी पूरी तरह से जवान थी या यूं कहने की इस उम्र में अब उसकी दूसरी बार जवानी शुरू हुई थी। कजरी की मदमस्त गोल-गोल नंगी गांड देखकर शालू को इस बात का एहसास होता था कि भले ही वो इतनी जवान लड़की है लेकिन फिर भी वह अपनी मां की मदमस्त जवानी और उसके खूबसूरत बदन के हिसाब से पूरी तरह से फीकी ही है,,,। अपनी मां की खूबसूरत गदर आई बदन को देख कर सालों खुद शर्म से पानी-पानी हो जाती थी क्योंकि उसे भी अपनी मां की तरह गदराया बदन बड़ी मदमस्त गदराई हुई गांड और गोल-गोल चुची की चाह रहती थी,,, लेकिन इस बात को वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि अपनी मां की तरह गदराई बदन की मालकिन बनने के लिए उसे शादी करना जरूरी था या तो पुरुष संसर्ग,,,,,
दुनिया के रीति रिवाज के मुताबिक वह शादी तो करने को तैयार थे लेकिन किसी गैर पुरुष के साथ संबंध बनाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं किया था क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से उसकी परिवार की इज्जत खराब हो,,, खाना परोसते हुए शालू अपनी मां की मदमस्त नंगी जवानी को देखते जा रही थी और खाना परोसे जा रहे थी,,,, तीन थालियां लगाते हुए देखकर कजरी अपनी दूसरी पेटीकोट की डोरी बांधते हुए जो कि पहली वाली बालों को साफ करने की वजह से गीली हो चुकी पेटीकोट को निकालकर कर वहीं नीचे जमीन पर रख दी थी,,, वह अपनी पेटीकोट की डोरी बांधते हुए शालू से बोली,,,)
तू खाना खा ले शालू रघु आ जाएगा तब मैं खाना खा लूंगी,,,
क्या मैं तुम भी उसका इंतजार कर रही हो जानती हो ना वह कब आएगा उसका कोई ठिकाना नहीं है अपने आवारा दोस्तों के साथ घूम रहा होगा कहीं,,,
तू खा ले शालू मैं उसके साथ ही खाऊंगी तू तो जानती ही हैं बिना उसको खिलाए मैं कभी नहीं खाती,,,,
हां जानती हूं जैसा तुम कहो,,,,,( इतना कहकर शालू दो थाली को बगल में रख दी और अपने लिए खाना परोसने लगी और कजरी कपड़े पहन कर घर से बाहर निकल गई अपने खेतों की तरफ,,,,