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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

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रघु की आवाज सुनते ही लाला की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई,,, उसकी बहू कोमल अभी भी संपूर्ण रूप से नंगी उसकी बाहों में थी,,, जो कि रघू की आवाज सुनते ही उसके चेहरे पर खुशी के भाव प्रकट होने लगे,,,। लाला की हालत खराब हो जाएगी दरवाजे के अंदर लाला अपनी बहू के साथ मुंह काला करने के फिराक में था,,, इसीलिए तो उसे एकदम नंगी अपनी बाहों में भर लिया था और दरवाजे के बाहर रघू,,, आकर खड़ा हो गया था उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि दरवाजे के पीछे एक ससुर अपनी बहू की इज्जत लूटने के लिए पूरी तरह से उतारू हो चुका है,,, वह तो लाला के पास काम की वजह से ही आया था और शायद भगवान कोमल की इज्जत बचाना चाहते थे तभी तो रघु को एन मौके पर भेज दिए थे,,,,, कमरे के अंदर पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था लाला कभी अपनी बहू की तरफ तो कभी दरवाजे की तरफ देख रहा था दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी और कोमल अंदर ही अंदर खुश हो रही थी और भगवान से प्रार्थना करते हुए ऐसे धन्यवाद दे रही थी कि सही मौके पर उसने रघू को भेज दिया था,,, लाला को समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें उसके तो खड़े लंड पर हथोड़ा पड़ गया था,,,
अंदर से आवाज नाता देख कर रखो फिर से दरवाजे की सीट के नहीं पकड़ कर उसे बजाते हुए बोला,,,,।

लाला कोई है क्या छोटी बहू,,,,,
(इतना सुनते ही कोमल जोर से चिल्लाने के लिए जैसे ही अपना मुंह खोलने को हुई लाला जोर से उसका मुंह अपने हाथ से दबाते हुए उसे चुप कर दिया,,,। और उसे धमकी देता हुआ बोला,,,,।)

खबरदार जो तूने मुंह से एक शब्द भी निकाले तो,,,, तुम मुझे अच्छी तरह से जानती नहीं मैं जितना सीधा दिखता हूं इतना सीधा हुं नहीं,,,, देख मैं जा रहा हूं दरवाजा खोलने यहां जो कुछ भी हुआ अगर तुम्हें एक शब्द भी इसे बताई तो तुम दोनों की लाश ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी,,, मेरे आदमी तुम दोनों को मार कर ऐसी जगह दफन करेंगे की तुम दोनों की लाश ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी,,,, समझ रही है ना मैं क्या कह रहा हूं,,,,।(अपने ससुर की बात सुनकर कोमल एकदम से घबरा गई थी क्योंकि वह उसका मुंह बंद करने के साथ-साथ उसका गला भी जोर से दबाए हुए था जिससे उसकी सांस घुट रही थी,,, और वह अपने ससुर की बात मानते हैं हां मैं से हिला दे क्योंकि अपने ससुर की हरकत को देख कर उसे अंदाजा हो गया था कि वह किस कदर तक नीचे गिर सकता है वह जो बोल रहा है वह कर भी सकता है इसलिए वह खामोश रहना ही उचित समझी,,,)
देख अंदर की बात बाहर नहीं जानी चाहिए अगर गई तो तेरी खेर नहीं और तेरे साथ साथ इस रघू को कुछ भी बताई तो यह भी मारा जाएगा,,,,(इतना सुनकर कोमल हां में सिर हिला दी वह पूरी तरह से घबरा चुकी थी,,,) देख अब अंदर जा और कपड़े पहन ले लेकिन बाहर बिल्कुल भी मत आना,,,(इतना कहते हुए लालाअपनी बहू को अपनी पकड़ से आजाद करने लगा लेकिन अभी तक उसके नंगे बदन की गर्माहट को अपने बदन में महसूस करके वह पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था,,,इसलिए उसे अपनी बाहों के कैद से आजाद करते हुए अपना एक हाथ उसकी तनी हुई चूची पर रख कर जोर से दबाते हुए बोला,,,।)
सससससस,,,,मस्त चुची है रे तेरी,,, तुझसे तो मैं बाद में निपटुंगा,,,, जा अंदर चली जा,,,,(इतना सुनते ही उसकी बहू अपनी गीली साड़ी उठाई और अंदर जाने लगी,,, लाला एक नजर अपनी बहू पर मारा जो किउसकी बहू अभी भी पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी वह अपने बदन को ढकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी शायद वह पूरी तरह से सदमे में थी इसलिए उसी तरह से अपने कमरे की तरफ जा रही थी और लाला उसके गोलाकार नितंबों की थिरकन को देखकर मदमस्त होता हुआ अपनी नजरों को सेंक रहा था,,। जैसे ही लाला की बहू कमरे में गई वह दरवाजा बंद कर ली,,,

लालाजी हो कि नहीं,,,,।

हां आया रुक जा,,,,(लाला को रघु पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था अगर उसकी जगह कोई और होता तो शायद उसकी हड्डी पसली एक करवा देता लेकिन ऐसा हुआ रघु के साथ नहीं कर सकता था क्योंकि कजरी पर उसका दिल आ गया था और लाला को ऐसा लगता था कि वह उसके बेटे के जरिए ही उसकी मां तक पहुंच सकता है,,,। इतना कहने के साथ ही लाला दरवाजा खोल दिया,,,, और रघु दरवाजा खुलते ही अंदर चकर पकर देखने लगा,,, उसकी नजरें लाला की बहू कोमल को ढूंढ रही थी लेकिन वह कहीं नजर नहीं आ रही थी तो रघु बोला,,,।)

लाला जी इतनी देर क्यों लगा दी दरवाजा खोलने में कब से खड़ा हूं,,,,।

कुछ नहीं बस खाना खा रहा था इसलिए देर हो गई,,,।

कोई बात नहीं मैं पूछ रहा था कि कहीं जाना है,,,।

हां हां जाना तो है मेरे समधी प्रताप सिंह के घर मेरी बेटी से मिलने जाना है,,,।

ठीक है मैं तैयार हूं मैं तांगा निकालता हूं,,,(इतना कहकर रघु तांगा निकालने के लिए चला गया उसे भी प्रताप सिंह के घर जाने का बहाना मिल गया था क्योंकि वह उसकी बीवी से मिलना चाहता था थोड़ी ही देर में तांगा लेकर रघु और लाला दोनों निकल पड़े,,,,,,, दूसरी तरफ लाला की बहू कमरे में बैठी सिसक सिसक कर रो रही थी उसे अपनी किस्मत पर गुस्सा आ रहा था इतनी खूबसूरत होने के बावजूद भी उसे नकारा पति मिला था जो कि मंदबुद्धि का था तभी तो उसे छोड़कर ना जाने कहां भटक रहा था वह कहां पर था इसका भी कोई अंदाजा नहीं था ना तो उसे और ना ही उसके बाप को तभी तो मौके का फायदा उठाकर उसका ससुर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता था कोमल कभी भी अपने मन में यह नहीं सोचते कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा जब उसका भी बाप समान ससुर उसकी इज्जत लूटने पर उतारू हो जाएगा,, वह तो भला हो रघु का जो इन मौके पर आकर उसकी इज्जत बचा लिया था भले ही इस बात का पता रघु को नहीं था लेकिन फिर भी उसका सही समय पर वहां पहुंच जाना कोमल की इज्जत बचा ले गया था,,,, कोमल को शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वह अपनी नजरों में गिरी जा रहीवह अपने ससुर की बहुत इज्जत करती थी उसे बाप समान का दर्जा देती थी लेकिन आज उसकी आंखों के सामने अपने आप को एकदम नंगी पाकर वह बेहद शर्मिंदगी महसूस कर रही थी उससे भी ज्यादा गुस्सा उसे अब अपने ससुर पर आ रहा था जो कि उसकी लाचारी का पूरा फायदा उठाना चाहता था और उसके नंगे बदन को अपनी बाहों में लेकर अपनी मनमानी करना चाहता था,,, यही सोचकर वह रोती रही और कब सो गई उसे पता नहीं चला,,,।

दूसरी तरफ रघु तांगा लेकर प्रताप सिंह के घर पहुंच चुका था,,,,प्रताप सिंह अपने समिति लाला को देखते ही उसका स्वागत करने के लिए खुद खड़े हो गए और उसे आदर पूर्वक घर में लेकर आए,,, रघु तांगा में रखा हुआ मिठाई और पके हुए आम की टोकरी उठा लिया और हवेली के अंदर चला गया,,, अंदर पहुंचते ही उसे सबसे पहले राधा नजर आई लाला की बेटी जोकि बला की खूबसूरत थी जमीदार की बीवी से राधा का कद कुछ लंबा ही था और भरा हुआ बदन होने की वजह से वह काफी खूबसूरत लग रही थी,,,, राधा को देखते ही रघू उसे नमस्ते किया,,, रघू को देखते ही राधा के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, और वह बोली,,,।

तुम यहां कैसे,,,,।

मैं यहां आपके पिताजी के साथ आया हूं,,, और यह लो मिठाईयां और पके हुए आम,,,(पके हुए आम कहते हुए रबर की नजर अपने आप ही राधा के दोनों गोलाईयों पर चली गई,,, जो कि खरबूजे के आकार में बेहद खूबसूरत नजर आ रहे थे,,, राधा की भी पैनी नजर रघु की तीखी नजरों को भांप गई थी,,। और उसकी नजरों से सिहर उठी थी,,, लेकिन राधा अपने पिताजी क्या आने की खबर सुनकर बिना कुछ लिए तुरंत भागी,,, पर जैसे ही मेहमान खाने मैं पहुंची वैसे ही तुरंत लंबा सा घूंघट डाल दी क्योंकि उसके ससुर भी वहीं बैठे थे,,, वह बहुत खुश थी और अपने पिताजी के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद ली,,,, अपने बाप के लिए राधा के मन में बहुत इच्छा थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि जिसे वह इतना इज्जत दे रही है वह खुद उसके लिए उम्र की अपनी खुद की सगी बहू की इज्जत लूटने पर आमदा हो चुका है,,,, लाला भी अपनी बेटी को देखकर खुश हुआ और ऊसे आशीर्वाद दिया,,, पीछे पीछे रघु भी वही पहुंच चुका था,,,,। रघु दरवाजे पर खड़ा था और राधा अपने पिताजी का आशीर्वाद लेकर वापस लौट रही थी तभी प्रताप सिंह अपनी बहू राधा पर नजर घुमाते हुए लाला से बोला,,,।

सब कुछ सही हो गया है लाला जी बस अब छोटे लड़के बिरजू की किसी अच्छी लड़की से शादी हो जाए बस तब समझ लो कि गंगा नहा लिया,,,,।

पर इसमें क्या हर्ज है समधी जी,,, मेरी नजर में एक लड़की है बहुत ही सुशील और खूबसूरत बहुत गरीब घर में आ जाएगी तो समझ लो चार चांद लग जाएगा,,,।

अरे वाह लाला जी तुमने तो क्या खबर सुनाइ है मैं तो खामखां खा परेशान हो रहा था,,,, तो कब चले लड़की देखने,,,,।

अभी कुछ दिन के लिए रुक जाइए फिर मैं खुद ही आपको ले चलूंगा और मेरा विश्वास है कि आप उसे देखते ही हां कह देंगे,,,।

बस बस लाला जी यही तो चाहिए मुझे,,,,
(इतना कह कर दो ना खुश हो गए और आपस में बातचीत का दौर आगे बढ़ाते रहें लेकिन उन दोनों की बात सुनकर रघु परेशान हो गया था,,,, वह तुरंत हाथ में लिया हुआ तेरा राधा को थाना ते हुए मालकिन के कमरे की तरफ जाने लगा तो राधा उसे पीछे से आवाज देते हुए बोली,,,।)

अरे कहां जा रहे हो ऐ लड़के सुनो तो,,,,

अभी आता हूं छोटी मालकिन,,,,,(इतना कहते हुए रघु आगे बढ़ गया हूं सीधा जाकर जमीदार की बीवी के कमरे के आगे खड़ा हो गया दरवाजा खुला हुआ था इसलिए उसे दस्तक देने की जरूरत नहीं पड़ी और वो धीरे से दरवाजा खोल कर कमरे में दाखिल हो गया और कमरे में,,आईने के सामने जमीदार की बीवी बैठकर अपने बालों को संवार रही थी,,,और आईने में रघू को देखते ही वह खुश हो गई और अपनी जगह से खड़ी होते हुए रघू की तरफ देख कर बोली,,,।)

अरे रघू तुम,,, तुम्हें देख कर मैं कितनी खुश हूं यह शायद तुम नहीं समझ पाओगे,,,।

लेकिन मैं खुश नहीं हूं मालकिन,,,


क्यों ऐसा क्यों बोल रहा है,,,,(जमीदार की बीवी रघु की तरफ धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए)

क्यों ना कमी,,,, मैं तो अपना वादा निभा रहा हूं जो तुमसे किसी न किसी बहाने मिलने के लिए चला आया हूं लेकिन शायद आप अपना वादा भूल गई हो,,,

कैसा वादा,,,, ? (जमीदार की बीवी कुछ याद करते हुए बोली,,)

देखी ना मालकिन मैं कहता था ना कि आप अपना वादा भूल गई हो,,, मेरी बहन की शादी का वादा,,,

अरे रघु बस इतनी सी बात मुझे याद है बस उचित समय मिलते ही मैं उनसे शादी की बात करूंगी अभी समय नहीं मिल पाया है,,,,।


लेकिन मालकिन जब तक समय मिलेगा तब तक देर हो चुकी होगी,,,(रघु गुस्से में बोला)

देर हो चुकी होगी मैं कुछ समझी नहीं,,,।

लालाजी से मालिक बिरजू के लिए किसी लड़की को ढूंढने की बात कर रहे थे और लालाजी की नजर में कोई लड़की है,,, और कुछ दिनों बाद मालिक लाला के साथ मिलकर उस लड़की को देखने जाएंगे,,,,।


अरे तुम चिंता क्यों करते हो मैं हूं ना आ जाइए मुझसे बात करूंगी करना चाहिए क्योंकि वह मेरी बात बिल्कुल भी नहीं टालेंगे,,,,।


देखिए मालकिन मुझे आप पर पूरा भरोसा है लेकिन समय रहते अगर बात कर लोगी तो ठीक रहेगा वरना मैं यहां कभी नहीं आऊंगा,,,,


अरे रघु तू तो खामखा नाराज हो रहा है,,, मुझ पर भरोसा है जैसा तू चाहता है वैसा ही होगा,,, बस मुझ पर यकीन रख,,,।

(जमीदार की बीवी की बात सुनकर रघु को कुछ राहत महसूस हुई और जमीदार की बीवी रघु की उपस्थिति में अपने तन बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रही थी ना जाने कि उसकी टांगों के बीच हलचल सी होने लगी,,,, वह रघू के साथ संभोग करना चाहती थी,,, इसलिए धीरे से आगे बढ़ी और दरवाजे के दोनों पल्लो को बंद करके हल्की सी सीटकनी लगा दी,,,,जमीदार की बीवी को इस तरह से दरवाजा बंद करता देख कर रघू को समझ में आ गया कि आगे क्या होने वाला है,,, पजामे के अंदर रघू का लंड भी धीरे-धीरे खड़ा होने लगा,,,, और जैसे ही दरवाजा बंद हुआ जमीदार की बीवी अपने कंधे पर से अपने साड़ी का पल्लू पकड़ कर नीचे गिरा दी जिससे उसकी भारी-भरकम छातियां एकदम तनकर ऊजागर हो गई,,, यह देखकर रघू की आंखों में चमक आ गई,,, और वो खुद आगे बढ़कर जमीदार की बीवी को अपनी बाहों में भर लिया,,,,

औहहहह,,, रघू,,,तुझसे अलग हुए अभी 2 दिन भी नहीं हुआ है लेकिन ऐसा लग रहा है कि 2 महीना बीत गया है,,,।


मुझे भी ऐसा ही लग रहा है मालकिन,,,,,ओहहहहह मालकिन,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु,,, ब्लाउज के ऊपर से ही जमीदार की बीवी की चूची को दबाना शुरू कर दिया,,, जमीदार की बीवी भी पागल हुए जा रही थी,,,।

ऐसे नहीं रघू ब्लाउज के बटन खोल लेने दे तब और मजा आएगा,,,(इतना कहने के साथ ही जमीदार की बीवी खुद ही अपने हाथ से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,और पल भर में ही बात ने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपनी खरबूजे जैसी चूची को एकदम आजाद कर दी,,,अपनी आंखों के सामने एक बार फिर से जमीदार की बीवी की नंगी चूची देख कर रखो पागल हो गया और दोनों हाथों में दोनों चूचियों को पकड़ कर बारी-बारी से उसे पीना शुरू कर दिया,,,, दूसरी तरफ जमीदार की बहू राधा रघु जिस तरह से जल्द बाजी में भागता हुआ गया था उसे दाल में कुछ काला लग रहा था,,, इसलिए वह भी पीछे पीछे अपनी सास के कमरे तक पहुंच चुकी थी अंदर उसे उसी दिन की तरह आवाजें आ रही थी,,, लेकिन आज की आवाज थोड़ा अलग थी,,, चूड़ियों की खनक कुछ ज्यादा ही आ रही थी,,, राधा अपनी शंका को पूरी तरह से साबित कर रख लेना चाहती थी इसलिए दरवाजे से कान लगाकर अंदर की बात सुन रही थी तभी उसके कान में जो आवाज गई उसे सुनकर वो एकदम से दंग रह गई उसकी टांगों के बीच हलचल बढ़ने लगी,,, वह आवाज रघु की थी जो उसकी सास की दोनों चुचियों को जोर जोर से दबा काम हुआ उसकी तारीफ कर रहा था,,,।

वाह मार्केट मैंने आज तक तुम्हारी जैसी बड़ी बड़ी और गोल चुचिया नहीं देखा,,,,

तो देर क्यों कर रहा है जोर जोर से दबा और इसे मुंह में भर कर पी,,,,
(अपनी सांस की आवाज सुनते ही उसके तो होश उड़ गए उसे समझते देर नहीं लगी कि जिस तरह की वह शंका का कर रही थी वह बिल्कुल सत प्रतिशत सच था,,,, और वह तुरंत दरवाजे को थोड़ा सा धक्का दि तो दरवाजा एकदम से खुल गया,,, जैसे ही दरवाजा खोला जमीदार की बीवी और रघू के तो होश उड़ गए,,, साथ ही कमरे के अंदर का नजारा देखकर राधा की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी आंखों में जो देखा वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी,,, उसकी सास अपने दोनों हाथ को रघु के सर पर रखी हुई थी और रघू अपने एक हाथ में उसके साथ की एक चुची को लेकर दबा रहा था और दूसरी चूची को मुंह में भर कर पी रहा था,,,। यह नजारा राधा के लिए बेहद मादकता और उत्तेजना से भरा हुआ था वह फटी आंखों से यह देखती रह गई,,,। उसके तो होश उड़ गए थे पर उसकी सास भी पूरी तरह से चौक गई थी उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें रघु ज्यों का त्यों जडवंत बन गया था,,। राधा खुद शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी और वह जल्दी से खुद ही दरवाजा बंद करके वहां से चलती बनी,,,।

जैसे ही दरवाजा बंद करूंगा वैसे ही जैसे दोनों को होश आया हो,,,

अब क्या होगा रघु,,, अगर यह मेरे पति को सब बता देगी तो मेरी और तुम्हारी खैर नहीं होगी,,,।

(रघु पहली नजर में राधा की प्यासी नजर को भाप गया था इसलिए जमीदार की बीवी को दिलासा देते हुए बोला)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो जो होगा देखा जाएगा लेकिन मुझे इस समय जाने दो,,,
(जमीदार की बीवी के पास उसे रोकने का कोई कारण भी नहीं था इसलिए वह बिना रोके उसी जाने दी रघु कमरे से बाहर निकल कर राधा के पीछे पीछे हो लिया,,,)
मस्त अपडेट मजा आ गया
 
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जबरदस्त अपडेट है । रघु ओर जमींदार की बीबी को रंगे हाथ पकड़ने से रघु का ही फायदा होता दिख रहा है । उस को राधा को भी चोदने की संभावना पूरी होती लग रही है
 

Nevil singh

Well-Known Member
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रघु की आवाज सुनते ही लाला की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई,,, उसकी बहू कोमल अभी भी संपूर्ण रूप से नंगी उसकी बाहों में थी,,, जो कि रघू की आवाज सुनते ही उसके चेहरे पर खुशी के भाव प्रकट होने लगे,,,। लाला की हालत खराब हो जाएगी दरवाजे के अंदर लाला अपनी बहू के साथ मुंह काला करने के फिराक में था,,, इसीलिए तो उसे एकदम नंगी अपनी बाहों में भर लिया था और दरवाजे के बाहर रघू,,, आकर खड़ा हो गया था उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि दरवाजे के पीछे एक ससुर अपनी बहू की इज्जत लूटने के लिए पूरी तरह से उतारू हो चुका है,,, वह तो लाला के पास काम की वजह से ही आया था और शायद भगवान कोमल की इज्जत बचाना चाहते थे तभी तो रघु को एन मौके पर भेज दिए थे,,,,, कमरे के अंदर पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था लाला कभी अपनी बहू की तरफ तो कभी दरवाजे की तरफ देख रहा था दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी और कोमल अंदर ही अंदर खुश हो रही थी और भगवान से प्रार्थना करते हुए ऐसे धन्यवाद दे रही थी कि सही मौके पर उसने रघू को भेज दिया था,,, लाला को समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें उसके तो खड़े लंड पर हथोड़ा पड़ गया था,,,
अंदर से आवाज नाता देख कर रखो फिर से दरवाजे की सीट के नहीं पकड़ कर उसे बजाते हुए बोला,,,,।

लाला कोई है क्या छोटी बहू,,,,,
(इतना सुनते ही कोमल जोर से चिल्लाने के लिए जैसे ही अपना मुंह खोलने को हुई लाला जोर से उसका मुंह अपने हाथ से दबाते हुए उसे चुप कर दिया,,,। और उसे धमकी देता हुआ बोला,,,,।)

खबरदार जो तूने मुंह से एक शब्द भी निकाले तो,,,, तुम मुझे अच्छी तरह से जानती नहीं मैं जितना सीधा दिखता हूं इतना सीधा हुं नहीं,,,, देख मैं जा रहा हूं दरवाजा खोलने यहां जो कुछ भी हुआ अगर तुम्हें एक शब्द भी इसे बताई तो तुम दोनों की लाश ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी,,, मेरे आदमी तुम दोनों को मार कर ऐसी जगह दफन करेंगे की तुम दोनों की लाश ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी,,,, समझ रही है ना मैं क्या कह रहा हूं,,,,।(अपने ससुर की बात सुनकर कोमल एकदम से घबरा गई थी क्योंकि वह उसका मुंह बंद करने के साथ-साथ उसका गला भी जोर से दबाए हुए था जिससे उसकी सांस घुट रही थी,,, और वह अपने ससुर की बात मानते हैं हां मैं से हिला दे क्योंकि अपने ससुर की हरकत को देख कर उसे अंदाजा हो गया था कि वह किस कदर तक नीचे गिर सकता है वह जो बोल रहा है वह कर भी सकता है इसलिए वह खामोश रहना ही उचित समझी,,,)
देख अंदर की बात बाहर नहीं जानी चाहिए अगर गई तो तेरी खेर नहीं और तेरे साथ साथ इस रघू को कुछ भी बताई तो यह भी मारा जाएगा,,,,(इतना सुनकर कोमल हां में सिर हिला दी वह पूरी तरह से घबरा चुकी थी,,,) देख अब अंदर जा और कपड़े पहन ले लेकिन बाहर बिल्कुल भी मत आना,,,(इतना कहते हुए लालाअपनी बहू को अपनी पकड़ से आजाद करने लगा लेकिन अभी तक उसके नंगे बदन की गर्माहट को अपने बदन में महसूस करके वह पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था,,,इसलिए उसे अपनी बाहों के कैद से आजाद करते हुए अपना एक हाथ उसकी तनी हुई चूची पर रख कर जोर से दबाते हुए बोला,,,।)
सससससस,,,,मस्त चुची है रे तेरी,,, तुझसे तो मैं बाद में निपटुंगा,,,, जा अंदर चली जा,,,,(इतना सुनते ही उसकी बहू अपनी गीली साड़ी उठाई और अंदर जाने लगी,,, लाला एक नजर अपनी बहू पर मारा जो किउसकी बहू अभी भी पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी वह अपने बदन को ढकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी शायद वह पूरी तरह से सदमे में थी इसलिए उसी तरह से अपने कमरे की तरफ जा रही थी और लाला उसके गोलाकार नितंबों की थिरकन को देखकर मदमस्त होता हुआ अपनी नजरों को सेंक रहा था,,। जैसे ही लाला की बहू कमरे में गई वह दरवाजा बंद कर ली,,,

लालाजी हो कि नहीं,,,,।

हां आया रुक जा,,,,(लाला को रघु पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था अगर उसकी जगह कोई और होता तो शायद उसकी हड्डी पसली एक करवा देता लेकिन ऐसा हुआ रघु के साथ नहीं कर सकता था क्योंकि कजरी पर उसका दिल आ गया था और लाला को ऐसा लगता था कि वह उसके बेटे के जरिए ही उसकी मां तक पहुंच सकता है,,,। इतना कहने के साथ ही लाला दरवाजा खोल दिया,,,, और रघु दरवाजा खुलते ही अंदर चकर पकर देखने लगा,,, उसकी नजरें लाला की बहू कोमल को ढूंढ रही थी लेकिन वह कहीं नजर नहीं आ रही थी तो रघु बोला,,,।)

लाला जी इतनी देर क्यों लगा दी दरवाजा खोलने में कब से खड़ा हूं,,,,।

कुछ नहीं बस खाना खा रहा था इसलिए देर हो गई,,,।

कोई बात नहीं मैं पूछ रहा था कि कहीं जाना है,,,।

हां हां जाना तो है मेरे समधी प्रताप सिंह के घर मेरी बेटी से मिलने जाना है,,,।

ठीक है मैं तैयार हूं मैं तांगा निकालता हूं,,,(इतना कहकर रघु तांगा निकालने के लिए चला गया उसे भी प्रताप सिंह के घर जाने का बहाना मिल गया था क्योंकि वह उसकी बीवी से मिलना चाहता था थोड़ी ही देर में तांगा लेकर रघु और लाला दोनों निकल पड़े,,,,,,, दूसरी तरफ लाला की बहू कमरे में बैठी सिसक सिसक कर रो रही थी उसे अपनी किस्मत पर गुस्सा आ रहा था इतनी खूबसूरत होने के बावजूद भी उसे नकारा पति मिला था जो कि मंदबुद्धि का था तभी तो उसे छोड़कर ना जाने कहां भटक रहा था वह कहां पर था इसका भी कोई अंदाजा नहीं था ना तो उसे और ना ही उसके बाप को तभी तो मौके का फायदा उठाकर उसका ससुर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता था कोमल कभी भी अपने मन में यह नहीं सोचते कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा जब उसका भी बाप समान ससुर उसकी इज्जत लूटने पर उतारू हो जाएगा,, वह तो भला हो रघु का जो इन मौके पर आकर उसकी इज्जत बचा लिया था भले ही इस बात का पता रघु को नहीं था लेकिन फिर भी उसका सही समय पर वहां पहुंच जाना कोमल की इज्जत बचा ले गया था,,,, कोमल को शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वह अपनी नजरों में गिरी जा रहीवह अपने ससुर की बहुत इज्जत करती थी उसे बाप समान का दर्जा देती थी लेकिन आज उसकी आंखों के सामने अपने आप को एकदम नंगी पाकर वह बेहद शर्मिंदगी महसूस कर रही थी उससे भी ज्यादा गुस्सा उसे अब अपने ससुर पर आ रहा था जो कि उसकी लाचारी का पूरा फायदा उठाना चाहता था और उसके नंगे बदन को अपनी बाहों में लेकर अपनी मनमानी करना चाहता था,,, यही सोचकर वह रोती रही और कब सो गई उसे पता नहीं चला,,,।

दूसरी तरफ रघु तांगा लेकर प्रताप सिंह के घर पहुंच चुका था,,,,प्रताप सिंह अपने समिति लाला को देखते ही उसका स्वागत करने के लिए खुद खड़े हो गए और उसे आदर पूर्वक घर में लेकर आए,,, रघु तांगा में रखा हुआ मिठाई और पके हुए आम की टोकरी उठा लिया और हवेली के अंदर चला गया,,, अंदर पहुंचते ही उसे सबसे पहले राधा नजर आई लाला की बेटी जोकि बला की खूबसूरत थी जमीदार की बीवी से राधा का कद कुछ लंबा ही था और भरा हुआ बदन होने की वजह से वह काफी खूबसूरत लग रही थी,,,, राधा को देखते ही रघू उसे नमस्ते किया,,, रघू को देखते ही राधा के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, और वह बोली,,,।

तुम यहां कैसे,,,,।

मैं यहां आपके पिताजी के साथ आया हूं,,, और यह लो मिठाईयां और पके हुए आम,,,(पके हुए आम कहते हुए रबर की नजर अपने आप ही राधा के दोनों गोलाईयों पर चली गई,,, जो कि खरबूजे के आकार में बेहद खूबसूरत नजर आ रहे थे,,, राधा की भी पैनी नजर रघु की तीखी नजरों को भांप गई थी,,। और उसकी नजरों से सिहर उठी थी,,, लेकिन राधा अपने पिताजी क्या आने की खबर सुनकर बिना कुछ लिए तुरंत भागी,,, पर जैसे ही मेहमान खाने मैं पहुंची वैसे ही तुरंत लंबा सा घूंघट डाल दी क्योंकि उसके ससुर भी वहीं बैठे थे,,, वह बहुत खुश थी और अपने पिताजी के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद ली,,,, अपने बाप के लिए राधा के मन में बहुत इच्छा थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि जिसे वह इतना इज्जत दे रही है वह खुद उसके लिए उम्र की अपनी खुद की सगी बहू की इज्जत लूटने पर आमदा हो चुका है,,,, लाला भी अपनी बेटी को देखकर खुश हुआ और ऊसे आशीर्वाद दिया,,, पीछे पीछे रघु भी वही पहुंच चुका था,,,,। रघु दरवाजे पर खड़ा था और राधा अपने पिताजी का आशीर्वाद लेकर वापस लौट रही थी तभी प्रताप सिंह अपनी बहू राधा पर नजर घुमाते हुए लाला से बोला,,,।

सब कुछ सही हो गया है लाला जी बस अब छोटे लड़के बिरजू की किसी अच्छी लड़की से शादी हो जाए बस तब समझ लो कि गंगा नहा लिया,,,,।

पर इसमें क्या हर्ज है समधी जी,,, मेरी नजर में एक लड़की है बहुत ही सुशील और खूबसूरत बहुत गरीब घर में आ जाएगी तो समझ लो चार चांद लग जाएगा,,,।

अरे वाह लाला जी तुमने तो क्या खबर सुनाइ है मैं तो खामखां खा परेशान हो रहा था,,,, तो कब चले लड़की देखने,,,,।

अभी कुछ दिन के लिए रुक जाइए फिर मैं खुद ही आपको ले चलूंगा और मेरा विश्वास है कि आप उसे देखते ही हां कह देंगे,,,।

बस बस लाला जी यही तो चाहिए मुझे,,,,
(इतना कह कर दो ना खुश हो गए और आपस में बातचीत का दौर आगे बढ़ाते रहें लेकिन उन दोनों की बात सुनकर रघु परेशान हो गया था,,,, वह तुरंत हाथ में लिया हुआ तेरा राधा को थाना ते हुए मालकिन के कमरे की तरफ जाने लगा तो राधा उसे पीछे से आवाज देते हुए बोली,,,।)

अरे कहां जा रहे हो ऐ लड़के सुनो तो,,,,

अभी आता हूं छोटी मालकिन,,,,,(इतना कहते हुए रघु आगे बढ़ गया हूं सीधा जाकर जमीदार की बीवी के कमरे के आगे खड़ा हो गया दरवाजा खुला हुआ था इसलिए उसे दस्तक देने की जरूरत नहीं पड़ी और वो धीरे से दरवाजा खोल कर कमरे में दाखिल हो गया और कमरे में,,आईने के सामने जमीदार की बीवी बैठकर अपने बालों को संवार रही थी,,,और आईने में रघू को देखते ही वह खुश हो गई और अपनी जगह से खड़ी होते हुए रघू की तरफ देख कर बोली,,,।)

अरे रघू तुम,,, तुम्हें देख कर मैं कितनी खुश हूं यह शायद तुम नहीं समझ पाओगे,,,।

लेकिन मैं खुश नहीं हूं मालकिन,,,


क्यों ऐसा क्यों बोल रहा है,,,,(जमीदार की बीवी रघु की तरफ धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए)

क्यों ना कमी,,,, मैं तो अपना वादा निभा रहा हूं जो तुमसे किसी न किसी बहाने मिलने के लिए चला आया हूं लेकिन शायद आप अपना वादा भूल गई हो,,,

कैसा वादा,,,, ? (जमीदार की बीवी कुछ याद करते हुए बोली,,)

देखी ना मालकिन मैं कहता था ना कि आप अपना वादा भूल गई हो,,, मेरी बहन की शादी का वादा,,,

अरे रघु बस इतनी सी बात मुझे याद है बस उचित समय मिलते ही मैं उनसे शादी की बात करूंगी अभी समय नहीं मिल पाया है,,,,।


लेकिन मालकिन जब तक समय मिलेगा तब तक देर हो चुकी होगी,,,(रघु गुस्से में बोला)

देर हो चुकी होगी मैं कुछ समझी नहीं,,,।

लालाजी से मालिक बिरजू के लिए किसी लड़की को ढूंढने की बात कर रहे थे और लालाजी की नजर में कोई लड़की है,,, और कुछ दिनों बाद मालिक लाला के साथ मिलकर उस लड़की को देखने जाएंगे,,,,।


अरे तुम चिंता क्यों करते हो मैं हूं ना आ जाइए मुझसे बात करूंगी करना चाहिए क्योंकि वह मेरी बात बिल्कुल भी नहीं टालेंगे,,,,।


देखिए मालकिन मुझे आप पर पूरा भरोसा है लेकिन समय रहते अगर बात कर लोगी तो ठीक रहेगा वरना मैं यहां कभी नहीं आऊंगा,,,,


अरे रघु तू तो खामखा नाराज हो रहा है,,, मुझ पर भरोसा है जैसा तू चाहता है वैसा ही होगा,,, बस मुझ पर यकीन रख,,,।

(जमीदार की बीवी की बात सुनकर रघु को कुछ राहत महसूस हुई और जमीदार की बीवी रघु की उपस्थिति में अपने तन बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रही थी ना जाने कि उसकी टांगों के बीच हलचल सी होने लगी,,,, वह रघू के साथ संभोग करना चाहती थी,,, इसलिए धीरे से आगे बढ़ी और दरवाजे के दोनों पल्लो को बंद करके हल्की सी सीटकनी लगा दी,,,,जमीदार की बीवी को इस तरह से दरवाजा बंद करता देख कर रघू को समझ में आ गया कि आगे क्या होने वाला है,,, पजामे के अंदर रघू का लंड भी धीरे-धीरे खड़ा होने लगा,,,, और जैसे ही दरवाजा बंद हुआ जमीदार की बीवी अपने कंधे पर से अपने साड़ी का पल्लू पकड़ कर नीचे गिरा दी जिससे उसकी भारी-भरकम छातियां एकदम तनकर ऊजागर हो गई,,, यह देखकर रघू की आंखों में चमक आ गई,,, और वो खुद आगे बढ़कर जमीदार की बीवी को अपनी बाहों में भर लिया,,,,

औहहहह,,, रघू,,,तुझसे अलग हुए अभी 2 दिन भी नहीं हुआ है लेकिन ऐसा लग रहा है कि 2 महीना बीत गया है,,,।


मुझे भी ऐसा ही लग रहा है मालकिन,,,,,ओहहहहह मालकिन,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु,,, ब्लाउज के ऊपर से ही जमीदार की बीवी की चूची को दबाना शुरू कर दिया,,, जमीदार की बीवी भी पागल हुए जा रही थी,,,।

ऐसे नहीं रघू ब्लाउज के बटन खोल लेने दे तब और मजा आएगा,,,(इतना कहने के साथ ही जमीदार की बीवी खुद ही अपने हाथ से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,और पल भर में ही बात ने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपनी खरबूजे जैसी चूची को एकदम आजाद कर दी,,,अपनी आंखों के सामने एक बार फिर से जमीदार की बीवी की नंगी चूची देख कर रखो पागल हो गया और दोनों हाथों में दोनों चूचियों को पकड़ कर बारी-बारी से उसे पीना शुरू कर दिया,,,, दूसरी तरफ जमीदार की बहू राधा रघु जिस तरह से जल्द बाजी में भागता हुआ गया था उसे दाल में कुछ काला लग रहा था,,, इसलिए वह भी पीछे पीछे अपनी सास के कमरे तक पहुंच चुकी थी अंदर उसे उसी दिन की तरह आवाजें आ रही थी,,, लेकिन आज की आवाज थोड़ा अलग थी,,, चूड़ियों की खनक कुछ ज्यादा ही आ रही थी,,, राधा अपनी शंका को पूरी तरह से साबित कर रख लेना चाहती थी इसलिए दरवाजे से कान लगाकर अंदर की बात सुन रही थी तभी उसके कान में जो आवाज गई उसे सुनकर वो एकदम से दंग रह गई उसकी टांगों के बीच हलचल बढ़ने लगी,,, वह आवाज रघु की थी जो उसकी सास की दोनों चुचियों को जोर जोर से दबा काम हुआ उसकी तारीफ कर रहा था,,,।

वाह मार्केट मैंने आज तक तुम्हारी जैसी बड़ी बड़ी और गोल चुचिया नहीं देखा,,,,

तो देर क्यों कर रहा है जोर जोर से दबा और इसे मुंह में भर कर पी,,,,
(अपनी सांस की आवाज सुनते ही उसके तो होश उड़ गए उसे समझते देर नहीं लगी कि जिस तरह की वह शंका का कर रही थी वह बिल्कुल सत प्रतिशत सच था,,,, और वह तुरंत दरवाजे को थोड़ा सा धक्का दि तो दरवाजा एकदम से खुल गया,,, जैसे ही दरवाजा खोला जमीदार की बीवी और रघू के तो होश उड़ गए,,, साथ ही कमरे के अंदर का नजारा देखकर राधा की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी आंखों में जो देखा वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी,,, उसकी सास अपने दोनों हाथ को रघु के सर पर रखी हुई थी और रघू अपने एक हाथ में उसके साथ की एक चुची को लेकर दबा रहा था और दूसरी चूची को मुंह में भर कर पी रहा था,,,। यह नजारा राधा के लिए बेहद मादकता और उत्तेजना से भरा हुआ था वह फटी आंखों से यह देखती रह गई,,,। उसके तो होश उड़ गए थे पर उसकी सास भी पूरी तरह से चौक गई थी उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें रघु ज्यों का त्यों जडवंत बन गया था,,। राधा खुद शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी और वह जल्दी से खुद ही दरवाजा बंद करके वहां से चलती बनी,,,।

जैसे ही दरवाजा बंद करूंगा वैसे ही जैसे दोनों को होश आया हो,,,

अब क्या होगा रघु,,, अगर यह मेरे पति को सब बता देगी तो मेरी और तुम्हारी खैर नहीं होगी,,,।

(रघु पहली नजर में राधा की प्यासी नजर को भाप गया था इसलिए जमीदार की बीवी को दिलासा देते हुए बोला)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो जो होगा देखा जाएगा लेकिन मुझे इस समय जाने दो,,,
(जमीदार की बीवी के पास उसे रोकने का कोई कारण भी नहीं था इसलिए वह बिना रोके उसी जाने दी रघु कमरे से बाहर निकल कर राधा के पीछे पीछे हो लिया,,,)
Kadak update mitr
 

aalu

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sala lala kee bahu komla kee izzat toh aaj bach gayee lekin kab tak... akhir harami lala bhi toh ussi ghar mein rahta hain.. mauka dekhte hi daboch lega... uska gandu pati ko to fiakr hi na hain... sala kancha maal pe budhau haath saaf kar raha hain..... raghu idhar najar hi marta hi rahega aur lala gand bhi marna shuru kar dega...

khair lala ne toh lagta hain shalu kee shaadi ko chaupat kar dena hain... yeh harami raghu kee har taraf se gand marne ke chakkar mein hain... ab thakurain ne wayda toh kar diya hain... lekin kaheen lala pehle hi lapet na de... sala radha rani bhi gajab hain... sidha kiwar hi khol diya... batao ab chumma chati ka sun hi lee toh kya jaroorat thee.. darwaje pe khare ho ke ungli na kar shakti thee... lagta hain iska marad bhi gandu hee hain... tay-tay fiss hi rahta hain... tabhi to bechari itni jaldi garma gayee..... aur udhar iska baapu budhari mein dhoti mein khalbali machate rahta hain....

ab raghu chal diya kuan se paani nikalne... chalo saas bahu haath mein rahegi toh shaalu ke liye behtar hee hoga...
 

Napster

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अब रघू के लंड के निचे राधा का आना तय है
प्रेम से या जबरदस्ती से लंबा मोटा तगडा लंड देखके
जबरदस्त और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

rohnny4545

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khair lala ne toh lagta hain shalu kee shaadi ko chaupat kar dena hain... yeh harami raghu kee har taraf se gand marne ke chakkar mein hain... ab thakurain ne wayda toh kar diya hain... lekin kaheen lala pehle hi lapet na de... sala radha rani bhi gajab hain... sidha kiwar hi khol diya... batao ab chumma chati ka sun hi lee toh kya jaroorat thee.. darwaje pe khare ho ke ungli na kar shakti thee... lagta hain iska marad bhi gandu hee hain... tay-tay fiss hi rahta hain... tabhi to bechari itni jaldi garma gayee..... aur udhar iska baapu budhari mein dhoti mein khalbali machate rahta hain....

ab raghu chal diya kuan se paani nikalne... chalo saas bahu haath mein rahegi toh shaalu ke liye behtar hee hoga...
Waah kya baat he guru laajawab
 

rohnny4545

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अब रघू के लंड के निचे राधा का आना तय है
प्रेम से या जबरदस्ती से लंबा मोटा तगडा लंड देखके
जबरदस्त और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Okay dear
 
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