सोनाली- थैंक्स.. तुम्हारे हाथों में तो जादू है।
सूर्या से भी कंट्रोल नहीं हो पाया.. एक सीमा होती है कंट्रोल करने की.. इतनी हॉट लड़की खड़ी हो सामने.. और वो भी पूरी नंगी.. तो किस चूतिया से कंट्रोल होगा।
वो भी उससे चिपक गया और उसके चूतड़ों को दबाने लगा, तब तक सोनाली ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
अब तक सोनाली उसके लंड पर भी हाथ रख चुकी थी और उसकी पैंट के ऊपर से ही उसके खड़े लौड़े को मसलने लगी।
कुछ देर किस करने के बाद उसको अलग किया।
सूर्या- ये ग़लत है.. तुम मेरे दोस्त की बहन हो.. ये सही नहीं है… सब सुशान्त को पता चलेगा.. तो वो हम दोनों के बारे में क्या सोचेगा?
वो ये बोल कर नीचे चला गया और मुझे फोन किया- कितनी देर में आओगे?
मैं- भाई तेरी बाइक खराब हो गई है.. उसी को ठीक करवा रहा हूँ।
सूर्या- ओह.. बोल.. मैं भी आता हूँ।
मैं- रहने दे.. तू मूवी देख.. मैं ठीक करवा कर तुरंत आता हूँ.. तेरा मन हो रहा है तो आ जा..
सूर्या- नहीं.. वैसी कोई बात नहीं है।
तब तक सोनाली नंगी ही आकर उसकी गोद में बैठ गई।
मैं- सोनाली कहाँ है.. फोन दे तो उसको..
सूर्या- ओके.. लो..
सोनाली- हाँ भैया बोलो?
मैं- उसको भूख लगी होगी.. खाना खिला देना उसको.. मैं कुछ देर में आऊँगा.. समझ गई न?
सोनाली- ओके भैया समझ गई..
सूर्या- ओके भाई.. तू जल्दी आ जाना।
मैं- ओके भाई..
सोनाली- लो भैया अभी नहीं आएंगे.. तुमको भूख लगी है ना.. लो दूध पी लो..
उसने अपनी चूचियों को उसके मुँह के पास कर दिया।
सूर्या- उसको पता चल गया तो?
सोनाली- जो होगा देखा जाएगा।
तो सूर्या ने भी उसके मम्मों को पकड़ लिया और दबाने लगा, तब तक सोनाली ने उसकी पैन्ट को खोल दिया, उसका लहराता हुआ लंड बाहर आ गया, उसका लंड भी कम नहीं था, मेरे बराबर ही था.. या छोटा भी होगा तो बहुत कम ही छोटा होगा।
सोनाली उसको बड़े प्यार से सहला रही थी और सूर्या उसके मम्मों को नोंच रहा था।
तभी सूर्या ने उसकी चूचियों को मुँह में ले लिया। मेरी दया से चूचियों इतनी बड़ी हो गई थीं कि उसके मुँह में तो जा ही नहीं पा रही थीं..
तभी..
सोनाली- मैं इसको मुँह में ले लूँ?
सूर्या- ले लो.. लेकिन मैं चूचियों को अभी नहीं छोड़ने वाला हूँ.. बहुत दिनों से इसको पाना चाह रहा हूँ।
सोनाली- बहुत दिनों से.. मतलब.. कब से?