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UPDATE -5
Writer - Nidhi Agrawal
शाम को 5 बजे तीसरे की बैठक थी...उस बैठक में शहर का ऐसा कोई बड़ा आदमी नही था जो ना आया हो...
लेकिन एक शक्श ऐसा भी था जिसके यहाँ आने के बारे मे में सोच भी नही सकता था....आज बैठक में मुझे सुहानी भी दिखाई दे गयी....
पता नही एक अदृश्य सा रिश्ता हमारे बीच में जुड़ चुका था....मुझे जब भी ज़रूरत होती....वो मेरे सामने किसी ना किसी रूप में आ ही जाती थी....
बैठक ख़तम होने के बाद वहाँ आए सभी लोगो ने मुझ से विदा ली ....और तभी सुहानी भी मेरी बगल में आकर खड़ी ही गयी....
जब सब लोग चले गये तब सुहानी ने भी जाने के लिए बोला....
में--नही सुहानी अगर तुम यहाँ नही आती तो मुझे इसका कोई अफ़सोस नही होता लेकिन ....यहाँ से अगर तुम इस तरह से चली जाओगी तो शायद में खुद को माफ़ भी नही कर सकूँगा....
और मेरा एक लालच भी है तुम्हे यहाँ रोकने का....में तुम से कुछ बाते करना चाहता हूँ...शायद उन सवालो का जवाब तुम ही मुझे सही तरीके से दे सकती हो....
सुहानी ने जब मुझे इतना उलझा हुआ देखा अपने ही सवालो में तब वो चाहकर भी जा ना सकी...
मैने नीरा को बुलाया और सुहानी के रुकने का प्रबंध नीरा के रूम में ही करवा दिया...
उसके बाद चाचा मेरी तरफ़ कुछ बात करने के लिए बढ़ जाते है....
चाचा---बेटा अब हम लोग हरिद्वार के लिए निकलेंगे और 2 दिन बाद वापस आजाएँगे...
में--चाचा जी किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो आप मुझे बोल सकते हो..
चाचा--अरे नही बेटा किसी चीज़ की ज़रूरत नही है मुझे...
लेकिन दीक्षा और कोमल आज पहली बार मेरे और रजनी के बिना रहेंगी...में चाहता हूँ तुम उन दोनो का ध्यान रखो...
में--चाचा जी आप कैसी बात कर रहे है....
दीक्षा और कोमल मेरे लिए रूही और नीरा की तरह ही है आप लोग बिना किसी चिंता के वहाँ जाकर आ जाओ...
चाचा--ठीक है बेटा...हम थोड़ी देर में ही निकल जाएँगे....
में--चाचा जी आप लोग मेरी कार में चले जाना ड्राइवर को साथ में लेकर....
चाचा--ठीक है बेटा तू जैसा चाहेगा वेसा ही होगा...
और थोड़ी देर बाद चाचा जी...चाची जी. और रूही तीनो हरिद्वार के लिए रवाना हो जाते है..
वो सब लोग हरिद्वार के लिए निकल गये थे,.
मेने नीरा को आवाज़ दी और उसे कॉफी बनाने के लिए बोल दिया....मेरे पास सुहानी भी आकर बैठ चुकी थी...
में--सुहानी तुम्हे यहाँ देख कर काफ़ी सुकून मिला है मुझे....मेरी हर परेशानी तुम चुटकियो में हल कर देती हो...अभी भी में एक परेशानी में उलझा हुआ हूँ....
सुहानी--ऐसी क्या परेशानी है...जो आप इतना उलझ गये हो...
में--सुहानी मेरी मम्मी चाहती है कि में मेरी भाभी से शादी कर लूँ....और मुझे ये समझ नही आ रहा है कि भाभी को जब ये बात पता चलेगी तब उनका रियेक्शन क्या होगा....
सुहानी--आपकी मम्मी ने आपसे ये शादी वाली बात कब करी थी...
में--आज ही...
सुहानी--मुझे लगता है आप पूरे के पूरे बेवकूफ़ है....
में--हाँ वो तो में हूँ नही तो तुम मेरी मदद कैसे कर पाती...
सुहानी--देखो आप के पापा और भाई की डॅत को ज़्यादा दिन नही हुए है....इस लिए भाभी से इस बारे में कोई भी बात करना पूरी तरह से ग़लत है....और मुझे समझ नही आ रहा ऐसे मोके पर आपकी मम्मी के दिमाग़ में ये शादी वाली बात आ कहाँ से गयी.... आप अब मेरी बात सुनो .....कौन आप से क्या करने को कहता है आप उस पर ध्यान मत दो...आप बस अपने दिल और दिमाग़ की आवाज़ से ही अपना काम करते जाओ...
में--तुम्हारी बात ठीक है लेकिन...में भाभी और मम्मी को इस तरह परेशान नही देख सकता....
सुहानी--आप इसमें कुछ नही कर सकते...आप उन्हे वो नही लौटा सकते जो उनसे छीन लिया गया है.....इसलिए जो हो रहा है वो होने दो सब कुछ समय के उपर छोड़ दो...क्योकि आज नही तो कल तुम्हे अपनी बात कहने का सही मोका ज़रूर मिलेगा....
उसके बाद नीरा कॉफी ले आती है ...और वो भी हमारे साथ बैठ कर कॉफी पीने लग जाती है...
नीरा--भैया क्या बाते हो रही है आप दोनो में मुझे भी तो कुछ बताओ....
में--कोई बात नही हो रही नीरा बस थोड़ा मम्मी की एक बात पर परेशान हो गया था...
नीरा--कौनसी बात भैया ऐसा क्या कह दिया आपसे मम्मी ने जो आप इतना परेशान हो गये...
में--मम्मी का कहना है कि मुझे भाभी से शादी कर लेनी चाहिए...
ये बात सुनते ही नीरा के होश उड़ जाते है लेकिन वो खुद को काबू में रख कर कहती है...
नीरा--भैया इसमें इतने चिंता करने वाली बात कौनसी है....पहली बात तो ये कि आप दोनो की शादी कोई बच्चो का खेल तो है नही...जो मम्मी ने बोल दिया और शादी हो गयी...
ये बात आपको और भाभी को तैय करनी है...और इसके लिए अभी काफ़ी समय का इंतजार करना होगा....क्योकि भाभी का फ़ैसला सिर्फ़ समय ही कर सकता है....
सुहानी नीरा की इस बात पर मुस्कुराए बिना नही रह सकी..,
सुहानी--सर आगे से आप नीरा जी को ही अपनी उलझने बता देना...क्योकि ये आप के दिल के हालात बहुत अच्छे से समझती है...
तभी नीरा उठ कर किचन की तरफ़ चली जाती है...और रोते हुए खुद से ही बात करने लगती है...उसे अपने दिल में सब कुछ टूटता हुआ महसूस हो रहा था...लेकिन वो किसी से कुछ कह भी नही सकती थी...प्यार जो करती थी जय से......!!!
रात हो चुकी थी और सुहानी ने मुझ से जाने की पर्मिशन माँगी और फिर में जाकर उसे एरपोर्ट तक छोड़ आया...जब में घर वापस आ रहा था तब रास्ते में से मैने एक शराब की बोतल भी ले ली थी...
जब घर पहुचा तो देखा नीरा कोमल और दीक्षा एक ही रूम में है ....और शायद भाभी और मम्मी सो चुके थे खाना खा कर...
में अपने रूम में चला गया और किचन में से कुछ स्नॅक्स ले कर मेरे रूम में आ गया उसके बाद मैने वो बोतल ओपन करी और धीरे धीरे सीप करता हुआ ड्रिंक करने लगा...
तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई....
मैने जैसे ही जाकर दरवाजा खोला तो सामने भाभी खड़ी थी उनका चेहरा बिल्कुल बुझा हुआ...आँखे रो रो कर सूज चुकी थी...
में--भाभी क्या हुआ....कुछ चाहिए क्या मुझ से...,
भाभी--जय क्या में थोड़ी देर तुम्हारे साथ बैठ सकती हूँ अगर तुम बुरा ना मानो तो...
में --हाँ भाभी क्यो नही....मुझे भी नींद नही आ रही थी...
उसके बाद में दरवाजे से हट गया और भाभी सीधा मेरे रूम के बेड पर जाकर बैठ गयी मैने दरवाजा बंद किया लेकिन लॉक नही किया और वापस बेड के पास एक चेयर पर बैठ गया...
भाभी--जय तुमने शराब पी है???
में--हाँ भाभी जब से ये सब कुछ हुआ है तब से मुझे से रहा ही नही जाता...
भाभी--क्या मुझे भी थोड़ी सी दे सकते हो...
में--लेकिन भाभी....आप कैसे पियोगी इसे....आपने तो कभी पी भी नही होगी...
भाभी--आज मेरा मन बहुत घबरा रहा है....कुछ भी अच्छा नही लग रहा प्ल्ज़ मुझे एक ड्रिंक दे दो...
भाभी को इस तरह परेशान होता देख मेने अपने बेड के नीचे से वो सारा समान निकाल लिया जो भाभी के अंदर आने से पहले में बेड के नीचे सरका चुका था...
में किचन से जाकर भाभी के लिए एक ग्लास और ले आया और उनको उस ग्लास में ड्रिंक बना कर दे दिया...
भाभी--तुम सुबह मुझ से नाराज़ तो नही होगये थे ना...
में--नही भाभी में आपसे भला क्यो नाराज़ होने लगा...
भाभी--मुझे लगा शायद तुम मेरी उस नियत खराब वाली बात पर नाराज़ हो गये होगे...
में--नही भाभी ऐसी कोई बात नही है आप परेशान मत होइए....जब मैने ऐसा कुछ कहना चाहा ही नही था तो फिर में आपके गुस्से से नाराज़ क्यो हो जाउन्गा...
भाभी--जय मुझ से कभी भी नाराज़ मत होना...मेरा इस दुनिया में तुम सब के अलावा कोई नही है...मुझे माफ़ कर देना अगर में गुस्से में आकर कुछ बोल दूं तो...
में--अरे नही भाभी आप कैसी बाते कर रही है....में कभी नाराज़ नही हो सकता आपसे ....
उसके बाद हम दोनो ने एक एक ड्रिंक और लिया फिर भाभी जाने के लिए खड़ी हो गयी...
भाभी--अच्छा जय में अब जा रही हूँ....तू भी अब ज़्यादा मत पीना और खाना खा लेना.
में--भाभी भूक मर गयी है मेरी...कुछ समझ नही आता क्या करूँ...एक तरफ मम्मी का दुख मुझ से सहा नही जा रहा दूसरी तरफ़ आप को इस तरह तिल तिल करता मरते देख रहा हूँ...ये शराब में बस बेहोश होने के लिए पीता हूँ...
मेरी ये बात सुनकर भाभी ने मुझे कस कर गले से लगा लिया....और मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी....
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भाभी--तुझे मेरे दर्द से इतनी तकलीफ़ होगी ये मैने कभी सोचा भी नही था...मुझे माफ़ कर दे जय मुझे माफ़ कर दे...
तभी अचानक...................
तभी अचानक मेरे रूम का दरवाजा खुल जाता है...नीरा अपने साथ मेरे लिए खाना लाई थी...
जब वो हम दोनो को इस तरह से गले लगे हुए देखती है...और बेड पर शराब की बोतल और 2 ग्लास देख कर वो बस इतना ही बोलती है...
नीरा--भैया खाना खा लेना नही तो ठंडा हो जाएगा....
वो हम दोनो से नज़रे नही मिला रही थी वो चुपचाप खाना वही बेड पर रख कर चली जाती है....
नीरा के जाने के बाद भाभी भी चली गयी थी....लेकिन नीरा ने मुझे जिस तरह से देखा था वो तीर सीधा मेरे सीने में उतर गया था...पता नही क्यो लेकिन ये अहसास हुआ कि कुछ तो ग़लत हुआ है....उसके बाद मैने अपने सिर को झटक के वो बात अपने दिल और दिमाग़ से निकाल दी...
मैने फिर से एक ग्लास में शराब भर ली और उसे पीने लग गया....
अचानक दरवाजे पर हुई दस्तक से में चोंक जाता हूँ...उठ कर दरवाजा खोलने के बाद मुझे नीरा दरवाजे के बाहर खड़ी हुई मिलती है...
नीरा--आप से बात करनी है....मुझे अंदर आने दो....
में--तुझे किसने रोक रखा है जो मुझ से पर्मिशन माँग रही है अंदर आने की...
उसके बाद नीरा सीधा चल कर मेरे बेड के पास आकर बैठ जाती है...
में--बोल क्या बात करनी है...
नीरा--पहले आप मेरी कसम खाओ जो बात में कहूँगी वो आप मानोगे..,
में--ये कैसी बच्चो वाली बात कर रही है तू...में तेरी हर बात वैसे ही मान लेता हूँ...इसमें कसम देने वाली बात कहाँ से आ गयी...
नीरा--कसम तो आपको खानी ही होगी...जो बात में कहना चाहती हूँ मेरे जीवन और मरण के बराबर है...
में--ऐसी क्या बात है नीरा...तू बोल तो सही तू जो बोलेगी में वो मान लूँगा...
नीरा--आप पहले कसम खाओ..,.उसके बाद ही में अपनी बात कहूँगी....
में--नही....में ऐसी कोई कसम नही खा सकता...नीरा क्यो मज़ाक कर रही है....
नीरा--आपको मेरी बात मज़ाक लग रही है तो फिर...में क्या हूँ आपके लिए..में मज़ाक नही कर रही...बोलो अब आप कसम खा रहे हो या नही....
में सोच में पड़ जाता हूँ....कहीं मम्मी की तरह ये भी तो कुछ ऐसा ही कहने तो नही आई है ना...लेकिन ऐसी क्या बात हो सकती है जिस वजह से ये मुझ से कसम खिलवा. रही है...
नीरा--किस सोच में पड़ गये ...कसम तो आपको खानी ही पड़ेगी....
में--अच्छा थोड़ा तो हिंट दे दे ये किस बारे में है....
नीरा--आप इतना क्या सोच रहे हो अगर आप मेरी जान भी माँग लो तो में हँसते हँसते आप पर कुर्बान हो जाउन्गि...लेकिन आप इतनी देर से एक कसम भी.. नही खा पा रहे हो.....
में--क्या तुझे अपने भाई पर यकीन नही है... जो तू मुझे कसम खिलाकर ही अपनी बात मनवा सकती है...
नीरा--मुझे आप पर पूरा यकीन है...लेकिन अपने आप पर से में अपना यकीन खोती जा रही हूँ....इसीलिए में आपको कसम खाने के लिए बोल रही हूँ....अगर कोई चीज़ मुझे चाहिए होती तो मेरे बोलने से पहले ही आप उसे मेरी आँखो के सामने रख चुके होते...लेकिन ये बात कहना, ना मेरे लिए आसान है और ना आपके लिए इसे कर पाना...
में--अगर ये बात इतनी ही ज़रूरी है तो फिर ठीक है....
अचानक दरवाजे पर हुई दस्तक ने दोनो के बीच चल रही इस बात पर विराम लगा दिया...नीरा ने जाकर दरवाजा खोला तो देखा वहाँ दीक्षा खड़ी थी...
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दीक्षा--सॉरी मैने आप लोगो को डिस्टर्ब तो नही किया....
नीरा--नही नही दी ऐसी कोई बात नही है आप अंदर आ जाओ...
नीरा का चेहरा बिल्कुल उतर गया था लेकिन अपने चेहरे पर उसने ये ज़्यादा देर रहने नही दिया...
दीक्षा ने एक नाइटी पहन रखी थी जो कि काफ़ी. लंबी थी और ढीली भी उसकी स्लीवस में से उसकी वाइट ब्रा भी दिखाई दे रही थी...
दीक्षा--बेड पर लेट ते हुए.....मुझे वहाँ नींद नही आ रही थी इसलिए मुझे लगा आप लोगो के साथ बैठ कर थोड़ी देर में भी बाते कर लूँ...
दीक्षा कमर के बल लेटी हुई थी और उसने अपना एक हाथ अपने सिर के पीछे रख दिया था जिस से उसके अंडर आर्म्स के बड़े बड़े बाल नुमाया हो गये थे...दीक्षा को इस तरह लेटे देख कर नीरा को गुस्सा आ गया लेकिन अपने गुस्से पर काबू करते हुए...
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नीरा--दीदी सुबह अंडर आर्म क्लीन कर लेना में रिमूवर दे दूँगी आपको...
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दीक्षा इस बात पर बुरी तरह झेंप गयी...और बात बदल कर...
दीक्षा--ये शराब की स्मेल कहाँ से आ रही है...
नीरा--मेरे भैया शराब पीते है...क्यो आपको भी पीनी है...
दीक्षा अब उठ के बैठ चुकी थी...लेकिन नीरा के इस तरह के बर्ताव की वजह से थोड़ी शर्मिंदा भी हो रही थी...
दीक्षा--नीरा तुम रूम में कब तक आओगी....
नीरा--में थोड़ी ही देर में आती हूँ रूम में...आपने दूध पी लिया क्या...
दीक्षा--नही में वही लेने जा रही हूँ...ठीक है गुड नाइट जय भैया अब सुबह मिलेंगे...
फिर मैने भी गुड नाइट कहा और उसके जाते ही अपनी साँस छोड़ते हुए नीरा से कहा ...
में--अब तू भी जा और सो जा...
नीरा--मेरी बात अभी पूरी नही हुई है...लेकिन में रात को फिर आउन्गि...लेकिन इस बार अपनी बात मनवा कर ही जाउन्गि...
उसके बाद नीरा अपने रूम में चली जाती है और में फिर से अपने बेड के नीचे से वो शराब की बोतल निकाल कर अपना ग्लास भरने लग जाता हूँ...
उधर नीरा के रूम में...
दीक्षा--सॉरी नीरा मुझे पता है तुम किस बात पर नाराज़ हो गयी...
नीरा--दी में आपसे नाराज़ हो ही नही सकती हूँ लेकिन आपका इस तरह अपने अंडर आर्म्स को शो करना मुझे अच्छा नही लगा...
दीक्षा--हाँ यार नीरा मुझ से ग़लती हो गयी है पता नही भैया मेरे बारे में क्या सोचेंगे...
नीरा--वो कुछ नही सोचेंगे अगर उन्होने तुम्हारी अंडर आर्म्स की तरफ देख भी लिया होगा तो वो अपनी नज़रे हटा चुके होंगे वहाँ से...आप इस बात से परेशान मत रहो और सुबह में आपको रिमूवर दूँगी जिस से आप अपने हेर रिमूव कर लेना...
दीक्षा--हाँ यार मुझे देना मैने आज तक रिमूवर यूज़ नही किया...में भी स्लीवलेस पहनना चाहती हूँ लेकिन इन बालो की वजह से शर्म आती थी...
नीरा--कोई बात नही...में कल आपको रिमूवर दे दूँगी और रूही दीदी की कुछ स्लीवलेशस ड्रेसस भी...अब आप आराम कर लो थोड़ी देर....क्योकि मुझे अभी वापस जाना है भैया के पास कुछ ज़रूरी बात करने...
दीक्षा--ऐसी क्या बात आ गयी...जो तुम्हे इस समय ही करनी है...
नीरा--कुछ बाते समय नही देखा करती...उन्हे जितना जल्दी हो सके कर लेना चाहिए..वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी...काल करे सो आज कर... आज करे सो अब...पल में प्रलय होवेगी..... जदे करेगा कद.....
और इसी के साथ हम लोग मुस्कुरा कर एक दूसरे से गले मिलते है और गुड नाइट बोलकर सोने लगते है...लेकिन नीरा को आज नही सोना था....वो बस सही समय का इंतजार कर रही थी .......
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रात के 1.30 बज रहे थे...तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक होती है....
में अपनी ड्रिंक ले चुका था और बस खाना खाकर उठने ही वाला था...मैने उठ कर दरवाजा खोला तो सामने नीरा खड़ी थी अपने चिरपरिचित अंदाज में...
वो अपनो आँखे बड़ी बड़ी करके बस मुझे देखे ही जा रही थी....
में--तू सोई नही अभी तक...
नीरा--जब तक ये बात में आपसे कर ना लूँ, तब तक ना में सो सकती हूँ ना में कुछ खा सकती हूँ...
मैने आज शाम से कुछ भी नही खाया है...सिर्फ़ आपको वो बात कहनी थी इसलिए
में--तू पागल तो नही हो गयी है....खाना क्यो नही खाया तूने...
नीरा...खाने को गोली मारो और सबसे पहले आप मेरी कसम खाओ और जो भी में बात बोलूँगी वो आप मानोगे...
में--ठीक है लेकिन मेरी एक शर्त है, तू अपनी बात ख़तम होने के बाद मेरे हाथो से खाना खाएगी उसके बाद में तुझे जवाब दूँगा....और तुझ से सवाल भी पूछूँगा
नीरा--ठीक है अब कसम खाओ मेरी...
में--तेरी कसम नीरा जो तू कहेगी में वो मानूँगा...तेरी कसम.....बस अब बोल क्या बात है.
नीरा ने अपनी आँखे अब बंद कर ली थी और अपनी दिल की बढ़ती हुई धड़कानों पर काबू करने की कोशिश करते हुए कहती है....
नीरा--भैया आप मुझ से शादी कर लो....में आपसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती हूँ...में आपके बिना एक पल भी नही रह सकती....मुझे बचा लो भैया मुझ से शादी कर लो...मेने अपनी हर साँस आपके नाम कर दी है....मुझ से शादी कर लो भैया मुझ से शादी कर लो.....
नीरा अपनी पूरी बात एक ही साँस में कह जाती है और में लगातार उसकी इन बातो को अपने सीने मे चुभता हुआ महसूस कर रहा था...
ऐसा लग रहा था जैसे मेरे कानो में किसी ने पिघला हुआ सीसा उडेल दिया हो. ....
वो अब लगातार मेरी तरफ़ देखे जा रही थी अपने जवाब के इंतजार में....
में--अब किचन में से खाना ले आ उसके बाद तेरी हर बात का जवाब भी दूँगा और सवाल भी करूँगा...
नीरा उठ कर अपने लिए खाना ले आई ....और में उसकी आँखो में देखता हुआ उसे खाना खिला रहा था....उसकी आँखे आँसुओ से भर गयी थी ना जाने कौनसा बाँध बना रखा था नीरा ने अपनी आँखो में जो उसके आँसुओ को बहने से रोक रहा था...
में नीरा की बात में ही उलझा हुआ था कि आख़िर उसने ऐसा क्यों कहा...वो मेरी बहन है कैसे उसके मन में मेरे लिए ये ग़लत ख्याल आ गये...कुछ समझ नही आ रहा था में फस चुका था आख़िर कसम जो खाई थी मैने...
जिसे में अपनी जान से भी ज़्यादा चाहता था उसने मुझे एक दौराहे पर ला कर पटक दिया....अगर में कसम तोड़ता हूँ तो कसम के साथ उसका दिल भी टूट जाएगा...और अगर में ये कसम मान लेता हूँ तो मेरी आत्मा मर जाएगी...दोनो ही सुरतों में मेरा ही हाल बुरा होना तैय है....
खाना ख़तम हो चुका था और मेरा हाथ बिना नीवाले के ही नीरा के मुँह के सामने था और नीरा की आँखो का वो बाँध कब का टूट चुका था वो लगातार रोए जा रही थी....और में अपनी सोच के समंदर में डूबे जा रहा था...डूबे जा रहा था...गहरा और गहरा...
नीरा--भैया.....भैया....प्ल्ज़ कुछ बोलो भैया...भैय्ाआअ
उसने मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर जोरदार झटका दिया जिस से में समुंदर की गहराई से वापस लौट आया...
में--क.क क्या हुआअ...
नीरा-- कहाँ खो गये थे...
मैने उसे कोई जवाब नही दिया और उठ कर हाथ धोने चला गया...
में हाथ धोकर आते ही उस से पूछ बैठा..
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में--तो तुझे मुझ से शादी करनी है... और अब मैने कसम खा ली है तो इसका मतलब दुनिया की कोई ताक़त तेरी और मेरी शादी को नही रोक सकती....लेकिन तू मुझे एक बात बता तेरे मन में ये शादी का ख्याल आया कहाँ से ...मैने हमेशा तुझ से और रूही से एक डिस्टेन्स मेन्न्टेन रखा है...तू सोच आज पापा की आत्मा कितनी दुखी हुई होगी...उनके अपने ही बच्चे आपस में शादी कर रहे है...उनको मरे हुए दिन ही कितने हुए है....और तेरा ये सवाल...
नीरा--आप भी तो भाभी से शादी कर के उन्हे खुश रखना चाहते हो ना....लेकिन वो भी तो आपको भाई मानती है...फिर कैसे आप उन से शादी के लिए रेडी होगये...और कौन्से पापा की बात कर रहे हो आप...वो बाप जिसकी वजह से आप पैदा हुए या वो बाप जिसने आपकी हर सुख सुविधा का ध्यान रखा है.....
में--ये क्या बकवास कर रही है नीरा...होश में रह कर मुझ से बात कर....पापा के बारे में एक शब्द भी में सुनना पसंद नही करूँगा....
नीरा--मेरी आपसे शादी करने की सबसे बड़ी. वजह. मेरे प्यार के बाद आप का बाप ही है......में बस इन भेड़ियो से आपको बचा कर रखना चाहती हूँ...
में--नीराअ .....इस से पहले मेरा हाथ तुझ पर उठ जाए...में ये भूल जाउ तू मेरी बहन है...तू यहाँ से चली जा
वरना आज तक तूने मेरा प्यार देखा है...मेरा गुस्सा तुझे जला देगा नीरा मान जा....मैने बोला ना तुझ से शादी करूँगा में...फिर क्यो पापा. का नाम ले ले कर उनको इन सब बातो का दोषी बना रही है...
नीरा--भैया में आपको शादी की दी हुई कसम से आज़ाद करती हूँ क्योकि ज़बरदस्ती में आपका जिस्म पा सकती हूँ...लेकिन आपका प्यार नही...में अच्छे से जानती हूँ जब आपको असलियत पता चलेगी आपका रिश्तो से भरोसा उठ जाएगा....प्यार क्या होता है ये आप भूल जाओगे...सब कुछ मर जाएगा लेकिन इस सच्चाई को में अपने अंदर भी नही रख सकती ये सच्चाई बिल्कुल उसी हलाहल ज़हर की तरह हे जो शिव के गले में पड़ा है...और वेसा ही हलाहल ज़हर मेरे सीने में भी भर गया है...
में--ऐसी क्या सचाई है जो सब ख़तम कर देगी....बता मुझे में भी अब सुनना चाहता हूँ लेकिन पापा के बारे में बोला गया तेरा हर एक शब्द तुझे मुझ से बहुत दूर ले जाएगा...बस ये याद रखना...
नीरा--नही भैया में आपसे कभी दूर नही हो सकती अगर में मर भी गयी तब भी आपके पास ही रहूंगी....दुनिया की कोई ताक़त मुझे आप से दूर नही रख सकती....अगर मेरे बोलने से में आप से दूर होती हूँ तो फिर ठीक है...जो खुद इस सच्चाई की सबसे बड़ी गवाह है....जो खुद एक सबसे बड़ा सच है में उसी को आपके सामने खड़ा कर दूँगी....
में--कौन्से सच की बात कर रही है तू...किसको खड़ा करेगी यहाँ गवाही देने के लिए...
नीरा--आप मम्मी के मोबाइल पर फोन करो और उन्हे यहाँ बुलाओ....
में--नीरा तू सच में पागल होगयि है....मम्मी को क्यो परेशान कर रही है...वो पहले से ही दुख में डूबी हुई है....और हम लोगो की बातो से उनको और चोट पहुचेगी...
नीरा--मम्मी नही है वो....वो औरत एक ज़हरीली नागिन है...वो डॅस लेगी आपको भी...में कहती हूँ बुलाओ उस नागिन को..
टदाआक्ककक..... एक झन्नाटेदार थप्पड़ नीरा के मासूम गालो पर पड़ता है...
में--अगर एक शब्द भी तूने और बोला...तो ये मान लेना तेरा भाई तेरे लिए हमेशा के लिए मर गया है...
नीरा की आँखे बिल्कुल सुर्ख लाल हो चली थी उनमें अब आँसू नही थे....एक निश्चय था अपने भाई को इन लोगो से बचा कर रखने का...वो पलट कर जय के रूम में से चली जाती है...और रूम से निकलने के बाद सीधा अपनी मम्मी के कमरे की तरफ़ बढ़ जाती है.....
वहाँ मम्मी बेसूध हो कर सो रही थी...
नीरा अपनी मम्मी को लगभग झींझोड़ते हुए उठती है,...
मम्मी--क्या हुआ बेटा इतनी रात को इस तरह से क्यो जगाया मुझे.....
नीरा--में कोई तेरा बेटा वेटा नही हूँ...और ना ही में तुझसे कोई बात करना चाहती हूँ...मुझे मेरे भाई की चिंता है....में बस इसीलिए तुझे बुलाने आई हूँ...चल मेरे साथ और बता अपनी काली कर्तुते अपने बेटे को...बता अपने बेटे को कि कैसे पैदा हुआ वो....चल उठ.........
नीरा लगभग मम्मी को खिचते हूर कमरे से बाहर लाई....मम्मी बिल्कुल सुन्न हो चुकी थी नीरा की इन बातो से....वो समझ नही पा रही थी...कैसे जवाब देगी वो नीरा के सवालो का....कैसे सामना कर पाएगी वो जय का...
नीरा मम्मी को लगभग धकेलते हुए जय के बेड तक पहुचा देती है....
में--नीरा ये क्या हरकत है...तू कैसे भूल गयी ये हमारी मम्मी है....
नीरा--मम्मी से....अब बोलती क्यो नही हो...जवाब दो...बताओ इसे कि कैसे पैदा हुआ ये...बताओ इस पाप में कौन कौन भागीदार था...
में--मम्मी ये क्या बकवास कर रही है....ऐसी क्या बात है जो आप इसके जानवरों जैसे व्यवहार को चुप चाप सहे जा रही हो...एक थप्पड़ क्यो नही लगा देती हो आप इसे..
मम्मी--इसमें नीरा की कोई ग़लती . है...ये मुझे ग़लत समझती है....और ये सही भी है...में ग़लत हूँ....हाँ...हाँ..में ग़लत हूँ....मैने अपने परिवार को अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार किया....मैने अपने घर को बचाने के लिए वो सब किया जो मुझे नही करना चाहिए था...
में--ये क्या पहेलियाँ बुझा रही हो मम्मी...क्या बात है सॉफ सॉफ कहो..

मम्मी की आँखो से लगातार आँसू बहे जा रहे थे....
मम्मी--मैने तुम्हारे पापा से शादी बेहद कम उमर में कर ली थी...में उस वक़्त 11 क्लास में ही तो थी. तुम्हारे पापा जब मुझे मिले.... मुझे पहली ही नज़र में उनसे प्यार हो गया था...और शायद वो भी मुझे प्यार करने लग गये थे....हम दोनो ने भाग कर शादी कर ली...मेरे माँ बाप नही थे बस एक मामा और मामी ने ही मुझे पाला था....
हम लोगो की शादी को 2 साल हो चुके थे जीवन में सब कुछ सही चल रहा था...तुम्हारे पापा भी अपना बिज़्नेस अच्छे से सेट करने में लगे हुए थे...
एक रात जब वो घर लौट कर आए...तब वो काफ़ी परेशान लग रहे थे....मैने जब उनसे पुछा के क्या हुआ...तब उन्होने कहा..
किशोर--संध्या हमारी सारी मेहनत खराब हो जाएगी अगर...हमारा माल मार्केट में नही बिका तो...
संध्या--ऐसा क्या हो गया है ....माल क्यो नही बिकेगा...
किशोर--मैने जो डाइमंड मँगवाए थे वो काफ़ी अच्छी क्वालिटी के है लेकिन फिर भी कोई उन्हे खरीद नही रहा...4 लोग ऐसे हैं जो नही चाहते में इस काम में उनकी बराबरी करूँ..
संध्या--लेकिन वो ऐसा क्यो कर रहे है....और दूसरा वो अगर आपका रास्ता रोक रहे है तो इसमें आपको क्या फरक पड़ता है....
किशौर--वो नही चाहते बिज़्नेस में उनका कोई कॉंपिटिटर बाज़ार में आए..और वो यहाँ के काफ़ी बड़े बिज़्नेस मॅन है...इसलिए वो हर तरह से मुझे मुंबई में बिज़्नेस स्टार्ट करने नही देना चाहते...
संध्या--आप उनके साथ एक मीटिंग फिक्स क्यो नही करते...उनलोगो से प्यार से कुछ ले दे कर इस मामले को ख़तम कर दो...
किशौर--मुझे अब ऐसा ही करना पड़ेगा...वरना हम बर्बाद हो जाएँगे...
उसके बाद किशोर एक फाइव स्टार होटेल में उन सभी को इन्वाइट करता है..किशोर के साथ में संध्या भी आई थी...और जब उन लोगो ने संध्या को उपर से नीचे तक देखा...तो एक ज़हरीली मुस्कान उन सभी के चेहरो पर आ चुकी थी...
किशोर--मैने आप सभी को इस लिए यहाँ बुलाया है कि आप मेरी इस काम में मदद करे...हम दोनो का जीवन अब आप लोगो के हाथ में है...
आहूजा--किशोर भाई कैसी बाते करते हो...भला हम आपके रास्ते में रोड़े क्यो अटकाएंगे...
कंबले--हमे तो खुशी होगी जब आप अपना बिज़्नेस अच्छे से एस्टॅब्लिश कर लेंगे...
किशोर--में भी यही चाहता हूँ...आप लोग मेरा साथ दे और मार्केट में मेरा माल जाने दे.
प्रधान--किशोर भाई साहब आप हमे दो दिन का टाइम दीजिए ताकि हम कुछ सोच विचार करके...प्यार मोहब्बत से इस मामले को निपटा सके...आख़िर हम भी चाहेंगे कि मार्केट में अच्छी क्वालिटी का माल आए...
संध्या--भाई साहब आप सभी लोगो का शुक्रिया....हम लोगो को बर्बाद होने से बस आप ही लोग बचा सकते है....
और उसके बाद हम सभी उठ जाते है ....
किशोर को कुछ बात करने के बहाने से आहूजा अपने साथ ले जाता है और कंबले प्रधान और संध्या एक दूसरी टेबल पर जाकर बैठ जाते है...
प्रधान--भाभी जी सिर्फ़ आपकी वजह से हम उसे ये काम करने दे सकते है...
संध्या--मेरी वजह से कैसे भाई साहब??
कंबले--अगर आप हम लोगो को खुश कर दें तो ये मान लीजिए आपके पति को दुनिया की कोई ताक़त मुंम्बई पर राज करने से नही रोक सकती....और हमारा क्या है भगवान की दया से हमारा बिज़्नेस लगभग सभी देसो में है...हम आपके लिए मुंम्बई जैसा छोटा सा नुकसान सह ही सकते है...
संध्या--ये आप लोग कैसी बाते कर रहे है...में वेसी औरत नही हूँ जो अपने आप को बेच दूं काम के बदले में...
प्रधान--भाभी जी ये मेरा कार्ड आप रख लीजिए जब कभी भी आपको लगे ...आप मुझे फोन कर देना...
संध्या वो कार्ड अपने पर्स में डाल कर बोलती है...
संध्या--ऐसा दिन कभी नही आएगा प्रधान साहब...लेकिन फिर भी में आपका कार्ड रख लेती हूँ...और फोन में उस दिन आपको करूँगी जब मेरे पति मुंबई पर राज कर रहे होंगे.
कांबले--हमारी बेस्ट विशस आप लोगो के साथ है भाभी जी....
उसके बाद संध्या वहाँ से उठ कर चली जाती है...
जब वो लोग घर पहुँच जाते है तो संध्या उसे वहाँ हुई सारी बाते बता देती है...किशोर ये बाते सुनकर माथा पीट लेता है अपना....
संध्या--हम लोग किसी दूसरे शहर में चलकर ये बिज़्नेस फिर से शुरू कर सकते है...
किशोर--ये उतना आसान नही है संध्या...किसी दूसरी जगह पर जाने का मतलब है फिर से शुरूवात करनी पड़ेगी...और क्या पता वहाँ भी प्रधान जैसे लोग अपना कब्जा जमाए बैठे हो...
करते करते वो दोनो सो गये थे...अगले दिन सवेरे सवेरे घर का लॅंडलाइन बजने लगता है...ये कॉल किशोर के असिस्टेंट का था... जिन्हे किशोर काका कह के बुलाता था...
काका--सर ग़ज़ब हो गया...हम लोगो ने जिन भी छोटे छोटे व्यापारियो को अपना माल दिया था उन सभी ने एक एक करके वो माल वापस भिजवा दिया है...
किशोर--काका ये सब कैसे हो गया...हमारा माल नही बिकेगा तो हम सड़क पर आजाएँगे.
काका--सर पता नही क्या होगा ये माल अब हम उस पार्टी को भी नही दे सकते जिस से हमने ये माल लिया था बड़े व्यापारी तो पहले ही हम से माल नहीं ले रहे थे और अब ये छोटे व्यापारियो ने भी माल वापस भिजवा दिया है.
ये सुनकर किशोर फोन रख कर सारी बाते संध्या को बता देता है...
संध्या--अब क्या होगा...ये लोग तो हमे बर्बाद करके ही दम लेंगे...
किशोर--में देखता हूँ...कुछ करने की कोशिश करता हूँ...
और उसके बाद किशोर नहा धो कर बाहर निकल जाता है...
संध्या भी सोच सोच कर एक फ़ैसला ले ही लेती है...वो अपने पर्स में से प्रधान का कार्ड निकालती है और उसे फोन कर देती है...
प्रधान--हेलो कौन??
संध्या--प्रधान साहब आप जीत गये...बोलिए मुझे कहाँ आना है...
और प्रधान उसे एक फार्म हाउस पर बुला लेता है...
फार्म हाउस पर प्रधान कांबले और आहूजा के अलावा उनका एक पार्ट्नर और होता है जिसका नाम दामोदर होता है...वो चारो मिलकर संध्या को हर जगह से नोचते खसोटते है...एक तरह से उसका रेप ही कर देते है...
जब वो संध्या को जाने के लिए बोलते है तो कल दुबारा आने के लिए बोल देते है...
संध्या अपने घर पहुँच कर अपने सारे कपड़े उतार कर शवर के नीचे खड़ी हो जाती है...और ज़ोर ज़ोर से रोते हुए अपने बदन से उन भेड़ियो के निशान मिटाने लग जाती है...
जब शाम को किशोर घर आता है तो वो काफ़ी खुश होता है...उन सभी छोटे व्यापारियो ने माल वापस मंगवा लिया होता है...और किशोर इसे चमत्कार मान कर मिठाई का डिब्बा अपने साथ लेकर आता है...
लेकिन जब वो घर के अंदर घुसता है तो संध्या बिल्कुल नंगी बेड पर रोती हुई मिलती है...
संध्या--सब ख़तम हो गया मेरा...कुछ नही बचा उन लोगो ने कल फिर मुझे बुलाया है.....
किशोर को समझते देर नही लगी संध्या की हालत देख कर....
किशोर--संध्या मुझे माफ़ कर देना....लेकिन तुम्हे उन लोगो को कल यहाँ बुलाना होगा .....ये आख़िरी बार है इसके बाद तुम्हे कभी भी मेरी वजह से किसी के आगे झुकना नही पड़ेगा...
संध्या--में अब मरना चाहती हूँ में अब तुमहरे लायक नही रही....
किशोर--तुम नही मरोगी संध्या मरेंगे वो लोग जिन्होने हमारे जीवन में आग लगा दी है...बस कल कल का दिन और निकाल लो...
किशोर ने पूरे घर में सीसीटीवी कॅमरास लगवा दिए थे....रात भर में ही...
किशोर--संध्या मुझे तेरी कसम है में उन सब को सड़क पर ले आउन्गा....वो तेरे सामने खुद को बख्सने की भीख माँगे गे लेकिन उन्हे वो भी नसीब नही होगी....
संध्या--मुझे कुछ नही चाहिए ....बस किसी तरह से हम लोग उनके चंगुल से निकल जाए इसके अलावा मुझे कुछ और नही चाहिए...
उसके बाद संध्या और किशोर कल के लिए प्लान करने लग जाते है...
अगले दिन संध्या प्रधान को फोन करके घर पर ही सब को बुलवा लेती है...और अपने साथ बलात्कार का वीडियो रकौर्ड़ कर लेती है...
संध्या और किशोर उस वीडियो में से संध्या का चेहरा धुँधला करके उस वीडियो को पूरे मीडीया में डाल देते है....इस से होता ये है कि दामोदर , प्रधान कांबले और आहूजा चारो पूरी तरह से बेनक़ाब हो जाते है...बाज़ार में उनकी साख पूरी तरह से मिट जाती है...इस मोके का फ़ायदा उठाते हुए किशोर पूरे मार्केट पर अपना क़ब्ज़ा जमा लेता है.
वर्तमान में
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मम्मी--उसके बाद मैने अपनी ज़िंदगी ग़रीब बच्चो की देखबाल में लगा दी....में अपना सब कुछ खो चुकी थी...इस गम में मैने शराब भी पीनी शुरू कर दी....जब मुझ से बलात्कार हुआ मेरी उमर ज़्यादा नही थी लेकिन मेरे जिस्म में सेक्स की चींतिया रह रह कर काटने लगी....शराब के नशे में...मुझ से वो ग़लती हो गयी जो नही होनी चाहिए थी...मैने अपना संबंध राज से बना लिया...और जब तक में खुद को संभाल पाती तू मेरी कोख में तू आ चुका था....राज को बस इतना पता था कि कुछ ग़लत हुआ है लेकिन उसे ये पता नही था तू उसका ही बेटा है ये बात सिर्फ़ तेरे पापा और रूही जानते थे....रूही को इस लिए पता पड़ गया क्योकि में अधिकतर उसी के साथ डॉक्टर के पास जाया करती थी....मुझे गर्व है रूही पर उसने मेरा साथ कभी नही छोड़ा...वो हमेशा मेरे सुख और दुख में एक परच्छाई की तरह मुझ से चिपकी रही....
मेरे होश उड़ चुके थे....मुझे समझ नही आ रहा था के में क्या करूँ....ऐसा लग रहा था किसी ने मेरे शरीर से सारा खून निचोड़ लिया हो....
मम्मी--हो सके तो मुझे माफ़ करदेना जो कुछ भी हुआ...वो या तो वक़्त की मजबूरी थी या शराब के नशे में बहकते हुआ मेरा जिस्म.....मुझे माफ़ कर देना मेरे बच्चो में तुम लोगो की माँ कहलाने लायक नही हूँ...
नीरा--मम्मी मुझे माफ़ कर दो .....आपकी इन्ही कुर्बानियों की वजह से हम सभी एक अच्छा जीवन जी रहे है मम्मी मुझे माफ़ कर दो....में अब कभी आपसे कोई सवाल नही करूँगी....
में अपनी कुर्सी से बिना कुछ बोले उठ जाता हूँ...और घर से बाहर निकल कर अपनी कार में बैठकर अंजाने रास्ते की तरफ़ बढ़ने लगता हूँ......
मेरी आँखो से आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे....और में अपनी कार तेज़ी से भगाए जा रहा था....में नही जानता था मुझे कहाँ जाना था....बस एक जुनून सा हावी हो गया था मुझ पर...में मरना चाहता था....घिंन आ रही थी अपने आप से...मानो सारे जहाँ की गंदगी मुझ पर ही आ गिरी हो....में अब वापस नही लौटना चाहता था.....
में अभी जिस रोड पर गाड़ी भगा रहा था वो एक पहाड़ी एरिया था जिसे महादेव के घाटा के नाम से जाना जाता है....पता नही कौनसी अद्भुत शक्ति ने....मुझे उन ख़तरनाक घाटियो में भी संभाले रख रखा था....घाटी क्रॉस करने के बाद मुझे एक मंदिर दिखा जो कि महादेव का काफ़ी प्राचीन मंदिर है....मैने अपनी गाड़ी साइड में लगाई और मंदिर की तरफ़ अपने कदम बढ़ा दिए....
मंदिर के बाहर ही कुछ साधु आग जला कर बैठे थे और दम भर रहे थे...
मुझे मंदिर की तरफ जाते देख एक साधु बोला...
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साधु--बेटा अभी महादेव के दर्शन नही कर सकते तुम इस समय मंदिर के पट बंद है...
मेरी आँखो में भरे हुए आँसू उन से छिप ना सके...
साधु--लगता है जीवन की जंग में हार कर आरहा है तू....तेरी आँखे तेरी कायरता का सबूत दे रही है...तेरा तो स्वयं महादेव भी उद्धार नही कर पाएँगे...
में--बाबा में कायर नही हूँ...लेकिन कभी कभी ज़िंदगी कायर बनने पर मजबूर कर देती है...
साधु--ज़िंदगी तुम्हे लड़ना सिखाती है...या तो जीवन के संघर्षो से डरो मत....या फिर महादेव की भक्ति में लीन हो जा...लेकिन बिना संघर्ष के तो भक्ति भी नही होती बेटा...
में--बाबा मुझे कुछ समझ में नही आ रहा में क्या करूँ...
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वो साधु अपनी जगह से उठता है....और मुझे एक छोटे से चबूतरे के पास ले जाता है.
साधु--ले सब से पहले इस चिलम का एक दम लगा उसके बाद अपने दिल की बात खोल कर मुझे बता...
में--बाबा में ये सब नही पीता...
साधु--में तुम्हे हमेशा पीने की सलाह नही दे रहा बस आज मेरे कहने पर एक दम लगा....और उसके बाद तेरे सारे बंद दरवाजे खुल जाएँगे....
में बाबा से वो चिलम ले कर उसे खिचने की कोशिश करता हूँ...लेकिन कुछ भी नही होता....ये देख कर साधु बोलता है...
साधु--बेटा एक माँ भी अपने बच्चे को दूध तब पिलाती है जब वो भूख के कारण संघर्ष करते हुए रोने लग जाता है....इसलिए इस चिलम का दम अगर तुझे लगाना है तो कर संघर्ष.....में देखना चाहता हूँ...तू वास्तव में वीर है या जैसा मैने सोचा कि तू कायर है....
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में उनकी ये बात सुनकर काफ़ी ज़ोर लगा कर उसे खिचने की कोशिश करता हूँ लेकिन इस बार मुझे खाँसी आजाती है...
साधु--एक चिलम तुझ से नही खीची जा रही तो तू कैसे इस दुनिया से लड़ेगा. कायर...
बाबा की ये बात सुनकर अचानक मुझे क्या हुआ मैने उस चिलम के 2 -3 लंबे लंबे दम अपने फेफड़ो मे भर लिए....
साधु--हाँ ये हुई ना बात आज तू सही मायनो में एक मर्द बन गया है....अब बैठ यहाँ कुछ देर और याद कर तूने क्या किया और तेरे सगो ने क्या किया...जब तक मुझे एक हवन का निर्माण करना होगा ....
में बिल्कुल स्थिर हो चुका था...दिमाग़ बिल्कुल ऐसे शांत हो गया जैसे उसमें कोई परेशानी कोई अनतर्द्वंद अब बचा नही था...एक लहर मेरे पूरे बदन में उठती हुई सी महसूस हो रही थी....में अपने आप ही बड़बड़ाते हुए साधु को जोभी मेरे साथ हुआ वो बताता चला गया.....
CONTINUE............
NEXT UPDATE SOON...........
Writer - Nidhi Agrawal
शाम को 5 बजे तीसरे की बैठक थी...उस बैठक में शहर का ऐसा कोई बड़ा आदमी नही था जो ना आया हो...
लेकिन एक शक्श ऐसा भी था जिसके यहाँ आने के बारे मे में सोच भी नही सकता था....आज बैठक में मुझे सुहानी भी दिखाई दे गयी....
पता नही एक अदृश्य सा रिश्ता हमारे बीच में जुड़ चुका था....मुझे जब भी ज़रूरत होती....वो मेरे सामने किसी ना किसी रूप में आ ही जाती थी....
बैठक ख़तम होने के बाद वहाँ आए सभी लोगो ने मुझ से विदा ली ....और तभी सुहानी भी मेरी बगल में आकर खड़ी ही गयी....
जब सब लोग चले गये तब सुहानी ने भी जाने के लिए बोला....
में--नही सुहानी अगर तुम यहाँ नही आती तो मुझे इसका कोई अफ़सोस नही होता लेकिन ....यहाँ से अगर तुम इस तरह से चली जाओगी तो शायद में खुद को माफ़ भी नही कर सकूँगा....
और मेरा एक लालच भी है तुम्हे यहाँ रोकने का....में तुम से कुछ बाते करना चाहता हूँ...शायद उन सवालो का जवाब तुम ही मुझे सही तरीके से दे सकती हो....
सुहानी ने जब मुझे इतना उलझा हुआ देखा अपने ही सवालो में तब वो चाहकर भी जा ना सकी...
मैने नीरा को बुलाया और सुहानी के रुकने का प्रबंध नीरा के रूम में ही करवा दिया...
उसके बाद चाचा मेरी तरफ़ कुछ बात करने के लिए बढ़ जाते है....
चाचा---बेटा अब हम लोग हरिद्वार के लिए निकलेंगे और 2 दिन बाद वापस आजाएँगे...
में--चाचा जी किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो आप मुझे बोल सकते हो..
चाचा--अरे नही बेटा किसी चीज़ की ज़रूरत नही है मुझे...
लेकिन दीक्षा और कोमल आज पहली बार मेरे और रजनी के बिना रहेंगी...में चाहता हूँ तुम उन दोनो का ध्यान रखो...
में--चाचा जी आप कैसी बात कर रहे है....
दीक्षा और कोमल मेरे लिए रूही और नीरा की तरह ही है आप लोग बिना किसी चिंता के वहाँ जाकर आ जाओ...
चाचा--ठीक है बेटा...हम थोड़ी देर में ही निकल जाएँगे....
में--चाचा जी आप लोग मेरी कार में चले जाना ड्राइवर को साथ में लेकर....
चाचा--ठीक है बेटा तू जैसा चाहेगा वेसा ही होगा...
और थोड़ी देर बाद चाचा जी...चाची जी. और रूही तीनो हरिद्वार के लिए रवाना हो जाते है..
वो सब लोग हरिद्वार के लिए निकल गये थे,.
मेने नीरा को आवाज़ दी और उसे कॉफी बनाने के लिए बोल दिया....मेरे पास सुहानी भी आकर बैठ चुकी थी...
में--सुहानी तुम्हे यहाँ देख कर काफ़ी सुकून मिला है मुझे....मेरी हर परेशानी तुम चुटकियो में हल कर देती हो...अभी भी में एक परेशानी में उलझा हुआ हूँ....
सुहानी--ऐसी क्या परेशानी है...जो आप इतना उलझ गये हो...
में--सुहानी मेरी मम्मी चाहती है कि में मेरी भाभी से शादी कर लूँ....और मुझे ये समझ नही आ रहा है कि भाभी को जब ये बात पता चलेगी तब उनका रियेक्शन क्या होगा....
सुहानी--आपकी मम्मी ने आपसे ये शादी वाली बात कब करी थी...
में--आज ही...
सुहानी--मुझे लगता है आप पूरे के पूरे बेवकूफ़ है....
में--हाँ वो तो में हूँ नही तो तुम मेरी मदद कैसे कर पाती...
सुहानी--देखो आप के पापा और भाई की डॅत को ज़्यादा दिन नही हुए है....इस लिए भाभी से इस बारे में कोई भी बात करना पूरी तरह से ग़लत है....और मुझे समझ नही आ रहा ऐसे मोके पर आपकी मम्मी के दिमाग़ में ये शादी वाली बात आ कहाँ से गयी.... आप अब मेरी बात सुनो .....कौन आप से क्या करने को कहता है आप उस पर ध्यान मत दो...आप बस अपने दिल और दिमाग़ की आवाज़ से ही अपना काम करते जाओ...
में--तुम्हारी बात ठीक है लेकिन...में भाभी और मम्मी को इस तरह परेशान नही देख सकता....
सुहानी--आप इसमें कुछ नही कर सकते...आप उन्हे वो नही लौटा सकते जो उनसे छीन लिया गया है.....इसलिए जो हो रहा है वो होने दो सब कुछ समय के उपर छोड़ दो...क्योकि आज नही तो कल तुम्हे अपनी बात कहने का सही मोका ज़रूर मिलेगा....
उसके बाद नीरा कॉफी ले आती है ...और वो भी हमारे साथ बैठ कर कॉफी पीने लग जाती है...
नीरा--भैया क्या बाते हो रही है आप दोनो में मुझे भी तो कुछ बताओ....
में--कोई बात नही हो रही नीरा बस थोड़ा मम्मी की एक बात पर परेशान हो गया था...
नीरा--कौनसी बात भैया ऐसा क्या कह दिया आपसे मम्मी ने जो आप इतना परेशान हो गये...
में--मम्मी का कहना है कि मुझे भाभी से शादी कर लेनी चाहिए...
ये बात सुनते ही नीरा के होश उड़ जाते है लेकिन वो खुद को काबू में रख कर कहती है...
नीरा--भैया इसमें इतने चिंता करने वाली बात कौनसी है....पहली बात तो ये कि आप दोनो की शादी कोई बच्चो का खेल तो है नही...जो मम्मी ने बोल दिया और शादी हो गयी...
ये बात आपको और भाभी को तैय करनी है...और इसके लिए अभी काफ़ी समय का इंतजार करना होगा....क्योकि भाभी का फ़ैसला सिर्फ़ समय ही कर सकता है....
सुहानी नीरा की इस बात पर मुस्कुराए बिना नही रह सकी..,
सुहानी--सर आगे से आप नीरा जी को ही अपनी उलझने बता देना...क्योकि ये आप के दिल के हालात बहुत अच्छे से समझती है...
तभी नीरा उठ कर किचन की तरफ़ चली जाती है...और रोते हुए खुद से ही बात करने लगती है...उसे अपने दिल में सब कुछ टूटता हुआ महसूस हो रहा था...लेकिन वो किसी से कुछ कह भी नही सकती थी...प्यार जो करती थी जय से......!!!
रात हो चुकी थी और सुहानी ने मुझ से जाने की पर्मिशन माँगी और फिर में जाकर उसे एरपोर्ट तक छोड़ आया...जब में घर वापस आ रहा था तब रास्ते में से मैने एक शराब की बोतल भी ले ली थी...
जब घर पहुचा तो देखा नीरा कोमल और दीक्षा एक ही रूम में है ....और शायद भाभी और मम्मी सो चुके थे खाना खा कर...
में अपने रूम में चला गया और किचन में से कुछ स्नॅक्स ले कर मेरे रूम में आ गया उसके बाद मैने वो बोतल ओपन करी और धीरे धीरे सीप करता हुआ ड्रिंक करने लगा...
तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई....
मैने जैसे ही जाकर दरवाजा खोला तो सामने भाभी खड़ी थी उनका चेहरा बिल्कुल बुझा हुआ...आँखे रो रो कर सूज चुकी थी...
में--भाभी क्या हुआ....कुछ चाहिए क्या मुझ से...,
भाभी--जय क्या में थोड़ी देर तुम्हारे साथ बैठ सकती हूँ अगर तुम बुरा ना मानो तो...
में --हाँ भाभी क्यो नही....मुझे भी नींद नही आ रही थी...
उसके बाद में दरवाजे से हट गया और भाभी सीधा मेरे रूम के बेड पर जाकर बैठ गयी मैने दरवाजा बंद किया लेकिन लॉक नही किया और वापस बेड के पास एक चेयर पर बैठ गया...
भाभी--जय तुमने शराब पी है???
में--हाँ भाभी जब से ये सब कुछ हुआ है तब से मुझे से रहा ही नही जाता...
भाभी--क्या मुझे भी थोड़ी सी दे सकते हो...
में--लेकिन भाभी....आप कैसे पियोगी इसे....आपने तो कभी पी भी नही होगी...
भाभी--आज मेरा मन बहुत घबरा रहा है....कुछ भी अच्छा नही लग रहा प्ल्ज़ मुझे एक ड्रिंक दे दो...
भाभी को इस तरह परेशान होता देख मेने अपने बेड के नीचे से वो सारा समान निकाल लिया जो भाभी के अंदर आने से पहले में बेड के नीचे सरका चुका था...
में किचन से जाकर भाभी के लिए एक ग्लास और ले आया और उनको उस ग्लास में ड्रिंक बना कर दे दिया...
भाभी--तुम सुबह मुझ से नाराज़ तो नही होगये थे ना...
में--नही भाभी में आपसे भला क्यो नाराज़ होने लगा...
भाभी--मुझे लगा शायद तुम मेरी उस नियत खराब वाली बात पर नाराज़ हो गये होगे...
में--नही भाभी ऐसी कोई बात नही है आप परेशान मत होइए....जब मैने ऐसा कुछ कहना चाहा ही नही था तो फिर में आपके गुस्से से नाराज़ क्यो हो जाउन्गा...
भाभी--जय मुझ से कभी भी नाराज़ मत होना...मेरा इस दुनिया में तुम सब के अलावा कोई नही है...मुझे माफ़ कर देना अगर में गुस्से में आकर कुछ बोल दूं तो...
में--अरे नही भाभी आप कैसी बाते कर रही है....में कभी नाराज़ नही हो सकता आपसे ....
उसके बाद हम दोनो ने एक एक ड्रिंक और लिया फिर भाभी जाने के लिए खड़ी हो गयी...
भाभी--अच्छा जय में अब जा रही हूँ....तू भी अब ज़्यादा मत पीना और खाना खा लेना.
में--भाभी भूक मर गयी है मेरी...कुछ समझ नही आता क्या करूँ...एक तरफ मम्मी का दुख मुझ से सहा नही जा रहा दूसरी तरफ़ आप को इस तरह तिल तिल करता मरते देख रहा हूँ...ये शराब में बस बेहोश होने के लिए पीता हूँ...
मेरी ये बात सुनकर भाभी ने मुझे कस कर गले से लगा लिया....और मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी....
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भाभी--तुझे मेरे दर्द से इतनी तकलीफ़ होगी ये मैने कभी सोचा भी नही था...मुझे माफ़ कर दे जय मुझे माफ़ कर दे...
तभी अचानक...................
तभी अचानक मेरे रूम का दरवाजा खुल जाता है...नीरा अपने साथ मेरे लिए खाना लाई थी...
जब वो हम दोनो को इस तरह से गले लगे हुए देखती है...और बेड पर शराब की बोतल और 2 ग्लास देख कर वो बस इतना ही बोलती है...
नीरा--भैया खाना खा लेना नही तो ठंडा हो जाएगा....
वो हम दोनो से नज़रे नही मिला रही थी वो चुपचाप खाना वही बेड पर रख कर चली जाती है....
नीरा के जाने के बाद भाभी भी चली गयी थी....लेकिन नीरा ने मुझे जिस तरह से देखा था वो तीर सीधा मेरे सीने में उतर गया था...पता नही क्यो लेकिन ये अहसास हुआ कि कुछ तो ग़लत हुआ है....उसके बाद मैने अपने सिर को झटक के वो बात अपने दिल और दिमाग़ से निकाल दी...
मैने फिर से एक ग्लास में शराब भर ली और उसे पीने लग गया....
अचानक दरवाजे पर हुई दस्तक से में चोंक जाता हूँ...उठ कर दरवाजा खोलने के बाद मुझे नीरा दरवाजे के बाहर खड़ी हुई मिलती है...
नीरा--आप से बात करनी है....मुझे अंदर आने दो....
में--तुझे किसने रोक रखा है जो मुझ से पर्मिशन माँग रही है अंदर आने की...
उसके बाद नीरा सीधा चल कर मेरे बेड के पास आकर बैठ जाती है...
में--बोल क्या बात करनी है...
नीरा--पहले आप मेरी कसम खाओ जो बात में कहूँगी वो आप मानोगे..,
में--ये कैसी बच्चो वाली बात कर रही है तू...में तेरी हर बात वैसे ही मान लेता हूँ...इसमें कसम देने वाली बात कहाँ से आ गयी...
नीरा--कसम तो आपको खानी ही होगी...जो बात में कहना चाहती हूँ मेरे जीवन और मरण के बराबर है...
में--ऐसी क्या बात है नीरा...तू बोल तो सही तू जो बोलेगी में वो मान लूँगा...
नीरा--आप पहले कसम खाओ..,.उसके बाद ही में अपनी बात कहूँगी....
में--नही....में ऐसी कोई कसम नही खा सकता...नीरा क्यो मज़ाक कर रही है....
नीरा--आपको मेरी बात मज़ाक लग रही है तो फिर...में क्या हूँ आपके लिए..में मज़ाक नही कर रही...बोलो अब आप कसम खा रहे हो या नही....
में सोच में पड़ जाता हूँ....कहीं मम्मी की तरह ये भी तो कुछ ऐसा ही कहने तो नही आई है ना...लेकिन ऐसी क्या बात हो सकती है जिस वजह से ये मुझ से कसम खिलवा. रही है...
नीरा--किस सोच में पड़ गये ...कसम तो आपको खानी ही पड़ेगी....
में--अच्छा थोड़ा तो हिंट दे दे ये किस बारे में है....
नीरा--आप इतना क्या सोच रहे हो अगर आप मेरी जान भी माँग लो तो में हँसते हँसते आप पर कुर्बान हो जाउन्गि...लेकिन आप इतनी देर से एक कसम भी.. नही खा पा रहे हो.....
में--क्या तुझे अपने भाई पर यकीन नही है... जो तू मुझे कसम खिलाकर ही अपनी बात मनवा सकती है...
नीरा--मुझे आप पर पूरा यकीन है...लेकिन अपने आप पर से में अपना यकीन खोती जा रही हूँ....इसीलिए में आपको कसम खाने के लिए बोल रही हूँ....अगर कोई चीज़ मुझे चाहिए होती तो मेरे बोलने से पहले ही आप उसे मेरी आँखो के सामने रख चुके होते...लेकिन ये बात कहना, ना मेरे लिए आसान है और ना आपके लिए इसे कर पाना...
में--अगर ये बात इतनी ही ज़रूरी है तो फिर ठीक है....
अचानक दरवाजे पर हुई दस्तक ने दोनो के बीच चल रही इस बात पर विराम लगा दिया...नीरा ने जाकर दरवाजा खोला तो देखा वहाँ दीक्षा खड़ी थी...

दीक्षा--सॉरी मैने आप लोगो को डिस्टर्ब तो नही किया....
नीरा--नही नही दी ऐसी कोई बात नही है आप अंदर आ जाओ...
नीरा का चेहरा बिल्कुल उतर गया था लेकिन अपने चेहरे पर उसने ये ज़्यादा देर रहने नही दिया...
दीक्षा ने एक नाइटी पहन रखी थी जो कि काफ़ी. लंबी थी और ढीली भी उसकी स्लीवस में से उसकी वाइट ब्रा भी दिखाई दे रही थी...
दीक्षा--बेड पर लेट ते हुए.....मुझे वहाँ नींद नही आ रही थी इसलिए मुझे लगा आप लोगो के साथ बैठ कर थोड़ी देर में भी बाते कर लूँ...
दीक्षा कमर के बल लेटी हुई थी और उसने अपना एक हाथ अपने सिर के पीछे रख दिया था जिस से उसके अंडर आर्म्स के बड़े बड़े बाल नुमाया हो गये थे...दीक्षा को इस तरह लेटे देख कर नीरा को गुस्सा आ गया लेकिन अपने गुस्से पर काबू करते हुए...
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नीरा--दीदी सुबह अंडर आर्म क्लीन कर लेना में रिमूवर दे दूँगी आपको...
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दीक्षा इस बात पर बुरी तरह झेंप गयी...और बात बदल कर...
दीक्षा--ये शराब की स्मेल कहाँ से आ रही है...
नीरा--मेरे भैया शराब पीते है...क्यो आपको भी पीनी है...
दीक्षा अब उठ के बैठ चुकी थी...लेकिन नीरा के इस तरह के बर्ताव की वजह से थोड़ी शर्मिंदा भी हो रही थी...
दीक्षा--नीरा तुम रूम में कब तक आओगी....
नीरा--में थोड़ी ही देर में आती हूँ रूम में...आपने दूध पी लिया क्या...
दीक्षा--नही में वही लेने जा रही हूँ...ठीक है गुड नाइट जय भैया अब सुबह मिलेंगे...
फिर मैने भी गुड नाइट कहा और उसके जाते ही अपनी साँस छोड़ते हुए नीरा से कहा ...
में--अब तू भी जा और सो जा...
नीरा--मेरी बात अभी पूरी नही हुई है...लेकिन में रात को फिर आउन्गि...लेकिन इस बार अपनी बात मनवा कर ही जाउन्गि...
उसके बाद नीरा अपने रूम में चली जाती है और में फिर से अपने बेड के नीचे से वो शराब की बोतल निकाल कर अपना ग्लास भरने लग जाता हूँ...
उधर नीरा के रूम में...
दीक्षा--सॉरी नीरा मुझे पता है तुम किस बात पर नाराज़ हो गयी...
नीरा--दी में आपसे नाराज़ हो ही नही सकती हूँ लेकिन आपका इस तरह अपने अंडर आर्म्स को शो करना मुझे अच्छा नही लगा...
दीक्षा--हाँ यार नीरा मुझ से ग़लती हो गयी है पता नही भैया मेरे बारे में क्या सोचेंगे...
नीरा--वो कुछ नही सोचेंगे अगर उन्होने तुम्हारी अंडर आर्म्स की तरफ देख भी लिया होगा तो वो अपनी नज़रे हटा चुके होंगे वहाँ से...आप इस बात से परेशान मत रहो और सुबह में आपको रिमूवर दूँगी जिस से आप अपने हेर रिमूव कर लेना...
दीक्षा--हाँ यार मुझे देना मैने आज तक रिमूवर यूज़ नही किया...में भी स्लीवलेस पहनना चाहती हूँ लेकिन इन बालो की वजह से शर्म आती थी...
नीरा--कोई बात नही...में कल आपको रिमूवर दे दूँगी और रूही दीदी की कुछ स्लीवलेशस ड्रेसस भी...अब आप आराम कर लो थोड़ी देर....क्योकि मुझे अभी वापस जाना है भैया के पास कुछ ज़रूरी बात करने...
दीक्षा--ऐसी क्या बात आ गयी...जो तुम्हे इस समय ही करनी है...
नीरा--कुछ बाते समय नही देखा करती...उन्हे जितना जल्दी हो सके कर लेना चाहिए..वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी...काल करे सो आज कर... आज करे सो अब...पल में प्रलय होवेगी..... जदे करेगा कद.....
और इसी के साथ हम लोग मुस्कुरा कर एक दूसरे से गले मिलते है और गुड नाइट बोलकर सोने लगते है...लेकिन नीरा को आज नही सोना था....वो बस सही समय का इंतजार कर रही थी .......
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रात के 1.30 बज रहे थे...तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक होती है....
में अपनी ड्रिंक ले चुका था और बस खाना खाकर उठने ही वाला था...मैने उठ कर दरवाजा खोला तो सामने नीरा खड़ी थी अपने चिरपरिचित अंदाज में...
वो अपनो आँखे बड़ी बड़ी करके बस मुझे देखे ही जा रही थी....
में--तू सोई नही अभी तक...
नीरा--जब तक ये बात में आपसे कर ना लूँ, तब तक ना में सो सकती हूँ ना में कुछ खा सकती हूँ...
मैने आज शाम से कुछ भी नही खाया है...सिर्फ़ आपको वो बात कहनी थी इसलिए
में--तू पागल तो नही हो गयी है....खाना क्यो नही खाया तूने...
नीरा...खाने को गोली मारो और सबसे पहले आप मेरी कसम खाओ और जो भी में बात बोलूँगी वो आप मानोगे...
में--ठीक है लेकिन मेरी एक शर्त है, तू अपनी बात ख़तम होने के बाद मेरे हाथो से खाना खाएगी उसके बाद में तुझे जवाब दूँगा....और तुझ से सवाल भी पूछूँगा
नीरा--ठीक है अब कसम खाओ मेरी...
में--तेरी कसम नीरा जो तू कहेगी में वो मानूँगा...तेरी कसम.....बस अब बोल क्या बात है.
नीरा ने अपनी आँखे अब बंद कर ली थी और अपनी दिल की बढ़ती हुई धड़कानों पर काबू करने की कोशिश करते हुए कहती है....
नीरा--भैया आप मुझ से शादी कर लो....में आपसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती हूँ...में आपके बिना एक पल भी नही रह सकती....मुझे बचा लो भैया मुझ से शादी कर लो...मेने अपनी हर साँस आपके नाम कर दी है....मुझ से शादी कर लो भैया मुझ से शादी कर लो.....
नीरा अपनी पूरी बात एक ही साँस में कह जाती है और में लगातार उसकी इन बातो को अपने सीने मे चुभता हुआ महसूस कर रहा था...
ऐसा लग रहा था जैसे मेरे कानो में किसी ने पिघला हुआ सीसा उडेल दिया हो. ....
वो अब लगातार मेरी तरफ़ देखे जा रही थी अपने जवाब के इंतजार में....
में--अब किचन में से खाना ले आ उसके बाद तेरी हर बात का जवाब भी दूँगा और सवाल भी करूँगा...
नीरा उठ कर अपने लिए खाना ले आई ....और में उसकी आँखो में देखता हुआ उसे खाना खिला रहा था....उसकी आँखे आँसुओ से भर गयी थी ना जाने कौनसा बाँध बना रखा था नीरा ने अपनी आँखो में जो उसके आँसुओ को बहने से रोक रहा था...
में नीरा की बात में ही उलझा हुआ था कि आख़िर उसने ऐसा क्यों कहा...वो मेरी बहन है कैसे उसके मन में मेरे लिए ये ग़लत ख्याल आ गये...कुछ समझ नही आ रहा था में फस चुका था आख़िर कसम जो खाई थी मैने...
जिसे में अपनी जान से भी ज़्यादा चाहता था उसने मुझे एक दौराहे पर ला कर पटक दिया....अगर में कसम तोड़ता हूँ तो कसम के साथ उसका दिल भी टूट जाएगा...और अगर में ये कसम मान लेता हूँ तो मेरी आत्मा मर जाएगी...दोनो ही सुरतों में मेरा ही हाल बुरा होना तैय है....
खाना ख़तम हो चुका था और मेरा हाथ बिना नीवाले के ही नीरा के मुँह के सामने था और नीरा की आँखो का वो बाँध कब का टूट चुका था वो लगातार रोए जा रही थी....और में अपनी सोच के समंदर में डूबे जा रहा था...डूबे जा रहा था...गहरा और गहरा...
नीरा--भैया.....भैया....प्ल्ज़ कुछ बोलो भैया...भैय्ाआअ
उसने मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर जोरदार झटका दिया जिस से में समुंदर की गहराई से वापस लौट आया...
में--क.क क्या हुआअ...
नीरा-- कहाँ खो गये थे...
मैने उसे कोई जवाब नही दिया और उठ कर हाथ धोने चला गया...
में हाथ धोकर आते ही उस से पूछ बैठा..
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में--तो तुझे मुझ से शादी करनी है... और अब मैने कसम खा ली है तो इसका मतलब दुनिया की कोई ताक़त तेरी और मेरी शादी को नही रोक सकती....लेकिन तू मुझे एक बात बता तेरे मन में ये शादी का ख्याल आया कहाँ से ...मैने हमेशा तुझ से और रूही से एक डिस्टेन्स मेन्न्टेन रखा है...तू सोच आज पापा की आत्मा कितनी दुखी हुई होगी...उनके अपने ही बच्चे आपस में शादी कर रहे है...उनको मरे हुए दिन ही कितने हुए है....और तेरा ये सवाल...
नीरा--आप भी तो भाभी से शादी कर के उन्हे खुश रखना चाहते हो ना....लेकिन वो भी तो आपको भाई मानती है...फिर कैसे आप उन से शादी के लिए रेडी होगये...और कौन्से पापा की बात कर रहे हो आप...वो बाप जिसकी वजह से आप पैदा हुए या वो बाप जिसने आपकी हर सुख सुविधा का ध्यान रखा है.....
में--ये क्या बकवास कर रही है नीरा...होश में रह कर मुझ से बात कर....पापा के बारे में एक शब्द भी में सुनना पसंद नही करूँगा....
नीरा--मेरी आपसे शादी करने की सबसे बड़ी. वजह. मेरे प्यार के बाद आप का बाप ही है......में बस इन भेड़ियो से आपको बचा कर रखना चाहती हूँ...
में--नीराअ .....इस से पहले मेरा हाथ तुझ पर उठ जाए...में ये भूल जाउ तू मेरी बहन है...तू यहाँ से चली जा
वरना आज तक तूने मेरा प्यार देखा है...मेरा गुस्सा तुझे जला देगा नीरा मान जा....मैने बोला ना तुझ से शादी करूँगा में...फिर क्यो पापा. का नाम ले ले कर उनको इन सब बातो का दोषी बना रही है...
नीरा--भैया में आपको शादी की दी हुई कसम से आज़ाद करती हूँ क्योकि ज़बरदस्ती में आपका जिस्म पा सकती हूँ...लेकिन आपका प्यार नही...में अच्छे से जानती हूँ जब आपको असलियत पता चलेगी आपका रिश्तो से भरोसा उठ जाएगा....प्यार क्या होता है ये आप भूल जाओगे...सब कुछ मर जाएगा लेकिन इस सच्चाई को में अपने अंदर भी नही रख सकती ये सच्चाई बिल्कुल उसी हलाहल ज़हर की तरह हे जो शिव के गले में पड़ा है...और वेसा ही हलाहल ज़हर मेरे सीने में भी भर गया है...
में--ऐसी क्या सचाई है जो सब ख़तम कर देगी....बता मुझे में भी अब सुनना चाहता हूँ लेकिन पापा के बारे में बोला गया तेरा हर एक शब्द तुझे मुझ से बहुत दूर ले जाएगा...बस ये याद रखना...
नीरा--नही भैया में आपसे कभी दूर नही हो सकती अगर में मर भी गयी तब भी आपके पास ही रहूंगी....दुनिया की कोई ताक़त मुझे आप से दूर नही रख सकती....अगर मेरे बोलने से में आप से दूर होती हूँ तो फिर ठीक है...जो खुद इस सच्चाई की सबसे बड़ी गवाह है....जो खुद एक सबसे बड़ा सच है में उसी को आपके सामने खड़ा कर दूँगी....
में--कौन्से सच की बात कर रही है तू...किसको खड़ा करेगी यहाँ गवाही देने के लिए...
नीरा--आप मम्मी के मोबाइल पर फोन करो और उन्हे यहाँ बुलाओ....
में--नीरा तू सच में पागल होगयि है....मम्मी को क्यो परेशान कर रही है...वो पहले से ही दुख में डूबी हुई है....और हम लोगो की बातो से उनको और चोट पहुचेगी...
नीरा--मम्मी नही है वो....वो औरत एक ज़हरीली नागिन है...वो डॅस लेगी आपको भी...में कहती हूँ बुलाओ उस नागिन को..
टदाआक्ककक..... एक झन्नाटेदार थप्पड़ नीरा के मासूम गालो पर पड़ता है...
में--अगर एक शब्द भी तूने और बोला...तो ये मान लेना तेरा भाई तेरे लिए हमेशा के लिए मर गया है...
नीरा की आँखे बिल्कुल सुर्ख लाल हो चली थी उनमें अब आँसू नही थे....एक निश्चय था अपने भाई को इन लोगो से बचा कर रखने का...वो पलट कर जय के रूम में से चली जाती है...और रूम से निकलने के बाद सीधा अपनी मम्मी के कमरे की तरफ़ बढ़ जाती है.....
वहाँ मम्मी बेसूध हो कर सो रही थी...
नीरा अपनी मम्मी को लगभग झींझोड़ते हुए उठती है,...
मम्मी--क्या हुआ बेटा इतनी रात को इस तरह से क्यो जगाया मुझे.....
नीरा--में कोई तेरा बेटा वेटा नही हूँ...और ना ही में तुझसे कोई बात करना चाहती हूँ...मुझे मेरे भाई की चिंता है....में बस इसीलिए तुझे बुलाने आई हूँ...चल मेरे साथ और बता अपनी काली कर्तुते अपने बेटे को...बता अपने बेटे को कि कैसे पैदा हुआ वो....चल उठ.........
नीरा लगभग मम्मी को खिचते हूर कमरे से बाहर लाई....मम्मी बिल्कुल सुन्न हो चुकी थी नीरा की इन बातो से....वो समझ नही पा रही थी...कैसे जवाब देगी वो नीरा के सवालो का....कैसे सामना कर पाएगी वो जय का...
नीरा मम्मी को लगभग धकेलते हुए जय के बेड तक पहुचा देती है....
में--नीरा ये क्या हरकत है...तू कैसे भूल गयी ये हमारी मम्मी है....
नीरा--मम्मी से....अब बोलती क्यो नही हो...जवाब दो...बताओ इसे कि कैसे पैदा हुआ ये...बताओ इस पाप में कौन कौन भागीदार था...
में--मम्मी ये क्या बकवास कर रही है....ऐसी क्या बात है जो आप इसके जानवरों जैसे व्यवहार को चुप चाप सहे जा रही हो...एक थप्पड़ क्यो नही लगा देती हो आप इसे..
मम्मी--इसमें नीरा की कोई ग़लती . है...ये मुझे ग़लत समझती है....और ये सही भी है...में ग़लत हूँ....हाँ...हाँ..में ग़लत हूँ....मैने अपने परिवार को अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार किया....मैने अपने घर को बचाने के लिए वो सब किया जो मुझे नही करना चाहिए था...
में--ये क्या पहेलियाँ बुझा रही हो मम्मी...क्या बात है सॉफ सॉफ कहो..
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मम्मी की आँखो से लगातार आँसू बहे जा रहे थे....
मम्मी--मैने तुम्हारे पापा से शादी बेहद कम उमर में कर ली थी...में उस वक़्त 11 क्लास में ही तो थी. तुम्हारे पापा जब मुझे मिले.... मुझे पहली ही नज़र में उनसे प्यार हो गया था...और शायद वो भी मुझे प्यार करने लग गये थे....हम दोनो ने भाग कर शादी कर ली...मेरे माँ बाप नही थे बस एक मामा और मामी ने ही मुझे पाला था....
हम लोगो की शादी को 2 साल हो चुके थे जीवन में सब कुछ सही चल रहा था...तुम्हारे पापा भी अपना बिज़्नेस अच्छे से सेट करने में लगे हुए थे...
एक रात जब वो घर लौट कर आए...तब वो काफ़ी परेशान लग रहे थे....मैने जब उनसे पुछा के क्या हुआ...तब उन्होने कहा..
किशोर--संध्या हमारी सारी मेहनत खराब हो जाएगी अगर...हमारा माल मार्केट में नही बिका तो...
संध्या--ऐसा क्या हो गया है ....माल क्यो नही बिकेगा...
किशोर--मैने जो डाइमंड मँगवाए थे वो काफ़ी अच्छी क्वालिटी के है लेकिन फिर भी कोई उन्हे खरीद नही रहा...4 लोग ऐसे हैं जो नही चाहते में इस काम में उनकी बराबरी करूँ..
संध्या--लेकिन वो ऐसा क्यो कर रहे है....और दूसरा वो अगर आपका रास्ता रोक रहे है तो इसमें आपको क्या फरक पड़ता है....
किशौर--वो नही चाहते बिज़्नेस में उनका कोई कॉंपिटिटर बाज़ार में आए..और वो यहाँ के काफ़ी बड़े बिज़्नेस मॅन है...इसलिए वो हर तरह से मुझे मुंबई में बिज़्नेस स्टार्ट करने नही देना चाहते...
संध्या--आप उनके साथ एक मीटिंग फिक्स क्यो नही करते...उनलोगो से प्यार से कुछ ले दे कर इस मामले को ख़तम कर दो...
किशौर--मुझे अब ऐसा ही करना पड़ेगा...वरना हम बर्बाद हो जाएँगे...
उसके बाद किशोर एक फाइव स्टार होटेल में उन सभी को इन्वाइट करता है..किशोर के साथ में संध्या भी आई थी...और जब उन लोगो ने संध्या को उपर से नीचे तक देखा...तो एक ज़हरीली मुस्कान उन सभी के चेहरो पर आ चुकी थी...
किशोर--मैने आप सभी को इस लिए यहाँ बुलाया है कि आप मेरी इस काम में मदद करे...हम दोनो का जीवन अब आप लोगो के हाथ में है...
आहूजा--किशोर भाई कैसी बाते करते हो...भला हम आपके रास्ते में रोड़े क्यो अटकाएंगे...
कंबले--हमे तो खुशी होगी जब आप अपना बिज़्नेस अच्छे से एस्टॅब्लिश कर लेंगे...
किशोर--में भी यही चाहता हूँ...आप लोग मेरा साथ दे और मार्केट में मेरा माल जाने दे.
प्रधान--किशोर भाई साहब आप हमे दो दिन का टाइम दीजिए ताकि हम कुछ सोच विचार करके...प्यार मोहब्बत से इस मामले को निपटा सके...आख़िर हम भी चाहेंगे कि मार्केट में अच्छी क्वालिटी का माल आए...
संध्या--भाई साहब आप सभी लोगो का शुक्रिया....हम लोगो को बर्बाद होने से बस आप ही लोग बचा सकते है....
और उसके बाद हम सभी उठ जाते है ....
किशोर को कुछ बात करने के बहाने से आहूजा अपने साथ ले जाता है और कंबले प्रधान और संध्या एक दूसरी टेबल पर जाकर बैठ जाते है...
प्रधान--भाभी जी सिर्फ़ आपकी वजह से हम उसे ये काम करने दे सकते है...
संध्या--मेरी वजह से कैसे भाई साहब??
कंबले--अगर आप हम लोगो को खुश कर दें तो ये मान लीजिए आपके पति को दुनिया की कोई ताक़त मुंम्बई पर राज करने से नही रोक सकती....और हमारा क्या है भगवान की दया से हमारा बिज़्नेस लगभग सभी देसो में है...हम आपके लिए मुंम्बई जैसा छोटा सा नुकसान सह ही सकते है...
संध्या--ये आप लोग कैसी बाते कर रहे है...में वेसी औरत नही हूँ जो अपने आप को बेच दूं काम के बदले में...
प्रधान--भाभी जी ये मेरा कार्ड आप रख लीजिए जब कभी भी आपको लगे ...आप मुझे फोन कर देना...
संध्या वो कार्ड अपने पर्स में डाल कर बोलती है...
संध्या--ऐसा दिन कभी नही आएगा प्रधान साहब...लेकिन फिर भी में आपका कार्ड रख लेती हूँ...और फोन में उस दिन आपको करूँगी जब मेरे पति मुंबई पर राज कर रहे होंगे.
कांबले--हमारी बेस्ट विशस आप लोगो के साथ है भाभी जी....
उसके बाद संध्या वहाँ से उठ कर चली जाती है...
जब वो लोग घर पहुँच जाते है तो संध्या उसे वहाँ हुई सारी बाते बता देती है...किशोर ये बाते सुनकर माथा पीट लेता है अपना....
संध्या--हम लोग किसी दूसरे शहर में चलकर ये बिज़्नेस फिर से शुरू कर सकते है...
किशोर--ये उतना आसान नही है संध्या...किसी दूसरी जगह पर जाने का मतलब है फिर से शुरूवात करनी पड़ेगी...और क्या पता वहाँ भी प्रधान जैसे लोग अपना कब्जा जमाए बैठे हो...
करते करते वो दोनो सो गये थे...अगले दिन सवेरे सवेरे घर का लॅंडलाइन बजने लगता है...ये कॉल किशोर के असिस्टेंट का था... जिन्हे किशोर काका कह के बुलाता था...
काका--सर ग़ज़ब हो गया...हम लोगो ने जिन भी छोटे छोटे व्यापारियो को अपना माल दिया था उन सभी ने एक एक करके वो माल वापस भिजवा दिया है...
किशोर--काका ये सब कैसे हो गया...हमारा माल नही बिकेगा तो हम सड़क पर आजाएँगे.
काका--सर पता नही क्या होगा ये माल अब हम उस पार्टी को भी नही दे सकते जिस से हमने ये माल लिया था बड़े व्यापारी तो पहले ही हम से माल नहीं ले रहे थे और अब ये छोटे व्यापारियो ने भी माल वापस भिजवा दिया है.
ये सुनकर किशोर फोन रख कर सारी बाते संध्या को बता देता है...
संध्या--अब क्या होगा...ये लोग तो हमे बर्बाद करके ही दम लेंगे...
किशोर--में देखता हूँ...कुछ करने की कोशिश करता हूँ...
और उसके बाद किशोर नहा धो कर बाहर निकल जाता है...
संध्या भी सोच सोच कर एक फ़ैसला ले ही लेती है...वो अपने पर्स में से प्रधान का कार्ड निकालती है और उसे फोन कर देती है...
प्रधान--हेलो कौन??
संध्या--प्रधान साहब आप जीत गये...बोलिए मुझे कहाँ आना है...
और प्रधान उसे एक फार्म हाउस पर बुला लेता है...
फार्म हाउस पर प्रधान कांबले और आहूजा के अलावा उनका एक पार्ट्नर और होता है जिसका नाम दामोदर होता है...वो चारो मिलकर संध्या को हर जगह से नोचते खसोटते है...एक तरह से उसका रेप ही कर देते है...
जब वो संध्या को जाने के लिए बोलते है तो कल दुबारा आने के लिए बोल देते है...
संध्या अपने घर पहुँच कर अपने सारे कपड़े उतार कर शवर के नीचे खड़ी हो जाती है...और ज़ोर ज़ोर से रोते हुए अपने बदन से उन भेड़ियो के निशान मिटाने लग जाती है...
जब शाम को किशोर घर आता है तो वो काफ़ी खुश होता है...उन सभी छोटे व्यापारियो ने माल वापस मंगवा लिया होता है...और किशोर इसे चमत्कार मान कर मिठाई का डिब्बा अपने साथ लेकर आता है...
लेकिन जब वो घर के अंदर घुसता है तो संध्या बिल्कुल नंगी बेड पर रोती हुई मिलती है...
संध्या--सब ख़तम हो गया मेरा...कुछ नही बचा उन लोगो ने कल फिर मुझे बुलाया है.....
किशोर को समझते देर नही लगी संध्या की हालत देख कर....
किशोर--संध्या मुझे माफ़ कर देना....लेकिन तुम्हे उन लोगो को कल यहाँ बुलाना होगा .....ये आख़िरी बार है इसके बाद तुम्हे कभी भी मेरी वजह से किसी के आगे झुकना नही पड़ेगा...
संध्या--में अब मरना चाहती हूँ में अब तुमहरे लायक नही रही....
किशोर--तुम नही मरोगी संध्या मरेंगे वो लोग जिन्होने हमारे जीवन में आग लगा दी है...बस कल कल का दिन और निकाल लो...
किशोर ने पूरे घर में सीसीटीवी कॅमरास लगवा दिए थे....रात भर में ही...
किशोर--संध्या मुझे तेरी कसम है में उन सब को सड़क पर ले आउन्गा....वो तेरे सामने खुद को बख्सने की भीख माँगे गे लेकिन उन्हे वो भी नसीब नही होगी....
संध्या--मुझे कुछ नही चाहिए ....बस किसी तरह से हम लोग उनके चंगुल से निकल जाए इसके अलावा मुझे कुछ और नही चाहिए...
उसके बाद संध्या और किशोर कल के लिए प्लान करने लग जाते है...
अगले दिन संध्या प्रधान को फोन करके घर पर ही सब को बुलवा लेती है...और अपने साथ बलात्कार का वीडियो रकौर्ड़ कर लेती है...
संध्या और किशोर उस वीडियो में से संध्या का चेहरा धुँधला करके उस वीडियो को पूरे मीडीया में डाल देते है....इस से होता ये है कि दामोदर , प्रधान कांबले और आहूजा चारो पूरी तरह से बेनक़ाब हो जाते है...बाज़ार में उनकी साख पूरी तरह से मिट जाती है...इस मोके का फ़ायदा उठाते हुए किशोर पूरे मार्केट पर अपना क़ब्ज़ा जमा लेता है.
वर्तमान में
.......................................................
मम्मी--उसके बाद मैने अपनी ज़िंदगी ग़रीब बच्चो की देखबाल में लगा दी....में अपना सब कुछ खो चुकी थी...इस गम में मैने शराब भी पीनी शुरू कर दी....जब मुझ से बलात्कार हुआ मेरी उमर ज़्यादा नही थी लेकिन मेरे जिस्म में सेक्स की चींतिया रह रह कर काटने लगी....शराब के नशे में...मुझ से वो ग़लती हो गयी जो नही होनी चाहिए थी...मैने अपना संबंध राज से बना लिया...और जब तक में खुद को संभाल पाती तू मेरी कोख में तू आ चुका था....राज को बस इतना पता था कि कुछ ग़लत हुआ है लेकिन उसे ये पता नही था तू उसका ही बेटा है ये बात सिर्फ़ तेरे पापा और रूही जानते थे....रूही को इस लिए पता पड़ गया क्योकि में अधिकतर उसी के साथ डॉक्टर के पास जाया करती थी....मुझे गर्व है रूही पर उसने मेरा साथ कभी नही छोड़ा...वो हमेशा मेरे सुख और दुख में एक परच्छाई की तरह मुझ से चिपकी रही....
मेरे होश उड़ चुके थे....मुझे समझ नही आ रहा था के में क्या करूँ....ऐसा लग रहा था किसी ने मेरे शरीर से सारा खून निचोड़ लिया हो....
मम्मी--हो सके तो मुझे माफ़ करदेना जो कुछ भी हुआ...वो या तो वक़्त की मजबूरी थी या शराब के नशे में बहकते हुआ मेरा जिस्म.....मुझे माफ़ कर देना मेरे बच्चो में तुम लोगो की माँ कहलाने लायक नही हूँ...
नीरा--मम्मी मुझे माफ़ कर दो .....आपकी इन्ही कुर्बानियों की वजह से हम सभी एक अच्छा जीवन जी रहे है मम्मी मुझे माफ़ कर दो....में अब कभी आपसे कोई सवाल नही करूँगी....
में अपनी कुर्सी से बिना कुछ बोले उठ जाता हूँ...और घर से बाहर निकल कर अपनी कार में बैठकर अंजाने रास्ते की तरफ़ बढ़ने लगता हूँ......
मेरी आँखो से आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे....और में अपनी कार तेज़ी से भगाए जा रहा था....में नही जानता था मुझे कहाँ जाना था....बस एक जुनून सा हावी हो गया था मुझ पर...में मरना चाहता था....घिंन आ रही थी अपने आप से...मानो सारे जहाँ की गंदगी मुझ पर ही आ गिरी हो....में अब वापस नही लौटना चाहता था.....
में अभी जिस रोड पर गाड़ी भगा रहा था वो एक पहाड़ी एरिया था जिसे महादेव के घाटा के नाम से जाना जाता है....पता नही कौनसी अद्भुत शक्ति ने....मुझे उन ख़तरनाक घाटियो में भी संभाले रख रखा था....घाटी क्रॉस करने के बाद मुझे एक मंदिर दिखा जो कि महादेव का काफ़ी प्राचीन मंदिर है....मैने अपनी गाड़ी साइड में लगाई और मंदिर की तरफ़ अपने कदम बढ़ा दिए....
मंदिर के बाहर ही कुछ साधु आग जला कर बैठे थे और दम भर रहे थे...
मुझे मंदिर की तरफ जाते देख एक साधु बोला...
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साधु--बेटा अभी महादेव के दर्शन नही कर सकते तुम इस समय मंदिर के पट बंद है...
मेरी आँखो में भरे हुए आँसू उन से छिप ना सके...
साधु--लगता है जीवन की जंग में हार कर आरहा है तू....तेरी आँखे तेरी कायरता का सबूत दे रही है...तेरा तो स्वयं महादेव भी उद्धार नही कर पाएँगे...
में--बाबा में कायर नही हूँ...लेकिन कभी कभी ज़िंदगी कायर बनने पर मजबूर कर देती है...
साधु--ज़िंदगी तुम्हे लड़ना सिखाती है...या तो जीवन के संघर्षो से डरो मत....या फिर महादेव की भक्ति में लीन हो जा...लेकिन बिना संघर्ष के तो भक्ति भी नही होती बेटा...
में--बाबा मुझे कुछ समझ में नही आ रहा में क्या करूँ...
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वो साधु अपनी जगह से उठता है....और मुझे एक छोटे से चबूतरे के पास ले जाता है.
साधु--ले सब से पहले इस चिलम का एक दम लगा उसके बाद अपने दिल की बात खोल कर मुझे बता...
में--बाबा में ये सब नही पीता...
साधु--में तुम्हे हमेशा पीने की सलाह नही दे रहा बस आज मेरे कहने पर एक दम लगा....और उसके बाद तेरे सारे बंद दरवाजे खुल जाएँगे....
में बाबा से वो चिलम ले कर उसे खिचने की कोशिश करता हूँ...लेकिन कुछ भी नही होता....ये देख कर साधु बोलता है...
साधु--बेटा एक माँ भी अपने बच्चे को दूध तब पिलाती है जब वो भूख के कारण संघर्ष करते हुए रोने लग जाता है....इसलिए इस चिलम का दम अगर तुझे लगाना है तो कर संघर्ष.....में देखना चाहता हूँ...तू वास्तव में वीर है या जैसा मैने सोचा कि तू कायर है....
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में उनकी ये बात सुनकर काफ़ी ज़ोर लगा कर उसे खिचने की कोशिश करता हूँ लेकिन इस बार मुझे खाँसी आजाती है...
साधु--एक चिलम तुझ से नही खीची जा रही तो तू कैसे इस दुनिया से लड़ेगा. कायर...
बाबा की ये बात सुनकर अचानक मुझे क्या हुआ मैने उस चिलम के 2 -3 लंबे लंबे दम अपने फेफड़ो मे भर लिए....
साधु--हाँ ये हुई ना बात आज तू सही मायनो में एक मर्द बन गया है....अब बैठ यहाँ कुछ देर और याद कर तूने क्या किया और तेरे सगो ने क्या किया...जब तक मुझे एक हवन का निर्माण करना होगा ....
में बिल्कुल स्थिर हो चुका था...दिमाग़ बिल्कुल ऐसे शांत हो गया जैसे उसमें कोई परेशानी कोई अनतर्द्वंद अब बचा नही था...एक लहर मेरे पूरे बदन में उठती हुई सी महसूस हो रही थी....में अपने आप ही बड़बड़ाते हुए साधु को जोभी मेरे साथ हुआ वो बताता चला गया.....
CONTINUE............
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