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नेहा की आखे फटी की फटी रह गई. लेकिन उसके अन्दर भी मेरी जितनी ही वासना जगी हुई थी इसलिए वो ये काम करने के लिए राजी हो गई.
कुछ देर बाद मा नहा के बाहर आई. नेहा ने प्लान के मुताबिक उसे चाय-नाश्ता दिया जिसमे वो दवा मिलाई थी. फिर मा और नेहा अन्दर के कमरे मे गए और बाते करने लगे. मै दरवाजे पे खडा होकर कान लगाए उनकी बाते सुन रहा था. मा पूछ रही थी
"नेहा, क्या तुमने वो लडका देखा है जिसका जिक्र राज कर रहा था? कैसा है वो, तुझे पसन्द है क्या, क्या उसे तुम पसन्द हो?" मा ने अब दवा ली थी तो उसका असर कुछ समय मे शुरु होनेवाला ही था, तो नेहा ने भी बेझिझक बता दिया.
"मा असल मे मै राज भैया से ही बहुत प्यार करती हू, तो हम दोनो ने सोचा की क्यू हम दोनो एक दूसरे से शादी कर ले" नेहा की बात सुनकर मा को जैसे झटका लगा
"नेहा.......ये तू क्या बोल रही है, पागल तो नही हुई है. रुको मै अभी राज को बुलाती हू, राज...........राज..." मा ने मुझे बुलाते ही मै कमरे मे दाखिल हो गया. उनकी बाते तो मैने पहले ही सुन ली थी, सो मैने अन्दर जातेही नेहा को अपनी बाहो मे भर लिया औए उसको किस करने लगा, साथ ही उसकी चुचिया मसलने लगा. मा तो बेहोश होते होते बची.
"राज, ये क्या हो रह है? अपनी बहन के साथ ये करते हुए शरम नही आयी? अपनी बहन के साथ ये सब........नेहा तुम भी?.....हे भगवान!!" मा नफ़रत से बोली. मेरा हाथ नेहा के पजामी के अन्दर उसकी चूत पर था और वो मेरा लन्ड सहला रही थी. मा ने नहा कर एक गाऊन पहना था उसका बदन नहाने के पानी से भीगा हुआ था और वो गाऊन उसे चिपक कर बैठा था, जिसकी वजह से मा का सुगठित शरीर साफ झलक रहा था. मेरा लन्ड मा के भीगे जिस्म को देख कर लोहा हो चुका था. मैने आगे बढ कर मा को बाहो मे ले लिया और कहा" नेहा और मेरी शादी तो होने वाली है. आपको मै अपने दमाद के रूप मे क्यू पसन्द नही ? दिखने मे ठीक हू, कमाता हू, कोई बुरी आदत नही, आपको और नेहा को बहुत प्यार करता हू और नेहा भी मुझे बहुत प्यार करती है. सच, मा मै अपनी बहन को पत्नि बना कर बहुत खुश रखून्गा और आपको भी........" ये कहते हुए मेरे हाथ अब मा की चुची तक पहुन्च गये थे. उसका पेट का चिकना जिस्म मेरे हाथ लगा तो मै मा को भीच लिया और उसकी गर्दन पर किस करने लग.
मा कुछ समझ नही पाई. उसपर दवाई का असर होने लगा था और उसे मर्दाना स्पर्श ने उतेजित कर दिया था, शुरु मे तो वो ना नुकुर कर रही थी.
"उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़...ना.....बेटा..ये क्या.....ना बेत...ये नही हो सकता...हम एक परिवार है...मै तेरी मा और नेहा तेरी बहन...नही बेटा ये पाप है!!"
लेकिन मै नही रुका और मा के सुडौल जिस्म को स्पर्श करता रहा.
मैने मा को नितम्ब के नीचे से पकड कर कसके दबाया और चूमने लगा. मा के मासल चूतड मुझे बहुत मस्त लगे और मै उनको रगडने लग. मा अब भी तैय्यार नही थी"छोड मुझे राज, शरम नही आती तुझे अपनी मा के साथ ये सब करते हुए? और नेहा, तुम भी कैसे बहक गई" नेहा धीरे से बोली" मा सब कुछ पता ही नही चला कैसे हो गय! भैया मुझे वाकई बहुत प्यार करते है ये बात सच है.
नेहा ने मा के समीप जा कर उसके बदन से गाऊन हटा दिया और वो मा को किस करने लगी. मेरी इन दो प्यारी औरतोको समलिन्गी सम्बन्ध बनाते देख मेरा लन्ड बुरी तरह से सख्त हो गया. मा पर अब दवाई शायद असर करने लगी थी, उसने नेहा को बहुत ज्यादा नही रोका. कुछ ही समय मे मा के बदन क उपर वाला हिस्सा नन्गा हो गया, मा के शरीर पर काले रन्ग की ब्रा थी. मै चुप चाप खडा था, अब मैने मेरा पजामा उतार दिया और मा क्को हिरसे बाहो मे भर लिया. मेरा कडा लन्ड मा के नाभी के आसपास चुभ रहा था. मैने मा को उनके गालो पे चूमना शुरु किया और मेरे हाथ उनकी ब्रा निकालने की कोशिश कर रहे थे. मा की नजर मेरे खडे लन्ड पे गई और वो शरमा गई. नेहाने मा को पीछेसे पकड लिया था और वो उन्हे गालो पे किस कर रही थी. मैने मा के ब्रा मे कसी चुचियोके उपर के हिस्से को चूमना शुरु किया जिससे मा के मुह से एक मादक सिसकरी निकल गई. मुझे यकीन हो गया कि दवा काम कर रही है और मा भी अभी मस्ती के मूड मे आ रही है. मैने उसके कमर मे हाथ डालकर उसकी चुचियोको चूमना जारी रखा, उसके चुचियोपे हलकेसे दात गडाए और उन चुचियोके बीच वाली क्लीव्हेज को चाटने लगा. अब मा का विरोध कम होता दिखाई दे रहा था. पहले ’ना ना” की रट लगाती मा अब सिर्फ ’स्स्स्स्स.......हाय........उम्म्म्म.’ जैसी आवाजे निकाल रही थी. तभी शरारती नेहा ने पीछेसे मा के ब्रा का हूक निकाल दिया जिससे उनकी ब्रा शरीर से अलग हो गयी और मेरा काम और भी आसान हो गया. मा की चुचिया बडी बडी थी, निपल के आसपास भूरे रन्ग का हिस्सा और उसपर खडे निपल......मा गोरी थी तो उसके चुचीपर नीले कलर की नसे साफ दिख रही थी. नेहा की चुची थोडी छोटी लेकिन सख्त थी, मा की चुची थोडी ढीली थी लेकिन बहुत खूबसूरत दिख रही थी, अपनी सगी मा की नन्गी चुची मेरे सामने थी इस बात से ही मै उत्तेजित हो गया और हाथ उपर करके मा की चुची कसके पकड ली और अपनी मुठ्ठीमे उन्हे भर दबोचा. मा के मुह से
’स्स्स्स्स्स्स्स.........आआआआह्ह्ह्ह्ह.......’ जैसी आवाजे निकलने लगी जो मेरी वासना और भडकाने लगी. मुझे अब जल्दही मा को चोदना था,
मैने उसे बेडपर ढकेल दिया और उसपर लेटकर एक चुची को मुह मे लिया, मेरा दूसरा हाथ उसकी दूसरी चुची रगड था. अब मैने एक हाथ उसकी काली पॅन्टी के उपर रख कर मा की चूत को सहलाने लग. मा की चूत गरम थी और गीली भी हुई थी, शायद दवा और अन्दर की उत्तेजना से ऐसा हुआ हो. मुह से वो इन्कार कर रही थी " बस करो राज, मुझे छोड दो, तुम दोनो जो चाहे करो लेकिन मुझे छोड दो, मुझे बक्ष दो, ये सब क्या कर रहे हो............क्या मेरे साथ भी गलत काम करना चाहते हो? "
मै हस कर बोल" मा तेरी चूत तो यही कह रही है की तू चुदने के लिये बे-करार हो. जब मै ये काम मेरी बहन के साथ कर सकता हू तो आपके साथ क्यू नही, सच बताओ, आप को मर्द की जरूरत महसूस नही होती, देखो आपकी चूत कितना पानी छोड रही है" और मैने मेरी एक उन्गली मा की चूत मे घुसा दी.
मा को जैसे शॉक लगा, ऐसे वो उछली. मैने नेहा को इशारा किया, उसने मा के हाथ पकड रखे और मैने मा की पॅन्टी उतार कर फेक दी. अब मा मेरे सामने बिलकुल बेबस नन्गी पडी थी. मा का नग्न शरीर देखकर मेरे बदन मे सुरसुरी पैदा हुई. मैने थोडी शरारत करनेकी सोची. मै किचनसे एक शहद की बोतल ले आया और ढेर सारा शहद मा के बदन पर लगाया. मा थोडी चिढकर बोली
"राज ये क्या पागलपन है, क्या कर रहे हो" मैने जवाब नही दिया और मा के नन्गे बदन को लगा शहद चाटने लगा.
मैने मा को पैर से लेकर सिर तक चाट लिया. यहा तक की मैने शहद की कुछ बून्दे मा की चूत मे डाल दी और चूत के अन्दर जीभ डालकर चाट लिया. मा की मासल जान्घो को किस करते हुए मुझ पर नशासा चढ रहा था. मा की चूत डबल रोटी की तरह फूली हुई थी. उसकी चूत अब गरम होती जा रही थी. चूत पर छोटे छोटे बाल थए. शायद कुछ दिन पहले ही शेव की थी चूत. मैने मा के जिस्म पर शहद का अच्छा लेप कर दिया, खूब सारा शहद उसकी चूत और चुची पर लगाय. मा बिना पानी के मछली की तरह तडप रही थी. नेहा ने मुझे चापट मारी और बोली," भैया ये तुम्हारी मा है और इसे सास भी बनाना चाहते हो. सच बताओ मेरे प्यारे भैया, जब चोदोगे तो इसको मा कहोगे या सास?"
नेहा की बात सुनकर मा तो इतनी शरमा गई की पूछो मत. मै बेशरमीसे बोला
रुको डार्लिन्ग ! पहले इस मीठी चीज को खूब चखून्गा, फिर बताऊन्गा ये मेरी मा है या सास. और फ़िर खूब चोदून्गा इसको!"
अब तो हम दोनो भाई बहन मा पर टूट पडे. मै उसकी चुची चाट और चूस रहा था और नेहा उसके पेट और नाभी मे लगा शहद चाट रही थी. मा "आह" "ओह्ह" की आवाज़े निकालती रही और मै और नेहा उसको चूम चूम कर चाटते रहे.
मा का जिस्म का स्वाद और शहद की मिठास दोनो बहुत नशीले लग रहे थे. फिर मैने मा की जान्घो को चूमा चाटा, और चूत पर जुबान फ़ेरी. मा का चिल्लाना अब कम हुआ था और वो भी अब शायद उत्तेजित हो चुकी थी. नेहा उस वक्त मा की चुची चुस रही थी
"ओ....ओ...अम्म्म्म्म्म्म...........मेरी मा..........मुझे क्या हो रहा है....मेरे बच्चो अब बस करो.........मै और नही सह सकती, ..मुझे......मुझे....अब मुझे......... शान्त करो.. मेरा जिस्म जल रह है....उफ़्फ़्फ़........ये मुझे क्या हो रहा है........हे भग्वान........राज बेटा.............अब और मत तडपा...........आ जाओ मेरे अन्दर" मा की मुह से ये सुनने से मुझे यकीन हो गया कि मा अब खुद भी चुदवाने के मूड मे आ गई है. मेरी खुशी का ठिकाना नही था, अब मेरी सेक्सी बहन और मेरी उतनीही सेक्सी मा मेरे साथ यौन सबन्ध रखने के लिए राजी हो गई थी. मैने मा की चूत मे उन्गली डालकर उसे और उत्तेजित करने लगा. मैने मा से कहा
"मा ये बदलाव कैसे आ गया............मै तो बहुत खुश हू.......सॉरी मुझे तुमपर जबरदस्ती करनी पडी लेकिन अब सिर्फ प्यारसे चोदून्गा तुम्हे......" और मैने मा की चुची चूसना आरम्भ किया. मा मेरे बालो मे हाथ फेरते हुए बोली मैने उसे बेडपर ढकेल दिया और उसपर लेटकर एक चुची को मुह मे लिया, मेरा दूसरा हाथ उसकी दूसरी चुची रगड था. अब मैने एक हाथ उसकी पॅन्टी के उपर रख कर मा की चूत को सहलाने लग.
मा की चूत गरम थी और गीली भी हुई थी, शायद दवा और अन्दर की उत्तेजना से ऐसा हुआ हो. मुह से वो इन्कार कर रही थी
" बस करो राज, मुझे छोड दो, तुम दोनो जो चाहे करो लेकिन मुझे छोड दो, मुझे बक्ष दो, ये सब क्या कर रहे हो............क्या मेरे साथ भी गलत काम करना चाहते हो? "
मै हस कर बोल" मा तेरी चूत तो यही कह रही है की तू चुदने के लिये बे-करार हो. जब मै ये काम मेरी बहन के साथ कर सकता हू तो आपके साथ क्यू नही, सच बताओ, आप को मर्द की जरूरत महसूस नही होती, देखो आपकी चूत कितना पानी छोड रही है" और मैने मेरी एक उन्गली मा की चूत मे घुसा दी. मा को जैसे शॉक लगा, ऐसे वो उछली. मैने नेहा को इशारा किया, उसने मा के हाथ पकड रखे और मैने मा की पॅन्टी उतार कर फेक दी. अब मा मेरे सामने बिलकुल बेबस नन्गी पडी थी. मा का नग्न शरीर देखकर मेरे बदन मे सुरसुरी पैदा हुई. मैने थोडी शरारत करनेकी सोची. मै किचनसे एक शहद की बोतल ले आया और ढेर सारा शहद मा के बदन पर लगाया. मा थोडी चिढकर बोली
"राज ये क्या पागलपन है, क्या कर रहे हो" मैने जवाब नही दिया और मा के नन्गे बदन को लगा शहद चाटने लगा.
मैने मा को पैर से लेकर सिर तक चाट लिया. यहा तक की मैने शहद की कुछ बून्दे मा की चूत मे डाल दी और चूत के अन्दर जीभ डालकर चाट लिया. मा की मासल जान्घो को किस करते हुए मुझ पर नशासा चढ रहा था. मा की चूत डबल रोटी की तरह फूली हुई थी. उसकी चूत अब गरम होती जा रही थी. चूत पर छोटे छोटे बाल थए. शायद कुछ दिन पहले ही शेव की थी चूत. मैने मा के जिस्म पर शहद का अच्छा लेप कर दिया, खूब सारा शहद उसकी चूत और चुची पर लगाय. मा बिना पानी के मछली की तरह तडप रही थी. नेहा ने मुझे चापट मारी और बोली," भैया ये तुम्हारी मा है और इसे सास भी बनाना चाहते हो. सच बताओ मेरे प्यारे भैया, जब चोदोगे तो इसको मा कहोगे या सास?"
नेहा की बात सुनकर मा तो इतनी शरमा गई की पूछो मत. मै बेशरमीसे बोला
रुको डार्लिन्ग ! पहले इस मीठी चीज को खूब चखून्गा, फिर बताऊन्गा ये मेरी मा है या सास. और फ़िर खूब चोदून्गा इसको!"
अब तो हम दोनो भाई बहन मा पर टूट पडे. मै उसकी चुची चाट और चूस रहा था और नेहा उसके पेट और नाभी मे लगा शहद चाट रही थी. मा "आह" "ओह्ह" की आवाज़े निकालती रही और मै और नेहा उसको चूम चूम कर चाटते रहे.
मा का जिस्म का स्वाद और शहद की मिठास दोनो बहुत नशीले लग रहे थे. फिर मैने मा की जान्घो को चूमा चाटा, और चूत पर जुबान फ़ेरी. मा का चिल्लाना अब कम हुआ था और वो भी अब शायद उत्तेजित हो चुकी थी. नेहा उस वक्त मा की चुची चुस रही थी
"ओ....ओ...अम्म्म्म्म्म्म...........मेरी मा..........मुझे क्या हो रहा है....मेरे बच्चो अब बस करो.........मै और नही सह सकती, ..मुझे......मुझे....अब मुझे......... शान्त करो.. मेरा जिस्म जल रह है....उफ़्फ़्फ़........ये मुझे क्या हो रहा है........हे भग्वान........राज बेटा.............अब और मत तडपा...........आ जाओ मेरे अन्दर" मा की मुह से ये सुनने से मुझे यकीन हो गया कि मा अब खुद भी चुदवाने के मूड मे आ गई है. मेरी खुशी का ठिकाना नही था, अब मेरी सेक्सी बहन और मेरी उतनीही सेक्सी मा मेरे साथ यौन सबन्ध रखने के लिए राजी हो गई थी. मैने मा की चूत मे उन्गली डालकर उसे और उत्तेजित करने लगा. मैने मा से कहा
"मा ये बदलाव कैसे आ गया............मै तो बहुत खुश हू.......सॉरी मुझे तुमपर जबरदस्ती करनी पडी लेकिन अब सिर्फ प्यारसे चोदून्गा तुम्हे......" और मैने मा की चुची चूसना आरम्भ किया.
मा मेरे बालो मे हाथ फेरते हुए बोली
"राज तू ही अपनी बहन को सुख दे सकता है...मुझे किसी और पर एतबार नही रहा...इसलिए मै चुप रही...........लेकिन अब तुमने मेरे बदन मे आग लगा दी है...........अब जल्दी से कुछ कर मेरे राजा............मेरे लाल.........."
मै मा की सहमतिसे खुश हुआ. उसे और छेडने के लिए बोला" बोलो मा, क्या करू मै.........तुम जो कहोगी वही करून्गा" और मैने मेरी उन्गली घचाघच उसके चूत मे पेलनी शुरु कर दी. मा ने मुझे कसके बाहोमे जकड लिया और बोली
"चल नालायक..........अपनी मा के मुह से गन्दी बात कहलवाना चाहता है............स्स्स्स्स्स्स्स्स..........मुझे चोद अभी.........मुझे चोद कर ज़र अपनी मर्दानगी का सबूत दे दे मेरे लाल....तभी तो मेरी बेटी सौप दून्गी तुझे........चोद ले अपनी मा को भी...ऊऊ...आआह्ह्ह...मेर बदन जल रह है,..ऊऊओ..!!"
मा कामुकता मे ना जाने क्या क्या बक रही थी. कामुकता वाली दवाई का असर भी उस पर पूरी तरह से हो चुका था. मा ने हाथ बढाकर मेरे लन्ड को पकड कर अपनी चूत पर रगडने लगी. मैने उसे पलन्ग पर घोडी बना कर पीछे से लन्ड घुसाने की कोशिश की.
मा के चूतड इतने मादक थे की एक बार तो मा की गान्ड मे लन्ड पेलने को मन ललचा गया. मन को सम्झा कर अपनी मा की चूत मे मैने लन्ड पेल दिया. नेहा नीचे झुककर मा की चुची चुस रही थी और मेरे लन्ड को अन्दर डालने मे मदद कर रही थी. फच की आवाज़ से मेरा लन्ड अपनी मा की चूत मे प्रवेश कर गया. मा के मुख से कामुक सिसकारी निकल गयी. मै मा की कमर को थाम कर लन्ड पेलना शुरु कर दिया. इतनी उमर मे भी मेरी मा की चूत बहुत टाईट थी ! ओह्ह्ह्ह राज...चोद डाल मुझे..........मै तो लन्ड क स्वाद ही भूल गयी थी...तेरे पापा के बाद तेरा लन्ड ले रही है मेरी चूत.........उउउफ़्फ़्फ़्फ़ चोद बेटा...हम दोनो मा-बेटी तेरे लिया ही है आज से.......चोद बेटा........चोद अपनी मा को!!"
मै मज़े से मा को चोदने लग. नेहा उठ कर मेरे सामने आ गयी और मेरे होठो को चूमने लगी. मेरा लन्ड पुरा मा की चूत मे घुस चुका था. नेहा मस्ती मे बोली," भैया अब तो हम दोनो को चोद लिया है तुमने...हम दोनो तुम्हारी अमानत है आजसे..........चोद इसे......चोदो अपनी मा को........मिटा दे उसकी प्यास.....चोद लो भैया!"
मै अब तूफ़ानी गति से मा को चोदने लग. मा भी अपनी गान्ड पीछे ढकेलने लगी. वो एक कुतिआ की तरह हान्फ़ रही थी. नेहा ने एक उन्गली मा की गान्ड मे घुसा डाली. मा चिहुक उठी," ओह्ह्ह........ये मत करो....मेरी गान्ड मत छेडो....मा की चूत से मन नही भरा क्या तुम्हारा जो गान्ड भी मारने लगे हो बेटा....तेरी मा की चूत पानी छोड रही है बेटा..जोर से चोद!!"
मै इन बातोसे बहुत उत्तेजित हुआ था और मेरा लन्ड भी पानी छोडने की स्थिती मे था. मा का बदन अकडा तो मेरा लन्ड भी पानी छोडने लगा. मेरा रस भी मा की चूत मे गिरने लगा. नेहा ने मा की चूत को उन्गलियो से छेडना जारी रखा.......और फिर मा की चीख निकल गयी," ओ.......मर गयी...झड गयी मै.........राज बेटा तेरी मा चुद गयी...........ईई!"
और हम तीनो बिस्तर पर लस्त हो कर गिर पडे. मेरा लन्ड सिकुडकर मा की चूत से बाहर आ गया. मैने प्यारसे मा और नेहा को खूब चूमा और उनके चुचियोपर प्यारसे हाथ फेरने लगा. मा की आन्ख बहुत देरसे खुली.
"मा कैसा लगा भैया का लन्ड?" नेहा ने पूछा. मा ने मुझे किस करते हुए कहा," अब तो मुझे भी इससे प्यार हो गया है मेरे बेटे......इतना सुख मुझे सालोके बाद नसीब हुआ. कल ही मै तुम दोनो की शादी करवा दून्गी...लेकिन मेरी एक शर्त है"
"कैसी शर्त" नेहा और मैने एक साथ पूछा.
"यही की ये पति अकेले तुम्हारा नही, हम दोनो का होगा"
मै और नेहा यह बात सुनकर बहुत खुश हुए और फिर मा को चूमने लगे.
अगले दिन मा ने मन्दिर मे जा कर हमारी शादी करवा दी. मैने मा के चरन स्पर्श किये तो वो मुस्कुरा कर बोली,
"राज बेटा, तुम पहले पैर स्पर्श करोगे और फ़िर इनको उठा कर अपने कन्धो पर रख लोगे, मै जानती हू..........."
मैने हसकर जवाब दिया" कल रात जो घोडी बन के मजे ले रही थी वो भूल गई क्या.."
मा बोली" उस सवारी ने तो मुझे थका दिया है...आज बस अपनी पत्नि नेहा से ही सुहागरात मना लेना!"
नेहा बोली" ऐसे कैसे हो सकता है, कल ही तो आपने बोला कि ये पति दोनो का होगा तो सुहागरात मे आपको भी साथ लेन्गे."
मै मुस्कुरा पडा और अपनी मा और बिवि बनी बहन को लेकर घर आ गया
अब मैं मेरी बहन कम बीवी और मां खुशी खुशी साथ ही रहने लगे !!!
नेहा की आखे फटी की फटी रह गई. लेकिन उसके अन्दर भी मेरी जितनी ही वासना जगी हुई थी इसलिए वो ये काम करने के लिए राजी हो गई.
कुछ देर बाद मा नहा के बाहर आई. नेहा ने प्लान के मुताबिक उसे चाय-नाश्ता दिया जिसमे वो दवा मिलाई थी. फिर मा और नेहा अन्दर के कमरे मे गए और बाते करने लगे. मै दरवाजे पे खडा होकर कान लगाए उनकी बाते सुन रहा था. मा पूछ रही थी
"नेहा, क्या तुमने वो लडका देखा है जिसका जिक्र राज कर रहा था? कैसा है वो, तुझे पसन्द है क्या, क्या उसे तुम पसन्द हो?" मा ने अब दवा ली थी तो उसका असर कुछ समय मे शुरु होनेवाला ही था, तो नेहा ने भी बेझिझक बता दिया.
"मा असल मे मै राज भैया से ही बहुत प्यार करती हू, तो हम दोनो ने सोचा की क्यू हम दोनो एक दूसरे से शादी कर ले" नेहा की बात सुनकर मा को जैसे झटका लगा
"नेहा.......ये तू क्या बोल रही है, पागल तो नही हुई है. रुको मै अभी राज को बुलाती हू, राज...........राज..." मा ने मुझे बुलाते ही मै कमरे मे दाखिल हो गया. उनकी बाते तो मैने पहले ही सुन ली थी, सो मैने अन्दर जातेही नेहा को अपनी बाहो मे भर लिया औए उसको किस करने लगा, साथ ही उसकी चुचिया मसलने लगा. मा तो बेहोश होते होते बची.
"राज, ये क्या हो रह है? अपनी बहन के साथ ये करते हुए शरम नही आयी? अपनी बहन के साथ ये सब........नेहा तुम भी?.....हे भगवान!!" मा नफ़रत से बोली. मेरा हाथ नेहा के पजामी के अन्दर उसकी चूत पर था और वो मेरा लन्ड सहला रही थी. मा ने नहा कर एक गाऊन पहना था उसका बदन नहाने के पानी से भीगा हुआ था और वो गाऊन उसे चिपक कर बैठा था, जिसकी वजह से मा का सुगठित शरीर साफ झलक रहा था. मेरा लन्ड मा के भीगे जिस्म को देख कर लोहा हो चुका था. मैने आगे बढ कर मा को बाहो मे ले लिया और कहा" नेहा और मेरी शादी तो होने वाली है. आपको मै अपने दमाद के रूप मे क्यू पसन्द नही ? दिखने मे ठीक हू, कमाता हू, कोई बुरी आदत नही, आपको और नेहा को बहुत प्यार करता हू और नेहा भी मुझे बहुत प्यार करती है. सच, मा मै अपनी बहन को पत्नि बना कर बहुत खुश रखून्गा और आपको भी........" ये कहते हुए मेरे हाथ अब मा की चुची तक पहुन्च गये थे. उसका पेट का चिकना जिस्म मेरे हाथ लगा तो मै मा को भीच लिया और उसकी गर्दन पर किस करने लग.
मा कुछ समझ नही पाई. उसपर दवाई का असर होने लगा था और उसे मर्दाना स्पर्श ने उतेजित कर दिया था, शुरु मे तो वो ना नुकुर कर रही थी.
"उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़...ना.....बेटा..ये क्या.....ना बेत...ये नही हो सकता...हम एक परिवार है...मै तेरी मा और नेहा तेरी बहन...नही बेटा ये पाप है!!" लेकिन मै नही रुका और मा के सुडौल जिस्म को स्पर्श करता रहा. मैने मा को नितम्ब के नीचे से पकड कर कसके दबाया और चूमने लगा. मा के मासल चूतड मुझे बहुत मस्त लगे और मै उनको रगडने लग. मा अब भी तैय्यार नही थी"छोड मुझे राज, शरम नही आती तुझे अपनी मा के साथ ये सब करते हुए? और नेहा, तुम भी कैसे बहक गई" नेहा धीरे से बोली" मा सब कुछ पता ही नही चला कैसे हो गय! भैया मुझे वाकई बहुत प्यार करते है ये बात सच है.
नेहा ने मा के समीप जा कर उसके बदन से गाऊन हटा दिया और वो मा को किस करने लगी. मेरी इन दो प्यारी औरतोको समलिन्गी सम्बन्ध बनाते देख मेरा लन्ड बुरी तरह से सख्त हो गया. मा पर अब दवाई शायद असर करने लगी थी, उसने नेहा को बहुत ज्यादा नही रोका. कुछ ही समय मे मा के बदन क उपर वाला हिस्सा नन्गा हो गया, मा के शरीर पर काले रन्ग की ब्रा थी. मै चुप चाप खडा था, अब मैने मेरा पजामा उतार दिया और मा क्को हिरसे बाहो मे भर लिया. मेरा कडा लन्ड मा के नाभी के आसपास चुभ रहा था. मैने मा को उनके गालो पे चूमना शुरु किया और मेरे हाथ उनकी ब्रा निकालने की कोशिश कर रहे थे. मा की नजर मेरे खडे लन्ड पे गई और वो शरमा गई. नेहाने मा को पीछेसे पकड लिया था और वो उन्हे गालो पे किस कर रही थी. मैने मा के ब्रा मे कसी चुचियोके उपर के हिस्से को चूमना शुरु किया जिससे मा के मुह से एक मादक सिसकरी निकल गई. मुझे यकीन हो गया कि दवा काम कर रही है और मा भी अभी मस्ती के मूड मे आ रही है. मैने उसके कमर मे हाथ डालकर उसकी चुचियोको चूमना जारी रखा, उसके चुचियोपे हलकेसे दात गडाए और उन चुचियोके बीच वाली क्लीव्हेज को चाटने लगा. अब मा का विरोध कम होता दिखाई दे रहा था. पहले ’ना ना” की रट लगाती मा अब सिर्फ ’स्स्स्स्स.......हाय........उम्म्म्म.’ जैसी आवाजे निकाल रही थी. तभी शरारती नेहा ने पीछेसे मा के ब्रा का हूक निकाल दिया जिससे उनकी ब्रा शरीर से अलग हो गयी और मेरा काम और भी आसान हो गया. मा की चुचिया बडी बडी थी, निपल के आसपास भूरे रन्ग का हिस्सा और उसपर खडे निपल......मा गोरी थी तो उसके चुचीपर नीले कलर की नसे साफ दिख रही थी. नेहा की चुची थोडी छोटी लेकिन सख्त थी, मा की चुची थोडी ढीली थी लेकिन बहुत खूबसूरत दिख रही थी, अपनी सगी मा की नन्गी चुची मेरे सामने थी इस बात से ही मै उत्तेजित हो गया और हाथ उपर करके मा की चुची कसके पकड ली और अपनी मुठ्ठीमे उन्हे भर दबोचा. मा के मुह से
’स्स्स्स्स्स्स्स.........आआआआह्ह्ह्ह्ह.......’ जैसी आवाजे निकलने लगी जो मेरी वासना और भडकाने लगी. मुझे अब जल्दही मा को चोदना था,
मैने उसे बेडपर ढकेल दिया और उसपर लेटकर एक चुची को मुह मे लिया, मेरा दूसरा हाथ उसकी दूसरी चुची रगड था. अब मैने एक हाथ उसकी काली पॅन्टी के उपर रख कर मा की चूत को सहलाने लग. मा की चूत गरम थी और गीली भी हुई थी, शायद दवा और अन्दर की उत्तेजना से ऐसा हुआ हो. मुह से वो इन्कार कर रही थी " बस करो राज, मुझे छोड दो, तुम दोनो जो चाहे करो लेकिन मुझे छोड दो, मुझे बक्ष दो, ये सब क्या कर रहे हो............क्या मेरे साथ भी गलत काम करना चाहते हो? "
मै हस कर बोल" मा तेरी चूत तो यही कह रही है की तू चुदने के लिये बे-करार हो. जब मै ये काम मेरी बहन के साथ कर सकता हू तो आपके साथ क्यू नही, सच बताओ, आप को मर्द की जरूरत महसूस नही होती, देखो आपकी चूत कितना पानी छोड रही है" और मैने मेरी एक उन्गली मा की चूत मे घुसा दी.
मा को जैसे शॉक लगा, ऐसे वो उछली. मैने नेहा को इशारा किया, उसने मा के हाथ पकड रखे और मैने मा की पॅन्टी उतार कर फेक दी. अब मा मेरे सामने बिलकुल बेबस नन्गी पडी थी. मा का नग्न शरीर देखकर मेरे बदन मे सुरसुरी पैदा हुई. मैने थोडी शरारत करनेकी सोची. मै किचनसे एक शहद की बोतल ले आया और ढेर सारा शहद मा के बदन पर लगाया. मा थोडी चिढकर बोली
"राज ये क्या पागलपन है, क्या कर रहे हो" मैने जवाब नही दिया और मा के नन्गे बदन को लगा शहद चाटने लगा. मैने मा को पैर से लेकर सिर तक चाट लिया. यहा तक की मैने शहद की कुछ बून्दे मा की चूत मे डाल दी और चूत के अन्दर जीभ डालकर चाट लिया. मा की मासल जान्घो को किस करते हुए मुझ पर नशासा चढ रहा था. मा की चूत डबल रोटी की तरह फूली हुई थी. उसकी चूत अब गरम होती जा रही थी. चूत पर छोटे छोटे बाल थए. शायद कुछ दिन पहले ही शेव की थी चूत. मैने मा के जिस्म पर शहद का अच्छा लेप कर दिया, खूब सारा शहद उसकी चूत और चुची पर लगाय. मा बिना पानी के मछली की तरह तडप रही थी. नेहा ने मुझे चापट मारी और बोली," भैया ये तुम्हारी मा है और इसे सास भी बनाना चाहते हो. सच बताओ मेरे प्यारे भैया, जब चोदोगे तो इसको मा कहोगे या सास?"
नेहा की बात सुनकर मा तो इतनी शरमा गई की पूछो मत. मै बेशरमीसे बोला
रुको डार्लिन्ग ! पहले इस मीठी चीज को खूब चखून्गा, फिर बताऊन्गा ये मेरी मा है या सास. और फ़िर खूब चोदून्गा इसको!"
अब तो हम दोनो भाई बहन मा पर टूट पडे. मै उसकी चुची चाट और चूस रहा था और नेहा उसके पेट और नाभी मे लगा शहद चाट रही थी. मा "आह" "ओह्ह" की आवाज़े निकालती रही और मै और नेहा उसको चूम चूम कर चाटते रहे.
मा का जिस्म का स्वाद और शहद की मिठास दोनो बहुत नशीले लग रहे थे. फिर मैने मा की जान्घो को चूमा चाटा, और चूत पर जुबान फ़ेरी. मा का चिल्लाना अब कम हुआ था और वो भी अब शायद उत्तेजित हो चुकी थी. नेहा उस वक्त मा की चुची चुस रही थी
"ओ....ओ...अम्म्म्म्म्म्म...........मेरी मा..........मुझे क्या हो रहा है....मेरे बच्चो अब बस करो.........मै और नही सह सकती, ..मुझे......मुझे....अब मुझे......... शान्त करो.. मेरा जिस्म जल रह है....उफ़्फ़्फ़........ये मुझे क्या हो रहा है........हे भग्वान........राज बेटा.............अब और मत तडपा...........आ जाओ मेरे अन्दर" मा की मुह से ये सुनने से मुझे यकीन हो गया कि मा अब खुद भी चुदवाने के मूड मे आ गई है. मेरी खुशी का ठिकाना नही था, अब मेरी सेक्सी बहन और मेरी उतनीही सेक्सी मा मेरे साथ यौन सबन्ध रखने के लिए राजी हो गई थी. मैने मा की चूत मे उन्गली डालकर उसे और उत्तेजित करने लगा. मैने मा से कहा
"मा ये बदलाव कैसे आ गया............मै तो बहुत खुश हू.......सॉरी मुझे तुमपर जबरदस्ती करनी पडी लेकिन अब सिर्फ प्यारसे चोदून्गा तुम्हे......" और मैने मा की चुची चूसना आरम्भ किया. मा मेरे बालो मे हाथ फेरते हुए बोली मैने उसे बेडपर ढकेल दिया और उसपर लेटकर एक चुची को मुह मे लिया, मेरा दूसरा हाथ उसकी दूसरी चुची रगड था. अब मैने एक हाथ उसकी पॅन्टी के उपर रख कर मा की चूत को सहलाने लग.
मा की चूत गरम थी और गीली भी हुई थी, शायद दवा और अन्दर की उत्तेजना से ऐसा हुआ हो. मुह से वो इन्कार कर रही थी " बस करो राज, मुझे छोड दो, तुम दोनो जो चाहे करो लेकिन मुझे छोड दो, मुझे बक्ष दो, ये सब क्या कर रहे हो............क्या मेरे साथ भी गलत काम करना चाहते हो? "
मै हस कर बोल" मा तेरी चूत तो यही कह रही है की तू चुदने के लिये बे-करार हो. जब मै ये काम मेरी बहन के साथ कर सकता हू तो आपके साथ क्यू नही, सच बताओ, आप को मर्द की जरूरत महसूस नही होती, देखो आपकी चूत कितना पानी छोड रही है" और मैने मेरी एक उन्गली मा की चूत मे घुसा दी. मा को जैसे शॉक लगा, ऐसे वो उछली. मैने नेहा को इशारा किया, उसने मा के हाथ पकड रखे और मैने मा की पॅन्टी उतार कर फेक दी. अब मा मेरे सामने बिलकुल बेबस नन्गी पडी थी. मा का नग्न शरीर देखकर मेरे बदन मे सुरसुरी पैदा हुई. मैने थोडी शरारत करनेकी सोची. मै किचनसे एक शहद की बोतल ले आया और ढेर सारा शहद मा के बदन पर लगाया. मा थोडी चिढकर बोली
"राज ये क्या पागलपन है, क्या कर रहे हो" मैने जवाब नही दिया और मा के नन्गे बदन को लगा शहद चाटने लगा. मैने मा को पैर से लेकर सिर तक चाट लिया. यहा तक की मैने शहद की कुछ बून्दे मा की चूत मे डाल दी और चूत के अन्दर जीभ डालकर चाट लिया. मा की मासल जान्घो को किस करते हुए मुझ पर नशासा चढ रहा था. मा की चूत डबल रोटी की तरह फूली हुई थी. उसकी चूत अब गरम होती जा रही थी. चूत पर छोटे छोटे बाल थए. शायद कुछ दिन पहले ही शेव की थी चूत. मैने मा के जिस्म पर शहद का अच्छा लेप कर दिया, खूब सारा शहद उसकी चूत और चुची पर लगाय. मा बिना पानी के मछली की तरह तडप रही थी. नेहा ने मुझे चापट मारी और बोली," भैया ये तुम्हारी मा है और इसे सास भी बनाना चाहते हो. सच बताओ मेरे प्यारे भैया, जब चोदोगे तो इसको मा कहोगे या सास?"
नेहा की बात सुनकर मा तो इतनी शरमा गई की पूछो मत. मै बेशरमीसे बोला
रुको डार्लिन्ग ! पहले इस मीठी चीज को खूब चखून्गा, फिर बताऊन्गा ये मेरी मा है या सास. और फ़िर खूब चोदून्गा इसको!"
अब तो हम दोनो भाई बहन मा पर टूट पडे. मै उसकी चुची चाट और चूस रहा था और नेहा उसके पेट और नाभी मे लगा शहद चाट रही थी. मा "आह" "ओह्ह" की आवाज़े निकालती रही और मै और नेहा उसको चूम चूम कर चाटते रहे.
मा का जिस्म का स्वाद और शहद की मिठास दोनो बहुत नशीले लग रहे थे. फिर मैने मा की जान्घो को चूमा चाटा, और चूत पर जुबान फ़ेरी. मा का चिल्लाना अब कम हुआ था और वो भी अब शायद उत्तेजित हो चुकी थी. नेहा उस वक्त मा की चुची चुस रही थी
"ओ....ओ...अम्म्म्म्म्म्म...........मेरी मा..........मुझे क्या हो रहा है....मेरे बच्चो अब बस करो.........मै और नही सह सकती, ..मुझे......मुझे....अब मुझे......... शान्त करो.. मेरा जिस्म जल रह है....उफ़्फ़्फ़........ये मुझे क्या हो रहा है........हे भग्वान........राज बेटा.............अब और मत तडपा...........आ जाओ मेरे अन्दर" मा की मुह से ये सुनने से मुझे यकीन हो गया कि मा अब खुद भी चुदवाने के मूड मे आ गई है. मेरी खुशी का ठिकाना नही था, अब मेरी सेक्सी बहन और मेरी उतनीही सेक्सी मा मेरे साथ यौन सबन्ध रखने के लिए राजी हो गई थी. मैने मा की चूत मे उन्गली डालकर उसे और उत्तेजित करने लगा. मैने मा से कहा
"मा ये बदलाव कैसे आ गया............मै तो बहुत खुश हू.......सॉरी मुझे तुमपर जबरदस्ती करनी पडी लेकिन अब सिर्फ प्यारसे चोदून्गा तुम्हे......" और मैने मा की चुची चूसना आरम्भ किया.
मा मेरे बालो मे हाथ फेरते हुए बोली
"राज तू ही अपनी बहन को सुख दे सकता है...मुझे किसी और पर एतबार नही रहा...इसलिए मै चुप रही...........लेकिन अब तुमने मेरे बदन मे आग लगा दी है...........अब जल्दी से कुछ कर मेरे राजा............मेरे लाल.........."
मै मा की सहमतिसे खुश हुआ. उसे और छेडने के लिए बोला" बोलो मा, क्या करू मै.........तुम जो कहोगी वही करून्गा" और मैने मेरी उन्गली घचाघच उसके चूत मे पेलनी शुरु कर दी. मा ने मुझे कसके बाहोमे जकड लिया और बोली
"चल नालायक..........अपनी मा के मुह से गन्दी बात कहलवाना चाहता है............स्स्स्स्स्स्स्स्स..........मुझे चोद अभी.........मुझे चोद कर ज़र अपनी मर्दानगी का सबूत दे दे मेरे लाल....तभी तो मेरी बेटी सौप दून्गी तुझे........चोद ले अपनी मा को भी...ऊऊ...आआह्ह्ह...मेर बदन जल रह है,..ऊऊओ..!!"
मा कामुकता मे ना जाने क्या क्या बक रही थी. कामुकता वाली दवाई का असर भी उस पर पूरी तरह से हो चुका था. मा ने हाथ बढाकर मेरे लन्ड को पकड कर अपनी चूत पर रगडने लगी. मैने उसे पलन्ग पर घोडी बना कर पीछे से लन्ड घुसाने की कोशिश की.
मा के चूतड इतने मादक थे की एक बार तो मा की गान्ड मे लन्ड पेलने को मन ललचा गया. मन को सम्झा कर अपनी मा की चूत मे मैने लन्ड पेल दिया. नेहा नीचे झुककर मा की चुची चुस रही थी और मेरे लन्ड को अन्दर डालने मे मदद कर रही थी. फच की आवाज़ से मेरा लन्ड अपनी मा की चूत मे प्रवेश कर गया. मा के मुख से कामुक सिसकारी निकल गयी. मै मा की कमर को थाम कर लन्ड पेलना शुरु कर दिया. इतनी उमर मे भी मेरी मा की चूत बहुत टाईट थी ! ओह्ह्ह्ह राज...चोद डाल मुझे..........मै तो लन्ड क स्वाद ही भूल गयी थी...तेरे पापा के बाद तेरा लन्ड ले रही है मेरी चूत.........उउउफ़्फ़्फ़्फ़ चोद बेटा...हम दोनो मा-बेटी तेरे लिया ही है आज से.......चोद बेटा........चोद अपनी मा को!!"
मै मज़े से मा को चोदने लग. नेहा उठ कर मेरे सामने आ गयी और मेरे होठो को चूमने लगी. मेरा लन्ड पुरा मा की चूत मे घुस चुका था. नेहा मस्ती मे बोली," भैया अब तो हम दोनो को चोद लिया है तुमने...हम दोनो तुम्हारी अमानत है आजसे..........चोद इसे......चोदो अपनी मा को........मिटा दे उसकी प्यास.....चोद लो भैया!"
मै अब तूफ़ानी गति से मा को चोदने लग. मा भी अपनी गान्ड पीछे ढकेलने लगी. वो एक कुतिआ की तरह हान्फ़ रही थी. नेहा ने एक उन्गली मा की गान्ड मे घुसा डाली. मा चिहुक उठी," ओह्ह्ह........ये मत करो....मेरी गान्ड मत छेडो....मा की चूत से मन नही भरा क्या तुम्हारा जो गान्ड भी मारने लगे हो बेटा....तेरी मा की चूत पानी छोड रही है बेटा..जोर से चोद!!"
मै इन बातोसे बहुत उत्तेजित हुआ था और मेरा लन्ड भी पानी छोडने की स्थिती मे था. मा का बदन अकडा तो मेरा लन्ड भी पानी छोडने लगा. मेरा रस भी मा की चूत मे गिरने लगा. नेहा ने मा की चूत को उन्गलियो से छेडना जारी रखा.......और फिर मा की चीख निकल गयी," ओ.......मर गयी...झड गयी मै.........राज बेटा तेरी मा चुद गयी...........ईई!"
और हम तीनो बिस्तर पर लस्त हो कर गिर पडे. मेरा लन्ड सिकुडकर मा की चूत से बाहर आ गया. मैने प्यारसे मा और नेहा को खूब चूमा और उनके चुचियोपर प्यारसे हाथ फेरने लगा. मा की आन्ख बहुत देरसे खुली. "मा कैसा लगा भैया का लन्ड?" नेहा ने पूछा. मा ने मुझे किस करते हुए कहा," अब तो मुझे भी इससे प्यार हो गया है मेरे बेटे......इतना सुख मुझे सालोके बाद नसीब हुआ. कल ही मै तुम दोनो की शादी करवा दून्गी...लेकिन मेरी एक शर्त है"
"कैसी शर्त" नेहा और मैने एक साथ पूछा.
"यही की ये पति अकेले तुम्हारा नही, हम दोनो का होगा"
मै और नेहा यह बात सुनकर बहुत खुश हुए और फिर मा को चूमने लगे.
अगले दिन मा ने मन्दिर मे जा कर हमारी शादी करवा दी. मैने मा के चरन स्पर्श किये तो वो मुस्कुरा कर बोली, "राज बेटा, तुम पहले पैर स्पर्श करोगे और फ़िर इनको उठा कर अपने कन्धो पर रख लोगे, मै जानती हू..........." मैने हसकर जवाब दिया" कल रात जो घोडी बन के मजे ले रही थी वो भूल गई क्या.." मा बोली" उस सवारी ने तो मुझे थका दिया है...आज बस अपनी पत्नि नेहा से ही सुहागरात मना लेना!" नेहा बोली" ऐसे कैसे हो सकता है, कल ही तो आपने बोला कि ये पति दोनो का होगा तो सुहागरात मे आपको भी साथ लेन्गे." मै मुस्कुरा पडा और अपनी मा और बिवि बनी बहन को लेकर घर आ गया अब मैं मेरी बहन कम बीवी और मां खुशी खुशी साथ ही रहने लगे !!!