Ajju Landwalia
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आरती को पक्के तौर पर लगने लगा था कि रेस्टोरेंट में हुआ चीज से टकराई थी वह शेठ मनोहर लाल का लड़का राकेश ही था जो उसकी तलाश में इधर-उधर भटक रहा था इस बात का अहसास होते ही आरती मन ही मन खुश हो रही थी,,, और अपने मन में सोच रही थी कि उसकी मम्मी पापा बेवजह परेशान हो रहे हैं उन लोगों को ऐसा लग रहा है कि राकेश किसी और लड़की की तलाश में है और उसकी लड़की से शादी नहीं करेगा जबकि हकीकत तो यह था कि राकेश उनकी लड़की की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पिताजी ने तो उसकी फोटो राकेश के पिताजी कब से दे दिया है लेकिन अभी तक कोई जवाब क्यों नहीं आया यही सोच कर आरती हैरान हुए जा रही थी,,, लेकिन अपने मन की बात को वह अपने मम्मी पापा से बता नहीं पा रही थी,,,।
दूसरी तरफ रमा देवी अपने सीने पर पत्थर रखती थी अपनी उम्मीद को अपने सीने में दबा दी थी उसे अब तक इस बात की उम्मीद थी कि उसकी बेटी आरती सेठ मनोहर लाल के घर की बहू बनेगी और जिंदगी भर सुखी से रहेगी लेकिन राकेश की जीद के आगे वह भी समझ गई थी कि अब बात बनने वाली नहीं है,,, इसलिए वह भी अब अपनी बेटी आरती के लिए दूसरे रिश्ते की तलाश में लग गई थी,,, और इस बात को आगे बढ़ाने के लिए उसने अपने दूर के रिश्ते के भाई को बुलाई थी क्योंकि वह समाज में शादी विवाह का रिश्ता करवाता ही था,,,।
Rooplaal ki bibi
सुबह चाय के समय पर ही वह आ गया था,,,, रमादेवी रूपलाल और उनका दुर का साला तीनों बैठकर चाय पी रहे थे रुपलाल को नहीं मालूम था कि उनका डर का साला यू एकाएक क्यों आ पहुंचा था,,, इसलिए औपचारिक रूप से बात करते हुए रूपलाल बोले,,,।
और साले साहब बताइए कैसे आना हुआ,,,?
जीजा जी आप मुझे क्या मालूम दीदी नहीं बुलाई है बोली की जरूरी काम है इसलिए मैं सुबह-सुबह चला आया,,, क्या आपको नहीं मालूम कि मुझे किस लिए बुलाया गया,,,,।
(उसकी बात सुनते ही रूपलाल अपनी बीवी की तरफ सवालिया नजरों से देखने लगे तो रमादेवी चाय की चुस्की लेते हुए बोली,,,)
आरती के रिश्ते के लिए,,,,
(इतना सुनते ही रूपलाल मुस्कुराने लगा और उनके दर का साला चाय का कप टेबल पर रखते हुए बोला,,,)
ओहहह तो बात यह है अपनी बिटिया रानी के लिए लड़का ढूंढना है,,,।
हां,,,, तुम तो जानते हो आरती की अब शादी की उम्र हो गई है मैं सोचती हूं सही समय पर सही जगह पर उसका विवाह हो जाए तो गंगा नहा लिया समझ लो,,,।
वैसे दीदी अभी तक आप लोगों ने कोई कोशिश नहीं की,,,,।
(इतना सुनते ही रमादेवी अपने पति की तरफ देखते हुए बोली,,)
नहीं नहीं अभी तो यह बात हमने सिर्फ तुमसे ही कही है और हम जानते हैं कि तुम आरती के लिए अच्छा रिश्ता ढूंढ कर लाओगे,,, आखिरकार मामा जो ठहरे,,,,,,,,,।
(रूपलाल कुछ बोल पाते इससे पहले ही उनकी बीवी बोल पड़ी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसके पति उसके भाई को यह बता दे कि इससे पहले भी कहीं रिश्ते वह देख चुके हैं लेकिन बात नहीं बनी,,,, अपनी बीवी के सुर में सुर मिलाते हुए रूप लाल भी बोले,,,)
हां अभी कुछ दिन पहले ही हम लोग आरती की शादी के बारे में विचार विमर्श कर रहे थे तो रमा ने ही तुम्हारे बारे में बताई लेकिन मुझे मालूम नहीं था कि वह इतनी जल्दी बुला लेगी चलो अच्छा ही हुआ वैसे भी जवान बेटी घर पर है शादी विवाह होकर अपने घर चले जाएगी तो हमारी भी जिम्मेदारी पूरी हो जाएगी,,,,।
अरे क्यों नहीं जीजा जी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो आखिरकार मामा जो हूं अच्छा ही रिश्ता लाऊंगा यह तो घर की बात है,,,,,।
चलो तो तुम दोनों बातें करो मैं कारखाने जाता हूं,,,(इतना कहकर रूप लाल अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और उनके दर का साला उन्हें हाथ जोड़कर नमस्ते किया,,,, रूपलाल के जाते ही उनका डर का साला एकदम से मुस्कुराते हुए अपनी बहन की तरफ देखा और बोला,,,)
लगभग लगभग 5-6 साल तो गुजर ही गए हैं तुमसे मुलाकात में आज इतने सालों बाद देख रहा हूं लेकिन तुम्हारे चेहरे पर वही चमक वही रौनक है,,,, वैसे तुम्हारी खूबसूरती का राज क्या है,,,,।
Rooplaal ki bibi bistar par
चलो अब रहने दो बातें बनाने को कितने साल गुजर गए लेकिन एक बार भी ख्याल नहीं किया अपनी बहन का,,, कोई तीज त्यौहार हाल समाचार लेने के बहाने भी तो नहीं आया,,,।
क्या करूं दीदी समय ही नहीं मिलता,,,,।
तो आज कैसे समय मिल गया,,,!(आंखों को नचाते हुए रमा बोली,,,,,,,)
क्योंकि तुमने कुछ बुलाई हो इसलिए तो सारा काम छोड़कर मुझे आना पड़ा,,,,।
ऐसा क्यों मेरे बुलाने से क्यों दौड़ते हुए चले आए,,,।
तुम्हारी बात ही कुछ और है,,,,।
मेरी बात क्यों कुछ और है,,,!
भले ही दूर के सही लेकिन भाई बहन तो है ना,,,(मुस्कुराते हुए वह बोला,,,)
हम्मममम, भाई बहन,,,,(इतराते हुए रमा बोली,,,,)
तो क्या हो गया दीदी ,,,, वैसे आरती घर पर है,,,,।
नहीं हो तो कॉलेज चली गई है घर पर कोई नहीं है,,,,।
चलो यह भी ठीक है सफर से मैं थोड़ा थक गया हूं थोड़ा आराम करना चाहता हूं,,,,।
चलो मेरा कमरा खाली है,,,,(मुस्कुराते हुए रमा बोली,, अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई)
इतना सुनते ही वह भी मुस्कुराने लगा और अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया,,, आगे आगे रमा और पीछे-पीछे उसका दूर का भाई,,, और उसकी नजर रमा की बड़ी-बड़ी गांड पर ही टीकी हुई थी,, जिसे देखकर वह लंबी आंहै भर रहा था,,, देखते ही देखते दोनों कमरे पर पहुंच गए जिसका दरवाजा खुला हुआ था और दरवाजे पर पहुंचते ही उसका दूर का भाई अपनी बहन रमा की गांड पर हाथ रखते हुए बोला,,,।
तुम आराम नहीं करोगी लाजो,,,(उसकी गांड को सहलाते हुए बोला,,,,,)
मुझे तो लगा मेरा नाम भी भूल गया होगा,,,, पता है तुझे सिर्फ तू ही मुझे प्यार से लाजो बुलाता था,,,)
पता है मेरी प्यारी दीदी तभी तो बोल रहा हूं,,,,(ऐसा कहते हुए वहां उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके लाल लाल होठों पर चुंबन करने लगा,,,, रूपलाल की बीवी उसकी हरकत से पूरी तरह से मदहोश होने लगी और देखते-देखते उसके दोनों हाथ रुपलाल की बीवी की गांड पर घूमने लगी वह अपनी हथेलियां को गोल-गोल उसकी गांड पर घूमकर उसकी गोलाई का जायजा ले रहा था और उसे करके अपनी हथेली में दबाते हुए बोला,,,)
वाह मेरी लाजो,,, तेरी गांड तो अभी भी बहुत टाइट है,,, जीजा जी को तो मजा आ जाता होगा रात को रोज तेरी लेते होंगे,,,,।
Rooplaal ki bibi i ki nangi gaand
तेरे जीजा जी के बस की बात नहीं है मेरी जवानी को संभाल पाना उनसे कुछ नहीं होता है तभी तो तुझे एक बहाने से बुलाई थी,,, ताकि एक साथ मेरा दो काम हो जाए आरती के रिश्ते के लिए भी बात हो जाए और मेरी जवानी की आग भी बुझ जाए जो बहुत दिनों से सुलग रही है,,,।
तो फिर देर किस बात की है मेरी लाजो दीदी चलो बिस्तर पर अभी तुम्हारी प्यास बुझा देता हूं,,,,।
(इतना कहने के साथ ही उसका मुंह बोला भाई उसकी गांड पर हाथ रख कर से दबाव देते हुए कमरे के अंदर ले आए और अपने हाथ से ही दरवाजा बंद कर दिया,,, और उसे बिस्तर के करीब ले जाने लगा,,,, और पिछली बात को याद दिलाते हुए बोला,,,,)
याद है दीदी तुम्हारी शादी वाली रात को जब तुम दुल्हन बनके तैयार हो चुकी थी और बारात द्वार पर ही थी ,,तब मैं तुम्हारे कमरे में आया था और तुम मौका देखकर बिना कुछ बोल कैसे मेरे लिए अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी गांड को मेरे सामने कर दी थी और बोली थी,,,,।
ले चोद ले जी भर के अब न जाने कब मुलाकात होगी,,,,(उसकी बात को खुद रूपलाल की बीवी पूरा करते हुए बोली,,,, और फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) सच में उसे दिन से हम दोनों को कुछ ज्यादा मौका नहीं मिला है और सच कहूं तो जो सुख मुझे तुझसे मिलने था वह तेरे जीजा जी मुझे कभी नहीं दे पाए,,,,।
चिंता मत करो दीदी एक ही बार में सारी कसर निकाल दूंगा ,,(इतना कहने के साथ ही वह रूपलाल की बीवी के कंधे पर की साड़ी को पकड़ कर उसे एकदम से नीचे गिरा दिया और उसकी भारी भरकम छाती हो को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और वह एकदम से उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रखकर उसके होंठों का रसपान करने लगा,,,, रूपलाल की बीवी भी उसकी यही अदाकारी पर तो उसकी दीवानी हो गई थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि वह किस तरह का सुख उसे प्रदान करता है उसे कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ती थी सारा काम वह खुद ही करता था और इतना मजा देता था कि पूछो ना और यही मजबूरन वह उसे आज बुलाई थी आरती की बात आगे बढ़ाने के लिए भी और अपनी प्यास बुझाने के लिए भी,,,।
Moohbole bhai k sath
देखते ही देखे उसका मुंह बोला भाई उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल दे और कब उसकी बाहों से ब्लाउज उतार कर बिस्तर पर फेंक दिया या खुद रुपलाल की बीवी को भी पता नहीं चला,,,,, ब्रा का हुक खोलते हैं रुपया की बीवी की पपाया जैसी चूचियां एकदम से बाहर उछल पड़ी,,, जिसे उसका मुंह बोला भाई अपने हाथों में लेकर जोर-जोर से दबाते हुए उसे अपने मुंह में भर लिया,,,,, उसकी हरकत को देखकर रूपलाल की बीवी समझ गई थी कि आज उसकी प्यास बुझने वाली है,,,, और देखते ही देखते वह अपनी बहन को बिस्तर पर लेटा दिया कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी इस उम्र में भी उसकी जवानी बरकरार थी कसा हुआ बदन इस उम्र में भी किसी के भी लंड को खड़ा करने मैं पूरी तरह से सक्षम था,,,,।
Moohbole bhai k sath
ओहहहहह दीदी आज भी तुम पहले वाली लाजो लग रही हो तुम्हारी जवानी में बिल्कुल भी कमी नहीं आई है,,,,(और इतना कहने के साथ ही बाहर उसकी साड़ी को खोलने लगा और देखते देखते वह उसे पूरी तरह से नंगी कर चुका था उसके बदन पर केवल उसकी लाल रंग की पेटी रह गई थी जो कि उसकी खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा रही थी गोरी गोरी जांघों के बीच उसकी लाल रंग की पेंटि एकदम मदहोश कर रही थी,,,, बरसों बाद वह अपनी बहन लाजो की बुर देखने के लिए तड़प रहा था इसलिए वह उसकी पेंटिं उतारने में भी बिल्कुल भी समय नहीं लिया और अगले यह पर रूपलाल की बीवी बिस्तर पर पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी,,, अपनी मुंह बोली बहन की गुलाबी बुर देखकर वह पागल होने लगा और अगले ही पल उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर अपने प्यासे होठों को उसकी दहकती हुई बुर पर रखकर उसके रस को उसके लावा को चाटना शुरू कर दिया,,,,।
Moohbole bhai k sath
अपने भाई की हरकत पर वह मदहोश होने लगी अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ लाकर उसके सर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे जोर-जोर से अपनी दोनों टांगों के बीच रगड़ना शुरू कर दे वह पागल हो जा रहे थे और उसका मुंह बोला भाई उसे मदहोश कर रहा था उसे उत्तेजित कर रहा था,,,,, बरसों बाद उसकी बुर को कोई चाट रहा था अपनी जीभ से उसे मदहोश कर रहा था,,,, रूपलाल की बीवी भी पीछे रखने वाली नहीं थी वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाल रही थी,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और उसके मुंह बोले भाई की जीभ उसकी बुर में अंदर तक घुस रही थी,,, और फिर एकाएक रूप लाल की बीवी का वजन एकदम से अकड़ गया और उसकी बुर से मदन रस का फवारा फुट पड़ा,,,, वह झड़ चुकी थी ,,, वह गहरी गहरी सांस ले रही थी और उसकी सांसों की गति के साथ उसकी पपैया जैसी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही,,,।
Moohbola Bhai chudai karta hua
इसके बावजूद भी उसका मुंह बोला भाई बिल्कुल भी रोकने का नाम नहीं ले रहा है वह लगातार उसकी बुर को अपनी जीभ से चाटे जा रहा था उसकी मलाई को अपने गले के नीचे गटक रहा था,,, और यही उसकी कार्य क्षमता रूपलाल की बीवी को मदहोश किए जा रही थी,,,, रूपलाल की बीवी को उसकी कम कुशलता पर बिल्कुल भी शक नहीं था वह जानती थी कि वह अपना काम बड़े अच्छे से करता था,,,,, पूरी तरह से अपनी जीभ से उसकी मलाई चाट लेने के बाद गहरी सांस लेता हुआ उसका मुंह बोला भाई उसकी दोनों टांगों के बीच से अपनी-अपने मुंह को ऊपर उठाया और फिर अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया और देखते-देखते वह भी पूरी तरह से नंगा हो गया नंगा होने के साथ अभी उसका लंड एकदम से छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था जिसे देखकर रूपलाल की बीवी की बुर उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगी,,,।
Rooplaal ki bibi
रूपलाल की बीवी अब बिल्कुल भी देर नहीं कर सकती थी वह तुरंत उठकर बैठ गई और अपने मुंह भोले भाई के लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए उसे अपने होठों के बीच दबाकर उसे चूसना शुरू कर दी बरसों के बाद उसे यह सुख प्राप्त हुआ था पर यह सुख को वह अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी इसलिए जी भर कर जितना हो सकता था उतना गले तक लेकर उसे चूसने का आनंद ले रही थी उसका मुंह बोला भाई भी मदहोश होकर अपनी कमर को झटका लगा रहा था,,,। कुछ देर तक वह दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे लेकिन अब समय आ गया था अपनी कार्य क्षमता को दिखाने का जो विश्वास रूपलाल की बीवी ने उसके कंधों पर सौंप रखा था उसमें खराब करने का वह देखना चाहती थी कि बरसों बाद भी उसमें वही दम है या फिर वह भी समय के साथ ढीला पड़ गया है और इसीलिए वहां अपनी दोनों टांगों को खोलकर उसे अपनी तरफ आमंत्रित करने लगी,,,।
अपना मुंह बोली बहन के इस आमंत्रण को सहर्ष स्वीकार करते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना दिया और अपने मुसल को उसकी ओखली में डालकर अपनी कमर हिलाने लगा शुरुआत से ही उसका मुंह बोला भाई उसकी बुर में तेज झटका मार रहा था जो कि उसे आनंददायक लग रहा था हर एक झटका उसे स्वर्ग का सुख दे रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था और यह खेल शाम तक चलता रहा जब आरती के आने का समय हो गया तब वह,,, जाने के लिए तैयार हो गया और आरती के आने से पहले ही उसकी तस्वीर थेले में रखकर चला गया,,,।
Moohbola Bhai jam k chudai karta hua
दूसरी तरफ रात को मनोहर लाल और का बेटा राकेश दोनों साथ में बैठकर खाना खा रहे थे मनोहर लाल अपने बेटे से तंग आ गए थे इसलिए अब राकेश से कुछ कहते भी नहीं थे बस खाना खाकर सीधे अपने कमरे में चले गए और राकेश अपने कमरे में चला गया वह कुर्सी पर बैठकर कुछ सोच ही रहा था कि तभी हवा का तेज होगा खिड़की से अंदर आया और टेबल पर रखा हुआ वह फोटो जिस पर धूल जम गई थी वह एकदम से टेबल से उड़ कर नीचे जमीन पर गिर गया ठीक उसकी आंखों के सामने वैसे तो राकेश उस तस्वीर की तरफ नहीं देखता लेकिन फिर भी अनायाश ही उसकी नजर जमीन पर गिरी उस तस्वीर पर चली गई और राकेश उस तस्वीर को गौर से देखने लगा पहले तो उसे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन जैसे-जैसे तस्वीर का चेहरा स्पष्ट होने लगा वैसे-वैसे राकेश की आंखों की चमक बढ़ने लगी,,,।
Bahut hi shaandar update he rohnny4545 Bhai,
Ye dur ka bhai to rama devi ka purana aashik nikla..........
tabiyat se baja kar chala gaya...........
Keep rocking Bro