जलसा समारोह खत्म हो चुका था सेठ मनोहर लाल अपने बेटे के आने की खुशी में बहुत ही अच्छी पार्टी दिए थे जिसका जाते-जाते सब लोग गुणगान गा रहे थे किसी भी तरह से मेहमानों को कोई भी दिक्कत या परेशानी पेश नहीं आई थी सब लोग इस व्यवस्था से खुश थे,,, और मेहमानों की खुशी देखकर शेठ मनोहर लाल मन ही मन बहुत खुश हो रहे थे क्योंकि जलसा समारोह बहुत ही शांतिपूर्वक और व्यवस्थित रूप से संपन्न हो गया था,,,, शेठ मनोहर लाल के जो नौकर पास में ही रहते थे वह अपने-अपने घर जा चुके थे लेकिन जो दूर रहते थे वह आज की रात बंगले पर ही रुक गए थे और,,, जरूरी काम निपटा कर सो गए थे।
सेठ मनोहर लाल अपने कमरे में बेड पर बैठे हुए थे और टेबल पर रखे हुए अपनी बीवी के फोटो को देख कर उनसे बातें करते हुए बोल रहे थे,,,।
तुम अगर यहां होती तो कितना अच्छा होता तुम सब कुछ अपनी आंखों से देखी अपने बेटे को जवान होते हुए देखती,,,, देखो तुम्हारे बेटे की आने की खुशी में कितनी अच्छी पार्टी दिया था शहर के सारे रईस आए थे और इतनी अच्छी व्यवस्था किया था कि सभी लोग तारीफ कर रहे थे,,, क्या कुछ नहीं है सब कुछ तुम्हें मेरे पास सीवा तुम्हारे ,, मैं कभी सोचा भी नहीं था कितनी जल्दी हम दोनों को अलग होना पड़ेगा मैं तो शुरू से यही सोचता था कि अपने बेटे को जवान होता हुआ उसका विवाह होता हुआ साथ में देखेंगे उसके बच्चों को खिलाएंगे लेकिन सब कुछ तहस-नहस हो गया तुम भी समझदार में छोड़कर मुझे चली गई,,, मेरे विश्वास को तोड़ दी,,,,(अपनी बीवी के फोटो से बातें करते हुए शेठ मनोहर लाल की आंखों में आंसू आ गए,,, आए दिन उन्हें अपनी बीवी की याद आ जाती थी और अपने आप ही उनकी आंखों में आंसू आ जाते थे क्योंकि सेठ मनोहर लाल अपनी बीवी से बहुत प्यार करते थे उन्हें अभी भी यकीन नहीं होता था कि उनकी बीवी उन्हें छोड़कर चली गई है,,,,।)
दूसरी तरफ राकेश अपने कमरे में अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था उसे नींद नहीं आ रही थी पार्टी का ख्याल उसके मन में बिल्कुल भी नहीं था उसकी आंखों के सामने तो मादकता से भरा हुआ दृश्य नाच रहा था,,, जो कुछ घंटे पहले उसके ही कमरे में दर्शाया गया था,,,, उसके मन में उसके जेहन में वही दृश्य बस सा गया था,,,, उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे उसे औरत को लेकर इसके बारे में वह कुछ भी नहीं जानता था बस दो बार उससे मुलाकात हुई थी और दोनों बार जिस हालात में मुलाकात हुई थी उस बारे में सोचकर ही उसकी हालत खराब हो जाती थी यहां तक की उसका लंड खड़ा हो जाता था,,, वैसे तो उसकी आंखों के सामने बहुत सी औरतें और लड़कियां आती जाती थी लेकिन उनका चेहरा उसे ध्यान नहीं रहता था लेकिन उसे औरत का चेहरा वह भला कैसे भूल सकता हूं जिसके खूबसूरत अंगों का वो दो दो बार दर्शन कर चुका है,,,।
राकेश कभी सोचा नहीं था कि किसी औरत से इस तरह से मुलाकात होगी और दो-दो बार,,, पहली बार से भी अत्यधिक इस बार के दृश्य में मादकता भरी हुई थी पहली बार तो वह सिर्फ कपड़े बदलते हुए देखा था उसकी खूबसूरत गांड के दर्शन किया था लेकिन उस समय जिस तरह की घबराहट उसके मन में थी उसको लेकर वहां उसे औरत के नितंबों की अच्छी तरह से दर्शन नहीं कर पाया था बस इतना ही एहसास हुआ था कि वह औरत कपड़े बदल रही हैं और कुछ पहनी है,,, उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई है,,, लेकिन इस बार का दृश्य तो कुछ ज्यादा ही मनमोहक और उत्तेजनात्मक था,,, जो की पूरी तरह से राकेश के दिलों दिमाग पर हथौड़े बरसा रहा था,,,।
तभी तो उसकी आंखों से नींद कोसे दूर जा चुकी थी,,, पार्टी की तैयारी करते हुए सारी व्यवस्था देखते हुए यहां तक कि अगर किसी पार्टी में भी जाना हो तो वहां से आते समय इंसान थक जाता है और थककर सो जाता है लेकिन इन सब के बावजूद भी रात के 2:00 बज रहे थे लेकिन राकेश की आंखों में नींद नहीं थी ,,, उसकी आंखों के सामने उसे औरत की नंगी गांड नजर आ रही थी उसकी बुर से निकलने वाली पेशाब की धार की आवाज सीटी की तरह सुनाई दे रही थी,,, बार-बार राकेश की आंखों के सामने वही दृश्य नजर आ रहा था उसका दरवाजा खोलने और दरवाजे के खुलते ही बाथरूम में उसे औरत के बैठे हुए पेशाब करना साड़ी कमर तक उठी हुई उसकी नंगी गांड पूरी तरह से उजागर होती हुई,,,, उसे औरत की खीली हुई गांड राकेश के अरमानों को पंख लगा रहे थे राकेश पूरी तरह से उसे दृश्य की गहराई में डूबता चला जा रहा था,,,, जिंदगी में पहली बार राकेश किसी औरत के बारे में इतना सोच रहा था,,,।
राकेश को एकदम साफ दिखाई दे रहा था कि बाथरूम में जो औरत बैठकर पेशाब कर रही है उसकी गांड एकदम कसी हुई थी उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच जाने के बावजूद भी उसकी जवानी बिल्कुल भी कम नहीं हुई थी,,,, और औरत की कसी हुई गांड हमेशा उसे जवानी बक्सने का काम करती है,,, उसे औरत के बारे में सोच सोच कर राकेश की हालत खराब हो रही थी यहां तक की उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया था,,,, राकेश खुद इस मनोस्थिति से बाहर नहीं निकल पा रहा था,,,, जब कभी भी वह करवट लेकर सोने की तैयारी करता तो उसकी आंखों के सामने उस औरत की नंगी गांड नाचने लगती थी और उसकी नींद उड़ जाती थी,,,,,,।
लाख कोशिशें के बावजूद भी जब उसका ध्यान उस दृश्य से नहीं जाता तो मजबूरन उसे अपने बिस्तर से उठ जाना पड़ा,,,, उठकर वह चालाक आदमी करने लगा खिड़की खुली हुई थी और खिड़की से शीतल हवा कमरे को ठंडक दे रही थी खिड़की में सेवा बाहर की तरफ देखा तो रोड पूरी तरह से सुनसान नजर आ रहा था इसलिए लैंप में सड़क पीले रंग की नजर आ रही थी और पूरी तरह से सुनसान दिखाई दे रही थी,,, मुख्य सड़क होने के बावजूद भी रात के 2:00 बजे सड़क हमेशा सुनसान हो जाती थी इसका कारण यह भी था कि इससे बगल में तकरीबन आधे किलोमीटर दूरी पर ही मुख्य हाइवे गुजरा था और बड़ी गाड़ियां वहीं से आवागमन करती थी,,,। राकेश खिड़की के करीब खड़े होकर सुनसान सड़क की तरफ ही देख रहा था,,, दूर-दूर की बिल्डिंगों में भी नाइट लैंप जल रहा था,,, बिल्डिंगों में नाइट लैंप जलते हुए देख कर आना ऐसे उसके मन में ख्याल आ गया,,,की बिल्डिंग में रहने वाले बहुत से जोड़े इस समय जाग कर चुदाई का खेल खेल रहे होंगे एक दूसरे के अंगों से खेल रहे होंगे औरत अपने दोनों टांगें खोलो मर्द के लंड को अपनी बुर में ले रही होगी,, और मर्द औरत की बुर की गहराई नापते हुए धक्के पर धक्का लगा रहा होगा,,,, कितना मजा आ रहा होगा उन लोगों को जिसके पास जुगाड़ है,,,।
जुगाड़ वाला खेल मन में आते ही वह मन में सोचने लगा कि उसके पास भी तो जुगाड़ हो सकता है उसके पिताजी उसकी शादी करवाना चाहते हैं और शादी के बाद उसके पास भी खूबसूरत औरत होगी जो खुशी-खुशी उसे अपना सब कुछ दे देगी और वह भी हर रात उसकी दोनों टांगें खोलकर उसकी बुर में अपना लंड डाल देगा,,,, कितना मजा आएगा,,, एक ख्याल अपने मन में आते ही वह फिर से सच में पड़ गया उसे ख्याल आया कि उसने तो अपने पिताजी को शादी के लिए इंकार कर दिया है अभी शादी करने का उसका कोई इरादा ही नहीं है,,, लेकिन उसके पिताजी ने अभी तक उसकी शादी करने का मन में ठान लिए है,,, अभी राकेश यह सब सोच ही रहा था कि रेस्टोरेंट वाली लड़की का ख्याल उसके मन में आ गया जो उससे टकराई थी,,, कितनी खूबसूरत थी कितनी मासूम रहती है उसके चेहरे में,,,, अगर उस लड़की से शादी करना होगा तो वह तुरंत हां कर देगा,,, लेकिन वह मिलेगी कहां,,,,।
दोबारा उस लड़की से तो मुलाकात भी नहीं हुई,,, उसे लड़की को लेकर राकेश बहुत सी बातों को सोच रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि अगर वह लड़की उसके जीवन में आ जाए तो कितना मजा है लेकिन वह कौन है कहां रहती है उसका नाम क्या है कुछ तो मालूम नहीं है और मुलाकात भी उसके साथ एक ही बार हुआ है और अगर उस लड़की को अपने पिताजी से मिला भी देंगे तो क्या उसके पिताजी उसके साथ शादी करने के लिए तैयार होंगे,,, कहां की है कौन है कुछ तो पता नहीं है मुझे लेकिन अगर फिर भी वह लड़की मुझे मिल जाती है और शादी करने के लिए तैयार हो जाती है तो पिताजी को मनाने में कोई ज्यादा दिक्कत नहीं है पिताजी की खुशी तो मेरी ही खुशी में है वह तैयार हो जाएंगे और वैसे भी उसे लड़की में कोई कमी नहीं है,,,, आप कहां ढूंढु उस लड़की को इस शहर में एक ही बार तो टकराई है और वह औरत,,,, ना चाहते हुए भी दो-दो बार टकरा गई और दूसरी बार खुद के अपने घर में,,,,।
उसे लड़की के बारे में सोते हुए राकेश का ध्यान कुछ देर के लिए अपनी उत्तेजना पर से हट गया था जिसके चलते हैं उसका लंड धीरे-धीरे सुषुप्त हो रहा था लेकिन जैसे ही उस औरत के बारे में ख्याल आया तो एक बार फिर से उसका लंड बगावत करने पर उतर आया,,, अपने मन में सोचने लगा की पहली बार कपड़े की दुकान में दूसरी बार खुद के अपने घर में उसे औरत को देख चुका है उसके घर में उसके देखे जाने का मतलब है कि वह मेहमान थी उसे पिताजी ने ही बुलाया था वह पिताजी के जान पहचान की ही होगी उसका परिवार पिताजी को जानता होगा,,,, यह सब सोचते हुए राकेश उस औरत के बारे में जानना चाहता था आखिरकार वह औरत है कौन जो उसके सामने दो-दो बार आ चुकी थी और वह भी अर्धनग्नअवस्था में,,, लेकिन इस बारे में वहां अपने पिताजी से भी नहीं पूछ सकता था,,, पुछता भी तो कैसे पूछता उसका नाम पता तो उसे मालूम भी नहीं था,,,,।
यह सब सोच कर राकेश परेशान हुआ जा रहा था,, खिड़की में से आ रही ठंडी हवा भी उसके माथे के पसीने को नहीं मिटा पा रही थी,,, राकेश इस बात से हैरान था कि उसकी आंखों के सामने दो दो औरत नजर आई लेकिन उन दोनों के बारे में वह कुछ भी नहीं जानता पहली तो बला की खूबसूरत जैसी दिखाई देती थी और दूसरी कामरूप धारण की हुई काम देवी जो अपनी मादक अदा से किसी का भी लंड खड़ा करने में सक्षम थी,,, लेकिन दोनों में से किसी का भी ना तो नाम मालूम था ना ही पता मालूम था,,, लेकिन इस दौरान उसका लंड फिर से खड़ा हो चुका था वह मजबूर हो चुका था विवस हो चुका था अपने हाथ से हिलाने के लिए,,,, वह इस तरह की हरकत पहने कभी नहीं करता था लेकिन उसे औरत ने मजबूर कर दिया था उसके दिलों दिमाग पर पूरी तरह से उसके जवानी का नशा छा चुका था,,,।
नतीजन वह अपने कमरे में ही बनी बाथरूम में गया जी बाथरूम में वह औरत कुछ घंटे पहले पेशाब कर रही थी जिसके मुत की गंध अभी भी बाथरुम में से आ रही थी,,, लेकिन उसे मूत्र के गंध से परेशान ना होकर वह और भी ज्यादा अपने अंदर उत्तेजना कम करने लगा उसे ऐसा लग रहा था कि उसकी आंखों के सामने अभी भी वह औरत बैठकर पेशाब कर रही है और वह यह सोचते सोचते अपने पजामे को घुटनों तक सरकाया और अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाना शुरू कर दिया अपनी आंखों को बंद कर दिया,,,, वह कल्पना करने लगा कि उसकी आंखों के सामने वही औरत साड़ी कमर तक उठाए हुए पेशाब कर रही है और उसकी नंगी गांड को देखकर वह मुठ मार रहा है,,,,।
उसकी कल्पना इतनी गजब की थी कि वह आंखों को बंद करके एहसास कर रहा था कि वह औरत साड़ी को कमर टकड़े हुए ही इस तरह से उठकर खड़ी हो गई और अपनी बड़ी-बड़ी गांड को उसके सामने परोस दी,, और फिर खुद ही अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर उसके लंड को पकड़ कर उसे अपने गुलाबी छेद पर लगाने लगी,,, और फिर देखते ही देखते राकेश का लंड उसकी बुर की गहराई नापने लगा और अपनी कमर आगे पीछे करके धक्का पर धक्का लगना शुरू कर दिया वह उसे औरत को चोदना शुरू कर दिया,,,, मुठ मारते हुए राकेश अद्भुत कल्पना का आनंद ले रहा था,,,, और फिर थोड़ी ही देर में उसका लावा फूट पड़ा,,,।
दूसरी तरफ चार-पांच दिन गुजर गए थे लेकिन सेठ मनोहर लाल की तरफ से रूपलाल को किसी भी प्रकार का संदेश प्राप्त नहीं हुआ था ,, जिसके चलते रूप लाल की बीवी चिंतित हो गई थी,,,,।
मुझे तो लगता है कि आपने आरती के बारे में सेठ मनोहर लाल से बात ही नहीं किए हो,,,।
कैसी बातें कर रही हो भगवान पूरी पार्टी के दौरान मनोहर लाल के ईर्द गिर्द गर्द तो घूम रहा था,,,।
घूमने में और बात करने में फर्क है मैं तुमसे बोली थी की बात कर लेना कहीं ऐसा तो नहीं किसी से मनोहर लाल को कोई और लड़की पसंद आ गई हो,,,।
ऐसा हो भी सकता है भगवान देख नहीं रही थी वहां सभी लोग अपनी अपनी लड़कियां लेकर आए थे,,, हम ही थोड़ी हैं दूसरे भी लाइन लगाए बैठे हैं,,,
इसीलिए तो कह रही हूं कुछ करो शेठ मनोहर लाल से बातचीत करो वरना ऐसा मौका हाथ से निकल गया तो पछताना पड़ेगा,,,,।
तुम चिंता मत करो मैं जल्द ही मनोहर से बात करता हूं,,,।