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Adultery बहुरानी,,,,एक तड़प

Alok

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अत्यंत सुखद आरंभ rohnny4545 भाई।।
 
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सुबह के 5:00 बजते ही अलार्म की शोर की आवाज से शेठ मनोहर लाल की नींद खुली,,, और वह उठकर बैठ गए,,, टेबल पर रखा हुआ अलार्म अभी भी बज रहा था जिसे गहरी सांस लेते हुए मनोहर लाल अपना हाथ आगे बढ़कर टेबल पर रखे हुए घड़ी का अलार्म को बंद कर दिया और अलार्म का शोर भी बंद हो गया,,, बिल्कुल भी आलस किए बिना शेठ मनोहर लाल बिस्तर पर से उठे और नीचे रखी हुई चप्पल को पैरों के सहारे से ही पहनने लगे,,, गर्मी का महीना होने से खुली हुई खिड़की में से शीतल हवा पूरे कमरे को ठंडक दे रही थी और इस शीतलता का अनुभव सेठ मनोहर लाल को भी अच्छी तरह से महसूस हो रहा था। कुछ देर खड़े होकर खुली हुई खिड़की से वहां बाहर सड़क की ओर देखने लगे स्ट्रीट लाइट की लैंप में सुबह का नजारा और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था हालांकि अभी उजाला नहीं हुआ था अभी उजाला होने में बहुत देर थी,,, सड़क पर इक्का दुक्का गाड़ियों का आवागमन शुरू हो चुका था और साथ ही जोगिंग करने वाले लोग भी सुबह की ठंडक का आनंद लेते हुए तेज कदमों से आगे बढ़ रहे थे। लोगों को जोगिंग करता हुआ देखकर सेठ मनोहर लाल के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए किचन की ओर आगे बढ़ने लगे,,,।

किचन में पहुंचते ही पतीले में एक गिलास पानी डालकर उसे हल्की आंच पर गर्म करने लगे और पानी हल्का सा गर्म होने के बाद वह गैस का स्टॉव बंद कर दिए और उसी क्लास में निकाल कर उसमें हल्का सा शहद मिलकर उसे धीरे-धीरे पी गए ऐसा वह बरसों से करते आ रहे थे, और ऐसा करने से अभी तक उनका पेट नहीं निकला था और वह एकदम तंदुरुस्त भी थे,,, थोड़ी ही देर में वहां अपने बंगले से बाहर आ गए,,, बंगले से बाहर आने से पहले वह दरवाजे में लॉक लगाना नहीं बोलते थे और बाहर आने पर एक बार अच्छी तरह से चारों तरफ देख भी लेते थे कि कहीं कोई चोर ताक में तो नहीं बैठा है,,, जो कि उनका वह में ही होता था इसके बाद वह तेज कदमों से आगे बढ़ने लगे,,,,

55 वर्षीय मनोहर लाल की यही सुबह की दिनचर्या थी चाहे जो भी हो,,, सुबह 5:00 उनकी नींद खुल ही जाती थी और सुबह-सुबह टहलने के लिए और थोड़ा योगा करने के लिए निकल ही जाते थे और यही उनकी सेहत का राज भी था,, पचपन वर्षीय शेठ मनोहर लाल आज भी अपनी उम्र से 20 वर्ष कम ही नजर आते थे,,,, आज भी वह बड़ी फुर्ती के साथ काम करते थे,,, और ईसी वजह से उनका जो मित्र मंडल था उनसे थोड़ी बहुत ईर्ष्या भी करता था क्योंकि मनोहर लाल के ही उनके मित्र उनसे भी ज्यादा बूढ़े नजर आते थे।

बड़ी तेजी से कदम बढ़ाते हुए शेठ मनोहर लाल आगे बढ़ते चले जा रहे थे,, उनके बदन में अब थोड़ी गर्मी आना शुरू हो चुकी है रास्ते में एक का दुख का लोग उन्हें दिखाई दे रहे थे जो कि वह लोग भी जॉगिंग करने आए थे उनमें से बहुत से लोग सेठ मनोहर लाल को अच्छी तरह से जानते थे और उन्हें देखकर नमस्कार करते थे जवाब में सेठ मनोहर लाल भी मुस्कुरा कर उन लोगों का अभिवादन करते थे क्योंकि सेठ मनोहर लाल शहर का कोई मामूली इंसान नहीं बल्कि माना जाना नाम था,,, पूरे शहर में सेठ मनोहर लाल की मिठाइयों की पांच बड़ी-बड़ी दुकाने थी और वह भी एकदम जानी-मानी,,, शहर का हिस्सा कोई भी घर नहीं होगा जहां पर शुभ अवसर पर शेठ मनोहर लाल की मिठाई की दुकान से मिठाई ना जाती हो,,, जैसे उनकी दुकान की मिठाइयां स्वादिष्ट और मीठी होती थी उसी तरह से सेट मनोहर लाल की बोली भाषा भी एकदम सहित कितना मीठी थी जो कि किसी को भी मोह लेती थी,,,,।

देखते ही देखते सेठ मनोहर लाल तेज कदमों से चलते हुए खूबसूरत बगीचे में प्रवेश करने लगे जिसमें अक्सर लोग जॉगिंग और योगा भी किया करते थे। सेठ मनोहर लाल बगीचे में योगा करने के लिए आते थे। बगीचा काफी बड़ा था और जगह-जगह पर लोगों को बैठने के लिए बीच भी रखी हुई थी बगीचे की रखरखाव भी इतनी बखूबी होती थी कि बगीचा देखने लायक होता था। सिर्फ मनोहर लाल बगीचे का एक चक्कर लगाने के लिए आगे बढ़ गए धीरे-धीरे अंधेरा छंट रहा था और उजाला हो रहा था,,, जिस तरह से प्रकृति अपने इस नियम से बंधी हुई है इस तरह से मानव के जीवन में भी इसी तरह का चक्कर चलता रहता है धूप छांव दुख के बाद सुख सुख के बाद दुख बस यही चक्कर चलता रहता है जिसमें पूरी दुनिया घूमती रहती है।

मनोहर लाल की दुनिया में भी पहले सुख ही सुख था लेकिन 15 साल से वह लगभग एकाकी जीवन जी रहे थे। और धीरे-धीरे जीवन जीने के इस कला में निपुण होते जा रहे थे सेठ मनोहर लाल बगीचे का चक्कर लगाते लगाते एकदम कोने वाली जगह पर पहुंच गए तो उन्हें झाड़ियां में कुछ हलचल होता हुआ महसूस हुआ उन्हें कुछ समझ में नहीं आया उनका दिमाग कुछ समझने के लिए अपने आप को तैयार कर पाता इससे पहले ही शेठ मनोहर लाल की उत्सुकता मैं उनके हाथों को आगे बढ़ा दिया और दोनों हाथों से झाड़ियां को एक दूसरे से दूर करते हुए जैसे ही उन्होंने अपनी नजर को झाड़ियों के अंदर गडाया तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने कभी इस तरह के दृश्य की कल्पना नहीं किया था इसीलिए तो वह अंदर के दृश्य को देखकर एकदम से क्रोधित हो गए क्योंकि अंदर तकरीबन 45 वर्षीय आदमी एक खूबसूरत लगभग 30 32 साल की औरत के साथ संभोग क्रिया में लगा हुआ था वैसे तो सेठ मनोहर लाल उसे औरत के चेहरे को नहीं देख पाए थे लेकिन कमर के नीचे वाले अंग को देखकर इतना तो उन्हें अंदाजा हो ही गया था कि वह औरत काफी खूबसूरत थी गोरे बदन वाली थी उसे 45 वर्षीय आदमी की कमर बड़ी तेजी से चल रही थी इस दृश्य को देखते ही मनोहर लाल एकदम से क्रोधित हो गए और जोर से चिल्लाए,,,।

यह क्या हो रहा है,,,,?
(इतनी जोर से मनोहर लाल ने क्रोधित होकर चिल्लाए थे कि वह दोनों एकदम से घबरा गए थे वह औरत तो नहीं बल्कि वह आदमी जो उसे औरत की चुदाई कर रहा था वह एकदम से अपनी नजर घूमर मनोहर लाल की तरफ देखने लगा लेकिन वह औरत तुरंत अपने चेहरे को छिपने लगी और उसे आदमी से अलग होते हुए झाड़ियां के अंदर से ही दूसरी तरफ निकल कर भाग गई,,,, उस आदमी को हक्का बक्का होता देख कर,,, सेठ मनोहर लाल फिर से चिल्लाए,,,)

यह क्या कर रहा है बदतमीज तुझे शर्म नहीं आती इस जगह पर तु ऐसे गंदे काम करता है,,,,।
( सेठ मनोहर लाल की क्रोधी अवस्था में उनकी गर्जना रूपी आवाज और उनके कद काठी देखकर वह आदमी एकदम से घबरा गया और बिना कुछ बोले वह भी जल्दी से झाड़ियो के अंदर से ही दूसरी तरफ भाग गया,,,, मनोहर लाल को उन दोनों पर बहुत गुस्सा आया था क्योंकि वह दोनों इस तरह का घिनौना काम एक पब्लिक प्लेस में एक बगीचे में कर रहे हैं जिस पर किसी की भी नजर जा सकती थी,,,, वह इस तरह से चलते हुए एक बड़े से पेड़ के नीचे रख बेंच पर आकर बैठ गए,,, और अपने क्रोध को शांत करने के लिए लंबी सांस खींच कर उसे छोड़ने लगे,,,, वह अपनी आंखों को बंद करके योगा कर रहे थे रोज घास पर बैठकर करते थे लेकिन आज,,, बेंच पर बैठकर कर रहे थे तभी उनके कानों में आवाज सुनाई दी,,,।)

गुड मॉर्निंग मनोहर,,,,
(अपना नाम सुनते ही मनोहर लाल ने अपनी आंखों को खोल दिए और मुस्कुराते हुए बोले,, )

आओ आओ रूप लाल बहुत दिनों बाद दिखाई दे रहे हो,,,।

क्या करूं यार गांव चला गया था अभी कल ही वापस आया हूं,,,(इतना कहते हुए रूपलाल सेठ मनोहर लाल के बगल में जाकर बैठ गया और मनोहर लाल उसका हाल समाचार लेते हुए बोले,,,)

और बताओ रूपलाल गांव में सब खैरियत है ना,,,

सब कुछ खैरियत है बस लड़की के लिए लड़का देखने गया था जो की बात कुछ बनी नहीं,,,।

अरे हां बिटिया तो बड़ी हो गई होगी,,,(एकदम से प्रसन्न होते हुए मनोहर लाल बोले)

हां ग्रेजुएशन पूरा हो गया है बस अब यही चाहता हूं कि जल्दी से अच्छा रिश्ता देख कर अच्छी जगह उसकी शादी हो जाए तो समझ लो गंगा नहा लिया,,,।

हो जाएगी रूपलाल चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है समय आएगा तो सब कुछ सही हो जाएगा,,, ।

बात तो सही कह रहे हो मनोहर,,, लेकिन तुम तो रोज खास पर बैठकर योग करते थे आज बेंच पर बैठकर क्यों कर रहे हो,,,।

अरे हां याद आया क्या करूं एकदम से गुस्सा आ गया था,,,

गुस्सा आ गया था किस बात पर,,,

अरे यार लैला मजनू लोग अब कोई भी जगह बाकी नहीं रख रहे हैं,,,।

लैला मजनू मैं कुछ समझ नहीं,,,।

अरे यार रूपलाल अब क्या बताऊं मैं जॉगिंग कर रहा था चक्कर लगा रहा था तभी झाड़ियों में कुछ हलचल भी मुझे लगा कोई जानवर होगा और मैं अनजाने में ही झाड़ियां में देखने लगा तो देख कर दंग रह गया।

ऐसा क्या देख लिया जो एकदम से दंग रह गए,,,।

क्या बताऊं यार मुझे तो बताते हुए शर्म आ रही है।

तू बिल्कुल भी नहीं बदला इतने बरस गुजर गए लेकिन तू आज भी वही पुराना का पुराना मनोहर लाल है। अब बताया भी क्या देख लिया कि शरमाता ही रहेगा,,,

अरे यार तू है तो तुझे बता देता हूं वरना मुझे तो सोच कर ही शर्म आती है मैं झाड़ियां के अंदर देखा तो एक लगभग 40-45 वर्षीय आदमी एक 25 30 साल की औरत की,,,,(इतना कह कर एकदम से खामोश हो गए,,, रूपलाल मनोहर लाल का बचपन का साथी था इसलिए वह मनोहर लाल को अच्छी तरह से जानता था और यह भी जानता था कि मनोहर लाल क्या कहना चाह रहे हैं लेकिन फिर भी वह मनोहर के मुंह से ही सुनना चाहता था इसलिए वह अनजान बनता हुआ बोला,,,)

देख यार यह बात ठीक नहीं है तो पूरी बात बताता ही नहीं है।

अब क्या बताऊं तुझे तुझे तो समझ जाना चाहिए कि वह 45 साल का आदमी झाड़ियां के अंदर एक 25 30 साल की औरत के साथ क्या कर रहा था।

वही तो मैं जानना चाहता हूं मनोहर क्या कर रहा था वह।

संभोग,,,,(इतना कहने के साथ ही मनोहर लाल शर्मा के मारे अपनी आंखों को बंद कर लिए यह देखकर रूप लाल एकदम से जोर-जोर से हंसने लगा क्योंकि उसने सीधी-सादी भाषा चुदाई को एकदम गंभीर लहजे में संभोग शब्द का प्रयोग करके बोल दिया था... रूपलाल को हंसता हुआ देखकर मनोहर रूप लाल की तरफ तेज निगाहों से देखते हुए बोले)

अब इसमें कौन सी हंसने वाली बात है।

यार हंसने वाली बात नहीं है तो क्या है तुझे तो चुदाई बोलने में भी एकदम शर्म आती है।

खानदानी हूं शर्म तो आएगी ही,,,

खानदानी तो मैं भी हूं लेकिन दोस्तों में कैसी शर्म,,,, और वैसे भी तो ही एक सीधा-साधा इंसान बना रहता है बाकी दुनिया ऐसी ही है जैसा कि तू झाड़ियां में देखा था।

धत् ऐसी दुनिया को तो मैं दूर से ही नमस्कार करता हूं मुझे नहीं चाहिए ऐसी दुनिया,,,,।

सच में मनोहर तु बहुत सीधा-साधा है,,, भाभी के देहांत के बाद मुझे ऐसा लगा था कि तू दूसरी शादी जरूर करेगा क्योंकि तेरी कद काठी एकदम फिल्मों की हीरो की तरह थी ऐसे में कोई भी तेरे से शादी करने को तैयार हो जाती लेकिन तू ही ना जाने क्यों शादी करने से इनकार करता रहा।


क्या करता रूपलाल में तेरी भाभी को भूला ही नहीं पा रहा था और ना हीं भूलना चाहता था,,,।

( कुछ देर तक दोनों इसी तरह से इधर-उधर की बातें करते रहे और फिर बाकी से बाहर निकल आए और फिर अपने-अपने रास्ते चले गए दोनों के घर ज्यादा दूरी पर नहीं थे दोनों बचपन से ही साथ में स्कूल पढ़ने जाते थे और साथ में ही कॉलेज का ग्रेजुएट भी पूरा किया था और दोनों के घर भी बहुत ही नजदीकी दूरी पर थे दोनों में दोस्ती भी बहुत गहरी थी,,,, घर पर पहुंच कर मनोहर लाल अखबार पढ़ने लगे और थोड़ी देर में नौकरानी भी आ गई जो जल्दी से नाश्ता बना कर तैयार कर दी थी और खाना भी बनाने लगी मनोहर लाल जल्दी से नहा धोकर तैयार हो गए और फिर नाश्ता करने लगे।

बाबूजी खाना भी बना कर तैयार कर दी हूं,,,, शाम को समय पर आ जाऊंगी।

(नौकरानी की बात का बिल्कुल भी उत्तर न देते हुए एक हाथ में अखबार लेकर फिर से पढ़ते हुए और हाथ में चाय का कप लेकर सिर्फ हां में कर दिला दिए वह नौकरानी वहां से चली गई और फिर नाश्ता करने के बाद मनोहर लाल अपने कमरे में गए और टेबल पर रखे हुए एक फोटो को हाथ में लेकर अपनी बिस्तर पर बैठ गए और अपनी उंगलियों को उसे फोटो पर घूमाने लगे ऐसा करते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए थे,,,, वह लगभग रोते हुए बोले,,,।)

तुम मुझे छोड़कर क्यों चली गई रमा देखो तुम्हारे बिना मेरा क्या हाल हो गया है,,,(इतना कहकर मनोहर लाल उस फोटो को सीने से लगाकर रोने लगे,,, उनकी धर्मपत्नी का देहांत के 15 साल गुजर चुके थे जब उनकी धर्मपत्नी का देहांत हुआ था तब उनका बेटा राकेश 7 साल का ही था जिसके लालन पोषण की जिम्मेदारी उनके सर पर आ गई थी रूपलाल के बताएं अनुसार यह बात सही थी कि,,, उस समय मनोहर लाल की कद काठी और उनका दिखाव एकदम हीरो की तरह था,,,, सबको ऐसा ही लग रहा था कि मनोहर लाल दूसरी शादी करके फिर से जिंदगी को हंसी खुशी जीने लगेंगे लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ हालांकि इसके बाद भी 10 12 रिश्ते उनके लिए आए थे और बाकी अच्छी अच्छी जगह से लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। क्योंकि वह अपनी पत्नी रमा देवी को भुला नहीं पा रहे थे।


थोड़ी देर बाद वह अपनी कार लेकर दुकान के लिए निकल गए,, वह खुद ही अपनी कर चला कर कहीं भी आना जाना होता था तो आते जाते थे उन्होंने अभी तक ड्राइवर नहीं रखा था और थोड़ी ही देर में वह अपनी पुश्तैनी मिठाई की दुकान पर पहुंच गए जहां से उनके जीवन की शुरुआत हुई थी यह पुस्तानी मिठाई की दुकान उनके दादाजी ने शुरू किया था और फिर उनके पिताजी ने और फिर आप उनके हाथों में यह डोर आ गई थी जिसे वह बेवकूफी निभाते हुए पूरे शहर में पांच बड़ी-बड़ी मिठाई की दुकान को स्थापित कर दिए थे,,,,,।

मिठाई की दुकान पर पहुंचते ही,,, मिठाई की दुकान पर काम करने वाले पुराने कारीगर ने हाथ में एक चिट्ठी लेकर शेठ मनोहर लालके सामने आया और बोला,,,।

नमस्कार मालीक आपकी चिट्ठी आई है छोटे बाबू ने भेजे हैं,,,।

राकेश की चिट्ठी आई है,,, लाओ दिखाओ तो क्या लिखा है राकेश ने,,,,,( और ऐसा कहने के साथ ही मनोहर लाल अपने कारीगर के हाथ से जल्दी से चिट्ठी ले लिए और उसे जल्दी से खोलकर पढ़ना शुरू कर दिए,,,, यहां वह दौर था जहां पर एक दूसरे से खबर अंतर पूछने के लिए चिट्ठियों का सहारा लेना पड़ता था मोबाइल अभी तक नहीं आया था। चिट्ठी पढ़ते पढ़ते उनकी आंखों में चमक दिखाई देने लगे उनके चेहरे पर मुस्कुराहट और प्रसन्नता के बहाने जाने लगे यह देखकर उनके कारीगर ने पूछा,,,,)

क्या बात है मालिक,,, क्या लिखा है छोटे बाबू ने,,,,।

मेरा बेटा आने वाला है राकेश आने वाला है वह इंजीनियर बन गया है आज मैं बहुत खुश हूं,,,।

क्या कह रहे हैं मालिक हमारे बाबू इंजीनियर बन गए वह आने वाले हैं तब तो बहुत खुशी की बात है।

सच में बहुत खुशी की बात है उसके आने की खुशी में मैं पार्टी रखना चाहता हूं।

तब तो बहुत मजा आएगा मलिक वैसे छोटे मलिक कब आने वाले हैं।

अगले सप्ताह,,,,।
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
 
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सुबह के 5:00 बजते ही अलार्म की शोर की आवाज से शेठ मनोहर लाल की नींद खुली,,, और वह उठकर बैठ गए,,, टेबल पर रखा हुआ अलार्म अभी भी बज रहा था जिसे गहरी सांस लेते हुए मनोहर लाल अपना हाथ आगे बढ़कर टेबल पर रखे हुए घड़ी का अलार्म को बंद कर दिया और अलार्म का शोर भी बंद हो गया,,, बिल्कुल भी आलस किए बिना शेठ मनोहर लाल बिस्तर पर से उठे और नीचे रखी हुई चप्पल को पैरों के सहारे से ही पहनने लगे,,, गर्मी का महीना होने से खुली हुई खिड़की में से शीतल हवा पूरे कमरे को ठंडक दे रही थी और इस शीतलता का अनुभव सेठ मनोहर लाल को भी अच्छी तरह से महसूस हो रहा था। कुछ देर खड़े होकर खुली हुई खिड़की से वहां बाहर सड़क की ओर देखने लगे स्ट्रीट लाइट की लैंप में सुबह का नजारा और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था हालांकि अभी उजाला नहीं हुआ था अभी उजाला होने में बहुत देर थी,,, सड़क पर इक्का दुक्का गाड़ियों का आवागमन शुरू हो चुका था और साथ ही जोगिंग करने वाले लोग भी सुबह की ठंडक का आनंद लेते हुए तेज कदमों से आगे बढ़ रहे थे। लोगों को जोगिंग करता हुआ देखकर सेठ मनोहर लाल के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए किचन की ओर आगे बढ़ने लगे,,,।

किचन में पहुंचते ही पतीले में एक गिलास पानी डालकर उसे हल्की आंच पर गर्म करने लगे और पानी हल्का सा गर्म होने के बाद वह गैस का स्टॉव बंद कर दिए और उसी क्लास में निकाल कर उसमें हल्का सा शहद मिलकर उसे धीरे-धीरे पी गए ऐसा वह बरसों से करते आ रहे थे, और ऐसा करने से अभी तक उनका पेट नहीं निकला था और वह एकदम तंदुरुस्त भी थे,,, थोड़ी ही देर में वहां अपने बंगले से बाहर आ गए,,, बंगले से बाहर आने से पहले वह दरवाजे में लॉक लगाना नहीं बोलते थे और बाहर आने पर एक बार अच्छी तरह से चारों तरफ देख भी लेते थे कि कहीं कोई चोर ताक में तो नहीं बैठा है,,, जो कि उनका वह में ही होता था इसके बाद वह तेज कदमों से आगे बढ़ने लगे,,,,

55 वर्षीय मनोहर लाल की यही सुबह की दिनचर्या थी चाहे जो भी हो,,, सुबह 5:00 उनकी नींद खुल ही जाती थी और सुबह-सुबह टहलने के लिए और थोड़ा योगा करने के लिए निकल ही जाते थे और यही उनकी सेहत का राज भी था,, पचपन वर्षीय शेठ मनोहर लाल आज भी अपनी उम्र से 20 वर्ष कम ही नजर आते थे,,,, आज भी वह बड़ी फुर्ती के साथ काम करते थे,,, और ईसी वजह से उनका जो मित्र मंडल था उनसे थोड़ी बहुत ईर्ष्या भी करता था क्योंकि मनोहर लाल के ही उनके मित्र उनसे भी ज्यादा बूढ़े नजर आते थे।

बड़ी तेजी से कदम बढ़ाते हुए शेठ मनोहर लाल आगे बढ़ते चले जा रहे थे,, उनके बदन में अब थोड़ी गर्मी आना शुरू हो चुकी है रास्ते में एक का दुख का लोग उन्हें दिखाई दे रहे थे जो कि वह लोग भी जॉगिंग करने आए थे उनमें से बहुत से लोग सेठ मनोहर लाल को अच्छी तरह से जानते थे और उन्हें देखकर नमस्कार करते थे जवाब में सेठ मनोहर लाल भी मुस्कुरा कर उन लोगों का अभिवादन करते थे क्योंकि सेठ मनोहर लाल शहर का कोई मामूली इंसान नहीं बल्कि माना जाना नाम था,,, पूरे शहर में सेठ मनोहर लाल की मिठाइयों की पांच बड़ी-बड़ी दुकाने थी और वह भी एकदम जानी-मानी,,, शहर का हिस्सा कोई भी घर नहीं होगा जहां पर शुभ अवसर पर शेठ मनोहर लाल की मिठाई की दुकान से मिठाई ना जाती हो,,, जैसे उनकी दुकान की मिठाइयां स्वादिष्ट और मीठी होती थी उसी तरह से सेट मनोहर लाल की बोली भाषा भी एकदम सहित कितना मीठी थी जो कि किसी को भी मोह लेती थी,,,,।

देखते ही देखते सेठ मनोहर लाल तेज कदमों से चलते हुए खूबसूरत बगीचे में प्रवेश करने लगे जिसमें अक्सर लोग जॉगिंग और योगा भी किया करते थे। सेठ मनोहर लाल बगीचे में योगा करने के लिए आते थे। बगीचा काफी बड़ा था और जगह-जगह पर लोगों को बैठने के लिए बीच भी रखी हुई थी बगीचे की रखरखाव भी इतनी बखूबी होती थी कि बगीचा देखने लायक होता था। सिर्फ मनोहर लाल बगीचे का एक चक्कर लगाने के लिए आगे बढ़ गए धीरे-धीरे अंधेरा छंट रहा था और उजाला हो रहा था,,, जिस तरह से प्रकृति अपने इस नियम से बंधी हुई है इस तरह से मानव के जीवन में भी इसी तरह का चक्कर चलता रहता है धूप छांव दुख के बाद सुख सुख के बाद दुख बस यही चक्कर चलता रहता है जिसमें पूरी दुनिया घूमती रहती है।

मनोहर लाल की दुनिया में भी पहले सुख ही सुख था लेकिन 15 साल से वह लगभग एकाकी जीवन जी रहे थे। और धीरे-धीरे जीवन जीने के इस कला में निपुण होते जा रहे थे सेठ मनोहर लाल बगीचे का चक्कर लगाते लगाते एकदम कोने वाली जगह पर पहुंच गए तो उन्हें झाड़ियां में कुछ हलचल होता हुआ महसूस हुआ उन्हें कुछ समझ में नहीं आया उनका दिमाग कुछ समझने के लिए अपने आप को तैयार कर पाता इससे पहले ही शेठ मनोहर लाल की उत्सुकता मैं उनके हाथों को आगे बढ़ा दिया और दोनों हाथों से झाड़ियां को एक दूसरे से दूर करते हुए जैसे ही उन्होंने अपनी नजर को झाड़ियों के अंदर गडाया तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने कभी इस तरह के दृश्य की कल्पना नहीं किया था इसीलिए तो वह अंदर के दृश्य को देखकर एकदम से क्रोधित हो गए क्योंकि अंदर तकरीबन 45 वर्षीय आदमी एक खूबसूरत लगभग 30 32 साल की औरत के साथ संभोग क्रिया में लगा हुआ था वैसे तो सेठ मनोहर लाल उसे औरत के चेहरे को नहीं देख पाए थे लेकिन कमर के नीचे वाले अंग को देखकर इतना तो उन्हें अंदाजा हो ही गया था कि वह औरत काफी खूबसूरत थी गोरे बदन वाली थी उसे 45 वर्षीय आदमी की कमर बड़ी तेजी से चल रही थी इस दृश्य को देखते ही मनोहर लाल एकदम से क्रोधित हो गए और जोर से चिल्लाए,,,।

यह क्या हो रहा है,,,,?
(इतनी जोर से मनोहर लाल ने क्रोधित होकर चिल्लाए थे कि वह दोनों एकदम से घबरा गए थे वह औरत तो नहीं बल्कि वह आदमी जो उसे औरत की चुदाई कर रहा था वह एकदम से अपनी नजर घूमर मनोहर लाल की तरफ देखने लगा लेकिन वह औरत तुरंत अपने चेहरे को छिपने लगी और उसे आदमी से अलग होते हुए झाड़ियां के अंदर से ही दूसरी तरफ निकल कर भाग गई,,,, उस आदमी को हक्का बक्का होता देख कर,,, सेठ मनोहर लाल फिर से चिल्लाए,,,)

यह क्या कर रहा है बदतमीज तुझे शर्म नहीं आती इस जगह पर तु ऐसे गंदे काम करता है,,,,।
( सेठ मनोहर लाल की क्रोधी अवस्था में उनकी गर्जना रूपी आवाज और उनके कद काठी देखकर वह आदमी एकदम से घबरा गया और बिना कुछ बोले वह भी जल्दी से झाड़ियो के अंदर से ही दूसरी तरफ भाग गया,,,, मनोहर लाल को उन दोनों पर बहुत गुस्सा आया था क्योंकि वह दोनों इस तरह का घिनौना काम एक पब्लिक प्लेस में एक बगीचे में कर रहे हैं जिस पर किसी की भी नजर जा सकती थी,,,, वह इस तरह से चलते हुए एक बड़े से पेड़ के नीचे रख बेंच पर आकर बैठ गए,,, और अपने क्रोध को शांत करने के लिए लंबी सांस खींच कर उसे छोड़ने लगे,,,, वह अपनी आंखों को बंद करके योगा कर रहे थे रोज घास पर बैठकर करते थे लेकिन आज,,, बेंच पर बैठकर कर रहे थे तभी उनके कानों में आवाज सुनाई दी,,,।)

गुड मॉर्निंग मनोहर,,,,
(अपना नाम सुनते ही मनोहर लाल ने अपनी आंखों को खोल दिए और मुस्कुराते हुए बोले,, )

आओ आओ रूप लाल बहुत दिनों बाद दिखाई दे रहे हो,,,।

क्या करूं यार गांव चला गया था अभी कल ही वापस आया हूं,,,(इतना कहते हुए रूपलाल सेठ मनोहर लाल के बगल में जाकर बैठ गया और मनोहर लाल उसका हाल समाचार लेते हुए बोले,,,)

और बताओ रूपलाल गांव में सब खैरियत है ना,,,

सब कुछ खैरियत है बस लड़की के लिए लड़का देखने गया था जो की बात कुछ बनी नहीं,,,।

अरे हां बिटिया तो बड़ी हो गई होगी,,,(एकदम से प्रसन्न होते हुए मनोहर लाल बोले)

हां ग्रेजुएशन पूरा हो गया है बस अब यही चाहता हूं कि जल्दी से अच्छा रिश्ता देख कर अच्छी जगह उसकी शादी हो जाए तो समझ लो गंगा नहा लिया,,,।

हो जाएगी रूपलाल चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है समय आएगा तो सब कुछ सही हो जाएगा,,, ।

बात तो सही कह रहे हो मनोहर,,, लेकिन तुम तो रोज खास पर बैठकर योग करते थे आज बेंच पर बैठकर क्यों कर रहे हो,,,।

अरे हां याद आया क्या करूं एकदम से गुस्सा आ गया था,,,

गुस्सा आ गया था किस बात पर,,,

अरे यार लैला मजनू लोग अब कोई भी जगह बाकी नहीं रख रहे हैं,,,।

लैला मजनू मैं कुछ समझ नहीं,,,।

अरे यार रूपलाल अब क्या बताऊं मैं जॉगिंग कर रहा था चक्कर लगा रहा था तभी झाड़ियों में कुछ हलचल भी मुझे लगा कोई जानवर होगा और मैं अनजाने में ही झाड़ियां में देखने लगा तो देख कर दंग रह गया।

ऐसा क्या देख लिया जो एकदम से दंग रह गए,,,।

क्या बताऊं यार मुझे तो बताते हुए शर्म आ रही है।

तू बिल्कुल भी नहीं बदला इतने बरस गुजर गए लेकिन तू आज भी वही पुराना का पुराना मनोहर लाल है। अब बताया भी क्या देख लिया कि शरमाता ही रहेगा,,,

अरे यार तू है तो तुझे बता देता हूं वरना मुझे तो सोच कर ही शर्म आती है मैं झाड़ियां के अंदर देखा तो एक लगभग 40-45 वर्षीय आदमी एक 25 30 साल की औरत की,,,,(इतना कह कर एकदम से खामोश हो गए,,, रूपलाल मनोहर लाल का बचपन का साथी था इसलिए वह मनोहर लाल को अच्छी तरह से जानता था और यह भी जानता था कि मनोहर लाल क्या कहना चाह रहे हैं लेकिन फिर भी वह मनोहर के मुंह से ही सुनना चाहता था इसलिए वह अनजान बनता हुआ बोला,,,)

देख यार यह बात ठीक नहीं है तो पूरी बात बताता ही नहीं है।

अब क्या बताऊं तुझे तुझे तो समझ जाना चाहिए कि वह 45 साल का आदमी झाड़ियां के अंदर एक 25 30 साल की औरत के साथ क्या कर रहा था।

वही तो मैं जानना चाहता हूं मनोहर क्या कर रहा था वह।

संभोग,,,,(इतना कहने के साथ ही मनोहर लाल शर्मा के मारे अपनी आंखों को बंद कर लिए यह देखकर रूप लाल एकदम से जोर-जोर से हंसने लगा क्योंकि उसने सीधी-सादी भाषा चुदाई को एकदम गंभीर लहजे में संभोग शब्द का प्रयोग करके बोल दिया था... रूपलाल को हंसता हुआ देखकर मनोहर रूप लाल की तरफ तेज निगाहों से देखते हुए बोले)

अब इसमें कौन सी हंसने वाली बात है।

यार हंसने वाली बात नहीं है तो क्या है तुझे तो चुदाई बोलने में भी एकदम शर्म आती है।

खानदानी हूं शर्म तो आएगी ही,,,

खानदानी तो मैं भी हूं लेकिन दोस्तों में कैसी शर्म,,,, और वैसे भी तो ही एक सीधा-साधा इंसान बना रहता है बाकी दुनिया ऐसी ही है जैसा कि तू झाड़ियां में देखा था।

धत् ऐसी दुनिया को तो मैं दूर से ही नमस्कार करता हूं मुझे नहीं चाहिए ऐसी दुनिया,,,,।

सच में मनोहर तु बहुत सीधा-साधा है,,, भाभी के देहांत के बाद मुझे ऐसा लगा था कि तू दूसरी शादी जरूर करेगा क्योंकि तेरी कद काठी एकदम फिल्मों की हीरो की तरह थी ऐसे में कोई भी तेरे से शादी करने को तैयार हो जाती लेकिन तू ही ना जाने क्यों शादी करने से इनकार करता रहा।


क्या करता रूपलाल में तेरी भाभी को भूला ही नहीं पा रहा था और ना हीं भूलना चाहता था,,,।

( कुछ देर तक दोनों इसी तरह से इधर-उधर की बातें करते रहे और फिर बाकी से बाहर निकल आए और फिर अपने-अपने रास्ते चले गए दोनों के घर ज्यादा दूरी पर नहीं थे दोनों बचपन से ही साथ में स्कूल पढ़ने जाते थे और साथ में ही कॉलेज का ग्रेजुएट भी पूरा किया था और दोनों के घर भी बहुत ही नजदीकी दूरी पर थे दोनों में दोस्ती भी बहुत गहरी थी,,,, घर पर पहुंच कर मनोहर लाल अखबार पढ़ने लगे और थोड़ी देर में नौकरानी भी आ गई जो जल्दी से नाश्ता बना कर तैयार कर दी थी और खाना भी बनाने लगी मनोहर लाल जल्दी से नहा धोकर तैयार हो गए और फिर नाश्ता करने लगे।

बाबूजी खाना भी बना कर तैयार कर दी हूं,,,, शाम को समय पर आ जाऊंगी।

(नौकरानी की बात का बिल्कुल भी उत्तर न देते हुए एक हाथ में अखबार लेकर फिर से पढ़ते हुए और हाथ में चाय का कप लेकर सिर्फ हां में कर दिला दिए वह नौकरानी वहां से चली गई और फिर नाश्ता करने के बाद मनोहर लाल अपने कमरे में गए और टेबल पर रखे हुए एक फोटो को हाथ में लेकर अपनी बिस्तर पर बैठ गए और अपनी उंगलियों को उसे फोटो पर घूमाने लगे ऐसा करते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए थे,,,, वह लगभग रोते हुए बोले,,,।)

तुम मुझे छोड़कर क्यों चली गई रमा देखो तुम्हारे बिना मेरा क्या हाल हो गया है,,,(इतना कहकर मनोहर लाल उस फोटो को सीने से लगाकर रोने लगे,,, उनकी धर्मपत्नी का देहांत के 15 साल गुजर चुके थे जब उनकी धर्मपत्नी का देहांत हुआ था तब उनका बेटा राकेश 7 साल का ही था जिसके लालन पोषण की जिम्मेदारी उनके सर पर आ गई थी रूपलाल के बताएं अनुसार यह बात सही थी कि,,, उस समय मनोहर लाल की कद काठी और उनका दिखाव एकदम हीरो की तरह था,,,, सबको ऐसा ही लग रहा था कि मनोहर लाल दूसरी शादी करके फिर से जिंदगी को हंसी खुशी जीने लगेंगे लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ हालांकि इसके बाद भी 10 12 रिश्ते उनके लिए आए थे और बाकी अच्छी अच्छी जगह से लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। क्योंकि वह अपनी पत्नी रमा देवी को भुला नहीं पा रहे थे।


थोड़ी देर बाद वह अपनी कार लेकर दुकान के लिए निकल गए,, वह खुद ही अपनी कर चला कर कहीं भी आना जाना होता था तो आते जाते थे उन्होंने अभी तक ड्राइवर नहीं रखा था और थोड़ी ही देर में वह अपनी पुश्तैनी मिठाई की दुकान पर पहुंच गए जहां से उनके जीवन की शुरुआत हुई थी यह पुस्तानी मिठाई की दुकान उनके दादाजी ने शुरू किया था और फिर उनके पिताजी ने और फिर आप उनके हाथों में यह डोर आ गई थी जिसे वह बेवकूफी निभाते हुए पूरे शहर में पांच बड़ी-बड़ी मिठाई की दुकान को स्थापित कर दिए थे,,,,,।

मिठाई की दुकान पर पहुंचते ही,,, मिठाई की दुकान पर काम करने वाले पुराने कारीगर ने हाथ में एक चिट्ठी लेकर शेठ मनोहर लालके सामने आया और बोला,,,।

नमस्कार मालीक आपकी चिट्ठी आई है छोटे बाबू ने भेजे हैं,,,।

राकेश की चिट्ठी आई है,,, लाओ दिखाओ तो क्या लिखा है राकेश ने,,,,,( और ऐसा कहने के साथ ही मनोहर लाल अपने कारीगर के हाथ से जल्दी से चिट्ठी ले लिए और उसे जल्दी से खोलकर पढ़ना शुरू कर दिए,,,, यहां वह दौर था जहां पर एक दूसरे से खबर अंतर पूछने के लिए चिट्ठियों का सहारा लेना पड़ता था मोबाइल अभी तक नहीं आया था। चिट्ठी पढ़ते पढ़ते उनकी आंखों में चमक दिखाई देने लगे उनके चेहरे पर मुस्कुराहट और प्रसन्नता के बहाने जाने लगे यह देखकर उनके कारीगर ने पूछा,,,,)

क्या बात है मालिक,,, क्या लिखा है छोटे बाबू ने,,,,।

मेरा बेटा आने वाला है राकेश आने वाला है वह इंजीनियर बन गया है आज मैं बहुत खुश हूं,,,।

क्या कह रहे हैं मालिक हमारे बाबू इंजीनियर बन गए वह आने वाले हैं तब तो बहुत खुशी की बात है।

सच में बहुत खुशी की बात है उसके आने की खुशी में मैं पार्टी रखना चाहता हूं।

तब तो बहुत मजा आएगा मलिक वैसे छोटे मलिक कब आने वाले हैं।

अगले सप्ताह,,,,।

Bahut hi badhiya aur shandar tarike se kahani ki shuruwat ki he rohnny4545 Bhai,

Aasha he, ye story bhi aapki baaki stories ki tarah dhamaal machayegi

Keep posting Bro
 
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sonukm

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सुबह के 5:00 बजते ही अलार्म की शोर की आवाज से शेठ मनोहर लाल की नींद खुली,,, और वह उठकर बैठ गए,,, टेबल पर रखा हुआ अलार्म अभी भी बज रहा था जिसे गहरी सांस लेते हुए मनोहर लाल अपना हाथ आगे बढ़कर टेबल पर रखे हुए घड़ी का अलार्म को बंद कर दिया और अलार्म का शोर भी बंद हो गया,,, बिल्कुल भी आलस किए बिना शेठ मनोहर लाल बिस्तर पर से उठे और नीचे रखी हुई चप्पल को पैरों के सहारे से ही पहनने लगे,,, गर्मी का महीना होने से खुली हुई खिड़की में से शीतल हवा पूरे कमरे को ठंडक दे रही थी और इस शीतलता का अनुभव सेठ मनोहर लाल को भी अच्छी तरह से महसूस हो रहा था। कुछ देर खड़े होकर खुली हुई खिड़की से वहां बाहर सड़क की ओर देखने लगे स्ट्रीट लाइट की लैंप में सुबह का नजारा और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था हालांकि अभी उजाला नहीं हुआ था अभी उजाला होने में बहुत देर थी,,, सड़क पर इक्का दुक्का गाड़ियों का आवागमन शुरू हो चुका था और साथ ही जोगिंग करने वाले लोग भी सुबह की ठंडक का आनंद लेते हुए तेज कदमों से आगे बढ़ रहे थे। लोगों को जोगिंग करता हुआ देखकर सेठ मनोहर लाल के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए किचन की ओर आगे बढ़ने लगे,,,।

किचन में पहुंचते ही पतीले में एक गिलास पानी डालकर उसे हल्की आंच पर गर्म करने लगे और पानी हल्का सा गर्म होने के बाद वह गैस का स्टॉव बंद कर दिए और उसी क्लास में निकाल कर उसमें हल्का सा शहद मिलकर उसे धीरे-धीरे पी गए ऐसा वह बरसों से करते आ रहे थे, और ऐसा करने से अभी तक उनका पेट नहीं निकला था और वह एकदम तंदुरुस्त भी थे,,, थोड़ी ही देर में वहां अपने बंगले से बाहर आ गए,,, बंगले से बाहर आने से पहले वह दरवाजे में लॉक लगाना नहीं बोलते थे और बाहर आने पर एक बार अच्छी तरह से चारों तरफ देख भी लेते थे कि कहीं कोई चोर ताक में तो नहीं बैठा है,,, जो कि उनका वह में ही होता था इसके बाद वह तेज कदमों से आगे बढ़ने लगे,,,,

55 वर्षीय मनोहर लाल की यही सुबह की दिनचर्या थी चाहे जो भी हो,,, सुबह 5:00 उनकी नींद खुल ही जाती थी और सुबह-सुबह टहलने के लिए और थोड़ा योगा करने के लिए निकल ही जाते थे और यही उनकी सेहत का राज भी था,, पचपन वर्षीय शेठ मनोहर लाल आज भी अपनी उम्र से 20 वर्ष कम ही नजर आते थे,,,, आज भी वह बड़ी फुर्ती के साथ काम करते थे,,, और ईसी वजह से उनका जो मित्र मंडल था उनसे थोड़ी बहुत ईर्ष्या भी करता था क्योंकि मनोहर लाल के ही उनके मित्र उनसे भी ज्यादा बूढ़े नजर आते थे।

बड़ी तेजी से कदम बढ़ाते हुए शेठ मनोहर लाल आगे बढ़ते चले जा रहे थे,, उनके बदन में अब थोड़ी गर्मी आना शुरू हो चुकी है रास्ते में एक का दुख का लोग उन्हें दिखाई दे रहे थे जो कि वह लोग भी जॉगिंग करने आए थे उनमें से बहुत से लोग सेठ मनोहर लाल को अच्छी तरह से जानते थे और उन्हें देखकर नमस्कार करते थे जवाब में सेठ मनोहर लाल भी मुस्कुरा कर उन लोगों का अभिवादन करते थे क्योंकि सेठ मनोहर लाल शहर का कोई मामूली इंसान नहीं बल्कि माना जाना नाम था,,, पूरे शहर में सेठ मनोहर लाल की मिठाइयों की पांच बड़ी-बड़ी दुकाने थी और वह भी एकदम जानी-मानी,,, शहर का हिस्सा कोई भी घर नहीं होगा जहां पर शुभ अवसर पर शेठ मनोहर लाल की मिठाई की दुकान से मिठाई ना जाती हो,,, जैसे उनकी दुकान की मिठाइयां स्वादिष्ट और मीठी होती थी उसी तरह से सेट मनोहर लाल की बोली भाषा भी एकदम सहित कितना मीठी थी जो कि किसी को भी मोह लेती थी,,,,।

देखते ही देखते सेठ मनोहर लाल तेज कदमों से चलते हुए खूबसूरत बगीचे में प्रवेश करने लगे जिसमें अक्सर लोग जॉगिंग और योगा भी किया करते थे। सेठ मनोहर लाल बगीचे में योगा करने के लिए आते थे। बगीचा काफी बड़ा था और जगह-जगह पर लोगों को बैठने के लिए बीच भी रखी हुई थी बगीचे की रखरखाव भी इतनी बखूबी होती थी कि बगीचा देखने लायक होता था। सिर्फ मनोहर लाल बगीचे का एक चक्कर लगाने के लिए आगे बढ़ गए धीरे-धीरे अंधेरा छंट रहा था और उजाला हो रहा था,,, जिस तरह से प्रकृति अपने इस नियम से बंधी हुई है इस तरह से मानव के जीवन में भी इसी तरह का चक्कर चलता रहता है धूप छांव दुख के बाद सुख सुख के बाद दुख बस यही चक्कर चलता रहता है जिसमें पूरी दुनिया घूमती रहती है।

मनोहर लाल की दुनिया में भी पहले सुख ही सुख था लेकिन 15 साल से वह लगभग एकाकी जीवन जी रहे थे। और धीरे-धीरे जीवन जीने के इस कला में निपुण होते जा रहे थे सेठ मनोहर लाल बगीचे का चक्कर लगाते लगाते एकदम कोने वाली जगह पर पहुंच गए तो उन्हें झाड़ियां में कुछ हलचल होता हुआ महसूस हुआ उन्हें कुछ समझ में नहीं आया उनका दिमाग कुछ समझने के लिए अपने आप को तैयार कर पाता इससे पहले ही शेठ मनोहर लाल की उत्सुकता मैं उनके हाथों को आगे बढ़ा दिया और दोनों हाथों से झाड़ियां को एक दूसरे से दूर करते हुए जैसे ही उन्होंने अपनी नजर को झाड़ियों के अंदर गडाया तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने कभी इस तरह के दृश्य की कल्पना नहीं किया था इसीलिए तो वह अंदर के दृश्य को देखकर एकदम से क्रोधित हो गए क्योंकि अंदर तकरीबन 45 वर्षीय आदमी एक खूबसूरत लगभग 30 32 साल की औरत के साथ संभोग क्रिया में लगा हुआ था वैसे तो सेठ मनोहर लाल उसे औरत के चेहरे को नहीं देख पाए थे लेकिन कमर के नीचे वाले अंग को देखकर इतना तो उन्हें अंदाजा हो ही गया था कि वह औरत काफी खूबसूरत थी गोरे बदन वाली थी उसे 45 वर्षीय आदमी की कमर बड़ी तेजी से चल रही थी इस दृश्य को देखते ही मनोहर लाल एकदम से क्रोधित हो गए और जोर से चिल्लाए,,,।

यह क्या हो रहा है,,,,?
(इतनी जोर से मनोहर लाल ने क्रोधित होकर चिल्लाए थे कि वह दोनों एकदम से घबरा गए थे वह औरत तो नहीं बल्कि वह आदमी जो उसे औरत की चुदाई कर रहा था वह एकदम से अपनी नजर घूमर मनोहर लाल की तरफ देखने लगा लेकिन वह औरत तुरंत अपने चेहरे को छिपने लगी और उसे आदमी से अलग होते हुए झाड़ियां के अंदर से ही दूसरी तरफ निकल कर भाग गई,,,, उस आदमी को हक्का बक्का होता देख कर,,, सेठ मनोहर लाल फिर से चिल्लाए,,,)

यह क्या कर रहा है बदतमीज तुझे शर्म नहीं आती इस जगह पर तु ऐसे गंदे काम करता है,,,,।
( सेठ मनोहर लाल की क्रोधी अवस्था में उनकी गर्जना रूपी आवाज और उनके कद काठी देखकर वह आदमी एकदम से घबरा गया और बिना कुछ बोले वह भी जल्दी से झाड़ियो के अंदर से ही दूसरी तरफ भाग गया,,,, मनोहर लाल को उन दोनों पर बहुत गुस्सा आया था क्योंकि वह दोनों इस तरह का घिनौना काम एक पब्लिक प्लेस में एक बगीचे में कर रहे हैं जिस पर किसी की भी नजर जा सकती थी,,,, वह इस तरह से चलते हुए एक बड़े से पेड़ के नीचे रख बेंच पर आकर बैठ गए,,, और अपने क्रोध को शांत करने के लिए लंबी सांस खींच कर उसे छोड़ने लगे,,,, वह अपनी आंखों को बंद करके योगा कर रहे थे रोज घास पर बैठकर करते थे लेकिन आज,,, बेंच पर बैठकर कर रहे थे तभी उनके कानों में आवाज सुनाई दी,,,।)

गुड मॉर्निंग मनोहर,,,,
(अपना नाम सुनते ही मनोहर लाल ने अपनी आंखों को खोल दिए और मुस्कुराते हुए बोले,, )

आओ आओ रूप लाल बहुत दिनों बाद दिखाई दे रहे हो,,,।

क्या करूं यार गांव चला गया था अभी कल ही वापस आया हूं,,,(इतना कहते हुए रूपलाल सेठ मनोहर लाल के बगल में जाकर बैठ गया और मनोहर लाल उसका हाल समाचार लेते हुए बोले,,,)

और बताओ रूपलाल गांव में सब खैरियत है ना,,,

सब कुछ खैरियत है बस लड़की के लिए लड़का देखने गया था जो की बात कुछ बनी नहीं,,,।

अरे हां बिटिया तो बड़ी हो गई होगी,,,(एकदम से प्रसन्न होते हुए मनोहर लाल बोले)

हां ग्रेजुएशन पूरा हो गया है बस अब यही चाहता हूं कि जल्दी से अच्छा रिश्ता देख कर अच्छी जगह उसकी शादी हो जाए तो समझ लो गंगा नहा लिया,,,।

हो जाएगी रूपलाल चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है समय आएगा तो सब कुछ सही हो जाएगा,,, ।

बात तो सही कह रहे हो मनोहर,,, लेकिन तुम तो रोज खास पर बैठकर योग करते थे आज बेंच पर बैठकर क्यों कर रहे हो,,,।

अरे हां याद आया क्या करूं एकदम से गुस्सा आ गया था,,,

गुस्सा आ गया था किस बात पर,,,

अरे यार लैला मजनू लोग अब कोई भी जगह बाकी नहीं रख रहे हैं,,,।

लैला मजनू मैं कुछ समझ नहीं,,,।

अरे यार रूपलाल अब क्या बताऊं मैं जॉगिंग कर रहा था चक्कर लगा रहा था तभी झाड़ियों में कुछ हलचल भी मुझे लगा कोई जानवर होगा और मैं अनजाने में ही झाड़ियां में देखने लगा तो देख कर दंग रह गया।

ऐसा क्या देख लिया जो एकदम से दंग रह गए,,,।

क्या बताऊं यार मुझे तो बताते हुए शर्म आ रही है।

तू बिल्कुल भी नहीं बदला इतने बरस गुजर गए लेकिन तू आज भी वही पुराना का पुराना मनोहर लाल है। अब बताया भी क्या देख लिया कि शरमाता ही रहेगा,,,

अरे यार तू है तो तुझे बता देता हूं वरना मुझे तो सोच कर ही शर्म आती है मैं झाड़ियां के अंदर देखा तो एक लगभग 40-45 वर्षीय आदमी एक 25 30 साल की औरत की,,,,(इतना कह कर एकदम से खामोश हो गए,,, रूपलाल मनोहर लाल का बचपन का साथी था इसलिए वह मनोहर लाल को अच्छी तरह से जानता था और यह भी जानता था कि मनोहर लाल क्या कहना चाह रहे हैं लेकिन फिर भी वह मनोहर के मुंह से ही सुनना चाहता था इसलिए वह अनजान बनता हुआ बोला,,,)

देख यार यह बात ठीक नहीं है तो पूरी बात बताता ही नहीं है।

अब क्या बताऊं तुझे तुझे तो समझ जाना चाहिए कि वह 45 साल का आदमी झाड़ियां के अंदर एक 25 30 साल की औरत के साथ क्या कर रहा था।

वही तो मैं जानना चाहता हूं मनोहर क्या कर रहा था वह।

संभोग,,,,(इतना कहने के साथ ही मनोहर लाल शर्मा के मारे अपनी आंखों को बंद कर लिए यह देखकर रूप लाल एकदम से जोर-जोर से हंसने लगा क्योंकि उसने सीधी-सादी भाषा चुदाई को एकदम गंभीर लहजे में संभोग शब्द का प्रयोग करके बोल दिया था... रूपलाल को हंसता हुआ देखकर मनोहर रूप लाल की तरफ तेज निगाहों से देखते हुए बोले)

अब इसमें कौन सी हंसने वाली बात है।

यार हंसने वाली बात नहीं है तो क्या है तुझे तो चुदाई बोलने में भी एकदम शर्म आती है।

खानदानी हूं शर्म तो आएगी ही,,,

खानदानी तो मैं भी हूं लेकिन दोस्तों में कैसी शर्म,,,, और वैसे भी तो ही एक सीधा-साधा इंसान बना रहता है बाकी दुनिया ऐसी ही है जैसा कि तू झाड़ियां में देखा था।

धत् ऐसी दुनिया को तो मैं दूर से ही नमस्कार करता हूं मुझे नहीं चाहिए ऐसी दुनिया,,,,।

सच में मनोहर तु बहुत सीधा-साधा है,,, भाभी के देहांत के बाद मुझे ऐसा लगा था कि तू दूसरी शादी जरूर करेगा क्योंकि तेरी कद काठी एकदम फिल्मों की हीरो की तरह थी ऐसे में कोई भी तेरे से शादी करने को तैयार हो जाती लेकिन तू ही ना जाने क्यों शादी करने से इनकार करता रहा।


क्या करता रूपलाल में तेरी भाभी को भूला ही नहीं पा रहा था और ना हीं भूलना चाहता था,,,।

( कुछ देर तक दोनों इसी तरह से इधर-उधर की बातें करते रहे और फिर बाकी से बाहर निकल आए और फिर अपने-अपने रास्ते चले गए दोनों के घर ज्यादा दूरी पर नहीं थे दोनों बचपन से ही साथ में स्कूल पढ़ने जाते थे और साथ में ही कॉलेज का ग्रेजुएट भी पूरा किया था और दोनों के घर भी बहुत ही नजदीकी दूरी पर थे दोनों में दोस्ती भी बहुत गहरी थी,,,, घर पर पहुंच कर मनोहर लाल अखबार पढ़ने लगे और थोड़ी देर में नौकरानी भी आ गई जो जल्दी से नाश्ता बना कर तैयार कर दी थी और खाना भी बनाने लगी मनोहर लाल जल्दी से नहा धोकर तैयार हो गए और फिर नाश्ता करने लगे।

बाबूजी खाना भी बना कर तैयार कर दी हूं,,,, शाम को समय पर आ जाऊंगी।

(नौकरानी की बात का बिल्कुल भी उत्तर न देते हुए एक हाथ में अखबार लेकर फिर से पढ़ते हुए और हाथ में चाय का कप लेकर सिर्फ हां में कर दिला दिए वह नौकरानी वहां से चली गई और फिर नाश्ता करने के बाद मनोहर लाल अपने कमरे में गए और टेबल पर रखे हुए एक फोटो को हाथ में लेकर अपनी बिस्तर पर बैठ गए और अपनी उंगलियों को उसे फोटो पर घूमाने लगे ऐसा करते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए थे,,,, वह लगभग रोते हुए बोले,,,।)

तुम मुझे छोड़कर क्यों चली गई रमा देखो तुम्हारे बिना मेरा क्या हाल हो गया है,,,(इतना कहकर मनोहर लाल उस फोटो को सीने से लगाकर रोने लगे,,, उनकी धर्मपत्नी का देहांत के 15 साल गुजर चुके थे जब उनकी धर्मपत्नी का देहांत हुआ था तब उनका बेटा राकेश 7 साल का ही था जिसके लालन पोषण की जिम्मेदारी उनके सर पर आ गई थी रूपलाल के बताएं अनुसार यह बात सही थी कि,,, उस समय मनोहर लाल की कद काठी और उनका दिखाव एकदम हीरो की तरह था,,,, सबको ऐसा ही लग रहा था कि मनोहर लाल दूसरी शादी करके फिर से जिंदगी को हंसी खुशी जीने लगेंगे लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ हालांकि इसके बाद भी 10 12 रिश्ते उनके लिए आए थे और बाकी अच्छी अच्छी जगह से लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। क्योंकि वह अपनी पत्नी रमा देवी को भुला नहीं पा रहे थे।


थोड़ी देर बाद वह अपनी कार लेकर दुकान के लिए निकल गए,, वह खुद ही अपनी कर चला कर कहीं भी आना जाना होता था तो आते जाते थे उन्होंने अभी तक ड्राइवर नहीं रखा था और थोड़ी ही देर में वह अपनी पुश्तैनी मिठाई की दुकान पर पहुंच गए जहां से उनके जीवन की शुरुआत हुई थी यह पुस्तानी मिठाई की दुकान उनके दादाजी ने शुरू किया था और फिर उनके पिताजी ने और फिर आप उनके हाथों में यह डोर आ गई थी जिसे वह बेवकूफी निभाते हुए पूरे शहर में पांच बड़ी-बड़ी मिठाई की दुकान को स्थापित कर दिए थे,,,,,।

मिठाई की दुकान पर पहुंचते ही,,, मिठाई की दुकान पर काम करने वाले पुराने कारीगर ने हाथ में एक चिट्ठी लेकर शेठ मनोहर लालके सामने आया और बोला,,,।

नमस्कार मालीक आपकी चिट्ठी आई है छोटे बाबू ने भेजे हैं,,,।

राकेश की चिट्ठी आई है,,, लाओ दिखाओ तो क्या लिखा है राकेश ने,,,,,( और ऐसा कहने के साथ ही मनोहर लाल अपने कारीगर के हाथ से जल्दी से चिट्ठी ले लिए और उसे जल्दी से खोलकर पढ़ना शुरू कर दिए,,,, यहां वह दौर था जहां पर एक दूसरे से खबर अंतर पूछने के लिए चिट्ठियों का सहारा लेना पड़ता था मोबाइल अभी तक नहीं आया था। चिट्ठी पढ़ते पढ़ते उनकी आंखों में चमक दिखाई देने लगे उनके चेहरे पर मुस्कुराहट और प्रसन्नता के बहाने जाने लगे यह देखकर उनके कारीगर ने पूछा,,,,)

क्या बात है मालिक,,, क्या लिखा है छोटे बाबू ने,,,,।

मेरा बेटा आने वाला है राकेश आने वाला है वह इंजीनियर बन गया है आज मैं बहुत खुश हूं,,,।

क्या कह रहे हैं मालिक हमारे बाबू इंजीनियर बन गए वह आने वाले हैं तब तो बहुत खुशी की बात है।

सच में बहुत खुशी की बात है उसके आने की खुशी में मैं पार्टी रखना चाहता हूं।

तब तो बहुत मजा आएगा मलिक वैसे छोटे मलिक कब आने वाले हैं।

अगले सप्ताह,,,,।
Mast mahol banaya
 
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