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Adultery बहुरानी,,,,एक तड़प

Sanju@

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सेठ मनोहर लाल का,,,, घर पर आए लड़कियों के फोटो देखकर बहू चुनने का अब कोई इरादा नहीं था,,,, क्योंकि राकेश ने अपने पिताजी को बता दिया था कि उसे कौन सी लड़की पसंद है,,,, सेठ मनोहर लाल इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि राकेश जिस तरह की लड़की के बारे में बात कर रहा है उसे तो वह ठीक से देखा भी नहीं है ना हीं उसका नाम जानता है ना हीं उसका अता पता जानता है,,,, लेकिन फिर भी शेठ मनोहर लाल को अपने बेटे की पसंद पर पूरा भरोसा था,,, और वह जानते थे कि उनका बेटा जरूर उसे लड़की को पूरे शहर में जहां भी होगी खोज निकालेगा,,, खुद सेठ मनोहर लाल उसे लड़की को ढूंढने में अपने बेटे की मदद करना चाहते थे लेकिन वह तो उसे लड़की को जानते भी नहीं थे तो ढूंढने की बात ही नहीं थी लेकिन इस मूहीम में वह पूरी तरह से अपने बेटे के साथ थे,,,,।

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राकेश का दिल जिस लड़की पर आ गया था उसे लड़की के बारे में बात कर राकेश को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसके सीने से बहुत बड़ा भार कम हो गया है,,, जिस तरह से उसके पिताजी लड़की पसंद करने के लिए उसके पीछे पड़े हुए थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने पिताजी से क्या बात करें लेकिन हिम्मत दिखा कर बात ही बात में उसने उस लड़की का जिक्र अपने पिताजी के सामने छेड़ दिया था,,,,,, और अपने पिता जी की स्वीकृति प्रकार वह भी पूरी तरह से उसे लड़की को ढूंढने में लग चुका था जिस रेस्टोरेंट में राकेश ने उसे लड़की को देखा था उसे रेस्टोरेंट में बार-बार जाने की सलाह उसके पिताजी ने ही दिया था इसलिए वह अब रोज उसे रेस्टोरेंट में सुबह शाम जाने लगा था इस उम्मीद से की वह लड़की जरूर उसे यहीं पर मिलेगी,,,,।



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पहली नजर का प्यार राकेश के दिलों दिमाग पर चढ़ चुका था,,, पहली बार पहली मुलाकात में ही उसे लड़की को राकेश दिल दे बैठा था और यह प्यार का चक्कर उसके साथ पहली बार हो रहा था इसलिए वह बहुत परेशान भी था और इस बात से मायूस भी हो जाता था कि पता नहीं हुआ लड़की इस शहर में उसे मिलेगी भी या नहीं क्योंकि उसे लड़की को लेकर उसके मन में ढेर सारे सवाल थे जो कि वाकई में औपचारिक भी था,,,,।

वह अपने मन में सोच रहा था कि वह लड़की हो सकता है कि शहर की ना हो बस घूमने आई हो और उसे दिन के बाद से वह रेस्टोरेंट में आई ही ना हो अपने घर चली गई हो या फिर ऐसा भी हो सकता है कि उसे लड़की की सगाई किसी और से हुई हो या वह लड़की पहले से ही किसी से प्यार करती हो या विवाहित भी हो सकती है क्योंकि ठीक तरह से राकेश ने उसे लड़की को देखा भी नहीं था मतलब था कि राकेश की नजर सिर्फ उसके भोले भाले चेहरे पर ही गई थी उसकी मांग के सिंदूर में या फिर गले में लटक रहे मंगलसूत्र पर बिल्कुल भी नहीं गई थी इसीलिए उसके मन में उसे लड़की को लेकर ढेर सारे सवाल उठ रही थी और यह सोचकर वह परेशान भी था कि अगर वह लड़की उसे मिल भी गई और उसकी शादी हो गई हो विवाहित हो या फिर किसी और से प्यार करती हो तो फिर वह अपने पिताजी से क्या कहेगा उन्हें क्या मुंह दिखाएगा,,, यह सब सोच कर वह परेशान भी हो रहा था,,,।



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जो कि उसका परेशान और चिंतित होना लाजिमी था क्योंकि वह बड़े विश्वास से अपने पिताजी से उस लड़की के बारे में बात कर चुका था,,, और मन ही मन वह उसे अनजान लड़की को अपनी पत्नी मान लिया था अपने जीवन संगिनी मान लिया था और इसीलिए वह परेशान भी था क्योंकि अगर वह लड़कि उसे नहीं मिली तो उसके पिताजी इस बारे में क्या सोचेंगे,,,, वह अपने मन में ही सोच रहा था कि उसके पिताजी को ऐसा ही लगेगा कि प्यार भर के चक्कर में उसका बेटा अभी पूरी तरह से कच्चा ही है,,,। इसलिए वह कुछ ज्यादा ही परेशान था,,,।

अपने पिता से इजाजत मिलने के बाद से वह सुबह शम रेस्टोरेंट के चक्कर लगाना शुरू कर दिया था यहां तक की वह शहर की सभी मार्केट सभी दुकानों में भी उसे ढूंढने के बहाने चक्कर लगाने लगा था लेकिन उसका कहीं अता-पता नहीं था साथ ही जहां एक तरफ मन में,,, उस लड़की को पत्नी बनाने का ख्याल पनपता था वहीं दूसरी तरफ उस औरत के बारे में भी सोच कर वह जहां भी जाता था तो उसे औरत को भी उसकी निगाहें ढूंढती रहती थी क्योंकि उसे औरत को जिस अवस्था में उसने देखा था वह कभी भूल नहीं पा रहा था इसलिए उसे औरत की भी तलाश में वह इधर-उधर भटक रहा था,,,,।



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जैसे-जैसे करके 10 15 दिन गुजर गए लेकिन उसे लड़की का कहीं आता पता नहीं चला और ना हीं वह औरत कहीं नजर आई दोनों में से एक भी सफलता उसके हाथ में नहीं लगी थी इसलिए वह निराश हो चुका था अपने पिताजी से वह नजर मिलाने में भी शर्म महसूस करने लगा था,, क्योंकि सुबह शाम खाने की मेज पर उसके पिताजी उसे लड़की के बारे में उससे पूछते थे और हर बार वह इनकार कर देता था,,, राकेश को अपने पिताजी से ना कहने में बहुत शर्म महसूस होती थी,,, और उसकी नाकामयाबी की चिंता भारी लकीरें शेठ मनोहर लाल के चेहरे पर एकदम साफ दिखाई देती थी और इस बारे में राकेश को भी पता था,,,,।


दूसरी तरफ रूपलाल के घर में उसकी बीवी रोज-रोज इस बात पर हंगामा मचा देती थी कि रूपलाल अपनी बेटी के लिए कुछ कर नहीं पा रहे हैं,,,, तकरीबन 15 दिन गुजर जाने के बाद रमा देवी का गुस्सा एकदम से फूट पड़ा,,,। जब वह दोनों सुबह के समय चाय पी रहे थे,,,।



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मैं कह रही हूं तुम्हें अपनी बेटी के फिक्र है कि नहीं,,, मनोहर लाल की पार्टी को खत्म हुए 15 दिन हो गए हैं लेकिन तुम इस बीच एक भी बार सेठ मनोहर लाल से शादी की बात नहीं किए हो,,,, आखिर तुम चाहते क्या हो,,,,।


कर लूंगा भाग्यवान तुम्हें हर चीज की जल्दी पड़ी रहती है,,,।

तुम्हें कुछ समझ में आ रहा है इस तरह की बात करते हो थोड़ा सा तो दिमाग लगाकर सोचो तुम्हें ऐसा लग रहा है कि जल्दी पड़ी है लेकिन यह नहीं जानते कि मनोहर लाल की बहू बनने के लिए ना जाने कितने लोग लाइन में लगे हैं अगर इसी बीच कोई लड़की उन्हें पसंद आ गई तब क्या करोगे,,,,।

अरे ऐसा कुछ भी नहीं होगा तुम भी खामखां घबराती हो,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए रूप लाल बोले,,)

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मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि तुम जिम्मेदार बाप हो,,, तुम्हारी बातें एकदम लापरवाह भरी है,, मेरी बातों को तुम गंभीरता से नहीं लेते,,,, आखिरकार तुम्हें भी समझना चाहिए की आरती के लिए 2 साल से अच्छे लड़के की तलाश कर रहे हैं लेकिन अभी तक नहीं मिला,,,,।

शादी तो किस्मत से होती है भाग्यवान,,,, जैसे तुम्हारी और हमारी,,,,।

ऐसी अगर किस्मत हो तो मुझे ऐसी किस्मत नहीं चाहिए तुम्हारे से तो शादी करके मुझे जिंदगी भर का रोना पड़ गया है,,,,।(मन की भड़ास निकालते हुए रमा बोली,,,, इसी बीच कॉलेज के लिए जाने के लिए आरती अपना बैग लेकर बाहर निकल ही रही थी कि अपनी मम्मी पापा की आवाज सुनकर दरवाजे के पीछे खड़ी होकर उन दोनों की बात सुनाने लगी क्योंकि वह जानती थी कि वह दोनों उसकी शादी की बात कर रहे थे और वह भी जानना चाहती थी कि उसके घर वाले उसकी शादी को लेकर खास करके मनोहर लाल की बहू बनाने के लिए किस कदर तक तैयार है शादी की बात आगे कर भी रहे हैं आप यूं ही हवा में गोलीबारी कर रहे हैं,,,,,।)



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अरे ऐसी कौन सी किस्मत खराब हो गई मेरे से शादी करके इतना अच्छा तो जीवन दे रहा हूं रानी बनकर रहती हो घर में,,,,।

रानी बनाकर,,,ऊंहहह,,,(रमा मुंह टेढ़ा करते हुए बोली,,,)

क्यों जिंदगी के सारे ऐसो आराम नहीं मिल रहे हैं यहां पर,,,,

देखो जी अब मेरा मुंह मत खुलवाओ,,, बेटी की शादी की बात हो रही है इसलिए थोड़ा बात की गंभीरता को समझो मेरी जिंदगी तो तबाह हो ही गई है मैं अपनी बेटी की जिंदगी तबाह नहीं होने देना चाहती मैं उसके लिए अच्छा घर देखना चाहती हूं इसीलिए तुमसे कह रही हूं कि सेट मनोहर लाल से बात करो कहीं ऐसा ना हो कि सब कुछ बर्बाद हो जाए और तुम बस बैठे-बैठे देखते रह जाओ,,,,।



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(रमा एकदम क्रोधित स्वर में बोल रही थी,, अपनी मां की बात सुनकर आरती को भी ऐसा ही लग रहा था कि उसके पिताजी उसकी बात अभी तक मनोहर लाल से नहीं किए हैं इसीलिए उसकी मां गुस्सा हो रही है,,,,, दरवाजे के पीछे से वह निकल जाना चाहती थी लेकिन वह उन दोनों की बातों को और भी सुनना चाहती थी वह देखना चाहती थी कि आपस में वह दोनों कैसी बहस करते हैं,,, रमा की बात सुनकर रूपलाल बोले,,,)

मैं तुम्हारी कौन सी जिंदगी तबाह कर दिया है इतने अच्छे से तो रख रहा हूं और क्या चाहिए तुम्हें,,,।


मैं आरती की शादी की बात कर रही हूं इसलिए मेरा मुंह मत खुलवाओ मुझे तो डर है कि कहीं बिस्तर पर जिस तरह से ढेर हो जाते हो कहीं आरती की शादी की बात में भी ढेर ना हो जाओ,,,,


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यह कैसी बातें कर रही हो रमा,,, थोड़ा तो शर्म करो इस तरह से खुलकर बोल रही हो,,,,।
(आरती अपनी मां के कहने के मतलब को नहीं समझ पा रही थी,,, वह नहीं जानती थी कि उसकी मां किस बारे में बात कर रही है,,, रूपलाल की बात सुनकर रमा बोली,,,)

मैं बोलना नहीं चाहती थी लेकिन तुम बुलवा रहे हो खामखा मेरा मुंह खुलवा रहे हो,,,।

लेकिन इस बारे में बात करना जरूरी है अब मैं क्या करूं तुम्हारी प्यास नहीं बुझती तो,,, ।

(अपने पापा की बात सुनकर आरती को कुछ-कुछ समझ में आने लगा था कि दोनों के बीच किस तरह की बहस हो रही है इसलिए उसके कान एकदम से खड़े हो गए पहली बार वह अपनी मम्मी पापा को इस तरह की बातें करते हुए सुन रही थी,,,,)

प्यास नहीं बुझती तो,,, ऐसा क्यों नहीं कहते की प्यास बुझा नहीं पाते अब तुम्हारा दिया एकदम से बुझ गया है,,,,।
रुपलाल की बीवी

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अरे थोड़ा तो शर्म करो भाग्यवान कुछ ही दिनों में तुम सांस बन जाओगी और अभी भी तुम जवान की बात कर रही हो इन सब का भी एक समय होता है और वह समय गुजर गया है,,,।

तुम्हारा गुजर गया होगा मेरा नहीं तुम बूढ़े हो गए हो मैं नहीं मेरे में जवानी अभी भी बरकरार है और सीधे-सीधे क्यों नहीं कहते थे कि तुम्हारी जवानी की प्यास में नहीं बुझा पाऊंगा मुझसे कोई उम्मीद मत रखना,,,।

आरती की मां अब तुम हद से ज्यादा बोल रही हो आप क्या रात भर तुम्हारी बुर में लंड डालकर पड़ा रहुं,,,,।
रुपलाल की बीवी की कल्पना

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(अपने पापा के मुंह से इस तरह की बात सुनकर लंड और बुर वाली बात सुनकर आरती के एकदम से होश उड़ गए,,,, दरवाजे के पीछे खड़ी होकर अपनी मम्मी पापा की बातों को सुन रही थी वह नहीं जानती थी कि दोनों इस कदर से गंदी बातें करने लगेंगे वह तो यही सोच रही थी कि वह दोनों उसकी शादी की बात कर रहे हैं और ऐसा हो भी रहा था लेकिन शादी की बात के साथ-साथ उसकी मां अपनी बदन की प्यास की भी बात को उभार दी थी,,,, अपने पापा के मुंह से लंड और बुर जैसे शब्दों को सुनकर वह एकदम शर्म से गड़ी जा रही थी,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें एकाएक दरवाजे से बाहर निकल भी नहीं सकती थी क्योंकि उसके मम्मी पापा की नजर उस पर पड़े सकती थी,,, इसलिए मजबूरन उसे वहीं पर खड़े रहना पड़ा,,,,, उसके पापा की बात सुनकर उसकी मम्मी बोली,,,,)
रुपलाल की बीवी की कल्पना

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आहहा,,हा ,,,,(एकदम से इतराते हुए,,,) बुर में लंड डालकर रात भर पड़े रहने का मतलब जानते हो,,,, इसका मतलब होता है वह मर्द जो रातभर मे औरत की बुर का भोसड़ा बना दे,,,, और तुम्हें अपनी हालत मालूम है ना बुर पर छुआते ही पानी फेंक देता है तुम्हारा लंड,,,,, और आए हो रात भर डालकर पड़े रहने की बात कर रहे हो,,,,,।

(आरती की तो हालत खराब हो रही थी अपने पापा के साथ-साथ अपनी मम्मी के मुंह से भी इतनी गंदी गंदी बात सुनकर उसके तो होश उड़े जा रहे थे उसकी आंखों के सामने अंधेरा जा रहा था उसे कभी उम्मीद नहीं थी उसके मम्मी पापा इस तरह से गंदी बात करते होंगे क्योंकि वह पहली बार अपनी मम्मी पापा के मुंह से इस तरह की गंदी से भी गंदी बात सुन रही थी,,, वह अपने मन में ही भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि हे भगवान यह उसके मम्मी पापा को क्या हो गया है वह तूने इस तरह की बातें क्यों कर रही है लेकिन उसे इतना तो समझ में आ गया था कि उसकी मम्मी की प्यास उसके पापा नहीं बुझा पाते हैं उसके मम्मी के कहे अनुसार उसके पापा का लंड जैसे ही उनकी बुर पर स्पर्श होता है वैसे ही उनका पानी छूट जाता है,,,।
रुपलाल की बीवी की ख्वाहिश

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अब जवान हो चुकी आरती इतना तो समझ ही सकते थे कि यह सब किस बारे में हो रहा है दोनों आपस में चुदाई के बारे में ही बात कर रहे थे आरती से सुना नहीं जा रहा था आरती इतना तो समझ ही गई थी कि उसकी मम्मी उसके पापा को उसकी मर्दानगी को ठेस पहुंचा रही थी लेकिन समझ नहीं पा रही थी कि इसमें गलती किसकी है क्योंकि आरती अभी औरत के उस महीन दौर से गुजरी नहीं थी जिसमें औरत को मर्द की बहुत जरूरत होती है,,,,,।

तुमसे तो बात ही करना बेकार है,,,,(अपनी पत्नी की बात सुनकर रूपलाल को गुस्सा तो आ ही रहा था लेकिन वह जानता था कि उसकी बीवी इस समय जो कुछ भी कह रही है वह बिल्कुल सच है,,,, वह सच में अपनी बीवी की प्यास को नहीं बुझा पा रहा था,,, वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि वह अपनी बीवी के सामने उसकी बातों से आहत हो रहा था बेईज्जत हो रहा था,,, किसी और मुद्दे पर बात होती तो शायद वह उसका जवाब दे सकता था लेकिन जिस मुद्दे पर बात हो रही थी उसमें वह पूरी तरह से दोषी था,,,)
रुपलाल की बीवी

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बात करना तो बेकार लगेगा ही क्योंकि किसी काम के जो नहीं रहे मैं तो मुझे खुश कर सकते हो ना ही अपनी बेटी का रिश्ता किसी अच्छे घर में तय कर सकते हो अब यह काम भी मुझे ही करना होगा,,,।

बेटी का रिश्ता ढूंढने की बात कर रही हो तो अपने लिए एक तगड़ा मर्द भी ढूंढ लेना जो दिन रात तुम्हारी बुर में लंड डालकर तुम्हारी बुर की प्यास बुझा सके,,,,,(और इतना कहने के साथ ही रूपलाल कुर्सी पर से उठकर खड़े हो गए और कपड़े की दुकान के लिए निकल गए,,, उनकी बीवी उन्हें जाते हुए देखती रह गई,,,,, लेकिन अपने पापा के बात पर आरती एकदम आश्चर्यचकित हो गई उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसके पापा उसकी मां को किसी गैर मर्द के साथ संबंध बनाने के लिए बोलेंगे,,,,, कुछ देर तक आरती उसी तरह से दरवाजे के पीछे खड़ी रही,,, जब थोड़ा समय बीत गया तो वहां धीरे से दरवाजे के पीछे से एकदम सहज होते हुए निकाली और अपनी मां से इस तरह से बात करने लगी जैसे कि कुछ वह जानती है ना हो वह हाथ में बाग टांगे अपनी मां से बोली,,,,)
रुपलाल की बीवी

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अरे मम्मी पापा आज जल्दी दुकान के लिए निकल गए,,,(वह एकदम सहज होकर बोल रही थी क्योंकि वह एकदम वातावरण को सहज रखना चाहती थी वह नहीं चाहती थी कि उसकी मां को बिल्कुल भी इस बात की भनक लगे कि दोनों की बातों को वह सुन ली है लेकिन वह अभी देखना चाहती थी कि उसकी मां क्या जवाब देती है,,,,)

वह कहना कि आज नए कपड़ों का स्टॉक आने वाला था इसलिए जल्दी दुकान के लिए निकल गए,,,, ।
(अपनी मां की बात सुनकर आरती को इस बात की तसल्ली हुई कि अभी भी दोनों के बीच मान सम्मान बरकरार रखने की आदत बनी हुई है लेकिन जिस तरह का बवाल दोनों के बीच मचा हुआ था वह काफी चिंताजनक था,,, और उन दोनों में जिस तरह की बातें हो रही थी उन बातों को सुनना खुद उसके लिए बेहद शर्मिंदगी भरा था क्योंकि एक बेटी होने के नाते उसके संस्कार बिल्कुल भी इजाजत नहीं देते थे कि वह अपनी मम्मी पापा के अंदरूनी बातों को सुने लेकिन यह सब अनजाने में हुआ था वह नहीं जानती थी कि दोनों के बीच इस तरह की बहस हो जाएगी,,, मुझे भी नहीं जानती थी कि उन दोनों के बीच शारीरिक सुख को लेकर बवाल मचा हुआ है,,,, अपनी मां की बात सुनने के बाद वह मुस्कुराते हुए अपनी मां के गालों पर हल्के से चुंबन करके मुस्कुराते हुए वहां से चली गई,,,,,।

शाम को जब घर आई तो घर का माहौल बिल्कुल शांत था उसकी मम्मी किचन में खाना बना रही थी और उसके पापा अपने कमरे में कुछ हिसाब किताब देख रहे थे बारी-बारी से वह दोनों के पास जाकर आई थी लेकिन दोनों में से किसी ने पहले की तरफ से बात नहीं किए थे वह समझ सकती थी सुबह जिस तरह की बात हो रही थी ऐसे में दोनों के बीच तनाव पैदा होना लाजिमी था,,,,।

खाना खाने के बाद उसके मम्मी पापा अपने कमरे में चले गए थे और वहां पानी पीने के लिए किचन में आई तो अच्छी की दूध का गिलास किचन में ही पड़ा हुआ है और दूध के गिलास को देखकर आरती समझ गई थी कि सुबह के झगड़े की वजह से शायद उसकी मां उसके पापा को दूध का गिलास देने के लिए नहीं ले गई है भूल गई या तो शायद जानबूझकर नहीं थी और यही सोचकर वह अपने मन में सोचने लगी कि दूध का गिलास उसे ही देने जाना चाहिए और यह सोचकर वह दूध का गिलास हाथ में ले ली और उसे लेकर अपनी मम्मी पापा के कमरे की तरफ जाने लगी,,,,)
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है राकेश की मुलाकात अभी तक न तो आरती से हुई और ना ही रमा देवी से रमा देवी का गुस्सा बाहर आ गया और उन दोनो की बाते आरती ने सुन ली
 
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rohnny4545

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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है राकेश की मुलाकात अभी तक न तो आरती से हुई और ना ही रमा देवी से रमा देवी का गुस्सा बाहर आ गया और उन दोनो की बाते आरती ने सुन ली
Dhanyawad dost

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rohnny4545

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एक आखरी उम्मीद लेकर सेठ मनोहर लाल अपने बेटे के कमरे में जाकर उन्हें बताते हुए एक लड़की का फोटो जो उनके ही दोस्त रूप लाल की बेटी का फोटो था उसे टेबल पर रखकर उसे देख लेने के लिए बोलकर वहां से निकल जाते हैं,,,, लेकिन राकेश पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता वह एक टक खिड़की से बाहर देखता ही रह जाता है,,,,।



Aarti ki ma ki chuchiya

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जैसे तैसे करके तकरीबन सप्ताह जैसा गुजर गया लेकिन राकेश ने टेबल पर पड़े उसे फोटो को देखने की बिल्कुल भी तसदी नहीं किया,,, एक तरह से राकेश उस‌लड़की की तलाश में पूरी तरह से टूट चुका था उस लड़की के सिवा उसकी आंखों को कोई और लड़की जंचती ही नहीं थी,, गजब की दीवानगी थी राकेश की जो उसे लड़की की तलाश में अपना जीवन बर्बाद करने पर उतारू हो चुका था वरना उसकी जगह कोई और होता तो शायद उससे भी खूबसूरत लड़की से विवाह करके अपना जीवन खुशी से गुजर सकता था लेकिन राकेश दूसरों से अलग था,,,।

राकेश खुद अपने व्यक्तित्व से हैरान हो चुका था क्योंकि आज तक वह किसी लड़की के पीछे इस कदर पागल हुआ ही नहीं था क्योंकि आज तक वह किसी लड़की को इतनी गौर से देखा भी नहीं था और ना ही कुछ लड़की के बारे में कुछ जानने की कोशिश किया था लेकिन आज पहली बार उसके जीवन में बदलाव आया था और वह भी किसी लड़की के लिए जिसके लिए वह अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा था मनोहर लाल के लाख समझाने के बावजूद भी वह कुछ भी मानने को तैयार नहीं था,,,।

ऐसे ही एक दिन बाप बेटे दोनों चाय पी रहे थे मनोहर लाल चाय की चुस्की लेते हुए अपने बेटे की तरफ बड़ी गौर से देख रहे थे वह जानते थे कि उनका बेटा बहुत परेशान है लेकिन ऐसा कब तक चलेगा क्योंकि सेठ मनोहर लाल अपनी उम्र के तकाजे से अपने अनुभव से इतना तो जानते ही थे कि उनका बेटा अंधेरे में सुई ढूंढने का काम कर रहा है,,, इसलिए अपने बेटे को समझाने के उद्देश्य से वह बोले,,,।


Aarti ki ma ki raseeli boor

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बेटा राकेश मैंने जो तुम्हारे टेबल पर तस्वीर रखी थी क्या वह लड़की तुम्हें पसंद है,,,,।

कौन सी तस्वीर पिताजी,,,,,(चाय की चुस्की लेता हुआ राकेश बोला,,,)

कौन सी तस्वीर,,, अरे क्या तुम्हें बिल्कुल भी नहीं मालूम है कौन सी तस्वीर की बात कर रहा हूं अभी सप्ताह भर पहले ही मैं तुम्हारी टेबल पर रख कर गया था और बोला था कि इस लड़की के बारे में जरूर बताना,,,,।

मैं माफी चाहता हूं पिताजी,,, मैंने ध्यान नहीं दिया और वैसे भी मुझे किसी लड़की की तस्वीर ना ही दिखाएं तो अच्छा है,,,।

यह कैसी पागलपन जैसी बातें कर रहे हो राकेश,,,, बड़ी मुश्किल से थोड़ी खुशियों का जुगाड़ करने की कोशिश कर रहा हूं और तुम हो कि सब कुछ बिगाड़ देना चाहते हो,,,,,।

कैसी खुशी पिताजी,,, यह आप भी जानते हैं कि अगर मैं किसी लड़की से शादी कर भी लिया तो मुझे वह खुशी नहीं मिलेगी जो चाहत मैंने उसे लड़की से लगा रखा है मैं कभी ना तो खुश रह पाऊंगा ना ही उस लड़की को खुशी दे पाऊंगा हम दोनों का जिंदगी खराब हो जाएगा इसलिए पिताजी मेरी खोज मुझे जारी रखने दीजिए मुझे पूरी उम्मीद है कि एक-ना एक दिन वह मुझे मिल जाएगी,,,। और वैसे भी वह लड़की जब तक मुझे नहीं मिल जाती मैं अपना ध्यान किसी और चीज में नहीं लगा सकता,,,।



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(अपने बेटे की इस तरह की बेरुखी भरी बातें सुनकर सेट मनोहर लाल को बहुत गुस्सा आया,,, लेकिन किसी तरह से वह अपना गुस्सा पी गए लेकिन फिर भी चाय के कप में अधूरी चाय छोड़कर वह गुस्से से अपनी जगह से उठते हुए बोले,,,,)

जैसी तुम्हारी मर्जी अब मैं कुछ नहीं बोलूंगा,,,,।
(और इतना कहकर शेठ मनोहर लाल वहां से निकल गए लेकिन राकेश पर इसका भी प्रभाव नहीं पड़ा राकेश जो की एक संस्कारी लड़का था वह जानता था कि उसके पिताजी कैसे हालात में उसका लालन पोषण किए है,,, उसे पढ़ा लिखा कर इंजीनियर बनाएं और वह अपने पिताजी का नाम रोशन करना चाहता था जिस तरह के संस्कार उसके पिताजी ने उसे दिए थे इस संस्कार का सहारा लेकर वह आगे बढ़ना चाहता था लेकिन एक लड़की ने उसके पूरे व्यक्तित्व को बर्बाद करके रख दिया था अपने हुस्न के माया जाल में उसे पूरी तरह से उलझा दिया था लेकिन इसमें उसे लड़की का कोई दोस्त नहीं था इसमें राकेश के नजरिए का ही दोष था,,,)


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रूपलाल को भी बहुत चिंता होने लगी क्योंकि सप्ताह जैसा समय गुजर गया था और अभी तक कोई खबर नहीं आई थी रूपलाल को लगने लगा था कि शायद उसकी बेटी के नसीब में मनोहर लाल की बहू बनना नहीं लिखा है इसलिए अपनी तरफ से आखिरी कोशिश करते हुए वह धीरे-धीरे बाजार में पहुंच गए जहां पर शेठ मनोहर लाल की मिठाई की दुकान थी,,, दुकान पर पहुंच कर रूपलाल कांच के बने काउंटर में रखी हुई बेहतरीन किस्म किस्म की मिठाई की तरफ नहीं बल्कि दुकान के अंदर उनकी नज़रें सेठ मनोहर लाल को ढूंढने लगी,,,,, तभी एक जगह कुर्सी पर बैठकर हिसाब किताब देख रहे मनोहर लाल पर रूपलाल की नजर पड़ गई और वैसे ही मनोहर लाल की भी नजर रूप लाल पर पड़ गई रूपलाल को देखते ही,,,, मनोहर लाल के चेहरे पर थोड़ी उदासी सी छा गई लेकिन रूपलाल उनका बचपन का मित्र था इसलिए अपने चेहरे पर बनावटी मुस्कुराहट लाते हुए मनोहर लाल बोले,,,।

AArti ki ma ki jawani

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अरे आओ रूपलाल बहुत दिनों बाद दिखाई दे रहे हो,,,,(सेठ मनोहर लाल रूप लाल का हंसी खुशी अभिवादन कर रहे थे लेकिन अंदर ही अंदर इस बात से दुखी थे कि उनके द्वारा दिया गया फोटो अभी तक उनके बेटे राकेश ने देखा नहीं था और साफ कह दिया था की लड़की के सिवा वह किसी और के साथ विवाह नहीं करेगा इसीलिए मनोहर लाल को समझ में नहीं आ रहा था कि रूपलाल को क्या बोले,,,,।

और रूप लाल भी इसी उद्देश्य से ही मनोहर लाल की दुकान पर आया था इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोला,,,,)

अरे मनोहर काम काज जितना बढ़ गया है कि समय ही नहीं मिलता वह तो यहां से गुजर रहा था तो सोचा चलो तुमसे मिल भी लूंगा और तुम्हारी दुकान की बेहतरीन मिठाई भी खरीद लूंगा क्योंकि घर पर कुछ मेहमान आ रहे हैं,,,,(मिठाई और मेहमान वाली बात रूपलाल जानबूझकर बोला था वह झूठ बोल रहा था वह तो यह जान आया था कि उसकी बेटी के फोटो को देखकर क्या निर्णय लिया गया है,,,)
Ramaa ki kalpna

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चलो कोई बात नहीं इसी बहाने तुमसे मुलाकात तो हो गई आओ आओ,,,, बेठो,,,,,।

(रूपलाल धीरे से दुकान में प्रवेश किया और सेठ मनोहर लाल के सामने रखी कुर्सी पर जाकर बैठ गया,,,,, दोनों में बातचीत शुरू हो गई थी सेट मनोहर लाल को इस बात का डर था कि रूपलाल फोटो के बारे में ना पूछ ले और रूपलाल इसी तक में था कि किसी बहाने से वह अपनी बेटी के फोटो के बारे में पूछे,,,,, सेठ मनोहर लाल के कहने पर उनका कारीगर दुकान के सबसे बेहतरीन मिठाई को पैक कर दिया था,,,, सेठ मनोहर लाल के लाख कहने के बावजूद भी मिठाई की कीमत अपनी जेब से निकालकर काउंटर पर रूपलाल रख दिए,,,, और दुकान से निकलते निकलते बड़ी हिम्मत करके पूछ ही लिए,,,)

अरे हां मनोहर,,,, तुम्हें मैंने अपनी बेटी का फोटो दिया था तो क्या निर्णय लिए,,,,।
(जिसका डर था वही हुआ मनोहर लाल अपने मन में यही सोच रहे थे कि रूप लाल उसे फोटो के बारे में ना ही पूछे तो अच्छा ,,,, लेकिन जाते-जाते रूप लाल ने पूछा ही लिया था तो इस सवाल को सुनते ही मनोहर लाल का चेहरा एकदम से लटक गया और वह उदास मन से बोले,,,)
Rakesh ki kalpna

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तुम्हारी बेटी में कोई कमी नहीं है रूपलाल कमी तो अब लगता है मेरे बेटे में ही है अभी तक उसने तुम्हारी बेटी का फोटो देखा ही नहीं है वह तो जीद ठान कर बैठा है की शादी करेगा तो उसी लड़की से वरना नहीं करेगा,,,,। आज बरसों बाद मुझे फिर से राकेश की मां की कमी एकदम से खलने लगी है मेरी परवरिश में ही कोई कमी रह गई थी जो इस तरह की औलाद पैदा हुई अगर राकेश की मां होती तो शायद यह दिन देखना ना पड़ता,,,,।

अरे नहीं नहीं मनोहर ऐसा मत बोलो तुमने परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी है बस लड़का थोड़ा सा बह गया है वक्त रहते हो वह भी सही रास्ते पर आ जाएगा,,,, अच्छा तो मैं चलता हूं,,,,।

(इतना कह कर रूप लाल उदास मन से दुकान से बाहर निकल गया और,,, अपने घर पहुंच गया,,,, घर पर पहुंचते ही वह घर के बाहर ही लोन में रखी कुर्सी पर बैठकर गहरी सांस लेने लगा,,, शाम ढल चुकी थी वह जानता था कि उसकी बीवी मंदिर गई हुई है और उसके आने की तैयारी है और आते ही फिर से बखेड़ा खड़ा कर देगी,,,,,,,,।

और थोड़ी देर में उसकी बीवी भी मंदिर से लौट आई और कुर्सी पर रूपलाल को बैठा हुआ देखकर सीधे सवाल पूछ बैठी,,,


क्या हुआ कुछ आया जवाब कि आज भी कहोगे कि मुझे नहीं मालूम,,,।


अरे भाग्यवान क्यों तुम अपनी बेटी को उस घर में भेजने की जीद ठान कर बैठी हो,,,।


क्यों तो क्या मैं उसे कहीं भी किसी के भी हाथ में सौंप दुं ,,,,( रमा देवी एकदम से गुस्से में बोली )


Rakeshki kalpna us anjaan aurat k sath

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नहीं तो क्या जबरदस्ती किसी के भी घर में भेज दोगी,,,,, तुम अपनी जीद के आगे मुझे पागल कर दोगी,,,, तुम इतना तो पता ही होना चाहिए की जोड़ियां आसमान में बनती है हमारे चाहने से कुछ नहीं होता,,,..।



ऐसा क्यों नहीं कहते कि तुम हार गए उनसे बात करने में तुम्हें डर लगता है,,,,।


मुझे डर लगताहै,,, अरे भाग्यवान मुझे डर नहीं लगता आज गया था मैं उनकी दुकान पर बात करने के लिए लेकिन पता है उन्होंने क्या बोला कि अभी तक उनका लड़का तुम्हारी लड़की का फोटो देखा ही नहीं है पागल हो गया है वह उसे लड़की के चक्कर में अगर उसके साथ अपनी लड़की की शादी हो भी गई तो वह कभी खुश नहीं रह पाएगी,,,, खुद सेठ मनोहर लाल अपने बेटे से तंग आ गए हैं,,,,, सोचो जरा अगर जोर जबरदस्ती करके अगर हम अपनी बेटी उनके घर में ब्याह देते हैं तो क्या वह खुश रह पाएगी नहीं खुश रह पाएगी,,,,, और यह बात भी सोच लो की शादी ब्याह सब पहले से तय होकर आता है,,,,।


Aarti apni peticoat utarti huyi
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(इस बार रूपलाल की बीवी एकदम शांत हो गई,,, वह समझ गई कि इतनी कोशिशों के बावजूद भी अगर बात नहीं बन रही है तो शायद किस्मत में मनोहर लाल की बहू बना नहीं लिखा इसलिए रमा देवी का चेहरा भी उतर गया,,,,, और वह इस बार कुछ बोली नहीं और सीधा रसोई घर में चली गई,,,,।

रसोई घर में जाते ही उनकी आंखों में आंसू आ गए लेकिन वह किसी तरह अपने आप को संभाल कर खाना बनाने लगी,,, और अपनी और राकेश के बीच हुई मुलाकात के बारे में सोचने लगी की कैसे दोनों के बीच मुलाकात हुई थी अगर दोनों के बीच सास और दामाद का रिश्ता बन भी जाता है तो जिस तरह से दो बार उसे मुलाकात हुई थी उसे मुलाकात को लेकर वह कभी उसे आंख नहीं मिल पाएगी एक बार तो कपड़े की दुकान पर राकेश ने उसे अर्धनग्नअवस्था में देख ही चुका था और दूसरी बार वह खुद उसके घर के पार्टी में उसके ही कमरे में जाकर पेशाब की थी और पेशाब करते समय भी राकेश उसे देख चुका था,,,,।



Rakeshki khwahish

और यही सब सो कर वह अपने दिल को तसल्ली दे रही थी कि अच्छा हुआ कि यह रिश्ता नहीं हुआ वरना वह कभी भी अपने दामाद से नजर नहीं मिला पाती,,, और तो और अगर यह रिश्ता हो जाता तो राकेश उसके बारे में क्या सोचता ,,,, क्योंकि दो बार किसी एक ही औरत को अधनंगी हालत में देखने के बाद एक जवान मर्द क्या सोचता उसके बारे में कैसी धारणाएं बांधता,,, और जिस तरह से वहां खुद उसके ही कमरे में जाकर उसके ही बाथरूम में पेशाब कर रही थी और वह भी दरवाजा खुला छोड़कर हो सकता है यह सब देखकर राकेश खुद उसके बारे में गलत सोचता उसके चरित्र पर उंगली उठाता,,, और यही सब सोचकर वह अपने मन को तसल्ली दे रही थी कि अच्छा ही हुआ कि जो यह रिश्ता नहीं हो पा रहा है,,,।

Rakesh ki chahat

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फिर भी मन में एक दुख था कि अपनी बेटी का रिश्ता वह अच्छे घर नहीं कर पाई इसलिए वह सबके साथ खाना खाते समय भी कुछ बोल नहीं पाई थी,,,, रात को अपने कमरे में जाकर वह सो गई थी रूपलाल भी अपनी बीवी की वेदना को समझ रहा था इसलिए कुछ बोला नहीं लेकिन आरती अपने कमरे में कुछ ज्यादा ही मस्ती के मुड में आ चुकी थी जिसका कारण थी उसकी सहेली क्योंकि उसकी सहेली उसके साथ गंदी गंदी बातें कर रही थी और साथ में रास्ते में एक गधे को दिखाई थी और उसके मोटे तगड़े लंड को देखकर आरती की भी हालत खराब हो रही थी और यही कारण था कि वह अपने कमरे में एकांत पाकर सुरूर में आ गई थी,,,,।

वैसे तो वह कभी जल्दी बहकती नहीं थी लेकिन कभी-कभार आंखों के सामने इस तरह की तरह से आ जाने के बाद वह दृश्य उसके दिलों दिमाग से जल्दी मिटते नहीं थे और इसी के चलते वह बिस्तर पर सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल रही थी,,, आखिर करवाती एक स्त्री थी और उसकी भी कुछ भावना ही थी उसका भी उम्र हो चुका था शादी का अगर शादी हो चुकी होती तो अब तक वह संभोग सुख प्राप्त कर चुकी होती लेकिन अभी विवाह में देरी थी लेकिन ख्वाहिशों का क्या उत्तेजना किसी की मोहताज नहीं होती ना शादी की ना समय की और इसीलिए वह अपनी उत्तेजना से मजबूर होकर धीरे-धीरे अपनी सलवार की डोरी खोल कर अपनी सलवार को अपने बदन से दूर कर चुकी थी,,,।
Arti or rakesh
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बिस्तर पर अपनी दोनों टांगों को खोलकर वह अपनी हथेली से अपनी गुलाबी बुर को मसल रही थी,,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह जानती थी कि यह सब गलत है लेकिन फिर भी मजबूर थी अपने मम्मी पापा की चुदाई वाले दृश्य को देखकर वह इस तरह की हरकत को अंजाम दी थी और अब रास्ते में देखे गए दृश्य के बारे में सोचकर उसके दिमाग की गर्मी बढ़ती जा रही थी,,,। वैसे भी जब से इस बात का पता चला कि राकेश जी लड़की से टकराया था वह लड़की वही थी तब से वह भी साथ में आसमान में उड़ रही थी हालांकि राकेश के चेहरे के बारे में वहां कल्पना नहीं कर पा रही थी क्योंकि वह राकेश का चेहरा भूल चुकी थी लेकिन फिर भी एक बड़े घर की बहू बनने के एहसास से ही वह मस्त हुए जा रही थी और बिस्तर पर पागलों की तरह अपनी बुर को मसलते हुए धीरे-धीरे अपनी गुलाबी छेद में अपनी उंगली को प्रवेश करने लगी और देखते ही देखते उसकी उंगलियां उसके कल्पना में लंड का आकार लेकर उसकी बुर के अंदर बाहर होना शुरू कर दिया था,,, और फिर देखते ही देखते वह झड़ने लगी उसका खूबसूरत चेहरा पसीने से तरबतर हो गया लेकिन झडने की खुशी उसकी मदहोशी उसे एकदम से संतुष्ट कर गई और वह धीरे-धीरे शांत हो गई,,,।
 
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sunoanuj

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Bahut hee badhiya update … ab mitr kahani ko thoda aagey badhao… aisa lag raha hai kahani atak gayi hai …
 

rohnny4545

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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
राकेश ने आज एक बार अपनी होने वाली सास की गांड़ के दर्शन कर लिए यह उसके लिए दूसरी बार था बेचारा बिना कपड़े लिए ही दुकान से निकल गया
Saas ki gaand damdaar he
 
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rohnny4545

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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है चेंजिंग रूम वाले सीन को देखकर राकेश उत्तेजित हो गया वही राकेश को देखकर रमा देवी भी उत्तेजित हो गई लेकिन उसके पति ने उसे बीच मझधार में ही छोड़ दिया उसे पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाया वही राकेश भी उस सीन को याद करके झड़ गया अब देखते हैं दोनो की मुलाकात जब पार्टी में होगी तो दोनो का rection क्या होगा
Thanks rooplaal ki bibi nahati huyi

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rohnny4545

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बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है
रूपलाल अपनी बीवी की आग को शांत नहीं कर पाता है और आगे भी उससे कुछ नही होने वाला रमा देवी में अभी तक जवानी की आग है
आज पार्टी में रमा और आरती का सामना राकेश से होने वाला है जिससे देखकर दोनो ही उस पर लट्टू होने वाली है
Thanks dear...
Rooplaal ki bibi ki jawani


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rohnny4545

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बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है रमा देवी ने फिर से बिना कुंदी लगाए बाथरूम में घुस गई वहा एक बार फिर से राकेश ने उसी अवस्था में देख लिया रमा देवी को एक झटका लगा जब उसे पता चला कि दोनो बार उसकी गांड़ देखने वाला सेठ का ही लड़का है जिससे वह अपनी बेटी की शादी करवाना चाहती हैं
Rooplaal ki bibi ki chaddhi utarta hua rakesh
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