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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है रूपलाल तेल और गोली ले आया है ताकि वह पहले की तरह अपनी बीवी की प्यास भुझा सके लेकिन लगता नही है कि तेल कुछ काम करेगा आरती ने पहली बार अपनी मां और बाप की चूदाई देखी हैसुबह में हुए अपनी मम्मी पापा के झगड़े की वजह से आरती को ऐसा लग रहा था कि उसकी मम्मी गुस्सा कर अपने कमरे में सोने चली गई है और उसके पापा के लिए दूध लेकर नहीं गई इसलिए वह अपने हाथ में दूध का गिलास लेकर अपने पापा के कमरे की तरफ जाने लगी थी,,,।
लेकिन दूसरी तरफ कमरे के अंदर का नजारा कुछ ओर ही था,,,, रूपलाल सब कुछ भुलाकर अपनी बीवी को मनाने की कोशिश कर रहे थे,,,, वह बिस्तर पर लेटे हुए थे,,, रुपलाल की बीवी,, गुस्सा कर बिस्तर पर किनारे बैठी हुई थी,,, रूपलाल भी उठकर बैठ गया और अपनी बीवी के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,।
तुम खामखा नाराज हो जाती हो,,,,
नाराज क्यों ना होऊं,,,,,, तुम मेरी एक भी बात सुनते कहां हो,,,, कितने दिन से कह रही हूं की आरती के बारे में बात करो आरती के बारे में बात करो लेकिन तुम हो कि सुनने का नाम ही नहीं लेते,,,।
अरे भाग्यवान तुम समझ नहीं रही हो मनोहर लाल बहुत बड़ा आदमी है भले ही मेरा दोस्त है लेकिन इस तरह से सीधे-सीधे उसको जाकर यह कहूंगा कि मेरी लड़की को अपने घर की बहू बना लो तो यह तो हमारी मजबूरी हो जाएगी कभी बात जिक्र छेढ़ेगा तो मैं जरूर आरती की बात करूंगा इतनी सीधे-सीधे जाकर उससे कहने में कुछ अजीब लगता है,,,।
मैं भी जानती हूं किसी से सीधे जाकर इस तरह की बात नहीं की जा सकती लेकिन मुझे इस बात का डर है कि कहीं देर हो गई तो,,,,।
देखो भाग्यवान यह सब किस्मत का खेल है शादी विवाह सब किस्मत से होता है अगर उसकी किस्मत में मनोहर लाल की बहू बना लिखा होगा तो हमें तो कहने की भी जरूरत नहीं है रिश्ता खुद ब खुद चलकर घर पर आ जाएगा,,,,।
तुम्हारी यह सब बातें मुझे पढ़ने नहीं पड़ती तुम हर काम किस्मत पर छोड़ देते हो कुछ करते नहीं,,,, जैसा कि बिस्तर पर,,,,,।
अरे भाग्यवान उसका भी समाधान करके आया हूं,,,।
समाधान,,,, कैसा समाधान,,,,?(आश्चर्य से अपने पति की तरफ देखते हुए रमा बोली,,,)
तुम शायद नहीं जानती लेकिन तुम्हारी यह सब बातें सुनकर मुझे भी ऐसा लगने लगा है कि जरूर मेरे में ही कुछ कमी है इसलिए मैं इसके इलाज के लिए डॉक्टर के पास गया था,,,,।
डॉक्टर के पास,,,(एकदम उत्साहित होते हुए रमा बोली,,,)
हां एक डॉक्टर के पास,,,,
तो क्या कहा डॉक्टर ने,,,,
डॉक्टर ने पूरी जांच पड़ताल करके कहा है कि ज्यादा परेशान होने वाली बात नहीं है उसकी दी हुई दवाई अगर में एक-दो महीना तक खाऊंगा और उसके द्वारा दिया गया तेल लगाऊंगा तो जल्द ही मेरी मुसीबत दूर हो जाएगी,,,,।
यह बात है,,, लेकिन वह दवा और तेल कहां है,,,,, लाए जल्दी दिखाओ मुझे,,,,(वह एकदम से उत्साहित होते हुए बोली उसे रहा नहीं जा रहा था क्योंकि इस समय उसकी जरूरत यही थी,,,)
अरे रुको तो सही थोड़ा सब्र करो मैं अभी तुम्हें दिखाता हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही रूप लाल अपनी बिस्तर पर से नीचे उतर गया और अलमारी के पास किया और अलमारी में रखे हुए कपड़े के पीछे छुप कर रखी हुई तेल की सीसी और दवाई अपने हाथ में लेकर खुश होते हुए अपनी बीवी के पास आया,,,,)
यह देखो यही दिया है डॉक्टर ने,,,,
(रूपलाल ने जैसे ही अपनी बीवी को दवा दिखाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया वैसे ही तुरंत रमा अपना हाथ आगे बढ़कर उसके हाथ से दवाई और तेल की सीसी ले ली और तेल किसी को बड़े करे से उलट पलट कर देखने लगी,,,, तेल की शीशी पर कीमत लिखी हुई थी 899रुपया,,,, इतनी कीमत देखकर वह आश्चर्यजताते हुए बोली,,,,)
बाप रे समझ लो पूरे ₹900 हैं सिर्फ केवल ₹1 कम है,,, इतनी महंगी,,,,।
अरे मुसीबत भी तो वैसे ही है इसीलिए दवा भी महंगी है,,,,।
क्या यह काम करेगी,,,,।
रमा और उसका पति
100% डॉक्टर ने पूरा विश्वास दिलाया है और मैं ही वही नहीं था उसके वहां तो बहुत भीड लगती है,,, दो-चार लोगों से मैंने पूछा भी वह लोग भी वहीं से दवा ले रहे हैं और उन्हें आराम लगने लगा है वह दवा काम करने लगी है इसीलिए तो मैंने लिया हूं वरना मैं लेता ही नहीं,,,।
कसम से अगर यह काम करने लगा तब तो मजा ही आ जाएगा,,,,(उसे सीसी के धोखे को इधर-उधर घूमा कर देखते हुए बोली,,, वह सीसी के खोखे पर छपे हुए खड़े लंड को देख रही थी जो की काफी मोटा और लंबा था,,, और मन ही मन सोच रही थी काश उसके जीवन में भी उसकी बुर के लिए ऐसा मोटा तगड़ा लंड लिखा होता तो उसका जीवन सफल हो जाता ,,, फिर भी उस खोखे पर छपे लंड को देखकर वह उत्तेजित होने लगी थी और उस चित्र को अपने पति को दिखाते हुए बोली,,,)
रुपलाल अपनीबीवी की चड्डी उतरता हुआ
अगर तुम्हारा ऐसा होता तो कितना मजा आता,,,,।
शुरू शुरू में तो ऐसा ही था अब उम्र का थोड़ा तो फर्क पड़ेगा ही,,,,।(रूपलाल इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि धोखे में छपे लंड से आधा भी नहीं था उसका लंड फिर भी वह अपने मन को मनाने के लिए बोल रहा था,,,,)
चलो अब जल्दी से दवा खा लो फिर मैं यह तेल तुम्हारे लंड पर लगाकर मालिश कर देती हूं देखु तो सही इसका असर,,,, थोड़ा बहुत तो करंट लगाएगा ही ,,,।
हां शुरू शुरू में थोड़ा बहुत तो असर करेगा ही धीरे-धीरे कुछ ज्यादा असर करने लगेगा,,,।
(इतना कहने के साथ ही रूपलाल टेबल पर रख पानी के गिलास को हाथ में दिया और दवाई को मुंह में डालकर पानी पी लिया और फिर सीधा बिस्तर पर आ गया जहां पर उसकी बीवी पूरी तरह से तैयार थी,,,,)
रमा और उसका पति
अब बिस्तर पर लेट जाओ,,,,, मैं भी जरा देखूं इस तेल का कमाल,,,,,,।
(अपनी बीवी की बात सुनते ही रूपलाल बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया,,,,, वह इस बात से खुश तथा ही की वह अपनी कमजोरी के लिए तेल और दवाई लेकर आया था और इस बात से कुछ ज्यादा ही खुश था कि उसकी बीवी बहुत जल्दी मान गई थी उससे नाराज नहीं थी,,,,,रमा अपने हाथों से अपने पति का पजामा उतरने लगी और देखते ही देखते कमर के नीचे उसे पूरी तरह से नंगा कर दी नंगा होते ही उसकी नजर अपने पति के दोनों टांगों के बीच कहीं तो देखकर थोड़ी तो निराशा उसे महसूस हो रही थी क्योंकि जहां पर पति-पत्नी के बीच इस तरह की बातें आपस में होती हो वहां पर पति-पत्नी दोनों ही उत्तेजित हो जाते हैं जैसा कि वह खुद हो रही थी उसे पूरा अहसास हो रहा था कि उसकी बुर से पानी टपक रहा था वह तेज हो रही थी लेकिन उसके पति में जरा भी फर्क नहीं पड़ रहा था उसका लंड मुरझाए हुए बैंगन की तरह था,,,, फिर भी मन में उम्मीद लिए वह अपना हाथ आगे बढ़कर अपनी उंगली से लंड को इधर-उधर करने लगी क्योंकि इस समय सुषुप्त अवस्था में उसकी उंगली जितना ही था,,,,।
रमा और उसका पति
फिर भी उसकी हरकत से रूपलाल के लंड में थोड़ी बहुत हलचल होने लगी,,, जिसे देखकर रमा भी खुश हो रही थी,,,,,, और वह खुश होते हुए उसे खोखे में से तेल की सीसी बाहर निकाल ली,,,, और उसका ढक्कन खोलने लगी,,,, यह देख कर रूपलाल मन ही मन बहुत खुश हो रहा था उसे भी ऐसा था कि तेल लगाते ही उसके लंड में हरकत जरूर होगी,,, और देखते ही देखते उसकी बीवी तेल के सीसी के ढक्कन को खोलकर एक तरफ रख दी और उसमें से तेल की धार को अपनी हथेली पर गिराते हुए धीरे से सीसी का ढक्कन लगाकर बंद कर दी,,,,।और उसे नीचे रख दी,,, और फिर हथेली में लिया हुआ तेल वह बड़े आराम से अपने पति के लंड पर लगाने लगी,,,, वह बड़ी शिद्दत से अपने पति के लंड पर तेल की मालिश कर रही थी,,,।
और दूसरी तरफ आरती अपनी मां के कमरे तक पहुंच चुकी लेकिन अच्छी दरवाजा बंद है लेकिन खिड़की से उजाला बाहर आ रहा था इसलिए वह दरवाजे पर दस्तक देने से पहले यह देख लेना चाहती थी कि उसके मम्मी पापा सो रहे हैं या जाग रहे हैं इसलिए कहा सहज रूप से औपचारिकता निभाते हुए खिड़की से अंदर की तरफ देखी तो अंदर का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,,,,।
रमा और उसका पति कुछ ईस तरह से
kasak song
ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,, वह कभी सोची नहीं थी कि उसे अपनी मां के कमरे में इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी उसे सब को साफ नजर आ रहा था जिंदगी में पहली बार उसने इस तरह का दृश्य अपनी आंखों से देखी थी,,, और वह भी किसी गैर का नहीं बल्कि अपने ही मम्मी पापा का,,,, कुछ देर के लिए उसे कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें वह अपनी आंखों से क्या देख रही है कमरे में क्या हो रहा है वह एकदम से शुन्य मनस्क हो चुकी थी,,, लेकिन जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि अंदर एक मर्द और औरत के बीच खेले जाने वाला खेल जारी है तो उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह वहीं खड़ी रहे या वहां से चली जाए,,,,।
रमा और उसका पति
आरती पूरी तरह से जवान हो चुकी थी शादी के लिए लड़का ढूंढा जा रहा था इसका मतलब साफ था कि अब वह चुदवाने के लिए तैयार थी,,, उसके बदन में भी जगह-जगह पर उभार आ चुका था वह पूरी तरह से जवान हो चुकी थी इसलिए औपचारिक रूप से इस तरह का दृश्य देखने पर जिस तरह का एहसास दूसरी लड़कियों को होना चाहिए वही एहसास आरती को भी होने लगा था उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल होती हुई महसूस होने लगी थी,,, आरती वहां पर खड़ी रहना नहीं चाहती थी वह दबे पांव वहां से वापस लौट जाना चाहती थी लेकिन ऐसा हुआ कर नहीं पा रही थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार किसी मर्द और औरत के बीच के रिश्ते को वह अपनी आंखों से देख रही थी और कमरे में कोई गैर नहीं बल्कि उसके ही मम्मी पापा थे इसके बारे में कभी सोच नहीं सकती क्योंकि इस उम्र में भी दोनों इस तरह की हरकत करते होंगे,,,,।
रमा और उसका पति कुछ इस तरह से
उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां उसके पापा के लंड पर मालिश कर रही थी,, और सुबह जिस तरह से दोनों के बीच जी मुद्दे पर लेकर बात हो रही थी आरती को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां उसके पापा के लंड को खड़ा करने की कोशिश कर रही है,,,, तभी उसके कानों में उसकी मां की आवाज सुनाई दे जो उसके पापा से बोल रही थी,,,।
अभी तक तुम्हारे लंड में कोई हरकत नहीं हो रही है,,,।
(अपनी मां के मुंह से इस तरह की बात सुनकर खास करके लंड शब्द का प्रयोग सुनकर उसके तो होश उड़ गए उसकी भी बुर की स्थिति बिगड़ने लगी उसे अपने कानों पर और अपनी आंखों पर भी विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी हो रहा था उसकी आंखों के सामने सब कुछ वास्तविक था इसमें कोई भी कल्पना या सपना नहीं था तभी उसके पापा की आवाज उसके कानों में आई)
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मुझे महसूस हो रहा है थोड़ा और हीलाओ धीरे-धीरे खड़ा हो रहा है,,,,।
लो हीला देती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह लंड को जो उंगली से पकड़ कर हिलाने लगी,,, रूपलाल का लंड रबड़ की तरह इधर-उधर हो रहा था लेकिन उसमें जरा भी उत्थान नहीं था इस बात को आरती भी अच्छी तरह से समझ रही थी ना जाने क्यों उसके मन में अपने पापा के खड़े लंड को देखने की आवश्यकता जगने लगी,, क्योंकि उसने एक बार अपनी सहेली के द्वारा लंड का चित्र देखी थी जिसमें एक औरत मर्द के लैंड को हाथ में लेकर उसे अपने होठों से लगाई हुई थी और वह लंड गधे के लंड की तरह ही था,,, इसलिए आरती को समझ में नहीं आ रहा था कि वह चित्र वास्तविक था या झूठा क्योंकि वह अपने पापा के लंड को अच्छी तरह से देख रही थी जो की छोटी सी उंगली के बराबर ही था और वह अपने मन में सोच भी रही थी कि खड़ा होने पर कितना खड़ा होगा,,,।
रमा अपने कमरे में
आरती यह सब सोच ही रही थी कि तभी उसकी मां की आवाज उसके कानों में पड़ी,,,)
लगता है तेल बेकार है,,,,।
अरे भाग्यवान महीना भर का समय लिया है डॉक्टर ने एक ही दिन में थोड़ी खड़ा कर देगा जरा तुम इसे मुंह में लेकर चूसो शायद बात बन जाए,,,,।
(अपने पापा के मुंह से इस तरह की बात को सुनकर तो आरती एकदम स्तब्ध रह गई उसके तो होश उड़ गए उसे यकीन नहीं हो रहा था कि बंद कमरे में उसके मम्मी पापा इस तरह की गंदी बातें करते हैं और जिस तरह से उसके पापा लंड को मुंह में लेने के लिए बोल रहे थे उसकी मां को आरती समझ नहीं पा रही थी कि वाकई में उसकी मा मुंह में लेगी या नहीं,,,, क्योकी आरती जानती थी कि उसकी मां वह धार्मिक किस्म की थी पूजा पाठ समाज सत्संग इन सब पर ज्यादा ध्यान देती थी इसीलिए तो उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि कमरे के अंदर बिस्तर के ऊपर जो औरत बैठी हुई है वाकई में उसकी मां है या कोई दूसरी औरत,,, और आरती के आश्चर्य के बीच,,, उसकी मां नीचे झुककर उसके पापा के लंड को मुंह में भरली और से चूसने लगी,,,।
रमा अपने कमरे में
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यह नजारा देखकर आरती को सब कुछ सपना जैसा लग रहा था उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे अपनी मां पर विश्वास नहीं हो रहा था उसकी हरकत पर विश्वास नहीं हो रहा था वह कभी सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी मां इस तरह की हरकत करेगी,,,, उसका दिल बड़े जोरों से तड़प रहा था वह भी बेहद उत्तेजित हो गई थी उसे सांप में से सो रहा था की उत्तेजना की वजह से उसकी पेंटि गीली हो रही थी उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,, उसे ऐसा लग रहा था कि उसके पापा की बात सुनकर उसकी मां गुस्सा करेगी लेकिन वह तो एकदम खुशी-खुशी उसके पापा का कहां मानकर उनके लंड को मुंह में ले ली थी,,,।
अब तो आरती का खिड़की पर से हटने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था,,, उसकी आंखों के सामने ऐसा लग रहा था कि कोई गंदी फिल्म चल रही है जिसे वह चोरी चोरी देख रही है,,,, उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां बड़े आराम से उसके पापा के लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और उसके पापा अपना हाथ आगे बढ़कर ब्लाउज के बटन को खोल रहे थे,,,, प्रोजेक्ट देखे उसके पापा ब्लाउज के सारे बटन खोलकर चुची को हाथ में लेकर दबाना शुरू कर दिए,,, इस नजारे को देखकर आरती का हाथ खुद ब खुद उसकी खुद की चूची पर आ गई और वह हल्के से उसे दबा दे और उसके मुंह से हल्की सी आह निकल गई,,,,।
अपनी मां की अश्लील हरकतों को देखकर आरती का बदन तपने लगा था,,,, अभी उसके कानों में उसके पापा की आवाज सुनाई दी,,,।
आहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है आरती की मां,,,,आहहहहह,,,, अब लग रहा है कि तुम्हारे मुंह में मेरा लंड बड़ा हो रहा है,,,।
(अपने पापा किस बात को सुनकर आरती के तन बदन में आग लगने लगी उसे भी एहसास होने लगा कि वाकई में उसकी मां ने कमाल कर दिया है उसके पापा के लंड को अपने मुंह में लेकर खड़ा कर दि है,,,, अब आरती का मन अपने पापा के लंड को देखने के लिए मचलने लगा वह देखना चाहती थी कि उसके पापा का लंड कैसा नजर आता है कैसा दिखाई देता है उसकी लंबाई मोटाई कैसी है,,,,, तभी थोड़ी देर बाद उसकी मां धीरे से लंड को अपने मुंह से बाहर निकाली,,,, लंड में थोड़ी बहुत जान आ चुकी थी लेकिन अभी भी वह रबड़ की तरह झुल रहा था,, लेकिन थोड़ा बहुत उसकी लंबाई बढ़ चुकी थी लेकिन फिर भी आरती इससे संतुष्ट नहीं थी क्योंकि जिस लंड के चित्र उसने अपनी आंखों से देखी थी उस लंड से उसकी तुलना करना पागलपन के बराबर था,,, क्योंकि चित्र में देखे गए लंड की तुलना में उसके पापा का लंड बच्चे के ही तरह था,,,। मुंह में से निकले हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए उसके पापा बोले,,,,)
दिल के साथ-साथ तुम्हारे मुंह ने भी कमाल कर दिया,,,,,।
लेकिन अभी बहुत ढीला है ठीक से घुसेगा नहीं,,,,।
(रमा अपनी साड़ी खोलते हुए बोली अपनी मां की बात सुनकर आरती अपनी मां की उत्तेजना और उसकी उतावलेपन और उसकी चुदास पन को अच्छी तरह से समझ रही थी,,, और अपने आप से ही बोली दिन में तो कितनी सीधी-सादी धार्मिक बनी रहती है रात को देखो क्या गुल खिला रही है,,,,, अपनी बीवी की बात सुनकर रुपलाल बोले,,,)
चिंता मत करो रानी तुम्हारी बुर पर छूवाऊंगा तो अपने आप टनटना जाएगा,,,।
नहीं नहीं सीधे डाल मत देना मुझे मालूम है दो-तीन धक्के में तो तुम्हारा पानी निकल जाएगा और मैं प्यासी की प्यासी रह जाऊंगी पहले तुम अपनी उंगली से मेरी प्यास बुझाओ,,,,,।
(अपनी मम्मी पापा की बात सुनकर तो आरती की हालत खराब होती जा रही थी उसकी बुर से पानी का सैलाब फुट रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि कहीं उसके हाथ में लिया हुआ दूध का गिलास नीचे गिर ना जाए इसलिए वह धीरे से क्लास को नीचे रख दे और फिर से खिड़की में से देखने लगी वह पूरी तरह से पागल हो जा रही थी उसकी बुर से भी पानी निकल रहा था और उसकी पेंटिं गिली हो रही थी,,,। अपनी मां की ख्वाहिश को सुनकर उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसके पापा मन ही मन खुश हो रहे थे उनकी खुशी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी और वह मुस्कुराते हुए बोले,,,)
ठीक है मेरी जान तुम्हारे लिए तो जान आई रे बस जल्दी से नंगी होकर लेट जाओ,,,,।
(जिंदगी में पहली बार अपनी मम्मी पापा के मुंह से इस तरह की गंदी बातों को सुन रही थी और हैरान भी हो रही थी और न जाने क्यों उन लोगों के मुंह से इस तरह की गंदी बातों को सुनकर वह उत्तेजित भी हो रही थी,,, और थोड़ी ही देर में उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई अपनी मां को पहली बार वह पूरी तरह से नग्नावस्था में देख रही थी ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में उसका गोरा बदन एकदम चमक रहा था,,,।
आरती को अपनी मां का नंगा बदन एकदम साथ दिखाई दे रहा था,,, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां बड़ी-बड़ी गांड उसका गदराया बदन देखकर,,, आरती को पहली बार ऐहसास हो रहा था कि,, बड़ी-बड़ी गांड बड़ी बड़ी चूची गठीला बदन औरतों की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है,, पहली बार अपनी मां को नंगी देखकर आरती को एहसास हो रहा था कि उसकी मां वाकई में बहुत ज्यादा खूबसूरत है,,,, क्योंकि अपनी मां के नंगे बदन को देखकर उसकी चूची और बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसकी खुद की हालत खराब हो रही थी उसकी खुद की बुर से पानी निकल रहा था,,,,।
देखते देखते उसकी मां पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनों टांगों को खोल दी उसकी दोनों टांगों को खोलते ही आरती की नजर सीधे अपनी मां की बुर पर गई क्योंकि एकदम चिकनी एकदम मलाई की तरह थी उसे पर बाल का एक रेशा तक नहीं था,,, और उसे इस बात का एहसास हुआ कि पूरी तरह से जवानी के दहलीज पर कदम रखने के बावजूद भी वह बुर के बाल की सफाई मे लापरवाह है,,,, आरती को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां की बुर उत्तेजना के मारे फुल कर कचोरी की तरह हो गई थी,,, जिसे देखकर उसके पापा पागल हो जा रहे थे और अपनी हथेली उस पर रखकर जोर-जोर से दबा रहे थे और उसकी मां मस्ती से अंगड़ाई ले रही थी मदहोश हो रही थी,,,,।
रमा चुदासी होती हुई
और फिर देखते ही देखते उसके पापा अपनी एक उंगली को उसकी बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगे यह क्रिया देखकर आरती की हालत खराब होने लगी क्योंकि इस क्रिया के बारे में उसकी सहेली में भी उसे बता रखी थी कि जब मन करे तो उंगली डालकर अंदर बाहर करके अपने आप को हल्का कर लेने का लेकिन आज तक आरती ने इस तरह की हरकत नहीं की थी लेकिन आज अपने पापा को उसकी मां के साथ इस तरह की हरकत करते देखकर वह सोचने पर मजबूर हो गई थी,,,,।
बिस्तर पर उसकी मां मचल रही थी तड़प रही थी उसके पापा जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर करते हुए अपनी दूसरी उंगली भी उसकी बुर में डाल दिए थे जिससे उसकी मां की शिसकारी पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,, थोड़ी ही देर में उसकी मां पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी मदहोश होने लगी और वह उसके पापा का बाल पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींचने लगी उसके पापा समझ गए थे कि अब उसे क्या करना है वह तुरंत उसकी दोनों टांगों के बीच आ गए और अपने लंड को जो की पूरी तरह से खड़ा नहीं था लेकिन फिर भी धीरे-धीरे करके अपनी बीवी की बुर में डाल दिया और अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिए,,,,।
रमा की चुदाई
आरती पहली बार अपनी मां को चुदवाते हुए देख रही थी उसके पापा उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाकर उसकी मां के ऊपर छा चुके थे और अपनी कमर को जोर-जोर से हिला रहे थे आरती सोच रही थी कि यह चुदाई कितनी देर चलती है लेकिन उसका सोचा था कि तभी उसके पापा जोर का आवाज करते हुए एकदम से ढेर हो गए,,, आरती को समझ में नहीं आया क्या हुआ क्योंकि उसके पापा अपनी कमर ही रहना एकदम से बंद कर दिए थे और कुछ देर तक उसकी मां के ऊपर लेटे रह गए फिर धीरे से उसके ऊपर से उठने लगे तो उसकी मां की आवाज उसके कानों में पड़ी,,,।
मैं बोली थी ना सीधे-सीधे बुर में मत डालना पहले उंगली से मेरी प्यास बुझा देना,,,, अगर सीधे-सीधे डालते तो आज भी मैं प्यासी रह जाती क्योंकि चार-पांच धक्के में ही तुम ढेर हो गए,,,।
अपनी मां की बात सुनकर आरती समझ गई थी कि उसकी प्यास उसके पापा के लंड से नहीं बल्कि उनकी उंगली से बुझी है,,,, अब दूध का गिलास उसके पापा को देने का कोई फायदा नहीं था इसलिए वह दबे पांव वापस अपने कमरे में आ गई।
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट हैअपनी मम्मी पापा की गरमा गरम चुदाई देखकर आरती दबे पांव अपने कमरे में वापस आ चुकी थी,,, अभी भी उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि आज तक आरती ने अपनी मम्मी पापा के बारे में इस तरह की हरकत करने के बारे में सोची ही नहीं थी,,, आरती आज पूरी तरह से जवान हो चुकी थी शादी लायक हो चुकी थी लेकिन आज तक उसने कभी अपनी मम्मी पापा को अश्लील हरकत करते देखी नहीं थी इसीलिए वह आज अपनी मम्मी पापा को एक नए रूप में देखकर पूरी तरह से हैरान हो चुकी थी,,,,।
अपने कमरे में आने के बावजूद भी दूध का गिलास अभी भी उसके हाथ में था,,,, वह अपनी बिस्तर पर बैठी हुई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था जो कुछ भी उसके मम्मी पापा के कमरे में हो रहा था वह सब कुछ उसकी आंखों के सामने किसी फिल्म की तरह घूम रहा था उसे खुद पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी कि आज उसने अपनी आंखों से क्या देख ली,,, आज तक वह अपनी मम्मी को पुरे वस्त्र में और धार्मिकता के साथ-साथ पूजा पाठ करते हुए देखते आ रही थी आज तक अपनी मम्मी के मुंह से कभी भी एक अश्लील शब्द नहीं सुनी थी लेकिन आज पूरे जज्बात बदल चुके थे पूरा नजारा बदल चुका था आरती अपनी मम्मी को एकदम संस्कारी और धार्मिक समझती थी लेकिन आज उसका यह भरम तुट चुका था,,,। आज तक उसने अपनी मां को ना तो बाथरूम में ना ही उसके खुद के कमरे में कभी अर्धनग्न अवस्था में भी नहीं देखी थी की नाच अपनी मां को वह संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देखकर आ रही थी इसलिए वह पूरी तरह से आश्चर्य में थी,,,,।
जहां एक तरफ वह अपनी मम्मी पापा के बीच इस तरह के रिश्ते को देखकर हैरान थी वहीं दूसरी तरफ उसके बदन में अजीब सी हलचल भी हो रही थी मदहोशी उसके बदन को अपनी आगोश में ले रही थी,,,, उसे अपने पापा पर दया आ रही थी वह अपने पापा की हालत पर शर्मिंदा भी थी क्योंकि वह इतनी तो समझदार हो गई थी कि वह अपनी मां की कहानी गई बात को और अपने बाप की लाचारी को समझ सकती थी ,,,। अपनी मां की बात को सुनकर वह समझ गई थी उसके पापा उसकी मां को खुश करने मैं अब बिल्कुल भी समर्थ नहीं है अपनी मां की बात सुनकर क्या उनके द्वारा लाया गया तेल की शीशी और दवा को देखकर वह समझ गई थी कि वह दवा मर्दों के अंग में मर्दाना ताकत वापस लाने की औषधि है,,,।
लेकिन आरती एक बात से हैरान थी कि इस उम्र में भी उसकी मां चुदवाने के लिए क्यों तड़प रही है,,,,। जबकि उम्र के इस पड़ाव पर तो औरतों और भी ज्यादा धार्मिक हो जाती हैं और पूजा पाठ में ही मन लगाते हैं उसकी सहेलियों की मां लोग भी तो धार्मिक और पूजा पाठ वाली है उन्हें वह खुद अपनी आंखों से देखी थी ऐसा वह अपने मन में सोच रही थी,,, उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे आज उसे ऐसा लग रहा था कि उसकी मां उनकी सहेलियों की मां जैसी क्यों नहीं है उसके पापा उसके सहेलियों के पापा जैसे क्यों नहीं है सीधे-साधे अपने काम से कम रखने वाले हो पूजा पाठ और समाज में उठने बैठने वाले उन्हें देखकर लगता नहीं है कि वह लोग कमरे में इस तरह की हरकत करते होंगे,,,, आरती यह सब अपने मन में सोच ही रही थी कि तभी उसे एहसास हुआ कि उसके मम्मी पापा भी थे आज की रात से पहले दूसरों के मां-बाप की तरह ही सीधे शादी और धार्मिक विचारों वाले ही थे,,,, क्या सभी मर्द और औरत समाज के सामने कुछ और और बंद कमरे के अंदर कुछ और व्यवहार करते हैं,,,, जैसा कि वह खुद अपनी मम्मी पापा को देख चुकी थी,,,,।
अपने मन में ही काफी विचार विमर्श करने के बाद उसे एहसास होने लगा कि वाकई में उसके मम्मी पापा की तरह दूसरे की मम्मी पापा भी इसी तरह का व्यवहार करते होंगे कमरे के अंदर बस समाज को नहीं पता चलता कि उनके अंदर भी एक प्यासा इंसान छुपा हुआ है,,,, जो रात को ही कमरे के अंदर ही बाहर आता है,,,, आरती की सांस अभी भी भारी चल रही थी उसे जब एहसास हुआ कि उसके हाथ में तो उसका ग्लास है तो वह धीरे से अपनी बिस्तर पर से उठी और चलते हुए खिड़की तक गई जहां पर टेबल पड़ा हुआ था टेबल के ऊपर ही हुआ दूध का ग्लास रख दी ,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें आखिरकार वह भी थी तो एक औरत और वह भी पूरी तरह से जवान जिसकी जवानी अभी तो शुरू हुई थी जिसके मन में इस तरह के ख्याल आना लाजमी था,,।
जब उसे गर्मी का एहसास हुआ तो वह छत की तरफ देखी पंखा बंद था,,, तो वह खिड़की के पास ही पंखे के स्विच को दबाकर चालू कर दो और पंखा अपनी रफ्तार में घूमने चला लेकिन फिर भी बर्दाश्त नहीं हुआ तो बाकी को खोल दी और रात को चल रही ठंडी हवा को अपने कमरे में आने के लिए आमंत्रण दे दी ठंडी हवा का झोंका उसके विभिन्न को थोड़ी बहुत राहत दे रहा था लेकिन,,, वह अपने आप को सहज नहीं महसूस कर पा रही थी,,,, खिड़की के खुलते ही मुख्य सड़क पर आवागमन कर रहे वाहन को वह बड़ी गौर से देखने लगी और अपने मन में सोचने लगी,,,,।
इन सभी गाड़ियों में कुछ मर्द बैठे होंगे कुछ औरत बैठी होगी जो अपनी-अपने घर की तरफ जाने के लिए उतावले हो रहे हैं और यह लोग घर पर जाकर क्या करेंगे,,, समाज की नजरों से दूर बंद कमरे के अंदर औरत और मर्द एक दूसरे की प्यास बुझाने में पूरी तरह से जुट जाएंगे,,, चार दीवारी के अंदर इंसान का एक अलग ही चेहरा सामने आता है,,, यह सब सोच कर उसके मन को राहत नहीं बल्कि वह और भी उलझन में फसती चली जा रही थी,,, आखिरकार उसने कौन सा कयामत ला देने वाला नजारा देख ली थी औरत और मर्द के बीच होने वाली औपचारिक संबंध जिसे संभोग कहते हैं वही तो देखी थी,,,, लेकिन यह विचार केवल महापुरुषों के मन में आ सकता है एक साधारण इंसान के मन में बिल्कुल भी नहीं और आरती तो अभी-अभी जवानी पर कदम रखी थी उसकी तो शुरुआत थी,,, उसके लिए तो यह सब कुछ नया था भले ही इन सब के बारे में सोच कर उसका आकर्षण इन बातों की ओर कभी-कभी हो जाता था लेकिन आज जो कोई भी उसने अपनी आंखों से देखी थी वह उसके दिलों दिमाग पर पूरी तरह से छप गया था,,,,।
कुछ देर खुली हुई खिड़की के पास खड़ी होकर सड़क देखने के बाद आरती धीरे से अपने बिस्तर के पास आई और बैठ गई,,,,,, और अपने मन में सोचने लगी कि उसकी मां को क्या चाहिए जिसके लिए वह अपने ही पति को भला बुरा कह कर उसे अपमानित कर दी ,, और इस सवाल का जवाब वह अपने मन में ही अपने आप को देते हुए बोली इन सब के पीछे जवाबदार है लंड,,,, लंड शब्द अपने मन में ही बोलने पर ही उसके बदन में उत्तेजना का तूफान उठने लगा,,, वह अपने आप को ही जवाब देते हुए पति उसकी मां को लंड चाहिए मोटा तगड़ा लंबा जो उसकी बुर की प्यास बुझा सके यही तो चाहती है उसकी मां,,, सब खेल लंड का ही है,,, और उसके पापा का खेल बिगाड़ा भी है तो सिर्फ लंड ने ,, पापा का लंड कमजोर हो गया है उसमें अब बुरे के अंदर घुसने की शक्ति नहीं रह गई देखी तो थी वह अपनी आंखों से पापा का लंड कैसा ढीला सा और झूल सा गया था,,, फिर वह अपने मन में सोचने लगी की ढीला लंड वाकई में बर के छेद में बिल्कुल भी प्रवेश नहीं कर सकता,,,, इस बात को अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि कपड़े बदलते समय बाथरूम में नहाते समय वह अपनी बर को अपनी आंखों से देखी थी उसके छोटे से छेद को अच्छे से पहचानती थी और वह अपने मन में यही सोच रही थी की औरत के छोटे से छेद में मोटा लंड घुसने के लिए उसमें ताकत होना वाकई में बेहद जरूरी है उसका टन टना कर खड़ा होना बेहद जरूरी है,,, जोकि उसके पापा का बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,,।
आरती अपने मन में यही सब सो रही थी कि तभी उसे ख्याल आया कि तेल की मालिश करने के बावजूद भी उसके पापा का लंड एकदम ढीला था ,, और इस बारे में उसकी मां ने भी उसके पापा से बोली थी तो उसके पापा ने यही कहा था कि मुंह में लेकर इसे खड़ा कर दो,,, अपने पापा की यह बात उसे याद आती है उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसकी दोनों टांगों के बीच सुरसुराहट बढ़ने लगी और उसे महसूस होने लगा कि जैसे वह पेशाब करती है उसे अपनी पेंटिंग पूरी तरह से गली और चिपचिपी महसूस होने लगी,,, उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आया वह देखना चाहती थी कि आखिर वह कह रहा है इसलिए तुरंत अपने बिस्तर पर से खड़ी हुई और अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी और देखते ही देखते अपने हाथों से अपनी सलवार उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दी वह केवल कुर्ती और पेटी में थी,,,,, उसे साफ दिखाई दे रहा था की पेंटिं का आगे वाला हिस्सा पूरी तरह से गिला हो चुका था वह धीरे से हाथ अपनी पैंटी पर लेकर गई तो उसकी उंगलियों में चिपचिपाहट महसूस होने लगी और वहां हाथ को दूर करके अपनी उंगली आपस में रगड़ने लगी तो ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी उंगलियों में गोंद लाग गया हो,,,, उसे इस चिपचिपाहट भर पानी के बारे में कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,,,।
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आरती की ना समझी उसके संस्कारों की छवि थी वह कभी भी इस तरह की हरकत की नहीं थी कि इन सब के बारे में उसे ज्ञान हो हां कभी कबार कोई लड़का उसे बड़े अच्छा लग जाता था लेकिन वह इस हद तक ना तो उसे लड़के को लेकर कभी सोचती थी और नहीं कभी अपने कदम डगमगाने देती थी,,,, वह धीरे से अपनी पेंटिं को आगे की तरफ खींचकर अपनी पैंटी में झांकने लगी,,, उसे अपनी बुर पर हल्के हल्के बाल दिखाई दे रहे थे,,, और तभी उसे अपनी मां की बुरी आदत नहीं जो कि एकदम मक्खन की तरह चिकनी थी उसे इस बात का एहसास हुआ कि सफाई के मामले में उसकी मां एक कदम आगे है,,,, सफाई के मामले में ही खूबसूरती के मामले में भी वह एक कदम आगे हैं आरती को तुरंत अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां याद आ गई उसकी बड़ी-बड़ी गांड याद आ गई और उसे इस बात का एहसास हुआ कि वाकई में साड़ी पहनने पर औरतों की चूची और गांड बड़ी होनी चाहिए तभी उनकी खूबसूरती में चार चांद लगते हैं,,वह अपने मन मे सोचने लगी कि अगर वाकई में उसे कभी मौका मिला तो अगर वह अपनी मम्मी के साथ कपड़े उतार कर अगर नंगी हो जाए तो मां बेटी दोनों में उसकी मां ही अव्वल नंबर आएगी खूबसूरती के मामले में जवान और खूबसूरत होने के बावजूद भी वह खुद अपनी मां से पिछड़ जाएगी,,,।
Rooplaal ki bibi
चूचियों की बात आते ही उसकी नजर अपने आप ही उसकी छाती पर चली गई,,, और उसे अपनी चूची देखकर एहसास हुआ कि वाकई में जहां एक तरफ उसकी मां के छाती की शोभा उसकी पपैया जैसी बड़ी-बड़ी चूची बढ़ा रही थी वही उसके खुद के पास अभी केवल संतरा ही था,,,, गहरी सांस लेते हुए वह वापस अपनी चड्डी में देखने लगी जो की पूरी तरह से भीग चुकी थी,,,। उसे बड़ा अजीब लग रहा था उसकी चिपचिपाहट उसे अच्छी नहीं लग रही थी इसलिए वह धीरे से अपनी पैंटी को उतार कर उसे भी फर्श पर फेंक दी,,, और कमर के नीचे वह नंगी हो गई,,,,,, दूसरी पैंटी पहनने की जल्दबाजी उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,, वह उसी तरह से बिस्तर पर बैठ गई,,, और उसे ख्याल आया कि कैसे उसके पापा उसकी मां को लंड मुंह में लेने के लिए बोल रहे थे अपने पापा की बात सुनकर उसे मन में ऐसा ही लग रहा था कि उसकी मांग कर देगी ऐसा गंदा काम नहीं करेगी क्योंकि लंड से तो सुसु किया जाता है,,, और जिस लंड से पेशाब किया जाता है उसे एक औरत कैसे मुंह में लेकर चुस सकती है,,, लेकिन उसकी आंखें तब आश्चर्य से फटी की फटी हो गई जब उसकी मां बिल्कुल भी इनकार किए बिना ही बेझिझक उसके पापा के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, यह देख करके तो उसकी हालत खराब हो गई थी,,, पल भर के लिए उसे लगा कि उसकी मां बहुत गंदी औरत है लेकिन जब उसकी मां थोड़ी देर बाद लंड को मुंह में से बाहर निकले तो वाकई में उसके पापा का लंड थोड़ा सा बड़ा हो गया था,,, इस बात से वह हैरान भी थी,,, लेकिन इस हरकत के लिए आरती के मन में अपनी मां के लिए इज्जत थोड़ी कम हो गई थी क्योंकि वह नहीं जानती थी कि उसकी मां इतनी गंदी हरकत भी कर सकती है,,,,।
Rooplaal ki bibi panty utar k phenkti huyi
अपनी मम्मी पापा के कमरे में जो कुछ भी उसने देखी थी उसके बारे में सोचकर वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और वह धीरे से अपनी बिस्तर पर लेट गई थी जो कुछ भी हो रहा था वह अन्जाने में हो रहा था वह अपनी मम्मी पापा के बारे में सोचते हुए अपनी दोनों टांगों को खोल चुकी थी और अपने आप ही उसकी हथेली उसकी बुर पर आ चुकी थी जो की उत्तेजना के मारे कचोरी की तरह फुल चुकी थी,,,, अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखते ही उसके बदन में झनझनाहट होने लगी लेकिन यह झनझनाहट उसे बहुत अच्छी लग रही थी वह धीरे-धीरे अपनी आंखों को बंद करके हथेली से अपनी गुलाबी बुर को रगड़ने लगी मसलने लगी और ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,
अपनी बुर को मसलते हुए यही सोच रही थी कि वाकई में बुर की छोटे से छेद में जाने के लिए लंड का कड़क होना बेहद जरूरी है जो कि उसके पापा का बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,, इस बारे में सोच कर वहां अपनी सोच को अपने ऊपर ही आजमाना चाहती थी और धीरे से अपनी एक उंगली को अपनी बुर में डालना शुरू कर दी,,, यह उसकी पहली कोशिश थी अपनी बुर में अपनी उंगली को डालने की वरना आज तक वह इस बारे में कभी सोची भी नहीं रही लेकिन आज हालात कुछ और थे,,,, वह मजबूर हो चुकी थी वह धीरे-धीरे अपनी उंगली को अपनी बर के छोटे से छेद में डाल रही थी और उसे एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी पतली सी उंगली उसके छोटे से छेद में बड़ी मुश्किल से जा रही थी तो मोटा तगड़ा लंड भला बुरे के छेद में आराम से और वह भी ढीला होने पर कैसे चला जाएगा,,,।
Rooplaal ki bibi madhosh hoti huyi
अपनी उंगली को अपनी बुर में डालते हुए उसे अपनी मां की बात याद आ गई जब उसके पापा उसकी मां को चोदने के लिए तैयार से तभी उसकी मां ने कही थी कि पहले उंगली से मेरी प्यास बुझा दो तभी अंदर डालना,,,, और उसके पापा भी उसकी मां की बात को मान गए थे और बुर में उंगली अंदर बाहर कर रहे थे,,, अपनी मां की इस बात को बस समझ नहीं पाई थी लेकिन उसे अपनी बुर में उंगली डालने में बहुत मजा आ रहा था धीरे-धीरे अंदर बाहर कर रही थी और उसकी तरह से वह मदहोश हो जा रही थी उसकी आंखें बंद थी और वह बिस्तर पर मचल रही थी जिसकी वजह से बिस्तर पर बीछी चादर पर सिलवटें पड़ रही थी,,,।
देखते देखते वह अपने चरम सुख के करीब पहुंचने लगी जैसे-जैसे चरम सुख के करीब पहुंच रही थी वह पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी उसके चेहरे का रंग टमाटर की तरह लाल हो गया था वह मजबूत हो चुकी थी उसके बदन में ऐंठन हो रही थी और देखते ही देखते हो अपनी उंगली को बड़े जोरों से अपनी बुर के अंदर बाहर करने लगी और से इस बात का भी एहसास हो रहा था कि जितनी देर से हो अपनी बुर में उंगली कर रही थी उसके आगे समय में ही उसके पापा देर हो गए थे,,,, देखते देखते उसकी कमर एकदम से ऊपर की तरफ हवा में उछली और उसकी बुर से नमकीन रस का फवारा फुट पड़ा उसे ऐसा लगा कि जैसे वह पेशाब कर दी,, लेकिन उसे एहसास हुआ कि वह पेशाब नहीं कुछ और था वह मत हो चुकी थी जीवन का पहला चरण सुख वह अपनी उंगली से प्राप्त ली थी,,, फिर फिर वह इस अवस्था में नीद की आगोश में चली गई,,।
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दूसरे दिन सुबह उठने पर वह अपनी मां से नजर नहीं मिल पा रही थी अपनी मां से नजर मिलाने में उसे शर्म का एहसास हो रहा था क्योंकि जो कुछ भी उसने रात को देखी थी अपनी मां की हरकत को देखी थी उसके चलते न जाने क्यों उसके मन में अपनी मां के लिए इज्जत थोड़ी कम हो गई थी शायद इसलिए कि वह एक औरत के मन को नहीं जानती थी औरत होने के बावजूद भी औरत की चाहत को वह नहीं समझती थी,,।
धीरे-धीरे इसी तरह से 10 15 दिन गुजर गए वह फिर से अपनी मां को पहले की तरह ही इज्जत देने लगी,,, लेकिन अभी तक उसके पापा उसके बारे में मनोहर लाल से बात नहीं किए थे,,,, हां लेकिन इस बीच वह अपने लंड की मालिश करना नहीं भुलते थे,,, वैसे तो रूप लाल भी मनोहर लाल से मिलना चाहता था लेकिन दोनों की मुलाकात ही नहीं हो रही थी लेकिन एक दिन शाम को बगीचे में दोनों की मुलाकात हो गई और आज रूपलाल अपने मन में ठंड लिया था कि आज वह अपनी बेटी की बात मनोहर लाल से करके रहेगा,,।
Rooplaal ki bibi ki mast
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है दोनो दोस्त एक पार्क में मिले और दोनो ने अपने कॉलेज के दिन याद किए कॉलेज लाइफ बहुत ही मजेदार होती है शादी बच्चे होने के बाद हर कोई चाहता है कि वह पल एक बार और उसकी जिंदगी में आए लेकिन जो पल निकल गया वो कभी लोट कर नही आता है रूपलाल ने आरती की फोटो अपने दोस्त को दे दी है देखते हैं क्या राकेश उस फोटो को देखता है या नहींसंध्या का समय था मौसम भी बड़ा सुहाना था,,,, हरे भरे बगीचे में लोग टहल रहे थे कुछ लोग कसरत कर रहे थे कुछ परिवार के साथ आए थे जो बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे और जाने की तैयारी में भी थे,,, ऐसे में शेठ मनोहर लाल से रूपलाल की मुलाकात हो गई सेठ मनोहर लाल एक बड़े से पेड़ के नीचे रखे हुए सरकारी कुर्सी पर बैठकर आराम कर रहे थे,,,, रूपलाल की नजर जैसे ही मनोहर लाल पर पड़ी रूपलाल के चेहरे की रंगत एकदम से बदलने लगी रूपलाल एकदम से प्रसन्न हो गए क्योंकि बहुत दिनों बाद दोनों की मुलाकात हो रही थी आज रूपलाल के पास बहुत अच्छा मौका था अपनी बेटी के लिए बात करने की और इस मौके को रूप लाल अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था,,,,।
अरे मनोहर तु यहां संध्या के समय,,,,।
(रूपलाल को देखकर एकदम से प्रसन्न होते हुए मनोहर लाल भी बोले,,,)
अरे रूपलाल तु भी तो यही है,,, यह सवाल मैं भी तुझसे पूछ सकता हूं,,,,।
अरे क्यों नहीं क्यों नहीं जरुर पूछ सकता है आखिरकार हम दोनों का याराना बहुत पुराना है हम दोनों का एक दूसरे पर इतना तो हक होना ही चाहिए,,,,(सेठ मनोहर लाल की बगल में बैठते हुए रूप लाल बोला,,,)
क्यों नहीं दोस्त आखिरकार दोस्ती होती किस लिए है एक दूसरे पर हक जताने के लिए होती है,,, वैसे पार्टी के बाद से तू आज मिल रहा है बगीचे में भी नहीं मिलता आना-जाना बंद कर दिया है क्या,,,?
हां कुछ दिनों से काम बहुत था इसलिए मैं आ नहीं सकता था,,, आज मौका मिला तो सोचा चलो बगीचे में कुछ देर तक टहल लिया जाए तो आज इतना अच्छा मौका था कि तू मुझे यहीं मिल गया,,,। अब तुझसे थोड़ी बहुत बात भी हो जाएगी,,,,।
चल अच्छा हुआ,,,, तुझसे बात करके मुझे भी अच्छा लगता है वैसे भी हम दोनों का याराना बहुत पुराना है,,,,,, एक तू ही तो है जिससे मैं अपने दिल की बात बताता हूं,,,,,।
(सेठ मनोहर लाल की बात सुनते ही रूपलाल एकदम से हंसने लगा,,,, और वह भी जोर जोर से,,, यह देखकर मनोहर लाल को थोड़ा अजीब लगा तो वह हैरान होते हुए बोला,,,, क्योंकि बगीचे में जो इधर-उधर टहल रहे थे वह लोग उन दोनों की तरफ ही देखने लगे थे,,,, जिससे मनोहर लाल को अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए वह बोले,,,,)
क्या हुआ तुझे और ये जोर-जोर से क्यों हंस रहा है,,,,?
क्या बताऊं यार मनोहर मुझे कुछ याद आ गया तो सुनेगा तो तुझे भी हंसी आ जाएगी,,,,।
अरे बताएगा भी,,,,
अरे हां बताता हूं सांस तो लेने दे,,,अब तो बहुत कम मौका होता है जब इस तरह से हंसी आती है,,,,,,,,(अपनी हंसी को रोकने की कोशिश करते हुए रूप लाल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
तुझे याद है जब हम दोनों कॉलेज में नया नया एडमिशन लिए थे,,,।
हां,,,,,तो,,,,(मनोहर लाल कुछ याद करने की कोशिश करते हुए बोले लेकिन उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि रूपलाल किस बारे में बात करने वाला है उसे क्या याद आ गया है जो इस तरह से हंस रहा है,,,,,)
अरे यार तुझे कुछ भी याद नहीं,,,,!(रूपलाल आश्चर्य जताते हुए बोला )
नहीं मुझे तो कुछ भी याद नहीं है,,,।
चिंता मत कर यार अभी सब कुछ याद आ जाएगा थोड़ा आगे तो बढ़ने दे,,,,,।
हां तो जल्दी बताना पहेलियां क्यों बुझा रहा है,,,, देख नहीं रहा है अंधेरा हो रहा है,,,,।
अरे यार तू तो ऐसा कह रहा है कि घर जाकर हमें ही खाना बनाना है,,,,।
अरे रूपलाल ऐसा नहीं है लेकिन फिर भी घर पर तो जाना ही है ना,,,,।
हां वह तो जाना ही है,,,, अच्छा सुन,,,, हम लोग पिकनिक मनाने के लिए पहाड़ियों पर गए थे जिसमें क्लास की कुछ लड़कियां भी थी,,,,।
हां,,,,(कुछ याद करने की कोशिश करते हुए धीरे से मनोहर लाल बोले,,,)
उन लड़कियों में एक लड़की का नाम सुनीता था,,,,(मनोहर लाल के चेहरे को एकदम से गौर से देखते हुए,,, और मनोहर लाल ने एकदम साफ तौर पर देखा कि सुनीता का नाम सुनते ही मनोहर लाल के चेहरे की रंगत बदलने लगी थी वह एकदम से जैसे कुछ याद आ गया हो वह बोले ,)
बस बस बस बस कर,,,, रूपलाल बस कर मुझे सब याद आ गया,,,(इतना कहते हुए मनोहर लाल के चेहरे पर भी मुस्कान तैरने लगी,,,,,)
अरे क्या बस कर जब बात निकली है तो हो जाने दे,,,,
अरे यार वह सब पुरानी बातें हैं अब वह उम्र नहीं रही,,,।
पता है मनोहर उमर नहीं रही लेकिन यादें तो अभी भी जवान है,,,,, तुझे बताने में शर्म आ रही है लेकिन मैं सब जानता था सबको अपना अलग-अलग तंबू मिला था,,,, मैं अपने तंबू में था,,,, पहाड़ियों पर हम लोग रुके थे सब लोग अपने-अपने तंबू में आराम कर रहे थे लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी इसलिए मोमबत्ती जलाकर उसके उजाले में नोबेल पड़ रहा था और तभी मुझे कुछ हल्के सी आवाज आई और में धीरे से तंबू में से बाहर झांकने की कोशिश किया तो सुनीता को देखा उसे देख कर सच में मैं एक पल के लिए घबरा गया था क्योंकि मैं शुरू में उसे पहचान नहीं पाया और मुझे लगा कि पहाड़ी कोई चुड़ैल होगी क्योंकि तू तो जानता ही,,,, है,,, मुझे इन सब से बहुत डर लगता है और पहाड़ी इलाका होने की वजह से मुझे तो एकदम पक्का यकीन हो गया कि वह चुड़ैल ही है,,,,
Rakesh or aarti ki ma
(रूपलाल की बातों को सुनकर मनोहर लाल मंद मंद मुस्कुरा रहे थे,,,,, और मनोहर को मुस्कुराता हुआ देखकर रूप लाल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
मैं तंबू में था मैं अपने आप को एकदम से सिमटा लिया,,, मैं देखना चाहता था कि वह कहां जाती है और जब मैंने देखा कि वह तेरे तंबू में घुस रही है तब तुम एकदम से परेशान हो गया,,,, मेरे तो होश उड़ गए मैं जोर से चिल्लाना चाहता था लेकिन डर के बारे में मेरी आवाज नहीं निकल रही थी पर सबको जगा देना चाहता था लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि तंबू से बाहर जाकर किसी को जगाऊं मुझे तो पूरा यकीन हो चला था कि पहाड़ों पर रहने वाली कोई चुड़ैल तेरे तंबू के अंदर जा रही थी अब तो मैं भगवान से प्रार्थना करने लगा कि तुझे बचा ले,,,,,, सच में यार मैं बहुत डर गया था और मुझे बहुत शर्मिंदगी भी हो रही थी कि मैं तुझे बचा नहीं पा रहा था,,,,। लेकिन थोड़ी देर बाद हुआ तेरे तंबू में से बाहर निकल गई और जब वह बाहर निकाल कर मेरे सामने से गुजरी तब मुझे उसका चेहरा दिखाई दिया और जो मुझे एहसास हुआ कोई चुड़ैल नहीं बाकी सुनीता है तो मेरी जान में जान आई लेकिन अगले ही पल फिर मेरे होश एकदम से उड़ गए,,,,,।
क्यों,,,,?(सेठ मनोहर लाल मुस्कुराते हुए पुछे,,,)
अरे यार तब मुझे होश आया कि कॉलेज की सबसे सेक्सी लड़की तेरे तंबू में आधी रात को गई थी,,,, जिस लड़की को पूरा कॉलेज भाव देता था और वह किसी को भाव नहीं देती थी लेकिन वह लड़की तेरे पीछे पागल थी जो आधी रात को तेरे तंबू में गई थी बताना उसे दिन क्या हुआ था,,, सुनीता और तेरे बीच क्या हुआ था रात को,,,,।
अरे कुछ भी तो नहीं हुआ था,,,,,,,।
नहीं नहीं ऐसा हो ही नहीं सकता एक जवान खूबसूरत लड़की आधी रात को किसी के पास जाए तो जरूर कुछ करने के लिए ही जाती है बताना उसने तेरे साथ क्या की थी,,,,।
कुछ भी तो नहीं की थी,,,,।(सेठ मनोहर लाल एकदम सहज होते हुए बोले,,,)
Arti ki ma or Rakesh
नहीं मैं मान ही नहीं सकता,,, अब मुझसे क्यों छुपा रहा है तूने आज तक को नहीं बताया कि उसे दिन क्या हुआ था चल आज बता दे,,,,,,, मैं इतना तो जानता ही हूं कि कॉलेज में बहुत सी लड़कियां तेरी दीवानी थी उनमें से सुनीता भी थी,,,, अब बता दे सुनीता ने रात को तेरे साथ क्या की थी,,,, ?
(रूपलाल बार-बार मनोहर लाल से उसे रात को क्या हुआ था यह बताने के लिए बोल रहा था इंकार कर दे रहा था,,,, लेकिन लाख समझाने के बाद कसम देने के बाद मनोहर लाल बस इतना ही बोले,,,)
जैसा तू समझ रहा है रूपलाल सुनीता वैसा ही करने आई थी,,,, मेरे भी तंबू में मोमबत्ती चल रही थी क्योंकि मैं भी उपन्यास पढ़ रहा था और पढ़ते-पढ़ते मेरी आंख लगी हुई थी कि मैंने देखा कि तंबू में एक खूबसूरत लड़की घुस आई है और वह आते ही एकदम से मेरे पास बैठ गई और मैं कुछ समझ पाता,,,, इससे पहले ही बाहर मुझे चुप रहने का इशारा किया धीरे-धीरे बोली,,,,।
Rakesh or arti kk ma
क्या बोली धीरे-धीरे,,,,?
अब जाने दे समझ गया ना कि वह मेरे साथ गलत काम करवाने के लिए आई थी बस वही बोली,,,,,।
लेकिन बता तो सही क्या बोली थी,,,।
वह मुझसे गंदा काम करवाना चाहती थी,,,।
मतलब वह तुझसे चुदवाना चाहती थी,,,(एकदम प्रसन्न होता हुआ रूपलाल बोला उसकी इस भाषा को सुनकर मनोहर लाल बोले,,,)
हां यार लेकिन इतना खुलकर बोलने की क्या जरूरत है,,,,,।
यार हम दोनों में कैसी शर्म यादें हम दोनों इसी तरह की बातें किया करते थे,,,,।
Rakesh or arti ki ma
मुझे सब कुछ याद है लेकिन मैं नहीं सिर्फ तु इस तरह की बातें किया करता था,,।
हां यार वही,,,, क्या मस्त दीन थे यार,,,, काश कोई वह दिन लौटा देता तो कितना मजा आ जाता,,,।
ऐसा कभी नहीं हो सकता रुपलाल,,,,, समय मुट्ठी मिली है रेत की तरह होता है कब हथेली से फिसल जाता है पता ही नहीं चलता ,,,।
(मनोहर लाल को भी रूप लाल से बात करके बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन पिकनिक वाली बात को वह पूरा सच रूप लाल से कभी नहीं बताया था उस दिन जो कुछ भी हुआ था उसे बहुत अच्छे से याद था,,,,,, रूपलाल कुछ देर के लिए उस दृश्य को याद करने लगा,,, जब वह रूप लाल के साथ कॉलेज के दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने गया था पहाड़ियों पर सब अपना अपना तंबू बनाए हुए थे सब दिन भर की थकान से चुर होकर अपने तंबू में जाते ही सो गए थे,,, लेकिन मनोहर लाल को उपन्यास पढ़ने की आदत थी इसलिए वह मोमबत्ती जलाकर उपन्यास पढ़ रहा था उसे नींद बिल्कुल भी नहीं आ रही थी कि तभी उसे अपने तंबू के बाहर परछाई नजर आई और वह उसे देखने के लिए बाहर आता है इससे पहले ही वह परछाई उसके तंबू में आ गई थी और अपनी आंखों के सामने मोमबत्ती के उजाले में अपनी ही कॉलेज की सबसे सेक्सी और खूबसूरत लड़की को देखकर उसके होश उड़ गए थे,,,,,।
तुम यहां क्या करने आई हो और वह भी आधीरात को,,,।
Rakesh or arti ki ma
मैं तुमसे मिलने आई हूं मनोहर,,,
मुझसे मिलने अरे मिलना होता तो कल मिली होती इतनी रात को कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा,,,,।
में ईसकी परवाह नहीं करती,,,,(इतना कहते हुए वह मुस्कुराने लगी उसे मुस्कुराता हुआ देखकर मनोहर लाल की हालत खराब हो रही थी,,,,,, उसकी बात सुनकर मनोहर लाल उपन्यास को बंद करके बगल में रख दिया और घुटनों के बाल टीका लेकर अपने चेहरे को उठाते हुए सुनीता से बोले,,,)
देखो इस वक्त तुम्हारा यहां रुकना ठीक नहीं है तुम अपने तंबू में चले जाओ सुबह मिलना मैं तुमसे बात कर लूंगा,,,,।
अरे बेवकूफ मैं यहां पर बात करके समय बर्बाद करने नहीं आई हूं,,,,।
तो यहां क्या करने आई हो,,,,,।
Rakesh or rooplaal ki bibi
मैं इस समय का,,,,(सुनीता लंबा फ्रॉक पहनी हुई थी और फ्रॉक को दोनों हाथों से पकड़ कर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठा रही थी यह देखकर मनोहर की सांस अटक रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) सदुपयोग करने आई है जिसमें मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है मैं तुम्हारे लिए तोहफा लाई हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही सुनीता अपने फ्रॉक को एकदम से कमर तक उठा दे और अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को मनोहर के सामने उजागर कर दी वह मनोहर को अपनी बुर दिखा रही थी अपनी बर दिखा कर उसे उकसा रही थी उसके साथ संबंध बनाने के लिए,,,।
मनोहर जिस दिन से कॉलेज में एडमिशन लिया था उसे दिन से ही सुनीता उससे आकर्षित हो गई थी,,, और इस समय तंबू में इस आकर्षण के चलते हुए मनोहर के साथ संबंध बनाकर अपनी प्यास में जाना चाहती थी मनोहर तो उसकी दोनों टांगों के बीच देखता ही रह गया,,,, क्योंकि मनोहर जिंदगी में पहली बार किसी खूबसूरत लड़की की बुर को अपनी आंखों से देख रहे थे इससे पहले मनोहर लाल ने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,,, मोमबत्ती के उजाले में इतना साफ तो नहीं लेकिन फिर भी मनोहर लाल को सुनीता की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार हल्की-हल्की नजर आ रही थी और इस बात से मनोहर लाल इनकार भी नहीं करते थे कि सुनीता की बुर को देखकर खुद मनोहर लाल का लंड खड़ा हो गया था,,,, मनोहर की तो सिट्टी पीट्टी गुम हो गई थी,,,, मनोहर की नजर सुनीता की दोनों टांगों के बीच से हट ही नहीं रही थी,,, यह देखकर सुनीता मन ही मन बहुत खुश हो रही थी और मुस्कुराते हुए बोली,,,,।)
Rakesh or rooplaal ki bibi
देख क्या रहे हो मनोहर बिल्कुल भी मत सोचो मेरी बर तुम्हारे लिए है इसमें अपना लंड डालकर चोदो,,,।
(मनोहर लाल को सुनीता इसी शब्दों में एकदम गंदे और खुले शब्दों में ही आमंत्रण दे रही थी खुले शब्दों में मनोहर को चोदने के लिए बोल रही थी,,, मनोहर लाल जिंदगी में पहली बार किसी लड़की की बुर को देख रहा था और उसके मुंह से इतनी अश्लील भाषा को सुन रहा था जो उसे चोदने के लिए बोल रही थी लेकिन मनोहर लाल,,, पतलून का बिल्कुल भी ढीला नहीं था हां इतना जरूर था कि कुछ पल के लिए मनोहर लाल के होश एकदम से खो गए थे उसकी जगह कोई और होता तो शायद पूरी तरह से फेक जाता क्योंकि जिंदगी में पहली बार मनोहर लाल ने किसी औरत की बुर के दर्शन किए थे जिसके लिए दुनिया का हर मर्द उसे पाना चाहता है,,,, लेकिन बहुत ही जल्द मनोहर लाल होश में आ गया और तुरंत सुनीता के गाल पर थप्पड़ रसीद कर दिया,,, इसके बाद मनोहर लाल को कुछ बोलने की जरूरत नहीं पड़ी और सुनीता गुस्से में उसके तंबू से बाहर निकल कर अपने तंबू में चली गई,,,,।
Rooplaal ki bibi or Rakesh
अभी मनोहर लाल इस तरह के ख्यालों में डूबा ही था कि रूपलाल एकदम से बोला,,,,।
अरे हां मनोहर,,,, कहीं बहू देखा कि नहीं,,,,,।
यार रूपलाल तुझे क्या बताऊं फोटो तो बहुत मैंने देखे और अपने बेटे को दिखाएं लेकिन वह देखने को तैयारी नहीं है,,,।
क्यों ऐसा क्या हो गया,,,,?(रूपलाल आश्चर्य जताते हुए बोला,,,)
अब क्या बताऊं रूपलाल,,,,(फिर मनोहर लाल ने सब कुछ रूपलाल से बता दिया रूप लाल जी इसी बात सुनकर अंदर ही अंदर घबरा गया था क्योंकि मनोहर लाल का बेटा इस लड़की से शादी करने की जिद पर एड गया था जिसे वहां रेस्टोरेंट में मिला था और मनोहर लाल भी अपने बेटे का ही साथ दे रहे थे इसलिए रूपलाल मन ही मन उदास हो गया उसे लगने लगा कि उसकी दाल गलने वाली नहीं है,,,,. फिर भी वह औपचारिकता निभाते हुए बोला,,,।)
Rakesh or rooplaal ki bibi
यार मैं तो भगवान से दुआ करूंगा कि तुम दोनों की मनोकामना जल्दी पूरी हो जाए,,,,।
देखो कब भगवान पूरी करते हैं,,,,,(इतना कहते हुए अचानक मनोहर लाल को कुछ याद आया और वह तुरंत रूपलाल से बोले)
अरे हां रूपलाल अपनी बिटिया के लिए कोई मिला कि नहीं,,,,।
कहां यार ढूंढ ढूंढ के परेशान हो गया लेकिन कहीं सही रिश्ता ही नहीं मिल रहा है,,,,,(इतना कहने के साथ ही रूपलाल अपना पैसा फेंकते हुए तुरंत अपने जेब में हाथ डाले और अपनी बेटी आरती का फोटो बाहर निकाल दिए और मनोहर लाल की आंखों के सामने उसे अपने हाथ में लेकर देखते हुए बोले,,,) मैं तो अपनी बेटी आरती का फोटो अपने हाथ में लेकर चलता हूं कि कहीं कोई अच्छा रिश्ता मिल जाए तो लगे हाथों से फोटो भी दिखा दुं,,,,।
(रूपलाल के हाथों में फोटो को देखकर मनोहर लाल उसे बड़ी गौर से देखने लगे और उसे फोटो को अपने हाथ में ले लिए और देखते हुए बोले,,,)
रूपलाल बिटिया तो बहुत सुंदर है मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि इतनी अच्छी लड़की के लिए अभी तक रिश्ता क्यों नहीं मिल रहा है,,,,।
रिश्ता तो बहुत मिल रहा है मनोहर लाल लेकिन अच्छा नहीं मिल रहा है,,,,।
तो यह बात है,,,,, अच्छा तो चिंता मत कर कुछ दिनों के लिए फोटो मेरे पास रहने दे मैं भी कोशिश करके देख लेता हूं अगर अच्छा मिल रिश्ता मिल गया तो अपनी बिटिया राज करेगी,,,,।
यह तो बहुत अच्छा है मनोहर लाल तुम अगर ढूंढोगे तो मिल ही जाएगी,,,,।
अब बिल्कुल भी चिंता मत कर,,,,(अपनी घड़ी की तरफ देखते हुए) लेकिन समय बहुत हो गया है अब हमें चलना चाहिए,,,,.
हां चलना तो चाहिए बगीचे में लोग भी बहुत कम हो गए हैं,,,,।
(इतना कहने के साथ ही दोनों उठकर खड़े हो गए और बगीचे से बाहर जाने लगे रूप लाल मन ही मन बहुत खुश हो रहा था उसे न जाने क्यों अंदर से विश्वास हो रहा था कि मनोहर लाल को लड़की पसंद आ गई है लेकिन इस बात की चिंता भी थी कि उनका बेटा तो रेस्टोरेंट में जिस लड़की से मिला था उसी से शादी करने की जीद ठान कर बैठा है,,,, कुछ भी हो भगवान अच्छा ही करेंगे,,,, और ऐसा मन में सोच कर दोनों अपने-अपने घर की तरफ चले गए,,,,।)
Rooplaal ki bibi or Rakesh
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है रूपलाल की बातो से आरती को विश्वास हो गया कि राकेश भी उसे प्यार करता है लेकिन अभी तक वह बात उसने अपने घर वालो को भी नही बताई वैशाली तेज लड़की है उसे सेक्स का ज्ञान है और उसमें चुदने की ललक बढ़ रही है आरती भी धीरे धीरे समझने लगी है अब देखते हैं क्या राकेश आरती की फोटो देखता है या नहीरूपलाल अपनी बेटी का फोटो मनोहर लाल को दे दिया था,,,,,, मनोहर लाल भी उसे फोटो को अपनी जेब में रखकर अपने घर की तरफ निकल गया था,,,, घर पर पहुंच कर वह उस फोटो को अपने टेबल पर रखकर अपना काम करने लगा,,, खाना बनाने वाली खाना बना रही थी,,,, राकेश अभी घर पर नहीं आया था,,, अपने दोस्तों के साथ दिनभर घर से बाहर निकाल कर वह इस लड़की की खोज में लगा रहता था,,,, उसका भी विश्वास बड़ा गजब का था नहीं उसे लड़की का आता पता मालूम था ना ही उसका नाम मालूम था नहीं यह मालूम था कि वह रहती कहां है किसके साथ आती है घूमती है रेस्टोरेंट में उसे दिन क्या करने आई थी फिर भी उसकी तलाश जारी थी एक विश्वास के साथ कि वह जरूर उसे मिलेगी लेकिन गुजरते जा रहे थे और उसका हौसला टूटता जा रहा था,,,।
Rooplaal ki bibi ki tadapti jawani
राकेश देर रात घर पर पहुंचा तब तक उसके पिताजी सो चुके और वह भी खाना खाकर अपने कमरे में जाकर उस लड़की के बारे में सोचने लगा,,, काफी दिन गुजर जाने की वजह से अब उसके मन में भी शंका जगने लगा था,,, उसे भी लगने लगा था कि वह बेवजह इधर-उधर भटक रहा है ऐसा भी हो सकता है कि वह लड़की कुछ दिनों के लिए ही शहर में आई हो किसी मेहमान के वहां किसी रिश्तेदार के वहां और फिर वापस अपने ठिकाने चली गई हो तभी तो इतने दिनों से इधर उधर घूम रहा हूं उसे कहीं भी वह लड़की नजर नहीं आ रही है वरना इतने दिन में तो अगर इसी शहर की होती तो नजर आ गई होती फिर से मुलाकात हो गई होती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था,,,।
अपने मन में राकेश सभी यही सोच रहा था कि तभी उसे वह औरत भी याद आ गई जो उसे इसी शहर में दो बार मिल चुकी थी और इसी से अंदाजा लगा रहा था कि अगर इसी शहर की होती तो अगर वह औरत दो बार मिल सकती है तो वह लड़की क्यो नहीं मिल सकती,,,, उस औरत का ख्याल आते ही राकेश के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, क्योंकि वह उसे औरत से दो बार मिल चुका था लेकिन दोनों बाहर उसे औरत को वह अर्धनग्न अवस्था में ही देखा था क्या गजब की किस्मत थी उसकी,,,, एक औरत उसे दो दो बार में एक कपड़े की दुकान में है और एक खुद उसके घर में उसके ही कमरे में उसके ही बाथरूम के अंदर पेशाब करते हुए बहुत ही गजब का इत्तेफाक है,,,,।
राकेश इस बात से भी बेहद हैरान था की उम्र दराज औरत होने के बावजूद भी उसे औरत के प्रति उसका आकर्षण बिल्कुल भी काम नहीं हो रहा है दिन-रात न जाने क्यों उसका ख्याल आ ही जाता है शायद यही वजह था कि उसका वजन एकदम भरा हुआ था लंबा कद काठी गोल चेहरा गोरा बदन बड़ी-बड़ी चूचियां नितंबों का उभार बाहर निकला हुआ,,,, मोटी मोटी जांगे केले के तने की समान एकदम चिकनी,,,, जांघों का वर्णन राकेश अपने मन में इसलिए कर पा रहा था क्योंकि वह उसे औरत की मोटी मोटी जांघों को देखा था,,, लेकिन दोनों बार उसकी किस्मत खराब थी कि उसे औरत की बुर के दर्शन नहीं कर पाए थे क्योंकि इतना समय नहीं मिला था दूसरी बार तो वह औरत उसके ही बाथरूम में पेशाब कर रही थी लेकिन फिर भी सिर्फ उसका पिछवाड़ा देख पाया था उसके गुलाबी छेद पर उसकी नजर नहीं पहुंच पाई थी,,,।
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उस औरत का ख्याल मन में आते ही राकेश का लंड अंगड़ाई लेने लगा था,,,,वह उस औरत का ख्याल करके मुठिया तो मारना चाहता था लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था क्योंकि वह इस तरह का लड़का बिल्कुल भी नहीं था लेकिन कुछ दिनों में वह दूसरे लड़कों की तरह हो गया क्योंकि रोज-रोज उसे अंजान औरत का ख्याल करके अपने बदन की गर्मी को शांत करता था लेकिन आज वह मन पक्का करके टेबल पर से ठंडे पानी का गिलास उठाया और एक ही झटके में पी गया और फिर गहरी गहरी सांस लेता हुआ बिस्तर पर लेट गया,,,।
यूं ही चार-पांच दिन गुजर गए,,,, लेकिन उसे फोटो के बारे में मनोहर लाल के घर में बिल्कुल भी जिक्र नहीं हो रहा था क्योंकि खुद मनोहर लाल भी उसे फोटो को टेबल पर रखकर भूल गया था लेकिन इस बारे में रूपलाल के घर में रोज बहस हो रही थी,,,, आज भी सुबह-सुबह चाय के समय पति-पत्नी में बहस हो रही थी,,,।
क्यों जी तुम तो कहते थे की आरती की फोटो मनोहर लाल को दे आए हो फिर वहां से कोई जवाब क्यों नहीं आ रहा है,,,,।
अरे हां भाग्यवान दे तो आया हूं,,, और इस बात को 5 दिन भी हो चुके हैं,,, लेकिन मैं भी यही सोच रहा हूं कि अभी तक जवाब क्यों नहीं आया,,,,।
अरे हाथ पर हाथ रख कर बैठे ही रहोगे कि पता भी लगाओगे,,, किसी बहाने से घर पर ना सही उनकी दुकान पर तो जा ही सकते हो,,,,।
कैसी बातें कर रही हो सामने से जाऊंगा उनको ऐसा ही लगेगा कि इनकी बेटी में कोई खोट तभी इतना उतावले हो रहे हैं,,,,, लेकिन एक बात है आरती की मां,,,,(हम दोनों बातें भी कर रहे थे कि सभी आरती भी हाथ में बैठ के लिए कॉलेज जाने के लिए घर से निकल रही थी और उन दोनों की बात सुनकर वापस उसी जगह पर खड़ी हो गई जहां पर उसे दिन खड़ी होकर उन दोनों की बात सुन रही थी उसे लगा था कि आज भी वह दोनों उसी तरह की बातें करेंगे,,, क्योंकि ना जाने क्यों अब गंदी बातों को सुनने में आरती को भी आनंद आने लगा था,,, रूपलाल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
लड़का जीद ठान कर रखा है,,,,।
कैसी जीद,,,,
अरे यही कि कहीं रेस्टोरेंट में किसी लड़की से टकरा गया था और वह लड़की उसे भा गई थी और वह उसे लड़की को दिन रात इधर-उधर ढूंढता फिर रहा है,,,,
(आरती को जब लगा कि उसके मम्मी पापा गंदी बात नहीं कर रही तो वह धीरे से उन लोगों के सामने आई और टेबल पर रखा से उठाकर,, बोली,,,)
किसके बारे में बात कर रहे हो पापा,,,,,
अरे उसी लड़के के बारे में जिसके साथ तुम्हारी शादी तय करना चाहते हैं,,,।
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लेकिन आरती के पापा यह कैसी जीद हो गई की कोई लड़की कहीं भी टकरा जाए और तुम उसी से शादी करने के लिए भी नहीं रात शहर में घूमते फिरों,,,,(रूपलाल की बीवी बोली,,,, आरती को भी थोड़ा अजीब लगा उसे पूरी बात समझ में नहीं आई थी इसलिए भाभी कुछ देर के लिए पास में पड़ी कुर्सी पर बैठकर से खाने लगी और उन दोनों की बात सुनने लगी,,,)
अब क्या बताऊं आरती की मां मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है अपनी आरती इतनी सुंदर है कि अगर कोई देख ले तो दुनिया की लड़की को भूल जाए लेकिन वह लड़का है कि दूसरे फोटो को भी देखना गवारा नहीं समझता बस उसी लड़की को ढूंढता फिर रहा है और उसके पिताजी भी उसी का साथ दे रहे हैं,,,,।
अब बाप तो बाप होता है दो-चार बार समझाएं होंगे नहीं मन होगा तो उसकी जिद के आगे यह भी हार गए होंगे,,,,(रूपलाल की बीवी भी हालात को देखते हुए बोली,,, तभी उन दोनों की बात सुनकर आरती बोली,,)
मैं तुम दोनों की बात समझ नहीं पा रही हूं आखिरकार बहस किस बात पर हो रही है,,,,।
अब मैं क्या बताऊं आरती लगता है हम लोगों की किस्मत ही खराब है,,,,।
लेकिन हुआ क्या है यह तो बताओ,,,,!
अपने पापा से हीपूछ ले,,,,।
क्या हुआ पापा क्या बात है और वैसे भी तुम दोनों को मेरी चिंता करने की जरूरत नहीं है अगर नसीब में होगा तो विवाह हो ही जाएगा आप दोनों खामखां चिंता कर रहे हैं और आपस में लड़ रहे हैं,,,।
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अरे बेटी मेरी तो यही तेरी मां को समझाते समझाते थक गया हूं कि शादी विवाह तो किस्मत से होती है किसी से बात कर लेने से दीवाने हो जाता अगर ऊपर वाले ने जोड़ा बनाकर भेजा है तो कहीं ना कहीं मिल ही जाएगा और तेरी मां है की समझती नहीं,,, बस जी के थन कर बैठी है कि मनोहर लाल से बात करो मनोहर लाल से बात करो तुझे मनोहर की बहू बनने के लिए उतावली हो गई है,,,,।
आखिरकार में मां हूं और मन से बेहतर कोई अपने बच्चों का भविष्य नहीं सोच सकता,,,।
तो मैं क्या पराया हूं मैं भी तो इसका बाप हूं मैं भी तो चाहता हूं कि अच्छे घर जाए जहां पर जिंदगी भर खुशी से रहे रानी बन कर रहे लेकिन मैं सोच लेने से थोड़ी ना हो जाएगा,,,, 5 दिन हो गए हैं फोटो दिए कोई जवाब नहीं आ रहा है तो मैं क्या करूं जाकर उनसे पूछूं कि तुमने फोटो देखा कि नहीं देखा अपने बेटे को फोटो दिखाया कि नहीं दिखाई मेरी बेटी तुम्हें पसंद आई कि नहीं आई इस तरह से तो मैं खुद ही अपने बेटे की नुमाइश करता फिरूंगा,, यह सब,,, मुझसे नहीं होगा,,,।
छोड़ो तुम दोनों इस बात को आपस में लड़ना बंद करो,,,, बस मुझे यह बताओ कौन सी जीद पर अड़ा है क्या हो गया है,,,।(आरती की भी दिलचस्पी बढ़ती जा रही थी वह भी जानना चाहती थी कि आखिर कौन सी बात पर मनोहर लाल का लड़का अड़ा हुआ है,,,)
अरे बेटी जब वह अपना पढ़ाई पूरा करके इधर आया था तो अपने दोस्तों के साथ किसी रेस्टोरेंट में गया होगा और वही किसी लड़की से टकरा गया था उसकी चौपडीयां सब गिर गई थी और उसे उठाने में उसकी मदद किया था,,,, और वह लड़की उसके मन में बस गई है जिस दिन रात को पूरे शहर में इधर-उधर घूमता फिरता है लेकिन अभी तक नसों बस लड़की उससे मिल पाई है ना ही उसने अभी उसका नाम जाना है पता जाना है कुछ नहीं जानता बस उसके पीछे घूमता फिर रहा है,,,, अरे कुछ तो पता होना चाहिए ऐसा भी तो हो सकता है कि वह लड़की ईस शहर की हो ही ना,,, अरे रोज ना जाने कितने लोग आते हैं और चले जाते हैं ऐसे में वह लड़कि उसे कैसे मिलेगी और तो और उसके पिताजी भी उसका साथ दे रहे हैं,,,,।
Rakesh bibi or saas k sath
रेस्टोरेंट में टकराने वाली बात को सुनकर आरती एकदम विचार में पड़ गई थी आरती को कुछ याद आ रहा था कुछ दिन पहले वह भी रेस्टोरेंट में एक लड़के से टकराई थी और वह लड़का उसे अच्छा लगा था कहीं यह टक्कर वही तो नहीं क्या मनोहर लाल का लड़का जिस लड़की को ढूंढ रहा है वह लड़की वो खुद ही तो नहीं है,,,, हे भगवान ऐसा हो सकता है,,,, ऐसा अपने मन में सोच कर आरती मन ही मन प्रसन्न होने लगी,,,, और वह अपनी मां से बोली,,,,।
मम्मी ये तो बेवकूफी है,,,, पागल है वह लड़का,,,, जाने दो,,,,(औपचारिकता निभाते हुए आरती अपना बैग लेकर कॉलेज के लिए निकल गई और अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसे पूरा विश्वास हो गया था कि राकेश जैसी लड़की के बारे में बात कर रहा था वह लड़की वह खुद है क्योंकि वही रेस्टोरेंट में टकराई थी उसकी ही चौपड़ी नीचे गिरी थी जिसे उठाने में वह मदद किया था,,,, अब तो उसे पूरा यकीन हो गया था कि अब वह बहुत ही ज्यादा शेठ मनोहर लाल के घर की बहू बनेगी और राकेश भी उसे पसंद ही था,,,,।
यह सब सोचते हुए वह फुटपाथ पर चली जा रही थी कि ईतने में उसकी सहेली पीछे से उसे आवाज लगाते हुए रुकने के लिए बोली,,,।
आरती जरा रुक तो कहां भागी जा रही है,,,
(अपना नाम सुनी तो वहां वहीं पर रुक गई और पीछे मुड़कर देखी तो उसकी सहेली वैशाली आ रही थी बड़ी जल्दी-जल्दी वह चली आ रही थी उसे देखकर आरती उसे बोली,,,)
अरे अरे संभल कर गिर मत जाना,,,,,।
अरे यार तू इतनी तेज चली जा रही है कि मुझे भागना पड़ा,,,,, वैसे लगता है कि तू आज लेट हो गई,,,।
हां 5 मिनट,,,, घर से निकलने में देर हो गई,,,,
अच्छा यह बता तेरी शादी की बात चल रही थी ना बात कुछ आगे बढ़ी कि नहीं,,,,(वैशाली आरती केसाथ साथ में चलते हुए बोली,,,)
बात तो चल रही है लेकिन मुझे बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है मैं भी शादी करना ही नहीं चाहती,,,।
Rooplaal ki bibi ki chudai
क्या बात करती हैं आरती,,, तेरी जगह में होती तो कब से शादी कर लेगी तू नहीं जानती शादी के बाद रति कितनी रंगीन हो जाती हैं कितना मजा आता है,,,,।
क्या मजा आता है दिन रात कम करो कपड़े धोओ घर की सफाई करो,,, जिंदगी जहन्नुम हो जाती है,,,।
अरे बुद्धू उसके बाद रात को जब बिस्तर पर पति टांगे फैलाकर लंड बुर में डालता है तो कितना मजा आता है,,,,।
(वैशाली की बात सुनते ही आरती के बदन में गुदगुदी होने लगी,,,, उसे अच्छा लग रहा था लेकिन फिर भी जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,,।)
तो फिर शुरू हो गई वैशाली जब देखो तब तो इसी तरह की बातें करती हैं और तुझे कुछ बातें करने के लिए मिलता नहीं क्या,,,।
अब तेरी जैसी बेवकूफ थोड़ी हूं सीधी साधी बनने का भी कोई मतलब नहीं है,,, यह उम्र ही है मजे लेने का तो मजे लेना चाहिए ऊपर वाले ने दोनों टांगों के बीच जो पतली सी दरार दिया है ना उसमें हमेशा लंड लेना चाहिए तभी उसका सही उपयोग हो सकता है खली मुतने के लिए नहीं,,,,।
Rakesh chudai karta hua
तो तू ही लिया कर दूसरों को क्यों बताती है,,,,,(वैशाली की बात सुनकर ना चाहते हुए भी आरती के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,)
अरे वाह तू तो ऐसा बोल रही है कि जैसे शादी के बाद तेरा पति तुझे अपने घर तेरी आरती उतारने के लिए ले जाएगा तेरी चुदाई करेगा ही नहीं,,,।
चल मैं तो हाथ भी नहीं लगाने दूंगी इसलिए तो मैं शादी नहीं करना चाहती,,,।
वह तो करना ही पड़ेगा मेरी रानी अब हम दोनों की उम्र शादी के लायक हो चुकी है वह तो अच्छा है तेरे मम्मी पापा तेरे पर इतना ध्यान देते हैं कि तेरी शादी कर रहे हैं एक मुझे देख ले अभी तक मेरे घर में मेरे शादी का कोई नाम ही नहीं लेता,,,।
तो बोल देना जाकर की मेरा शादी करवा दो मुझे रहा नहीं जाता मुझे मर्द की जरूरत है,,,।
अरे बेवकूफ मैं तो बोल भी दूं मैं कितनी मुंह फट हूं मेरे घर वाले अच्छी तरह से जानते हैं वह तो मेरा बड़ा भाई अभी रह गया है शादी करने को इसलिए मेरी बात नहीं हो रही है,,,।
Rooplaal ki bibi ki chaddhi nikalte huye
तो तेरे भाई को जाकर बोल,,, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है तु जल्दी से अपनी शादी कर ताकि मेरा नंबर आए ,,,।
अरे आरती वह बड़ा अडीयल है,,,,,, बोलता जब तक कुछ बनने जाऊंगा तब तक शादी नहीं करूंगा,,, उसकी बात सुनकर मैं अपने मन में ही बोली क्या तब तक अपनी उंगली से काम चलाऊ,,,।
(वैशाली की बात सुनकर आरती की हालत खराब होने लगी वह अपने मन में सोच रही थी कि वैशाली कितनी गंदी लड़की है उसके मन में हमेशा गंदी बात चलती रहती है इसका बस चले तो अपने भाई के साथ भी हम बिस्तर हो जाए बस लंड बुर में जाना चाहिए,,,, लंड बुर शब्द अपने मन में सोच कर ही आरती की दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी वह मदहोश ही जा रही थी उसे अपनी बुर से कुछ बहता हुआ महसूस हो रहा था,,,, वैशाली की बातें उसे बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन वह ऊपर से उसकी बातों को अनसुना करने की कोशिश कर रही थी और इसलिए वह बोली,,,,)
तेरा कुछ नहीं हो सकता वैशाली तू बहुत गंदी लड़कीहै,,,,।
अरे बेवकूफ गंदी बनने में ही ज्यादा मजा है,,,, कभी अपनी बुर में उंगली डाली है,,,।
छी ,,,,,, क्या कह रही है वैशाली जरा सोच समझ कर बोल कोई आते-जाते सुन लेगा तो गजब हो जाएगा,,,,।
अरे कोई नहीं सुनने वाला बता तो सही,,,।
नहीं बिल्कुल भी नहीं तेरी जैसी खुजली मुझे नहीं होती,,,,।
Rooplaal ki bibi i ki khus karta hua
काश तुझे भी खुजली होती तो मजा आ जाता,,,।
(वैशाली की चटपटी बातें आरती को मत किया जा रही थी कि तभी वैशाली खुले मैदान में एक गधे को देखें जो की एक गधी के पीछे खड़ा था और उसका लंड नीचे लटक रहा था उस पर नजर पडते ही वैशाली एकदम से चहकते हुए आरती से बोली,,,।)
आरती जल्दी से वह देख,,,,,
क्या,,,?
अरे वह देखसामने,,,,(खुले मैदान में पेड़ के नीचे उंगली से इशारा करते हुए बोली और जैसे ही आरती उसे दिशा में देखी और उसे गधे के ऊपर नजर पढ़ते ही वहां शर्म से पानी पानी हो गई और वैशाली पर गुस्सा दिखाते हुए बोली)
क्या वैशाली तू सच में पागल है क्या वहां देखने की जरूरत क्या है आते जाते कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा हम लोगों के बारे में,,,,।
अरे सोचेगा क्या सबको मालूम है हम दोनों की उम्र लंड लेने लायक है,,,,, देख कैसे बाहर निकाला है अब देखना इसके ऊपर चढ़ेगा अभी,,, लेकिन अभी देर है थोड़ा और टाइट होजाए तब,,,,।
(ना चाहते हुए भी आरती उसे गधे की तरफ देख रही थी क्योंकि उसके लंड को देखकर उसके भी मन मैं कुछ कुछ हो रहा था वैशाली की बात सुनकर वह बोली,,,,)
Rakesh maja leta hua
तुझे कैसे मालूम कि यह कब चढेगा कब नहीं चढेगा,,,,।
अरे बेवकूफ जब पूरी तरह से टाइट होगा तभी तो लंड बुर में घुसता है और देख रही है गधे का कितना लंबा और मोटा है अगर ढीला रहा तो घुस ही नहीं पाएगा इसलिए वह भी इंतजार कर रहा है कि पूरा टाइट हो जाए,,,,,(उसका ईतनआ कहना था कि तभी गधे का लंड पुरी तरह से टाइट हो गया,,, और यह देखकर वह एकदम से खुश होते हुए बोली,,,) देख देख पूरा टाइट हो गया अब यह चढेगा,,,,,(आरती सब कुछ देख रही थी उसका इतना कहना था कि वाकई में गधा दोनों टांग ऊपर करके पीछे से गधी के ऊपर चढ़ गया और अपने लंड को उसके छेद में एक झटके में डाल दिया,,,, यह नजारा देखकर आरती के भी बदन में सुरसुरी सी दौड़ने लगी,,,, लेकिन वह पूरी तरह से शर्मा से पानी पानी हुई जा रही थी वह बार-बार अपने अगल-बगल देख ले रही थी कि कहीं-कोई देख तो नहीं रहा है,,, लेकिन किस्मत अच्छी थी कि किसी की भी नजर उन दोनों पर नहीं पड़ी थी इसलिए अब ज्यादा देर तक वहां खड़े रहना आरती उचित नहीं समझ रही थी इसलिए वह खुद ही आगे बढ़ गई,, और जल्दी-जल्दी चलने लगी,,,, पीछे से वैशाली से आवाज दे रही थी लेकिन वह अनसुना करके आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,,।
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लेकिन इस बीच आरती के मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे,,, वह अपने मन में सोच रही थी कि क्या वाकई में लंड पूरी तरह से टाइट ना हो तो बुर के अंदर नहीं घुस पाता,,,, यही समस्या तो उसके पापा की भी है जिसके लिए उन्होंने आयुर्वेदिक तेल लेकर आए थे क्या वाकई में पापा का लंड टाइट नहीं हो पता तभी मम्मी परेशान रहती है क्या खड़ा करने के लिए,,, अगर वाकई में वैशाली जिस तरह से बताई और जिस तरह से हुआ अगर वाकई में यह समस्या किसी ने भी आ जाए तो बड़ी समस्या बन जाए जैसा कि उसकी मां झेल रही थी,,,,, मतलब की बुर में लंड तभी जाता है जब लंड एकदम कड़क रहता है लोहे के रोड की तरह,,,,, आरती के मन में यही सब चल रहा था कि तभी उसके कंधे पर वैशाली ने एकदम से हाथ रखकर उसे रोकते हुए बोली,,,।
क्या यार तू तो सारा मजा कीरकीरा कर देती है,,,।
तू ही ले मजा,,,,, और जाकर डलवा ले गधे से,,,।
काश ऐसा हो पता इतना मोटा और लंबा लंड बुर में जाए तो अंदर बाहर होने में कितना मजा आएगा,,,,,,,,
कुछ मजा नहीं आएगा बल्कि देखि उसका फट जाएगी तेरी,,, अब बस बकवास बंद कर कॉलेज आ गया,,,,,(और इतना कहकर आरती और वैशाली दोनों क्लास में चली गई,,,,
Aarti
दूसरी तरफ रात को शेठ मनोहर लाल अपने हाथ में अपने मित्र रूपलाल की बेटी का फोटो लेकर अपने बेटे के कमरे में पहुंच गए,,,,, और उन्होंने देखा कि उनका बेटा देवदास बन कुर्सी पर बैठकर खिड़की से सड़क की तरफ देख रहे हैं अपने बेटे की हालत उनसे भी अच्छी नहीं जा रही थी क्योंकि वह जानते थे कि उनका बेटा दिन रात उसे लड़की की तलाश में दरबदर भटक रहा है,,,, इसलिए वह धीरे से अपने बेटे के कमरे में प्रवेश करते हुए राकेश के कंधे पर धीरे से हाथ रख दिए और अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस होते ही राकेश ऊपर की तरफ देखने लगा तो देखा उसके पिताजी ने वह एकदम से उठने वाला था कि शेठ मनोहर लाल बोले,,,,।
बैठे रहो,,,,, बेटा कब तक ऐसा चलेगा,,,, धीरे-धीरे दो महीना होने को आ गए,,,, लेकिन वह लड़की नहीं मिला इसका मतलब साफ है कि वह लड़की शहर की थी ही नहीं घूमने फिरने आई होगी और अपने घर चली गई होगी अगर कोई इस शहर की होती तो इतने दिनों में कहीं ना कहीं तो दिखाई देती मेरी मानो बेटा अपनी जीद छोड़ दो,,,, और मैं एक फोटो लेकर आया हूं मेरे ही मित्र की बेटी है जो की बहुत खूबसूरत है,,,,,।
(मनोहर लाल अपने बेटे से बोले जा रहे थे लेकिन ऐसा लग रहा था कि उनकी बातों का उसे पर जरा भी प्रभाव नहीं पड़ रहा है इसलिए वह ज्यादा कुछ ना बोलते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले,,,)
Aarti mast hoti huyi
बेटा मैं समझ सकता हूं तेरी तकलीफ लेकिन तू जिस तरह से इधर-उधर भागा फिर रहा है यह मुझसे देखा नहीं जा रहा है,,, फिर भी एक आखरी उम्मीद लेकर मैं इस फोटो को तेरे टेबल पर रख दे रहा हूं जब फुर्सत मिले तो देख लेना,,,,,,,,,,,।
(फिर भी राकेश पर बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था वह एक टक सड़क की तरफ देख रहा था शेठ मनोहर लाल उस फोटो को टेबल पर रखकर कमरे से बाहर निकल गए,,,,।)
Aarti chudwasi hone k baad
Excellent updateएक आखरी उम्मीद लेकर सेठ मनोहर लाल अपने बेटे के कमरे में जाकर उन्हें बताते हुए एक लड़की का फोटो जो उनके ही दोस्त रूप लाल की बेटी का फोटो था उसे टेबल पर रखकर उसे देख लेने के लिए बोलकर वहां से निकल जाते हैं,,,, लेकिन राकेश पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता वह एक टक खिड़की से बाहर देखता ही रह जाता है,,,,।
जैसे तैसे करके तकरीबन सप्ताह जैसा गुजर गया लेकिन राकेश ने टेबल पर पड़े उसे फोटो को देखने की बिल्कुल भी तसदी नहीं किया,,, एक तरह से राकेश उसलड़की की तलाश में पूरी तरह से टूट चुका था उस लड़की के सिवा उसकी आंखों को कोई और लड़की जंचती ही नहीं थी,, गजब की दीवानगी थी राकेश की जो उसे लड़की की तलाश में अपना जीवन बर्बाद करने पर उतारू हो चुका था वरना उसकी जगह कोई और होता तो शायद उससे भी खूबसूरत लड़की से विवाह करके अपना जीवन खुशी से गुजर सकता था लेकिन राकेश दूसरों से अलग था,,,।
राकेश खुद अपने व्यक्तित्व से हैरान हो चुका था क्योंकि आज तक वह किसी लड़की के पीछे इस कदर पागल हुआ ही नहीं था क्योंकि आज तक वह किसी लड़की को इतनी गौर से देखा भी नहीं था और ना ही कुछ लड़की के बारे में कुछ जानने की कोशिश किया था लेकिन आज पहली बार उसके जीवन में बदलाव आया था और वह भी किसी लड़की के लिए जिसके लिए वह अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा था मनोहर लाल के लाख समझाने के बावजूद भी वह कुछ भी मानने को तैयार नहीं था,,,।
ऐसे ही एक दिन बाप बेटे दोनों चाय पी रहे थे मनोहर लाल चाय की चुस्की लेते हुए अपने बेटे की तरफ बड़ी गौर से देख रहे थे वह जानते थे कि उनका बेटा बहुत परेशान है लेकिन ऐसा कब तक चलेगा क्योंकि सेठ मनोहर लाल अपनी उम्र के तकाजे से अपने अनुभव से इतना तो जानते ही थे कि उनका बेटा अंधेरे में सुई ढूंढने का काम कर रहा है,,, इसलिए अपने बेटे को समझाने के उद्देश्य से वह बोले,,,।
बेटा राकेश मैंने जो तुम्हारे टेबल पर तस्वीर रखी थी क्या वह लड़की तुम्हें पसंद है,,,,।
कौन सी तस्वीर पिताजी,,,,,(चाय की चुस्की लेता हुआ राकेश बोला,,,)
कौन सी तस्वीर,,, अरे क्या तुम्हें बिल्कुल भी नहीं मालूम है कौन सी तस्वीर की बात कर रहा हूं अभी सप्ताह भर पहले ही मैं तुम्हारी टेबल पर रख कर गया था और बोला था कि इस लड़की के बारे में जरूर बताना,,,,।
मैं माफी चाहता हूं पिताजी,,, मैंने ध्यान नहीं दिया और वैसे भी मुझे किसी लड़की की तस्वीर ना ही दिखाएं तो अच्छा है,,,।
यह कैसी पागलपन जैसी बातें कर रहे हो राकेश,,,, बड़ी मुश्किल से थोड़ी खुशियों का जुगाड़ करने की कोशिश कर रहा हूं और तुम हो कि सब कुछ बिगाड़ देना चाहते हो,,,,,।
कैसी खुशी पिताजी,,, यह आप भी जानते हैं कि अगर मैं किसी लड़की से शादी कर भी लिया तो मुझे वह खुशी नहीं मिलेगी जो चाहत मैंने उसे लड़की से लगा रखा है मैं कभी ना तो खुश रह पाऊंगा ना ही उस लड़की को खुशी दे पाऊंगा हम दोनों का जिंदगी खराब हो जाएगा इसलिए पिताजी मेरी खोज मुझे जारी रखने दीजिए मुझे पूरी उम्मीद है कि एक-ना एक दिन वह मुझे मिल जाएगी,,,। और वैसे भी वह लड़की जब तक मुझे नहीं मिल जाती मैं अपना ध्यान किसी और चीज में नहीं लगा सकता,,,।
(अपने बेटे की इस तरह की बेरुखी भरी बातें सुनकर सेट मनोहर लाल को बहुत गुस्सा आया,,, लेकिन किसी तरह से वह अपना गुस्सा पी गए लेकिन फिर भी चाय के कप में अधूरी चाय छोड़कर वह गुस्से से अपनी जगह से उठते हुए बोले,,,,)
जैसी तुम्हारी मर्जी अब मैं कुछ नहीं बोलूंगा,,,,।
(और इतना कहकर शेठ मनोहर लाल वहां से निकल गए लेकिन राकेश पर इसका भी प्रभाव नहीं पड़ा राकेश जो की एक संस्कारी लड़का था वह जानता था कि उसके पिताजी कैसे हालात में उसका लालन पोषण किए है,,, उसे पढ़ा लिखा कर इंजीनियर बनाएं और वह अपने पिताजी का नाम रोशन करना चाहता था जिस तरह के संस्कार उसके पिताजी ने उसे दिए थे इस संस्कार का सहारा लेकर वह आगे बढ़ना चाहता था लेकिन एक लड़की ने उसके पूरे व्यक्तित्व को बर्बाद करके रख दिया था अपने हुस्न के माया जाल में उसे पूरी तरह से उलझा दिया था लेकिन इसमें उसे लड़की का कोई दोस्त नहीं था इसमें राकेश के नजरिए का ही दोष था,,,)
रूपलाल को भी बहुत चिंता होने लगी क्योंकि सप्ताह जैसा समय गुजर गया था और अभी तक कोई खबर नहीं आई थी रूपलाल को लगने लगा था कि शायद उसकी बेटी के नसीब में मनोहर लाल की बहू बनना नहीं लिखा है इसलिए अपनी तरफ से आखिरी कोशिश करते हुए वह धीरे-धीरे बाजार में पहुंच गए जहां पर शेठ मनोहर लाल की मिठाई की दुकान थी,,, दुकान पर पहुंच कर रूपलाल कांच के बने काउंटर में रखी हुई बेहतरीन किस्म किस्म की मिठाई की तरफ नहीं बल्कि दुकान के अंदर उनकी नज़रें सेठ मनोहर लाल को ढूंढने लगी,,,,, तभी एक जगह कुर्सी पर बैठकर हिसाब किताब देख रहे मनोहर लाल पर रूपलाल की नजर पड़ गई और वैसे ही मनोहर लाल की भी नजर रूप लाल पर पड़ गई रूपलाल को देखते ही,,,, मनोहर लाल के चेहरे पर थोड़ी उदासी सी छा गई लेकिन रूपलाल उनका बचपन का मित्र था इसलिए अपने चेहरे पर बनावटी मुस्कुराहट लाते हुए मनोहर लाल बोले,,,।
अरे आओ रूपलाल बहुत दिनों बाद दिखाई दे रहे हो,,,,(सेठ मनोहर लाल रूप लाल का हंसी खुशी अभिवादन कर रहे थे लेकिन अंदर ही अंदर इस बात से दुखी थे कि उनके द्वारा दिया गया फोटो अभी तक उनके बेटे राकेश ने देखा नहीं था और साफ कह दिया था की लड़की के सिवा वह किसी और के साथ विवाह नहीं करेगा इसीलिए मनोहर लाल को समझ में नहीं आ रहा था कि रूपलाल को क्या बोले,,,,।
और रूप लाल भी इसी उद्देश्य से ही मनोहर लाल की दुकान पर आया था इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोला,,,,)
अरे मनोहर काम काज जितना बढ़ गया है कि समय ही नहीं मिलता वह तो यहां से गुजर रहा था तो सोचा चलो तुमसे मिल भी लूंगा और तुम्हारी दुकान की बेहतरीन मिठाई भी खरीद लूंगा क्योंकि घर पर कुछ मेहमान आ रहे हैं,,,,(मिठाई और मेहमान वाली बात रूपलाल जानबूझकर बोला था वह झूठ बोल रहा था वह तो यह जान आया था कि उसकी बेटी के फोटो को देखकर क्या निर्णय लिया गया है,,,)
चलो कोई बात नहीं इसी बहाने तुमसे मुलाकात तो हो गई आओ आओ,,,, बेठो,,,,,।
(रूपलाल धीरे से दुकान में प्रवेश किया और सेठ मनोहर लाल के सामने रखी कुर्सी पर जाकर बैठ गया,,,,, दोनों में बातचीत शुरू हो गई थी सेट मनोहर लाल को इस बात का डर था कि रूपलाल फोटो के बारे में ना पूछ ले और रूपलाल इसी तक में था कि किसी बहाने से वह अपनी बेटी के फोटो के बारे में पूछे,,,,, सेठ मनोहर लाल के कहने पर उनका कारीगर दुकान के सबसे बेहतरीन मिठाई को पैक कर दिया था,,,, सेठ मनोहर लाल के लाख कहने के बावजूद भी मिठाई की कीमत अपनी जेब से निकालकर काउंटर पर रूपलाल रख दिए,,,, और दुकान से निकलते निकलते बड़ी हिम्मत करके पूछ ही लिए,,,)
अरे हां मनोहर,,,, तुम्हें मैंने अपनी बेटी का फोटो दिया था तो क्या निर्णय लिए,,,,।
(जिसका डर था वही हुआ मनोहर लाल अपने मन में यही सोच रहे थे कि रूप लाल उसे फोटो के बारे में ना ही पूछे तो अच्छा ,,,, लेकिन जाते-जाते रूप लाल ने पूछा ही लिया था तो इस सवाल को सुनते ही मनोहर लाल का चेहरा एकदम से लटक गया और वह उदास मन से बोले,,,)
तुम्हारी बेटी में कोई कमी नहीं है रूपलाल कमी तो अब लगता है मेरे बेटे में ही है अभी तक उसने तुम्हारी बेटी का फोटो देखा ही नहीं है वह तो जीद ठान कर बैठा है की शादी करेगा तो उसी लड़की से वरना नहीं करेगा,,,,। आज बरसों बाद मुझे फिर से राकेश की मां की कमी एकदम से खलने लगी है मेरी परवरिश में ही कोई कमी रह गई थी जो इस तरह की औलाद पैदा हुई अगर राकेश की मां होती तो शायद यह दिन देखना ना पड़ता,,,,।
अरे नहीं नहीं मनोहर ऐसा मत बोलो तुमने परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी है बस लड़का थोड़ा सा बह गया है वक्त रहते हो वह भी सही रास्ते पर आ जाएगा,,,, अच्छा तो मैं चलता हूं,,,,।
(इतना कह कर रूप लाल उदास मन से दुकान से बाहर निकल गया और,,, अपने घर पहुंच गया,,,, घर पर पहुंचते ही वह घर के बाहर ही लोन में रखी कुर्सी पर बैठकर गहरी सांस लेने लगा,,, शाम ढल चुकी थी वह जानता था कि उसकी बीवी मंदिर गई हुई है और उसके आने की तैयारी है और आते ही फिर से बखेड़ा खड़ा कर देगी,,,,,,,,।
और थोड़ी देर में उसकी बीवी भी मंदिर से लौट आई और कुर्सी पर रूपलाल को बैठा हुआ देखकर सीधे सवाल पूछ बैठी,,,
क्या हुआ कुछ आया जवाब कि आज भी कहोगे कि मुझे नहीं मालूम,,,।
अरे भाग्यवान क्यों तुम अपनी बेटी को उस घर में भेजने की जीद ठान कर बैठी हो,,,।
क्यों तो क्या मैं उसे कहीं भी किसी के भी हाथ में सौंप दुं ,,,,( रमा देवी एकदम से गुस्से में बोली )
नहीं तो क्या जबरदस्ती किसी के भी घर में भेज दोगी,,,,, तुम अपनी जीद के आगे मुझे पागल कर दोगी,,,, तुम इतना तो पता ही होना चाहिए की जोड़ियां आसमान में बनती है हमारे चाहने से कुछ नहीं होता,,,..।
ऐसा क्यों नहीं कहते कि तुम हार गए उनसे बात करने में तुम्हें डर लगता है,,,,।
मुझे डर लगताहै,,, अरे भाग्यवान मुझे डर नहीं लगता आज गया था मैं उनकी दुकान पर बात करने के लिए लेकिन पता है उन्होंने क्या बोला कि अभी तक उनका लड़का तुम्हारी लड़की का फोटो देखा ही नहीं है पागल हो गया है वह उसे लड़की के चक्कर में अगर उसके साथ अपनी लड़की की शादी हो भी गई तो वह कभी खुश नहीं रह पाएगी,,,, खुद सेठ मनोहर लाल अपने बेटे से तंग आ गए हैं,,,,, सोचो जरा अगर जोर जबरदस्ती करके अगर हम अपनी बेटी उनके घर में ब्याह देते हैं तो क्या वह खुश रह पाएगी नहीं खुश रह पाएगी,,,,, और यह बात भी सोच लो की शादी ब्याह सब पहले से तय होकर आता है,,,,।
(इस बार रूपलाल की बीवी एकदम शांत हो गई,,, वह समझ गई कि इतनी कोशिशों के बावजूद भी अगर बात नहीं बन रही है तो शायद किस्मत में मनोहर लाल की बहू बना नहीं लिखा इसलिए रमा देवी का चेहरा भी उतर गया,,,,, और वह इस बार कुछ बोली नहीं और सीधा रसोई घर में चली गई,,,,।
रसोई घर में जाते ही उनकी आंखों में आंसू आ गए लेकिन वह किसी तरह अपने आप को संभाल कर खाना बनाने लगी,,, और अपनी और राकेश के बीच हुई मुलाकात के बारे में सोचने लगी की कैसे दोनों के बीच मुलाकात हुई थी अगर दोनों के बीच सास और दामाद का रिश्ता बन भी जाता है तो जिस तरह से दो बार उसे मुलाकात हुई थी उसे मुलाकात को लेकर वह कभी उसे आंख नहीं मिल पाएगी एक बार तो कपड़े की दुकान पर राकेश ने उसे अर्धनग्नअवस्था में देख ही चुका था और दूसरी बार वह खुद उसके घर के पार्टी में उसके ही कमरे में जाकर पेशाब की थी और पेशाब करते समय भी राकेश उसे देख चुका था,,,,।
और यही सब सो कर वह अपने दिल को तसल्ली दे रही थी कि अच्छा हुआ कि यह रिश्ता नहीं हुआ वरना वह कभी भी अपने दामाद से नजर नहीं मिला पाती,,, और तो और अगर यह रिश्ता हो जाता तो राकेश उसके बारे में क्या सोचता ,,,, क्योंकि दो बार किसी एक ही औरत को अधनंगी हालत में देखने के बाद एक जवान मर्द क्या सोचता उसके बारे में कैसी धारणाएं बांधता,,, और जिस तरह से वहां खुद उसके ही कमरे में जाकर उसके ही बाथरूम में पेशाब कर रही थी और वह भी दरवाजा खुला छोड़कर हो सकता है यह सब देखकर राकेश खुद उसके बारे में गलत सोचता उसके चरित्र पर उंगली उठाता,,, और यही सब सोचकर वह अपने मन को तसल्ली दे रही थी कि अच्छा ही हुआ कि जो यह रिश्ता नहीं हो पा रहा है,,,।
फिर भी मन में एक दुख था कि अपनी बेटी का रिश्ता वह अच्छे घर नहीं कर पाई इसलिए वह सबके साथ खाना खाते समय भी कुछ बोल नहीं पाई थी,,,, रात को अपने कमरे में जाकर वह सो गई थी रूपलाल भी अपनी बीवी की वेदना को समझ रहा था इसलिए कुछ बोला नहीं लेकिन आरती अपने कमरे में कुछ ज्यादा ही मस्ती के मुड में आ चुकी थी जिसका कारण थी उसकी सहेली क्योंकि उसकी सहेली उसके साथ गंदी गंदी बातें कर रही थी और साथ में रास्ते में एक गधे को दिखाई थी और उसके मोटे तगड़े लंड को देखकर आरती की भी हालत खराब हो रही थी और यही कारण था कि वह अपने कमरे में एकांत पाकर सुरूर में आ गई थी,,,,।
वैसे तो वह कभी जल्दी बहकती नहीं थी लेकिन कभी-कभार आंखों के सामने इस तरह की तरह से आ जाने के बाद वह दृश्य उसके दिलों दिमाग से जल्दी मिटते नहीं थे और इसी के चलते वह बिस्तर पर सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल रही थी,,, आखिर करवाती एक स्त्री थी और उसकी भी कुछ भावना ही थी उसका भी उम्र हो चुका था शादी का अगर शादी हो चुकी होती तो अब तक वह संभोग सुख प्राप्त कर चुकी होती लेकिन अभी विवाह में देरी थी लेकिन ख्वाहिशों का क्या उत्तेजना किसी की मोहताज नहीं होती ना शादी की ना समय की और इसीलिए वह अपनी उत्तेजना से मजबूर होकर धीरे-धीरे अपनी सलवार की डोरी खोल कर अपनी सलवार को अपने बदन से दूर कर चुकी थी,,,।
बिस्तर पर अपनी दोनों टांगों को खोलकर वह अपनी हथेली से अपनी गुलाबी बुर को मसल रही थी,,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह जानती थी कि यह सब गलत है लेकिन फिर भी मजबूर थी अपने मम्मी पापा की चुदाई वाले दृश्य को देखकर वह इस तरह की हरकत को अंजाम दी थी और अब रास्ते में देखे गए दृश्य के बारे में सोचकर उसके दिमाग की गर्मी बढ़ती जा रही थी,,,। वैसे भी जब से इस बात का पता चला कि राकेश जी लड़की से टकराया था वह लड़की वही थी तब से वह भी साथ में आसमान में उड़ रही थी हालांकि राकेश के चेहरे के बारे में वहां कल्पना नहीं कर पा रही थी क्योंकि वह राकेश का चेहरा भूल चुकी थी लेकिन फिर भी एक बड़े घर की बहू बनने के एहसास से ही वह मस्त हुए जा रही थी और बिस्तर पर पागलों की तरह अपनी बुर को मसलते हुए धीरे-धीरे अपनी गुलाबी छेद में अपनी उंगली को प्रवेश करने लगी और देखते ही देखते उसकी उंगलियां उसके कल्पना में लंड का आकार लेकर उसकी बुर के अंदर बाहर होना शुरू कर दिया था,,, और फिर देखते ही देखते वह झड़ने लगी उसका खूबसूरत चेहरा पसीने से तरबतर हो गया लेकिन झडने की खुशी उसकी मदहोशी उसे एकदम से संतुष्ट कर गई और वह धीरे-धीरे शांत हो गई,,,।
एक आखरी उम्मीद लेकर सेठ मनोहर लाल अपने बेटे के कमरे में जाकर उन्हें बताते हुए एक लड़की का फोटो जो उनके ही दोस्त रूप लाल की बेटी का फोटो था उसे टेबल पर रखकर उसे देख लेने के लिए बोलकर वहां से निकल जाते हैं,,,, लेकिन राकेश पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता वह एक टक खिड़की से बाहर देखता ही रह जाता है,,,,।
जैसे तैसे करके तकरीबन सप्ताह जैसा गुजर गया लेकिन राकेश ने टेबल पर पड़े उसे फोटो को देखने की बिल्कुल भी तसदी नहीं किया,,, एक तरह से राकेश उसलड़की की तलाश में पूरी तरह से टूट चुका था उस लड़की के सिवा उसकी आंखों को कोई और लड़की जंचती ही नहीं थी,, गजब की दीवानगी थी राकेश की जो उसे लड़की की तलाश में अपना जीवन बर्बाद करने पर उतारू हो चुका था वरना उसकी जगह कोई और होता तो शायद उससे भी खूबसूरत लड़की से विवाह करके अपना जीवन खुशी से गुजर सकता था लेकिन राकेश दूसरों से अलग था,,,।
राकेश खुद अपने व्यक्तित्व से हैरान हो चुका था क्योंकि आज तक वह किसी लड़की के पीछे इस कदर पागल हुआ ही नहीं था क्योंकि आज तक वह किसी लड़की को इतनी गौर से देखा भी नहीं था और ना ही कुछ लड़की के बारे में कुछ जानने की कोशिश किया था लेकिन आज पहली बार उसके जीवन में बदलाव आया था और वह भी किसी लड़की के लिए जिसके लिए वह अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा था मनोहर लाल के लाख समझाने के बावजूद भी वह कुछ भी मानने को तैयार नहीं था,,,।
ऐसे ही एक दिन बाप बेटे दोनों चाय पी रहे थे मनोहर लाल चाय की चुस्की लेते हुए अपने बेटे की तरफ बड़ी गौर से देख रहे थे वह जानते थे कि उनका बेटा बहुत परेशान है लेकिन ऐसा कब तक चलेगा क्योंकि सेठ मनोहर लाल अपनी उम्र के तकाजे से अपने अनुभव से इतना तो जानते ही थे कि उनका बेटा अंधेरे में सुई ढूंढने का काम कर रहा है,,, इसलिए अपने बेटे को समझाने के उद्देश्य से वह बोले,,,।
बेटा राकेश मैंने जो तुम्हारे टेबल पर तस्वीर रखी थी क्या वह लड़की तुम्हें पसंद है,,,,।
कौन सी तस्वीर पिताजी,,,,,(चाय की चुस्की लेता हुआ राकेश बोला,,,)
कौन सी तस्वीर,,, अरे क्या तुम्हें बिल्कुल भी नहीं मालूम है कौन सी तस्वीर की बात कर रहा हूं अभी सप्ताह भर पहले ही मैं तुम्हारी टेबल पर रख कर गया था और बोला था कि इस लड़की के बारे में जरूर बताना,,,,।
मैं माफी चाहता हूं पिताजी,,, मैंने ध्यान नहीं दिया और वैसे भी मुझे किसी लड़की की तस्वीर ना ही दिखाएं तो अच्छा है,,,।
यह कैसी पागलपन जैसी बातें कर रहे हो राकेश,,,, बड़ी मुश्किल से थोड़ी खुशियों का जुगाड़ करने की कोशिश कर रहा हूं और तुम हो कि सब कुछ बिगाड़ देना चाहते हो,,,,,।
कैसी खुशी पिताजी,,, यह आप भी जानते हैं कि अगर मैं किसी लड़की से शादी कर भी लिया तो मुझे वह खुशी नहीं मिलेगी जो चाहत मैंने उसे लड़की से लगा रखा है मैं कभी ना तो खुश रह पाऊंगा ना ही उस लड़की को खुशी दे पाऊंगा हम दोनों का जिंदगी खराब हो जाएगा इसलिए पिताजी मेरी खोज मुझे जारी रखने दीजिए मुझे पूरी उम्मीद है कि एक-ना एक दिन वह मुझे मिल जाएगी,,,। और वैसे भी वह लड़की जब तक मुझे नहीं मिल जाती मैं अपना ध्यान किसी और चीज में नहीं लगा सकता,,,।
(अपने बेटे की इस तरह की बेरुखी भरी बातें सुनकर सेट मनोहर लाल को बहुत गुस्सा आया,,, लेकिन किसी तरह से वह अपना गुस्सा पी गए लेकिन फिर भी चाय के कप में अधूरी चाय छोड़कर वह गुस्से से अपनी जगह से उठते हुए बोले,,,,)
जैसी तुम्हारी मर्जी अब मैं कुछ नहीं बोलूंगा,,,,।
(और इतना कहकर शेठ मनोहर लाल वहां से निकल गए लेकिन राकेश पर इसका भी प्रभाव नहीं पड़ा राकेश जो की एक संस्कारी लड़का था वह जानता था कि उसके पिताजी कैसे हालात में उसका लालन पोषण किए है,,, उसे पढ़ा लिखा कर इंजीनियर बनाएं और वह अपने पिताजी का नाम रोशन करना चाहता था जिस तरह के संस्कार उसके पिताजी ने उसे दिए थे इस संस्कार का सहारा लेकर वह आगे बढ़ना चाहता था लेकिन एक लड़की ने उसके पूरे व्यक्तित्व को बर्बाद करके रख दिया था अपने हुस्न के माया जाल में उसे पूरी तरह से उलझा दिया था लेकिन इसमें उसे लड़की का कोई दोस्त नहीं था इसमें राकेश के नजरिए का ही दोष था,,,)
रूपलाल को भी बहुत चिंता होने लगी क्योंकि सप्ताह जैसा समय गुजर गया था और अभी तक कोई खबर नहीं आई थी रूपलाल को लगने लगा था कि शायद उसकी बेटी के नसीब में मनोहर लाल की बहू बनना नहीं लिखा है इसलिए अपनी तरफ से आखिरी कोशिश करते हुए वह धीरे-धीरे बाजार में पहुंच गए जहां पर शेठ मनोहर लाल की मिठाई की दुकान थी,,, दुकान पर पहुंच कर रूपलाल कांच के बने काउंटर में रखी हुई बेहतरीन किस्म किस्म की मिठाई की तरफ नहीं बल्कि दुकान के अंदर उनकी नज़रें सेठ मनोहर लाल को ढूंढने लगी,,,,, तभी एक जगह कुर्सी पर बैठकर हिसाब किताब देख रहे मनोहर लाल पर रूपलाल की नजर पड़ गई और वैसे ही मनोहर लाल की भी नजर रूप लाल पर पड़ गई रूपलाल को देखते ही,,,, मनोहर लाल के चेहरे पर थोड़ी उदासी सी छा गई लेकिन रूपलाल उनका बचपन का मित्र था इसलिए अपने चेहरे पर बनावटी मुस्कुराहट लाते हुए मनोहर लाल बोले,,,।
अरे आओ रूपलाल बहुत दिनों बाद दिखाई दे रहे हो,,,,(सेठ मनोहर लाल रूप लाल का हंसी खुशी अभिवादन कर रहे थे लेकिन अंदर ही अंदर इस बात से दुखी थे कि उनके द्वारा दिया गया फोटो अभी तक उनके बेटे राकेश ने देखा नहीं था और साफ कह दिया था की लड़की के सिवा वह किसी और के साथ विवाह नहीं करेगा इसीलिए मनोहर लाल को समझ में नहीं आ रहा था कि रूपलाल को क्या बोले,,,,।
और रूप लाल भी इसी उद्देश्य से ही मनोहर लाल की दुकान पर आया था इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोला,,,,)
अरे मनोहर काम काज जितना बढ़ गया है कि समय ही नहीं मिलता वह तो यहां से गुजर रहा था तो सोचा चलो तुमसे मिल भी लूंगा और तुम्हारी दुकान की बेहतरीन मिठाई भी खरीद लूंगा क्योंकि घर पर कुछ मेहमान आ रहे हैं,,,,(मिठाई और मेहमान वाली बात रूपलाल जानबूझकर बोला था वह झूठ बोल रहा था वह तो यह जान आया था कि उसकी बेटी के फोटो को देखकर क्या निर्णय लिया गया है,,,)
चलो कोई बात नहीं इसी बहाने तुमसे मुलाकात तो हो गई आओ आओ,,,, बेठो,,,,,।
(रूपलाल धीरे से दुकान में प्रवेश किया और सेठ मनोहर लाल के सामने रखी कुर्सी पर जाकर बैठ गया,,,,, दोनों में बातचीत शुरू हो गई थी सेट मनोहर लाल को इस बात का डर था कि रूपलाल फोटो के बारे में ना पूछ ले और रूपलाल इसी तक में था कि किसी बहाने से वह अपनी बेटी के फोटो के बारे में पूछे,,,,, सेठ मनोहर लाल के कहने पर उनका कारीगर दुकान के सबसे बेहतरीन मिठाई को पैक कर दिया था,,,, सेठ मनोहर लाल के लाख कहने के बावजूद भी मिठाई की कीमत अपनी जेब से निकालकर काउंटर पर रूपलाल रख दिए,,,, और दुकान से निकलते निकलते बड़ी हिम्मत करके पूछ ही लिए,,,)
अरे हां मनोहर,,,, तुम्हें मैंने अपनी बेटी का फोटो दिया था तो क्या निर्णय लिए,,,,।
(जिसका डर था वही हुआ मनोहर लाल अपने मन में यही सोच रहे थे कि रूप लाल उसे फोटो के बारे में ना ही पूछे तो अच्छा ,,,, लेकिन जाते-जाते रूप लाल ने पूछा ही लिया था तो इस सवाल को सुनते ही मनोहर लाल का चेहरा एकदम से लटक गया और वह उदास मन से बोले,,,)
तुम्हारी बेटी में कोई कमी नहीं है रूपलाल कमी तो अब लगता है मेरे बेटे में ही है अभी तक उसने तुम्हारी बेटी का फोटो देखा ही नहीं है वह तो जीद ठान कर बैठा है की शादी करेगा तो उसी लड़की से वरना नहीं करेगा,,,,। आज बरसों बाद मुझे फिर से राकेश की मां की कमी एकदम से खलने लगी है मेरी परवरिश में ही कोई कमी रह गई थी जो इस तरह की औलाद पैदा हुई अगर राकेश की मां होती तो शायद यह दिन देखना ना पड़ता,,,,।
अरे नहीं नहीं मनोहर ऐसा मत बोलो तुमने परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी है बस लड़का थोड़ा सा बह गया है वक्त रहते हो वह भी सही रास्ते पर आ जाएगा,,,, अच्छा तो मैं चलता हूं,,,,।
(इतना कह कर रूप लाल उदास मन से दुकान से बाहर निकल गया और,,, अपने घर पहुंच गया,,,, घर पर पहुंचते ही वह घर के बाहर ही लोन में रखी कुर्सी पर बैठकर गहरी सांस लेने लगा,,, शाम ढल चुकी थी वह जानता था कि उसकी बीवी मंदिर गई हुई है और उसके आने की तैयारी है और आते ही फिर से बखेड़ा खड़ा कर देगी,,,,,,,,।
और थोड़ी देर में उसकी बीवी भी मंदिर से लौट आई और कुर्सी पर रूपलाल को बैठा हुआ देखकर सीधे सवाल पूछ बैठी,,,
क्या हुआ कुछ आया जवाब कि आज भी कहोगे कि मुझे नहीं मालूम,,,।
अरे भाग्यवान क्यों तुम अपनी बेटी को उस घर में भेजने की जीद ठान कर बैठी हो,,,।
क्यों तो क्या मैं उसे कहीं भी किसी के भी हाथ में सौंप दुं ,,,,( रमा देवी एकदम से गुस्से में बोली )
नहीं तो क्या जबरदस्ती किसी के भी घर में भेज दोगी,,,,, तुम अपनी जीद के आगे मुझे पागल कर दोगी,,,, तुम इतना तो पता ही होना चाहिए की जोड़ियां आसमान में बनती है हमारे चाहने से कुछ नहीं होता,,,..।
ऐसा क्यों नहीं कहते कि तुम हार गए उनसे बात करने में तुम्हें डर लगता है,,,,।
मुझे डर लगताहै,,, अरे भाग्यवान मुझे डर नहीं लगता आज गया था मैं उनकी दुकान पर बात करने के लिए लेकिन पता है उन्होंने क्या बोला कि अभी तक उनका लड़का तुम्हारी लड़की का फोटो देखा ही नहीं है पागल हो गया है वह उसे लड़की के चक्कर में अगर उसके साथ अपनी लड़की की शादी हो भी गई तो वह कभी खुश नहीं रह पाएगी,,,, खुद सेठ मनोहर लाल अपने बेटे से तंग आ गए हैं,,,,, सोचो जरा अगर जोर जबरदस्ती करके अगर हम अपनी बेटी उनके घर में ब्याह देते हैं तो क्या वह खुश रह पाएगी नहीं खुश रह पाएगी,,,,, और यह बात भी सोच लो की शादी ब्याह सब पहले से तय होकर आता है,,,,।
(इस बार रूपलाल की बीवी एकदम शांत हो गई,,, वह समझ गई कि इतनी कोशिशों के बावजूद भी अगर बात नहीं बन रही है तो शायद किस्मत में मनोहर लाल की बहू बना नहीं लिखा इसलिए रमा देवी का चेहरा भी उतर गया,,,,, और वह इस बार कुछ बोली नहीं और सीधा रसोई घर में चली गई,,,,।
रसोई घर में जाते ही उनकी आंखों में आंसू आ गए लेकिन वह किसी तरह अपने आप को संभाल कर खाना बनाने लगी,,, और अपनी और राकेश के बीच हुई मुलाकात के बारे में सोचने लगी की कैसे दोनों के बीच मुलाकात हुई थी अगर दोनों के बीच सास और दामाद का रिश्ता बन भी जाता है तो जिस तरह से दो बार उसे मुलाकात हुई थी उसे मुलाकात को लेकर वह कभी उसे आंख नहीं मिल पाएगी एक बार तो कपड़े की दुकान पर राकेश ने उसे अर्धनग्नअवस्था में देख ही चुका था और दूसरी बार वह खुद उसके घर के पार्टी में उसके ही कमरे में जाकर पेशाब की थी और पेशाब करते समय भी राकेश उसे देख चुका था,,,,।
और यही सब सो कर वह अपने दिल को तसल्ली दे रही थी कि अच्छा हुआ कि यह रिश्ता नहीं हुआ वरना वह कभी भी अपने दामाद से नजर नहीं मिला पाती,,, और तो और अगर यह रिश्ता हो जाता तो राकेश उसके बारे में क्या सोचता ,,,, क्योंकि दो बार किसी एक ही औरत को अधनंगी हालत में देखने के बाद एक जवान मर्द क्या सोचता उसके बारे में कैसी धारणाएं बांधता,,, और जिस तरह से वहां खुद उसके ही कमरे में जाकर उसके ही बाथरूम में पेशाब कर रही थी और वह भी दरवाजा खुला छोड़कर हो सकता है यह सब देखकर राकेश खुद उसके बारे में गलत सोचता उसके चरित्र पर उंगली उठाता,,, और यही सब सोचकर वह अपने मन को तसल्ली दे रही थी कि अच्छा ही हुआ कि जो यह रिश्ता नहीं हो पा रहा है,,,।
फिर भी मन में एक दुख था कि अपनी बेटी का रिश्ता वह अच्छे घर नहीं कर पाई इसलिए वह सबके साथ खाना खाते समय भी कुछ बोल नहीं पाई थी,,,, रात को अपने कमरे में जाकर वह सो गई थी रूपलाल भी अपनी बीवी की वेदना को समझ रहा था इसलिए कुछ बोला नहीं लेकिन आरती अपने कमरे में कुछ ज्यादा ही मस्ती के मुड में आ चुकी थी जिसका कारण थी उसकी सहेली क्योंकि उसकी सहेली उसके साथ गंदी गंदी बातें कर रही थी और साथ में रास्ते में एक गधे को दिखाई थी और उसके मोटे तगड़े लंड को देखकर आरती की भी हालत खराब हो रही थी और यही कारण था कि वह अपने कमरे में एकांत पाकर सुरूर में आ गई थी,,,,।
वैसे तो वह कभी जल्दी बहकती नहीं थी लेकिन कभी-कभार आंखों के सामने इस तरह की तरह से आ जाने के बाद वह दृश्य उसके दिलों दिमाग से जल्दी मिटते नहीं थे और इसी के चलते वह बिस्तर पर सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल रही थी,,, आखिर करवाती एक स्त्री थी और उसकी भी कुछ भावना ही थी उसका भी उम्र हो चुका था शादी का अगर शादी हो चुकी होती तो अब तक वह संभोग सुख प्राप्त कर चुकी होती लेकिन अभी विवाह में देरी थी लेकिन ख्वाहिशों का क्या उत्तेजना किसी की मोहताज नहीं होती ना शादी की ना समय की और इसीलिए वह अपनी उत्तेजना से मजबूर होकर धीरे-धीरे अपनी सलवार की डोरी खोल कर अपनी सलवार को अपने बदन से दूर कर चुकी थी,,,।
बिस्तर पर अपनी दोनों टांगों को खोलकर वह अपनी हथेली से अपनी गुलाबी बुर को मसल रही थी,,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह जानती थी कि यह सब गलत है लेकिन फिर भी मजबूर थी अपने मम्मी पापा की चुदाई वाले दृश्य को देखकर वह इस तरह की हरकत को अंजाम दी थी और अब रास्ते में देखे गए दृश्य के बारे में सोचकर उसके दिमाग की गर्मी बढ़ती जा रही थी,,,। वैसे भी जब से इस बात का पता चला कि राकेश जी लड़की से टकराया था वह लड़की वही थी तब से वह भी साथ में आसमान में उड़ रही थी हालांकि राकेश के चेहरे के बारे में वहां कल्पना नहीं कर पा रही थी क्योंकि वह राकेश का चेहरा भूल चुकी थी लेकिन फिर भी एक बड़े घर की बहू बनने के एहसास से ही वह मस्त हुए जा रही थी और बिस्तर पर पागलों की तरह अपनी बुर को मसलते हुए धीरे-धीरे अपनी गुलाबी छेद में अपनी उंगली को प्रवेश करने लगी और देखते ही देखते उसकी उंगलियां उसके कल्पना में लंड का आकार लेकर उसकी बुर के अंदर बाहर होना शुरू कर दिया था,,, और फिर देखते ही देखते वह झड़ने लगी उसका खूबसूरत चेहरा पसीने से तरबतर हो गया लेकिन झडने की खुशी उसकी मदहोशी उसे एकदम से संतुष्ट कर गई और वह धीरे-धीरे शांत हो गई,,,।