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Adultery बाबा ठाकुर (ब्लू मून क्लब- भाग 2)

कहानी का कथानक (प्लॉट)

  • अच्छा

    Votes: 2 12.5%
  • बहुत बढ़िया

    Votes: 13 81.3%
  • Could ठीक-ठाकbe better

    Votes: 2 12.5%

  • Total voters
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naag.champa

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बाबा ठाकुर
BBT-Hindi2-Cover-Ok22.jpg


(ब्लू मून क्लब- भाग 2)
~ चंपा नाग ~
अनुक्रमणिका

अध्याय १ // अध्याय १ // अध्याय ३ // अध्याय ४ // अध्याय ५
अध्याय ६ // अध्याय ७ // अध्याय ८ // अध्याय ९ // अध्याय १०
अध्याय ११ // अध्याय १२ // अध्याय १३ // अध्याय १४ // अध्याय १५
अध्याय १६ // अध्याय १७ // अध्याय १८ // अध्याय १९ // अध्याय २०
अध्याय २१ // अध्याय २२ // अध्याय २३ // अध्याय २४ // अध्याय २५
अध्याय २६ // अध्याय २७ // अध्याय २८ // अध्याय २९ // अध्याय ३०
अध्याय ३१ // अध्याय ३२ (समाप्ति)


प्रिय पाठक मित्रों,

बड़ी उत्साह के साथ और बड़ी खुशी के साथ मैं आपके लिए एक नई कहानी प्रस्तुत करने करने जा रही हूं| इस कहानी को मैंने बहुत ही धैर्य से और बड़े ही विस्तार से लिखा है| आशा है कि यह कहानी आप लोगों को मेरी लिखी हुई बाकी कहानियों की तरह ही पसंद आएगी क्योंकि इस कहानी को लिखने का मेरा सिर्फ एकमात्र ही उद्देश्य है वह है कि अपने पाठक बंधुओं का मनोरंजन करना|

मुझे आप लोगों के सुझाव, टिप्पणियां, कॉमेंट्स और लाइक्स का बेसब्री से इंतजार रहेगा|
PS और अगर अभी तक आप लोगों ने इस कहानी का पहला भाग नहीं पड़ा हो तो जरूर पढ़िएगा| पहले भाग का लिंक नीचे दिया हुआ है
ब्लू मून क्लब (BMC)

~ चंपा नाग ~



यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक घटनाओं पर आधारित है और इसका जीवित और मृत किसी भी शख्स से कोई वास्ता नहीं। इस कहानी में सभी स्थान और पात्र पूरी तरह से काल्पनिक है, अगर किसी की कहानी इससे मिलती है, तो वो बस एक संयोग मात्र है| इस कहानी को लिखने का उद्देश्य सिर्फ पाठकों का मनोरंजन मात्र है|
 
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naag.champa

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सपेरा तैयार है... आप शुरू कीजिये ✍️
आदरणीय manu@84 जी,

उम्मीद है किस कहानी में जो नागिन है उसका बलखाना आपको अच्छा लगेगा| कृपया मेरी कहानी पूरी जरूर पढ़ें और बताएं कि आपको कैसी लगी?
 

manu@84

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आ (.) (.) दाब......😂🙏

मून नाइट क्लब जैसा नाम वैसा काम, spa center की आड़ में जिसफरोशी का धंधा करने वाली शीला चौधरी जैसी लड़की की कहानी एक नये आयाम लिखेगी। आपने कहानी को सच में बहुत ही प्यार और इत्मिनान से लिखा है । इसका प्रमाण मै खुद हू जिसे कहानी के एक एक शब्दों में मुझे अपना spa center का अनुभव याद आ गया। किस तरह spa center में मैने अपनी जिस्म की थकान दूर करने के ऐवज् में कुछ और ही सेवा का आनद लिया था।

बाबा पर दावा किस तरह होगा इसका इंतजार रहेगा।
लिखते रहिये ✍️

Dhanyavaad
 
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naag.champa

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आ (.) (.) दाब......😂🙏

मून नाइट क्लब जैसा नाम वैसा काम, spa center की आड़ में जिसफरोशी का धंधा करने वाली शीला चौधरी जैसी लड़की की कहानी एक नये आयाम लिखेगी। आपने कहानी को सच में बहुत ही प्यार और इत्मिनान से लिखा है । इसका प्रमाण मै खुद हू जिसे कहानी के एक एक शब्दों में मुझे अपना spa center का अनुभव याद आ गया। किस तरह spa center में मैने अपनी जिस्म की थकान दूर करने के ऐवज् में कुछ और ही सेवा का आनद लिया था।

बाबा पर दावा किस तरह होगा इसका इंतजार रहेगा।
लिखते रहिये ✍️

Dhanyavaad

आदरणीय manu@84 जी,


आपके मूल्यवान कमेंट के लिए धन्यवाद| कहानी की नायिका शीला चौधरी उर्फ पीयाली दास; ब्लू मून क्लब में खुद गई थी| वहां उनकी मुलाकात ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा से हुई| यह कुदरत का करिश्मा था कि ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा और कहानी की नायिका शीला चौधरी उर्फ पीयाली दास की चेहरे आपस में काफी मिलते-जुलते थे| अगर उन्हें कोई अनजान आदमी देखें तो यही सोचेगा कि यह दोनों मां बेटी है| ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा ने शीला चौधरी उर्फ पीयाली दास समझा-बुझाकर या फिर बहला-फुसलाकर अपने क्लब में शामिल कर लिया| अगर अभी तक आप ने इस कहानी का पहला भाग नहीं पड़ा हो तो जरूर पढ़िएगा|

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manu@84

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आदरणीय manu@84 जी,


आपके मूल्यवान कमेंट के लिए धन्यवाद| कहानी की नायिका शीला चौधरी उर्फ पीयाली दास; ब्लू मून क्लब में खुद गई थी| वहां उनकी मुलाकात ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा से हुई| यह कुदरत का करिश्मा था कि ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा और कहानी की नायिका शीला चौधरी उर्फ पीयाली दास की चेहरे आपस में काफी मिलते-जुलते थे| अगर उन्हें कोई अनजान आदमी देखें तो यही सोचेगा कि यह दोनों मां बेटी है| ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा ने शीला चौधरी उर्फ पीयाली दास समझा-बुझाकर या फिर बहला-फुसलाकर अपने क्लब में शामिल कर लिया| अगर अभी तक आप ने इस कहानी का पहला भाग नहीं पड़ा हो तो जरूर पढ़िएगा|

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प्रिय लेखिका महोदया जी,
आपने मेरे लिखे शब्दों को इत्मिनान से नही पढ़ा, मै शीला जी के संदर्भ मे जो लिखा वो सारे अध्याय पढ़ने के बाद ही लिखा हू, किंतु आपने शीला और डिसूजा मेम का itro पर फोकस किया। जबकि मेरे कॉमेंट में शीला बहुत आगे निकल चुकी है, वो जिसफरोशी के मायाजाल में faskar पंडित बाबा के साथ सोने को तैयार है।

खैर भूल चूक 🙏

Dhanyavaad
 
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naag.champa

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प्रिय लेखिका महोदया जी,
आपने मेरे लिखे शब्दों को इत्मिनान से नही पढ़ा, मै शीला जी के संदर्भ मे जो लिखा वो सारे अध्याय पढ़ने के बाद ही लिखा हू, किंतु आपने शीला और डिसूजा मेम का itro पर फोकस किया। जबकि मेरे कॉमेंट में शीला बहुत आगे निकल चुकी है, वो जिसफरोशी के मायाजाल में faskar पंडित बाबा के साथ सोने को तैयार है।

खैर भूल चूक 🙏

Dhanyavaad
Thank you so much.
Replying from my mobile browser hence no Hindi font
 

naag.champa

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अध्याय ४



मैरी डिसूजा की गाड़ी के अंदर बैठने से पहले मेरी डिसूजा ने मेरा माथा चूमा और बोली, "जहां मेरी बच्ची- दिल खोलकर अपना जी बहला कर आ"

बारिश का मौसम अभी जारी था| पिछली रात भी काफी देर तक जोरदार बारिश हुई थी|

वास्तव में मौसम बहुत ही खुशनुमा और सुहावना हो रखा था| मानो किसी यात्रा के लिए एकदम उत्तम दिन|

मैं मैरी डिसूजा की पर्सनल महंगी सी और बड़ी सी SUV की पिछली सीट पर बैठी थी| गाड़ी की खिड़कियों में टिंटेड ग्लासेस लगे हुए थे|

मैंने गाड़ी की सारी खिड़कियां बंद कर की रखी थी ताकि बाहर की हवा और धूल के कारण मेरा मेकअप बर्बाद ना हो जाए| और गाड़ी के ड्राइवर अनवर मियां ने AC चला रखा था|

उस दिन रास्ते में ज्यादा ट्रैफिक नहीं था| मैं अपने ही ख्यालों की उधेड़बुन में लगी हुई थी इसलिए शायद रास्ते का पता नहीं चल रहा था... लेकिन जब मैंने देखा कि हम लोग हाईवे पर थे और रास्ते के दोनों तरफ गांव की हरियाली जैसे कि मानो मेरा स्वागत कर रही थी तब मैंने घड़ी देखी और मुझे एहसास हुआ कि हम लोग करीब 3 घंटे से ड्राइव कर रहे हैं|

मैंने हैरान होकर गाड़ी के ड्राइवर अनवर मियां से कहा, "हम लोग करीब 3 घंटे से ड्राइव कर रहे हैं- और आप कहीं रुके भी नहीं... अगर आपको चाय वाय पीनी थी तो आपने मेरे से कह दिया होता... चलिए कोई ढाबा वगैरह देख कर के कहीं बैठकर चाय पीते हैं... सुना है गांव की मिट्टी के कुल्हड़ में चाय का स्वाद अलग ही होता है"

आखिरकार अनवर मियां अपनी मालकिन की लाडली बेटी को अपनी गाड़ी में बैठा कर उसकी मंजिल तक पहुंचा रहे थे- और यह उनके लिए बहुत ही बड़ी जिम्मेदारी का काम था|

उन्होंने गाड़ी के ड्राइवर ने बड़ी ही कृतज्ञता भरी दृष्टि से रियर व्यू मिरर में मुझे देखा और खुशी से मुस्कुराते हुए बोले, "जी, अच्छा"

हाईवे के किनारे जल्दी ही हमें एक चाय की दुकान मिल गई| अनवर मियां ने उस दुकान के पास अपनी गाड़ी रोकी और गाड़ी की AC को बंद कर दिया| उस दुकान में पहले से ही कई ग्राहक मौजूद थे जिनमें कुछ महिलाएं और गांव के लौंडे लफाड़े भी शामिल थे|

गांव का नजारा अच्छी तरह से देखने के लिए मैंने गाड़ी की खिड़की का शीशा नीचे किया| गांव का वातावरण शहर के प्रदूषण से काफी हद तक मुक्त था|

गाड़ी की खिड़की के शीशे को नीचे होते ही सबकी निगाहें मानो मुझ पर ही टिक गई| इसलिए मैंने जितना हो सके अपने आपको बदन को साड़ी के आंचल से ढकने की कोशिश की... लेकिन फिर भी मुझे लग रहा था कि सभी लोग मुझे आंखें फाड़ फाड़ के देख रहे हैं|

क्योंकि गांव के इस रास्ते शायद ऐसा नजारा उनको कम ही देखने को मिलता है यहां मुझ जैसी एक उच्च वर्गीय सुंदर लड़की को इतनी महंगी सी और बड़ी सी गाड़ी में बैठी हुई हो|

मैं गाड़ी से नहीं उतरी| अनवर मियां मैं खुद दुकान से मेरे लिए मिट्टी के कुल्हड़ में चाय लेकर आए और खुद गाड़ी के पीछे जाकर चाय की चुस्की हो के साथ एक बीड़ी पीने लगे|

मुझे मालूम था कि जब तक हम लोग वहां रुके हुए थे दुकान में बैठा कोई भी मेरे ऊपर से अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था| खैर चाय पीना खत्म हुआ| अनवर मियां गाड़ी गाड़ी स्टार्ट की और गाड़ी AC चला दी और मैंने भी गाड़ी की खिड़की में लगी टिंटेड ग्लास को ऊपर कर दिया| और दोबारा गाड़ी में कैद हो गई हालांकि मेरा बहुत मन कर रहा था कि मैं गाड़ी की खिड़कियां खुद ही रखो और गांव के इस मादक वातावरण का मजा दे सकूं- पर इससे मेरे मेकअप के खराब होने का डर था|

इतने में अनवर मियां का फोन बज उठा|

मेरा अंदाजा बिल्कुल सही था| फोन बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ ने ही किया था|

अनवर मियां उनसे बोल रहे थे, "जी हां बाबा ठाकुर- बोलिए... जी हां... जी हां... बस हम आधे घंटे में ही पहुंचने वाले हैं... यहां जी थोड़ी देर लग गई"

हम लोगों को इतनी भी देर नहीं हुई थी कि बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ को फिक्र होने लगे| इसलिए मैंने अनवर मियां से फोन मांगा और मैं खुद उनसे बात करने लगी|

"बाबा ठाकुर जी, प्रणाम! मैं पीयाली बोल रही हूं- वही पीयाली जिसे आपने पसंद किया था... माफ कीजिएगा रास्ते में थोड़ी देर लग रही है क्योंकि हमने यहां थोड़ी देर रुक कर थोड़ा चाय पीने का फैसला किया था... क्योंकि हमारे ड्राइवर साहब करीब 3 घंटे से लगातार गाड़ी चला रहे थे..."

फोन की दूसरी तरफ से एक शांत और गंभीर स्वर में आवाज आई, "ठीक है, ठीक है... मैं तो बस यूं ही तुम लोगों की खैरियत पूछ रहा था... और मैं यह जानना चाहता था कि तुम लोगों को रास्ते में कोई दिक्कत तो नहीं हो रही..."

"जी बिल्कुल नहीं" मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया मैं जानती थी की फोन पर वह मुझे देख नहीं सक रहे लेकिन मेरी मुस्कुराहट को वह जरूर भांप लेंगे|

"ठीक है... मैं तुम्हारे यहां पहुंचने का इंतजार करूंगा"

मैंने दोबारा बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ को प्रणाम करके फोन काट दिया| उसके बाद मैं मन ही मन यही यह सोचने लगी कि मैरी डिसूजा तो मुझे बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ कि यहां बिल्कुल कामधेनु बनाकर भेज रही है, और मैं उम्मीद कर रही थीकि इस उद्देश्य में अब मेरा सफल होना बहुत जरूरी हो गया है|

बाबा ठाकुर की आवाज को मैं अच्छी तरह पहचानती थी| क्योंकि हर रोज मैं टीवी पर उनकी भविष्यवाणी का प्रोग्राम सुना करती थी और मैंयह भी जानती थी कि वह दिखने में कैसे हैं| करीब 50- 55 साल के लेकिन काफी आकर्षक व्यक्तित्व वाले एक स्वस्थ और हृष्टपुष्ट लंबे चौड़े आदमी|

लेकिन उन्होंने सिर्फ मेरी तस्वीर ही देखी थी

मैंने तिरछी नजर से खिड़की के बाहर देखा| गाड़ी की खिड़की के टिंटेड ग्लासेस चढ़े हुए थे| बाहर से अंदर कुछ दिखना बिल्कुल नामुमकिन था| लेकिन बाहर बैठे लौंडे लफाड़े फिर भी इसी कोशिश में लगे हुए थे कि शायद मेरी एक झलक उनको दिख जाए|

अनवर मियां ने गाड़ी को गियर में डाला और गाड़ी अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने लगी|

***

हम गांव के अंदर घुस चुके थे| रास्ते सन करें हो चले थे और पक्की सड़क हर जगह मौजूद नहीं थी| पिछली रात को यहां भी काफी बारिश हुई थी और जगह-जगह पानी भर गए थे| रास्ता भी उबड़ खाबड़ था... इसलिए अनवर मियां बड़े ध्यान से गाड़ी चला रहे थे पर रास्ते में गड्ढों की वजह से गाड़ी चलते चलते डगमगा रही थी|

आखिरकार हम लोग एक छोटे से रास्ते पर पहुंचे जिस पर सीमेंट की ढलाई की हुई थी|

करीब आधे किलोमीटर की दूरी पर हमें एक गांव की हवेली दिखी| मुझे समझते देर नहीं लगी कि कहीं बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ का घर था|

और यह दो मंजिला हवेली काफी बड़ी थी| कावेरी का पूरा अहाता करीब करीब 4 फुट ऊंची दीवारों से घिरा हुआ था| लेकिन हवेली के अंदर गाड़ी खुश नहीं सकती थी क्योंकि गेट काफी छोटा था और गाड़ी काफी बड़ी और चौड़ी थी|

हमारे पहुंचते-पहुंचते बारिश शुरू हो चुकी थी| गेट के बाहर एक लकड़ी का बोर्ड लगा हुआ था जिसमें बंगाली में लिखा हुआ था, "कृपया गेट को बंद रखें- बगीचे में गाय घुस जाति है"

यह पढ़कर मुझे हंसी आ गई| अनवर मियां ने गेट के बाहर गाड़ी रोक कर दो तीन बार गाड़ी का हॉर्न बजाया और मैंने देखा हवेली का मुख्य दरवाजा खोला और उसके अंदर एक उन्नीस या बीस साल की गाँव की लड़की एक बड़ी सी खुली हुई छतरी के नीचे बारिश से बजती हुई लगभग दौड़ती हुई गेट की तरफ आ रही है और यह साफ जाहिर था कि उसने कोई अंतर्वास नहीं पहन रखा था क्योंकि जब वह भागती हुई आ रही थी तो उसके अच्छी तरह से विकसित हुए स्तन उसके भागते वक्त कामुकता से फुदक रहे थे|

गाड़ी के शीशे जुड़े हुए थे| उसे आते देखकर मैंने गाड़ी की खिड़की का शीशा नीचे किया उसे देख कर मुस्कुराई|

क्रमशः
 
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naag.champa

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अध्याय ५



वह लड़की छाता पकड़कर दौड़ती हुई सीधे गाड़ी के पास आकर दरवाजे के बिल्कुल सामने आकर रुक गई और चेहरे पर एक मासूम उज्ज्वल मुस्कान लेकर बस ठगी से खड़ी मेरी तरफ देखती ही रह गई|

Arati.jpg

उसने भी बंगाली ताँत एक आम रोजमर्रा पहनने वाली साड़ी और एक आधे आस्तीन वाली ब्लाउज पहन रखी थी| उसकी भी लंबे घने बाल अध गीले थे खुले हुए थे| शायद वह नए मेहमान के आने के स्वागत की तैयारी में पहले से ही नहा धोकर बैठी हुई थी|

बारिश हो रही थी अगर छाता नहीं होता तो शायद वह भी भीग जाती, लेकिन वह लड़की सिर्फ खड़ी होकर बस मुस्कुराती हुई मुझे देख रही थी| मुझे ऐसा लग रहा था वह मुझे देखकर एक छोटी सी बच्ची की तरह बहुत खुश हुई है और इसी खुशी में शायद वह भूल ही गई है कि वह बिल्कुल दरवाजे के सामने खड़ी है और इस वजह से मैं दरवाजा खोलकर गाड़ी से उतर भी नहीं पा रही हूं|

मैंने उससे मुस्कुराकर कहा, "हेलो, मेरा नाम पीयाली है- तुम्हारा नाम क्या है?"

"जी, जी... भाभी जी..."

"क्या? तुम्हारा नाम भाभीजी है?" मैंने मजाक मजाक में पूछा

अब वह लड़की बिल्कुल बच्चों की तरह खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली, "जी नहीं भाभी जी, मेरा नाम आरती है"

"अच्छा तो आरती क्या तुम मुझे घर के अंदर नहीं ले जाओगी?"

"अरे हां हां भाभी जी... आइए आइए" यह कहकर वो लड़की थोड़ा सा हटी है और मैं दरवाजा खोलकर गाड़ी से उतरी| अनवर मियां भी मेरा सामान घर तक पहुंचाने के लिए गाड़ी से उतरने ही वाले थे|

उस लड़की ने मुझे अपने छाते के अंदर ले लिया और फिर मैंने बाहर नजर दौड़ाई और फिरअनवर मियां की तरफ देखा, "अनवर मियां जी, बारिश तो हो रही है और लगता है छाता भी एक है... अगर आपगेट से दरवाजे तक पहुंचते-पहुंचते आप तो भीग जाएंगे... मैं काम करती हूं आरती मुझे घर तक छोड़ कर आएगी उसके बाद मैं दोबारा उसको आपके पास भेज दूंगी"

अनवर मियां ने कृतज्ञता से मुस्कुराकर कहा, "उसकी कोई जरूरत नहीं पड़ेगी मैडम... मैं तो आर्मी में था... इस जरा सी बारिश कि मुझे परवाह नहीं... बस आपकी बैग्स थोड़े से भीग जाएंगे..."

हवेली के अंदर घुस कर आरती ने मुझे एक कमरे में बैठने को कहा और उसने अंदर की तरफ आवाज लगाई- "बाबा ठाकुर! आज बहुत दिनों बाद एक नई भाभी जी हमारे घर आई है... और यह तो बड़ी सुंदर है"

अंदर से एक परिपक्व पुरुष की आवाज आई, "ठीक है, उसे बैठक खाने में मेरा इंतजार करने के लिए कह दे... और उसे हमारे आश्रम के तौर तरीकों के बारे में भी तुझे ही बताना होगा... याद है ना? मैं बस थोड़ी देर में आ रहा हूं"

यह बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ की वही गंभीर और शांत आवाज थी|

"जी, जी, जी, बाबा ठाकुर... मैं भाभी जी को सब कुछ समझा दूंगी”, आरती ने दोबारा उत्साहित होकर ऊंची आवाज में जवाब दिया| उसके स्वर में मैंने अपने लिए प्रशंसा की एक झलक देखी और न जाने क्यों वह मुझे देखकर इतनी खुश और उत्साहित क्यों हो रही थी|

इतने में सीढ़ियों से उतर कर बैठने वाले कमरे में एक अधेड़ उम्र के सज्जन दाखिल हुए|

उनके चेहरे पर ट्रिम की हुई दाढ़ी थी| हट्टा कट्टा गठीला बदन उनकी उम्र करीब 50 या 55 साल की होगी... लेकिन उनकी उम्र का असर उनके व्यक्तित्व और चाल-ढाल बिल्कुल भी नहीं पढ़ रहा था| उन्होंने केसरिया रंग का कुर्ता और सफेद रंग की एक धोती पहन रखी थी और उनकी गली में दो या तीन तरह की रुद्राक्ष की मालाएं लटक रही थी और साथ ही में मैंने गौर किया उनकी एक माला गरीब बड़े-बड़े काफी महंगे क्रिस्टल के मनको के बने हुए थे|

मैं उन्हें देखकर ही पहचान गई| यह सज्जन और कोई नहीं स्वयं बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ थे- जिनकी भविष्यवाणी का कार्यक्रम मैं हर रोज टीवी पर देखा करती थी|

मैं उन्हें अपनी आंखों के सामने देख कर वास्तव में उनके व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हुई और फिर मुझे याद आया मुझे क्या करना है|

मैंने अपने बालों का जुड़ा खोला और बालों को अच्छी तरह खुलकर पीठ की तरफ फैला दिए और फिर उनके सामने जाकर जमीन पर घुटनों के बल बैठ के अपना माथा उनके चरणों के पास टेक दिया और बालों को सामने की तरफ अपने हाथों से फैला दिए| ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा ने मुझे ऐसे ही उनको प्रणाम करने के लिए सिखाया था|

बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ में जमीन पर फैले मेरे खुले बालों पर अपने चरण रखें और फिर दो कदम पीछे हट गए|

उठने से पहले मैंने अपने बालों को समेट कर फिर से जुड़ा बांध लिया और फिर उठ कर खड़ी हो गई- आशीर्वाद स्वरुप मैंने उनकी चरणों की धूल अपने सर पर ले ली थी|

उन्होंने अपनी उंगलियों से मेरी ठुड्डी को छुआ और फिर मेरा चेहरा थोड़ा सा उठाकर मुझे देखते हुए वह बोले, "तुम बिल्कुल मैरी डिसूजा जैसी ही दिखती हो लेकिन जो तस्वीर मैंने तुम्हारी देखी थी तुम मुझसे भी सुंदर हो और हां बावजूद इसके कि तुम शहर की रहने वाली लड़की हो लेकिन लगता है तुमने अपनी संस्कृति और परंपरा नहीं भूली है... क्या नाम बताया था तुमने अपना?"

ऐसे पारंपरिक तरीके से प्रणाम करना मुझे मैरी डिसूजा ने सिखा दिया था| उनकी प्रतिभा और दक्षता की दाद देनी पड़ेगी!

"जी, मेरा नाम पीयाली है- पीयाली दास"

"पीयाली... यह तो एक बंगाली नाम है... पर बहुत अच्छा नाम है... पीयाली शब्द का अर्थ है एक फलदाई और छायादार वृक्ष जो मानवता के हर काम आती है, यह नाम ही परम आनंद का प्रतीक है नाम की लड़कियां हमेशा शांतिप्रिय होती हैं और वे अपनी खुशी को अपने तरीके से खोजने की कोशिश करती हैं... हालांकि इस नाम के जातकों को अपना जीवनसाथी चुनने के लिए सही व्यक्ति को पहचानने की जरूरत है..." इतना कहकर बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ मेरी आंखों में कुछ देखते रह गए उसके बाद उन्होंने बोलना जारी रखा, "साथ ही इस नाम के जातक बहुत बुद्धिमान, ऊर्जावान होने के साथ-साथ अपने कर्तव्यों के प्रति बहुत समर्पित रहते हैं... साथ ही इस नाम के जातक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न होते हैं... वैसे तुम पहली लड़की हो जिसका नाम पीयाली है... लेकिन तुम दिखने में बहुत ही सुंदर हो..."

हे ईश्वर! बाबा ठाकुर ने दो मुझे एक झलक आमने-सामने देखते ही मेरी जिंदगी का लगभग कच्चा चिट्ठा खोल डाला... उनकी यह बात मुझे एकदम सटीक जब उन्होंने कहा '... हालांकि इस नाम के जातकों को अपना जीवनसाथी चुनने के लिए सही व्यक्ति को पहचानने की जरूरत है...'

मेरी स्त्रैण प्रवृत्ति ने मुझे जता दिया कि बाबा ठाकुर की नजरों से ही ऐसा लग रहा था कि पहले तो उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैरी डिसूजा ने मेरे जैसी इतनी सुंदर लड़की को उनकी कामवासना पूरी करने के लिए भेजा है|

और मुझे इस बात की खुशी थी कि मैंने आते ही अपने लिए इनके मन में एक अच्छी धारणा बना ली है; रही बात आरती की? वह बेचारी तो बहुत मासूम लग रही थी और ऐसा लग रहा था कि मुझे देख कर ही बहुत ज्यादा ही प्रभावित हुई है|

मैरी डिसूजा तो मुझे बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ कि यहां बिल्कुल कामधेनु बनाकर भेजा था- अच्छा हुआ कि इस कामधेनु के उद्देश्य का पहला चरण सफल हुआ|

लेकिन जहां तक मैंने सुना था, बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ का कोई परिवार नहीं है| तो फिर यह लड़की- आरती कौन है? आखिर माजरा क्या है?

मैं मन ही मन सोच रही थी कि इस बात का पता करना पड़ेगा... लेकिन मुझे क्या मालूम था की आरती बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ की जिंदगी का और इस गांव का और उसके आसपास के इलाकों का एक बहुत बड़ा रहस्य खोलने जा रही है...

क्रमशः
 

naag.champa

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अध्याय ६


अनवर मियां बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ से दो हज़ार रुपए की बक्शीश लेकर विदा ले चुके थे| हवेली के बैठक खाने में उन्होंने मेरा सामान रख दिया था|

बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ आरती को वापस हवेली के अंदर जाने से आरती को कुछ हिदायतें दे रहे थे तब मैं हवेली की बैठक खाने को देख रही थी| कमरा काफी बड़ा था| वह रखा हुआ सोफासेट जिसके ऊपर में बैठी थी वह भी काफी महंगा था| कमरे में तरह-तरह की तस्वीरें लगी हुई थी|

जिनमें से ज्यादातर तस्वीरें बाबा ठाकुर पंडित की नाथ की थी| किसी तस्वीर में वह भक्तों के साथ किसी भव्य मंदिर का उद्घाटन कर रहे थे तो दूसरे में वह शायद कुंभ मेले में नदी में स्नान कर रहे थे और उनके इर्द-गिर्द महिलाओं की कोई कमी नहीं थी... उसके बाद मेरी नजर दीवार पर टंगी एक दो चीजों पर और गई उनमें से एक तो खजुराहो मंदिरों में बनी मूर्तियों की प्लास्टर की ढलाई थी


Kamasutra-759-1.jpg

और... अरे बाप रे!

एक पेंटिंग साल्वाडोर दालि की The Persistence of Memory (1931) कि नकल थी और इस पेंटिंग में पिघलते हुए और विकृत घड़ियों को दर्शाया गया है और साथ ही विचित्र तरह की चीजों का चित्रांकन किया गया है- जो कि समय और यादोंकी तरलता और स्थिरता को दर्शाती है|


the-persistence-of-memory-1931-jpg-Large.jpg

दूसरी पेंटिंग पाब्लो पिकासो की Le Reve की नकल थी और इस मीटिंग में आलोचकों ने इसके कामुक विषय को इंगित किया है चित्रकार ने अपने मॉडल के टेढ़े मेढ़े चेहरे में एक खड़े लिंग को भी चित्रित किया है जो कि उसके स्वयं की कामुकता का प्रतीक होगा...

Le-Reve-1932.jpg

खजुराहो मंदिरों में बनी मूर्तियों की प्लास्टर की ढलाई? वह तो आत्म व्याख्यात्मक था...

इन सब चीजों का बैठक खाने में होना जरूर कोई मायने रखता होगा| जो लोग बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ से मिलने आते थे शायद उनके लिए यह कोई कृतिक संदेश होगा...

मैंने ख्यालों में खोई हुई थी कि आरती ने मुझसे कहा, "क्या सोच रही हो भाभी जी?"

मैंने मुड़कर देखा आरती चेहरे पर मुस्कुराहट और आंखों में एक मासूम खुशी की चमक लिए हुए मुझे कौतूहल वश देख रही थी|

मैंने कहा, "कुछ नहीं, बस में कमरे की सजावट को देख रही थी"

अब आरती बोलने लगी, "अच्छा भाभी जी, बाबा ठाकुर ने मुझे हिदायत दी है कि मैं आपको सब कुछ समझा दूं... वह चाहते हैं क्या आप हमारे घर सिर्फ साड़ी पहन कर ही रहे... और कोई घरेलू साड़ी पहन लीजिए"

न जाने क्यों आरती की सरलता और मासूमियत से मैं बहुत प्रभावित हुई थी इसलिए मैंने उससे कहा, "अच्छा आरती, भाभी जी... भाभी जी कहकर मत बुलाओ... और आप आप बोलने की भी जरूरत नहीं है... मेरा नाम पीयाली है- तुम मुझे पीयाली दीदी कह सकती हो और तुम मुझसे तुम तुम करके बात करो"

यह कहकर मैंने अपनी किट बैग की चेन खोली ताकि मैं उसके अंदर से घरेलू साड़ी निकाल सकूं और चीन खुलते ही सबसे पहले मेरी नजर बैंक के अंदर एकदम ऊपर रखी हुई छतरी पर गई| हे राम! अगर मुझे मालूम होता कि यह जद्दनबाई ने बैग में छतरी भी डाल रखी है तो बेचारे अनवर मियां को बारिश में भीगना नहीं पड़ता|

इतने में अचानक आरती ने आकर मेरा हाथ पकड़ा... वह बोली, "पीयाली दीदी... आप... मेरा मतलब है कि तुम मैं मुझे तू तू करके बात करो... और एक बात और अगर तुम मेरी दी हुई साड़ी पहनोगी तो मुझे अच्छा लगेगा क्या तुम मेरे कमरे में चलोगी मेरे साथ?"

मैंने मुस्कुरा कर हामी भरी और बैठक खाने से निकलने से पहले एक बार फिर मैंने पिकासो और सल्वाडोर डाली की पेंटिंग्स पर नजर दौड़ाई... न जाने क्यों मुझे पक्का यकीन था कि यह पेंटिंग्स आने वाले मेहमानों के लिए जरूर कोई गुप्त संदेश देने के लिए यहां लगाए गए हैं|

क्रमशः
 
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