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Adultery बाबा ठाकुर (ब्लू मून क्लब- भाग 2)

कहानी का कथानक (प्लॉट)

  • अच्छा

    Votes: 2 12.5%
  • बहुत बढ़िया

    Votes: 13 81.3%
  • Could ठीक-ठाकbe better

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naag.champa

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बाबा ठाकुर
BBT-Hindi2-Cover-Ok22.jpg


(ब्लू मून क्लब- भाग 2)
~ चंपा नाग ~
अनुक्रमणिका

अध्याय १ // अध्याय १ // अध्याय ३ // अध्याय ४ // अध्याय ५
अध्याय ६ // अध्याय ७ // अध्याय ८ // अध्याय ९ // अध्याय १०
अध्याय ११ // अध्याय १२ // अध्याय १३ // अध्याय १४ // अध्याय १५
अध्याय १६ // अध्याय १७ // अध्याय १८ // अध्याय १९ // अध्याय २०
अध्याय २१ // अध्याय २२ // अध्याय २३ // अध्याय २४ // अध्याय २५
अध्याय २६ // अध्याय २७ // अध्याय २८ // अध्याय २९ // अध्याय ३०
अध्याय ३१ // अध्याय ३२ (समाप्ति)


प्रिय पाठक मित्रों,

बड़ी उत्साह के साथ और बड़ी खुशी के साथ मैं आपके लिए एक नई कहानी प्रस्तुत करने करने जा रही हूं| इस कहानी को मैंने बहुत ही धैर्य से और बड़े ही विस्तार से लिखा है| आशा है कि यह कहानी आप लोगों को मेरी लिखी हुई बाकी कहानियों की तरह ही पसंद आएगी क्योंकि इस कहानी को लिखने का मेरा सिर्फ एकमात्र ही उद्देश्य है वह है कि अपने पाठक बंधुओं का मनोरंजन करना|

मुझे आप लोगों के सुझाव, टिप्पणियां, कॉमेंट्स और लाइक्स का बेसब्री से इंतजार रहेगा|
PS और अगर अभी तक आप लोगों ने इस कहानी का पहला भाग नहीं पड़ा हो तो जरूर पढ़िएगा| पहले भाग का लिंक नीचे दिया हुआ है
ब्लू मून क्लब (BMC)

~ चंपा नाग ~



यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक घटनाओं पर आधारित है और इसका जीवित और मृत किसी भी शख्स से कोई वास्ता नहीं। इस कहानी में सभी स्थान और पात्र पूरी तरह से काल्पनिक है, अगर किसी की कहानी इससे मिलती है, तो वो बस एक संयोग मात्र है| इस कहानी को लिखने का उद्देश्य सिर्फ पाठकों का मनोरंजन मात्र है|
 
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naag.champa

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mast update
Thank you.
उम्मीद है आपको आगे के अपडेट्स भी पसंद आएंगे|

अपने मूल्यवान मंतव्य और लाइक देते रहिएगा|
 

naag.champa

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आदरणीय manu@84 जी,

एक गरम चाय की प्याली हो, कोई उसको पिलाने वाली हो 😂🤣 पियाली जी के जिस्म की नुमाइश देखकर खुद ब खुद होंठों पर ये गाना आ गया।

पिछले तीनो अध्यायों को एक साथ पढ़ने के बाद मुझे इतना समझ आ रहा है, लेखिका जी की लेखन शैली बहुत ही उच्च दर्जे की है, शब्दों, शब्दों के अर्थों, चित्रों का चयन, चित्रों का वरण, हिंदी के साथ साथ बंगाली भाषा का ज्ञान, क्षेत्रीय प्रथाओ का व्रतांत्
इतनी सहजता और सरलता से किया है, जिसे आम तौर पर इन आश्लील कहानियों में कोई भी राइटर करने की नही सोचता, अन्य राइटर सिर्फ और सिर्फ सेक्स ही परोसना पसंद करते है। मै खुद को लकी मानता हूँ जिसे इस फोरम पर में कहानियों के भंडार में से अद्भुत कृति पढ़ने को मिल रही है। आपकी ये स्व रचित रचना पढ़कर मै दावे के साथ कह सकता हूँ आप एक परिपकव लेखिका के साथ साथ एक आर्ट पसंद महिला है जिसे लिखने के अलावा अन्य गतिविधियों में विशेष रुचि है जिसका प्रमाण है कहानी के मध्य में प्रयोग की गयी अद्भुत पेंटिग्स है। जिनको समझना किसी भी साधारण व्यक्ति के वश में नही है। मुझे घड़ियों वाली पेंटिग इतनी पसंद आई कि स्क्रीन शॉट लेकर edit कर सेव कर ली है 🙏
आपका मंतव्य पढ़कर सचमुच मुझे बड़ी खुशी हुई|

आपने बिल्कुल सही फरमाया, पढ़ाई तो मैंने साइंस को लेकर की है लेकिन इसी के साथ-साथ मैंने आर्ट , फिलोसोफी और साइकोलॉजी की एकाद किताबें भी पढ़ी है| इसलिए आप अंदाजा बिल्कुल सही है| एकदम Bull's eye! इसके लिए मैं आपका आभार व्यक्त करती हूं और आपको धन्यवाद भी देती हूं
अब आता हू update पर...... अनवर चचा को बख़्शिष् अनावश्यक रूप से दी गई, वो driver है और driver को जब जब वेतन के अलावा ऊपरी पैसा मिलता है तो गाड़ी सीधा शाराब के ठेके पर टिकती है 😜🤣🙏

पंडित जी के घर में लगी पेंटिंग देखकर समझ आया पंडित वात्स्यां कामसूत्र का गहन अध्ययन कर चुका है और उस ज्ञान का उपयोग जनहित में स्त्रियों को मातृत्व सुख देने मे कर रहा है। इसलिए माथे पर लंड, वाली पेंटिग लगा कर रखी है, मतलब वो भौतिक काम को लंड पर रखता है और लंड को दिमाग पर विराजमान कर दिया है।
पंडित जी के लिए अर्ज किया है.... " कुछ ऐसा करो दान, हर घर से आवाज आये अब्बा जान "" 😂🤣
जैसा कि मैंने अपनी कहानी में लिखा है,

"इन सब चीजों का बैठक खाने में होना जरूर कोई मायने रखता होगा| जो लोग बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ से मिलने आते थे शायद उनके लिए यह कोई कृतिक संदेश होगा..."

और आपने इस चीज को बहुत अच्छी तरह से अपने मंतव्य में व्यक्त किया है
पियाली जी का पहला आसाइमेंट इतना रोचक होगा उन्होंने कल्पना भी नही की होगी, वो एक शादीशुदा महिला है, as a callgirl यहाँ आई है, लेकिन शर्म को भी साथ साथ ले आई है। पियाली का सौंदर्य देखकर अर्ज किया है...
" उतरी जो सिलवट कमर से तुम्हारी, तब जाकर बनारस की साड़ी मशहूर हुई "

आरती कमरे के छेद में से सब देख कर सीख चुकी है और उसने कहा भी है लेकिन खुद practikal किया है कि नही इसका पता आगे चलेगा, फिलहाल कमरे की कुंडी लगा कर पियाली के ऊपर बाबा धावा बोलने वाला है 😂😜

बेहतरीन लेखन ✍️ लिखते रहिये
धन्यवाद
जी हां, पीयाली ने खुद इस बात की कल्पना भी नहीं की थी कि वह बाबा ठाकुर के यहां आकर किस माहौल में मैं आपको पाएगी और सबसे बड़ी बात वह अपने आप को इस माहौल में कैसे डाल पाती है (या फिर नहीं) यह कहानी की अगली अपडेट्स में मैं आपको बताऊंगी|

और हां, आरती कभी कच्चा चिट्ठा खुलने वाला है...
 

naag.champa

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अध्याय १०

मैं झटपट बिस्तर से उठी और सीधे उनके सामने जाकर दोबारा जमीन पर अपने घुटने टेक कर बैठकर अपना माथा जमीन पर टिका कर अपने बालों को दोबारा से उनके आगे फैला दिए, ताकि वह मेरा प्रणाम स्वीकार कर सकें ठीक वैसे ही जैसा मुझे ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा ने सिखाया था|
मेरा यह आचरण देखकर बाबा ठाकुर खुश हुए और उन्होंने दोबारा अपने दोनों पैर मेरे बालों पर रखे और फिर एक कदम पीछे हट गए| मैं अपने बालों को समेट कर जैसे ही उठने कोई वैसे ही मेरा आंचल सरक कर नीचे गिर पड़ा और मेरे शरीर का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से उनके सामने बिल्कुल नंगा हो गया- एक ही झलक में मेरे कंधे, स्तनों का जोड़ा पेट और नाभि- बाबा ठाकुर को दिख गया| मुझे ऐसा लगा कि शायद आंखों से ही उन्होंने अपने मन के अंदर मेरी हालत में एक तस्वीर खींच ली| मैं एकदम से बहुत सचेत हो गई और जल्दी से अपने आंचल को समेट कर अपनी छाती के पास अपनी लाज ढकने कोशिश करी|


PPPP-bbb.jpg

उन्होंने मुस्कुरा कर एक नजर मेरे ऊपर डाली, "सच बताऊं पीयाली? पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि साक्षात कामधेनु मेरे घर आई हुई है| मैंने तो सोचा था कि आज दोपहर के भोजन के बाद ही मैं तुम्हारे साथ संभोग करूंगा... लेकिन मुझसे रहा नहीं जा रहा... हालांकि बाहर आंगन में मेरे भक्तों का आना शुरू हो गया है... लेकिन आरती उनसे कह देगी कि मुझे आने में थोड़ी देर होगी| सिर्फ साड़ी में लिपटी हुई तुमको देखकर, तुम्हारा चेहरा तुम्हारी मांग में भरा हुआ सिंदूर, तुम्हारे लाल लाल लुभावने भरे भरे से होंठ, तुम्हारा उबलता और उफनता हुआ यौवन रूप- रंग और लावण्य को देखकर मुग्ध तो हो गया हूं| मेरा ध्यान बार-बार भटक रहा था... मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा हूं... इसलिए मैं अपने अंदर की इच्छा को शांत करने के बाद ही अपने भक्तों से मिलने जाऊंगा... वरना मैं अपने प्रवचनों में अपना ध्यान नहीं लगा पाऊंगा..."
यह कहकर उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया|

मैंने मन ही मन सोचा कि मैं तो इसीलिए बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ के यहां आई हुई हूं ताकि वह मेरे तन और मन से अपनी सेवा करवा सके और उनको यौन संतुष्टि देना तो मेरा काम था| साथ ही मैंने देखा कि यही मौका है कि मैं उनके मन में अपनी एक अच्छी सी छाप छोड़ सकूं इसलिए मैंने उनकी आगोश में सिमटकर उनकी छाती पर अपना सिर रखकर शर्माते हुए एकदम नादान बनने का नाटक करते हुए कहा, "अगर आरती ने हमें इस हालत में देख लिया तो?"

"आरती की चिंता मत करो| उसे अभी बहुत काम है| वह तो पहले मेरे भक्तों को पानी वगैरह पिलाएगी उसके बाद उसे रसोई का काम भी करना है... इसलिए समझ लो कुछ देर के लिए उसके पास अभी दम मारने की भी फुर्सत नहीं है और जब तक मेरा प्रवचन खत्म नहीं हो जाता उसे रसोईघर से फुर्सत नहीं मिलेगी... लेकिन फिलहाल मेरे अंदर वासना का ज्वार आया हुआ है... इसलिए हमें देर नहीं करनी चाहिए"

बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ के आगोश में मैं एकदम सिमटी हुई सी थी और मेरा बदन उनसे बिल्कुल चिपका हुआ था| इसलिए मैंने साफ महसूस किया कि उनका लिंग बिलकुल सख्त और खड़ा हो चुका है|

मैंने मन ही मन सोचा, 'हे भगवान! तेरी लीला अपरंपार... तूने आखिरकार आरती की प्रार्थना सुन ही ली'

"जी जैसा आप आदेश करें” यह कहकर मैं बड़ी ही कोमलता से उनके आलिंगन से मुक्त हुई और फिर उनकी तरफ पीठ करके सबसे पहले मैंने अपना आंचल हटाया और उसके बाद नाभि के नीचे लगी हुई साड़ी की गांठ को खोलिए वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतारने लगी|
बाबा ठाकुर इस नजारे का पूरा लुफ्त उठा रहे थे... और मुझे मालूम था कि मैं उन्हें लुभाने में सफल हो रही थी... आखिरकार मुझे पार्ट टाइम लवर गर्ल की तालीम स्वयं ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा से मिली है|

मैंने अपने बदन को ढकने के लिए सिर्फ आरती की दी हुई साड़ी ही लपेट रखी थी अब वह भी मैंने उतार दी थी| मैं बाबा ठाकुर के सामने अपनी पीठ करके खड़ी थी और वह अब तक मुझे धीरे-धीरे साड़ी उतारते हुए देख रहे थे इसके बाद मैंने एक हाथ से अपने स्तनों को ढकने का प्रयास किया और दूसरे हाथ से यौनांग को... और उनकी तरफ तब भी अपनी पीठ करके खड़ी रही| उन्हें मेरी नंगी पीठ, पतली कमर कूल्हे और टांगे दिख रही थी
इतने में बाबा ठाकुर ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और वह भी बिल्कुल नंगे होकर संभोग के लिए तैयार हो चुके थे|

मैंने भी इसी बीच उन्हें नजर भर सर से पांव तक एक बार अच्छी तरह से देख लिया|

उनका पूरा चेहरा ट्रिम की हुई दाढ़ी और मूछों से निखर रहा था- ऐसे ही वह टीवी पर आते थे- उमरी उनकी गरीब 50 साल से ऊपर की होगी, लेकिन फिर भी उनका पूरा का पूरा शरीर- गठीला, हृष्ट पुष्ट और मर्दानगी एक चमक से भरा हुआ था और सबसे खास बात मेरे बॉयफ्रेंड टॉम और पति जय के विपरीत उनका सारा का सारा शरीर- जैसे कि सीना, हाथ और पैर बालों से भरे हुए थे|

मुझे मालूम था आगे क्या होने वाला है... बाबा ठाकुर मेरी तरफ पड़े और उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बड़े जतन के साथ बिस्तर पर लेटा दिया|

उसके बाद वह मेरे पूरेबदन में अपने हाथ फेरने लगी जैसे कि मानो मेरे बदन से निकलती हुई जवानी की ऊष्मा को वह अपने हाथों से जितना हो सके सोख लेना चाहते थे... इतने में अनजाने में ही मेरी नज़र उनके सख्त तने हुए और तगड़े से लिंग पर जा टिकी... उसका लिंग भी लंबा मोटा और एक तलवार की तरह ऊपर की तरफ मुड़ा हुआ था... उनके बदन से एक मर्दाना गंध आ रही थी... जो मुझे बहुत अच्छी लग रही थी इतने में वह मेरे और करीब आए और उन्होंने एक गहरी सी सांस अंदर ली और बोले, "तुम्हारे बालों से और बदन से बड़ी मनमोहक से खुशबू आ रही है... और तुम्हारे फेरोमोंस पूरे माहौल को एकदम यौन मादकता से भर दिया है..."

यह कहकर वह मेरे मुंह से अपना मुंह लगाकर मेरे होठों को बड़े प्यार से चूमने लगे... मैंने उनके हर चुंबन का जवाब चुंबन से ही दिया... और हालांकि मैं यहां सर्विस देने के लिए आ रही थी और क्लाइंट को खुश करना मेरा काम था लेकिन मैं जो भी कर रही थी वह अपनी मर्जी से कर रही थी क्योंकि बाबा ठाकुर जो भी मेरे साथ कर रहे थे वह मुझे अच्छा लगने लगा था...

फिर मुझे महसूस हुआ कि धीरे-धीरे उनका एक हाथ मेरी छाती, स्तनों, पेट नाभि को सहलाते हुए हल्के से मेरी योनि तक पहुंच गया... मैं थोड़ा सिहर उठी...

बाबा ठाकुर बोले, "मैं तुम्हारी दुविधा... समझ सकता हूं कि अभी फिलहाल में तुम्हारे लिए नया हूं... और तुम ठहरी ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा की बेटी... तुम्हारी योनि गीली नहीं हुई है, इसका मतलब है कि तुम फिलहाल संभोग के लिए तैयार नहीं हो... लेकिन मुझे अपने आप को शांत करना पड़ेगा इसलिए... फिलहाल मैं तुम्हारे साथ संभोग करके ही दम लूंगा"

मैंने भी कांपती हुई आवाज में जवाब दिया, "मैं तो एक नारी हूं बाबा ठाकुर| पुरुष के लिंग को अपनी योनि में आश्रय देना तो मेरा कर्तव्य है... यही तो मेरे नारीत्व का प्रतीक है... आप मुझे भोगिए... मेरी कोशिश यही रहेगी यह आपकी हर इच्छा में पूरी कर सकूं"

"लेकिन तुम्हारी योनि तो अभी कामना के रस से गिरी नहीं हुई है अगर मैं अपना लिंग तुम्हारी योनि के अंदर डालूंगा तो तुम्हें तकलीफ होगी..."

"बाबा ठाकुर, मैं काम करती हूं आप अपना पुरुषांग मुझे थोड़ी देर के लिए चूसने दीजिए... मैं अपनी लार से उससे थोड़ा सा गीला कर देती हूं इससे हम दोनों को ही आसानी होगी..."

बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ को मेरा यह सुझाव बहुत अच्छा लगा| मुझे लगता है शायद मुझे देखकर वह इतना मोहित हो गए थे कि शायद उनके दिमाग में यह ख्याल आया ही नहीं होगा... उन्होंने और देर नहीं की... मैंने अपनी आंखों को मूंदकर अपना मुंह हल्का सा खोलकर ही रखा था और उन्होंने बिना देर किए अपना लिंग मेरे मुंह के अंदर डाल दिया... उस वक्त मुझे अपने बॉयफ्रेंड टॉम की बहुत याद आ रही थी... मैं उसी के बारे में सोचती हुई बाबा ठाकुर के लिंग को चूस चूस कर और अपनी जीभ से जितना हो सके उस पर अपने मुंह के लार लगाने लगी...

बाबा ठाकुर एक कुशल वासना भोगी इंसान थे| इसलिए उन्हें अंदाजा हो गया कि अब देर नहीं करनी चाहिए... उन्होंने अपना लिंग मेरे मुंह से निकाल लिया और फिर मेरे ऊपर चढ़कर अपने लिंग का सुपाड़ा (मुख/ सिर) मेरी योनि से लगाया... मैंने अपनी टांगों को जितना फैला सकती थी फैला दी और मैं भी कामना की उकसाहट में अपनी कमर को ऊपर उचका दिया...

मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी के पेट में छुरा घोंपा जाता है ठीक वैसे ही उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि के अंदर घोंप दीया... साथ ही हम दोनों के मुंह से ही एक हल्की सी आवाज निकली, "अअअअह"

"उह्ह्ह्ह"

मुझे लगता है कि मेरी योनि के अंदर अपना लिंग डालने के बाद शायद बाबा ठाकुर की लिंग की चमड़ी पीछे की तरफ खिंच गई थी क्योंकि मेरी योनि काफी तंग थी... और उनका लिंग में ही काफी मोटा और लंबा था इसलिए मुझे भी थोड़ा सा दर्द हुआ...
बाबा ठाकुर अगले ही क्षण मैथुन लीला में मगन हो गए और उनकी वासना के झटकों से मेरा पूरा शरीर हिलने लगा और पूरा वातावरण फिर से कामदेव की तालियों से भर उठा|

थप! थप! थप! थप! थप! थप! थप!

मैथुन लीला का क्रम तब तक चलता रहा... जब तक मेरे अंदर कामना संतुष्टि का एक जबरदस्त विस्फोट नहीं हो गया... हालांकि शुरू शुरू में मैं संभोग के लिए तैयार नहीं थी लेकिन धीरे-धीरे मैं भी इसी यौन प्रक्रिया में ढलती चली गई थी... कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि बाबा ठाकुर का भी वीर्य स्खलन हो गया और मेरे अंदर गरम गरम तरल पदार्थ का गीलापन महसूस होने लगा...

बाबा ठाकुर ने एक गहरी सी सांस छोड़ी और उसके बाद वह मेरे शरीर से अलग हो गए...

फिर उन्होंने दीवार पर टंगी घड़ी की ओर देखा और सीधे अपने कमरे से लगे बाथरूम में चले गए... मुझे उनकी पेशाब करने की आवाज सुनाई दी और उसके बाद मैं भी उठकर उनके पीछे-पीछे बाथरूम में जा घुसी और फिर वहां ताक पर रखा साबुन मुझे दिख गया...

बाबा ठाकुर के चेहरे पर मेरी सिंदूर और लिपस्टिक का दाग लगा हुआ था...

मुझे अपने पीछे पीछे मुझे आते देखकर बाबा ठाकुर को थोड़ा विस्मय में जरूर हुआ होगा पर मैंने एक मग्गे में पानी भरा और फिर साबुन को अपने हाथों में घिस कर साबुन के झाग से उन पर लगे लिपस्टिक और सिंदूर के दाग मिटाने लगी और फिर उनके लिंग और अंडकोष साबुन का झाग लगाया.. और उसके बाद मग्गे के पानी से उनका पुरुषांग धोकर साफ करने लगी...

ऐसा मैंने क्यों किया कि मुझे भी नहीं मालूम लेकिन मन ही मन मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अगर ऐसा करूं तूने अच्छा जरूर लगेगा और नतीजा बिल्कुल मेरे पक्ष में निकला|

बाबा ठाकुर ने कहा, "तू वास्तव में एक ताजा फूल है... सच कहूं तो इससे पहले कई औरतें और लड़कियां मेरे पास आई है... जिनको मैंने जी भर के भोगा है... पर तेरे अंदर वह बात है जो आज तक मुझे किसी भी स्त्री के अंदर नहीं दिखी... लगता है मैंने तुझे यहां बुला कर कोई गलती नहीं की... मेरा मन तो नहीं कर रहा कि मैं तुझे छोड़ कर जाऊं, लेकिन अब तक मेरे काफी सारे भक्तगण आ चुके होंगे... मुझे उन पर भी ध्यान देना होगा... लेकिन बाद में मैं उम्मीद करता हूं कि हमारा संभोग और भी फलदाई होगा"

"जैसी आपकी इच्छा बाबा ठाकुर" मैंने गमछे से उनके गुप्त अंगो को पूछते हुए कहा|

संभोग की जल्दबाजी में हमारे कपड़े जमीन पर ही पड़े रह गए थे इसलिए सबसे पहले मैंने झुक कर बाबा ठाकुर के कपड़े उठाएं... और मैं उनकी तरफ पीठ करके जानबूझकर झुकी ताकि वह मेरे कूल्हों को अच्छी तरह देख सकें और फिर मैंने उन्हें उनकी धोती है पकड़ाई|

उनके धोती पहनने के बाद मैंने उनका कुर्ता उनके हाथों में थमा दिया... और उनके सामने में बिल्कुल नंगी सर झुकाए खड़ी रही| मेरी साड़ी अभी तक जमीन पर ही पड़ी हुई थी|

"तूने अपना पूरा नाम क्या बताया था?"

"जी, पीयाली... पीयाली दास"

इतने में बाबा ठाकुर अंग्रेजी में बोल उठे, "That means an Anglo Indian woman's daughter from another father (यानी कि एक एंग्लो इंडियन औरत की बेटी किसी दूसरे पिता से)"

मैंने स्वीकृति में अपना सर हिलाया| बाबा ठाकुर मेरी भूरी भूरी आंखों को देखकर मुझे भी दूसरों की तरह एंग्लो इंडियन ही समझ रहे थे और यहां तो खास बात यह थी कि मेरी शक्ल ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा से इतना मेल खाती थी कि हम दोनों को साथ साथ देखकर हर कोई यही सोचता कि हम लोग मां बेटी हैं|

पर मुझे नहीं मालूम था कि बाबा ठाकुर की अंग्रेजी बोलने का तात्पर्य कुछ और ही था, उन्होंने मुझसे कहा, "इसका मतलब मेरा अंदाजा सही निकला| तुझे अंग्रेजी आती है"

मैंने कहा, "जी हां, मैं कॉलेज में पढ़ी लिखी ग्रेजुएट लड़की हूं... और विदेशी कॉल सेंटर में भी काम कर चुकी हूं"

"बड़ी अच्छी बात है... आज तुझे थोड़ा बहुत काम भी करना पड़ेगा... थोड़ी देर बाद आरती आकर तेरे को सब कुछ समझा देगी"

यह कहकर बाबा ठाकुर मैं दोबारा मुझे अपनी बाहों में भरा और मेरे होठों को चुम कर वह कमरे से बाहर चले गए और अपने पीछे दरवाजे को भिड़ा करके गए|

क्रमशः
 
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अध्याय १०

मैं झटपट बिस्तर से उठी और सीधे उनके सामने जाकर दोबारा जमीन पर अपने घुटने टेक कर बैठकर अपना माथा जमीन पर टिका कर अपने बालों को दोबारा से उनके आगे फैला दिए, ताकि वह मेरा प्रणाम स्वीकार कर सकें ठीक वैसे ही जैसा मुझे ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा ने सिखाया था|
मेरा यह आचरण देखकर बाबा ठाकुर खुश हुए और उन्होंने दोबारा अपने दोनों पैर मेरे बालों पर रखे और फिर एक कदम पीछे हट गए| मैं अपने बालों को समेट कर जैसे ही उठने कोई वैसे ही मेरा आंचल सरक कर नीचे गिर पड़ा और मेरे शरीर का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से उनके सामने बिल्कुल नंगा हो गया- एक ही झलक में मेरे कंधे, स्तनों का जोड़ा पेट और नाभि- बाबा ठाकुर को दिख गया| मुझे ऐसा लगा कि शायद आंखों से ही उन्होंने अपने मन के अंदर मेरी हालत में एक तस्वीर खींच ली| मैं एकदम से बहुत सचेत हो गई और जल्दी से अपने आंचल को समेट कर अपनी छाती के पास अपनी लाज ढकने कोशिश करी|


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उन्होंने मुस्कुरा कर एक नजर मेरे ऊपर डाली, "सच बताऊं पीयाली? पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि साक्षात कामधेनु मेरे घर आई हुई है| मैंने तो सोचा था कि आज दोपहर के भोजन के बाद ही मैं तुम्हारे साथ संभोग करूंगा... लेकिन मुझसे रहा नहीं जा रहा... हालांकि बाहर आंगन में मेरे भक्तों का आना शुरू हो गया है... लेकिन आरती उनसे कह देगी कि मुझे आने में थोड़ी देर होगी| सिर्फ साड़ी में लिपटी हुई तुमको देखकर, तुम्हारा चेहरा तुम्हारी मांग में भरा हुआ सिंदूर, तुम्हारे लाल लाल लुभावने भरे भरे से होंठ, तुम्हारा उबलता और उफनता हुआ यौवन रूप- रंग और लावण्य को देखकर मुग्ध तो हो गया हूं| मेरा ध्यान बार-बार भटक रहा था... मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा हूं... इसलिए मैं अपने अंदर की इच्छा को शांत करने के बाद ही अपने भक्तों से मिलने जाऊंगा... वरना मैं अपने प्रवचनों में अपना ध्यान नहीं लगा पाऊंगा..."
यह कहकर उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया|

मैंने मन ही मन सोचा कि मैं तो इसीलिए बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ के यहां आई हुई हूं ताकि वह मेरे तन और मन से अपनी सेवा करवा सके और उनको यौन संतुष्टि देना तो मेरा काम था| साथ ही मैंने देखा कि यही मौका है कि मैं उनके मन में अपनी एक अच्छी सी छाप छोड़ सकूं इसलिए मैंने उनकी आगोश में सिमटकर उनकी छाती पर अपना सिर रखकर शर्माते हुए एकदम नादान बनने का नाटक करते हुए कहा, "अगर आरती ने हमें इस हालत में देख लिया तो?"

"आरती की चिंता मत करो| उसे अभी बहुत काम है| वह तो पहले मेरे भक्तों को पानी वगैरह पिलाएगी उसके बाद उसे रसोई का काम भी करना है... इसलिए समझ लो कुछ देर के लिए उसके पास अभी दम मारने की भी फुर्सत नहीं है और जब तक मेरा प्रवचन खत्म नहीं हो जाता उसे रसोईघर से फुर्सत नहीं मिलेगी... लेकिन फिलहाल मेरे अंदर वासना का ज्वार आया हुआ है... इसलिए हमें देर नहीं करनी चाहिए"

बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ के आगोश में मैं एकदम सिमटी हुई सी थी और मेरा बदन उनसे बिल्कुल चिपका हुआ था| इसलिए मैंने साफ महसूस किया कि उनका लिंग बिलकुल सख्त और खड़ा हो चुका है|

मैंने मन ही मन सोचा, 'हे भगवान! तेरी लीला अपरंपार... तूने आखिरकार आरती की प्रार्थना सुन ही ली'

"जी जैसा आप आदेश करें” यह कहकर मैं बड़ी ही कोमलता से उनके आलिंगन से मुक्त हुई और फिर उनकी तरफ पीठ करके सबसे पहले मैंने अपना आंचल हटाया और उसके बाद नाभि के नीचे लगी हुई साड़ी की गांठ को खोलिए वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतारने लगी|
बाबा ठाकुर इस नजारे का पूरा लुफ्त उठा रहे थे... और मुझे मालूम था कि मैं उन्हें लुभाने में सफल हो रही थी... आखिरकार मुझे पार्ट टाइम लवर गर्ल की तालीम स्वयं ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा से मिली है|

मैंने अपने बदन को ढकने के लिए सिर्फ आरती की दी हुई साड़ी ही लपेट रखी थी अब वह भी मैंने उतार दी थी| मैं बाबा ठाकुर के सामने अपनी पीठ करके खड़ी थी और वह अब तक मुझे धीरे-धीरे साड़ी उतारते हुए देख रहे थे इसके बाद मैंने एक हाथ से अपने स्तनों को ढकने का प्रयास किया और दूसरे हाथ से यौनांग को... और उनकी तरफ तब भी अपनी पीठ करके खड़ी रही| उन्हें मेरी नंगी पीठ, पतली कमर कूल्हे और टांगे दिख रही थी
इतने में बाबा ठाकुर ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और वह भी बिल्कुल नंगे होकर संभोग के लिए तैयार हो चुके थे|

मैंने भी इसी बीच उन्हें नजर भर सर से पांव तक एक बार अच्छी तरह से देख लिया|

उनका पूरा चेहरा ट्रिम की हुई दाढ़ी और मूछों से निखर रहा था- ऐसे ही वह टीवी पर आते थे- उमरी उनकी गरीब 50 साल से ऊपर की होगी, लेकिन फिर भी उनका पूरा का पूरा शरीर- गठीला, हृष्ट पुष्ट और मर्दानगी एक चमक से भरा हुआ था और सबसे खास बात मेरे बॉयफ्रेंड टॉम और पति जय के विपरीत उनका सारा का सारा शरीर- जैसे कि सीना, हाथ और पैर बालों से भरे हुए थे|

मुझे मालूम था आगे क्या होने वाला है... बाबा ठाकुर मेरी तरफ पड़े और उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बड़े जतन के साथ बिस्तर पर लेटा दिया|

उसके बाद वह मेरे पूरेबदन में अपने हाथ फेरने लगी जैसे कि मानो मेरे बदन से निकलती हुई जवानी की ऊष्मा को वह अपने हाथों से जितना हो सके सोख लेना चाहते थे... इतने में अनजाने में ही मेरी नज़र उनके सख्त तने हुए और तगड़े से लिंग पर जा टिकी... उसका लिंग भी लंबा मोटा और एक तलवार की तरह ऊपर की तरफ मुड़ा हुआ था... उनके बदन से एक मर्दाना गंध आ रही थी... जो मुझे बहुत अच्छी लग रही थी इतने में वह मेरे और करीब आए और उन्होंने एक गहरी सी सांस अंदर ली और बोले, "तुम्हारे बालों से और बदन से बड़ी मनमोहक से खुशबू आ रही है... और तुम्हारे फेरोमोंस पूरे माहौल को एकदम यौन मादकता से भर दिया है..."

यह कहकर वह मेरे मुंह से अपना मुंह लगाकर मेरे होठों को बड़े प्यार से चूमने लगे... मैंने उनके हर चुंबन का जवाब चुंबन से ही दिया... और हालांकि मैं यहां सर्विस देने के लिए आ रही थी और क्लाइंट को खुश करना मेरा काम था लेकिन मैं जो भी कर रही थी वह अपनी मर्जी से कर रही थी क्योंकि बाबा ठाकुर जो भी मेरे साथ कर रहे थे वह मुझे अच्छा लगने लगा था...

फिर मुझे महसूस हुआ कि धीरे-धीरे उनका एक हाथ मेरी छाती, स्तनों, पेट नाभि को सहलाते हुए हल्के से मेरी योनि तक पहुंच गया... मैं थोड़ा सिहर उठी...

बाबा ठाकुर बोले, "मैं तुम्हारी दुविधा... समझ सकता हूं कि अभी फिलहाल में तुम्हारे लिए नया हूं... और तुम ठहरी ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा की बेटी... तुम्हारी योनि गीली नहीं हुई है, इसका मतलब है कि तुम फिलहाल संभोग के लिए तैयार नहीं हो... लेकिन मुझे अपने आप को शांत करना पड़ेगा इसलिए... फिलहाल मैं तुम्हारे साथ संभोग करके ही दम लूंगा"

मैंने भी कांपती हुई आवाज में जवाब दिया, "मैं तो एक नारी हूं बाबा ठाकुर| पुरुष के लिंग को अपनी योनि में आश्रय देना तो मेरा कर्तव्य है... यही तो मेरे नारीत्व का प्रतीक है... आप मुझे भोगिए... मेरी कोशिश यही रहेगी यह आपकी हर इच्छा में पूरी कर सकूं"

"लेकिन तुम्हारी योनि तो अभी कामना के रस से गिरी नहीं हुई है अगर मैं अपना लिंग तुम्हारी योनि के अंदर डालूंगा तो तुम्हें तकलीफ होगी..."

"बाबा ठाकुर, मैं काम करती हूं आप अपना पुरुषांग मुझे थोड़ी देर के लिए चूसने दीजिए... मैं अपनी लार से उससे थोड़ा सा गीला कर देती हूं इससे हम दोनों को ही आसानी होगी..."

बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ को मेरा यह सुझाव बहुत अच्छा लगा| मुझे लगता है शायद मुझे देखकर वह इतना मोहित हो गए थे कि शायद उनके दिमाग में यह ख्याल आया ही नहीं होगा... उन्होंने और देर नहीं की... मैंने अपनी आंखों को मूंदकर अपना मुंह हल्का सा खोलकर ही रखा था और उन्होंने बिना देर किए अपना लिंग मेरे मुंह के अंदर डाल दिया... उस वक्त मुझे अपने बॉयफ्रेंड टॉम की बहुत याद आ रही थी... मैं उसी के बारे में सोचती हुई बाबा ठाकुर के लिंग को चूस चूस कर और अपनी जीभ से जितना हो सके उस पर अपने मुंह के लार लगाने लगी...

बाबा ठाकुर एक कुशल वासना भोगी इंसान थे| इसलिए उन्हें अंदाजा हो गया कि अब देर नहीं करनी चाहिए... उन्होंने अपना लिंग मेरे मुंह से निकाल लिया और फिर मेरे ऊपर चढ़कर अपने लिंग का सुपाड़ा (मुख/ सिर) मेरी योनि से लगाया... मैंने अपनी टांगों को जितना फैला सकती थी फैला दी और मैं भी कामना की उकसाहट में अपनी कमर को ऊपर उचका दिया...

मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी के पेट में छुरा घोंपा जाता है ठीक वैसे ही उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि के अंदर घोंप दीया... साथ ही हम दोनों के मुंह से ही एक हल्की सी आवाज निकली, "अअअअह"

"उह्ह्ह्ह"

मुझे लगता है कि मेरी योनि के अंदर अपना लिंग डालने के बाद शायद बाबा ठाकुर की लिंग की चमड़ी पीछे की तरफ खिंच गई थी क्योंकि मेरी योनि काफी तंग थी... और उनका लिंग में ही काफी मोटा और लंबा था इसलिए मुझे भी थोड़ा सा दर्द हुआ...
बाबा ठाकुर अगले ही क्षण मैथुन लीला में मगन हो गए और उनकी वासना के झटकों से मेरा पूरा शरीर हिलने लगा और पूरा वातावरण फिर से कामदेव की तालियों से भर उठा|

थप! थप! थप! थप! थप! थप! थप!

मैथुन लीला का क्रम तब तक चलता रहा... जब तक मेरे अंदर कामना संतुष्टि का एक जबरदस्त विस्फोट नहीं हो गया... हालांकि शुरू शुरू में मैं संभोग के लिए तैयार नहीं थी लेकिन धीरे-धीरे मैं भी इसी यौन प्रक्रिया में ढलती चली गई थी... कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि बाबा ठाकुर का भी वीर्य स्खलन हो गया और मेरे अंदर गरम गरम तरल पदार्थ का गीलापन महसूस होने लगा...

बाबा ठाकुर ने एक गहरी सी सांस छोड़ी और उसके बाद वह मेरे शरीर से अलग हो गए...

फिर उन्होंने दीवार पर टंगी घड़ी की ओर देखा और सीधे अपने कमरे से लगे बाथरूम में चले गए... मुझे उनकी पेशाब करने की आवाज सुनाई दी और उसके बाद मैं भी उठकर उनके पीछे-पीछे बाथरूम में जा घुसी और फिर वहां ताक पर रखा साबुन मुझे दिख गया...

बाबा ठाकुर के चेहरे पर मेरी सिंदूर और लिपस्टिक का दाग लगा हुआ था...

मुझे अपने पीछे पीछे मुझे आते देखकर बाबा ठाकुर को थोड़ा विस्मय में जरूर हुआ होगा पर मैंने एक मग्गे में पानी भरा और फिर साबुन को अपने हाथों में घिस कर साबुन के झाग से उन पर लगे लिपस्टिक और सिंदूर के दाग मिटाने लगी और फिर उनके लिंग और अंडकोष साबुन का झाग लगाया.. और उसके बाद मग्गे के पानी से उनका पुरुषांग धोकर साफ करने लगी...

ऐसा मैंने क्यों किया कि मुझे भी नहीं मालूम लेकिन मन ही मन मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अगर ऐसा करूं तूने अच्छा जरूर लगेगा और नतीजा बिल्कुल मेरे पक्ष में निकला|

बाबा ठाकुर ने कहा, "तू वास्तव में एक ताजा फूल है... सच कहूं तो इससे पहले कई औरतें और लड़कियां मेरे पास आई है... जिनको मैंने जी भर के भोगा है... पर तेरे अंदर वह बात है जो आज तक मुझे किसी भी स्त्री के अंदर नहीं दिखी... लगता है मैंने तुझे यहां बुला कर कोई गलती नहीं की... मेरा मन तो नहीं कर रहा कि मैं तुझे छोड़ कर जाऊं, लेकिन अब तक मेरे काफी सारे भक्तगण आ चुके होंगे... मुझे उन पर भी ध्यान देना होगा... लेकिन बाद में मैं उम्मीद करता हूं कि हमारा संभोग और भी फलदाई होगा"

"जैसी आपकी इच्छा बाबा ठाकुर" मैंने गमछे से उनके गुप्त अंगो को पूछते हुए कहा|

संभोग की जल्दबाजी में हमारे कपड़े जमीन पर ही पड़े रह गए थे इसलिए सबसे पहले मैंने झुक कर बाबा ठाकुर के कपड़े उठाएं... और मैं उनकी तरफ पीठ करके जानबूझकर झुकी ताकि वह मेरे कूल्हों को अच्छी तरह देख सकें और फिर मैंने उन्हें उनकी धोती है पकड़ाई|

उनके धोती पहनने के बाद मैंने उनका कुर्ता उनके हाथों में थमा दिया... और उनके सामने में बिल्कुल नंगी सर झुकाए खड़ी रही| मेरी साड़ी अभी तक जमीन पर ही पड़ी हुई थी|

"तूने अपना पूरा नाम क्या बताया था?"

"जी, पीयाली... पीयाली दास"

इतने में बाबा ठाकुर अंग्रेजी में बोल उठे, "That means an Anglo Indian woman's daughter from another father (यानी कि एक एंग्लो इंडियन औरत की बेटी किसी दूसरे पिता से)"

मैंने स्वीकृति में अपना सर हिलाया| बाबा ठाकुर मेरी भूरी भूरी आंखों को देखकर मुझे भी दूसरों की तरह एंग्लो इंडियन ही समझ रहे थे और यहां तो खास बात यह थी कि मेरी शक्ल ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा से इतना मेल खाती थी कि हम दोनों को साथ साथ देखकर हर कोई यही सोचता कि हम लोग मां बेटी हैं|

पर मुझे नहीं मालूम था कि बाबा ठाकुर की अंग्रेजी बोलने का तात्पर्य कुछ और ही था, उन्होंने मुझसे कहा, "इसका मतलब मेरा अंदाजा सही निकला| तुझे अंग्रेजी आती है"

मैंने कहा, "जी हां, मैं कॉलेज में पढ़ी लिखी ग्रेजुएट लड़की हूं... और विदेशी कॉल सेंटर में भी काम कर चुकी हूं"

"बड़ी अच्छी बात है... आज तुझे थोड़ा बहुत काम भी करना पड़ेगा... थोड़ी देर बाद आरती आकर तेरे को सब कुछ समझा देगी"

यह कहकर बाबा ठाकुर मैं दोबारा मुझे अपनी बाहों में भरा और मेरे होठों को चुम कर वह कमरे से बाहर चले गए और अपने पीछे दरवाजे को भिड़ा करके गए|

क्रमशः
बहुत ही बेहतरीन अपडेट
 

chantu

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kahani khme ka andaz nirala hai, mujhe is trh ki hi kanani pasnd ha jo is ptal pr km hi dikhti hai
bdhai
 

naag.champa

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बहुत ही बेहतरीन अपडेट
आदरणीय vickyrock जी,

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! आगे की अपडेट्स भी मैं जल्दी देने वाली हूं| मुझे आपकी मूल्यवान मंतव्य का इंतजार रहेगा|
 

naag.champa

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kahani khme ka andaz nirala hai, mujhe is trh ki hi kanani pasnd ha jo is ptal pr km hi dikhti hai
bdhai
आदरणीय chantu जी,

आपके मूल्यवान मंतव्य के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद| आपको मेरी कहानी अनन्य और अच्छी लगी इस बात को जानकर मुझे बहुत खुशी हुई है| कृपया कहानी के साथ बने रहिए; मुझे आपके मूल्यवान मंतव्य और सुझाव का इंतजार रहेगा|
 

naag.champa

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आदरणीय RanaS123 जी,

अगला अपडेट में जल्दी देने वाली हूं, अब तक की कहानी आपको कैसी लगी किस बात को जानने के लिए बहुत ही उत्सुक हूं| कृपया लाइक और कमेंट करते रहिएगा|
 
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