बाहर अंधेरा घिरने लगा था आती जाती गाड़ियों की लाइट जल रही थी अंदर अमन एक बार फिरसे अपनी बड़ी दीदी की बड़ी बड़ी चुचियों की गहरी घाटी में डूबने को तैयार था।
अब आगे-
क़ौमल के हाथ में कुल्फी लगातार पिघल रही थी उसका दिल कर रहा था कि जल्दी से अपने मुँह को खोल कर इस कुल्फी को अपने मुँह का रास्ता दिखला दे पर अगर हाथ खाली कर लेती तो अपने भाई के हाथों को अपनी गुदाज़ गहराई में कैसे महसूस कर पाती,क़ौमल ने एक बार फिरसे हाथ में पिघलती कुल्फी को ठीक अपनी छातियों के बीच की गहराई में टपकाना शुरू कर दिया।
"दीदी देखो फिरसे कुल्फी पिघल कर गिर रही है,जल्दी से खाओ इसको।
अमन ने अपनी दीदी को सचेत किया।
"खा रही हूँ तू जल्दी से साफ कर ना देख पूरा अंदर तक भीग गया।
क़ौमल बची हुई कुल्फी को अपने मुँह के हवाले करती हुई बोली।
क़ौमल ने कुल्फी की क्रीम से अपने पूरे हाथ को भिगो लिया था साथ ही अपनी गुदाज़ चुचियों को भी क्रीम से सने हाथ को उसने अपने उभारो की तरफ बढ़ाया और अपनी छातियों पर पड़ी मलाई को अपनी उंगली पर उठाकर अमन को दिखाती हुई अपने होंठो में उंगली डाल कर चाटने लगी।
अमन ये नज़ारा देख कर सोचने लगा उसकी बहन की मस्तानी छाती पर कुल्फी की मलाई की जगह उसके लंड की मलाई लिपटी है और उसकी बड़ी बहन उसके लंड की मलाई को अपने उभारो से अपनी उंगली से उठा कर चाट रही है।उफ्फ्फ अमन के दिमाग के घोड़े दौड़ते ही उसकी पैंट में कैद लौड़े ने भी फुदकना शुरू कर दिया,जिसके हरकत में आते ही क़ौमल ने अपने भाई के फुदकते लौड़े को देख लिया,क़ौमल के होंठो पर कुटिल मुस्कान नाच उठी आखिरकार वो अमन की आंखों में अपने लिए वासना देख पा रही थी।
अमन ने अपने कांपते हाथो में पकड़े टिश्यू को अपनी दीदी के उछलते स्तनों पर रखा और उनपर धीरे धीरे टिश्यू घुमाने लगा अबकी बार अमन की आंखे अपनी दीदी के खूबसूरत उभारो का पूरा निरीक्षण कर रही थी,
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धीरे धीरे टिश्यू गलने लगा और अमन की उंगलियों ने अपनी बहन के गुदाज़ उभारो को छूना शुरू कर दिया,अपने भाई की नंगी उँगलियों को अपनी छाती पर महसूस करते ही क़ौमल के जिस्म में तरंगे उठने लगी जिसका करेंट उसके पेट से उतरता हुआ नाभि से होता हुआ उसकी चूत तक जाने लगा।कुछ ही पलों में टिश्यू और हाथ के बीच की दूरियां खत्म हो गई और अब अमन के हाथ पूरी तरह नंगे होकर क़ौमल के उभारो के ऊपरी भाग को सहला रहे थे,क़ौमल के लिए सुखद अनुभूति किसी किसी भी सुख से बढ़ कर थी।
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"देखो न अमन अंदर भी चिपचिपा महसूस हो रहा है।
कोमल ने अपने भाई की तरफ आंखे उठाये बिना कहा,चाहे कुछ भी हो नारी सुलभ लज्जा तो भारतीय नारी का गहना होता है,उसकी बहन उससे क्या कहना चाहती है अमन समझ गया था एक बार तो उसका दिल किया कि ऐसे ही अपने हाथों को अपनी दीदी की बड़े गले की टी-शर्ट के अंदर डालकर दोनो गदराई चुचियों को थाम ले।पर इस प्रकार का कृत्य अपनी बड़ी दीदी के साथ नही नही,अगर क़ौमल दीदी का मन साफ हुआ और वो सिर्फ अपने जिस्म से उस चिपचिपे पदार्थ को ही अलग करना चाहती हो तो क्या होगा,अमन ने क़ौमल के थप्पड़ से अपना गाल लाल होता महसूस किया,और फिर पूरी ट्रिप का नाश हो जाना था,हो सकता था क़ौमल दीदी अपने लिए अपने भाई की वासना देख उसको कभी माफ ही ना करती,और अगर ये बात घर तक जाती तो,कुछ ही पलों में अमन के दिमाग के घोड़ो ने लंबी दौड़ लगा दी थी।
उस बेचारे को कौन बताए कि वो तो सिर्फ एक मोहरा था,दोनो भाई बहन को पास लाने का खेल तो नियति ने रचा था,जिसकी जानकारी क़ौमल को पहले से थी,और अमन को शायद आगे होने वाली थी,पर अगर अमन को सिर्फ अपनी दीदी के जज़्बात का भी ज्ञान होता तो जो संभावनाएं उसको आगे बढ़ने से रोक रही थी वो उनको दरकिनार कर अपनी बड़ी बहन के साथ इस अतभूत रोमांचक उत्तेजक खेल का मज़ा रास्ते में कितनी ही बार लूट चुका होता।
अमन ने धीरे धीरे आगे बढ़ने का फैसला लिया वो नही चाहता था कि किस्मत से उसको मिला ये मौका उसके हाथ से जाए,अमन ने क़ौमल के गुदाज़ सीने को देखते हुए एक बार फिरसे नया टिश्यू लिया और फिरसे अपनी आंखों से अपनी बड़ी दीदी की उछलती छातियों को देखते हुए उनको साफ करने लगा।
"क्या कर रहे हो अमन बाहर से तो साफ हो गया,लाओ इधर दो टिश्यू।
क़ौमल ने अमन के हाथ से टिश्यू लिया और अपने हाथ को अपनी उभरती चुचियों के बीच डाल कर अंदर से साफ करने लगी उसकी आंखें अभी भी रोड पर जमी थी या शायद वो सामने देख कर अमन को देखने का मौका देना चाहती थी कि उसने कितना हसीन मौका जाने दिया।
क़ौमल ने अपने हाथ को अंदर चुचियों के बीच डालकर दोनो चुचियों को मसल डाला,अपनी दीदी के द्वारा स्तनों का ये मर्दन अमन आंखे फाड़े देख रहा था और मन ही मन अपने आप को गालियां दे रहा था,काश उसने ये मौका ना छोड़ा होता तो उसकी बहन के गुदाज़ छातियों को मसलने का सौभाग्य उसके हाथ को नसीब हुआ होता पर ;
अब काहे पछताए जब चिड़या चुग गई खेत।
अमन अब रोड की तरफ देख रहा था क्योंकि अब उसकी दीदी अपने स्तनों पर लगी क्रीम भी साफ कर चुकी थी तो अब अमन का उसके उभारो की तरफ लगातार देखने का कोई औचित्य नही था पर क़ौमल ने नोटिस किया कि अमन की आंखे अब भी इधर उधर घूम कर उसके सुडौल उभारो पर टिक जाती थी क़ौमल को अपने भाई को तरसता देख कर मज़ा आ रहा था।
शहर की भाग दौड़ से दूर गाड़ी सुनसान रास्ते पर दौड़ती जा रही थी जब क़ौमल को अपने भाई को तरसाने का एक और आईडिया आया और उसने अपने आईडिया को पूरा करने का ताना बाना बनाना शुरू कर दिया,क़ौमल अपनी जांघो को बार बार खोल कर भींचने लगी उसने ध्यान रखा जब अमन उसकी और देख रहा हो तब वो ज़्यादा कोशिश करती अपनी जांघो को भींचने की,गाड़ी कुछ ही देर सूनसान रोड पर चली थी कि अमन को अपनी दीदी की परेशानी का एहसास होने लगा,इतना समझदार तो अमन हो ही गया था कि इस तरह की हरकतें देख समझ सके कि क्या हो रहा है।
"क्या हुआ दीदी कुछ परेशानी है।
अमन की आंखे बार बार क़ौमल के चेहरे से फिसल कर उसके उभारो पर जा रही थी,पर वो ध्यान रख रहा था कि क़ौमल जब उसकी तरफ देखे तो अपनी आंखों को उसके चेहरे पर रखे।
"नही कुछ नही क्या हुआ ऐसे क्यों पूछ रहे हो।
क़ौमल ने एक नज़र अपने भाई के चेहरे को देखा,उसकी आँखों की तपिश को देख उसने अपनी आंखों को वापस रोड पर जमा दिया।
"वो वो ऐसे ही।
अमन के अल्फ़ाज़ उसका साथ नही दे रहे थे।
"अरे बोलो भी ऐसे क्यों पूछ रहे हो।
क़ौमल ने फिरसे अमन को देख अपनी जांघो को सिकोड़ा।
"मुझे लगा शायद आपको सु सु आ रही है।
आखिर अमन ने दिल पक्का कर बोल ही दिया।
"हाँ आ तो रहा है सु सु पर तुमको कैसे पता।
क़ौमल ने भंवे चढ़ाते हुए कहा।
"क़ौमल दीदी में भी भाई हूँ आपका आपकी हालात देख कर समझ गया।
अमन ने क़ौमल की खुलती बंद होती जांघो की तरफ इशारा किया।
"काफी बड़ा हो गया है मेरा भाई।पर इसका सलूशन तो बताओ क्या करूँ।
क़ौमल ने अपनी जांघो को ज़ोर से भींचा तो अमन को पहली बार अपनी दीदी की पतली चिपकी हुई लेगिंग से चूत का उभार महसूस हुआ।
"अब तो काफी दूर तक आबादी नही है दीदी,आप ठीक समझो तो कही साइड में.....
इतना ही बोल पाया अमन,और बस इतना ही तो क़ौमल जानना चाहती थी कि क्या कहता है उसका छोटा भाई।
अमन की बात सुनकर क़ौमल की आंखे अपने मतलब का स्थान ढूंढने लगी,कुछ ही देर में क़ौमल ने गाड़ी को एक स्ट्रीट लाइट के नीचे पार्क कर दिया यंहा आस पास काफी रोशनी हो रही थी,क़ौमल अमन को उकसा कर उससे पहल करवाना चाहती थी वो नही चाहती थी कि अमन के दिल में उसके लिए कोई ग़लत खयाल आये।
"क्या हुआ दीदी गाड़ी क्यों रोक दी।
"मेरे समझदार भाई अब काफी देर हो गई अब और कंट्रोल किया तो लेगिंग में ही निकल जायेगा तेरी दीदी का सु सु।
क़ौमल गाड़ी से नीचे आकर अपने हाथ से अपनी चूत को भींचकर बोली,अमन की आंखे क़ौमल के हाथ पर जमी थी।
"नही दीदी यही कर लो देखो ये एरिया भी सूनसान है यंहा कोई है भी नही देखने वाला।
अमन सामने की तरफ इशारा करता हुआ बोला।
"वहाँ सामने।
क़ौमल ने अमन को उंगली से इशारा किया।
"हाँ वंही जाओ जल्दी से करलो।
"नही नही यँहा चारो तरफ जंगल है अगर कोई जानवर निकल आया तो, तू यंहा बैठ कर क्या करेगा तू भी चल ना तू होगा तो मुझे हिम्मत रहेगी,और वैसे भी तुझको भी तो करना होगा ना।
क़ौमल ने अपना पत्ता फेंक दिया था अब अमन की बारी थी।
"आया तो है मुझको भी,चलो चलते है।
अमन भारी बनता हुआ बोला,जैसे वो अपनी बहन पर एहसान कर रहा हो।वो तो सिर्फ गाड़ी में बैठकर ही दूर से अपनी दीदी के गदराए जिस्म को नंगा देखने के सपने देख रहा था पर क़ौमल ने उसको साथ चलने को बोलकर उल्टा उसपर एहसान किया था,गाड़ी से निकलते टाइम अमन ने आगे होने वाले सीन को सोचकर गाड़ी की हेडलाइट जला दी,हेडलाइट के जलते ही सामने रोड की रोशनी डबल हो गई,क़ौमल ने अपने भाई की चालाकी को नोटिस किया पर उसने कुछ बोलने सही नही समझा।
दोनो भाई-बहन गाड़ी से कुछ आगे बढ़े और रुक गए,क़ौमल ने अमन की तरफ देखा,अपनी बड़ी बहन को यूं देखता देख अमन समझ गया कि उसे क्या करना है,उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया।
क़ौमल को पता था कि उसके मुड़ते ही अमन उसकी तरफ देखेगा और यही तो वो भी चाहती थी कि उसका छोटा भाई उसके संगमरमर से दमकते जिस्म को देखे,अमन को मुड़ता देख क़ौमल भी जल्दी से मुड़ गई,ये सब क़ौमल ने इतनी जल्दी किया था कि मुड़ते हुए अमन को पता चल जाये कि वो अब उसको नही देख रही है,अपनी बहन की गर्दन घूमते देख अमन जल्दी से उसकी तरफ देखने लगा,क़ौमल को नाटक करते करते पता ही नही चला कि उसको सही में काफी तेज प्रेशर आ गया था,उसने अपनी लेगिंग में उंगलिया फसा कर उसको अपनी गदराई गाँड़ से नीचे खींच दिया
एक ही सेकंड में अमन के सामने अपनी बड़ी बहन की पैंटी में कसी हुई दमकती गाँड़ थी जो गाड़ी की हेडलाइट में जगमगा रही थी,अगले ही पल क़ौमल ने अपनी पैंटी को भी अपनी मतवाली गाँड़ से नीचे सरका दिया,उफ्फ्फ अमन की आंखे चोंधया गई अपनी बड़ी बहन की गोरी गद्दर दूधिया बड़ी गाँड़ देख कर एक ही पल में अमन के दिमाग में खयाल आकर गुज़र गया"अगर लड़की की गाँड़ इतनी जानमारू हो तो उसकी चूत की तरफ तो देखे भी ना बस दिन रात गाँड़ को ही चोदा जाय।
अब तक अमन ने अपनी ज़िंदगी में जितनी भी गाँड देखी थी क़ौमल कि गाँड़ उनसब से लाजवाब थी।
अपनी बड़ी बहन की बड़ी गाँड़ देखकर अमन पलके झपकाना भी भूल गया,क़ौमल ने कुछ पल आराम से अपने भाई को अपनी गदराई गाँड़ का दीदार करने दिया फिर धीरे धीरे अपनी गाँड़ को पीछे को निकालती हुई नीचे बैठती चली गई एक पल के लिए अमन को गाँड़ का सुरमई छेंद नज़र आया पर अगले ही पल वो गायब हो गया,वो एक झलक जैसे अमन के दिल में उस सुरमई छिद्र को दोबारा देखने की ललक जगा गई,पर क़ौमल अबतक नीचे बैठ गई थी।
कुछ ही पलों में अमन को अपनी दीदी की गहरी नदी से सुनहरा पानी बाहर निकलने की मधुर ध्वनि सुनाई देने लगी,जैसे कोई अपने होंठो को गोल करके सीटी बजाता है बिल्कुल ऐसी,अमन अपनी दीदी के नीचे वाले होंठो से निकलती मधुर ध्वनि को सुनकर और सामने ज़मीन पर झर झर बहते उस सुनहरे पानी को देख इतना गरम हो गया कि अपने लौड़े को मसलने से अपने हाथ को ना रोक पाया।
पर कहते है ना,निप्पल,लौड़ा,और जज़्बात जितना दबाने की कोशिश करो उतने ही उभरते है,बिल्कुल ऐसा ही हो रहा था अमन के साथ अमन जितना अपने लौड़े को दबाने की कोशिश कर रहा था वो उतना ही ज़्यादा गुस्से से खड़ा हो रहा था,आखिरकार अमन को लगने लगा कि अब और ज़्यादा देर वो अपने लंड को पैंट में कैद नही रख पायेगा,उसने अपनी दीदी की नंगी गाँड़ को देखते हुए अपने लौड़े को पैंट की चेन खोलकर बाहर खुली हवा में सांस लेने को निकाल दिया,
क़ौमल की सीटी की आवाज़ धीमी होते होते रुक गई,क़ौमल ने अपनी गाँड़ को हिलाया जैसे बाकी बची बूंदों को झटक रही हो और धीरे धीरे अपनी गाँड़ को पीछे को निकालती हुई खड़ी होने लगी,एक बार फिरसे अमन के सामने अपनी दीदी की गाँड़ का सुरमई छिद्र था,अपनी दीदी का गुदाद्वार देखते ही अमन के लौड़े ने ऐसे झटका खाया जैसे मेमसाब को देखते ही चौकीदार खड़ा होकर सेल्यूट करता है।
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अबकी बार क़ौमल ने अपने भाई को निराश नही किया अपनी गाँड़ को पीछे धकेल कर क़ौमल सही स्थिति में कुछ देर रुकी,और यही वो समय था जब अमन ने अपनी दीदी की गाँड़ के छिद्र से ठीक एक इंच नीचे उसकी फूली हुई चूत के दीदार किये,क़ौमल के झुकने के कारण उसकी चूत के गुलाबी होंठ हल्के से खुल कर अंदर गुलाबी रंग की दुनिया होने का संकेत दे रहे थे।अमन अपनी दीदी की इस गुलाबी दुनिया में ऐसा खोया की उसको पता ही नही चला कि क़ौमल कब से उसके हाथ में खड़े लौड़े को देख रही थी।
"हेलो ओ हेलो जल्दी से सुसु करलो चलना नही क्या।
क़ौमल ने अपने छोटे भाई के लण्ड पर उभर आई नसों को देखते हुए कहा।
"हैं हाँ चलते है।
अमन जैसे नींद से जागा और अपनी बहन के पीछे पीछे चलने लगा उसको ये भी ध्यान ना रहा कि उसका लंबा लौड़ा पैंट की खुली चैन से बाहर ही झूल रहा था।
दोस्तो ज़िंदगी इस वक़्त कुछ उलझनों में गुज़र रही है।
इसलिए कहानी स्लो चल रही है।
जल्दी ही कहानी को रेगुलर किया जायेगा।