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Incest बाली उमर के कच्चे निम्बू।

Sanju@

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अमन फ़्रिज के पास खड़ा पानी पी रहा था जब रागनी की नज़र उस पर पड़ी अचानक ही रागनी की आंखे फिसलती हुई उसके लोवर पर आ गई,उफ्फ ये तो फूला हुआ है तो क्या अमन मज़ा ले रहा था,आखिर अमन किस नज़र से देखता है मुझे रागनी उलझती जा रही थी।


अब आगे-


एक तरफ तो वो अमन की आंखों में अपने लिए निष्छल प्रेम देखती पर दूसरी तरफ कुछ बाते उसको बहुत परेशान कर रही थी,जैसे इस वक़्त अमन के लोवर का लण्ड की जगह से फूला हुआ हिस्सा,

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अभी कुछ देर पहले ही अमन उसको पीछे से चिपका हुआ था,पर उसने ऐसी कोई भी हरकत नही की थी जिससे उसकी नियत गंदी होने के संकेत मिलते पर इस समय उसकी आँखों के सामने जो था उससे साफ ज़ाहिर था कि अमन वासना के अभिभूत था।

"अमन आ जाओ बेटा नाश्ता तैयार है।

रागनी ने अपनी सोंचो को विराम दिया।अमन फ़्रिज के पास से सीधा अपनी माँ की तरफ बढ़ा।

"माँ क्या आपने नाश्ता कर लिया।
अमन ने सपाट शब्दो में अपनी माँ से सवाल किया।

"नही बेटा अभी मुझे भूक नही है, तुम नाश्ता करो में गरम गरम परांठे बनाती हूँ तुम्हारे लिए।
रागनी अमन के पास से वापस किचन की तरफ बढ़ गई।
पर किचन में जाने से पहले उसने एक बार वापस मुड़ कर अपने बेटे की तरफ देखा,अमन की आंखे उसकी मटकती गांड की थिरकन पर ही थी,

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अपनी माँ के पलटते ही अमन बाहर की तरफ देखने लगा पर रागनी ने देख लिया था कि अमन उसकी मटकती गांड को ही घूर रहा था।
पर रागनी अभी भी सोच रही थी शायद वो कुछ और देख रहा हो उसको ऐसा लगा हो कि अमन उसके थिरकते चूतड़ देख रहा था।उसने देसी घी को तवे में छोड़ा और रोटी बेल कर घी में छोड़ दी,उसके हाथ बखूबी अपना काम कर रहे थे पर दिमाग में जैसे एक जंग चल रही थी,उसने तय कर लिया कि वो अमन के जाने से पहले आज और अभी उसके दिल में क्या है जान कर रहेगी।कुछ ही सेकंड में परांठा बनाते बनाते उसके दिमाग ने प्लान की रूप रेखा तैयार कर ली थी।उसने अपने कपड़ों को पीछे से आगे की और खींच कर अपने गुदाज़ स्तनों का ऊपरी भाग नंगा कर दिया,आगे से कपड़े के नीचे की और खीचने से उसके भरावदार गुदाज़ स्तन उन्नत शिखर की तरह अपनी चोंचें उठाये खड़े थे जिनके बीच की गहरी खाई अब और गहरी दिखाई पड़ रही थी रागनी ने अपने स्तनों को नीचे से पकड़ कर और बाहर कि तरफ उठा दिया,अब गुदाज़ स्तनों की अर्ध-गोलाइयां पूरी तरह कपड़ो से बाहर थी।

रागनी ने तवे पर तैयार परांठे पर नज़र डाली और एक बार अपने कपड़ों से बाहर छलकने को तैयार गोलाइयों को देख कर अपने बेटे को परांठा परोसने के लिए किचन से निकल गई,सामने से आती अपनी माँ की छलकती गुदाज़ गोरी गोलाइयों पर नज़र पड़ते ही अमन की आंखों ने झपकना भुला दिया।अमन की तंद्रा तब भंग हुई जब रागनी ने उसको पुकारा।

"ले मेरे लाल गरम गरम परांठा।
रागनी अपने बेटे के सामने झुकी हुई उसको परांठा परोस रही थी,अमन की आंखे अपनी माँ की गुदाज़ छातियों के बीच की गहरी दरार में अटकी थी झुकने के कारण रागनी की गुदाज़ छातियों पर रखी किशमिश भी अमन की आंखों के सामने थी,
"दूध भी तो पी मेरे लाल।

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रागनी ने दूध का गिलास अमन की तरफ सरकाते हुए बोला।
एक पल को तो अमन को लगा कि उसकी माँ उसको अपनी नुकीली छातियों से दूध पिलाने का निमंत्रण दे रही है,बस थोड़ा सा आगे होते ही उसके होंठो और उसकी माँ की गुदाज़ उरोज़ो पर सजी किशमिश का फासला खत्म हो जाना था,और फिर एक बार बचपन की तरह उसके होंठो में उसकी माँ के निप्पल होते।

अपनी माँ के दूध से भरे कलश देख अमन का लौड़ा लोवर में झटके मारने लगा,अमन की आंखों से ठीक 6-7 इंच दूरी पर लटकते उसकी माँ के गुलाबी उभार उसको ललचा रांहे थे कि आओ और अपने हाथों से पकड़ कर निचोड़ दो हमे,अपने होंठो में लेकर चूस लो,अपने दाँतो में पकड़ कर खींच लो काट लो,पर अमन की हालत ऐसी थी जैसे 4 दिन के भूखे के सामने लज़ीज़ पकवान रखे हो पर वो उनको खा न सकता हो।

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रागनी अपने दूध से भरे कलश अपने बेटे के सामने लहराती हुई बारीकी से उसके हाव-भाव का मुआयना कर रही थी,अपने बेटे की हसरत भरी नज़रो ने उसकी जांघो के जोड़ को भी पिघलने पर मजबूर कर दिया था उसका मन कर रहा था कि अभी अपने कपड़ों को निकाल कर अपने बेटे की चाहत पूरी कर दे,अपने खड़े निप्पल अपने हाथों से पकड़ कर अपने बेटे के मुँह में भर दे,और उसकी जांघो पर बैठकर उसके झटके मारते लौड़े की चोट को अपनी गुदाज़ गाँड़ पर महसूस करे,पर हाय री किस्मत उसके संस्कार उसको अपने ही बेटे के साथ इस व्यभिचार की इजाज़त नही दे रहे थे।

कामनी को अपने बेटे को नोटिस करते हुए काफी वक्त गुज़र गया था,और टाइम लेने का मतलब था अमन को पता चल जाना कि उसकी माँ जानबूझ कर उसको अपने स्तनों के दर्शन करवा रही थी।

"चलो बेटा जल्दी से नाश्ता करलो।
इतना बोल कर कामनी अपनी गदराई गाँड़ को मटकाती हुई वापस किचन में चली गई,इस वक़्त कामनी अपनी गाँड़ को कुछ ज़्यादा ही थिरकता हुआ महसूस कर रही थी,शायद उसको पता था कि उसके बेटे के आंखे वंही जमी होगी,अमन की आंखों ने अपनी माँ की गाँड़ को नंगा ही कर दिया था उसको माँ के लचकते हुए चूतड़ बिल्कुल नंगे नज़र आ रहे थे

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ऊपर से रागनी की गाँड़ का मटकाना उफ्फ ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो दो तरबूज़ एक दूसरे को रगड़ रगड़ कर छीलना चाहते हो और सॉफ्ट इतने की अगर दोनों के बीच अंडा रख दिया जाए तो 10 कि.मी चलने पर भी अंडा सलामत रहे।

किचन में आते ही रागनी अपनी साँसों को सम्हालने की कोशिश करने लगी,अपने बेटे के मन में झांकने के लिए उसने इतने निर्लज्ज तरीके से अपने जिस्म को अपने बेटे के सामने परोस तो दिया था पर थी तो वो वही धर्म-कर्म वाली भारतीय महिला,अभी रागनी किचन का स्लैब पकड़े अपनी साँसों को सम्हाल रही थी कि उसे अपनी जांघों पर कोई चीज़ रेंगती हुई महसूस हुई वो समझ गई कि ज़रूर उसके पीछे अमन खड़ा ये सब कर रहा है,अपने बेटे के बारे में सोचते ही रागनी की आँखे बंद हो गई और साँसे जो अभी काबू में आई भी नही थी एक बार फिरसे भारी होनी शुरू हो गई।रागनी पलट कर अमन को रंगे हाथों पकड़ने की सोच रही थी,पर अपने जिस्म को मिलते सुख ने उसे ऐसा करने से रोक रखा था,फिर भी अपने संस्कारो द्वारा दुत्कारे जाने पर रागनी अपने हाथ को अमन के गाल पर मारने के लिए उठाए जैसे ही मुड़ी अपने पीछे किसी को ना पाकर जँहा उसे अच्छा लगा और अपने बेटे पर कायम उसका विश्वास पक्का हुआ वंही दूसरी तरफ उसको अपने पीछे अमन के ना होने से दुख भी हुआ क्योंकि उसका हुस्न उसके बेटे को कायल करने में नाकाम साबित हुआ और वो अमन को डिगा नही पाया।
रागनी सोचने लगी फिर उसकी जांघो पर रेंगती चीज़ क्या थी,उसने किचन के गेट से एक बार बाहर की और देखकर पक्का किया कि अमन कहाँ है,अमन को नाश्ता करते देख रागनी को फिरसे अपने जांघों पर कुछ रेंगता महसूस हुआ रागनी के हाथ तुरंत जांघो पर रेंगती चीज़ पर पहुंच गए,
अपनी जांघो पर रेंगती चीज़ पर हाथ लगाते ही अनुभव से परिपूर्ण रागनी को समझते देर ना लगी कि अपने बेटे को रिझाने के चक्कर में ख़ुद उसकी नदी से रिसाव शुरू हो गया था जो लगातार उसकी चूत से बूँद बूँद करके उसकी जांघो से होता हुआ नीचे की तरफ बह रहा था।

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अपनी चूत से बहते द्रव को ऊपर की और समेटते हुए रागनी की उंगलियां सीधे उस मुख तक पहुंच गई जँहा से वो द्रव उबल कर बाहर की और आ रहा था,अपनी चूत के होंठों पर उँगलियों के पहुंचते ही रागनी सोचने पर मजबूर हो गई कि अपने बेटे के सनीध्ये में वो कितनी गरम हो जाती है।इतना पानी तो उसकी चूत से तब भी नही निकलता जब उसका पति अपने मूसल से उसकी ओखली की कुटाई करता है।

रागनी अपने पति द्वारा पूर्ण सुख प्राप्त करती थी पर अपने ही बेटे के लिए उसके मन में उपजे कोटूम्भिक व्यभिचार उसकी चूत को एक नए सुख की अनुभूति की सुगबुगाहट देते थे,अपने विचारों में रागनी अपने बेटे के सामने अपनी चूत को फैलाये पड़ी होती थी,जैसे एक सस्ती रंडी अपने ग्राहक को लुभाने के लिए अपना जिस्म परोसती है बिल्कुल वैसे।

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अपनी ही कोख से जन्मे अपने बेटे के मोटे लण्ड को अपनी चूत में जगह देने को तैयार एक व्यभिचारी माँ,ये सब व्यभिचारी विचार रागनी को स्खलन की और ले जाने के लिए काफी थे,अमन के मोटे लण्ड को अपनी चूत में जाने के बारे में विचारते ही अपनी चूत पर रखी उसकी उँगलियों ने अपनी पकड़ बना ली भग्नासे पर उँगलियों की थिरकन रागनी को एक बार फिरसे स्वर्ग की सैर पर ले गई,उसकी जांघो की थिरकन बढ़ गई अपनी जांघो को भींच कर उसने अपने दोनों हाथों से किचन के स्लैब को थाम लिया और अपनी थिरकती कमर के साथ झड़ती चली गई,अपने बेटे के खयालो में खोई रागनी लगातार अपनी चूत से गर्म गाढ़ा पानी बाहर निकाल रही थी जो लगातार उसकी जांघो से नीचे बहता जा रहा था,
"उफ्फ्फ अमन क्या क्या करवा रहा है तू मुझसे।
रागनी होंठो में बुदबुदाती हुई नीचे बैठ गई और अपने स्खलन के मज़े लेती रही,

कुछ ही घंटों के अंतराल में रागनी ने दूसरी बार अपनी चूत को अपने बेटे का नाम लेकर स्खलित किया था,और स्खलित होते हुए ये भी महसूस किया था कि अमन के ख़यालो में खोने से उसकी चूत से वीर्ये की धारा भी अत्यधिक मात्रा में निकल रही थी जो उसके मज़े को बयां कर रही थी।

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अपने स्खलन से उबर कर रागनी स्लैब पकड़ कर खड़ी हुई पर अपने कपड़ों पर नज़र पड़ते ही उसका मन फिर ग्लानि से भर गया।

"उफ्फ रागनी क्या हो गया है तुझको आखिर अपने ही बेटे पर कैसे इतना मोहित हो गई,कैसी व्यभिचारी नारी है तू जो रिश्तों की गरिमा को भी तार तार कर देती है,डायन भी सात घर छोड़ कर हमला करती है पर तु तो अपने ही घर में वो भी उसके साथ जिसको तूने खुद जना है अपनी योनि से उस ही बालक को तू अब फिरसे अपनी योनि में प्रवेश देना चाहती है वो भी एक मर्द के रूप में उफ्फ्फ रागनी उफ्फ्फ।

रागनी के मन मस्तिक्ष में फिरसे जंग शुरू हो गई थी,अपने बेटे को सामने पाकर उसके अंदर की रंडी जाग जाती थी पर स्खलन प्राप्ति के बाद उसका ज़मीर उसको दुत्कारता था तो वो आत्मग्लानि से भर जाती थी और फिरसे ऐसा ना करने का प्रण करती थी,बहरहाल फिलहाल उसके सामने सबसे बड़ी चुनोती थी सबकी नजरों से बच कर अपने रूम में जाना क्योंकि उसके कपड़ो पर लिपटा उसकी चूत का गाढ़ा द्रव धब्बो कर रूप में साफ दिखाई दे रहा था,उसने अपना दिमाग चलाया,राज भी अभी गार्डन में अखबार में लीन था और अमन नाश्ते में,पर क़ौमल को वो जगा कर आई थी जो किसी भी समय किचन में आ धमकती अभी सिर्फ अमन के ही देखे जाने का डर था पर फिर तो किसी के भी सामने उसको रुसवा होना पड़ सकता था,और ऐसा वो बिल्कुल नही चाहती थी,उसने फैसला कर लिया था कि वो अमन के पीछे से निकल जायेगी और अगर अमन ने देख भी लिया तो वो इस बारे में उससे कोई बात नही करेगा,पर वो अपनी उद्दण्ड बेटियो को जानती थी वो ज़रूर उसकी टांग खींचती।

रागनी बिना आवाज़ किया अपनी जांघो को सिकोड़ती हुई किचन से निकल गई और अपने प्लान में कामयाब भी हो गई अमन ने एक बार भी उसकी तरफ नही देखा।वो लगभग दौड़ती हुई अपने कमरे में दाखिल हुई और अंदर जाते ही रूम के गेट को अंदर की तरफ से बंद करके एक एक करके अपने जिस्म से अपने ही वीर्ये में भीगे कपड़ो को अलग करने लगी कुछ ही पलों में वो अपने संगमरमर जैसे जिस्म को सामने लगे आईने में निहार रही थी,पर शायद वो नही कुछ और भी आंखे थी जो छुपकर उस चार बच्चों की माँ के गदराए हुस्न को निहार रही थी।

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किसकी थी ये आंखे???????
बहुत ही सुन्दर रमणीय और लाजवाब अपडेट है
 
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Sanju@

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किसकी थी ये आंखे???????

अब आगे-


रागनी जैसे ही अपने रूम में घुसी ठीक उसी समय क़ौमल ऊपर से नीचे उतरती है उसने अपनी माँ को अपने कमरे में जाते हुए देख लिया था उसको पता था कि उसकी माँ ने उसके लिए नाश्ता तैयार कर दिया होगा,अतः वो सीधी किचन की तरफ बढ़ी पर किचन में जाकर देखती है तो उसको वँहा सिर्फ बर्तन ही नज़र आते है नाश्ता कहीं भी नही था,और होता भी कैसे उसकी माँ तो किचन में उसके लिए नाश्ता बनाने की बजाय उसके भाई के लिए अपनी चूत में जूस बना रही थी,जिसके निशान अभी भी फर्श पर नज़र आ रहे थे।क़ौमल जैसी जवान लड़की चाहती तो अपने लिए ख़ुद भी नाश्ता तैयार कर सकती थी पर रागनी ने अपनी सभी बेटियों को इतना उद्दंड कर दिया था कि कोई भी घर के किसी काम को हाथ नही लगाती थी,रागनी को हमेशा ये चिंता सताती थी कि यंहा तो वो ही सब काम कर लेती है पर ये लड़कियां जब ससुराल जायँगी तो इनका क्या होगा,अतः क़ौमल किचन से अपनी माँ के कमरे की तरफ बढ़ी रागनी के रूम के थोड़े से खुले गेट को उसने जैसे ही धक्का दिया वो पूरा खुलता चला गया,दरवाज़ा खुलते ही क़ौमल के सामने उसकी जननी थी जो पूरी तरह निर्वस्त्र अवस्था में उसकी तरफ पीठ किये खड़ी थी।

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अपनी माँ को नग्न अवस्था में देख क़ौमल के पैर वंही ठिठक गए,क़ौमल की आंखे अपनी माँ के नग्न शरीर का ऊपर से नीचे तक मुआयना कर रही थी,कुछ बात तो थी रागनी के शरीर में 4 बच्चों को जनने के बाद भी उसके शरीर में आकर्षण ऐसा तीर्व था कि देखने वाले कि आंखे उसके हर कटाव और उभार की तारीफ किये बिना ना रहती थी,फिर चाहे पुरुष हो या महिला, कुछ ऐसी ही हालात थी इस वक़्त क़ौमल की, उसकी आंखें अपनी माँ के भरावदार चूतड़ों पर आकर रुक गई थी।

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उफ्फ्फ क्या उभार था रागनी की गाँड़ का बिल्कुल गोल मटोल जैसे दो बड़े तरबूज़ आपस में जोड़ दिए गए हो,क़ौमल खुद भी एक लड़की थी जो भी अंग उसकी माँ के पास थे वो सभी उसके पास भी थे पर फिर भी वो अपनी माँ के आकर्षण में खो गई थी।

रागनी वार्डरोब से अपनी पैंटी निकालने के लिए झुकी उसके झुकते ही क़ौमल के सामने उसकी माँ की गदराई गाँड़ के दोनों पाट खुल गए,रागनी के झुकने के कारण उसकी बेटी की आंखों के सामने उसका सुरमई रंग का गुदाद्वार आ गया जिसमे चारो और चुन्नटें पड़ी हुई थी और उन चुन्नटों का अंत सीधा छेंद तक जा रहा था,उसके ठीक 2 इंच नीचे रागनी की गद्दर चूत थी।

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जिसको रात उसके पति ने अपने लौड़े से चोदा था और सुबह से दो बार ये चूत अपने बेटे की वजह से झड़ चुकी थी जिस कारण चूत फूल कर डबल रोटी बनी हुई थी और उसपर लगा चूत का जूस उसको और मनमोहक बना रहा था।

एक तो क़ौमल पहले ही अपने भाई के साथ अकेली इतनी दूर जाने पर अपने मन में तरह तरह के सपने संजो रही थी ऊपर से जाने से पहले उसके सामने उसकी माँ का ये हाहाकारी रूप उसकी पहले से गीली चूत को और गीला कर गया,रागनी की बेटियों को अपनी माँ के सुंदर होने का तो पहले से ही पता था मगर क़ौमल आज पहली बार अपनी माँ को पूरी तरह नग्न अवस्था में देख रही थी और मन ही मन अपनी माँ के जिस्म की तारीफ करने से खुद को रोक नही पा रही थी।
वो कहते है ना शराब जितनी पुरानी होती जाती है उसमें उतना ही नाश बढ़ता जाता है बस बिल्कुल ऐसे ही रागनी का जिस्म था।आम तौर पर चार चार जवान बच्चों की माँ अपनी प्रौढ़ अवस्था को पहुंच जाती है,पर रागनी के सामने ये कहावत पूरी तरह सफेद झूठ प्रतीत होती थी।

उसका सफेद संगमरमर से बदन आज कल की लड़कियों को भी अपने सामने पानी पानी करने के लिए काफी था,ठीक जैसे उसकी ख़ुद की बेटी क़ौमल इस वक़्त बिना पलके झपकाए उसके मोह में खोई थी।

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रागनी वॉर्डरॉब से अपनी नई पैंटी निकाल कर जैसे ही उठने वाली थी सामने लगे शीशे में उसको अपने पीछे क़ौमल खड़ी नज़र आती है।रागनी तुरंत अपने बेड पर पड़ी चादर को उठाकर अपने नंगे जिस्म को छुपाती हुई क़ौमल कि तरफ मुड़ती है।

"क़ौमल ये क्या बदतमीज़ी है।
रागनी के अल्फ़ाज़ थोड़े ऊंचे और सपाट थे।
"वो वो म म मम्मी में में तो।
"क्या मैं में कर रही हो।
"मुझसे गलती हो गई मम्मी में तो नाश्ते को पूछने।

क़ौमल का फेस देख कर रागनी समझ गई कि आगे एक और अल्फ़ाज़ पर क़ौमल रो पड़ेगी।और वैसे भी सुबह का वक़्त है गलती तो उसकी अपनी ही थी जो अपने बेटे के साथ व्यभिचारी विचार में खो कर उसने सुबह से दूसरी बार अपनी चूत को रगड़ कर जिन्न निकालने की कोशिश की थी,जिन्न तो नही निकल पाया पर दोनों ही बार उसकी चूत ने अपना गाढ़ा पानी काफी सारा निकाल दिया था।क़ौमल कि बात रागनी समझ गई थी इसलिए इस बार अपनी बेटी के पास आकर वो प्यार भरे लहजे में बोली।

"क़ौमल बेटी अब तुम बड़ी हो गई हो किसी को इस तरह देखना अच्छी बात नही है।

"मम्मी में तो बस जाने ही वाली थी पर?

"पर क्या बेटी।

"पर आपके खूबसूरत जिस्म ने जैसे मुझे बांध दिया था हिल भी ना पाई में आपकी सुंदरता देखकर।
क़ौमल के मुंह से आखिर सच निकल ही गया,अपनी जवान बेटी के मुंह से तारीफ सुनकर रागनी का दिल बल्लियों उछलने लगा,वो अपनी मुस्कुराहट को दबाती हुई बोली।

"बेटी में तो अब बूढ़ी हो चली हूँ,अब तो हुस्न और शबाब तुम पर आयेगा।

"कसम से मम्मी आप आज भी बहुत सुंदर हो,पापा की किस्मत अच्छी है जो उनको आपके जैसी पत्नी मिली।

"बस बस मुझे झाड़ पर ना चढ़ा जा जाकर डाइनिंग पर बैठ में कपड़े पहन कर आती हूँ।
रागनी को अपने बारे में बहुत अच्छी तरह पता था पर अपनी बढ़ती उम्र की वजह से उसमे सेल्फ-कॉफिडेंस की कमी आ गई थी,जिसको पूरा करने के लिए दूसरे लोगो की प्रतिकिर्या अति आवश्यक थी,जो उसको गाहे-बगाहे मिलती ही रहती थी,आज भी वो जब कभी सड़क पर निकलती थी जवान लड़को की भी सीटी निकलने लगती थी,कोई उसकी उभरती छातियों पर कमेंट करता तो कोई बाहर की तरफ निकली गाँड़ पर।

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यँहा तक कि जिनकी अभी मूँछे भी सही से ना निकली हो ऐसे लड़के भी उसको चोदने तक कि बात बोल देते थे,ऐसे कोले लौंडो को देख रागनी की हंसी निकल जाती थी,वो जानती थी कि ऐसे कोले लौंडो के सामने वो सिर्फ अपने कपड़े भी निकाल दे तो वो उसके गदराए जिस्म को सिर्फ देखने भर से ही उनकी छोटी छोटी लुल्लिया पानी छोड़ देंगी।अपने पति के जिस लण्ड को वो अपनी चूत में डलवाकर मथ कर उसकी क्रीम और घी अलग कर देती थी,इन लौंडों की कलाइयाँ भी उस लण्ड की बराबर ना थी।
लेकिन लौंडो की हसरते ,भगवान ने ज़बान देदी तो बस कुछ भी बक दो।

रागनी ने क़ौमल के जाने के बाद जल्दी जल्दी अपनी चूत के रस में भीगी पैंटी से अपनी चूत पर लिसड़े पानी को साफ किया और दूसरी पैंटी पहन कर जल्दी से कपड़े पहन लिए,अपनी भीगी हुई पैंटी और कपड़ो को उसने वाशिंग-मशीन में डाल दिया और हाथों को धो कर जल्दी से रूम से निकल कर किचन की तरफ बढ़ गई और क़ौमल के लिए नाश्ता तैयार करने लगी।

इधर क़ौमल के डाइनिंग पर बैठते ही अमन ने उससे अपना बैग तैयार करने में मदद करने का आग्रह करना शुरू कर दिया।क़ौमल ने नाश्ते के बाद उसकी मदद करने का आश्वासन दिया,आखिर उसके सपनो का राजकुमार जो था उसका छोटा भाई,उसके लिए तो वो सबकुछ कर सकती थी जो किसी और के लिए उससे करवाना नामुमकिन सा था यंहा तक कि अपने खुद के लिए भी,रागनी ने जल्दी से क़ौमल को नाश्ता बना दिया था क़ौमल ने जल्दी जल्दी नाश्ता किया और अपने भाई के साथ उसके रूम में पहुंच गई,और अपने भाई के लिए अच्छे अच्छे ड्रेस पैक करने लगी,कुछ ही देर में क़ौमल अमन की इनर वियर वाली वॉर्डरोब में से रंग-बिरंगे अंडरवियर निकाल कर बैग में पैक कर रही थी,दोनो भाई-बहन ने मिलकर काफी कम समय में बैग तैयार कर लिया था।

दोनो भाई-बहन अपने अपने रूम से अपना बैग लेकर नीचे की तरफ बढ़ गए,दोनो घर से निकलने के लिए बिल्कुल तैयार थे,रागनी ने एक नज़र दोनो को देखा और क़ौमल को साइड में आने का इशारा किया,अपनी माँ का इशारा अमन ने भी देख लिया था पर वो समझ गया था कि ये इशारा सिर्फ क़ौमल के लिए था,अतः क़ौमल अपनी माँ के साथ साइड में चली गई।

"क़ौमल पहली बार तुम घर से इतनी दूर जा रही हो वँहा अच्छे से रहना और अपने भाई को परेशान नही करना।

"उफ्फ्फ माँ अपने ये बताने के लिए मुझे साइड में बुलाया है,बच्ची नही हूँ मैं।

"जानती हूँ बच्ची नही हो इसी लिए तो समझा रही हूँ,जाते ही अपने भाई से घूमने की ज़िद नही करना पहले उसको अपने बिज़नेस का काम समाप्त करने देना।

"ठीक है माँ आप टेंशन ना लो।

"और एक बात।

"हाँ सबकुछ बोल दो पर जल्दी से।

"तुमने कहा तुम बच्ची नही हो,तो थोड़ा ध्यान से रहना वँहा घर की तरह नंगी पुंगी नही रहना तुम्हारा भाई हमेशा तुम्हारे साथ होगा,और वँहा छोटे कपड़े नही पहनना वो कोई छोटा बच्चा नही है।समझ रही हो ना।

"उफ्फ्फ माँ क्या कहूं में आपको,बस हो गया आपका अब जाये हम।

रागनी कँहा जानती थी कि क़ौमल क्या क्या प्लान बनाये बैठी थी,उसकी माँ उसको छोटे कपड़े पहनने से रोक रही थी,पर क़ौमल सोच रही थी कि वँहा कपड़े ही ना पहनें।

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और रही अमन के बच्चा ना होने की बात,क़ौमल सोच रही थी कि वँहा से जब वापस आये तो अपने गर्भ में अपने बच्चे भाई का बच्चा लेकर आये,सबकी सोंच अपनी तरह काम कर रही थी पर क्या होने वाला है ये तो नियति को ही मालूम था,क्योंकि सब अपने अपने प्लान बनाने में व्यस्त थे पर कोई ये नही जानता था कि इन सब से बढ़कर था नियति द्वारा बनाया प्लान।

"ठीक है माँ अब हम निकलते है।
क़ौमल अपना बैग उठाये अमन की तरफ जाने लगी,अपने बच्चों को जाने के लिए तैयार खड़ा देख राज भी उनके पास आता है।

"अमन मेरे बेटे वैसे तो तुम ख़ुद काफी समझदार हो पर एक बात ध्यान रखना बेटे,हम धंदा करने वाले लोग है तो जँहा तक संभव हो प्यार से काम निकालने की कोशिश करना।

"बिल्कुल पापा मेरी भी यही कोशिश रहेगी।अब हम निकलते है पहले ही काफी लेट हो गए है।

"ठीक है बेटे सकुशल वापस आओ।
राज अपने बच्चों को अपना आशीर्वाद दे रहा था,पर रागनी को अमन का घर से दूर जाना बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था,जैसे कोई नया रिश्ता जुड़ते ही बिछड़ना पड़ जाए बिल्कुल ऐसी हालत थी रागनी की,एक तरफ उसका दिमाग अमन के दूर जाने को सही ठहरा रहा था,की कुछ दिन दूरी रहेगी तो ये वक्तिया व्यभिचार भी समाप्त हो जायेगा,पर मन का क्या कामनी का मन अपने नए नए प्रेमी से दूरी बिल्कुल भी बर्दाश्त करने को तैयार ना था।

आखिरकार होना तो यही था कि अमन और रागनी में कुछ समय के लिए दूरियां बननी ही थी जो कुछ ही समय में रागनी भी समझ ही गई थी,और उसने अपने नए प्रेमी से बिछड़ने के लिए अपना मन पक्का कर लिया था पर वो अमन को ऐसे नही जाने देने वाली थी।
अमन अपने पापा का आशीर्वाद लेकर जैसे ही अपनी माँ की तरफ बढ़ा रागनी ने अपनी बांहे खोल कर अपने बेटे को अपने सीने से लगा लिया,इस आलिंगन में माँ की ममता भी थी और प्रेमि के विरह का दुख भी अमन को अपने सीने में भींच कर रागनी भरभराई आवाज़ में बोली।
"बेटे तुम्हारी माँ को तुम्हारे सकुशल वापस आने का इंतज़ार रहेगा,मेरी आँखें हमेशा तुम्हे ढूंढती रहेगी जल्दी से अपना काम समाप्त करके वापस आ जाना।

"सबको सिर्फ बेटों से ही प्यार होता है,अरे बेटे के साथ बेटी भी जा रही है कोई हमको भी गले लगा लो।
क़ौमल माँ बेटे के बीच में कूदती है।

"पहले में अपने बेटे को गले लगा कर दिल भर लूँ,तब तक तुम अपने पापा के गले लगो।
रागनी क़ौमल को आंखे निकालकर बोली।

"आओ बेटी अपने पापा के गले लग जाओ तुम्हारी माँ तो तुम्हारे भाई को छोड़ने को तैयार ही नही है।
राज अपनी बेटी को देख अपनी बांहे फैलाता है।क़ौमल अमन के पीछे से हटकर अपने पापा की खुली बांहो में समा जाती है,क़ौमल जिस तरह भाग कर राज के गले लगी थी उसके दोनों डाल पर पके चौसा आम उसके पापा के सीने में गड़ गए,अपनी सबसे बड़ी बेटी के गुदाज़ उभारो का एहसास अपने सीने पर पाते ही राज को अपनी पत्नी की बात याद आ गई जो उसने चुदाई के समय राज को जोश दिलाने के लिए कही थी"अमन के पापा क़ौमल के लिए रिश्ता देखना शुरू कर दो दिन प्रितिदिन घोड़ी बनती जा रही है पर किसी काम को हाथ लगाने को तैयार नही है थोड़ा ज़िम्मेदारी आएगी तो कुछ सीख जायेगी।"क़ौमल के इस तरह अपने सीने से लगते ही राज के हाथ अनायास ही उसकी कमर को सहलाते हुए उसकी गाँड़ के उभार की तरफ बढ़ने लगे।अपने पापा के हाथों को अपनी गदराई गाँड़ पर रेंगता महसूस करते ही क़ौमल को झटका लगा।

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पर उसने सोचा शायद ग़लती से पापा के हाथ वँहा लग गया होगा,पर अगले ही पल राज की हथेलियों को अपनी गाँड़ की नाप-जोख करते पाकर उसका भ्रम दूर हो गया अपनी गाँड़ की दरार में जाने की कोशिश करती पापा की उंगलियों ने उसको बतला दिया था कि ये एक बाप का बेटी को दिया जाने वाला निश्चल स्नेह नही है,बल्कि एक स्त्री के लिए एक पुरुष की वासना है क़ौमल का मन किया कि वो अभी अपने पापा से दूर हो जाये,पर उसके जिस्म में उठती तरंगों ने उसको ऐसा करने से रोक लिया था,राज की हथेलियां लगातार अपनी बेटी की गदराई गाँड़ को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रही थी,राज के जैसे मज़बूत मर्द के सामने क़ौमल कब तक अपने आप को रोक पाती वो धीरे धीरे खिंचती हुई पापा के जिस्म से लग गई,पापा के जिस्म से सटते ही उसका बचा-कुचा शक भी दूर हो गया,अपनी उस बेटी को अपने इतने करीब पाकर जिसका जिक्र अक्सर उसकी पत्नी चुदाई के समय उसको जोश दिलाने के लिए करती थी राज के मिसाइल में बारूद भरना शुरू हो गया,और उस आधे खड़े मिसाइल को जैसे ही क़ौमल कि चूत रूपी भट्टी में सुलगती आग दिखी वो आसमान में उड़ने की तैयारी करने लगा।

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अपने पापा के जिस्म से सटते ही क़ौमल को ये एहसास हो गया कि उसके पापा के पास एक मजबूत खिलौना है,शायद उसकी माँ का इस उम्र में इतना इतना सुंदर होना भी इसकी वजह से ही है,तो क्या माँ पापा के लण्ड का पानी अपनी चूत में भराकर ही इस उम्र में इतनी सुंदर नज़र आती है,हो ना हो क़ौमल का माइंड सही काम कर रहा था,औरत की खूबसूरती को बढ़ती उम्र में भी बरकार रखने में मर्द का वीर्ये बहुत लाभकारी होता है।

इधर क़ौमल अपने पिता द्वारा मिलते सुख को भोग रही थी और उधर रागनी अपने पुत्र और नए प्रेमी पर अपना प्रेम लुटा रही थी,रागनी अपनी बेटी को अपने पति के गले लगते ही चाहती थी कि अमन के हाथ उसके जिस्म को मसल डाले,और उसको इस बात का एहसास करवा जाए कि जैसे वो अपने पुत्र के प्रेम में पागल है वैसे ही उसका पुत्र भी अपनी माँ को प्रेम करता है,पर अमन के हाथ सिर्फ उसकी कमर को पकड़े थे और उन हाथो की कसावट में सिर्फ निष्छल प्रेम था,जो वासना से बिल्कुल परे था।ये बात रागनी की समझ से परे थी वो अमन को समझ नही पा रही थी कभी लगता कि अमन को अगर मौका मिले तो वो अपनी माँ की जांघो में जगह बनाने में समय नही लेगा,पर कभी लगता कि अमन अपनी माँ को एक बेटे की तरह पवित्र प्रेम करता है।

इस सबके बीच एक बात जो रागनी ने नोट की थी वो थे उसकी पति और पुत्री के बीच होता आलिंगन रागनी और क़ौमल का चेहरा आमने सामने था और रागनी ने बड़ी बारीक नज़र से क़ौमल के चेहरे के बदलते भाव पढ़े थे,हालांकि वो अपने पति के हाथों को अपनी बेटी के नितंबो पर घूमते हुए नही देख सकती थी पर क़ौमल के चेहरे पर बदलते भाव को आसानी से नोट कर सकती थी।

काफी समय तक चारो लोग एक दूसरे को आलिंगन में लिए रहे जँहा क़ौमल को एक और अपने पिता के जज़्बात पता चल गए थे वंही रागनी को अमन ने ऐसी हालत में छोड़ दिया था कि उसके लिए अमन को जज कर पाना कठिन था कि उसके मन में क्या चल रहा है।
बहरहाल दोनो भाई बहन अपने माता पिता से मिलकर अपने सफर पर निकल रहे थे,अमन ने अपनी कार की डिक्की में दोनों बैग एडजस्ट कर लिए थे और अब दोनों के लिए कार में पूरी जगह खाली थी क़ौमल ने पीछे बैठने के बजाय अपने भाई के साथ आगे बैठने का फैसला किया था।रागनी और राज अपने दोनों बच्चों को हाथ हिलाकर बाय बोल रहे थे,जब गाड़ी घर के पोर्च एरिया से निकल रही थी।




दोस्तो आपकी प्रितिकिर्या कहानी को आगे ले जाने में सहायक होगी।
बहुत ही बेहतरीन अपडेट है
 

Sanju@

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रागनी और राज अपने दोनों बच्चों को हाथ हिलाकर बाय बोल रहे थे,जब गाड़ी घर के पोर्च एरिया से निकल रही थी।

अब आगे-

अमन ने वाया एयर जाने का फैसला किया था पर अपनी बहन के कहने पर उसने अपना फैसला बदल लिया था,क़ौमल अमन के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताना चाहती थी वाया एयर तो वो कुछ ही समय में पहुंच जाते,पर क़ौमल इस ट्रिप को अपने और अपने भाई के लिए यादगार बना देना चाहती थी इसलिए उसने अपनी प्राइवेट कार से जाने के लिए अमन को मना लिया था जिसमे में वो आराम से ठहर ठहर कर जाते पूरी मस्ती करते हुए और क़ौमल को अपने भाई को सिड्यूस करने के लिए रास्ते में काफी समय मिलना था जैसे उसने सोचा था सबकुछ बिल्कुल वैसे ही चल रहा था,हाईवे पर आते ही कार हवा से बाते करने लगी।

अमन को गाड़ी चलाते हुए काफी वक्त बीत गया था उसकी आंखें सड़क के किनारे बने रेस्टोरेंट और ढाबो का आंकलन करने में व्यस्त थी वो क़ौमल के साथ होने की वजह से किसी भी ऐसी वैसी जगह कार रोकने से हिचकिचा रहा था,आखिरकार उसको एक चमचमाता रेस्टोरेंट दिखा उसने गाड़ी को पार्किंग की तरफ घुमा कर पार्क किया ताकि आते समय गाड़ी निकलने में कोई मुश्किल ना हो।अमन ने एक नज़र गाड़ी के मीटर पर मारी उसने लगातार लगभग 150 कि.मी तक गाड़ी को चला लिया था,और अब गाड़ी और इंसान दोनो को रेस्ट की ज़रूरत थी।

गाड़ी के पार्किंग में जाते ही क़ौमल डोर खोल कर बाहर निकली और अपने ठंडे हो चुके चूतड़ पर हाथ चलाने लगी जैसे कोई माँ अपने बच्चों को थपथपाकर उठा रही हो,अमन को अपनी तरफ देखता पाकर उसने अपने चूतड़ों पर दो तीन हाथ भी मारे गदराई गाँड़ पर हाथ लगते ही दोनो चूतड़ ऊपर नीचे हिलने लगे,

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अमन गाड़ी से चाबी निकालकर काउंटर की तरफ बढ़ने लगा,अपने भाई की बेरुखी देख क़ौमल को गुस्सा तो बहुत आया कि देखो कोई और लड़का होता तो मेरे हिलते चूतड़ देख कर दीवाना हो जाता पर मेरे भाई को कोई फिक्र ही नही है।

पर क़ौमल भी घर से पूरा प्लान करके निकली थी आखिर कँहा कँहा बचता अमन, क़ौमल जल्दी से अमन के पीछे दौड़ी।
दोनो भाई बहन ने हल्का फुल्का खाना खाया और कुछ देर बैठकर पार्किंग की तरफ बढ़ गए,अमन ने पार्किंग से गाड़ी निकालकर क़ौमल को बैठाया और एक बार फिरसे गाड़ी हाईवे पर दौड़ने लगी।

अमन खामोशी से ड्राइविंग कर रहा था और क़ौमल उसके पास में बैठी अपने प्लान को आगे बढ़ाने के लिए योजनाएं बना रही थी क़ौमल वो हर पैतरा हर दांव खेलना चाहती थी जिससे उसका छोटा भाई उसपर मोहित होजाये और वो जो सोच कर घर से निकली है वो पूरा हो जाये।क़ौमल ने रेस्टोरेंट से निकलते समय अपनी गोलाइयों को अपने कपड़ों से बाहर उभार दिया था उसकी गुदाज़ छातियों के बीच की गहरी खाई पूरी तरह देखी जा सकती थी।

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पर अमन तो उसकी तरफ देख ही नही रहा था,घर पर तो अमन क़ौमल से थोड़ी बहुत बातचीत कर भी लेता था पर जबसे वो घर से निकले थे दोनो के बीच ज़रूरत के अलावा कुछ भी बातचीत नही हुई थी।

रोड पर काफी चहल पहल नज़र आ रही थी शायद कोई शहर आ गया था,गाड़ी धीमी होते ही क़ौमल के दिमाग ने गति पकड़ ली,कुछ ही पलों में उसका मंसूबा तैयार था।

"अमन तुमको ड्राइविंग करते काफी समय हो गया है,लाओ कुछ देर में ड्राइविंग कर लेती हूँ तुम कुछ देर आराम कर लो।

"अरे नही दीदी कोई बात नही है आप आराम से बैठी रहो।

"मेरे भाई टेंशन ना लो तुमको मालूम है मुझे ड्राइविंग करना पसंद है,और तुमको अभी आराम की ज़रूरत है चलो अब कोई बात नही होगी गाड़ी साइड में रोक लो।

"ठीक है दीदी साइड में रोकता हूँ।
अमन ने गाड़ी को साइड करके रोक दिया।क़ौमल जल्दी से गाड़ी से निकली और साइड चेंज करने के लिए गाड़ी के पीछे गई और अपने उभारो को एक बार फिरसे ऊपर कि तरफ उठाकर उनको लगभग 30 प्रितिशत कपड़ो के बाहर कर दिया और जल्दी से ड्राइविंग सीट की तरफ बढ़ी,

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अमन ने गाड़ी को न्यूटल करके हैंड-ब्रेक खींचा और गाड़ी से बाहर आ गया,अमन के गाड़ी से बाहर निकलते ही क़ौमल ड्राइविंग सीट पर बैठ गई,अमन दूसरी तरफ घूम कर जैसे ही डोर खोलता है क़ौमल अपने प्लान पर काम शुरू कर देती है।

"मेरे प्यारे भाई देखो ना सामने आइस-क्रीम पार्लर है जाओ ना अपने और मेरे लिए दो कुल्फी ले आओ।

"दीदी आओ ना पार्लर में ही बैठ कर...

"नही नही देर हो जानी है तुम ले आओ चलते चलते खा लेंगे।
क़ौमल ने अमन को बीच में ही रोकते हुए कहा।
अमन को भी पता था कि रात होने से पहले उनको किसी सही होटल में रुकना पड़ेगा,क्योंकि अपनी बहन के साथ में होते हुए वो पूरी रात सड़क पर नही चल सकते थे।इसलिए वो और कुछ बोले बगैर पार्लर की तरफ बढ़ गया,अमन के जाते ही क़ौमल ने एक बार फिरसे अपनी गोलाइयों को ऊपर चढ़ाया उसका दिल तो कर रहा था कि दोनों कबूतरों को पूरा ही बाहर निकाल दे ताकि उसके भाई को इनका इंटेंशन मिल सके,उसको अमन पर गुस्सा भी आ रहा था वो कितनी कोशिश कर रही थी कि अमन उसकी चुचियों को नोटिस करे पर अमन था कि अपनी बहन के गुदाज़ उभारो की तरफ देख ही नही रहा था पर इसबार क़ौमल ने उनको ऐसे एडजस्ट किया था कि देखने वाले कि नज़र उनपर ज़रूर पड़े।

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कुछ ही देर में अमन पार्लर से निकलकर गाड़ी की तरफ बढ़ता है,क़ौमल उसको देखकर समझ जाती है कि वो सीधा अपनी सीट की तरफ बढ़ रहा है,वो जल्दी से ग्लास नीचे करके अपना हाथ बाहर निकालती है ताकि उसका भाई ड्राइविंग सीट की तरफ आये।क़ौमल के हाथ को बाहर लहराता देख अमन ड्राइविंग सीट कि तरफ बढ़ता है,अमन को अपनी तरफ आता देख क़ौमल अपने हाथ को अंदर खींच लेती है,क्योंकि उसको जो सीन अमन को दिखाना था वो तब ही दिखना संभव था जब वो विंडो से अंदर देखता,और इसबार जैसा क़ौमल ने सोचा था बिल्कुल वैसा ही हुआ,अमन क़ौमल की कुल्फी देने के लिए विंडो पर आता है जैसे ही वो अपना हाथ अंदर करके कुल्फी देता है अकस्मात ही उसकी आंखें अपनी बहन के उभरते वक्ष पर पड़ती है,क़ौमल के उभरते वक्ष-स्थल देख अमन जड़वत हो जाता है।बिल्कुल गोरे सफेद उभार ताज़ा आम के जैसे,और उनके बीच की गहरी घाटी उफ्फ्फ अमन तो उस गहरी घाटी में जैसे खो सा गया,इस बार कोमल का तीर बिल्कुल निशाने पर लगा था वो जो नायाब हीरे अपने भाई को दिखाना चाहती थी वो दोनों इस वक़्त उसके भाई की आंखों के सामने थे।

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"लाओ दो ना कुल्फी मेल्ट हो रही है।
क़ौमल ने अपने भाई के दिल में आग भड़का दी थी बाकी अब वो इस एक्शन का रिएक्शन देखना चाहती थी।
अपनी बहन की आवाज़ सुनकर अमन की तंद्रा भंग हुई,वो चुपचाप कुल्फी क़ौमल को पकड़वाकर पीछे हट गया,अमन को पता चल गया था कि उसकी बहन ने उसको अपने उभार देखते हुए देख लिया था,वो अपने व्यवहार पर शर्मिंदा था।अमन चुपचाप दूसरी तरफ आकर अपनी सीट पर बैठ जाता है,उसका मन आत्मग्लानि से भर गया था,पर वो बेचारा नही जानता था जिस हादसे को वो अचानक हुआ मान रहा था,वो पूरी तरह प्रिप्लान था जिसकी राइटर डायरेक्टर और अदाकारा तीनो ही उसकी बड़ी बहन थी।

अपने भाई के व्यवहार में आये बदलाव को महसूस करते हुए क़ौमल ने एक हाथ से कुल्फी को अपने सुर्ख होंठो में धकेलते हुए अपने पैर को एक्सीलेटर पर दबाते हुए गाड़ी को आगे बढ़ाना शुरू किया,अमन खामोश बैठा कुल्फी के मज़े ले रहा था कभी कभी वो चोर नज़रो से क़ौमल की तरफ देखता,अपने भाई को अपनी तरफ चोर नज़रो से देखते हुए क़ौमल ने अपनी कुल्फी को होंठो के भीतर ऐसे लिया जैसे किसी लंबे लण्ड को अपने गर्म होंठो में जगह दे रही हो,क़ौमल को कुल्फी को इस तरह अपने होंठो में लेता देख अमन की आंखे उसके होंठो पर जम गई,अमन की आंखों की तपिश को अपने होंठो पर महसूस कर क़ौमल ने धीरे धीरे करके पूरी कुल्फी को अपने हलक में उतार लिया और कुछ सेकंड उसको गले के भीतर रखकर बाहर की तरफ खींचने लगी मोटी कुल्फी अंदर से बाहर आते हुए अपने साथ साथ अपनी पिघलती हुई क्रीम भी साथ ले आई जो क़ौमल कि ठोड़ी से रेंगती हुई उसके उरोज़ो पर गिरने लगी,अपनी बहन के कपड़ो से बाहर झांकते उरोज़ो पर गिरी क्रीम को देख अमन ने अपने सूखे होंठो पर जीभ चलाई।

"उफ्फ्फ अमन देखो ना ये कितनी जल्दी मेल्ट होकर टपकने लगी।
क़ौमल ने अपने भाई की आंखों को अपने आधे खुले उरोज़ो पर गड़ते हुए महसूस किया।
क़ौमल की बात सुनकर अमन के मन ने जवाब दिया।
#उफ्फ्फ दीदी ये बेचारी बर्फ की कुल्फी आपके मुंह की गर्मी को बर्दाश्त करने के लायक नही,इस तरह अपनी गर्मी को शांत कहाँ कर पाओगी आप इस गर्मी से निजात ये बेचारी कुल्फी कहाँ दे पायेगी इस गर्मी को शांत करने के लिए तो आपको अपने मुँह से भी ज़्यादा गरम चीज़ अपने मुँह में लेनी पड़ेगी।

"अमन कँहा खो गए देखो न ये ठंडी क्रीम फिसल कर अंदर चली जायेगी जल्दी से टिश्यू दो।
अमन ने जल्दी से टिश्यू निकालकर अपनी दीदी के सामने किया पर अपनी दीदी का इशारा देख उसके दिल धाड़ धाड़ करने लगा,क़ौमल ने एक हाथ से कुल्फी पकड़ रखी थी और एक हाथ से स्टेरिंग,क़ौमल ने अमन की तरफ देखकर अपने गाल पिचकाएँ जैसे कहना चाहती हो क्या करूँ।
अपनी दीदी की मजबूरी समझ गया अमन उसने टिश्यू को पकड़ कर दीदी के उभारो की तरफ अपने कम्पन्न होते हाथो को बढ़ाया,कार के बेहतरीन सस्पेंशन की वजह से क़ौमल की गुदाज़ चुंचिया ऊपर नीचे होकर थिरक रही थी।

अमन के लिए कोटूम्भिक व्यभिचार कोई नया नही था पर उसने अपनी बड़ी दीदी को कभी इस नज़र से नही देखा था,क़ौमल अपने भाई के हाथों में होते कम्पन्न को देख ये बात बखूबी समझ रही थी,अमन ने अपनी आंखों को विंडो की तरफ करके टिश्यू को क़ौमल के उभार पर रख दिया,अमन की शर्म को देख क़ौमल के होंठो पर मुस्कान तैर गई पर वो तो अपनी तरफ से पूरी तैयारी की हुई थी,अपने उभारो पर अपने भाई का हाथ महसूस करते ही क़ौमल ने अमन के हाथ का निशाना ठीक छातियों के बीच लगाया और अपनी कमर को सीधा कर दिया,कमर के सीधा होते ही क़ौमल कि छातियाँ ऊपर उठी और अमन का हाथ अपनी दीदी की दोनो छातियों के बीच,अपने हाथ पर गर्मी का एहसास होते ही अमन क़ौमल की तरफ मुड़ कर अपने हाथ को देखने लगा जो उसकी बड़ी दीदी की गुदाज़ छातियों के बिल्कुल बीच की गहरी घाटी मैं फंसा था।

अमन ने शर्मिंदा होते हुए अपने हाथ को बाहर खींचा और क़ौमल कि तरफ देखकर दाँत निपोर कर अपनी झेंप मिटाने लगा,अपने भाई की उँगलियों का स्पर्श क़ौमल के तन में तरंगे पैदा कर गया था पर अमन ने अपना हाथ वापस खींच लिया था जो क़ौमल को पसंद नही आया था,वो चाहती थी कि अमन वापस अपने हाथ उसकी गुदाज़ छातियों के बीच रखे और उसकी छातियों के गुदाज़पन को महसूस करे,उसके उभारो को पकड़ ले दबा दे भींच दे,उसके खड़े हो चुके निप्पलों को मरोड़ दे और फिर अपने होंठो के बीच लेकर दोनों चुचियों को निचोड़ डाले।
पर उफ्फ्फ मेरा शर्मिला भाई।

क़ौमल नही जानती थी अपने जिस भाई को वो शर्मिला समझती है वो क्या चीज़ है,वो तो क़ौमल दीदी के बारे में कभी अमन ने ऐसा सोचा न था वरना जैसी भावना उसकी परिवार की बाकी महिलाओं के लिए थी और जैसी आग इस वक़्त क़ौमल की जांघो के बीच सुलग रही थी अमन कब का उस आग को अपने गरम परंतु शीतल जल से बुझा चुका होता।

"बिना देखे काम करोगे तो गड़बड़ तो होगी ना।
क़ौमल ने अमन को देखते हुए कहा।

"सॉरी दीदी वो गलती से.....

"कोई बात नही समझ आ गया मुझे पर इसको साफ तो कर देख वो पिघल कर अंदर तक चला गया।
क़ौमल ने एक बार फिरसे अपने भाई को इशारा दिया अपनी विशाल चुचियों के दर्शन का।

"पर दीदी अब कैसे अब तो वो अंदर तक....

"देख न मेरे दोनो हाथ व्यस्त है वरना में अपने आप और वैसे भी तू तो मेरा भाई है,तू मेरे साथ कुछ गलत थोड़े ही करेगा।पर अबकी बार देख कर करना वरना फिर से।
क़ौमल ने जानबूझ कर अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।

बाहर अंधेरा घिरने लगा था आती जाती गाड़ियों की लाइट जल रही थी अंदर अमन एक बार फिरसे अपनी बड़ी दीदी की बड़ी बड़ी चुचियों की गहरी घाटी में डूबने को तैयार था।
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है
 
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रागनी और राज अपने दोनों बच्चों को हाथ हिलाकर बाय बोल रहे थे,जब गाड़ी घर के पोर्च एरिया से निकल रही थी।

अब आगे-

अमन ने वाया एयर जाने का फैसला किया था पर अपनी बहन के कहने पर उसने अपना फैसला बदल लिया था,क़ौमल अमन के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताना चाहती थी वाया एयर तो वो कुछ ही समय में पहुंच जाते,पर क़ौमल इस ट्रिप को अपने और अपने भाई के लिए यादगार बना देना चाहती थी इसलिए उसने अपनी प्राइवेट कार से जाने के लिए अमन को मना लिया था जिसमे में वो आराम से ठहर ठहर कर जाते पूरी मस्ती करते हुए और क़ौमल को अपने भाई को सिड्यूस करने के लिए रास्ते में काफी समय मिलना था जैसे उसने सोचा था सबकुछ बिल्कुल वैसे ही चल रहा था,हाईवे पर आते ही कार हवा से बाते करने लगी।

अमन को गाड़ी चलाते हुए काफी वक्त बीत गया था उसकी आंखें सड़क के किनारे बने रेस्टोरेंट और ढाबो का आंकलन करने में व्यस्त थी वो क़ौमल के साथ होने की वजह से किसी भी ऐसी वैसी जगह कार रोकने से हिचकिचा रहा था,आखिरकार उसको एक चमचमाता रेस्टोरेंट दिखा उसने गाड़ी को पार्किंग की तरफ घुमा कर पार्क किया ताकि आते समय गाड़ी निकलने में कोई मुश्किल ना हो।अमन ने एक नज़र गाड़ी के मीटर पर मारी उसने लगातार लगभग 150 कि.मी तक गाड़ी को चला लिया था,और अब गाड़ी और इंसान दोनो को रेस्ट की ज़रूरत थी।

गाड़ी के पार्किंग में जाते ही क़ौमल डोर खोल कर बाहर निकली और अपने ठंडे हो चुके चूतड़ पर हाथ चलाने लगी जैसे कोई माँ अपने बच्चों को थपथपाकर उठा रही हो,अमन को अपनी तरफ देखता पाकर उसने अपने चूतड़ों पर दो तीन हाथ भी मारे गदराई गाँड़ पर हाथ लगते ही दोनो चूतड़ ऊपर नीचे हिलने लगे,

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अमन गाड़ी से चाबी निकालकर काउंटर की तरफ बढ़ने लगा,अपने भाई की बेरुखी देख क़ौमल को गुस्सा तो बहुत आया कि देखो कोई और लड़का होता तो मेरे हिलते चूतड़ देख कर दीवाना हो जाता पर मेरे भाई को कोई फिक्र ही नही है।

पर क़ौमल भी घर से पूरा प्लान करके निकली थी आखिर कँहा कँहा बचता अमन, क़ौमल जल्दी से अमन के पीछे दौड़ी।
दोनो भाई बहन ने हल्का फुल्का खाना खाया और कुछ देर बैठकर पार्किंग की तरफ बढ़ गए,अमन ने पार्किंग से गाड़ी निकालकर क़ौमल को बैठाया और एक बार फिरसे गाड़ी हाईवे पर दौड़ने लगी।

अमन खामोशी से ड्राइविंग कर रहा था और क़ौमल उसके पास में बैठी अपने प्लान को आगे बढ़ाने के लिए योजनाएं बना रही थी क़ौमल वो हर पैतरा हर दांव खेलना चाहती थी जिससे उसका छोटा भाई उसपर मोहित होजाये और वो जो सोच कर घर से निकली है वो पूरा हो जाये।क़ौमल ने रेस्टोरेंट से निकलते समय अपनी गोलाइयों को अपने कपड़ों से बाहर उभार दिया था उसकी गुदाज़ छातियों के बीच की गहरी खाई पूरी तरह देखी जा सकती थी।

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पर अमन तो उसकी तरफ देख ही नही रहा था,घर पर तो अमन क़ौमल से थोड़ी बहुत बातचीत कर भी लेता था पर जबसे वो घर से निकले थे दोनो के बीच ज़रूरत के अलावा कुछ भी बातचीत नही हुई थी।

रोड पर काफी चहल पहल नज़र आ रही थी शायद कोई शहर आ गया था,गाड़ी धीमी होते ही क़ौमल के दिमाग ने गति पकड़ ली,कुछ ही पलों में उसका मंसूबा तैयार था।

"अमन तुमको ड्राइविंग करते काफी समय हो गया है,लाओ कुछ देर में ड्राइविंग कर लेती हूँ तुम कुछ देर आराम कर लो।

"अरे नही दीदी कोई बात नही है आप आराम से बैठी रहो।

"मेरे भाई टेंशन ना लो तुमको मालूम है मुझे ड्राइविंग करना पसंद है,और तुमको अभी आराम की ज़रूरत है चलो अब कोई बात नही होगी गाड़ी साइड में रोक लो।

"ठीक है दीदी साइड में रोकता हूँ।
अमन ने गाड़ी को साइड करके रोक दिया।क़ौमल जल्दी से गाड़ी से निकली और साइड चेंज करने के लिए गाड़ी के पीछे गई और अपने उभारो को एक बार फिरसे ऊपर कि तरफ उठाकर उनको लगभग 30 प्रितिशत कपड़ो के बाहर कर दिया और जल्दी से ड्राइविंग सीट की तरफ बढ़ी,

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अमन ने गाड़ी को न्यूटल करके हैंड-ब्रेक खींचा और गाड़ी से बाहर आ गया,अमन के गाड़ी से बाहर निकलते ही क़ौमल ड्राइविंग सीट पर बैठ गई,अमन दूसरी तरफ घूम कर जैसे ही डोर खोलता है क़ौमल अपने प्लान पर काम शुरू कर देती है।

"मेरे प्यारे भाई देखो ना सामने आइस-क्रीम पार्लर है जाओ ना अपने और मेरे लिए दो कुल्फी ले आओ।

"दीदी आओ ना पार्लर में ही बैठ कर...

"नही नही देर हो जानी है तुम ले आओ चलते चलते खा लेंगे।
क़ौमल ने अमन को बीच में ही रोकते हुए कहा।
अमन को भी पता था कि रात होने से पहले उनको किसी सही होटल में रुकना पड़ेगा,क्योंकि अपनी बहन के साथ में होते हुए वो पूरी रात सड़क पर नही चल सकते थे।इसलिए वो और कुछ बोले बगैर पार्लर की तरफ बढ़ गया,अमन के जाते ही क़ौमल ने एक बार फिरसे अपनी गोलाइयों को ऊपर चढ़ाया उसका दिल तो कर रहा था कि दोनों कबूतरों को पूरा ही बाहर निकाल दे ताकि उसके भाई को इनका इंटेंशन मिल सके,उसको अमन पर गुस्सा भी आ रहा था वो कितनी कोशिश कर रही थी कि अमन उसकी चुचियों को नोटिस करे पर अमन था कि अपनी बहन के गुदाज़ उभारो की तरफ देख ही नही रहा था पर इसबार क़ौमल ने उनको ऐसे एडजस्ट किया था कि देखने वाले कि नज़र उनपर ज़रूर पड़े।

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कुछ ही देर में अमन पार्लर से निकलकर गाड़ी की तरफ बढ़ता है,क़ौमल उसको देखकर समझ जाती है कि वो सीधा अपनी सीट की तरफ बढ़ रहा है,वो जल्दी से ग्लास नीचे करके अपना हाथ बाहर निकालती है ताकि उसका भाई ड्राइविंग सीट की तरफ आये।क़ौमल के हाथ को बाहर लहराता देख अमन ड्राइविंग सीट कि तरफ बढ़ता है,अमन को अपनी तरफ आता देख क़ौमल अपने हाथ को अंदर खींच लेती है,क्योंकि उसको जो सीन अमन को दिखाना था वो तब ही दिखना संभव था जब वो विंडो से अंदर देखता,और इसबार जैसा क़ौमल ने सोचा था बिल्कुल वैसा ही हुआ,अमन क़ौमल की कुल्फी देने के लिए विंडो पर आता है जैसे ही वो अपना हाथ अंदर करके कुल्फी देता है अकस्मात ही उसकी आंखें अपनी बहन के उभरते वक्ष पर पड़ती है,क़ौमल के उभरते वक्ष-स्थल देख अमन जड़वत हो जाता है।बिल्कुल गोरे सफेद उभार ताज़ा आम के जैसे,और उनके बीच की गहरी घाटी उफ्फ्फ अमन तो उस गहरी घाटी में जैसे खो सा गया,इस बार कोमल का तीर बिल्कुल निशाने पर लगा था वो जो नायाब हीरे अपने भाई को दिखाना चाहती थी वो दोनों इस वक़्त उसके भाई की आंखों के सामने थे।

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"लाओ दो ना कुल्फी मेल्ट हो रही है।
क़ौमल ने अपने भाई के दिल में आग भड़का दी थी बाकी अब वो इस एक्शन का रिएक्शन देखना चाहती थी।
अपनी बहन की आवाज़ सुनकर अमन की तंद्रा भंग हुई,वो चुपचाप कुल्फी क़ौमल को पकड़वाकर पीछे हट गया,अमन को पता चल गया था कि उसकी बहन ने उसको अपने उभार देखते हुए देख लिया था,वो अपने व्यवहार पर शर्मिंदा था।अमन चुपचाप दूसरी तरफ आकर अपनी सीट पर बैठ जाता है,उसका मन आत्मग्लानि से भर गया था,पर वो बेचारा नही जानता था जिस हादसे को वो अचानक हुआ मान रहा था,वो पूरी तरह प्रिप्लान था जिसकी राइटर डायरेक्टर और अदाकारा तीनो ही उसकी बड़ी बहन थी।

अपने भाई के व्यवहार में आये बदलाव को महसूस करते हुए क़ौमल ने एक हाथ से कुल्फी को अपने सुर्ख होंठो में धकेलते हुए अपने पैर को एक्सीलेटर पर दबाते हुए गाड़ी को आगे बढ़ाना शुरू किया,अमन खामोश बैठा कुल्फी के मज़े ले रहा था कभी कभी वो चोर नज़रो से क़ौमल की तरफ देखता,अपने भाई को अपनी तरफ चोर नज़रो से देखते हुए क़ौमल ने अपनी कुल्फी को होंठो के भीतर ऐसे लिया जैसे किसी लंबे लण्ड को अपने गर्म होंठो में जगह दे रही हो,क़ौमल को कुल्फी को इस तरह अपने होंठो में लेता देख अमन की आंखे उसके होंठो पर जम गई,अमन की आंखों की तपिश को अपने होंठो पर महसूस कर क़ौमल ने धीरे धीरे करके पूरी कुल्फी को अपने हलक में उतार लिया और कुछ सेकंड उसको गले के भीतर रखकर बाहर की तरफ खींचने लगी मोटी कुल्फी अंदर से बाहर आते हुए अपने साथ साथ अपनी पिघलती हुई क्रीम भी साथ ले आई जो क़ौमल कि ठोड़ी से रेंगती हुई उसके उरोज़ो पर गिरने लगी,अपनी बहन के कपड़ो से बाहर झांकते उरोज़ो पर गिरी क्रीम को देख अमन ने अपने सूखे होंठो पर जीभ चलाई।

"उफ्फ्फ अमन देखो ना ये कितनी जल्दी मेल्ट होकर टपकने लगी।
क़ौमल ने अपने भाई की आंखों को अपने आधे खुले उरोज़ो पर गड़ते हुए महसूस किया।
क़ौमल की बात सुनकर अमन के मन ने जवाब दिया।
#उफ्फ्फ दीदी ये बेचारी बर्फ की कुल्फी आपके मुंह की गर्मी को बर्दाश्त करने के लायक नही,इस तरह अपनी गर्मी को शांत कहाँ कर पाओगी आप इस गर्मी से निजात ये बेचारी कुल्फी कहाँ दे पायेगी इस गर्मी को शांत करने के लिए तो आपको अपने मुँह से भी ज़्यादा गरम चीज़ अपने मुँह में लेनी पड़ेगी।

"अमन कँहा खो गए देखो न ये ठंडी क्रीम फिसल कर अंदर चली जायेगी जल्दी से टिश्यू दो।
अमन ने जल्दी से टिश्यू निकालकर अपनी दीदी के सामने किया पर अपनी दीदी का इशारा देख उसके दिल धाड़ धाड़ करने लगा,क़ौमल ने एक हाथ से कुल्फी पकड़ रखी थी और एक हाथ से स्टेरिंग,क़ौमल ने अमन की तरफ देखकर अपने गाल पिचकाएँ जैसे कहना चाहती हो क्या करूँ।
अपनी दीदी की मजबूरी समझ गया अमन उसने टिश्यू को पकड़ कर दीदी के उभारो की तरफ अपने कम्पन्न होते हाथो को बढ़ाया,कार के बेहतरीन सस्पेंशन की वजह से क़ौमल की गुदाज़ चुंचिया ऊपर नीचे होकर थिरक रही थी।

अमन के लिए कोटूम्भिक व्यभिचार कोई नया नही था पर उसने अपनी बड़ी दीदी को कभी इस नज़र से नही देखा था,क़ौमल अपने भाई के हाथों में होते कम्पन्न को देख ये बात बखूबी समझ रही थी,अमन ने अपनी आंखों को विंडो की तरफ करके टिश्यू को क़ौमल के उभार पर रख दिया,अमन की शर्म को देख क़ौमल के होंठो पर मुस्कान तैर गई पर वो तो अपनी तरफ से पूरी तैयारी की हुई थी,अपने उभारो पर अपने भाई का हाथ महसूस करते ही क़ौमल ने अमन के हाथ का निशाना ठीक छातियों के बीच लगाया और अपनी कमर को सीधा कर दिया,कमर के सीधा होते ही क़ौमल कि छातियाँ ऊपर उठी और अमन का हाथ अपनी दीदी की दोनो छातियों के बीच,अपने हाथ पर गर्मी का एहसास होते ही अमन क़ौमल की तरफ मुड़ कर अपने हाथ को देखने लगा जो उसकी बड़ी दीदी की गुदाज़ छातियों के बिल्कुल बीच की गहरी घाटी मैं फंसा था।

अमन ने शर्मिंदा होते हुए अपने हाथ को बाहर खींचा और क़ौमल कि तरफ देखकर दाँत निपोर कर अपनी झेंप मिटाने लगा,अपने भाई की उँगलियों का स्पर्श क़ौमल के तन में तरंगे पैदा कर गया था पर अमन ने अपना हाथ वापस खींच लिया था जो क़ौमल को पसंद नही आया था,वो चाहती थी कि अमन वापस अपने हाथ उसकी गुदाज़ छातियों के बीच रखे और उसकी छातियों के गुदाज़पन को महसूस करे,उसके उभारो को पकड़ ले दबा दे भींच दे,उसके खड़े हो चुके निप्पलों को मरोड़ दे और फिर अपने होंठो के बीच लेकर दोनों चुचियों को निचोड़ डाले।
पर उफ्फ्फ मेरा शर्मिला भाई।

क़ौमल नही जानती थी अपने जिस भाई को वो शर्मिला समझती है वो क्या चीज़ है,वो तो क़ौमल दीदी के बारे में कभी अमन ने ऐसा सोचा न था वरना जैसी भावना उसकी परिवार की बाकी महिलाओं के लिए थी और जैसी आग इस वक़्त क़ौमल की जांघो के बीच सुलग रही थी अमन कब का उस आग को अपने गरम परंतु शीतल जल से बुझा चुका होता।

"बिना देखे काम करोगे तो गड़बड़ तो होगी ना।
क़ौमल ने अमन को देखते हुए कहा।

"सॉरी दीदी वो गलती से.....

"कोई बात नही समझ आ गया मुझे पर इसको साफ तो कर देख वो पिघल कर अंदर तक चला गया।
क़ौमल ने एक बार फिरसे अपने भाई को इशारा दिया अपनी विशाल चुचियों के दर्शन का।

"पर दीदी अब कैसे अब तो वो अंदर तक....

"देख न मेरे दोनो हाथ व्यस्त है वरना में अपने आप और वैसे भी तू तो मेरा भाई है,तू मेरे साथ कुछ गलत थोड़े ही करेगा।पर अबकी बार देख कर करना वरना फिर से।
क़ौमल ने जानबूझ कर अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।

बाहर अंधेरा घिरने लगा था आती जाती गाड़ियों की लाइट जल रही थी अंदर अमन एक बार फिरसे अपनी बड़ी दीदी की बड़ी बड़ी चुचियों की गहरी घाटी में डूबने को तैयार था।
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Mr.X796

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रागनी और राज अपने दोनों बच्चों को हाथ हिलाकर बाय बोल रहे थे,जब गाड़ी घर के पोर्च एरिया से निकल रही थी।

अब आगे-

अमन ने वाया एयर जाने का फैसला किया था पर अपनी बहन के कहने पर उसने अपना फैसला बदल लिया था,क़ौमल अमन के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताना चाहती थी वाया एयर तो वो कुछ ही समय में पहुंच जाते,पर क़ौमल इस ट्रिप को अपने और अपने भाई के लिए यादगार बना देना चाहती थी इसलिए उसने अपनी प्राइवेट कार से जाने के लिए अमन को मना लिया था जिसमे में वो आराम से ठहर ठहर कर जाते पूरी मस्ती करते हुए और क़ौमल को अपने भाई को सिड्यूस करने के लिए रास्ते में काफी समय मिलना था जैसे उसने सोचा था सबकुछ बिल्कुल वैसे ही चल रहा था,हाईवे पर आते ही कार हवा से बाते करने लगी।

अमन को गाड़ी चलाते हुए काफी वक्त बीत गया था उसकी आंखें सड़क के किनारे बने रेस्टोरेंट और ढाबो का आंकलन करने में व्यस्त थी वो क़ौमल के साथ होने की वजह से किसी भी ऐसी वैसी जगह कार रोकने से हिचकिचा रहा था,आखिरकार उसको एक चमचमाता रेस्टोरेंट दिखा उसने गाड़ी को पार्किंग की तरफ घुमा कर पार्क किया ताकि आते समय गाड़ी निकलने में कोई मुश्किल ना हो।अमन ने एक नज़र गाड़ी के मीटर पर मारी उसने लगातार लगभग 150 कि.मी तक गाड़ी को चला लिया था,और अब गाड़ी और इंसान दोनो को रेस्ट की ज़रूरत थी।

गाड़ी के पार्किंग में जाते ही क़ौमल डोर खोल कर बाहर निकली और अपने ठंडे हो चुके चूतड़ पर हाथ चलाने लगी जैसे कोई माँ अपने बच्चों को थपथपाकर उठा रही हो,अमन को अपनी तरफ देखता पाकर उसने अपने चूतड़ों पर दो तीन हाथ भी मारे गदराई गाँड़ पर हाथ लगते ही दोनो चूतड़ ऊपर नीचे हिलने लगे,

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अमन गाड़ी से चाबी निकालकर काउंटर की तरफ बढ़ने लगा,अपने भाई की बेरुखी देख क़ौमल को गुस्सा तो बहुत आया कि देखो कोई और लड़का होता तो मेरे हिलते चूतड़ देख कर दीवाना हो जाता पर मेरे भाई को कोई फिक्र ही नही है।

पर क़ौमल भी घर से पूरा प्लान करके निकली थी आखिर कँहा कँहा बचता अमन, क़ौमल जल्दी से अमन के पीछे दौड़ी।
दोनो भाई बहन ने हल्का फुल्का खाना खाया और कुछ देर बैठकर पार्किंग की तरफ बढ़ गए,अमन ने पार्किंग से गाड़ी निकालकर क़ौमल को बैठाया और एक बार फिरसे गाड़ी हाईवे पर दौड़ने लगी।

अमन खामोशी से ड्राइविंग कर रहा था और क़ौमल उसके पास में बैठी अपने प्लान को आगे बढ़ाने के लिए योजनाएं बना रही थी क़ौमल वो हर पैतरा हर दांव खेलना चाहती थी जिससे उसका छोटा भाई उसपर मोहित होजाये और वो जो सोच कर घर से निकली है वो पूरा हो जाये।क़ौमल ने रेस्टोरेंट से निकलते समय अपनी गोलाइयों को अपने कपड़ों से बाहर उभार दिया था उसकी गुदाज़ छातियों के बीच की गहरी खाई पूरी तरह देखी जा सकती थी।

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पर अमन तो उसकी तरफ देख ही नही रहा था,घर पर तो अमन क़ौमल से थोड़ी बहुत बातचीत कर भी लेता था पर जबसे वो घर से निकले थे दोनो के बीच ज़रूरत के अलावा कुछ भी बातचीत नही हुई थी।

रोड पर काफी चहल पहल नज़र आ रही थी शायद कोई शहर आ गया था,गाड़ी धीमी होते ही क़ौमल के दिमाग ने गति पकड़ ली,कुछ ही पलों में उसका मंसूबा तैयार था।

"अमन तुमको ड्राइविंग करते काफी समय हो गया है,लाओ कुछ देर में ड्राइविंग कर लेती हूँ तुम कुछ देर आराम कर लो।

"अरे नही दीदी कोई बात नही है आप आराम से बैठी रहो।

"मेरे भाई टेंशन ना लो तुमको मालूम है मुझे ड्राइविंग करना पसंद है,और तुमको अभी आराम की ज़रूरत है चलो अब कोई बात नही होगी गाड़ी साइड में रोक लो।

"ठीक है दीदी साइड में रोकता हूँ।
अमन ने गाड़ी को साइड करके रोक दिया।क़ौमल जल्दी से गाड़ी से निकली और साइड चेंज करने के लिए गाड़ी के पीछे गई और अपने उभारो को एक बार फिरसे ऊपर कि तरफ उठाकर उनको लगभग 30 प्रितिशत कपड़ो के बाहर कर दिया और जल्दी से ड्राइविंग सीट की तरफ बढ़ी,

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अमन ने गाड़ी को न्यूटल करके हैंड-ब्रेक खींचा और गाड़ी से बाहर आ गया,अमन के गाड़ी से बाहर निकलते ही क़ौमल ड्राइविंग सीट पर बैठ गई,अमन दूसरी तरफ घूम कर जैसे ही डोर खोलता है क़ौमल अपने प्लान पर काम शुरू कर देती है।

"मेरे प्यारे भाई देखो ना सामने आइस-क्रीम पार्लर है जाओ ना अपने और मेरे लिए दो कुल्फी ले आओ।

"दीदी आओ ना पार्लर में ही बैठ कर...

"नही नही देर हो जानी है तुम ले आओ चलते चलते खा लेंगे।
क़ौमल ने अमन को बीच में ही रोकते हुए कहा।
अमन को भी पता था कि रात होने से पहले उनको किसी सही होटल में रुकना पड़ेगा,क्योंकि अपनी बहन के साथ में होते हुए वो पूरी रात सड़क पर नही चल सकते थे।इसलिए वो और कुछ बोले बगैर पार्लर की तरफ बढ़ गया,अमन के जाते ही क़ौमल ने एक बार फिरसे अपनी गोलाइयों को ऊपर चढ़ाया उसका दिल तो कर रहा था कि दोनों कबूतरों को पूरा ही बाहर निकाल दे ताकि उसके भाई को इनका इंटेंशन मिल सके,उसको अमन पर गुस्सा भी आ रहा था वो कितनी कोशिश कर रही थी कि अमन उसकी चुचियों को नोटिस करे पर अमन था कि अपनी बहन के गुदाज़ उभारो की तरफ देख ही नही रहा था पर इसबार क़ौमल ने उनको ऐसे एडजस्ट किया था कि देखने वाले कि नज़र उनपर ज़रूर पड़े।

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कुछ ही देर में अमन पार्लर से निकलकर गाड़ी की तरफ बढ़ता है,क़ौमल उसको देखकर समझ जाती है कि वो सीधा अपनी सीट की तरफ बढ़ रहा है,वो जल्दी से ग्लास नीचे करके अपना हाथ बाहर निकालती है ताकि उसका भाई ड्राइविंग सीट की तरफ आये।क़ौमल के हाथ को बाहर लहराता देख अमन ड्राइविंग सीट कि तरफ बढ़ता है,अमन को अपनी तरफ आता देख क़ौमल अपने हाथ को अंदर खींच लेती है,क्योंकि उसको जो सीन अमन को दिखाना था वो तब ही दिखना संभव था जब वो विंडो से अंदर देखता,और इसबार जैसा क़ौमल ने सोचा था बिल्कुल वैसा ही हुआ,अमन क़ौमल की कुल्फी देने के लिए विंडो पर आता है जैसे ही वो अपना हाथ अंदर करके कुल्फी देता है अकस्मात ही उसकी आंखें अपनी बहन के उभरते वक्ष पर पड़ती है,क़ौमल के उभरते वक्ष-स्थल देख अमन जड़वत हो जाता है।बिल्कुल गोरे सफेद उभार ताज़ा आम के जैसे,और उनके बीच की गहरी घाटी उफ्फ्फ अमन तो उस गहरी घाटी में जैसे खो सा गया,इस बार कोमल का तीर बिल्कुल निशाने पर लगा था वो जो नायाब हीरे अपने भाई को दिखाना चाहती थी वो दोनों इस वक़्त उसके भाई की आंखों के सामने थे।

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"लाओ दो ना कुल्फी मेल्ट हो रही है।
क़ौमल ने अपने भाई के दिल में आग भड़का दी थी बाकी अब वो इस एक्शन का रिएक्शन देखना चाहती थी।
अपनी बहन की आवाज़ सुनकर अमन की तंद्रा भंग हुई,वो चुपचाप कुल्फी क़ौमल को पकड़वाकर पीछे हट गया,अमन को पता चल गया था कि उसकी बहन ने उसको अपने उभार देखते हुए देख लिया था,वो अपने व्यवहार पर शर्मिंदा था।अमन चुपचाप दूसरी तरफ आकर अपनी सीट पर बैठ जाता है,उसका मन आत्मग्लानि से भर गया था,पर वो बेचारा नही जानता था जिस हादसे को वो अचानक हुआ मान रहा था,वो पूरी तरह प्रिप्लान था जिसकी राइटर डायरेक्टर और अदाकारा तीनो ही उसकी बड़ी बहन थी।

अपने भाई के व्यवहार में आये बदलाव को महसूस करते हुए क़ौमल ने एक हाथ से कुल्फी को अपने सुर्ख होंठो में धकेलते हुए अपने पैर को एक्सीलेटर पर दबाते हुए गाड़ी को आगे बढ़ाना शुरू किया,अमन खामोश बैठा कुल्फी के मज़े ले रहा था कभी कभी वो चोर नज़रो से क़ौमल की तरफ देखता,अपने भाई को अपनी तरफ चोर नज़रो से देखते हुए क़ौमल ने अपनी कुल्फी को होंठो के भीतर ऐसे लिया जैसे किसी लंबे लण्ड को अपने गर्म होंठो में जगह दे रही हो,क़ौमल को कुल्फी को इस तरह अपने होंठो में लेता देख अमन की आंखे उसके होंठो पर जम गई,अमन की आंखों की तपिश को अपने होंठो पर महसूस कर क़ौमल ने धीरे धीरे करके पूरी कुल्फी को अपने हलक में उतार लिया और कुछ सेकंड उसको गले के भीतर रखकर बाहर की तरफ खींचने लगी मोटी कुल्फी अंदर से बाहर आते हुए अपने साथ साथ अपनी पिघलती हुई क्रीम भी साथ ले आई जो क़ौमल कि ठोड़ी से रेंगती हुई उसके उरोज़ो पर गिरने लगी,अपनी बहन के कपड़ो से बाहर झांकते उरोज़ो पर गिरी क्रीम को देख अमन ने अपने सूखे होंठो पर जीभ चलाई।

"उफ्फ्फ अमन देखो ना ये कितनी जल्दी मेल्ट होकर टपकने लगी।
क़ौमल ने अपने भाई की आंखों को अपने आधे खुले उरोज़ो पर गड़ते हुए महसूस किया।
क़ौमल की बात सुनकर अमन के मन ने जवाब दिया।
#उफ्फ्फ दीदी ये बेचारी बर्फ की कुल्फी आपके मुंह की गर्मी को बर्दाश्त करने के लायक नही,इस तरह अपनी गर्मी को शांत कहाँ कर पाओगी आप इस गर्मी से निजात ये बेचारी कुल्फी कहाँ दे पायेगी इस गर्मी को शांत करने के लिए तो आपको अपने मुँह से भी ज़्यादा गरम चीज़ अपने मुँह में लेनी पड़ेगी।

"अमन कँहा खो गए देखो न ये ठंडी क्रीम फिसल कर अंदर चली जायेगी जल्दी से टिश्यू दो।
अमन ने जल्दी से टिश्यू निकालकर अपनी दीदी के सामने किया पर अपनी दीदी का इशारा देख उसके दिल धाड़ धाड़ करने लगा,क़ौमल ने एक हाथ से कुल्फी पकड़ रखी थी और एक हाथ से स्टेरिंग,क़ौमल ने अमन की तरफ देखकर अपने गाल पिचकाएँ जैसे कहना चाहती हो क्या करूँ।
अपनी दीदी की मजबूरी समझ गया अमन उसने टिश्यू को पकड़ कर दीदी के उभारो की तरफ अपने कम्पन्न होते हाथो को बढ़ाया,कार के बेहतरीन सस्पेंशन की वजह से क़ौमल की गुदाज़ चुंचिया ऊपर नीचे होकर थिरक रही थी।

अमन के लिए कोटूम्भिक व्यभिचार कोई नया नही था पर उसने अपनी बड़ी दीदी को कभी इस नज़र से नही देखा था,क़ौमल अपने भाई के हाथों में होते कम्पन्न को देख ये बात बखूबी समझ रही थी,अमन ने अपनी आंखों को विंडो की तरफ करके टिश्यू को क़ौमल के उभार पर रख दिया,अमन की शर्म को देख क़ौमल के होंठो पर मुस्कान तैर गई पर वो तो अपनी तरफ से पूरी तैयारी की हुई थी,अपने उभारो पर अपने भाई का हाथ महसूस करते ही क़ौमल ने अमन के हाथ का निशाना ठीक छातियों के बीच लगाया और अपनी कमर को सीधा कर दिया,कमर के सीधा होते ही क़ौमल कि छातियाँ ऊपर उठी और अमन का हाथ अपनी दीदी की दोनो छातियों के बीच,अपने हाथ पर गर्मी का एहसास होते ही अमन क़ौमल की तरफ मुड़ कर अपने हाथ को देखने लगा जो उसकी बड़ी दीदी की गुदाज़ छातियों के बिल्कुल बीच की गहरी घाटी मैं फंसा था।

अमन ने शर्मिंदा होते हुए अपने हाथ को बाहर खींचा और क़ौमल कि तरफ देखकर दाँत निपोर कर अपनी झेंप मिटाने लगा,अपने भाई की उँगलियों का स्पर्श क़ौमल के तन में तरंगे पैदा कर गया था पर अमन ने अपना हाथ वापस खींच लिया था जो क़ौमल को पसंद नही आया था,वो चाहती थी कि अमन वापस अपने हाथ उसकी गुदाज़ छातियों के बीच रखे और उसकी छातियों के गुदाज़पन को महसूस करे,उसके उभारो को पकड़ ले दबा दे भींच दे,उसके खड़े हो चुके निप्पलों को मरोड़ दे और फिर अपने होंठो के बीच लेकर दोनों चुचियों को निचोड़ डाले।
पर उफ्फ्फ मेरा शर्मिला भाई।

क़ौमल नही जानती थी अपने जिस भाई को वो शर्मिला समझती है वो क्या चीज़ है,वो तो क़ौमल दीदी के बारे में कभी अमन ने ऐसा सोचा न था वरना जैसी भावना उसकी परिवार की बाकी महिलाओं के लिए थी और जैसी आग इस वक़्त क़ौमल की जांघो के बीच सुलग रही थी अमन कब का उस आग को अपने गरम परंतु शीतल जल से बुझा चुका होता।

"बिना देखे काम करोगे तो गड़बड़ तो होगी ना।
क़ौमल ने अमन को देखते हुए कहा।

"सॉरी दीदी वो गलती से.....

"कोई बात नही समझ आ गया मुझे पर इसको साफ तो कर देख वो पिघल कर अंदर तक चला गया।
क़ौमल ने एक बार फिरसे अपने भाई को इशारा दिया अपनी विशाल चुचियों के दर्शन का।

"पर दीदी अब कैसे अब तो वो अंदर तक....

"देख न मेरे दोनो हाथ व्यस्त है वरना में अपने आप और वैसे भी तू तो मेरा भाई है,तू मेरे साथ कुछ गलत थोड़े ही करेगा।पर अबकी बार देख कर करना वरना फिर से।
क़ौमल ने जानबूझ कर अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।

बाहर अंधेरा घिरने लगा था आती जाती गाड़ियों की लाइट जल रही थी अंदर अमन एक बार फिरसे अपनी बड़ी दीदी की बड़ी बड़ी चुचियों की गहरी घाटी में डूबने को तैयार था।
Nice one
 
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Hard dude

Tere bin kuch nahi
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बहुत ही गजब और गरमागरम कामुक अपडेट है भाई मजा आ गया
सफर में रात होने वाली हैं तो होटेल में रुकना तो बनता ही तो हो जाये धमाकेदार चुदाई का खेल
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
thanks bhai sath bane rahe.
 
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Thokulauda

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Story bahut achhi hai please update jyada time wait nahi karaaye pathak ko,appreciate your writing skills
 
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Vikashkumar

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Keep Going
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Update Jaldi Diya Kro
 
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