रागनी और राज अपने दोनों बच्चों को हाथ हिलाकर बाय बोल रहे थे,जब गाड़ी घर के पोर्च एरिया से निकल रही थी।
अब आगे-
अमन ने वाया एयर जाने का फैसला किया था पर अपनी बहन के कहने पर उसने अपना फैसला बदल लिया था,क़ौमल अमन के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताना चाहती थी वाया एयर तो वो कुछ ही समय में पहुंच जाते,पर क़ौमल इस ट्रिप को अपने और अपने भाई के लिए यादगार बना देना चाहती थी इसलिए उसने अपनी प्राइवेट कार से जाने के लिए अमन को मना लिया था जिसमे में वो आराम से ठहर ठहर कर जाते पूरी मस्ती करते हुए और क़ौमल को अपने भाई को सिड्यूस करने के लिए रास्ते में काफी समय मिलना था जैसे उसने सोचा था सबकुछ बिल्कुल वैसे ही चल रहा था,हाईवे पर आते ही कार हवा से बाते करने लगी।
अमन को गाड़ी चलाते हुए काफी वक्त बीत गया था उसकी आंखें सड़क के किनारे बने रेस्टोरेंट और ढाबो का आंकलन करने में व्यस्त थी वो क़ौमल के साथ होने की वजह से किसी भी ऐसी वैसी जगह कार रोकने से हिचकिचा रहा था,आखिरकार उसको एक चमचमाता रेस्टोरेंट दिखा उसने गाड़ी को पार्किंग की तरफ घुमा कर पार्क किया ताकि आते समय गाड़ी निकलने में कोई मुश्किल ना हो।अमन ने एक नज़र गाड़ी के मीटर पर मारी उसने लगातार लगभग 150 कि.मी तक गाड़ी को चला लिया था,और अब गाड़ी और इंसान दोनो को रेस्ट की ज़रूरत थी।
गाड़ी के पार्किंग में जाते ही क़ौमल डोर खोल कर बाहर निकली और अपने ठंडे हो चुके चूतड़ पर हाथ चलाने लगी जैसे कोई माँ अपने बच्चों को थपथपाकर उठा रही हो,अमन को अपनी तरफ देखता पाकर उसने अपने चूतड़ों पर दो तीन हाथ भी मारे गदराई गाँड़ पर हाथ लगते ही दोनो चूतड़ ऊपर नीचे हिलने लगे,
अमन गाड़ी से चाबी निकालकर काउंटर की तरफ बढ़ने लगा,अपने भाई की बेरुखी देख क़ौमल को गुस्सा तो बहुत आया कि देखो कोई और लड़का होता तो मेरे हिलते चूतड़ देख कर दीवाना हो जाता पर मेरे भाई को कोई फिक्र ही नही है।
पर क़ौमल भी घर से पूरा प्लान करके निकली थी आखिर कँहा कँहा बचता अमन, क़ौमल जल्दी से अमन के पीछे दौड़ी।
दोनो भाई बहन ने हल्का फुल्का खाना खाया और कुछ देर बैठकर पार्किंग की तरफ बढ़ गए,अमन ने पार्किंग से गाड़ी निकालकर क़ौमल को बैठाया और एक बार फिरसे गाड़ी हाईवे पर दौड़ने लगी।
अमन खामोशी से ड्राइविंग कर रहा था और क़ौमल उसके पास में बैठी अपने प्लान को आगे बढ़ाने के लिए योजनाएं बना रही थी क़ौमल वो हर पैतरा हर दांव खेलना चाहती थी जिससे उसका छोटा भाई उसपर मोहित होजाये और वो जो सोच कर घर से निकली है वो पूरा हो जाये।क़ौमल ने रेस्टोरेंट से निकलते समय अपनी गोलाइयों को अपने कपड़ों से बाहर उभार दिया था उसकी गुदाज़ छातियों के बीच की गहरी खाई पूरी तरह देखी जा सकती थी।
real salt lake academy
पर अमन तो उसकी तरफ देख ही नही रहा था,घर पर तो अमन क़ौमल से थोड़ी बहुत बातचीत कर भी लेता था पर जबसे वो घर से निकले थे दोनो के बीच ज़रूरत के अलावा कुछ भी बातचीत नही हुई थी।
रोड पर काफी चहल पहल नज़र आ रही थी शायद कोई शहर आ गया था,गाड़ी धीमी होते ही क़ौमल के दिमाग ने गति पकड़ ली,कुछ ही पलों में उसका मंसूबा तैयार था।
"अमन तुमको ड्राइविंग करते काफी समय हो गया है,लाओ कुछ देर में ड्राइविंग कर लेती हूँ तुम कुछ देर आराम कर लो।
"अरे नही दीदी कोई बात नही है आप आराम से बैठी रहो।
"मेरे भाई टेंशन ना लो तुमको मालूम है मुझे ड्राइविंग करना पसंद है,और तुमको अभी आराम की ज़रूरत है चलो अब कोई बात नही होगी गाड़ी साइड में रोक लो।
"ठीक है दीदी साइड में रोकता हूँ।
अमन ने गाड़ी को साइड करके रोक दिया।क़ौमल जल्दी से गाड़ी से निकली और साइड चेंज करने के लिए गाड़ी के पीछे गई और अपने उभारो को एक बार फिरसे ऊपर कि तरफ उठाकर उनको लगभग 30 प्रितिशत कपड़ो के बाहर कर दिया और जल्दी से ड्राइविंग सीट की तरफ बढ़ी,
kohls gaylord mi
अमन ने गाड़ी को न्यूटल करके हैंड-ब्रेक खींचा और गाड़ी से बाहर आ गया,अमन के गाड़ी से बाहर निकलते ही क़ौमल ड्राइविंग सीट पर बैठ गई,अमन दूसरी तरफ घूम कर जैसे ही डोर खोलता है क़ौमल अपने प्लान पर काम शुरू कर देती है।
"मेरे प्यारे भाई देखो ना सामने आइस-क्रीम पार्लर है जाओ ना अपने और मेरे लिए दो कुल्फी ले आओ।
"दीदी आओ ना पार्लर में ही बैठ कर...
"नही नही देर हो जानी है तुम ले आओ चलते चलते खा लेंगे।
क़ौमल ने अमन को बीच में ही रोकते हुए कहा।
अमन को भी पता था कि रात होने से पहले उनको किसी सही होटल में रुकना पड़ेगा,क्योंकि अपनी बहन के साथ में होते हुए वो पूरी रात सड़क पर नही चल सकते थे।इसलिए वो और कुछ बोले बगैर पार्लर की तरफ बढ़ गया,अमन के जाते ही क़ौमल ने एक बार फिरसे अपनी गोलाइयों को ऊपर चढ़ाया उसका दिल तो कर रहा था कि दोनों कबूतरों को पूरा ही बाहर निकाल दे ताकि उसके भाई को इनका इंटेंशन मिल सके,उसको अमन पर गुस्सा भी आ रहा था वो कितनी कोशिश कर रही थी कि अमन उसकी चुचियों को नोटिस करे पर अमन था कि अपनी बहन के गुदाज़ उभारो की तरफ देख ही नही रहा था पर इसबार क़ौमल ने उनको ऐसे एडजस्ट किया था कि देखने वाले कि नज़र उनपर ज़रूर पड़े।
whittier city school district
कुछ ही देर में अमन पार्लर से निकलकर गाड़ी की तरफ बढ़ता है,क़ौमल उसको देखकर समझ जाती है कि वो सीधा अपनी सीट की तरफ बढ़ रहा है,वो जल्दी से ग्लास नीचे करके अपना हाथ बाहर निकालती है ताकि उसका भाई ड्राइविंग सीट की तरफ आये।क़ौमल के हाथ को बाहर लहराता देख अमन ड्राइविंग सीट कि तरफ बढ़ता है,अमन को अपनी तरफ आता देख क़ौमल अपने हाथ को अंदर खींच लेती है,क्योंकि उसको जो सीन अमन को दिखाना था वो तब ही दिखना संभव था जब वो विंडो से अंदर देखता,और इसबार जैसा क़ौमल ने सोचा था बिल्कुल वैसा ही हुआ,अमन क़ौमल की कुल्फी देने के लिए विंडो पर आता है जैसे ही वो अपना हाथ अंदर करके कुल्फी देता है अकस्मात ही उसकी आंखें अपनी बहन के उभरते वक्ष पर पड़ती है,क़ौमल के उभरते वक्ष-स्थल देख अमन जड़वत हो जाता है।बिल्कुल गोरे सफेद उभार ताज़ा आम के जैसे,और उनके बीच की गहरी घाटी उफ्फ्फ अमन तो उस गहरी घाटी में जैसे खो सा गया,इस बार कोमल का तीर बिल्कुल निशाने पर लगा था वो जो नायाब हीरे अपने भाई को दिखाना चाहती थी वो दोनों इस वक़्त उसके भाई की आंखों के सामने थे।
"लाओ दो ना कुल्फी मेल्ट हो रही है।
क़ौमल ने अपने भाई के दिल में आग भड़का दी थी बाकी अब वो इस एक्शन का रिएक्शन देखना चाहती थी।
अपनी बहन की आवाज़ सुनकर अमन की तंद्रा भंग हुई,वो चुपचाप कुल्फी क़ौमल को पकड़वाकर पीछे हट गया,अमन को पता चल गया था कि उसकी बहन ने उसको अपने उभार देखते हुए देख लिया था,वो अपने व्यवहार पर शर्मिंदा था।अमन चुपचाप दूसरी तरफ आकर अपनी सीट पर बैठ जाता है,उसका मन आत्मग्लानि से भर गया था,पर वो बेचारा नही जानता था जिस हादसे को वो अचानक हुआ मान रहा था,वो पूरी तरह प्रिप्लान था जिसकी राइटर डायरेक्टर और अदाकारा तीनो ही उसकी बड़ी बहन थी।
अपने भाई के व्यवहार में आये बदलाव को महसूस करते हुए क़ौमल ने एक हाथ से कुल्फी को अपने सुर्ख होंठो में धकेलते हुए अपने पैर को एक्सीलेटर पर दबाते हुए गाड़ी को आगे बढ़ाना शुरू किया,अमन खामोश बैठा कुल्फी के मज़े ले रहा था कभी कभी वो चोर नज़रो से क़ौमल की तरफ देखता,अपने भाई को अपनी तरफ चोर नज़रो से देखते हुए क़ौमल ने अपनी कुल्फी को होंठो के भीतर ऐसे लिया जैसे किसी लंबे लण्ड को अपने गर्म होंठो में जगह दे रही हो,क़ौमल को कुल्फी को इस तरह अपने होंठो में लेता देख अमन की आंखे उसके होंठो पर जम गई,अमन की आंखों की तपिश को अपने होंठो पर महसूस कर क़ौमल ने धीरे धीरे करके पूरी कुल्फी को अपने हलक में उतार लिया और कुछ सेकंड उसको गले के भीतर रखकर बाहर की तरफ खींचने लगी मोटी कुल्फी अंदर से बाहर आते हुए अपने साथ साथ अपनी पिघलती हुई क्रीम भी साथ ले आई जो क़ौमल कि ठोड़ी से रेंगती हुई उसके उरोज़ो पर गिरने लगी,अपनी बहन के कपड़ो से बाहर झांकते उरोज़ो पर गिरी क्रीम को देख अमन ने अपने सूखे होंठो पर जीभ चलाई।
"उफ्फ्फ अमन देखो ना ये कितनी जल्दी मेल्ट होकर टपकने लगी।
क़ौमल ने अपने भाई की आंखों को अपने आधे खुले उरोज़ो पर गड़ते हुए महसूस किया।
क़ौमल की बात सुनकर अमन के मन ने जवाब दिया।
#उफ्फ्फ दीदी ये बेचारी बर्फ की कुल्फी आपके मुंह की गर्मी को बर्दाश्त करने के लायक नही,इस तरह अपनी गर्मी को शांत कहाँ कर पाओगी आप इस गर्मी से निजात ये बेचारी कुल्फी कहाँ दे पायेगी इस गर्मी को शांत करने के लिए तो आपको अपने मुँह से भी ज़्यादा गरम चीज़ अपने मुँह में लेनी पड़ेगी।
"अमन कँहा खो गए देखो न ये ठंडी क्रीम फिसल कर अंदर चली जायेगी जल्दी से टिश्यू दो।
अमन ने जल्दी से टिश्यू निकालकर अपनी दीदी के सामने किया पर अपनी दीदी का इशारा देख उसके दिल धाड़ धाड़ करने लगा,क़ौमल ने एक हाथ से कुल्फी पकड़ रखी थी और एक हाथ से स्टेरिंग,क़ौमल ने अमन की तरफ देखकर अपने गाल पिचकाएँ जैसे कहना चाहती हो क्या करूँ।
अपनी दीदी की मजबूरी समझ गया अमन उसने टिश्यू को पकड़ कर दीदी के उभारो की तरफ अपने कम्पन्न होते हाथो को बढ़ाया,कार के बेहतरीन सस्पेंशन की वजह से क़ौमल की गुदाज़ चुंचिया ऊपर नीचे होकर थिरक रही थी।
अमन के लिए कोटूम्भिक व्यभिचार कोई नया नही था पर उसने अपनी बड़ी दीदी को कभी इस नज़र से नही देखा था,क़ौमल अपने भाई के हाथों में होते कम्पन्न को देख ये बात बखूबी समझ रही थी,अमन ने अपनी आंखों को विंडो की तरफ करके टिश्यू को क़ौमल के उभार पर रख दिया,अमन की शर्म को देख क़ौमल के होंठो पर मुस्कान तैर गई पर वो तो अपनी तरफ से पूरी तैयारी की हुई थी,अपने उभारो पर अपने भाई का हाथ महसूस करते ही क़ौमल ने अमन के हाथ का निशाना ठीक छातियों के बीच लगाया और अपनी कमर को सीधा कर दिया,कमर के सीधा होते ही क़ौमल कि छातियाँ ऊपर उठी और अमन का हाथ अपनी दीदी की दोनो छातियों के बीच,अपने हाथ पर गर्मी का एहसास होते ही अमन क़ौमल की तरफ मुड़ कर अपने हाथ को देखने लगा जो उसकी बड़ी दीदी की गुदाज़ छातियों के बिल्कुल बीच की गहरी घाटी मैं फंसा था।
अमन ने शर्मिंदा होते हुए अपने हाथ को बाहर खींचा और क़ौमल कि तरफ देखकर दाँत निपोर कर अपनी झेंप मिटाने लगा,अपने भाई की उँगलियों का स्पर्श क़ौमल के तन में तरंगे पैदा कर गया था पर अमन ने अपना हाथ वापस खींच लिया था जो क़ौमल को पसंद नही आया था,वो चाहती थी कि अमन वापस अपने हाथ उसकी गुदाज़ छातियों के बीच रखे और उसकी छातियों के गुदाज़पन को महसूस करे,उसके उभारो को पकड़ ले दबा दे भींच दे,उसके खड़े हो चुके निप्पलों को मरोड़ दे और फिर अपने होंठो के बीच लेकर दोनों चुचियों को निचोड़ डाले।
पर उफ्फ्फ मेरा शर्मिला भाई।
क़ौमल नही जानती थी अपने जिस भाई को वो शर्मिला समझती है वो क्या चीज़ है,वो तो क़ौमल दीदी के बारे में कभी अमन ने ऐसा सोचा न था वरना जैसी भावना उसकी परिवार की बाकी महिलाओं के लिए थी और जैसी आग इस वक़्त क़ौमल की जांघो के बीच सुलग रही थी अमन कब का उस आग को अपने गरम परंतु शीतल जल से बुझा चुका होता।
"बिना देखे काम करोगे तो गड़बड़ तो होगी ना।
क़ौमल ने अमन को देखते हुए कहा।
"सॉरी दीदी वो गलती से.....
"कोई बात नही समझ आ गया मुझे पर इसको साफ तो कर देख वो पिघल कर अंदर तक चला गया।
क़ौमल ने एक बार फिरसे अपने भाई को इशारा दिया अपनी विशाल चुचियों के दर्शन का।
"पर दीदी अब कैसे अब तो वो अंदर तक....
"देख न मेरे दोनो हाथ व्यस्त है वरना में अपने आप और वैसे भी तू तो मेरा भाई है,तू मेरे साथ कुछ गलत थोड़े ही करेगा।पर अबकी बार देख कर करना वरना फिर से।
क़ौमल ने जानबूझ कर अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।
बाहर अंधेरा घिरने लगा था आती जाती गाड़ियों की लाइट जल रही थी अंदर अमन एक बार फिरसे अपनी बड़ी दीदी की बड़ी बड़ी चुचियों की गहरी घाटी में डूबने को तैयार था।