बाथरूम की दीवार से कमर लगाए रागनी नीचे बैठती चली गई,जैसे ही वो अपने स्खलन से बाहर निकली एक बार फिरसे उसके दिल और दिमाग में लड़ाई शुरू हो गई।
अब आगे-
रागनी जल्दी से बाथरूम से नहा कर बाहर निकली और अपने मन में चलते द्रन्द को शांत करने के लिए प्रेयर करने लगी,काफी देर तक वो प्रेयर करती रही आखिर उसका मन शांत होने लगा,धीरे धीरे अपनी वासना के अतिरेक में अपने द्वारा किये कुकर्म का अपराध बोध कम होता गया और एक बार फिरसे उसके मन में अपने बेटे के लिए वासना की जगह ममतामयी प्यार ने लेली।अब रागनी का मन बिल्कुल शांत था।उसने घड़ी पर नज़र डाली,अपने आप से लड़ते हुए उसको काफी वक्त बीत गया था,प्रेयर समाप्त करके वो किचन की तरफ बढ़ गई।किचन में जाकर रागनी ने अपने पति के लिए और अपने लिए चाय बनाई और दोनों कप ट्रे में रख कर राज को जगाने के लिए अपने रूम में चली गई।
राज को उठा कर चाय देकर रागनी उसके पास बैठकर खुद भी चाय की चुस्कियां लेने लगी।
"क्या बात है मेरी जान आज तो सुबह सुबह बड़ी खिली हुई लग रही हो।
राज रागनी के ग्लो करते चेहरे को देख कर बोला।
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"आप तो बस ऐसे ही मेरी झूटी तारीफ करते है।
"झूटी नही मेरी जान सच में आज तुम बहुत खिली खिली लग रही हो।
अपने पति की बात सुनकर रागनी अपने बेटे के साथ हुए इंसिडेंट को याद करने लगी कैसे सुबह सुबह उसकी वजह से उसने अपनी चूत को रगड़ डाला था,हो न हो उसके खिलते चेहरे का यही राज़ था पर वो ये सब राज को नही बताना चाहती थी,इस सबको वो राज के लिए राज़ ही रखना चाहती थी।
"झूटी इसलिए बोल रही हूँ कि अब उम्र हो गई है मेरी बच्चे जवान हो गए है,अब मेरे में वो पहले वाली बात कँहा।
"रागनी सच कहूँ मैंने तुमको जवानी से अब तक बहुत करीब से देखा है,अगर मैं ये बोलू की जवानी से ज़्यादा अब नमकीन हो गई हो तो झूठ नही होगा।आज कल की लड़कियां पानी भरेगी तुम्हारे सामने,सच अगर किसी जवान लड़के के सामने किसी आज की लड़की को और तुमको सेलेक्ट करने को बोला जाए तो मेरी गारंटी है,उसकी पसंद तुम होगी।
"अगर कोई मुझसे पूछे के मेरे खिलने का राज़ क्या है,तो मैं कहूंगी मेरे पति का प्यार,आज जो में इतना खिल रही हूँ ये आपके रात को मुझे दिए प्यार की वजह है।
रागनी अपने पति की आंखों में देखकर झूठ बोल रही थी।उसको पता था कि सुबह अपने बेटे को देखकर उसके चेहरे पर ये रौनक आई थी पर वो कहते है ना औरत को समझना इस दुनिया के कठिन कामो में से एक है।
रागनी ने चाय के कप को खाली करके एक साइड में रखा तो राज ने उसे पकड़ कर बिस्तर पर खींच लिया।
"अगर तुम्हारे चेहरे की रौनक की वजह मेरा प्यार है तो आओ मेरी जान तुम्हे और खूबसूरत कर दूँ।
राज रागनी को बाँहो में भीच कर बोला
"हटो ना दिन निकल आया है कोई आ जायेगा,छोड़ो ना
रागनी राज की बाँहों में कसमसाती हुई बोली।
"अरे आता है तो आ जाय में कोई गुनाह तो नही कर रहा।
अपनी पत्नी को प्यार कर रहा हूँ।
राज ने रागनी के भीगे बालो को साइड करके उसके ताज़ा गुलाब की तरह खिले होंठो को अपने होंठो में कैद कर लिया।
"उन्ह उन्ह हटो उन्ह उन्ह सोनम आ गई।छोड़ो आजकल बहुत बेशर्म होते जा रहे है आप।
रागनी ने सोनम का नाम लेकर अपने आप को राज के चंगुल से आज़ाद कर लिया।
"मुझसे चालाकी,कहाँ है सोनम।
"सोनम नही है जाइये जल्दी उठकर नहाइये।अमन को जाना है मुझको उसकी तैयारी भी करवानी है,साहबजादा अभी तक सो रहा होगा।
रागनी मुस्कुराती हुई रूम से बाहर निकल गई।
रागनी के रूम से बाहर जाने के बाद राज भी उठकर बाथरूम की तरफ बढ़ गया।पर रागनी रूम से बाहर आकर सोचने लगी उसको अमन के रूम में जाना चाहिए या नही।
क्या वो अभी भी सुबह के जैसी हालात में होगा बिल्कुल नंगा,पूरी संभावना थी कि वो अभी भी उसी हालत में हो।
क्या उसके कमरे में जाना सही होगा।
रागनी का दिल और जिस्म अमन को दोबारा वैसे ही देखने को करने लगा जैसे उसने सुबह देखा था बिल्कुल जैसे वो अपने जन्म के समय था पूरा वस्त्रहीन,
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पर दिमाग कुछ और ही राग अलाप रहा था,कैसी माँ है तू अपने ही बेटे पर मोहित हो रही है अरे डायन भी सात घर छोड़ कर शिकार करती है पर तु तो अपने ही घर में....वो भी उसका जिसने तेरी ही चूत से दुनिया में जन्म लिया है छि छि शर्म आनी चाहिए तुझको रागनी कितना गिर गई तेरी मानसिकता।
रागनी एक परिपक्व महिला थी जो शादी के बाद हमेशा से अपने पति से वफादार रही थी रागनी थी तो एक खूबसूरत जिस्म की मालिक और उसपर गंदी नज़रे भी लगभग सभी की होती थी। जो भी देखता उसके कटावदार जिस्म को देखकर अपने लण्ड में झुरझुरी ज़रूर महसूस करता,पर रागनी को अपने पति से मिलते प्यार ने कभी बहकने नही दिया था,राज उसको दिलो जान से प्यार करता और उसके जिस्म की सभी ज़रूरतों को भी बिस्तर में हमेशा ही पूरा करता था।
पर रागनी ख़ुद नही समझ पा रही थी कि इस उम्र में उसका अपने ही बेटे की तरफ इतना मोहित हो जाना आखिर क्या है।आखिर उम्र के इस पड़ाव पर कामनी की परिपक्वता ने उसको दिल की नही दिमाग की बात मानने के लिए मनाया।
रागनी ने अपने बेटे के लिए अपने मन में आये गंदे विचारो को स्वाहा किया और अपने मन को पक्का करके फैसला लिया कि अब वो अमन के बारे में कोई भी गंदी बात नही सोचेंगी।अपने मन को पक्का करके रागनी अमन के रूम कि तरफ चल दी।कुछ ही देर में वो अमन के रूम के दरवाज़े पर खड़ी थी उसको मालूम था कि अंदर अमन बिल्कुल नंगी पुंगी हालात में सो रहा होगा,तो उसने अमन रूम के गेट पर नॉक किया।
कुछ ही देर में अमन की नींद गायब हो गई उसने अपनी हालात देखी और अपनी तौलिया को कमर पर बांध कर वो गेट कि तरफ गया और पहले से खुले गेट को खोल कर बाहर देखा।गेट के खुलते ही रागनी के सामने एक बार फिरसे अमन का कसरती जिस्म था पर इस बार उसने अपनी तोप को तौलिया के अंदर छुपा लिया था।अपने बेटे के गोल शोल्डर और छोड़ा सीना देख कर रागनी को अपने द्वारा अभी दो मिनट पहले लिया फैसला हिलता हुआ महसूस हुआ।
"उठ गया माँ अभी तैयार होकर आता हूँ।
"तैयार होकर आने से पहले जाने की तैयारी की या नही ये बताओ।
"कँहा जाना है माँ।
"अरे रात गई बात गई।याद नही रात क्या बात हुई थी,पगले।
"ओह अच्छा दार्जलिंग की बात हाँ,सॉरी माँ रात जल्दी नींद आ गई तो तैयारी नही कर पाया था।
अमन ने बड़ी सफाई से अपनी माँ से पूरी रात की कहानी को छुपा लिया।
"अच्छा ठीक है अगर कोई हेल्प चाहिए तो मुझे बुला लेना।
में पैकिंग करवा दूँगी।
"ठीक है माँ आप पहले ये देखलो क़ौमल दीदी ने पैकिंग की या नही।
अमन बाथरूम में जाते हुए बोला।
रागनी अपनी तेज़ चलती साँसों को सम्हालती हुई क़ौमल के रूम की तरफ बढ़ गई।दरवाज़ा खुला था रागनी सीधी अंदर पहुंच गई।
क़ौमल हमेशा की तरह अपने बिस्तर पर उल्टी पलटी सोई पड़ी थी,उसको देखते ही रागनी अपने मन में बुदबुदाई,
कब बड़ी होगी ये देखो तो कैसे घोड़े बेच कर सोई है पूरी घोड़ी हो गई है पर अभी तक बच्ची की तरह,कपड़े कैसे कैसे पहनते है ये आजकल के बच्चे उफ्फ देखो तो ज़रा पूरे चूतड़ खुले हुए है।
"क़ौमल ओ महारानी चल उठ जा कब तक सोई रहेगी।
रागनी ने क़ौमल के खुले चूतड़ पर चांटा मारते हुए कहा।
"क्या है यार मम्मी सोने दो ना अभी अभी तो सोई हुँ।
क़ौमल अलसाई आवाज़ में बोली।
"क़ौमल अब बच्ची नही हो थोड़ा देखभाल कर सोया करो बेटा घर में मर्द लोग भी है और अभी सोई है मतलब रात भर क्या कर रही थी।तूने पैकिंग की या नही।
रागनी अपनी बेटी के गुदाज़ चूतड़ देखकर बोली।
"वही तो कर रही थी,आप जाओ में आती हूँ,मेरा बैग तैयार है भाई से पूछ लो उन्होंने की या नही।
"ठीक है जल्दी आ।
रागनी क़ौमल के रूम से निकलकर सीधी नीचे किचन की तरफ चली गई।
उधर अमन रात भर अपनी बुआ के साथ गुलछर्रे उड़ा रहा था और इधर क़ौमल ने अपनी सभी कपड़े काफी सोच समझ कर पैक किये थे,क़ौमल ने अपने भाई को रिझाने के लिए ऐसे कपड़े सेलेक्ट किये थे जिसमें उसका गदराया जिस्म ढके कम दिखे ज़्यादा,यंहा तक कि जो कपड़े वो 2-3साल पहले छोटे होने पर पहनने बंद कर दी थी वो भी उसने अपने बैग में पैक कर लिए थे,बिना ये सोचे कि वो अब उसको आएंगे भी या नही।इस मौके को वो पूरा भुनाना चाहती थी,उसको यकीन था कि जब वो वापस घर आएगी तो कुवांरी नही रहेगी।आगे क्या होने वाला था ये तो कोई नही जानता था पर क़ौमल ने अपनी तरफ से तैयारी पूरी की थी।
अमन नहा कर बाथरूम से बाहर निकल आया था,उसको मालूम था कि अभी क़ौमल तैयार होने में काफी टाइम बर्बाद करने वाली थी तो उसने सोचा कि अभी कपड़े पहन कर कोई फायदा नही उसने नीचे सिर्फ लोवर और ऊपर एक हल्की टी-शर्ट पहन ली और नाश्ता करने के लिए नीचे आ गया।अभी सब अपने कमरो में सो रहे थे राज बाहर गार्डन में बैठा अखबार पढ़ रहा था,रागनी किचन में खड़ी अपने बेटे के लिए नाश्ता तैयार कर रही थी,अमन सीधा किचन की तरफ चल दिया।पर किचन के दरवाजे पर पहुंचते ही उसके पैर ठिठक गए,अंदर का नज़ारा ही कुछ ऐसा था।
उसकी माँ नीचे झुकी हुई कुछ ढूंढ रही थी और उसकी गदराई गाँड़ झुके होने के कारण पूरी तरह बाहर निकल कर अपनी आभा बिखेर रही थी।अपनी माँ की गदराई गाँड़ देखकर अमन की आंखों में रात का द्रष्य घूमने लगा जब उसकी माँ घोड़ी बनी अपनी चूत में अपने पति का लौड़ा घोट रही थी।
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कुछ ही पलों में रागनी को वो मिल गया जो वो ढूंढ रही थी अमन का मग रागनी मग उठाकर सीधी हुई पर उसकी गदराई गाँड़ अभी भी पूरी तरह बाहर की तरफ निकल कर अमन को पागल कर रही थी,अपनी खूबसूरत माँ की गदराई गाँड़ देख अमन के लण्ड में सुरसुरी होने लगी वो दबे पांव किचन में ठीक अपनी माँ के पीछे खड़ा हो गया,कुछ पल करीब से रागनी के फूले हुए चूतड़ देख कर अमन ने रागनी को पीछे से पकड़ कर भींच लिया।
रागनी ने पीछे मुड़कर अमन को देखा।
"नहा लिया मेरा लाल।
"जी मम्मी जी।
अमन ने अपने हाथों को अपनी माँ के मुलायम पेट पर बांधते हुए कहा।
"क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है माँ पर।
"माँ पर तो हमेशा प्यार आता है पर जताता कभी कभी हूँ।
अमन ने एक बार डोर से गर्दन लंबी करके गॉर्डन में बैठे अपने पापा को देखा और उनको अखबार में खोया देख पूरी तरह अपनी माँ से चिपक गया।
अमन के हाथ रागनी के मुलायम पेट पर कसते चले गए,रागनी को एक बार फिरसे अपने बेटे का निचला हिस्सा अपनी गुदाज़ गाँड में धंसता हुआ महसूस हुआ,सुबह रागनी जो लण्ड छुप कर देख रही थी इस वक़्त वो उसको अपनी गांड के पाटों के बीच महसूस कर सकती थी।
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रागनी समझ नही पा रही थी कि ये अमन का माँ-बेटे वाला प्यार है या औरत-मर्द वाला उसका दिमाग तो माँ-बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की गवाही देता था,पर अपनी गांड में चुभते लण्ड को महसूस कर रागनी की धड़कने बढ़ने लगी थी।पर अमन इससे आगे बढ़ने की कोशिश नही करता था।जो इस बात का पक्का सबूत था कि अमन का दिल बिल्कुल साफ था।
वो रागनी को सिर्फ एक बेटे की तरह प्यार करता था,कामनी अपने इन्ही खयालो में खोई थी कि अमन की आवाज़ से उसका ध्यान भंग हुआ।
"माँ जल्दी से नाश्ता देकर मेरी पैकिंग करवा दो ना।
"हन हाँ पहले मुझको छोड़ेगा तभी कुछ करूँगी ना।
"ये लो मेरी प्यारी मम्मी छोड़ दिया अब जल्दी से मुझको नाश्ता दो बहुत भूख लगी है।
रागनी को अमन का इस तरह उसको छोड़ देना बुरा लग रहा था,पर वो जितना इस बारे में सोचती उतना उलझती जाती।रागनी ने अपने दिमाग में चलते सवाल जवाब को एक तरफ कर दिया और जल्दी से अमन के लिए नाश्ता तैयार करके प्लेट में सजाने लगी।
अमन फ़्रिज के पास खड़ा पानी पी रहा था जब रागनी की नज़र उस पर पड़ी अचानक ही रागनी की आंखे फिसलती हुई उसके लोवर पर आ गई,उफ्फ ये तो फूला हुआ है तो क्या अमन मज़ा ले रहा था,आखिर अमन किस नज़र से देखता है मुझे रागनी उलझती जा रही थी।
आपके कीमती सुझाव कहानी को आगे ले जाने में सहायता करते है।