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Incest बेटा है या.....घोड़(ALL IN ONE)

फीर मचायेगें है की नही?

  • हां

    Votes: 9 81.8%
  • जरुर मचायेगें

    Votes: 8 72.7%
  • स्टोरी कैसी लगी

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    11
  • Poll closed .

Devilkkk

New Member
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भाई काफी ज्यादा रहस्मई कहानी है मुझे स्टोरी काफी ज्यादा रोचक कहानी लगी अपने काजी ज्यादा अछी कहानी लिखी है अपना हीरो दिमाग वाला है बेस्ट ऑफ लक फ़ॉर नेक्स्ट अपडेट
 

Raaz1886

Member
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अपडेट -- 19









पप्पू ने अपना सर उस......आवाज़ की तरफ घुमाया तो देखा....सामने विधायक खड़ा था!

विधायक० के साथ, मुनीम और चार आदमी खड़े थे......जीनके हाथो में दो नली बदूंक थी, और वो बंदूके .....पप्पू के सामने तनी थी!

*ये देख पप्पू ने भी अपनी बंदूक, विधायक की तरफ तान दीया और बोला-

पप्पू - अच्छा हुआ विधायक.....तू ख़ुद 'मरने आ गया....!

"पप्पू की बात सुनकर विधायक के चेहरे पर एक मुस्कान की लहर दौड़ गयी....!

विधायक - दाद....देनी पड़ेगी तेरी.! मेरे साथ चार-चार आदमी अपने हाथ में बंदूक लीये खड़े है! और तू फीर भी....बीना डर के मेरे उपर बंदूक ताने खड़ा है!

"पप्पू ने बंदूक की नोख से अपने सर को खुज़ाते हुए थोड़ा हंसा और फीर बोला-

पप्पू- अबे.....हरामी, मेरी बंदूक की गोली सीर्फ तेरी खोपड़ी के चिथड़े करेगी.....मुझे मेरी जान की परवाह नही है|

"चंद लम्हो में ही विधायक के चेहरे की हंसी गायब हो गयी.....उसने तुरतं अपने आदमीयो को बंदूके नीचे करने के लीये बोल दीया!

मार डाल बेटा इसे..........ये सब तेरे बाप के क़ातील है! छोड़ना मत इसे!

विधायक अपने दोनो हाथ उपर कीये खड़ा था.......उसने पप्पू की आँखो में आँखे डाल कर बोला-

विधायक - तू ......मुझे तो मार सकता है! लेकीन ठाकुर तुझे नही छोड़ेगा|

.....ये सुनकर रज्जो का चेहरा गुस्से से लाल हो गया.....उसने अपनी आँखे घुरते हुए बोली-

रज्जो - तुझे........और ठाकुर को तो मैं अपनी हाथो से मारुगीं......क्यूकीं तुम दोनो ने मेरा सुहाग उजाड़ा है! और मुझे चैन तभी मीलेगा जब मैं तुम दोनो के सीने में गोलीयां दाग दूगीं|

**ये कहते हुए रज्जो ने पप्पू के हाथ से बंदूक ले लीया......और विधायक की ओर तानते हुए वो विधायक की तरफ बढ़ी......रजंजो की आँखो में खून सवार था! वो विधायक के एकदम नज़दीक जा कर अपनी बंदूक विधायक के सीने से सटा दी!


ये देख विधायक थोड़ा मुस्कुराया......पप्पू कुछ समझ नही पाया की ये क्यूं मुस्कुरा रहा है की, तभी..........रज्जो ने बंदूक विधायक के सीने से हटा ली और पप्पू की तरफ मुड़ कर बंदूक पप्पू की तरफ तान दी|

**पप्पू तो.....अवाक् रह गया....वो अपनी मां को देखता ही रह गया! तभी रज्जो अपने चेहरे पर एक कातीलाना हसीं लाते हुए बोली-

रज्जो - ऐसे आँखे फाड़-फाड़ कर क्या देख रहा है? ओ......हो! बेचारे को तक़लीफ हो रही है.....क्यूं, भरोसा नही हो रहा है की तेरी मां तूझ पर बंदूक ताने खड़ी है|

ये कहकर रज्जो......विधायक के कमर में हाथ डाल देती है......और विधायक हसतें हुए रज्जो को जोर से अपनी बांहो में खीच लेता है......!

रज्जो-- आ........ह विधायक जी, थोड़ा आराम से.....मेरी कमर में दर्द होता है......जब भी आप ऐसे खीचते है|

पप्पू तो एकदम से जल-भून गया, ये देखकर|

रज्जो - अब क्या करे विधायक जी इसका?

विधायक रज्जो की गांड पर अपना हाथ फिराते हुए बोला-

विधायक - मरना तो है इसे......लेकीन यंहा नही!
रज्जो - तो फीर कहां?

विधायक - इसके माँ के सामने!

पप्पू को कुछ समझ में नही आ रहा था.....की ये क्या बोल रहा है| जबकी उसकी मां तो विधायक के बांहों में बल खा रही थी!

रज्जो - अभी तक मारा....नही, उस कुतीया को!

ये सुनकर पप्पू अपनी आंखे और बड़ी कर ली....उसे कुछ भी समझ में नही आ रहा था!

पप्पू का चेहरा देखकर ....विधायक ने बोला-

विधायक - अरे......जानेमन क्यूं बेचारे को चकीत कर रही हो......सीधे-सीधे बता दो बेचारे को की हम.....इसके असली मां के बारे में बात कर रहे है|

पप्पू के बदन में एक सुरसुरी सी.....लहर......दौड़ जाती है.....

पप्पू - असली......मां!

विधायक - हां तेरी असली मां.......ये तो मेरी और ठाकुर की रंडी है| तेरा बाप जब तेरी माँ को ब्याह कर लाया था.......तो तेरी मां की खुबसुरती पर हम दोनो......लट्टू हो गये थे! तेरी मां कोई और नही बल्की© कज़री की बड़ी बहन है| कसम उड़ान छल्ले की तेरी मां को देखने के बाद तो ऐसा लग रहा था की, उससे खुबसुरत कोयी औरत ही नही है!

लेकीन ज़ब तेरी मां ने अपनी, छोटी बहन यानी कज़री की शादी तेरे बापू के दोस्त से की ॥ तो हमने कज़री को पहली बार देखा!


**अरे.......विधायक जी, अब ये बेचारा कहानी सुन कर क्या करेगा? ये उपर जा कर कीसे सुनायेगा?

रज्जो ने......विधायक की बात काटते हुए बोल दीया!

विधायक - हां .......सही कहां तूने! लेकीन ईसे एक बात तो तू ज़रुर बता की , तूने ही इसे नामर्द बनाया था.....|

रज्जो - अब क्या करु.......विधायक जी? आप लोग को ही मेरे रंडी पन पर भरोसा नही था! आप सबको लगा की.....ये कही बड़ा हो जाने पर मुझे चोद-चोद कर अपनी रंडी ना बना ले| और मैं सारे राज़ इसे बता दूं!

ये.......सब सुनते-सुनते पप्पू की आंखो में आशूं आ गया!

रज्जो - रो.......ले जीतना रोना है! क्यूकीं.....अब तेरी कहानी खत्म!

पप्पू अपने आंख के आशूं पोछते हुए बोला-

पप्पू- कहानी तो अभी शुरु हुई है! और ये आशूं खुशी की है.......की तू एक रंडी, मेरी मां नही है|

विधायक - तो चल तूझे तेरी मां के दर्शन कराते है.........


******************************


चामुडां.........अपने मठ में बैठा था, अपना लंबा और मोटा लंड लटकाये था| मंदा उसके मोटे लंड को अपने दोनो हाथो से पकड़ कर, उस पर लेप लगा रही थी.........

........तभी एक औरत मठ के अँदर आती है......और बोली- बाबा बाहर एक औरत आयी है, कह रही है की वो ठाकुर की पत्नी है!


चामुडां......ये सुनकर अपने चेहरे पर एक हंसी फैल जाती है , और बोला

चामुडां - शिकार ख़ुद ब ख़ुद ज़ाल में फसने आ गया......जाओ भेज दो उसे|


कुछ देर बाद.......रेनुका मठ के अँदर घुसती है| तब तक चामुडां अपना वस्त ठीक-ठाक कर लेता है.......रेनुका को देखकर चामुडां ने, मंदा को जाने का इशारा कीया! मंदा और वंहा खड़ी औरते चामुडां का इशारा पाते ही.....मठ से बाहर चली जाती है|

चामुडां - आओ.........ठकुराइन। बैठो....

रेनुका चामुडां के कहने पर बैठ जाती है|

चामुडां - ठाकुर से नही हो पाया तो, उसने तुम्हे भेज दीया ......संकीरा के रहस्यो के बारे में जानने के लीये**

रेनुका अपनी साड़ी का पल्लू हल्का सरका देती है, जीससे उसकी चुचीयों का कुछ हीस्सा जो ब्लाउज़ के बाहर नीकले हुए थे......वो चामुडां को दीख सके!

रेनुका - नही बाबा, मेरा यंहा आने का ठाकुर से कोई मतलब नही है| मैं तो यहां अपने खातीर आयी हूं.......क्यूकीं संकीरा का अमृत जल मुझे कीसी भी हाल में चाहीए?


चामुडां ने रेनुका द्वारा गीराया हुआ साड़ी का पल्लू से वो भांप गया था की ये, साली छीनाल है!
चामुडां ने अपनी मजबुत जांघ आगे करके उसपर से , लाल वस्त्र हटा देता है| जीससे उसकी बालो से लदी जांघ पर रेनुका की नज़र पड़ती हे!

चामुडां ने अपने जाघं को जोर से थपथपाते हुए बोला-

चामुडा - आ जाओ......ठकुराइन मेरी जांघ पर बैठ जाओ......फीर बात करते है|

रेनुका तुरतं उठ कर खड़ी हो जाती है.....और जा कर चामुडां के जांघ पर बैठ जाती है|
चामुडां के जाघ पर जैसे ही......ठकुराइन की गरम गांड पड़ती है.....चामुडां के मुह से एक मादक आह नीकल जातीहै|

चामुडां - ठकुराईन......मुझे संकीरा के अमृत जल के लीये, तुम्हारी जैसी गरम औरत की ही जरुरत थी! लेकीन संकीरा का अमृत जल पाना इतना आसान नही है........उसके लीये तुम्हे........बहुत बलीदान करना पड़ेगा|

और ये बोल कर चामुडां, ठकुराईन के कमर पर अपने हाथ के पंजो से सहलाने लगता है|

रेनुका - मैं अमृत चल के लीये कुछ भी.....बलीदान कर सकती हूं!

चामुडां ने धिरे-धिरे अपना हाथ.....रेनुका की गांड पर ले जाकर सहलाने लगा......

चामुडां - ये कोइ ऐसा-वैसा बलीदान नही है, बल्की , इसमें तुम्हे अपने बेटे की बली चढ़ा कर.....मेरे साथ संभोग करना होगा|

चामुडां की ये बात पर.......रेनुका ने कहा-

रेनुका - थोड़ी देर हो गयी बाबा........आज सुबह ही......मैने अपने बड़े बेटे को जान से मार दीया.......पहले पता होता तो बचा कर रखती.......अब तो मेरा एक ही बेटा है! और मैं उससे बहुत प्यार करती हूं!

चामुडां - सोच लो ठकुराईन, एक बार संकीरा का अमृत जल पीने के बाद.......तुम हमेशा के लीये जवान हो जाओगी!

रेनुका अपनी गांड मटकाते हुए चामुडा के करीब आकर ....फीर से उसके जांघ पर बैठते हुए बोली-

रेनुका - कब करना है.......ये सब!

चामुडां जैसे ही......ये सुनता है,वो रेनुका को जोर से अपनी मजबुत बांहो में खीच के भर लेता है.......रेनुका कीसी बच्ची की तरह चामुडां के बांहो में सीमट कर रह गयी!

चामुडां - कल रात को.....

रेनुका - ठीक है.......आपका बली का बकरा और आपकी ये बकरी हाज़ीर रहेगी......और ये कहते हुए वो अपने आपको चामुडां से छुड़ाते हुए बोली......अपनी बेसब्री बचा कर रखीये, जो भी करना है कल कर लीजीयेगा!

चामुडां रेनुका को अपनी बांहो के कैद से आज़ाद कर देता है........और एक ज़हरीली मुस्कान उसके चेहरे पर फैल जाती है!

००००रेनुका चामुडां के मठ से नीकल कर सीधा हवेली आ जाती है०००


रेनुका जैसे ही अपने कमरे के नज़दीक पहुचतीं है.........उसने चंपा को ठाकुर के कमरे के अंदर जाते हुए देखा......वो समझ गयी की जरुर ठाकुर ने चंपा को चोदने के लीये बुलाया है|


चंपा - कहीये.......मालीक क्यूं बुलाया है?

ठाकुर अपने बीस्तरे पर लेटा हुआ था.....उसके बदन पर सीर्फ एक तौलीया था| ठाकुर के सीने पर गुच्छेदार बाल देख कर , चंपा की बुर फड़कने लगी|

ठाकुर - दरवाजा बंद कर दे......और अपनी साड़ी उतार कर आ......जा बीस्तर पर!

ये सुनकर चंपा मस्त हो जाती है.........उसके चेहरे पर एक हसी बीखर जाती है|

॥ चंपा दरवाजा बंद करके .......अपनी साड़ी उतार कर एक दम मादरजात नगी हो जाती है!


ठाकुर ......ने एक सीगरेट जला कर उसका कश लेने के बाद.......चंपा की मदमस्त बदन को नीहारने लगता है|

ठाकुर ने अपने मुह से धुंए को हवे में छोड़ता हुआ.......अपनी तौलीये को नीकाल कर झट से अलग कर देता है|

ठाकुर का 7 इंच का लंड ......हवा में मुडीं उपर कीये......खड़ा था.....जीसे देखकर चंपा से रहा नही गया और वो कुदकर बीस्तर पर चढ़ जाती है............









कहानी जारी रहेगी.........
Nice update bhai
 
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