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कभी सोचा नहीं था ऐसा होगा
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ज़ैनब और अब्बास दोनों रात के भयंकर चुदाई के कारण बहुत थक गए थे तो दोनों घोड़े बेच कर सोते रहे.
सुबह पहले ज़ैनब के आँख खुली, उसकी चूत में रात के चुदाई के कारन अभी भी दर्द हो रहा था. पर उसे पेशाब लगी थी. तो वो उठकर बाथरूम में पेशाब करने चली गयी.
पेशाब करते हुए उसे रात के चुदाई और इसी बाथरूम में इकठे नहाने और चूत चाटने वाली घटना याद आ गयी. अपने बाप के साथ बितायी पिछली रात को यद् करके उसकी चूत फिर से गीली हो गयी.
पेशाब करने के बाद उसने अपनी चूत को पोंछा और नंगी ही बैडरूम में वापिस आ गयी.
उसने देखा की अब्बास अभी भी सो रहा था. वो भी पूरा नंगा था और उसका लण्ड नींद में भी उसे उस्मान से बहुत बड़ा और मोटा लग रहा था. अपने अब्बा के मोटे लण्ड को देख कर वो सोच रही थी- "ये आदमी है की कोई भूत प्रेत है। ऐसे भी कोई चुदाई करता है क्या? एक ही रात में तीन बार। मेरी तो जान निकाल दी। कितने अरमानों में सजी थी की सुहागरात मनाऊँगी। मुझे लगा था की सुहागरात को महसूस करेंगे अब्बास। दुल्हन के कपड़े उतारेंगे और फिर चोदकर साथ में सो जाएंगे। लेकिन इन्होंने तो हद ही कर दी। इनकी भी क्या गलती है भला, जिसे कोई औरत एक रात के लिये मिलेंगी तो क्या करेंगा? अब्बास को लगा है की मैं बस आज की रात के लिए ही उनकी थी, तो रात भर में ही पूरी तरह मुझे पा लेना चाहते थें। और इसी चक्कर में मेरी चूत के चीथड़े उड़ा दिए। लेकिन क्या मस्त लण्ड है, मजा आ गया। भले चूत छिल गई, जिश्म दर्द कर रहा है, लेकिन चुदवाने में मजा आ गया। आहह.... कितना अंदर तक जाता है लण्ड... जब वो धक्का लगा रहे थे तो मेरे तो पेट में चुभ रहा था। और जब वीर्य गिराया चूत में ता लगा की एकदम आग भर दिए हों अंदर गहराई में। तभी तो एक बार चुदवाने के बाद मैं दूसरी बार के लिए भी तैयार थी और दूसरी बार के बाद और दो बार के लिए। अभी सुबह का समय है उस्मान के आने और फिर तलाक लेने में तो थोड़ा टाइम है तो एक और बार चुदवा ही लें क्या? छिल जाएगी चूत तो छिल जाएगी, लेकिन मजा आ जाएगा। नहीं नहीं, अब अगर उन्होंने मुझे चोदा तो मैं मर ही जाऊँगी। और कौन सा वो भागे जा रहे हैं। उन्हें भी यहीं रहना है और मुझे भी। देखा नहीं कितने प्यासे हैं अब्बास। तभी तो रात में पागलों की तरह कर रहे थे। अब चाहे जो भी हो मुझे उनसे चुदवाते रहना है। तभी उन्हें भी सुकून मिलेगा और मुझे भी। मेरी चूत को अब वही लण्ड चाहिए। अब चाहे मेरा मेरे अब्बा अब्बास से तलाक हो भी जाये पर में फिर भी उनसे अपना यह रिश्ता कभी ख़तम नहीं करुँगी. मेरे अब्बा बेचारे बीवी के बिना मुठ मार कर ही गुजारा कर रहे हैं अब तो जो भी हो जाये मैं उन्हें अब कभी भी चूत के लिए तड़पने नहीं दूँगी.
यह सोच कर ही उसके होंठों पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गयी. वो उठ कर किचन में गयी और अपने और अब्बास के लिए चाय बना कर ले आयी. उसने चाय एक साइड में टेबल पर रखी और और अब्बास के ऊपर आकर अपने दोनों हाथों को अब्बास के अगल बगल में रखी और उसपे अपने जिश्म का भार देते हए अब्बास के ऊपर झकने लगी। अपनी लटकती चूचियों को अब्बास के सीने पै सटा दी और रगड़तें हए थोड़ा ऊपर हो गई। अब वो अब्बास के ठीक ऊपर थी और सिर्फ उसकी चूचियों का भार अब्बास के सीने में पड़ रहा था। अब्बास अपने जिस्म का सारा भार अपने हाथों पे रखी थी। (इस स्थिति मैं वो दोने पूरे नंगे थे ).
ज़ैनब अपने अब्बा अब्बास के ऊपर झुक गई और उसके होंठ पे अपने होंठ रखकर चूमकर कहा- "गुड मानिंग अब्बा..." .
अब्बास नींद में था।
अब्बास की नींद खुल गयी. अपने नंगी बेटी को अपने ऊपर इस तरह झुके हुए देख कर और अपने होठों पे ज़ैनब के मुलायम होठों का स्पर्श पाकर उसके भी जिस्म में करेंट दौड़ गया। उसका रोम-रोम सिहर उठा और लण्ड एक झटके में सलामी देने के लिए उठकर खड़ा हो गया। अब अब्बास ज़ैनब को पकड़कर उसे अपनी बाहों में भरकर चूम सकता था, और चोद भी सकता था। ज़ैनब इसके लिए तैयार थी और अब्बास जो भी करता ज़ैनब उसका साथ देती, और वो अब्बास के लिए बोनस ही होता।
ज़ैनब फिर से गुड मॉर्निंग की और बोली- "अब्बाजान उठिए, चाय तैयार है."
ज़ैनब इस उम्मीद में उठने लगी की अब्बास उसे उठने नहीं देगा और अपनी बाहों में भरकर उसके होठों को चूमने चूसने लगेगा और उसके जिस्म पे छा जाएगा। इसीलिए तो वो नंगी ही आई थी ताकी अब्बास उसकी नर्म चूचियों को महसूस कर पाए और उसे कोई रुकावट ना लगे।
लेकिन अब्बास में ऐसा कुछ नहीं किया और अब्बास को उठकर अलग हो जाने दिया। वो भी गुड मार्निंग बोलता हुआ उठ बैठा और तब तक मायूस ज़ैनब उस चाय का कप पकड़ा दी।
उसने ज़ैनबको अपने पास बुलाया तो ज़ैनब उसके गोद में बैठ गईं। ज़ैनब अब्बास के कंधे पे सिर रख दी थी और अब्बास से चिपक गई थी। अब्बास का हाथ ज़ैनब की कमर पे था।
अब्बास ने अब्बास के गर्दन पे किस की और मादक आवाज में बोली- "अब तो आप खुश हैं ना अब्बा, अब तो आपको कोई तकलीफ नहीं है ना?"
अब्बास ज़ैनब के नंगी कमर और पीठ का सहलाता हुआ बोला- " ज़ैनब तुम्हें पाकर कौन खुश नहीं होगा। तुम तो ऊपर बाले की नियामत हो जो मुझे मिली। मैं ऊपर वाले का और तुम्हारा बहुत-बहुत शुकरगुजार हैं."
ज़ैनब अब्बास के जिश्म में और चिपकने की कोशिश करने लगी, और बोली- " मैं तो बहुत डर रही थी की पता नहीं मैं कर पाऊँगी या नहीं ठीक से? मैं आपका साथ तो दे पाई न अब्बा? आपका संतुष्ट कर पाई ना?"
अब्बास भी ज़ैनब को अपने जिश्म पे दबाता हुआ बोला- "तुमनें तो मुझे खुश कर दिया। तुमने बहुत बड़ा काम किया है मेरे लिए। मैं बहुत खुश हैं। आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे हसीन दिन है। लेकिन मैं डर भी रहा हूँ की वक़्त धीरे-धीरे फिसलता जा रहा है। चंद घंटे हैं मेरे पास, फिर तुम मेरी बाहों से गायब हो जाओंगी। फिर तुम मेरे लिए सपना हो जाओगी। फिर आज के बिताए इस हसीन लम्हों को याद करते हुए मुझे बाकी दिन गुजारने होंगे. अभी थोड़ी ही देर में तुम्हारा उस्मान आ जायेगा और मुझे तुम्हे तलाक देना पड़ेगा. और फिर तुम उसकी बीवी हो जाओगी. "
बोलते हये अब्बास ज़ैनब के होठों को चूमने लगा और कस के उसे अपने में चिपकाने लगा, जैसे कोशिश कर रहा हो की उसे खुद में समा लें, कोशिश कर रहा हो की ये लम्हा यहीं रुक जाए।
ज़ैनब अब्बास की तरफ घूमकर उससे चिपक कर बैठी हुई थी। ज़ैनब का पूरा जिस्म अब्बास के जिस्म से सट रहा था। उसकी चूचियां अब्बास के जिस्म में दब रही थी। अब्बास की मुस्कराहट रूक गई थी।
अब्बास अपना चेहरा ऊपर की और अब्बास के चेहरा को अपने हाथों से अपनी तरफ घुमाते हुए उसकी आँखों में देखती हुई बोली- "आप खुश हैं ना अब्बास?"
अब्बास ने अपनी नजरें नीची कर ली।
अब्बास अपने जिश्म को थोड़ा ऊपर उठाई और अपनी चूचियों को अब्बास के बदन से रगड़ती हुई उसके नीचे के होठों को चूमने लगी। सिर्फ उसकी नंगी चूची अब्बास के बदन को टच कर रही थी, लेकिन अब्बास पूरी तरह से ज़ैनब के जिस्म को महसूस कर पा रहा था। अब्बास होठ चूमती रही लेकिन अब्बास ने साथ नहीं दिया। ज़ैनब को लगा की कुछ गड़बड़ है। वो उठकर अब्बास की जांघों पे बैठ गई और फिर से अब्बास से चिपक गई। वो फिर से अब्बास के होठों को चूमी और फिर हँसती हुई शरारत भरे अंदाज ने बोली- "क्या हुआ अब्बा ?"
अब्बास कुछ नहीं बोला। ज़ैनब उसके सीने से लग गई और इमोशनल अंदाज में बोली- "क्या हुआ अब्बा, मुझसे कोई गलती हुई क्या?"
अब्बास ने अब्बास की पीठ पे हाथ रखा और सहलाता हुआ बोला "गलती तुमसे नहीं मुझसे हई है। मैं बहशी बन गया था रात में..."
ज़ैनब अब्बास के जिश्म को सहलाते हुए बोली- "तो क्या हुआ? इस टाइम में तो कुछ भी हो जाता है। और फिर आप तो बहुत दिन से खुद को दबाए बैठे हैं."
अब्बास- "नहीं ज़ैनब, में जानवर बन गया था कल। तुमने मुझपे भरोसा करके, मेरा दर्द समझ कर अपना जिस्म मुझे सौंपा और मैं जानवरों की तरह तुम्हारे जिश्म को चोदता रहा। तुम्हे मेरे जैसे बड़े और लम्बे लण्ड को लेने की आदत नहीं है पर मैं अपने होश खो बैठा था। मुझे माफ कर दो ज़ैनब.."
अब्बास- "मैं तो आपको बोली ही हूँ की जैसे मन करें वैसे करिए। रोकिए मत खुद को। अपने अंदर के दर्द को बह जाने दीजिए। आपके अंदर का गुबार निकलने दीजिए बाहर.".
अब्बास. "ज़ैनब, चाहे मेरा तुमसे हलाला निकाह हुआ है. पर फिर भी तुम मेरी बेटी हो. और एक बाप होने के नाते मेरा यह फर्ज है की अपनी बेटी के दुःख का ध्यान रखूं पर पर मैं सेक्स करते हुए तुम्हारे दर्द का ध्यान नहीं रखा. मुझे बहुत अफ़सोस है. "
ज़ैनब- "ये कैसी बातें कर रहे हैं आप अब्बा? सेक्स करते वक़्त ता काई भी वहशी बन जाता है। और आप तो वर्षों के बाद सेक्स किए हैं। अगर कोई आदमी बहुत भूखा हो और उसके सामने लजीज पकवान थाली में सजाकर पेश किया जाए तो वो क्या करेंगा, बोलिए?" ज़ैनब थोड़ा गुस्से में बोली।
अब्बास कुछ नहीं बोला।
ज़ैनब फिर से उसके सीने से लगती हई बोली- "प्लीज अब्बा, आप इतना मत सोचिए। खुद को बाँधकर मत रखिए अब। जो होता है होने दीजिए। जब मन करें मुझे पाइए। अगर अब भी आप सोचते रहेंगे और दर्द में ही रहेंगे "
अब्बास फिर बोला - "तुम ने मेरे लिए इतना किया, ये बहुत है। तुमने मेरा पूरा साथ दिया। खुद को पूरी तरह समर्पित कर दी मुझे। मैं खुश किश्मत हूँ की तुम जैसी हूर जितनी सुन्दर बेटी का जिस्म पा सका.".
ज़ैनब अब्बास के जिस्म को सहला रही थी।
फिर से अब्बास के जिस्म से चिपक गई। उसकी नंगी चूचियां अब्बास के जिश्म से दब रही थी। वो अब्बास के होंठ चूमने लगी।
ज़ैनब बोली- "मुझे खुशी है की मेरी मेहनत कम आई। मैं आपको पसंद आई और खुद को पूरी तरह आपको साँप पाई। आप खुश हुए संतुष्ट हए यही बड़ी बात है मेरे लिए की मेरा जिश्म किसी के काम आ सका.."
अब्बास बोला- "मैं तो ऊपर वाले का शुकर गुजार हैं की उन्होंने मुझे तुम्हें दिया। लेकिन एक अफसोस है की मेरे पास बस एक ही रात है। अफसोस है की बस इसी एक रात के सहारे मुझे सारी जिंदगी गुजारनी है। तुम फिर से उस्मान के पास चली जाओगी। तुम तो दरिया का वो मीठा पानी हो जिसे इंसान जितना पिता जाए प्यास उतनी बढ़ती जाती है। लेकिन ये भी कम नहीं जो तुमने मुझे दिया..' अब्बास गहरी सांस लेता हुआ ये बात बोला था।
ज़ैनब ने अब्बास की ओर देखा। अब्बास का चेहरा शांत और उदास हो गया था। ज़ैनब उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में पकड़ी और होंठ को चूमते हुए बोली- "आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? आपको को और तरसने की जरूरत नहीं है। आपको उदास रहने की जरुरत नहीं है। आप जब चाहे मुझे पा सकते हैं। मैं आपकी है पूरी तरह। सिर्फ आज की रात के लिए नहीं बल्कि हर रात के लिए..."
अब्बास ऐसे हँसा जैसे किसी बच्चे में उसे कोई चुटकुला सुनकर हँसाने की कोशिश की हो। बोला- "नहीं अब्बास, तुम्हारी आने वाली जिंदगी तुम्हारे होने वाली शोहर उस्मान के लिए हैं. अब मुझे तो बाकि की जिंदगी इस बीत चुकी रात को याद कर कर के और मुठ मार मार कर ही बितानी है. अभी थोड़ी देर में उस्मान आ जाएगा और मुझे तुम्हे तलाक देना पड़ेगा और फिर तुम उस्मान की हो जाओगी. "
ज़ैनब बोली- "हाँ, लेकिन इसका मतलब ये नहीं की आपको तरसने की जरूरत है। आप जब चाहेंगे में आपके लिए हाजिर हैं। अब यह नहीं हो सकता कि आप तरसते ही रहे,अब मेरा एक बार आपके साथ जो रिश्ता बन चूका है उसे न तो मैं भुला सकती हूँ और न ही आप. इसलिए चाहे अल्लाह मुझे दोजख में डाल दे पर अब मेरे तन और मन पर मेरे अब्बू का ही हक़ रहेगा. में चाहे दुनिया के नजरों में उस्मान की बीवी होउंगी पर असल में मेरे दिल पर आप का ही राज रहेगा।
मैं आपके पास आती रहूंगी एक बेटी के तरह और आपको अपने जिस्म का सुख सदा देती रहूंगी. दुनिया की नजरों में मैं आपकी बेटी होउंगी और हमारी दोनों की नजरों में हम मियां बीवी ही रहेंगे और आप जब भी चाहे मेरे साथ शारीरिक सम्बन्ध बना सकते है. मैं अपने प्यारे अब्बा के लिए सदा त्यार रहूंगी. "
अब्बास- “नहीं, उस्मान ने मुझे एक रात के लिए तुम्हें दिया है। मैं उसके साथ गलत नहीं करना चाहता.."
ज़ैनब- "वो मेरा काम है। लेकिन आपको तड़पने तरसने की जरूरत नहीं है। मैं आपको अपने जिश्म पै पूरा अधिकार दे चुकी हूँ। आप जब चाहे मुझं पा सकते हैं..."
अब्बास फिर हल्का सा मुस्करा दिया, और बोला- "अच्छा। मेरे लिए इतना सब करोगी..."
ज़ैनब : " हाँ अब्बा। अब हम दोनों का रिश्ता मौत तक का है. जिंदगी के लिए समझ लीजिये कि मैं आपकी बीवी हूँ और मेरे शरीर पर आप का पूरा हक़ है. मुझे दुःख है तो सिर्फ इस बात का कि में अपने शरीर का सुख आपको शादी से पहले न दे पायी. आप मुझे पाना चाहते थे और में भी त्यार थी पर शायद अल्लाह को उस समय यह मंजूर नहीं था. वरना मेरी सील तोड़ने का मौका मैं तो आप को ही देना चाहती थी. पर वो सील उस्मान की किस्मत मैं लिखी थी."
अब्बास उसे बाँहों में भर कर बोला
" ज़ैनब ! यह ठीक है कि मैं तुम्हरी चूत की सील नहीं तोड़ पाया. पर औरत के शरीर में पीछे भी एक छेद होता है, यानि गांड का छेड़. क्या उसकी सील भी उस्मान ने तोड़ दी है या गांड में तुम अभी भी कुंवारी ही हो,"
यह सुन ज़ैनब तो शर्म से लाल ही हो गयी। वो समझ गयी की उसके अब्बा का मन अब उसकी गांड पर आ गया है और वो उसकी गांड मारना चाहते है.
वो शरमाते हुए बोली
"अब्बू आप कैसी बातें कर रहे है. उस्मान ने तो मेरे पीछे वाले छेद पर कभी ऊँगली भी नहीं रखी। पीछे के तरफ से तो मैं कुंवारी ही हूँ. मैं अब आप को अपनी आगे वाले छेद (वो अभी भी अपने अब्बा से चूत शब्द बोलने में शर्मा रही थी) की तो सील तोड़ने का मौका नहीं दे सकती पर आप चाहें तो आप मेरे पीछे वाले छेद की सील तोड़ सकते हैं और अपनी बेटी की पीछे वाली चुदाई के पहले मालिक हो सकते है. मैं जानती हूँ की आपका यह (अपने अब्बा के लण्ड को हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए ) हथियार मेरे लिए बहुत बड़ा और मोटा है पर आप मेरे गांड मार लीजिये। देखा जायेगा पर आज तो मैं आपके इस अरमान को पूरा कर कर ही रहूंगी, "
लाजबाब अपडेट ,,,,
ज़ैनब और अब्बास दोनों रात के भयंकर चुदाई के कारण बहुत थक गए थे तो दोनों घोड़े बेच कर सोते रहे.
सुबह पहले ज़ैनब के आँख खुली, उसकी चूत में रात के चुदाई के कारन अभी भी दर्द हो रहा था. पर उसे पेशाब लगी थी. तो वो उठकर बाथरूम में पेशाब करने चली गयी.
पेशाब करते हुए उसे रात के चुदाई और इसी बाथरूम में इकठे नहाने और चूत चाटने वाली घटना याद आ गयी. अपने बाप के साथ बितायी पिछली रात को यद् करके उसकी चूत फिर से गीली हो गयी.
पेशाब करने के बाद उसने अपनी चूत को पोंछा और नंगी ही बैडरूम में वापिस आ गयी.
उसने देखा की अब्बास अभी भी सो रहा था. वो भी पूरा नंगा था और उसका लण्ड नींद में भी उसे उस्मान से बहुत बड़ा और मोटा लग रहा था. अपने अब्बा के मोटे लण्ड को देख कर वो सोच रही थी- "ये आदमी है की कोई भूत प्रेत है। ऐसे भी कोई चुदाई करता है क्या? एक ही रात में तीन बार। मेरी तो जान निकाल दी। कितने अरमानों में सजी थी की सुहागरात मनाऊँगी। मुझे लगा था की सुहागरात को महसूस करेंगे अब्बास। दुल्हन के कपड़े उतारेंगे और फिर चोदकर साथ में सो जाएंगे। लेकिन इन्होंने तो हद ही कर दी। इनकी भी क्या गलती है भला, जिसे कोई औरत एक रात के लिये मिलेंगी तो क्या करेंगा? अब्बास को लगा है की मैं बस आज की रात के लिए ही उनकी थी, तो रात भर में ही पूरी तरह मुझे पा लेना चाहते थें। और इसी चक्कर में मेरी चूत के चीथड़े उड़ा दिए। लेकिन क्या मस्त लण्ड है, मजा आ गया। भले चूत छिल गई, जिश्म दर्द कर रहा है, लेकिन चुदवाने में मजा आ गया। आहह.... कितना अंदर तक जाता है लण्ड... जब वो धक्का लगा रहे थे तो मेरे तो पेट में चुभ रहा था। और जब वीर्य गिराया चूत में ता लगा की एकदम आग भर दिए हों अंदर गहराई में। तभी तो एक बार चुदवाने के बाद मैं दूसरी बार के लिए भी तैयार थी और दूसरी बार के बाद और दो बार के लिए। अभी सुबह का समय है उस्मान के आने और फिर तलाक लेने में तो थोड़ा टाइम है तो एक और बार चुदवा ही लें क्या? छिल जाएगी चूत तो छिल जाएगी, लेकिन मजा आ जाएगा। नहीं नहीं, अब अगर उन्होंने मुझे चोदा तो मैं मर ही जाऊँगी। और कौन सा वो भागे जा रहे हैं। उन्हें भी यहीं रहना है और मुझे भी। देखा नहीं कितने प्यासे हैं अब्बास। तभी तो रात में पागलों की तरह कर रहे थे। अब चाहे जो भी हो मुझे उनसे चुदवाते रहना है। तभी उन्हें भी सुकून मिलेगा और मुझे भी। मेरी चूत को अब वही लण्ड चाहिए। अब चाहे मेरा मेरे अब्बा अब्बास से तलाक हो भी जाये पर में फिर भी उनसे अपना यह रिश्ता कभी ख़तम नहीं करुँगी. मेरे अब्बा बेचारे बीवी के बिना मुठ मार कर ही गुजारा कर रहे हैं अब तो जो भी हो जाये मैं उन्हें अब कभी भी चूत के लिए तड़पने नहीं दूँगी.
यह सोच कर ही उसके होंठों पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गयी. वो उठ कर किचन में गयी और अपने और अब्बास के लिए चाय बना कर ले आयी. उसने चाय एक साइड में टेबल पर रखी और और अब्बास के ऊपर आकर अपने दोनों हाथों को अब्बास के अगल बगल में रखी और उसपे अपने जिश्म का भार देते हए अब्बास के ऊपर झकने लगी। अपनी लटकती चूचियों को अब्बास के सीने पै सटा दी और रगड़तें हए थोड़ा ऊपर हो गई। अब वो अब्बास के ठीक ऊपर थी और सिर्फ उसकी चूचियों का भार अब्बास के सीने में पड़ रहा था। अब्बास अपने जिस्म का सारा भार अपने हाथों पे रखी थी। (इस स्थिति मैं वो दोने पूरे नंगे थे ).
ज़ैनब अपने अब्बा अब्बास के ऊपर झुक गई और उसके होंठ पे अपने होंठ रखकर चूमकर कहा- "गुड मानिंग अब्बा..." .
अब्बास नींद में था।
अब्बास की नींद खुल गयी. अपने नंगी बेटी को अपने ऊपर इस तरह झुके हुए देख कर और अपने होठों पे ज़ैनब के मुलायम होठों का स्पर्श पाकर उसके भी जिस्म में करेंट दौड़ गया। उसका रोम-रोम सिहर उठा और लण्ड एक झटके में सलामी देने के लिए उठकर खड़ा हो गया। अब अब्बास ज़ैनब को पकड़कर उसे अपनी बाहों में भरकर चूम सकता था, और चोद भी सकता था। ज़ैनब इसके लिए तैयार थी और अब्बास जो भी करता ज़ैनब उसका साथ देती, और वो अब्बास के लिए बोनस ही होता।
ज़ैनब फिर से गुड मॉर्निंग की और बोली- "अब्बाजान उठिए, चाय तैयार है."
ज़ैनब इस उम्मीद में उठने लगी की अब्बास उसे उठने नहीं देगा और अपनी बाहों में भरकर उसके होठों को चूमने चूसने लगेगा और उसके जिस्म पे छा जाएगा। इसीलिए तो वो नंगी ही आई थी ताकी अब्बास उसकी नर्म चूचियों को महसूस कर पाए और उसे कोई रुकावट ना लगे।
लेकिन अब्बास में ऐसा कुछ नहीं किया और अब्बास को उठकर अलग हो जाने दिया। वो भी गुड मार्निंग बोलता हुआ उठ बैठा और तब तक मायूस ज़ैनब उस चाय का कप पकड़ा दी।
उसने ज़ैनबको अपने पास बुलाया तो ज़ैनब उसके गोद में बैठ गईं। ज़ैनब अब्बास के कंधे पे सिर रख दी थी और अब्बास से चिपक गई थी। अब्बास का हाथ ज़ैनब की कमर पे था।
अब्बास ने अब्बास के गर्दन पे किस की और मादक आवाज में बोली- "अब तो आप खुश हैं ना अब्बा, अब तो आपको कोई तकलीफ नहीं है ना?"
अब्बास ज़ैनब के नंगी कमर और पीठ का सहलाता हुआ बोला- " ज़ैनब तुम्हें पाकर कौन खुश नहीं होगा। तुम तो ऊपर बाले की नियामत हो जो मुझे मिली। मैं ऊपर वाले का और तुम्हारा बहुत-बहुत शुकरगुजार हैं."
ज़ैनब अब्बास के जिश्म में और चिपकने की कोशिश करने लगी, और बोली- " मैं तो बहुत डर रही थी की पता नहीं मैं कर पाऊँगी या नहीं ठीक से? मैं आपका साथ तो दे पाई न अब्बा? आपका संतुष्ट कर पाई ना?"
अब्बास भी ज़ैनब को अपने जिश्म पे दबाता हुआ बोला- "तुमनें तो मुझे खुश कर दिया। तुमने बहुत बड़ा काम किया है मेरे लिए। मैं बहुत खुश हैं। आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे हसीन दिन है। लेकिन मैं डर भी रहा हूँ की वक़्त धीरे-धीरे फिसलता जा रहा है। चंद घंटे हैं मेरे पास, फिर तुम मेरी बाहों से गायब हो जाओंगी। फिर तुम मेरे लिए सपना हो जाओगी। फिर आज के बिताए इस हसीन लम्हों को याद करते हुए मुझे बाकी दिन गुजारने होंगे. अभी थोड़ी ही देर में तुम्हारा उस्मान आ जायेगा और मुझे तुम्हे तलाक देना पड़ेगा. और फिर तुम उसकी बीवी हो जाओगी. "
बोलते हये अब्बास ज़ैनब के होठों को चूमने लगा और कस के उसे अपने में चिपकाने लगा, जैसे कोशिश कर रहा हो की उसे खुद में समा लें, कोशिश कर रहा हो की ये लम्हा यहीं रुक जाए।
ज़ैनब अब्बास की तरफ घूमकर उससे चिपक कर बैठी हुई थी। ज़ैनब का पूरा जिस्म अब्बास के जिस्म से सट रहा था। उसकी चूचियां अब्बास के जिस्म में दब रही थी। अब्बास की मुस्कराहट रूक गई थी।
अब्बास अपना चेहरा ऊपर की और अब्बास के चेहरा को अपने हाथों से अपनी तरफ घुमाते हुए उसकी आँखों में देखती हुई बोली- "आप खुश हैं ना अब्बास?"
अब्बास ने अपनी नजरें नीची कर ली।
अब्बास अपने जिश्म को थोड़ा ऊपर उठाई और अपनी चूचियों को अब्बास के बदन से रगड़ती हुई उसके नीचे के होठों को चूमने लगी। सिर्फ उसकी नंगी चूची अब्बास के बदन को टच कर रही थी, लेकिन अब्बास पूरी तरह से ज़ैनब के जिस्म को महसूस कर पा रहा था। अब्बास होठ चूमती रही लेकिन अब्बास ने साथ नहीं दिया। ज़ैनब को लगा की कुछ गड़बड़ है। वो उठकर अब्बास की जांघों पे बैठ गई और फिर से अब्बास से चिपक गई। वो फिर से अब्बास के होठों को चूमी और फिर हँसती हुई शरारत भरे अंदाज ने बोली- "क्या हुआ अब्बा ?"
अब्बास कुछ नहीं बोला। ज़ैनब उसके सीने से लग गई और इमोशनल अंदाज में बोली- "क्या हुआ अब्बा, मुझसे कोई गलती हुई क्या?"
अब्बास ने अब्बास की पीठ पे हाथ रखा और सहलाता हुआ बोला "गलती तुमसे नहीं मुझसे हई है। मैं बहशी बन गया था रात में..."
ज़ैनब अब्बास के जिश्म को सहलाते हुए बोली- "तो क्या हुआ? इस टाइम में तो कुछ भी हो जाता है। और फिर आप तो बहुत दिन से खुद को दबाए बैठे हैं."
अब्बास- "नहीं ज़ैनब, में जानवर बन गया था कल। तुमने मुझपे भरोसा करके, मेरा दर्द समझ कर अपना जिस्म मुझे सौंपा और मैं जानवरों की तरह तुम्हारे जिश्म को चोदता रहा। तुम्हे मेरे जैसे बड़े और लम्बे लण्ड को लेने की आदत नहीं है पर मैं अपने होश खो बैठा था। मुझे माफ कर दो ज़ैनब.."
अब्बास- "मैं तो आपको बोली ही हूँ की जैसे मन करें वैसे करिए। रोकिए मत खुद को। अपने अंदर के दर्द को बह जाने दीजिए। आपके अंदर का गुबार निकलने दीजिए बाहर.".
अब्बास. "ज़ैनब, चाहे मेरा तुमसे हलाला निकाह हुआ है. पर फिर भी तुम मेरी बेटी हो. और एक बाप होने के नाते मेरा यह फर्ज है की अपनी बेटी के दुःख का ध्यान रखूं पर पर मैं सेक्स करते हुए तुम्हारे दर्द का ध्यान नहीं रखा. मुझे बहुत अफ़सोस है. "
ज़ैनब- "ये कैसी बातें कर रहे हैं आप अब्बा? सेक्स करते वक़्त ता काई भी वहशी बन जाता है। और आप तो वर्षों के बाद सेक्स किए हैं। अगर कोई आदमी बहुत भूखा हो और उसके सामने लजीज पकवान थाली में सजाकर पेश किया जाए तो वो क्या करेंगा, बोलिए?" ज़ैनब थोड़ा गुस्से में बोली।
अब्बास कुछ नहीं बोला।
ज़ैनब फिर से उसके सीने से लगती हई बोली- "प्लीज अब्बा, आप इतना मत सोचिए। खुद को बाँधकर मत रखिए अब। जो होता है होने दीजिए। जब मन करें मुझे पाइए। अगर अब भी आप सोचते रहेंगे और दर्द में ही रहेंगे "
अब्बास फिर बोला - "तुम ने मेरे लिए इतना किया, ये बहुत है। तुमने मेरा पूरा साथ दिया। खुद को पूरी तरह समर्पित कर दी मुझे। मैं खुश किश्मत हूँ की तुम जैसी हूर जितनी सुन्दर बेटी का जिस्म पा सका.".
ज़ैनब अब्बास के जिस्म को सहला रही थी।
फिर से अब्बास के जिस्म से चिपक गई। उसकी नंगी चूचियां अब्बास के जिश्म से दब रही थी। वो अब्बास के होंठ चूमने लगी।
ज़ैनब बोली- "मुझे खुशी है की मेरी मेहनत कम आई। मैं आपको पसंद आई और खुद को पूरी तरह आपको साँप पाई। आप खुश हुए संतुष्ट हए यही बड़ी बात है मेरे लिए की मेरा जिश्म किसी के काम आ सका.."
अब्बास बोला- "मैं तो ऊपर वाले का शुकर गुजार हैं की उन्होंने मुझे तुम्हें दिया। लेकिन एक अफसोस है की मेरे पास बस एक ही रात है। अफसोस है की बस इसी एक रात के सहारे मुझे सारी जिंदगी गुजारनी है। तुम फिर से उस्मान के पास चली जाओगी। तुम तो दरिया का वो मीठा पानी हो जिसे इंसान जितना पिता जाए प्यास उतनी बढ़ती जाती है। लेकिन ये भी कम नहीं जो तुमने मुझे दिया..' अब्बास गहरी सांस लेता हुआ ये बात बोला था।
ज़ैनब ने अब्बास की ओर देखा। अब्बास का चेहरा शांत और उदास हो गया था। ज़ैनब उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में पकड़ी और होंठ को चूमते हुए बोली- "आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? आपको को और तरसने की जरूरत नहीं है। आपको उदास रहने की जरुरत नहीं है। आप जब चाहे मुझे पा सकते हैं। मैं आपकी है पूरी तरह। सिर्फ आज की रात के लिए नहीं बल्कि हर रात के लिए..."
अब्बास ऐसे हँसा जैसे किसी बच्चे में उसे कोई चुटकुला सुनकर हँसाने की कोशिश की हो। बोला- "नहीं अब्बास, तुम्हारी आने वाली जिंदगी तुम्हारे होने वाली शोहर उस्मान के लिए हैं. अब मुझे तो बाकि की जिंदगी इस बीत चुकी रात को याद कर कर के और मुठ मार मार कर ही बितानी है. अभी थोड़ी देर में उस्मान आ जाएगा और मुझे तुम्हे तलाक देना पड़ेगा और फिर तुम उस्मान की हो जाओगी. "
ज़ैनब बोली- "हाँ, लेकिन इसका मतलब ये नहीं की आपको तरसने की जरूरत है। आप जब चाहेंगे में आपके लिए हाजिर हैं। अब यह नहीं हो सकता कि आप तरसते ही रहे,अब मेरा एक बार आपके साथ जो रिश्ता बन चूका है उसे न तो मैं भुला सकती हूँ और न ही आप. इसलिए चाहे अल्लाह मुझे दोजख में डाल दे पर अब मेरे तन और मन पर मेरे अब्बू का ही हक़ रहेगा. में चाहे दुनिया के नजरों में उस्मान की बीवी होउंगी पर असल में मेरे दिल पर आप का ही राज रहेगा।
मैं आपके पास आती रहूंगी एक बेटी के तरह और आपको अपने जिस्म का सुख सदा देती रहूंगी. दुनिया की नजरों में मैं आपकी बेटी होउंगी और हमारी दोनों की नजरों में हम मियां बीवी ही रहेंगे और आप जब भी चाहे मेरे साथ शारीरिक सम्बन्ध बना सकते है. मैं अपने प्यारे अब्बा के लिए सदा त्यार रहूंगी. "
अब्बास- “नहीं, उस्मान ने मुझे एक रात के लिए तुम्हें दिया है। मैं उसके साथ गलत नहीं करना चाहता.."
ज़ैनब- "वो मेरा काम है। लेकिन आपको तड़पने तरसने की जरूरत नहीं है। मैं आपको अपने जिश्म पै पूरा अधिकार दे चुकी हूँ। आप जब चाहे मुझं पा सकते हैं..."
अब्बास फिर हल्का सा मुस्करा दिया, और बोला- "अच्छा। मेरे लिए इतना सब करोगी..."
ज़ैनब : " हाँ अब्बा। अब हम दोनों का रिश्ता मौत तक का है. जिंदगी के लिए समझ लीजिये कि मैं आपकी बीवी हूँ और मेरे शरीर पर आप का पूरा हक़ है. मुझे दुःख है तो सिर्फ इस बात का कि में अपने शरीर का सुख आपको शादी से पहले न दे पायी. आप मुझे पाना चाहते थे और में भी त्यार थी पर शायद अल्लाह को उस समय यह मंजूर नहीं था. वरना मेरी सील तोड़ने का मौका मैं तो आप को ही देना चाहती थी. पर वो सील उस्मान की किस्मत मैं लिखी थी."
अब्बास उसे बाँहों में भर कर बोला
" ज़ैनब ! यह ठीक है कि मैं तुम्हरी चूत की सील नहीं तोड़ पाया. पर औरत के शरीर में पीछे भी एक छेद होता है, यानि गांड का छेड़. क्या उसकी सील भी उस्मान ने तोड़ दी है या गांड में तुम अभी भी कुंवारी ही हो,"
यह सुन ज़ैनब तो शर्म से लाल ही हो गयी। वो समझ गयी की उसके अब्बा का मन अब उसकी गांड पर आ गया है और वो उसकी गांड मारना चाहते है.
वो शरमाते हुए बोली
"अब्बू आप कैसी बातें कर रहे है. उस्मान ने तो मेरे पीछे वाले छेद पर कभी ऊँगली भी नहीं रखी। पीछे के तरफ से तो मैं कुंवारी ही हूँ. मैं अब आप को अपनी आगे वाले छेद (वो अभी भी अपने अब्बा से चूत शब्द बोलने में शर्मा रही थी) की तो सील तोड़ने का मौका नहीं दे सकती पर आप चाहें तो आप मेरे पीछे वाले छेद की सील तोड़ सकते हैं और अपनी बेटी की पीछे वाली चुदाई के पहले मालिक हो सकते है. मैं जानती हूँ की आपका यह (अपने अब्बा के लण्ड को हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए ) हथियार मेरे लिए बहुत बड़ा और मोटा है पर आप मेरे गांड मार लीजिये। देखा जायेगा पर आज तो मैं आपके इस अरमान को पूरा कर कर ही रहूंगी, "
Hotज़ैनब और अब्बास दोनों रात के भयंकर चुदाई के कारण बहुत थक गए थे तो दोनों घोड़े बेच कर सोते रहे.
सुबह पहले ज़ैनब के आँख खुली, उसकी चूत में रात के चुदाई के कारन अभी भी दर्द हो रहा था. पर उसे पेशाब लगी थी. तो वो उठकर बाथरूम में पेशाब करने चली गयी.
पेशाब करते हुए उसे रात के चुदाई और इसी बाथरूम में इकठे नहाने और चूत चाटने वाली घटना याद आ गयी. अपने बाप के साथ बितायी पिछली रात को यद् करके उसकी चूत फिर से गीली हो गयी.
पेशाब करने के बाद उसने अपनी चूत को पोंछा और नंगी ही बैडरूम में वापिस आ गयी.
उसने देखा की अब्बास अभी भी सो रहा था. वो भी पूरा नंगा था और उसका लण्ड नींद में भी उसे उस्मान से बहुत बड़ा और मोटा लग रहा था. अपने अब्बा के मोटे लण्ड को देख कर वो सोच रही थी- "ये आदमी है की कोई भूत प्रेत है। ऐसे भी कोई चुदाई करता है क्या? एक ही रात में तीन बार। मेरी तो जान निकाल दी। कितने अरमानों में सजी थी की सुहागरात मनाऊँगी। मुझे लगा था की सुहागरात को महसूस करेंगे अब्बास। दुल्हन के कपड़े उतारेंगे और फिर चोदकर साथ में सो जाएंगे। लेकिन इन्होंने तो हद ही कर दी। इनकी भी क्या गलती है भला, जिसे कोई औरत एक रात के लिये मिलेंगी तो क्या करेंगा? अब्बास को लगा है की मैं बस आज की रात के लिए ही उनकी थी, तो रात भर में ही पूरी तरह मुझे पा लेना चाहते थें। और इसी चक्कर में मेरी चूत के चीथड़े उड़ा दिए। लेकिन क्या मस्त लण्ड है, मजा आ गया। भले चूत छिल गई, जिश्म दर्द कर रहा है, लेकिन चुदवाने में मजा आ गया। आहह.... कितना अंदर तक जाता है लण्ड... जब वो धक्का लगा रहे थे तो मेरे तो पेट में चुभ रहा था। और जब वीर्य गिराया चूत में ता लगा की एकदम आग भर दिए हों अंदर गहराई में। तभी तो एक बार चुदवाने के बाद मैं दूसरी बार के लिए भी तैयार थी और दूसरी बार के बाद और दो बार के लिए। अभी सुबह का समय है उस्मान के आने और फिर तलाक लेने में तो थोड़ा टाइम है तो एक और बार चुदवा ही लें क्या? छिल जाएगी चूत तो छिल जाएगी, लेकिन मजा आ जाएगा। नहीं नहीं, अब अगर उन्होंने मुझे चोदा तो मैं मर ही जाऊँगी। और कौन सा वो भागे जा रहे हैं। उन्हें भी यहीं रहना है और मुझे भी। देखा नहीं कितने प्यासे हैं अब्बास। तभी तो रात में पागलों की तरह कर रहे थे। अब चाहे जो भी हो मुझे उनसे चुदवाते रहना है। तभी उन्हें भी सुकून मिलेगा और मुझे भी। मेरी चूत को अब वही लण्ड चाहिए। अब चाहे मेरा मेरे अब्बा अब्बास से तलाक हो भी जाये पर में फिर भी उनसे अपना यह रिश्ता कभी ख़तम नहीं करुँगी. मेरे अब्बा बेचारे बीवी के बिना मुठ मार कर ही गुजारा कर रहे हैं अब तो जो भी हो जाये मैं उन्हें अब कभी भी चूत के लिए तड़पने नहीं दूँगी.
यह सोच कर ही उसके होंठों पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गयी. वो उठ कर किचन में गयी और अपने और अब्बास के लिए चाय बना कर ले आयी. उसने चाय एक साइड में टेबल पर रखी और और अब्बास के ऊपर आकर अपने दोनों हाथों को अब्बास के अगल बगल में रखी और उसपे अपने जिश्म का भार देते हए अब्बास के ऊपर झकने लगी। अपनी लटकती चूचियों को अब्बास के सीने पै सटा दी और रगड़तें हए थोड़ा ऊपर हो गई। अब वो अब्बास के ठीक ऊपर थी और सिर्फ उसकी चूचियों का भार अब्बास के सीने में पड़ रहा था। अब्बास अपने जिस्म का सारा भार अपने हाथों पे रखी थी। (इस स्थिति मैं वो दोने पूरे नंगे थे ).
ज़ैनब अपने अब्बा अब्बास के ऊपर झुक गई और उसके होंठ पे अपने होंठ रखकर चूमकर कहा- "गुड मानिंग अब्बा..." .
अब्बास नींद में था।
अब्बास की नींद खुल गयी. अपने नंगी बेटी को अपने ऊपर इस तरह झुके हुए देख कर और अपने होठों पे ज़ैनब के मुलायम होठों का स्पर्श पाकर उसके भी जिस्म में करेंट दौड़ गया। उसका रोम-रोम सिहर उठा और लण्ड एक झटके में सलामी देने के लिए उठकर खड़ा हो गया। अब अब्बास ज़ैनब को पकड़कर उसे अपनी बाहों में भरकर चूम सकता था, और चोद भी सकता था। ज़ैनब इसके लिए तैयार थी और अब्बास जो भी करता ज़ैनब उसका साथ देती, और वो अब्बास के लिए बोनस ही होता।
ज़ैनब फिर से गुड मॉर्निंग की और बोली- "अब्बाजान उठिए, चाय तैयार है."
ज़ैनब इस उम्मीद में उठने लगी की अब्बास उसे उठने नहीं देगा और अपनी बाहों में भरकर उसके होठों को चूमने चूसने लगेगा और उसके जिस्म पे छा जाएगा। इसीलिए तो वो नंगी ही आई थी ताकी अब्बास उसकी नर्म चूचियों को महसूस कर पाए और उसे कोई रुकावट ना लगे।
लेकिन अब्बास में ऐसा कुछ नहीं किया और अब्बास को उठकर अलग हो जाने दिया। वो भी गुड मार्निंग बोलता हुआ उठ बैठा और तब तक मायूस ज़ैनब उस चाय का कप पकड़ा दी।
उसने ज़ैनबको अपने पास बुलाया तो ज़ैनब उसके गोद में बैठ गईं। ज़ैनब अब्बास के कंधे पे सिर रख दी थी और अब्बास से चिपक गई थी। अब्बास का हाथ ज़ैनब की कमर पे था।
अब्बास ने अब्बास के गर्दन पे किस की और मादक आवाज में बोली- "अब तो आप खुश हैं ना अब्बा, अब तो आपको कोई तकलीफ नहीं है ना?"
अब्बास ज़ैनब के नंगी कमर और पीठ का सहलाता हुआ बोला- " ज़ैनब तुम्हें पाकर कौन खुश नहीं होगा। तुम तो ऊपर बाले की नियामत हो जो मुझे मिली। मैं ऊपर वाले का और तुम्हारा बहुत-बहुत शुकरगुजार हैं."
ज़ैनब अब्बास के जिश्म में और चिपकने की कोशिश करने लगी, और बोली- " मैं तो बहुत डर रही थी की पता नहीं मैं कर पाऊँगी या नहीं ठीक से? मैं आपका साथ तो दे पाई न अब्बा? आपका संतुष्ट कर पाई ना?"
अब्बास भी ज़ैनब को अपने जिश्म पे दबाता हुआ बोला- "तुमनें तो मुझे खुश कर दिया। तुमने बहुत बड़ा काम किया है मेरे लिए। मैं बहुत खुश हैं। आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे हसीन दिन है। लेकिन मैं डर भी रहा हूँ की वक़्त धीरे-धीरे फिसलता जा रहा है। चंद घंटे हैं मेरे पास, फिर तुम मेरी बाहों से गायब हो जाओंगी। फिर तुम मेरे लिए सपना हो जाओगी। फिर आज के बिताए इस हसीन लम्हों को याद करते हुए मुझे बाकी दिन गुजारने होंगे. अभी थोड़ी ही देर में तुम्हारा उस्मान आ जायेगा और मुझे तुम्हे तलाक देना पड़ेगा. और फिर तुम उसकी बीवी हो जाओगी. "
बोलते हये अब्बास ज़ैनब के होठों को चूमने लगा और कस के उसे अपने में चिपकाने लगा, जैसे कोशिश कर रहा हो की उसे खुद में समा लें, कोशिश कर रहा हो की ये लम्हा यहीं रुक जाए।
ज़ैनब अब्बास की तरफ घूमकर उससे चिपक कर बैठी हुई थी। ज़ैनब का पूरा जिस्म अब्बास के जिस्म से सट रहा था। उसकी चूचियां अब्बास के जिस्म में दब रही थी। अब्बास की मुस्कराहट रूक गई थी।
अब्बास अपना चेहरा ऊपर की और अब्बास के चेहरा को अपने हाथों से अपनी तरफ घुमाते हुए उसकी आँखों में देखती हुई बोली- "आप खुश हैं ना अब्बास?"
अब्बास ने अपनी नजरें नीची कर ली।
अब्बास अपने जिश्म को थोड़ा ऊपर उठाई और अपनी चूचियों को अब्बास के बदन से रगड़ती हुई उसके नीचे के होठों को चूमने लगी। सिर्फ उसकी नंगी चूची अब्बास के बदन को टच कर रही थी, लेकिन अब्बास पूरी तरह से ज़ैनब के जिस्म को महसूस कर पा रहा था। अब्बास होठ चूमती रही लेकिन अब्बास ने साथ नहीं दिया। ज़ैनब को लगा की कुछ गड़बड़ है। वो उठकर अब्बास की जांघों पे बैठ गई और फिर से अब्बास से चिपक गई। वो फिर से अब्बास के होठों को चूमी और फिर हँसती हुई शरारत भरे अंदाज ने बोली- "क्या हुआ अब्बा ?"
अब्बास कुछ नहीं बोला। ज़ैनब उसके सीने से लग गई और इमोशनल अंदाज में बोली- "क्या हुआ अब्बा, मुझसे कोई गलती हुई क्या?"
अब्बास ने अब्बास की पीठ पे हाथ रखा और सहलाता हुआ बोला "गलती तुमसे नहीं मुझसे हई है। मैं बहशी बन गया था रात में..."
ज़ैनब अब्बास के जिश्म को सहलाते हुए बोली- "तो क्या हुआ? इस टाइम में तो कुछ भी हो जाता है। और फिर आप तो बहुत दिन से खुद को दबाए बैठे हैं."
अब्बास- "नहीं ज़ैनब, में जानवर बन गया था कल। तुमने मुझपे भरोसा करके, मेरा दर्द समझ कर अपना जिस्म मुझे सौंपा और मैं जानवरों की तरह तुम्हारे जिश्म को चोदता रहा। तुम्हे मेरे जैसे बड़े और लम्बे लण्ड को लेने की आदत नहीं है पर मैं अपने होश खो बैठा था। मुझे माफ कर दो ज़ैनब.."
अब्बास- "मैं तो आपको बोली ही हूँ की जैसे मन करें वैसे करिए। रोकिए मत खुद को। अपने अंदर के दर्द को बह जाने दीजिए। आपके अंदर का गुबार निकलने दीजिए बाहर.".
अब्बास. "ज़ैनब, चाहे मेरा तुमसे हलाला निकाह हुआ है. पर फिर भी तुम मेरी बेटी हो. और एक बाप होने के नाते मेरा यह फर्ज है की अपनी बेटी के दुःख का ध्यान रखूं पर पर मैं सेक्स करते हुए तुम्हारे दर्द का ध्यान नहीं रखा. मुझे बहुत अफ़सोस है. "
ज़ैनब- "ये कैसी बातें कर रहे हैं आप अब्बा? सेक्स करते वक़्त ता काई भी वहशी बन जाता है। और आप तो वर्षों के बाद सेक्स किए हैं। अगर कोई आदमी बहुत भूखा हो और उसके सामने लजीज पकवान थाली में सजाकर पेश किया जाए तो वो क्या करेंगा, बोलिए?" ज़ैनब थोड़ा गुस्से में बोली।
अब्बास कुछ नहीं बोला।
ज़ैनब फिर से उसके सीने से लगती हई बोली- "प्लीज अब्बा, आप इतना मत सोचिए। खुद को बाँधकर मत रखिए अब। जो होता है होने दीजिए। जब मन करें मुझे पाइए। अगर अब भी आप सोचते रहेंगे और दर्द में ही रहेंगे "
अब्बास फिर बोला - "तुम ने मेरे लिए इतना किया, ये बहुत है। तुमने मेरा पूरा साथ दिया। खुद को पूरी तरह समर्पित कर दी मुझे। मैं खुश किश्मत हूँ की तुम जैसी हूर जितनी सुन्दर बेटी का जिस्म पा सका.".
ज़ैनब अब्बास के जिस्म को सहला रही थी।
फिर से अब्बास के जिस्म से चिपक गई। उसकी नंगी चूचियां अब्बास के जिश्म से दब रही थी। वो अब्बास के होंठ चूमने लगी।
ज़ैनब बोली- "मुझे खुशी है की मेरी मेहनत कम आई। मैं आपको पसंद आई और खुद को पूरी तरह आपको साँप पाई। आप खुश हुए संतुष्ट हए यही बड़ी बात है मेरे लिए की मेरा जिश्म किसी के काम आ सका.."
अब्बास बोला- "मैं तो ऊपर वाले का शुकर गुजार हैं की उन्होंने मुझे तुम्हें दिया। लेकिन एक अफसोस है की मेरे पास बस एक ही रात है। अफसोस है की बस इसी एक रात के सहारे मुझे सारी जिंदगी गुजारनी है। तुम फिर से उस्मान के पास चली जाओगी। तुम तो दरिया का वो मीठा पानी हो जिसे इंसान जितना पिता जाए प्यास उतनी बढ़ती जाती है। लेकिन ये भी कम नहीं जो तुमने मुझे दिया..' अब्बास गहरी सांस लेता हुआ ये बात बोला था।
ज़ैनब ने अब्बास की ओर देखा। अब्बास का चेहरा शांत और उदास हो गया था। ज़ैनब उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में पकड़ी और होंठ को चूमते हुए बोली- "आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? आपको को और तरसने की जरूरत नहीं है। आपको उदास रहने की जरुरत नहीं है। आप जब चाहे मुझे पा सकते हैं। मैं आपकी है पूरी तरह। सिर्फ आज की रात के लिए नहीं बल्कि हर रात के लिए..."
अब्बास ऐसे हँसा जैसे किसी बच्चे में उसे कोई चुटकुला सुनकर हँसाने की कोशिश की हो। बोला- "नहीं अब्बास, तुम्हारी आने वाली जिंदगी तुम्हारे होने वाली शोहर उस्मान के लिए हैं. अब मुझे तो बाकि की जिंदगी इस बीत चुकी रात को याद कर कर के और मुठ मार मार कर ही बितानी है. अभी थोड़ी देर में उस्मान आ जाएगा और मुझे तुम्हे तलाक देना पड़ेगा और फिर तुम उस्मान की हो जाओगी. "
ज़ैनब बोली- "हाँ, लेकिन इसका मतलब ये नहीं की आपको तरसने की जरूरत है। आप जब चाहेंगे में आपके लिए हाजिर हैं। अब यह नहीं हो सकता कि आप तरसते ही रहे,अब मेरा एक बार आपके साथ जो रिश्ता बन चूका है उसे न तो मैं भुला सकती हूँ और न ही आप. इसलिए चाहे अल्लाह मुझे दोजख में डाल दे पर अब मेरे तन और मन पर मेरे अब्बू का ही हक़ रहेगा. में चाहे दुनिया के नजरों में उस्मान की बीवी होउंगी पर असल में मेरे दिल पर आप का ही राज रहेगा।
मैं आपके पास आती रहूंगी एक बेटी के तरह और आपको अपने जिस्म का सुख सदा देती रहूंगी. दुनिया की नजरों में मैं आपकी बेटी होउंगी और हमारी दोनों की नजरों में हम मियां बीवी ही रहेंगे और आप जब भी चाहे मेरे साथ शारीरिक सम्बन्ध बना सकते है. मैं अपने प्यारे अब्बा के लिए सदा त्यार रहूंगी. "
अब्बास- “नहीं, उस्मान ने मुझे एक रात के लिए तुम्हें दिया है। मैं उसके साथ गलत नहीं करना चाहता.."
ज़ैनब- "वो मेरा काम है। लेकिन आपको तड़पने तरसने की जरूरत नहीं है। मैं आपको अपने जिश्म पै पूरा अधिकार दे चुकी हूँ। आप जब चाहे मुझं पा सकते हैं..."
अब्बास फिर हल्का सा मुस्करा दिया, और बोला- "अच्छा। मेरे लिए इतना सब करोगी..."
ज़ैनब : " हाँ अब्बा। अब हम दोनों का रिश्ता मौत तक का है. जिंदगी के लिए समझ लीजिये कि मैं आपकी बीवी हूँ और मेरे शरीर पर आप का पूरा हक़ है. मुझे दुःख है तो सिर्फ इस बात का कि में अपने शरीर का सुख आपको शादी से पहले न दे पायी. आप मुझे पाना चाहते थे और में भी त्यार थी पर शायद अल्लाह को उस समय यह मंजूर नहीं था. वरना मेरी सील तोड़ने का मौका मैं तो आप को ही देना चाहती थी. पर वो सील उस्मान की किस्मत मैं लिखी थी."
अब्बास उसे बाँहों में भर कर बोला
" ज़ैनब ! यह ठीक है कि मैं तुम्हरी चूत की सील नहीं तोड़ पाया. पर औरत के शरीर में पीछे भी एक छेद होता है, यानि गांड का छेड़. क्या उसकी सील भी उस्मान ने तोड़ दी है या गांड में तुम अभी भी कुंवारी ही हो,"
यह सुन ज़ैनब तो शर्म से लाल ही हो गयी। वो समझ गयी की उसके अब्बा का मन अब उसकी गांड पर आ गया है और वो उसकी गांड मारना चाहते है.
वो शरमाते हुए बोली
"अब्बू आप कैसी बातें कर रहे है. उस्मान ने तो मेरे पीछे वाले छेद पर कभी ऊँगली भी नहीं रखी। पीछे के तरफ से तो मैं कुंवारी ही हूँ. मैं अब आप को अपनी आगे वाले छेद (वो अभी भी अपने अब्बा से चूत शब्द बोलने में शर्मा रही थी) की तो सील तोड़ने का मौका नहीं दे सकती पर आप चाहें तो आप मेरे पीछे वाले छेद की सील तोड़ सकते हैं और अपनी बेटी की पीछे वाली चुदाई के पहले मालिक हो सकते है. मैं जानती हूँ की आपका यह (अपने अब्बा के लण्ड को हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए ) हथियार मेरे लिए बहुत बड़ा और मोटा है पर आप मेरे गांड मार लीजिये। देखा जायेगा पर आज तो मैं आपके इस अरमान को पूरा कर कर ही रहूंगी, "