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Incest बेटी का हलाला अपने ही बाप के साथ

Napster

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ज़ैनब और अब्बास दोनों रात के भयंकर चुदाई के कारण बहुत थक गए थे तो दोनों घोड़े बेच कर सोते रहे.

सुबह पहले ज़ैनब के आँख खुली, उसकी चूत में रात के चुदाई के कारन अभी भी दर्द हो रहा था. पर उसे पेशाब लगी थी. तो वो उठकर बाथरूम में पेशाब करने चली गयी.

पेशाब करते हुए उसे रात के चुदाई और इसी बाथरूम में इकठे नहाने और चूत चाटने वाली घटना याद आ गयी. अपने बाप के साथ बितायी पिछली रात को यद् करके उसकी चूत फिर से गीली हो गयी.

पेशाब करने के बाद उसने अपनी चूत को पोंछा और नंगी ही बैडरूम में वापिस आ गयी.

उसने देखा की अब्बास अभी भी सो रहा था. वो भी पूरा नंगा था और उसका लण्ड नींद में भी उसे उस्मान से बहुत बड़ा और मोटा लग रहा था. अपने अब्बा के मोटे लण्ड को देख कर वो सोच रही थी- "ये आदमी है की कोई भूत प्रेत है। ऐसे भी कोई चुदाई करता है क्या? एक ही रात में तीन बार। मेरी तो जान निकाल दी। कितने अरमानों में सजी थी की सुहागरात मनाऊँगी। मुझे लगा था की सुहागरात को महसूस करेंगे अब्बास। दुल्हन के कपड़े उतारेंगे और फिर चोदकर साथ में सो जाएंगे। लेकिन इन्होंने तो हद ही कर दी। इनकी भी क्या गलती है भला, जिसे कोई औरत एक रात के लिये मिलेंगी तो क्या करेंगा? अब्बास को लगा है की मैं बस आज की रात के लिए ही उनकी थी, तो रात भर में ही पूरी तरह मुझे पा लेना चाहते थें। और इसी चक्कर में मेरी चूत के चीथड़े उड़ा दिए। लेकिन क्या मस्त लण्ड है, मजा आ गया। भले चूत छिल गई, जिश्म दर्द कर रहा है, लेकिन चुदवाने में मजा आ गया। आहह.... कितना अंदर तक जाता है लण्ड... जब वो धक्का लगा रहे थे तो मेरे तो पेट में चुभ रहा था। और जब वीर्य गिराया चूत में ता लगा की एकदम आग भर दिए हों अंदर गहराई में। तभी तो एक बार चुदवाने के बाद मैं दूसरी बार के लिए भी तैयार थी और दूसरी बार के बाद और दो बार के लिए। अभी सुबह का समय है उस्मान के आने और फिर तलाक लेने में तो थोड़ा टाइम है तो एक और बार चुदवा ही लें क्या? छिल जाएगी चूत तो छिल जाएगी, लेकिन मजा आ जाएगा। नहीं नहीं, अब अगर उन्होंने मुझे चोदा तो मैं मर ही जाऊँगी। और कौन सा वो भागे जा रहे हैं। उन्हें भी यहीं रहना है और मुझे भी। देखा नहीं कितने प्यासे हैं अब्बास। तभी तो रात में पागलों की तरह कर रहे थे। अब चाहे जो भी हो मुझे उनसे चुदवाते रहना है। तभी उन्हें भी सुकून मिलेगा और मुझे भी। मेरी चूत को अब वही लण्ड चाहिए। अब चाहे मेरा मेरे अब्बा अब्बास से तलाक हो भी जाये पर में फिर भी उनसे अपना यह रिश्ता कभी ख़तम नहीं करुँगी. मेरे अब्बा बेचारे बीवी के बिना मुठ मार कर ही गुजारा कर रहे हैं अब तो जो भी हो जाये मैं उन्हें अब कभी भी चूत के लिए तड़पने नहीं दूँगी.

यह सोच कर ही उसके होंठों पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गयी. वो उठ कर किचन में गयी और अपने और अब्बास के लिए चाय बना कर ले आयी. उसने चाय एक साइड में टेबल पर रखी और और अब्बास के ऊपर आकर अपने दोनों हाथों को अब्बास के अगल बगल में रखी और उसपे अपने जिश्म का भार देते हए अब्बास के ऊपर झकने लगी। अपनी लटकती चूचियों को अब्बास के सीने पै सटा दी और रगड़तें हए थोड़ा ऊपर हो गई। अब वो अब्बास के ठीक ऊपर थी और सिर्फ उसकी चूचियों का भार अब्बास के सीने में पड़ रहा था। अब्बास अपने जिस्म का सारा भार अपने हाथों पे रखी थी। (इस स्थिति मैं वो दोने पूरे नंगे थे ).

ज़ैनब अपने अब्बा अब्बास के ऊपर झुक गई और उसके होंठ पे अपने होंठ रखकर चूमकर कहा- "गुड मानिंग अब्बा..." .

अब्बास नींद में था।

अब्बास की नींद खुल गयी. अपने नंगी बेटी को अपने ऊपर इस तरह झुके हुए देख कर और अपने होठों पे ज़ैनब के मुलायम होठों का स्पर्श पाकर उसके भी जिस्म में करेंट दौड़ गया। उसका रोम-रोम सिहर उठा और लण्ड एक झटके में सलामी देने के लिए उठकर खड़ा हो गया। अब अब्बास ज़ैनब को पकड़कर उसे अपनी बाहों में भरकर चूम सकता था, और चोद भी सकता था। ज़ैनब इसके लिए तैयार थी और अब्बास जो भी करता ज़ैनब उसका साथ देती, और वो अब्बास के लिए बोनस ही होता।

ज़ैनब फिर से गुड मॉर्निंग की और बोली- "अब्बाजान उठिए, चाय तैयार है."

ज़ैनब इस उम्मीद में उठने लगी की अब्बास उसे उठने नहीं देगा और अपनी बाहों में भरकर उसके होठों को चूमने चूसने लगेगा और उसके जिस्म पे छा जाएगा। इसीलिए तो वो नंगी ही आई थी ताकी अब्बास उसकी नर्म चूचियों को महसूस कर पाए और उसे कोई रुकावट ना लगे।

लेकिन अब्बास में ऐसा कुछ नहीं किया और अब्बास को उठकर अलग हो जाने दिया। वो भी गुड मार्निंग बोलता हुआ उठ बैठा और तब तक मायूस ज़ैनब उस चाय का कप पकड़ा दी।

उसने ज़ैनबको अपने पास बुलाया तो ज़ैनब उसके गोद में बैठ गईं। ज़ैनब अब्बास के कंधे पे सिर रख दी थी और अब्बास से चिपक गई थी। अब्बास का हाथ ज़ैनब की कमर पे था।

अब्बास ने अब्बास के गर्दन पे किस की और मादक आवाज में बोली- "अब तो आप खुश हैं ना अब्बा, अब तो आपको कोई तकलीफ नहीं है ना?"

अब्बास ज़ैनब के नंगी कमर और पीठ का सहलाता हुआ बोला- " ज़ैनब तुम्हें पाकर कौन खुश नहीं होगा। तुम तो ऊपर बाले की नियामत हो जो मुझे मिली। मैं ऊपर वाले का और तुम्हारा बहुत-बहुत शुकरगुजार हैं."

ज़ैनब अब्बास के जिश्म में और चिपकने की कोशिश करने लगी, और बोली- " मैं तो बहुत डर रही थी की पता नहीं मैं कर पाऊँगी या नहीं ठीक से? मैं आपका साथ तो दे पाई न अब्बा? आपका संतुष्ट कर पाई ना?"

अब्बास भी ज़ैनब को अपने जिश्म पे दबाता हुआ बोला- "तुमनें तो मुझे खुश कर दिया। तुमने बहुत बड़ा काम किया है मेरे लिए। मैं बहुत खुश हैं। आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे हसीन दिन है। लेकिन मैं डर भी रहा हूँ की वक़्त धीरे-धीरे फिसलता जा रहा है। चंद घंटे हैं मेरे पास, फिर तुम मेरी बाहों से गायब हो जाओंगी। फिर तुम मेरे लिए सपना हो जाओगी। फिर आज के बिताए इस हसीन लम्हों को याद करते हुए मुझे बाकी दिन गुजारने होंगे. अभी थोड़ी ही देर में तुम्हारा उस्मान आ जायेगा और मुझे तुम्हे तलाक देना पड़ेगा. और फिर तुम उसकी बीवी हो जाओगी. "

बोलते हये अब्बास ज़ैनब के होठों को चूमने लगा और कस के उसे अपने में चिपकाने लगा, जैसे कोशिश कर रहा हो की उसे खुद में समा लें, कोशिश कर रहा हो की ये लम्हा यहीं रुक जाए।

ज़ैनब अब्बास की तरफ घूमकर उससे चिपक कर बैठी हुई थी। ज़ैनब का पूरा जिस्म अब्बास के जिस्म से सट रहा था। उसकी चूचियां अब्बास के जिस्म में दब रही थी। अब्बास की मुस्कराहट रूक गई थी।

अब्बास अपना चेहरा ऊपर की और अब्बास के चेहरा को अपने हाथों से अपनी तरफ घुमाते हुए उसकी आँखों में देखती हुई बोली- "आप खुश हैं ना अब्बास?"

अब्बास ने अपनी नजरें नीची कर ली।

अब्बास अपने जिश्म को थोड़ा ऊपर उठाई और अपनी चूचियों को अब्बास के बदन से रगड़ती हुई उसके नीचे के होठों को चूमने लगी। सिर्फ उसकी नंगी चूची अब्बास के बदन को टच कर रही थी, लेकिन अब्बास पूरी तरह से ज़ैनब के जिस्म को महसूस कर पा रहा था। अब्बास होठ चूमती रही लेकिन अब्बास ने साथ नहीं दिया। ज़ैनब को लगा की कुछ गड़बड़ है। वो उठकर अब्बास की जांघों पे बैठ गई और फिर से अब्बास से चिपक गई। वो फिर से अब्बास के होठों को चूमी और फिर हँसती हुई शरारत भरे अंदाज ने बोली- "क्या हुआ अब्बा ?"

अब्बास कुछ नहीं बोला। ज़ैनब उसके सीने से लग गई और इमोशनल अंदाज में बोली- "क्या हुआ अब्बा, मुझसे कोई गलती हुई क्या?"

अब्बास ने अब्बास की पीठ पे हाथ रखा और सहलाता हुआ बोला "गलती तुमसे नहीं मुझसे हई है। मैं बहशी बन गया था रात में..."

ज़ैनब अब्बास के जिश्म को सहलाते हुए बोली- "तो क्या हुआ? इस टाइम में तो कुछ भी हो जाता है। और फिर आप तो बहुत दिन से खुद को दबाए बैठे हैं."

अब्बास- "नहीं ज़ैनब, में जानवर बन गया था कल। तुमने मुझपे भरोसा करके, मेरा दर्द समझ कर अपना जिस्म मुझे सौंपा और मैं जानवरों की तरह तुम्हारे जिश्म को चोदता रहा। तुम्हे मेरे जैसे बड़े और लम्बे लण्ड को लेने की आदत नहीं है पर मैं अपने होश खो बैठा था। मुझे माफ कर दो ज़ैनब.."

अब्बास- "मैं तो आपको बोली ही हूँ की जैसे मन करें वैसे करिए। रोकिए मत खुद को। अपने अंदर के दर्द को बह जाने दीजिए। आपके अंदर का गुबार निकलने दीजिए बाहर.".

अब्बास. "ज़ैनब, चाहे मेरा तुमसे हलाला निकाह हुआ है. पर फिर भी तुम मेरी बेटी हो. और एक बाप होने के नाते मेरा यह फर्ज है की अपनी बेटी के दुःख का ध्यान रखूं पर पर मैं सेक्स करते हुए तुम्हारे दर्द का ध्यान नहीं रखा. मुझे बहुत अफ़सोस है. "

ज़ैनब- "ये कैसी बातें कर रहे हैं आप अब्बा? सेक्स करते वक़्त ता काई भी वहशी बन जाता है। और आप तो वर्षों के बाद सेक्स किए हैं। अगर कोई आदमी बहुत भूखा हो और उसके सामने लजीज पकवान थाली में सजाकर पेश किया जाए तो वो क्या करेंगा, बोलिए?" ज़ैनब थोड़ा गुस्से में बोली।

अब्बास कुछ नहीं बोला।

ज़ैनब फिर से उसके सीने से लगती हई बोली- "प्लीज अब्बा, आप इतना मत सोचिए। खुद को बाँधकर मत रखिए अब। जो होता है होने दीजिए। जब मन करें मुझे पाइए। अगर अब भी आप सोचते रहेंगे और दर्द में ही रहेंगे "

अब्बास फिर बोला - "तुम ने मेरे लिए इतना किया, ये बहुत है। तुमने मेरा पूरा साथ दिया। खुद को पूरी तरह समर्पित कर दी मुझे। मैं खुश किश्मत हूँ की तुम जैसी हूर जितनी सुन्दर बेटी का जिस्म पा सका.".

ज़ैनब अब्बास के जिस्म को सहला रही थी।

फिर से अब्बास के जिस्म से चिपक गई। उसकी नंगी चूचियां अब्बास के जिश्म से दब रही थी। वो अब्बास के होंठ चूमने लगी।

ज़ैनब बोली- "मुझे खुशी है की मेरी मेहनत कम आई। मैं आपको पसंद आई और खुद को पूरी तरह आपको साँप पाई। आप खुश हुए संतुष्ट हए यही बड़ी बात है मेरे लिए की मेरा जिश्म किसी के काम आ सका.."

अब्बास बोला- "मैं तो ऊपर वाले का शुकर गुजार हैं की उन्होंने मुझे तुम्हें दिया। लेकिन एक अफसोस है की मेरे पास बस एक ही रात है। अफसोस है की बस इसी एक रात के सहारे मुझे सारी जिंदगी गुजारनी है। तुम फिर से उस्मान के पास चली जाओगी। तुम तो दरिया का वो मीठा पानी हो जिसे इंसान जितना पिता जाए प्यास उतनी बढ़ती जाती है। लेकिन ये भी कम नहीं जो तुमने मुझे दिया..' अब्बास गहरी सांस लेता हुआ ये बात बोला था।

ज़ैनब ने अब्बास की ओर देखा। अब्बास का चेहरा शांत और उदास हो गया था। ज़ैनब उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में पकड़ी और होंठ को चूमते हुए बोली- "आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? आपको को और तरसने की जरूरत नहीं है। आपको उदास रहने की जरुरत नहीं है। आप जब चाहे मुझे पा सकते हैं। मैं आपकी है पूरी तरह। सिर्फ आज की रात के लिए नहीं बल्कि हर रात के लिए..."

अब्बास ऐसे हँसा जैसे किसी बच्चे में उसे कोई चुटकुला सुनकर हँसाने की कोशिश की हो। बोला- "नहीं अब्बास, तुम्हारी आने वाली जिंदगी तुम्हारे होने वाली शोहर उस्मान के लिए हैं. अब मुझे तो बाकि की जिंदगी इस बीत चुकी रात को याद कर कर के और मुठ मार मार कर ही बितानी है. अभी थोड़ी देर में उस्मान आ जाएगा और मुझे तुम्हे तलाक देना पड़ेगा और फिर तुम उस्मान की हो जाओगी. "

ज़ैनब बोली- "हाँ, लेकिन इसका मतलब ये नहीं की आपको तरसने की जरूरत है। आप जब चाहेंगे में आपके लिए हाजिर हैं। अब यह नहीं हो सकता कि आप तरसते ही रहे,अब मेरा एक बार आपके साथ जो रिश्ता बन चूका है उसे न तो मैं भुला सकती हूँ और न ही आप. इसलिए चाहे अल्लाह मुझे दोजख में डाल दे पर अब मेरे तन और मन पर मेरे अब्बू का ही हक़ रहेगा. में चाहे दुनिया के नजरों में उस्मान की बीवी होउंगी पर असल में मेरे दिल पर आप का ही राज रहेगा।

मैं आपके पास आती रहूंगी एक बेटी के तरह और आपको अपने जिस्म का सुख सदा देती रहूंगी. दुनिया की नजरों में मैं आपकी बेटी होउंगी और हमारी दोनों की नजरों में हम मियां बीवी ही रहेंगे और आप जब भी चाहे मेरे साथ शारीरिक सम्बन्ध बना सकते है. मैं अपने प्यारे अब्बा के लिए सदा त्यार रहूंगी. "

अब्बास- “नहीं, उस्मान ने मुझे एक रात के लिए तुम्हें दिया है। मैं उसके साथ गलत नहीं करना चाहता.."

ज़ैनब- "वो मेरा काम है। लेकिन आपको तड़पने तरसने की जरूरत नहीं है। मैं आपको अपने जिश्म पै पूरा अधिकार दे चुकी हूँ। आप जब चाहे मुझं पा सकते हैं..."

अब्बास फिर हल्का सा मुस्करा दिया, और बोला- "अच्छा। मेरे लिए इतना सब करोगी..."

ज़ैनब : " हाँ अब्बा। अब हम दोनों का रिश्ता मौत तक का है. जिंदगी के लिए समझ लीजिये कि मैं आपकी बीवी हूँ और मेरे शरीर पर आप का पूरा हक़ है. मुझे दुःख है तो सिर्फ इस बात का कि में अपने शरीर का सुख आपको शादी से पहले न दे पायी. आप मुझे पाना चाहते थे और में भी त्यार थी पर शायद अल्लाह को उस समय यह मंजूर नहीं था. वरना मेरी सील तोड़ने का मौका मैं तो आप को ही देना चाहती थी. पर वो सील उस्मान की किस्मत मैं लिखी थी."

अब्बास उसे बाँहों में भर कर बोला

" ज़ैनब ! यह ठीक है कि मैं तुम्हरी चूत की सील नहीं तोड़ पाया. पर औरत के शरीर में पीछे भी एक छेद होता है, यानि गांड का छेड़. क्या उसकी सील भी उस्मान ने तोड़ दी है या गांड में तुम अभी भी कुंवारी ही हो,"

यह सुन ज़ैनब तो शर्म से लाल ही हो गयी। वो समझ गयी की उसके अब्बा का मन अब उसकी गांड पर आ गया है और वो उसकी गांड मारना चाहते है.

वो शरमाते हुए बोली

"अब्बू आप कैसी बातें कर रहे है. उस्मान ने तो मेरे पीछे वाले छेद पर कभी ऊँगली भी नहीं रखी। पीछे के तरफ से तो मैं कुंवारी ही हूँ. मैं अब आप को अपनी आगे वाले छेद (वो अभी भी अपने अब्बा से चूत शब्द बोलने में शर्मा रही थी) की तो सील तोड़ने का मौका नहीं दे सकती पर आप चाहें तो आप मेरे पीछे वाले छेद की सील तोड़ सकते हैं और अपनी बेटी की पीछे वाली चुदाई के पहले मालिक हो सकते है. मैं जानती हूँ की आपका यह (अपने अब्बा के लण्ड को हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए ) हथियार मेरे लिए बहुत बड़ा और मोटा है पर आप मेरे गांड मार लीजिये। देखा जायेगा पर आज तो मैं आपके इस अरमान को पूरा कर कर ही रहूंगी, "
बहुत ही गजब का और उन्मादक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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Nice story bro. Bas ek gujarish thi agar gifs aur pics add kr do to chaar chand lag jayenge story me
 
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Napster

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अब्बास तो ख़ुशी के मरे उछल ही पड़ा.

वो ख़ुशी से हकलाता हुआ सा बोला. "मेरी प्यारी बेटी ज़ैनब. क्या सच में आज तक उस्मान ने कभी भी तुम्हारी गांड नहीं मरी. क्या सच में तुम गांड के तरफ से कुंवारी हो. क्या तुम मुझे अपनी गांड मार कर अपनी गांड की सील तोड़ने का मौका दोगी.? कया मैं तुम्हारी गांड का उद्धघाटन करने वाला पहला शख्स होऊंगा.?"

ज़ैनब अपने बाप को प्यार से चूम कर बोली. "हाँ अब्बाजान , आज तक उस्मान ने मुझे पिछले छेद में कभी ऊँगली तक नहीं डाली है. पीछे तो मैं बिलकुल कुंवारी हूँ. हे अल्लाह तू कितना रेहमत वाला है, कि मेरी गांड आज तक मेरे अपने अब्बा के लिए तूने बचा कर रखी है. आज मैं अपने अब्बा को अपनी पिछली सील तुड़वाने का मौका दे रही हूँ. "

अब्बास का लण्ड तो ख़ुशी के मरे फटने को आ रहा था. ज़ैनब ने उसे हाथ में पकड़ लिया. वो समझ गयी कि उसके बाप का लण्ड उसकी गांड मारने की आशा के कारण इतना उछाल रहा है. वो प्यार से अपने अब्बा का लण्ड सहलाती हुई बोली.

"अब्बाजान। मैं आज बहुत खुश हूँ की मैं अपने अब्बू को अपनी गांड का उद्धघाटन करने का मौका दे सकी. पर आप तो जानते ही है कि आपका लण्ड कितना बड़ा और मोटा है. मैं तो अपनी इतनी खुल चुकी और इतनी बार चुद चुकी चूत मैं भी इसे बड़ी दिक्कत और मुश्किल से ले पायी थी. तो आप समझ सकते है कि मुझे इस को पिछले छेद में, जिसमे आज तक किसी की एक ऊँगली भी नहीं घुसी है, लेना मुश्किल होगा. इसलिए मेरी आप से बस एक ही गुजारिश है की इसे जरा धीरे धीरे से और तेल लगा कर डालना , मैं आपका साथ देने की पूरी कोशिश करुँगी. "

अब्बास ने भी ज़ैनब की गांड की दरार में अपनी ऊँगली सहलाते हुए कहा।

"ज़ैनब चाहे मेरा तुमसे हलाला निकाह हुआ है पर फिर भी तुम मेरी बेटी हो. एक बाप कैसे अपनी प्यारी बेटी को तकलीफ दे सकता है. तुम बिलकुल भी चिंता न करो. मैं खूब सारा तेल लगा कर ही तुम्हारी गांड का उद्धघाटन करूँगा और सील तोडूंगा. अगर तुम्हे जरा भी ज्यादा तकलीफ हुई जिसे तुम सहन न कर पायी तो मुझे बता देना मैं तुरंत अपना लण्ड तुम्हारी गांड से निकल लूँगा. ठीक है न ?"

जैनब ने ख़ुशी से हां में सर हिलाया.

ज़ैनब- आप जितना देर चाहें मेरी गांड मार लीजिये मैं उफ़ तक नहीं करुँगी. लेकिन मुझे अपनी गांड मे आपका मोटा लंड चाहिए।



अब्बास- अच्छा ठीक है और ज़ैनब की गदराई गान्ड को दबोचते हुए, लेकिन बेटी तुम्हारी गान्ड मे ज़्यादा दर्द ना हो इसके लिए मुझे तेल लगा कर तुम्हारी गान्ड को चिकना बनाना पड़ेगा।



अब्बास अपनी बेटी की नंगी गदराई जवानी उसके मोटे-मोटे कसे हुए दूध और फूली हुई चूत को देख कर मस्त हो जाता है।



और खुद भी अपने सारे कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो जाता है उसका मोटा लंड सर उठाए खड़ा रहता है और वह अपनी बेटी के पास जाकर उसकी नंगी गदराई जवानी को अपनी बाँहो मे भर कर पागलो की तरह चूमने लगता है।

दोनो बाप बेटी एक दूसरे से पूरे नंगे खड़े होकर चिपके हुए एक दूसरे की गान्ड और पीठ को सहलाते हुए एक दूसरे के मुँह, होंठ को चूमने लगते है।

अब्बास- बेटी चलो ड्रेसिंग टेबल के शीशे मे एक दूसरे को नंगा देख कर मज़ा लेते है।

ज़ैनब-अपने अब्बा के लंड को अपने हाथो से पकड़ कर अपनी गान्ड मटकाती हुई धीरे-धीरे अब्बास के लंड को अपने हाथो से खिचते हुए ड्रेसिंग टेबल की ओर जाने लगती है और अब्बास अपनी बेटी के गदराए चुतडो की मस्तानी थिरकन को देखता हुआ चल देता है।



ड्रेसिंग टेबल के शीशे के सामने जाकर दोनो एक दूसरे से नंगे ही चिपक जाते है और शीशे मे एक दूसरे का चेहरा देख कर मुस्कुराते हुए एक दूसरे के नंगे बदन को सहलाने लगते है।

ज़ैनब अपनी मोटी गदराई गान्ड को शीशे के सामने करके थोड़ा अपनी गान्ड को बाहर निकाल कर अपने अब्बा को दिखाती है और अब्बास अपनी बेटी की मस्तानी गान्ड को शीशे मे देखते हुए उसकी गदराई गान्ड के मोटे-मोटे पाटो को सहलाता हुआ अपनी बेटी की गहरी गुदा मे अपने हाथ की उंगलिया फेर-फेर कर सहलाने लगता है और ज़ैनब अपने अब्बा के मोटे लंड के टोपे को खोल कर उसके टोपे को सहलाने लगती है।

तभी अब्बास ड्रेसिंग टेबल के उपर रखी ऑमंड ड्रॉप्स की शीशी को उठा कर उससे तेल निकाल कर अपनी बेटी की मोटी गान्ड की दरार मे तेल लगा कर उसकी गदराई मोटी गान्ड के छेद मे अपनी उंगली घुसा-घुसा कर तेल लगाने लगता है तभी ज़ैनब अपनी हथेली को आगे करके अब्बास को अपने हाथ मे तेल डालने का इशारा करती है और अब्बास उसके हाथो मे तेल डाल देता है और ज़ैनब अपने हाथो मे तेल लेकर अपने अब्बा के मोटे लंड मे तेल लगा-लगा कर उसे सहलाने लगती है।

अब्बास अपनी बेटी के मोटे गदराए चुतडो को पूरा तेल से भिगो देता है और खूब कस-कस कर अपनी बेटी के मस्ताने चुतडो की मालिश करने लगता है।

वह जितनी ज़ोर से अपनी उंगलियो को अपनी बेटी की गान्ड की छेद मे भरता है ज़ैनब भी उतनी ही तेज तरीके से अपने हाथो को अपने अब्बा के लंड पर कस-कस कर तेल मलने लगती है।

करीब 10 मिनिट तक दोनो एक दूसरे की गान्ड और लंड मे तेल लगा-लगा कर पूरी तरह चिकना कर देते है उसके बाद अब्बास अपनी बेटी को बेड से सटा कर पेट के बल बेड के नीचे टाँगे झुला कर लिटा देता है और फिर अपनी बेटी की मोटी गान्ड के छेद को अपने हाथो से फैलाता है तो ज़ैनब अपने अब्बा के हाथ को हटाते हुए अपने हाथो से अपनी गदराई मोटी गान्ड को खूब कस कर फैलाती है और अपने अब्बा को अपनी गान्ड का कसा हुआ छेद दिखा कर बोलती है।

अब्बास- बस बेटी अब सही पोज़ में आ जाओ.. मुझसे सबर नहीं हो रहा.. तेरी मक्खन जैसी गाण्ड मुझे पागल बना रही है।

ज़ैनब ठीक से घोड़ी बन गई और अपनी गांड को पीछे कर दी।

अब्बास- हाँ बस ऐसे ही रहना बेटी.. आज तेरी गाण्ड में लौड़ा घुसा कर मैं धन्य हो जाऊँगा।

अब्बास ने ऊँगली में खूब सारा तेल लगाकर ज़ैनब की गाण्ड के सुराख पे रख दी और धीरे-धीरे उसमें घुसाने लगा।

ज़ैनब- आ आ आह्ह.. पापा.. आईईइ आह्ह.. आराम से.. कुँवारी गाण्ड है मेरी…

अब्बास- अरे बेटी अभी तो ऊँगली से तेल तेरी गाण्ड में भर रहा हूँ ताकि लौड़ा आराम से अन्दर चला जाए।

ज़ैनब- ऊँगली से ही हल्का दर्द हो रहा है.. लौड़ा डालोगे तो मेरी जान ही निकल जाएगी।

अब्बास-अरे कुछ नहीं होगा बेटी।मैं आराम आराम से पेलूँगा।

अब्बास ऊँगली से ज़ैनब की गाण्ड को चोदने लगा.. उसको मज़ा देने के लिए दूसरे हाथ से उसकी चूत में भी ऊँगली करने लगा।

अब ज़ैनब को बड़ा मज़ा आ रहा था..

अब्बास ने तेल ज़ैनब की गाण्ड में अच्छे से लगा दिया था।

अब उसका लौड़ा झटके खाने लगा था।

उसने ज़ैनब की गाण्ड पर एक चुम्बन किया और लौड़े पर अच्छे से तेल लगा लिया।

अब अब्बास ने लौड़ा अपनी बेटी की गाण्ड के सुराख पे रखा.. दोनों हाथों से उसको थोड़ा खोला और टोपी को उसमें फँसा दिया।

ज़ैनब दर्द के मारे सिहर उठी..

अब्बास ने उसकी कमर को कस कर पकड़ा और जोरदार धक्का मारा.. आधा लंड गाण्ड में घुस गया।

यह तो तेल का कमाल था.. वरना गाण्ड इतनी टाइट थी की टोपी भी नहीं घुसती।

ज़ैनब- आआआअ आआआ उूउउ…माँ

अब्बास का लौड़ा एकदम फँस सा गया था.. इतना चिकना होने के बाद भी अब आगे नहीं जा रहा था।

अब्बास- आह उफ़फ्फ़.. बेटी यह तेरी गाण्ड है या आग की भट्टी.. कैसी गर्म हो रही है.. उफ़फ्फ़ लौड़ा जलने लगा है और टाइट भी बहुत है.. साला लौड़ा तो एकदम फँस गया है।

अब्बास आधे लौड़े को ही अन्दर-बाहर करने लगा.. उसको बड़ा मज़ा आ रहा था…

अब गाण्ड में आधा लौड़ा ‘फॅक..फॅक.. फॅक’ की आवाज़ से अन्दर-बाहर होने लगा।

तभी अब्बास ने पूरा लौड़ा टोपी तक बाहर निकाला और ज़ोर से झटका मारा पूरा लौड़ा गाण्ड में जड़ तक घुस गया।

इसी के साथ ज़ैनब झटके के साथ ही बिस्तर पर गिर गई।अब्बास भी उसकी पीठ के ऊपर उसके साथ ही नीचे गिर गया। ज़ैनब अब दर्द से चीखने लगी थी।



अब्बास वैसे ही पड़ा-पड़ा लौड़े को आगे-पीछे करता रहा। दो मिनट में ही उसने ना जाने कितने शॉट मार दिए थे। थोड़ी ही देर में ज़ैनब का दर्द थोड़ा काम होने लगा था।

ज़ैनब- “लो अब्बा अब डालो अपने लंड को अपनी प्यारी बेटी की गदराई गान्ड मे”

अब्बास ज़ैनब की बात सुन कर अपने लंड को अपनी बेटी की गान्ड के छेद मे लगा कर एक तगड़ा धक्का मारता है और उसका लंड अपनी बेटी की टाइट गान्ड के छेद को फैलाता हुआ लगभग आधा अंदर घुस जाता है और ज़ैनब की गान्ड फॅट जाती है और वह ज़ोर से सीसियाते हुए ओह अब्बा बहुत मोटा है आपका लंड।

ज़ैनब-ओह अब्बा प्लीज़ मे मर जाऊंगी, अब्बा रुक जाइये अब्बा प्लीज।
अपने आधे लंड को फसाए हुए अब्बास अपनी बेटी की गान्ड के मोटे-मोटे पाटो को दबोच-दबोच कर सहलाते हुए अपने लंड को धीरे-धीरे अपनी बेटी की मोटी गान्ड मे पेलने लगता है।
ज़ैनब- आह-आह करती हुई अपनी गान्ड के छेद को कभी सिकोडती है कभी फैलाती है, अब्बास लगातार अपनी बेटी की गान्ड के मोटे- मोटे पाटो को मसल-मसल कर सहलाता रहता है जब ज़ैनब कुछ शांत दिखाई देती है तो अब्बास अपने लंड को एकदम से कस कर अपनी बेटी की मोटी गान्ड मे पूरा पेल देता है ।
उसका मोटा लंड उसकी बेटी की मोटी गान्ड को फाड़ता हुआ पूरा अंदर जड़ तक घुस जाता है और ज़ैनब की गान्ड फॅट जाती है और वह ज़ोर-ज़ोर से सीसियाते हुए अपनी गान्ड के छेद को सिकोड़ने लगती है।

अब्बास अपनी बेटी की गान्ड को बड़े प्यार से सहलाता हुआ धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगता है और ज़ैनब आह-आह अब्बा सी आह-आह ओह अब्बा बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज़ रुक जाइए। आह-आह।
अब्बास अपनी बेटी के मोटे चुतडो को कस-कस कर अपने हाथो से भिचता हुआ उसकी गान्ड मारने लगता है और ज़ैनब अपने हाथो के पंजो से चादर को पकड़े हुए अपने अब्बा का मोटा लंड अपनी गदराई गान्ड मे लेने लगती है।

ज़ैनब को बहुत दर्द हो रहा था. अब्बास को डर था की कहीं ज़ैनब दर्द के कारण गांड मरवाने से मना न कर दे तो इस बार अब्बास ने ज़ैनब की कमर को अच्छे से पकड़ा हुआ था ताकि वो आगे ना जा पाए।

एक ही वार में लौड़ा गाण्ड के अन्दर और ज़ैनब की चीख बाहर।

ज़ैनब- आह आआह्ह..अब्बा प्लीज़ आराम से करो ना.. आह अब्बा आप बहुत गंदे हो आह्ह.. आपने एक ही झटके में मेरी गांड फाड़ डाला। उईईइ आह…

अब्बास- अरे कुछ नहीं होगा.. जब चूत का दर्द नहीं रहा.. तो ये भी ठीक हो जाएगा और इसमें भी मज़ा आने लगेगा। अब्बास पागलों की तरह अपनी बेटी ज़ैनब की गाण्ड में दे-दनादन लौड़ा पेल रहा था। ज़ैनब दर्द के साथ साथ मज़े से कराह रही थी।



ज़ैनब- अई आह मार लो आह्ह.. अगर आपका मन गाण्ड मारने का हुआ है.. तो ठीक है आह्ह.. मगर मेरी गांड में बड़ी खुजली और दर्द हो रही है आह्ह..

अब्बास- आह्ह.. आह.. मज़ा आ रहा है बेटी क्या चिकनी गाण्ड है तेरी.. आह्ह.. लौड़ा खुश हो गया आह्ह.. आज तो.. हाँ जान.. रुक थोड़ी देर और गाण्ड का मज़ा लेने दे.. आह्ह.. उसके बाद तेरी चूत को भी शान्त कर दूँगा।

दस मिनट तक गाण्ड मारने के बाद अब्बास और रफ़्तार से चोदने लगा। और अपना लंड ज़ैनब की गांड में पेलने लगा।

ज़ैनब - आह पापा।। मेरी गांड बहुत कसी है। आप तो मेरी गांड फाड़ देंगे। (ज़ैनब घुटनो पे हो कर डॉगी स्टाइल में अब्बास से चुदवाने लगती है)

अब्बास ज़ैनब की कमर को पकडे कस के उसकी गांड मारने लगता है।

ज़ैनब- आह पापा, और अंदर डालिये। चोदिये मुझे

अब्बास अपने लंड को अंदर ढकेल कर ज़ैनब को चोदता है। जब जब उसकी कमर ज़ैनब की बड़ी गांड से टकराती है तब-तब ज़ैनब के मांसल गांड से फ्लैप-फ्लैप के अव्वाज़ आती है।

अब्बास जोश में ज़ैनब को चोद रहा होता है, चोदते हुए ज़ैनब की लटकी चूचियां हवा में झूल रही होती है। अब्बास ज़ैनब की चूचियां पकड़ दबाने लगता है। ज़ैनब जोर से चिल्लाने लगती है।

अब्बास - बेटी इतना मत चिल्लाओ, मोहल्ले वालों को पता चल जाएगा।

ज़ैनब - आह अब्बा , क्या आपको मेरी गांड मारने में ज्यादा मजा आ रहा है?

अब्बास - हाँ बेटी बहुत ज्यादा मजा आ रहा है।

ज़ैनब - ओह अब्बा जब आपको मेरी गांड मारने में इतना मजा आ रहा है तो सोचिये जब जब आप अपनी बेटी के साथ मजा करेंगे तो कितना मजा आएगा आपको?

अब्बास - ओह ज़ैनब बेटी।

ज़ैनब - सच तो कह रही हूँ पापा। क्या आपको बार बार अपनी बेटी को चोदने का मन नहीं करता? बोलिये।

अब्बास - हाँ करता है बेटी, जी करता है कि तुम्हे मैं हर रोज चोदुं।

ज़ैनब- आह अब्बा मुझे चोदिये।। चोदिये न पापा।। मुझे ज़ैनब बेटी कह कर बुलाइये।

अब्बास - आह ज़ैनब आ , आज अपने अब्बा के लंड को अपने गांड में ले ले। मेरी प्यारी बेटी मुझसे चुदेगी न?

ज़ैनब - हाँ अब्बा और चोदीये मुझे।

अब्बास - आह बेटी, मेरे लंड से पानी निकलने वाला है।

ज़ैनब - निकलने दिजिये पापा, गिरा दिजिये मुट्ठ मेरी गांड में।

अब्बास - आह बेटी।। मैं छूट रहा हूँ।।। ।आआआ हहह आआह्ह आआआह्ह्ह्हह।।।

अब्बास ने अपना सारा मुठ ज़ैनब के गांड के अंदर ही गिरा दिया।

ज़ैनब - ओह पापा, आपका गरम-गरम मूठ मेरी गांड के अंदर बहुत अच्छा लग रहा है। मैं तो आपके लंड की गुलाम हो गई पापा।

अब्बास - सच बेटी? (अब्बास ने अपना लंड ज़ैनबकी गांड से बाहर निकाल लिया)

ज़ैनब - हाँ पापा, मैं क्या कोई भी लड़की आपके लंड की गुलाम हो जाएगी। कितना बड़ा और मोटा है आपका लंड़।

अब्बास बेड पे बैठ जाता है,

ज़ैनब अधमरी सी गहरी-गहरी साँसे लेती हुई पड़ी रहती है और अब्बास उसकी गोरी-गोरी पीठ को सहलाता रहता है करीब 2 मिनिट तक अब्बास उसके उपर लेटा रहता है उसके बाद उठ कर अपनी बेटी की गान्ड मे एक थप्पड़ मारते हुए।
अब्बास- अब उठो भी बेटी कब तक पड़ी रहोगी।
ज़ैनब- पलट कर पीठ के बल लेटती हुई,अब्बा कितने ज़ोर से चोद रहे थे आप।
अब्बास- लो कर लो बात खुद ही तो कह रही थी कि अब्बा और ज़ोर से चोद खूब कस कर चोदिए और अब कह रही हो कितना ज़ोर से चोद रहा था।
ज़ैनब- मुस्कुरकर अरे अब्बा उस समय होश रहता है क्या, पर आपको तो सोचना चाहिए था कि आपकी बेटी की क्या हालत होगी, मेरा तो सारा बदन दर्द करने लगा है अब मुझसे उठा भी नही जा रहा है।

अब्बास- अरे बेटी तुम फिकर क्यो करती हो मैं तुम्हे अपनी गोद मे उठा लेता हू और अब्बास अपनी बेटी को अपनी गोद मे उठा लेता है और ज़ैनब उसके सीने से चिपक जाती है, अब्बास अपनी बेटी के होंठो को चूमता हुआ।
अब्बास- बेटी तुम्हारी गान्ड बहुत मस्त है।
ज़ैनब-( मुस्कुरा कर)अब्बा अपनी बेटी को नंगी करके अपनी गोद मे उठाते हुए आपको शरम नही आती है।
अब्बास- तुम्हारे जैसी बेटी को पूरी नंगी करके गोद मे उठाने और अपने लंड मे चढाने मे बहुत मज़ा आता है और (अपनी बेटी की चूत की फांको को फैलाकर देखते हुए )देखो तो बेटी तुम्हारी चूत कितना पानी छोड़ रही है, जानती हो यह क्या कह रही है।
ज़ैनब- मुस्कुरा कर क्या कह रही है।
अब्बास- बेटी यह कह रही है की अब्बा अपने मोटे लंड को मेरे अंदर फसा कर खूब कर कर मेरी चूत मार दीजिये।
ज़ैनब- तो फिर देख क्या रहे है अब्बा जैसा वह कह रही है वैसा आप करते क्यो नही।

अब्बास -" ज़ैनब बेटी. मैं तुम्हारा बहुत ही शुक्रगुजार हूँ की तुमने मेरी सालों की दबी हुई इच्छा पूरी कर दी और मुझे अपनी गांड मार कर उसका उद्धघाटन करने का मौका दिया. मुझे बहुत ही ख़ुशी है की मैने तुम्हारी गांड की सील तोड़ी और मैं पहला शख्स बना जिसने तुम्हारी गांड मारी है. तुमसे हलाला करके मेरा तो जनम ही सफल हो गया. हे अल्लाह तुम्हारा लाख लाख शुक्रिया है कि तुमने मुझे अपनी बेटी को चोदने का मौका दिया. पर बेटी देखो ८ बजने वाले हैं. थोड़ी ही देर में उस्मान आता ही होगा. हमें यह नहीं भूलना चाहिए की अब मुझे तुम्हे तलाक देना होगा और फिर तुम उससे निकाह करके दोबारा उसकी बीवी बन जाओगी. तो चलो अब उठो और नहा धो कर कपडे पहन लो और तैयार हो जाओ. "

ज़ैनब ने अब्बास को कस कर पकड़ लिया और बोली. - " अब्बा. आप बहुत खराब है. कल जब से उस्मान मेरी निकाह आपसे कर के गया है. आप ने मुझे कपडे पहनने का मौका तक नहीं दिया और मुझे तभी से नंगी रखा है और खुद भी नंगे ही हो. अब आप कह रहे हो कि मैं कपडे पहन लूँ. अब्बा मेरा आप से दूर जाने का बिलकुल भी मन नहीं है. आप उस्मान को आने से मना कर दीजिये और हम दोनों ऐसे ही रहेंगे. मेरा आप से दूर जाने का मन नहीं है."

अब्बास बोलै " बेटी ज़ैनब. मैं भी चाहता हूँ की मैं उस्मान को तलाक से मना कर दूँ और तुम्हे सदा के लिए अपनी बीवी बना कर रख लूँ. पर हम दोनों दुनिया की नजरों में बाप बेटी ही हैं , और अभी किसी को हमारी हलाला का पता नहीं है. यदि मैंने तलाक से मना कर दिया तो जरा सोचो की कितना बड़ा स्कैंडल और गड़बड़ हो जाएगी. इसलिए मुझे उस्मान से किया वादा निभाना ही होगा. शायद हमारी किस्मत में एक रात का ही मिलान लिखा था."

ज़ैनब ने अब्बास को जोर से अपने आलिंगन में पकड़ लिया और बोली.

"अब्बा। देखिये दुनिया चाहे कुछ भी कहे पर मैंने मन से आपको अपना शोहर मान लिया है. अब आप उस्मान को मना कर दीजिये वरना जब वो यहाँ आएगा तो मैं खुद उसे निकाह से मना कर दूंगी. कुछ भी हो जाये पर मैं आपके साथ बिताई इस रात को भूल नहीं सकती। और न ही मैं आपको छोड़ कर जाउंगी. आप अम्मी की मौत के बाद से सिर्फ मुठ मार कर ही टाइम पास कर रहे थे. पर अब मेरे तीनो छेद अब आपकी अमानत हैं अब आपको अपनी बेटी की याद में तड़पना नहीं पड़ेगा. मैं इस तलाक और उस्मान से निकाह के लिए सिर्फ एक शर्त पर तैयार हो सकती हूँ. कि चाहे दुनिया और उस्मान की नजरों मैं हम बाप बेटी होंगे पर असल में आप और मेरा यह शरीर का सम्भन्ध सदा रहेगा. मैं आप के पास आती रहूंगी और आज के बाद आप मुठ नहीं मारेंगे और मुझसे ही अपनी जरुरत पूरी करेंगे. मैं आपके साथ गुजारी यह रात को भूल नहीं सकती और इस को सदा चालू रखूंगी. बोलिये मंजूर है?"
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अब्बास ने जैनब से हलाला निकाह कर उसकी चुद की अपने मोटे तगडे और लंबे लंड से धज्जिया उडा दी साथ ही साथ जैनब की कोरी करारी अनचुदी कुॅंवारी गांड पर भी पहली बार अपना खुटे जैसा लंड गाड कर उसे अपने लंड का गुलाम बना दिया
अब ये चुदाई का सिलसिला चलते रहेगा
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 
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Rudransh.

Gujju Lion
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Nice story bro. Bas ek gujarish thi agar gifs aur pics add kr do to chaar chand lag jayenge story me
Sahi kaha bro
 
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Napster

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अब्बास -" ज़ैनब बेटी. अब मैं क्या कहूं? तुमने तो मेरे मन की बात कह दी. मैं तुम्हे उस्मान के साथ जाने को कह तो रहा था पर असल में मैं अब तुम्हारे इस सुन्दर शरीर और तुम्हारी टाइट चूत और गांड को कैसे भूल पाउँगा. चलो ठीक हैं. अब उस्मान के साथ दोबारा निकाह के बाद भी हम अपना यह रिश्ता सदा कायम रखेंगे. दुनिया की नजरों में हम बाप बेटी होंगे और एक दुसरे के लिए हम मियां बीवी होंगे. एक बेटी होने के नाते तुम कभी भी इस घर में आ सकती हो, न तो किसी को कोई शक होगा और न ही उस्मान को कोई एतराज हो सकता है. तुम्हारा जब भी चुदवाने का मन हो अपने अब्बा के पास आ जाना और मेरा भी जब तुम्हे चोदने का मन होगा मैं अपनी बेटी को बुलवा लिया करूँगा. ठीक है? चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ उस्मान के आने का टाइम हो रहा है. "

ज़ैनब ने हाँ में सर हिलाया और उठ कर तैयार होने चली गयी.

थोड़ी देर में दोनों बाप बेटी तैयार हो गए और तभी उस्मान भी आ गया.

आते ही उसने अब्बास को सलाम किया और बैठ गया. उसे यह पूछने में शर्म आ रही थी कि क्या दोनों बाप बेटी का हलाला हो गया है? (यानि क्या दोनों में चुदाई हो चुकी है?). ज़ैनब भी चुप करके बैठी थी.

पर अब्बास समझ गया और बोला

"बेटा उस्मान. यह हमारी जिंदगी का सबसे अजीब दिन था. ज़ैनब मेरी बेटी है पर देखो अल्लाह ने हमें किस मोड़ पर ला खड़ा किया है कि मुझे ही उस से निकाह करना पड़ा और हलाला करना पड़ा. पर मैं यह नहीं भूल पाया की वो मेरी बेटी है. मैंने अल्लाह को खुश करने के लिए थोड़ा सा हलाला किया ताकि तुम्हारा निकाह उस से दोबारा हो सके. पर अब मैं उसे तलाक दे देता हूँ ताकि तुम उस से दोबारा निकाह कर सको. पर अल्लाह गवाह है की अब मेरे तलाक देने के बाद में अपने जेहन से इस गुजर चुकी मनहूस रात के वाकया को सदा के लिए भुला दूंगा और आज के बाद अब ज़ैनब फिर से मेरे लिए मेरी बेटी ही होगी. और मेरे दिल में उसके लिए एक बाप का ही प्यार होगा. "

अब्बास झूठ मूठ कह रहा था और ज़ैनब भी दिल ही दिल में हंस रही थी.

खैर इसके बाद अब्बास ने ज़ैनब को तलाक दे दिया और फिर एक मौलवी के रूप में उसने दोबारा से उस्मान और ज़ैनब का निकाह पढ़वा दिया.

इस सब के बाद ज़ैनब ने नाश्ता बनाया और तीनों ने बैठ कर नाश्ता किया.,

फिर उस्मान बोला

"अब्बा जान अब हम चलते हैं. अल्लाह के रहमोकरम से सब ठीक हो गया है और किसी को पता भी नहीं चला है. अब हम चलते हैं. ज़ैनब अब भी आपकी बेटी है और वो जब चाहे आपसे मिलने आ सकती है."

ज़ैनब बर्तन उठा कर किचन में धोने चली गयी.

उस्मान बोला -" अब्बा मेरा थोड़ा पेट खराब है. मैं जरा टॉयलेट हो कर आता हूँ. फिर मैं और ज़ैनब चलते हैं. "

यह कह कर उस्मान टॉयलेट चला गया.

ज्योंही उस्मान टॉइलेट के लिए गया. तुरंत अब्बास उठ कर ज़ैनब के पास आया और बोला

"ज़ैनब बेटी. अब तुम मुझे छोड़ कर चली जाओगी. यह सोच कर ही मेरा दिल बैठा जा रहा है. मेरा और खास कर मेरे इस लण्ड का तुम्हारे बिना क्या होगा. देखो तुम्हारी याद में यह कब से टाइट होकर खड़ा है. और तुम्हारे जाने के दुःख से आंसू बहा रहा है. "

यह कहकर अब्बास ने अपना लण्ड जो कि बिलकुल टाइट था, अपनी लुंगी हटा कर दिखाया। अब्बास का लण्ड इतना टाइट था की उसकी नसें भी साफ़ दिखाई दे रही थी.

ज़ैनब ने अपने अब्बा का लण्ड हाथ में पकड़ लिया और उसे प्यार से सहलाते हुए बोली. "अरे अब्बा! आप ऐसे न कहें. सच में मेरा भी दिल जाने का बिलकुल नहीं है. आप ऐसे बोलेंगे तो मैं अभी रो पड़ूँगी. आप चिंता न करें। मैं जल्दी ही कोई बहाना बना कर आपसे मिलने आ जाउंगी. और फिर आप जिस तरह चाहें मुझे चोद लेना. अभी तो मेरी दुबारा शादी भी हो चुकी है उस्मान से. और वो मेरे को लेकर जाने वाला है."

अब्बास बोला

"वो तो सब ठीक है बेटी. मैं तुम्हारे दिल का हाल भी जानता हूँ. पर इस खड़े लण्ड का क्या करूँ. तुम्हे देख देख कर तो यह और भी टाइट हो रहा है. तुम ऐसे करो, कि जब तक उस्मान टॉयलेट से बाहर आता है. तुम किचन में आ जाओ और अपना लेहंगा ऊपर उठा लो ताकि मैं जल्दी से एक राउंड छोड़ लेता हूँ फटाफट। हम किचन से देखते रहेंगे और ज्योंही उस्मान आएगा मैं अपना लण्ड निकाल लूंगा. अब जल्दी से किचन में चलो. "

ज़ैनब ने कहा " अब्बा. मन तो मेरा भी यही कर रहा है की जाने से पहले फटाफट एक राउंड चुदाई का हो जाये पर यह ठीक नहीं होगा। बहुत खतरा है. उस्मान किसी भी टाइम बाहर आ सकते हैं. यदि पकडे गए तो बहुत मुश्किल हो जाएगी. और हमारा यह मिलान आगे भी नहीं चल पायेगा. इसलिए आप किसी तरह अपने मन को समझा लीजिये. या एक काम करते है कि किचन में चलते है और मैं फटाफट आपकी मुठ मार देती हूँ. आपका पानी भी निकल जायेगा और आपको शांति भी मिल जाएगी. चुदाई का तो टाइम नहीं है. बस आप जरा जल्दी कीजिये. "

यह कहकर ज़ैनब ने अब्बास का लण्ड हाथ में पकडे पकडे ही उसे हिलाना शुरू कर दिया और उसे खींच कर किचन की ओर जाने लगी.

इसी तरह मुठ मारते मारते दोने किचन में चले गए.

ज़ैनब ने उन्हें हाथ से धीरे से दीवार की तरफ धकेला जिससे ठीक खिड़की के बगल की दीवार से चिपका कर खड़े हो गए.

फिर उन्हें वहीं खड़े रहने का इशारा किया।

चूंकि किचन में लाइट थोड़ी काम थी तो बाहर से वैसे भी कुछ दिखाई नहीं देने वाला था।

ज़ैनब अब्बा के बगल में आकर खिड़की से सट कर ऐसे खड़ी हो गई कि उसे टॉयलेट का दरवाजा अंदर दिखाई देता रहा.

ज़ैनब ने थोड़ा और एडजस्ट कर लिया उनके लंड को मुट्ठी में भर कर उस को आगे-पीछे कर खड़े-खड़े ही मुठ मारने लगी।

अब्बास थोड़े घबराते हुए ज़ैनब हाथ को हल्का सा पकड़ते हुए धीमे से बोले- अरे बेटा, यहां मत करो, फर्श गंदा हो गया तो दिक्कत हो जाएगी।

दरअसल अब्बा डर रहे थे कि कहीं उनके लंड का पानी निकल कर फर्श पर गिर ना जाए।

ज़ैनब ने उंगली से चुप रहने का इशारा करते हुए कहा- कुछ नहीं होगा, आप चुपचाप खड़े रहिए!

थोड़ी देर इस तरह हाथ से अब्बा का लंड हिलाने के बाद ज़ैनब ने हाथ हटा लिया और उनसे खिड़की की तरफ इशारा करते हुए धीमे से उनसे कहा- यहां से अंदर ध्यान दिए रहिएगा.

अभी अब्बास कुछ समझ पाते … तभी ज़ैनब घूम कर उनके सामने आ गई और घुटनों के बल नीचे बैठ गई और उनके कुर्ते को ऊपर उठा कर ज़ैनब ने अपना सिर कुर्ते के अंदर कर लिया, जिससे उनके कुर्ते से उसका सर ढक गया।

फिर ज़ैनब ने एक हाथ से लंड की पकड़ा और सुपारे को मुंह में लेकर चूसने लगी।

ज़ैनब जान रही थी कि अबकी बार देर तक लंड चूसने को मिलेगा क्योंकि अब्बा पहले ही 2 बार झड़ चुके हैं तो तीसरी बार में वे थोड़ी देर से झड़ेंगे।

वैसे भी लंड को चूसने में उसे बहुत मजा आता था इसलिए उसे उनके देर से झड़ने में कोई दिक्कत भी नहीं थी। बस एक ही डर था कि कहीं उस्मान जल्दी बाहर न आ जाये

वहीं इस तरह घर में उस्मान से छुपकर अब्बा के लंड को चूसना दोनों को और उत्तेजित कर रहा था।

अब इस बेटी अब्बा खेल में अब्बास को भी मजा आने लगा था।

उन्होंने कुर्ते के ऊपर से ही अपना एक हाथ ज़ैनब सिर पर रख दिया था और मजे से अपनी कमर हल्का-हल्का हिलाते हुए लंड चुसवा रहे थे।

इसी तरह करीब ५-७ मिनट तक लगातर लंड चूसने के बाद अब्बा तेजी से अपनी कमर हिलाने लगे.

ज़ैनब समझ गई कि अब वे झड़ने वाले हैं।

तो ज़ैनब भी तेजी से सर को आगे-पीछे कर लंड चूसने लगी.

फिर अचानक अब्बा अपनी कमर को तेज झटका देते हुए ज़ैनब मुंह में लंड का सारा पानी निकाल दिया।

ज़ैनब भी लंड को तब तक मुंह में लेने के लिए चूसती रही जब तक लंड का एक-एक बूंद पानी नहीं पी लिया।

लण्ड से दो बार पहले भी पानी निकल चुका था तो इस बार बस थोड़ा ही पानी निकला जिसे ज़ैनब पूरा पी गयी।

कुछ ही देर में अब्बा का लंड ढीला हो गया था … उसके बाद ज़ैनब ने लंड को मुंह निकाला और अब्बा की लुंगी से ही मुंह को पौंछा और खड़ी हो गई।

अब्बा की सांसें अभी भी तेज चल रही थीं … जैसे कहीं से दौड़ कर आ रहे हों.

ज़ैनब ने धीमे से अब्बा से कहा- देखा, फर्श भी गंदा नहीं हुआ और काम भी हो गया।

अब ज़ैनब और अब्बा एक-दूसरे से इतने खुल चुके थे कि हमारी बातों से ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ज़ैनब और वे बाप-बेटी हैं।

इतनी देर में टॉयलेट का दरवाजा खुलने की आवाज़ आयी. उस्मान बाहर आ रहा था.

दोनों बाप बेटी फटाफट अलग हुए और ज़ैनब ने फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक का बोतल निकाला और उसे गिलासों में डालने लगी.

अब्बास भी प्लेटों में खाने का सामन डालने लगा।

उस्मान दोनों बाप बेटी को किचन में देख कर उधर ही आ गया, पर तब तक दोनों लण्ड चुसाई का काम ख़तम कर चुके थे.

फिर सभी बाहर सोफे पर आ गए और कोल्ड ड्रिंक वगैरह पी कर दोनों चलने लगे.

उस्मान ने मोटरसाइकिल निकाला और दोनों उस पर बैठ गए.

अब्बास ने धीरे से पीछे बैठी अपनी बेटी के चूतड़ पर चुपके से हाथ फेरते हुए कहा.

"बेटी ज़ैनब ! अब जल्दी ही आना और कुछ दिन रह कर जाना। तुम्हे तो मालूम ही है की तुम्हारी अम्मी की मौत के बाद मैं कितना अकेला रह गया हूँ. तुम आ जाती हो तो घर में रौनक आ जाती है. और उस्मान बेटे तुम भी जल्दी जल्दी चक्कर लगा लिया करो. मुझे भी अच्छा लगता है. "

उस्मान बेचारा सोच रहा था की एक बाप अपनी बेटी को प्यार से बुला रहा है. पर उस बेचारे को क्या पता था की असली बात क्या है. उसे तो यह भी पता नहीं था की इस बात करते समय भी अब्बास की ऊँगली उसकी बेटी ज़ैनब की गांड की दरार में चल रही है.

वो बोला "जी अब्बाजान. हम अक्सर आते रहेंगे और यदि मुझे टाइम न भी लगे तो ज़ैनब आ जाया करेगी. "

ज़ैनब भी मुस्कुरा कर चुपके से अपने बाप अब्बास को आँख मार कर बोली.

"जी अब्बा. मुझे मालूम है कि आप मुझे कितना प्यार करते है. आप फ़िक्र न करे. मैं अब आपको अम्मी की कोई भी कमी महसूस नहीं होने दूँगी."

उस्मान भी हाँ में गर्दन हिलता रहा. उस बेचारे को क्या पता था कि उस की बीवी अपने बाप को उसकी अम्मी की कमी किस तरह महसूस नहीं होने देगी.

फिर उस्मान और ज़ैनब जल्दी ही वापिस आने का वायदा करके चल पड़े.

इस तरह एक बाप और बेटी का हलाला निकाह हुआ। उस दिन के बाद आज तक उन दोनों का सम्बन्घ उसी तरह चल रहा है. ज़ैनब मौका मिलते ही अपने अब्बा के पास आ जाती है और दोनों खूब जोर जोर से चुदाई का खेल खेलते है. अब्बास अपनी बेटी के तीनों छेदों (मुंह गांड और चूत )का भरपूर मजा लूट रहा है और ज़ैनब को भी अब उस्मान के लण्ड के छोटे होने का कोई गम नहीं है क्योंकि उस की प्यास भुजाने के लिए उस के बाप का मोटा और खूब बड़ा लण्ड हमेशा तैयार है.

समाप्त
कहानी का समापन बहुत ही मस्त और लाजवाब हैं भाई मजा आ गया
उस्मान भी खुश और अब्बास और जैनब भी खुश
 
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Baap beti ka incest mast hota hain . Hamesha
 
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sagar95

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अपने लंड का गुलाम बना दिया
अब ये चुदाई का सिलसिला चलते रहेगा
 
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