18 - धर्मसंकट
मनिका के चेहरे पर लाली फैल गई. जयसिंह ने जान-बूझकर अंडरवियर ना कह, ब्रा-पैंटी शब्द का प्रयोग किया था.
"क्या हुआ मनिका?" मनिका के चुप हो जाने पर जयसिंह ने पूछा.
"कुछ नहीं पापा…" मनिका ने धीमी आवाज़ में कहा.
"बुरा मान गई क्या?" जयसिंह बोले. "मैंने तो पहले ही कहा था रहने दो…"
"उह… नहीं पापा. मुझे क्या पता था कि… आप उस बात का कह रहे हो… मैंने कहा न… I am sorry for that…" मनिका ने संकोच के साथ कहा.
इतने दिन बीत जाने के बाद उस घटना के जिक्र ने उसे फिर से शर्मिंदा कर दिया था.
"हाहा, अरे तुम न कहती थीं के कपड़े ही तो हैं…?" जयसिंह ने मनिका की झेंप कम करने के उद्देश्य से हँस कर कहा.
"हेहे… हाँ पापा." मनिका बोली. “लेकिन आपने ऐसा क्यूँ कहा कि मैं अपने-आप समझ गई हूँगी?" मनिका ने थोड़ा हौले से सवाल उठाया.
“हम्म… जब मैंने तुमसे वो बात कही तो तुम हमारे सामाजिक रिश्ते की वजह से ही तो बुरा मानी थी कि नहीं?”
“हाँ पापा.” मनिका ने हामी भरी.
जयसिंह ने आगे कहा,
"अगर वहीं मेरी जगह तुम्हारा कोई दोस्त, कोई लड़का होता तो भी शायद तुम्हारा रिऐक्शन अलग होता…”
जयसिंह की बात में एक सवाल भी छुपा था. मनिका एक और दफ़ा कुछ पल के लिए खामोश हो गई.
"नहीं पापा! मेरा ऐसा कोई लड़का दोस्त नहीं है." मनिका को न जाने क्यों सफ़ाई देने की ज़रूरत महसूस हुई थी.
“अरे भई, मैं कह रहा हूँ, शायद… पर तुम ग़ुस्सा तो इसीलिए हुई न कि… I am your father…”
“जी पापा… लेकिन मैं समझी नहीं कि आप…”
“मनिका, मैंने तुम्हें एक अडल्ट समझदार लड़की की तरह ट्रीट करते हुए वो बात कही थी… कि अपनी पसंद की चीज़ें ले लो…”
मनिका चुपचाप सुनती रही.
“और जब तुमने सॉरी बोला था तो मुझे लगा तुम्हें इस बात का एहसास हो गया है…" जयसिंह बोले, “अब तुमने क्या सोच कर माफ़ी मांगी थी यह तो तुम ही बता सकती हो…?"
"वो पापा… जब आप रूम में भी नहीं रुकते थे तब मैंने टीवी पर एक फ़िल्म देखी थी जिसमें… एक फ़ैमिली को दिखाया था. उसमे जो लड़की थी वो समुद्र-किनारे पर अपने पापा-मम्मी के सामने बीच-ड्रेस पहने हुए थी… तब मुझे लगा कि उसके पेरेंट्स उसे एन्जॉय करने से नहीं रोक रहे… और आपने भी डेल्ही में मुझे इतना फन करने दिया… और मैंने आपसे थोड़ी सी बात पर इतना झगड़ा कर लिया…"
मनिका ने धीरे-धीरे अपने पिता को बताया.
"हम्म… मैंने कहा वो सच है ना फिर?" जयसिंह ने मुस्का कर मनिका से पूछा.
"हाँ पापा…" मनिका ने सहमति जताई.
"लेकिन जैसा मैंने कहा ये हमारी प्राइवेट बात है, इसका ख़याल तुम्हें रखना होगा.” जयसिंह ने कहा.
इस बार जयसिंह ने सीधा मनिका को संबोधित करते हुए यह बात कही थी.
"हाहाहा… हाँ पापा… चिंता मत करो… इसका ध्यान तो मैं आपसे भी ज्यादा रखने लगी हूँ…" मनिका ने हँस कर कहा.
“Very good girl!" जयसिंह ने मनिका का गाल थपथपाते हुए कहा.
मनिका भी इठला कर मुस्कुरा दी थी.
"चलो अब सोएँ रात काफी हो गई है. कल काफी काम बाकी पड़ा है तुम्हारे एडमिशन का…"
कहते हुए जयसिंह ने मनिका की कमर पर रखे अपने हाथ से उसके नितम्बों पर दो हल्की-हल्की चपत लगा कर उसे उठने का इशारा किया. ऐसी अंतरंग बातचीत के बाद मनिका के दिल में एक ज्वार सा उठ रहा था.
"पापा! नींद नहीं आ रही आज… कुछ देर और बैठते हैं ना?" मनिका बोली.
"हम्म… ठीक है, वैसे भी एक-दो दिन की ही बात और है, फिर तो हम अलग-अलग हो जाएँगे." जयसिंह ने कुछ सोच कर कहा.
"ओह पापा! ऐसे तो मत कहो… we promised that nothing will change between us." मनिका ने उदासी से कहा.
"अरे हाँ भई… लेकिन घर जाने के बाद कुछ तो बदलाव आएगा ही… याद है ना… समाज को सिर्फ़ उतना ही दिखाओ जितना…”
“हाँ-हाँ, जितना उसे ठीक लगे…” मनिका ने जयसिंह की बात पूरी की.
“तब कह रहा हूँ… कि घर जाके हम थोड़े ही इस तरह साथ रह पाएंगे?" जयसिंह उसकी कमर और पीठ सहलाते हुए बोले, “वहाँ अगर तुम इस तरह मेरी गोद में बैठोगी धो मधु के फ़्यूज़ उड़ जाएँगे.”
“हाहाहा… हाँ पापा, वो तो है.” मनिका खिलखिलाई, “We have become too frank for Barmer after coming here, na?”
“Hmm… you think so?”
“Hehe… yes papa, I feel closer to you now… it feels like I can share anything with you.”
“You can darling.” जयसिंह ने मनिका को अपनी छाती से लगाते हुए कहा.
तभी मनिका को एक और बात याद आ गई जो उसके पिता ने कही थी और जिसका सच उसने बाद में महसूस किया था.
"पापा! एक बात बोलूँ?" फिर उसने उनके जवाब का इंतज़ार किए बिना ही आगे कहा, "आप सही थे आज…"
"किस बात के लिए?" जयसिंह ने कौतुहल से पूछा.
"वही जो आप कह रहे थे ना कि लड़कों से ज्यादा… men… मर्द या जो कुछ भी अपनी गर्लफ्रेंड का ज्यादा ख़याल रख सकते हैं." मनिका ने बताया.
"हाहाहा. अब ये कैसे लगा तुम्हें?" जयसिंह ने मजाक में पूछा.
"फिर वही, टीवी से पापा… हाहाहा!" मनिका ने हँसते हुए बताया.
"आप सो गए थे मैंने टीवी में नोटिस किया कि ज्यादातर हीरो-हिरोइन में उम्र का फ़रक होता है, फिर भी वे एक-दूसरे को डेट करते हैं… I mean… कुछ कपल तो एकदम आपकी और मेरी ऐज के होते हैं… so I realised that maybe you were right.”
"हाहाहा… धन्य है ये टीवी. अगर इसके चरण होते तो अभी छू लेता…" जयसिंह ने मजाक किया, पर उनका दिल ख़ुशी से नाच उठा था.
"हाहाहा… हेहेहे…" मनिका उनकी बात पर लोटपोट होते हुए हँस दी. "क्या पापा कितना ड्रामा करते हो आप हर वक्त… हाहाहा!"
"अरे भई मेरी कही हर बात टीवी पर दिखाते हैं तो मैं क्या करूँ…?" जयसिंह बोले.
"हाहाहा… तो आप भी किसी सेलेब्रिटी से कम थोड़े ही हो." मनिका ने हँसते हुए कहा.
"हाहा… और मेरी गर्लफ्रेंड भी है किसी सेलेब्रिटी जैसी ही…" जयसिंह ने मौका न चूकते हुए कहा.
"हेहेहे… पापा आप फिर शुरू हो गए." मनिका बोली.
"लो इसमें शुरू होने वाली क्या बात है?" जयसिंह बोले. "ख़ूबसूरती की तारीफ़ भी ना करूँ…?"
"हाहा… पापा! इतनी भी कोई हूर नहीं हूँ मैं…" मनिका ने कहा.
लेकिन मन ही मन उसे जयसिंह की तारीफ़ ने आनंदित कर दिया था और वह मंद-मंद मुस्का रही थी.
"अब तुम्हें क्या पता इस बात का के हूर हो की नहीं?" जयसिंह भी मुस्काते हुए बोले. "हीरे की कीमत का अंदाज़ा तो जौहरी को ही होता है…"
"हाहाहा… क्या पापा…? क्या बोलते जा रहे हो… बड़े आए जौहरी… हीही!" मनिका ने मचल कर कहा.
फिर जयसिंह को छेड़ते हुए बोली.
"वैसे क्या बात है आपने बड़े हीरे देख रखें हैं… हूँ?"
"भई अपने टाइम में तो देखें ही हैं…" जयसिंह शरारत भरी आवाज़ में बोले.
"हा…!" मनिका ने झूठा अचरज जता कर कहा. "मतलब आपकी भी काफ़ी गर्लफ्रेंडें होती थी?"
"हाहाहा अरे ये गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड का चलन तो अब आया है. हमारे जमाने में तो कहाँ इतनी आज़ादी मिलती थी. सब कुछ लुका-छिपा और ढंका-ढंका होता था." जयसिंह ने बताया.
"हेहेहे! हाँ बेचारे आप…" मनिका ने मजाक करते हुए कहा. फिर उसने जयसिंह को छेड़ने के लिए याद कराया, "तभी अब कसर पूरी कर रहे थे उस दिन टीवी में हीरोइनों को देख-देख कर… है ना?"
"हाहाहा…!" जयसिंह बस हँस कर रह गए.
"देखा उस दिन भी जब चोरी पकड़ी गई थी तो जवाब नहीं निकल रहा था मुँह से… बोलो-बोलो?" मनिका ने छेड़ की.
"अरे भई क्या बोलूँ अब… मैं भी इन्सान ही हूँ." जयसिंह ने बनावटी लाचारी से कहा.
"हाहाहा!" मनिका हँस-हँस कर लोटपोट होती जा रही थी.
उधर उसकी करीबी ने जयसिंह के लिंग को तान रखा था. जयसिंह को भी इस बात का एहसास नहीं हुआ था कि उनका लंड खड़ा है. क्योंकि दिल्ली आने के बाद से उनके लिए यह एक रोजमर्रा की बात हो गई थी. बरमूडे के आगे के हिस्से को उनके लंड ने पूरा ऊपर उठा रखा था.
"तो मतलब आप मेरी झूठी तारीफ़ कर रहे थे ना? आपको तो वो कटरीना-करीना ही पसंद आती है… जिनका सब कुछ ढंका-ढंका नहीं होता है!" मनिका ने हँसते हुए बोली.
इस बार वो उत्साह के मारे कुछ ज्यादा ही खुल कर बोल गई थी.
जयसिंह ने मन ही मन विचार किया,
"आज तो किस्मत कुछ ज्यादा ही तेज़ चल रही है… क्या करूँ? बोल दूँ के नहीं?"
फिर उन्हें अपना निश्चय याद आया कि दिमाग़ से ज्यादा अब वे काम-इच्छा का पक्ष लेंगे. वे बोले,
"हाहाहा. वैसे मनिका तुम भी कोई कटरीना-करीना से कम तो नहीं हो…! फैशन में तो तुम भी काफी आगे हो…"
"हीहीही… क्या बोल रहे हो पापा?" मनिका ने थोड़ा आश्चर्य से पूछा.
“अरे भई, इतने फ़ैशन वाले कपड़े पहनती हो, कल ही तो बताया था तुम्हें कि… you are so beautiful… पर तुम मेरी बात मानती ही नहीं.” जयसिंह बोले.
“हीहीही… पापा, आप भी ना… वैसे… thank you so much for the complement.”
“Anytime darling.” जयसिंह बोले, “पर घर पर थोड़ा ध्यान से रहना, कहीं तुम्हारी मम्मी ने देख लिए वो कपड़े तो मेरी जान को आफ़त कर देगी.”
“हाहा पापा… आपसे पहले तो मेरी जान को आफ़त होगी. चिंता मत करो, बिलकुल छुपा कर रखूँगी.”
जयसिंह और मनिका एक दूसरे की आँखों में आँखें डाल मुस्कुरा उठे थे. लेकिन फिर उनके बीच चुप्पी छा गई. कुछ पल बाद मनिका बोली,
“वैसे पापा… you surprised me… जब हम कपड़े ले रहे थे. मुझे लगा आप मना करोगे या नाराज़ होओगे उन कपड़ों के लिए.”
“हम्म. ऐसा क्यूँ लगा तुम्हें?”
“वैसे ही… you know… मम्मी नाराज़ होती रहती है ना… तो मुझे लगा आप भी…”
“हम्म… पर मैंने तो कभी नहीं टोका तुम्हें?”
“हाँ पापा… वैसे ही लगा मुझे… जाने दो, आप तो हो ही सबसे अच्छे.” मनिका ने प्यार से उन्हें देखते हुए कहा.
“हाहा वो तो मैं हूँ.” वे बोले, “वैसे मुझे तो उस दिन भी तुम्हारी लेग्गिंग बहुत पसंद आई थी जिनके लिए मधु ग़ुस्सा कर रही थी.”
“हेहे… हाँ तभी तो मुझे और दिला लाए.” मनिका बोली, “मम्मी का तो काम ही नुक़्स निकालना है.”
लेकिन फिर उसे वो टाइट और पारदर्शी लेग्गिंग्स याद आ गई जो उसने अपने पिता को पहन कर दिखाई थी. उसके गाल थोड़े लाल हो गए.
उधर जयसिंह ने थोड़ा अधीर मन से अंधेरे में एक तीर चलाया.
“हम्म… सच कहूँ तो मुझे लगता है मधु तुमसे थोड़ा जलती है…”
“हेहे पापा… क्या बोलते हो?” मनिका आश्चर्य से बोली.
“हाँ. शादी के बाद मुझे एहसास हुआ कि उसे अपनी ख़ूबसूरती का थोड़ा घमंड था… और अब जब तुम बड़ी हो गई हो तो शायद उसे लगता हो कि तुम उस से ज़्यादा सुंदर हो.” जयसिंह ने झूठा प्रपंच रचते हुए कहा, “जो कि तुम हो.”
“हाय पापा. सच में?”
“हाँ… मुझे ऐसा लगता है… क्यूँकि मैं भी कभी-कभी सोचता था कि मधु सिर्फ़ तुमसे ही इतना क्यूँ चिड़ी रहती है.”
“ओह पापा, कितनी ख़राब है मम्मी तो.” मनिका ने मुँह बनाते हुए कहा.
“वैसे तुम्हारी मम्मी भी इतनी ख़ूबसूरत नहीं थी जवानी में… वो फ़िल्मी हिरोइनें भी तुम्हारे सामने कुछ नहीं लगती सच कहूँ तो."
"इश्श पापा… बस करो इतना भी हवा में मत उड़ाओ मुझे…" मनिका ने शर्माते-इठलाते कहा.
"सच कह रहा हूँ… हाहा." जयसिंह ने हँस कर कहा.
"हीही पापा…" मनिका उनकी तारीफ़ से थोड़ा झेंप गई थी.
अब जयसिंह ने मनिका को थोड़ा और करीब खींचा. जिससे वह उनकी जाँघ पर खिसक कर उनसे सट गई. ऐसा करते ही उसकी जाँघ जयसिंह के खड़े लिंग से जा टकराई. मनिका को कुछ पल तो पता नहीं चला, पर फिर उसे जयसिंह के ठोस लंड का आभास होने लगा. उसने एक नज़र नीचे देखा तो वह फिर होश खोने के कगार पर आ खड़ी हुई.
बरमूडे के अन्दर तना उसके पिता का लंड उनकी गोद में किसी डंडे सी आकृति बना रहा था, और उसकी जाँघ से सटा हुआ था. यह देखते ही मनिका चिहुँक कर थोड़ा पीछे हट गई. उधर जयसिंह को भी मनिका की जाँघ पर अपने लंड के स्पर्श का पता चल चुका था. जब उसने अनायास ही अपने-आप को पीछे हटाया था, वे उसके चेहरे पर ही नज़र गड़ाए हुए थे.
मनिका ने भी झट नज़र उठा कर जयसिंह की तरफ देखा कि उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है, पर उन्हें बिलकुल सामान्य पाया. उन्होंने उसका गाल फिर से थपथपाया और पूछा,
"नींद नहीं आ रही आज?"
"हाँ… हाँ पापा… स्स…सोते हैं चलो." मनिका ने थर्राते हुए कहा.
जयसिंह के लंड का आभास होने के बाद से मनिका की इंद्रियाँ जैसे पहली बार जाग उठी थी. उसे अब अपने पिता के बदन के हर स्पर्श का एहसास साफ़-साफ़ हो रहा था. उसके गाल पर रखा हाथ अब उन्होंने नीचे कर उसकी गर्दन पर रखा हुआ था. वहीं उनके दूसरे हाथ के स्पर्श ने उसकी हया को और ज्यादा बढ़ा दिया. उसने पाया कि जब से जयसिंह ने उसकी नितम्बों पर थपकी दी थी, तब से उनका हाथ वहीं था. हालाँकि उसके पापा पूरी तरह से उसके अधो-भाग को नहीं छू रहे थे, पर उसे एक हल्के से स्पर्श की अनुभूति हो रही थी. उसे अपने नीचे दबी जयसिंह की मांसल जाँघ की कसावट भी अब महसूस हो रही थी.
उसे ऐसा लग रहा था जैसे जहाँ-जहाँ उसका और उसके पापा का बदन छू रहा था वहाँ से एक गरमाहट सी उठ रही थी. वह सोने का बोल कर उनकी गोद से उठने लगी.
'पट्ट' की आवाज आई.
जयसिंह ने हल्के से उसके कूल्हे पर एक और चपत लगा दी थी.
इस बार मनिका को उनका स्पर्श अधिक प्रवेग से महसूस हुआ. उस थपकी की आवाज़ भी उसके कानों में आन पड़ी थी.
"चलो फिर सोते हैं…" जयसिंह भी मुस्काते हुए उठ गए.
–
बिस्तर की तरफ बढ़ती हुई मनिका के क़दमों में एक तेज़ी थी. जयसिंह भी पीछे-पीछे ही आ रहे थे.
बेड पर चढ़ कर मनिका ने अपने पिता की तरफ देखा, उसको जैसे ताव आ गया. पिछली रात जब जयसिंह ने बरमूडा-शॉर्ट्स पहनी थी तो उनके लिंग के उठाव का पता मनिका को इसलिए चला क्योंकि उसने उनके नग्न दर्शन कर लिए थे, सो उसकी नज़र सीधा वहीं गई थी. लेकिन आज मानो जयसिंह का लंड पूरी तरह से तना हुआ था. शॉर्ट्स में एक डंडेनुमा आकृति बनी थी और जयसिंह के चलने के साथ हौले-हौले हिल रही थी.
जयसिंह मुस्कुराते हुए बिस्तर में घुस कर उसकी ओर करवट लिए लेट गए.
उन दोनों की नज़रें मिली.
जयसिंह उसकी निगाहों को ताड़ चुके थे और मुस्काए. मनिका भी क्या करती सो वह भी मुस्का दी. जयसिंह को जैसे कोई छिपा हुआ इशारा मिल गया था. वे खिसक कर मनिका के बिलकुल करीब आ गए.
इस तरह उनके अचानक पास आ जाने से मनिका असहज हो गई और उसका शरीर एक पल के लिए जड़ हो गया. जयसिंह ने उसके करीब आ कर अपना हाथ उसकी कमर में डाल लिया और अपना चेहरा उसके चेहरे के बिलकुल पास ले आए. उधर मनिका से हिलते-डुलते भी नहीं बन रहा था.
“Good night darling!" जयसिंह ने धीरे से कहा.
“Oh! Good night papa…” मनिका उनकी इस हरकत का आशय समझ थोड़ी सहज होने लगी.
जयसिंह ने मुस्का कर उसकी कमर से हाथ उठा उसकी ठुड्डी पकड़ी और अपना मुँह उसके चेहरे की तरफ बढ़ा दिया.
'पुच्च'
मनिका कुछ समझ पाती उस से पहले ही उन्होंने उसके गाल पर एक छोटा सा किस्स कर दिया था.
“I hope you will stop comparing me to Madhu now… hmm?” उन्होंने कहा.
मनिका की नज़रें उठाए नहीं उठ रहीं थी. जयसिंह के यकायक किए इस बर्ताव ने उसे स्तब्ध कर दिया था. किसी तरह उसने एक पल को उनकी तरफ देखा और हौले से कहा,
“No papa… I am really sorry for that.”
"हम्म. कोई बात नहीं…" वे बोले.
फिर अपने हाथ से उसके चेहरे से बाल हटाते हुए उसका गाल थपथपाया.
"ओह पापा." मनिका ने राहत की साँस ली.
"ठीक है…" जयसिंह बोले, "चलो अब यहाँ आओ और मुझे मेरी गुड-नाइट किस्स दो…"
मनिका एक पल के लिए ठिठकी. उसकी नज़र फिर से जयसिंह के लिंग पर चली गई थी. फिर उसने धीरे से आगे झुक कर अपने पापा के गाल पर पप्पी दे दी,
'पुच्च’