Alagsi
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Ek no Manas
बेरहम है तेरा बेटा.....१
अपडेट-----१४
खिड़की से झांकते हुए पाया की, उसका भाई बेचन उसकी औरत शीला को अपनी बाहों में जकड़े हुए उसकी एक चूची को अपने हाथ के मुट्ठी में एक दम से दबोचे हुए था। और शीला छटपटा कर उसे छोड़ने को क रही थी।
अद्भुद नज़ारा था , शीला की उम्र लगभग 55 साल की होगी लेकिन फिर भी इस उम्र में गजब की भरी हुई बदन लिए हुए किसी भी जवान मर्द का पानी निकाल सकती थी।
शीला-- आह.. छोड़िए ना देवर जी, क्या कर रहे हो, आपके भईया अगर आ गए ना तो हम दोनों की खैर नहीं।
बेचन(शीला की चूचियों को मसलते हुए)-- आह भाभी लगता है भईया तुझे कुछ ज्यादा ही मजा देते है... जो तुझे अपने इस देवर पर तरस नहीं आ रहा है.... और कहते हुए शीला की चूचियों को जोर से दबा दिया।
शीला......- आ.......ह, देवर जी, मार डालोगे क्या।
शीला बेचन की बाहों में किसी खिलौने की तरह पड़ी हुई थी, जिसे बेचन बड़े मजे ले ले कर उसकी चूचियां मसल रहा था।
बेचन--- एक बार पुरी नंगी हो जा ..... भाभी , बस एक बार।
शीला की बची खुची जवानी बेचन के इस तरह मसलने से रंग लाने लगी थी, वो जानबूझ कर नाटक कर रही थी।
शीला-- नहीं देवर जी छोड़िए मुझे, ये सब अच्छा नहीं लगता अब इस उम्र में। आपके भईया अगर......
बेचन बीच में ही बात काटते हुए-- अरे भाभी आप तो भईया के उपर ही अटकी पड़ी हो कब से.... तभी बेचन ने शीला की ब्लाउस अपनी उंगलियों में पकड़ जोर से खींच कर फाड़ दिया।
शीला -- हाय री दाईया.... ये क्या किया आपने देवर जी... और अपने दोनों हाथो से अपनी चूचियों को छुपाने लगी।
बेचन,-- क्यू तड़पा रही है भाभी , देख ना तेरी ये मस्त चूचियां देख कर मेरे लंड की क्या हालत हो गई है।
अनायास ही शीला की नजर बेचन के पजामे पर पड़ी जो अब तक वहां पर तम्बू बना था..... ये देख शीला शर्मा गई और अपनी आंखे नीचे कर ली।
बेचन शीला को इस कदर शरमाते देख उसकी हिम्मत बढ़ गई वो झट से खाट पर से उठा और शीला को अपनी बांहों में कस कर दबोच लिया।
बेचन-- क्या हुआ भाभी लगता है पसंद नहीं तुझे?
शीला कुछ बोल नहीं पाई और अपना सर नीचे ही झुका कर रखी रही।
बेचन-- भाभी अब सहा नहीं जाता... निकाल दे अपनी ये साड़ी और बन जा अपने देवर की रखैल...।
शीला ये सुनते ही पूरी की पूरी अंदर तक हिल गई..... उसके जांघो के बीच काफी सा लो से वो झनझनाहट जो आनी बंद हो गई थी, बेचैन के एक शब्द ने उसके बूर को आखिर गुदगुदा ही दिया,,।
शीला-- देवर जी आप जाओ यहां से,
शीला बोल ही रही थी कि उसने नजर उठा कर जैसे ही बेचन की तरफ देखा बेचन ने अपना पायजामा निकाल कर अपना लंड हाथ में ले लिया था और उसे धीरे धीरे आगे पीछे कर रहा था।
६ इंच का लंड देख शीला की जवानी बेकाबू होने लगी, थोड़ा सा शर्म और इज्जत की मारी शीला अपनी नजर झुकाए वहीं खड़ी रही...।
ये देख बेचन की हालत और खराब होने लगी उसका लंड तो पहले से ही उफान मार रहा था। जब से अपनी मां को चोदा था उसने और अब अपनी बिटिया सीमा का बूर खोलने की खुशी उसके तन बदन दोनों को आग लगा रही थी।
बेचन--- अरे भाभी, देख ना मेरा लंड खड़ा है और तू है कि अपनी मुंडी झुकाए खड़ी है।
चल आजा मेरी जान अपने देवर का लंड अपने मुंह में ले के चूस......।
शीला तो मानो जैसे पानी पानी हो गई थी क्युकी आज तक ऐसी बाते उसके मर्द ने भी उससे नहीं करी थी, और लंड चूसने का सुन कर तो तो उसके भोसड़े में तो जैसे तहलका मच गया हो, क्युकी लंड चूसना तो आज तक वो सिर्फ गाली गलौच के समय ही सुनी थी लेकिन कभी चूसा नहीं था।
शीला के लिए लंड चूसने का ये पहला अहेसास था, लेकिन मारे शर्म से वो खुल नहीं पा रही थीं।
शीला ये सब सोच ही रही थी कि तभी बेचन ने आगे बढ़कर उसकी साड़ी के पल्लू को पकड़ लिया और एक झटके में खींचने लगा जिससे शीला चारो तरफ नाचने लगी और उसकी साड़ी देखते देखते ही उसके बदन पर से उतरने लगी......।
शीला--- नहीं देवर जी ऐसा मत करो, ये ग़लत है।
लेकिन बेचन ने आखिर उसकी साड़ी को पूरा उतार ही दिया, अब शीला सिर्फ पेटीकोट में और एक नीले रंग के ब्लाउज में खड़ी थी।
अपनी मोटी मोटी कमर लिए शीला अपनी दोनों हाथो से अपने ब्लाउज के ऊपर हाथ रख उसे छुपाने की कोशिश कर रही थी।
और इधर बेचन शीला की बड़ी बड़ी चूचियां और मोटी गांड़ देख पागल हुए जा रहा था।
बेचन--- आह भाभी, कसम से क्या गांड़ है तेरी, मज़ा आ जाएगा जब तेरी गांड़ में मेरा लंड घुसेगा तो।
शीला ऐसी बाते सुनकर और शर्मा जाती लेकिन उसे ऐसी बातों में मजा भी बहुत आ रहा था।
शीला--- आप बहुत गंदे हो देवर जी, ऐसी गंदी बातें कर के आप को शर्म नहीं आ रही है?
बेचन(अपने लंड को मसलते हुए)---- आह , मेरी शीला रानी.... भईया नहीं करते क्या तुझसे ऐसी बाते?
शीला--- वो तुम्हारी तरह गंदे थोड़ी है, वो ऐसी गंदी बाते कभी नहीं करते।
बेचन ने शीला को फिर से एक बार अपनी बाहों में कस कर भर लिया... और शीला का पेटी कोट उपर उठाते हुए उसके दोनों बड़ी बड़ी चूतड़ों को अपनी हथेलियों में दबोच उसे जोर जोर से मसलने लगा।
शीला--- हाय..... राम, क्या..... आ.... कर रहे हो.... दर्द हो रहा है...। छोड़ दो देवर..... जी।
बेचन--- अरे शीला रानी, तेरी गांड़ हैं ही इतनी मस्त, पता नहीं वो भंडवा मेरा भाई तेरी गांड़ की नथ क्यू नही उतार पाया।
शीला--- आह.... देवर जी...धीरे.... करो।
बेचन-- भईया ने कभी नहीं दबाया तेरी इन मस्त चूतड़ों को?
शीला-- बेचन की बाहों में पड़ी... आह न.... नहीं।
बेचन-- तू चिंता मत कर शीला रानी, अब से तेरी गांड़ की सेवा में करूंगा, तेरी इस मोटी गांड़ में अपना लंड डाल कर खूब तेरी गांड़ करूंगा। क्यू मरवाएगी ना अपनी ये गांड़ मुझसे?
शीला को बहुत ज्यादा शर्म आ रही थी, ऐसी बाते उसके बदन में आग भी लगा रही थी और उसकी शर्म उसे रोक रही थी, वो भी चाहती थी की पूरा खुल कर मजे लू लेकिन गांव की औरतं इतनी जल्दी भला कैसे बेशर्म हो सकती है।
शीला-- आह हटो, आप इतनी गंदी गंदी बात कर रहे हो, मुझे शर्म आती है, आप तो बेशर्म हो कर मेरी मसले जा रहे हो और पूछते हो की।
बेचन- - क्या मसले जा रहा हूं भाभी?
शीला-- आप मसल रहे हो, तो आ....ह, आप को नहीं पता क्या?
बेचन-- मुझे नहीं पता तू ही बता दे ना मेरी , रखैल ।
शीला-- आप मर्द लोग ऐसे ही होते हो.... आह, खुद तो मजे लेते हो औरतों को मसल मसल कर और दर्द की परवाह तो होती नहीं त आप मर्दों को।
बेचन ने शीला के बूर में अपनी दो उंगलियों को घिसोड़ कचकाच पेलने लगा, शीला की बूर पानी उगलने लगी।
शीला--- आह..... अम्मा. हाय री.... देवर जी, ।
बेचन-- तेरी बूर तो पानी छोड़ रही है भाभी, कसम से बहुत कसी कसी लग रही है।
बेचन खड़े खड़े ही , अपनी उंगलियां शीला की बूर में पेले जा रहा था.... और शीला भी मस्त मज़े में अपनी टांगे चौड़ी कर के उंगलियां पेलवाने का मजा ले रही थी।
पूरे कमरे में शीला की सिसकारियों से आवाज़ गूंज रही थी, और शेशन खिड़की से ये नज़ारा देख पागल हो गया था, वो कभी सोच भी नहीं सकता था की उसकी औरत ये सब भी कर सकती है... शीला जिस तरह बेचन की बाहों में खड़ी अपनी दोनों टांगे चौड़ी कर के अपनी बूर बेचन की उंगलियों से पिलवा रही थी, वो नज़ारा ही एक दम मादक भरा था।
शेशन ने अपनी औरत को कभी भी नंगा नहीं देखा था, रात के अंधेरे में ही उस की चूद्दाई कर देता था, और अब तो उसका लंड भी खड़ा नहीं होता।
बेचन--- (उंगलियां पेलते हुए)--- कैसा लग रहा है भाभी, मजा आ रहा है कि नहीं।
शीला--- आह....म.... देवर जी, आप गंदे हो, आह दैया री... कितना अंदर डालोगे अपनी आह उंगलियां.... फाड़ दोगे क्या अपनी भाभी की बूर।
अपनी औरत के मुंह से ऐसी बात सुनकर शेशन का हाल बेहाल हो गया, क्युकी शीला भी ऐसी बाते कर सकती है उसे पता नहीं था।
और इधर बेचन समझ चुका था , की भाभी की बूर अब लंड मांग रही है, और वैसे भी काफी समय हो गया था उसे लगा उसका भाई कभी भी आ सकता है तो जल्दी से पहले चोद लेता हूं बाद में फिर कभी इत्मीनान से इसे चोदूंगा और वैसे भी अब ये मना नहीं करेगी।
बेचन--- भाभी अपना पेटीकोट उठा कर झुक जा, अब तेरी बूर में अपना लंड डालूंगा और चोदूंगा नहीं तो तेरा bhandwa मर्द आ जायेगा।
शीला--- आह, देवर जी नहीं मत करो ना मत चोदो मुझे... लेकिन शीला ने अपनी पेटीकोट को ऊपर सरका कर खाट पकड़ झुक गई....।
बेचन के सामने अब शीला पूरी नंगी बड़ी बड़ी गांड़ थी, और उसकी झांटों से घिरी बूर बेचन के ६ इंच लंड को और कड़क बना रही थी।
बेचन ने समय का तकाज़ा समझ जल्दी से चोदने का फैसला लिया हालांकि वो शीला को और रगड़ना और मसलना चाहता था लेकिन उसे डर था कि कहीं अगर शेसन आ गया तो गड़बड़ हो जाएगा।
बेचन--- आह भाभी, क्या मस्त गांड़ है.... तेरी गांड़ में ही डाल दूं क्या?
शीला अपनी पेटीकोट उठाए अपनी गांड़ बाहर की तरफ निकले झुकी थी कसम से क्या नज़ारा था जिस तरह से एक ५७ साल की औरत अपनी मदमस्त गांड़ खो ले.... अपने देवर के लंड का इंतजार कर रही थी।
शीला--- नहीं... देवर जी उसमे मत डालो... ।
बेचन(फिर से शीला के बूर में उंगलियां डाल)--- तो कहा डालू रानी.... तेरी इस बूर में डालू, बहुत गरम है... देख कैसे पानी चुआ रही है मेरे लंड के लिए।
शीला से अब रहा नहीं जा रहा था उसका बूर एकदम से गरम हो चुका था और वो थोड़ी भी देरी नहीं करना चाहती थी।
शीला--- आह, देवर जी , कब तक झुकाए रखोगे अपनी रखैल को... डाल भी दो अब।
खिड़की में से झांकता हुए शेसन अपनी औरत के मुंह से बेचन की रखैल वाली बात सुनकर लाल पीला हो गया... वो सोचने लगा वाह री शीला तू इतनी बड़ी छीनाल है मै कभी समझ ही नहीं पाया।
और इधर जैसे ही बेचन ने अपनी भाभी के मुंह से अपनी रखैल शब्द सुना तो पागल हो गया और अपना कड़क लंड शीला के बूर की फांकों में फंसा जोर का धक्का मारा और पूरा लंड एक बार में ही घुसा दिया।
शीला---- हाय री.... मेरी बूर... फाड़ दिया...aaaaaaaaaaaa... निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है....आह... नहीं... धी...... रे...।
शीला की चिल्लहट, और बेचन की पागलों जैसी दक्केमारी देख कर शेसन सन्न रह गया.... उसने ऐसी चूदाईई ना कभी देखी थी और ना कभी की थी.... शीला पूरी हिल जाती जब बेचन जोर जोर से शीला की बूर में धक्का मारता... और शीला अपना मुंह खोले चिल्लाती।
बेचन--- आह.... भाभी बहुत मज़ा आ रहा है तेरी बूर में... कैसा लग रहा है तेरे देवर का लंड।
शीला को भी अब मज़ा आने लगा था , शीला बेचन के जोश की दीवानी हो गई थी जीस तरह वो उसे कस कस कर चोद रहा था.... उसे उसके पति ने कभी नहीं चोदा था।
शीला-- आह.... देवर जी, बहुत मज़ा आ रहा है.... आह पहले क्यों नहीं चोदा अपनी भाभी को.... कब से सुख गई थी मेरी बूर... हा... हा... देवर जी ऐसे ही आह.... मा इतना मज़ा कभी नहीं आया था री।
बेचन की रफ्तार और तेज हो गई पूरे कमरे में फच्छ फाच्छ की आवाज़ और शीला की सिसकारियां माहौल को और भी मादक बना रही थी।
बेचन-- आह शीला, पहले ही चोद देता तुझे गलती हो गई... अब ले अपने देवर का लंड ।
शीला--- आह देवर जी..... बहुत अन्दर जा रहा है आपका लंड बहुत मज़ा आ रहा है... मेरा तो... आह पानी निकलने वाला है... चोदो मुझे ऐसे ही, मै गई देवर जी..... आह।
बेचन--- आह भाभी मेरा भी निकलने वाला है... कहा डालू अपना पानी।
शीला--- आ........... मेरी बु..... र में ही डाल दो.... और शीला अपनी का बदन अकड़ने लगा और वो झरने लगी.... और बेचन ने भी एक दमदार धक्का लगाया और अपना पूरा पानी शीला की बूर में भरने लगा।
तूफ़ान गुजर गया था.... दोनों अपनी सांसों को काबू में कर रहे थे.... शीला अब अपना पेटीकोट नीचे कर के खड़ी हो चुकी थी और बेचन अपना ढीला पड़ चुका लंड हाथ में लिए खड़ा बोला।
बेचन--- मज़ा आया भाभी।
शीला तो शर्मा गई.... पूरा।
शीला--- धत बेशरम..... कह कर अपनी साड़ी पहनने लगी।
बेचन--- शीला को पीछे से अपनी बाहों में भर कर उसकी दोनो चूचियां मसलने लगता है।
शीला-- आह.... अभी आपका मन नहीं भरा जो फिर से लग गए।
बेचन-- अरे मेरी जान तू है ही इतनी मस्त की तुझे देख फिर से मन हो जाता है।
शीला--- नहीं.. छोड़ो मुझे, एक तो चोद चोद कर मेरी हालत खराब कर दी आपने और फिर से मन हो रहा है..... अब जाओ नहीं तो आपके भईया आ जाएंगे।
बेचन--- अभी तो जा रहा हूं हूं रानी.... लेकिन फिर कब चुद्वाएगी?
शीला ये सुन शर्मा जाती है..... और बोली।
शीला--- अब तो मै आपकी ही हूं जब मन करे तब चोद लेना।
ये बात सुन कर शेसन एक दम टूट सा गया और कुत्ते जैसा मुंह बनाकर बाहर चला गया........।
और फिर कुछ देर बाद बेचन भी अपने घर पर चल दिया।
हॉस्पिटल में बैठी सुनीता के साथ साथ फातिमा , राजू, और अनीता चुप थे।
सुनीता की हालत तो समझ में ही नहीं आ रही थी दीवार के सहारे अपना सर टिकाए लगातार उपर ताक रही थी..... उसे सोनू के बचपन के दिन याद आ गए... वो सोचने लगी कि एक बच्चे के लिए मै पूरी पांच साल तड़पती रही कहा कहा नहीं गई मंदिरों में हर जगह और जब भगवान ने मुझे एक बच्चा दिया तो मुझे उसकी कद्र ही नहीं.... यही सोचते सोचते उसकी आंखे भर आती है......