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Incest बेरहम है तेरा बेटा......1

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कौन सा पात्र आपको ज्यादा पसदं है।

  • सोनू- कस्तुरी

    Votes: 7 77.8%
  • सोनू- फातीमा

    Votes: 2 22.2%
  • बेचन- शीला

    Votes: 0 0.0%
  • बेचन- सुगना

    Votes: 3 33.3%
  • कल्लू- मालती

    Votes: 2 22.2%

  • Total voters
    9
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meri marlo

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Aaah kya garam. Chudai karta hai
बेरहम है तेरा बेटा-----१
अपडेट.......३


त भर सोहन का गांड मार मार कर थक चुका था, तो वह झोपड़े मे ही खाट पर लेट

कर सो गया, सुबह जब रजिदंर आया तो सोनू को जगाया, सोनू समय देखा तो करीब 11 बजे थे,


सोनू उठकर सिधा घर की तरफ़ चल देता है.....





डाक्टर साहिबा, अरे वो डाक्टर साहीबा एक आदमी आवाज लगाता है,

अंदर से एक खुबसुरत औरत ने दरवाजा खोला, जी कहीये क्या बात है,

डाक्टर साहिबा मेरी पत्नी की हालत बहुत खराब है, अस्पताल गया तो पता चला आप नयी

आयी है,


डाक्टर साहीबा-- जी हा मैं कल से अस्पताल आने वाली हू, लेकीन चलीये आपकी पत्नी की

हालत खराब है तो मेरा तो काम ही यही है, आप रुकीये मै अभी आती हू,



डाक्टर साहिबा अंदर से अपना मेडीकल का सामान ले के आती है, और अपने कार मे उस

आदमी को बिठा कर चल देती है,


बहुत जल्द ही कार गांव मे आके रुकती है, डाक्टर साहीबा उस आदमी के घर में

जाती है,


डाक्टर साहिबा-- अरे इन्हे तो ठंड लग गयी है, डरने की कोइ बात नही है, मैं

इन्हे इजेंक्शन दे देती हु, और ये दवाइया सुबह शाम देते रहना जल्द ही ठीक हो जायेगीं


डाक्टर साहिबा औरत को इजेंक्शन लाकने के बाद दवाइया देती है और औरत से.


डाक्टर साहिबा-- आपका नाम क्या है?

औरत-- मेरा नाम झुभरी है,

डाक्टर साहिबा-- और मेरा नाम पारुल है, मै आपके गांव की नयी डाक्टर हूं, अच्छा तो अब

मै चलती हू, इनको ठंड से बचाना और कल एक बार अस्पताल जरुर ले आना,


झुमरी का पती-- ठीक है मैडम, और पारुल का मेडीसीन बाक्स उठा कर बाहर आता है,

बाहर गांव वालो की भीड़ लगी थी, सब गांव वाले पारुल को नमस्ते करते है,


पारुल-- जी नमस्ते मेरा नाम पारुल है, और मै इस गांव की नयी डाक्टर हूं॥

पारुल-- अच्छा तो , आपका नाम

झुमरी का पती-- जी मेरा नाम बेचन है,

पारुल-- अच्छा तो बेचन जी मै चलती हू,

बेचन-- जी डाक्टर साहीबा कीतना पैसा हुआ॥

पारुल-- अरे बेचन जी मै सरकारी डाक्टर हूं, और ये दवाइया ,इलाज ये सब मुफ्त है, हमे सरकार से तनख्वाह मिलती है,


बेचन--लेकीन डाक्टर साहिबा इससे पहले जो डाक्टर था वो तो बिना पैसे का इलाज ही नही करता था॥


पारुल-- तो आप लोगो ने कंम्पलेन नही की॥

बेचन-- अब ये झंझट मे कौन पड़े, लेकीन अच्छा हुआ भगवान ने आपको हमारे गांव

मे भेजा, नही तो हम गरीब उसे पैसे देते देते बरबाद हो जाते,

पारुल-- अच्छा ठीक है, बेचन जी मैं चलती हू और हा कल झुमरी को अस्पताल लाना मत भुलना,

बेचन -- ठीक है डाक्टर साहीबा,

पारुल जाने लगती है तो उसकी कमर कभी इधर कभी उधर डोलती, गांव के पुरे जवान मर्द उसकी कमर ही देख रहे थे,

पारूल कार मैं बैठती है और कार चल देती है....




सोनू घर पहुचं जाता है, और सिधा खाट पर लेट जाता है...

सुनिता-- आ गया बेटा, रुक मैं खाना लाती हू,

सोनू-- अभी नही मां मै नहाने जा रहा हूं,

सुनिता-- ठीक है बेटा,

सोनू नहाने चला जाता है, नहाने के बाद सीधा खाना खाता है और सो जाता है....



सुनिता-- अरे मालती कहां है आज कल तू दिखाइ नही दे रही है,

मालती गांव की धोबन थी,

मालती-- अरे दिदी कपड़े धोने और सुखाने में पुरा वक्त निकल जाता है, कुछ कपड़े है धोने के लिये क्या?


सुनिता-- हा ठहर मैं देखती हू, और सुनिता अंदर से कुछ कपड़े ला कर मालती को देती है,

मालती-- अच्छा दिदी मैं चलती हू...और मालती अपने घर की तरफ़ निकल देती है,


सोनू उठ बेटा शाम हो गयी, सुनिता उसे जगाती है, सोनू सो कर उठता है और हैडंपम्प पर जा कर मुह हाथ धोने लगता है,


तभी सुनहरी वहां आ जाती है...

सुनहरी-- आ गया बेटा,

सुनिता-- हां दिदी वो तो कब का आया है,

सोनू सुनहरी को उसके पिछे आने का इशारा करता है, और वो घर की छत पर चला जाता है,

कुछ देर बाद सुनहरी भी छत पर आ जाती है,

सुनहरी के छत पे आते ही, सोनू उसे छत के कमरे ले के जाता है,

सुनहरी--तू मुझे छत पे क्यूं बुलाय ?
सोनू अपनी बड़ी अम्मा को अपनी बाहों मे भर लेता है,

सोनू-- तेरी लेने बड़ी अम्मा,
सुनहरी--क्या लेने बुलाया है,
सोनू-- तेरी बुर,
सुनहरी-- हे भगवान , तुझे शरम नही आती, अपनी बड़ी मां से ऐसे बात करते हुए,

सोनू अपने हाथो से उसके गांड को मसलते हुए-- हाय ये बड़ी अम्मा तेरी मोटी गांड देखकर शरम भुल गया, देख ना कैसे मेरा लंड फड़फड़ा रहा है, तेरी बुर के लिये,

सुनहरी-- आह बेटा, ऐसा मत कर सब निचे बैठे है,
सोनू-- अपनी साड़ी उठा के झुक जा ना बड़ी अम्मा जल्दी से चोद लू तुझे,
सुनहरी-- नही तू बेरहम है, तू मेरी चोद चोद के हालत खराब कर देगा, उस तीन रात को जब तू मेरी चुचींया बेरहमी से मसल रहा था, तभी मै जान गयी थी की तू रहम करने वालो में से नही है,

सोनू-- नही बड़ी अम्मा, आराम आराम से चोदूगा तूझे,

तभी निचे आवाज आती है, दिदी अरे ओ दीदी कहा हो तुम,
सुनहरी अपने आप को सोनू से छुड़ाती हुइ और हंसते हुए निचे भाग जाती है,

सोनू मन में- भाग साली कीतना भागेगी एक दीन तो तेरी बुर मैं ऐसे फाड़ुगां की तुझे पता चलेगा,

और फीर सोनू भी छत से नीचे आ जाता है,


बेचन अपनी औरत झुमरी के पास बैठा था,

बेचन-- कुछ आराम है, झुमरी
झुमरी-- हां डाक्टर साहीबा ने जब से दवा दीया है, आराम है,

बेचन--चल ठीक है कल अस्पताल चल कर एक बार डाक्टर साहिबा को दीखा देंगें॥

तभी बेचन की बेटी सीमा वहा आ जाती है,
(सीमा को बचपन से पोलीयो हुआ था, उसके सारे अग तो कमाल के थे, उसकी बड़ी बड़ी गोरी चुचीया, बड़ी और चौड़ी गांड, बस खाली उसके पैरों का विकास नही हुआ)

सीमा--बापू अब अम्मा की तबीयत कैसी है, वो निचे ज़मीन पर बैठे बैठे चल रही थी, और अपने बापू के करीब आ गयी,

बेचन-- अब थोड़ा ठीक है, कल एक बार अस्पताल मे दिखाने ले कर जाना है,

सीमा-- अच्छा बापू,

बेचन-- ये लो फीर से बारीश होने लगी,
सीमा-- हा बापू दो तीन दीन से तो मौसम ही खराब हो गया है,

अंधेरा होने लगा था, और ठंडी अपनी औकात पर थी, बेचन घर के ओसार में अपने औरत के पास बैठा था, और उसकी बेटी सीमा नीचे जमीन पर बैठी थी,

बेचन 40 साल का आदमी पिछले कुछ दीनो से उसकी औरत झुमरी की तबियत खराब होने के वजह से उसे चोद नही पा रहा था, उसका लंड भी सो चुका था,
तभी उसकी नज़र सीमा की बड़ी बड़ी चुचीयों पर पड़ी जो उसके कमीज मे कसी हुइ थी,

तभी बेचन की मां वहां आ जाती है,
सुखीया(बेचन की मां-- अरे बेचन झुमरी को उठा खाना बना ली हैं मैने चलो सब लोग खा लो,

बेचन- ठीक है मां, और वो झुमरी को उठाता है,
झूमरी उठ कर बैठ जाती है, सुखीया उसे खाना दे देती है,

सुखीया-- सीपा तू जमीन पर ही खायेगी क्या, बेचन बेटा इसे उठा कर खाट पर बिठा जरा,

बेचन जैसे ही सीमा को गोद में उठाता है, वैसे ही बीजली चली जाती है,
सुखीया-- हे भगवान ये बिजली भी रोज यही समय पर जाती है, रुक मैं लालटेन लेके आती हू,

बेचन सीमा को अपनी बाहों मे उठाये वैसे ही खड़ा था, सीमा की बड़ी बड़ी चुचीयां बेचन के सीने पर दबी थी, जिससे बेचन का सोया हुआ लंड खड़ा होने लगता है,

सीमा बेचन के कान में-- बापू मुझे कब तक गोद में लीये रहोगे, निचे उतारो ना।

बेचन उसे गोद में लिये खाट पर बैठ जाता है, और उसके कान में कहता है,

बेचन-- बीटीया मैं तुझे जिदंगी भर गोद में लिये रहना चाहता हूं॥

सीमा बेचन के कान में-- तो लीये रहो ना बापू मना कीसने कीया है,

इतना सुनते ही बेचन का लंड फड़फड़ा कर खड़ा हो जाता है,

वो खाट पर बैठे अपना मुह सीमा के मुह में सटा देता है, उसे ताज्जुब होने लगता है, की सीमा खुद उसके मुह को जोर जोर से अपने मुह में भर कर चुसने लगती है,

तभी सुखीया लालटेन लेकर आ जाती है, बेचन और सीमा दोनो एक दुसरे में खोये हुए थे, उन दोनो को इतना भी नही पता की सुखीया आ चुकी है,

सुखीया जोर से-- बेचन,
बेचन हकपकाया और सीमा को अपने बगल खाट में बिठा कर उठ जाता है,

अच्छा हुआ झुमरी वापस से रज़ाइ ओढ़ कर लेट गयी थी, और वो ये सब नही देखी,

बेचन अपना सर झुकाये, वही खड़ा रहता है,
सुखीया-- अब खड़ा ही रहेगा या झुमरी को उठायेगा, और वो बेचन और सीमा को गुस्से से देखने लगती है,

बेचन झुमरी को उठाता है, और फीर सब लोग खाना खाते है....और फीर बिस्तर पर चले जाते है॥



आधी रात को सोनू की निंद खुलती है, तो पाता है की कोइ औरत उसके उपर लेटी उसके कान में सोनू उठ बेटा धिरे धिरे बोल रही थी,

सोनू-- तू आ गयी बड़ी अम्मा,
सुनहरी-- हां आ गयी,

सोनू सुनहरी की गांड पर जोर का थप्पड़ जड़ देता है,

सुनहरी-- आह बेरहम धिरे, नही तो फिर कोई आ जायेगा,

सोनू-- साली, मादरचोद पहले ये बता की तु छत पर से भागी क्यू थी,
सुनहरी सोनू के गाल पर चुमते हुए-- अरे मेरे राजा , तभी सब घर पर थे,

सोनू सुनहरी के बालो को कसकर खीचता हुआ, एक जोर का थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देता है,

सुनहरी-- आह, बेटा
सोनू-- कुतीया बोल अब कभी भागेगी,
सुनहरी-- नही बेटा, मेरे बाल आह, दर्द हो रहा है,

सोनू-- सुन कुतीया, कल दोपहर को सोहन के घर आ जाना वही चोदूगां तुझे,

सुनहरी-- मुझे अभी तेरा लंड चाहीये, बहुत दिन से लंड नही गया है मेरी बुर मे,

सोनू-- तू यहां मेरा लंड नही ले पायेगी, कुतीया जैसी चिल्लायेगी तो सब उठ जायेगें,

सुनहरी-- मुझे कुछ नही पता मुझे अभी तेरा लंड चाहीये,
सोनू- साली तूझे लंड चाहीए , चल नंगी हो जा फीर

सुनहरी झट से अपने साड़ी खोल देती है, और नंगी हो जाती है,
सोनू भी अपनी लूगीं उतार कर नगां हो जाता है,

सोनू सुनहरी को खाट पर लिटा देता है, और उसके दोनो टांगे चौड़ी कर हवा में उठा देता है, रात के अंधेरे में कुछ दिख नही रहा था,

सुनहरी -- फाड़ दे बेटा अपनी बड़ी अम्मा की बुर,
सोनू उसकी टांगे उपर की तरह मोड़ता अपना लंड सुनहरी के बुर पर टीकाता है, और सुनहरी को मजबुती से पकड़ अपना मुह उसके मुह मे जकड़ कर जोर का धक्का मारता है,

सुनहरी को बुर खुलती जाती है, वो छटपटा भी रही थी लेकीन सोनू उसे मजबुती से पकड़े धक्के पर धक्का लगा रहा था, सुनहरी के नाक और मुह से जोर जोर से गूं गु गु की आवाज आ रही थी,

सोनू उसे जोर जोर से रात के अंधेरे मे चोद रहा था, और सुनहरी अपनी टागें उठाये सोनू का मोटा लंड झेल रही थी,
पुरे कमरे में खाट की आवाज़ और सुनहरी के पैरों के पायल की आवाजे आ रही थी,

सोनू अपना लंड पेले जा रहा था, तभी सुनहरी की बुर उसके लंड को जकड़ने लगी शायद सुनहरी झड़ रही थी, लेकीन सोनू उसे चोदता गया,

करीब 10 मिनट और चोदता रहा सुनहरी की बुर सोनू के लंड को दो बार और जकड़ी फीर अंत मे सोनू अपना लंड पुरा निकाल सुनहरी के बुर मे जोर का धक्का लगाते अपना पुरा गाढ़ा पानी उसके बुर में भरने लगता है,

अपना पुरा पानी नीकालने के बाद सोनू उसके उपर ही गीर जाता है,

सुनहरी-- आह मां, सोनू बेटा मेरी बुर तुने फाड़ डाली रे, कीतना बड़ा और मोटा है, ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक नही आया था,

सोनू-- साली तेरी बुर भी तो कसी कसी थी,
सुनहरी-- आह बेटा, तेरी मा की बुर मुझसे भी कसी है,
सोनू-- चुप कर रंडी, वो मेरी मां है,

सुनहरी-- अरे बेरहम, ऐसे चोदेगा तो सारी औरते तेरी रंडी ही बनेगी,

सोनू-- चल जा अब कल आ जाना सोहन के घर पर,

सुनहरी-- सोनू के गाल पर चुमती है, और कपड़े पहन अपने कमरे में चली जाती है....॥
 

meri marlo

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अपडेट--5



' फातीमां कमरें में जाती है , तो देखती है सोनू खाट पर लेटा हुआ था।

फातीमा-- नीदं आ रही है क्यां सोनू बेटा?
सोनू-- नही काकी, बस ऐसे ही लेटा था।
फातीमां एक लाल कलर की सलवार कमीज पहने हुइ थी। उसके सलवार में उसकी गांड काफी कसी हुइ थी, सोनू की नजर जैसे ही उसकी बड़ी बड़ी और कसी हुइ गांड पर पड़ती है। उसका लंड सलामी देने लगता है।

तभी फातीमा सोनू के बगल में बैठ जाती है, और अपना दुपट्टा हटा कर खाट पर रख देती है।

सोनू के सामने उसकी बड़ी बड़ी गोल चुचींया जो की कमीज में से आजाद होने को चाहती थी देख कर सोनू मस्त हो जाता है।

सोनू की नज़र अभी भी उसकी चुचींयो को ही घुर रही थी।

फातीमां-- क्या देख रहा है सोनू बेटा।
सोनू (भोलू बनते हुए)-- ये आपकी कीतनी बड़ी बड़ी है।

फातीमा-- क्या बड़ी बड़ी है? बेटा
सोनू फातीमां के चुचीयों की तरफ इशारा करते हुए।

फातीमा-- अच्छा मेरी इसकी बात कर रहा है। क्यूं तुझे अच्छी नही लगी?

सोनू-- अच्छी है काकी।

फातीमा-- जब तेरी शादी होगी ना तो तेरी औरत की भी ऐसी ही होगी।

सोनू-- काकी लोग शादी करते है। तो बच्चा पैदा हो जाता है वो कैसे?

फातीमा को पता था की ये अनाड़ी है। और वैसे भी यही सब सीखाने तो सुनिता ने इसे भेजा है॥

फातीमा-- अरे सोनू बेटा सीर्फ शादी करने से बच्चे पैदा नही होते। बल्की कुछ और करना होता है।

सोनू(मन में)-- काकी आज तो तू गयी।

सोनू-- और क्या करना होता है?

फातीमा-- तुझे पता है आज जब तेरी भैंस गरम थी, तब तू उसे भानू के सांड के पास ले गया था।

सोनू-- हां काकी, पता है।

फातीमा-- तो सांड ने क्या कीया?

सोनू-- वो अपना बड़ा सा पता नही क्या नीकाला और भैसं के पीछे डाल कर धक्का मारने लगा।

फातीमा-- हां बेटा, वैसे ही जम मर्द औरत के अंदर डालकर धक्का मारता है। तब वो गर्भवती होती है।

लेकीन उससे पहले औरत को भी गरम करना पड़ता है।

सोनू--काकी ये औरत गरम कैसे होती है,

अंदर कमये में से नजारा देख रही सुनीता , कस्तुरी और अनिता।

कस्तुरी- अब बताओ फातीमा दीदी औरत गरम कैसे होती है।

फातीमा-- बेटा, तूझे कैसे समझाउ मैं की औरत को कैसे गरम करते है।

सोनू-- काकी तू बता मैं समझ जाउगां॥

फातीमा अपने मन में सोचती है की सोनू तो अभी नादान है। तो वैसे भी इसको सीखाना पड़ेगा ही॥

फातीमा-- बेटा औरत को गरम करने के लीये औरत के बदन के साथ खेलना पड़ता है।

सोनू-- काकी मैं समझ नही रहा हू?
फातीमा-- अरे सोनू बेटा, औरत के जीस्म के साथ खेलना मतलब, उसकी चुम्मीया लेना। और अपनी चुचीयों की तरफ इशार करते हुए, उसका ये दबाना ये सब करने से औरत गरम होती है।

सोनू(अपना पासा फेंकते हुए)- क्या काकी तुम झूठ बोल रही है।

फातीमा-- अरे नही बेटा सच कह रही हूं॥

सोनू-- तो मैं एक बार तूझे गरम करना चाहता हू। फीर पता चलेगा काकी तू झूठ बोल रही है या सच।

ये सुनकर फातीमा असमंजस में पड़ जाती है, की ये सोनू ने क्या कह दीया ॥ भला मैं इसके साथ कैसे?

अंदर कमरे में सुनीता के साथ साथ कस्तुरी और अनीता का भी रंग उड़ चुका था।

सोनू-- क्या हुआ काकी लगता है तू सच में झूठ बोल रही थी।

फातीमा(हकलाते हुए)-- न...नही बेटा ॥ अच्छा ठीक है तू कर ले लेकीन कीसी को भी बताना मत।

सोनू-- ठीक है काकी, नही बताउगां॥

॥ अंदर कमरे में खीड़की के पास खड़ी सुनीता बोली नही कस्तुरी ये गलत है। मुझे इसे रोकना पड़ेगा, और जैसे ही वो जाने को होती है, कस्तुरी उसका हाथ पकड़ लेती है।

कस्तुरी-- रहने दो दीदी, सोनू सीखने आया था। अब कर के सीखेगा,

सुनीता-- लेकीन!

कस्तुरी-- लेकीन वेकीन कुछ नही। आप ही चाहती थी ना की कम से कम उसे ये सब पता हो। तो आप क्यूं खेल बीगाड़ रही हो,
अब आप खड़ी रहो और अपने अनाड़ी बेटे को देखो कैसे खेलता है।

सुनिता-- अनाड़ी मत बोल मेरे बेटे को।
कस्तुरी-- अनाड़ी को अनाड़ी नही तो क्या बोलू। दुसरा कोइ होता तो अब तक फातीमा के उपर चढ़ चुका होता। और वैसे भी ये खेल के बाद पता चल ही जायेगा की सोनू बेटा अनाड़ी है या खीलाड़ी॥

सुनिता कुछ नही बोलती और चुप चाप खड़ी रहती थी क्यूकीं कहीं ना कहीं उसके बेटे की हरकते एक अनाड़ी के जैसे ही थी। वो इसी लीये कमरे मे जा रही थी ताकी वो इस खेल को रोक सके नही तो कल को यही औरतें ताना मारेगीं की तेरे बेटे को कुछ नही आता।

अंदर कमरे में खाट पर फातीमा लेटी हुइ थी।

फातीमा-- देख क्या रहा है बेटा चढ़ जा मेरे उपर।
सोनू फातीमा के उपर लेट जाता है, जैसे ही सोनू फातीमा के उपर चढ़ता है, दोनो के तन बदन में सीहरन होने लगती है।

फातीमा की तो आंखे बंद हो जाती है...लेकीन जब काफी समय से सोनू के तरफ से कोइ प्रतीक्रीया नही होती तो वो अपनी आंखे खोलती है।

फातीमा-- अब चढ़ा ही रहेगा या कुछ करेगा भी।

सोनू-- सोच रहा हूं कि कहा से शुरु करुं।

फातीमा-- या अल्लाह! इस लड़के को क्या बताउं मैं॥ बेटा तेरा जहा से मन करे वहा से शुरु कर।

सोनू की हालत तो फातीमा की चुचीयां देख कर ही खराब हो चुकी थी लेकीन वो ये अनाड़ी वाला खेल थोड़ा और देर तक खेलना चाहता था।

सोनू अपना हाथ धिरे से फातीमा की चुचीयों पर रख हल्के हल्के दबाने लगता है।

फातीमा-- आह...बेटा थोड़ा जोर से दबा...आह,
सोनू-- काकी तूझे दर्द होगा।

ये सुनकर कस्तुरी और अनीता हसं पड़ती है। सुनीता को थोड़ा भी अच्छा नही लग रहा था उसके बेटे के उपर हसंना।

फातीमा-- बेटा मर्द औरत के दर्द की परवाह नही करते, क्यूकीं औरत को दर्द में भी मजा है।

सोनू थोड़ा और तेज तेज दबाने लगता।

फातीमा-- हां....बेटा....ऐसे ही आह...दबा ,
सोनू-- काकी तेरी चुचीयां तो बड़ी बड़ी है।

फातीमा-- आह...बेटा तू..उझे...मेरी चुचीयां अच्छी....आह नही लगी क्या?
सोनू-- अच्छी है काकी। अपना ये कपड़े उतारो ना।

फातीमा-- आह बेटा तू ...उही उतार दे ना।

सोनू फातीमा का कमीज निकाल देता है, फातीमा की बड़ी बड़ी गोरी चुचीयां उसकी ब्रा मे से नीकलने को हो रही थी।

ये देख सोनू बेसब्र हो जाता है, और ब्रा के उपर से ही दबाने लगता है।

फातीमा-- आ....ह सोनू मेरी चुचीयां....ह दबाने में मजा आ रहा है तूझे।

सोनू-- हा काकी, लेकीन मुझे वो छेंद देखना है। जीसमे डालते है।

फातीमा-- आह बेटा मेरे नीचे ही है, देख ले मेरी सलवार उतार के।

सोनू के हाथ की उंगलीयो को ज्यादा देर नही लगी उसके सलवार के नाड़े को खोलने में॥

॥ अब फातीमा एक लाल कलर की चडढी में थी, फातीमा खाट पर नंगी लेटी बहुत गजब ढा रही थी। सोनू का लंड ना चाहते हुए भी पैटं मे खड़ा होने लगता है। लेकीन पैटं मे ज्यादा जगह ना होने के वजह से उसे लंड मे दर्द महसुस होने लगता है।

सोनू ने फातीमा की चडढी भी उतार दी जीससे उसकी गोरी और फुली बुर दीख जाती है।

फातीमा-- क्यूं बेटा दीखा छेदं॥
सोनू उसके बुर की फ़ाके खोलते हुए- हां काकी अब दीखा

फातीमा और अंदर से नजारा देखने वालो की हंसी नीकल पड़ती है।

फातीमा-- तूने मेरा तो देख लीया तेरा कब दिखायेगा?

फातीमा के मुह से ये शब्द सुनकर सुनिता की धड़कन तेज हो जाती है, क्यूकी एक मां के लीये कुछ अलग ही अहेसास होता है, अपने बेटे का लंड देखना।
॥ शायद इसका एक वजह ये भी हो सकता है की समाज इसकी इजाजत नही देता। और एक मां के मन में इस प्रकार का खयाल जो ना के बराबर है।


सोनू-- काकी मै तो दीखा दूगां लेकीन कुछ और तो बता की, और क्या क्या करते है औरत के साथ।

फातीमा-- बस बेटा इतना ही करते है। और अंत मे ये छेंद मे डालकर धक्के लगा लगा कर खेल को खत्म करते है।

सोनू-- हसंते हुए) - बहुत खुब काकी , तूने तो मुझे बहुत कुछ सीखा दीया। "चल अप थोड़ा बहुत मैं भी तुझे कुछ सीखा देता हूं।

फातीमा (हसंते हुए)- अले ले, अब मेरा अनाड़ी बेटा मुझे सीखायेगा।

सोनू (मन मे)- चल बेटा अब बहुत हो गया अनाड़ी पन, अब जरा कमीनापन दीखा, यही सोचते सोचते उसने अपना पैंट उतार फेकां॥

सोनू अपनी चडढी जैसे ही नीकालता है, फातीमा की आंखे फटी रह जाती है, और उधर कस्तुरी, अनीता और सुनिता का भी यही हाल था।

सुनिता मन में)-- हाय रे दइया, ये इसका लंड है की घोड़े का। लेकीन फीर, ये मै क्या सोच रही हू, और मुझे पसीना क्यू आ रहा है।

फातिमा-- हाय रब्बा, ये...ये तेरा तो बहुत बड़ा है।
सोनू-- क्यूं सच में बड़ा है।
फातीमा-- हां बेटा। कसम से मैने अपनी जींदगी में ऐसा लंड कभी नही देखा।

सोनू-- तो अब देख ले।
फातीमा-- हट जा बेशरम, मुझे शरम आ रही है।

सोनू-- शरम आ रही है सा....ली।
फातीमा-- सोनू अपनी काकी से ऐसे बात करते है?

सोनू--तो कैसे बात करते है, मादरचोद। अनाड़ी समझी थी मुझे कुतीया। चल मुह में ले और चुस इसे ,

अंदर खड़ी सुनिता, कस्तुरी और अनिता की आंखे फटी की फटी रह जाती है।

फातीमा-- छी भला इसे कोइ मुह में लेता है क्या?
सोनू झटके में फातीमा का बाल खीचकर उसे खाट पर से नीचे अपने घुटने के नीचे बीठा देता है।
फातीमा जोर से चील्लाती है-- आ....आ.. न...नही सोनू दर्द हो रहा है। छोड़ मेरा बाल......।

सोनू-- मुह खोल साली और चुस इसे।

फातीमा मरती क्या ना करती अपना मुह खोल कर सोनू का लंड मुह में लेने लगती है।

सोनू-- ले साली जल्दी।

फातीमा(रोते हुए)-- हां तो मैं क्या करु, इतना मोटा है जा ही नही रहा है।

सोनू-- कुतीया के जैसा मुह खोल, फीर जायेगा।

सुनीता सोनू का ये रुप देख कर दंग रह जाती है, वो सोचने लग जाती है...

फातीमा सोनू का लंड मुह में भर लेती है, और चुसने लगती है।

सोनू-- आह साली, ऐसे ही चुस आह तेरा मुह कीतन गरम है।

अंदर से देख रही कस्तुरी और अनीता का हाथ भी अब उनकी बुर पर था। सुनीता का भी मन मचलने लगा था।

सोनू के घुटने के निचे बैठी फातीमा कुतीया की तरह मुह खोले उसका लंड चुस रही थी।

ये देख कस्तुरी-- हाय दीदी क्या कुतीया की तरह अपना घोड़े जैसा लंड चुसा रहा है। काश मैं फातीमा की जगह होती।

कमरे में अंधेरा होने की वजह से वो लोग एक दुसरे को देख नही पा रहे थे। कस्तुरी अपनी एक उगंलीया बुर में डाल चुकी थी।

सोनू -- थोड़ा और अंदर डाल मुह मेआह ।
फातीमा अपना मुह और अंदर लेती है। और आगे पिछे करने लगती है।

कुछ देर ऐसे ही चुसने के बाद सोनू अपना लंड निकाल लेता है। और फातीमा को खाट पर लीटा देता है।

सोनू उसकी एक चुची को अपने हाथ से जोर जोर मसलने लगता है।

फातीमा-- आ...............आ...........सोनू धिरे......दर्द हो रहा है।
सोनू-- चुप साली कुतीया इतनी बड़ी बड़ी चुचीयां ली है। इसको तो मैं ऐसे ही मसलूगां॥

फातीमा-- आह........बे रहम तूझे तो मै...कल देख लूगीं तेरी मां से बता दूगीं॥

सोनू अपना मुह उसकी चुचीयों में लगा कर जोर जोर से चुसने लगता है।

अब फातीमा को भी मजा आने लगता है।

फातीमा-- आह , बेरहम ऐसे ही चुस नीचोड़ ले अपनी काकी की चुचींया आह बेटा इतना मजा मुझे कभी न...हइ........इ..........जोर से चील्लाती है।

सोनू ने उसका निप्पल दात में लेकर काट जो लीया था। फातीमा के कटे निप्पल से खुन नीकल जाता है।

सोनू-- चल मेरी रांड कुतीया बन जा। तेरा बुर फाड़ता हू।

फातीमा अपनी गांड खीड़की की तरफ कीये कुतीया बन जाती है।

फातीमा-- बेटा आराम से डालना, तेरा बहुत बड़ा है।

सोनू उसके गांड पर जोर का थप्पड़ मारता है। और उसकी बुर पर अपना लंड टीकाये जोर के धक्के के साथ अपना लंड जड़ तक घुसा देता है।

फातीमा-- आ............मां..........मर गयी.........नीकाल इ.......से........मुझे नही लेनां......मेरी......बुर।

सुनिता , कस्तुरी और अनीता की नजर सीधा फातीमा के बुर पर पड़ती है। सोनू का लंड उसके बुर को फैला चुका था, और उसके बुर से होते हुए सोनू के लंड से उसका खुन टपक रहा था।

सुनिता के मुह से आवाज ही नीकल रही थी, वो बस आखे फाड़े वो नजारा देख रही थी।

और इधर फातीमा का बुरा हाल हो गया था, पुरे कमरे में उसकी चिखे गुंज रही थी, और सोनू बेरहमी से उसे चोदे जा रहा था।

फातीमा-- हाय रे...........सुनी.......ता मुझे......बचा.......अपने आह बे.........रहम बेटे से......मेरी बुर फाड़ दे........गा।

कस्तुरी-- आह फातीमा फाड़ेगा नही फाड़ दी मेरे सोनू ने।

सोनू-- छटपटा मत मादरचोद कुतीया बनी रही।
फातीमा अपनी गांड उठाये सोनू के लंड से जोर जोर से चुद रही थी, उसे बहुत दर्द हो रहा था, और वो बस चील्लाये जा रही थी,

आखीर वो समय आया जब दर्द का मजंर थमा और फातीमा की पुरी खुल चुकी बुर सोनू के लंड को पच्च पच्च की आवाजो के साथ अपने बुर में ले रही थी।

अब फातीमा की आवाजे सीसकीयो में बदल चुकी थी। उसकी सीसकीया ये बंया कर रहीं थी की अब उसे मजा आ रहा है।

फातीमा-- आह सोनू...मजा आ रहा है...अपनी फातीमा काकी को आ....ह बेरहमी से क्यूं चोदा रे...

सोनू-- चुप कर साली और मेरा लंड ले।

फातीमा-- आह....सोनू तेरा ये लंड आह मुझे ब....हुत मजा दे रहा है। चोद आह बेटा, आज से मै तेरी रखैल हू, बे....रहम और फातीमा झड़ने लगती है,

सोनू भी झड़ने वाला था वो भी फातीमा की गांड पर जोर का थप्पड़ मारता है, और खाट पर चढ़ फातीमा की कमर पकड़ हवा मे उठा कर एक जोर जोर से पेलने लगता है।

फातीमा दर्द से तीलमीला जाती है, अपना हाथ खाट पर टीकाये अपनी बुर का दर्द बरदाशत नही कर पा रही थी, और वो इधर उधर छटपटाने लगती है, लेकीन सोनू उसकी कमर पकड़े हवा में उढाये बस चोदे जा रहा था।

सोनू-- आह ले साली कुतीया, मेरा पानी अपने बुर में और एक जोर का धक्का मार अपना लंड सीधा उसके बुर की गहराइ में उतार देता है।

फातीमा दर्द के मारे अपना मुह कीसी कुतीया की तरह खोल जोर से चील्लाती है, और सोनू के लंड का पानी अपने बच्चेदानी के मुह पर गिरता साफ महसुस कर रही थी।

सोनू अपना पुरा पानी छोड़ उसके गांड पर जोर का थप्पड़ मारा-- आह साली मजा आ गया तेरा बुर चोद कर, और खाट पर लेट जाता है।

फातीमा वैसे ही पड़ी दर्द से अब भी रो रही थी, और सोनू लेटे लेटे वैस ही निंद मे चला जाता है।

ये चुदाइ का मजंर देख कस्तुरी और अनीता के बुर ने बहुत ज्यादा पानी छोड़ा।

सुनीता-- बेरहम कीसी कुतीया की तरह चोद चोद कर फातीमा की हालत क्या कर दी है।

कस्तूरी-- हा दीदी फातीमा की बुर तो देखो कैसे चौड़ी हो कर दी है, तेरे बेरहम बेटे के लंड ने, और खुद आराम से सो रहा है।

सुनिता चल अब चलते है,
कस्तुरी-- थोड़ा फातीमा से मील कर चलते है।

सुनिता-- नही, उसकी जीस तरह से चुदाइ हुई है, वो रात भर रोयेगी...।

अनीता-- बेचारी...दीदी अनाड़ी समझ अपनी बुर फड़वा ली,

और तीनो हंसते हुए घर से बाहर नीकल अपने घर की तरफ चल देती है,

फातीमा रोते रोते आधी रात बित गयी, फीर वो रोते रोते सोनू के सीने पर अपना सर रखी लेट जाती है, और उसे बांहो मे भर कुछ समय बाद वो भी निंद की आगोश में चली जाती है.......।


सुबह सोनू की निंद तब खुलती है जब उसे कोइ जगाता है,

सोनू की आंख खुली तो पाया उसके सामने उसकी मां ,कस्तुरी और अनिता खड़ी थी, उसके बगल में फातीमा काकी भी नही थी।

सुनिता-- सोता ही रहेगा, की घर भी चलेगा।

सोनू की हालत खराब हो जाती है, क्यूकीं वो पुरी तरह नंगा था।

और ये बात सब को पता था,
॥ तभी फातीमा वहां हाथ में चाय लिये आती है, वो बहुत मुश्कील से चल पा रही थी।

कस्तुरी-- अरे काकी तुम भचक भचक कर क्यूं चल रही हो, और मुस्कूरा देती है।

फातीमा-- मुझसे क्या पुछ रही है, तेरे भतीजे से पुछ उसने ही ये हालत की है।

सोनू का सुनते ही गांड फट जाती है..

सुनिता-- क्यूं बेटा क्या कीया तूने फातीमा के साथ?

सोनू को कुछ समझ नही आ रहा था की क्या बोले तभी

फातीमा-- अरे सोनू ने कल मुझे धक्का गलती से धक्का मारा और मै निजे उस लकड़ी पर गीर गयी तो थोड़ा चोट आ गयी।

ये सुनकर सोनू के जान में जान आता है,

सुनिता-- चल बेटा अब घर जा, और जरा देख कर धक्का मारा कर लगने पर दर्द होता है, और हल्का सा मुस्कुराते हुए दुसरे कमरे में सब चली जाती है।

सोनू भी फटाफट अपने कपड़े पहन बाहर निकलता है। और घर की ओर चल देता है।


दुसरे कमरे मे बैठी कस्तुरी जोर जोर से हसंने लगती है।

सुनिता-- क्यूं हसं रही है?

कस्तुरी-- अरे कल रात फातीमा दिदी की ऐसी हालत थी, उसी पर। कैसे कुतीया की तरह चिल्ला रही थी।

फातीमा-- हस ले, अगर तू उसके निचे होती और जब अपना मुसल लंड तेरी बुर में डालकर चोदता तब समझ में आता।

कस्तुरी-- अरे सोनू के निचे आने के लीये तो मैं हर दर्द सह लूगीं दिदी।

सुनिता-- चुप कर तुम लोग मेरे बेटे की जान लोगे क्या?

फातीमा-- अरे सुनिता जान तो तेरा बेरहम बेटा निकाल देता है, ऐसे चोदता है की, बुर के साथ साथ पुरा बदन कांप उठता है।

सुनिता-- मेरे बेटे ने तेरी ऐसी हालत कर दी है, फीर भी तू उसका बखान कर रही है।

फातीमा-- तू भी एक औरत है, और एक औरत से बेहतर कोई नही समझ पाता की असली मर्द ऐसा ही होता है।

सुनिता शरमा जाती है, -- तूने तो कल मेरे बेटे को थका दीया।

फातीमा-- ओ हो, और जो तेरा बेटा मुझे कुतीया बना कर गंदी गंदी गालीया दे रहा था। और मेरी बुर का बैडं बजा रहा था उसका कुछ नही।

सुनिता-- तू भी तो उसको भड़का रही थी, की आज से मैं तेरी रखैल हूं फलाना ढेकाना।

फातीमा(शरमाते हुए)-- हा तो मैं हू उसकी रखैल।

कस्तुरी-- तेरा तो हो गया दीदी, हम लोग का नसीब ही खराब है।

फातीमा-- अरे मेरी मान तो सोनू को पटा ले, और जिंदगी भर मजे लुटना।

अनिता-- अरे दिदी हम उनकी चाचींया है, और भला?

फातीमा-- अरे तुम्हारे हिंदुओ में एक कहावत है।

कस्तुरी-- कैसी कहावत?

फातीमा-- बता जरा सुनिता।
"सुनिता शरमा जाती है,

कस्तुरी अब शरमाना बंद करो और बताओ दिदी।

सुनिता-- अरे वो..कहावत है.....(वो पुत ही क्या जो 'चोदे' ना चाची की 'चुत')

कस्तुरी-- आय हाय दिदी दील खुश कर दीया, अब तो मै सोनू को अपना बना कर ही रहुगीं॥

सुनिता-- शरम कर वो तेरे बेटा है।
कस्तुरी-- बेटा वो तुम्हारा है, मेरा तो भतीजा है।

फातीमा-- वैसे मां बेटे के लिये भी कोइ कहावत है क्या?

सुनिता-- चुप कर छिनाल, और सब हसंने लगते है॥



बारीश के हल्की हल्की फव्वारे गीर रही थी, और बेचन अपने खाट पर लेटा था। और उसके आंखो में उसकी बेटी की बड़ी बड़ी चुचीयों का तस्वीर सामने आ जाता.....।


॥ कहानी को लाइक और रिप्लाइ करने के लीये'थैंक्स' दोस्तो अपडेट मिलता रहेगा..... Take care of your health my friends!
Aaahhh mmmm kya bhayanak chudai karta hai sonu
 

meri marlo

fuck me like slut
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94
बेरहम है तेरा बेटा----1
अपडेट----8
सोनू अपनी बेेेर..हमी पर उतर आया था.... कस्तुरी की एक चुचीं
की बैंड बजाने के बाद अब.उसकी दुसरी चुचीं की तरफ रूख
मोड़ा...
कस्तरी--- हे। भगवान, इतना जोर से मत दबा रे बेेरहम......आह,
सनूू---- आहसम से रानी.... तेरी चुचीयां तो बवाल हैं।
कस्तुरी-----.....आह....इसी लिए त इतनी जोर जोर से दबाा
रहा है ना.भले मेरी हालत खकुछ भी हो...।
सोनू----- तू सली मजे ले रही है....मुझे सब ........पता है ।
कस्तूरी----हां मुझे सब पता है। तुम भी तो मज़े लेते हो।
सोनू--- चल अब ज़रा कुतीया तो बन ।
कस्तूरी फटाक से कुतीया बन जती है, सोनू कस्तूरी की मोटी
और बडी गांड देखकर पागल हो जता है, वो उस पर जोर से
थप्पड़ लगता है.....
कस्तूरी--- आह .....मा आराम से........
सोनू--- चुप साली एक तो इतनी बडी बडी गांड ले के मेरे लंड
मे आग लगाती है और कहती है आराम से .....आज तो तेरी गांड
का वो हाल करूंगा की तू जीन्दगी भर अपनी गांड में मेरा लंड
लिये घूमेगी ।
कस्तूरी ---- आह मेरे राजा यही तो मै चाहती हू.......की तू
अपना मुसल लंड से मेरि बुर और गांड चौड़ी कर
दे.....आ........आ....न......ही......निका........ल.....सोनू।
अब तक सोनू का लंड कस्तूरी के गांड का सुराख बडा करता अंदर
जड़ तक पहुंच गया था.....और कस्तूरी इधर उधर छटपटा रही थी
लेकिन सोनू उसके कमर को पकड़ बेरहमी से उसकी गांड के छोटे
से सुराख में अपना मोटा लंड पेले जा रहा था.....अचानक
कस्तुरी उसके चंगुल से छूटती है और रोते रोते भाग कर खाट के बगल
एक कोने में अपना गांड पकड़ी बैैैठ जती.......है।
कस्तूरी जोर जोर से रो रही थी।
सोनू अपना मोटा लंड लिये वैसे ही खाट पर था ..... कस्तूरी
रोते रोते सोनू के लंड को देख रही थी जिस पर खून लगा हुआ और
निचे रज़ाई पर टपक रहा था .......
सोनू---- चल मेरी कुतीया जल्दी आ ....देख मेरा लंड कैसा
फुफफुफकार रहा है......।
कस्तूरी (रोते हुए)---- नही नही ...... मेरी गांड फट गायी है .....मैं
अब नही ले सकती .......तू बेरहम है .....तूझे सिर्फ अपनी मज़े की
पड़ी रहती है.....बकी औरतें मरे या जिये उससे तूझे कोई मतलब
नही......।
सोनू---- अच्छा चल आजा आराम से करूँगा ।
कस्तुरी---- नही मुझें पता है तू फाड़ डालेगा.....
सोनू---- अरे मेरी जान फाड़ तो दिया ही है .... अब कितना
फडुगा......।
कस्तुरी----- सच में ना धीरे धीरे करोगे ......।
सोनू--- हा सच में चल अब आ जा......।
कस्तुरी के आंख के आंसू बयाँ कर रहे थे की उसको कितना दर्द हो
रहा था ......वो डर भी रही थी की सोनू4उसका क्या हाल
करेगा ......यही सोचते सोचते ......वो खाट पर अपनी मोटी
गांड सोनू की तरफ कर कुतीया बन जती है........।
सोनू इस बार कस्तूरी की कमर मजबूती से पकड अपना लंड बेरहमी
से फिर से कस्तूरी के गांड में घुसा देता है .....।
कस्तूरी
(चिल्लाते हुए) .....ही........आ.aaaaaaaaaa........आ...मां ....छोड़
.......दे........सोनू ।
सोनू---- चिल्ला साली कितना चिल्लाएगी .....बहुत भगती है
ना .....ले अब मेरा लंड ......अपनी गांड मे.....कसम से तेरी गांड
तो .....आह बहुत टाइट है।
कस्तूरी को तो जैसे होश ही नही था .....उसकी गांड में सोनू
का लंड गदर मचा5रहा था ......और कस्तूरी का चिल्ला
चिल्ला कर गला सुख गया था ......वो अब और दर्द बर्दाश्त
नही कर सकती थी ......उसकी आंखे बंद होने चली थी
......लेकिन तभी सोनू अपना लंड उसकी गांड से निकाल उसकी
बुर पर रख जोर का धक्का देता है।.......
कस्तूरी ........-- आ aaaaaaaa.........आह ...नही ......बेर.....हम
......छोड़ ...आ.....दे।
एक और दर्दनाक चीख कमरे में गूंजती है.......।
सोनू----- साली कितने दिन से नही ....आह......चुदी है .....तेरा
तो बुर भी कमाल का है......।
कस्तुरी----- सोनू .........बे......टा रहम ....आह .....मां
......क्या ......करू ......बहुत दर्द......।
सोनू तो अपनी मस्ती में मस्त उसकी बुर का भी भोस्डा बना
दिया था .......।
लगातर धक्को ने अब कस्तुरी के बुर को अन्दर तक खोल दिया
था ......और सोनू का लंड आराम से ले रही थी .....उसका दर्द
अब कही ना कही सिस्करियो में बदल रही थी। उसकी बुर भी
पनियो से भर गइ थी ....और सोनू अपना पुरा कमर उठा उठा कर
उसे चोद रहा था .......फच्च फच्च की आवाज़ पुरे कमरे में गंज रही
थी ......।
कस्तूरी------ आह .....बेरहम .....बहुत दर्द ....दिया tune...अब
मज़ा आ रहा .....है.......eeeeeeeeeeeee......न.ही.......आ....
आ.....वहां नही......मेरी .....गां.....................ड ।
सोनू ने फीर से अपना लंड उसकी बुर से निकाल उसकी गांड में
पेल दिया था .........जँहा एक तरफ अब कस्तूरी को मज़ा आने
लगा था ......लेकीन सोनू बेरहम शायद अभी कस्तुरी को और
रुलना चहता था .......aअपना लंड कस्तूरी की गांड में डालकर
जोर जोर से धक्का मार रहा था .........।
कस्तूरी(रोते हुए)------- आ........ह...ह......मार .....डाल
....हरामी ....आ .......शायद तभी.....आह....तूझे चैन मिले
.....आ .....भगवान।
शायद कस्तूरी भी सोनू से हार मान गयी थी........।
सोनू----- उसका बॉल खीचते हुए----- कैसा लग रहा है.....जान।
कस्तूरी----- आ.......aआ........मै ....मर ....जाऊंगी .......सोनू
.....निकाल ....ले मेरी गांड से.....।
सोनू---- पहले बोल कभी उछल कर भागेगी?
कस्तूरी-- कभी नही ......
सोनू ने अपना लंड उसके बुर में वापस डाल कर दानदन कस्तूरी
को चोदने लगा......।
कस्तूरी------आ .......मर.....गायी.....रे हर बार इसका
....आ...ह.....लंड मेरी हालत खराब कर देता है.......आ ह.....मजा
आ रहा है ..... sonu.....कितना अन्दर डालेगा .....।
सोनू--- तूझे कितना अन्दर चाहिये .....मधर्चोद ......फट ......एक
थप्पड़ गांड पर जड़ देता है ।
कस्तुरी--- आह.....तू बहुत ....आह ....अंदर डाल चुका है ....
sonu.....बहुत मज़ा आ रहा है ......।
सोनू----- अब मजा आ रहा है रंडी ......साली .....तभी तो
चिल्ला रही थी।
कस्तुरी-----आह ..... so...
.......nuuuuuu........मै गायी .....जोर जोर से चोद फाड़ दे
......आपनी चाची की बुर ......आह मुझे4पता है .......आइ
.........की तू ही औरतों की बुर फाड़ सकता है।
इतना सुनना था की सोनू उसका बाल खींच और उसके गांड पर
थप्पड़ की बरसात करते पूरी जोर से चोदने लगता है.......।
कस्तुरि ---- आ ........beta........मै गयी ........ aur......कस्तुरी
खाट पर मुह के बल गीर अपना पानी छोड़ने लगती है ...... और
उधर सोनू भी उसके गांड पर चढ़ 4,5धक्के जोर का लगता है
.....और अपना पुरा पानी उसकी बुर मे भरने लगता है.....।
कस्तुरी------आह ...सोनू कर दे अपनी चाची को गभिन ......
बना ले मुझे अपनी बच्चे की माँ ।
सोनू अपने लंड का पानी उसकी बुर की गलियो मे छोड़ खाट पर
लेट4जाता है ।
कस्तुरी उसके सिने पर सर रख देती है.......।
कस्तुरी----आज तुने तो मेरी हालत खराब कर दी।
सोनू--- साली .........जोर जोर से चिल्ला कर मज़े ले रही थी तू

कस्तुरी----- सच में सोनू ये तेरा लंड अगर दर्द देता है तो पुरा
अध्मरा कर देता है .....और मज़ा देता है तो स्वर्ग की सैर करा
देता है.....।
सोनू----अच्छा ठीक है......गला सुख रहा है .....थोडा पानी
पिला।
कस्तुरी----- ठीक है मेरे राजा लाती हू.......।
और कस्तुरी पानी ला कर सोनू को देती है......सोनू पानी
पिता है और कस्तुरी को बांहों में भर कर धीरे धीरे नींद की
आगोश में चला जाता है........।
सुबह सुबह सीढ़ियो के दरवाजे की खटखटहत की आवाज़ से
कस्तुरी की नींद खुलती है ...... उसके कानो में सुनीता की
आवाज़ आती है।
वो जैसे ही खाट पर से उठती है उसके बदन में दर्द महसूस होता है
......... aur..... उसे ऐसा लग रहा थाा जैसे उसके बुर और गांड को
किसी ने चाकू से ......चीर दिया हो । ऐसा...दर्द हो रहाा
था उसे ।
कस्तुरी----- आह दईया, इस मुए ने तो मेरी हालत खराब कर दी है
....मुझसे तो चला भी नही जा रहा है।
वो लडखडते लडखडते सीढियों तककी पहुँची और दरवाज़ा
खोलती .....।
सुनीता---- कब से चिल्ला रही हूँ सुनाई नही देता तुझे ।
कस्तुरी----- मै तो रात भर चिल्ला रही थी तुमने सुना क्या
दीदी ।
सुनीता-----क... क्या मतलब है तेरा
कस्तुरी----- वही जो तुम सोच रही हो दीदी।
सुनीता---- हे भगवान , तू भी ना ..... तुम सब औरतें मील कर4मेरे
बेटे को बिगाड़ रही हो।
कस्तुरी ------ बड़ा मज़ा देता है दीदी तेरा बेटा .....हाँ बेरहम है
....एक बार जान आफत में डाल देता है ......लेकीन उसके बाद
......आ........ह दीदी क्या बताऊ .......।
सुनीता(थोड़ा मुस्कुरा कर)----- अच्छा ठीक है अब चल घर का
काम करना है ।
कस्तुरी----- नही दीदी मुझसे नही होगा । बहुत दर्द कर रहा है।
सुनीता---- क्या दर्द कर रहा है?
कस्तुरी----- अपने बेटे से पुछ लेना।
सुनीता---- चुप छिनाल ।
और फीर दोनो हंसने लगती है.......।
सुनीता कस्तुरी को सहारा दे कर निचे ले आती है।
सुनीता------ ऐसा क्या कर दिया सोनू ने की तू, फतिमा से भी
ज्यादा तेरी हालत खराब हो गायी।
कस्तुरी------ जिसकी दोनो सुराख सोनू के लंड से खुले
.....उसकी तो यही हालत होगी ना।
सुनीता ये सुन कर अंदर तक हील जाती है........ और कस्तुरी को
पास के खाट पर बिठा कर झाडू मारने लगती है..........।
करीब 9 बजे सोनू उठता है.......और छत से नीचे आता
है.......उसकी मा सुनीता कस्तुरी के बगल में बैठी थी।
कस्तुरी तो सोनू को देख शर्मा जाती है .....और सोनू थोड़ा
मुस्कुरा देता है......।
सुनीता------ क्या हुआ बेटा सुबह सुबह हंस रहा है...... koi अच्छा
सपना देखा क्या?
सोनू----- न....नही मां बस ऐसे ही।
सुनीता----- तू थोडा आराम किया कर । इतनी मेहनत ठीक नही
है ।
सोनू----- अरे मां तेरे अपने घर वालो के लिये ही तो मेहनत करता
हू......खेत मे।
सुनीता----- खेत की बात नही कर रही हू......अच्छा छोड़ तू ,
जाकर नहा ले।
सोनू नहाने के लिये हैण्ड पम्प पर चल देता है............
_____________________________________________________
पारुल---- बेटा वैभवी कहा है तू?
अन्दर से वैभवी आवाज लगाती है बस आइ मां एक सैकेण्ड ........
रुको ना।
पारुल वैभवी के कमरे में जाती है ........
पारुल----- क्या बात है आज मेरी बेटी तो बहुत खुबसूरत लग रही
है..... कही जा रही है क्या मेरी बेटी?
वैभवी------ अरे हाँ मां पास के स्कूल में ऐड्स के बारे में
something कुछ जागरुक अभियान है, तो सोचा मै भी हिस्सा
ले लूँ । सुबह सुबह आंगनवाड़ी की मुखिया रजनी आइ थी, तो
उन्होने ही बुलाया है।
पारुल---- ये तो बहुत अच्छी बात है बेटा । ठीक है मै हॉस्पिटल
निकल रही हू.....मुझे देर होगी ।
वैभवी----- ठीक है मां bye.....tack care।
और फीर पारुल चली जाती है।
गांव के स्कूल में आज ज्यादा तर गांव के लोग आये थे....... वही पर
सरपंच का बेटा विशाल भी था .......वैभवी अपने स्कूटी से स्कूल
पहुंचती है........विशाल की नजर जैसे ही वैभवी पर पड़ता है । वो
उसकी खूब्सुरती में खो जाता है.......।
वैभवी----- हाथ जोड़कर, नमस्ते रजनी जी।
रजनी---- नमस्ते बेटी..... aao....।
वैभवी अन्दर आती है।
रजनी---- वैभवी बेटी ये हमारे सरपंच के बेटे.....विशाल है। तुमने तो
सुना ही होगा की कैसे सरपंच जी की.....
vaibhavi----- जी रजनी जी।
विशाल वैभवी की तरफ हाथ बढता है.......और वैैैैभावी भी
विशाल से जैसे ही ....... हाथ मिलाती ....... सोनू भी वाही
पहुंच जाता है।
सोनू को वैभवी से विशाल का हाथ मिलना अच्छा नही लगा।
वैभवी की नजर भी सोनू पर पड़ती है ।
वैभवी के साथ कुर्सी पर बगल में विशाल बैठा था । और विशाल
वैभवी से बातें कर रहा था .......और वैभवी भी विशाल से हंस हंस
कर बात कर रही थी ।
सोनू वही खडा ये सब देख जला जा रहा था .......आज पहेली
बार उसे ऐसा अहसास हो रहा था जैसे कोई उससे दूर जा रहा
हो......।
सोनू (सोचते हुए)----- सोनू कही तुझे वैभवी से प्यार तो नही हो
गया...... जो तू इतना जला जा रहा है उसको किसी और के
साथ बात करते देख........नही नही वो तो मुझें पसंद ही नही
करती । हमेशा मुझे एक आवारा लड़का समझती है....... उधर देख
कैसे विशाल से हस कर बात कर रही है ......और मेरे साथ । छोड़
उसका चक्कर सोनू.......।
स्कूल का प्रोग्राम खत्म होने पर.......विशाल वैभवी5को
उसके5स्कूटी तक छोडने आता है......।
ये देख सोनू वहा से कटने ही वाला था की वैभवी ने उसे आवाज
दिया.....।
वैभवी------- हेल्लो...... वो हीरो।
सोनू सुनकर वैभवी के पास आता है।
वैभवी----- अरे विशाल तुम्हारे गांव के लड़को में जरा भी तमीज
नही है की बात कैसे करते है।
विशाल---- तुम्हारे के साथ किसी ने बद्त्मीजी की क्या?
वैभवी---- हा। ये जो लड़का है, इसको बात करने की जरा सी
भी तमीज नही है।
विशाल---- क्या रे सोनू तुने इनके साथ बद्त्मीजी की।
चल माफी मांग।
सोनू---- देखो अगर मैने आपसे अगर कुछ भी बद्त्मीजी की हो तो
माफ़ कर दिजीये....... ।
वैभवी----- ठीक है ......माफ़ किया। आगे से ऐसा वैसा कुछ मत
करना ।
विशाल---- अरे वैभवी...... इसमे इसकी कोई गलती नही है......तुम
हो ही इतनी खूब्सुरत की किसी का भी जुबाँ फिसल जए।
वैभवी----- विशाल तुम भी ना।
विशाल----- ok I am sorry.....if you mind then.
वैभवी----- no..... it's ok.
विशाल----- अब तू खड़ा क्यूँ है जा ......।
सोनू एक नज़र वैभवी की तरफ देखाता है...... शायद
उसके......आंख की पलकें भीग गायी थी.......और फिर वहा से
पैैैदल ही चल देता ........।
सोनू कुछ ही दूर पहुंचा होगा की वैभवी की स्कूटी उसके सामने
आ कर रुकी......सोनू खड़ा हो जाता है।
वैभवी------ क्यूँ हीरो...... पूरी हीरो गिरी निकल गायी......।
सोनू चुप चाप खड़ा रहता है ...... ।
वैभवी------ अरे कुछ बोलोगे भी।
सोनू---- क.....क्या बोलू मैडम, मै ठहरा अनपढ़...... कुछ इधर उधर
निकल गया तो मै फिर से बद्त्मीज की गिनती में शामिल हो
जाऊंगा।
वैभवी---- अरे तुमने कोई बद्त्मीजी नही की है.....वो तो तुम मुझे
परेशान करते थे तो सोचा मै भी परेशान कर लू।
सोनू----- परेशान कर लेती....लेकीन आप ने तो मेरा और सोनू कुछ
नही बोल पाता बस उसकी ...... ankle bheeg jati hai. जो
वैभवी साफ साफ देख सकती थी।
वैभवी----- म......मुझे पता है.....की मुझे ऐसा नही करना चाहिये
था......I'm so sorry उसके लिये।
सोनू---- कोई बात नही मैडम ....... आज के बाद अपको या मुझे
sorry कहने की जरूरत ही नही पड़ेगी ।
वैभवी---- वो कैसे?
सोनू---- क्युकि आज के बाद मै आपको परेशानं ही नही
करूंग......इतना कह सोनू वहा से निकल देता है.......और वैभवी
खड़ी सोनू को देखते रहती है...............
Jaise kastoori chudi hai sonu se waise hi mujhe chodo 10-15 log milkar
 

Siraj Patel

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"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words tak ho sakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. . Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writers ko Awards k alawa Cash prizes bhi milenge jinki jaankaari rules thread mein dedi gayi hai, Total 7000 Rupees k prizes iss baar USC k liye diye jaa rahe hain, sahi Suna aapne total 7000 Rupees k cash prizes aap jeet shaktey hain issliye derr matt kijiye or apni kahani likhna suru kijiye.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 28th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.


Rules Check karne ke liye is thread ka use karein — Rules & Queries Thread

Contest ke regarding Chit Chat karne ke liye is thread ka use karein — Chit Chat Thread



Prizes
Position Benifits
Winner 3000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3000 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
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