बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--49
गतांक से आगे ...........
मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी, इसलिए मैं थोड़ा हैरान था और चेहरे पर मुस्कराहट भी थी।
मैंने उसके चेहरे केा पकड़कर उपर उठाया और उसकी आंखों में देखने लगा। उसकी पलकें झुकी हुई थी और गाल एकदम गुलाबी हो चुके थे।
अपूर्वा,,, ये क्या था,,,,,, मैंने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा।
उसने एक बार अपनी पलकें उपर उठाकर मेरी आंखों में देखा और तुरंत ही शरम से वापिस झुका ली और फिर से अपना चेहरा मेरी छाती में छुपा लिया।
अपूर्वा,,,, मैंने उसके बालों में हाल फिराते हुए कहा।
हूं,,,, उसने इतना ही कहा।
तुम बहुत नॉटी हो गई हो,,,, मैंने उसके सिर को वापिस उपर उठाने की कोशिश करते हुए कहा।
मुझे लज्जा आ रही है, प्लीज,,,,, उसने मेरा हाथ पकड़कर मुझे रोकते हुए कहा।
कुछ देर हम इसी तरह से बैठे रहे,,,, मन तो नहीं कर रहा था, पर रात काफी हो गई थी,,, इसलिए सोना भी जरूरी था।
मैंने अपूर्वा को खुद से अलग किया और उसके चेहरे की तरफ देखा।
उसके उस मासूम से चेहरे पर संतुष्टि,,,,, चंचलता एक साथ झलक रही थी।
चलें,,,, सुबह ऑफिस भी जाना है, मैंने कहा।
हूं,,, कहकर अपूर्वा मुंडेर से नीचे उतर गई।
नीचे आकर हमने रूम में देखा तो तीनों की तीनों पूरे बेड पर फैल चुकी थी एकदूसरे के उपर हाथ-पैर डाले सो रही थी।
उन्हें देखकर मैं दूसरे रूम की तरफ बढ़ गया। अपूर्वा भी मेरे साथ ही उसी रूम में आ गई।
मैं तो सोच रहा था कि बढ़िया तरह से कपड़े वगैरह निकाल के सोउंगा,,, पर अपूर्वा के आने से अब ऐसे ही सोना पडेगा। मैं जाकर बेड पर लेट गया और कम्बल ओढ लिया। अपूर्वा ने लाईट बंद करके नाइट लैंप जला दिया और दरवाजे को हल्का सा खुला रखते हुए बंद करके बाहर चली गई।
अब मैं कपड़े निकालकर सो सकता हूं, मैंने मन ही मन सोचा और कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद कपड़े निकाल कर साइड में रख दिये और आराम से आंखें बंद करके बेड पर फैल कर लेट गया।
तभी दरवाजा खुला और मैं तो बस अंदर तक हिल गया। सामने अपूर्वा थी, उसने झिन्नी सी नाइटी पहनी हुई थी जिसमें से उसकी ब्रा और पेंटी हल्की हल्की नजर आ रही थी। ये तो शुक्र था कि नाइट लैंप जल रहा था, नहीं तो शायद उसका पूरा बदन ही उजागर हो जाता।
वो मुस्कुराते हुए बेड के पास आई और कम्बल को उठाकर उसमें घुस गई।
मेरी तो बुरी हालत हो गई थी। मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था कि मैंने कपड़े क्यों निकाले। मैं थोड़ा सा साइड में सरक गया, जिससे उससे टच न हो पाउं, ताकि उसे पता न चले कि मैंने कपड़े उतार रखे हैं। मेरे शरीर पर बस अंडरवियर और सैंडो ही थी। मुझे बहुत ही शरम आ रही थी। मैं अपूर्वा की तरफ करवट लेकर लेट गया ताकि खुद को उससे टच होने से बचा सकूं।
अपूर्वा मेरी तरफ करवट लेकर लेट गई और मेरी आंखों में देखने लगी। शरम के मारे मैंने अपनी आंखें बंद कर ली। उसने मेरे गालों पर हाथ रखा और सहलाते हुए बोली, ‘गुड नाइट’।
मैंने भी उसे गुड नाइट कहा और दोनों के बीच में कम्बल की थोड़ी सी दीवार बना दी। अपूर्वा हंसने लगी।
ये क्या कर रहे हो,,, अपूर्वा ने हंसते हुए कहा।
लक्ष्मण रेखा खींच रहा हूं,, मैंने भी हंसते हुए कहा।
इसकी कोई जरूरत नहीं है, कहते हुए अपूर्वा ने कम्बल को थोड़ा सा अपनी तरफ खींचा और मेरी तरफ सरक कर सीधी होकर लेट गई।
जब तक मुझे पूरी तरह विश्वास नहीं हो गया कि वो सो गई है तब तक मैं जागता ही रहा और जब मुझे लगा कि अब तो ये सो ही गई है, तो मैंने भी अपनी आंखें बंद कर ली और धीरे धीरे नींद के आगोश में समा गया।
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ट्रननननननननननननननननननननननननननन--------------------------------------------
कानों में ये कर्कश आवाज पड़ने से मेरी नींद खुली, मैंने हाथ उठाकर अलार्म बंद करना चाहा पर मेरा हाथ नहीं उठ पाया।
सोनम मुझसे चिपक कर सो रही थी, उसका हाथ मेरे हाथ पर रखा हुआ था, जिससे मैं हाथ नहीं उठा पा रहा था। मैंने उसके हाथ के नीचे से अपना हाथ निकाला और अलार्म की तरफ बढ़ाया,,, पर वहां तो कोई अलार्म नहीं था। मैंने थोड़ा सा और हाथ को इधर उधर मारा, पर अलार्म हाथ नहीं लगा। मुझे बेड का स्ट्रक्टचर भी कुछ बदला बदला सा लग रहा था।
तभी मुझे धयान आया कि ये अलार्म की टॉन तो मेरे मोबाइल में की है। मैंने मोबाइल उठाने के लिए सिरहाने पर टटोला तो मेरे हाथ में मेरी जींस आ गई।
हूं,,, कल कपड़े भी सिरहाने ही रख दिये,,, मैंने मन ही मन सोचा और जींस को एकतरफ करके मोबाइल ढूंढने लगा, पर मोबाइल हाथ नहीं आया।
तभी सोनल ने थोड़ी सी हलचल की और,,, और भी ज्यादा मुझसे चिपक गई। उसका एक पैर मेरी जांघों पर था और मेरा लिंग पूरी तरह तना हुआ था। उसका सिर मेरे कंधे पर रखा हुआ था और उसका एक हाथ मेरी छाती पर था। उसके उभार पूरी तरह से मेरे शरीर से दबे हुए थे।
मैंने थोड़ी सी आंखें खोली और गर्दन घुमा कर मोबाइल देखने लगा, पर कहीं मिल नहीं रहा था।
गर्दन घुमाने पर मेरी नजर बेड के साइड में रखे पोट पर पड़ी जिसमें मछलियां तैर रही थी, मैं हैरान हो गया, मेरे रूम में ये मछलियां कहां से आ गई।
मैंने आंखों को मसलते हुए इधर उधर देखा तो ये तो मेरा रूम ही नहीं है, मैंने थोड़ा सा दिमाग पर जोर डाला।
ओ तेरे की,,, मैं तो अपूर्वा के घर पर सोया था,,, मतलब मैं अपूर्वा के घर पर हूं,,, और ये,, ये,,, ओह माई गोड,,, ये अपूर्वा मुझसे इस तरह से चिपक कर सो रही है।
मेरी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। इतना धयान आते ही मैंने जल्दी से जींस को उठाया और उसमें से मोबाइल निकालकर अलार्म बंद किया।
शुक्र था कि अपूर्वा की आंख नहीं खुली, नहीं तो मैं कहीं का नहीं रहता।
कुछ देर तक मैं ऐसे ही लेटा रहा और सोचता रहा कि अब क्या करूं। फिर काफी देर सोचने के बाद निर्णय लिया कि धीरे से इसको अपने से अलग करता हूं।
मैंने कम्बल को उतार कर साइड में कर लिया। पर जैसे ही मेरी नजर अपूर्वा पर पड़ी मैंने वापिस कम्बल को ओढ़ा दिया। उसकी नाइटी उसकी कमर तक आ चुकी थी और उसका नाभि से नीचे का पूरा शरीर नंगा था, बस एक छोटी सी पेंटी थी।