कम्बल ओढ़ा कर मैं अपना हाथ उसके पैर तक ले गया और उसे साइड में करने लगा। पर पैर तो साइड में होना दूर, उसका हाथ फिर से मेरे उपर आ गया।
आज तो तू गया बच्चू,,,,, तुने कपड़े निकालकर बहुत बड़ी गलती कर दी,,,, मैंने मन ही मन सोचा।
तभी मुझे बाहर से पानी की आवाज आई। शायद आंटी उठ गई होगी। ये विचार दिमाग में आते ही तो मैं बस परेशान हो उठा।
अगर आंटी ने हमें ऐसे सोते हुए देख लिया तो,,, बस सब कुछ खत्म हो जायेगा, मुझे यहां से धक्के मारकर निकाल देंगे,,, मैंने मन ही मन सोचा और अपूर्वा को ही उठाने का निर्णय किया।
इससे कम से कम आंटी और बाकी को तो पता नहीं चलेगा, अपूर्वा को तो बाद में समझा दूंगा,,, सोचकर मैंने अपूर्वा को उठाने का निर्णय पक्का किया।
मैंने उसको कमर पर से पकड़कर हिलाते हुए धीरे से कहा - अपूर्वा,,,।
हूं,,, उसने इतना ही कहा और,, और भी ज्यादा जोर से मुझसे चिपक गई।
मैंने फिर से उसकी कमर को जोर से हिलाया और कहा - अपूर्वा, उठो,,, सुबह हो गई।
उउंहहहह,,, सोने दो,,, मुझे नींद आ रही है,, अपूर्वा ने नींद में ही कहा और मेरा हाथ पकड़कर अपने उपर रख लिया।
अब क्या करूं, ये तो उठ ही नहीं रही है, आंटी उपर आ गई तो,,, मेरे तो लग जायेंगे। ये विचार आते ही मैं बैचने हो उठा।
फिर मैं खुद ही साइड में होकर उठने का फैसला किया और उससे अपना हाथ छुड़ाकर उसके शरीर को पकड़कर खुद साइड में निकलने लगा, और एक दम से धडाम,,, मैं पहले से ही बेड के बिल्कुल कोने पर पहुंच चुका था, और जैसे ही मैं साइड में होने के लिए एकदम से सरका, सीधा बेड से नीचे।
आआओहहाहहह,,, मेरे मुंह दर्द भरी कराह निकली।
मेरे गिरने की आवाज सुनकर अपूर्वा की भी नींद खुल गई और वो आंख मसलती हुई उठी। उसने इधर उधर देखा तो मैं नीचे पड़ा हुआ कराह रहा था।
वो एकदम से उठकर मेरे तरफ बढ़ी पर उसका बैलेंस बिगड गया और वो भी सीधी मेरे आ गिरी। उसका तो कुछ नहीं बिगड़ा पर मेरे एक तो पहले से ही नीचे गिरने से दर्द था और उपर से वो गिरी तो दर्द दुगुना बढ़ गया।
वो एकदम से उठी और मेरे सिर के नीचे हाथ लेजाकर मुझे बैठाने लगी। मैं धीरे धीरे बैठ गया। मेरे गिरने से पहले मेरे कपडे नीचे गिर गये थे, और जींस का हुक मेरी कमर में चुभ गया था। जिस कारण कमर में ज्यादा दर्द हो रहा था इसलिए ज्यादा देर बैठा नहीं गया।
मैं अपूर्वा और बेड का सहारा लेते हुए उठा और बेड पर लेट गया।
अपूर्वा का चेहरा बहुत ही संकुचित हो गया था। वो एकदम से परेशान हो उठी थी। मेरी आंखों में दर्द के मारे हल्के से आंसू भी आ गये थे।
ज्यादा लग गई क्या,,, अपूर्वा ने परेशान होते हुए पूछा।
कमर में कुछ चुभ गया है, मैंने दर्द भरी आवाज में कहा।
अपूर्वा ने मुझे पकड़कर धीरे धीरे करके पेट के बल लिटाया और मेरी कमर में सहला कर देखने लगी। वो बहुत ही धीरे धीरे से सहला रही थी, जिससे कुछ आराम महसूस हो रहा था।
मेरी कमर को देखने के बाद वो नीचे देखने लगी।
शायद जींस में से कुछ चुभ गया है, हल्की सी खाल भी छिल गई है, उसने नीचे से मेरे कपड़े उठाकर बेड पर रखते हुए कहा।
मैं अभी मम्मी को बुलाती हूं, वो कुछ करेंगी, उसने परेशान होते हुए कहा और बेड से उठ गई।
नहीं, आंटी को मत बुलाना, मैंने उसे रोकते हुए कहा।
क्यों,,, मम्मी कुछ दवाई लगा देंगी,,, अपूर्वा ने कहा।
ठीक है, पर पहले मुझे कपड़े पहनाओ,,, बाद में बुलाना आंटी को,,, मैंने कहा।
अपूर्वा हल्के से मुस्कराई और मेरी जींस मुझे सीधा लेटा कर मेरी जींस पहना दी। फिर गले में से शर्ट पहना कर मुझे हल्का सा उठाया और शर्ट को ठीक तरह से पहना कर मेरे माथे पर एक किस करके बाहर चली गई।
कुछ देर में आंटी और अपूर्वा दोनों कमरे में आई।
क्या हुआ बेटा,,, कैसे लग गई, आंटी ने अंदर आते ही परेशानी वाले स्वर में पूछा।
वो सोते सोते नीचे गिर गया था,,,, मैंने आंटी से कहा।
छोटे बच्चे हो क्या, जो सोते सोते नीचे गिर गये, आंटी ने मुस्कराते हुए कहा।
कहां लगी है, आंटी ने पूछा।
वो कमर में दर्द हो रहा है, मैंने कहा।
आंटी इतना सुनकर वापिस चली गई और कुछ देर बाद एक कटोरी में तेल लेकर आई। आंटी ने मुझे उल्टा करके लेटा दिया और मेरी शर्ट कंधो तक उपर उठा दी।
आहहहह,,,, जैसे ही आंटी ने थोड़ा सा तेल मेरी कमर पर गिराया,, मेरे मुंह से हल्की सी दर्द और सुकून भरी आह निकल गई।
हल्का हल्का गर्म तेल जैसे ही मेरी कमर पर गिरा, एक सुकून सा महसूस हुआ। आंटी ने हल्के हल्के मालिश करनी शुरू कर दी। जैसे जैसे आंटी मालिश करती गई, दर्द छूमंतर होता गया। दर्द एकदम गायब सा हो गया।
अब कुछ देर ऐसे ही लेटे रहना, आंटी ने मालिश खत्म करके कहा और चली गई।
आंटी के जाते ही अपूर्वा बेड पर मेरे पास आकर बैठ गई और मेरी कमर पर हलके हलके सहलाने लगी।
अब दर्द कैसा है, अपूर्वा ने पूछा।
बिल्कुल खत्म हो गया, आंटी के हाथों में तो जादू है, मैंने कहा।
मैंने पहले ना कहा था कि मम्मी दवाई लगा देगी, छोटी मोटी चोट को तो मम्मी तुरंत ठीक कर देती है,, अपूर्वा ने कहा।
हममम,,,, मैंने कहा।
कुछ देर तक मैं वैसे ही लेटा रहा और अपूर्वा मेरी कमर को सहलाती रही।
पर तुम नीचे गिरे कैसे,,,,, अपूर्वा ने पूछा।
पता नहीं, जब नीचे गिर गया तब पता चला कि मैं नीचे गिर गया,,, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
हेहेहेहेहे,,, बिल्कुल छोटे बच्चे की तरह हो,,, सोते हुए गिर गये,,, अपूर्वा ने हंसते हुए कहा।
हे तुम्हें तो नहीं लगी ना,,, मैंने गंभीर होते हुए उससे पूछा।
हम्मम हल्का हल्का दर्द हो रहा है, अपूर्वा ने कहा।
कहां,,, मैंने पूछा।
अपूर्वा ने नजरें नीचे झुका ली,,, फिर कुछ देर बाद अपने उरोजों की तरफ इशारा किया।
मुझे धयान आया की वो मेरे उपर पेट के बल गिरी थी और उसके उरोज मेरी छाती में बुरी तरह दब गये थे।
तो तुम आंटी को बताओ ना,,, वो कुछ इलाज बतायेंगी, मैंने कहा।
मुझे शर्म आती है, अपूर्वा ने शरमाते हुए कहा।
अब बताना तो पड़ेगा ना, और तुम्हारी मम्मी ही तो है, उनसे क्या शरमाना,,, मैंने कहा।
कौन किससे शरमा रहा है, आंटी ने अंदर आते हुए कहा।
कुछ नहीं मम्मी,,, वो बस ऐसे ही,,, अपूर्वा ने कहा।
वो आंटी दरअसल अपूर्वा भी गिर गई थी तो इसे भी थोड़ी चोट लग गई है,,, मैंने कहां
ये भी गिर गई थी, क्या कर रहे थे तुम दोनों,, झगड़ तो नहीं रहे थे,,, आंटी ने कहा।
नहीं आंटी, वो मैं गिरा तो आवाज सुनकर इसकी आंख खुल गई और मुझे उठाने के लिए जैसे ही ये हड़बड़ाहट में बेड से उतरने लगी तो ये भी गिर गई,,, मैंने सफाई पेश करते हुए कहा।
क्रमशः.................