Sanju@
Well-Known Member
- 4,812
- 19,401
- 158
बहुत ही सुन्दर लाजवाब और रमणीय अपडेट है राजू रोज सोनी और अपनी बुआ के साथ नए तरीके से चूदाई करता है जिससे सोनी और गुलाबी को पूर्ण संतुष्टि मिलती हैं राजू अपनी मां की चुचियों को देखकर उत्तेजित हो जाता है जिसका पता मधु को लग जाता है वह भी गरम हो जाती है लेकिन एक दीवार मां बेटे की उसको रोक हुए हैं देखते हैं ये दीवार कब गिरती है और दोनो में संबंध बनते हैं और श्याम के घर ऐसा क्या देखता है की उसकी आंखे फटी की फटी रह जाती हैं????इसी तरह से राजू के दिन अच्छे गुजरने लगे थे,,,, ऐसा लग रहा था कि राजू की हथेली में चांद उतर आया हो,,, जिस उम्र में लड़के सिर्फ सपने देखा करते थे कल्पनाओं की दुनिया में उनकी पसंदीदा औरतों के साथ रंगरेलियां मनाते हुए अपना हाथ से हिला कर काम चलाते थे उस उम्र में राजू तीन तीन औरतों की चुदाई कर रहा था,,,, । और तीनों औरतें उसके मर्दाना अंग का लोहा मानने लगी थी,,,,।
सोनी पढ़ाने के बाद रोज उसी तरह से राजू को वापस बुला लेती थी और पूरे बगीचे में चुदाई का नंगा नाच नाचा करती थी,,,, राजू के साथ उसे अब बहुत मजा आने लगा था,,, घर पर भी वहअपने बड़े भाई से चुदवाती थी,,,,,,, लेकिन जो मजा राजू के साथ आ रहा था अब लाला के साथ उसे बिल्कुल भी नहीं आता था क्योंकि राजू के लंड की लंबाई और चौड़ाई के मुताबिक उसकी बुर में सांचा बन चुका था,,,। जिसमें लाला का पतला लंड जाता जरूर था लेकिन कुछ महसूस नहीं करवा पा रहा था,,,, लाला को तो इस बात की भनक तक नहीं थी कि पढ़ाने के बहाने उसकी बहन गांव के लड़के से चुदवाने जाती है,,,,,,।
clinking glasses smileys
दूसरी तरफ गुलाबी का जीवन एकदम गुलाबी हो गया था उसके जीवन में बहार आ गई थी शादीशुदा जिंदगी से पहले ही वह रोज सुहागरात मना रही थी और रोज राजू से नए नए तरीके से पूरी संतुष्टि प्रदान कर रहा था,,,, मधु वैसे तो पूरी तरह से सामान्य ही रहती थी लेकिन कभी-कभी जब वह शांत बैठी रहती थी तो उसे वहीं कुंए वाली घटना याद आ जाती थी और उसे अपनी गांड के बीचो बीच अपने बेटे का मोटा तगड़ा लंबा लंड धंसता हुआ महसूस होने लगता था,,,, और उस पल को याद करके वह गनगना जाती थी ,,, इसीलिए वह कभी भी आप उसे साथ में कुए पर चलने के लिए नहीं बोलती थी उसे इस बात का डर था कि कहीं वह खुद बहक ना जाए आखिरकार राजू उसका सारा बेटा था और वह अपने सगे बेटे के बारे में इस तरह के गंदे ख्याल अपने दिमाग में नहीं लाना चाहती थी,,,,,,,।
ऐसे ही दिन सुबह राजू नहा धोकर तैयार हो गया था पढ़ने जाने के लिए उसकी मां मधु खाना बना रही थी,,,, गुलाबी घर का काम कर रही थी और वह पढ़ने जाने से पहले खाना खाकर ही जाता था इसलिए अपनी मां के पास आकर वह खड़ा हो गया और बोला,,,।
मैं खाना तैयार हो गया है,,,
हां बस थोड़ा रुक जा मैं तुझे गरमा गरम परोसती हुं,,,,(इतना कहकर वह जल्दी-जल्दी रोटियां बेलने लगी राजू ठीक उसके सामने खड़ा होकर उसे रोटियां बेलता हुआ देख रहा था कि तभी उसकी नजर,,, उसकी मां की छातियों की तरफ गई तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा हुआ था जो कि गिरा हुआ नहीं था गर्मी की वजह से मधु जानबूझ कर उसे अपने कंधे से अलग कर दी थी और राजू की किस्मत तेज थी कि ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला हुआ था,,,, राजू को सब कुछ साफ नजर आ रहा था अपनी मां की छातियों को देख कर उसके मुंह में पानी आ गया था ,,, एकदम गदराई हुई,,,,मांसल भरी हुई छातियां अपनी आभा बिखेर रही थी,,, पहले से ही मधु की चूचियां खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी कौन होती और वह ब्लाउज छोटा ही पहनती थी और इसी वजह से उसकी आधे से ज्यादा चूचीया पहले से ही बाहर झांका करती थी और आज ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला होने की वजह से राजू को अपनी मां की चूचियां एकदम साफ नजर आ रही थी पसीने से लथपथ पसीने की बूंदे मोती के दाने की तरह उसकी छातियों से लगी हुई थी और धीरे-धीरे चुचियों पर फिसल रही थी जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,, पसीने से तरबतर चूचियां और ज्यादा मोहक और मादक लग रही थी,,, हालांकि राजू को अभी अपनी मां की चूचियों कई निप्पल नजर नहीं आ रही थी इसलिए वह थोड़ा सा आगे की तरफ झुक कर,,, ब्लाउज के अंदर झांकने की कोशिश करने लगा क्योंकि जब तक सूचियों के साथ-साथ अंगूर का दाना नजर नहीं आता तब तक देखने वालों का मन नहीं भरता और किसी कोशिश में राजूअपनी मां के ब्लाउज के अंदर झांक रहा था और उसकी यह कोशिश रंग लाने लगी उसे अपनी मां की चुचियों के बीच की शोभा बढ़ा रही अंगुर नजर आने लगे जिस पर नजर पड़ते ही राजू का लंड फूलने लगा,,,, उत्तेजना के मारे राजू का गला सूखता जा रहा था ऐसा नहीं था कि वहां पहली बार अपनी मां की चुची को देख रहा था,,,दीवार में बने छोटे से छेद से वह अपनी मां की कामलीला को और उसके बदन को पूरी तरह से नंगी देख चुका था उसके अंग अंग से दूर से ही वाकिफ हो चुका था लेकिन आज के बाद कुछ और थी पूरी तरह से नग्नता मैं जितना मजा नहीं आता उससे कहीं ज्यादा अर्ध नग्न अवस्था में औरत के मादक शरीर को देखने में उत्तेजना का अनुभव होता है और यही राजू के साथ भी हो रहा था वह अपनी मां की बड़ी-बड़ी नंगी चुचियों को पहले भी देख चुका था लेकिन आज ब्लाउज में उसकी हल्की सी झलक पाकर वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,,,मधु को इस बात का आभास तक नहीं था कि उसका बेटा उसकी आंखों के सामने खड़ा होकर उसके ब्लाउज में झांक रहा है और वह पूरी तरह से बेफिक्र होकर रोटी पका रही थी उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिरा हुआ है और ब्लाउज के ऊपर का बटन खुला हुआ है जिसमें से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां नजर आ रही है,,,।
राजू अपनी मां को इस हाल में देखकर बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और उसे अपनी मां की खूबसूरती का आभास भी हो रहा था वह अच्छी तरह से समझ गया था कि उसकी मां की चूचियां दूसरी औरतों से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक है,,,, जिसकी हल्की सी झलक पाकर उसकी हालत खराब होती जा रही थी,,, उसका मन तो कर रहा था कि उसके पास बैठकर वह अपने दोनों हाथों से अपनी मां की चूचियों को दबा दबा कर उसका मजा ले लेकिन ऐसा कर नहीं सकता था कुए पर का अनुभव उसे बहुत अच्छे से था अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को वह बहुत करीब से महसूस कर पाया था और उत्तेजना के अद्भुत अनुभव से परिचित हो पाया था,,,
अपनी मां की चुचियों के निप्पल को देखकर उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी ब्लाउज में कैद चूचियों की निप्पल अंगूर के बड़े दाने की तरह नजर आ रही थी जिसका रस पीने में अद्भुत सुख का अनुभव महसूस होता होगा एक तरह से पल भर में उसे अपने पिता से ईर्ष्या होने लगी थी कि उसके हाथों में इतनी खूबसूरत औरत है जिसको जब चाहे तब वह चोद सकता है राजू को ऐसी पलिया ख्याल आने लगा कि अगर उसे मौका मिलेगा तो अपनी मां को जरूर अद्भुत सुख देगा उसे पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान करेगा क्योंकि उसे अपने लंड पर पूरा भरोसा था और वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर उसकी मां एक बार उसके लंड को अपनी बुर में ले लेगी तो उसकी गुलाम बन जाएगी,,,, जैसा की कमला चाची उसकी बुआ और सोनी का हाल हो रहा था,,,,।
राजू उत्तेजना में इतना ज्यादा ओतप्रोत हो गया था कि उसे इस बात का भी आभास नहीं हुआ कि उसके पजामे में पूरी तरह से तंबू बना हुआ है,,, वह लार टपका ता हुआ ललचाई आंखों से अपनी मां के ब्लाउज में ही झांक रहा था,,,, इस तरह से खड़ा देखा कर मधु उससे बोली,,,।
अरे खड़ा क्यों है बैठ,,,,(इतना कहते हुए जैसे अपनी नजरों को ऊपर की तरफ उठाई और अपने बेटे की तरफ देख कर उसकी नजरों को देखी तो उसके शब्द उसके मुंह में ही अटक गए क्योंकि उसे इस बात का आभास हो गया कि उसका बेटा उसकी ब्लाउज में झांक रहा है और वह अपनी नजरों को नीचे करके अपनी छातियों की तरफ देखी तो पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसे इस बात का आभास हो गया कि उसके उसका बटन खुला हुआ है उसमें से उसके आधे से ज्यादा चूचियां नजर आ रही हैं और उसे देखकर उसका बेटा ललच रहा है,,,, मधुर की तो हालत खराब हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने बेटे की हरकत पर उसे शर्म महसूस होने लगी क्योंकि राजू उसका सारा बेटा था वह सजा बेटा होने के बावजूद भी वह बड़े मजे लेकर उसकी चुचियों को देख रहा था यह बात मधु को अजीब लग रही थी उसे तुरंत कुंए वाली बात याद आ गई जब कोई मे से बाल्टी खींचने के बहाने वह ठीक उसके पीछे खड़ा था और उसकी गांड के बीचो बीच अपने लंड को धंसाय चला जा रहा था,,, मधु अपने बेटे की इस हरकत को देख कर उसे समझ में आ गया था कि उस दिन जो कुछ भी हुआ था राजू जानबूझकर किया था उसे इस बात का आभास था कि उसका लंड पजामे में तंबू बनाया हुआ है और उसी तंबू को वह जानबूझकर उसकी गांड से रगड़ रहा था,,,,
RRaju or Gulabi
forking smileys
उस दिन वाली घटना और अभी मौजूदा हालात को देखकर मधु शर्म से गडी जा रही थी,,। मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा इतनी गंदी हरकत कैसे कर सकता है,,,, मधु यह सब सोच रही थी कि तभी,,,,उसकी नजर अपने बेटे के पजामे में बने तंबू पर गई तो उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे बैल और भैंस बांधने के लिए कोई खूंटा उसके पजामे में अटक गया हो,,,, मधु की अनुभवी आंखें समझ गई थी कि उसके बेटे के पजामे जबरदस्त खुंटा है तभी तो कुंए पर साड़ी पहनी होने के बावजूद भी गांड के बीच धंसा चला जा रहा था,,,,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा उसे देखकर इस तरह उत्तेजित क्यों हुआ जा रहा है,,,,अपनी मां को देखकर उसके मन में इतने गंदे विचार क्यों आ रहे हैं,,,यह सब ख्याल मन में आने के बावजूद भी मधु को भी ना जाने कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था उसे अपने बदन में भी गुदगुदी सी महसूस होने लगी थी खास करके उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस हो रही थी,,, उसे अपनी पतली दरार में से काम रस रिश्ता हुआ महसूस होने लगा था,,,, पल भर में ही मधु की भी सांसे भारी हो चली थी और गहरी सांस लेने की वजह से,,, चुचियों का ऊपर नीचे होना अपनी अलग ही कहानी बयां कर रहा था अपनी मां की उठती बैठती चूचियों को देखकर राजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,।,,,
दूसरी तरफ मधु अजीब सी कशमकश में थी,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,, उसे इस बात का डर था कि कहीं गुलाबी या मुन्ना के पापा ना आ जाए और इस हाल में देखकर कहीं कुछ गलत ना समझ बैठे इसलिए बहुत अपने साड़ी के पल्लू को ठीक करते हुए राजु से बोली,,)
तू बैठ में खाना लगाती हूं,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर जैसे वह नींद से जागा हो इस तरह से एकदम से हड़बड़ा गया और अपनी गलती का एहसास उसे होते ही वह वहीं पास में नीचे बैठ गया,,, मधु असहज महसूस कर रही थी वह जल्दी जल्दी खाना परोस कर थाली को अपने बेटे के आगे रख दी,,, और वापस रोटियां बेलने में लग गई,,, राजू जल्दी-जल्दी खाना खाकर जा चुका था उसके बाद में उत्तेजना का अनुभव अभी भी हो रहा था दूसरी तरफ मधु की हालत खराब होती जा रही थी वह समझ गई थी कि उसका बेटा बड़ा हो रहा था,,,, लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी ही मां के बारे में गंदे विचार मन में लाकर उत्तेजित क्यों हो रहा था मधु को यह सब अच्छा नहीं लग रहा था आखिरकार वह उसकी सगी मां थी और वह उसका सगा बेटा था,,,,
राजू अपनी मां की चूचियों के बारे में सोचते हुए,, श्याम के घर की तरफ चला जा रहा था वह पढ़ने जाने के लिए उसे रोज बुलाने जाता था,,,, देखते ही देखते वह उसके घर पर पहुंच गया,,,,घर के बाहर खड़ा होकर वहां श्याम का नाम लेकर बुलाने लगा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला तो घर में प्रवेश कर गया और इधर उधर देखते देखते वह सीधा अंदर की तरफ जाने लगा,,, तीन कमरे सीधे-सीधे बने हुए थे राजू धीरे-धीरे इधर उधर देखता हुआ तीसरे कमरे में पहुंच गया था लेकिन उधर भी कोई नहीं था तीसरे कमरे के पीछे दरवाजा बना हुआ था वह सोचा शायद उधर होगा और यही सोचकर वह तीसरे कमरे को भी पार कर गया और तीसरे कमरे को पार करते उसकी आंखों के सामने जो नजारा नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,।
prank emoticons
Last edited: