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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Naik

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जलेबी वाली बात सुनते ही,,, गुलाबी के मुंह में पानी आ गया था और उसके बोलने की अदा को देखते हुए हरिया की धोती में हलचल होने लगा था,,, अपनी धोती में हो रही हलचल को देखकर हरिया अपना मन दूसरी तरफ करना चाहता हूं वह नहीं चाहता था कि जो वह गलती कर चुका है उसे दोबारा करें,,,, वह अपनी छोटी बहन के साथ दोबारा शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहता था,,,, इसलिए वह गुलाबी से बोला,,,।


गुलाबी तू जलेबी का‌ पडीका लेकर घर में जा,,, मै बेल को बांधकर आता हूं,,,,।
(अपने बड़े भाई की बात सुनकर गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी कि अगर वहां जलेबी कापरीका लेकर घर में गई तो वह ज्यादा समय घर के बाहर व्यतीत नहीं कर पाएगी इसलिए वह अपने भैया से बोली,,,)


ठीक है भैया तुम बैल को लेकर पीछे चलो मैं बाल्टी में पानी भर कर लाती हु,,,,(इतना कहकर वह बाल्टी लेकर कुवे पर चली गई और हरिया बैलगाड़ी में से बैल को अलग करके घर के पीछे की तरफ ले जाने लगा उसके मन में,,,, अजीब अजीब से ख्याल घूम रहे थे,,,,,,एक बार की चुदाई के बाद से वह अपनी बहन से नजर नहीं मिला पाता था लेकिन उसकी बहन बिल्कुल सहज होकर उससे बात करती थी और यही हरिया को समझ में नहीं आता कि उसकी बहन को जो कुछ भी हो उसे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ रहा था,,,,, वह अपने मन में ही सोच रहा था की क्या उसकी बहन गुलाबी को बिल्कुल भी ग्लानी नहीं है,,,, उसे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ा वह तो बिल्कुल सहज है जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं,,,, ऐसा सोचते हुए हरिया बेल को बांधने लगा,,,,,,।


तो दूसरी तरफ कुए में से पानी निकालते हुए,,, गुलाबी अपने मन में फैसला कर चुकी थी कि,,, आज भी वह अपने भाई से चुदवाएगी ,,,,,, कुएं में से पानी निकाल कर वह बाल्टी लेकर घर के पीछे की तरफ जाने लगी जहां पर पहले से ही हरिया बेल को खूंटे से बांध रहा था,,,,,, अंधेरा हो चुका था लेकिन शिरडी हल्का हल्का नजार आ रहा था,,,गुलाबी पानी से भरी बाल्टी को उठाकर अपनी भाई के करीब पहुंच गई और उसे बेल के आगे रखते हुए बोली,,,।)


भैया तुम मुझसे नाराज हो क्या,,,?


नहीं तो मैं भला क्यों नाराज होने लगा,,,,(हरिया नजर चुराते हुए बोला,,,, और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) तुझे ऐसा क्यों लगने लगा कि मैं तुझसे नाराज हु,,,



उस दिन से तुम मुझसे ठीक से बात नहीं करते इसके लिए,,,,,,



नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है जो कुछ भी उस दिन हुआ था वह हम दोनों के बीच नहीं होना चाहिए लेकिन मै तुझसे नाराज नहीं हूं,,,,(बेल की रस्सी को खूंटे में कस के बांधते हुए बोला,,,)



उस दिन जो कुछ भी हुआ भैया उसके लिए अफसोस क्यों करना,,,वो बात केवल तुम और मैं जानती हूं,,, इसलिए उस बारे में चिंता करने की कोई भी जरूरत नहीं है,,,।
(गुलाबी को लगने लगा था कि उस दिन की घटना को लेकर उसके भैया परेशान हैं,,,, लेकिन उसे तो बिल्कुल भी कोई भी परेशानी नहीं है बल्कि वह तो दोबारा वही संबंध स्थापित करना चाहती हैं और अगर उसके भैया का यही रवैया रहा तो वह दुबारा संबंध कैसे बना पाएगी इसी बारे में सोच कर वह परेशान हो रही थी,,,,)


तु बहुत समझदार है गुलाबी,,, मैं तो तुझे नादान समझता था लेकिन तू सच में बड़ी हो गई है,,,,।


क्या भैया तुम भी बड़ी ना होती तो क्या तुम्हारा मोटा लंबा लैंड ले पाती,,,,(गुलाबी जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर रही थी वह अपने भैया को जाना चाहती थी और ऐसा जताना चाहती थी कि जैसे अपने ही कही गई बात से वह एकदम से चौंक गई है इसलिए वह दांतो तले उंगली दबाते हुए बोली) हाय दैया मेरे मुंह से क्या निकल गया,,,,,, अनजाने में निकल गया भैया क्या करूं उस दिन की बात मैं भूल नहीं पाती,,,।


नहीं-नहीं गुलाबी तू जो कुछ भी कह रही है वह गलत है तुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए जो कुछ भी हुआ हम दोनों की नादानी थी अब तुझे वह बात भूल जानी चाहिए,,,


मैं जानती हूं भैया , जो कुछ भी हम दोनों के बीच हुआ वह गलत है लेकिन क्या करूं उस दिन की बात में भूल नहीं पाती,,,, पहली बार मुझे वो तन का सुख मिला था जो तुमने दिया था,,, मैं भला कैसे भूल पाऊंगी,,,, ,, सच कहूं तो भैया मैं तुम्हारे उसको देख कर डर गई थी कि ईतना मोटा मेरे अंदर घुसेगा कैसे,,,, लेकिन तुम बड़ी होशियारी से मेरा डर दूर करती हूं पर मुझे जो सुख दिए हो शायद उसके बारे में मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,,।

(गुलाबी की मादक बातें पूरे वातावरण में मदहोशी का नशा घोल रही थी,,, हरिया के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह अपनी बहन से इसीलिए कतराता था क्योंकि वह दोबारा उस गलती को दोहराना नहीं चाहता था,,, लेकिन गुलाबी की इतनी गंदी बातें सुनकर हरिया अपनी भावनाओं को फिर से बहकता हुआ महसूस कर रहा थाउसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी बहन इस तरह से खुले शब्दों में उससे बात करेंगीऔर शायद गुलाबी इस तरह की बातें कभी अपने भाई से ना करती लेकिन आज उसका मन बहक रहा था आज और फिर से अपने भाई से जुड़ना चाहती थी जिसके लिए उसका इस तरह से गंदी बात करना बेहद जरूरी था कि कि वह अपने भाई के मनसा को समझ गई थी वह दुबारा उस तरह की गलती नहीं करना चाहता था और वह खुद उस गलती को दोहराना चाहती थी,,,। अंधेरा होने के बावजूद भी थोड़ा-थोड़ा सब कुछ नजर आ रहा था गुलाबी अपने बड़े भैया को देख रही थी वह झुक कर अभी भी रस्सी में उलझा हुआ था जबकि वह रस्सी बांध चुका था,,,,गुलाबी भी कभी सोची नही थी कि वह ईस तरह से अपने भैया से गंदी गंदी बातें करेगी और वह भी एकदम बेशर्म होकर,,,क्या करें इसमें उसका की कोई दोष नहीं था आखिरकार जवानी का जोश ही कुछ ऐसा होता है कि इसमें इंसान होशो हवास सब को देखना है सही गलत का फैसला कर सकने की क्षमता बिल्कुल भी नहीं रह जाती इसीलिए तो गुलाबी छोटी होने के बावजूद भी अपने बड़े भैया से इस तरह से गंदी बातें करके उसे उकसा रही थी,,,, कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही तो इस खामोशी को गुलाबी ही तोड़ते हुए बोली,,,।


मुझे वह पल बहुत याद आता है भैया,,,,मुझे यकीन नहीं होता कि मैंने अपने बड़े भैया के साथ इस तरह के अद्भुत सुख को प्राप्त की हुं,,,,
(इन सब बातों को सुनकर हरिया की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, उसके अंदर अजीब सी हलचल मची हुई थी,,, उसी समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें वह इसीलिए गुलाबी से नजरें में चाहता है उसके करीब आने से डरता था क्योंकि वह जानता था कि गुलाबी की खूबसूरती उसे फिर से वही गलती दोहराने पर मजबूर कर देगी लेकिन इस बार हरिया कमजोर नहीं होना चाहता था,,,,,,,इसलिए वह अपनी छोटी बहन की गंदी गंदी बातों को सुनकर मदहोश होने के बावजूद भी अपने आप को संभालते हुए बोला,,,।)


अब हमें चलना चाहिए काफी देर हो गया है,,,


चलती हूं रुको तो सही बैल को पानी तो पिला दुं,,,,
(और इतना कहने के साथ ही,, गुलाबी पानी भरी बाल्टी को उठाकर बेल के थोड़ा और करीब रखने लगी,,,,, लेकिन ऐसा करते समय वह जानबूझकर झुकते समय अपनी गोलाकार गांड को अपने बड़े भाई के ठीक आंखों के सामने कर दी और पानी पिलाने के बहाने झुकने की वजह से अपनी गांड को थोड़ा और ज्यादा हवा में लहराने लगी,,,,, गुलाबी की मदमस्त कर देने वाली कौन कौन कौन सलवार में छिपे किसी तोप से कम नहीं थी जिससे दुश्मनों के हौसलों को अपनी आंखें ध्वस्त कर सके और यही काम गुलाबी की गांड भी कर रही थी,,,, गुलाबी की तोप नुमा गांड को देखकर हरिया के सब्र का बांध टूटने लगा,,,,,, उसके इरादे ध्वस्त होने लगे,,,,,, जो अब तक अपनी भावनाओं पर पूरी तरह से काबू करके बैठा था अब वह भावनाओं के भंवर में बहने लगा था,,,,हरिया की आंखों के सामने उसकी सबसे बड़ी कमजोरी लहरा रही थी और गुलाबी भी जानबूझकर पानी पिलाने के बहाने अपने काम को दाएं बाएं खिला कर अपने भाई को अपनी जवानी की तरफ आकर्षित कर रही थी,,,,।

गुलाबी की गोल-गोल गांड और हरिया के चेहरे के बीच केवल चार अंगूर की ही दूरी थी जिसकी वजह से गुलाबी की गांड से उठ रही माधव खुशबू हरिया के नथुने से होकर उसके फेफड़े तक पहुंच रही थी जो कि उसे पूरी तरह से मदहोशी की तरफ ले जा रही थी,,,बिना पिए ही हरिया को 4 बोतलों का नशा होने लगा था उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी थी,,,।,,, अपनी बहन की जवानी का रस पीने के लिए उसका मन तड़प उठा था,,,,,,,।


चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था लेकिन नजदीक से सब कुछ साफ देखा जा सकता था और यही तेरे से थोड़ी दूरी से देखने पर नजर नहीं आता था जिसका फायदा गुलाबी पूरी तरह से उठाना चाहती थी,,, उसकी कामरस छोड़ रही थी,,, क्योंकि उसके भाई के चेहरे से उसकी गांड केवल 4 अंगुल की ही दूरी पर थी,,, जिसका एहसास उसे पूरी तरह से उत्तेजित किया जा रहा था,,,,। हरिया अपने आप से किए गए वचन से वह पूरी तरह से बंधा हुआ था भविष्य में फिर दोबारा गलती नहीं करेगा इस बात का उसने कसम खाया था लेकिन अपनी बहन की हरकत को देखते ही मुझे लगने लगा था कि सारे कसम वादे नाते टूटने वाले हैं,,,, आखिरकार यह बात अच्छी तरह से हरिया भी जानता था कि उसकी बहन गुलाबी बहुत खूबसूरत है और सबसे बड़ी कमजोरी हरिया के लिए थी तो वह उसकी बहन की गांड थी जो की पूरी तरह से सुडोल जवानी की आभा बिखेर रही थी,,,,,,,,, हरिया का मन ललच रहा था,,, वह अपने दोनों हाथों से बनाकर अपनी बहन की गांड को लपक लेना चाहता था और यही गुलाबी भी चाहती थी,,,,। गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी छोटी बहन होने के नाते ही उसका भाई अपनी तरफ से मनमानी नहीं कर रहा है वह तो ना जाने खेतों में क्यों पूरी तरह से काम उत्तेजित हो गया था और,,, उसके साथ चुदाई का सुख प्राप्त किया,,,,,,दीवार के छोटे से छेद से वह अपने भाई के सारे काम लेना को देखते आ रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि रात को उसका शरीफ इज्जत दार भाई अपनी बीवी के साथ कैसा गंदा बन जाता है,,,, कैसे अपनी बीवी की हर तरह से चुदाई करते हैं और उसके मना करने के बावजूद भी नहीं रुकता,,,,लेकिन अभी अपनी तरफ से किसी भी प्रकार की हरकत नहीं कर रहा है और इस बात से गुलाबी को गुस्सा भी आ रहा था क्योंकि उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी और समय भी ज्यादा नहीं था क्योंकि वह काफी देर से घर से बाहर निकली थी उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई आना चाहे और उसके किए कराए पर पानी ना फिर जाए इसलिए अपनी तरफ से ही थोड़ा और हिम्मत बढ़ाते हुए गुलाबी अपनी लहराती भी काम को थोड़ा पीछे की तरफ ले गई और इस बार गुलाबी की गांड हरिया की नाक से स्पर्श हो गई,,,।

और फिर क्या था हरिया बहुत देर से अपनी भावनाओं को दबा कर रखा हुआ था और अपनी बहन की इस हरकत की वजह से उसकी भावनाओं का बांध टूट पड़ा और बाकी ना कुछ बोले ही अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की गांड को अपनी हथेली में दबोच लिया,,,।

आहहहहह,,,,भैया,,,,(उत्तेजना के मारे हरिया ने इतनी जोर से अपनी बहन की गांड को दबाया था कि गुलाबी की कराह भरी आह निकल गई थी,,,और, उसकी इस आवाज को सुनकर हरिया की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई और वह सलवार के ऊपर से ही अपनी नाक को उसकी गांड की दोनों आंखों के बीच डालकर जोर से सांस अंदर की तरफ खींचने लगा उसकी मादकता को वहां पूरी तरह से अपने अंदर उतार लेना चाहता था,,,।


ऊमममममममम,,,,,ओहहहहह गुलाबी,,,,,,



ओहहहह भैया,,,,,,(गुलाबी उत्तेजित स्वर में बोली,,,, गुलाबी उसी तरह से झुकी रह गई उसकी मदमस्त गांड सलवार के ऊपर से ही पकड़ कर हरीया उस पर अपना मुंह रगड़ने लगा,,। गुलाबी कि दूर से काम रस बहने लगा,,, गुलाबी के पास वक्त बहुत कम था यह बात हरिया भी जानता था गुलाब इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि जलेबी मे से उस का रस उतना नहीं तो पकड़ा था जितना गुलाबी की बुर से काम रस चु‌ रहा था,,,, अपना चेहरा अपनी बहन की गांड पर रगड़ता हुआ हरिया बोला,,,।)


ओहहहह गुलाबी तूने मुझे पागल कर दिया है मैं तुझसे दोबारा संबंध नहीं बनाना चाहता था लेकिन तूने मुझे मजबूर कर दी है,,,(इतना कहते हुए हरिया खड़ा हुआ और झुकी हुई गुलाबी की कमर पकड़कर सलवार के ऊपर से ही धोती में तना हुआ अपना लंड उसकी गांड पर रगड़ने लगा,,,, एक बार फिर से अपने भाई की लड़की को अपनी गांड पर महसूस करते ही गुलाबी के तन बदन में आग लगने लगी,,, और वह अपना हाथ पीछे की तरफ लाकर धोती के ऊपर से ही अपने भाई के लंड को पकड़ लि और बोली,,।)


जल्दी करो भैया समय बहुत कम है कोई भी आ सकता है,,,,।


ओहहहह मेरी गुलाबी,,,, जल्दी से अपनी सलवार की डोरी खोल मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है,,,,


वो तों तुम्हारे लंड की चुभन देखकर ही लग रहा है भैया,,,(इतना कहने के साथ ही गुलाबी खड़ी हो गई और उसके खडे होने के साथ हीहरिया अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपने पैसे की चूची को कुर्ती के ऊपर से ही पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया हरिया यह बात अच्छी तरह से जानता था कि संभोग करने से पहले औरतों का स्तन मर्दन करने से औरत और आदमी दोनों को अत्यधिक उत्तेजना का एहसास होता है जिससे वह दोनों चुदाई के खेल को अच्छी तरह से खेल पाते हैं,,,। पूरी ताकत लगाकर हरिया अपनी बहन के संतरो को दबा रहा था और गुलाबी जल्द से जल्द अपनी सरकार की डोरी खोल कर अपनी बुर को अपने भैया के सामने पेश कर देना चाहती थी,,,।

गुलाबी देखते ही देखते अपनी सरकार की डोरी खोल कर उसे घुटनों तक नीचे खींच दी वह पूरी तरह से अपनी सोमवार को नहीं निकालना चाहती थी ताकि अगर कोई आ जाए तो वह झट से पहन सके,,,जैसे ही गुलाबी अपनी सलवार को खींचकर घुटनों तक कि अंधेरे में भी चमक रही अपनी बहन की गांड को देखकर हरिया के मुंह में पानी आ गया और वो झट से अपने दोनों हाथी को अपनी बहन की चुचियों पर से हटा कर सीधे अपनी बहन की गोरी गोरी नंगी गांड पर रखकर उसे दबाने का आनंद लेने लगा,,,


आहहहह गुलाब तेरी गांड़ कितनी चीकनी है रे,,,,


भैया किसी और समय मेरी गांड की चिकनाहट से खेलना अभी समय बहुत कम है जल्दी से अपना लंड मेरी बुर में डाल दो,,,,


बहुत जल्दबाजी है तुझे,,,


क्या करूं तुम्हारा लंड ही ऐसा है कि मन मचल उठता है,,,


ओहहहह दीवानी हो गई है तो मेरे लंड की,,,


दासी हो गई हु अब जल्दी कीजिए भैया,,,


बस हो गया मेरी रानी,,,,,( और इतना कहने के साथ ही हरिया धोती में से अपने खड़े लंड को बाहर निकाल कर निशाना लगाकर अपनी बहन की गुलाबी छेद पर रखा और उसकी कमर थाम कर अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल दिया,,, पहले भी एक बार अपने बहन के लंड को अपनी बुर में ले चुकी बुलाकर बड़े आराम से इस बार भी अपने भाई के लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार ली,,, और फिर क्या था,,, हरिया अपनी बहन की कमर थाम कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,,,, वह रात के अंधेरे में घर के पीछे बैल बांधने के बहाने अपनी बहन की चुदाई कर रहा था अपने आप से किया गया वादा कसम सब कुछ तोड़ चुका था अपनी भावनाओं पर वह ज्यादा देर तक अपनी बहन की कामुक हरकतों की वजह से काबू नहीं कर पाया और एक बार फिर से अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगा,,,। गुलाबी की संकरी और चुस्त बुर हरीया को अत्यधिक आनंद प्रदान कर रही थी,,,। गुलाबी उसी तरह से झुकी हुई थी और हरिया धक्के पर धक्के लगा रहा था वह भी मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह भी बिना रुके एक ही लय में अपने मोटे तगड़े लंड को अंदर बाहर कर रहा था,,,।


गुलाबी की मनसा एक बार फिर से पूरी हो रही थी देखते ही देखते उसकी सांसों की गति तेज होने लगी बड़े जल्दी ही वह चरम सुख की करीब पहुंचती जा रही थी और हरिया भी यही चाहता था इसलिए उसके धक्के बिल्कुल भी तेज नहीं हो रहे थे और देखते ही देखते वह भी चरम सुख की भी करीब पहुंचने लगा तो अपने दोनों हाथों को अपनी बहन की चुचियों पर रख उसे जोर जोर से दबाते हुए अपनी कमर हिलाने लगा,,,, और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,,

गुलाबी जल्दी से अपनी सलवार पहनकर अपने भैया से पहले ही जलेबी का पडीका लेकर घर में प्रवेश करते हुए बोली,,।


भाभी आज भैया जलेबी या लाए है,,, खाने के साथ इसे भी परोस ना,,,,।
(जलेबी का नाम सुनते ही,,, मधु के चेहरे पर शर्म की लालीमा छाने लगी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि जिस दिन घर में जलेबी आती है उस दिन हरिया रात भर मधु को सोने नहीं देता,,,)
Bahot khoob shaandaar update bhai
 

Luckyloda

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Bhut shandaar update bhai
जलेबी वाली बात सुनते ही,,, गुलाबी के मुंह में पानी आ गया था और उसके बोलने की अदा को देखते हुए हरिया की धोती में हलचल होने लगा था,,, अपनी धोती में हो रही हलचल को देखकर हरिया अपना मन दूसरी तरफ करना चाहता हूं वह नहीं चाहता था कि जो वह गलती कर चुका है उसे दोबारा करें,,,, वह अपनी छोटी बहन के साथ दोबारा शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहता था,,,, इसलिए वह गुलाबी से बोला,,,।
गुलाबी की गांड



गुलाबी तू जलेबी का‌ पडीका लेकर घर में जा,,, मै बेल को बांधकर आता हूं,,,,।
(अपने बड़े भाई की बात सुनकर गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी कि अगर वहां जलेबी कापरीका लेकर घर में गई तो वह ज्यादा समय घर के बाहर व्यतीत नहीं कर पाएगी इसलिए वह अपने भैया से बोली,,,)


ठीक है भैया तुम बैल को लेकर पीछे चलो मैं बाल्टी में पानी भर कर लाती हु,,,,(इतना कहकर वह बाल्टी लेकर कुवे पर चली गई और हरिया बैलगाड़ी में से बैल को अलग करके घर के पीछे की तरफ ले जाने लगा उसके मन में,,,, अजीब अजीब से ख्याल घूम रहे थे,,,,,,एक बार की चुदाई के बाद से वह अपनी बहन से नजर नहीं मिला पाता था लेकिन उसकी बहन बिल्कुल सहज होकर उससे बात करती थी और यही हरिया को समझ में नहीं आता कि उसकी बहन को जो कुछ भी हो उसे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ रहा था,,,,, वह अपने मन में ही सोच रहा था की क्या उसकी बहन गुलाबी को बिल्कुल भी ग्लानी नहीं है,,,, उसे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ा वह तो बिल्कुल सहज है जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं,,,, ऐसा सोचते हुए हरिया बेल को बांधने लगा,,,,,,।




तो दूसरी तरफ कुए में से पानी निकालते हुए,,, गुलाबी अपने मन में फैसला कर चुकी थी कि,,, आज भी वह अपने भाई से चुदवाएगी ,,,,,, कुएं में से पानी निकाल कर वह बाल्टी लेकर घर के पीछे की तरफ जाने लगी जहां पर पहले से ही हरिया बेल को खूंटे से बांध रहा था,,,,,, अंधेरा हो चुका था लेकिन शिरडी हल्का हल्का नजार आ रहा था,,,गुलाबी पानी से भरी बाल्टी को उठाकर अपनी भाई के करीब पहुंच गई और उसे बेल के आगे रखते हुए बोली,,,।)
मधु

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भैया तुम मुझसे नाराज हो क्या,,,?


नहीं तो मैं भला क्यों नाराज होने लगा,,,,(हरिया नजर चुराते हुए बोला,,,, और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) तुझे ऐसा क्यों लगने लगा कि मैं तुझसे नाराज हु,,,
मधु का कसा हुआ बदन

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उस दिन से तुम मुझसे ठीक से बात नहीं करते इसके लिए,,,,,,



नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है जो कुछ भी उस दिन हुआ था वह हम दोनों के बीच नहीं होना चाहिए लेकिन मै तुझसे नाराज नहीं हूं,,,,(बेल की रस्सी को खूंटे में कस के बांधते हुए बोला,,,)



उस दिन जो कुछ भी हुआ भैया उसके लिए अफसोस क्यों करना,,,वो बात केवल तुम और मैं जानती हूं,,, इसलिए उस बारे में चिंता करने की कोई भी जरूरत नहीं है,,,।
(गुलाबी को लगने लगा था कि उस दिन की घटना को लेकर उसके भैया परेशान हैं,,,, लेकिन उसे तो बिल्कुल भी कोई भी परेशानी नहीं है बल्कि वह तो दोबारा वही संबंध स्थापित करना चाहती हैं और अगर उसके भैया का यही रवैया रहा तो वह दुबारा संबंध कैसे बना पाएगी इसी बारे में सोच कर वह परेशान हो रही थी,,,,)


तु बहुत समझदार है गुलाबी,,, मैं तो तुझे नादान समझता था लेकिन तू सच में बड़ी हो गई है,,,,।


क्या भैया तुम भी बड़ी ना होती तो क्या तुम्हारा मोटा लंबा लैंड ले पाती,,,,(गुलाबी जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर रही थी वह अपने भैया को जाना चाहती थी और ऐसा जताना चाहती थी कि जैसे अपने ही कही गई बात से वह एकदम से चौंक गई है इसलिए वह दांतो तले उंगली दबाते हुए बोली) हाय दैया मेरे मुंह से क्या निकल गया,,,,,, अनजाने में निकल गया भैया क्या करूं उस दिन की बात मैं भूल नहीं पाती,,,।
गुलाबी हरीया के लंड से खेलती हुई

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नहीं-नहीं गुलाबी तू जो कुछ भी कह रही है वह गलत है तुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए जो कुछ भी हुआ हम दोनों की नादानी थी अब तुझे वह बात भूल जानी चाहिए,,,


मैं जानती हूं भैया , जो कुछ भी हम दोनों के बीच हुआ वह गलत है लेकिन क्या करूं उस दिन की बात में भूल नहीं पाती,,,, पहली बार मुझे वो तन का सुख मिला था जो तुमने दिया था,,, मैं भला कैसे भूल पाऊंगी,,,, ,, सच कहूं तो भैया मैं तुम्हारे उसको देख कर डर गई थी कि ईतना मोटा मेरे अंदर घुसेगा कैसे,,,, लेकिन तुम बड़ी होशियारी से मेरा डर दूर करती हूं पर मुझे जो सुख दिए हो शायद उसके बारे में मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,,।

(गुलाबी की मादक बातें पूरे वातावरण में मदहोशी का नशा घोल रही थी,,, हरिया के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह अपनी बहन से इसीलिए कतराता था क्योंकि वह दोबारा उस गलती को दोहराना नहीं चाहता था,,, लेकिन गुलाबी की इतनी गंदी बातें सुनकर हरिया अपनी भावनाओं को फिर से बहकता हुआ महसूस कर रहा थाउसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी बहन इस तरह से खुले शब्दों में उससे बात करेंगीऔर शायद गुलाबी इस तरह की बातें कभी अपने भाई से ना करती लेकिन आज उसका मन बहक रहा था आज और फिर से अपने भाई से जुड़ना चाहती थी जिसके लिए उसका इस तरह से गंदी बात करना बेहद जरूरी था कि कि वह अपने भाई के मनसा को समझ गई थी वह दुबारा उस तरह की गलती नहीं करना चाहता था और वह खुद उस गलती को दोहराना चाहती थी,,,। अंधेरा होने के बावजूद भी थोड़ा-थोड़ा सब कुछ नजर आ रहा था गुलाबी अपने बड़े भैया को देख रही थी वह झुक कर अभी भी रस्सी में उलझा हुआ था जबकि वह रस्सी बांध चुका था,,,,गुलाबी भी कभी सोची नही थी कि वह ईस तरह से अपने भैया से गंदी गंदी बातें करेगी और वह भी एकदम बेशर्म होकर,,,क्या करें इसमें उसका की कोई दोष नहीं था आखिरकार जवानी का जोश ही कुछ ऐसा होता है कि इसमें इंसान होशो हवास सब को देखना है सही गलत का फैसला कर सकने की क्षमता बिल्कुल भी नहीं रह जाती इसीलिए तो गुलाबी छोटी होने के बावजूद भी अपने बड़े भैया से इस तरह से गंदी बातें करके उसे उकसा रही थी,,,, कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही तो इस खामोशी को गुलाबी ही तोड़ते हुए बोली,,,।

राजू और रमा



मुझे वह पल बहुत याद आता है भैया,,,,मुझे यकीन नहीं होता कि मैंने अपने बड़े भैया के साथ इस तरह के अद्भुत सुख को प्राप्त की हुं,,,,
(इन सब बातों को सुनकर हरिया की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, उसके अंदर अजीब सी हलचल मची हुई थी,,, उसी समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें वह इसीलिए गुलाबी से नजरें में चाहता है उसके करीब आने से डरता था क्योंकि वह जानता था कि गुलाबी की खूबसूरती उसे फिर से वही गलती दोहराने पर मजबूर कर देगी लेकिन इस बार हरिया कमजोर नहीं होना चाहता था,,,,,,,इसलिए वह अपनी छोटी बहन की गंदी गंदी बातों को सुनकर मदहोश होने के बावजूद भी अपने आप को संभालते हुए बोला,,,।)
गुलाबी अपनी चूची दीखाते हुए



अब हमें चलना चाहिए काफी देर हो गया है,,,


चलती हूं रुको तो सही बैल को पानी तो पिला दुं,,,,
(और इतना कहने के साथ ही,, गुलाबी पानी भरी बाल्टी को उठाकर बेल के थोड़ा और करीब रखने लगी,,,,, लेकिन ऐसा करते समय वह जानबूझकर झुकते समय अपनी गोलाकार गांड को अपने बड़े भाई के ठीक आंखों के सामने कर दी और पानी पिलाने के बहाने झुकने की वजह से अपनी गांड को थोड़ा और ज्यादा हवा में लहराने लगी,,,,, गुलाबी की मदमस्त कर देने वाली कौन कौन कौन सलवार में छिपे किसी तोप से कम नहीं थी जिससे दुश्मनों के हौसलों को अपनी आंखें ध्वस्त कर सके और यही काम गुलाबी की गांड भी कर रही थी,,,, गुलाबी की तोप नुमा गांड को देखकर हरिया के सब्र का बांध टूटने लगा,,,,,, उसके इरादे ध्वस्त होने लगे,,,,,, जो अब तक अपनी भावनाओं पर पूरी तरह से काबू करके बैठा था अब वह भावनाओं के भंवर में बहने लगा था,,,,हरिया की आंखों के सामने उसकी सबसे बड़ी कमजोरी लहरा रही थी और गुलाबी भी जानबूझकर पानी पिलाने के बहाने अपने काम को दाएं बाएं खिला कर अपने भाई को अपनी जवानी की तरफ आकर्षित कर रही थी,,,,।

गुलाबी की गोल-गोल गांड और हरिया के चेहरे के बीच केवल चार अंगूर की ही दूरी थी जिसकी वजह से गुलाबी की गांड से उठ रही माधव खुशबू हरिया के नथुने से होकर उसके फेफड़े तक पहुंच रही थी जो कि उसे पूरी तरह से मदहोशी की तरफ ले जा रही थी,,,बिना पिए ही हरिया को 4 बोतलों का नशा होने लगा था उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी थी,,,।,,, अपनी बहन की जवानी का रस पीने के लिए उसका मन तड़प उठा था,,,,,,,।
हरीया एक बार फिर से गुलाबी को अपनी बाहों में भर लिया

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चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था लेकिन नजदीक से सब कुछ साफ देखा जा सकता था और यही तेरे से थोड़ी दूरी से देखने पर नजर नहीं आता था जिसका फायदा गुलाबी पूरी तरह से उठाना चाहती थी,,, उसकी कामरस छोड़ रही थी,,, क्योंकि उसके भाई के चेहरे से उसकी गांड केवल 4 अंगुल की ही दूरी पर थी,,, जिसका एहसास उसे पूरी तरह से उत्तेजित किया जा रहा था,,,,। हरिया अपने आप से किए गए वचन से वह पूरी तरह से बंधा हुआ था भविष्य में फिर दोबारा गलती नहीं करेगा इस बात का उसने कसम खाया था लेकिन अपनी बहन की हरकत को देखते ही मुझे लगने लगा था कि सारे कसम वादे नाते टूटने वाले हैं,,,, आखिरकार यह बात अच्छी तरह से हरिया भी जानता था कि उसकी बहन गुलाबी बहुत खूबसूरत है और सबसे बड़ी कमजोरी हरिया के लिए थी तो वह उसकी बहन की गांड थी जो की पूरी तरह से सुडोल जवानी की आभा बिखेर रही थी,,,,,,,,, हरिया का मन ललच रहा था,,, वह अपने दोनों हाथों से बनाकर अपनी बहन की गांड को लपक लेना चाहता था और यही गुलाबी भी चाहती थी,,,,। गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी छोटी बहन होने के नाते ही उसका भाई अपनी तरफ से मनमानी नहीं कर रहा है वह तो ना जाने खेतों में क्यों पूरी तरह से काम उत्तेजित हो गया था और,,, उसके साथ चुदाई का सुख प्राप्त किया,,,,,,दीवार के छोटे से छेद से वह अपने भाई के सारे काम लेना को देखते आ रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि रात को उसका शरीफ इज्जत दार भाई अपनी बीवी के साथ कैसा गंदा बन जाता है,,,, कैसे अपनी बीवी की हर तरह से चुदाई करते हैं और उसके मना करने के बावजूद भी नहीं रुकता,,,,


हरीया गुलाबी को चोदने की तैयारी करने लगा

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लेकिन अभी अपनी तरफ से किसी भी प्रकार की हरकत नहीं कर रहा है और इस बात से गुलाबी को गुस्सा भी आ रहा था क्योंकि उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी और समय भी ज्यादा नहीं था क्योंकि वह काफी देर से घर से बाहर निकली थी उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई आना चाहे और उसके किए कराए पर पानी ना फिर जाए इसलिए अपनी तरफ से ही थोड़ा और हिम्मत बढ़ाते हुए गुलाबी अपनी लहराती भी काम को थोड़ा पीछे की तरफ ले गई और इस बार गुलाबी की गांड हरिया की नाक से स्पर्श हो गई,,,।

और फिर क्या था हरिया बहुत देर से अपनी भावनाओं को दबा कर रखा हुआ था और अपनी बहन की इस हरकत की वजह से उसकी भावनाओं का बांध टूट पड़ा और बाकी ना कुछ बोले ही अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की गांड को अपनी हथेली में दबोच लिया,,,।

आहहहहह,,,,भैया,,,,(उत्तेजना के मारे हरिया ने इतनी जोर से अपनी बहन की गांड को दबाया था कि गुलाबी की कराह भरी आह निकल गई थी,,,और, उसकी इस आवाज को सुनकर हरिया की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई और वह सलवार के ऊपर से ही अपनी नाक को उसकी गांड की दोनों आंखों के बीच डालकर जोर से सांस अंदर की तरफ खींचने लगा उसकी मादकता को वहां पूरी तरह से अपने अंदर उतार लेना चाहता था,,,।


ऊमममममममम,,,,,ओहहहहह गुलाबी,,,,,,



ओहहहह भैया,,,,,,(गुलाबी उत्तेजित स्वर में बोली,,,, गुलाबी उसी तरह से झुकी रह गई उसकी मदमस्त गांड सलवार के ऊपर से ही पकड़ कर हरीया उस पर अपना मुंह रगड़ने लगा,,। गुलाबी कि दूर से काम रस बहने लगा,,, गुलाबी के पास वक्त बहुत कम था यह बात हरिया भी जानता था गुलाब इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि जलेबी मे से उस का रस उतना नहीं तो पकड़ा था जितना गुलाबी की बुर से काम रस चु‌ रहा था,,,, अपना चेहरा अपनी बहन की गांड पर रगड़ता हुआ हरिया बोला,,,।)


ओहहहह गुलाबी तूने मुझे पागल कर दिया है मैं तुझसे दोबारा संबंध नहीं बनाना चाहता था लेकिन तूने मुझे मजबूर कर दी है,,,(इतना कहते हुए हरिया खड़ा हुआ और झुकी हुई गुलाबी की कमर पकड़कर सलवार के ऊपर से ही धोती में तना हुआ अपना लंड उसकी गांड पर रगड़ने लगा,,,, एक बार फिर से अपने भाई की लड़की को अपनी गांड पर महसूस करते ही गुलाबी के तन बदन में आग लगने लगी,,, और वह अपना हाथ पीछे की तरफ लाकर धोती के ऊपर से ही अपने भाई के लंड को पकड़ लि और बोली,,।)


जल्दी करो भैया समय बहुत कम है कोई भी आ सकता है,,,,।


ओहहहह मेरी गुलाबी,,,, जल्दी से अपनी सलवार की डोरी खोल मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है,,,,


वो तों तुम्हारे लंड की चुभन देखकर ही लग रहा है भैया,,,(इतना कहने के साथ ही गुलाबी खड़ी हो गई और उसके खडे होने के साथ हीहरिया अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपने पैसे की चूची को कुर्ती के ऊपर से ही पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया हरिया यह बात अच्छी तरह से जानता था कि संभोग करने से पहले औरतों का स्तन मर्दन करने से औरत और आदमी दोनों को अत्यधिक उत्तेजना का एहसास होता है जिससे वह दोनों चुदाई के खेल को अच्छी तरह से खेल पाते हैं,,,। पूरी ताकत लगाकर हरिया अपनी बहन के संतरो को दबा रहा था और गुलाबी जल्द से जल्द अपनी सरकार की डोरी खोल कर अपनी बुर को अपने भैया के सामने पेश कर देना चाहती थी,,,।

गुलाबी देखते ही देखते अपनी सरकार की डोरी खोल कर उसे घुटनों तक नीचे खींच दी वह पूरी तरह से अपनी सोमवार को नहीं निकालना चाहती थी ताकि अगर कोई आ जाए तो वह झट से पहन सके,,,जैसे ही गुलाबी अपनी सलवार को खींचकर घुटनों तक कि अंधेरे में भी चमक रही अपनी बहन की गांड को देखकर हरिया के मुंह में पानी आ गया और वो झट से अपने दोनों हाथी को अपनी बहन की चुचियों पर से हटा कर सीधे अपनी बहन की गोरी गोरी नंगी गांड पर रखकर उसे दबाने का आनंद लेने लगा,,,


आहहहह गुलाब तेरी गांड़ कितनी चीकनी है रे,,,,


भैया किसी और समय मेरी गांड की चिकनाहट से खेलना अभी समय बहुत कम है जल्दी से अपना लंड मेरी बुर में डाल दो,,,,


बहुत जल्दबाजी है तुझे,,,


क्या करूं तुम्हारा लंड ही ऐसा है कि मन मचल उठता है,,,


ओहहहह दीवानी हो गई है तो मेरे लंड की,,,


दासी हो गई हु अब जल्दी कीजिए भैया,,,


बस हो गया मेरी रानी,,,,,( और इतना कहने के साथ ही हरिया धोती में से अपने खड़े लंड को बाहर निकाल कर निशाना लगाकर अपनी बहन की गुलाबी छेद पर रखा और उसकी कमर थाम कर अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल दिया,,, पहले भी एक बार अपने बहन के लंड को अपनी बुर में ले चुकी बुलाकर बड़े आराम से इस बार भी अपने भाई के लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार ली,,, और फिर क्या था,,, हरिया अपनी बहन की कमर थाम कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,,,, वह रात के अंधेरे में घर के पीछे बैल बांधने के बहाने अपनी बहन की चुदाई कर रहा था अपने आप से किया गया वादा कसम सब कुछ तोड़ चुका था अपनी भावनाओं पर वह ज्यादा देर तक अपनी बहन की कामुक हरकतों की वजह से काबू नहीं कर पाया और एक बार फिर से अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगा,,,। गुलाबी की संकरी और चुस्त बुर हरीया को अत्यधिक आनंद प्रदान कर रही थी,,,। गुलाबी उसी तरह से झुकी हुई थी और हरिया धक्के पर धक्के लगा रहा था वह भी मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह भी बिना रुके एक ही लय में अपने मोटे तगड़े लंड को अंदर बाहर कर रहा था,,,।
हरीया ताबड़तोड़ गुलाबी को चोदना शुरू कर दिया


गुलाबी की मनसा एक बार फिर से पूरी हो रही थी देखते ही देखते उसकी सांसों की गति तेज होने लगी बड़े जल्दी ही वह चरम सुख की करीब पहुंचती जा रही थी और हरिया भी यही चाहता था इसलिए उसके धक्के बिल्कुल भी तेज नहीं हो रहे थे और देखते ही देखते वह भी चरम सुख की भी करीब पहुंचने लगा तो अपने दोनों हाथों को अपनी बहन की चुचियों पर रख उसे जोर जोर से दबाते हुए अपनी कमर हिलाने लगा,,,, और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,,

गुलाबी जल्दी से अपनी सलवार पहनकर अपने भैया से पहले ही जलेबी का पडीका लेकर घर में प्रवेश करते हुए बोली,,।


भाभी आज भैया जलेबी या लाए है,,, खाने के साथ इसे भी परोस ना,,,,।
(जलेबी का नाम सुनते ही,,, मधु के चेहरे पर शर्म की लालीमा छाने लगी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि जिस दिन घर में जलेबी आती है उस दिन हरिया रात भर मधु को सोने नहीं देता,,,)
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Pahle gulabo aur Raat bhar madhu.....
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Raju or Madhu Ki Milan ka besabri se intezar Hey kuwey Mein chudai wo Bhi Pani khichte wakta khade khade hii
Mujhe bhi
 
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