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Incest बैलगाड़ी,,,,,

rohnny4545

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जलेबी की मिठास मधु की बुर में नमकीन रस घोल रही थी,,,घर पर जलेबी आने का मतलब को अच्छी तरह से समझती थी क्योंकि जब से वह शादी करके घर आई थी तब से निरंतर यह चलता ही आ रहा था,,,।इसलिए रह रह कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लग रही थी और शर्म से उसके गाल लाल हुए जा रहे थे,,,, आज उसकी जमकर सेवा होने वाली थी,,,। गुलाबी अपनी मंशा को पूरी कर चुकी थी इस तरह से चोरी-छिपे चुदवाने में जो आनंद आता है उसका लुफ्त उठा कर गुलाबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, अपनी रस भरी जवानी पर उसे पूरा विश्वास था क्योंकि वह जानती थी कि अपनी खूबसूरती से वह अपने भैया को अपनी तरफ आकर्षित कर लेगी क्योंकि उसका भाई एक बार संबंध बनाने के बाद उससे कतराने लगा था और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी,,,पहले अपनी बातों से गर्म करने के बाद अपनी कामुक हरकतों से वह अपने बड़े भैया को पूरी तरह से अपनी जवानी के रस में घोलकर उसके साथ दुबारा शारीरिक संबंध बना ही ली और गुलाबी की कामुक हरकत की वजह से हरिया भी,,अपने कदमों पर अपने वचन पर कायम नहीं रह पाया और सब कुछ एक तरफ रख कर वह अपनी बहन की मद भरी जवानी में खो गया,,, हरिया चलेगी इसीलिए ही खरीदा था कि घर पर चलकर अपनी बीवी को जलेबी खिला कर रात भर उसकी जवानी का रस चखेगा लेकिन उससे पहले ही उसकी बहन ने ही उसे अपनी जवानी का रस पिला दी,,, जिससे उसका हौसला और बुलंद हो गया था,,,। घर के किसी भी सदस्य को कानों कान इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि घर का जिम्मेदार सदस्य घर के पीछे अपनी बहन की चुदाई कर रहा है,,,,।


खाना खाने के बाद,,, मधु और हरिया अपने कमरे में चले गए,,,,, गुलाबी राजू के आने से पहले भी कमरे में जाकर खटिया पर लेट गई थी वह राजू से चुदवाना चाहती थी,,, लेकिन राज्यों के आने से पहले ही उसकी आंख लग गई और वह सो गई राजू जब कमरे में प्रवेश किया तो देखा कि उसकी बुआ गहरी नींद में सो रही है,,,, राजू को इस बात का इत्मीनान था कि वह कभी भी अपनी बुआ की चुदाई करके संतुष्ट हो सकता है इसलिए अपनी बुआ को जगाना हुआ उचित नहीं समझा लेकिन खटिया पर लेटे लेटे उसे नींद नहीं आ रही थी,,,। क्या किया जाए उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था रह-रहकर उसे झुमरी की याद आ रही थी दिन का समय होता तो वह झुमरी से मिलने के लिएउसके घर चला गया होता लेकिन रात का समय था इसलिए जाना उचित नहीं था लेकिन तभी उसे ख्याल आया कि बहुत दिन हो गए हैं बगल वाले कमरे में तांक-झांक कीए क्यों ना आज फिर से वही काम किया जाए जिसे देखकर ही जवानी का मजा लूट रहा है,,, यही सोचकर वह खटिया पर से नीचे उतरा और उसी छोटे से छेद वाली जगह पर पहुंच गया,,,, खाना बनाते समय में अपनी मां की चुचीयों की घेराइयों को देखकर पहले ही वह उत्तेजित हो चुका था इसलिए इस समय उसके मन में अपनी मां को नंगी देखने की इच्छा प्रबलीत हो रही थी वह अपनी मां को एक बार फिर से नंगी देखना चाहता था उसके हर गम को को अपनी आंखों से उसके मदन रस को पीना चाहता था,,,,,,। आज भी उसे अपनी मां नंगी देखने को मिलेगी इसी आज के साथ हुआ छोटे से छेद से अपनी आंख टीका दिया,,, तो सामने ही उसकी मां नजर आई जो छोटे से कमरे में बनी छोटे से गुसल खाने मैं जहां पर पीने का पानी रखा जाता है और रात के समय उसकी मां पेशाब करने के लिए उसी का इस्तेमाल करती थी वहीं पर देखा कि उसकी मां खड़ी थी और मटके में से पानी निकाल कर पी रही थी बगल वाले कमरे में भी लालटेन अपनी पूरी रोशनी बिखेर रहा था जिससे कमरे का हर एक कोना नजर आ रहा था,,,,,,, अपनी मां को पानी पीता देखकर ना जाने क्यों इतने सही राजू उत्तेजित होने लगा,,,, राजू की मां पानी पीने के बाद ग्लास को वही रख कर हरिया की तरफ देखी और मुस्कुराने लगी हरिया हमेशा की तरह खटिया पर पीठ के बल लेटा हुआ था लेकिन उसके बदन पर पूरा वस्त्र था उसने अभी अपने कपड़े निकाले नहीं थे,,,,।
Hariya or Madhu



अरे वही खड़ी देखती ही रहोगी कि आओगी भी,,,,।


अरे आ रही हूं थोड़ा सब्र कीजिए आप तो एकदम उतावले हो जाते हैं,,,।


क्या करूं मेरी जान इसीलिए तो आज जलेबी लेकर आया था कि आज सारी रात तुम्हारी लेकर मस्त हो जाऊंगा,,,


रोका किसने है आप जलेबी लेकर आए थे तभी मैं समझ गई थी और रात भर की तैयारी के लिए अपने आप को तैयार कर रही थी,,,। तुम्हारा जलेबी लाने के मतलब को मैं अच्छी तरह से जानती हूं,,,(मधु वही खड़ी खड़ी मुस्कुराते हुए बोल रही थी राजू को भी अब जलेबी लाने के पीछे का मकसद पता चलने का वह समझ गया कि उसके पिताजी घर पर जलेबी लाकर उसकी मां को जलेबी खिला कर रात भर उसकी चुदाई करते हैं,,। राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर तोड़ने लगी वह अपनी मां को जल्द से जल्द नंगी देखना चाहता था उसकी चूचियों को खास करके वहां नंगी देखने के लिए मचल रहा था,,, तभी राजू ने जो देखा उससे उसके लंड का तनाव बढ़ने लगा,,,, उसकी मां उसी छोटे से बने खुसर खाने में खड़ी थी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते-देखते राजू की आंखों के सामने ही उसकी मां ने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और नीचे बैठकर मुतना शुरू कर दी,,,। राजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी उठने लगी,,, उसके लंड की नसों में उसकी मां की मदहोशी बहने लगी,,,। राजू की सांसे पल भर में गहरी चलने लगी राजू की आंखों के सामने भले ही मधु इस बात से अनजान थी कि उसका बेटा उसे चोरी छुपे देखता है वह निश्चिंत होकर मुत रही थी,,,उसकी मौत ने की वजह से उसकी पूजा दी पत्तियों के पीछे से जो मधुर संगीत निकल रही थी वह राजू के कानों तक पहुंच रही थी जिसे देखकर पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देखना था वह पहले भी औरतों को पेशाब करते हुए टिकट और उसका सुख प्राप्त कर चुका था लेकिन अपनी मां को पेशाब करते हुए देखने में जो सुकून मिलता था उससे वह अपने शब्दों में बयां नहीं कर पाता था जिसे देखकर पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगता था उस पल में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था और यही हो भी रहा था उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए मुत रही थी और जिसे देखकर राजू के लंड में हरकत होना शुरू हो गया था,,,,,, राजू इस दृश्य की मादकता को बर्दाश्त कर सकने में असमर्थ था वहीं दूसरी तरफ उसका बाप बड़े आराम से इस दृश्य को देख रहा था और धोती के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा था,,,, हरिया बड़े आराम से शहर जो करिश्मा रखता परिदृश्य को इसीलिए शायद देख रहा था क्योंकि वह उस औरत को रोज चोदता था उस पर उसका पूरा हक था जिसे जब चाहे तब उसकी चुदाई कर सकता था और राजू इस दृश्य को देखकर इसलिए असहज हो रहा था क्योंकि,,, राजू के लिए उसकी आंखों के सामने बैठकर पेशाब करने वाली औरत पर उसका उस तरह का हक नहीं था कि वहां जब चाहे तब उसे बिस्तर पर ले जाकर उसकी चुदाई कर दे उसके साथ संभोग सुख प्राप्त कर सके इसलिए यह दृश्य राजू के लिए बेहद कामुकता भरा था,,,।

Hariya or maddhu


देखते ही देखते राजू की मा उसकी आंखों के सामने मुत कर खडी हो गई,,,लेकिन वह खड़ी होने के बावजूद भी कमर से अपनी शादी तो नीचे नहीं गिरा है बल्कि उसी तरह से कमर से अपनी साड़ी को पकड़े हुए ही अपनी नंगी गांड को मटकाते हुए राजू के पिताजी के करीब जाकर खड़ी हो गई राजू एक बार फिर से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था,,, ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मां को इस रूप में देख रहा हो,, वह पहले भी अपनी मां को इस रूप में देख चुका था नंगी चुदवाते हुए,,, लेकिन फिर भी यह कसक ऐसी थी कि जब-जब राजू अपनी मां को इस रूप में नंगी देखता था तुम से ही लगता था कि वह पहली बार देख रहा है और उसकी उत्तेजना हर बार बढ़ती ही जाती थी,,,,।


राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह पूरी तरह से चुदवाया हो गया था,,, उसका मन कर रहा था कि नींद में ही सही अपनी बुआ की चुदाई कर दे,,, लेकिन शायद खुद चुदाई करने से ज्यादा सुख उसे अपनी मां को इस रूप में देखने से प्राप्त हो रहा था इसलिए वह इस लालच में वही रुक आ रहा और अपनी मां की गंदी हरकत को देखकर मस्त होता रहा उसके पिताजी खटिया पर लेटे हुए ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसकी नंगी गांड को सहलाने लगे और बोले,,,,,,

Madhu or Gulabi


आज तो बहुत मजा आएगा,,,( और इतना कहने के साथ ही वह मधु को अपनी तरफ खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया,,, और उसकी नंगी गांड को जोर-जोर से अपनी हथेली में लेकर दबाने लगा,,,। इस तरह का दृश्य हर बार देखने पर राजू के तन बदन में मदहोशी की ताजगी भर देती थी,,,, हरीया पूरा जोर लगा कर अपनी बीवी की गांड अपनी हथेली में दबोच ते हुए दबा रहा था और राजू की मां को बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फुट रही थी,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे,,, राजू के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़क रहे थे,,, वह बार-बार अपनी बुआ गुलाबी की तरफ देख ले रहा था,,, क्योंकि वह अपने मन में सोच रहा था कि,,, अगर उसकी बुआ की नींद खुल जाए तो वह भी अपनी सारी गर्मी अपनी बुआ की बुर में निकाल दे,,, लेकिन फिर भी जो कुछ भी अपनी आंखों से देख रहा था उसके लिए बहुत था,,, क्योंकि जब भी वह दीवार के छोटे से छेद में से बगल वाले कमरे में जाता था तब तक उसे कुछ सीखने को ही मिलता था एक तरह से बगल वाला कमरा उसके लिए एक पाठशाला हो गई थी जिसमें संभोग का हर एक अध्याय के हर एक पन्ने को वह अपनी आंखों से पढ़ रहा था और उसे कुछ सीख रहा था,,,, उसके पिताजी और उसकी मां उसके लिए अध्यापक का काम कर रहे थे,,,,, की मां की खूबसूरत बदन में कितनी गर्मी है राजू अपनी आंखों से कई बार देख चुका है लेकिन यह देखने की प्यास थी कि बुझती ही नहीं थी,,,,,,।

मधु अपने पति के जांघों पर बैठ गई और अपनी ब्लाउज का बटन खोलने लगी,,,,, राजू कि सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,अपनी मां का यह रूप उसे बेहद कामुक लगता था ऐसा लगता था कि जैसे खुद काम देवी उसकी आंखों के सामने बैठी हो,,, चूची के आकार से कम नाथ का ब्लाउज होने के नाते मधु का ब्लाउज पूरी तरह से कसा हुआ होता था ऐसा लग रहा था कि जैसे दो खरबूजे उसके ब्लाउज में ठुंस ठुंस कर भरे हुए हो,,,ऐसा नहीं था कि मधु की चूचियां छोटी थी उसका वास्तविक रूप ही खरबूजे की तरह था जिसे देख कर दुनिया के हर एक मर्द के मुंह में पानी आ जाता था देखते ही देखते राजू कि मैं आपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और ब्लाउज के खुलते ही उसके दोनों खरबूजे उसकी छातियों की शोभा बढ़ाते हुए लटक गए हालांकि उसकी चुचियों में लटकन बिल्कुल भी नहीं था एकदम तनी हुई दुश्मन को आंख दिखाती हुई नजर आ रही थी,,,, हरिया अपनी बीवी की चूचियों को जी जान से प्यार करता था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बीवी की चूचियां लाखों में एक थी,,, और अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली चूचियों के आकार और उसके आकर्षण से राजू भी वाकीफ था क्योंकि उसके जीवन में भी धीरे-धीरे करके बहुत सी औरतें आती जा रही थी लेकिन जो आकर्षण उसे अपनी मां की चुचियों से प्राप्त हो रहा था एक ऐसा आकर्षण उसे अभी तक किसी भी औरत की चुची में नजर नहीं आया था इसीलिए तो इस समय भी अपनी मां की चूची को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,।राजू की लालच को और ज्यादा बढ़ाते हुए उसके पिताजी अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर राजू की मां की दोनों चूची को पके हुए पपीते की तरह थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,,,, अपने पिताजी की हरकत को देखकर राजू के तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,,अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसके पिताजी की जगह वो होता तो ओर ज्यादा मजा आता,,,,।

लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,राजू के पिताजी उसकी मां की चूचीयो में व्यस्त थे और उसकी मां अपने ब्लाउज को अपनी बाहों में से निकाल कर अलग कर रही थी,,, देखते ही देखते राजू की मां अपने ब्लाउस निकालकर खटिया के नीचे फेंक दी और यही हाल होता है,,, जब कामुकता और उत्तेजना बदन में पूरी तरह से
असर कर जाती है तो यही होता है,,, औरत और मर्द दोनों एक दूसरे में समाने की जल्दबाजी में अपने कपड़े उतार उतार कर फेंकना शुरू कर देते हैं और यही हाल मधु का भी था अपना ब्लाउज उतारकर खटिया के नीचे फेंक दी,,,।
स्तन मर्दन का मजा राजू की माफी पूरे जोश के साथ लेती थी,,, चूची दबाने में जितना मजा मर्दों को आता है उससे कहीं ज्यादा मजा औरतों को आता है,,, इसीलिए तो राजू की मां गरमा गरम सिसकारी के साथ चूची दबवाने का आनंद लूट रही थी,,,।

सहहहहह आहहहहहहहहह,,,ऊईईईई, मां,,,,ऊमममममम,,,।

इस तरह की गरमा गरम आवाज को सुनकर राजू पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,, वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया था,,,। थोड़ी देर बाद हरिया अपने ऊपर बैठे अपनी बीवी की साड़ी की गांठ को खोलने लगा और अगले ही पल वह अपनी बीवी की कमर पर से साड़ी को धीरे धीरे उतारना शुरू कर दिया,,,, देखते ही देखते हरिया मधु की साड़ी,, उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया,,,धीरे-धीरे राजू अपनी मां को नंगी होता हुआ देख रहा था उसके बदन पर केवल उसका पेटीकोट नहीं किया था जिस की डोरी को पकड़कर उसके पिताजी खींच दीए थे,,,,, और अपने पति का साथ देते हुए मधु उसी अवस्था में खड़ी हो गई,,,,और अपनी कमर से कसी हुई पेटीकोट को ढीली करके उसे यूं ही छोड़ दी राजू अपनी आंखों से मादकता भरे नजारे को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,, राजू की मां खटिया पर एकदम नंगी खड़ी थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका वजन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था,,,,, जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,। राजू का लंड पूरी तरह से मचल रहा था अपनी मां की बुर में जाने के लिए,,, लेकिन शायद अभी उसकी किस्मत में यह नहीं लिखा था,,,, केवल देखकर ही वह संतोष प्राप्त कर रहा था,,,,,।


सच कहूं तो मधु तुम नंगी होने के बाद स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा की तरह नजर आती हो,,,।


अप्सरा देखे हैं क्या आप,,,?( बारी बारी से एक एक टांग ऊपर करके अपने पेटिकोट को अपनी टांगों में से निकलते हुए बोली,,,)

तुम्हें देख लिया तो स्वर्ग की अप्सरा को भी देख लिया इतना तो मैं जानता हूं कि स्वर्ग की अप्सरा भी तुमसे ज्यादा खूबसूरत नजर नहीं आती होगी,,,।


हटीए,,,, बेवजह बातें बनाते हैं,,,(मधु शर्माते हुए बोली,,,)


सच कह रहा हूं मेरी रानी,,,,(नंगी चिकनी मांसल पिंडलियों को सहलाता हुआ हरिया बोला,,,,, राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी मां खटिया पर खड़ी थी और अपने हाथों से अपनी चुचियों को मसल रही थी,,, शायद यह घर पर जलेबी लाने का असर था जो भी दोनों को पूरी तरह से मदहोश किए जा रहा था,,,,)


अपने कपड़े उतारो कि सिर्फ मेरे ही उतरवा लिए,,,



अरे मेरी जान चिंता क्यों करती हो बिना कपड़े उतारे मजा लेने वाला नहीं हूं कपड़े उतार कर ही मजा आता है,,,।
(इतना कहने के साथ ही हरिया अपनी धोती को खोलने लगा और अगले ही पल धोती को उतार कर नीचे फेंक दिया उत्तेजना के मारे उसका लंड खड़ा था कुछ देर पहले ही वह अपनी बहन की चुदाई कर चुका था,,, लेकिन फिर भी उसका लंड खड़ा था जिसका एक ही कारण था मधु,,, मधु की खूबसूरत मदहोश कर देने वाली जवानी देखकर मुर्दे में भी जान आ जाए,,, अपने पति के खड़े लंड को देखकर मधुर मुस्कुराने लगी यह देख कर राजू को जलन होने लगी क्योंकि वह जानता था कि उसका लंड उसके पिताजी से कई मायने में जबरदस्त मोटा तगड़ा और लंबा है और उसकी मा है की ,,, उसके बाप के आधे लंड को देखकर,,, खुश हो रही है राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसकी मां उसके लंड को देख लेगी तो तब तो खुद ही उसके लिए साड़ी उठा देगी,,,, फिर अपने मन में मां यह सोचने लगा कि अभी तक उसने अपनी मां को अपने लंड के दर्शन नहीं कराए हैं वरना उसकी मां ना जाने कब का उसे दे दी होती,,,,। यही सोचता हुआ राजू अपने लंड को पजामे के ऊपर से जोर जोर से दबा रहा था,,,,,,देखते ही देखते हरिया अपना कुर्ता भी उतार दिया और खटिया पर दोनों एकदम नंगे हो गए,,,,।राजू को लगा कि आप उसका बाप उसकी मां की चुदाई करना शुरू कर देगा लेकिन ऐसा नहीं था राजू की मां खटिया पर बैठ गई और हरिया खटिया पर से नीचे उतरा और कोने में रखी सरसों के तेल की कटोरी हाथों में ले लिया,,,, जिसे देखकर राजू की मां शर्मने लगी राजू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या होने जा रहा है,,,, हरिया तेल की कटोरी देकर खटिया के पास आकर खड़ा हो गया,,,, और एक हाथ से अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,,।


उसमें नहीं डालोगे तो क्या मजा नहीं आएगा,,,


मेरी जान कभी कभी तो मौका मिलता है,,, तुम्हारी गांड में डालने का,,,,,


गांड मारने में तुम्हे ईतना मजा आता है,,,


सच कहूं तो बहुत मजा आता है कभी-कभी तुम्हारी दूसरे छेद का भी मजा ले लेना चाहिए,,,।
(राजू को सारा मामला समझ में आ गया था राजू तो यह सुनकर पूरी तरह से सन्न रह गया था उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन उसकी आंखें और कान दोनों झूठ नहीं बोल रहे थे अपनी मां की बात सुनकर और पूरी तरह से उत्तेजना से सिहर उठा था बड़ी सहज होकर उसकी मां गांड मारने की बात कर रही थी जिस की तैयारी में उसका बाप लगा हुआ था,,,,गांड मारने के बारे में राजू ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की औरतों की गांड भी मारी जाती है आज वह अपनी आंखों से देख रहा था,,,, संभोग कला का एक बार अपनी आंखों से देख कर सीखने जा रहा था,,,, अपने मन में सोचने लगा कि अच्छा ही हुआ कि आज वह फिर से इस छोटे से छेद में से झांकने का सौभाग्य प्राप्त कर लिया वरना यह अद्भुत नजारा और अकल्पनीय अध्याय सीखने को नहीं मिलता वह देखना चाहता था कि क्रिया कैसे होती है,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह यह देखने के लिए उत्सुक थी कि आगे क्या होता है,,,, हाथ में कटोरी लिए हुए उसके पिताजी बोले,,,।


मेरी रानी अब पेट के बल लेट जाओ,,, तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड की सेवा करने का समय आ गया है,,,।
(अपने पिताजी की बातें सुनकर और वह भी अपनी मां के लिए राजु के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी,,, राजू टकटकी लगाए सारे दृश्य को अपने दिमाग में कैद किए जा रहा था उसके पिताजी की बात सुनते ही मुस्कुराते हैं उसकी मां पेट के बल लेट गई खटिया पर पेट के बल लेटे होने के बावजूद भी उसकी बड़ी-बड़ी गांड बेहद खूबसूरत और उठी हुई लग रही थी,,,, उसके नितंबों का उभार पहाड़ की तरह नजर आ रहा था,,, जिस पर चढ़ने के लिए किस्मत का साथ होना बेहद जरूरी था और इस समय ऐसी किस्मत सिर्फ उसके पिताजी की थी,,, इस हालत में कोई अगर मधु को देख ले तो शायद उसका पानी निकल जाए क्योंकि वह इस समय खटिया पर एकदम नंगी लेटी हुई थी और अभी पेट के बाद उसकी नंगी चिकनी पीठ के साथ-साथ उसके नितंबों का उभार जानलेवा नजर आ रहा था,,। एक नजर अपनी नंगी बीवी के बदन पर डालते हुए बोला,,,।

हाय मेरी जान भगवान ने मेरी किस्मत अपने हाथों से लिखा था जो तुम्हें मेरी किस्मत में लिख दिया था,,,, आज तो जी भर कर तुम्हारी लूंगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही हरिया खटिया पर बैठ गया और कटोरी मे रखे हुए सरसों के तेल की धार को मधु की गांड पर गिराना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में राजू की मां की गांड सरसों के तेल में और ज्यादा चमकने लगी राजू की सांसे उत्तेजना के मारे उखडती चली जा रही थी,,,,,, अपनी गांड पर तेल की धार पड़ने पर मधु एकदम मस्त भेजा रही थी उसके चेहरे पर संतुष्टि और उत्तेजना के भाव साहब झलक रहे थे उसे मालूम था कि अब आगे क्या होने वाला है इसलिए मन ही मन अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर रही थी,,,,।


हरिया सरसों के तेल की कटोरी को नीचे रखकर अपनी दोनों हथेलियां अपनी बीवी की गांड पर रखकर उसे मसलना शुरू कर दिया एक तरह से वह अपनी बीवी की गांड की मालिश कर रहा था,,,, हां जोर जोर से अपनी हथेली में जितना हो सकता था आप अपनी बीवी की गांड को दबोच कर उसकी मालिश कर रहा था,,,, अपनी मां की गांड की मालिश होता हुआ देखकर राजू का मन ललचा रहा था,,,,इस तरह का दृश्य देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना का कामज्वर बढ़ता जा रहा था,,,,राजू के पिताजी एकदम उत्तेजित होने जा रहे थे वहां रह रहे कर जोर से राजू की मां की गांड पर चपत लगा देंगे जिससे राजू की मां के मुंह से आह निकल जा रही थी और यह आहह की आवाज उत्तेजना पूर्ण थी,,,,राजू की मां को भी अपनी गांड पर चपत लगाना बहुत ही अच्छा लग रहा था,,, देखते ही देखते राजू की मां की गोरी गोरी गाल टमाटर की तरह लाल हो गई,,,,राजू को साफ नजर आ रहा था कि जब जब उसके पिताजी उसकी मां की गांड पर जोर से चपत लगा दी थी तब तक उसकी नरम नरम बड़ी बड़ी गांड नदी के पानी की तरह लहरा उठ रही थी जिसे देखकर राजू का मन कर रहा था कि वह भी अंदर घुस जाए और अपने पिताजी का साथ दें,,,,, क्योंकि इस तरह का मादकता भरा दृश्य उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,,पजामे के अंदर उसका नंबर बगावत पर उतर आया था ऐसा लग रहा था कि जैसे पजामा फाड़कर उसका लंड बाहर आ जाएगा,,,, जिसे बड़ी मुश्किल से अपनी हथेली में पकड़ कर राजू दबोचे हुए था,,,।

कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,


आहहहहह,,, बहुत सुकून मिल रहा है,,,,रोज इसी तरह से मालिश किया कीजिए दिन भर की थकान दूर हो जाती है,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू अपने मन में कहने लगा कि उसे भी एक बार यह मौका दे कर देखो दिन-रात मालीस ही करता रहेगा,,,)


मैं तो रोज तुम्हारी मालिश करूं लेकिन क्या रोज गांड मारने दोगी,,,।


ना बाबा बिल्कुल नहीं,,,, इसीलिए तो मैं तुमसे जलेबी नहीं मंगवाती,,,।


हां सच कह रही हो तभी तो मुझे ही खरीद कर लाना पड़ता है,,,।

(अपनी मां और पिताजी की बात सुनकर राजू समझ गया था कि जलेबी उन दोनों के बीच होने वाले इस रिश्ते का इशारा था लेकिन जलेबी घर में आती थी समझ लो की उसकी मां की गांड चुदने वाली होती थी,,,,,,, हरिया पूरा जोर लगा कर राजू की मां की गांड की मालिश कर रहा था,,,, और फिर धीरे से खडा हुआ और अपने लंड को हवा में लहराता हुआ अपनी बीवी के सिहरीने आया और बोला,,,)


अब ईसे मुंह में लेकर गिला कर दो ताकि आराम से जा सके,,,,।
(और बिना ना नकुर किए,, मधु धीरे से उठी और हरिया के लैंड को मुंह में लेकर बड़े आराम से चूसना शुरु कर दी क्योंकि शायद वह भी जानती थी कि लंड का गीला होना बेहद जरूरी है,,, थोड़ी देर तक राजू की मां अपने पति के लैंड को मुंह में लेकर चुस्ती रही और फिर उसे बाहर निकाल दी,,,उसकी मां की इस हरकत पर राजू उत्तेजना के मारे अपनी आंखों को बंद कर ले रहा था और अपने पिताजी की जगह अपने आपको रखकर कल्पना कर रहा था वह अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी का है बड़े आराम से उसकी मां के मुंह में चला जा रहा था लेकिन उसका लंबा लंड उसके गले तक उतर जाएगा जिसे आराम से चूस पाना बहुत मुश्किल होता है,,,, लेकिन यह बात को अच्छी तरह से जानता था कि जिस दिन यह मौका मिलेगा उसे बहुत मजा आएगा,,,, अपने पति के लंड को मुंह में से बाहर निकलने के बाद वह बोली,,,।)


देखना आराम से करना और सरसों का तेल थोड़ा छेद पर ज्यादा लगा लेना वरना अंदर जाने में तकलीफ होगी,,,।
( अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर राजू उत्तेजना से पूरी तरह से गदगद हो गया,,, और उसकी बात सुनकर उसके पिताजी बोले,,,)


तो फिर कोई चिंता मत करो मेरी रानी तुम्हारी गांड का छेद मेरे लिए अनमोल तोहफा है इसे मैं बिल्कुल भी तकलीफ नहीं पहुंचाऊंगा,,,, बस थोड़ा सा गांड़ ऊपर की तरफ उठा दो तो तुम्हे पेलने में आसानी होगी,,,


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(और इतना सुनते ही मधु आज्ञाकारी बीवी की तरह अपनी भारी-भरकम गोल गोल गांड को ऊपर की तरफ हवा में उठा दी मानो की दुश्मन को दागने के लिए कोई तोप निशाना लगा रहा हो,,,, यह नजारा देखकर राजु तो चारों खाने चित हो गया क्योंकि गांड उपर की तरफ उठाने पर राजू को उसकी मां की कौन कौन कौन एकदम सामने नजर आने लगी उसका गुलाबी छेद उसके भूरे रंग का छेद सब कुछ लालटेन की रोशनी में नजर आने लगा था,,, जिसे देखकर राजू के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था,,,,अब आगे क्या होने वाला है इसके बारे में सोच कर राजू के बदन में उत्तेजना के मारे कंपन होना शुरू हो गया था,,, जवानी से भरा हुआ उसका लंड अंगड़ाई ले रहा था,,,।राजू के पिता से एक बार फिर से नीचे रखी सरसों के तेल की कटोरी उठा लिए,,, और एक हाथ से मधु की कमर पर दबाव देते हुए उसे अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठाने का इशारा किया राजू की मां अपने पति के इसे सारे को समझ गई और अपनी भारी-भरकम गोलाकार गांड को थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठा दी,,,, अब राजू को उसकी मां की गांड का छेद इधर साफ नजर आ रहा था,,,, जिस पर उसके पिताजी कटोरी से तेल की धार गिरा रहे थे,,, और गांड के छेद पर सरसों के तेल की धार गिरने पर राजु की मां कसमसा रही थी,,, यह सब देख कर राजू इतना तो समझ गया था कि यह पहली बार का नहीं था उसकी मां बहुत बार गांड मरवा चुकी थी अपनी मां की इस हरकत पर और पूरी तरह से,,, समझ गया था कि उसके बाप के साथ-साथ उसकी मां भी इस मामले में बेहद शौकीन किस्म की औरत है भले ही दिन भर कितनी भी संस्कारी बनकर रहती हैं लेकिन रात को उसके अंदर की असली औरत जाग जाती है,,, और उसकी यही आदत राजू के लिए उसकी दोनों टांगों के बीच का फासला तय करेगी ऐसा उसे पूरा विश्वास हो गया था,,,,,।

थोड़ी ही देर में उसकी मां की गांड का छेद पूरी तरह से सरसों के तेल से लबालब चिकना हो गया जिसे उसके पिता उसे अपनी खेती से मसलकर और ज्यादा फैला रहे थे और थोड़ा सा सरसों का तेल अपने लंड पर भी लगा कर उसकी धार को और तेज कर रहे थे,,,,।
Hariya or raju ki ma



अब तैयार हो जाओ मेरी जान तुम्हें चांद पर ले जाने का समय आ गया है,,,,।
(अपने पिताजी के मुंह से इतना सुनते ही राजू के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, क्योंकि अब वह नजर आने वाला है जिसका उसे बेसब्री से इंतजार था,,,, देखते ही देखते उसके पिताजी उसकी मां की गांड के पीछे आ जाए राजू की मां का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जानती थी कि शुरू शुरू में थोड़ा दर्द होता है लेकिन उसके बाद मजा भी बहुत आता है और इसी दर्द के लिए अपने आपको तैयार कर रही थी,,,, राजू के पिताजी अपने लंड का सुपाड़ा राजू की मां की गांड के भूरे रंग के छेद पर लगा दिए जो कि पहले से ही पूरी तरह से गिला हो चुका था और तेल की वजह से लसलसा हो गया था,,,,, हरिया‌ने थोड़ा सा अपनी कमर को धक्का लगाया,,, और गीलापन पाकर हरिया के लंड कैसे पड़ा धीरे से राजू की मां की गांड के छेद में सरक गया,,, और हल्की सी कराहने की आवाज राजू की मां के मुंह से निकल गई,,, राजू समझ गया कि उसके पिताजी का लंड उसकी मां की गांड में प्रवेश कर गया है,,,,




और देखते ही देखते हरियाली अपना पूरा लंड धीरे-धीरे करके राजू की मां की गांड में डाल दिया और उसकी बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर,,, अपनी कमर को आगे पीछे करके राजू की मां की गांड मारना शुरू कर दिया,,,, राजु ने चुदाई के बहुत सारे दिन से देखे थे लेकिन गांड मारने वाला तेरे से पहली बार देख रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां गांड मरवा रही है,,,,सोचने में ही यह बेहद अद्भुत और उत्तेजना पुण्य लगता है लेकिन तराजू तो अपनी आंखों से देख रहा था बड़े आराम से उसके पिताजी का भी उसकी मां की गांड के छोटे से छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,, देखते ही देखते पूरे कमरे में सिसकारी की आवाज गूंजने लगी इस इस कार्य की आवाज सुनकर राजू से रहा नहीं जा रहा था और वह पजामे को नीचे करके अपनी लंड को बाहर निकालकर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,,, अंदर का दृश्य और भी ज्यादा गर्माहट पकड़ रहा था,,,क्योंकि राजू के पिताजी राजू की मां की गांड पर जोरदार चपत लगाते हुए उसकी गांड मार रहे थे,,, हर धक्के के साथ राजू की मां की बड़ी बड़ी गांड नदी के पानी कि तरह लहरा जा रही थी,,, यह दृश्य बेहद अद्भुत था,,। राजू की मां का गदराया बदन इस अवस्था में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था खटिया से चरर चररर की आवाज आ रही थी,,, जो कि दोनों की कामलीला का जीता जागता सबूत था,,,, राजू के पिता जी बड़े आराम से राजु की मां की गांड मार रहे थे,,,दोनों को बहुत मजा आ रहा था राजू को भी लगने लगा था कि शायद गांड मारने में बहुत मजा आता है इसलिए वह भी इस अनुभव से गुजारना चाहता था,,,, ऐसे में उसका जुगाड़ केवल उसकी बुआ ही थी जिस पर वह किसी भी प्रकार से मनमानी कर सकता था,,,, वैसे तो उसकी यादी में कमला चाची और उसकी बहू के साथ साथ लाला की बहन सोनी भी थी,,,दोनों लाला की बहन सोनी और कमला चाची अनुभव से भरी हुई थी लेकिन कभी भी उन दोनों ने गांड मारने वाली बात नहीं की थी इसलिए राजू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था इस बारे में वह केवल अपनी बुआ से ही बात कर सकता था और ऐसा करने के लिए वह मन में ठान लिया था,,,,




बगल वाले कमरे में उसके पिताजी के धक्के तेज हुए जा रहे थे हर धक्के के साथ उसकी मां आगे की तरफ लहरा उठ रही थी जिसे उसके पिताजी ने कमर से कसके थाम रखा था इसलिए संभले हुए थी,,, देखते ही देखते राजू के पिताजी की कमर बड़ी तेजी से हीलने लगी,,, और कुछ ही दिनों में वह अपना पूरा गर्म लावा उसकी मां की गांड में गिरा दिया,,,, और उसकी पीठ पर लेट गया,,,, इस गरमा-गरम दृश्य का साक्षी केवल राजू ही था जो अपनी मां और पिताजी की गरमा गरम चुदाई के साथ आज गांड मारने वाला भी दृश्य देख लिया था,,,,,,,


बगल वाले कमरे की गरमा गरम द्शय को देखकर,, राजू का हाथ भी बड़ी तेजी से चल रहा था थोड़ी देर बाद उसका भी पानी,, निकल गया,,,,,, अब आगे उसे कुछ भी देखने की जरूरत नहीं थी,,।
 
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nickname123

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जलेबी की मिठास मधु की बुर में नमकीन रस घोल रही थी,,,घर पर जलेबी आने का मतलब को अच्छी तरह से समझती थी क्योंकि जब से वह शादी करके घर आई थी तब से निरंतर यह चलता ही आ रहा था,,,।इसलिए रह रह कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लग रही थी और शर्म से उसके गाल लाल हुए जा रहे थे,,,, आज उसकी जमकर सेवा होने वाली थी,,,। गुलाबी अपनी मंशा को पूरी कर चुकी थी इस तरह से चोरी-छिपे चुदवाने में जो आनंद आता है उसका लुफ्त उठा कर गुलाबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, अपनी रस भरी जवानी पर उसे पूरा विश्वास था क्योंकि वह जानती थी कि अपनी खूबसूरती से वह अपने भैया को अपनी तरफ आकर्षित कर लेगी क्योंकि उसका भाई एक बार संबंध बनाने के बाद उससे कतराने लगा था और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी,,,पहले अपनी बातों से गर्म करने के बाद अपनी कामुक हरकतों से वह अपने बड़े भैया को पूरी तरह से अपनी जवानी के रस में घोलकर उसके साथ दुबारा शारीरिक संबंध बना ही ली और गुलाबी की कामुक हरकत की वजह से हरिया भी,,अपने कदमों पर अपने वचन पर कायम नहीं रह पाया और सब कुछ एक तरफ रख कर वह अपनी बहन की मद भरी जवानी में खो गया,,, हरिया चलेगी इसीलिए ही खरीदा था कि घर पर चलकर अपनी बीवी को जलेबी खिला कर रात भर उसकी जवानी का रस चखेगा लेकिन उससे पहले ही उसकी बहन ने ही उसे अपनी जवानी का रस पिला दी,,, जिससे उसका हौसला और बुलंद हो गया था,,,। घर के किसी भी सदस्य को कानों कान इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि घर का जिम्मेदार सदस्य घर के पीछे अपनी बहन की चुदाई कर रहा है,,,,।


खाना खाने के बाद,,, मधु और हरिया अपने कमरे में चले गए,,,,, गुलाबी राजू के आने से पहले भी कमरे में जाकर खटिया पर लेट गई थी वह राजू से चुदवाना चाहती थी,,, लेकिन राज्यों के आने से पहले ही उसकी आंख लग गई और वह सो गई राजू जब कमरे में प्रवेश किया तो देखा कि उसकी बुआ गहरी नींद में सो रही है,,,, राजू को इस बात का इत्मीनान था कि वह कभी भी अपनी बुआ की चुदाई करके संतुष्ट हो सकता है इसलिए अपनी बुआ को जगाना हुआ उचित नहीं समझा लेकिन खटिया पर लेटे लेटे उसे नींद नहीं आ रही थी,,,। क्या किया जाए उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था रह-रहकर उसे झुमरी की याद आ रही थी दिन का समय होता तो वह झुमरी से मिलने के लिएउसके घर चला गया होता लेकिन रात का समय था इसलिए जाना उचित नहीं था लेकिन तभी उसे ख्याल आया कि बहुत दिन हो गए हैं बगल वाले कमरे में तांक-झांक कीए क्यों ना आज फिर से वही काम किया जाए जिसे देखकर ही जवानी का मजा लूट रहा है,,, यही सोचकर वह खटिया पर से नीचे उतरा और उसी छोटे से छेद वाली जगह पर पहुंच गया,,,, खाना बनाते समय में अपनी मां की चुचीयों की घेराइयों को देखकर पहले ही वह उत्तेजित हो चुका था इसलिए इस समय उसके मन में अपनी मां को नंगी देखने की इच्छा प्रबलीत हो रही थी वह अपनी मां को एक बार फिर से नंगी देखना चाहता था उसके हर गम को को अपनी आंखों से उसके मदन रस को पीना चाहता था,,,,,,। आज भी उसे अपनी मां नंगी देखने को मिलेगी इसी आज के साथ हुआ छोटे से छेद से अपनी आंख टीका दिया,,, तो सामने ही उसकी मां नजर आई जो छोटे से कमरे में बनी छोटे से गुसल खाने मैं जहां पर पीने का पानी रखा जाता है और रात के समय उसकी मां पेशाब करने के लिए उसी का इस्तेमाल करती थी वहीं पर देखा कि उसकी मां खड़ी थी और मटके में से पानी निकाल कर पी रही थी बगल वाले कमरे में भी लालटेन अपनी पूरी रोशनी बिखेर रहा था जिससे कमरे का हर एक कोना नजर आ रहा था,,,,,,, अपनी मां को पानी पीता देखकर ना जाने क्यों इतने सही राजू उत्तेजित होने लगा,,,, राजू की मां पानी पीने के बाद ग्लास को वही रख कर हरिया की तरफ देखी और मुस्कुराने लगी हरिया हमेशा की तरह खटिया पर पीठ के बल लेटा हुआ था लेकिन उसके बदन पर पूरा वस्त्र था उसने अभी अपने कपड़े निकाले नहीं थे,,,,।

अरे वही खड़ी देखती ही रहोगी कि आओगी भी,,,,।


अरे आ रही हूं थोड़ा सब्र कीजिए आप तो एकदम उतावले हो जाते हैं,,,।


क्या करूं मेरी जान इसीलिए तो आज जलेबी लेकर आया था कि आज सारी रात तुम्हारी लेकर मस्त हो जाऊंगा,,,


रोका किसने है आप जलेबी लेकर आए थे तभी मैं समझ गई थी और रात भर की तैयारी के लिए अपने आप को तैयार कर रही थी,,,। तुम्हारा जलेबी लाने के मतलब को मैं अच्छी तरह से जानती हूं,,,(मधु वही खड़ी खड़ी मुस्कुराते हुए बोल रही थी राजू को भी अब जलेबी लाने के पीछे का मकसद पता चलने का वह समझ गया कि उसके पिताजी घर पर जलेबी लाकर उसकी मां को जलेबी खिला कर रात भर उसकी चुदाई करते हैं,,। राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर तोड़ने लगी वह अपनी मां को जल्द से जल्द नंगी देखना चाहता था उसकी चूचियों को खास करके वहां नंगी देखने के लिए मचल रहा था,,, तभी राजू ने जो देखा उससे उसके लंड का तनाव बढ़ने लगा,,,, उसकी मां उसी छोटे से बने खुसर खाने में खड़ी थी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते-देखते राजू की आंखों के सामने ही उसकी मां ने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और नीचे बैठकर मुतना शुरू कर दी,,,। राजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी उठने लगी,,, उसके लंड की नसों में उसकी मां की मदहोशी बहने लगी,,,। राजू की सांसे पल भर में गहरी चलने लगी राजू की आंखों के सामने भले ही मधु इस बात से अनजान थी कि उसका बेटा उसे चोरी छुपे देखता है वह निश्चिंत होकर मुत रही थी,,,उसकी मौत ने की वजह से उसकी पूजा दी पत्तियों के पीछे से जो मधुर संगीत निकल रही थी वह राजू के कानों तक पहुंच रही थी जिसे देखकर पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देखना था वह पहले भी औरतों को पेशाब करते हुए टिकट और उसका सुख प्राप्त कर चुका था लेकिन अपनी मां को पेशाब करते हुए देखने में जो सुकून मिलता था उससे वह अपने शब्दों में बयां नहीं कर पाता था जिसे देखकर पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगता था उस पल में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था और यही हो भी रहा था उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए मुत रही थी और जिसे देखकर राजू के लंड में हरकत होना शुरू हो गया था,,,,,, राजू इस दृश्य की मादकता को बर्दाश्त कर सकने में असमर्थ था वहीं दूसरी तरफ उसका बाप बड़े आराम से इस दृश्य को देख रहा था और धोती के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा था,,,, हरिया बड़े आराम से शहर जो करिश्मा रखता परिदृश्य को इसीलिए शायद देख रहा था क्योंकि वह उस औरत को रोज चोदता था उस पर उसका पूरा हक था जिसे जब चाहे तब उसकी चुदाई कर सकता था और राजू इस दृश्य को देखकर इसलिए असहज हो रहा था क्योंकि,,, राजू के लिए उसकी आंखों के सामने बैठकर पेशाब करने वाली औरत पर उसका उस तरह का हक नहीं था कि वहां जब चाहे तब उसे बिस्तर पर ले जाकर उसकी चुदाई कर दे उसके साथ संभोग सुख प्राप्त कर सके इसलिए यह दृश्य राजू के लिए बेहद कामुकता भरा था,,,।

देखते ही देखते राजू की मा उसकी आंखों के सामने मुत कर खडी हो गई,,,लेकिन वह खड़ी होने के बावजूद भी कमर से अपनी शादी तो नीचे नहीं गिरा है बल्कि उसी तरह से कमर से अपनी साड़ी को पकड़े हुए ही अपनी नंगी गांड को मटकाते हुए राजू के पिताजी के करीब जाकर खड़ी हो गई राजू एक बार फिर से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था,,, ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मां को इस रूप में देख रहा हो,, वह पहले भी अपनी मां को इस रूप में देख चुका था नंगी चुदवाते हुए,,, लेकिन फिर भी यह कसक ऐसी थी कि जब-जब राजू अपनी मां को इस रूप में नंगी देखता था तुम से ही लगता था कि वह पहली बार देख रहा है और उसकी उत्तेजना हर बार बढ़ती ही जाती थी,,,,।


राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह पूरी तरह से चुदवाया हो गया था,,, उसका मन कर रहा था कि नींद में ही सही अपनी बुआ की चुदाई कर दे,,, लेकिन शायद खुद चुदाई करने से ज्यादा सुख उसे अपनी मां को इस रूप में देखने से प्राप्त हो रहा था इसलिए वह इस लालच में वही रुक आ रहा और अपनी मां की गंदी हरकत को देखकर मस्त होता रहा उसके पिताजी खटिया पर लेटे हुए ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसकी नंगी गांड को सहलाने लगे और बोले,,,,,,

आज तो बहुत मजा आएगा,,,( और इतना कहने के साथ ही वह मधु को अपनी तरफ खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया,,, और उसकी नंगी गांड को जोर-जोर से अपनी हथेली में लेकर दबाने लगा,,,। इस तरह का दृश्य हर बार देखने पर राजू के तन बदन में मदहोशी की ताजगी भर देती थी,,,, हरीया पूरा जोर लगा कर अपनी बीवी की गांड अपनी हथेली में दबोच ते हुए दबा रहा था और राजू की मां को बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फुट रही थी,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे,,, राजू के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़क रहे थे,,, वह बार-बार अपनी बुआ गुलाबी की तरफ देख ले रहा था,,, क्योंकि वह अपने मन में सोच रहा था कि,,, अगर उसकी बुआ की नींद खुल जाए तो वह भी अपनी सारी गर्मी अपनी बुआ की बुर में निकाल दे,,, लेकिन फिर भी जो कुछ भी अपनी आंखों से देख रहा था उसके लिए बहुत था,,, क्योंकि जब भी वह दीवार के छोटे से छेद में से बगल वाले कमरे में जाता था तब तक उसे कुछ सीखने को ही मिलता था एक तरह से बगल वाला कमरा उसके लिए एक पाठशाला हो गई थी जिसमें संभोग का हर एक अध्याय के हर एक पन्ने को वह अपनी आंखों से पढ़ रहा था और उसे कुछ सीख रहा था,,,, उसके पिताजी और उसकी मां उसके लिए अध्यापक का काम कर रहे थे,,,,, की मां की खूबसूरत बदन में कितनी गर्मी है राजू अपनी आंखों से कई बार देख चुका है लेकिन यह देखने की प्यास थी कि बुझती ही नहीं थी,,,,,,।

मधु अपने पति के जांघों पर बैठ गई और अपनी ब्लाउज का बटन खोलने लगी,,,,, राजू कि सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,अपनी मां का यह रूप उसे बेहद कामुक लगता था ऐसा लगता था कि जैसे खुद काम देवी उसकी आंखों के सामने बैठी हो,,, चूची के आकार से कम नाथ का ब्लाउज होने के नाते मधु का ब्लाउज पूरी तरह से कसा हुआ होता था ऐसा लग रहा था कि जैसे दो खरबूजे उसके ब्लाउज में ठुंस ठुंस कर भरे हुए हो,,,ऐसा नहीं था कि मधु की चूचियां छोटी थी उसका वास्तविक रूप ही खरबूजे की तरह था जिसे देख कर दुनिया के हर एक मर्द के मुंह में पानी आ जाता था देखते ही देखते राजू कि मैं आपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और ब्लाउज के खुलते ही उसके दोनों खरबूजे उसकी छातियों की शोभा बढ़ाते हुए लटक गए हालांकि उसकी चुचियों में लटकन बिल्कुल भी नहीं था एकदम तनी हुई दुश्मन को आंख दिखाती हुई नजर आ रही थी,,,, हरिया अपनी बीवी की चूचियों को जी जान से प्यार करता था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बीवी की चूचियां लाखों में एक थी,,, और अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली चूचियों के आकार और उसके आकर्षण से राजू भी वाकीफ था क्योंकि उसके जीवन में भी धीरे-धीरे करके बहुत सी औरतें आती जा रही थी लेकिन जो आकर्षण उसे अपनी मां की चुचियों से प्राप्त हो रहा था एक ऐसा आकर्षण उसे अभी तक किसी भी औरत की चुची में नजर नहीं आया था इसीलिए तो इस समय भी अपनी मां की चूची को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,।राजू की लालच को और ज्यादा बढ़ाते हुए उसके पिताजी अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर राजू की मां की दोनों चूची को पके हुए पपीते की तरह थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,,,, अपने पिताजी की हरकत को देखकर राजू के तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,,अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसके पिताजी की जगह वो होता तो ओर ज्यादा मजा आता,,,,।

लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,राजू के पिताजी उसकी मां की चूचीयो में व्यस्त थे और उसकी मां अपने ब्लाउज को अपनी बाहों में से निकाल कर अलग कर रही थी,,, देखते ही देखते राजू की मां अपने ब्लाउस निकालकर खटिया के नीचे फेंक दी और यही हाल होता है,,, जब कामुकता और उत्तेजना बदन में पूरी तरह से
असर कर जाती है तो यही होता है,,, औरत और मर्द दोनों एक दूसरे में समाने की जल्दबाजी में अपने कपड़े उतार उतार कर फेंकना शुरू कर देते हैं और यही हाल मधु का भी था अपना ब्लाउज उतारकर खटिया के नीचे फेंक दी,,,।
स्तन मर्दन का मजा राजू की माफी पूरे जोश के साथ लेती थी,,, चूची दबाने में जितना मजा मर्दों को आता है उससे कहीं ज्यादा मजा औरतों को आता है,,, इसीलिए तो राजू की मां गरमा गरम सिसकारी के साथ चूची दबवाने का आनंद लूट रही थी,,,।

सहहहहह आहहहहहहहहह,,,ऊईईईई, मां,,,,ऊमममममम,,,।

इस तरह की गरमा गरम आवाज को सुनकर राजू पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,, वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया था,,,। थोड़ी देर बाद हरिया अपने ऊपर बैठे अपनी बीवी की साड़ी की गांठ को खोलने लगा और अगले ही पल वह अपनी बीवी की कमर पर से साड़ी को धीरे धीरे उतारना शुरू कर दिया,,,, देखते ही देखते हरिया मधु की साड़ी,, उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया,,,धीरे-धीरे राजू अपनी मां को नंगी होता हुआ देख रहा था उसके बदन पर केवल उसका पेटीकोट नहीं किया था जिस की डोरी को पकड़कर उसके पिताजी खींच दीए थे,,,,, और अपने पति का साथ देते हुए मधु उसी अवस्था में खड़ी हो गई,,,,और अपनी कमर से कसी हुई पेटीकोट को ढीली करके उसे यूं ही छोड़ दी राजू अपनी आंखों से मादकता भरे नजारे को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,, राजू की मां खटिया पर एकदम नंगी खड़ी थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका वजन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था,,,,, जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,। राजू का लंड पूरी तरह से मचल रहा था अपनी मां की बुर में जाने के लिए,,, लेकिन शायद अभी उसकी किस्मत में यह नहीं लिखा था,,,, केवल देखकर ही वह संतोष प्राप्त कर रहा था,,,,,।


सच कहूं तो मधु तुम नंगी होने के बाद स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा की तरह नजर आती हो,,,।


अप्सरा देखे हैं क्या आप,,,?( बारी बारी से एक एक टांग ऊपर करके अपने पेटिकोट को अपनी टांगों में से निकलते हुए बोली,,,)

तुम्हें देख लिया तो स्वर्ग की अप्सरा को भी देख लिया इतना तो मैं जानता हूं कि स्वर्ग की अप्सरा भी तुमसे ज्यादा खूबसूरत नजर नहीं आती होगी,,,।


हटीए,,,, बेवजह बातें बनाते हैं,,,(मधु शर्माते हुए बोली,,,)


सच कह रहा हूं मेरी रानी,,,,(नंगी चिकनी मांसल पिंडलियों को सहलाता हुआ हरिया बोला,,,,, राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी मां खटिया पर खड़ी थी और अपने हाथों से अपनी चुचियों को मसल रही थी,,, शायद यह घर पर जलेबी लाने का असर था जो भी दोनों को पूरी तरह से मदहोश किए जा रहा था,,,,)


अपने कपड़े उतारो कि सिर्फ मेरे ही उतरवा लिए,,,



अरे मेरी जान चिंता क्यों करती हो बिना कपड़े उतारे मजा लेने वाला नहीं हूं कपड़े उतार कर ही मजा आता है,,,।
(इतना कहने के साथ ही हरिया अपनी धोती को खोलने लगा और अगले ही पल धोती को उतार कर नीचे फेंक दिया उत्तेजना के मारे उसका लंड खड़ा था कुछ देर पहले ही वह अपनी बहन की चुदाई कर चुका था,,, लेकिन फिर भी उसका लंड खड़ा था जिसका एक ही कारण था मधु,,, मधु की खूबसूरत मदहोश कर देने वाली जवानी देखकर मुर्दे में भी जान आ जाए,,, अपने पति के खड़े लंड को देखकर मधुर मुस्कुराने लगी यह देख कर राजू को जलन होने लगी क्योंकि वह जानता था कि उसका लंड उसके पिताजी से कई मायने में जबरदस्त मोटा तगड़ा और लंबा है और उसकी मा है की ,,, उसके बाप के आधे लंड को देखकर,,, खुश हो रही है राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसकी मां उसके लंड को देख लेगी तो तब तो खुद ही उसके लिए साड़ी उठा देगी,,,, फिर अपने मन में मां यह सोचने लगा कि अभी तक उसने अपनी मां को अपने लंड के दर्शन नहीं कराए हैं वरना उसकी मां ना जाने कब का उसे दे दी होती,,,,। यही सोचता हुआ राजू अपने लंड को पजामे के ऊपर से जोर जोर से दबा रहा था,,,,,,देखते ही देखते हरिया अपना कुर्ता भी उतार दिया और खटिया पर दोनों एकदम नंगे हो गए,,,,।राजू को लगा कि आप उसका बाप उसकी मां की चुदाई करना शुरू कर देगा लेकिन ऐसा नहीं था राजू की मां खटिया पर बैठ गई और हरिया खटिया पर से नीचे उतरा और कोने में रखी सरसों के तेल की कटोरी हाथों में ले लिया,,,, जिसे देखकर राजू की मां शर्मने लगी राजू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या होने जा रहा है,,,, हरिया तेल की कटोरी देकर खटिया के पास आकर खड़ा हो गया,,,, और एक हाथ से अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,,।


उसमें नहीं डालोगे तो क्या मजा नहीं आएगा,,,


मेरी जान कभी कभी तो मौका मिलता है,,, तुम्हारी गांड में डालने का,,,,,


गांड मारने में तुम्हे ईतना मजा आता है,,,


सच कहूं तो बहुत मजा आता है कभी-कभी तुम्हारी दूसरे छेद का भी मजा ले लेना चाहिए,,,।
(राजू को सारा मामला समझ में आ गया था राजू तो यह सुनकर पूरी तरह से सन्न रह गया था उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन उसकी आंखें और कान दोनों झूठ नहीं बोल रहे थे अपनी मां की बात सुनकर और पूरी तरह से उत्तेजना से सिहर उठा था बड़ी सहज होकर उसकी मां गांड मारने की बात कर रही थी जिस की तैयारी में उसका बाप लगा हुआ था,,,,गांड मारने के बारे में राजू ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की औरतों की गांड भी मारी जाती है आज वह अपनी आंखों से देख रहा था,,,, संभोग कला का एक बार अपनी आंखों से देख कर सीखने जा रहा था,,,, अपने मन में सोचने लगा कि अच्छा ही हुआ कि आज वह फिर से इस छोटे से छेद में से झांकने का सौभाग्य प्राप्त कर लिया वरना यह अद्भुत नजारा और अकल्पनीय अध्याय सीखने को नहीं मिलता वह देखना चाहता था कि क्रिया कैसे होती है,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह यह देखने के लिए उत्सुक थी कि आगे क्या होता है,,,, हाथ में कटोरी लिए हुए उसके पिताजी बोले,,,।


मेरी रानी अब पेट के बल लेट जाओ,,, तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड की सेवा करने का समय आ गया है,,,।
(अपने पिताजी की बातें सुनकर और वह भी अपनी मां के लिए राजु के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी,,, राजू टकटकी लगाए सारे दृश्य को अपने दिमाग में कैद किए जा रहा था उसके पिताजी की बात सुनते ही मुस्कुराते हैं उसकी मां पेट के बल लेट गई खटिया पर पेट के बल लेटे होने के बावजूद भी उसकी बड़ी-बड़ी गांड बेहद खूबसूरत और उठी हुई लग रही थी,,,, उसके नितंबों का उभार पहाड़ की तरह नजर आ रहा था,,, जिस पर चढ़ने के लिए किस्मत का साथ होना बेहद जरूरी था और इस समय ऐसी किस्मत सिर्फ उसके पिताजी की थी,,, इस हालत में कोई अगर मधु को देख ले तो शायद उसका पानी निकल जाए क्योंकि वह इस समय खटिया पर एकदम नंगी लेटी हुई थी और अभी पेट के बाद उसकी नंगी चिकनी पीठ के साथ-साथ उसके नितंबों का उभार जानलेवा नजर आ रहा था,,। एक नजर अपनी नंगी बीवी के बदन पर डालते हुए बोला,,,।

हाय मेरी जान भगवान ने मेरी किस्मत अपने हाथों से लिखा था जो तुम्हें मेरी किस्मत में लिख दिया था,,,, आज तो जी भर कर तुम्हारी लूंगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही हरिया खटिया पर बैठ गया और कटोरी मे रखे हुए सरसों के तेल की धार को मधु की गांड पर गिराना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में राजू की मां की गांड सरसों के तेल में और ज्यादा चमकने लगी राजू की सांसे उत्तेजना के मारे उखडती चली जा रही थी,,,,,, अपनी गांड पर तेल की धार पड़ने पर मधु एकदम मस्त भेजा रही थी उसके चेहरे पर संतुष्टि और उत्तेजना के भाव साहब झलक रहे थे उसे मालूम था कि अब आगे क्या होने वाला है इसलिए मन ही मन अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर रही थी,,,,।


हरिया सरसों के तेल की कटोरी को नीचे रखकर अपनी दोनों हथेलियां अपनी बीवी की गांड पर रखकर उसे मसलना शुरू कर दिया एक तरह से वह अपनी बीवी की गांड की मालिश कर रहा था,,,, हां जोर जोर से अपनी हथेली में जितना हो सकता था आप अपनी बीवी की गांड को दबोच कर उसकी मालिश कर रहा था,,,, अपनी मां की गांड की मालिश होता हुआ देखकर राजू का मन ललचा रहा था,,,,इस तरह का दृश्य देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना का कामज्वर बढ़ता जा रहा था,,,,राजू के पिताजी एकदम उत्तेजित होने जा रहे थे वहां रह रहे कर जोर से राजू की मां की गांड पर चपत लगा देंगे जिससे राजू की मां के मुंह से आह निकल जा रही थी और यह आहह की आवाज उत्तेजना पूर्ण थी,,,,राजू की मां को भी अपनी गांड पर चपत लगाना बहुत ही अच्छा लग रहा था,,, देखते ही देखते राजू की मां की गोरी गोरी गाल टमाटर की तरह लाल हो गई,,,,राजू को साफ नजर आ रहा था कि जब जब उसके पिताजी उसकी मां की गांड पर जोर से चपत लगा दी थी तब तक उसकी नरम नरम बड़ी बड़ी गांड नदी के पानी की तरह लहरा उठ रही थी जिसे देखकर राजू का मन कर रहा था कि वह भी अंदर घुस जाए और अपने पिताजी का साथ दें,,,,, क्योंकि इस तरह का मादकता भरा दृश्य उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,,पजामे के अंदर उसका नंबर बगावत पर उतर आया था ऐसा लग रहा था कि जैसे पजामा फाड़कर उसका लंड बाहर आ जाएगा,,,, जिसे बड़ी मुश्किल से अपनी हथेली में पकड़ कर राजू दबोचे हुए था,,,।

कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,


आहहहहह,,, बहुत सुकून मिल रहा है,,,,रोज इसी तरह से मालिश किया कीजिए दिन भर की थकान दूर हो जाती है,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू अपने मन में कहने लगा कि उसे भी एक बार यह मौका दे कर देखो दिन-रात मालीस ही करता रहेगा,,,)


मैं तो रोज तुम्हारी मालिश करूं लेकिन क्या रोज गांड मारने दोगी,,,।


ना बाबा बिल्कुल नहीं,,,, इसीलिए तो मैं तुमसे जलेबी नहीं मंगवाती,,,।


हां सच कह रही हो तभी तो मुझे ही खरीद कर लाना पड़ता है,,,।

(अपनी मां और पिताजी की बात सुनकर राजू समझ गया था कि जलेबी उन दोनों के बीच होने वाले इस रिश्ते का इशारा था लेकिन जलेबी घर में आती थी समझ लो की उसकी मां की गांड चुदने वाली होती थी,,,,,,, हरिया पूरा जोर लगा कर राजू की मां की गांड की मालिश कर रहा था,,,, और फिर धीरे से खडा हुआ और अपने लंड को हवा में लहराता हुआ अपनी बीवी के सिहरीने आया और बोला,,,)


अब ईसे मुंह में लेकर गिला कर दो ताकि आराम से जा सके,,,,।
(और बिना ना नकुर किए,, मधु धीरे से उठी और हरिया के लैंड को मुंह में लेकर बड़े आराम से चूसना शुरु कर दी क्योंकि शायद वह भी जानती थी कि लंड का गीला होना बेहद जरूरी है,,, थोड़ी देर तक राजू की मां अपने पति के लैंड को मुंह में लेकर चुस्ती रही और फिर उसे बाहर निकाल दी,,,उसकी मां की इस हरकत पर राजू उत्तेजना के मारे अपनी आंखों को बंद कर ले रहा था और अपने पिताजी की जगह अपने आपको रखकर कल्पना कर रहा था वह अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी का है बड़े आराम से उसकी मां के मुंह में चला जा रहा था लेकिन उसका लंबा लंड उसके गले तक उतर जाएगा जिसे आराम से चूस पाना बहुत मुश्किल होता है,,,, लेकिन यह बात को अच्छी तरह से जानता था कि जिस दिन यह मौका मिलेगा उसे बहुत मजा आएगा,,,, अपने पति के लंड को मुंह में से बाहर निकलने के बाद वह बोली,,,।)


देखना आराम से करना और सरसों का तेल थोड़ा छेद पर ज्यादा लगा लेना वरना अंदर जाने में तकलीफ होगी,,,।
( अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर राजू उत्तेजना से पूरी तरह से गदगद हो गया,,, और उसकी बात सुनकर उसके पिताजी बोले,,,)


तो फिर कोई चिंता मत करो मेरी रानी तुम्हारी गांड का छेद मेरे लिए अनमोल तोहफा है इसे मैं बिल्कुल भी तकलीफ नहीं पहुंचाऊंगा,,,, बस थोड़ा सा गांड़ ऊपर की तरफ उठा दो तो तुम्हे पेलने में आसानी होगी,,,
(और इतना सुनते ही मधु आज्ञाकारी बीवी की तरह अपनी भारी-भरकम गोल गोल गांड को ऊपर की तरफ हवा में उठा दी मानो की दुश्मन को दागने के लिए कोई तोप निशाना लगा रहा हो,,,, यह नजारा देखकर राजु तो चारों खाने चित हो गया क्योंकि गांड उपर की तरफ उठाने पर राजू को उसकी मां की कौन कौन कौन एकदम सामने नजर आने लगी उसका गुलाबी छेद उसके भूरे रंग का छेद सब कुछ लालटेन की रोशनी में नजर आने लगा था,,, जिसे देखकर राजू के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था,,,,अब आगे क्या होने वाला है इसके बारे में सोच कर राजू के बदन में उत्तेजना के मारे कंपन होना शुरू हो गया था,,, जवानी से भरा हुआ उसका लंड अंगड़ाई ले रहा था,,,।राजू के पिता से एक बार फिर से नीचे रखी सरसों के तेल की कटोरी उठा लिए,,, और एक हाथ से मधु की कमर पर दबाव देते हुए उसे अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठाने का इशारा किया राजू की मां अपने पति के इसे सारे को समझ गई और अपनी भारी-भरकम गोलाकार गांड को थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठा दी,,,, अब राजू को उसकी मां की गांड का छेद इधर साफ नजर आ रहा था,,,, जिस पर उसके पिताजी कटोरी से तेल की धार गिरा रहे थे,,, और गांड के छेद पर सरसों के तेल की धार गिरने पर राजु की मां कसमसा रही थी,,, यह सब देख कर राजू इतना तो समझ गया था कि यह पहली बार का नहीं था उसकी मां बहुत बार गांड मरवा चुकी थी अपनी मां की इस हरकत पर और पूरी तरह से,,, समझ गया था कि उसके बाप के साथ-साथ उसकी मां भी इस मामले में बेहद शौकीन किस्म की औरत है भले ही दिन भर कितनी भी संस्कारी बनकर रहती हैं लेकिन रात को उसके अंदर की असली औरत जाग जाती है,,, और उसकी यही आदत राजू के लिए उसकी दोनों टांगों के बीच का फासला तय करेगी ऐसा उसे पूरा विश्वास हो गया था,,,,,।

थोड़ी ही देर में उसकी मां की गांड का छेद पूरी तरह से सरसों के तेल से लबालब चिकना हो गया जिसे उसके पिता उसे अपनी खेती से मसलकर और ज्यादा फैला रहे थे और थोड़ा सा सरसों का तेल अपने लंड पर भी लगा कर उसकी धार को और तेज कर रहे थे,,,,।


अब तैयार हो जाओ मेरी जान तुम्हें चांद पर ले जाने का समय आ गया है,,,,।
(अपने पिताजी के मुंह से इतना सुनते ही राजू के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, क्योंकि अब वह नजर आने वाला है जिसका उसे बेसब्री से इंतजार था,,,, देखते ही देखते उसके पिताजी उसकी मां की गांड के पीछे आ जाए राजू की मां का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जानती थी कि शुरू शुरू में थोड़ा दर्द होता है लेकिन उसके बाद मजा भी बहुत आता है और इसी दर्द के लिए अपने आपको तैयार कर रही थी,,,, राजू के पिताजी अपने लंड का सुपाड़ा राजू की मां की गांड के भूरे रंग के छेद पर लगा दिए जो कि पहले से ही पूरी तरह से गिला हो चुका था और तेल की वजह से लसलसा हो गया था,,,,, हरिया‌ने थोड़ा सा अपनी कमर को धक्का लगाया,,, और गीलापन पाकर हरिया के लंड कैसे पड़ा धीरे से राजू की मां की गांड के छेद में सरक गया,,, और हल्की सी कराहने की आवाज राजू की मां के मुंह से निकल गई,,, राजू समझ गया कि उसके पिताजी का लंड उसकी मां की गांड में प्रवेश कर गया है,,,, और देखते ही देखते हरियाली अपना पूरा लंड धीरे-धीरे करके राजू की मां की गांड में डाल दिया और उसकी बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर,,, अपनी कमर को आगे पीछे करके राजू की मां की गांड मारना शुरू कर दिया,,,, राजु ने चुदाई के बहुत सारे दिन से देखे थे लेकिन गांड मारने वाला तेरे से पहली बार देख रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां गांड मरवा रही है,,,,सोचने में ही यह बेहद अद्भुत और उत्तेजना पुण्य लगता है लेकिन तराजू तो अपनी आंखों से देख रहा था बड़े आराम से उसके पिताजी का भी उसकी मां की गांड के छोटे से छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,, देखते ही देखते पूरे कमरे में सिसकारी की आवाज गूंजने लगी इस इस कार्य की आवाज सुनकर राजू से रहा नहीं जा रहा था और वह पजामे को नीचे करके अपनी लंड को बाहर निकालकर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,,, अंदर का दृश्य और भी ज्यादा गर्माहट पकड़ रहा था,,,क्योंकि राजू के पिताजी राजू की मां की गांड पर जोरदार चपत लगाते हुए उसकी गांड मार रहे थे,,, हर धक्के के साथ राजू की मां की बड़ी बड़ी गांड नदी के पानी कि तरह लहरा जा रही थी,,, यह दृश्य बेहद अद्भुत था,,। राजू की मां का गदराया बदन इस अवस्था में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था खटिया से चरर चररर की आवाज आ रही थी,,, जो कि दोनों की कामलीला का जीता जागता सबूत था,,,, राजू के पिता जी बड़े आराम से राजु की मां की गांड मार रहे थे,,,दोनों को बहुत मजा आ रहा था राजू को भी लगने लगा था कि शायद गांड मारने में बहुत मजा आता है इसलिए वह भी इस अनुभव से गुजारना चाहता था,,,, ऐसे में उसका जुगाड़ केवल उसकी बुआ ही थी जिस पर वह किसी भी प्रकार से मनमानी कर सकता था,,,, वैसे तो उसकी यादी में कमला चाची और उसकी बहू के साथ साथ लाला की बहन सोनी भी थी,,,दोनों लाला की बहन सोनी और कमला चाची अनुभव से भरी हुई थी लेकिन कभी भी उन दोनों ने गांड मारने वाली बात नहीं की थी इसलिए राजू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था इस बारे में वह केवल अपनी बुआ से ही बात कर सकता था और ऐसा करने के लिए वह मन में ठान लिया था,,,,


बगल वाले कमरे में उसके पिताजी के धक्के तेज हुए जा रहे थे हर धक्के के साथ उसकी मां आगे की तरफ लहरा उठ रही थी जिसे उसके पिताजी ने कमर से कसके थाम रखा था इसलिए संभले हुए थी,,, देखते ही देखते राजू के पिताजी की कमर बड़ी तेजी से हीलने लगी,,, और कुछ ही दिनों में वह अपना पूरा गर्म लावा उसकी मां की गांड में गिरा दिया,,,, और उसकी पीठ पर लेट गया,,,, इस गरमा-गरम दृश्य का साक्षी केवल राजू ही था जो अपनी मां और पिताजी की गरमा गरम चुदाई के साथ आज गांड मारने वाला भी दृश्य देख लिया था,,,,,,,


बगल वाले कमरे की गरमा गरम द्शय को देखकर,, राजू का हाथ भी बड़ी तेजी से चल रहा था थोड़ी देर बाद उसका भी पानी,, निकल गया,,,,,, अब आगे उसे कुछ भी देखने की जरूरत नहीं थी,,।
super duper hot update
 

KANCHAN

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अब लगता है कि इस घर में चार चुदाई की जोड़ी होगी
(1) हरिया-मधु / पति-पत्नी
(2) राजू-गुलाबी / भतीजा-बुआ
(3) हरिया-गुलाबी / भाई-बहन
(4) मधु - राजू / माँ - बेटा
इंजतार है अब मधु को राजू के द्वारा जमकर चोदे जाने का
 

rohnny4545

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अब लगता है कि इस घर में चार चुदाई की जोड़ी होगी
(1) हरिया-मधु / पति-पत्नी
(2) राजू-गुलाबी / भतीजा-बुआ
(3) हरिया-गुलाबी / भाई-बहन
(4) मधु - राजू / माँ - बेटा
इंजतार है अब मधु को राजू के द्वारा जमकर चोदे जाने का
Nice
 

Ek number

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जलेबी की मिठास मधु की बुर में नमकीन रस घोल रही थी,,,घर पर जलेबी आने का मतलब को अच्छी तरह से समझती थी क्योंकि जब से वह शादी करके घर आई थी तब से निरंतर यह चलता ही आ रहा था,,,।इसलिए रह रह कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लग रही थी और शर्म से उसके गाल लाल हुए जा रहे थे,,,, आज उसकी जमकर सेवा होने वाली थी,,,। गुलाबी अपनी मंशा को पूरी कर चुकी थी इस तरह से चोरी-छिपे चुदवाने में जो आनंद आता है उसका लुफ्त उठा कर गुलाबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, अपनी रस भरी जवानी पर उसे पूरा विश्वास था क्योंकि वह जानती थी कि अपनी खूबसूरती से वह अपने भैया को अपनी तरफ आकर्षित कर लेगी क्योंकि उसका भाई एक बार संबंध बनाने के बाद उससे कतराने लगा था और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी,,,पहले अपनी बातों से गर्म करने के बाद अपनी कामुक हरकतों से वह अपने बड़े भैया को पूरी तरह से अपनी जवानी के रस में घोलकर उसके साथ दुबारा शारीरिक संबंध बना ही ली और गुलाबी की कामुक हरकत की वजह से हरिया भी,,अपने कदमों पर अपने वचन पर कायम नहीं रह पाया और सब कुछ एक तरफ रख कर वह अपनी बहन की मद भरी जवानी में खो गया,,, हरिया चलेगी इसीलिए ही खरीदा था कि घर पर चलकर अपनी बीवी को जलेबी खिला कर रात भर उसकी जवानी का रस चखेगा लेकिन उससे पहले ही उसकी बहन ने ही उसे अपनी जवानी का रस पिला दी,,, जिससे उसका हौसला और बुलंद हो गया था,,,। घर के किसी भी सदस्य को कानों कान इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि घर का जिम्मेदार सदस्य घर के पीछे अपनी बहन की चुदाई कर रहा है,,,,।


खाना खाने के बाद,,, मधु और हरिया अपने कमरे में चले गए,,,,, गुलाबी राजू के आने से पहले भी कमरे में जाकर खटिया पर लेट गई थी वह राजू से चुदवाना चाहती थी,,, लेकिन राज्यों के आने से पहले ही उसकी आंख लग गई और वह सो गई राजू जब कमरे में प्रवेश किया तो देखा कि उसकी बुआ गहरी नींद में सो रही है,,,, राजू को इस बात का इत्मीनान था कि वह कभी भी अपनी बुआ की चुदाई करके संतुष्ट हो सकता है इसलिए अपनी बुआ को जगाना हुआ उचित नहीं समझा लेकिन खटिया पर लेटे लेटे उसे नींद नहीं आ रही थी,,,। क्या किया जाए उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था रह-रहकर उसे झुमरी की याद आ रही थी दिन का समय होता तो वह झुमरी से मिलने के लिएउसके घर चला गया होता लेकिन रात का समय था इसलिए जाना उचित नहीं था लेकिन तभी उसे ख्याल आया कि बहुत दिन हो गए हैं बगल वाले कमरे में तांक-झांक कीए क्यों ना आज फिर से वही काम किया जाए जिसे देखकर ही जवानी का मजा लूट रहा है,,, यही सोचकर वह खटिया पर से नीचे उतरा और उसी छोटे से छेद वाली जगह पर पहुंच गया,,,, खाना बनाते समय में अपनी मां की चुचीयों की घेराइयों को देखकर पहले ही वह उत्तेजित हो चुका था इसलिए इस समय उसके मन में अपनी मां को नंगी देखने की इच्छा प्रबलीत हो रही थी वह अपनी मां को एक बार फिर से नंगी देखना चाहता था उसके हर गम को को अपनी आंखों से उसके मदन रस को पीना चाहता था,,,,,,। आज भी उसे अपनी मां नंगी देखने को मिलेगी इसी आज के साथ हुआ छोटे से छेद से अपनी आंख टीका दिया,,, तो सामने ही उसकी मां नजर आई जो छोटे से कमरे में बनी छोटे से गुसल खाने मैं जहां पर पीने का पानी रखा जाता है और रात के समय उसकी मां पेशाब करने के लिए उसी का इस्तेमाल करती थी वहीं पर देखा कि उसकी मां खड़ी थी और मटके में से पानी निकाल कर पी रही थी बगल वाले कमरे में भी लालटेन अपनी पूरी रोशनी बिखेर रहा था जिससे कमरे का हर एक कोना नजर आ रहा था,,,,,,, अपनी मां को पानी पीता देखकर ना जाने क्यों इतने सही राजू उत्तेजित होने लगा,,,, राजू की मां पानी पीने के बाद ग्लास को वही रख कर हरिया की तरफ देखी और मुस्कुराने लगी हरिया हमेशा की तरह खटिया पर पीठ के बल लेटा हुआ था लेकिन उसके बदन पर पूरा वस्त्र था उसने अभी अपने कपड़े निकाले नहीं थे,,,,।

अरे वही खड़ी देखती ही रहोगी कि आओगी भी,,,,।


अरे आ रही हूं थोड़ा सब्र कीजिए आप तो एकदम उतावले हो जाते हैं,,,।


क्या करूं मेरी जान इसीलिए तो आज जलेबी लेकर आया था कि आज सारी रात तुम्हारी लेकर मस्त हो जाऊंगा,,,


रोका किसने है आप जलेबी लेकर आए थे तभी मैं समझ गई थी और रात भर की तैयारी के लिए अपने आप को तैयार कर रही थी,,,। तुम्हारा जलेबी लाने के मतलब को मैं अच्छी तरह से जानती हूं,,,(मधु वही खड़ी खड़ी मुस्कुराते हुए बोल रही थी राजू को भी अब जलेबी लाने के पीछे का मकसद पता चलने का वह समझ गया कि उसके पिताजी घर पर जलेबी लाकर उसकी मां को जलेबी खिला कर रात भर उसकी चुदाई करते हैं,,। राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर तोड़ने लगी वह अपनी मां को जल्द से जल्द नंगी देखना चाहता था उसकी चूचियों को खास करके वहां नंगी देखने के लिए मचल रहा था,,, तभी राजू ने जो देखा उससे उसके लंड का तनाव बढ़ने लगा,,,, उसकी मां उसी छोटे से बने खुसर खाने में खड़ी थी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते-देखते राजू की आंखों के सामने ही उसकी मां ने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और नीचे बैठकर मुतना शुरू कर दी,,,। राजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी उठने लगी,,, उसके लंड की नसों में उसकी मां की मदहोशी बहने लगी,,,। राजू की सांसे पल भर में गहरी चलने लगी राजू की आंखों के सामने भले ही मधु इस बात से अनजान थी कि उसका बेटा उसे चोरी छुपे देखता है वह निश्चिंत होकर मुत रही थी,,,उसकी मौत ने की वजह से उसकी पूजा दी पत्तियों के पीछे से जो मधुर संगीत निकल रही थी वह राजू के कानों तक पहुंच रही थी जिसे देखकर पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देखना था वह पहले भी औरतों को पेशाब करते हुए टिकट और उसका सुख प्राप्त कर चुका था लेकिन अपनी मां को पेशाब करते हुए देखने में जो सुकून मिलता था उससे वह अपने शब्दों में बयां नहीं कर पाता था जिसे देखकर पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगता था उस पल में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था और यही हो भी रहा था उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए मुत रही थी और जिसे देखकर राजू के लंड में हरकत होना शुरू हो गया था,,,,,, राजू इस दृश्य की मादकता को बर्दाश्त कर सकने में असमर्थ था वहीं दूसरी तरफ उसका बाप बड़े आराम से इस दृश्य को देख रहा था और धोती के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा था,,,, हरिया बड़े आराम से शहर जो करिश्मा रखता परिदृश्य को इसीलिए शायद देख रहा था क्योंकि वह उस औरत को रोज चोदता था उस पर उसका पूरा हक था जिसे जब चाहे तब उसकी चुदाई कर सकता था और राजू इस दृश्य को देखकर इसलिए असहज हो रहा था क्योंकि,,, राजू के लिए उसकी आंखों के सामने बैठकर पेशाब करने वाली औरत पर उसका उस तरह का हक नहीं था कि वहां जब चाहे तब उसे बिस्तर पर ले जाकर उसकी चुदाई कर दे उसके साथ संभोग सुख प्राप्त कर सके इसलिए यह दृश्य राजू के लिए बेहद कामुकता भरा था,,,।

देखते ही देखते राजू की मा उसकी आंखों के सामने मुत कर खडी हो गई,,,लेकिन वह खड़ी होने के बावजूद भी कमर से अपनी शादी तो नीचे नहीं गिरा है बल्कि उसी तरह से कमर से अपनी साड़ी को पकड़े हुए ही अपनी नंगी गांड को मटकाते हुए राजू के पिताजी के करीब जाकर खड़ी हो गई राजू एक बार फिर से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था,,, ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मां को इस रूप में देख रहा हो,, वह पहले भी अपनी मां को इस रूप में देख चुका था नंगी चुदवाते हुए,,, लेकिन फिर भी यह कसक ऐसी थी कि जब-जब राजू अपनी मां को इस रूप में नंगी देखता था तुम से ही लगता था कि वह पहली बार देख रहा है और उसकी उत्तेजना हर बार बढ़ती ही जाती थी,,,,।


राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह पूरी तरह से चुदवाया हो गया था,,, उसका मन कर रहा था कि नींद में ही सही अपनी बुआ की चुदाई कर दे,,, लेकिन शायद खुद चुदाई करने से ज्यादा सुख उसे अपनी मां को इस रूप में देखने से प्राप्त हो रहा था इसलिए वह इस लालच में वही रुक आ रहा और अपनी मां की गंदी हरकत को देखकर मस्त होता रहा उसके पिताजी खटिया पर लेटे हुए ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसकी नंगी गांड को सहलाने लगे और बोले,,,,,,

आज तो बहुत मजा आएगा,,,( और इतना कहने के साथ ही वह मधु को अपनी तरफ खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया,,, और उसकी नंगी गांड को जोर-जोर से अपनी हथेली में लेकर दबाने लगा,,,। इस तरह का दृश्य हर बार देखने पर राजू के तन बदन में मदहोशी की ताजगी भर देती थी,,,, हरीया पूरा जोर लगा कर अपनी बीवी की गांड अपनी हथेली में दबोच ते हुए दबा रहा था और राजू की मां को बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फुट रही थी,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे,,, राजू के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़क रहे थे,,, वह बार-बार अपनी बुआ गुलाबी की तरफ देख ले रहा था,,, क्योंकि वह अपने मन में सोच रहा था कि,,, अगर उसकी बुआ की नींद खुल जाए तो वह भी अपनी सारी गर्मी अपनी बुआ की बुर में निकाल दे,,, लेकिन फिर भी जो कुछ भी अपनी आंखों से देख रहा था उसके लिए बहुत था,,, क्योंकि जब भी वह दीवार के छोटे से छेद में से बगल वाले कमरे में जाता था तब तक उसे कुछ सीखने को ही मिलता था एक तरह से बगल वाला कमरा उसके लिए एक पाठशाला हो गई थी जिसमें संभोग का हर एक अध्याय के हर एक पन्ने को वह अपनी आंखों से पढ़ रहा था और उसे कुछ सीख रहा था,,,, उसके पिताजी और उसकी मां उसके लिए अध्यापक का काम कर रहे थे,,,,, की मां की खूबसूरत बदन में कितनी गर्मी है राजू अपनी आंखों से कई बार देख चुका है लेकिन यह देखने की प्यास थी कि बुझती ही नहीं थी,,,,,,।

मधु अपने पति के जांघों पर बैठ गई और अपनी ब्लाउज का बटन खोलने लगी,,,,, राजू कि सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,अपनी मां का यह रूप उसे बेहद कामुक लगता था ऐसा लगता था कि जैसे खुद काम देवी उसकी आंखों के सामने बैठी हो,,, चूची के आकार से कम नाथ का ब्लाउज होने के नाते मधु का ब्लाउज पूरी तरह से कसा हुआ होता था ऐसा लग रहा था कि जैसे दो खरबूजे उसके ब्लाउज में ठुंस ठुंस कर भरे हुए हो,,,ऐसा नहीं था कि मधु की चूचियां छोटी थी उसका वास्तविक रूप ही खरबूजे की तरह था जिसे देख कर दुनिया के हर एक मर्द के मुंह में पानी आ जाता था देखते ही देखते राजू कि मैं आपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और ब्लाउज के खुलते ही उसके दोनों खरबूजे उसकी छातियों की शोभा बढ़ाते हुए लटक गए हालांकि उसकी चुचियों में लटकन बिल्कुल भी नहीं था एकदम तनी हुई दुश्मन को आंख दिखाती हुई नजर आ रही थी,,,, हरिया अपनी बीवी की चूचियों को जी जान से प्यार करता था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बीवी की चूचियां लाखों में एक थी,,, और अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली चूचियों के आकार और उसके आकर्षण से राजू भी वाकीफ था क्योंकि उसके जीवन में भी धीरे-धीरे करके बहुत सी औरतें आती जा रही थी लेकिन जो आकर्षण उसे अपनी मां की चुचियों से प्राप्त हो रहा था एक ऐसा आकर्षण उसे अभी तक किसी भी औरत की चुची में नजर नहीं आया था इसीलिए तो इस समय भी अपनी मां की चूची को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,।राजू की लालच को और ज्यादा बढ़ाते हुए उसके पिताजी अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर राजू की मां की दोनों चूची को पके हुए पपीते की तरह थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,,,, अपने पिताजी की हरकत को देखकर राजू के तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,,अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसके पिताजी की जगह वो होता तो ओर ज्यादा मजा आता,,,,।

लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,राजू के पिताजी उसकी मां की चूचीयो में व्यस्त थे और उसकी मां अपने ब्लाउज को अपनी बाहों में से निकाल कर अलग कर रही थी,,, देखते ही देखते राजू की मां अपने ब्लाउस निकालकर खटिया के नीचे फेंक दी और यही हाल होता है,,, जब कामुकता और उत्तेजना बदन में पूरी तरह से
असर कर जाती है तो यही होता है,,, औरत और मर्द दोनों एक दूसरे में समाने की जल्दबाजी में अपने कपड़े उतार उतार कर फेंकना शुरू कर देते हैं और यही हाल मधु का भी था अपना ब्लाउज उतारकर खटिया के नीचे फेंक दी,,,।
स्तन मर्दन का मजा राजू की माफी पूरे जोश के साथ लेती थी,,, चूची दबाने में जितना मजा मर्दों को आता है उससे कहीं ज्यादा मजा औरतों को आता है,,, इसीलिए तो राजू की मां गरमा गरम सिसकारी के साथ चूची दबवाने का आनंद लूट रही थी,,,।

सहहहहह आहहहहहहहहह,,,ऊईईईई, मां,,,,ऊमममममम,,,।

इस तरह की गरमा गरम आवाज को सुनकर राजू पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,, वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया था,,,। थोड़ी देर बाद हरिया अपने ऊपर बैठे अपनी बीवी की साड़ी की गांठ को खोलने लगा और अगले ही पल वह अपनी बीवी की कमर पर से साड़ी को धीरे धीरे उतारना शुरू कर दिया,,,, देखते ही देखते हरिया मधु की साड़ी,, उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया,,,धीरे-धीरे राजू अपनी मां को नंगी होता हुआ देख रहा था उसके बदन पर केवल उसका पेटीकोट नहीं किया था जिस की डोरी को पकड़कर उसके पिताजी खींच दीए थे,,,,, और अपने पति का साथ देते हुए मधु उसी अवस्था में खड़ी हो गई,,,,और अपनी कमर से कसी हुई पेटीकोट को ढीली करके उसे यूं ही छोड़ दी राजू अपनी आंखों से मादकता भरे नजारे को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,, राजू की मां खटिया पर एकदम नंगी खड़ी थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका वजन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था,,,,, जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,। राजू का लंड पूरी तरह से मचल रहा था अपनी मां की बुर में जाने के लिए,,, लेकिन शायद अभी उसकी किस्मत में यह नहीं लिखा था,,,, केवल देखकर ही वह संतोष प्राप्त कर रहा था,,,,,।


सच कहूं तो मधु तुम नंगी होने के बाद स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा की तरह नजर आती हो,,,।


अप्सरा देखे हैं क्या आप,,,?( बारी बारी से एक एक टांग ऊपर करके अपने पेटिकोट को अपनी टांगों में से निकलते हुए बोली,,,)

तुम्हें देख लिया तो स्वर्ग की अप्सरा को भी देख लिया इतना तो मैं जानता हूं कि स्वर्ग की अप्सरा भी तुमसे ज्यादा खूबसूरत नजर नहीं आती होगी,,,।


हटीए,,,, बेवजह बातें बनाते हैं,,,(मधु शर्माते हुए बोली,,,)


सच कह रहा हूं मेरी रानी,,,,(नंगी चिकनी मांसल पिंडलियों को सहलाता हुआ हरिया बोला,,,,, राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी मां खटिया पर खड़ी थी और अपने हाथों से अपनी चुचियों को मसल रही थी,,, शायद यह घर पर जलेबी लाने का असर था जो भी दोनों को पूरी तरह से मदहोश किए जा रहा था,,,,)


अपने कपड़े उतारो कि सिर्फ मेरे ही उतरवा लिए,,,



अरे मेरी जान चिंता क्यों करती हो बिना कपड़े उतारे मजा लेने वाला नहीं हूं कपड़े उतार कर ही मजा आता है,,,।
(इतना कहने के साथ ही हरिया अपनी धोती को खोलने लगा और अगले ही पल धोती को उतार कर नीचे फेंक दिया उत्तेजना के मारे उसका लंड खड़ा था कुछ देर पहले ही वह अपनी बहन की चुदाई कर चुका था,,, लेकिन फिर भी उसका लंड खड़ा था जिसका एक ही कारण था मधु,,, मधु की खूबसूरत मदहोश कर देने वाली जवानी देखकर मुर्दे में भी जान आ जाए,,, अपने पति के खड़े लंड को देखकर मधुर मुस्कुराने लगी यह देख कर राजू को जलन होने लगी क्योंकि वह जानता था कि उसका लंड उसके पिताजी से कई मायने में जबरदस्त मोटा तगड़ा और लंबा है और उसकी मा है की ,,, उसके बाप के आधे लंड को देखकर,,, खुश हो रही है राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसकी मां उसके लंड को देख लेगी तो तब तो खुद ही उसके लिए साड़ी उठा देगी,,,, फिर अपने मन में मां यह सोचने लगा कि अभी तक उसने अपनी मां को अपने लंड के दर्शन नहीं कराए हैं वरना उसकी मां ना जाने कब का उसे दे दी होती,,,,। यही सोचता हुआ राजू अपने लंड को पजामे के ऊपर से जोर जोर से दबा रहा था,,,,,,देखते ही देखते हरिया अपना कुर्ता भी उतार दिया और खटिया पर दोनों एकदम नंगे हो गए,,,,।राजू को लगा कि आप उसका बाप उसकी मां की चुदाई करना शुरू कर देगा लेकिन ऐसा नहीं था राजू की मां खटिया पर बैठ गई और हरिया खटिया पर से नीचे उतरा और कोने में रखी सरसों के तेल की कटोरी हाथों में ले लिया,,,, जिसे देखकर राजू की मां शर्मने लगी राजू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या होने जा रहा है,,,, हरिया तेल की कटोरी देकर खटिया के पास आकर खड़ा हो गया,,,, और एक हाथ से अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,,।


उसमें नहीं डालोगे तो क्या मजा नहीं आएगा,,,


मेरी जान कभी कभी तो मौका मिलता है,,, तुम्हारी गांड में डालने का,,,,,


गांड मारने में तुम्हे ईतना मजा आता है,,,


सच कहूं तो बहुत मजा आता है कभी-कभी तुम्हारी दूसरे छेद का भी मजा ले लेना चाहिए,,,।
(राजू को सारा मामला समझ में आ गया था राजू तो यह सुनकर पूरी तरह से सन्न रह गया था उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन उसकी आंखें और कान दोनों झूठ नहीं बोल रहे थे अपनी मां की बात सुनकर और पूरी तरह से उत्तेजना से सिहर उठा था बड़ी सहज होकर उसकी मां गांड मारने की बात कर रही थी जिस की तैयारी में उसका बाप लगा हुआ था,,,,गांड मारने के बारे में राजू ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की औरतों की गांड भी मारी जाती है आज वह अपनी आंखों से देख रहा था,,,, संभोग कला का एक बार अपनी आंखों से देख कर सीखने जा रहा था,,,, अपने मन में सोचने लगा कि अच्छा ही हुआ कि आज वह फिर से इस छोटे से छेद में से झांकने का सौभाग्य प्राप्त कर लिया वरना यह अद्भुत नजारा और अकल्पनीय अध्याय सीखने को नहीं मिलता वह देखना चाहता था कि क्रिया कैसे होती है,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह यह देखने के लिए उत्सुक थी कि आगे क्या होता है,,,, हाथ में कटोरी लिए हुए उसके पिताजी बोले,,,।


मेरी रानी अब पेट के बल लेट जाओ,,, तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड की सेवा करने का समय आ गया है,,,।
(अपने पिताजी की बातें सुनकर और वह भी अपनी मां के लिए राजु के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी,,, राजू टकटकी लगाए सारे दृश्य को अपने दिमाग में कैद किए जा रहा था उसके पिताजी की बात सुनते ही मुस्कुराते हैं उसकी मां पेट के बल लेट गई खटिया पर पेट के बल लेटे होने के बावजूद भी उसकी बड़ी-बड़ी गांड बेहद खूबसूरत और उठी हुई लग रही थी,,,, उसके नितंबों का उभार पहाड़ की तरह नजर आ रहा था,,, जिस पर चढ़ने के लिए किस्मत का साथ होना बेहद जरूरी था और इस समय ऐसी किस्मत सिर्फ उसके पिताजी की थी,,, इस हालत में कोई अगर मधु को देख ले तो शायद उसका पानी निकल जाए क्योंकि वह इस समय खटिया पर एकदम नंगी लेटी हुई थी और अभी पेट के बाद उसकी नंगी चिकनी पीठ के साथ-साथ उसके नितंबों का उभार जानलेवा नजर आ रहा था,,। एक नजर अपनी नंगी बीवी के बदन पर डालते हुए बोला,,,।

हाय मेरी जान भगवान ने मेरी किस्मत अपने हाथों से लिखा था जो तुम्हें मेरी किस्मत में लिख दिया था,,,, आज तो जी भर कर तुम्हारी लूंगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही हरिया खटिया पर बैठ गया और कटोरी मे रखे हुए सरसों के तेल की धार को मधु की गांड पर गिराना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में राजू की मां की गांड सरसों के तेल में और ज्यादा चमकने लगी राजू की सांसे उत्तेजना के मारे उखडती चली जा रही थी,,,,,, अपनी गांड पर तेल की धार पड़ने पर मधु एकदम मस्त भेजा रही थी उसके चेहरे पर संतुष्टि और उत्तेजना के भाव साहब झलक रहे थे उसे मालूम था कि अब आगे क्या होने वाला है इसलिए मन ही मन अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर रही थी,,,,।


हरिया सरसों के तेल की कटोरी को नीचे रखकर अपनी दोनों हथेलियां अपनी बीवी की गांड पर रखकर उसे मसलना शुरू कर दिया एक तरह से वह अपनी बीवी की गांड की मालिश कर रहा था,,,, हां जोर जोर से अपनी हथेली में जितना हो सकता था आप अपनी बीवी की गांड को दबोच कर उसकी मालिश कर रहा था,,,, अपनी मां की गांड की मालिश होता हुआ देखकर राजू का मन ललचा रहा था,,,,इस तरह का दृश्य देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना का कामज्वर बढ़ता जा रहा था,,,,राजू के पिताजी एकदम उत्तेजित होने जा रहे थे वहां रह रहे कर जोर से राजू की मां की गांड पर चपत लगा देंगे जिससे राजू की मां के मुंह से आह निकल जा रही थी और यह आहह की आवाज उत्तेजना पूर्ण थी,,,,राजू की मां को भी अपनी गांड पर चपत लगाना बहुत ही अच्छा लग रहा था,,, देखते ही देखते राजू की मां की गोरी गोरी गाल टमाटर की तरह लाल हो गई,,,,राजू को साफ नजर आ रहा था कि जब जब उसके पिताजी उसकी मां की गांड पर जोर से चपत लगा दी थी तब तक उसकी नरम नरम बड़ी बड़ी गांड नदी के पानी की तरह लहरा उठ रही थी जिसे देखकर राजू का मन कर रहा था कि वह भी अंदर घुस जाए और अपने पिताजी का साथ दें,,,,, क्योंकि इस तरह का मादकता भरा दृश्य उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,,पजामे के अंदर उसका नंबर बगावत पर उतर आया था ऐसा लग रहा था कि जैसे पजामा फाड़कर उसका लंड बाहर आ जाएगा,,,, जिसे बड़ी मुश्किल से अपनी हथेली में पकड़ कर राजू दबोचे हुए था,,,।

कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,


आहहहहह,,, बहुत सुकून मिल रहा है,,,,रोज इसी तरह से मालिश किया कीजिए दिन भर की थकान दूर हो जाती है,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू अपने मन में कहने लगा कि उसे भी एक बार यह मौका दे कर देखो दिन-रात मालीस ही करता रहेगा,,,)


मैं तो रोज तुम्हारी मालिश करूं लेकिन क्या रोज गांड मारने दोगी,,,।


ना बाबा बिल्कुल नहीं,,,, इसीलिए तो मैं तुमसे जलेबी नहीं मंगवाती,,,।


हां सच कह रही हो तभी तो मुझे ही खरीद कर लाना पड़ता है,,,।

(अपनी मां और पिताजी की बात सुनकर राजू समझ गया था कि जलेबी उन दोनों के बीच होने वाले इस रिश्ते का इशारा था लेकिन जलेबी घर में आती थी समझ लो की उसकी मां की गांड चुदने वाली होती थी,,,,,,, हरिया पूरा जोर लगा कर राजू की मां की गांड की मालिश कर रहा था,,,, और फिर धीरे से खडा हुआ और अपने लंड को हवा में लहराता हुआ अपनी बीवी के सिहरीने आया और बोला,,,)


अब ईसे मुंह में लेकर गिला कर दो ताकि आराम से जा सके,,,,।
(और बिना ना नकुर किए,, मधु धीरे से उठी और हरिया के लैंड को मुंह में लेकर बड़े आराम से चूसना शुरु कर दी क्योंकि शायद वह भी जानती थी कि लंड का गीला होना बेहद जरूरी है,,, थोड़ी देर तक राजू की मां अपने पति के लैंड को मुंह में लेकर चुस्ती रही और फिर उसे बाहर निकाल दी,,,उसकी मां की इस हरकत पर राजू उत्तेजना के मारे अपनी आंखों को बंद कर ले रहा था और अपने पिताजी की जगह अपने आपको रखकर कल्पना कर रहा था वह अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी का है बड़े आराम से उसकी मां के मुंह में चला जा रहा था लेकिन उसका लंबा लंड उसके गले तक उतर जाएगा जिसे आराम से चूस पाना बहुत मुश्किल होता है,,,, लेकिन यह बात को अच्छी तरह से जानता था कि जिस दिन यह मौका मिलेगा उसे बहुत मजा आएगा,,,, अपने पति के लंड को मुंह में से बाहर निकलने के बाद वह बोली,,,।)


देखना आराम से करना और सरसों का तेल थोड़ा छेद पर ज्यादा लगा लेना वरना अंदर जाने में तकलीफ होगी,,,।
( अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर राजू उत्तेजना से पूरी तरह से गदगद हो गया,,, और उसकी बात सुनकर उसके पिताजी बोले,,,)


तो फिर कोई चिंता मत करो मेरी रानी तुम्हारी गांड का छेद मेरे लिए अनमोल तोहफा है इसे मैं बिल्कुल भी तकलीफ नहीं पहुंचाऊंगा,,,, बस थोड़ा सा गांड़ ऊपर की तरफ उठा दो तो तुम्हे पेलने में आसानी होगी,,,
(और इतना सुनते ही मधु आज्ञाकारी बीवी की तरह अपनी भारी-भरकम गोल गोल गांड को ऊपर की तरफ हवा में उठा दी मानो की दुश्मन को दागने के लिए कोई तोप निशाना लगा रहा हो,,,, यह नजारा देखकर राजु तो चारों खाने चित हो गया क्योंकि गांड उपर की तरफ उठाने पर राजू को उसकी मां की कौन कौन कौन एकदम सामने नजर आने लगी उसका गुलाबी छेद उसके भूरे रंग का छेद सब कुछ लालटेन की रोशनी में नजर आने लगा था,,, जिसे देखकर राजू के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था,,,,अब आगे क्या होने वाला है इसके बारे में सोच कर राजू के बदन में उत्तेजना के मारे कंपन होना शुरू हो गया था,,, जवानी से भरा हुआ उसका लंड अंगड़ाई ले रहा था,,,।राजू के पिता से एक बार फिर से नीचे रखी सरसों के तेल की कटोरी उठा लिए,,, और एक हाथ से मधु की कमर पर दबाव देते हुए उसे अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठाने का इशारा किया राजू की मां अपने पति के इसे सारे को समझ गई और अपनी भारी-भरकम गोलाकार गांड को थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठा दी,,,, अब राजू को उसकी मां की गांड का छेद इधर साफ नजर आ रहा था,,,, जिस पर उसके पिताजी कटोरी से तेल की धार गिरा रहे थे,,, और गांड के छेद पर सरसों के तेल की धार गिरने पर राजु की मां कसमसा रही थी,,, यह सब देख कर राजू इतना तो समझ गया था कि यह पहली बार का नहीं था उसकी मां बहुत बार गांड मरवा चुकी थी अपनी मां की इस हरकत पर और पूरी तरह से,,, समझ गया था कि उसके बाप के साथ-साथ उसकी मां भी इस मामले में बेहद शौकीन किस्म की औरत है भले ही दिन भर कितनी भी संस्कारी बनकर रहती हैं लेकिन रात को उसके अंदर की असली औरत जाग जाती है,,, और उसकी यही आदत राजू के लिए उसकी दोनों टांगों के बीच का फासला तय करेगी ऐसा उसे पूरा विश्वास हो गया था,,,,,।

थोड़ी ही देर में उसकी मां की गांड का छेद पूरी तरह से सरसों के तेल से लबालब चिकना हो गया जिसे उसके पिता उसे अपनी खेती से मसलकर और ज्यादा फैला रहे थे और थोड़ा सा सरसों का तेल अपने लंड पर भी लगा कर उसकी धार को और तेज कर रहे थे,,,,।


अब तैयार हो जाओ मेरी जान तुम्हें चांद पर ले जाने का समय आ गया है,,,,।
(अपने पिताजी के मुंह से इतना सुनते ही राजू के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, क्योंकि अब वह नजर आने वाला है जिसका उसे बेसब्री से इंतजार था,,,, देखते ही देखते उसके पिताजी उसकी मां की गांड के पीछे आ जाए राजू की मां का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जानती थी कि शुरू शुरू में थोड़ा दर्द होता है लेकिन उसके बाद मजा भी बहुत आता है और इसी दर्द के लिए अपने आपको तैयार कर रही थी,,,, राजू के पिताजी अपने लंड का सुपाड़ा राजू की मां की गांड के भूरे रंग के छेद पर लगा दिए जो कि पहले से ही पूरी तरह से गिला हो चुका था और तेल की वजह से लसलसा हो गया था,,,,, हरिया‌ने थोड़ा सा अपनी कमर को धक्का लगाया,,, और गीलापन पाकर हरिया के लंड कैसे पड़ा धीरे से राजू की मां की गांड के छेद में सरक गया,,, और हल्की सी कराहने की आवाज राजू की मां के मुंह से निकल गई,,, राजू समझ गया कि उसके पिताजी का लंड उसकी मां की गांड में प्रवेश कर गया है,,,, और देखते ही देखते हरियाली अपना पूरा लंड धीरे-धीरे करके राजू की मां की गांड में डाल दिया और उसकी बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर,,, अपनी कमर को आगे पीछे करके राजू की मां की गांड मारना शुरू कर दिया,,,, राजु ने चुदाई के बहुत सारे दिन से देखे थे लेकिन गांड मारने वाला तेरे से पहली बार देख रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां गांड मरवा रही है,,,,सोचने में ही यह बेहद अद्भुत और उत्तेजना पुण्य लगता है लेकिन तराजू तो अपनी आंखों से देख रहा था बड़े आराम से उसके पिताजी का भी उसकी मां की गांड के छोटे से छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,, देखते ही देखते पूरे कमरे में सिसकारी की आवाज गूंजने लगी इस इस कार्य की आवाज सुनकर राजू से रहा नहीं जा रहा था और वह पजामे को नीचे करके अपनी लंड को बाहर निकालकर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,,, अंदर का दृश्य और भी ज्यादा गर्माहट पकड़ रहा था,,,क्योंकि राजू के पिताजी राजू की मां की गांड पर जोरदार चपत लगाते हुए उसकी गांड मार रहे थे,,, हर धक्के के साथ राजू की मां की बड़ी बड़ी गांड नदी के पानी कि तरह लहरा जा रही थी,,, यह दृश्य बेहद अद्भुत था,,। राजू की मां का गदराया बदन इस अवस्था में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था खटिया से चरर चररर की आवाज आ रही थी,,, जो कि दोनों की कामलीला का जीता जागता सबूत था,,,, राजू के पिता जी बड़े आराम से राजु की मां की गांड मार रहे थे,,,दोनों को बहुत मजा आ रहा था राजू को भी लगने लगा था कि शायद गांड मारने में बहुत मजा आता है इसलिए वह भी इस अनुभव से गुजारना चाहता था,,,, ऐसे में उसका जुगाड़ केवल उसकी बुआ ही थी जिस पर वह किसी भी प्रकार से मनमानी कर सकता था,,,, वैसे तो उसकी यादी में कमला चाची और उसकी बहू के साथ साथ लाला की बहन सोनी भी थी,,,दोनों लाला की बहन सोनी और कमला चाची अनुभव से भरी हुई थी लेकिन कभी भी उन दोनों ने गांड मारने वाली बात नहीं की थी इसलिए राजू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था इस बारे में वह केवल अपनी बुआ से ही बात कर सकता था और ऐसा करने के लिए वह मन में ठान लिया था,,,,


बगल वाले कमरे में उसके पिताजी के धक्के तेज हुए जा रहे थे हर धक्के के साथ उसकी मां आगे की तरफ लहरा उठ रही थी जिसे उसके पिताजी ने कमर से कसके थाम रखा था इसलिए संभले हुए थी,,, देखते ही देखते राजू के पिताजी की कमर बड़ी तेजी से हीलने लगी,,, और कुछ ही दिनों में वह अपना पूरा गर्म लावा उसकी मां की गांड में गिरा दिया,,,, और उसकी पीठ पर लेट गया,,,, इस गरमा-गरम दृश्य का साक्षी केवल राजू ही था जो अपनी मां और पिताजी की गरमा गरम चुदाई के साथ आज गांड मारने वाला भी दृश्य देख लिया था,,,,,,,


बगल वाले कमरे की गरमा गरम द्शय को देखकर,, राजू का हाथ भी बड़ी तेजी से चल रहा था थोड़ी देर बाद उसका भी पानी,, निकल गया,,,,,, अब आगे उसे कुछ भी देखने की जरूरत नहीं थी,,।
Nice update
 

Naik

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जलेबी की मिठास मधु की बुर में नमकीन रस घोल रही थी,,,घर पर जलेबी आने का मतलब को अच्छी तरह से समझती थी क्योंकि जब से वह शादी करके घर आई थी तब से निरंतर यह चलता ही आ रहा था,,,।इसलिए रह रह कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लग रही थी और शर्म से उसके गाल लाल हुए जा रहे थे,,,, आज उसकी जमकर सेवा होने वाली थी,,,। गुलाबी अपनी मंशा को पूरी कर चुकी थी इस तरह से चोरी-छिपे चुदवाने में जो आनंद आता है उसका लुफ्त उठा कर गुलाबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, अपनी रस भरी जवानी पर उसे पूरा विश्वास था क्योंकि वह जानती थी कि अपनी खूबसूरती से वह अपने भैया को अपनी तरफ आकर्षित कर लेगी क्योंकि उसका भाई एक बार संबंध बनाने के बाद उससे कतराने लगा था और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी,,,पहले अपनी बातों से गर्म करने के बाद अपनी कामुक हरकतों से वह अपने बड़े भैया को पूरी तरह से अपनी जवानी के रस में घोलकर उसके साथ दुबारा शारीरिक संबंध बना ही ली और गुलाबी की कामुक हरकत की वजह से हरिया भी,,अपने कदमों पर अपने वचन पर कायम नहीं रह पाया और सब कुछ एक तरफ रख कर वह अपनी बहन की मद भरी जवानी में खो गया,,, हरिया चलेगी इसीलिए ही खरीदा था कि घर पर चलकर अपनी बीवी को जलेबी खिला कर रात भर उसकी जवानी का रस चखेगा लेकिन उससे पहले ही उसकी बहन ने ही उसे अपनी जवानी का रस पिला दी,,, जिससे उसका हौसला और बुलंद हो गया था,,,। घर के किसी भी सदस्य को कानों कान इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि घर का जिम्मेदार सदस्य घर के पीछे अपनी बहन की चुदाई कर रहा है,,,,।


खाना खाने के बाद,,, मधु और हरिया अपने कमरे में चले गए,,,,, गुलाबी राजू के आने से पहले भी कमरे में जाकर खटिया पर लेट गई थी वह राजू से चुदवाना चाहती थी,,, लेकिन राज्यों के आने से पहले ही उसकी आंख लग गई और वह सो गई राजू जब कमरे में प्रवेश किया तो देखा कि उसकी बुआ गहरी नींद में सो रही है,,,, राजू को इस बात का इत्मीनान था कि वह कभी भी अपनी बुआ की चुदाई करके संतुष्ट हो सकता है इसलिए अपनी बुआ को जगाना हुआ उचित नहीं समझा लेकिन खटिया पर लेटे लेटे उसे नींद नहीं आ रही थी,,,। क्या किया जाए उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था रह-रहकर उसे झुमरी की याद आ रही थी दिन का समय होता तो वह झुमरी से मिलने के लिएउसके घर चला गया होता लेकिन रात का समय था इसलिए जाना उचित नहीं था लेकिन तभी उसे ख्याल आया कि बहुत दिन हो गए हैं बगल वाले कमरे में तांक-झांक कीए क्यों ना आज फिर से वही काम किया जाए जिसे देखकर ही जवानी का मजा लूट रहा है,,, यही सोचकर वह खटिया पर से नीचे उतरा और उसी छोटे से छेद वाली जगह पर पहुंच गया,,,, खाना बनाते समय में अपनी मां की चुचीयों की घेराइयों को देखकर पहले ही वह उत्तेजित हो चुका था इसलिए इस समय उसके मन में अपनी मां को नंगी देखने की इच्छा प्रबलीत हो रही थी वह अपनी मां को एक बार फिर से नंगी देखना चाहता था उसके हर गम को को अपनी आंखों से उसके मदन रस को पीना चाहता था,,,,,,। आज भी उसे अपनी मां नंगी देखने को मिलेगी इसी आज के साथ हुआ छोटे से छेद से अपनी आंख टीका दिया,,, तो सामने ही उसकी मां नजर आई जो छोटे से कमरे में बनी छोटे से गुसल खाने मैं जहां पर पीने का पानी रखा जाता है और रात के समय उसकी मां पेशाब करने के लिए उसी का इस्तेमाल करती थी वहीं पर देखा कि उसकी मां खड़ी थी और मटके में से पानी निकाल कर पी रही थी बगल वाले कमरे में भी लालटेन अपनी पूरी रोशनी बिखेर रहा था जिससे कमरे का हर एक कोना नजर आ रहा था,,,,,,, अपनी मां को पानी पीता देखकर ना जाने क्यों इतने सही राजू उत्तेजित होने लगा,,,, राजू की मां पानी पीने के बाद ग्लास को वही रख कर हरिया की तरफ देखी और मुस्कुराने लगी हरिया हमेशा की तरह खटिया पर पीठ के बल लेटा हुआ था लेकिन उसके बदन पर पूरा वस्त्र था उसने अभी अपने कपड़े निकाले नहीं थे,,,,।

अरे वही खड़ी देखती ही रहोगी कि आओगी भी,,,,।


अरे आ रही हूं थोड़ा सब्र कीजिए आप तो एकदम उतावले हो जाते हैं,,,।


क्या करूं मेरी जान इसीलिए तो आज जलेबी लेकर आया था कि आज सारी रात तुम्हारी लेकर मस्त हो जाऊंगा,,,


रोका किसने है आप जलेबी लेकर आए थे तभी मैं समझ गई थी और रात भर की तैयारी के लिए अपने आप को तैयार कर रही थी,,,। तुम्हारा जलेबी लाने के मतलब को मैं अच्छी तरह से जानती हूं,,,(मधु वही खड़ी खड़ी मुस्कुराते हुए बोल रही थी राजू को भी अब जलेबी लाने के पीछे का मकसद पता चलने का वह समझ गया कि उसके पिताजी घर पर जलेबी लाकर उसकी मां को जलेबी खिला कर रात भर उसकी चुदाई करते हैं,,। राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर तोड़ने लगी वह अपनी मां को जल्द से जल्द नंगी देखना चाहता था उसकी चूचियों को खास करके वहां नंगी देखने के लिए मचल रहा था,,, तभी राजू ने जो देखा उससे उसके लंड का तनाव बढ़ने लगा,,,, उसकी मां उसी छोटे से बने खुसर खाने में खड़ी थी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते-देखते राजू की आंखों के सामने ही उसकी मां ने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और नीचे बैठकर मुतना शुरू कर दी,,,। राजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी उठने लगी,,, उसके लंड की नसों में उसकी मां की मदहोशी बहने लगी,,,। राजू की सांसे पल भर में गहरी चलने लगी राजू की आंखों के सामने भले ही मधु इस बात से अनजान थी कि उसका बेटा उसे चोरी छुपे देखता है वह निश्चिंत होकर मुत रही थी,,,उसकी मौत ने की वजह से उसकी पूजा दी पत्तियों के पीछे से जो मधुर संगीत निकल रही थी वह राजू के कानों तक पहुंच रही थी जिसे देखकर पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देखना था वह पहले भी औरतों को पेशाब करते हुए टिकट और उसका सुख प्राप्त कर चुका था लेकिन अपनी मां को पेशाब करते हुए देखने में जो सुकून मिलता था उससे वह अपने शब्दों में बयां नहीं कर पाता था जिसे देखकर पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगता था उस पल में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था और यही हो भी रहा था उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए मुत रही थी और जिसे देखकर राजू के लंड में हरकत होना शुरू हो गया था,,,,,, राजू इस दृश्य की मादकता को बर्दाश्त कर सकने में असमर्थ था वहीं दूसरी तरफ उसका बाप बड़े आराम से इस दृश्य को देख रहा था और धोती के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा था,,,, हरिया बड़े आराम से शहर जो करिश्मा रखता परिदृश्य को इसीलिए शायद देख रहा था क्योंकि वह उस औरत को रोज चोदता था उस पर उसका पूरा हक था जिसे जब चाहे तब उसकी चुदाई कर सकता था और राजू इस दृश्य को देखकर इसलिए असहज हो रहा था क्योंकि,,, राजू के लिए उसकी आंखों के सामने बैठकर पेशाब करने वाली औरत पर उसका उस तरह का हक नहीं था कि वहां जब चाहे तब उसे बिस्तर पर ले जाकर उसकी चुदाई कर दे उसके साथ संभोग सुख प्राप्त कर सके इसलिए यह दृश्य राजू के लिए बेहद कामुकता भरा था,,,।

देखते ही देखते राजू की मा उसकी आंखों के सामने मुत कर खडी हो गई,,,लेकिन वह खड़ी होने के बावजूद भी कमर से अपनी शादी तो नीचे नहीं गिरा है बल्कि उसी तरह से कमर से अपनी साड़ी को पकड़े हुए ही अपनी नंगी गांड को मटकाते हुए राजू के पिताजी के करीब जाकर खड़ी हो गई राजू एक बार फिर से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था,,, ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मां को इस रूप में देख रहा हो,, वह पहले भी अपनी मां को इस रूप में देख चुका था नंगी चुदवाते हुए,,, लेकिन फिर भी यह कसक ऐसी थी कि जब-जब राजू अपनी मां को इस रूप में नंगी देखता था तुम से ही लगता था कि वह पहली बार देख रहा है और उसकी उत्तेजना हर बार बढ़ती ही जाती थी,,,,।


राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह पूरी तरह से चुदवाया हो गया था,,, उसका मन कर रहा था कि नींद में ही सही अपनी बुआ की चुदाई कर दे,,, लेकिन शायद खुद चुदाई करने से ज्यादा सुख उसे अपनी मां को इस रूप में देखने से प्राप्त हो रहा था इसलिए वह इस लालच में वही रुक आ रहा और अपनी मां की गंदी हरकत को देखकर मस्त होता रहा उसके पिताजी खटिया पर लेटे हुए ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसकी नंगी गांड को सहलाने लगे और बोले,,,,,,

आज तो बहुत मजा आएगा,,,( और इतना कहने के साथ ही वह मधु को अपनी तरफ खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया,,, और उसकी नंगी गांड को जोर-जोर से अपनी हथेली में लेकर दबाने लगा,,,। इस तरह का दृश्य हर बार देखने पर राजू के तन बदन में मदहोशी की ताजगी भर देती थी,,,, हरीया पूरा जोर लगा कर अपनी बीवी की गांड अपनी हथेली में दबोच ते हुए दबा रहा था और राजू की मां को बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फुट रही थी,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे,,, राजू के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़क रहे थे,,, वह बार-बार अपनी बुआ गुलाबी की तरफ देख ले रहा था,,, क्योंकि वह अपने मन में सोच रहा था कि,,, अगर उसकी बुआ की नींद खुल जाए तो वह भी अपनी सारी गर्मी अपनी बुआ की बुर में निकाल दे,,, लेकिन फिर भी जो कुछ भी अपनी आंखों से देख रहा था उसके लिए बहुत था,,, क्योंकि जब भी वह दीवार के छोटे से छेद में से बगल वाले कमरे में जाता था तब तक उसे कुछ सीखने को ही मिलता था एक तरह से बगल वाला कमरा उसके लिए एक पाठशाला हो गई थी जिसमें संभोग का हर एक अध्याय के हर एक पन्ने को वह अपनी आंखों से पढ़ रहा था और उसे कुछ सीख रहा था,,,, उसके पिताजी और उसकी मां उसके लिए अध्यापक का काम कर रहे थे,,,,, की मां की खूबसूरत बदन में कितनी गर्मी है राजू अपनी आंखों से कई बार देख चुका है लेकिन यह देखने की प्यास थी कि बुझती ही नहीं थी,,,,,,।

मधु अपने पति के जांघों पर बैठ गई और अपनी ब्लाउज का बटन खोलने लगी,,,,, राजू कि सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,अपनी मां का यह रूप उसे बेहद कामुक लगता था ऐसा लगता था कि जैसे खुद काम देवी उसकी आंखों के सामने बैठी हो,,, चूची के आकार से कम नाथ का ब्लाउज होने के नाते मधु का ब्लाउज पूरी तरह से कसा हुआ होता था ऐसा लग रहा था कि जैसे दो खरबूजे उसके ब्लाउज में ठुंस ठुंस कर भरे हुए हो,,,ऐसा नहीं था कि मधु की चूचियां छोटी थी उसका वास्तविक रूप ही खरबूजे की तरह था जिसे देख कर दुनिया के हर एक मर्द के मुंह में पानी आ जाता था देखते ही देखते राजू कि मैं आपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और ब्लाउज के खुलते ही उसके दोनों खरबूजे उसकी छातियों की शोभा बढ़ाते हुए लटक गए हालांकि उसकी चुचियों में लटकन बिल्कुल भी नहीं था एकदम तनी हुई दुश्मन को आंख दिखाती हुई नजर आ रही थी,,,, हरिया अपनी बीवी की चूचियों को जी जान से प्यार करता था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बीवी की चूचियां लाखों में एक थी,,, और अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली चूचियों के आकार और उसके आकर्षण से राजू भी वाकीफ था क्योंकि उसके जीवन में भी धीरे-धीरे करके बहुत सी औरतें आती जा रही थी लेकिन जो आकर्षण उसे अपनी मां की चुचियों से प्राप्त हो रहा था एक ऐसा आकर्षण उसे अभी तक किसी भी औरत की चुची में नजर नहीं आया था इसीलिए तो इस समय भी अपनी मां की चूची को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,।राजू की लालच को और ज्यादा बढ़ाते हुए उसके पिताजी अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर राजू की मां की दोनों चूची को पके हुए पपीते की तरह थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,,,, अपने पिताजी की हरकत को देखकर राजू के तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,,अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसके पिताजी की जगह वो होता तो ओर ज्यादा मजा आता,,,,।

लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,राजू के पिताजी उसकी मां की चूचीयो में व्यस्त थे और उसकी मां अपने ब्लाउज को अपनी बाहों में से निकाल कर अलग कर रही थी,,, देखते ही देखते राजू की मां अपने ब्लाउस निकालकर खटिया के नीचे फेंक दी और यही हाल होता है,,, जब कामुकता और उत्तेजना बदन में पूरी तरह से
असर कर जाती है तो यही होता है,,, औरत और मर्द दोनों एक दूसरे में समाने की जल्दबाजी में अपने कपड़े उतार उतार कर फेंकना शुरू कर देते हैं और यही हाल मधु का भी था अपना ब्लाउज उतारकर खटिया के नीचे फेंक दी,,,।
स्तन मर्दन का मजा राजू की माफी पूरे जोश के साथ लेती थी,,, चूची दबाने में जितना मजा मर्दों को आता है उससे कहीं ज्यादा मजा औरतों को आता है,,, इसीलिए तो राजू की मां गरमा गरम सिसकारी के साथ चूची दबवाने का आनंद लूट रही थी,,,।

सहहहहह आहहहहहहहहह,,,ऊईईईई, मां,,,,ऊमममममम,,,।

इस तरह की गरमा गरम आवाज को सुनकर राजू पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,, वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया था,,,। थोड़ी देर बाद हरिया अपने ऊपर बैठे अपनी बीवी की साड़ी की गांठ को खोलने लगा और अगले ही पल वह अपनी बीवी की कमर पर से साड़ी को धीरे धीरे उतारना शुरू कर दिया,,,, देखते ही देखते हरिया मधु की साड़ी,, उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया,,,धीरे-धीरे राजू अपनी मां को नंगी होता हुआ देख रहा था उसके बदन पर केवल उसका पेटीकोट नहीं किया था जिस की डोरी को पकड़कर उसके पिताजी खींच दीए थे,,,,, और अपने पति का साथ देते हुए मधु उसी अवस्था में खड़ी हो गई,,,,और अपनी कमर से कसी हुई पेटीकोट को ढीली करके उसे यूं ही छोड़ दी राजू अपनी आंखों से मादकता भरे नजारे को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,, राजू की मां खटिया पर एकदम नंगी खड़ी थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका वजन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था,,,,, जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,। राजू का लंड पूरी तरह से मचल रहा था अपनी मां की बुर में जाने के लिए,,, लेकिन शायद अभी उसकी किस्मत में यह नहीं लिखा था,,,, केवल देखकर ही वह संतोष प्राप्त कर रहा था,,,,,।


सच कहूं तो मधु तुम नंगी होने के बाद स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा की तरह नजर आती हो,,,।


अप्सरा देखे हैं क्या आप,,,?( बारी बारी से एक एक टांग ऊपर करके अपने पेटिकोट को अपनी टांगों में से निकलते हुए बोली,,,)

तुम्हें देख लिया तो स्वर्ग की अप्सरा को भी देख लिया इतना तो मैं जानता हूं कि स्वर्ग की अप्सरा भी तुमसे ज्यादा खूबसूरत नजर नहीं आती होगी,,,।


हटीए,,,, बेवजह बातें बनाते हैं,,,(मधु शर्माते हुए बोली,,,)


सच कह रहा हूं मेरी रानी,,,,(नंगी चिकनी मांसल पिंडलियों को सहलाता हुआ हरिया बोला,,,,, राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी मां खटिया पर खड़ी थी और अपने हाथों से अपनी चुचियों को मसल रही थी,,, शायद यह घर पर जलेबी लाने का असर था जो भी दोनों को पूरी तरह से मदहोश किए जा रहा था,,,,)


अपने कपड़े उतारो कि सिर्फ मेरे ही उतरवा लिए,,,



अरे मेरी जान चिंता क्यों करती हो बिना कपड़े उतारे मजा लेने वाला नहीं हूं कपड़े उतार कर ही मजा आता है,,,।
(इतना कहने के साथ ही हरिया अपनी धोती को खोलने लगा और अगले ही पल धोती को उतार कर नीचे फेंक दिया उत्तेजना के मारे उसका लंड खड़ा था कुछ देर पहले ही वह अपनी बहन की चुदाई कर चुका था,,, लेकिन फिर भी उसका लंड खड़ा था जिसका एक ही कारण था मधु,,, मधु की खूबसूरत मदहोश कर देने वाली जवानी देखकर मुर्दे में भी जान आ जाए,,, अपने पति के खड़े लंड को देखकर मधुर मुस्कुराने लगी यह देख कर राजू को जलन होने लगी क्योंकि वह जानता था कि उसका लंड उसके पिताजी से कई मायने में जबरदस्त मोटा तगड़ा और लंबा है और उसकी मा है की ,,, उसके बाप के आधे लंड को देखकर,,, खुश हो रही है राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसकी मां उसके लंड को देख लेगी तो तब तो खुद ही उसके लिए साड़ी उठा देगी,,,, फिर अपने मन में मां यह सोचने लगा कि अभी तक उसने अपनी मां को अपने लंड के दर्शन नहीं कराए हैं वरना उसकी मां ना जाने कब का उसे दे दी होती,,,,। यही सोचता हुआ राजू अपने लंड को पजामे के ऊपर से जोर जोर से दबा रहा था,,,,,,देखते ही देखते हरिया अपना कुर्ता भी उतार दिया और खटिया पर दोनों एकदम नंगे हो गए,,,,।राजू को लगा कि आप उसका बाप उसकी मां की चुदाई करना शुरू कर देगा लेकिन ऐसा नहीं था राजू की मां खटिया पर बैठ गई और हरिया खटिया पर से नीचे उतरा और कोने में रखी सरसों के तेल की कटोरी हाथों में ले लिया,,,, जिसे देखकर राजू की मां शर्मने लगी राजू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या होने जा रहा है,,,, हरिया तेल की कटोरी देकर खटिया के पास आकर खड़ा हो गया,,,, और एक हाथ से अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,,।


उसमें नहीं डालोगे तो क्या मजा नहीं आएगा,,,


मेरी जान कभी कभी तो मौका मिलता है,,, तुम्हारी गांड में डालने का,,,,,


गांड मारने में तुम्हे ईतना मजा आता है,,,


सच कहूं तो बहुत मजा आता है कभी-कभी तुम्हारी दूसरे छेद का भी मजा ले लेना चाहिए,,,।
(राजू को सारा मामला समझ में आ गया था राजू तो यह सुनकर पूरी तरह से सन्न रह गया था उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन उसकी आंखें और कान दोनों झूठ नहीं बोल रहे थे अपनी मां की बात सुनकर और पूरी तरह से उत्तेजना से सिहर उठा था बड़ी सहज होकर उसकी मां गांड मारने की बात कर रही थी जिस की तैयारी में उसका बाप लगा हुआ था,,,,गांड मारने के बारे में राजू ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की औरतों की गांड भी मारी जाती है आज वह अपनी आंखों से देख रहा था,,,, संभोग कला का एक बार अपनी आंखों से देख कर सीखने जा रहा था,,,, अपने मन में सोचने लगा कि अच्छा ही हुआ कि आज वह फिर से इस छोटे से छेद में से झांकने का सौभाग्य प्राप्त कर लिया वरना यह अद्भुत नजारा और अकल्पनीय अध्याय सीखने को नहीं मिलता वह देखना चाहता था कि क्रिया कैसे होती है,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह यह देखने के लिए उत्सुक थी कि आगे क्या होता है,,,, हाथ में कटोरी लिए हुए उसके पिताजी बोले,,,।


मेरी रानी अब पेट के बल लेट जाओ,,, तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड की सेवा करने का समय आ गया है,,,।
(अपने पिताजी की बातें सुनकर और वह भी अपनी मां के लिए राजु के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी,,, राजू टकटकी लगाए सारे दृश्य को अपने दिमाग में कैद किए जा रहा था उसके पिताजी की बात सुनते ही मुस्कुराते हैं उसकी मां पेट के बल लेट गई खटिया पर पेट के बल लेटे होने के बावजूद भी उसकी बड़ी-बड़ी गांड बेहद खूबसूरत और उठी हुई लग रही थी,,,, उसके नितंबों का उभार पहाड़ की तरह नजर आ रहा था,,, जिस पर चढ़ने के लिए किस्मत का साथ होना बेहद जरूरी था और इस समय ऐसी किस्मत सिर्फ उसके पिताजी की थी,,, इस हालत में कोई अगर मधु को देख ले तो शायद उसका पानी निकल जाए क्योंकि वह इस समय खटिया पर एकदम नंगी लेटी हुई थी और अभी पेट के बाद उसकी नंगी चिकनी पीठ के साथ-साथ उसके नितंबों का उभार जानलेवा नजर आ रहा था,,। एक नजर अपनी नंगी बीवी के बदन पर डालते हुए बोला,,,।

हाय मेरी जान भगवान ने मेरी किस्मत अपने हाथों से लिखा था जो तुम्हें मेरी किस्मत में लिख दिया था,,,, आज तो जी भर कर तुम्हारी लूंगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही हरिया खटिया पर बैठ गया और कटोरी मे रखे हुए सरसों के तेल की धार को मधु की गांड पर गिराना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में राजू की मां की गांड सरसों के तेल में और ज्यादा चमकने लगी राजू की सांसे उत्तेजना के मारे उखडती चली जा रही थी,,,,,, अपनी गांड पर तेल की धार पड़ने पर मधु एकदम मस्त भेजा रही थी उसके चेहरे पर संतुष्टि और उत्तेजना के भाव साहब झलक रहे थे उसे मालूम था कि अब आगे क्या होने वाला है इसलिए मन ही मन अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर रही थी,,,,।


हरिया सरसों के तेल की कटोरी को नीचे रखकर अपनी दोनों हथेलियां अपनी बीवी की गांड पर रखकर उसे मसलना शुरू कर दिया एक तरह से वह अपनी बीवी की गांड की मालिश कर रहा था,,,, हां जोर जोर से अपनी हथेली में जितना हो सकता था आप अपनी बीवी की गांड को दबोच कर उसकी मालिश कर रहा था,,,, अपनी मां की गांड की मालिश होता हुआ देखकर राजू का मन ललचा रहा था,,,,इस तरह का दृश्य देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना का कामज्वर बढ़ता जा रहा था,,,,राजू के पिताजी एकदम उत्तेजित होने जा रहे थे वहां रह रहे कर जोर से राजू की मां की गांड पर चपत लगा देंगे जिससे राजू की मां के मुंह से आह निकल जा रही थी और यह आहह की आवाज उत्तेजना पूर्ण थी,,,,राजू की मां को भी अपनी गांड पर चपत लगाना बहुत ही अच्छा लग रहा था,,, देखते ही देखते राजू की मां की गोरी गोरी गाल टमाटर की तरह लाल हो गई,,,,राजू को साफ नजर आ रहा था कि जब जब उसके पिताजी उसकी मां की गांड पर जोर से चपत लगा दी थी तब तक उसकी नरम नरम बड़ी बड़ी गांड नदी के पानी की तरह लहरा उठ रही थी जिसे देखकर राजू का मन कर रहा था कि वह भी अंदर घुस जाए और अपने पिताजी का साथ दें,,,,, क्योंकि इस तरह का मादकता भरा दृश्य उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,,पजामे के अंदर उसका नंबर बगावत पर उतर आया था ऐसा लग रहा था कि जैसे पजामा फाड़कर उसका लंड बाहर आ जाएगा,,,, जिसे बड़ी मुश्किल से अपनी हथेली में पकड़ कर राजू दबोचे हुए था,,,।

कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,


आहहहहह,,, बहुत सुकून मिल रहा है,,,,रोज इसी तरह से मालिश किया कीजिए दिन भर की थकान दूर हो जाती है,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू अपने मन में कहने लगा कि उसे भी एक बार यह मौका दे कर देखो दिन-रात मालीस ही करता रहेगा,,,)


मैं तो रोज तुम्हारी मालिश करूं लेकिन क्या रोज गांड मारने दोगी,,,।


ना बाबा बिल्कुल नहीं,,,, इसीलिए तो मैं तुमसे जलेबी नहीं मंगवाती,,,।


हां सच कह रही हो तभी तो मुझे ही खरीद कर लाना पड़ता है,,,।

(अपनी मां और पिताजी की बात सुनकर राजू समझ गया था कि जलेबी उन दोनों के बीच होने वाले इस रिश्ते का इशारा था लेकिन जलेबी घर में आती थी समझ लो की उसकी मां की गांड चुदने वाली होती थी,,,,,,, हरिया पूरा जोर लगा कर राजू की मां की गांड की मालिश कर रहा था,,,, और फिर धीरे से खडा हुआ और अपने लंड को हवा में लहराता हुआ अपनी बीवी के सिहरीने आया और बोला,,,)


अब ईसे मुंह में लेकर गिला कर दो ताकि आराम से जा सके,,,,।
(और बिना ना नकुर किए,, मधु धीरे से उठी और हरिया के लैंड को मुंह में लेकर बड़े आराम से चूसना शुरु कर दी क्योंकि शायद वह भी जानती थी कि लंड का गीला होना बेहद जरूरी है,,, थोड़ी देर तक राजू की मां अपने पति के लैंड को मुंह में लेकर चुस्ती रही और फिर उसे बाहर निकाल दी,,,उसकी मां की इस हरकत पर राजू उत्तेजना के मारे अपनी आंखों को बंद कर ले रहा था और अपने पिताजी की जगह अपने आपको रखकर कल्पना कर रहा था वह अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी का है बड़े आराम से उसकी मां के मुंह में चला जा रहा था लेकिन उसका लंबा लंड उसके गले तक उतर जाएगा जिसे आराम से चूस पाना बहुत मुश्किल होता है,,,, लेकिन यह बात को अच्छी तरह से जानता था कि जिस दिन यह मौका मिलेगा उसे बहुत मजा आएगा,,,, अपने पति के लंड को मुंह में से बाहर निकलने के बाद वह बोली,,,।)


देखना आराम से करना और सरसों का तेल थोड़ा छेद पर ज्यादा लगा लेना वरना अंदर जाने में तकलीफ होगी,,,।
( अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर राजू उत्तेजना से पूरी तरह से गदगद हो गया,,, और उसकी बात सुनकर उसके पिताजी बोले,,,)


तो फिर कोई चिंता मत करो मेरी रानी तुम्हारी गांड का छेद मेरे लिए अनमोल तोहफा है इसे मैं बिल्कुल भी तकलीफ नहीं पहुंचाऊंगा,,,, बस थोड़ा सा गांड़ ऊपर की तरफ उठा दो तो तुम्हे पेलने में आसानी होगी,,,
(और इतना सुनते ही मधु आज्ञाकारी बीवी की तरह अपनी भारी-भरकम गोल गोल गांड को ऊपर की तरफ हवा में उठा दी मानो की दुश्मन को दागने के लिए कोई तोप निशाना लगा रहा हो,,,, यह नजारा देखकर राजु तो चारों खाने चित हो गया क्योंकि गांड उपर की तरफ उठाने पर राजू को उसकी मां की कौन कौन कौन एकदम सामने नजर आने लगी उसका गुलाबी छेद उसके भूरे रंग का छेद सब कुछ लालटेन की रोशनी में नजर आने लगा था,,, जिसे देखकर राजू के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था,,,,अब आगे क्या होने वाला है इसके बारे में सोच कर राजू के बदन में उत्तेजना के मारे कंपन होना शुरू हो गया था,,, जवानी से भरा हुआ उसका लंड अंगड़ाई ले रहा था,,,।राजू के पिता से एक बार फिर से नीचे रखी सरसों के तेल की कटोरी उठा लिए,,, और एक हाथ से मधु की कमर पर दबाव देते हुए उसे अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठाने का इशारा किया राजू की मां अपने पति के इसे सारे को समझ गई और अपनी भारी-भरकम गोलाकार गांड को थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठा दी,,,, अब राजू को उसकी मां की गांड का छेद इधर साफ नजर आ रहा था,,,, जिस पर उसके पिताजी कटोरी से तेल की धार गिरा रहे थे,,, और गांड के छेद पर सरसों के तेल की धार गिरने पर राजु की मां कसमसा रही थी,,, यह सब देख कर राजू इतना तो समझ गया था कि यह पहली बार का नहीं था उसकी मां बहुत बार गांड मरवा चुकी थी अपनी मां की इस हरकत पर और पूरी तरह से,,, समझ गया था कि उसके बाप के साथ-साथ उसकी मां भी इस मामले में बेहद शौकीन किस्म की औरत है भले ही दिन भर कितनी भी संस्कारी बनकर रहती हैं लेकिन रात को उसके अंदर की असली औरत जाग जाती है,,, और उसकी यही आदत राजू के लिए उसकी दोनों टांगों के बीच का फासला तय करेगी ऐसा उसे पूरा विश्वास हो गया था,,,,,।

थोड़ी ही देर में उसकी मां की गांड का छेद पूरी तरह से सरसों के तेल से लबालब चिकना हो गया जिसे उसके पिता उसे अपनी खेती से मसलकर और ज्यादा फैला रहे थे और थोड़ा सा सरसों का तेल अपने लंड पर भी लगा कर उसकी धार को और तेज कर रहे थे,,,,।


अब तैयार हो जाओ मेरी जान तुम्हें चांद पर ले जाने का समय आ गया है,,,,।
(अपने पिताजी के मुंह से इतना सुनते ही राजू के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, क्योंकि अब वह नजर आने वाला है जिसका उसे बेसब्री से इंतजार था,,,, देखते ही देखते उसके पिताजी उसकी मां की गांड के पीछे आ जाए राजू की मां का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जानती थी कि शुरू शुरू में थोड़ा दर्द होता है लेकिन उसके बाद मजा भी बहुत आता है और इसी दर्द के लिए अपने आपको तैयार कर रही थी,,,, राजू के पिताजी अपने लंड का सुपाड़ा राजू की मां की गांड के भूरे रंग के छेद पर लगा दिए जो कि पहले से ही पूरी तरह से गिला हो चुका था और तेल की वजह से लसलसा हो गया था,,,,, हरिया‌ने थोड़ा सा अपनी कमर को धक्का लगाया,,, और गीलापन पाकर हरिया के लंड कैसे पड़ा धीरे से राजू की मां की गांड के छेद में सरक गया,,, और हल्की सी कराहने की आवाज राजू की मां के मुंह से निकल गई,,, राजू समझ गया कि उसके पिताजी का लंड उसकी मां की गांड में प्रवेश कर गया है,,,, और देखते ही देखते हरियाली अपना पूरा लंड धीरे-धीरे करके राजू की मां की गांड में डाल दिया और उसकी बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर,,, अपनी कमर को आगे पीछे करके राजू की मां की गांड मारना शुरू कर दिया,,,, राजु ने चुदाई के बहुत सारे दिन से देखे थे लेकिन गांड मारने वाला तेरे से पहली बार देख रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां गांड मरवा रही है,,,,सोचने में ही यह बेहद अद्भुत और उत्तेजना पुण्य लगता है लेकिन तराजू तो अपनी आंखों से देख रहा था बड़े आराम से उसके पिताजी का भी उसकी मां की गांड के छोटे से छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,, देखते ही देखते पूरे कमरे में सिसकारी की आवाज गूंजने लगी इस इस कार्य की आवाज सुनकर राजू से रहा नहीं जा रहा था और वह पजामे को नीचे करके अपनी लंड को बाहर निकालकर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,,, अंदर का दृश्य और भी ज्यादा गर्माहट पकड़ रहा था,,,क्योंकि राजू के पिताजी राजू की मां की गांड पर जोरदार चपत लगाते हुए उसकी गांड मार रहे थे,,, हर धक्के के साथ राजू की मां की बड़ी बड़ी गांड नदी के पानी कि तरह लहरा जा रही थी,,, यह दृश्य बेहद अद्भुत था,,। राजू की मां का गदराया बदन इस अवस्था में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था खटिया से चरर चररर की आवाज आ रही थी,,, जो कि दोनों की कामलीला का जीता जागता सबूत था,,,, राजू के पिता जी बड़े आराम से राजु की मां की गांड मार रहे थे,,,दोनों को बहुत मजा आ रहा था राजू को भी लगने लगा था कि शायद गांड मारने में बहुत मजा आता है इसलिए वह भी इस अनुभव से गुजारना चाहता था,,,, ऐसे में उसका जुगाड़ केवल उसकी बुआ ही थी जिस पर वह किसी भी प्रकार से मनमानी कर सकता था,,,, वैसे तो उसकी यादी में कमला चाची और उसकी बहू के साथ साथ लाला की बहन सोनी भी थी,,,दोनों लाला की बहन सोनी और कमला चाची अनुभव से भरी हुई थी लेकिन कभी भी उन दोनों ने गांड मारने वाली बात नहीं की थी इसलिए राजू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था इस बारे में वह केवल अपनी बुआ से ही बात कर सकता था और ऐसा करने के लिए वह मन में ठान लिया था,,,,


बगल वाले कमरे में उसके पिताजी के धक्के तेज हुए जा रहे थे हर धक्के के साथ उसकी मां आगे की तरफ लहरा उठ रही थी जिसे उसके पिताजी ने कमर से कसके थाम रखा था इसलिए संभले हुए थी,,, देखते ही देखते राजू के पिताजी की कमर बड़ी तेजी से हीलने लगी,,, और कुछ ही दिनों में वह अपना पूरा गर्म लावा उसकी मां की गांड में गिरा दिया,,,, और उसकी पीठ पर लेट गया,,,, इस गरमा-गरम दृश्य का साक्षी केवल राजू ही था जो अपनी मां और पिताजी की गरमा गरम चुदाई के साथ आज गांड मारने वाला भी दृश्य देख लिया था,,,,,,,


बगल वाले कमरे की गरमा गरम द्शय को देखकर,, राजू का हाथ भी बड़ी तेजी से चल रहा था थोड़ी देर बाद उसका भी पानी,, निकल गया,,,,,, अब आगे उसे कुछ भी देखने की जरूरत नहीं थी,,।
Bahot behtareen shaandaar
Kamukta se bharpoor
Garma garam update bhai
 

Karan prakash

अपनी मां को चोदने में बड़ा आनंद आता है
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शानदार अपडेट
अब लगता है कि इस घर में चार चुदाई की जोड़ी होगी
(1) हरिया-मधु / पति-पत्नी
(2) राजू-गुलाबी / भतीजा-बुआ
(3) हरिया-गुलाबी / भाई-बहन
(4) मधु - राजू / माँ - बेटा
इंजतार है अब मधु को राजू के द्वारा जमकर चोदे जाने का
जरूरी भी है क्यूंकि मां को चोदने से ज्यादा मजा किसी और को चोदने में नही है
 
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