मधु अपने कमरे में कोने में बने छोटे से गुसल खाने में पेशाब करती हुई
गुलाबी मीना के घर से एक अद्भुत अनुभव लेकर लौट रही थी वो कभी सोची नहीं थी कि औरतों के बीच में भी इस तरह के शारीरिक संबंध स्थापित होते हैं जिनमें औरतों को भी बेहद आनंद की अनुभूति होती है,,,, गुलाबी को भी बहुत मजा आया था वरना वह उन्मादीत होकर झडती नहीं,,,,,, गुलाबी अब तक अपने घर में दोनों मर्दों को अपनी बुर्का काम रस पिलाती आ रही थी उसका स्वाद कैसा होता है इस बारे में उसे बिल्कुल भी अनुभव नहीं था लेकिन आज मीना की बुर पर अपना होठ रखकर उसे इस बात का एहसास हुआ किऔरत की बुर का स्वाद कसैला और नमकीन होता है जिसे जीभ से चाट कर दुनिया का हर एक मर्द और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाता है,,, उसी तरह का उत्तेजना गुलाबी को भी अपने तन बदन में महसूस हुआ था,,,
Laala soni ka dudh pite huye
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मीना ने जो कुछ भी गुलाबी के साथ की थी उससे गुलाबी को बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी,,,। और उससे जादू सीखने को मिला था कि शादी वाले दिन सुहागरात को अपने पति के साथ कैसा बर्ताव करना है,,,, ताकि उस पर कोई उंगली ना उठा सके,,,, । गुलाबी बहुत खुश थी एक तो एक नए अनुभव से और इस बात से कि मीना को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ था कि वह बहुत बार चुदवा चुकी है,,,।
राजू को रात का बड़ी बेसब्री से इंतजार था क्योंकि आज वह भाभी की गांड मारना चाहता था और इस नए अनुभव से अवगत होना चाहता था लेकिन मीना ने जो गांड मराई का अनुभव बतानी थी उससे गुलाबी डर गई थीऔर इसीलिए ही राजू के लाख मनाने पर भी गुलाबी बिल्कुल भी नहीं मानी थी और केवल अपनी दोनों टांग फैला कर अपनी बुर उसे सौंप दी थी,,, राजू भी अपना मन मार कर अपना पूरा ध्यान अपनी बुआ की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पर केंद्रित कर दिया जिस पर उसका पूरा हक था,,,,,,,,,,।
शाम को बेल गाड़ी लेकर लौटते समय,,, हरिया बैलगाड़ी को लाला की हवेली की तरफ मोड़ दिया था क्योंकि उसे ब्याज के पैसे देने थे और 2 दिन वह लेट हो चुका था,,,, बैलगाड़ी को हवेली के सामने खड़ा करके हरिया जल्दी-जल्दी हवेली में प्रवेश करने के हेतु,,,, दरवाजे पर खड़ा होकर दस्तक देने की जगह बोला,,,।
मालिक,,,, मालिक,,,,, घर पर हो,,,,
(लाला उसी समय बैठा बैठा हुक्का गुड़गुड़ा रहा था,,,,, हरिया की आवाज को अच्छी तरह से पहचानता था इसलिए वहां वहीं बैठे हुए ही बोला,,,)
आजा हरिया,,,,
(इतना सुनते ही हरिया हाथ जोड़े हुए ही हवेली में प्रवेश किया सामने ही लाला बैठा हुआ था उसे देखकर नमस्कार करते हुए बोला,,,)
नमस्कार मालिक,,,,।
आओ हरिया,,, आने में 2 दिन देर क्यों कर दिया,,,।
ओ ,,, क्या है ना मालिक सवारी मिलना मुश्किल हो गई थी इसलिए देरी हो गई आइंदा से ऐसी गलती नहीं होगी,,,।
कोई बात नहीं आइंदा से इस तरह की गलती में बर्दाश्त भी नहीं करूंगा,,,, लाओ ब्याज के पैसे दो,,,,
(लाला की बात सुनते ही हरिया तुरंत अपनी धोती में बांधे हुए पैसे निकालकर लाला को थमाते हुए बोला,,,)
लीजिए मालिक,,,
(ब्याज के पैसे लाला के हाथ में थमाते हुए,,, हरिया चक्र पर इधर उधर देख रहा था उसकी नजरें उस औरत को ढूंढ रही थी जो उस दिन लाला के नीचे थी,,,,,,, उस दिन लाला जिसकी चुदाई कर रहा था उस औरत का रहस्य अभी भी हरिया के मन में बना हुआ था हरिया समझ नहीं पा रहा था कि लाला से चुदवाने वाली वह औरत थी कौन,,,,, क्योंकि हरिया ने जिस तरह का उसका खूबसूरत मक्खन जैसा गोरा बदन देखा था उससे साफ पता चल रहा था कि वह औरत ऊंचे खानदान की थी गांव में क्योंकि इतनी खूबसूरत औरत दूसरी कोई नहीं थी जिसका बदन मक्खन जैसा एकदम चिकना और गोरा था,,,,इतना तो हरिया समझ गया था कि वह औरत कोई ऊंचे खानदान की ही थी गांव की नहीं थी लेकिन कौन थी इस बारे में उसे बिल्कुल भी पता नहीं चल रहा था इसीलिए वह ,,,हवेली में आते ही अपनी नजरों को दौड़ाना शुरू कर दिया था इस उम्मीद से कि वह औरत उसे फिर नजर आ जाए,,,, और उसे इस बात का भी पता चला था कि लाला के घर में उसकी छोटी बहन रहती है जो कि विधवा है,,,, इसीलिए हरिया के मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी पहले तो उसे इस तरह के रिश्ते पर शंका नहीं होती थी लेकिन जब से वह खुद अपनी ही बहन से शारीरिक संबंध बनाया था तब से उसे लगने लगा था कि कहीं लाला का संबंध उसकी बहन से तो नहीं है,,,। और वह अपने मन में यही सोचने लगा था कि क्या उसकी तरह और भी भाई है जो अपनी बहन के साथ चुदाई का सुख भोगते हैं,,,,। अपने मन में यह भी सोचता था कि उसकी बात गलत भी हो सकती है,,, उसकी तरह कोई दूसरा भाई नहीं होगा जो अपनी ही बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाया हो,,,लेकिन वह अपने मन में ही सोचता था कि कहां से उसका सोचना सही हो जाता तो शायद उसके मन की ग्लानी थोड़ी कम हो जाती,,,।लाला उसके हाथ से पैसे लेकर गिन रहा था और उसे भी बड़े गौर से देख रहा था वह पूरी हवेली में इधर उधर नजर घुमाकर देख रहा था,,उसे इस तरह से इधर-उधर देखता हूं आप आकर लाला भी समझ गया था कि वह क्या देखने की कोशिश कर रहा है इसलिए उसे जोर से डांटते हुए बोला,,,)
हरिया ध्यान किधर है तेरा,,,,
कककक,,, कुछ नहीं मालिक,,,, मालकिन नही नजर आ रही थी इसलिए,,,,।
तुझे इससे क्या,,,? ज्यादा बनने की कोशिश मत कर समझा,,, और कभी हवेली में आया कर तो अपनी नजरों को झुका कर रखा कर वरना तुझे पता है कि मैं क्या कर सकता हूं,,,, तेरा हुक्का पानी बंद हो जाएगा समझा,,,,
मममम,मालिक वो तो मैं,,,,
बस कर ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं है और निकल जा हवेली से,,,,,।
लाला सोनी की साड़ी उतारते हुए
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जी मालिक,,,( और इतना कहते हुए हरिया हाथ जोड़कर मन मारकर हवेली से बाहर निकल गया लाला के साथ वह जबान नहीं बनाना चाहता था क्योंकि मुसीबत में डाला ही काम आता था और उसे अभी अपनी बहन गुलाबी का विवाह करना था जिसमें पैसे की जरूरत को सिर्फ लाला ही पूरी कर सकता था इसलिए वह कुछ बोला नहीं,,,, लेकिन अपने मन में लाला को ढेर सारी गालियां देते हुए वह हवेली से बाहर आ गया और अपनी बैलगाड़ी को लेकर अपने घर की तरफ चल दिया,,,, हरिया के हवेली से बाहर जाते ही लाला की बहन सोनी हाथ में दूध का गिलास लिए हुए लाला के पास आई और बोली,,,)
सोनी और लाला कुछ इस तरह से
कौन था भैया जो ज्यादा सवाल जवाब कर रहा था,,,।
वही बैलगाड़ी वाला हरिया,,, इसकी हरकत को मैं अच्छी तरह से जानता हूं उस दिन जब यह राज के पैसे देने के लिए आया था तो मुझे तुम्हारी चुदाई करते हुए देख लिया था वह तो अच्छा था कि तुम्हारे घर में बाल से तुम्हारा चेहरा ढक गया था वरना गजब हो जाता और इसीलिए अब सुबह हवेली में ताक झांक करता रहता है की हवेली में वह औरत है कौन,,,,।
(अपने बड़े भाई की बात सुनकर सोनी सकते में आ गई,,,वह भी उस दिन वाली घटना को अच्छी तरह से जानती थी जब उसे अपने भाई का लंड लेते तो बहुत मजा आ रहा था उसी समय हरिया भी वहीं आ टपका था लेकिन उस समय उसके घने बाल से उसका चेहरा पूरी तरह से ढका हुआ था और उसके बदन पर कपड़े के नाम पर एक रिसा तक नहीं था वह पूरी तरह से नंगी थी और उसका भाई भी पूरी तरह से मंगा था उसके भाई का लंड उसकी बुर में पूरी तरह से समाया हुआ था,,, वह क्षण चरम सुख के बेहद करीब था इसलिए उसका बड़ा भाई अपने लंड को अपनी बहन की बुर में से निकालना मुनासिब नहीं समझा था इसलिए हरिया की मौजूदगी में ही वह तब तक उसकी बुर में अपना लंड पेलता रही जब तक कि उसका पानी ना निकल गया,,, सोनी भी इस बात से खुशी की हरिया उसके चेहरे को देख नहीं पाया था उसे पहचान नहीं पाया था दोनों भाई बहन के रिश्ते को समझ नहीं पाया था उसे ऐसा ही लग रहा था कि जिस औरत के उसका भाई चोद रहा है वह कोई और है उसके घर की कोई सदस्य नहीं,,,, अपने बड़े भाई की बातें सुनकर सोनी बोली,,)
लाला सोनी की पेटिकोट उतारते हुए
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अच्छा हुआ भैया कि तुमने उसे डांट कर भगा दिया वरना वह इस तरह की हरकत दोबारा भी करता और कहीं हम दोनों पकड़े जाते हैं तो गांव में कहीं भी मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाते,,,।
तुम ठीक कह रही हो सोनी इसीलिए तो मैं उसे मुंह नहीं लगाता,,,,।
लीजिए भैया दुध,,,,(इतना कहने के साथ ही सोनी दूध का गिलास अपने भाई की तरफ आगे बढ़ाई और एक हाथ से अपने साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दी,,,, वह पूरी तरह से अपने बड़े भाई को खुश रखने की कोशिश करती थी भले ही बाहर वह राजु के जवान लंड से पूरी तरह से संतुष्ट हो जाती थी लेकिन अपने भाई को भी वह संतुष्ट करती थी क्योंकि यही तो उसका हथियार था अपने भाई को पूरी तरह से काबू में रखने का साड़ी का पल्लू नीचे गिरते ही लाला की आंखों में चमक आ गई क्योंकि साड़ी के नीचे सोनी ब्लाउज नहीं पहनी थी वह दूध लाने से पहले ही अपना ब्लाउज निकाल दी थी क्योंकि वह जानती थी तो उसके भैया की आदत यही थी कि वह गिलास के दूध से पहले उसका दूध पीना पसंद करते थे,,,,,,,)
हाय सोनी तुम तो मेरी भूख और ज्यादा बढ़ा दी हो,,,, पहले मैं तुम्हारा दूध पीऊंगा फिर ग्लास का,,,
जानती हूं भैया तभी तो यहां आने से पहले अपना ब्लाउज उतार कर फेंक दी थी लेकिन तुम्हारी आवाज सुनकर में दरवाजे के पीछे रुक गई थी,,,, और तुम्हारे साथ दूसरे आदमी को देखकर मैं तुम्हारे सामने नहीं आई,,,।
अच्छा हुआ तुम इस हाल में उसके सामने नहीं आ गई वरना जो कुछ भी हो अपने मन में सोच रहा है शायद उसे पूरी तरह से अपनी बात पर अपनी शंका पर यकीन हो जाता,,,,।
इसीलिए तो मे रुक गई थी भैया और उसके जाने का इंतजार कर रही थी,,,,।
हाय मेरी बहन बहुत समझदार हो गई है,,,,(इतना कहने के साथ ही लाला अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसकी दोनों चूचियों को थामने को हुआ कि सोनी थोड़ा पीछे हट गई और दरवाजे की तरफ देखते हुए बोली,,,)
आहंं,आहंंं,,,, थोड़ा तो सब्र करो भैया दरवाजा तो बंद करने दो अगर कोई नौकर आ गया तब क्या करोगे,,,।
हां तुम सच कह रही हो सोनी जाकर दरवाजा बंद कर दो,,,।
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(अपने भैया की बात सुनते ही सोनी उसी हाल में पल्लू को नीचे गिरा कर दरवाजे की तरफ आकर बनाने लगी उसकी मटकती हुई गोल-गोल बड़ी बड़ी गांड देखकर लाला से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था उसके बदले में उत्तेजना बढ़ती जा रही थी सोनी के साड़ी का पल्लू,,, नीचे जमीन पर लहराते हुए जा रहा था जिसे संभालने की दरकार सोनी बिल्कुल भी नहीं कर रही थी वहां और भी ज्यादा अपने बड़े भाई को उत्तेजित करने के उद्देश्य से अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही मटका कर आगे बढ़ रही थी,,, और अगले ही पल में दरवाजा बंद करके लाला की तरफ आगे बढ़ने लगी तो उसकी मदमस्त छातियों की शोभा बढ़ाती है उसकी दोनों पपैया जैसे चुचियों को देखकर लाला के मुंह में पानी आ गया,,,,,, उससे इंतजार करना मुश्किल हो जाएगा रहा था वह तुरंत अपने जगह से उठ कर खड़ा हो गया और सोनी उसके पास पहुंचती इससे पहले ही वह अपनी बहन के पास पहुंच गया और उसे अपनी बाहों में भर कर सीधा उसके चुची को अपने मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,
, जब से राजू के साथ सोनी शारीरिक संबंध स्थापित की थी तब से उसे अपने भाई के साथ बिल्कुल भी मजा नहीं आता था बस अपने भाई को नाराज नहीं करना चाहती थी उसे हर हाल में खुश रखना चाहती थी इसीलिए उसके साथ वह सब कुछ करती थी जो एक औरत एक मर्द के साथ उसे खुश करने के लिए करती थी,,,,,।
आहहहह भैया ,,,,, क्या कर रहे हैं मैं भागी थोड़ी जा रही हूं आराम से,,,आहहहहह,
(लेकिन सोने की बातों का उस पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था वह अपनी मनमानी कर रहा था तभी दाईं चूची को तो कभी बाई चूची को मुंह में भरकर पी रहा था और साथ ही साथ नीचे की तरफ लाकर सोने की साड़ी की गिठान को खोल रहा था,,,,और कुछ ही देर में मैं अपनी बहन को पूरी तरह से नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया कमरे में ले जाने के बजाय वही पर घोड़ी बनाकर पीछे से सोनी की चुदाई करना शुरू कर दिया जैसा कि उस दिन हरिया ने अपनी आंखों से देखा था हरिया को इस आसन में अपनी बहन की चुदाई करना बहुत अच्छा लगता था,,,,। और थोड़ी ही देर में हरिया सोनी पर ढेर हो गया,,,
सोनी की चुदाई करते हुए
,और सोनी अपने मन में ही सोचने लगी कि यही फर्क है राजू और उसके बड़े भाई में राजू उसके साथ पूरी तरह से मस्ती करते हुए उसे पूरी तरह से उत्तेजित करने के बाद ही उसकी बुर में लंड डालता था और उसका भाई बस अपनी प्यास बुझाने के खातिर बिना सोचे समझे उसकी बुर में लंड डालकर झड़ जाता था,,,, लेकिन फिर भी सोनी खुश थी क्योंकि अधिकतर हवेली पर उसका ही राज चलता था जिसका कारण था वह अपना जिस्म अपने भाई को सौंप देती थी,,,।
,,, दूसरी तरफ राजू के मन में झुमरी के लिए प्रेम का अंकुर पूछ रहा था दिन रात वहां केवल झुमरी के बारे में ही सोचता रहता था भले ही वह अपनी प्यास गांव की औरतें और अपनी बुआ को चोद कर मिटाता था,,,, लेकिन झुमरी के लिए उसके मन में सच्चा प्यार था उसकी आंखों में उसके दिल में झुमरी पूरी तरह से बस गई थी उसकी बस एक झलक पाने के लिए वह घंटों गांव के चक्कर लगाया करता था ज्यादातर उसके घर के इर्द-गिर्द लेकिन झुमरी उसे नजर नहीं आती थी,,,,।
झुमरी से मिलने का उसके पास सिर्फ एक ही बहाना होता था श्याम जिसे वह पढ़ने के बहाने उसके घर पर बुलाया नहीं जाया करता था और इसी बहाने उसे झुमरी के दर्शन करने को मिल जाते थे,,,, श्याम से उसकी बिल्कुल भी नहीं बनती थी लेकिन झुमरी के कारण वह बार-बार श्याम के घर आए दिन पहुंच ही जाता था लेकिन फिर भी बड़ी मुश्किल से उसे डुमरी के दीदार होते थे,,,।
ऐसे ही 1 दिन दोपहर का समय था और वह झुमरी कोई पानी से देखने के लिए श्याम के घर पहुंच गया उसे बुलाने के लिए,,,,वह श्याम के घर पर दरवाजे पर खड़ा था वह दरवाजे पर दस्तक देने के लिए जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया तो दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया और वह चोर कदमों से घर के अंदर प्रवेश कर गया उसे ऐसा लग रहा था कि आज भी उसी झुमरी के नंगे बदन का दर्शन करने को मिल जाता तो वह बहुत खुशनसीब होता इसी उम्मीद से वह धीरे धीरे चोर बदमाश उसके घर के अंदर आगे बढ़ता जा रहा था,,,,और देखते ही देखते हो कहां उसी जगह पर पहुंच गया जहां पर उस दिन पहुंचा था और जहां से वह झुमरी के नंगे बदन का दीदार करके पूरी तरह से मस्त हो गया था,,,।
राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह चोर की तरह श्याम के घर में प्रवेश किया था अगर ऐसे में उसकी मां उसे देख लेती तो क्या समझती इसीलिए वह बड़ी संभाल कर आगे बढ़ते हुए उसी जगह पर पहुंच गया था वह जैसे ही उस जगह पर पहुंचकर सामने की तरफ नजर दौड़ाया तो सामने का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,,। जो कुछ भी वह देख रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे कुछ ऐसा देखने को मिलेगा,,,।