Sanju@
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और रमणीय अपडेट हैराजू का मन खुशी से फूला नहीं समा रहा था,,, वह आज बहुत खुश था,,उसकी आंखों ने जो देखा था उसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,अपनी मंजिल तक पहुंचने का और वहां तक पहुंचाने के लिए उसे जादुई चिराग मिल गया था,,, श्याम को अपनी मां की चुदाई करता हुआ देखकर राजू के हाथ बहुत सी खुशियां लग गई थी ऐसा लग रहा है कि जैसे वह श्याम के घर आकर एक तीर से बहुत सारे शिकार कर दिया है,,,,
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अब झुमरी तक पहुंचने का रास्ता भी पूरी तरह से साफ हो चुका था अगर झुमरी के साथ उसका भाई उसे पकड़ भी ले तो वह उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा और तो और अब उसे श्याम की मां की बुर भी हासिल हो जाएगी वह उसे चोद सकता है,,,, और उसे रोकने वाला कोई नहीं होगा,,,, श्याम पूरी तरह से उसकी मुट्ठी में आ गया था,,,, श्याम की मां की बड़ी-बड़ी गांड के बारे में सोच कर और उत्तेजित हुआ जा रहा था और उसके लिए यह है और भी ज्यादा रुचि कर हो गया था कि उसकी मां को लंबा लंड चाहिए था जो कि जमकर उसकी चुदाई कर सके उसे पूरी तरह से तृप्त कर सके और ऐसा कर सकने का साहस श्याम में बिल्कुल भी नहीं था,,, भले ही वह रोजाना उसकी चुदाई करता हो लेकिन वह उसे पूरी तरह से तृप्त नहीं कर पाता था,,, यह बात उसे श्याम की मां के मुंह से ही सुनने को मिली थी,,, श्याम की मां को चोदने के लिए वहां पूरी तरह से बेकरार हुआ जा रहा थालेकिन इस बात से वह पूरी तरह से निश्चिंत हो चुका था कि वह अब श्याम की मां की दोनों टांगों के बीच कभी भी पहुंच सकता है,,,,और उसे अपने मोटे तगड़े लंबे लंड से तृप्त करने के लिए पूरी तरह से उत्साहित था,,,,।
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यह बात तो वह अच्छी तरह से समझ गया था कि वह कभी भी श्याम की मां की दोनों टांगों के बीच पहुंच सकता था लेकिन उसके लिए भी उसे अभी समीकरण तैयार करना था,,,,,,, इसीलिए तो वह श्याम को इशारा करके अपनी चुदाई जारी रखने के लिए बोल कर और मिलने के लिए इशारा करके वहां से चलता बना था क्योंकि उसका काम तो हो गया था,,,,,,
एक तरफ जहां राजू पूरी तरह से उत्साहित और प्रसन्न नजर आ रहा था वहीं दूसरी तरफ श्याम के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी,,,, श्याम की नजर जैसे ही राजू पर पड़ी थी वैसे ही घबराहट में उसके लंड से पिचकारी छूट गई थी और वह अपनी मां की प्यास बुझाने में नाकामयाब रहा था,,, वह कुछ देर तक अपने कमरे में बैठकर सोचने लगा कि अब क्या होगा कहीं राजू पूरे गांव वालों को बता दिया तो,,,, बदनामी हो जाएगी और वार किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगा उसके पूरे परिवार का उठना बैठना गांव में इधर उधर आना जाना सब दुश्वार हो जाएगा लोग गलत नजरों से उसके परिवार को देखेंगे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसका दिमाग घूम रहा था,,,, वह अपने मन में सोच रहा था कि राजू को कैसे समझाया जाए,,,,,,,, इसी उधेड़बुन में उसे नींद आ गई,,,, दूसरी तरफ राजू ने श्याम के मुंह से यह सुन लिया था कि उसने झुमरी को खेतों में सब्जी तोड़ने के लिए भेज दिया है और राजू तो मिलने ही झुमरी के लिए उसके घर पर आया था लेकिन झुमरी के दर्शन कर उसे नहीं हुए लेकिन झुमरी के चक्कर में उसने बहुत कुछ देख लिया था,,,,।वह झुमरी से मिलने के लिए पूरी तरह से लालायित था और झुमरी से मिलने की सोच कर वह खेतों की तरफ निकल गया,,,।
राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह अपने सपनों की राजकुमारी से मिलने जा रहा था मन ही मन वह झुमरी से बेहद प्यार करने लगा था,,, यह सच्चा प्यार ही था क्योंकि अभी तक राजु ने जितनी भी औरतों यालड़कियों से मिला था उन्हें देखा था उन्हें देखते हैं सबसे पहले उसके दिमाग में उसे चोदने का ही ख्याल आता था उनकेनंगे बदन को देखने की चाहत जाती थी लेकिन झुमरी के पक्ष में ऐसा कुछ भी नहीं था हालांकि वह झुमरी को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख चुका था लेकिन फिर भी वह उसके बारे में चोदने का ख्याल अभी तक अपने मन में नहीं लाया था बस उसकी झलक भर देखने की ख्वाहिश उसके मन में जाती थी और उसे नजर भर कर देख लेने के बाद वह एकदम खुश हो जाता था,,,, इसलिए कि वह झुमरी से प्यार करने लग गया था,,, और उससे मिलने के लिए वह जल्दी-जल्दी अपने कदम आगे बढ़ा रहा था,,,, वह खेत पर पहुंचता उससे पहले ही झुमरी उसे आती हुई नजर आई उसके हाथ में सब्जी की टोकरी थी जिसे वह अपनी कमर से टीकाकर लेकर चल रही थी,,,, उसकी मतवाली चाल बेहद कामुकता भरी थी,,,, खेतों में से आते हुए झुमरी की नजर भी राजू पर पड़ गई थी वह मन ही मन प्रसन्न होने लगी थी,,, राजू खुशी से फूला नहीं समा रहा था,,,, राजू के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी,,, जब जब वह चुनरी के करीब जाना था तब तब उसके दिल की धड़कन आपे से बाहर हो जाती थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी,,,,,,
देखते देखते दोनों एकदम करीब आ गए,,,, झुमरी के खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए राजु बोला,,,
अरे झुमरी तुम,,, इतनी दोपहर में खेत में से चली आ रही हो,,, इतनी धूप में बाहर मत निकला करो,,,
क्यों ना निकला करु,,, मुझे किसी की डर थोड़ी पड़ी है,,,।
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अरे तुम समझी नहीं मैं डरने के लिए थोड़ी कह रहा हूं तो भला किससे धरोगी मैं तो यह कह रहा हूं कि धूप में निकलोगी तो तुम्हारा गोरा रंग फीका पड़ने लगेगा,,,,,
(राजू की बातें सुनकर झुमरी मन ही मन मुस्कुराने लगी लेकिन अपनी खुशी वह अपने होठों पर जाहिर होने देना नहीं चाहती थी इसलिए सहज होते हुए बोली)
काम के लिए तो निकलना ही पड़ता है अब शाम के लिए सब्जियां तोड़नी थी इसलिए मुझे खेतों में आना पड़ा,,,।
हां वह तो है,,,,(इतना कहकर राजू खामोश हो गया क्या कहना है उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था तो झुमरी ही बोली,,,)
ऐसे खड़े रह कर बात मत करो कोई काम वाला देखेगा तो क्या समझेगा,,,(इतना कहकर वो आगे आगे चलने लगी और राजू पीछे-पीछे पीछे चलने की वजह से राजू को उसके खूबसूरत बदन का पिछवाड़ा बहुत अच्छी तरह से नजार आ रहा था,,,,,, झुमरी के कमर के नीचे का उभार बेहद कामुक और जानलेवा था,,, जिसे देखकर राजु उसके पीछे लट्टु हो गया था,,।लेकिन उसके मन में झुमरी को लेकर किसी भी प्रकार का गलत विचार नहीं था बस हुआ उसकी खूबसूरती से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था उसे सच्चे मन से प्यार करने लगा था,,,,लेकिन फिर भी उसके खूबसूरत बदन को तांक झांक करने का एक भी मौका वह गंवाना नहीं चाहता था,,, इसलिए तो चुनरी के पीछे पीछे चलते हुए भी उसकी नजर उसके कमर के नीचे के गोलाकार उभार पर केंद्रित हो चुका था जिसे देखते हुए वह आगे बढ़ रहा था,,,, लेकिन देखा जाए फिर भी भले ही बात जो मेरी से सच्चे मन से प्यार करने लगा था लेकिन उसकी मंजिल तो वही थी जिसे वह प्यासी नजरों से देख रहा था,,,, असली प्यार दोनों टांगों के बीच के मंजिल तक पहुंच जाने को ही कहा जाता है,,,, जिसे प्राप्त करने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है,,,, व्याकुल और प्यासा रहता है,,,,
झुमरी आगे-आगे चल रही थी और राजू पीछे-पीछे झुमरी को राजू का इस तरह से इसके पीछे पीछे चलना बहुत अच्छा लग रहा था ऊंची नीची पगडंडियों पर पैर रखने की वजह से उसकी कमर कुछ ज्यादा बल खा जा रही थी और कभी-कभी तो उसके नितंबों का उभार कुछ ज्यादा ही उभर जाता था,,,, बातों के दौर पर फिर से शुरू करते हुए झुमरी बोली,,,।
मुझे तो बाहर निकलने से मना कर रहा है लेकिन तू भी तो इतनी दुपहरी में यहां-वहां घूम रहा है तुझे यहां कौन सा काम पड़ गया जो खेतों पर चला आया,,,।
तुमसे मिलने,,,(एकाएक राजू के मुंह से निकल गया तो वह खुद ही अपने शब्दों को संभालते हुए बोला) मेरा मतलब है कि मुझे भी खेतों में काम था लेकिन तुम मिल गई तो तुमसे बात करने लगा,,,,
तो जा खेतों पर काम करके आ मेरे पीछे पीछे क्यों आ रहा है,,,।
अब मन नहीं है,,, कल आकर काम कर लूंगा,,,, लाओ अगर तुम्हें सब्जी वजन लग रही है तो मुझे दे दो,,,
नहीं नहीं कोई दो चार कीलो थोड़ी ना है जो मुझे वजन लगेगा,,,,,,, कोई दिक्कत नहीं है,,,,(ऐसा कहते हुए झुमरी आगे चली जा रही थी लेकिन उसकी चाल में बदलाव आ गया था वह कुछ ज्यादा ही अपनी गांड मटका कर चल रही थी,,,हालांकि उसके मन में गंदे विचार बिल्कुल भी नहीं थे लेकिन राजु उसे नहाते हुए देख चुका था उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से नाप तोल चुका था,,,राजू पहले से ही उसे पसंद था इसलिए वह राजु को पूरी तरह से अपना दीवाना बना लेना चाहती थी,,,, और वो जानती थी कि मर्दों को अपने वश में कैसे किया जाता है,,, अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से वह चल रही है निश्चित तौर पर राजू की नजर उसकी गांड पर ही टिकी हुई होगी,,, इसलिए अपनी तसल्ली के लिए वह चलते समय पीछे की तरह नजर घुमा दी और राजू को वास्तव में अपनी गोल-गोल गांड की तरफ देखता हुआ आकर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी और उसी तरह से चलने लगी,,,,,,,
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झुमरी से बात करना राजू को बहुत अच्छा लगता था लेकिन क्या बात करना है इस बारे में उसे खुद समझ में नहीं आता था एक खूबसूरत जवान लड़की को अपने करीब पाकर वह पूरी तरह से मचल उठता था उसे समझ में नहीं आता कि क्या करना है,,, इसका एक ही कारण था कि वह सुम्मरी से सच्चे दिल से प्यार करता था उसे मानता था अगर वह झुमरी को देखकर अपने मन में गंदे विचार लाता तो शायद अब तक वह झुमरी की चुदाई भी कर दिया होता,,, लेकिन मामला इधर प्यार का था,,, इसीलिए झुमरी से बात करने में उसे चेचक महसूस हो रही थी,,,,। ऐसा नहीं था कि यह प्यार केवल राजू की तरफ से ही था झुमरी भी मन ही मन राजू को बहुत ज्यादा चाहने लगी थी और उसके मन में भी राजू को लेकर कोई गंदे विचार नहीं थे दोनों का प्यार सच्चा था राजु को अपने पीछे पीछे आता देखकर उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, खास करके उसकी निगाहों को अपनी गांड पर टिकी हुई देखकर तो उसके तन बदन में हलचल सी मच रही थी,,,,,,,
जिस रास्ते से दोनों गुजर रहे थे चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए थे,,, जो कि ऊपर जाकर आपस में मिल जाते थे जिसकी वजह से यह सड़क और भी ज्यादा खूबसूरत लगती थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था,,,, वैसे भी दोपहर का समय था इसलिए सब लोग अपने घरों में आराम कर रहे थे,,,। दोनों एक दूसरे की दीवानगी मैं चले जा रहे थे अभी झुमरी और राजू इसी उधेड़बुन में थे कि क्या बात करें,,, कि तभी राजू को झुमरी की दर्द भरी आहहह सुनाई दी,,,,।
आहहहहहह,,,,(दर्द भरी आवाज झुमरी के मुंह से निकलते ही उसका दाया पैर खुद पर खुद ऊपर की तरफ फट गया और अपनी नजर को पीछे की तरफ करके देखने लगी क्योंकि उसके पैर के अंगूठे में कांटा चुभ गया था,,,, झुमरी का दर्द राजू से देखा नहीं क्या और वह तुरंत आगे बढ़कर अपने घुटनों के बल बैठ गया और झुमरी के पेर को थाम लिया,,,,,)
आहहहह राजू कांटा चुभ गया है मुझे बहुत दर्द कर रहा है,,,
तुम चिंता मत करो झुमरी में अभी निकाल देता हूं,,,
आराम से निकालना बहुत बड़ा कांटा है,,,
देख कर चलना चाहिए था ना,,,,,
अरे अब चलते समय इतना ध्यान थोड़ी ना रहता है,,,।
रुको अभी निकाल देता हूं,,,,।(इतना कहने के साथ राजू अपने दोनों हाथों में उसके पैर को पकड़ कर उसके पैर के अंगूठे में से कांटे को खींचने की तैयारी में था,,,, और दर्द के मारे और एक टांग पर खड़ी होने की वजह से झुमरी इधर-उधर लड़खड़ा रही थी,,,,राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि झुमरी उसके कंधे का सहारा लेकर खड़ी हो जाए लेकिन उसे बोल नहीं पा रहा था लेकिन तभी झुमरी अपने आप को संभालने के लिए राजू के कंधे पर अपनी हथेली रखकर खड़ी हो गई,,,, झुमरी की हरकत राजू के तन बदन में खुशी की लहर पैदा कर दी ,,,, वह एकदम से खुश हो गया,,,, सिर्फ अपने कंधे पर है तेरी रखने की वजह से उसे लग रहा था कि वह पूरी दुनिया को पा लिया है,,,, राजू के कंधे का सहारा लेना झुमरी को भी बहुत अच्छा लग रहा था,,,, राजू अपने हाथ में बड़े हल्के से पैर के अंगूठे में चूहे कांटे को पकड़ लिया था और झुमरी से बोला,,,)
संभालना मैं कांटा निकालने जा रहा हूं,,,,
संभाल कर राजू बहुत दुखेगा,,,
अरे कुछ नहीं होगा मैं हूं ना,,,,(इतना कहते हुए झुमरी को बातों में उलझाए हुए ही वह जोर से कांटे को बाहर की तरफ खींच लिया,,, और कांटा झटके के साथ बाहर निकल गया लेकिन कांटे के निकलते ही अंगूठे में से खून निकलने लगा,,,,झुमरी को भी साफ नजर आ रहा था कि उसके अंगूठे में से खून निकल रहा है लेकिन वह कुछ समझ पाती कुछ कह पाती इससे पहले ही,,, राजू ने तुरंत उसके अंगूठे को अपने होठों पर रखकर दबा दिया,,,, झुमरी के तन बदन में अजीब सी लरर उत्पन्न होने लगी और यही हाल राजू का भी था,,,, राजू झुमरी की खूबसूरत पैर के अंगूठे को अपने होठों से लगाया हुआ था उसका खून बंद करने के लिए,,,।
राजू को झुमरी देखती ही रह गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि राजू उसके पैरों को अपने होठों से लगाया हुआ है,,,,,,।
झुमरी के मन में प्यार का झरना फूटने लगा राजू की हरकत की वजह से ही राजू के लिए उसके दिल में और ज्यादा प्यार उमर ने लगा था कुछ देर तक राजू उसी तरह से झुमरी के अंगूठे को अपने होठों से लगाया रह गया,,,, जब से इस बात का एहसास हुआ कि खुन पूरी तरह से बंद हो गया है तो वह उसके पैर को पकड़े हुए नीचे जमीन पर रख दिया और बोला,,,।
अब बिल्कुल ठीक हो गया है अब तुम्हें दर्द नहीं करेगा,,,,।
(झुमरी से तो कुछ बोला नहीं जा रहा था वह शर्मा रही थी,, उसके होठों पर मुस्कान थी और वह बिना कुछ बोले जल्दी-जल्दी जाने लगी,,, हालांकि कांटा चुगने की वजह से वह दाएं पैर को संभाल कर रख रही थी,,, राजू झुमरी के मन में क्या चल रहा था अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह कुछ दुर तक खामोश ही चलता रहा अब ज्यादा दुर तक उसका पीछा करना ठीक नहीं था इसलिए वहीं खड़ा होकर वह बोला,,,)
श्याम को आम वाले बगीचे में भेज देना मैं इंतजार करूंगा,,,,
(इतना सुनकर झुमरी चलते हुए पीछे की तरफ नजर घुमा कर एक बार राजू की तरफ देखी लेकिन बोली कुछ नहीं लेकिन उससे नजर मिलते भी वह मुस्कुरा दी और फिर से जल्दी जल्दी जाने लगी राजू वहीं खड़ा तब तक जो मेरी को देखता रहा जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई,,,
शाम हो रही थी पर वह आम के खेत पर पहुंच गया था उसे श्याम का इंतजार था घर पर पहुंचने के बाद झुमरी श्याम को बोली थी कि रास्ते में राजू मिला था और उसे आम के बगीचे के मिलने के लिए बुलाया है,,,,झुमरी को तो इस बात का आभास तक नहीं था कि रात में उसके भाई को किस लिए बुलाया है लेकिन श्याम अच्छी तरह से जानता था कि सारा मामला क्या है राजू से नजर मिलाने में उसे डर लग रहा था उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी उसके सामने जाने के लिए किन जाना भी जरूरी था ,,,राजू को इस बात के लिए समझाना भी जरूरी था कि जो कुछ भी उसने देखा है उसके बारे में वह किसी से कुछ भी ना कहे,,, और राजू यह बात भी जानता था कि इस राज को राज रखने के एवज में श्याम जरूर कुछ मोलतोल करेगा,,,, और उसके मन में इस बात को लेकर शंका भी थी कि राजू उससे क्या बात करने वाला है और यही वह नहीं चाहता था लेकिन फिर भी बेमन से श्याम के पास राजू जहां बुलाया था वहां जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था,,,, इसलिए वह भी आम के बगीचे की तरफ निकल गया
आ गया
राजू श्याम की माॅं को चोदने को पुरी तरह तैयार था उसे मालूम हो चुका था की श्याम अपनी मा को तृप्त नहीं कर पाता और तो और झुमरी से मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है
झुमरी को काटा चुभना और राजू के द्वारा कांटा निकालना अंगुठे से आ रहे खुन को मुह से चुसना,दोनों के मन मे उपज रहे सच्चे प्रेम की निशानी लगती हैं अब देखते हैं बाग में राजू और श्याम के बीच कोन सी बाते होती है इंतजार रहेगा अगले अपडेट का