- 20,982
- 55,660
- 259
रोनी भाई अपडेट का बेसब्री से इंतज़ार हैं
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर मदमस्त कामोत्तेजक अपडेट हैआज जो कुछ भी हुआ था,,, उससे मधु पूरी तरह से हैरान हो चुकी थी,,,,, उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,, वह जल्दी से आकर खाना बनाने लग गई थी,,,सामने ही उसका पति हरिया बैठा था लेकिन आज अपने पति से भी नजर मिलाने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,,, क्योंकि जो कुछ भी हुआ था वह मधु की सोच से एकदम परे था मधु ने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसके साथ इस तरह की हरकत करेगा,,,, पहली मर्तबा ही कुवे से पानी निकालते समय किस तरह की हरकत उसके बेटे ने किया था वह भी मधु को बेहद अजीब लगा था लेकिन हो सकता था कि उससे गलती से हो गया हो इसलिए वह बात आई गई कर दी थी लेकिन फिर भी जब जब अपने पर जाती थी तब तक वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि उसका बेटा होने पर उसके साथ जाए,,,
आज सुबह भी वह कुएं पर पानी भरने जा रही थी और राजू भी जाने के लिए तैयार था लेकिन मधु ने ही उसको इंकार कर दी थी,,,,, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उस दिन की तरह आज भी उसका बेटा गंदी हरकत करें लेकिन एक बात का उसे भी एहसास होता था कि उसके बेटे की उस तरह की गंदी हरकत में ना जाने कि उसे भी मजा आ रहा था जो कि वह इस तरह के आनंद से कतराती रहती थी,,,, उसे गुस्सा भी आता था लेकिन कुछ कर नहीं पा रही थी,,,, कुए पर साथ चलने से इंकार कर के वह अपने बेटे की गंदी हरकत से तो बच गई थी लेकिन बकरियां पकड़ते समय वह अपने आप को बचा नहीं पाई,,
,, वह रसोई बनाते समय यही सब सोच रही थी कि कुए पर अपने बेटे को ना ले जाकर बच गई थी लेकिन जैसे वक्त भी उसके बेटे का हिसाब दे रहा हो बकरियां पकड़ते समय उसकी आंखों के सामने ही बकरी और बकरा चढ़कर उसकी चुदाई करने लगा था वह उस समय अपने बेटे के सामने शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,, उसे और ज्यादा शर्मिंदगी का महसूस हुई जब उसका बेटा बकरे को मारते हुए झोपड़ी में यह कहते हुए ले गया कि तुझे भी इसी वक्त चढ़ना था,,,,, यह सब मधु के लिए बेहद अजीब था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी बकरे को पकड़ते हुए देख रही थी पहले भी वह कई बार इस तरह के नजारे को देख चुकी थी लेकिन अपने ही बेटे के सामने यह नजारा देखा करवा शर्म से पानी पानी में जा रही थी सब कुछ सही चल रहा था कि तभी गाय की वजह से जो कुछ भी होगा उसके बारे में कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,,।
कुवे से पानी निकालते समय तो उसका बेटा पीछे से रस्सी खींचते हुए उसकी बड़ी बड़ी गांड पर पूरी तरह से सटा हुआ था जिससे उसका खड़ा लंड उसकी गांड पर साफ महसूस हो रहा था लेकिन गाय को खींचते समय जो हरकत उसने किया था उसके बारे में वह कभी सोच नहीं सकती थी,,,रसोई बनाते समय मधु अपने मन में यही सोच रही थी कि मौके का सही फायदा उठाना तो कोई उसके बेटे से ही सीखे गाय को खींचते समय जिस तरह से वहां उसकी गांड से पूरी तरह से सटा हुआ था और लगातार दो तीन बार अपनी कमर हिला दे रहा था उसकी यह हरकत वास्तविक रूप से एक औरत को चोदने वाली ही थी,,,, और ऐसा वह दो-तीन बार कर चुका था,,, अपने बेटे की ईस हरकत से वह हैरान तो थी ही लेकिन काफी उत्तेजित भी हो चुकी थी,,, क्योंकि वह पूरी तरह से अनुभव से भरी हुई थी और जिस तरह से पजामे के अंदर होने के बावजूद भी और साड़ी के ऊपर से ही साड़ी सहित उसका लंड चूत तरह से बड़ी बड़ी गांड की फांकों के बीच घुसते हुए सीधे-सीधे उसकी बुर की दहलीज पर दस्तक दे रहा था वह पूरी तरह से मधु को हैरान कर देने वाला था और अपने बेटे की मर्दाना ताकत को देखते हुए बेहद काबिले तारीफ भी था जहां एक तरफ उसे हैरानी हो रही थी वहीं दूसरी तरफ उसे ना जाने क्यों अपनी बेटी की हरकत की वजह से प्रसन्नता भी हो रही थी वह इतने से ही भाग गई थी कि उसका बेटा पूरी तरह से मर्दाना ताकत से भरा हुआ है,,,, पल भर में ही अपने हरकत की वजह से उसने उसे पानी पानी कर दिया था,,,।जिस बारे में सोच कर खाना बनाते समय भी उसे अपनी बुर फिर से गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,,,,,
गाय को खींचते समय उसकी मदद करने के बहाने जिस तरह से पीछे से राजू ने अपनी मां को पूरी तरह से अपनी आगोश में ले कर उसकी गोलाकार नितंबों पर पूरी तरह से कब्जा जमाया था यह देखते हुए मधु भी कुछ कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी अपने बेटे की हरकत की वजह से वह पूरी तरह सिहर उठी थी,,,, उसकी गोल-गोल भारी भरकम गांड पर पूरी तरह से राजू ने अंकुश रखा हुआ था,,,,ना उस समय वह हिल पा रही थी ना डुल पा रही थी और इसी का फायदा उठाते हुए राजू दो तीन बार लगातार धक्के पर धक्के मार कर अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहा था,,, और जिसका मजा जाने अनजाने में मधु भी ले रही थी,,,,,,
मधु रसोई बनाते समयराजू के ख्यालों में उसके द्वारा की गई हरकत के बारे में इस कदर खो गई कि उसे इस बात का एहसास ही नहीं रहा कि हरिया सामने ही खटिया पर बैठा हुआ है वह अपने ही ख्यालों में पूरी तरह से मगन हो चुकी थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि सब कुछ जैसे उसके बेटे के मुताबिक ही हो रहा है क्योंकि रस्सी खींचते समय इतनी मोटी रस्सी भी टूट गई और वह जिस तरह से अपने बेटे के ऊपर गिरी थी उसकी सारी पूरी तरह से उठकर उसकी कमर पर आ गई थी और वह कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी हो गई थी,,,,, यह सब सोचकर इस समय मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसे वह पल अच्छी तरह से याद थाजब उसने अपनी दोनों जांघों पर अपने बेटे की हथेलियों को महसूस कि थी,,और उसकी हथेली की रगड़ साफ महसूस हुई थी,,,, और उसे उठाने की कोशिश करते हुए जिस तरह से वह हिम्मत दिखाते हुए अपनी हथेली को उसकी बुर पर रखा था उस पल को याद करते हैं इस समय उत्तेजना के मारे मधु की बुर फूलने पिचकने लगी,,,,अपने बेटे की हरकत को देखते हुए मधु इतना तो समझ गई थी कि वह जवान हो रहा है और जवानी के जोश में वह अपनी मां को ही गंदी नजर से देखने लगा है,,,यह बात जहां उसे हैरान करने वाली थी वहीं इस बात से उसे ना जाने क्यों आनंद की अनुभूति भी हो रही थी कि उसके बेटे की हर एक हरकत से वह मदहोश होती जा रही थी,,,, मधुबनी मन में सोचने लगी कि उसका बेटा जाने अनजाने में नहीं बल्कि जानबूझकर यह सब कर रहा है,,,, गाय को खेलते समय अपने लंड को सटाकार कर सटाकर दो-तीन बार धक्के लगा देना,,, रस्सी के टूटने के बाद उसकी मोटी चिकनी जांघों को अपनी हथेली से सहला देना और तो और उसे उठाने में मदद करने के बहाने उसकी बुक पर अपनी हथेली रख देना यह सब जानबूझकर उसका बेटा कह रहा था इसका एहसास उसे अच्छी तरह से हो गया था,,,, और तो और आखिरी पल में जिस तरह से अपनी पत्नी को उसकी पूरी होगी पूरी पर रखकर अपनी बीच वाली उंगली को उसकी बुर की दरार से रगड़ते हुए ऊपर की तरफ लाया था उसकी यह हरकत से पूरी तरह से मधु कामातुर हो गई थी और अपनी उत्तेजना को अपने बस में ना कर सकने के कारण झट से उसका पानी निकल गया था,,,,,,,, जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ था कि बिना चुदवाए ही मधु का पानी निकल गया था,,,, क्योंकि जिस समय राजू अपनी मां की बुर को लगा रहा था उसी समय मधु को अपनी भारी-भरकम गांड पर उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड चुभता हुआ महसूस हुआ था और उसी पल वह पानी छोड़ दी थी,,,, यही सब सोचकर मधु हैरान में जा रही थी कि तभी अपने पति की आवाज को सुनकर उसकी तंद्रा भंग हुई,,,।
अरे भोजन तैयार हो गया क्या,,,,
हां,,,हा,,,, अभी परोसती हुं,,,,,(इतना कहकर थोड़ी देर में ही व खाना परोस कर अपने पति हरिया को दे दी और दूसरे काम में लग गई तब तक गाय को वापस लाकर अपनी जगह पर बात कर राजू घर पर आ गया था लेकिन जो कुछ भी हुआ था उससे भी वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और पहली बार दिन में चुदाई कीए,,,, उसका पानी निकल गया था इसका एहसास उसे अच्छी तरह से हो गया था कि उसकी मां के खूबसूरत बदन में जवानी कूट-कूट कर भरी हुई है,,,, क्योंकि आज उसकी मां बिना अपने बुर में लीए ही उसका पानी निकाल दी थी,,,,,,, राजू हाथ मुंह धो कर अपनी मां के पास आया और बोला,,,।
मा खाना निकाल दो मैं गाय बांध दिया हूं,,,
तू बैठ मैं खाना निकालती हूं,,,,(राजू से नजर मिलाए बिना ही मधु बोली क्योंकि जो कुछ भी हुआ था उसको लेकर मधु की हिम्मत नहीं थी कि वह अपने बेटे से नजर मिला सके,,, लेकिन राजू मैं बिल्कुल भी शर्म नहीं थी क्योंकि वह कई औरतों को भाोग चुका था,,, इसलिए वह अब हर औरत को एक ही नजर से देखता था,,,। जिसमें उसकी मां भी उसके लिए अछूती नहीं थी,,,,,,
राजू खाना खा ही रहा था कि गुलाबी कपड़ों का ढेर लेकर आई और राजू से बोली,,,।
चल जल्दी से खाना खा ले और सारे कपड़े उठाकर नदी पर चल आज इन्हें धोना है,,,
हां यह तु ठीक कर रही है गुलाबी,,,,इससे काम कराया कर दिन भर यहां वहां घूमता रहता है,,,,(खाना खाकर हाथ में लोटा लिए खटिया पर से उठते हुए हरिया बोला,,,, इतने में गुलाबी हरिया के हाथ से लौटा लेते हुए बोली)
लाओ भैया मैं हाथ धुला देती हूं,,,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह दोनों आंगन से थोड़ा बाहर आ गए,,, जहां पर गुलाबी लोटा लेकर थोड़ा सा चूक गई और हाथ धोने के लिए हरिया भी झुकते हुए हाथ आगे कर दिया ऐसा करने से गुलाबी कीमत मस्त चूचियां कुर्ती में से बाहर झांकने लगी गुलाबी जानबूझकर इतना ज्यादा झुक गई थी कि उसके निप्पल तक हरिया को नजर आ रही थी जिसे देखते हुए उसके मुंह में पानी आ रहा था और वह आहे भरने लगा गुलाबी जानती थी कि उसका भाई उसकी कुर्ती में झांक रहा है और इसीलिए वह बोली,,,,)
Kamlaa chachi ki gaand
क्या भैया तुमको तो लगता है मेरी याद ही नहीं आती,,, अरे मेरी ना सही,,,(नजरों से अपनी चुचियों की तरफ इशारा करते हुए) इसकी भी याद नहीं आती,,,
अरे गुलाबी बहुत याद आती है लेकिन क्या करूं तुम्हारे साथ समय बिताने का मौका ही नहीं मिलता,,,,
मौका ढूंढने से मिलता है,,,, और इस तरह का मौका तो बड़ी मुश्किल से ही मिलता है,,, जिसमें हम दोनों साथ में समय बिता सकें,,,
क्यों गुलाबी बुर में ज्यादा खुजली हो रही है क्या,,,(हाथ धोते हुए हरिया बोला,,,)
बहुत खुजली हो रही है भैया मेरी बुर भी तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई है,,, तुम्हारे लंड़के के बिना रहा नहीं जाता,,,
लगता है जल्दी ही तेरी शादी करना पड़ेगा ताकि इधर-उधर तुझे मुंह ना मारना पड़े,,,
शादी जब होगी तब होगी,,,, सुहागरात तो तुम्हारे साथ ही मनाना है,,,,
हाय मेरी जान,,, तेरी बातें मुझे पागल कर रही है जल्द ही तेरी बुर का पानी निकालना पड़ेगा,,,
जल्दी निकालिए ना भैया मुझसे रहा नहीं जाता,,,,,
बुआ तैयार हो चलने के लिए,,,,(अंदर से राजू आवाज लगाता हुआ बोला,,,)
हां,,,,आई,,,,,
(हरिया हाथ धो चुका था अपनी बहन की बातें उसे पूरी तरह से मस्त कर गई थी,,,, अपनी बहन के अल्हड़ जवानी से वह पूरी तरह से पानी पानी हुआ जा रहा था,,,, गुलाबी अपनी गांड मटकाते हुएघर के अंदर की तरफ जाने लगी और हरिया अपनी बहन की मदद की भी गांड को देखकर गरम आहें भरने लगा,,,, थोड़ी देर बाद गुलाबी राजू को लेकर नदी पर पहुंच चुकी थी,,, नदी पर गांव के काफी लोग मौजूद थे क्योंकि सुबह का समय था इसलिए राजू चाहते हुए भी कुछ कर नहीं सकता था,,,,इसलिए वह भी अपनी बुआ के साथ बैठकर कपड़े धोने में उसकी मदद करने लगा,,,,इस समय नदी पर वह अपनी बुआ के साथ कुछ नहीं कर पाएगा इसलिए थोड़ा उदास था क्योंकि वह जो कुछ भी अपनी मां के साथ हरकत किया था उसे सेवा पूरी तरह से गर्म हो गया था और अपनी गर्मी बुआ की जवानी पर उतारना चाहता था लेकिन कुछ कर नहीं सकता था इसलिए उसका मुंह उतरा हुआ था और वह भी कपड़े धोने में मदद कर रहा था गुलाबी उसकी तरफ देखते हुए बोली,,,।
क्यों रे तेरा मुंह क्यों उतरा हुआ है,,,?(कपड़े को धोते हुए)
उतरा तो रहेगा ना,,,
वही तो पूछ रही हूं क्यों,,?
गांड तो देती नहीं हो,,, और पूछती हो क्यों,,
अरे पागल हो गया है क्या तू,,,, सब कुछ तो मैं तुझे दे दी हुं लेकिन गांड नहीं देने वाली,,,,
लेकिन क्यों बुआ,,, बुर चोदने देती हो तो गांड क्यों नहीं,,!
तु अच्छी तरह से जानता है कि मैं तुझे गांड क्यों नहीं दे रही हुं,,,,, तेरा लंड देखा है कितना मोटा है,,,, एकदम मुसल जैसा और मेरी गांड का छेद एकदम छोटा है,,,,, उसमें भला तेरा लंड कैसे घुसेगा,,,,,,
घुस जाएगा बुआ एक बार कोशिश तो करने दो,,,
नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं मैं तुझे वहां पर छूने भी नहीं दूंगी तेरी नियत खराब होती जा रही है,,,, मुझे बहुत डर लगता है,,,
क्या बुआ मा तो एकदम आराम से ले लेती है,,,
तो जाना अपनी मां से ही उसकी गांड मांग ले शायद तेरा लंड देखकर वह भी तेरे से गांड मरवा लेगी,,,
(राजू को अपनी बुआ की यह बात बहुत अच्छी लगी थी,,,, अपने मन में सोचने लगा कि शायद श्याम जैसी किस्मत होती तो उसकी यह इच्छा भी पूरी हो गई होती,,,, लेकिन फिर भी वह अपने बुआ से बोला,,,)
क्या हुआ तुम भी मुझे तो तुम्हारी गांड मस्त लगती है,,,
तो चाट ले चुम ले लेकिन तुझे गांड मारने की इजाजत नहीं दुंगी,,,
अरे कुछ नहीं होगा तेल लगाकर करुंगा ना,,,
तेल लगा या मलाई,,, लेकिन गांड पर बिल्कुल भी नहीं,,,,, ईतना कुछ दे दी हु फिर भी,,, छोटे से छेद के लिए जिद कर रहा है,,,
अरे यह बात नहीं है बुआ मैं भी तो देखूं क्या वाकई में गांड मारने में मजा आती है,,,,
चल हरामी,,, रहने दे ये सब बात और कपड़े धोने में मेरी मदद कर,,,।
(राजू को लगने लगा कि उसकी गांड मारने की इच्छा सिर्फ इच्छा ही बनकर रह जाएगी और वह कपड़े धोने में अपनी बुआ की मदद करने लगा,,,,,, वह कपड़े धो ही रहा था कि उसे कमला चाची की आवाज सुनाई दी जो कि ठीक उसके पीछे से आ रही थी,,,)
क्यों राजू बेटा अब तो दिखाई नहीं देता,,,, कहां रहता है दिन भर,,,
(कमला चाची को अपनी तरफ आती हुई देखकर गुलाबी कमला चाची को प्रणाम करते हुए बोली,,)
नमस्ते चाची,,,
खुश रहो बेटी,,,,
नमस्ते चाची,,,
नमस्ते,,,,,, नमस्ते राजू,,,, और कहो कैसा हाल है,,,
एकदम बढ़िया है चाची,,,
हां एकदम बढ़िया तो रहेगा ही जब काम धाम करना नहीं है तो दिन भर आराम करके और क्या रहेगा,,,(गुलाबी बीच में बोल पड़ी,,)
अरे नहीं बेटा ऐसी कोई बात नहीं है जब जिम्मेदारी आएगी तो खुद ही समझदार हो जाएगा अभी तो इसके खेलने खाने के दीन है,,,,(कमला चाची राजू के सर पर हाथ रखते हुए बोली,,,)
अरे तुम नही जानती चाची,,,, यह बहुत कमी ना है,,,,
देख लेना चाहिए घर वालों के लिए हमें निकम्मा और कमी ना हो लेकिन यह क्या जानती है कि बाहर मेरी कितनी इज्जत है बाहर वालों को मेरी कितनी जरूरत है,,,(कमला चाची की तरफ देखते हुए राजु बोला,,,राजू के कहने का मतलब को कमला चाची अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए उसके होठों पर मुस्कान आ गई,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
लेकिन तुम यहां क्या कर रही हो चाची,,,,
अरे मैं भी कपड़े धोने के लिए आई थी बहू भी पीछे पीछे आ गई वह देख बहू कपड़े धो रही है,,, मैं भी सोची चलो 1 साथ दो काम हो जाएगा कपड़े भी सुख जाएंगे और हम नहा भी लेंगे,,,
चलो यह भी अच्छा है,,,,(गुलाबी कमला चाची की तरह मुस्कुराते हुए देख कर बोली तो कमला चाची की मुस्कुराकर अपनी बहू की तरफ जाते हुए बोली,,,)
आते रहना राजू,,,
जी चाची,,,,
गुलाबी और राजू ने मिलकर सारे कपड़े धो लिया था और गुलाबी कपड़ों को झाड़ियों पर डालने के लिए ले जा रही थी इतने मे राजु नदी में उतर गया था,,,, गुलाबी जैसे कपड़े डाल कर वापस आई तो राजू को नदी में देख कर बोली,,,
तेरा नहाना जरूरी था क्या मुझे नहाने दे चल बाहर निकल,,,,
तुम वहीं बैठ कर नहा लो ना बुआ,,,,
नहीं मुझे भी आज नदी में उतर कर नहाना है,,,।
(अपनी बुआ की बात सुनकर वह तुरंत नदी में ही अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर अपने पजामे को उतारने लगा और अगले ही पल अपने पजामा को उतारकर नदी में हो पूरी तरह से नंगा हो गया और पैजामा को नदी से बाहर की तरफ फेकते हुए बोला,,,,)
लो जब तक मैं नहा लूंगा तब तक कपड़े भी सुख जाएंगे तुम थोड़ा सा धोकर करें झाड़ियों पर डाल दो,,,
बाप रे तुझे शर्म नहीं आती एकदम नंगा हो गया है,,,।
इसमें शर्म कैसी बुआ तुम भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नदी में आ जाओ बहुत मजा आएगा एक साथ नंगे होकर नहाने में,,,
धत्,,, तु बहोत बेशर्म हो गया है तू नहाकर निकलेगा तभी मैं नहाऊंगी,,,,,,(और इतना कहकर वही बड़े पत्थर पर बैठ गई और उसके पजामे को धोने लगी,,,, काफी देर तक रघु नदी के ठंडे पानी में इधर से उधर तैर कर नहा रहा धीरे-धीरे वहां से सब लोग जाना शुरू हो गए थे और अब केवल कमला चाची ही उसकी बहू और उसकी गुलाबी बुआ और वो खुद रह गया था,,,, कमला चाची और उसकी बहू नदी में उतर कर ठंडे पानी का मजा ले रहे थे,,,, कमला चाची और उसकी बहू दोनों अपना ब्लाउज में कहां रख कर नदी के किनारे रख दिए थे केवल साड़ी लपेट कर नदी में उतरे थे,,,, कमला चाची किनारे पर बैठकर नहा रही थी और उनकी बहू जो कि अभी पूरी तरह से जवान थी वह थोड़ा हिम्मत करके नदी के बीच मैं धीरे धीरे चलते हुए आ रही थी,,,, चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था नदी के किनारे दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए थे जिससे उसके छांव में पानी और ज्यादा ठंडा महसूस होता था,,, गुलाबी किनारे पर बैठे-बैठे ही नहाना शुरू कर दी थी,,, कमला चाची की बहू की नजर राजू पर पड़ तू की थी इसलिए वह राजू को देख देख कर मुस्कुरा रही थी,,, राजू समझ गया था कि उसके बदन पर ब्लाउज नहीं है उसकी चूचीया एकदम नंगी है जो की भीगी हुई साड़ी ऊपर डालने की वजह से चूचियों का गोलाकार एकदम साफ नजर आ रहा था,,,, जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था वह नदी के पानी में भी उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,,, राजू इशारा करके उसे अपने पास नदी के बीचों-बीच बुला रहा था,,,,,, राजू से मिलने के लिए वह भी बेकरार थी,,,, उसका मन भी मचल रहा था राजु से मिलने के लिए,,,
और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी,,,यह जानते हुए भी कि नदी के बीचो-बीच पानी बहुत गहरा है उसे तो राजू से मिलने की धुन सवार थी,,,,कमर तक बहरा पानी धीरे-धीरे उसकी कमर से ऊपर की तरफ आने लगा जैसे जैसे अपनी कदम आगे बढ़ा रही थी वैसे वैसे पानी ऊपर की तरफ जा रहा था,,,, पीछे से कमला चाची आवाज भी लगा रही थी कि आगे मत जा आगे पानी गहरा है,,,, कमला चाची को रत्ती भर भी शक नहीं था कि वह राजू से मिलने जा रही हैं,,,, और आगे कदम बढ़ाते हैं उसका पांव मिट्टी में फिसल गया और वह गिरने लगी,,, उसे तेरना बिल्कुल भी नहीं आता था इसलिए छटपटाने लगी,,,,, राजू समझ रहा था कि उसे तैरना आता है इसलिए वह नदी के बीचो-बीच ही खड़ा रहा लेकिन जब करना चाहती जोर से चिल्लाई तब उसे आभास हुआ कि कमला चाची की बहू को तैरना नहीं आता,,,,, नदी के बीच के पानी के बहाव में कमला चाची की बहू राजू की तरफ बहने लगी और कमला चाची किनारे पर खड़े होकर राजू को ही उसे बचाने के लिए बोल रही थी क्योंकि वहां अब कोई भी नहीं था,,,,।
जब यह एहसास हुआ कि करना चाहती की बहू वाकई में तेरा नहीं जानती तब राजू भी लपका और अगले ही पल वह कमला चाची की बहू को अपने हाथों से पकड़ लिया,,,, अब डरने वाली कोई बात नहीं थी इसलिए कमला चाची की बहू को अपनी बांहों में भरते हुए बोला,,,।
डरो मत मेरी जान अब तुम्हें कुछ नहीं होगा तुम मेरी बाहों में,,,,(कमला चाची की बहू एकदम से घबरा चुकी थी,,,अभी थोड़ी देर बाद ही उसे एहसास हो गया कि वह सुरक्षित हाथों में है तो वह सुकुन की सांस ली,,, नदी के बाहर खड़ी गुलाबी भी चैन की सांस ली जब राजू ने नदी के बीचो-बीच डूबती हुई कमला चाची की बहू को थाम लिया,,,, राजू की बाहों में अपने आप को पाकर कमला चाची की बहू राहत की सांस ले रही थी और यह देखकर की राजू ने उसकी बहू को डूबने से बचा लिया है कमला चाची भी प्रसन्ना नजर आने लगी लेकिन राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई थी क्योंकि वह नदी में भी अत्यधिक उत्तेजित हो गया था,,, नदी के बहाव में कमला चाची की बहू की साड़ी निकल चुकी थी इसी का फायदा उठाते हुए कमला चाची की बहू को अपने बाहों में भर कर पकड़े हुए बोला,,,)
भाभी तुम्हारी साड़ी तो निकल गई है,,,,
जान बच गई यही बहोत है,,,
तो फिर पेटीकोट को भी जाने दो,,,(इतना कहने के साथ ही पानी के अंदर हाथ डाले हुए हैं वह कमला चाची की बहू की पेटीकोट का नाड़ा खींच लिया और अगले ही पल पेटीकोट एकदम ढीली हो गई जिसे राजू अपने हाथों से उतारने लगा,,,
नहीं नहीं राजू ऐसा मत कर मैं एकदम नंगी हो जाऊंगी और बाहर कैसे जाऊंगी,,,
तुम चिंता मत करो भाभी जान बच गई यही बहुत है ,,,(और अगले ही पल राजू ने पेटीकोट भी उतार दिया और वह एकदम नंगी हो गई,,,, राजू का लंड बार-बार उसके पेट में उसकी जांघों पर रगड़ खा रहा था नदी के ठंडे पानी में भी राजू के नंद की गर्मी कमला चाची की बहु अपने बदन में महसूस कर रही थी,,,, तुम्हें चाची की बहू कुछ समझ पाती इससे पहले ही राजू उससे बोला,,,।
मेरी जान अपनी बाहों का हार मैंने गले में डालकर पकड़े रहना,,
सासू मां देख रही है तुम्हारी बुआ भी,,,
वह दोनों को बिल्कुल भी शक नहीं होगा,,,, क्योंकि अपनी हालत देख रही हो सिर्फ हम दोनों का सिर ही बाहर है बाकी सब कुछ अंदर है,,,
( राजू के कहने का मतलब को कमला चाची की बहू एकदम अच्छे से समझ गई थी और वह घबरा दी गई थी पानी के अंदर चुदाई के बारे में कभी सोचा भी नहीं थी और वादी किनारे पर खड़े अपनी सासू मां की आंखों के सामने,, इसलिए वह राजू को रोकते हुए बोली,,)
नहीं नहीं राजू ऐसा मत कर,,, सासू मां को शक हो गया तो कहीं की नहीं रह जाऊंगी,,,
अरे कुछ नहीं होगा मेरी जान,,,(और इतना कहने के साथ ही नदी के बीचो-बीच नदी के ठंडे पानी में गले तक डूबे हुए ही वह कमला चाची की बहू की गांड की दोनों फांकों को पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाया और उसकी दोनों टांगों को अपनी कमर के इर्द-गिर्द लगने के लिए और ऐसा करने के साथ ही एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने लंड को कमला चाची की बहू की बुर में डाल दिया और पल भर में राजू का लंड कमला चाची की बहू की बुर में घुस गया,,, हल्की सी आहहह की आवाज के साथ कमला चाची की बहू राजू को और कस के पकड़ ली,,,राजू धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए कमला चाची की बहू की चुदाई करना शुरू कर दिया था और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,,
किनारे पर खड़ी कमला चाची और उसकी बुआ को तो बिल्कुल भी शक ही नहीं हो रहा था कि ऐसे हालात में भी राजू कमला चाची की बहू की चुदाई करना है उन दोनों को तो ऐसा ही लग रहा था कि वह उसे बचाकर सहारा देकर बाहर लेकर आ रहा है,,,,पानी के अंदर चुदाई का यह राजू और कमला चाची की बहू का पहला अनुभव था कमला चाची की बहु पुरी तरह से मस्त में जा रही थी नदी के अंदर भी राजू उसकी जबरदस्त तरीके की चुदाई कर रहा था पूरा लंड उसकी बुर की गहराई नाप रहा था और नदी में आगे बढ़ते हुए कमला चाची और उसकी बुआ को बिल्कुल शक ही नहीं हो रहा था कि,,, नदी के बीचो-बीच वह चुदाई कर रहा है राजू गठीले बदन का मालिक था जवानी से भरा हुआ मर्दाना ताकत उसकी नसों में उबाल मार रहा था बड़े आसानी से वह नदी में तैर कर आगे बढ़ते हुए पानी की गहराई में अपने लंड को उसकी बुर के अंदर बाहर कर रहा था,,,,।
तू बहुत कमी ना है,,,
क्या करूं भाभी तुम जैसी खूबसूरत भाभी अगर नंगी हो तो कमी ना बनना ही पड़ता है,,,,
देखना अगर मेरी सास को जरा भी शक हो गया ना तो मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगी,,,
हाय मेरी जान तुम्हारी जवानी ने वैसे भी कौन सा जिंदा छोड़ा है,,,, तुम्हारी तड़पती हुई जवानी,,,(एक हाथ से कमला चाची की बहु की चूची को दबाते हुए) मेरे दिल पर रोज ना जाने कितनी छुरियां चलाती है,,,।
तो घर क्यों नहीं आता मेरी जवानी को लुटने के लिए,,,
अरे मेरी भाभी जान रोज-रोज घर पर आऊंगा तो शक नहीं हो जाएगा,,, और मैं नहीं चाहता कि तुम किसी भी तरह से बदनाम हो,,,।
अच्छा बच्चु यह जो मेरी सासू मां के सामने मेरी चुदाई कर रहा है वह क्या है,,,
उन्हें पता चलेगा तब ना उन्हें तो ऐसा ही लग रहा है कि मैं तुम्हें बचा कर नदी से बाहर ला रहा हूं उन्हें क्या पता कि नदी के बीचो-बीच तुम्हारी चुदाई कर रहा हूं,,,,
आहहहह,,,
क्या हुआ मेरी जान,,, ज्यादा अंदर तक घुस गया क्या,,?
हरानी पानी में भी इतना जोर जोर से धक्का मार रहा है,,,,
लेकिन मजा तो आ रहा है ना भाभी,,,,
चल मैं कुछ नहीं बोलूंगी तु जल्दी-जल्दी कर,,,
हाय मेरी भाभी कितनी उतावली हुए जा रही है जोर-जोर से चुदवाने के लिए,,,,
धत पागल ,,,,
राजू भी अच्छी तरह से जानता था कि ज्यादा देर तक वह नदी के बीचो-बीच नहीं रह सकता है क्योंकि बाहर कमला चाची इंतजार कर रही थी इसलिए वह जोर जोर से धक्के लगा रहा था और देखते ही देखते कमला चाची की बहू के साथ साथ वह भी झड़ गया चढ़ते समय कमला चाची की बहु कस के राजु को अपनी बाहों में भर ली थी,,,, राजू का लंड पानी छोड़ दिया था इसलिए वह अपने लंड को बाहर निकाल लिया था और देखते ही देखते हो एकदम किनारे तक पहुंच गया था लेकिन वह बीच गहराई मे नहीं रुका रह गया,,,, क्योंकि अब कमर तक पानी में आराम से जा सकती थी और जैसे ही राजू ने उसे किनारे पर जाने के लिए छोडा, वैसे ही कमला,, चाची की बहू उससे अलग हुई और दोनों हाथों से अपनी छातियों को छुपा कर आगे बढ़ने लगी,,,, राजू नदी से बाहर नहीं आया था और बिना कुछ बोले वापस दूसरी तरफ चला गया था वह वहीं पर खड़ा होकर रुकना नहीं चाहता था क्योंकि ऐसा करने पर कमला चाची को अजीब लग सकता था,,,,।
आजा मेरी बेटी आज तो अनहोनी हो जाती,,, भला हो राजू का की नदी में ही मौजूद था,,,, ( वह इतना कह रही थी कि कमला चाची की बहू नदी से बाहर आ गई और एकदम नंगी से नंगी देखकर कमला चाची एकदम से चौंक गई और बोली,,)
हाय दैया तेरे कपड़े कहां है पेटीकोट कहां गई तू तो पूरी नंगी हो गई है,,,
वह क्या है ना माजी की नदी के बीचो-बीच पानी का बहाव बहुत तेज था और उसी तेज बहाव में मेरी साड़ी और पेटीकोट भी निकल गई,,,,
(अपनी बहू की बात सुनकर इधर उधर देखते हुए)
चल कोई बात नहीं जान तो बच गई ना जान है तो जहान है,,,(इतना कहने के साथ ही वह सूखे हुए कपड़े लाकर उसे थमा दी और वह जल्दी-जल्दी पहन ली,, तब तक अपने कपड़े पहन कर गुलाबी भी वहां पर आ चुकी थी और बोली,,,)
तुम ठीक तो हो ना भाभी,,,
हां,,, ठीक तो हूं लेकिन अगर आज राजी ना होता तो शायद मैं ना होती,,,
तुम सच कह रही हो भाभी अच्छा हुआ मैं अपने साथ राजू को लेकर आई,,,, वरना इस समय दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा है सब जा चुके हैं,,,,
हां गुलाबी भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि जान बच गई,,,,
थोड़ी देर में कमला चाची और उसकी बहू चली गई,,,, गुलाबी भी सारे कपड़ों को समेटकर वही किनारे पर रख दी और अभी भी नदी में नहा रहे राजू को बोली,,,,।
कपड़ों को लेते आना मैं जा रही हूं,,,,।
(राजू नदी में से ही गुलाबी की तरफ देख कर मुस्कुराने लगा क्योंकि उसने अपनी जवानी की गर्मी कमला चाची बहू की चुदाई करके शांत कर लिया था,,)