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Incest बैलगाड़ी,,,,,

rohnny4545

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
राजू अपने पिता हरीया से किये वादे के मुताबिक बैलगाडी के साथ स्टेशन पर जाने लगा कुछ दिनों में वो सब सिख भी गया
एक दिन गाडी राह देखते वो,हरीया और अशोक स्टेशन पर थे हरीया और अशोक बैलगाडी पर बैठे बाते कर रहे हैं राजू स्टेशन के अंदर सवारी की प्रतिक्षा कर रहा था और बाहर दोनों ने शराब और बिडी पिना शुरु किया अशोक शराब की नशे में धूत हो गया लेकीन घर तो जाना ही था तो हरीया के दिशानिर्देश में निकल पडे घर की ओर राजु को गुलाबी की गुलाबी बुर की आदत लग गयी है उसे चोदे बगैर निंद नहीं आती हरीया के कहे अनुसार अशोक के घर पहुंचने पर देर हो जाये तो वही रुकने को कहा अशोक का घरं राजु के गाँव से दो गाँव आगे था पुछते पुछते राजु अशोक के घर पहुंच ही गया आवाज देने पर जो औरत ने दरवाजा खोला तो राजु उस मदमस्त मदानिक जो जवानी से भरपूर गदराई थी उसे देख कर दंग रह गया अब आगे जो होगा वो तो हम सब जानते ही हैं बस अशोक की घरवाली राजू के निचे कैसे और कौनसी परिस्थिती में आती है वो देखना है
राजू की तो निकल पडी खैर
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Kya baat hai bahut hi jabardast comment
 

rohnny4545

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rohnny4545 bhai शायद कोई नये धमाके की आहट है। तभी अशोंक की बीवी इतनी मादक है ।
अगले अपडेट का इन्तजार है।
कमला चाची की गाण्ड भी तडप रही है। इसीलिए यहां से राजू को जल्दी फ्री करना।
Jordaar
 

Sanju@

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राजू की किस्मत वाकई में बहुत तेज थी ऐसा लगता है कि कामदेव ने खुद अपने हाथों से राजे की किस्मत लिखी थी इसलिए,,, आए दिन राजू को नई बुर का स्वाद चखने को मिल रहा था,,,,,, और राजू अपनी किस्मत से बेहद खुश था और अपने आप पर गर्व महसूस करता था,,,


वादे के मुताबिक राजू अपने पिताजी के साथ रेलवे स्टेशन पर जाने लगा धीरे-धीरे उसे बेल गाड़ी चलाने में मजा भी आने लगा और वह बहुत ही जल्द रेलगाड़ी को चलाना सीख गया था,,,, कौन सी जगह का कितना किराया है यह भी उसे बहुत ही जल्द पता चलने लगा,,,,,, रेलवे स्टेशन के अंदर जाना वहां से सवारी लेना उनका सामान लेकर बैलगाड़ी पर रखना यह सब बड़े जल्दी राजू सीख गया था और हरिया बहुत खुश नजर आ रहा था क्योंकि उसकी मदद करने वाला जो मिल गया था हरिया अपने मन में यही सोचता था कि जैसे तैसे करके बाहर लाला का उधार चुका दे तो कुछ उधार पैसे ले करके एक बैलगाड़ी और ले ले ताकि उसका बेटा भी उसकी मदद करें और आमदनी भी अच्छी हो जाए,,,,,,,,,,,


धीरे धीरे राजू की वजह से हरिया की आमदनी बढ़ने लगी थी हरिया बहुत खुश था ऐसे ही एक दिन शाम ढलने वाली थी और हरिया बेल गाड़ी लेकर स्टेशन के बाहर खड़ा था कि कोई आखिरी सवारी मिल जाए तो जाते-जाते कुछ आमदनी हो जाए ,,, हरिया का मित्र अशोक भी वहीं बैठा हुआ था,,, दोनों आपस में बातचीत कर रहे थे,,, और राजू रेलवे स्टेशन के अंदर जाकर ट्रेन आने का इंतजार कर रहा था ताकि सवारी मिल सके,,,,।

अच्छा हुआ हरिया तु अपने बेटे को भी काम पर लगा दिया नहीं तो दिन भर इधर-उधर घूमता रहता,,,,


हां इसीलिए तो,,,, मैं भी सोचा कि कुछ मदद हो जाएगी आजकल खांसी परेशान किए हुए हैं,,,,


तू भी तो दिन भर बीडी फुंकता रहता है ऐसा नहीं कि बीडी छोड़ दु,,,


क्या करूं यार छुटती ही नहीं है,,, और तू भी तो दिन भर शराब पीते रहता है,,, अभी कुछ दिन पहले ही तेरी बीवी मिली थी,,, रोने जैसा मुंह हो गया था,,, तेरे सर आप से एकदम परेशान हो गई है,,,, तू छोड़ क्यों नहीं देता,,,


अब तेरे जैसा हाल मेरा भी है जैसे तुझसे बीड़ी नहीं छोड़ी जा रही वैसे मैं से शराब भी नहीं छोड़ा जा रहा है,,,, हम दोनों साथ में ही भुगतेंगे,,,,(ऐसा कहकर वह हंसने लगा,,,, धीरे-धीरे समय बीत रहा था और सवारी मिलने का नाम नहीं ले रहे थी तो,,, हरिया का मित्र अशोक ने धोती में शराब की बोतल निकाला उसका ढक्कन खोलने लगा देखकर हरिया बोला,,,)

देख अब अभी पीना मत शुरू कर दे तुझे घर भी वापस जाना है रात हो रही है,,,, और तु मुझसे दो गांव आगे रहता है,,,।


अरे कुछ नहीं होगा यार यह तो मेरे रोज का है ले तू भी ले ले,,,,


नहीं नहीं शराब तुझे ही मुबारक हो,,, मेरी तो बीडी ही सही है,,,(ऐसा कहते हुए वह भीअपने कुर्ते की जेब में से बीडी निकाल कर उसे दिया सलाई से सुलगाया और पीना शुरू कर दिया,,, और अशोक पूरी सीसी मुंह में लगाकर घूंट पर घुट मारने लगा,,,, नतीजा यह हुआ कि उसे शराब चढ़ने लगी,,,, थोड़ी ही देर में वह पूरी तरह से नशे में धुत हो गया,,,
अंधेरा हो चुका था घर जाना जरूरी था और सवारी मिलने का कोई ठिकाना ना था हरिया सोचा कि जाकर स्टेशन से राजू को वापस बुला ले और यही सोचकर वह बैलगाड़ी से नीचे उतरा कि सामने से राजू आता हुआ दिखाई दिया वह हरिया के पास आकर बोला,,,,।)

पिताजी आज ट्रेन लेट है देर रात को आएगी और तब तक हम रुक नहीं सकते,,,।


हां तु ठीक कह रहा है,,, इसलिए मैं भी तुझे बुलाने ही वाला था,,,

तो घर चले,,,


हां चलना तो है लेकिन,,ये, अशोक पूरी तरह से नशे में धुत हो गया,, है,,,,।
(इतना सुनते ही राजू अशोक की बेल गाड़ी के पास गया और उसका हाथ पकड़ कर हिलाते हुए बोला)


चाचा ओ चाचा,,, उठो घर नहीं चलना है क्या,,,।
(इतना सुनकर वह थोड़ा सा उठा और)

हममममम,,,,,,,, इतना कहने के साथ फिर से लुढ़क गया,,, उसकी हालत को देखते हुए राजू बोला,,।

पिता जी यह तो बिलकुल भी होश में नहीं है,,,


हां मैं भी देख रहा हूं पता नहीं यह घर कैसे जाएगा,,,जा पाएगा भी कि नहीं और रात को यहां पर छोड़ना ठीक नहीं है यह पूरी तरह से नशे में है अगर कोई चोर उचक्के आ गए तो ईसकी बेल गाड़ी भी लेकर रफूचक्कर हो जाएंगे,,,


तो फिर करना क्या है पिताजी,,,,


करना क्या है इसे घर तक पहुंचाना है,,, तू बैलगाड़ी अच्छे से चला तो लेगा ना,,,


बिल्कुल पिता जी मैं एकदम सीख चुका हूं,,,

Madhu ki gaand



तब तो ठीक है देख रात काफी हो चुकी है,,,,,, चांदनी रात है इसलिए कोई दिक्कत तो नहीं आएगी लेकिन फिर भी इसे इसके घर तक पहुंचाना जरूरी है एक काम कर तु इसकी पहल गाड़ी ले ले और इसे इसके घर पर छोड़ देना,,,,


फिर मैं वहां से आऊंगा कैसे,,,


हां यह बात भी ठीक है,,,,,(कुछ सोचने के बाद)अच्छा तो एक काम करना कि अगर ज्यादा देर हो जाए तो वहीं पर रुक जाना अशोक के वहां ही सो जाना,,,,
(वैसे तो वहां रुकने का उसका कोई इरादा नहीं था क्योंकि रात को गुलाबी गुलाबी बुर चोदे बिना उसका भी मन नहीं मानता था उसे नींद नहीं आती थी,,, फिर भी वह बोला,,)

ठीक है पिताजी जैसा ठीक लगेगा वैसा करूंगा,,,
(राजू अपने मन में यह सोच रहा था कि अगर सही लगा तो वह वापस लौट आएगा अगर ज्यादा रात हो गई तो वहां से आना भी ठीक नहीं है इसलिए वह वहीं रुक जाएगा,,, दोनों चलने की तैयारी करने लगे,,, हरिया आगे आगे अपनी बेल गाड़ी लेकर चल रहा था और पीछे राजू राजू के लिए यह पहला मौका था जब वहां के रेलगाड़ी को संपूर्ण आजादी के साथ चला रहा था बेल की लगाम उसके हाथों में थी जहां चाहे वह वहां मोड सकता था उसी बेल गाड़ी चलाने में मजा भी आ रही थी,,, आगे आगे चलते हुए हरिया उसे निर्देश भी दे रहा था,,,।)

Raghu ka musal or Gulabi ki boor

देखना आराम से जल्दबाजी ना करना कहीं ऐसा ना हो कि बेल भड़क जाए और भागना शुरू कर दे तब दिक्कत हो जाएगी आराम से प्यार से,,,


चिंता मत करो पिताजी मैं चला लूंगा,,,,
(ऐसा कहते हुए राजु अपने पिताजी के पीछे पीछे चलने लगा,,, राजू के साथ-साथ हरिया भी खुश था कि उसका बेटा बड़े आराम से बैलगाड़ी को चला ले रहा है,,, देखते ही देखते राजू का गांव आ गया और मुख्य सड़क से कुछ निर्देश देते हुए हरिया अपनी बैलगाड़ी को नीचे गांव की तरफ उतार लिया और राजू को आगे बढ़ जाने के लिए बोला क्योंकि यहां से 2 गांव आगे अशोक का गांव था,,,। हरिया बिल्कुल सहज था लेकिन जैसे हीराजू बेल गाड़ी लेकर अशोक के गांव की तरफ आगे बढ़ने लगा तभी उसके दिमाग में खुराफात जागने लगी राजू की गैर हाजिरी मे उसका मन मचलने लगा और वो जल्दी जल्दी घर पर पहुंच गया,,,, और दूसरी तरफ राजू अपनी मस्ती में बेल को हांकता हुआ आगे बढ़ता चला जा रहा था,,, चांदनी रात होने की वजह से सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, रात तो हो चुकी थी लेकिन फिर भी इक्का-दुक्का लोग सड़क पर आते जाते नजर आ जा रहे थे,,, राजू अपने मन में सोचने लगा कि जल्दी से अशोक चाचा को उसके घर पहुंचाकर वापस अपने गांव आ जाएगा क्योंकि गुलाबी की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार उसे बहुत याद आ रही थी,,,।

अशोक के गांव को जाने वाली सड़क थोड़ी संकरी थी इसलिए बड़ा संभाल कर राजू अपने बैल को आगे बढ़ा रहा था क्योंकि जरा सा इधर-उधर होने पर बेल गाड़ी नीचे खेतों में उतर जाती है फिर तो और मुश्किल हो जाती इसलिए वह किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहता था और चांदनी रात में उसे सहारा भी मिल रहा था,, उसे सब कुछ नजर आ रहा था,,,,।

Raju ki ma ki raseeli boor


तकरीबन 1 घंटा अपने गांव से बैलगाड़ी को और ज्यादा चलाने पर अशोक का गांव आ गया था लेकिन अशोक का घर कौन सा है उसे मालूम नहीं था,,, और रात होने की वजह से कोई नजर भी नहीं आ रहा था,,,, गांव में पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था और वैसे भी आज रेलवे स्टेशन से आने में देर हो गई थी,,, राजू के मन में अजीब अजीब से ख्याल आ रहे हैं अपने मन में सोचने लगा कि अगर अशोक के घर पर रुकना पड़ गया तो आज की रात वह चुदाई कैसे कर पाएगा,,, गुलाबी को चोदे बिना तो उसका भी मन नहीं मानता था राजू अपने मन में सोचने लगा कि भले ही उसकी बुआ उसे अपनी गांड नहीं देती लेकिन दुनिया की सबसे बेश कीमती खजाना तो उसे सौंप देती है,,, और एक जवान लड़के को रात गुजारने के लिए क्या चाहिए,,,,,,, हे भगवान कहां फंस गया बेवजह मुसीबत मोल ले लिया कह देना चाहिए था कि मुझे बेल गाड़ी अभी ठीक से चलाना नहीं आता ताकि घर पर इत्मीनान से अपनी बुआ के साथ रात तो गुजार सकता था,,,,,, यहां तो कोई नजर भी नहीं आ रहा है,,,अपने मन में यही सोचता हुआ राजू धीरे-धीरे बैलगाड़ी को आगे बढ़ा रहा था वह अपने मन में सोच रहा था कि कोई नजर आ जाता तो उसी से अशोक चाचा का घर पूछ लेता,,,,


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यही सोचता हुआ राजू आगे बढ़ रहा था कि तभी उसे घास फूस की झोपड़ी में एक बुजुर्ग इंसान बैठे हुए नजर आए जो कि जोर-जोर से खास रहे थे,,, बस फिर क्या था राजू तुरंत बैलगाड़ी को खड़ा करके बैलगाड़ी से नीचे उतरा और उस बुजुर्ग इंसान के पास गया और बोला,,,।


दादा प्रणाम,,,

अरे खुश रहो बेटा इतनी रात को कहां,,,


अरे दादा जी अशोक चाचा के घर जाना था बेल गाड़ी वाले,,,


अच्छा-अच्छा अशोक के घर,,,


हां दादा अशोक के घर,,,,


यहां से,,,(जोर जोर से खांसते हुए रुक गए और फिर थोड़ा जल्दी जल्दी सांस लेते हुए बोले मानो कि जैसे उनकी सांस फूल रही हो,,) तीन घर छोड़ने के बाद वह जो बड़ा सा पेड़ नजर आता है ना घना,,,, बस वही अशोक का घर है,,,,(राजू उस बुजुर्ग के उंगली के इशारे की तरफ देखता हुआ)

जो बड़ा सा पेड़ नजर आ रहा है वही ना दादा,,,,

हां बेटा वही,,,


बहुत-बहुत धन्यवाद दादा,,,,
(इतना कहने के साथ ही राजू वापस बैलगाड़ी पर बैठ गया और बेल को हांकने लगा,,,अब बेल को भी अपना ठिकाना मालूम था इसलिए वह बिना रुके हैं उस घने पेड़ के नीचे आकर रुक गया,,,, राजू बैलगाड़ी से नीचे उतरा और दरवाजे पर पहुंच कर दरवाजे की सीटकनी को हाथ में पकड़ कर उसे दरवाजे पर बजाते हुए बोला,,,)


चाची,,,,ओ ,,,,चाची,,,,,,,
(कुछ देर तक किसी भी तरह की आवाज अंदर से नहीं आई तो राजू जोर से दरवाजे के सिटकनी को पटक ते हुए आवाज लगाया,,,)

चाची अरे जाग रही हो कि सो गई,,,,,।
(थोड़ी देर में राजू को अंदर से कुछ हलचल की आवाज सुनाई थी तो वह समझ गया कि चाची जाग गई है,,,, और वह शांत होकर खडा हो गया,,,, दरवाजे की तरफ आते हुए उसे पायल और चूड़ियों की खनकने की आवाज आ रही थी,,, और अगले ही पल दरवाजा खुला,,,और अभी दरवाजा ठीक से खुला ही नहीं था कि तभी राजू बोला,,)

ओ,,, चाची क्या है ना कि अशोक चा,,,,(अभी वह पूरी बात बोल ही नहीं पाया था कि उसके शब्द उसके गले में ही अटक कर रह गए क्योंकि दरवाजा खुलने के साथ जो नजारा उसकी आंखों के सामने दिखाई दिया उसे देखते ही वह एकदम से दंग रह गया,,,, दरवाजे पर एक खूबसूरत औरत खडी थी,,, एकदम गोल चेहरा भरा हुआ,,, बाल एकदम खुले हुए थे वह एक हाथ में लालटेन पकड़ी हुई थी जिसकी पीली रोशनी में उसका खूबसूरत भरा हुआ चेहरा एकदम साफ नजर आ रहा था राजू उसके खूबसूरत चेहरे की तरफ देखता ही रह गया लाल लाल होंठ तीखे नैन नक्श गोरे गोरे गाल एकदम भरे हुए माथे पर बिंदिया और नाक में छोटी सी नथ,,, राजू तो देखता ही रह गया,,,, वह अभी भी थोड़ी नींद में थी राजू कुछ और बोल पाता इससे पहले ही राजू की नजर उस की भरी हुई छाती ऊपर गई तो उसके होश उड़ गए,,, ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे जो कि शायद गर्मी की वजह से वह सोते समय खोल दी थी जिसकी वजह से उसकी आंखें से ज्यादा चूचियां बाहर आने के लिए मचल रही थी और लालटेन की पीली रोशनी में अपनी आभा बिखेर रही थी,,,, अशोक की बीवी को देखकर तो राजू के होश उड़ गए थे वह पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी लगता ही नहीं था कि यह अशोक की बीवी है क्योंकि अशोक एकदम मरियल सा शराबी व्यक्ति था,,, और उसकी आंखों के सामने जो खड़ी थी वह तो हुस्न की मल्लिका लग रही थी,,,,अभी भी उसकी आंखों में नींद थी इसलिए वह जबरदस्ती अपनी आंखों की पलकों को खोलने की कोशिश करते हुए बोली,,,।)


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कौन ,,,,इतनी रात गए,,,,,


अरे चाची मैं हूं,,, राजू अशोक चाचा को लेकर आया हूं शराब पीकर बेल गाड़ी चलाने के होश में नहीं थे इसलिए मुझे आने पड़ा,,,

(अशोक का जिक्र होते ही वह एकदम से हड़बड़ा गई,,,,,)

कहां है,,,,वो,,,,,(इतना कहते हुए वह दरवाजे पर खड़ी होकर ही बाहर को इधर-उधर झांकने लगी,,,)

अरे बैलगाड़ी में है,,, आओ थोड़ा सहारा देकर उन्हें अंदर ले चलते हैं,,,,)

चलो चलो जल्दी चलो,,, मैंने कितनी बार कहीं हूं कि साथ छोड़ दो लेकिन यह है कि मेरी सुनते ही नहीं,,,(ऐसा कहते हैं शुरुआत में लालटेन लिए हुए घर से बाहर निकल आई)
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है

राजू अपने पिता हरीया के साथ स्टेशन पर जाने लगा है और बैलगाड़ी भी सिख गया है
एक दिन शाम ढलते समय सवारी के लिए राजू स्टेशन के अंदर सवारी की प्रतीक्षा कर रहा था और हरिया और अशोक दोनो बाहर बैठे थे बाहर बैठकर दोनों ने शराब और बिडी पिना शुरु किया अशोक शराब की नशे में धूत हो गया और दोनो को घर तो जाना ही था तो हरीया के कहने पर राजू अशोक की बैलगाड़ी लेकर घर की निकल पड़े हरीया के कहे अनुसार अशोक के घर पहुंचने पर देर हो जाये तो वही रुकने को कहा लेकिन राजु को गुलाबी की बुर की आदत लग गयी थी और उसे चोदे बगैर नीद नहीं आती थी अशोक का घरं राजु के गाँव से दो गाँव आगे था पुछते पुछते राजु अशोक के घर पहुंच ही गया आवाज देने पर जिस औरत ने दरवाजा खोला उसकी जवानी को देख कर दंग रह गया अब देखते हैं आगे क्या होता है
 

rohnny4545

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है

राजू अपने पिता हरीया के साथ स्टेशन पर जाने लगा है और बैलगाड़ी भी सिख गया है
एक दिन शाम ढलते समय सवारी के लिए राजू स्टेशन के अंदर सवारी की प्रतीक्षा कर रहा था और हरिया और अशोक दोनो बाहर बैठे थे बाहर बैठकर दोनों ने शराब और बिडी पिना शुरु किया अशोक शराब की नशे में धूत हो गया और दोनो को घर तो जाना ही था तो हरीया के कहने पर राजू अशोक की बैलगाड़ी लेकर घर की निकल पड़े हरीया के कहे अनुसार अशोक के घर पहुंचने पर देर हो जाये तो वही रुकने को कहा लेकिन राजु को गुलाबी की बुर की आदत लग गयी थी और उसे चोदे बगैर नीद नहीं आती थी अशोक का घरं राजु के गाँव से दो गाँव आगे था पुछते पुछते राजु अशोक के घर पहुंच ही गया आवाज देने पर जिस औरत ने दरवाजा खोला उसकी जवानी को देख कर दंग रह गया अब देखते हैं आगे क्या होता है
Laajawab
 

nilu12

I am a man, by mistakly username taken as nilu
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Hariya ke sath gulabi ko dekh ke kya reaction dega raju ye dekhane wali bat hogi..
Raju gussa karega. Ya cuckold banega. Gulabi ko chudate hue khud uttejit hoga
 

Raj_sharma

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रोनी भाई इंतजार हैं आज कै अपडेट का
 
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