नहाने के बाद मधु और गुलाबी दोनों की खूबसूरती और ज्यादा खील उठी थी,,,,,, नदी पर नहाते समय दोनों के बीच जिस तरह की गंदी बातें हुई थी उसको लेकर गुलाबी की हालत खराब थी,,,,,मधु को अपनी ननद से इस तरह की गंदी बातें कर रहे हो आजकल तो लगा था लेकिन उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ा था क्योंकि वह तो खेली खाई थी,,, तीन बच्चों की मां थी,,,,, लंड बुर चुदाई शब्द उसके लिए कोई नया नहीं था यह सब गुलाबी के लिए बिल्कुल नया था इस तरह की बातें करने से ही उसकी टांगों के बीच की पतली दरार से मदन रस का रिशाव होना शुरू हो जाता था,,,,,,,,
दूसरी तरफ हरिया परेशान था इस बात को लेकर कि आज वह अपनी बहन के बारे में बहुत ही गंदी बातें सोच गया था,,, ऐसा उसके साथ कभी नहीं हुआ था,,, यह पहली मर्तबा था जब वह अपनी बहन को झाड़ू लगाते हुए देख रहा था उसकी मस्त कर देने वाली नारंगी जैसी चुचियों को देख कर उसके खुद के मुंह में पानी आ गया था,, उसकी गदराई गांड पर पहली बार उसकी नजर पड़ी थी और उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसकी बहन वाकई में बहुत खूबसूरत है,,,,,, और बस इतने में वह अपनी बहन के बारे में गंदी बातों को सोचने लगा,,, इसमें उसकी कोई भी गलती नहीं थी अगर वह भाई के नजरीए से देखता तो शायद उसे अपनी बहन को लेकर इतने गंदे विचार कभी नहीं आते लेकिन वह एक मर्द के नजरिए से देख रहा था,, अपनी गलती पर उसे पछतावा भी हो रहा था,,,,,,,,, जिसके कारण आज उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था स्टेशन के बाहर वह बड़े से आम के पेड़ के नीचे अपनी बेल गाड़ी खड़ी करके बैलगाड़ी में ही बैठा हुआ था,,, कुछ सवारियों को ले जाने के लिए उसने इनकार भी कर दिया यह देखकर उसके बाकी के साथी पूछने लगे कि आखिर वह सवारी क्यों नहीं ढो रहा,,, जवाब में उसने तबीयत ना ठीक होने का बहाना कर दिया,,,,। उस दिन के बारे में सोचने लगा था वह आपने मरती हुई मां को वचन दिया कि वह गुलाबी कोअपनी छोटी बहन नहीं बल्कि अपनी लड़की समझ कर उसका पालन पोषण करेगा और उसकी अच्छे से शादी भी करेगा,,,,,, और अब तक उसने अपने वचन को निभाता भी आया बस हाथ पीले करने के लिए हाथ में पैसे कम पड़ रहे थे,,, अच्छा सा घर बार देखकर हरिया उसकी शादी करने के फिराक में था,,,,,,, उसे इस बात का अफसोस भी था की पहले गुलाबी की शादी करने की जगह वह अपनी बड़ी बेटी की शादी कर चुका था,,,,,, उस समय हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे कि उसे अपनी बड़ी बेटी की शादी करना पड़ा,,, जिसकी वजह से गुलाबी की शादी में विलंब होने लगा,,,,,,,, यह सब भी वह अच्छे से कर लेगा इसका उसे पूरा भरोसा था लेकिन आज सुबह जो कुछ भी हुआ था उससे वह पूरी तरह से हील चुका था,,, अपने ख्यालों को वह दफन कर देना चाहता था ताकि इस तरह के ख्याल उसके मन में कभी दोबारा ना उभरे,,,,,।
अपने मन को अपने आप को कसम में बांधकर वह अपने आप को तसल्ली देने लगा यही कशमकश में शाम हो गई,,, दूसरे बैलगाड़ी वाले वहां से जा चुके थे,,, वह अभी भी वहीं खड़ा था आज कोई सवारी बैठा या नहीं था इसलिए एक आने की भी कमाई नहीं हुई थी,,,,, फिर भी उसे आज अफसोस नहीं था,,,वह अपनी बहन गाड़ी लेकर जाने ही वाला था कि तभी उसे एक सवारी ने आवाज लगाया,,, और वह रुक गया,,वैसे तो सवारी दे जाने का उसका मन बिल्कुल भी नहीं था लेकिन उस सवारी को उसी गांव जाना था जहां पर लाला का घर था,,, और आज हरिया को लाला के ब्याज के पैसे भी चुकाने थे इसलिए उस सवारी को बैठा लिया,,,,।
शाम ढल चुकी थी और रात की स्याही वातावरण में फैल रही थी,,, हरिया सवारी को गांव में उतार कर लाला की हवेली की तरफ बढ़ चुका था और हवेली पर पहुंचकर,,, बेल गाड़ी खड़ी किया और हवेली मैं प्रवेश किया दरवाजे पर आज कोई नहीं था,,,,,, धीरे-धीरे वह अंदर की तरफ बढ़ने लगा,,,दो-तीन बार मालिक मालिक कहकर आवाज भी लगाया लेकिन कोई जवाब नहीं,,,,,, हरिया के मन हो रहा था कि वापस लौट चलें कल आकर पैसे दे देगा लेकिन वह यह बात अच्छी तरह से जानता था कि लाना वक्त का बेहद पाबंद है जिस समय पर तय किया गया उसी समय पर पैसा चुकाने पर ही गनीमत है वरना वह और ज्यादा ब्याज लगा लेता है,,,,इसलिए हरिया अपने मन में सोचा कि यहां तक आ गया है तो पैसे देकर ही घर जाएगा लेकिन कोई नजर नहीं आ रहा था,,,, हरिया धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा और जैसे ही लाला के कमरे के करीब पहुंचा तो उसे अंदर से जोर-जोर से हांफने की आवाज आ रही थी,,,,,,, हरिया थोड़ा बहुत घबराया हुआ था इसलिए उसे कुछ समझ में नहीं आया और वह दरवाजे पर पहुंचकर दरवाजा पूरी तरह से खुला हुआ था और सामने का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,,,,,,,,,
बिस्तर पर एक औरत पूरी तरह से नंगी घुटनों के बल और हाथ की कोहनी केबल बैठकर झुकी हुई थी उसकी गांड हवा में लहरा रही थी और उसके ठीक पीछे लाला उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपने लंड को उसकी गुलाबी बुर में डालकर जोर-जोर से चोद रहा था,,,हरिया को तो कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें वहां खड़ा रहेगा वापस लौट जाएं इतना समय उसके में बिल्कुल भी नहीं था,,,, हरिया आखिरकार एक इंसान ही था,,, और मानव मन से ग्रस्त होकर भाभी इस हालात में भी उस औरत के चेहरे को देख कर पहचानने की कोशिश कर रहा था लेकिन ऐसा कर पाना उसके लिए बेहद नामुमकिन सा था,,, क्योंकि उस औरत के गाने काले काले लंबे बाल उसके एक तरफ के चेहरे को ढक कर रखे हुए थे,,,और उसी तरफ हरीया खड़ा भी था जिससे उस औरत को पहचाने नहीं मैं उसे बेहद दिक्कत हो रही थी क्योंकि उसका चेहरा ही नहीं दिख रहा था,,,,,उस औरत की गरम सिसकारी की आवाज हरिया के कानों में बराबर सुनाई दे रही थी और लाला बड़ी मस्ती के साथ उस औरत की चुदाई कर रहा था,,। पल भर में ही हरिया की सांसे ऊपर नीचे होने लगी उसे उम्मीद नहीं थी कि इस तरह का दृश्य लाला के कमरे में देखने को मिलेगा,,,अभी तक उन दोनों में से किसी की भी नजर हरिया पर नहीं गई थी,, लाला बड़ी मस्ती के साथ उस औरत की बड़ी-बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए अपनी कमर हिला रहा था,,,,,,,,
और जोर से ,,,,,और जोर से,,,,, कहते हुए वो औरत लाला को और ज्यादा उकसा रही थी,,,,, हरिया इससे ज्यादा देख पाता इससे पहले ही,,,,, उसके हाथ से,,, दरवाजे के पास ही सजावट के लिए रखा हुआ पीतल का घड़ा नीचे गिर गया और उसकी आवाज के साथ ही लाला एकदम घबराते हुए दरवाजे की तरफ नजर घुमाकर देखा तो वहां हरिया खड़ा था वह एकदम से सन्न रह गया,,, उस औरत की तो एकदम सांस ही अटक गई लेकिन वहां अपनी नजरों को दरवाजे की तरफ नहीं तुम्हारी उसी तरह से झुकी रह गई,,,, हरिया को दरवाजा पर खड़ा हुआ देखकर लाला जोर से चिल्लाया,,,।
हरिया यह क्या बदतमीजी है,,,,
मममम,,, मालिक मुझसे भूल हो गई कोई नहीं था तो मैं यहां तक आ गया,,,,
तो क्या अभी भी यही खड़े रहने का विचार है,,,,(लाला उसी अवस्था में अपने लंड को पूरी तरह से उस औरत की बुर में घुसाए हुए और उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से थामे हुए बोला,,,,लाला को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि जैसे रंग में भंग पड़ गया हो और वह इस कार्य को अधूरा नहीं छोड़ना चाहता था इसीलिए तो अपने आप को अपने नंगे बदन को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया था और ना ही उस औरत ने जिस अवस्था में थी उसी अवस्था में मूर्तिवंत बनी रही,,,,)
मममम,,, मालिक आज की तारीख थी पैसे देने आया हूं,,,(हरिया घबराते हुए हाथ जोड़कर बोला लेकिन उसकी नजर उस औरत के नंगे बदन पर घूम रही थी,,,)
तो क्या पैसे मुझे यहां देगा बाहर बैठ कर इंतजार कर मैं आता हूं,,,,,,, जा अब भाग यहां से,,,
(लाला गुस्से में आ चुका था और उसके गुस्से को देखकर हरिया का वहां खड़े रहना ठीक नहीं था बस तुरंत बाहर मेहमान खाने में आकर बैठ गया,,,)
हराम जादा मादरचोद,,,,,(हरिया को गंदी गाली देते हुए जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया तभी वह औरत बोली,,)
तुमको बोली थी भैया दरवाजा बंद कर लो लेकिन तुम तो इतने नशे में हो जाते हो कि दरवाजा बंद करना भी भूल जाते हो,,,,,,, अगर वह यह सब जाकर बाहर कह दिया तो,,,मेरे साथ साथ आपकी भी बदनामी हो जाएगी और गांव वाले क्या कहेंगे,,,,,,,
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो सोनी हरिया तुम्हारा चेहरा नहीं देख पाया है,,,, तुम्हारे घने घने रेशमी बालों की कारण आज हम दोनों साफ साफ बच गए हैं,,,,(लाला उसके रेशमी बालों को अपने हाथ में पकड़ते हुए बोला),,,,
बस भैया अब रहा नहीं जाता जोर जोर से धक्के लगाओ,,, आज पूरा लंड डाल दो मेरी बुर में फाड़ दो अपनी बहन की बुर,,,,,, भैया,,,,,
यह बात है,,,,, तो ले मेरी रानी बहन,,,,तेरा बड़ा भाई कैसी तेरी चुदाई करता है कैसी तेरी बुर का भोसड़ा बनाता है,,,,,(इतना कहते ही लाला जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया और उसके मुंह से आहहह आहहहह की आवाज पूरे कमरे में गुंजने लगी,,, उसके पपीते जैसे बड़े-बड़े चूचियां नीचे हवा में झुलने लगे,,, जिससे लाला अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर थाम लिया था और जोर जोर से दबा रहा था,,,, सोनी उसकी छोटी बहन थी जो कि शादी के बाद 3 साल के भीतर ही बिधवा बन गई थी,,, कोई बच्चा नहीं था ससुराल वाले कुछ महीने तक उसे अपने साथ रखें और वापस उसे अपने मायके भेज दिए,,,, सोनी बहुत ही कामुक औरत थी,,, उसे छत्रछाया भी चाहिए थी और अपने बदन की प्यासी भी बुझाना था वो जानती थी कि उसका भाई शादी नहीं किया था इसलिए उसकी भी कुछ जरूरते थी,,, और वह अपने भाई के साथ संबंध बना बैठी,,, लाला भी तन का प्यासा था,,,,जब उसकी बहन खुद तैयार थी तो उसे भला क्या कर आज हो सकता था और तब से दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया और हर रात लाला अपनी बहन की चुदाई करता था,,,, जिससे लाला और पूरे हवेली में सोनी का वर्चस्व बढ़ता जा रहा था जो सोनी कहती थी वही होता था,,,,,,,, दुनिया की नजरों में अच्छे बने रहने के लिए लाला की बहन सोनी गांव के बच्चों को घर बुलाकर पढ़ाती भी थी जिससे गांव में उसकी इज्जत मान सम्मान बढ़ गया था,,,,
लाला के धक्के तेज रफ्तार से शुरु हो गए थे जिसे सोनी बड़े आराम से झेल ले रही थी,,,, दोनों की सांसो की गति तेज हो गई थी लाला की बहन सोनी बिस्तर पर बिछाए हुए चादर को अपनी मुट्ठी में जोरों से भींच ली थी,,,,, और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,,,,, लाला अपनी बहन की चिकनी सीट पर मुंह रखकर उसकी चिकनी पीठ को चाटते हुए झडने लगा था,,,, जब दोनों की सांसे दुरुस्त हुई तो लाला अपनी बहन के ऊपर से उठा और लाला की बहन सोनू चादर को अपने बदन पर डालते हुए बोली,,,,।
भैया जाकर उस हरिया को डांटना तो,,,, कहीं बाहर जाकर सबको बक ना दे,,,,,,,
तुम चिंता मत करो सोनी मैं अभी जाकर उसी खबर लेता हूं और वैसे भी वह तुम्हें देखा नहीं है,,,,,,(इतना कहते हुए लाला अपनी कमर पर धोती बांधते हुए कमरे से बाहर निकल गया और दूसरी तरफ मेहमान खाने में हरिया बैठकर कमरे के अंदर के दृश्य के बारे में सोच रहा था और बार-बार यह सोच रहा था कि लाला तो विवाहित नहीं है शादी नहीं किया है तो वह कीस औरत को चोद रहा था,,, बिस्तर पर घुटनों के बल बैठकर चुदवाने वाली वह औरत कौन थी,,,, वह और चेहरा को सोचता है इससे पहले ही लाला वहां आ गया और हरिया को डांटते हुए बोला,,,।)
हरिया तू पागल हो गया क्या तुझे जरा भी तमीज नहीं है कि किसी के घर कैसे जाया जाता है,,,, और तू कोई घर का सदस्य नहीं है जो बिना पूछे घर में घुस गया,,,,।
नहीं नहीं मालिक मैं माफी चाहता हूं ऐसी कोई बात नहीं है मुझसे भूल हो गई मुझे माफ कर दो,,,,।
ठीक है आज तो माफ कर देता हूं लेकिन आएगा इस तरह की गलती बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए और यह बात भी तो कान खोल कर सुन लेना कि अगर कमरे वाली बात बाहर गई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,,
नहीं नहीं मालिक ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा आप तो हमारे मारी बात है भला आपके बारे में अनाप-शनाप बोल कर अपने पैर पर क्यों कुल्हाड़ी मारे,,,, भरोसा रखिए मालिक कमरे की बात मेरे सीने में दफन हो गई है यह बात किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगी,,,,
ठीक है लाओ रुपए,,,,,
मैं कल आ जाता मालिक लेकिन मैं जानता हूं कि दिए हुए तारीख पर ही पैसा चुकाना जरूरी होता है इसलिए मुझे आना पड़ा,,,(हरिया अपने कुर्ते के जेब में हाथ डालकर पेसे निकालते हुए बोला,,,,)
यह लो मालिक,,,,,(इतना कहने के साथ ही हरिया हाथ आगे बढ़ाकर रुपए को लाला के हाथों में रखने लगा इसे लाला बड़े प्यार से हाथ आगे बढ़ा कर रुपए को अपने हाथों में ले लिया,,, और गिनने लगा,,,, पूरे रुपयों की तसल्ली कर लेने के बाद वह हरिया से बोला,,,,)
ठीक है तू वादे का पक्का है इसीलिए जरूरत पड़ने पर तुझे ₹पए उधार दे देता हूं,,,,,,
इसीलिए तो आपके द्वार पर आते हैं मालिक,,,,
ठीक है हरिया अब तु जा सकता है,,,,
ठीक है मालिक,,,,(और इतना कहने के साथ ही हरिया हवेली से बाहर आ गया उसके मन मस्तिष्क पर लाला के कमरे वाला दृश्य पूरी तरह से छप चुका था,,,,और वह घर पहुंच कर खाना खाने के बाद सोने के लिए जैसे ही अपने कमरे में गया वैसे हीअपने बीवी के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया और ताबड़तोड़ उसकी चुदाई करना शुरू कर दिया जिसकी सिसकारी की आवाज सुनकर बाजू वाले कमरे में सो रही गुलाबी की भी हालत खराब होने लगी,,,।