राजू ने अपने मन की बात श्याम के कानों और दिलों दिमाग में भर दिया था,,,,, श्याम जो अभी तक राजू ने जो उसके साथ किया था उसकी मां के साथ जिस तरह से उसकी आंखों के सामने शारीरिक संबंध बनाया था उसे लेकर उससे नाराज था,,, श्याम कभी नहीं चाह रहा था कि कोई और उसकी मां की चुदाई करें खास करके उसके उम्र के दोस्त लोग लेकिन उसके सोच के मुताबिक सब कुछ उल्टा सा हो गया था अगर उसकी थोड़ी सी लापरवाही ना हुई होती तो राजू इस कदर उसके सर पर चढ़कर बोलना रहा होता उस दिन के लिए तो श्याम खुद अपने आप को ही कोश रहा थां,, की कास उसने दरवाजा बंद कर दिया होता तो यह सब नहीं होता,,, और उसकी मां का नया रूप देखने को नहीं मिलता जो कि उस दिन उसकी सोच के विपरीत ही उसकी मां राजू के लंड को देखकर पूरी तरह से ललायित हो गई थी उसे अपनी बुर में लेने के लिए,,,, जहां तक श्याम का मानना था राजू कि इसमें कोई गलती नहीं थी अगर राजु की जगह कोई और लड़का होता तो वह भी श्याम से वही चाहता जो राजू ने चाहा था,,, और मजबूरी में श्याम उसे इंकार भी नहीं कर सकता था,,,, लेकिन उसे अपनी मां से शिकायत थी,,, कि वह कैसे एक जवान लड़की की मर्दाना ताकत पर पिघल गई अपने संस्कारों को अपनी मर्यादा को ताक पर रखकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार हो गई क्योंकि श्याम को अपनी मां पर विश्वास था की वह चाहे भले ही राजू की बात मान गया है लेकिन उसकी मां राजू के अधीन होने वाली नहीं है और यही श्याम की सबसे बड़ी भूल थी हालांकि राजू के लंड को वह पहले भी देख चुका था इसलिए उसे थोड़ा बहुत शक तो होता था कि,,, अगर उसकी मां ने उसके दोस्त राजु के लंड की झलक ले ली तब उसे अपनी बुर में लेने से अपने आप को नहीं रोक पाएंगी,,,, और जिस बात का डर था वही हुआ भी,,,,,।
तभी से श्याम राजू से नजर मिलाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था और ना ही उससे बात करने की उसकी कोई इच्छा रह गई थी,,, राजू को देखता था तो उसे गुस्सा आता था,,,, लेकिन कर कुछ नहीं सकता था,,,,। लेकिन आज राजू की बातें सुनकर उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी थी जिस बारे में राजू उसे बता रहा था उस बारे में कभी उसने सोचा भी नहीं था,,,, श्याम दो-तीन साल से अपनी मां की चुदाई करता रहा था लेकिन जिस तरह से उसने कहा कि आज तक उसने अपनी मां की गांड के छोटे से छेद को नजर भर कर देखा नहीं है इस बात में सच्चाई थी,,,, वह अपनी मां की गांड के छोटे से छेद के बारे में कभी कल्पना भी नहीं किया था लेकिन राजू की बातों ने उसे इस नए अनुभव के बारे में आनंद लेने के व्याकुल बना दिया था,,,, राजू का परामर्श उसे अच्छा लग रहा था,,,,,,, पहले तो शाम को इस बात पर विश्वास ही नहीं हुआ कि औरत की गांड भी मारी जाती है और इसमें अद्भुत सुख की प्राप्ति भी होती है,,,, राजू उसकी मां की गांड मारना चाहता है इस बात को सुनकर पहले तो उसे बहुत गुस्सा आया लेकिन उसकी बातों से श्याम को लगने लगा कि जो कुछ भी राजू कह रहा है इसमें अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी बहुत मजा आएगा और,,, उसे भी उसकी मां की गांड मारने को मिलेगी इस बात से वह मन ही मन राजू की बात से सहमत हो गया,,,,।
श्याम अपने मन में यही सोच रहा था कि राजू अब जब चाहे तब उसकी मां की चुदाई कर सकता है उसकी गांड मार सकता है क्योंकि वह राजू से चुदवाती समय अपनी मां के चेहरे के हावभाव को अच्छी तरह से भांप लिया था,,, राजू का मोटा तगड़ा लंड जब जब उसकी मां की बुर की गहराई नाप रहा था तब तब उसके चेहरे पर असीम संतुष्टि का अहसास नजर आता था और इस बात में कोई शक नहीं था कि राजू से चुदवाने के लिए वह तड़प रही होगी,,,, और ऐसे में राजू के जरिए वह खुद उसकी मां की गांड मार सकता हैं इस बात की खुशी उसके चेहरे पर भी साफ झलक रही थी,,, बस मौके और जगह की तलाश थी,,,,,, और जिस कार्य को करने के बारे में राजू और श्याम सोच रहे थे उसमें अच्छा खासा समय की जरूरत है और ऐसे में घर में झुमरी की मौजूदगी मैं होना शक्य बिल्कुल भी नहीं था,,,,, और इसीलिए श्याम परेशान भी था,,,,,,,।
दूसरी तरफ रात को गुलाबी अपनी गुलाबी छेद के साथ-साथ अपने भूरे रंग के छेद को भी अपने भतीजे राजू को साथ देना चाहती थी लेकिन अपने मुंह से कहने में उसे शर्म और लज्जा का एहसास हो रहा था ऐसा नहीं था कि गांड मरवाने की बात कहने में उसे शर्म आ रही हो जो लड़की अपने भतीजे से और अपने बड़े भाई से चुदाई का खुल्लम खुल्ला खेल खेल रही हो ऐसी लड़की की आंखों में शर्म और हया कहां होती है लेकिन गांड मारने वाली बात पर उसे अपने भतीजे राजू से कहने में शर्म किस बात से आ रही थी कि वह पहले अपने भतीजे को अपनी गांड मारने से इनकार कर चुकी थी क्योंकि वह अपने भतीजे के लंड की ताकत को अच्छी तरह से जानती थी,,,, और इसीलिए वह अपनी गांड के छोटे से छेद को व अनुभव से भरे हुए हाथों में देना चाहती थी और अपने बड़े भाई को अपना सर्वस्व नितंब निछावर करते हुए अपने भाई से गांड मरा का सुख प्राप्त कर चुकी थी बस इसीलिए अब वह अपने भतीजे को सौंपना चाहती थी लेकिन पहले इनकार कर चुकी थी और अभी देने में शर्म महसूस हो रही थी कि वह क्या कह कर अपने भतीजे को अपनी गांड मारने देगी,,,यही सोचकर वहां अपने भतीजे अपने मन की इच्छा को बता नहीं पा रही थी और रात भर सिर्फ अपनी बुर की सेवा करवा रही थी,,,,,।
दूसरी तरफ श्यामअपनी मां की गांड मारने के ख्याल से पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और अपनी बहन से नजरें बचाकर अपनी मां की चुदाई करना शुरू कर दिया था लेकिन उसे इस बात का अहसास हो रहा था कि उसके लंड से उसकी मां को मजा नहीं आ रहा था क्योंकि पहले जब भी वह धक्का मारता था उसकी मां के मुंह से आहह ऊहह की आवाज निकल जाती थी लेकिन आज ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था,,, वह मन ही मन अपनी मां को गाली देते हुए उसके चुदाई कर रहा था,,,,,, अपने मन में ही कह रहा था कि साली को राजू का लंड पसंद आ गया है अब राजू से चुदवाना चाहती है,,,,उसका मन तो कर रहा था कि सब कुछ बोल दे कि वह राजू के साथ चुदवाई है लेकिन ऐसा कहने से शायद उसकी गांड मारने वाली इच्छा धरी की धरी रह जाती और वह यहकिसी भी सूरत में जताना नहीं चाहता था कि राजू और उसके पीछे जो कुछ भी हुआ है उस बारे में उसे सब कुछ पता है आखिरकार गलती भी तो उसी की ही थी,,, इसलिए जैसा भी चल रहा था वह चलने दे रहा था,,,,।अपनी मां की चुदाई करने के बाद जब अपने कपड़े पहन रहा था और उसकी मां अपनी साली को अपनी कमर से लपेट रही थी तो अपनी साड़ी को अपनी कमर से लपेटते हुए बोली,,,,।
श्याम मैं तुझे एक बात बताना तो भूल ही गई,,,
क्या,,,?
वो अपने चौधरी साहब है ना उनके घर विवाह का कार्यक्रम है उनके घर दो दिन के लिए जाना है,,, मैं चाहती थी कि तू और झुमरी चले जाते तो अच्छा था,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही श्याम का दिमाग घूमने लगा 2 दिन के लिए मतलब किसी भी तरह से अगर दो तीन के लिए झुमरी घर से बाहर चली जाए तो उसके पास मौका ही मौका होगा इसलिए अपना शैतानी दिमाग दौड़ाते हुए श्याम अपनी मां से बोला,,,)
क्या मां मैं जाकर वहां क्या करूंगा और अगर मैं भी चला गया तो यहां गाय बकरियां कौन देखेगा 2 दिन में तो परेशान हो जाओगी और तुम अकेले क्या क्या देखोगी,,,,,
बात तो तू ठीक ही कह रहा है,,,,( साड़ी को अच्छे से अपनी कमर से लपेटते हुए,,) लेकिन क्या झुमरी अकेले जाने के लिए मानेगी,,,,
अरे क्यों नहीं मानेगी मां,,, शादी ब्याह में तो उसे भी अच्छा लगता है खाना-पीना नाचना गाना,,,, जरूर मान जाएगी,, वैसे जा कौन कौन रहा है,,,?
अरे गांव की बहुत सी औरतें और लड़कियां जा रही है,,,
फिर क्या है मां,,,, गांव की औरतें रहेंगी तो समरी को भी अच्छा लगेगा,,,,,
चल ठीक है मैं उससे बात करती हूं,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर श्याम मन ही मन बहुत खुश हो रहा था अपने मन में सोच रहा था कि जैसा कुछ भी वह सोच रहा है अगर ऐसा हो गया तो सोने पर सुहागा हो जाएगा तो दिन के लिए उसकी बहन घर पर नहीं होगी और इन 2 दिनों में वह अपनी मां की जमकर चुदाई करेगा और राजू के साथ मिलकर उसकी गांड भी मारेगा,,,,,,उसकी मां के साथ एक शाथ दो जवान लड़के यह सोचकर ही श्याम के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,, अपनी मां की चुदाई कर लेने के बावजूद भी उसका लंड फिर से खड़ा होने लगा था,,,, दूसरी तरफ खाना खाते समय श्याम की मां झुमरी को शादी में भेजने के लिए मना ली और वह तैयार भी हो गई,,,, क्योंकि शादी ब्याह उसे भी अच्छा लगता था,,, और ऊपर से बड़े घर की शादी थी तो खाना पीना मौज मस्ती भरपूर होने वाला था,,,,,,,,
मधु को भी उसी ब्याह के लिए नेवता मिला था इसलिए उसे भी चले जाना था वह जानती थी कि शादी ब्याह में कहीं आना जाना होता है तो उसे ही जाना पड़ता है इसलिए वह गुलाबी से वहां जाने के बारे में जिक्र भी नहीं की थी लेकिन उसे बताएं जरूर थी कि वह शादी में 2 दिन के लिए जा रही है,,, और यह रात को ही तय हो गया था कि बेल गाड़ी लेकर राजू उसकी मां को वहां छोड़ने के लिए जाएगा,,,, और इस बात हरिया बहुत खुश था क्योंकि उसकी बीवी और उसका बेटा दोनों घर से बाहर जब तो होंगे तब तक वह अपनी छोटी बहन के साथ भरपूर मजा लूट सकता था,,,,,,
दूसरे दिन गांव की औरतों के साथ झुमरी ब्याह में जाने के लिए निकल गई,,, दूसरी तरफ गाय भैंस बकरी यों को चारा पानी देते देते काफी समय हो गया था और वैसे भी मधु को बेल गाड़ी से जाना था इसलिए किसी बात की चिंता नहीं थी,,,,,,, नहा धोकर तैयार होकर खाना खाने के बाद राजू बैलगाड़ी लिए तैयार था और मधु बैलगाड़ी पर बैठते हुए गुलाबी को हिदायत देते हुए बोल रही थी,,,।
घर की देखभाल अच्छे से करना और समय-समय पर जानवरों को चारा पानी देते रहना वरना चिल्लाते रह जाएंगे,,,,
तो बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं घर की अच्छे से ख्याल रखूंगी बस तुम वहां पर अपना ख्याल रखना,,,,(गुलाबी अपनी भाभी को समझाते हुए बोली,,,, दूसरी तरफ हरिया बहुत खुश नजर आ रहा था वह जल्द से जल्द इस अकेलेपन का शुभ अवसर का पूरी तरह से लाभ उठाना चाहता था,,,, राजू बैलगाड़ी को हांक कर ले कर जाने लगा,,, और जैसे हील बैलगाड़ी आंखों से ओझल हुई हरिया तुरंत अपनी छोटी बहन को राखी को सब की नजर में जाकर अपनी गोद में उठा लिया और तुरंत उसे अपने कमरे में लेकर आ कर खटिया पर पटक दिया,,,,।
अरे भैया थोड़ा शांति तो रखो में भागी नहीं जा रही हूं,,,
अरे मैं जानता हूं मेरी गुलाबी तु कहीं भागे नहीं जा रही है लेकिन बड़े दिनों बाद ऐसा मौका हाथ लगा है भला इस मौके को मैं कैसे हाथ से जाने दु,,,(ऐसा कहते हुए हरिया अपना कुर्ता उतारने लगा और देखते-देखते गुलाबी की आंखों के सामने एकदम नंगा हो गया उत्तेजना के मारे उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था जिसे देखकर गुलाबी का गुलाबी मन मचल उठा और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने भैया के लंड को पकड़ कर उसे अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,,,।
और दूसरी तरफ इसी तरह के मौके की तलाश में श्याम भी था गांव की औरतों के साथ झुमरी के जाते ही श्याम घर का किवाड़ बंद करके अपनी मां को कमरे के अंदर वाले भाग में ले गए और वहां तुरंत अपनी मां के सारे कपड़े उतार कर खुद भी नंगा हो गया,,,, आज वह अपनी मां की गांड के छोटे से छेद को जी भर कर देखना चाहता था जैसा कि राजू ने बताया था और इसीलिए श्याम अपनी मां को नीचे जमीन पर पीठ के बल लेटा कर उसकी दोनों टांगों को ऊपर की तरफ उठा लिया और उसके बुर के नीचे वाले छोटे से छेद को नजर भर कर देखने लगा,,,श्याम के लिए यह पहला मौका था जब वह नजर भर कर अपनी मां की गांड के छेद को देख रहा था और सच पूछो तो उसे आज बेहद उतेजना का अनुभव हो रहा था,,,। वह उस छोटे से छेद को देखकर पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रहा था वह जानबूझकर अपनी मां की गांड के छेद को छेड़ नहीं रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि इन 2 दिनों में वह राजू को जरूर लेकर आएगा और राजू के साथ मिलकर वह अपनी मां की गांड मारेगा अगर अभी वह अपनी मां की गांड को छेड़ दिया तो बाद में कहीं उसकी मां को शक ना हो जाए की यह दोनों मिलें हुए हैं,,, झुमरी के अनुपस्थिति में श्याम की मां के बदन में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव होने लगा और बाद तुरंत शयाम को अपनी दोनों टांगों के बीच ले ली,,, और उसके लंड का अपनी गुलाबी छेद में लेकर चुदाई का अद्भुत सुख प्राप्त करने लगी जो कि अब राजू के बगैर अधूरा सा लग रहा था,,,,।
एक तरफ हरिया और गुलाबी आपस में लगे हुए थे और दूसरी तरफ श्याम अपनी मां की चुदाई कर रहा था और राजू जिंदगी में पहली बार अपनी मां को बैलगाड़ी पर बैठा कर दूसरे गांव ब्याह में ले जा रहा था बैलगाड़ी में पीछे अपनी मां के बेटे होने का एहसास उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को भड़का रहा था क्योंकि शादी में जाने के लिए उसकी मां तैयार हुई थी वह तैयार होने के बाद स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी,,,,,,,बेल गाड़ी चलाते समय उसके दिमाग में बहुत सी बातें आ रही थी वह मां और बेटे के मामले में श्याम को कुछ ज्यादा खुश नसीब समझ रहा था जो कि जब चाहे तब अपनी मां की चुदाई कर सकता था,,,,, वह भी श्याम की तरह बनना चाहता था ताकि उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत चोदने को मिल सके,,,,लेकिन कैसे यही उसे समझ में नहीं आ रहा था दो तीन बार तो वह अपना पैंतरा आजमा चुका था जिसका एहसास उसकी मां को भी हुआ था लेकिन बात कुछ आगे नहीं बढ़ पाई थी,,,,अपने बेटे के साथ पहली बार बैलगाड़ी में जा रही मधु बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि वह देख रही थी कि उसका बेटा बैलगाड़ी बड़े अच्छे से चला रहा था,,,, और इसीलिए वह बोली,,,।
चला तो लेता है ना ठीक से,,,
अरे मां तुम चिंता मत करो,,,, बहुत अच्छे से चला लेता हूं,,, बोलो तो दौड़ा कर दिखाऊं,,,
नहीं नहीं दौडाना नहीं है आराम से चला,,,।
(बैलगाड़ी ऊंची नीची पगडंडी कच्चे रास्ते से चली जा रही थी चारों तरफ हरे हरे खेत लहलहा रहे थे,,,अपने बेटे के साथ इस तरह से रास्ते में एकांत पाकर मधु के तन बदन में अजीब सी उलझन हो रही थी ना जाने क्यों मधु को वह सब वाक्ये याद आने लगे जोकी पूरी तरह से उत्तेजनात्मक थे पहली बार जब वह कुएं पर अपने बेटे को साथ लेकर पानी भरने के लिए गई थी और जिस तरह से उसकी मदद करते हुए राजू ने ठीक उसके पीछे खड़ा होकर तुम्हें की रस्सी को खींच रहा था ऐसे में उसकी कांड से उसके बेटे का लंड पूरी तरह से रगड़ खा रहा था,,, उसका बार-बार उसकी चुचियों को घुरना,,, और तो और जानवरों का वापस झोपड़ी में करते समय जिस तरह का हादसा पेश आया था उसे याद करके तो उसकी गुलाबी बुर से काम रस टपकने लगा था,,, गाय को काबू में करने के लिए पीछे से अपनी मां का साथ देते हुए जिस तरह से राजू ने अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़ कर अपनी मां की गोल-गोल नितंबों पर अपनी कमर आगे पीछे करते हुए हीलाया था उस पल को याद करके मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और रस्सी के टूट जाने की वजह से दोनों वहीं गिर गए थे राजू नीचे था और मधु उसके ऊपर थी और मधु की साड़ी पूरी की पूरी कमर के ऊपर तक चली गई थी कमर के नीचे को पूरी तरह से नंगी हो गई थी और उसकी नंगे पन के एहसास को उसका बेटा राजू अपने हाथों से महसूस करने के लिए जिस तरह से जानबूझकर उसकी बुर पर अपनी हथेली रखकर जोर से रगड़ा था वह पल अभी भी मधु को अच्छी तरह से ज्यादा था और उस पल को याद करके वह पानी पानी हो जाती थी और इस समय भी उसका यही हाल था,,,, मधुर को अपने बेटे को गुस्सा भी आता था लेकिन आज इस तरह से राह में एकांत पाकर अपने बेटे के साथ बैलगाड़ी में जाते हुए राजू की वही सारी हरकतें उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,,राजू अपनी मां की तारीफ करना चाहता था उसकी खूबसूरती की लेकिन से समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे करें,,,,,,,,।फिर उसे आम के बारे में सोचने लगा कि कैसे सामने अपनी मां की जरूरतों का ख्याल रखते हुए मान मर्यादा रिश्तेदारी को एक तरफ रख कर अपनी मां की इच्छाओं को पूरी किया और उसकी मां भी अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए मां बेटे के बीच के रिश्ते को अपनी जिंदगी का मजा लूटने लगी,,,, राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर वह खुद इस तरह का प्रयास करें तो शायद उसके भी हाथों में हलवा लग सकता है,,,, क्योंकि औरतों की जरूरत को अच्छी तरह से समझ गया था अगर औरत की कोई जरूरत ना होती तो गांव की इतनी सारी औरतें अभी तक उसके नीचे ना आ गई होती,,,,,, जिन जिन औरतों की उसने चुदाई किया था सबकी अपनी अपनी जरूरत थी तो यही सोच करो अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मां की भी कोई जरूरत होगी क्योंकि वह अपने पिताजी के लंड क्यों अच्छी तरह से देख लिया था जो कि उसके लंड से ज्यादा ही था और इसलिए राजू अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी मां उसके मोटे तगड़े लंबे लंड का दीदार कर लेगी तो जरूर वह भी उसके नीचे आ जाएगी जैसा कि श्याम की मां आ गई थी जो कि शाम को अपनी मां पर पूरा विश्वास था कि वह किसी गैर मर्द से शारीरिक संबंध नहीं बनाएगी लेकिन राजू को अपने मर्दाना ताकत पर पूरा विश्वास था और यही विश्वास उसे श्याम की मां की दोनों टांगों के बीच ले गया,, जिसे खुद श्याम की मां नतमस्तक होकर स्वीकार की और उसके मर्दाना ताकत की पूरी तरह से गुलाम हो गई वह अपने मन में यह सोचने लगा कि ऐसा कुछ अगर उसकी मां के साथ किया जाए तो उसकी मां भी श्याम की मां की तरह राजी हो जाएगी,,, लेकिन कैसे कैसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था बस बेल के पैरों में और पहिए में बंधे घुंघरू की आवाज से ही पूरा वातावरण शोर मय हुआ जा रहा था,,, बात की शुरुआत राजू को ही करना था यह बात राजू अच्छी तरह से जानता था इसलिए एक बहाने से अपनी मां की तारीफ करते हुए बात की शुरुआत करते हुए राजू बोला,,,।
आज तो तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो मां,,
(अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही मधु का दिल गदगद हो गया,,, वह प्रसन्न हो गई,,, और अपने चेहरे पर प्रसन्नता के भाव लाते हुए बोली,,,)
क्यों तुझे ऐसा क्यों लग रहा है,,,,?
अरे आज नई नई साड़ी पहनी हो,,,
अच्छा तो तुझे इसलिए खूबसूरत लग रही हूं कि आज नई साड़ी पहनी हुं,,, और दीन तो एसी नहीं लगती थी ना,,,
नहीं नहीं मा ऐसी बात नहीं है,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,, मुझे तो बहुत अच्छी लगती हो,,,,।
(राजू की यह बात सुनते ही मधु को अपनी दोनों टांगों के बीच सीहरनसी दौड़ती हुई महसूस होने लगी,,, मधु यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो गया है,,,)