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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Karan prakash

अपनी मां को चोदने में बड़ा आनंद आता है
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राजू ने अपने मन की बात श्याम के कानों और दिलों दिमाग में भर दिया था,,,,, श्याम जो अभी तक राजू ने जो उसके साथ किया था उसकी मां के साथ जिस तरह से उसकी आंखों के सामने शारीरिक संबंध बनाया था उसे लेकर उससे नाराज था,,, श्याम कभी नहीं चाह रहा था कि कोई और उसकी मां की चुदाई करें खास करके उसके उम्र के दोस्त लोग लेकिन उसके सोच के मुताबिक सब कुछ उल्टा सा हो गया था अगर उसकी थोड़ी सी लापरवाही ना हुई होती तो राजू इस कदर उसके सर पर चढ़कर बोलना रहा होता उस दिन के लिए तो श्याम खुद अपने आप को ही कोश रहा थां,, की कास उसने दरवाजा बंद कर दिया होता तो यह सब नहीं होता,,, और उसकी मां का नया रूप देखने को नहीं मिलता जो कि उस दिन उसकी सोच के विपरीत ही उसकी मां राजू के लंड को देखकर पूरी तरह से ललायित हो गई थी उसे अपनी बुर में लेने के लिए,,,, जहां तक श्याम का मानना था राजू कि इसमें कोई गलती नहीं थी अगर राजु की जगह कोई और लड़का होता तो वह भी श्याम से‌ वही चाहता जो राजू ने चाहा था,,, और मजबूरी में श्याम उसे इंकार भी नहीं कर सकता था,,,, लेकिन उसे अपनी मां से शिकायत थी,,, कि वह कैसे एक जवान लड़की की मर्दाना ताकत पर पिघल गई अपने संस्कारों को अपनी मर्यादा को ताक पर रखकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार हो गई क्योंकि श्याम को अपनी मां पर विश्वास था की वह चाहे भले ही राजू की बात मान गया है लेकिन उसकी मां राजू के अधीन होने वाली नहीं है और यही श्याम की सबसे बड़ी भूल थी हालांकि राजू के लंड को वह पहले भी देख चुका था इसलिए उसे थोड़ा बहुत शक तो होता था कि,,, अगर उसकी मां ने उसके दोस्त राजु के लंड की झलक ले ली तब उसे अपनी बुर में लेने से अपने आप को नहीं रोक पाएंगी,,,, और जिस बात का डर था वही हुआ भी,,,,,।

तभी से श्याम राजू से नजर मिलाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था और ना ही उससे बात करने की उसकी कोई इच्छा रह गई थी,,, राजू को देखता था तो उसे गुस्सा आता था,,,, लेकिन कर कुछ नहीं सकता था,,,,। लेकिन आज राजू की बातें सुनकर उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी थी जिस बारे में राजू उसे बता रहा था उस बारे में कभी उसने सोचा भी नहीं था,,,, श्याम दो-तीन साल से अपनी मां की चुदाई करता रहा था लेकिन जिस तरह से उसने कहा कि आज तक उसने अपनी मां की गांड के छोटे से छेद को नजर भर कर देखा नहीं है इस बात में सच्चाई थी,,,, वह अपनी मां की गांड के छोटे से छेद के बारे में कभी कल्पना भी नहीं किया था लेकिन राजू की बातों ने उसे इस नए अनुभव के बारे में आनंद लेने के व्याकुल बना दिया था,,,, राजू का परामर्श उसे अच्छा लग रहा था,,,,,,, पहले तो शाम को इस बात पर विश्वास ही नहीं हुआ कि औरत की गांड भी मारी जाती है और इसमें अद्भुत सुख की प्राप्ति भी होती है,,,, राजू उसकी मां की गांड मारना चाहता है इस बात को सुनकर पहले तो उसे बहुत गुस्सा आया लेकिन उसकी बातों से श्याम को लगने लगा कि जो कुछ भी राजू कह रहा है इसमें अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी बहुत मजा आएगा और,,, उसे भी उसकी मां की गांड मारने को मिलेगी इस बात से वह मन ही मन राजू की बात से सहमत हो गया,,,,।

श्याम अपने मन में यही सोच रहा था कि राजू अब जब चाहे तब उसकी मां की चुदाई कर सकता है उसकी गांड मार सकता है क्योंकि वह राजू से चुदवाती समय अपनी मां के चेहरे के हावभाव को अच्छी तरह से भांप लिया था,,, राजू का मोटा तगड़ा लंड जब जब उसकी मां की बुर की गहराई नाप रहा था तब तब उसके चेहरे पर असीम संतुष्टि का अहसास नजर आता था और इस बात में कोई शक नहीं था कि राजू से चुदवाने के लिए वह तड़प रही होगी,,,, और ऐसे में राजू के जरिए वह खुद उसकी मां की गांड मार सकता हैं इस बात की खुशी उसके चेहरे पर भी साफ झलक रही थी,,, बस मौके और जगह की तलाश थी,,,,,, और जिस कार्य को करने के बारे में राजू और श्याम सोच रहे थे उसमें अच्छा खासा समय की जरूरत है और ऐसे में घर में झुमरी की मौजूदगी मैं होना शक्य बिल्कुल भी नहीं था,,,,, और इसीलिए श्याम परेशान भी था,,,,,,,।

दूसरी तरफ रात को गुलाबी अपनी गुलाबी छेद के साथ-साथ अपने भूरे रंग के छेद को भी अपने भतीजे राजू को साथ देना चाहती थी लेकिन अपने मुंह से कहने में उसे शर्म और लज्जा का एहसास हो रहा था ऐसा नहीं था कि गांड मरवाने की बात कहने में उसे शर्म आ रही हो जो लड़की अपने भतीजे से और अपने बड़े भाई से चुदाई का खुल्लम खुल्ला खेल खेल रही हो ऐसी लड़की की आंखों में शर्म और हया कहां होती है लेकिन गांड मारने वाली बात पर उसे अपने भतीजे राजू से कहने में शर्म किस बात से आ रही थी कि वह पहले अपने भतीजे को अपनी गांड मारने से इनकार कर चुकी थी क्योंकि वह अपने भतीजे के लंड की ताकत को अच्छी तरह से जानती थी,,,, और इसीलिए वह अपनी गांड के छोटे से छेद को व अनुभव से भरे हुए हाथों में देना चाहती थी और अपने बड़े भाई को अपना सर्वस्व नितंब निछावर करते हुए अपने भाई से गांड मरा का सुख प्राप्त कर चुकी थी बस इसीलिए अब वह अपने भतीजे को सौंपना चाहती थी लेकिन पहले इनकार कर चुकी थी और अभी देने में शर्म महसूस हो रही थी कि वह क्या कह कर अपने भतीजे को अपनी गांड मारने देगी,,,यही सोचकर वहां अपने भतीजे अपने मन की इच्छा को बता नहीं पा रही थी और रात भर सिर्फ अपनी बुर की सेवा करवा रही थी,,,,,।

दूसरी तरफ श्यामअपनी मां की गांड मारने के ख्याल से पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और अपनी बहन से नजरें बचाकर अपनी मां की चुदाई करना शुरू कर दिया था लेकिन उसे इस बात का अहसास हो रहा था कि उसके लंड से उसकी मां को मजा नहीं आ रहा था क्योंकि पहले जब भी वह धक्का मारता था उसकी मां के मुंह से आहह ऊहह की आवाज निकल जाती थी लेकिन आज ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था,,, वह मन ही मन अपनी मां को गाली देते हुए उसके चुदाई कर रहा था,,,,,, अपने मन में ही कह रहा था कि साली को राजू का लंड पसंद आ गया है अब राजू से चुदवाना चाहती है,,,,उसका मन तो कर रहा था कि सब कुछ बोल दे कि वह राजू के साथ चुदवाई है लेकिन ऐसा कहने से शायद उसकी गांड मारने वाली इच्छा धरी की धरी रह जाती और वह यहकिसी भी सूरत में जताना नहीं चाहता था कि राजू और उसके पीछे जो कुछ भी हुआ है उस बारे में उसे सब कुछ पता है आखिरकार गलती भी तो उसी की ही थी,,, इसलिए जैसा भी चल रहा था वह चलने दे रहा था,,,,।अपनी मां की चुदाई करने के बाद जब अपने कपड़े पहन रहा था और उसकी मां अपनी साली को अपनी कमर से लपेट रही थी तो अपनी साड़ी को अपनी कमर से लपेटते हुए बोली,,,,।

श्याम मैं तुझे एक बात बताना तो भूल ही गई,,,

क्या,,,?

वो अपने चौधरी साहब है ना उनके घर विवाह का कार्यक्रम है उनके घर दो दिन के लिए जाना है,,, मैं चाहती थी कि तू और झुमरी चले जाते तो अच्छा था,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही श्याम का दिमाग घूमने लगा 2 दिन के लिए मतलब किसी भी तरह से अगर दो तीन के लिए झुमरी घर से बाहर चली जाए तो उसके पास मौका ही मौका होगा इसलिए अपना शैतानी दिमाग दौड़ाते हुए श्याम अपनी मां से बोला,,,)


क्या मां मैं जाकर वहां क्या करूंगा और अगर मैं भी चला गया तो यहां गाय बकरियां कौन देखेगा 2 दिन में तो परेशान हो जाओगी और तुम अकेले क्या क्या देखोगी,,,,,


बात तो तू ठीक ही कह रहा है,,,,( साड़ी को अच्छे से अपनी कमर से लपेटते हुए,,) लेकिन क्या झुमरी अकेले जाने के लिए मानेगी,,,,


अरे क्यों नहीं मानेगी मां,,, शादी ब्याह में तो उसे भी अच्छा लगता है खाना-पीना नाचना गाना,,,, जरूर मान जाएगी,, वैसे जा कौन कौन रहा है,,,?

अरे गांव की बहुत सी औरतें और लड़कियां जा रही है,,,


फिर क्या है मां,,,, गांव की औरतें रहेंगी तो समरी को भी अच्छा लगेगा,,,,,


चल ठीक है मैं उससे बात करती हूं,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर श्याम मन ही मन बहुत खुश हो रहा था अपने मन में सोच रहा था कि जैसा कुछ भी वह सोच रहा है अगर ऐसा हो गया तो सोने पर सुहागा हो जाएगा तो दिन के लिए उसकी बहन घर पर नहीं होगी और इन 2 दिनों में वह अपनी मां की जमकर चुदाई करेगा और राजू के साथ मिलकर उसकी गांड भी मारेगा,,,,,,उसकी मां के साथ एक शाथ दो जवान लड़के यह सोचकर ही श्याम के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,, अपनी मां की चुदाई कर लेने के बावजूद भी उसका लंड फिर से खड़ा होने लगा था,,,, दूसरी तरफ खाना खाते समय श्याम की मां झुमरी को शादी में भेजने के लिए मना ली और वह तैयार भी हो गई,,,, क्योंकि शादी ब्याह उसे भी अच्छा लगता था,,, और ऊपर से बड़े घर की शादी थी तो खाना पीना मौज मस्ती भरपूर होने वाला था,,,,,,,,

मधु को भी उसी ब्याह के लिए नेवता मिला था इसलिए उसे भी चले जाना था वह जानती थी कि शादी ब्याह में कहीं आना जाना होता है तो उसे ही जाना पड़ता है इसलिए वह गुलाबी से वहां जाने के बारे में जिक्र भी नहीं की थी लेकिन उसे बताएं जरूर थी कि वह शादी में 2 दिन के लिए जा रही है,,, और यह रात को ही तय हो गया था कि बेल गाड़ी लेकर राजू उसकी मां को वहां छोड़ने के लिए जाएगा,,,, और इस बात ‌ हरिया बहुत खुश था क्योंकि उसकी बीवी और उसका बेटा दोनों घर से बाहर जब तो होंगे तब तक वह अपनी छोटी बहन के साथ भरपूर मजा लूट सकता था,,,,,,

दूसरे दिन गांव की औरतों के साथ झुमरी ब्याह में जाने के लिए निकल गई,,, दूसरी तरफ गाय भैंस बकरी यों को चारा पानी देते देते काफी समय हो गया था और वैसे भी मधु को बेल गाड़ी से जाना था इसलिए किसी बात की चिंता नहीं थी,,,,,,, नहा धोकर तैयार होकर खाना खाने के बाद राजू बैलगाड़ी लिए तैयार था और मधु बैलगाड़ी पर बैठते हुए गुलाबी को हिदायत देते हुए बोल रही थी,,,।


घर की देखभाल अच्छे से करना और समय-समय पर जानवरों को चारा पानी देते रहना वरना चिल्लाते रह जाएंगे,,,,

तो बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं घर की अच्छे से ख्याल रखूंगी बस तुम वहां पर अपना ख्याल रखना,,,,(गुलाबी अपनी भाभी को समझाते हुए बोली,,,, दूसरी तरफ हरिया बहुत खुश नजर आ रहा था वह जल्द से जल्द इस अकेलेपन का शुभ अवसर का पूरी तरह से लाभ उठाना चाहता था,,,, राजू बैलगाड़ी को हांक कर ले कर जाने लगा,,, और जैसे हील बैलगाड़ी आंखों से ओझल हुई हरिया तुरंत अपनी छोटी बहन को राखी को सब की नजर में जाकर अपनी गोद में उठा लिया और तुरंत उसे अपने कमरे में लेकर आ कर खटिया पर पटक दिया,,,,।


अरे भैया थोड़ा शांति तो रखो में भागी नहीं जा रही हूं,,,


अरे मैं जानता हूं मेरी गुलाबी तु कहीं भागे नहीं जा रही है लेकिन बड़े दिनों बाद ऐसा मौका हाथ लगा है भला इस मौके को मैं कैसे हाथ से जाने दु,,,(ऐसा कहते हुए हरिया अपना कुर्ता उतारने लगा और देखते-देखते गुलाबी की आंखों के सामने एकदम नंगा हो गया उत्तेजना के मारे उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था जिसे देखकर गुलाबी का गुलाबी मन मचल उठा और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने भैया के लंड को पकड़ कर उसे अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,,,।

और दूसरी तरफ इसी तरह के मौके की तलाश में श्याम भी था गांव की औरतों के साथ झुमरी के जाते ही श्याम घर का किवाड़ बंद करके अपनी मां को कमरे के अंदर वाले भाग में ले गए और वहां तुरंत अपनी मां के सारे कपड़े उतार कर खुद भी नंगा हो गया,,,, आज वह अपनी मां की गांड के छोटे से छेद को जी भर कर देखना चाहता था जैसा कि राजू ने बताया था और इसीलिए श्याम अपनी मां को नीचे जमीन पर पीठ के बल लेटा कर उसकी दोनों टांगों को ऊपर की तरफ उठा लिया और उसके बुर के नीचे वाले छोटे से छेद को नजर भर कर देखने लगा,,,श्याम के लिए यह पहला मौका था जब वह नजर भर कर अपनी मां की गांड के छेद को देख रहा था और सच पूछो तो उसे आज बेहद उतेजना का अनुभव हो रहा था,,,। वह उस छोटे से छेद को देखकर पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रहा था वह जानबूझकर अपनी मां की गांड के छेद को छेड़ नहीं रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि इन 2 दिनों में वह राजू को जरूर लेकर आएगा और राजू के साथ मिलकर वह अपनी मां की गांड मारेगा अगर अभी वह अपनी मां की गांड को छेड़ दिया तो बाद में कहीं उसकी मां को शक ना हो जाए की यह दोनों मिलें हुए हैं,,, झुमरी के अनुपस्थिति में श्याम की मां के बदन में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव होने लगा और बाद तुरंत शयाम को अपनी दोनों टांगों के बीच ले ली,,, और उसके लंड का अपनी गुलाबी छेद में लेकर चुदाई का अद्भुत सुख प्राप्त करने लगी जो कि अब राजू के बगैर अधूरा सा लग रहा था,,,,।


एक तरफ हरिया और गुलाबी आपस में लगे हुए थे और दूसरी तरफ श्याम अपनी मां की चुदाई कर रहा था और राजू जिंदगी में पहली बार अपनी मां को बैलगाड़ी पर बैठा कर दूसरे गांव ब्याह में ले जा रहा था बैलगाड़ी में पीछे अपनी मां के बेटे होने का एहसास उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को भड़का रहा था क्योंकि शादी में जाने के लिए उसकी मां तैयार हुई थी वह तैयार होने के बाद स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी,,,,,,,बेल गाड़ी चलाते समय उसके दिमाग में बहुत सी बातें आ रही थी वह मां और बेटे के मामले में श्याम को कुछ ज्यादा खुश नसीब समझ रहा था जो कि जब चाहे तब अपनी मां की चुदाई कर सकता था,,,,, वह भी श्याम की तरह बनना चाहता था ताकि उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत चोदने को मिल सके,,,,लेकिन कैसे यही उसे समझ में नहीं आ रहा था दो तीन बार तो वह अपना पैंतरा आजमा चुका था जिसका एहसास उसकी मां को भी हुआ था लेकिन बात कुछ आगे नहीं बढ़ पाई थी,,,,अपने बेटे के साथ पहली बार बैलगाड़ी में जा रही मधु बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि वह देख रही थी कि उसका बेटा बैलगाड़ी बड़े अच्छे से चला रहा था,,,, और इसीलिए वह बोली,,,।


चला तो लेता है ना ठीक से,,,


अरे मां तुम चिंता मत करो,,,, बहुत अच्छे से चला लेता हूं,,, बोलो तो दौड़ा कर दिखाऊं,,,


नहीं नहीं दौडाना नहीं है आराम से चला,,,।
(बैलगाड़ी ऊंची नीची पगडंडी कच्चे रास्ते से चली जा रही थी चारों तरफ हरे हरे खेत लहलहा रहे थे,,,अपने बेटे के साथ इस तरह से रास्ते में एकांत पाकर मधु के तन बदन में अजीब सी उलझन हो रही थी ना जाने क्यों मधु को वह सब वाक्ये याद आने लगे जोकी पूरी तरह से उत्तेजनात्मक थे पहली बार जब वह कुएं पर अपने बेटे को साथ लेकर पानी भरने के लिए गई थी और जिस तरह से उसकी मदद करते हुए राजू ने ठीक उसके पीछे खड़ा होकर तुम्हें की रस्सी को खींच रहा था ऐसे में उसकी कांड से उसके बेटे का लंड पूरी तरह से रगड़ खा रहा था,,, उसका बार-बार उसकी चुचियों को घुरना,,, और तो और जानवरों का वापस झोपड़ी में करते समय जिस तरह का हादसा पेश आया था उसे याद करके तो उसकी गुलाबी बुर से काम रस टपकने लगा था,,, गाय को काबू में करने के लिए पीछे से अपनी मां का साथ देते हुए जिस तरह से राजू ने अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़ कर अपनी मां की गोल-गोल नितंबों पर अपनी कमर आगे पीछे करते हुए हीलाया था उस पल को याद करके मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और रस्सी के टूट जाने की वजह से दोनों वहीं गिर गए थे राजू नीचे था और मधु उसके ऊपर थी और मधु की साड़ी पूरी की पूरी कमर के ऊपर तक चली गई थी कमर के नीचे को पूरी तरह से नंगी हो गई थी और उसकी नंगे पन के एहसास को उसका बेटा राजू अपने हाथों से महसूस करने के लिए जिस तरह से जानबूझकर उसकी बुर पर अपनी हथेली रखकर जोर से रगड़ा था वह पल अभी भी मधु को अच्छी तरह से ज्यादा था और उस पल को याद करके वह पानी पानी हो जाती थी और इस समय भी उसका यही हाल था,,,, मधुर को अपने बेटे को गुस्सा भी आता था लेकिन आज इस तरह से राह में एकांत पाकर अपने बेटे के साथ बैलगाड़ी में जाते हुए राजू की वही सारी हरकतें उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,,राजू अपनी मां की तारीफ करना चाहता था उसकी खूबसूरती की लेकिन से समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे करें,,,,,,,,।फिर उसे आम के बारे में सोचने लगा कि कैसे सामने अपनी मां की जरूरतों का ख्याल रखते हुए मान मर्यादा रिश्तेदारी को एक तरफ रख कर अपनी मां की इच्छाओं को पूरी किया और उसकी मां भी अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए मां बेटे के बीच के रिश्ते को अपनी जिंदगी का मजा लूटने लगी,,,, राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर वह खुद इस तरह का प्रयास करें तो शायद उसके भी हाथों में हलवा लग सकता है,,,, क्योंकि औरतों की जरूरत को अच्छी तरह से समझ गया था अगर औरत की कोई जरूरत ना होती तो गांव की इतनी सारी औरतें अभी तक उसके नीचे ना आ गई होती,,,,,, जिन जिन औरतों की उसने चुदाई किया था सबकी अपनी अपनी जरूरत थी तो यही सोच करो अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मां की भी कोई जरूरत होगी क्योंकि वह अपने पिताजी के लंड क्यों अच्छी तरह से देख लिया था जो कि उसके लंड से ज्यादा ही था और इसलिए राजू अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी मां उसके मोटे तगड़े लंबे लंड का दीदार कर लेगी तो जरूर वह भी उसके नीचे आ जाएगी जैसा कि श्याम की मां आ गई थी जो कि शाम को अपनी मां पर पूरा विश्वास था कि वह किसी गैर मर्द से शारीरिक संबंध नहीं बनाएगी लेकिन राजू को अपने मर्दाना ताकत पर पूरा विश्वास था और यही विश्वास उसे श्याम की मां की दोनों टांगों के बीच ले गया,, जिसे खुद श्याम की मां नतमस्तक होकर स्वीकार की और उसके मर्दाना ताकत की पूरी तरह से गुलाम हो गई वह अपने मन में यह सोचने लगा कि ऐसा कुछ अगर उसकी मां के साथ किया जाए तो उसकी मां भी श्याम की मां की तरह राजी हो जाएगी,,, लेकिन कैसे कैसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था बस बेल के पैरों में और पहिए में बंधे घुंघरू की आवाज से ही पूरा वातावरण शोर मय हुआ जा रहा था,,, बात की शुरुआत राजू को ही करना था यह बात राजू अच्छी तरह से जानता था इसलिए एक बहाने से अपनी मां की तारीफ करते हुए बात की शुरुआत करते हुए राजू बोला,,,।


आज तो तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो मां,,
(अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही मधु का दिल गदगद हो गया,,, वह प्रसन्न हो गई,,, और अपने चेहरे पर प्रसन्नता के भाव लाते हुए बोली,,,)

क्यों तुझे ऐसा क्यों लग रहा है,,,,?


अरे आज नई नई साड़ी पहनी हो,,,


अच्छा तो तुझे इसलिए खूबसूरत लग रही हूं कि आज नई साड़ी पहनी हुं,,, और दीन तो एसी नहीं लगती थी ना,,,


नहीं नहीं मा ऐसी बात नहीं है,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,, मुझे तो बहुत अच्छी लगती हो,,,,।

(राजू की यह बात सुनते ही मधु को अपनी दोनों टांगों के बीच सीहरनसी दौड़ती हुई महसूस होने लगी,,, मधु यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो गया है,,,)
अब खुद की मां मधु की बारी आ रही हैं अपने बेटे से चुदाने की

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आखिरकार राजू अशोक की खूबसूरत बीवी को अपने काबू में कर लिया था उसकी उफान मारती जवानी का अंकुश उसके हाथों में आ चुका था,,,, जिस पर वह अच्छी तरह से काबू पा चुका था,,, औरत को संतुष्ट करने की ताकत और आत्मविश्वास ही दोनों राजू के पास था जिसके चलते हैं वहां गांव की बहुत सी औरतों पर अपनी मर्दानगी का जादू चला चुका था,,, उसमें अब अशोक की बीवी भी शामिल हो चुकी थी जिसने आज तक संभोग कि संतुष्टि और तृप्ति का अहसास बिल्कुल भी नहीं कर पाई थी जिसे एहसास राजू ने अपनी मर्दानगी बड़े लंड से उसकी चुदाई करके महसूस करा दिया था,,,,,,,,


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,एक तरह से हरियाली अपने बेटे को अशोक को उसके घर छोड़ने का काम सौंप कर राजू के लिए एक सुनहरा मौका दे दिया था अशोक की बीवी को चोदने का जिसमें वह खरा उतर गया था और दूसरी तरफ उसे भी मौका मिल गया था अपनी छोटी बहन के साथ मस्ती करने का और इसीलिए वह अपनी बीवी को पूरी तरह से संतुष्ट कर के उसे गहरी नींद में सुला कर खुद कमरे से बाहर आ गया था और अपनी छोटी बहन के कमरे में प्रवेश कर गया था जहां पर गुलाबी खुद उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी,,, बहुत दिनों बाद दोनों का मिलन हुआ था इसलिए मौका मिलते ही हरिया अपनी बहन के बदन से सारे कपड़े उतार कर उसे तुरंत नंगी कर दिया और वह खुद भी नंगा हो गया,,,।


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अपनी बहन के साथ दोबारा शारीरिक संबंध ना बनाने की कसम हरिया ने खाया था एक बार पवित्र रिश्ते को दाग दाग करके उस पर दोबारा दास ना लगाने का वचन अपने आप को ही दिया था लेकिन अपनी बहन की कमसिन जवानी और उसकी कामुक हरकतें घर के पीछे ही उसका हौसला पस्त कर चुकी थी और वह घर के पीछे ही अपनी बहन की चुदाई करके पूरी तरह से संतुष्ट हो चुका था जब एक बार यह सिलसिला शुरू हो गया तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था जिसके चलते आज वह घर पर ही अपने कमरे के बगल वाले कमरे में अपनी बहन के कमरे में अपनी बहन के साथ मस्ती करने के इरादे से उतर चुका था जिसमें उसकी बहन भी उसका पूरी तरह से साथ दे रही थी,,,। खटिया पर गुलाबी और हरिया दोनों नग्न अवस्था में एक-दूसरे को बाहों में लेकर चुंबनों की बौछार कर रहे थे,,, हरिया अपनी बहन की दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर उसे जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,।




गुलाबी तेरी जवानी देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है तुझे चोदने का मन करता है,,,


क्यों भैया तुमने तो अपने आप से वचन लिया था ना कि दोबारा ऐसा नहीं होगा,,,


अरे भाड़ में जाए ऐसी कसम और वचन जब आंखों के सामने इतनी खूबसूरत जवानी से भरपूर लड़की खुद चुदवाने के लिए तैयार हो तो कोई पागल ही होगा जो अपने वचन के चलते ऐसी खूबसूरत नारी को नहीं भोगेगा ,,,,(हरिया अपनी बहन की दोनों चूचियों को अपने हाथों से दबाते हुए बोला)

मेरी जवानी तुम्हें इतनी अच्छी लगती है भैया,,,

हारे सच में तू बहुत खूबसूरत है तेरे बदन की बनावट मेरे मुंह में पानी ला देती है,,,, तेरी चूची देख कर ऐसा लगता है कि जैसे बगीचे में दशहरी आम के पेड़ पर रस से भरे हुए दशहरी आम लटक रहे हो,,,।


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अभी इतने भी बड़े नहीं हैं भैया की लटक रहे हो,,,,(मुंह बनाते हुए गुलाबी बोली क्योंकि चूची के लटकने वाली बात उसे अच्छी नहीं लगी थी,,)

अरे मैं जानता हूं मेरी जान,,, तुम्हारी चूचियां बड़ी बड़ी नहीं है लेकिन जरूरी नहीं कि बड़ी-बड़ी चूचियां ही लटकती हो,,, तुम्हारी चूचियां रस से भरी हुई है जिसमें अभी अभी उभार आना शुरू हुआ है ऐसे चुचियों को दबाने में कितना मजा आता है यह तुम नहीं जानती,,,।

ऊमममम,,, तभी 15:00 15 दिन निकल जाते हैं दबाते नहीं हो,,,


क्या करूं गुलाबी डर भी तो लगता है सब की नजर से बचना भी तो है अगर तेरी भाभी को पता चल गया तो गजब हो जाएगा,,,,।




हां यह तो तुम ठीक ही कह रहे हो भैया,,, लेकिन अगर भाभी जाग गई तो,,,

वह सुबह से पहले जागने वाली नहीं है,,,



ऐसा क्यों,,,,(स्तन मर्दन का आनंद लेते हुए वह बोली)


क्योंकि अभी अभी तेरी भाभी की जमकर चुदाई करके आया हूं और उसकी आदत है जब एक बार उसे जमकर चोद दो तब सुबह से पहले उसकी नींद नहीं खुलती बहुत गहरी नींद में सोती है,,,,


हां यह तो है तुम्हें खुश करने के लिए मेहनत भी तो बहुत करती होगी भाभी,,,(गुलाबी मुस्कुराते हुए बोली)


हां हंस ले तुझे भी मुझे खुश करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी आज की रात तुझे सोने नहीं दूंगा,,,,


मैं तो तैयार हूं देखना कहीं तुम थक कर सो मत जाना,,,


तू चिंता मत कर गुलाबी जब तक तेरी बुर्का भोसड़ा नहीं बना दूंगा तब तक मुझे नींद नहीं आने वाली,,,


नहीं नहीं भैया ऐसा बिल्कुल भी मत करना अगर बुर का बोसड़ा बन गया तो सुहागरात को अपने पति को क्या मुंह दिखाऊंगी,,, वह तो समझ जाएगा कि किसी और का लेती थी ना जाने कितनों का लेती थी,,, तब तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी भैया,,,




अरे बोल देना मेरी जान कि अपने बड़े भैया का लेती थी,,, क्या करूं जवानी की आग बर्दाश्त नहीं होती थी,,,,


ऊममममम,,, तुम बहुत हरामी,, हो,,,(अपने भैया के सीने पर प्यार से मुक्का मारते हुए बोली,,,,हरियार गुलाबी दोनों खटिया पर पूरी तरह से नग्न अवस्था में थे,, लालटेन की पीली रोशनी में गुलाबी का नंगा बदन और भी ज्यादा खूबसूरत और चमक रहा था,,, जिसे देखकर हरिया गदगद हुए जा रहा था हरिया भले ही रोज अपनी बीवी की चुदाई करता था,,, रोज रात को उसे भी चोदने के लिए और चाहिए रहती थी लेकिन वह भी अपनी बीवी की याद तक उसने भी किसी गैर औरत के साथ जिस्मानी ताल्लुकात नहीं बना पाया था उसके लिए यह पहला मौका था जब अपनी छोटी बहन के साथ ही वह जिस्मानी ताल्लुकात बनाकर अपनी प्यास को बुझा रहा था,, इसलिए दूसरी औरत के साथ उसे चुदाई करने में बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था भले ही वह उसकी छोटी बहन की क्यों ना थी लेकिन थी तो वह एक औरत ही जिसे खुद प्यास थी,,,,

हरिया अपनी बहन की दोनों चुचियों को बारी बारी से मुंह में लेकर पी रहा था,,, हरिया का लंड राजू के मुकाबले कम ही ताकतवर था,,, लेकिन अनुभव से भरा हुआ था एकदम मजा हुआ,,,, इसलिए अपने भतीजे के मोटे लंड के साथ साथ गुलाबी अपने भाई के अनुभव से भरे लंड का मज़ा बड़ी मस्ती के साथ लेती थी,,,जितना भी अनुभव हरिया को अपनी बीवी के साथ मिला था वह सारा अनुभव हुआ अपनी बहन के साथ खटिया पर लगा दे रहा था इसीलिए तो गुलाबी को भी बहुत मजा आ रहा था,,,,,, गुलाबी को इस तरह से अपने बड़े भैया को अपना दूध पिलाने में बहुत मजा आता था,,,एक चूची को मुंह में लेकर पीता था तो दूसरी चूची को उसी समय जोर जोर से दबाता था जिससे गुलाबी का आनंद दोगुना हो जाता था ,,, कभी-कभी उत्तेजित अवस्था में गुलाबी खुद अपनी चूची को हाथ में पकड़ कर अपने बड़े भाई के मुंह में छूट देती थी तभी दाईं चूची तो कभी बांई चुची ,,, हरिया अपनी बहन की इस हरकत से पूरी तरह से मस्त हो जाता था,,,,अपनी बहन के साथ हरिया को ज्यादा मजा आता था जिसका एक कारण था कि भले ही मत हो खुल कर उसके साथ चुदाई का मजा लेती थी लेकिन हरकतें गुलाबी कि उससे एक कदम बढ़कर थी,,,, और उसकी यही अदा की तारीफ करते हुए हरिया बोला,,,।


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हाय मेरी जान गुलाबी,,, सच में जिस से भी तेरी शादी होगी वहां दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान होगा क्योंकि तू खटिया पर मस्त कर देती है तेरी हरकतें एक दम जानलेवा है,,,, मुझे तो लगता है कि जब तेरी सुहागरात होगी ना तेरी हरकत की वजह से ही तेरी आदमी का पानी निकल जाएगा,,,।


ना भैया ऐसा मत कहो अगर ऐसा हो जाएगा तब तो मै प्यासी रह जाऊंगी,,,,।


तू चिंता मत कर मैं हूं ना मेरे पास चली आना,,,।

ओहहहह भैया तुम कितनी अच्छी हो लेकिन तब की तब देखेंगे अभी मेरी प्यास बुझाओ,,,(और इतना कहने के साथ ही गुलाबी अपनी चूची को अपने हाथ से पकड़ कर अपने भैया के खाली मुंह में डाल दी और उसका भाई मजे ले ले कर पीना शुरु कर दिया हरिया भी पूरी तरह से नंगा था उसका लंड टनटनाकर खड़ा थागुलाबी सराहनीय और वह अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने भाई के घंटे को पकड़ ली उसकी गर्माहट पाते ही उसकी बुर से काम रस की बूंद टपकने लगी,,,उत्तेजना के मारे गुलाबी अपने भाई के लंड को कस के अपनी मुट्ठी में दबोच ली,,,यही फर्क था हरिया के लंड में और राजू के लंड में,,,, हरिया का लंड बड़े आराम से गुलाबी के हथेली में आ जाता थालेकिन राजू का लंड उसकी हथेली में समाता नहीं था उसे थामने के लिए दूसरा हाथ लगाना ही पड़ता था,,,, लेकिन फिर भी गुलाबी को मजा आ रहा था,,,,,,, कुछ देर तक गुलाबी अपने भाई के लंड से खेलती रही लेकिन उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था आज वह इस खेल का कमान अपने हाथों में ले लेना चाहती थी,,,,।

इसलिए थोड़ी देर बाद वह है घुटनों के बल खटिया पर बैठ गई,,, और अपने भाई को ललचाते हुए अपनी हथेली को पहले अपने फोटो पर लगाकर जीभ से उंगलियों को चाटीऔर फिर हथेली को अपनी दोनों टांगों के बीच में लाकर अपनी बुर पर रखकर उसे उपर से ही मसलना शुरू कर दी यह देखकर हरिया की हिम्मत जवाब देने लगी,,,उसकी आंखों में वासना का बवंडर उठ रहा था अपनी बहन की हरकत उसे पूरी तरह से मदहोश कर देने वाली लग रही थी,,, हरिया को गुलाबी इस समय काम देवी से कम नहीं लग रही थी उसकी हर हरकत बदन में उत्तेजना की लहर को बढ़ावा दे रही थी,,,अपनी बहन की कामुक हरकत को देखकर हरिया को समझ पाता या कुछ कर पाता इससे पहले ही गुलाबी अपना बाया हाथ अपने भाई के सर पर रख कर उसके बालों को मुट्ठी में भींचते हुए टांगों के करीब लाने लगी दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी बड़ा ही मादक और मदहोशी से भरा हुआ नजारा था लालटेन की पीली रोशनी में यह नजारा और भी ज्यादा कामोत्तेजक जब लग रहा था,,,, अपनी बहन की हरकत का इरादा हरिया को समझ में आ गया था और वह खुद अपनी जीभ लप लपाते हुए अपनी बहन की बुर पर अपने होठों पर रख दिया और उसके काम रस से डूबी हुई बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,।


सहहहहहह ,,,,,,अआहह,,,,,,,(मदहोशी में गुलाबी के मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी और उसकी आंखें बंद होने लगी,,,, गुलाबी पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उसके भाई काम उसके दोनों टांगों के बीच था और गुलाबी मादक तरीके से अपनी कमर को होले होले आगे पीछे करते हुए अपने भाई के होठों को अपनी बुर पर रगड़ रही थी,,, और हरिया अपनी जीभ को बाहर निकाल कर जितना हो सकता था अपनी बहन की बुर में डालकर उसकी मलाई को चाटने की कोशिश कर रहा था,,,,।


सहहहहहह आहहहहहहह ,,,,ऊमममममम ,,,,,आहहहरहहहह ,,,, पूरी जीभ डालकर भैया,,,,,,,सहहहहह आहहहहहह,,,,,

हरिया भी अपनी छोटी बहन की आज्ञा का पालन करते हुए उसकी जरूरत के मुताबिक अपनी जीभ को हरकत में लाते हुए उसे और मस्त करने लगा हरिया दोनों हाथों को पीछे कर अपनी बहन की गोरी गोरी गांड की फांकों को दबोचे हुए बुर चटाई का मजा ले रहा था,,,। गुलाबी पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,,, वह अभी भी अपने भाई के सर को दोनों हाथों से पकड़े हुए ज्यादा से ज्यादा कसकर अपनी बुर पर दबाए हुए थी,,,, और सिसकारी का मजा ले रही थी अपनी बहन की सिसकारी की आवाज सुनकर हरिया और ज्यादा आनंदित हो रहा था वह और मस्ती के साथ अपनी बहन की बुर को चाट रहा था,,,।


गुलाबी आज पूरी तरह से मस्ती के इरादे से अपने भाई पर अपना पूरा कब्जा जमाए हुए थी कुछ देर तक अपने भाई को अपनी बुर चटवाने के बाद वह अपने भाई को उसके कंधे को पकड़कर खटिया पर पीठ के बल लेट आने लगी,,,,गुलाबी आज किसी भी तरह से अपने भाई को अपने ऊपर हावी होने देना नहीं चाहती थी आज वह अपनेभाई के साथ अपने मन की करना चाहती थी देखते-देखते हरिया पीठ के बल खटिया पर बैठ गया गुलाबी मुस्कुराते हुए एक नजर अपने भाई के लंड पर डाली जो की पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था,, अपने भाई के लंड को देखकर उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी,,, और वह देखते ही देखते अपनी गोल-गोल गांड को अपने भाई के कंधे के इर्द-गिर्द अपने घुटनों को टीका कर अपनी गांड का वजन अपने भाई के चेहरे पर रखने लगी पर खुद उसके ऊपर टांगों की तरफ झुकते हुए उसके लंड के बेहद करीब अपने होठों को लाकर उसके लंड को थाम ली,,,दोनों को एक साथ मजे लेने के लिए कामसूत्र के आसन के मुताबिक यहां सन बेहद आरामदायक और मदहोशी से भरा हुआ था क्योंकि इस आशा में में हरिया और गुलाबी दोनों एक साथ एक दूसरे की उत्तेजित अंगों का आनंद ले सकते थे और यह बात हरिया भी समझ गया था इसलिए खुद ही अपने हाथों से अपनी बहन की गांड को पकड़ कर अपनी जीभ को उसकी बुर लगाकर चाटना शुरू कर दिया,,, और गुलाबी आंखों में खुमारी लिए अपनी बहन के लंड को पकड़ कर उसके सुपाडे को अपने होठों से लगाकर अपनी प्यासी जीभ को बाहर निकाल कर उसके लंड के आलूबुखारे जैसे सुपाड़े को चाटना शुरू कर दी,,,,,, हरिया अपनी बहन की हरकत से पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,,वह अपने मन में सोचने लगा कि उसकी बहन कितना मजा देती है एकदम रंडी की तरह,,,, इतना मजा तो उसकी बीवी मधु भी नहीं देती थी,,, बस हर तरीके से उसका साथ दे दी थी लेकिन इस तरह की हरकत नहीं करती थी,,,।

दोनों भाई बहन पूरी दुनिया को भुल कर एक दूसरे के नाजुक अंगों का मजा ले रहे थे,,,गुलाबी मस्ती में धीरे-धीरे अपनी कमर को भी हिला रही थी मानो कि जैसे अपने भाई के मुंह को चोद रही हो,,और इसी तरह से एक बार हरिया की जीत उसकी गांड के भूरे रंग के छेद पर स्पर्श हो गई इतने में तो गुलाबी के तन बदन में आग लग गई,,,उसे इस बात का अहसास हो गया था कि उसके भाई की जीत उसकी गांड के छेद पर स्पर्श हो गई है और यही गुलाबी के लिए मानो मदहोशी भर देने वाला पल था,,,अपनी ऐसी तैसी ना तो वह बिल्कुल भी अपने अंकुश में नहीं रख पाई और उसकी बुर से काम रस झड़ने लगा,,,, जिसे उसका भाई अपनी जीभ लगाकर अमृत की बूंद की तरह लपालप चाट रहा था,,,। गुलाबी की गरम सिसकारी की आवाज थोड़ी तेज हो गई थी लेकिन इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं थी,,, यह बात हरी अच्छी तरह से जानता था कि कि उसकी बीवी चुदवाने के बाद बेसुध होकर सो जाती थी,,,।

गुलाबी उस क्षण को एक बार फिर से अपने अंदर मैसेज करना चाहती थी एक बार फिर से अपने भाई की जीभ को अपनी गांड के छेद पर लहराता हुआ महसूस करना चाहती थी,,,इसलिए अपनी कमर को आगे पीछे करके वह अपने भाई के होठों पर अपनी गांड का छेद रखना चाहती थी जिसमें उसे जल्द ही कामयाबी मिल गई और जैसे उसकी गांड का छेद उसके भाई के होठों पर आया वह अपनी कमर को नीचे की तरफ दबा दी,,, जोकि हरिया के लिए इशारा था कि अब वह उसकी गांड के छेद को जीभ से चाटे,,, और शायद हरिया इस बात को समझ भी गया थाऔर अपनी बहन का इरादा जानकर और ज्यादा उत्तेजित हो गया और इसीलिए अपने हाथ को ऊपर की तरफ लाकर गुलाबी की कमर में अपने दोनों हाथ को डालकर उसे अपनी तरफ दबाने लगा और अपनी जीभ से उसकी गांड के छोटे से छेद को चाटना शुरू कर दिया जिसमें से मादकता की खुशबू उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,,।



हरिया को भी अपनी बहन की गांड चाटने में मजा आ रहा था गुलाबी पूरी तरह से मस्त होकर अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दी थी और अपनी बहन के लंड को पूरा गले तक उतार कर मजा ले रही थी हरिया भी कुछ कम नहीं था वह भी नीचे से अपनी कमर को ऊपर की तरफ फेंक दे रहा था जिससे उसका लंड गुलाबी के गले तक चला जा रहा था दोनों को बहुत मजा आ रहा था,,,,। हरिया अपनी उत्तेजना को काबू में नहीं कर पा रहा था और वहां अपनी उत्तेजना का कसरअपनी बहन की गांड पर उतारते हैं दोनों हाथों से रह-रहकर उसकी गांड पर जोर जोर से चपत लगा दे रहा था जिससे गुलाबी को चपत की वजह से थोड़ा दर्द तो हो रहा था लेकिन यह दर्द मीठा मीठा था जिसमें आनंद बहुत ज्यादा मिल रहा था,,,, अपनी बहन की गांड पर चपत लगाते हुए वह बोला,,,।

क्यों मेरी जान गांड चटवाने में मजा आ रहा है ना,,,


बहुत मजा आ रहा है भैया,,,,आहहहहह ,,,,

जब तुझे चटवाने में मजा आ रहा है तब मरवाने में कितना मजा आएगा,,,

मरवाने में मैं कुछ समझी नहीं,,,(गुलाबी सबको समझ रही थी लेकिन जानबूझकर अनजान बनने का नाटक करते हुए वह भी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसके भैया को यह बात भी मालूम हो कि गांड मरवाने कि उसकी भी इच्छा है,,,जबकि शुरू से ही आज उसके मन में यही इच्छा प्रबल हुए जा रही थी कि वह भी अपने भाई से गांड मरवाएगी क्योंकि जब से राजू ने उसे बताया था किउसकी मां उसके पिताजी से गांड मरवाती है और उसे अपनी आंखों से देखा है और गांड मरवाने उसकी मां को बहुत मजा आ रहा था यह सुनकर उसके भी मन में इच्छा हो रही थी कि वह भी गांड मरवाए और राजू इसके लिए तैयार भी था,,,लेकिन अपनी सहेली की बातों को सुनकर उसका हौसला पस्त होता नजर आ रहा था और वह अपने भतीजे को इनकार कर चुकी थी लेकिन उसके मन में गांड मरवाने वाली इच्छाधारी हुई थी जो कि वह अपने भाई से मरवाना चाहती थी क्योंकि राजू के कहे अनुसार उसका भाई उसकी भाभी की गांड मारता है और उसे इसका पूरा अनुभव था और तो और राजू का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था जिसे गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी कि अपनी गांड के छेद में लेने में दिक्कत हो जाएगी और उसके भाई का लंड राजू के मुकाबले ज्यादा लंबा और मोटा नहीं था जो कि अनुभव होने के कारण वह अपने लंड को आराम से उसकी गांड में उतार सकता था और एक बार जब वह अपने भाई से गांड मरवा लेती तो अपने भतीजे की ईच्छा पुरी करने में उसे कोई दिक्कत नहीं होती,,,,,,, इसलिए वह अपने भाई से गांड मरवाने की इच्छा रखती थी लेकिन जान बूझकर अपने भाई की बात ना समझने का बहाना कर रही थी ,,अपनी छोटी बहन गुलाबी की बात सुनकर हरिया बोला,,,।)


knickerbocker club


अरे मेरी छम्मक छल्लो इतना भी नहीं जानती,,, मरवाने का मतलब है कि तुम्हारी गांड में लंड डालना,,,अगर मैं तुम्हारी गांड में अपना लंड डालूंगा तो इसे कहते हैं गांड मरवाना,,,


बाप रे क्या ऐसा भी होता है,,,,(लंड को हाथ से पकड़ कर हिलाते हुए बोली)


तो क्या मेरी जान,,,, बहुत मजा आता है,,,(गांड को दोनों हाथों से पकड़े हुए वह बोला,,,)

क्या भाभी की भी तुम गांड मारते हो,,,


तो क्या पूछ मत गुलाबी कितना मजा आता है,,,,


बाप रे इस बारे में तो मैं कभी सोची ही नहीं थी,,,, लेकिन क्या इसमें तुम्हारा यह,,(लंड पर प्यार से थप्पड़ मारते हुए) चला जाएगा,,,!


बड़े आराम से जाएगा मेरी जान,,,, तुम्हारी भाभी तो पूरा का पूरा अंदर ले लेती है तभी उसे मजा आता है,,,


दैया रे तुम्हारी बातें सुनकर तो मुझे कुछ-कुछ हो रहा है,,,,।


बहुत मजा आएगा बस एक बार हां कर दो फिर इसके बाद देखना,,,,(धीरे से गुलाबी की गांड के छेद को गीला करके उसमें अपनी उंगली को धीरे से डालते हुए) तुम खुद मेरे लंड पर अपनी गांड रखकर बैठ जाओगी,,,,


दुखेगा तो,,,(गुलाबी चिंता व्यक्त करते हुए बोली हालांकि उसका मन अब पूरी तरह से तैयार हो चुका था अपने भाई के लंड को अपनी गांड में लेने के लिए)

अरे बिल्कुल भी नहीं दुखेगा ,मै इतने आराम से डालूंगा कि तुम्हें मजा के अलावा और कुछ नहीं सुझेगा,,,,,,,

ओहहहह ,,,, भैया मैं अपने आप को तुम्हारे हवाले करती हूं अब तुम कोई सब कुछ करना है अगर जरा भी दर्द होगा तो मैं करने नहीं दूंगी,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो रानी,,, एकदम आराम से तुम्हारी गांड मारूंगा,,,(इतना कहने के साथ ही हरिया उत्तेजित अवस्था में एक बार फिर से उसकी गांड के छेद पर्ची पर रखकर चाटना शुरू कर दिया और साथ ही अपनी एक ऊंगली उसकी गांड के छेद में अंदर-बाहर करने लगा जिस का आनंद गुलाबी बड़े अच्छे से दे रही थी वह कसमसा रही थी गांड में उंगली जाने की वजह से,, अपने मन में सोचने लगी कि जब इंग्लिश इतना आनंद मिल रहा है तो,,, लंड जाएगा तो कितना मजा आएगा,,,,ऊहहहहहह,,,, हरिया बहुत खुश हो गया था आज जिंदगी में दूसरी औरत की गांड जो मिल रही थी मारने को और वह भी खुद की बहन की,, हरिया को इस बात की खुशी और ज्यादा थे कि वहां अपनी छोटी बहन को गांड मरवाने के लिए राजी कर लिया था जबकि हकीकत यह था कि गुलाबी खुद अपने भाई से गाना होना चाहती थी बस अपने मुंह से कह नहीं पा रही थी,,, गांड मरवाने वाली जिक्र छेड़ने में उसे डर लग रहा था इसलिए जानबूझकर अपने भाई को अपनी गांड चटवा कर,,, गांड मारने की विषय को अपने भाई के सामने प्रस्तुत की थी और उसकी यह नहीं थी काम भी कर गई थी,,,जितना उत्सव खा लिया था अपनी बहन की गांड मारने के लिए उतनी ज्यादा उतावली खुद गुलाबी थी अपने भाई के लंड को अपनी गांड में लेने के लिए,,,,,,।

थोड़ी ही देर में खटिया पर गुलाबी पीठ के बल लेट चुकी थी,,, और हरिया अपनी बहन की गांड के नीचे दो तकिया रख दिया था ताकि उसकी गांड ऊपर की तरफ हो जाए और उसकी गांड का छेद आराम से उसे नजर आ जाए,,,,लेकिन शायद यह आसन हरिया को खुद पसंद नहीं आया क्योंकि यह तो गुलाबी की शुरुआत थी अगर पहले से ही गुलाबी गांड मरवाती आ रही होती तो शायद इस आसन में बड़े आराम से उसकी गांड में चला जाता लेकिन यह गुलाबी के लिए पहली बार था इसलिए हरिया पूरी सावधानी रख रहा था क्योंकि वह जानता था कर एक बार दर्द करने लगेगा तो फिर उसकी बहन उसे गांड मारने नहीं देगी,,, इसलिए तो गुलाबी को घोड़ी बन जाने के लिए बोला लेकिन इस बार हरिया खटिया के नीचे खड़ा हो गया और गुलाबी अपनी गांड तो उठाकर खटिया के पाटी की तरफ चलाते हुए एक दम आरामदायक आसन में आ गई जहां से हरिया को अपनी बहन की गांड का छोटा सा छेद बड़े आराम से नजर आ रहा था लेकिन हरिया यह बात अच्छी तरह से जानता था कि पहली बार में ही उसका लंड उसकी बहन की गांड में आराम से प्रवेश नहीं कर पाएगा इसके लिए उसे सरसों के तेल की जरूरत पड़ेगी,,,,।

हरिया पूरी तैयारी कर चुका था गुलाबी का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, तभी हरिया बोला,,,।


गुलाबी सरसों का तेल मिलेगा क्या,,,,?(अपने लंड को पकड़कर खिलाते हुए बोला)


हां हां उस कोने में रखा हुआ है,,,( उंगली के इशारे से कोने में दिखाते हुए बोली,,,गुलाबी समझ गई थी कि उसका भाई उसकी गांड में तेल लगाकर उसकी गांड मारेगा,,, और हरिया तुरंत कोने है मे से सरसो के तेल की कटोरी ले आया,,, और कटोरी में से ही सरसों की धार को अपनी बहन की गांड के छोटे से छेद पर गिराने लगा और हथेली से उसे अच्छी तरह से चुपडने लगा,,,, पर थोड़ा सा सरसों का तेल अपने लंड पर लगा लिया जिससे लंड की ताकत और ज्यादा बढ़ गई,,,, गुलाबी नजर को पीछे घुमा कर अपने भाई की हरकत को ही देख रही थी क्योंकि किसी भी वक्त उसका भाई उसकी गांड में लंड डाल सकता था,,,,। और हरिया पूरी तैयारी के साथ पहले अपनी उंगली को अपनी बहन की गांड में डाल कर उसे गोल-गोल घुमाते हुए अपने लिए रास्ता बनाने लगा,,,, और जब उसे पूरी तरह से तो सकती हो कि ना तो वह अपने लंड कैसे पानी को सरसों के तेल में डुबोकर अपनी बहन की गांड के छोटे से छेद पर रख दिया और उसे अंदर की तरफ ढकेलने लगा,, धीरे-धीरे थोड़ा सा सुपाड़ा अंदर की तरफ प्रवेश करने के लिए उतावला हुआ तो गुलाबी को दर्द महसूस होने लगा और वहां बिना कुछ बोले अपने हाथ को पीछे की तरफ लाकर अपनी गांड पर हथेली रखकर दबाने लगी,,,, हरिया जानता था कि थोड़ा बहुत दर्द होगा इसलिए फिर से कोशिश करते हुए लंड को फिर से गांड के छेद के अंदर सरकाने लगा,,,, इस बार सरसों के तेल की चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा अंदर की तरफ सरकने लगा और गुलाबी का दर्द बढ़ने लगा,,,,।


आहहहहह,,,,


बस बस रानी हो गया बस एक बार अंदर खुल जाए उसके बाद मजा ही मजा है,,,


दर्द कर रहा है,,,


लेकिन दर्द के आगे ही मजा ही मजा है,,,,बस थोड़ा सा और,,,( और इतना कहने के साथ ही अपनी बहन को बातों में उलझाए हुए,, हरिया इस बार थोड़ा जोर से अपनी कमर को आगे की तरफ धकेला और उसकी मेहनत रंग लाई सरसों के तेल की चिकनाहट पाकर हरिया का लंड का सुपाड़ा,, विजयी मुस्कान बिखरते हुए अंदर की तरफ सरक गया,,, गांव के छोटे से छेद के अंदर का अंधेरा लंड के सुपाड़े को बेहद लुभावना लग रहा था,,, इसलिए मारे खुशी के वह कुछ ज्यादा ही फुल गया था,,,। लेकिन जैसे ही सुखाड़ा छेद के अंदर प्रवेश किया वैसे ही गुलाबी दर्द से बिलबिला उठी,,,,।

हाय ,, दैया मर गई रे,,,ऊफफफ बहुत दर्द कर रहा है भैया निकालो बाहर,,,,,आहहहहह,,,,


कुछ नहीं गुलाबी तुम शांत हो जाओ थोड़ी देर में सब सही हो जाएगा,,,,

मुझे नहीं लगता सही हो पाएगा निकाल लो जल्दी से,,,
(गुलाबी को दर्द हो रहा था इस बात का अंदाजा हरिया को अच्छी तरह से था लेकिन मैं जानता था कि अगर एक बार वहलंड को बाहर निकाल दिया तो फिर उसकी बहन दोबारा डालने नहीं देगी इसलिए वह अपनी बहन को अपनी बातों से और अपनी हरकत से उलझाना चाहता थाइसलिए अपना दोनों हाथों की किस्त अपनाकर अपनी बहन की चूची को पकड़ लिया और उसे हल्के हल्के सहलाना शुरु कर दिया,,,।

अभी देखना कितना मजा आएगा बस एक दम शांत हो जाओ बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा,,,।
(थोड़ी ही देर में हरिया की मेहनत रंग लाने लगी गुलाबी की रंगत फिर से वापस आने लगी उसे अपनी गांड के छेद में लंड का सुपारा आनंददायक लगने लगा उसका दर्द कम हुआ तो हरिया चूची को दबाते हुए हल्के हल्के अपनी कमर को अंदर-बाहर करने लगा,,, ज्यादा कमर को हीलाता नहीं था बस गुलाबी की तसल्ली के लिए हमेशा कर रहा था लेकिन ऐसा करने से उसे भी थोड़ी जगह मिल रही थी,,, लंड का सुपाड़ा धीरे धीरे अंदर की तरफ सरक रहा है,,, जब हरिया ने देखा कि गुलाबी को दर्द नहीं हो रहा हैतब फिर से हल्के से कमर को आगे की तरफ धक्का मारा और फिर से सरसों के तेल ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया,,, लंड फिर से अंदर की तरफ सरकने लगा,,,,।
लेकिन हरिया को काफी मेहनत करनी पड़ रही थी क्योंकि यह पहली बार था और वह पसीने से तरबतर हो चुका था और यही हाल गुलाबी का भी था मजा तो आ रहा था लेकिन दर्द का एहसास नहीं उसे भी मजबूर कर दिया था वह भी पसीने से तरबतर हो चुकी थी दोनों के नंगे बदन पर पसीने की बूंदें उपस गई थी,,,।

देखते ही देखते हरिया अपने अनुभव का कमाल दिखाते हुए अपने लंड को पूरा का पूरा अपनी बहन की गांड के अंदर डाल दिया,,, और बोला,,,


देख गुलाबी कैसे तेरी गांड के अंदर मेरा पूरा का पूरा लंड घुस गया है,,,,,,
(अपने भाई की बात सुनकर आश्चर्य से गुलाबी पीछे की तरफ नजर करके देखने लगी लेकिन,, अपनी ही गांड के पीछे का दृश्य उसे कहां नजर आने वाला था,,, लेकिन महसूस जरूर हो रहा था कि उसकी गांड में कुछ लंबा सा चीज घुसा हुआ है,,,, बस फिर क्या था ,,, हरिया और गुलाबी दोनों की नजरें आपस में टकराई,,,,, दोनों के चेहरे पर विजई मुस्कान तैरने लगी और फिर हरिया अपनी बहन की मांसल गांड को अपने दोनों हाथों से थामकर अपनी कमर को आगे पीछे करके हीलाना शुरू कर दिया,, हरिया का लंड अब धीरे-धीरे आराम से उसकी गांड के छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,, गुलाबी को भी बहुत मजा आ रहा था,,,।


धीरे धीरे हरिया रफ्तार पकड़ने लगा,,,गुलाबी को आज भी तो सुख की प्राप्ति हो रही थी वह कभी सपने में भी नहीं सोचती भी गांड मरवाने में भी कितना मजा आता है,,, लेकिन इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि लंड को अंदर जाने में कितनी मशक्कत करनी पड़ी थी लेकिन फिर भी सब कुछ अच्छे तरीके से हो गया था इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी,,, अपनी कमर को रफ्तार में हिलाते हुए हरिया बोला,,,।


अब कैसा लग रहा है मेरी छम्मक छल्लो,,,


आहहहह बहुत मजा आ रहा है भैया मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस खेल में इतना मजा आता होगा,,,,,


मैं बोला था ना बहुत मजा आएगा,,,,,,, सच कहूं तो गुलाबी मुझे,,, तुम्हारी भाभी की गांड से ज्यादा मजा,, मुझे तुम्हारी गांड से आ रहा है,,,।

तो और जोर जोर से मारो भैया,,, गांड मारो मेरी,,,आहहहह,आहहहहहह बहुत मजा आ रहा है,,,।


मधु को इस बात की भनक तक नहीं थी कि उसके ठीक बगल वाले कमरे में उसकी ननद अपने ही भाई से चुदाई का अद्भुत खेल खेल रही है,,,, हरिया पूरी तरह से मस्ती में आकर अपनी बहन की गांड मार रहा था,,,, और देखते ही देखते दोनों चरमसुख के करीब पहुंचने लगी,,, और फिर दोनों का लावा एक साथ फूट पड़ा,,, हरीया अपनी बहन की नंगी पीठ पर लेट गया,,,।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है
आखिरकार हरिया ने अपनी बहन गुलाबी की कुआरी गांड़ का उद्घाटन कर ही दिया गुलाबी का गांड़ मरवाने का डर दूर हो गया है लगता है अब गुलाबी राजू से भी गांड़ मरवा लेगी देखते हैं आगे क्या होता है
 

Sanju@

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राजू के चेहरे पर अद्भुत विजई मुस्कान थी और अशोक की बीवी के चेहरे पर संतुष्टि भरा एहसास दोनों पूरी तरह से तृप्त हो चुके थे,,, राजू उसके ऊपर ही पसर गया था,,, दोनों संतुष्टि का अहसास करते हुए गहरी गहरी सांसे ले रहे थे,,,, राजू की संभोग गाथा में आज एक और पराक्रम जुड़ गया था,,, किसी गैर मर्द के साथ अशोक की बीवी का यह पहला संभव था तभी तो उसे इस बात का अहसास हुआ कि असली चुदाई किसे कहते हैं अब तक उसका पति सिर्फ उसके साथ खेल खेलता आ रहा था,,,,,, मोटे तगड़े लंबे लंड से चुदाई किस प्रकार से तृप्ति का एहसास दिलाती है यह अब उसे भली-भांति एहसास होने लगा था,,, बुर की अंदरूनी दीवारो की रगड़ एक मोटे तगड़े लंड की वजह से किस कदर अद्भुत होती है इस एहसास को भी वह पहली बार महसूस की थी,,,, तभी तो वह एकदम पानी पानी हो गई थी,,,,,।

राजू उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर सर रखकर गहरी सांसे ले रहा था और अशोक की बीवी भी गहरी गहरी सांस ले रही थी जिसकी वजह से उसकी छातियों का उठना बैठना लगातार जारी था और यह एहसास राजू को और ज्यादा गदगद किए जा रहा था,,,,,,,, कुछ देर बाद एकदम शांति सी छा गई चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था केवल उन दोनों की गहरी गहरी सांसो की ही ध्वनि सुनाई दे रही थी,,,, राजू का लंड अशोक की बीवी की बुर से बाहर निकल चुका था लेकिन उसके ऊपर लेटने की वजह से उसका मोटा तगड़ा लंड हल्के से ढीलेपन के साथ उसकी दोनों जांघों के बीच आराम कर रहा था,,,,,, राजू बहुत खुश था,, क्योंकि अशोक की खूबसूरत बीवी जो उसे चोदने को मिल गई थी,,,। वह उसपर लेटे हुए ही बोला,,,,।

आंखे खोलो रानी,,,,(इतना कहने के साथ ही वह हल्के से उसके रसीले होठों का चुंबन ले लिया,,,, और वह एकदम से सिहर उठी,,,,वह अभी भी गहरी गहरी सांसे ले रही थी और सांसो की लय के साथ उसकी उठती बैठती गोल गोल चूचियां राजू के सीने पर अपनी गोलाईयों का एहसास करा रही थी,,,) इतना क्यों शर्माना भाभी,,, अब तो शर्म का पर्दा पूरी तरह से हट गया है तुम नंगी हो मैं नंगा हूं और अभी अभी तुम्हारी बुर में अपना लंड डालकर तुम्हारी चुदाई कीया हुं,,,,फिर अब क्यों शर्मा रही हो,,,, मेरी रानी,,,(राजू जानबूझकर अशोक की बीवी से इस तरह की गंदी बातें कर रहा था,,,,,वह नहीं चाहता था कि पहली चुदाई में ही वह थक कर सो जाए बड़ी मुश्किल से आज की रात मौका मिला था,,,, इस मौके को ईस चांदनी रात को राजु ऐसे ही जाया नहीं होने देना चाहता था,,, इस रात को और ज्यादा रंगीन बनाना चाहता था इसलिए वह गंदी गंदी बातें कर रहा था,,,। और उसकी इस तरह की बातों को सुनकर अशोक की बीवी मचल रही थी,,,।,,राजू की गरम बातें उसे और ज्यादा गर्म कर रही थी हालांकि अभी अभी उसकी जवानी की गर्मी राजु ने शांत किया था,,, लेकिन इस तरह की बातों को सुनकर उसके तन बदन में एक बार फिर से हलचल सी होने लगी,,,,




अब क्यों शर्मा रही हो भाभी,,,


शरंम तो आएगी ही ना बबुआ,,,,


नहीं आना तो नहीं चाहिए,,, क्योंकि अभी अभी बेशर्म बनकर तो चुदवाई हो,,,,
(राजू की यह बात सुनकर अशोक की बीवी शर्म से पानी पानी होने लगी क्योंकि राजू की बात एक दम सही थी,, वह वास्तव में बेशर्म बनकर एक अनजान जवान लड़के के साथ संभोग का सुख प्राप्त की थी,,, वासना की आग में वह पूरी तरह से झुलस रही थी जिसके कारण उसकी आंखों पर मदहोशी की पट्टी चढ गई थी,,, जिससे उसे यह‌ भी भान नहीं रहा की ,, बगल में ही उसका पति लेटा हुआ है भले ही नशे की हालत में बेसुध था लेकिन उसके करीब तो था लेकिन फिर भी बदन की आग को शांत करने के लिए अशोक की बीवी ने अपनी पति के मौजूदगी का भी लिहाज नहीं की और एक अनजान जवान लड़के के साथ हमबिस्तर होते हैं उसके साथ संभोग सुख की आनंद की प्राप्ति कर ली लेकिन इस बात से वह अच्छी तरह से वाकिफ की थी उसका यह कदम उसे स्त्री सुख से भलीभांति वाकिफ भी करायावरना उसके पति के साथ तो उसे स्त्री सुख की संतुष्टि क्या है इस बात का बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था मर्द की मर्दानगी क्या होती है इस बारे में वह समझ ही नहीं पाई थी राजू से मिलने के बाद उसे वास्तविक स्त्री सुख और संतुष्टि का अहसास हुआ,,,, जिसके बारे में सोच करो वहां अपने द्वारा उठाए गए इस कदम का पूरी तरह से समर्थन भी कर रही थी,,,।

अशोक की बीवी को राजू अपनी बातों से बहला रहा था बीच-बीच में उसके लाल-लाल होठों का चुंबन भी कर रहा था,,, और साथ ही कभी-कभी अपनी हथेलियों में उसकी चूची को लेकर दबा भी दे रहा था,,,। जिससे अशोक की बीवी को एक बार फिर से आनंद की अनुभूति होने लगी थी अभी अभी वह अपनी गर्मी अपनी बुक की संकरी दीवारों से बाहर निकाली थी और एक बार फिर से उसमे उबाल आना शुरू हो गया था,,,,, राजू यह चाहता था कि उसे नींद ना आए वह उसे जगाना चाहता था क्योंकि वह जानता था अगर एक बार की चुदाई के बाद उसे नींद आ गई तो फिर चुदाई में मजा नहीं आएगा,,, इसलिए वह बार-बार उसकी चूची को जोर जोर से दबा दे रहा था ताकि वह सो नहीं जाए,,, राजू की अवधारणा बिल्कुल ही गलत थी जवानी के सुख को पहली बार में बोल रही थी ऐसे में नींद तो दूर की बात है झपकि भी नहीं आ सकती थी,,, वह तो राजू की हरकतों का मजा ले रही थी,,,।

क्यों भाभी मजा आया ना,,,

(अशोक की बीवी बोली कुछ नहीं बस हां में सिर हिला दी उसके चेहरे पर शर्म की लाली साफ नजर आ रही थी,,,राजू को उसका जवाब मिल गया था लेकिन वह उसके मुंह से सुनना चाहता था इसलिए फिर से बोला)


ऐसे नहीं भाभी बोल कर बताओ,,ना,,,। मजा आया कि नहीं,,,,


बहुत मजा आया,,,(शर्म के मारे अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली,,)

चाचा से मेरा लंड ज्यादा मोटा और लंबा था ना,,,।

हां,,,(वह शरमाते हुए बोली,,वह अच्छी तरह से जानती थी कि झूठ बोलने में कोई मजा नहीं है क्योंकि उसके पति की हालत को देखकर कोई भी समझ सकता था कि उसके अंदर कितनी मर्दानगी भरी हुई है,,, और राजू लगातार उसके बदन से फिर से खेलना शुरू कर दिया था,उसकी गोल गोल चुचियों को दबाते हुए राजू फिर से उत्तेजित हो रहा था और साथ ही अशोक की बीवी को भी गर्म कर रहा था,,, और इसी तरह से गंदी बातों को जारी रखते हुए बोला)


भाभी तुम्हारी बुर में तो महसूस हो रहा था ना,, मेरा लंड जब अंदर रगड़ रगड़ कर जा रहा था,,,।
(राजू के इस सवाल पर वह एकदम से सिहर उठी थी,,, क्योंकि उसे वहां पर याद आ गया था जब राजू अपने मोटे लंड को उसकी बुर की अंदरूनी दीवारों में रगड़ रगड़ कर उसे पेल रहा था,,,,,,अशोक की बीवी के चेहरे पर राजू की गरम गरम बातें और उसकी हरकत ने एक बार फिर से असर दिखाना शुरू कर दिया था उसके चेहरे की लाली मां बता रही थी कि फिर से वह तैयार हो रही थी,,,,,, लेकिन आप राजू के वजन से वह कसमसा रही थी और उसे एक बार फिर से जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी,,,यह शायद संभोग की अद्भुत तृप्ति का एहसास की वजह से ही था कि उसे इतनी जल्दी फिर से पेशाब लग गई थी,,,, वह राजू के सवाल का जवाब दिए बिना हीं बोली,,,,,,)

चल अब हट जा बबुआ उठने दे मुझे,,,,( वह उठने की कोशिश करते हुए बोली,,,)

नहीं भाभी,,, अभी तो खेल शुरू हुआ है सारी रात तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूं,,, क्योंकि तुम्हारी बुर बहुत कसी हुई है,,,,
(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी को मजा आ रहा था लेकिन फिर भी वह राजू को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करती हुई बोली,,,)

चल हट जा बबुआ,,,, अब कसी हुई नहीं है,,, तेरे नाप की हो गई है,,,


हाय मेरी रानी यह क्या बोल दि,, तुमने,,अब, तो दुबारा डालने का मन कर रहा है,,,,।
(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी हैरान थी,,, क्योंकि वह उसे फिर से चोदने की बात कर रहा था और जहां तक उसका ख्याल था कि उसका पति एक बार थोड़ी ही देर में झड़ भी जाता था और गहरी नींद में सो भी जाता था,,, उसके साथ आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि दोबारा उसके पति ने उसके चुदाई किया हो और दोबारा वह कभी अपने पति के लंड को खड़ा होते नहीं देखी थी,,,,, इसलिए वह आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)

फिर से,,,!


तो क्या मेरी रानी एक बार में तुमसे मेरा मन भरने वाला थोड़ी है,,, तुम चीज ही कुछ ऐसी हो,,,
(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी की सांसे गहरी चलने लगी थी फिर भी वह अपने आप को संभाल कर बोली)

उठने दे बबुआ मुझे,,,,


नहीं उठने दूंगा,,, तुम मुझे सारी रात दोगी कि नहीं,,,

अरे बबुआ यह कैसी बातें कर रहा है,,,, तुझे नींद नहीं आ रही है क्या,,,?


क्या भाभी जब खटिया पर इतनी खूबसूरत औरत नंगी लेटी हो तो वह बेवकूफ‌ ही होगा जिसे नींद आएगी,,,।


लेकिन यह तो तुरंत सो जाते हैं,,,


तभी तो भाभी तुम्हारा यह हाल है कि तुम्हारी बुर अभी भी कसी हुई है जो कि अच्छी बात तो है ही लेकिन तुम्हें कभी मर्दानगी का अहसास तक नहीं हुआ चुदाई क्या होती है यह बात तुम जान नहीं पाई,,, क्योंकि चाचा तुम्हारे लायक है ही नहीं तुम्हारे शरीर देखी हो तुम्हारा खूबसूरत बदन ऐसा लगता है कि जैसे कामदेव के लिए बनाई गई हो और चाचा मुझे नहीं लगता कि तुम्हारी चुदाई जी भर कर कर पाते होंगे दो-तीन धक्के में तो उनका निकल जाता होगा,,,, क्यों भाभी सच कह रहा हूं ना,,,।
(राजू की बातों में सच्चाई थी और अशोक की बीवी के पास छुपाने लायक कुछ भी नहीं था इसलिए वह राजू की बात पर सहमति दर्शाते हुए बोली,,,)

हां जैसा तुम कह रहे हो वैसा ही होता है,,,


तब तो भाभी आज तो तुम तो मस्त हो गई होगी,,,,।

(अशोक की बीवी को हां कहने में शर्म आ रही थी इसलिए मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला दी,,,, उसकी हामी सुनते ही राजू एक बार फिर से उसके होठों का चुंबन करने लगा उसका लंड फिर से अपनी औकात में आ चुका था जो कि ठीक उसकी दोनों जांघों के बीच ठोकर मार रहा था और अशोक की बीवी पूरी तरह से मस्त होकर उस ठोकर को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी लेकिन इस समय उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए थोड़ा जोर लगाकर राजू को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली,,,)

बबुआ तुम्हें मैं कब से कह रही हूं कि मेरे ऊपर से हट जाओ मुझे पेशाब करने जाना है,,,


क्या भाभी अभी अभी तो करके आई हो कितना मुतोगी,,,।
(अशोक की बीवी को खटिया पर से उठ कर नीचे पैर रखकर खटिया से खड़े होते देख रहा था)


अरे अब जोरों की लगी है तो क्या करें,,,(नीचे गिरी साड़ी को उठाते हुए बोली)

चलो कोई बात नहीं लेकिन करोगी कहां,,,?(उसकी तनी हुई चूचियों की तरफ ललचाई नजरों से देखते हुए बोला,,,)


बाहर और कहां तुझे भी साथ में चलना होगा,, क्योंकि मुझे बाहर डर लगता है,,,(इतना कहने के साथ ही वह केवल साडी को कमर से बांघते लगी ,, यह देखकर तुरंत खटिया पर से उठ कर खड़ा हो गया और अशोक जी के हाथ से साड़ी लेकर उसे जमीन पर नीचे फेंकते हुए बोला,,)

मैं तुम्हारे साथ बाहर चलने के लिए तैयार हूं लेकिन तुम्हें बिना कपड़ों के एकदम नंगी होकर वहां चलना होगा,,,।

धत्,,,,,,यह क्या कह रहे हो,,बबुआ,,,, यह मुझसे नहीं होगा,,,,(वह उसी तरह से नग्न अवस्था में खडे हुए ही बोली,,,,, राजू उसके नंगे बदन को ही देख रहा था जो कि लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था,,, राजू भी पूरी तरह से नंगा था,,, उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा हो चुका था जिस पर अशोक की बीवी की नजर चली जा रही थी,,और वह उसके खड़े लंड को देख कर मस्त हुए जा रही थी,,, राजू ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया और उसे पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए बोला,,,)

होगा मेरी रानी तुमसे ही होगा,,,,(इतना कहने के साथ ही वह उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया और साथ ही अपने खड़े लंड को उसकी नरम नरम गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया,,,, अशोक की बीवी दोनों तरफ से पीसी जा रही थी ऊपर से भी राजू उसकी चुचियों से खेलता हुआ उसे मस्त कर रहा था और नीचे से अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ कर उसे फिर से मदहोशी के सागर में लिए जा रहा था,,,, लंड की रगड और स्तन मर्दन की मस्ती पाकर अशोक की बीवी पूरी तरह से गर्मा गई और अपनी आंखों को बंद करते हुए मदहोशी भरे स्वर में बोली ,,,)

ससहहहह ,,,, बबुआ यह क्या कर रहे हो मुझसे नहीं हो पाएगा,,,



हो जाएगा भाभी,,,(दोनों चुचियों को जोर-जोर से मसलते हुए अपने होठों को उसकी गर्दन पर रख कर चूमते हुए उसकी गर्मी को ज्यादा बढ़ाते हुए,,) यह काम सिर्फ तुम ही कर सकती हो सोचो कितना मजा आएगा तुम नंगी होकर घर से बाहर निकलेगी और वह भी एकदम रात में आधी रात में,,उफफफ,,, खुले में नंगी चलने का मजा ही कुछ और होता है,,,।
(राजू की हरकतों से अशोक की बीवी पूरी तरह से गर्म हो रही थी उसका भी मन नंगी होकर घूमने को कर रहा था,,, और वह राजु की बात मान गई,, और बोली,,,)


ठीक है बबुआ लेकिन कोई आ गया तो,,,,।(उसके मुंह से यह सुनते ही राजू खुश हो गया क्योंकि उसकी बात को सुनकर राजू समझ गया था कि यह उसकी बात मान गई है इसलिए उसे तसल्ली दिलाते हुए बोला,,)

कोई नहीं आएगा भाभी मुझ पर भरोसा रखो इतनी रात को यहां कौन आने वाला है,,,, बस अब चलो,,,,
(इतना कहने के साथ ही राजू उसे चलने के लिए बोल कर पीछे से उसकी कमर पकड़ कर उसे आगे की तरफ प्यार से धकेलते हुए उसे दरवाजे के पास ले जाने लगा,,, अब अशोक की बीवी के तन बदन में भी उन्माद चढने लगा था,,,इस समय वह अपने घर के आंगन में पूरी तरह से नंगी थी और राजू भी पूरी तरह से नंगा था,, आंगन में ही अशोक नशे की हालत में गहरी नींद में सो रहा था,,,, अशोक की बीवी आगे-आगे चल रही थी,,, और राजू तुरंत लालटेन को अपने हाथ में ले लिया था ताकि सब कुछ साफ नजर आए,,,।एक अजीब सी कसमसाहहट अशोक की बीवी के तन बदन को अपनी आगोश में लिए हुए थी,,,, यह उसका पहला अनुभव था जो बिना कपड़ों के घर से बाहर निकल रही थी और वह भी आधी रात में,,,उसके दिल की धड़कन तबले की थाप की तरह बज रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई उसे देख ना ले,,,, वासना और मदहोशी में चोर कार्ड और उसके दिमाग से निकल चुका था राजू के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में दे देने के बाद उसके अंदर एक अजीब सी मस्ती छाने लगी थी ,,, राजू का संग पाते ही उसका भोलापन धीरे-धीरे दूर होने लगा था उसे भी अब एक मर्द के साथ मजे करने में दिलचस्पी आने लगी थी तभी तो वहां राजू की बात मानते हुए बिना कपड़ों के ही घर से बाहर निकल रही थी,,,। दरवाजे की कुंडी को खोल कर अशोक की बीवी ने दरवाजे को हल्के हाथों से पकड़ कर अंदर की तरफ खींची दरवाजा खुल गया बाहर पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था,,, समय चक्र को अंधेरा अपनी आगोश में लिए हुए बैठा था और अशोक की खूबसूरत नव युवा बीवी,,,बाहर चारों तरफ देखकर अपने एक कदम को दहलीज पर रख दी थी और ऐसा करने से उसकी गोल गोल गांड का घेराव अद्भुत आकर्षण के लिए हुए बाहर की तरफ उभर आया था जिसे लालटेन के पीली रोशनी में देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना का प्रसार बड़ी तेजी से होने लगा और उसकी मदद की जवानी को देखकर राजू का लंड सलामी देते हुए ऊपर नीचे होने लगा,,,,, एक बार उसको भोग लेने के बाद भी उसके अंगों के मरोड़ को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,,,मन तो उसका कर रहा था कि घर की दहलीज पर ही उसकी कमर थाम कर पीछे से अपने लंड को उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दे,,,, लेकिन आज उसका मन उसको पूरी तरह से नंगी होकर घर के बाहर बैठकर पेशाब करते हुए देखने के लिए में चल रहा था इसलिए वह अपने आप को संभाल ले गया,,।

अशोक की बीवी अभी भी दहलीज पर पैर रखकर चारों तरफ बड़ी तसल्ली के साथ देख रही थी तो खुद ही राजू पीछे से बोला,,,।

चलो रानी इतनी रात को कोई नहीं आएगा,,,,।
(और राजु की बात सुनते ही अशोक की बीवी घर से बाहर निकल गई,,, कदम को होले होले जमीन पर रखते हुए उसके नितंबों पर जो थिरकन हो रही थी उसे देखकर राजू के सब्र का बांध टूटता जा रहा था,,,, लेकिन बड़ी मुश्किल से हूं अपने आप पर काबू किए हुए था देखते ही देखते अशोक की बीवी घर के बाहर घने पेड़ के नीचे झाडीयों के पास पहुंच गई,,,चांदनी रात होने के बावजूद भी घने पेड़ के छांव में चांदनी की रोशनी नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था लेकिन राजू के हाथ में लालटेन होने की वजह से राजू को सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था और यही उसकी खुशनसीबी भी थी,,,।
अशोक की बीवी के बदन की भाषा को देखकर राजू समझ गया था कि वह मुतने वाली है,,, इसलिेए राजू पीछे से बोला,,,।

बैठ जाओ रानी कोई दिक्कत नहीं है,,,,।

(वासना और मदहोशी क्या हाल है अशोक जी को राजु के मुंह से निकले हुए हर एक शब्द नशीले लग रहे थे जो कि उसके दिलो दिमाग को , अपने काबू में किए हुए थे,,,अशोक की बीवी को पेशाब की तीव्रता बड़ी तेजी से महसूस हो रही थी इसलिए वह तुरंत नीचे बैठ गई और अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार को बाहर मारने लगी,,, एक बार राजू के लंड को अपनी बुर में ले लेने के बाद अशोक की बीवी के मनसे धीरे-धीरे शर्म दूर होने लगी थी वह जानती थी किपीछे खड़ा राजे उसके नंगे बदन को देख रहा होगा उसकी गांड को देख रहा होगा लेकिन अब उसके में कोई भी चेक नहीं थी इस बात को लेकर अब वह तो खुद चाहती थी कि राजू प्यासी नजरों से उसके बदन के हर कोने को देखें,,,,।

रात के सन्नाटे में अशोक की बीवी की बुर के गुलाबी छेद से निकल रहे पेशाब की धार की आवाज वातावरण के सन्नाटे में पूरी तरह से खुल जा रही थी और एक मादक वातावरण का एहसास करा रही थी जिसमें राजू पूरी तरह से डूबता चला जा रहा था,,,, राजू से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वह लालटेन को पेड़ की एक छोटी सी टहनी में टांग दिया और मोटे डंडे को कोई पेड़ के सहारे खड़ा करके ठीक अशोक की बीवी के पीछे बैठ गया,,,, और एकदम से सट गया ऐसा करने से गुलाबी के भजन में हलचल सी मच गई,,, वह एकदम से सिहर उठी उत्तेजना के मारे उसका रोम-रोम खिल उठा,,,,राजू अपनी हरकत को अंजाम देते हुए अपने हाथ को नीचे की तरफ ना यार अपने लंड को पकड़ कर उसकी गोल गोल गांड के आगे उसकी बुर की तरफ कर दिया राजू का लंड को ज्यादा बढ़ा थे इसलिए बड़े आराम से उसके गुलाबी करके छोड़ तक पहुंच गया था जिसमें से अभी भी पेशाब की धार बाहर निकल रही थी,,,।
राजू की गर्म सांसे अशोक की बीवी के गर्दन को मदहोशी और उन्माद प्रदान कर रही थी जिसे अशोक की बीवी के तन बदन में आग लगी जा रही थी एक बार फिर से उसका मन चुदवाने को कर रहा था,,,,।

रांची अपने लंड की लंबाई का पूरा सेट करते हुए अपने लंड को उसकी जड़ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाने लगा जिससे उसके लंड का आलू बुखारा जैसा सुपाड़ाउसकी बुर पर लगने लगा और साथ ही उसके बुर से निकले अमृत के धार में लंड का सुपाड़ा भीजने लगा ,,, एक असीम सुख दोनों को मिलने लगा अशोक की बीवी कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि एक अनजान लड़के के साथ हुआ इस कदर मस्ती का लुफ्त उठाएगी,,, जवानी का मजा तो उसे राजू के साथ ही आ रहा था राजू उत्तेजना में अपने फ्रेंड को जोर-जोर से उसके गुलाबी छेद पर मरने लगा था जिससे गुलाबी के तन बदन में आग लग रही थी और वह लगातार मुते जा रही थी,,, राजू के लंड का सुपाड़ा पूरी तरह से उसके पेशाब में भीग गया था,,, और यह अनुभव राजू को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,,,, अपने लंड को उसकी बुर पर मारते हुए राजू बोला,,,।

अब कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,।

सहहहहहह ,,, बबुआ अब कुछ मत मुझे तो ना जाने क्या हो रहा है ऐसा सुख मैंने कभी नहीं पाई हूं,,,सहहहहह,,आहहहहह,,,


मैं जानता था मेरी रानी तुम्हें संपूर्ण सुख सिर्फ मैं ही दे सकता हूं,,,,,,।(ऐसा कहते हुए राजू अपने लंड के सुपाड़े को उसके बुलाती छेद पर रगड़ने लगाजिससे गुलाबी के तन बदन में मस्ती की लहर उठने लगी उसका मन राजू को अपनी बुर में लेने के लिए तडपने लगा,,, वह कसमसा रही थी हल्के हल्के ऊपर नीचे हो रही थी उसकी कसमाहट देखकर राजू समझ गया कि वह पूरी तरह से तैयार हो चुकी है एक बार फिर से उसके लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,,। और राजू उसे थोड़ा और ज्यादा तडपाने के उद्देश्य से,,, वह भी मुतना शुरू कर दियालेकिन अपने पेशाब की धार को उसके गुलाबी छेद पर मार रहा था,,, और जैसे ही उसके पेशाब की धार उसको अपनी बुर् के गुलाबी छेद पर महसूस हुई वह एकदम से मचल उठी,,।


सहहहहहह ,,, आहहहहहहह,,,,बबुआआआआ,,,,,ऊहहहहह,,,,,


क्या हुआ रानी,,,,


यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,,(मदहोशी भरे स्वर में बोली)

तुम्हारी बुर को और ज्यादा रसीला बना रहा हूं,,,,।


सहहहह आहहहहहहहहह,, मेरा अंग अंग टूट रहा है,,,,


मैं इलाज जानता हूं,,,, मेरी रानी,,,,


तो करो ना बबुआ तड़पा क्यों रहे हो,,,,।

ओहहहह मेरी रानी मैं अभी तुम्हारी तडप को दूर कर देता हूं,,,(इतना कहते हुए राजू पेशाब करने के तुरंत बाद अपने लंड के सुपाड़े को बैठे-बैठे हीउसकी पुर के छेद पर रख कर उसे अंदर डालने की कोशिश करने लगा,,,,लेकिन इस तरह से आराम से जा नहीं रहा था लेकिन फिर भी राजू कोशिश में लगा हुआ था और अशोक की बीवी थी कि तड़प रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था इसलिए वह खुद ही थोड़ा सा अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दीअभी भी वह बैठी हुई मुद्रा में ही थी बस 5 अंगुल ही गांड को उसने ऊपर उठाई थी ताकि वह राजू के लंड को अपनी बुर में आराम से ले सके,,, और उसकी यह सहकार की भावना रंग लाने लगी राजू का लंड एक बार फिर से गुलाबी बुर के छेद में था,,,, और राजू अशोक की बीवी की कमर को थाम लिया,,,,।
यह आसन राजू के लिए बिल्कुल ही नया था,,,एक नया अनुभव के साथ वह अशोक की बीवी की चुदाई करने जा रहा था,,, जिसमें अशोक की बीवी की पूर्ण रूप से सहमती थी,,,,

देखते ही देखते राजू का पूरा का पूरा लंड अशोक की बीवी की बुर में समा गया,,,, अशोक की बीवी पूरी तरह से हैरान हो गई थी इस तरह से भी चुदाई की जाती है उसे आज पता चल रहा था,,,, राजू नीचे से धक्के लगाने लगा अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया बैठे बैठे ही अपनी कमर को हिलाने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,,,इस अवस्था में बड़े आराम से राजू अशोक की बीवी की चुदाई कर रहा था,,,।

अजीब सा माहौल बना हुआ था बेहद अद्भुत मादकता से भरा हुआ,,, चांदनी रात में भी पेड़ के नीचे घनी झाड़ियों के बीच लालटेन की पीली रोशनी में,,,, शीतल हवा के झोंकों का आनंद लेते हुए राजू अशोक की बीवी की चुदाई कर रहा था और राजू की बीवी पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,, वह अभी भी अपनी गांड को हवा में लटकाए हुए चुदवा रही थी,,,। राजूकभी उसकी कमर को तो कभी उसकी गोल-गोल कांड को जैसे उसे सुविधाजनक लग रहा थावैसे वासु की बीवी की चुदाई कर रहा था लेकिन मोटा लंबा लंड बड़े आराम से उसकी गुलाबी बुर के छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,,


अब तो डर लग नहीं रहा है ना भाभी,,,।


सहहहह नही बबुआ तुम्हारे होते हुए मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा है,,,,


कितना मजा आ रहा है ना खुले में चुदवाने में,,,,


बहुत मजा आ रहा है बबुआ मुझे तो पहले डर लग रहा था लेकिन अब मुझे इतना मजा आ रहा है कि पूछो मत,,,,।

मेरा साथ दोगी तो इसी तरह से मजा पाओगी,,,


तो आ जाया कर बबुआ उनको छोड़ने के बहाने,,,,


ओहहहह मेरी रानी तू कितनी अच्छी हो,,,,(इतना कहने के साथ ही वह थोड़ा सा जहमत अशोक की बीवी को देते हुए उसकी कमर को थाम कर उसे ऊपर नीचे करने लगा भोली भाली अशोक की बीवी राजू के संगत में उसके इशारे को समझ गई थी और वह खुद ही अपने गांव को पर नीचे करके राजू के लंड को अपने बुर के अंदर बाहर लेने लगी थी,,,, थोड़ी देर बाद जब इसी तरह से अपनी गांड उठाए हुए अशोक की बीवी को दर्द करने लगा तो वह बोली,,,।


ओहहहह बबुआ,,,, गांड उठाए उठाए दर्द करने लगा,,,


कोई बात नहीं भाभी,,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपने लंड को अशोक की बीवी की बुर में डाले हुए ही,,, उठने लगा,,, और उसे भी उठाने लगा दोनों खड़े हो गए थे लेकिन अभी भी राजू का लंड उसकी बुर के अंदर था,,, राजू अशोक की बीवी की कमर पकड़े हुए हीउसे जाकर पेड़ की डाली पकड़ने के लिए बोला और उसकी कमर को अपने से एकदम सटाए रखा क्योंकि यह आसन एकदम सटीक था उसकी जबरदस्ती चुदाई करने के लिए,,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा थाअगर दो कोई खड़ा होता तो उसे भी है नजारा देखने को मिल जाता लेकिन राजू जानता था कि आधी रात के बाद गांव से बाहर कोई बिना काम के निकलता नहीं,, है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत था,,,,,,।


अब देखना मेरी जान कितना मजा आता है,,,,।(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,उसका मोटा तगड़ा लंड चपचप की आवाज करते हुए अंदर बाहर होने लगा,,,अशोक की बीवी मदहोश होने जा रही थी क्योंकि इस तरह के आसन से राजू का लंड बड़े आराम से उसके बच्चेदानी तक पहुंच रहा था और उस पर ठोकर मार रहा था जब जब उसके दर्द की ठोकर से अपने बच्चेदानी का महसूस होती है पूरी तरह से सिहर जाती और उत्तेजना के मारे अपनी गांड को आगे की तरफ सिकोड ले रही ही थीऔर राजू उसकी कमर को कस के काम कर उसे अपनी तरफ खींच ले रहा था यह खींचातानी तब तक चलती रही जब तक राजू उसे झाड़ने के बाद खुद नहीं झड़ गया,,,, दोनों झड़ चुके थे राजू अपने लंड की पिचकारी उसकी बुर के अंदर उसके बच्चेदानी पर मारा था और अशोक की बीवी को यह साफ महसूस हो रहा था इसलिए वह पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,,।

थोड़ी ही देर में अपना पूरा गर्म लावा उसकी बुर में गार देने के बादराजू अपने लंड को उसके गुलाबी छेद से बाहर निकाला जो कि अभी भी पूरी तरह से खड़ा था,,, अशोक की बीवी भी गहरी गहरी सांस लेते हुएआहिस्ता आहिस्ता खड़ी हुई और एक नजर अपनी दोनों टांगों के बीच की पत्नी दरार पर डाली तो शर्म से पानी पानी होने लगी,,,, यह देखकर राजू उससे बोला,,,।


अब कैसा लग रहा है भाभी,,,

(अशोक की बीवी एक कदम चलते हुए बोली)

दैयारे तूने कैसा हालत कर दिया है ठीक से चला भी नहीं जा रहा है,,,


कोई बात नहीं भाभी मैं तुम्हें अपनी गोद में उठा कर ले जाऊंगा,,,।


उठा लोगे मुझे,,,

हां क्यों नहीं एकदम आराम से,,,


अरे रहने दो बबुआ कमर की नस खिंचा गई तो हमें ही दोष देते रहोगे,,,,


अरे कुछ नहीं भाभी मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं है बड़े आराम से तुम्हें उठा दूंगा तुम्हें एक कदम भी चलने की जरूरत नहीं है,,,,।

(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी को मजा आ रहा था और वह भी अंदर से यही चाह रही थी कि राजू से अपनी गोद में उठाकर अंदर तक ले जाए और इसी बहाने वह उसकी बाहर की भी ताकत को देख लेना चाहती थी अब तक तो अंदरूनी ताकत से वह पूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी,,,, वह अभी बोल ही रही थी कि राजू आगे बढ़ा और एक झटके से उसे अपनी गोद में उठा लिया वह इतनी आराम से और इतनी जल्दबाजी में उठाया था कि इस बात का आभास अशोक की बीवी को बिल्कुल भी नहीं हुआ और एकदम सेवट वह चौक गई,,

अरे अरे संभाल कर संभाल कर बबुआ,,,,,


कोई बात नहीं मेरी जान तुम तो मुझे एकदम रुई जैसी हल्की लग रही हो,,,


क्या हम एकदम रुई की तरह है बिल्कुल भी वजन हमारा नहीं है,,,,


होगा दूसरों के लिए लेकिन मेरे लिए तो तुम एकदम गुलाब का फूल हो,,(राजू कि इस तरह के चिकनी चुपड़ी बातें सुनकर अशोक की बीवी शर्मा गई,,,, और राजू मुस्कुराते हुए,,,उसे गोद में उठाए हुए थोड़ा सा नीचे झुका और लालटेन को अपने हाथ में ले लिया और एक हाथ में डंडे को ले लिया लेकिन फिर भी वह बड़े आराम से अशोक की बीवी को उठाए हुए,,,था,,, अशोक की बीवी का खूबसूरत बदन एकदम नरम नरम मखमल की तरह था,,, जिसे अपनी गोद में उठाए हुए राजू के तन बदन में हलचल सी मच रही थी,,, चुदाई करने के बाद थोड़ा सा ढीला होकर राजू का लंड अशोक की बीवी की बुर में से बाहर निकला था लेकिन उसे गोद में उठाते ही एक बार फिर से उसके घंटे में जाना गई थी और फिर से एकदम कड़क हो गया था जो कि अशोक की बीवी को उसकी कमर पर रगडता हुआ महसूस हो रहा था,,,लंड की रगड़ अपनी कमर और पीठ पर महसूस करते हैं अशोक की बीवी के तन बदन में उत्साह फैलने लगा,,,, और वह बोली,,,।

बबुआ तुम्हारा तो अभी भी खडा है,,,।

तो क्या भाभी रात भर अगर तुम्हें पेलु फिर भी यह ढीला नहीं होगा,,, और चाचा का,,,


उनका तो तुरंत ढीला हो जाता है,,,


तभी तो मेरी जान इतनी खूबसूरत होने के बावजूद भी चुदाई का मजा नहीं ले पाई थी,,,


तुम सच कह रहे हो बबुआ,,,,।
(अशोक की बीवी हैरान थी राजू की ताकत को देखकर वह बड़े आराम से उसे गोद में उठाए चल रहा था और अभी भी उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,,,,,जबकि उसके पति का लंड तो थोड़ी ही देर में टांय टायं फिश हो जाता था,,, देखते ही देखते राजु घर में प्रवेश किया और उसे खटिया पर पीठ के बल लिटा दीया,,,,,, अशोक की बीवी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी पहली बार उसे चुदाई का असली सुख प्राप्त हो रहा था,,,,इसलिए उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही थी कि पास में ही खटिया पर उसका पति नशे की हालत में बेहोश पड़ा था और उसके नशे में होने का पूरा फायदा उठाते हुए वह एक अनजान जवान लड़के से संभोग का चरम सुख प्राप्त कर रही थी,,,,,, राजू भी खटिया पर बैठ गया,,,और अशोक की बीवी पीठ के बल लेटे हुए थी,,, राजू चुटकी लेने के उद्देश्य से पास में ही सोए अशोक को बोला,,,।


अरे चाचा कैसे नशे की हालत में रहोगे तो कोई घर का खजाना लूट जाएगा,,, जैसे मैं लूट रहा हूं,,,।
( उसकी बातों को सुनकर उसकी बीवी के चेहरे पर मुस्कान तेरी लगी,,,, अगर और कोई समय होता है तो शायद वहराजू की आवाज सुनकर उसके पति के उठने का डर होता है लेकिन वह जानती थी कि सुबह से पहले बिना उसके जगाए,, वह उठने वाला नहीं था इसलिए वह अपने पति की तरफ से पूरी तरह से निश्चिंत थी,,,,। दोनों के बीच इसी तरह से वार्तालाप शुरू हो गई,,,, सुबह के 4:00 बजने में तकरीबन 1 घंटा रहेगा तब राजुफिर से अशोक की बीवी के साथ चुदाई का मजा लूटना चाहता था हालांकि उसे भी नींद नहीं आ रही थी वह भी राजू से बात कर रही थी और एक बार फिर से राजू का लेने के लिए तड़प रही थी राजू उसकी मांसल जांघों को धीरे धीरे सहला रहा था,,,,,, और उसकी बुर की दरार पर अपनी उंगली को फिराते हुए बोला,,,।)


क्यों भाभी एक बार और हो जाए,,,, सुबह होने वाली जाते जाते एक बार और दे दो तो मजा आ जाए,,,,।


बाप रे तुम्हारा मन अभी भरा नहीं,,,


क्या करूं मेरी जान तुम चीज ही हो ऐसी की,,,, एक रात में पूरी तरह से मन भरने वाला नहीं है,,,,


तब मैं क्या करूं बोलो,,,,(अशोक की बीवी की यह बात उसकी सहमति दर्शा रही थी क्योंकि वह भी फिर से चुदवाना चाहती थी,,,,)

तुम्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं है भाभी,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू एक बार फिर से अशोक की बीवी पर एक नया आसन आजमाते हुए उसके कंधों के इर्द-गिर्द अपना घुटना रखकर उसकी दोनों टांगों के बीच झुकने लगा,,,और अगले ही पल में उसकी बुर पर अपने होंठ रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, राजू का लंड बार-बार कभी उसके गालों पर तो कभी उसके होठों पर रगड़ खा जा रहा था,,,राजू चाहता था कि उसका लंड अशोक की बीवी अपने मुंह में लेकर जी भर कर चूसेऔर वो जानता था कि यह सामा कब करेगी जब पूरी तरह से मस्तीया जाएगी तभी वह ऐसा करेगी इसलिए राजू भी उसे मस्ती के सागर में उतारने की पूरी कोशिश कर रहा था उसकी बुर को लपालप चाट रहा था जिससे अशोक की बीवी के सब्र का बांध टूटता जा रहा था बार-बार अपने होठों पर लंड के गरम सुपाड़े का स्पर्श महसूस करके वह पूरी तरह से पानी-पानी हुए जा रही थी,,, आखिरकार अशोक की बीवी को तड़पाने की राजू की हिम्मत रंग लाई और का अपनी जीभ को बाहर निकाल कर उसके लंड के सुपाड़े को चाटने लगी,,,राजू मन ही मन खुश हो रहा था और अगले ही पल अपने हाथ में लेकर बड़ी मस्ती के साथ राजू के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दीयह अशोक की बीवी की तरफ से हिसाब बराबर कर देने वाली हरकत है जिस तरह की हरकत राजू उसकी बुर के साथ कर रहा था वही हरकत अशोक की बीवी उसके लंड के साथ कर रही थी दोनों पूरी तरह से मस्त हुए जा रहे थे,,,राजू उत्तेजित अवस्था में अपने दोनों हाथ से उसकी गांड पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ उठाकर उसकी बुर को चाट रहा था तभी उसकी नजर उसके भूरे रंग के छेद पर गई और वह उसे चेहरे पर अपनी उंगली का पोर रखकर हल्के हल्के सहलाने लगा,,, राजू की यह हरकत अशोक की बीवी के तन बदन में आग लगा रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था और वह कसमसा रही थी,,,,,,।

राजू अपनी हरकत को बढ़ा रहा था अपने मन में सोच रहा था कि बिना आज गांड मारने का उद्घाटन अशोक की बीवी के साथ ही किया जाए इसलिए वह अपनी उंगली को छोटे से छेद में डालने की कोशिश करने लगा जो की बुर के काम रस से पूरी तरह से गिली चुकी थी,,,,, लेकिन गांड का छेद इतना छोटा था कि उसकी बीच वाली उंगली भी अंदर की तरफ बराबर नहीं जा रही थी और वह जबरदस्ती डालने की कोशिश करता तो अशोक की बीवी दर्द से कराहने लगती,,, एकाएक राजू अपनी आखिरी उंगली उसकी गांड के छेद में डाल दिया तो दर्द के मारे अशोक की बीवी बिलबिला उठी और दर्द से कराहते हुए बोली,,,।)


यह क्या कर रहे हो बबुआ निकालो जल्दी से मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,

रुको ना भाभी बहुत मजा आ रहा है,,,


अरे तुम्हे मजा आ रहा है ना लेकिन मुझे नहीं आ रहा है मुझे तो दर्द हो रहा है,, जल्दी निकालो,,,,(वह पीछे की तरफ अपना हाथ ना कर राजू के हाथ को पकड़ने की कोशिश करने लगी और राजू भी समझ गया था कि छोटे से छेद में उसका मोटा लंड जाने वाला नहीं है अगर वह जगह ही करेगा तो एक खूबसूरत जुगाड़ उसके हाथों से ज्यादा रहेगा इसलिए वह मनमानी करने के फिराक में बिल्कुल भी नहीं था और अपनी उंगली को बाहर निकाल लिया,,, और वापस अपना सारा ध्यान अशोक की बीवी की गुलाबी छेद पर केंद्रित कर दिया,,,। एक बार फिर से अशोक की बीवी जवानी की मस्ती में हिलोरे मारने लगी ,,थोड़ी ही देर में हथोड़ा पूरी तरह से गर्म हो चुका था और उन दोनों का तीसरी पारी शुरू होने वाली थी,,,,।

बस डाल दो मेरे राजा अपना लंड मेरी बुर में,,,।
(इसी के साथ अशोक की बीवी का शर्म और लिहाज दोनों जाता रहा,,, राजू समझ गया था कि लोहा गर्म हो चुका है और उस परहथौड़ी का वार करना उचित है इसलिए तुरंत राजू उसके ऊपर से उठ कर उसकी दोनों टांगों के बीच में का बना दिया और अगले ही पल उसका मोटा तगड़ा लंड एक बार फिर से अशोक की बीवी की बुर की गहराई नापने लगा,,,दो बार चढ़ने के बाद राजू अच्छी तरह से जानता था कि इस बार उसका पानी जल्दी निकलने वाला नहीं है इसलिए वह,,, पहले धक्के के साथ ही अपनी रफ्तार को तेज कर दिया था,,,हर धक्के के साथ अशोक की बीवी स्वर्ग का आनंद लूट रही हो इस तरह का अनुभव कर रही थी,,, यह चुदाई राजू के मुताबिक बहुत लंबी चली और चार बजने के 10-15 मिनट पहले ही वह अशोक की बीवी को झाड़ने के बाद खुद भी झड़ गया,,,,। और उसके ऊपर लेट कर हांफने लगा,,,।

राजू ने अशोक की बीवी के साथ अद्भुत संभोग कलाकृति का नमूना पेश किया था जिसमें वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी और ऐसी खुशी ऐसा सुकून से पहले कभी नहीं मिला था इसलिए भाव विभोर होकर वह राजू को अपने गले से लगा ली थी,,,,।

थोड़ी देर बाद राजू उठा और अपने कपड़े पहनने लगा अभी भी अंधेरा था लेकिन सुबह होने वाली थी,,,। आज की रात उसकी जिंदगी की यादगार रात बन गई थी अनजाने में ही अशोक की बीवी जो उसी रात गुजारने के लिए मिल गई थी,,,, अशोक की बीवी भी खटिया पर से उठी और अपने कपड़े जो कि बिखरे पड़े थे उसे उठाकर पहनने लगी,,,,जाते-जाते राजू उसे अपनी बाहों में भर कर उसका लाल-लाल होठों का चुंबन लेते गया,,,अशोक की बीवी उसे दरवाजे तक छोड़ने आई और जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गया तब तक वह दरवाजे पर खड़ी रही,,,।

दूसरी तरफ हरीया भी अपनी बहन गुलाबी की रात भर चुदाई करके तृप्त हो चुका था और बड़े सवेरे ही अपने कमरे में से निकल कर वापस बगल वाले कमरे में अपनी बीवी के पास जाकर सो गया था ताकि उसे बिल्कुल भी शक ना हो,,,,, हरिया का अपने बेटे को भी चलाना सिखा ना असफल हो गया था और यह बात राजू पर भी लागू होती थी क्योंकि अगर वह बैल गाड़ी चलाना नासिक का तो उसे उसके पिताजी अशोक को घर छोड़ने के लिए नहीं बोलते और उसे अशोक की खूबसूरत बीवी चोदने को ना मिलती और अगर राजू बेल चलाना नासिका होता तो आज हरिया को भी है सुनहरा मौका नहीं मिलता रात भर गुलाबी की चुदाई करने का,,,।



















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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है
राजू ने अशोक की बीवी कि अपने मोटे लम्बे लन्ड से चुदाई करके उसे संतुष्टि प्रदान कि है उसको मर्दानगी और चुदाई कैसे होती है उसका एहसास करवाया ।अशोक की बीवी की सारी रात चुदाई करके उसे अद्भुत संभोग की तृप्ति का एहसास करवाया वही दूसरी ओर हरिया ने भी गुलाबी की दमदार चुदाई करके तृप्त हो गया अशोक की बीवी ने अशोक की मौजूदगी में राजू से और हरिया ने मधु की मौजूदगी में गुलाबी की दमदार चुदाई कि है देखते हैं अब राजू को गुलाबी की गांड़ मिलती हैं या नहीं
 

rohnny4545

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राजू एक बहाने से अपनी मां की खूबसूरती की तारीफ कर रहा था क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि औरतों को सबसे अच्छी अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना लगता है,,,और यह सच भी था कि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी,,, तभी तो राजू खुद अपनी मां की खूबसूरती का दीवाना हो गया था,,,,पहली बार वह बेल गाड़ी में बैठाकर अपनी मां को किसी दूसरे गांव छोड़ने जा रहा था ब्याह में रास्ते भर का सफर उसके पास था,,, ऐसे सफर के दौरान वह अपनी मां के मन में क्या है यह जानना चाहता था,,,,,, बात करने का कोई दूसरा उद्देश्य नहीं था तो राजू अपने मतलब की बात कर रहा था,,,, अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर मधु अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी लेकिन अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना उसके तन बदन में अजीब सी हलचल भी पैदा कर रही थी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच सिहरन सी पैदा होती हुई महसूस हो रही थी,,,,,,,,।


राजू लगता है कि तू अब जवान हो गया है तेरी शादी करना पड़ेगा,,,


वो क्यों मां,,,,?


अरे देख रही तू अब औरतों की तारीफ करने लगा है तुझे औरतों की खूबसूरती में दिलचस्पी आने लगी है समझने लगा है,,,


नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है मां अगर हम अच्छे खूबसूरत फूल को देखते हैं तो उन्हें अच्छा कहते हैं उन्हें तोड़ लेते हैं अपने साथ रखते हैं वैसे भी खूबसूरती छुपाए नहीं छुपती और तुम खूबसूरत हो इसलिए कह रहा हूं,,, नहीं खूबसूरत होती तो नहीं कहता,,,,


इसका मतलब है कि तारीफ करने के लिए खूबसूरत होना जरूरी है,,,


अरे मां तुम तो बात का बतंगड़ बना रही हूं अच्छा हुआ कि तुम खूबसूरत हो वरना तुम्हें यही लगता है कि मैं बेकार में तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं,,,,


नहीं नहीं यह बात तो मैं भी जानती हूं कि मैं खूबसूरत हूं लेकिन सच कहूं तो तूने जिस तरह से अपने मुंह से बोल दिया ना उस तरह से आज तक किसी ने नहीं बोला,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू के तन बदन में गुदगुदी हो रही थी क्योंकि अपनी मां की बात सुनकर उसे लगने लगा था कि उसकी मां उसके बातो के जाल में धीरे-धीरे फस रही है,,, अपनी मां की बात सुनकर राजा बोला,,,)


अरे किसी ने नहीं तो पिताजी ने तो कहा ही होगा,,, आखिर उनका आप पर पूरा हक है,,, और मैं यह भी जानता हूं कि पिताजी आप को बहुत मानते हैं बहुत प्यार करते हैं,,,(यह कहते हुए राजू की आंखों के सामने दीवार के छोटे से छेद से देखा गया हर एक दृश्य पल भर में नजर आने लगा कि कैसे उसके पिताजी अपने हाथों से उसकी मां की साड़ी उतारकर से नंगी करने के बाद जबरदस्त घमासान चुदाई करते थे और उसकी मां भी चुदाई का पूरा मजा लेती थी,,,)



तुझे कैसे पता कि तेरे पिताजी मुझे बहुत मानते हैं मुझे बहुत प्यार करते हैं,,,,,,
(अपनी मां की बातें सुनकर एक पल के लिए राजु के मन में आया कि अपनी मां से खुल कर बोल दे कि उसने तुम दोनों की जबरदस्त घमासान चुदाई अपनी आंखों से देखा है कैसे तुम दोनों एक दूसरे के बदन से आनंद लेते हो लेकिन ऐसा कैसे करें कि हिम्मत उसमें थी नहीं इसलिए वह बात को घुमाते हुए बोला,,,)


अरे मासी कैसी बात है तुम दोनों में कभी झगड़ा नहीं हुआ किसी बात को लेकर तकरार नहीं हुआ पिता जी आपकी बात जल्दी मान लेते हैं और आप की ताजी की बात मान लेती हो यही देख कर समझ में तो आता ही है कि तुम दोनों के बीच कितना प्यार है और दूसरों को देखो,,, मेरा एक दोस्त है गांव में रोज उसके घर झगड़ा होता रहता है रोज उसके पिताजी उसकी मां को पीटते हैं और कभी-कभी तो उसकी मां भी हाथ उठा देती हैं,,,,,(यह राजू के मन की बनी बनाई बात थी ऐसा कुछ भी नहीं था बस वह अपनी मां का मन बहलाना चाहता था उन्हें जताना चाहता था कि वाकई में उन दोनों के बीच बहुत प्यार है जो की सच्चाई भी थी)


तो तुझे तेरे दोस्त के परिवार अच्छे लगते हैं या तुझे खुद का परिवार अच्छा लगता है,,,


बेशक मां हमारा परिवार बहुत अच्छा है कितनी शांति है घर में किसी बात का झगड़ा मार नहीं है,,,,,,(राजू बैलगाड़ी को हांकते हुए बोल रहा था मधु पहली बार अपने बेटे से इस तरह की इतनी सारी बातें कर रही थी वरना दोनों कभी साथ में बैठते ही नहीं थे,,,, मधु को अपने बेटे से इस तरह की बातें करने में अच्छा लग रहा था,,,,,, मंजिल से बेहतर सफर का मजा मिल रहा था मधु के मन में हो रहा था कि काश यह सफर कभी खत्म ना हो,,,मैं तो यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो चुका है,,, उसकी उफान मारती जवानी का उदाहरण वह अच्छी तरह से देख चुकी थी और एक जवान लड़के के साथ सफर तय करने में उसे बेहद अच्छा लग रहा था,,,, चारों तरफ पेड़ पौधे हरियाली हरियाली बीच से गुजरता हुआ कच्चा रास्ता और उस पर बैलगाड़ी के गुजरने से घुंघरू की आवाज वातावरण को और भी ज्यादा खूबसूरत बना रही थी,,,, आज मधु थोड़ा अच्छी तरीके से सजी-धजी थी और बैलगाड़ी में इस तरह से पीछे बैठने पर उसे अपने आप को एक दुल्हन के रूप में देख रही थी क्योंकि वर्षो पहले जब वह विवाह करके आई थी तो इसी तरह से बैलगाड़ी में आई थी,,,,, घूंघट में पूरा मुखड़ा छुपा हुआ था बाराती पीछे चल रहे थे और उसका पति हरिया आगे आगे चल रहा था,,, सब लोग बेहद खुश थे,,,,आज बरसों बाद ना जाने क्यों मधु को अपना विवाह वाला समय याद आ रहा था वह बहुत खुश नजर आ रही थी बरसों बाद उसे एक बार फिर से दुल्हन होने का एहसास हो रहा था,,, बेल गाड़ी वाला जवान लड़का उसे अपना लड़का नहीं बनती कोई अनजान गाड़ी वाहन लग रहा था और यह एहसास उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था,,,, अपने मन में आए इस खयाल को अपने बेटे से बताते हुए बोली,,,)


तुझे पता है राजू आज मुझे कैसा लग रहा है,,,


कैसा लग रहा,, मां,,?

बरसों पहले मैं इसी तरह से दुल्हन बनकर बेल गाड़ी में बैठकर गांव में आई थी,,, उस दिन तो हमें बहुत सही देखी थी लेकिन आज मैं उतना सजी-धजी नहीं हूं लेकिन फिर भी मुझे अच्छी तरह से याद है है कि उस दिन भी मैं बहुत खूबसूरत लग रही थी,,,,।
(मधु किसी ख्यालों में खोए हुए अपने मन की बात बता रही थी और राजू अपनी मां की बात सुनकर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था क्योंकि धीरे-धीरे इसी तरह से उसकी मां खुलना शुरू हो गई थी,,, अपनी मां की बात सुनकर राजू बीच में बोला,,,)

सच में मां,,, तब तो पिताजी तुम्हें देखते रह गए होंगे,,,


हां तो सच कह रहा है तेरे पिताजी ने मेरा चेहरा तो नहीं देखे थे लेकिन मेरा रूप रंग कद काठी देखकर बहुत खुश हो रहे थे रास्ते भर बराती लोग तेरे पिताजी को छेड़ते हुए जा रहे थे,,,,


क्या सच में मां क्या कह रहे थे सब लोग,,,,?


तेरे पिताजी के दोस्त लोग कह रहे थे,,,, हरिया तू तो बड़ा भाग्यवान है रे आसमान से परी लेकर आया है,,,, अब तो तुझे लालटेन की जरूरत बिल्कुल भी नहीं पड़ेगी,,,


वह क्यों मां,,,,?

क्योंकि मैं बहुत गोरी थी ना इसके लिए वह लोग कहते थे कि अंधेरे में भी बैठा दोगे तो कमरे में उजाला ही उजाला हो जाएगा,,,,


सच में हम लोग कितने खुश किस्मत हैं कि हमें तुम मिली हो पिताजी तो और भी ज्यादा खुश किस्मत हैं कि उन्हें इतना अच्छा जीवन साथी जो मिला है,,,,।

(अपने बेटे की बात सुनकर मधुर बहुत खुश हो रही थी आज बरसों बाद वह अपने मन की बात अपने ही जवान बेटे से कर रही थी इस तरह की बातें उसने आज तक किसी से नहीं कही थी लेकिन आज नहीं जाने क्यों वह अपने मन में दबी बातों को अपने बेटे से बता रही थी,,,,, और राजू मन ही मन खुश हो रहा था,,, क्योंकि आज उसकी मां ने अपने दिल के तार छोड़ दिए थे जिससे मधुर संगीत निकल रही थी और राजू इसी का फायदा उठाना चाहता था वह अपनी मां के मन की बात को जानना चाहता था,,,,)

अच्छा मैं एक बात बताओ पता नहीं मुझे पूछना चाहिए कि नहीं पूछना चाहिए लेकिन जब बाद में निकल ही गई है तो मैं सोचता हूं कि तुमसे पूछ ही लुं,,,


कौन सी बात,,,?


पहले बोलो गुस्सा तो नहीं करोगी ना,,,


अरे नहीं करूंगी बता तो सही,,,(मधु के भी मन में अजीब सी हलचल हो रही थी कि उसका बेटा ऐसा कौन सी बात पूछने वाला है जिसके लिए उसे इजाजत लेनी पड़ रही है और उसे इस बात का डर भी है कि बात गलत लग गई तो डांट पड़ेगी)


तुम्हें मेरी कसम है मैं अगर बात गलत लगे तो कुछ बोलना नहीं लेकिन मुझे डांटना नहीं क्योंकि तुम नाराज हो जाती हो तो मुझे अच्छा नहीं लगता,,,


ठीक है बाबा नहीं डांटुगी,,,


अच्छा मैं शादी से पहले तो पिताजी ने तुम्हें नहीं देखा था नहीं तुम्हारा चेहरा देखा था,,,


हां शादी से पहले ना तो मैं उन्हें देखी थी और ना ही तेरे पिताजी ने मुझे,,,


फिर पहली बार पिताजी ने तुमको कब और कहां देखा,,, !(राजू के इस सवाल में पूरी तरह से चना की भरी हुई थी पहले कि वह अपनी बात की माफी अपनी मां से मान चुका था वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर अपनी मां से यह सवाल पूछा था वह देखना चाहता था कि उसकी मां भी सवाल का जवाब देती है या नहीं और इस सवाल को सुनकर उसकी मां भी थोड़ा सा शर्मा गई थी क्योंकि उसे लगने लगा था कि उसका बेटा किस बारे में बात कर रहा है फिर भी मधु जानबूझकर बात को घुमाते हुए बोली)


जिस दिन मैं शादी करके घर पर आई उसी दिन तेरे पिताजी ने मुझे देखा,,,,,,


फिर भी मां कैसे देखा पिताजी ने मतलब सबके सामने या अकेले में या अकेले कमरे में,,,,


अरे बता तो रही हूं की शादी करके आई थी उसी दिन,,,



मैं मैं फिर भी ठीक से समझ नहीं पा रहा हूं,,, पिताजी ने रात को तुम्हें देखा होगा क्या कहते हैं उस रात को,,, अरे मेरे दोस्त लोग बताते हैं,,,, अभी अभी मेरे दिमाग में था लेकिन,,,,(राजू जानबूझ कर बेल गाड़ी चलाते समय इस बात का जिक्र कर रहा था और उस रात का नाम भूल गया था जो शादी की पहली रात होती है जो कि वह बुरा नहीं था बस भूलने का नाटक कर रहा था वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था,,,) अरे मां क्या कहते हैं उस रात को जब दूल्हा दुल्हन की पहली रात होती है,,,
(अपने बेटे की यह बात सुनकर मधु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी क्योंकि मधु समझ गई थी कि उसका बेटा सुहागरात की बात कर रहा है और अपनी मां से ही कर रहा है यह थोड़ा अजीब जरूर था लेकिन ना जाने क्यों मत हो को उसकी यह बात बेहद उत्तेजनात्मक तरीके से अच्छी भी लग रही थी,,,,मैं तो अपने बेटे के सवाल का जवाब नहीं देना चाहती लेकिन फिर भी ना जाने क्यों उसके होठों पर अचानक ही वह शब्द आ ही गए,,,)

ससस,, सुहागरात,,,,

हां,,,,, सुहागरात मैं तो भूल ही गया था मेरा दोस्त बता रहा था किसी दिन दूल्हा दुल्हन एक दूसरे को अच्छी तरह से देखते हैं,,,, तो क्या मां पिताजी इसी रात को आपको अच्छी तरह से देखे थे,,,,।
(अब अपने बेटे का इस सवाल का जवाब बहुत ही सीधे उसे तो समझ में नहीं आ रहा था उसे अपनी बेटी पर थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था लेकिन उसके सवाल पर ना जाने क्यों वह उत्साहित भी नजर आ रही थी शायद यह एक जवान लड़की के साथ एकांत पाने का नतीजा था कि मधु ना चाहते हुए भी अपनी बेटी के सवाल का जवाब देते हुए बोली,,,)


हां,,,,दूल्हा दुल्हन की पहली रात को ही सुहागरात कहते हैं और इसी दिन तेरे पिताजी ने मुझे ठीक तरह से देखे थे,,,,।
(यह कहते हुए मधु को अपनी पुर से काम रस रिसता हुआ महसूस हो रहा था और यही हाल राजू का भी था पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,,, उसे अच्छा लग रहा था कि उसकी मां उसके सवाल का जवाब दे रही है,,,अभी का सवाल समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे पूछे लेकिन वह पूछे बिना रह भी नहीं पा रहा था वह अपनी मां से खुले शब्दों में पूछना चाहता था इसलिए उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह सवाल पूछे या ना पूछे उसकी मां क्या सोचेगी क्या कहेगी कहीं गुस्सा हो गई तो,,, लेकिन फिर भी वह अब तो कर दो के मन में क्या चल रहा है इस बारे में अंदाजा लगा लेता था कई औरतों का संगत पाकर इस कला में राजू पूरी तरह से निपुण हो चुका और इसीलिए ही वह तपाक से बोला,,)

तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर,,,,
(राजू एकदम मदहोशी भरे स्वर में भोला मधु अपने बेटे का यह सवाल सुनकर एकदम सनन रह गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा इस तरह के खुले शब्दों में क्यों बोल रहा है उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी अब उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे इस तरह से खुले शब्दों में पूछ लिया था कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा तो राजू समझ गया की बात थोड़ी गंभीर है इसलिए खुद ही बात को संभालते हुए बोला,,,) मुझे ज्यादा तो नहीं मालूम है ना लेकिन मेरा दोस्त बता रहा था कि उसके पिताजी ने सुहागरात वाली रात को उसकी मां के सारे कपड़े उतार कर अच्छी तरह से देखे थे कभी खुश हुए थे वरना उसका दोस्त बता रहा था कि अगर उसकी मां से अच्छी नहीं लगती तो वह उसे उसके घर छोड़ देते ,,,,
मैं इसीलिए पूछ रहा था ना कि पिताजी ने भी तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर दो मैं अच्छी तरह से देखने के बाद ही घर में रखे थे,,,,
(मधु को समझ में नहीं आ रहा थाकि उसका बेटा क्या सब जानबूझकर बोल रहा है या बालिस मन की वजह से ऐसा कह रहा है,,,, लेकिन इतना तो वह जानती थी कि उसका बेटा अब नादान बिल्कुल भी नहीं है लेकिन जिस तरह से उसने पूरी बात की गंभीरता को संभाल ले गया था उसे देखते हुए मधु की थोड़ी झिझक खत्म हो गई थी इसलिए अपने बेटे के सवाल का जवाब देते क्या बोली,,,)


हां सारे कपड़े उतार कर लेकिन इसलिए नहीं कि अच्छी लगेगी तभी व रखेंगे वरना मुझे मेरे घर छोड़ देंगे या तो एक रीति रिवाज होती है इसलिए वह सुहागवाली रात को मेरे सारे कपड़े उतार दिए थे,,,,(मधु सारी बात बोल गई थी लेकिन कैसे बोल रही थी या खुद उसे पता नहीं चल रहा था बैलगाड़ी अपने लय में आगे बढ़ रही थीनदी नाले ऊंची नीची सड़कों से गुजरते हुए बैलगाड़ी आधे रास्ते पर पहुंच चुकी थी लेकिन इस सफर का मजा अवर्णनीय था शायद यह सफर मधु को भी बहुत अच्छा लग रहा था रास्ता कब गुजर जा रहा था उन दोनों को इस बारे में पता तक नहीं चल रहा था अपनी मां का जवाब सुनकर राजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था वह अपने मन में कल्पना कर रहा था कि पहली रात को उसके कपड़ों को कैसे उसके पिताजी अपने हाथों से उतार कर उसकी मां को नंगी किए होंगे उसके हर एक अंग को अपनी आंखों से देख कर कर उसे छूकर उसे चूम कर उस मस्ती को अपने अंदर उतारे होंगे,,,अपनी मां का जवाब देने के बाद कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा केवल बैल और बैल गाड़ी के पहिए में बने घुंघरू की आवाज ही शोर मचा रही थी,,, अपनी मां की बातें सुनकर जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए राजू बोला,,,)

बाप रे मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है की तुम्हें बिना कपड़ों में देखने के बाद कोई इंसान होश में कैसे रह सकता है मैं तो होता तो शायद मेरी जान निकल जाती,,,
(इस बात पर मधु की हंसी छूट गई वह बोली)

ऐसा क्यों बोल रहा है,,,


क्यों ना बोलूं मां तुम बहुत खूबसूरत हो जैसा कि पिताजी के दोस्तों ने बोला कि आसमान से परी लेकर आया है तो सोचो उस समय तुम कितनी खूबसूरत होगी इस समय भी तो भी तुम बहुत खूबसूरत हो वह समय की बात कर रहा हूं सोचो एक इंसान जब अपने हाथों से तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर तुम्हें पूरी तरह से नंगी देखेगा तो तुम्हें नंगी देखने के बाद मुझे नहीं लगता कि वह अपने होश में होगा वह तो बेहोश हो जाएगा मदहोश हो जाएगा बिना पिए ही 4 बोतलों का नशा उसके तन बदन में छा जाएगा,,,,,
(राजू एक झटके में अपने मन की बात बोल गया था और यह बात सुनकर मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी क्योंकि उसका बेटा उसकी खूबसूरती नंगी जवानी की एक तरह से तारीफ ही कर रहा था कि उसे नंगी देखने के बाद भला कैसे कोई इंसान होश में रह सकता है,,, अपने बेटे की बातें सुनकर मधु को अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल सी महसूस होने लगी थी,,,, मधु का मन बहकने लगा था,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले वह पूरी तरह से खामोश हो गई थी,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)

चुप क्यों हो गई मां मैं झूठ थोड़ी कह रहा हूं जब अपनी आंखों के सामने छोड़ के प्यार करो या फिर आप अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर खड़ी हो जाएगी तो बना इंसान कैसे उसके सामने टिक पाएगा वह तो वहीं ढेर हो जाएगा,,, पिताजी हो गए थे क्या मां,,, तुम्हें नंगी देखने के बाद उनका क्या हाल हुआ था,,,,!(राजू बहुत चालाक हो गया था वह एक बहाने से अपनी मां के मन की सारी बात को जान लेना चाहता था और उसके सवाल-जवाब को देखकर अंदाजा लगा रहा था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है और किस तरह से वह आगे बढ़ेगा,,, सच यही था कि मधु अपने बेटे की चिकनी चुपड़ी बातों में आ चुकी थी वह अपने बेटे की बातों को सुनकर मस्त हुए जा रही थी उसकी बातों को सुनकर उसे भी अच्छा लग रहा था,,, अपने बेटे के सवाल का जवाब हुआ मुस्कुराते हुए देते हुए बोली)


धत् तू कैसी बातें कर रहा है,,, मैं स्वर्ग से उतरी अप्सरा थोड़ी ना हूं कि तेरे पिताजी वहीं ढेर हो जाएंगे,,,


नहीं मां मुझे तो विश्वास नहीं होता मैंने आज तक पूरे गांव में जहां भी घूम आओ तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा और ऐसी खूबसूरत औरत अपने सारे कपड़े उतार कर अगर नंगी होकर खड़ी हो जाए तो देखने वाले की हालत खराब हो जाएगी वह तो वहीं गिर ही जाएगा,,,,।
(अपने बेटे की बातों को सुनकर मधु मन ही मन खुश हो रही थी और हैरान भी हो रही थी कि उसका बेटा बड़े आराम से उसके सामने ही नंगी जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा है,,, और वह भी बिना शर्माए,,,एक तरफ जहां वह अपने बेटे की बातों को सुनकर हैरान थी वहीं उसकी बातों से उत्तेजित भी हो रही थी,,,,,,, मधु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुट रही थीअपने बेटे के मुंह से खुद ही बातें और अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर उससे रहा नहीं जा रहा था,,, पर वह अनजाने में ही अपने मुंह से उन शब्दों को बाहर निकाल दी जिसके बारे में सुनने के लिए राजू तड़प रहा था,,,)

अगर तु मुझे बिना कपड़ों के देख ले तो,,,
(बस यही तो राजू सुनना चाहता था वह एकदम से मदहोश हो गया अपनी मां के मुंह से यह शब्द सुनकर लेकिन अपने आप को बिना असहज किए ही वह सहज होता हुआ बोला,,)


बाप रे अगर सच पूछो तो मैं तुम्हें बिना कपड़ों के एकदम नंगी देख लूं तो शायद मेरा तो दिल की धड़कन ही बंद हो जाए मेरी तो सांसे ऊपर नीचे हो जाए,,,,,, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है की उस समय मेरा क्या होगा जब मैं तुम्हें बिना कपड़ों के एकदम नंगी देखूंगा,,,,।
(इतना कहकर वह बैलगाड़ी को आवाज लगाते हुए हांकते हुए बोला,,,) आहहह आहहहह,,, उधर नही ,,,,उधर नहीं,,, सीधे-सीधे,,,,,
(राजू जानबूझकर इस बात को ज्यादा तो नहीं देना चाहता था क्योंकि वह अपनी मां के सामने एकदम सहज बने रहना चाहता था वह बिल्कुल भी अपनी मां को जताना नहीं चाहता था कि उसके मन में किसी भी प्रकार की गंदगी है,,,, और अपने बेटे की बात सुनकर मधु मन ही मन प्रसन्न होने लगी उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी उसे इस बात की खुशी थी कि उसकी जवानी अभी पूरी तरह से काबिले तारीफ है जो एक जवान लड़के को मदहोश करने के लिए सक्षम है,,,, राजू जानबूझकर कुछ बोल नहीं रहा था,,,, वह अपनी बातों की दिशा को बदलते हुए बोला,,)


बस अब थोड़ी दूर ही रह गया है ना मां,,,, चलो अच्छा हुआ कि समय पर पहुंच जाएंगे क्योंकि मुझे शाम को लौटना भी है घर पर कोई नहीं है,,,,।
(राजू ने अपना काम बाण अपनी मां पर चला चुका था,,, उसकी मां राजू की बातों में पूरी तरह से सम्मोहित हो चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें बुर पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी केवल इस तरह की बातें करके आज तक उसकी बुर ने इतना पानी नहीं छोड़ी थी,,, सांसो की गति भारी हो चली थी उसे जोरों की पेशाब लगने का आभास हो रहा था लेकिन अपने बेटे से कैसे कहे उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, तभी उसे दूर उचाई पर एक कुआं नजर आया और वह तुरंत राजू से बोली,,)


राजु उस कुएं के पास रोकना मुझे जोरो की पेशश,,,, प्यास लगी है,,,,।
(राजू समझ गया कि उसकी मां क्या कहना चाहती जो कि उसके मुंह से निकलते निकलते रह गया था,,,)

ठीक है मुझे भी प्यास लगी है,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही राजू ठीक उस कुएं के सामने बैलगाड़ी को खड़ा कर दिया कुंवा थोड़ी ऊंचाई पर था,,, बैलगाड़ी से तुरंत उतर कर राजू बेल गाड़ी के पीछे की तरफ के और अपनी मां को उतरने में मदद करने लगा उसकी मां उतरते समय उसका हाथ पकड़ कर नीचे उतरने लगी और उतरते समय थोड़ा सा झुकने की वजह से राजू को ब्लाउज में से जाती है उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियों की झलक मिल गई जिसे देख कर उसके मुंह में पानी आ गया,,,, और राजू की यह चोर नजरें मधु से छिपी नहीं रह सके मधु को इस बात का आभास हो गया था कि उसका बेटा उसकी झलक देख कर मस्त हो गया है और यह एहसास बदल के तन बदन में भी अजीब सी हलचल पैदा कर गया था,,,, राजू अपनी मां को सहारा देकर अपनी गाड़ी से नीचे उतारा,,, कच्ची सड़क से तकरीबन 3 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ था और यह कुआं आने जाने वाले राहगीर के लिए ही बनाया गया था ताकि लोग सफर की प्यास कुए के शीतल जल को पीकर बुझा सके,,,,,, मधु को प्यास तो लगी थी लेकिन उससे ज्यादा जोरों की पेशाब लगी हुई थी रास्ते भर में अपने बेटे से ऊतेजनात्मक बातें करके वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, उससे पेशाब की तीव्रता बर्दाश्त नहीं हुई तो वह अपने बेटे से पहले ही जल्दी-जल्दी चलते हुए कुएं के पास पहुंच गई और अच्छी सी जगह ढूंढने लगी कुएं के पास ही एक बड़ा सा पत्थर था मधु ठीक उस पत्थर के पीछे जाकर अपनी साड़ी कमर तक उठा कर पेशाब करने लगी,,,,,राजू को इस बात का आभास तक नहीं था कि उसकी मां कुएं के पास पत्थर के पीछे बैठकर पेशाब कर रही है वह तो सोच रहा था कि उसको जोरों की प्यास लगी है इसलिए जल्दी से कुएं के पास चली गई और वह भी मदद करने के लिए उसके पीछे चल दिया लेकिन तुम्हें के पास कोई नहीं था तो वह,,, अनायास इधर उधर झांकते हुए ठीक पत्थर के पास पहुंच गया और मधु पेशाब करने में व्यस्त थी,,,, और राजू उसे ढूंढता हुआ ठीक पत्थर के पास पहुंचकर जैसे ही आवाज लगाया,,,।


मां कहां गई,,,,,(इतने में उसे पत्थर के पीछे बैठकर पेशाब करती हुई उसकी मां नजर आ गई उसकी गोरी गोरी मदमस्त कर देने वाली गांड राजू की आंखों के सामने थी और गुलाबी छेद में से पेशाब की मधुर ध्वनि सुनाई दे रही थी,,,, यह पल भर के लिए ही था लेकिन इतने में ही राजू ने अपनी मां की मदमस्त गांड के दर्शन कर लिया था और वह भी उसे पेशाब करते हुए देख रहा था जैसे ही मधु के कानों में राजू की आवाज गई वह तुरंत उसे रोकते हुए बोली)

अरे इधर नहीं इधर नहीं आ,,,,।
(लेकिन तब तक देर हो चुकी थी राजू ने वह सब कुछ देख लिया था जो उसे नहीं देखना चाहिए था,,, मधु ने भी पीछे नजर करके राजू को रोकने की कोशिश करते हुए उसकी आंखों को उसकी नजरों की सीधान को देख ली थी जो कि उसकी गांड की तरफ ही था पल भर में ही मधु एकदम से सिहर उठी,,,, राजू तुरंत दो कदम पीछे हट गया था लेकिन इस नजारे को देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो गया था,,,, वह कुएं के पास खड़ा होकर बाल्टी को ढूंढ कर उसमें पास में पड़ी रस्सी बांधने लगा तब तक मधु पेशाब करके वापस उनके पास आ चुकी थी वह इतना तो जान चुकी थी कि उसका बेटा अपनी खुली आंखों से उसकी नंगी गांड को देख लिया था उसे पेशाब करते हुए देख लिया था यह एहसास ही मधु के तन बदन में आग लगा रहा था,,,, बाल्टी को रस्सी में बांधता हुआ देख कर मधु बोली,)


तू रहने दे राजू में पानी निकाल लूंगी तूने कभी कुवे से पानी निकाला नहीं है,,,


अरे रहने दो ना मां मैं तुम्हारी मदद कर देता हूं,,


तू रहने दे मदद करने को याद है एक दिन तो इसी तरह से मेरी मदद कर रहा था,,,,तो ,,,,(इतना कहकर मधु एकदम से खामोश हो गई उसके कहने का मतलब को राजू अच्छी तरह से समझ गया था लेकिन फिर भी जानने के उद्देश्य से वह बोला,,)


तो क्या हुआ मा आज भी मदद करने दो ना वैसे भी बाल्टी आज कुछ ज्यादा भारी है उसे से बड़ी है,,,,,,


नहीं नहीं तू रहने दे ,,(और इतना कहने के साथ ही,,,, मधु बाल्टी को कुएं में नीचे गिरा दी,,,और उसमें पानी भरने के लिए उसे गोल गोल कमाने लगे ऐसा करने पर मधु पूरी तरह से झुकी हुई थी,,, और झुकने की वजह से उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड कुछ ज्यादा ही उभर कर बाहर निकली हुई थी राजू का मन तो कर रहा था कि पीछे से दबोच ले लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी,,,कुछ पल पहले ही वह अपनी मां की नंगी गांड को देख चुका था साड़ी में और साड़ी के बगैर उसकी मां की दोनों तरह से ही बेहद खूबसूरत और आकर्षित लगती थी,,,,,,उसकी मां कुएं से पानी निकालने की कोशिश कर रही थी और राजू चारों तरफ का नजारा देख रहा था चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था बस पंछियों की आवाज भी सुनाई दे रही थी,,, सूर‌ज सर पर चढ़ आया था,,,, राजू अपने पिताजी को मन ही मन धन्यवाद दे रहा था कि अच्छा हुआ उन्होंने उसे बेल गाड़ी चलाना सिखा दिया वरना इतना खूबसूरत सफर का मजा हुआ कभी नहीं ले पाता,,,,,।


क्या हुआ मा आऊं क्या,,,,(अपनी मां को नीचे झुके हुए कुवे से पानी की बाल्टी को भरते हुए देखकर राजू बोला,,)

नहीं नहीं मैं कर लूंगी,,,,(राजू की तरफ देखे बिना ही मधुर बोली हालांकि वह अपने मन में यही चाहती थी कि उसकी मदद करने के लिए उस दिन की तरह ही उसका बेटा आज भी उसके पीछे खड़ा होकर कुवे में से बाल्टी को खींचे तो बहुत मजा आ जाए क्योंकि ना जाने क्यों मधु का मन अपने बेटे की मर्दाना ताकत की चुभन को अपनी गांड पर महसूस करने के लिए कर रहा था,,,,, राजू वहीं खड़ा रहा लेकिन तभी देखा कि कुएं में से बाल्टी को खींचते समय उसकी मां का पैर तक मंगा रहा था तो वह तुरंत अपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसी तरह से रस्सी को पकड़कर खींचने लगा जैसा कि उस दिन अपनी मां की मदद कर रहा था,,,,अपनी मां की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड और बाकी पूरी तरह से नंगी देखने के बाद उसका लैंड पहले से ही उफान मार रहा था और इस तरह से उसके पीछे खड़े हो जाने पर तो ऐसा लग रहा था कि पैजामा फाड़ कर बाहर ही आ जाएगा,,,,राजू अपनी मां की मदद करने के लिए अपनी मां के पीछे खड़ा होकर रस्सी को खींचने लगा था उसकी मां भी रस्सी खींच रही थी,,,,कुछ देर पहले ही उसके बेटे ने उसे पेशाब करते हुए देखा था इस बात का एहसास उसे उत्तेजित कर रहा था मधु की बुर से मदन रस का बहाव बड़ी जोर से हो रहा था,,,, तभी बाल्टी को खींचते समय वही एहसास फिर से मधु को महसूस होने लगा जैसा कि वह पहली बार महसूस की थी राजू का लंड पर जाने में होने के बावजूद भी पूरी तरह से उभार लिए हुए था जो कि ठीक उसकी मां की गांड के बीचो-बीच धंस रहा था,,, मधु की तो हालत खराब होने लगी इसीलिए वह अपने बेटे को मना कर रही थी लेकिन उसी से अकेले बाल्टी खींची भी नहीं जा रही थी और वह खुद चाहती थी कि उसका बेटा उसकी मदद करें,,,,।

मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, इस हरियाली से भरे स्थान पर मधु की जवानी जोर मार रही थी और वह भी अपने बेटे के लिए,,,धीरे-धीरे राजू बाल्टी को ऊपर की तरफ खींचने लगा लेकिन साथ ही जानबूझकर अपने लंड का दबाव अपनी मां की गांड पर बराबर बनाए हुए था उसकी मां भी उसकी हरकत का पूरा मजा ले रही थी,,,तो अभी जान पूछ कर ना जाने किस एहसास से अपनी गांड को पीछे की तरफ दे मार रही थी,,,, कभी-कभी राजू जल्दबाजी दिखाते हुए पूरा जोर लगा कर बाल्टी कोऊपर की तरफ खींचता तो अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का दे देता ऐसा करने से उसे अपनी मां को चोदने का एहसास हो रहा था और उसके हर एक धक्के पर मधु पूरी तरह से पानी-पानी हो जा रही थी,,,बाल्टी जब तक कुएं से बाहर आती तब तक राजू ने अपनी हरकत की वजह से अपने लंड की रगड़ को अपनी मां की गांड पर महसूस करवा करवा कर उसका पानी निकाल दिया था मधु झड़ चुकी थी,,,,,,एहसास मधु के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था कि उसका बेटा बिना उसकी चुदाई कीए ही उसका पानी निकाल दिया था,,,, बाल्टी बॉय से बाहर आ चुकी थी और मधुअपने चेहरे पर आई शर्म की लालिमा को अपने बेटे से छुपाते हुए अपने हाथ में पानी लेकर अपने चेहरे पर मारकर अपने चेहरे को धोने की कोशिश करने लगी,,,,राजू को इस बात का आभास तक नहीं था कि राजू ने अपनी हरकत की वजह से अपनी मां का पानी निकाल दिया है,,, अपने चेहरे को धोते समय मधु चोर नजरों से अपने बेटे के पजामे की तरफ देखी तो दंग रह गई,,, उसके पहचाने में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था और पल भर में ही मधु अपने बेटे के तंबू की शक्ल को उसके नंगे लड की कल्पना में तब्दील करने लगी तो वहां उसकी मोटाई और लंबाई से हैरान रह गई हालांकि अब तक वह अपने बेटे के लंड को नग्न अवस्था में नहीं देखी थी लेकिन फिर भी जो नजारा हुआ देख रही थी उससे उसे अच्छी तरह से आभास हो रहा था कि उसके बेटे के पजामे में मर्दाना ताकत से भरा हुआ है एक लंबा तगड़ा लंड है जो कि किसी की भी बुर में जाकर उसका पानी निकाल सकता है,,,,,।

दोनों पानी पीकर तृप्त हो चुके थे,,,, राजू वापस बेल गाड़ी चलाने लगा और अपनी मंजिल की तरफ जाने लगा थोड़ी ही देर में हवेली आ चुकी थी वह अपनी मां को घर गाड़ी से उतारकर,,,वापस घर की तरफ आ गया उसका मन तो आज घर पर लौटने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था क्योंकि वह सोच रहा था कि शादी में रुक जाए और यहीं पर किसी भी तरह का जुगाड़ करके अपनी मां की चुदाई कर दे क्योंकि ऐसा लग रहा था कि उसकी मां उसकी बातों में पूरी तरह से आ चुकी थी,,, लेकिन उसका घर पहुंचना भी जरूरी था,,, इसलिए वापस घर पर आ गया,,,।
 

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दोनों बाप बेटे ने अलग-अलग जगह पर अपने संभोग की अद्भुत कार्य शैली का नजारा पेश किया था हरिया ने अपनी छोटी बहन के साथ अद्भुत चुदाई का खेल खेला था,,, आज पहली बार गुलाबी अपने भाई से गांड मराई का अद्भुत सुख प्राप्त की थी,,, और अपने भतीजे राजू के लिए एक और काम लीला का द्वार खोल दी थी,,, दूसरी तरफ राजू अशोक की बीवी के साथ बहुत ही मदहोशी भरा गरमा गरम समय गुजारा था,,,,,,,
श्याम की मा की गांड़

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, एक नई और खूबसूरत है बुर की चुदाई करके राजू बहुत खुश नजर आ रहा था उसे अपने पिताजी के निर्णय पर गर्व हो रहा था कि जोउन्होंने उसे अशोक को उसके घर सही सलामत पहुंचाने का जिम्मा दे दिया था,,,और अशोक के घर पर पहुंचकर उसके सर पर एक नई जिम्मेदारी आ गई थी जिसे वह खुशी-खुशी स्वीकार कर चुका था,,,,,,,


गुलाबी अपने दूसरे छेद में अपने भाई के लंड को लेकर पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, हालांकि वह पहली बार अपने भतीजे के लंड की अपनी गांड के छेद में प्रवेश कराना चाहती थी लेकिन अपनी सहेली की बात सुनकर वह घबरा गई थी क्योंकि उसके भतीजे का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था,,, जिसे वह अपने सहेली के बताए अनुसार आराम से अपनी गांड के छेद में लेकर गांड नहीं मरा सकती थी,,, लेकिन उसका बड़ा भाई हरियाइस काम में पूरी कहां से माही था क्योंकि वह राजू के मुंह से सुन चुकी थी कि उसका बड़ा भाई उसकी भाभी की गांड मारता है इसलिए वह अपने इस छोटे से छेद को एक होनहार और अनुभव से भरे हुए इंसान के हाथों में देकर अपना उतार करा देना चाहती थी इसीलिए वह अपने छोटे से छेद पर पहला अधिकार अपने बड़े भाई हरिया को प्रदान की थी जिसका वह सही इस्तेमाल करते हुए जिंदगी में पहली बार गुलाबी की गांड मारकर उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति कराया था,,,जिसे गुलाबी थोड़ी बहुत दिक्कत के साथ अंदर तक ले ली थी और उसके बाद तो आनंद के सागर में गोते लगाने लगी थी अब उसका आत्मविश्वास बढ़ चुका था कि अब वह बड़े आराम से अपने भतीजे के मोटे लंबे लंड को अपनी गांड के छेद में लेकर उससे गांड मराई का अद्भुत सुख प्राप्त करेगी,,,,,,,।
झुमरी के अमरूद



धीरे-धीरे दिन गुजर रहा था,,, श्याम अपनी मां की बेवफाई से हताश और निराश हो चुका था क्योंकि उसे अपने आप पर अपनी मां पर पूरा भरोसा था कि वह अपनी इज्जत किसी दूसरे के हांथो लूटने नहीं देगीऔर इसका वह सीना ठोक कर दावा करता था कि उसकी मां किसी और लड़के से नहीं चुदवाएगी,,, लेकिन उसके इस दावे की हवा राजू निकाल चुका था अपनी अद्भुत और जालसाजी बातों में श्याम की मां को फंसा कर,,,और अपने मोटे तगड़े मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के दर्शन करा कर,,,,। इतना तो श्याम अच्छी तरह से जानता था कि राजू का लंड अद्भुत ताकत के साथ साथ अद्भुत लंबाई लिए हुए भी है अगर किसी लड़की या औरत ने खुली आंखों से स्कूल लेने के दर्शन कर लिए तब उसे अपनी बुर में लिए बिना नहीं मानेगी,,, और उसका यह ख्याल अपनी मां के प्रति भी था लेकिन अपनी मां की हरकत और उसकी जरूरत को देखते हुए श्याम के अरमान चकनाचूर हो चुके थे,,,,वह कुछ भी देख सकता था लेकिन अपने ही आंखों के सामने अपनी मां को किसी और लड़के से बल्कि अपने ही दोस्त के साथ चुदवाते हुए नहीं देख सकता था,,,,लेकिन वक्त और हालात ने उसके हाथ बांध रखे थे वरना वह कभी भी अपनी आंखों के सामने राजू को अपनी मां चोदने नहीं देता लेकिन राजू ने उन दोनों को अपनी आंखों से चुदाई का अद्भुत खेल खेलता हुआ देख लिया था और उसी की दुहाई देकर वह उसकी मां के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था,,,,,,, श्याम इस वाकए से अपनी ही नजरों में गिर चुका था,,, राजू से नजर मिलाने की हिम्मत उसकी नहीं होती थी इसलिए वह जा राजू होता था वहां नहीं जाता था,,, यहां तक कि अब सोनी से पढ़ने के लिए भी नहीं जाता था,,,,,,,, । राजू भी हैरान था कि श्याम से बहुत दिन हो गए मुलाकात नहीं हुई क्योंकि राजू उसे उसकी मां के साथ बिताए हुए पल के बारे में एक एक शब्द उसे बताना चाहता था ,,, और उसे अपनी ही नजरों में गिर आना चाहता था क्योंकि इससे पहले वाह राजू के साथ बहुत बदतमीजी कर चुका था,,, उसके परिवार के बारे में


बहुत गंदी गंदी बातें करके उसे चिड़ाता था लेकिन अब हालात बदल चुके थे वक्त की कमान अब उसके हाथों में आ चुकी थी किसी भी सूरत में वह श्याम को अपने ऊपर हावी होने देना नहीं चाहता था,,,,,,,, राजू का भी मन गांड मारने के लिए तरस रहा था और वह जानता था कि कोई उम्रदराज औरत ही उसे उसकी गांड का वह बेशकीमती छेद देगी जिससे वह तृप्त हो जाएगा,,,,।

ऐसे ही एक दिन उसकी मुलाकात श्याम से हो गई वह खेतों से सुखी काकड़िया बटोर कर अपने सर पर रख कर घर की तरफ जा रहा था तो रास्ते में ही श्याम उसके पीछे लगभग दौड़ता हुआ आया और उसे रोकता हुआ बोला,,,,,,।

अरे अरे श्याम रुक तो सही कहां चला जा रहा है,,,,,(ठीक उसके आगे आकर खड़ा होता हुआ राजू बोला)


घर जा रहा हूं और कहां जाऊंगा,,,,(मुंह बनाते हुए श्याम बोला)


अरे मेरे दोस्त चले जाना लेकिन उस दिन के बाद तो तु दिखाई ही नहीं दिया,,, मुझे लगा कि कहीं अपने मामा मामी के वहां तो नहीं चला गया,,,,


क्यों मैं क्यों जाऊंगा,,,?


अरे मुझे लगा कि अपनी आंखों के सामने अपनी मां को चुदवाते हुए देखकर तुझसे सहन नहीं हुआ और तु मुझसे नजर तक नहीं मिला सकने की स्थिति में अपने मामा मामी के घर चला गया होगा,,,,,,
(राजू की बातें सुनकर श्याम को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह उसका कुछ कर नहीं पाता इतना व जानता था इसलिए सब कुछ शांत होकर सुनता रहा और राजू की बात सुनकर बोला,,,)



राजू तो अच्छी तरह से जानता है कि तो मेरी मजबूरी का फायदा उठा रहा है वरना मैं तेरा मुंह तोड़ दिया होता,,,


अरे यार यह तो वक्त वक्त की बात है पहले तो मुझे बहुत कुछ कहा करता था और मैं सुना करता था लेकिन आज वक्त बदल गया है मैं तुझे कुछ भी कह सकता हूं लेकिन तू सुनने के सिवा और कुछ नहीं कर सकता,,,।


चल रहने दे मुझे जाने दे देर हो रही है,,,,


अरे यार कहां देर हो रही है अभी तो बहुत समय है चल थोड़ी देर बात करते हैं तेरा भी फायदा हो जाएगा,,,


देख मुझे तुझसे किसी भी विषय पर बात नहीं करना है मुझे जाने दे,,,,


अरे यार तुम तो नाराज होता है देखा नहीं उस दिन तेरी मां भी कितनी नाराज थी लेकिन कैसे मेरा लंड देखकर एकदम शांत हो गई,,,,,(राजू की आवाज सुनकर शयाम को अपनी मां पर गुस्सा आने लगा,,,और राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच कहूं तो तेरी मां को चोदने के लिए मेरे जैसा लंड चाहिए था,,,, देखा नहीं कितनी मस्ती के साथ तेरी मां मेरे लंड को अपनी बुर में ले रही थी,,,,।

(इस तरह की गंदी बातें राजू के मुंह से सुनकर श्याम तिल मिला जा रहा था,,,गांव में उससे इस था कि बात करने वाला आज तक कोई पैदा नहीं हुआ था लेकिन राजू के मामले में बात बिगड़ गई थी इसलिए श्याम सिर्फ सुन रहा था और अपनी मां पर गुस्सा भी कर रहा था कि कैसे लंड देखकर उसकी मां फिसल गई,,,,)

देख राजु मुझे कुछ नहीं सुनना है मुझे जाने दे,,,,।


ऐसे नहीं जाने दूंगा पहले उस दिन की कहानी तो सुन ले,,,


सुनने के लिए कुछ नहीं बचा है राजू जो कुछ भी हो रहा था मैं अपनी आंखों से देखा था,,,,


देखा था तब तो तुझे भी मजा आ रहा होगा ना देखा नहीं कैसे तेरी मां घुटनों के बल बैठकर मेरे मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी,,, सच में तेरी मां को बहुत मजा आ रहा था मुझे तेरी मां के चेहरे को देखकर अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि वह कितना खुश थी,,, और मुझे लगता नहीं है कि आज तक तेरी मां ने तेरे लंड को मुंह में लेकर इस तरह से चूसी होगी,,,, क्यों सही कह रहा हूं ना,,,,।
मधु की गद्राराई जवानी



क्यों तेरे लंड में कुछ ज्यादा ही दम है जो ईस तरह की बातें कर रहा है,,,,


देखकर तो यही लगता है अगर तेरे लंड मैं ज्यादा जान होता तो उस दिन तेरी मां मुझसे चुदवाती नहीं,,,,,,,


बस कर राजू उस दिन की बातें दौहरा कर मुझे जलील मत कर,,,,।


अरे यार तो क्या हो गया इसमें जलील होने वाली बात कौन सी है यह राज तो हम दोनों के बीच है और राज ही रहेगा तु इत्मीनान रख,,,, हम दोनों के बीच जो भी सोता हुआ था उस बारे में किसी को कानों कान तक खबर नहीं पड़ेगी यहां तक कि तेरी मां को भी इस बारे में भनक तक नहीं लगेगी कि मैं जो कुछ भी तेरी मां के साथ किया उसके बारे में कुछ पता था और तू अपनी आंखों से चोरी चुके सब कुछ देख रहा था,,,,,,,


अच्छा एक बात बता तू यह सब बातें मुझसे बोल कर जताना क्या चाहता है,,,,तूने जो शर्त रखा था वह शर्त पूरी हो गई है ,,,,तू मेरी मां को चोदना चाहता था और उसे चोद भी दिया अब हम दोनों का रास्ता अलग है,,,,,,, अब ना मैं तेरे रास्ते आऊंगा और ना तू मेरे रास्ते,,,।



ऐसा कैसे हो सकता है मेरे दोस्त अब तो मुझे तेरी मां की बुर का स्वाद मुंह लग गया है,,, सच कहूं तो मेरे दोस्त तेरी मां की बुर बहुत रसीली है,,, अब तो मेरा दिल आ गया है तेरी मां की बुर पर बिना तेरी मां की बुर चोदे मुझे चैन नहीं आएगा,,,,।

श्याम की मा की भरी हुई जवानी



नहीं,,,, अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता,,,,(श्याम गुस्से में बोला)


क्यों नहीं हो सकता एक बार हो गया है तो बार-बार होगा अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं सबको बता दूंगा कि तू अपनी मां को चोदता है,,,


राजू,,,,(गुस्से में) तू जो कह रहा है बिल्कुल गलत है दोनों के बीच इस बात को लेकर समाधान हुआ था तू अपनी मनमानी कर चुका है अब ऐसा नहीं कर सकता,,,,


हां बात तो सही है हम दोनों के बीच समाधान हुआ था लेकिन तब मैं नहीं जानता था कि तेरी मां इतनी मस्त है,,, मुझे लगा था एक बार डाल कर निकाल लूंगा बस हो गया लेकिन अब तो मेरा मन नहीं मानता दिन रात मेरी आंखों के सामने तेरी मां का नंगा बदन नाशचता रहता है तेरी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां,,, बड़ी-बड़ी गांड,,, और बेहद हसीन बुर आज की ऐसा लगता है कि तेरी मां एकदम नौजवान औरत हो इस कदर उसने अपनी बुर की देखभाल करके रखी है,,,,।
(राजू की बातें सुनकर शाम को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों राजू की बातों में उसे अपनी मां की खूबसूरती का वर्णन के साथ-साथ तारीफ भी नजर आ रही थी और यह एहसास श्याम के तन बदन में भी अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था लेकिन फिर भी वह नहीं चाहता था कि जो कुछ भी पहली बार हुआ वही दोबारा हो इसलिए वो राजू को समझाने की पूरी कोशिश कर रहा था हालांकि वह इस बात से अनजान बिल्कुल भी नहीं था कि राजू जब चाहे तब इसकी मां की चुदाई कर सकता है क्योंकि अब वह गले की हड्डी जो बन चुका था,,,)




राजू मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं,,,, आप आइंदा मेरी मां के बारे में इस तरह की बातें मत करना और ना ही दोबारा उसके साथ कुछ करने की कोशिश करना इसी में हम दोनों की भलाई है,,,।


इसमें भलाई नहीं है मेरे भाई बनाई तो हम दोनों की इसमें है कि हम दोनों समझदारी से आगे बढ़े देख मैं तेरी मां का दीवाना हो गया हूं और तेरी मां भी जहां तक मेरे लंड की दीवानी हो चुकी है और ना देखा नहीं कैसे जोर-जोर से मेरे लंड पर कूद रही थी,,,अगर उसे जरा भी अहसास होता जरा भी शर्म होती तो क्या हुआ एक अनजान लड़के और वो भी अपने ही बेटे के दोस्त के साथ इस तरह से रंगरेलियां मनाती,,, नहीं ना,,, तेरी मां को भी मजा आ रहा है मुझे भी मजा आ रहा है और तू भी मजा ले,,,,।


राजू तू चुप हो जा मुझसे इस तरह की बातें बर्दाश्त नहीं हो रही है,,,


अच्छा पाती बर्दाश्त नहीं हो रही है लेकिन उस दिन जो कुछ भी तो अपनी आंखों से देख रहा था वह सब बर्दाश्त हो रहा था अगर बर्दाश्त नहीं होता तो वही बीच में तो कूद पड़ता है और मुझे रोक लेता लेकिन ऐसा तूने भी नहीं किया क्योंकि तुझे भी देखना था कि तेरी मां क्या करवाती है,,, और तुझे भी अच्छा लग रहा था अपनी आंखों से यह देखना कि तेरी मां तेरे ही दोस्त के साथ कैसे चुदाई का मजा लूटती है,,,,।
कसम से श्याम तेरी मां की बुर में लगाया गया मेरा हर एक धक्का मुझे स्वर्ग का सुख दे रहा था इतना मजा तो एक जवान लड़की को चोदने में नहीं आता जितना मजा तेरी मां को चोदने में आ रहा था,,,, तेरी मां इस उम्र में भी बहुत खूबसूरत है और जवानी तो उसमें कूट-कूट कर भरी हुई है,,,, कसम से तेरी मां को चोदने में बहुत मजा आता है और तभी तो तू बाहर मुंह मारने की जगह अपनी मां की दो टांगों के बीच अपना मुंह छुपा कर बैठा है तुझे भी बहुत मजा आता है ना,,,।
(राजू जानबूझ कर उसे इस तरह की बातें करके उसे उकसा रहा था वह अपनी पिछले दिनों का बदला लेना चाहता था,,, और उसे श्याम से इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था,,,और वहां यह बात अच्छी तरह से जानता था कि वह कुछ भी बोले श्याम उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि श्याम पूरी तरह से उसकी गिरफ्त में आ चुका था,,,)


देख रहा हूं मुझे तेरी अब कोई भी बात नहीं सुनना मैं जा रहा हूं मुझे बहुत देर हो रही है इतना कहने के साथ ही वह चलने लगा तो फिर से उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए राजु बोला,,,,,,।


सुन तो सही बस मैं तुझसे यह बात कहना चाहता हूं कि कभी अपनी मां की गांड मारा है,,,,।
(इतना सुनते ही श्याम एकदम से सन्न रह गया वह कभी इस बारे में सोचा भी नहीं था इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाया तो राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

सोच कह रहा है बताना कभी तो तेरा ही मन डोला होगा अपनी मां की गुलाबी छेद के साथ-साथ उसका छोटा सा छेद देखकर उस में डालने का मन तो किया होगा,,,।
(अपनी मां की गांड के छोटे से छेद के बारे में राजू के मुंह से सुन कर श्याम का दिमाग काम करना बंद कर दिया वो एकदम से विचार मगन हो गया था,,,, और कुछ देर तक सोचने के बाद वह लगभग हक लाते हुए बोला,,,)

न,,,,,नहीं,,,,, मैंने कभी इस बारे में नहीं सोचा,,,


अरे कभी तो सोचा होगा,,,


नहीं नहीं कभी नहीं सोचा,,,।


अरे मेरे दोस्त तू अपनी मां को उसके सारे कपड़े उतार कर अपने हाथों से ही नंगी करता था ना,,,,

हां,,,,, लेकिन कभी-कभी इसकी जरूरत नहीं पड़ती थी,,,, बस साड़ी उठाकर,,,,(राजू की चिकनी चुपड़ी बातों में श्याम भी आ चुका था इसलिए वह उसकी बातों का जवाब देने लगा था अपनी मां की गांड की छोटे से छेद के बारे में सोचकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी)


अरे वह तो मैं जानता हूं लेकिन नंगी करने के बाद तु उसकी बुर तो चाटता होगा ना,,,,।


नहीं मैंने कभी ऐसा नहीं किया,,,।

पागल,,,(गुस्से में श्याम की तरफ देखते हुए) तब तूने क्या किया अरे पागल औरत की बुर नहीं चाटा तो क्या चाटा,,, तभी तो मैं सोचूं तेरी मां की बुर पर अपने होठ रखते ही कैसे तेरी मां तीलमीला गई थी,,, एकदम मस्त हो गई थी एकदम पागल हो गई थी असली सुख तो तू अपनी मां को देता ही नहीं था,,,,,(शायद इस बात का एहसास श्याम को भी हो रहा था क्योंकि उसने भी अपनी आंखों से देखा था जैसे ही राजू ने अपने होठों को उसकी मां की बुर पर रखा था वैसे ही उसकी मां पूरी तरह से मस्त हो गई थी) और तभी मेरे भाई मेरी नजर तेरी मां की गांड के छोटे से छत पर गई थी और उस पर नजर पड़ते ही मेरी तो हालत खराब हो गई थी,,,, मैं तो तभी तेरी मां की गांड मार लेना चाहता था लेकिन मुझे इस बात का डर था कि कहीं तेरी मां इंकार कर दी तू और अगर तू पहले अपनी मां की गांड मारा होगा तो जरूर तेरी मां मुझे भी मारने देगी,,, क्या तूने अपनी मां की गांड मारा है,,,।

(राजू की बातें सुनकर श्याम तो एकदम स्तब्ध रह गया था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने की उत्तेजना की खुमारी उसके तन बदन को अपनी आगोश में ले रही थी जिसका असर उसके पजामे में हो रहा था उसमें तंबू सा बन गया था जो कि राजू की नजरों से बच नहीं सका था राजू को उसकी हालत देखकर मजा आने लगा था और उसे अपना काम बनता भी नजर आ रहा था,,, श्याम कुछ बोल नहीं पाया बस ना मे सिर हिला दिया,,,)

बस इसी बात का तो मुझे डर था अगर तू पहले अपनी मां की गांड मारा होता तो आराम से तेरी मां मेरा लंड अपनी गांड में ले लेती,,,लेकिन तू तो जानता ही है मेरा लंड कितना मोटा है और तेरी मां की गांड का छेद बहुत छोटा है,,,।

तो,,,,(श्याम आश्चर्य से अपनी आंखें फाड़े बोला)


तो क्या,,,, तेरी मां की गांड मारने में मजा तो बहुत आएगा लेकिन उसे तैयार करना पड़ेगा अगर तू हां कह दे तो,,, अगर ना कहेगा तो भी मैं,,,तेरी मां की बार जरूर मारूंगा क्योंकि मेरा दिल तेरी मां की गांड पर आ गया है मैं तो यह सोच रहा था कि अगर मैं तेरी मां की गांड मारो तो तुझे भी यह सुख दु तुझे भी मजा आएगा,,,, और तुझसे तो तेरी मां गांड मरवाने से रहीं,,,, क्योंकि तूने तो अब तक अपनी मां के साथ असली चुदाई का खेल खेला ही नहीं है बस अपनी प्यास बुझा जाए अपनी मां के बारे में जरा भी ध्यान नहीं दिया अगर तू मेरा साथ दे तो हम दोनों को यह सुख प्राप्त हो सकता है,,,,।


(राजू की बातें सुनकर श्याम सोच में पड़ गया था अब तक वह राजू पर गुस्सा करता था लेकिन गांड मारने वाली बात से उसके तन बदन में भी आग लगने लगी थी वह भी उस सुख को पाने के लिए उत्सुक हो गया था,,,,और राजू को इस बात का अंदाजा लग गया था कि श्याम उसकी बातों में पूरी तरह से आ चुका है,,, इसलिए राजू अपना आखिरी दांव आजमाता हुआ बोला,,,)

देख इंकार मत करना मैं जानता हूं कि तेरा भी मन अपनी मां की गांड मारने को कर रहा है तभी तो तेरा लंड खड़ा हो गया है,,,(राजू की बात सुनते ही श्याम की नजर अपने पजामे पर गई तो वह शर्मा गया,,,,और राजू अपनई बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) देख इसमें कोई हर्ज नहीं है पूरे गांव में सिर्फ मैं ही जानता हूं कि तू अपनी मां की चुदाई करता है और यह बता तू ही जानता है कि मैं भी तेरी मां को चोद चुका हूं इसलिए हम दोनों के बीच किसी भी प्रकार का राज नहीं है अगर तू साथ दे तो हम दोनों मिलकर तेरी मां की गांड मार सकते हैं और एक अद्भुत सुख को प्राप्त कर सकते हैं और तेरी मां को भी मस्त कर सकते हैं इस बारे में गांव मे किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगी,,, क्या बोलता है,,,,।

(राजू की बातें सुनकर श्याम की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह उत्तेजित वादा रहा था इस ख्याल को अंजाम तक पहुंचता हुआ देखकर वह मन ही मन ना जाने कैसे-कैसे कल्पना करने लगा था,,,, और उत्तेजना के मारे कांपते स्वर में बोला,,,)

पर होगा कैसे,,,,?


बस मेरे दोस्त मैं यही सुनना चाहता था तू सब कुछ मुझ पर छोड़ दे मैं सब कुछ इंतजाम कर दूंगा और तेरी मां को इस बारे में पता भी नहीं चलेगा कि हम दोनों पहले से ही इस बारे में बात कर चुके हैं,,,,।

(श्याम मुस्कुराया और अपने घर की तरफ चल दिया,,, क्या देखकर राजू भी खुश हो गया क्योंकि उसका काम बन चुका था,,,, बस अपनी युक्ति को अंजाम तक ले जाना था,,,)
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है
राजू ने श्याम को अपनी बातो में लगाकर उसकी मां की गांड़ मारने के लिए मना लिया है और श्याम भी अपनी मां की गांड़ मारने की बात सुनकर उत्तेजित हो गाया अब देखते हैं आगे क्या होता है
 

Sanju@

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राजू ने अपने मन की बात श्याम के कानों और दिलों दिमाग में भर दिया था,,,,, श्याम जो अभी तक राजू ने जो उसके साथ किया था उसकी मां के साथ जिस तरह से उसकी आंखों के सामने शारीरिक संबंध बनाया था उसे लेकर उससे नाराज था,,, श्याम कभी नहीं चाह रहा था कि कोई और उसकी मां की चुदाई करें खास करके उसके उम्र के दोस्त लोग लेकिन उसके सोच के मुताबिक सब कुछ उल्टा सा हो गया था अगर उसकी थोड़ी सी लापरवाही ना हुई होती तो राजू इस कदर उसके सर पर चढ़कर बोलना रहा होता उस दिन के लिए तो श्याम खुद अपने आप को ही कोश रहा थां,, की कास उसने दरवाजा बंद कर दिया होता तो यह सब नहीं होता,,, और उसकी मां का नया रूप देखने को नहीं मिलता जो कि उस दिन उसकी सोच के विपरीत ही उसकी मां राजू के लंड को देखकर पूरी तरह से ललायित हो गई थी उसे अपनी बुर में लेने के लिए,,,, जहां तक श्याम का मानना था राजू कि इसमें कोई गलती नहीं थी अगर राजु की जगह कोई और लड़का होता तो वह भी श्याम से‌ वही चाहता जो राजू ने चाहा था,,, और मजबूरी में श्याम उसे इंकार भी नहीं कर सकता था,,,, लेकिन उसे अपनी मां से शिकायत थी,,, कि वह कैसे एक जवान लड़की की मर्दाना ताकत पर पिघल गई अपने संस्कारों को अपनी मर्यादा को ताक पर रखकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार हो गई क्योंकि श्याम को अपनी मां पर विश्वास था की वह चाहे भले ही राजू की बात मान गया है लेकिन उसकी मां राजू के अधीन होने वाली नहीं है और यही श्याम की सबसे बड़ी भूल थी हालांकि राजू के लंड को वह पहले भी देख चुका था इसलिए उसे थोड़ा बहुत शक तो होता था कि,,, अगर उसकी मां ने उसके दोस्त राजु के लंड की झलक ले ली तब उसे अपनी बुर में लेने से अपने आप को नहीं रोक पाएंगी,,,, और जिस बात का डर था वही हुआ भी,,,,,।

तभी से श्याम राजू से नजर मिलाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था और ना ही उससे बात करने की उसकी कोई इच्छा रह गई थी,,, राजू को देखता था तो उसे गुस्सा आता था,,,, लेकिन कर कुछ नहीं सकता था,,,,। लेकिन आज राजू की बातें सुनकर उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी थी जिस बारे में राजू उसे बता रहा था उस बारे में कभी उसने सोचा भी नहीं था,,,, श्याम दो-तीन साल से अपनी मां की चुदाई करता रहा था लेकिन जिस तरह से उसने कहा कि आज तक उसने अपनी मां की गांड के छोटे से छेद को नजर भर कर देखा नहीं है इस बात में सच्चाई थी,,,, वह अपनी मां की गांड के छोटे से छेद के बारे में कभी कल्पना भी नहीं किया था लेकिन राजू की बातों ने उसे इस नए अनुभव के बारे में आनंद लेने के व्याकुल बना दिया था,,,, राजू का परामर्श उसे अच्छा लग रहा था,,,,,,, पहले तो शाम को इस बात पर विश्वास ही नहीं हुआ कि औरत की गांड भी मारी जाती है और इसमें अद्भुत सुख की प्राप्ति भी होती है,,,, राजू उसकी मां की गांड मारना चाहता है इस बात को सुनकर पहले तो उसे बहुत गुस्सा आया लेकिन उसकी बातों से श्याम को लगने लगा कि जो कुछ भी राजू कह रहा है इसमें अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी बहुत मजा आएगा और,,, उसे भी उसकी मां की गांड मारने को मिलेगी इस बात से वह मन ही मन राजू की बात से सहमत हो गया,,,,।

श्याम अपने मन में यही सोच रहा था कि राजू अब जब चाहे तब उसकी मां की चुदाई कर सकता है उसकी गांड मार सकता है क्योंकि वह राजू से चुदवाती समय अपनी मां के चेहरे के हावभाव को अच्छी तरह से भांप लिया था,,, राजू का मोटा तगड़ा लंड जब जब उसकी मां की बुर की गहराई नाप रहा था तब तब उसके चेहरे पर असीम संतुष्टि का अहसास नजर आता था और इस बात में कोई शक नहीं था कि राजू से चुदवाने के लिए वह तड़प रही होगी,,,, और ऐसे में राजू के जरिए वह खुद उसकी मां की गांड मार सकता हैं इस बात की खुशी उसके चेहरे पर भी साफ झलक रही थी,,, बस मौके और जगह की तलाश थी,,,,,, और जिस कार्य को करने के बारे में राजू और श्याम सोच रहे थे उसमें अच्छा खासा समय की जरूरत है और ऐसे में घर में झुमरी की मौजूदगी मैं होना शक्य बिल्कुल भी नहीं था,,,,, और इसीलिए श्याम परेशान भी था,,,,,,,।

दूसरी तरफ रात को गुलाबी अपनी गुलाबी छेद के साथ-साथ अपने भूरे रंग के छेद को भी अपने भतीजे राजू को साथ देना चाहती थी लेकिन अपने मुंह से कहने में उसे शर्म और लज्जा का एहसास हो रहा था ऐसा नहीं था कि गांड मरवाने की बात कहने में उसे शर्म आ रही हो जो लड़की अपने भतीजे से और अपने बड़े भाई से चुदाई का खुल्लम खुल्ला खेल खेल रही हो ऐसी लड़की की आंखों में शर्म और हया कहां होती है लेकिन गांड मारने वाली बात पर उसे अपने भतीजे राजू से कहने में शर्म किस बात से आ रही थी कि वह पहले अपने भतीजे को अपनी गांड मारने से इनकार कर चुकी थी क्योंकि वह अपने भतीजे के लंड की ताकत को अच्छी तरह से जानती थी,,,, और इसीलिए वह अपनी गांड के छोटे से छेद को व अनुभव से भरे हुए हाथों में देना चाहती थी और अपने बड़े भाई को अपना सर्वस्व नितंब निछावर करते हुए अपने भाई से गांड मरा का सुख प्राप्त कर चुकी थी बस इसीलिए अब वह अपने भतीजे को सौंपना चाहती थी लेकिन पहले इनकार कर चुकी थी और अभी देने में शर्म महसूस हो रही थी कि वह क्या कह कर अपने भतीजे को अपनी गांड मारने देगी,,,यही सोचकर वहां अपने भतीजे अपने मन की इच्छा को बता नहीं पा रही थी और रात भर सिर्फ अपनी बुर की सेवा करवा रही थी,,,,,।

दूसरी तरफ श्यामअपनी मां की गांड मारने के ख्याल से पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और अपनी बहन से नजरें बचाकर अपनी मां की चुदाई करना शुरू कर दिया था लेकिन उसे इस बात का अहसास हो रहा था कि उसके लंड से उसकी मां को मजा नहीं आ रहा था क्योंकि पहले जब भी वह धक्का मारता था उसकी मां के मुंह से आहह ऊहह की आवाज निकल जाती थी लेकिन आज ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था,,, वह मन ही मन अपनी मां को गाली देते हुए उसके चुदाई कर रहा था,,,,,, अपने मन में ही कह रहा था कि साली को राजू का लंड पसंद आ गया है अब राजू से चुदवाना चाहती है,,,,उसका मन तो कर रहा था कि सब कुछ बोल दे कि वह राजू के साथ चुदवाई है लेकिन ऐसा कहने से शायद उसकी गांड मारने वाली इच्छा धरी की धरी रह जाती और वह यहकिसी भी सूरत में जताना नहीं चाहता था कि राजू और उसके पीछे जो कुछ भी हुआ है उस बारे में उसे सब कुछ पता है आखिरकार गलती भी तो उसी की ही थी,,, इसलिए जैसा भी चल रहा था वह चलने दे रहा था,,,,।अपनी मां की चुदाई करने के बाद जब अपने कपड़े पहन रहा था और उसकी मां अपनी साली को अपनी कमर से लपेट रही थी तो अपनी साड़ी को अपनी कमर से लपेटते हुए बोली,,,,।

श्याम मैं तुझे एक बात बताना तो भूल ही गई,,,

क्या,,,?

वो अपने चौधरी साहब है ना उनके घर विवाह का कार्यक्रम है उनके घर दो दिन के लिए जाना है,,, मैं चाहती थी कि तू और झुमरी चले जाते तो अच्छा था,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही श्याम का दिमाग घूमने लगा 2 दिन के लिए मतलब किसी भी तरह से अगर दो तीन के लिए झुमरी घर से बाहर चली जाए तो उसके पास मौका ही मौका होगा इसलिए अपना शैतानी दिमाग दौड़ाते हुए श्याम अपनी मां से बोला,,,)


क्या मां मैं जाकर वहां क्या करूंगा और अगर मैं भी चला गया तो यहां गाय बकरियां कौन देखेगा 2 दिन में तो परेशान हो जाओगी और तुम अकेले क्या क्या देखोगी,,,,,


बात तो तू ठीक ही कह रहा है,,,,( साड़ी को अच्छे से अपनी कमर से लपेटते हुए,,) लेकिन क्या झुमरी अकेले जाने के लिए मानेगी,,,,


अरे क्यों नहीं मानेगी मां,,, शादी ब्याह में तो उसे भी अच्छा लगता है खाना-पीना नाचना गाना,,,, जरूर मान जाएगी,, वैसे जा कौन कौन रहा है,,,?

अरे गांव की बहुत सी औरतें और लड़कियां जा रही है,,,


फिर क्या है मां,,,, गांव की औरतें रहेंगी तो समरी को भी अच्छा लगेगा,,,,,


चल ठीक है मैं उससे बात करती हूं,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर श्याम मन ही मन बहुत खुश हो रहा था अपने मन में सोच रहा था कि जैसा कुछ भी वह सोच रहा है अगर ऐसा हो गया तो सोने पर सुहागा हो जाएगा तो दिन के लिए उसकी बहन घर पर नहीं होगी और इन 2 दिनों में वह अपनी मां की जमकर चुदाई करेगा और राजू के साथ मिलकर उसकी गांड भी मारेगा,,,,,,उसकी मां के साथ एक शाथ दो जवान लड़के यह सोचकर ही श्याम के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,, अपनी मां की चुदाई कर लेने के बावजूद भी उसका लंड फिर से खड़ा होने लगा था,,,, दूसरी तरफ खाना खाते समय श्याम की मां झुमरी को शादी में भेजने के लिए मना ली और वह तैयार भी हो गई,,,, क्योंकि शादी ब्याह उसे भी अच्छा लगता था,,, और ऊपर से बड़े घर की शादी थी तो खाना पीना मौज मस्ती भरपूर होने वाला था,,,,,,,,

मधु को भी उसी ब्याह के लिए नेवता मिला था इसलिए उसे भी चले जाना था वह जानती थी कि शादी ब्याह में कहीं आना जाना होता है तो उसे ही जाना पड़ता है इसलिए वह गुलाबी से वहां जाने के बारे में जिक्र भी नहीं की थी लेकिन उसे बताएं जरूर थी कि वह शादी में 2 दिन के लिए जा रही है,,, और यह रात को ही तय हो गया था कि बेल गाड़ी लेकर राजू उसकी मां को वहां छोड़ने के लिए जाएगा,,,, और इस बात ‌ हरिया बहुत खुश था क्योंकि उसकी बीवी और उसका बेटा दोनों घर से बाहर जब तो होंगे तब तक वह अपनी छोटी बहन के साथ भरपूर मजा लूट सकता था,,,,,,

दूसरे दिन गांव की औरतों के साथ झुमरी ब्याह में जाने के लिए निकल गई,,, दूसरी तरफ गाय भैंस बकरी यों को चारा पानी देते देते काफी समय हो गया था और वैसे भी मधु को बेल गाड़ी से जाना था इसलिए किसी बात की चिंता नहीं थी,,,,,,, नहा धोकर तैयार होकर खाना खाने के बाद राजू बैलगाड़ी लिए तैयार था और मधु बैलगाड़ी पर बैठते हुए गुलाबी को हिदायत देते हुए बोल रही थी,,,।


घर की देखभाल अच्छे से करना और समय-समय पर जानवरों को चारा पानी देते रहना वरना चिल्लाते रह जाएंगे,,,,

तो बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं घर की अच्छे से ख्याल रखूंगी बस तुम वहां पर अपना ख्याल रखना,,,,(गुलाबी अपनी भाभी को समझाते हुए बोली,,,, दूसरी तरफ हरिया बहुत खुश नजर आ रहा था वह जल्द से जल्द इस अकेलेपन का शुभ अवसर का पूरी तरह से लाभ उठाना चाहता था,,,, राजू बैलगाड़ी को हांक कर ले कर जाने लगा,,, और जैसे हील बैलगाड़ी आंखों से ओझल हुई हरिया तुरंत अपनी छोटी बहन को राखी को सब की नजर में जाकर अपनी गोद में उठा लिया और तुरंत उसे अपने कमरे में लेकर आ कर खटिया पर पटक दिया,,,,।


अरे भैया थोड़ा शांति तो रखो में भागी नहीं जा रही हूं,,,


अरे मैं जानता हूं मेरी गुलाबी तु कहीं भागे नहीं जा रही है लेकिन बड़े दिनों बाद ऐसा मौका हाथ लगा है भला इस मौके को मैं कैसे हाथ से जाने दु,,,(ऐसा कहते हुए हरिया अपना कुर्ता उतारने लगा और देखते-देखते गुलाबी की आंखों के सामने एकदम नंगा हो गया उत्तेजना के मारे उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था जिसे देखकर गुलाबी का गुलाबी मन मचल उठा और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने भैया के लंड को पकड़ कर उसे अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,,,।

और दूसरी तरफ इसी तरह के मौके की तलाश में श्याम भी था गांव की औरतों के साथ झुमरी के जाते ही श्याम घर का किवाड़ बंद करके अपनी मां को कमरे के अंदर वाले भाग में ले गए और वहां तुरंत अपनी मां के सारे कपड़े उतार कर खुद भी नंगा हो गया,,,, आज वह अपनी मां की गांड के छोटे से छेद को जी भर कर देखना चाहता था जैसा कि राजू ने बताया था और इसीलिए श्याम अपनी मां को नीचे जमीन पर पीठ के बल लेटा कर उसकी दोनों टांगों को ऊपर की तरफ उठा लिया और उसके बुर के नीचे वाले छोटे से छेद को नजर भर कर देखने लगा,,,श्याम के लिए यह पहला मौका था जब वह नजर भर कर अपनी मां की गांड के छेद को देख रहा था और सच पूछो तो उसे आज बेहद उतेजना का अनुभव हो रहा था,,,। वह उस छोटे से छेद को देखकर पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रहा था वह जानबूझकर अपनी मां की गांड के छेद को छेड़ नहीं रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि इन 2 दिनों में वह राजू को जरूर लेकर आएगा और राजू के साथ मिलकर वह अपनी मां की गांड मारेगा अगर अभी वह अपनी मां की गांड को छेड़ दिया तो बाद में कहीं उसकी मां को शक ना हो जाए की यह दोनों मिलें हुए हैं,,, झुमरी के अनुपस्थिति में श्याम की मां के बदन में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव होने लगा और बाद तुरंत शयाम को अपनी दोनों टांगों के बीच ले ली,,, और उसके लंड का अपनी गुलाबी छेद में लेकर चुदाई का अद्भुत सुख प्राप्त करने लगी जो कि अब राजू के बगैर अधूरा सा लग रहा था,,,,।


एक तरफ हरिया और गुलाबी आपस में लगे हुए थे और दूसरी तरफ श्याम अपनी मां की चुदाई कर रहा था और राजू जिंदगी में पहली बार अपनी मां को बैलगाड़ी पर बैठा कर दूसरे गांव ब्याह में ले जा रहा था बैलगाड़ी में पीछे अपनी मां के बेटे होने का एहसास उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को भड़का रहा था क्योंकि शादी में जाने के लिए उसकी मां तैयार हुई थी वह तैयार होने के बाद स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी,,,,,,,बेल गाड़ी चलाते समय उसके दिमाग में बहुत सी बातें आ रही थी वह मां और बेटे के मामले में श्याम को कुछ ज्यादा खुश नसीब समझ रहा था जो कि जब चाहे तब अपनी मां की चुदाई कर सकता था,,,,, वह भी श्याम की तरह बनना चाहता था ताकि उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत चोदने को मिल सके,,,,लेकिन कैसे यही उसे समझ में नहीं आ रहा था दो तीन बार तो वह अपना पैंतरा आजमा चुका था जिसका एहसास उसकी मां को भी हुआ था लेकिन बात कुछ आगे नहीं बढ़ पाई थी,,,,अपने बेटे के साथ पहली बार बैलगाड़ी में जा रही मधु बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि वह देख रही थी कि उसका बेटा बैलगाड़ी बड़े अच्छे से चला रहा था,,,, और इसीलिए वह बोली,,,।


चला तो लेता है ना ठीक से,,,


अरे मां तुम चिंता मत करो,,,, बहुत अच्छे से चला लेता हूं,,, बोलो तो दौड़ा कर दिखाऊं,,,


नहीं नहीं दौडाना नहीं है आराम से चला,,,।
(बैलगाड़ी ऊंची नीची पगडंडी कच्चे रास्ते से चली जा रही थी चारों तरफ हरे हरे खेत लहलहा रहे थे,,,अपने बेटे के साथ इस तरह से रास्ते में एकांत पाकर मधु के तन बदन में अजीब सी उलझन हो रही थी ना जाने क्यों मधु को वह सब वाक्ये याद आने लगे जोकी पूरी तरह से उत्तेजनात्मक थे पहली बार जब वह कुएं पर अपने बेटे को साथ लेकर पानी भरने के लिए गई थी और जिस तरह से उसकी मदद करते हुए राजू ने ठीक उसके पीछे खड़ा होकर तुम्हें की रस्सी को खींच रहा था ऐसे में उसकी कांड से उसके बेटे का लंड पूरी तरह से रगड़ खा रहा था,,, उसका बार-बार उसकी चुचियों को घुरना,,, और तो और जानवरों का वापस झोपड़ी में करते समय जिस तरह का हादसा पेश आया था उसे याद करके तो उसकी गुलाबी बुर से काम रस टपकने लगा था,,, गाय को काबू में करने के लिए पीछे से अपनी मां का साथ देते हुए जिस तरह से राजू ने अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़ कर अपनी मां की गोल-गोल नितंबों पर अपनी कमर आगे पीछे करते हुए हीलाया था उस पल को याद करके मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और रस्सी के टूट जाने की वजह से दोनों वहीं गिर गए थे राजू नीचे था और मधु उसके ऊपर थी और मधु की साड़ी पूरी की पूरी कमर के ऊपर तक चली गई थी कमर के नीचे को पूरी तरह से नंगी हो गई थी और उसकी नंगे पन के एहसास को उसका बेटा राजू अपने हाथों से महसूस करने के लिए जिस तरह से जानबूझकर उसकी बुर पर अपनी हथेली रखकर जोर से रगड़ा था वह पल अभी भी मधु को अच्छी तरह से ज्यादा था और उस पल को याद करके वह पानी पानी हो जाती थी और इस समय भी उसका यही हाल था,,,, मधुर को अपने बेटे को गुस्सा भी आता था लेकिन आज इस तरह से राह में एकांत पाकर अपने बेटे के साथ बैलगाड़ी में जाते हुए राजू की वही सारी हरकतें उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,,राजू अपनी मां की तारीफ करना चाहता था उसकी खूबसूरती की लेकिन से समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे करें,,,,,,,,।फिर उसे आम के बारे में सोचने लगा कि कैसे सामने अपनी मां की जरूरतों का ख्याल रखते हुए मान मर्यादा रिश्तेदारी को एक तरफ रख कर अपनी मां की इच्छाओं को पूरी किया और उसकी मां भी अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए मां बेटे के बीच के रिश्ते को अपनी जिंदगी का मजा लूटने लगी,,,, राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर वह खुद इस तरह का प्रयास करें तो शायद उसके भी हाथों में हलवा लग सकता है,,,, क्योंकि औरतों की जरूरत को अच्छी तरह से समझ गया था अगर औरत की कोई जरूरत ना होती तो गांव की इतनी सारी औरतें अभी तक उसके नीचे ना आ गई होती,,,,,, जिन जिन औरतों की उसने चुदाई किया था सबकी अपनी अपनी जरूरत थी तो यही सोच करो अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मां की भी कोई जरूरत होगी क्योंकि वह अपने पिताजी के लंड क्यों अच्छी तरह से देख लिया था जो कि उसके लंड से ज्यादा ही था और इसलिए राजू अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी मां उसके मोटे तगड़े लंबे लंड का दीदार कर लेगी तो जरूर वह भी उसके नीचे आ जाएगी जैसा कि श्याम की मां आ गई थी जो कि शाम को अपनी मां पर पूरा विश्वास था कि वह किसी गैर मर्द से शारीरिक संबंध नहीं बनाएगी लेकिन राजू को अपने मर्दाना ताकत पर पूरा विश्वास था और यही विश्वास उसे श्याम की मां की दोनों टांगों के बीच ले गया,, जिसे खुद श्याम की मां नतमस्तक होकर स्वीकार की और उसके मर्दाना ताकत की पूरी तरह से गुलाम हो गई वह अपने मन में यह सोचने लगा कि ऐसा कुछ अगर उसकी मां के साथ किया जाए तो उसकी मां भी श्याम की मां की तरह राजी हो जाएगी,,, लेकिन कैसे कैसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था बस बेल के पैरों में और पहिए में बंधे घुंघरू की आवाज से ही पूरा वातावरण शोर मय हुआ जा रहा था,,, बात की शुरुआत राजू को ही करना था यह बात राजू अच्छी तरह से जानता था इसलिए एक बहाने से अपनी मां की तारीफ करते हुए बात की शुरुआत करते हुए राजू बोला,,,।


आज तो तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो मां,,
(अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही मधु का दिल गदगद हो गया,,, वह प्रसन्न हो गई,,, और अपने चेहरे पर प्रसन्नता के भाव लाते हुए बोली,,,)

क्यों तुझे ऐसा क्यों लग रहा है,,,,?


अरे आज नई नई साड़ी पहनी हो,,,


अच्छा तो तुझे इसलिए खूबसूरत लग रही हूं कि आज नई साड़ी पहनी हुं,,, और दीन तो एसी नहीं लगती थी ना,,,


नहीं नहीं मा ऐसी बात नहीं है,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,, मुझे तो बहुत अच्छी लगती हो,,,,।

(राजू की यह बात सुनते ही मधु को अपनी दोनों टांगों के बीच सीहरनसी दौड़ती हुई महसूस होने लगी,,, मधु यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो गया है,,,)
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है
श्याम को अपनी मां पर गुस्सा भी आ रहा था वही दूसरी ओर उसे अपनी मां कि गांड़ मारने की बात से उसे खुशी हो रही थी झुमरी के होते हुए वह अपनी मां की गांड़ नही मार सकता था लेकिन उसे एक मौका मिल गया चौधरी के घर शादी की वजह से झुमरी और राजू भी मधु को लेकर शादी में जा रहा है मधु को अपने बेटे के साथ जाने में उत्तेजना उत्पन हो रही है देखते हैं राजू और मधु के बीच कुछ होता है या नही
 
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