Dharmendra Kumar Patel
Nude av or dp not allowed. Edited
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rohnny4545 Bhai Main iss story ko shuru se follow kar rha hoon. Raju Madhu ke updates story ke sabse kamuk updates hain. Inke updates padhte hi body garam honi shuru ho jaati hai. Jhumri Bachi hui hai aur Ghar me samuhik chudai ka kya scene banta hai dekhna interesting hoga. Amazing Update with excellent descriptive sex. Bas kaamuk baatein skip na kariye please.राजू की बैलगाड़ी घर की तरफ निकल पड़ी,,, राजू आज बहुत खुश था क्योंकि आज उसे वह मिल गया था जिसके बारे में सिर्फ कल्पना किया करता था ,,, राजू कैसा महसूस हो रहा था कि जैसे आज उसे दुनिया का सबसे बेशकीमती खजाना हाथ लग गया हो और अब वह उसका मालिक बन गया हो लेकिन मधु की हालत खराब थी रात भर की जमकर चुदाई करने के बाद उसे अपनी दोनों टांगों के बीच बुर में दर्द महसूस हो रहा था,,, ऐसा तो उसे अपनी सुहागरात पर भी दर्द नहीं हुआ था अपने बेटे की मर्दानगी को वहां रात भर में ही अच्छी तरह से देख चुकी थी और उसे अपने बेटे पर गर्व भी हो रहा था,,, जहां एक बार में ही उसका पति ध्वस्त हो जाता था वही उसका बेटा लगातार रात भर खुद भी जाता रहा और उसे भी जगह तरह ना खुद सोया ना उसे सोने दिया,,,,,,,, सुबह हो चुकी थी चारों तरफ सूर्य की रोशनी अपना उजाला फैला रही थी खेतों में पानी भरा हुआ था लेकिन कच्ची सड़क पर पानी नहीं था जिससे बेल गाड़ी आराम से आगे बढ़ रही थी ऐसी गजब की बारिश ना तो मधु ही देखी थी और ना ही राजू ही ऐसा लग रहा था कि यह बारिश शायद उन दोनों के मिलन के लिए ही बरस रही थी,,,, बेल गाड़ी चलाते समय भी रह-रहकर राजू अपनी मां की खूबसूरती में खो जाता था उसकी आंखों के सामने कभी उसकी मां का नंगा बदन उसकी नंगी चूचियां उसकी बड़ी बड़ी गांड तो उसकी बुर में घुसता हुआ अपना लैंड नजर आता था,,,, राजू इस बात से हैरान था कि दो दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी अभी भी उसकी मां की पूरे तुम कैसी हुई थी मानो कि जैसे जवान औरत इसीलिए तो वह रात भर अपनी मां को जमकर चोदे बिना नहीं रह पाया था और अपनी मां की मदमस्त जवानी देख कर बार-बार उसका लंड खड़ा भी हो जा रहा था,,,, अपनी मां के बारे में सोचते हुए अभी भी उसका लंड खड़ा हो गया था अगर उसकी मां इजाजत देती तो बैलगाड़ी में ही वह अपनी मां की अभी भी चुदाई कर देता क्योंकि राजू का मन अपनी मां के मादक सौंदर्य से भरा नहीं था और ना ही कभी भरने वाला था,,,, मधु के अंग अंग से मधुर रस टपकता था जिसका रस वह रात भर कभी अपने होठों से तो कभी अपने लंड से पीता रहा,,,,,
रात को जो कुछ भी हुआ था उससे मधु एकदम शर्मिंदा हो चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि रात को जो कुछ भी उन दोनों के बीच हुआ वह सही था या गलत इसका फैसला करने में वह बिल्कुल भी सक्षम नजर नहीं आ रही थी क्योंकि रात को जो कुछ भी हुआ था समाज की नजर में वह एक अपराध था रिश्तो को कलंकित कर देने वाला था लेकिन एक औरत के नजरिए से रात को जो कुछ भी हुआ था वह उन दोनों की अपनी अपनी जरूरत थी जिसमें दोनों अपनी जरूरत को पूरा करते हुए एक दूसरे को संपूर्ण संतुष्टि का अहसास दिला चुके थे और आज तक मधु ने इस तरह का सुख नहीं भोग पाई थी,,,, और इस अद्भुत सुख की प्राप्ति के एवज में उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे से घृणा करें या उसके इस उपकार के बदले अपना अस्तित्व पूरी तरह से उसके कदमों में रख दें ऐसे भी रात को वह अपने संपूर्ण अस्तित्व को अपनी जवानी को अपने बेटे के कदमों में निछावर कर चुकी थी जिसके बदले में उसके बेटे ने उसकी मादक अद्भुत खूबसूरती को अपनी बाहों में लेकर उसका रसपान किया था,,,,,,, मधु बीते हुए रात के बारे में सोच कर एक-एक पल के बारे में सोच कर पूरी तरह से फिर से मस्त हुए जा रही थी उसे सब कुछ सपना सा लग रहा था उसे लग रहा था कि वह एक बेहद खूबसूरत सपना देख रही थी लेकिन उसने सपने जैसी जिंदगी को जी चुकी थी अपने बेटे के लंड की लंबाई और मोटाई को अपनी बुर की गहराई में महसूस कर चुकी थी उसका हर एक धक्का वह अपने बच्चेदानी पर अच्छी तरह से महसूस कर चुकी थी,,,, अपने बेटे की मजबूत बाहों में आकर उसका संपूर्ण वजूद एक गुड़िया की तरह ही लग रहा था जिसे उसके बेटे ने जी भर कर प्यार किया था,,,। मधु कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाएगी,,, लेकिन कभी-कभी सोच से विपरीत और भी ज्यादा खूबसूरत होता है जैसा कि उसके साथ हुआ था,,,,, रात को अपने बेटे की आंखों के सामने बैठकर पेशाब करना उसकी आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाना यह सब मधु के लिए बिल्कुल नया था लेकिन बेहद अद्भुत सुख प्रदान करने वाला था किसी जवान लड़के के सामने कपड़े उतार कर देंगी होने में भी एक अपना मजा होता है जिसे वह अच्छी तरह से महसूस कर पाई थी वरना यह सुख उससे पूरी तरह से अधूरा ही था,,,,,, अपने बेटे की बाहों में नग्न अवस्था में सोना उसके बदन की गर्मी से वातावरण की ठंडक को दूर करना यह सब सोचकर मधु पूरी तरह से गर्म हुई जा रही थी,,,, रात भर चोदने के बाद जिस तरह से सुबह में दोनों खंडार के पीछे जाकर नहाए थे वह पल मधु के लिए बहुत खास था क्योंकि आज तक उसने खुले में कभी इस तरह से सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहीं आई थी और वह भी अपने बेटे के साथ मधु को अपनी खूबसूरत बदन पर अपनी जवानी पर गर्व होने लगा था कि इस उम्र के दौर में भी वह अपने जवान बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने में पूरी तरह से कामयाब हो चुकी थी और उसकी गर्म जवानी से उसके बेटे की प्यास बुझ ही नहीं रही थी जोकि रात भर उसे पेलता रहा,,, उस पल को याद करके मधु की आंखों में एक बार फिर से शर्म उतार आई जब वह खंडार के पीछे नंगी होकर नहा रही थी और उसका बेटा भी उसका साथ देने के लिए आ गया था अपने बेटे के खड़े लंड को अपनी गांड पर अपनी बुर पर महसूस करके वह खुद इतना ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और अपने बेटे के लंड को खुद ही पकड़ ली थी और घुटनों के बल बैठकर अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर उसे अद्भुत सुख प्रदान की थी,,, अपनी हरकत से अपने बेटे को एक बार फिर से गर्म करके वह अपने बेटे को खुद को चोदने पर मजबूर कर देते और उसका बेटा भी अपनी मर्दानगी की सारी ताकत दिखाता हुआ एक बार फिर से उसकी बुर में समा गया था,,,
यह सब ख्याल मधु को एक बार फिर से गर्म कर दिया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी के साथ शारीरिक संबंध के इस रिश्ते को आगे बढ़ाए यहीं खत्म कर दे क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह का सुख उसके बेटे ने उसे दिया था उस तरह का सुख उसे अब कभी नहीं मिलने वाला है बिना उसके बेटे का क्योंकि वह अपने पति की ताकत को अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि बरसो उन्हीं से चुदवाती आ रही थी,,,, समाज का डर उसके मन में भी था उसे भी इस बात का डर था कि अगर घर में किसी को इस बात की भनक लग गई तो क्या होगा उसकी इज्जत का क्या होगा उसके सम्मान का क्या होगा और अगर गांव में किसी को पता चल गया तब क्या होगा वह तो गांव में किसी को मुंह दिखाने के काबिल ही नहीं रह जाएगी यही सब सोचकर व थोड़ा परेशान भी हो रही थी कि तभी राजू बोला,.
रात को कैसा लगा मां,,,
(अपने बेटे के सवाल का जवाब देने के लिए वह तैयार नहीं थी आखिर वह अपने बेटे से क्या कहती कि उसे मजा आया उसके लंड से चोदने में उसे बहुत आनंद मिला ऐसा कहने में उसे शर्म भी महसूस हो रही थी इसीलिए वह खामोश रही उसकी ख़ामोशी को देखकर राजू फिर बोला)
बोलो ना बा कैसा लगा,,,, मुझे तो बहुत मजा आया क्योंकि दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत की चुदाई जो मैंने किया है सच कहूं तो तुम्हें चोदने की सिर्फ कल्पना ही कर सकता था मुझे नहीं मालूम था कि यह हकीकत में हो जाएगा अच्छा हुआ कि पिताजी ने दवा दिलाने के लिए तुम्हें मेरे साथ भेज दिए और यह तूफानी बारिश का तुम्हें अपने दिल से लाख-लाख बार शुक्रिया अदा करूंगा क्योंकि यह बारिश ना होती तो शायद हम दोनों एक ना होते,,,
बस राजू जो हो गया सो हो गया अब आगे बिल्कुल भी नहीं होगा,,,
ऐसे कैसे नहीं होगा मेरा लंड तो तुम्हारी एक बुर में जाने के लिए अभी भी तड़प रहा है तुम्हारी खूबसूरत जवानी का रस रात भर पीता रहा हूं लेकिन यह प्यास है कि बुझने का नाम नहीं ले रही है,,, कसम से मां इस उम्र में भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है मेरा तो लंड दर्द करने लगा,,,
तू भी तो तू कहां मान रहा था जब मन कर रहा था तब डाल दे रहा था यह भी नहीं सोचता था कि मुझे कैसा लग रहा है,,,
क्यों तुम्हें मजा नहीं आया क्या कसम से बताओ तुम्हें मेरी कसम,,,
अब क्या बताऊं,,,, मुझे भी बहुत मजा आया लेकिन डर लगता है कि किसी को यह बात पता चल गई तो क्या होगा,,,
क्या मां तुम भी पागलों जैसी बात करती हो हम दोनों के बीच की इस बात को भला कैसे लोगों को पता चलेगा यह तो तुम जानती हो और मैं जानता हूं और इस रात को घने जंगल में इस खंडार में अपने इस बेल के सिवा और कोई नहीं जानता और यह बेल है कि बोल नहीं पाएगा और ना जरूरी अपने मालिक को बता देता कि मालिक मालिक रात भर तुम्हारी बीवी की चुदाई तुम्हारा बेटा किया है,,,,।
(इतना सुनते ही मधु की हंसी छूट गई और वह खिलखिला कर हंसने लगी अपनी मां को इस तरह से हंसता हुआ देखकर राजू बोला)
देखना मां हंसते हुए तुम और ज्यादा खूबसूरत लगती हो,, तुम्हें हंसता हुआ देखकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया है,,, अगर इजाजत हो तो इसी समय बैलगाड़ी में तुम्हारी बुर में डाल दुं,,,,
चल चल रहने दे अब तेरा मुझे नहीं डलवाना है रात भर डाल डाल कर पूरा सुजा दिया है,,,,
क्या सुजा दिया है,,,,?(राजू सब कुछ जानते हुए भी जानबूझकर बोला क्योंकि वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था)
अरे वही जिसमें तू डाल रहा था,,,(मधु शर्माते हुए पूरी उसे मालूम था कि उसका बेटा उसके साथ शरारत कर रहा है और उसके शरारत में उसे भी मजा आ रहा था)
क्या मां ठीक ठीक से बोलो ना क्या सूज गया और मैं क्या डाल रहा था,,,
चल तुझे सब कुछ मालूम है,,,
हां वह तो है मुझे सब कुछ मालूम है लेकिन तुम्हारे मुंह से सुनने में मुझे बहुत मजा आएगा,,,
क्यों रात भर जो मजा लिया वह कम था क्या,,,
अरे पूछो मत वह मजा तो मेरी जिंदगी का सबसे अनमोल तोहफा था तुम्हारी तरफ से लेकिन अपने मुंह से अगर साफ साफ शब्दों में कहोगी तो मुझे और मजा आएगा,,,
क्या,,,?
वही कि क्या सोच गया और मैं क्या डाल रहा था,,,
(अपनी बेटे की बात सुनकर मधु को शर्म महसूस हो रही थी उसे शर्म भी आ रही थी और मजा भी आ रहा था वह भी अपने बेटे के सामने खुले शब्दों में बोलने में लाल आई तो थी और वैसे भी रात भर में उसके बेटे ने उसे खुद अपने हाथों से नंगी करके उसकी चुदाई भी किया था और उसे मजा भी दिया था तो ऐसे में अपने बेटे से शर्म करने का कोई मतलब नहीं था इसलिए वह शरमाते हुए बोली)
तू अपना लंड मेरी बुर में डाल डाल कर सुजा दिया है,,,
आहहह आहहरह क्या बात है कितनी मधुर आवाज है देखी तुम्हारे मुंह से यह शब्द कितने अच्छे लगते हैं बुर और लंड,,,
तुम मुझे सच में बेशर्म बनाता जा रहा है,,,
लेकिन बेशर्म बनने में कितना मजा है ना मां अगर तुम बेशर्म ना बनती तो मेरी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी ना होती मेरे सामने बैठकर पेशाब ना करती मेरे लंड को अपने मुंह में ले लेती और ना ही मुझे अपनी चूची पीने देती ना अपनी बुर का रस पिलाती और ना ही मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाने का अद्भुत सुख प्राप्त कर पाती,,,
(अपने बेटे की इन बातों को सुनकर मधु के तन बदन में फिर से आग लगने लगी थी अपने बेटे के लैंड की रबड़ को अभी भी अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों में महसूस कर पा रही थी)
बहुत बेशर्म हो चुका है तू,,,
क्या मा फिर से अभी-अभी तो तुम्हें बेशर्म होने का फायदा बताया हूं कहो तो थोड़ी और बेशर्मी दिखा दु,,,।
अब इससे ज्यादा बेशर्मी तू और क्या दिखाएगा,,,
अरे पूछो मत इससे भी ज्यादा बेशर्म बन्ना मुझे आता है अगर इससे भी ज्यादा बेशर्म बन गया ना तो कसम से यह सड़क पर इसी बैलगाड़ी में तुम्हें नंगी करके चोदना शुरू कर दूंगा,,,
हाय दैया,,, इतना हरामि हो गया है तू तेरे में जरा भी शर्म नहीं रह गई है,,,
तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत हो वीरान सड़क हो तो ऐसे में कोई भी मेरी तरह बेशर्म बन जाएगा कसम से तुम्हारे बदन की खुशबू मुझे और ज्यादा मस्त कर देती है,,,
चल अब रहने दे बैलगाड़ी को जल्दी आगे बढ़ा,,,,
देखो ना मां ,,,दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है और अभी भी गांव बहुत दूर है कहो तो यहीं पर एक बार और तुम्हारी चुदाई कर दुंं मेरा लंड पूरी तरह से तैयार है,,,,
लेकिन मेरी बुर बिल्कुल भी तैयार नहीं है,,,,(मधु हल्की सी मुस्कुराहट के साथ शरमाते हुए बोली)
ऐसा हो ही नहीं सकता तुम्हारी बुर भी एकदम तैयार है मुझे मालूम है तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही होगी यकीन ना आए तो हाथ लगा कर देख लो,,,
चल अब रहने दे बदतमीज इस तरह की बातें करेगा तो किसी की भी बुर पानी छोड़ने लगेगी,,,, तू बकवास बंद कर और जल्दी जल्दी चल,,,,,
सोच लो मां यहां पर जिस तरह का मौका मिल रहा है घर पर पता नहीं मौका मिलेगा कि नहीं वहां मेरे लंड के लिए तरस जाओगी अपनी बुर में लेने के लिए क्योंकि मुझे पूरा यकीन है कि अब तुम्हें पिताजी के लंड से बिल्कुल भी मजा नहीं आएगा,,,,
कोई बात नहीं तू अब अपना मुंह बंद रख,,,,,
(मधु फिर से शरमाते हुए बोली दोनों मां बेटे पूरी तरह से आपस में खुल चुके थे मधु बहुत खुश नजर आ रही थी बस उसे इस बात का डर था कि दोनों के बीच के संबंध के बारे में किसी को भनक ना लग जाए,,,, और राजू के इस बात पर भी वह गौर कर रही थी कि वास्तव में घर पर इधर की तरह उसे मौका नहीं मिल पाएगा अगर उसका मन बहक गया और उसे अपने बेटे का लैंड लेने की तड़प जाग गई तो वह क्या करेगी,,,, किसी तरह से वह अपने मन को समझा रही थी,,,,,,, घर पर पहुंचते-पहुंचते दोपहर हो चुकी थी रात को जिस तरह की तूफानी बारिश हो रही थी उसे देखते हुए मधु को ऐसा ही लग रहा था कि आज भी बारिश होगी लेकिन आसमान पूरी तरह से साफ हो चुका था धूप पूरी तरह से गर्मी भी खेल रही थी घर पर पहुंचकर राजू बैलगाड़ी को घर के सामने खड़ी कर दिया और वहीं पेड़ के सहारे बेल को बांध दिया,,,, राजू तुरंत बेल गाड़ी के पीछे आकर अपनी मां को उतरने में मदद किया और दोनों दरवाजे पर पहुंचे तो दरवाजा बंद था,,,,)
लगता है कोई घर पर नहीं है,,,,( मधु चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखते हुए बोली)
लगता है खेत में गए होंगे,,,,,
(घर पर कोई नहीं है इस बात का ख्याल आते ही राजू का शैतानी दिमाग फिर से दौड़ना शुरू कर दिया राजू के पजामे में हरकत होना शुरू हो गया मधु दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश की और पीछे पीछे राजू भी आ गया जिस तरह से हाथ में आई मौके का फायदा राजू और मधु पूरी तरह से उठाकर रात भर मस्ती किए थे उसी तरह से उन दोनों के घर से जाते ही हरिया और उसकी छोटी बहन आपस में जुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे और वह खेल लगातार जारी था रात भर और दिनभर की चुदाई के बाद हरिया और गुलाबी दोनों खेत में थोड़ा काम करने के लिए चले गए थे और घर पर कोई नहीं था घर में प्रवेश करते ही राजू ने तुरंत दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दिया था और अपनी मां को तुरंत वह कुछ समझ पाती उससे पहले अपनी गोद में उठा लिया था और गोद में उठाए हुए ही वह उसे उसके कमरे की तरफ ले जा रहा था,,,,)
अरे अरे राजू यह क्या कर रहा है छोड़ मुझे मैं गिर जाऊंगी नीचे उतार,,, अरे पागल हो गया क्या कोई देख लिया तो,,,
अरे यहां कोई देखने वाला नहीं है ना पिताजी और बुआ दोनों खेत पर काम करने गए हैं क्यों ना इस मौके का फायदा उठा लिया जाए,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी उसे समझते देर नहीं लगी कि राजू फिर से उसके साथ मनमानी करने पर उतारू हो चुका है लेकिन मधु उसे ऐसा करने से रोकती नहीं लेकिन वह माना नहीं हो अपनी गोद में उठाए हुए राजू अपनी मां को उसके ही कमरे में ले गया और खटिया पर ले जाकर पटक दिया,,,,)
अरे नहीं राजू पागल हो गया क्या तू तेरे पिताजी आ गए तो गजब हो जाएगा,,,
अरे जब तक वो लोग आएंगे तब तक अपना काम पूरा हो जाएगा और वैसे भी दरवाजा बंद है आने से पहले हमें भी पता चल जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां के साथ मनमानी करते हैं उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा मधु से रोकने की पूरी कोशिश करती रही लेकिन राजू नहीं माना और देखते ही देखते अपनी मां के ब्लाउज का सारा बटन खोल कर उसकी नंगी चूची को आजाद कर दिया,,,,)
नहीं पागल ऐसा मत कर अगर किसी ने देख लिया तो हम दोनों बदनाम हो जाएंगे,,,
कोई नहीं देखने वाला है मां,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां की दोनों चूची को अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से दबाता हुआ अपने प्यासे होठों को अपनी मां के लाल लाल होठों पर रखकर चुंबन करने लगा आखिरकार रात भर की जबरदस्त चुदाई के बाद एक बार फिर से मधु की बुर पानी छोड़ना शुरू कर दी थी,,, उसे अपनी बुर में दर्द महसूस हो रहा था लेकिन फिर भी राजू की हरकत ने उसे फिर से उत्तेजित कर दिया था देखते ही देखते राजू पूरी तरह से अपनी मां के होठों को अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया था और मधु की भी हालत खराब हो रही थी,,, राजू अपने मुंह को तुरंत अपनी मां के होठों से हटाकर उसकी चूची पर रख दिया और उसे पीना शुरू कर दिया राजू की हरकतें मधु के तन बदन में जवानी का जोश भर रही थी,,, राजू पर पूरी तरह से वासना का भूत सवार हो चुका था घर में किसी की मौजूदगी ना होने पर हुआ इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था और वह अपनी मां की नंगी जवानी पर पूरी तरह से टूट चुका था उसकी दोनों चूचियों को पकड़ पकड़ कर दबाते हुए उसे मुंह में लेकर पी रहा था आखिरकार मधु कब तक अपने सब्र को काबू में कर पाती वह भी अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से मदहोश होने लगी,,, उससे भी रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से यह अपने बेटे के खड़े लंड को टटोलने लगी वाकई में राजू का लैंड पूरी तरह से लोहे की छड़ की तरह हो गया था,,, जिसे अपनी हथेली में महसूस करके उसकी गुरबाणी फेंक रही थी,,,, पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए मधु बोली,,)
हाय दैया तेरा तो पूरा खड़ा हो गया है,,,
तुम्हारी बुर में जाने के लिए मचल रहा है,,,(इतना कहते ही राजू अपनी मां की साड़ी की गिठान को खोलने लगा उसकी साड़ी उतारने लगा तो उसे रोकते हुए मधु बोली)
नहीं साड़ी मत उतार कोई आ गया तो पहनने में दिक्कत हो जाएगी,,,
कुछ नहीं होगा वैसे भी चोदने का मजा पूरी तरह से नंगी करने के बाद ही आता है,,,
(मधु अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे की आगे अब उसकी एक भी चलने वाली नहीं है और राजू देखते ही देखते अपनी मां की साड़ी उतार कर पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे नीचे की तरफ एक झटके में ही खींच दिया और मधु भी अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी-भरकम गांव को ऊपर की तरफ उठाती थी ताकि उसका बेटा आराम से उसके पेटीकोट को उतार सके देखते-देखते मधु खटिया में एकदम नंगी हो गई राजू अपनी मां की नंगी जवानी को दिन के उजाले में देखकर और भी ज्यादा मस्त हो गया और तुरंत अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया अपने बेटे के खड़े लंड पर नजर पड़ते ही मधु के होश उड़ गए वह भी अपने बेटे के लंड को दिन के उजाले में देख रही थी और अंदर ही अंदर मचल रही थी,,, राजू इस बार अपनी मां की दोनों टांगों को फैलाने की जगह एक साथ पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया और साथ में पकड़े हुए ही जाकर उसकी छाती से उसके घुटने लगा दिया जिससे कमर के नीचे मधु की गोल गोल गाना मटके की तरह नजर आने लगी और राजू तुरंत अपने लंड को उसके गुलाबी छेद में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,,, मधु पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी मस्ती उसकी आंखों में साफ झलक रही थी इस तरह से दोनों टांगों को सता कर चोदने में राजू को और भी ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि इस तरह करने से पहले से ही मधु की बुर कसी हुई थी लेकिन इस स्थिति में उसकी बुर और ज्यादा सख्त और कसी हुई नजर आ रही थी जिससे राजू का लंड उसकी मां की बुर में थोड़ी दिक्कत के साथ लेकिन पूरा आनंद देते हुए अंदर बाहर हो रहा था,,,,।
मधु कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसके ही कमरे में उसके ही खटिया पर उसकी चुदाई करेगा दोनों पूरी तरह से नंगे थे दोनों के बदन की गर्मी दोनों के लावा को पिघलाने के लिए तैयार थी,,, तकरीबन इस अवस्था में 20-25 मिनट के घमासान चुदाई के बाद मधु की सांसें तेज चलने लगी और यही स्थिति राजू की भी थी राजू तुरंत अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर अपनी मां को अपनी बांहों में कस लिया और जोर जोर से धक्का लगाने लगा खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी मधु को इस बात का डर था कि कहीं राजू के तेज झटकों की वजह से खटिया ना टूट जाए लेकिन राजू पूरी तरह से मस्ती में चूर था वह धक्के पर धक्के लगा रहा था देखते ही देखते दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और दोनों एक साथ झड़ गए एक बार फिर से राजू ने अपनी मां की मदमस्त जवानी पर काबू पा लिया था मधु भी अपने बेटे की इस अफरा तफरी भरी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,
राजू तुरंत खटिया पर से उठा और अपने कपड़े पहन लिया मधु भी धीरे से खटिया पर से उठी और अपने कपड़ों को ढूंढने लगी उसे अपनी बुर में दर्द महसूस हो रहा था वह अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी बुर की स्थिति को देखी तो थोड़ा सा घबरा गई क्योंकि बुर सुजी हुई थी,,, जैसे तैसे करके वह अपने कपड़े पहन कर दुरुस्त हो गई थोड़ी ही देर में हरी और गुलाबी भी घर पर आ गए और उन दोनों को देखकर दोनों खुश हो गए हालांकि यह खुशी ऊपर से ही थी क्योंकि वह लोग और मजा करना चाहते थे वैसे तो गुलाबी को अपने भाई से ज्यादा राजू के साथ मजा आता था लेकिन क्या करें वह अपने भाई को भी पूरा मस्ती देना चाहती थी ताकि दोनों की चोरी पकडे जाने पर दोनों एक दूसरे पर उंगली ना उठा सके,,,,।
रात को सोते समय मधु हल्दी वाला दूध एक गिलास गट गटाकर पी गई क्योंकि वह जानती थी कि इससे उसके दर्द में राहत मिलेगी,,,, रात को जब हरिया ने मधु के कपड़े उतार कर लेंगी करने की कोशिश किया तो मधु ने उसे इंकार कर दी क्योंकि मैं तू जानती थी की सूजी हुई बुर अगर उसका पति देखेगा तो जरूर मन में शंका करेगा,,, थके होने और तबीयत खराब होने का बहाना करके मधु अपने पति को समझा कर सो गई और राजू भी पूरी तरह से थक चुका था इसलिए खटिया पर पडते ही सो गया,,,।
राजू की बैलगाड़ी घर की तरफ निकल पड़ी,,, राजू आज बहुत खुश था क्योंकि आज उसे वह मिल गया था जिसके बारे में सिर्फ कल्पना किया करता था ,,, राजू कैसा महसूस हो रहा था कि जैसे आज उसे दुनिया का सबसे बेशकीमती खजाना हाथ लग गया हो और अब वह उसका मालिक बन गया हो लेकिन मधु की हालत खराब थी रात भर की जमकर चुदाई करने के बाद उसे अपनी दोनों टांगों के बीच बुर में दर्द महसूस हो रहा था,,, ऐसा तो उसे अपनी सुहागरात पर भी दर्द नहीं हुआ था अपने बेटे की मर्दानगी को वहां रात भर में ही अच्छी तरह से देख चुकी थी और उसे अपने बेटे पर गर्व भी हो रहा था,,, जहां एक बार में ही उसका पति ध्वस्त हो जाता था वही उसका बेटा लगातार रात भर खुद भी जाता रहा और उसे भी जगह तरह ना खुद सोया ना उसे सोने दिया,,,,,,,, सुबह हो चुकी थी चारों तरफ सूर्य की रोशनी अपना उजाला फैला रही थी खेतों में पानी भरा हुआ था लेकिन कच्ची सड़क पर पानी नहीं था जिससे बेल गाड़ी आराम से आगे बढ़ रही थी ऐसी गजब की बारिश ना तो मधु ही देखी थी और ना ही राजू ही ऐसा लग रहा था कि यह बारिश शायद उन दोनों के मिलन के लिए ही बरस रही थी,,,, बेल गाड़ी चलाते समय भी रह-रहकर राजू अपनी मां की खूबसूरती में खो जाता था उसकी आंखों के सामने कभी उसकी मां का नंगा बदन उसकी नंगी चूचियां उसकी बड़ी बड़ी गांड तो उसकी बुर में घुसता हुआ अपना लैंड नजर आता था,,,, राजू इस बात से हैरान था कि दो दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी अभी भी उसकी मां की पूरे तुम कैसी हुई थी मानो कि जैसे जवान औरत इसीलिए तो वह रात भर अपनी मां को जमकर चोदे बिना नहीं रह पाया था और अपनी मां की मदमस्त जवानी देख कर बार-बार उसका लंड खड़ा भी हो जा रहा था,,,, अपनी मां के बारे में सोचते हुए अभी भी उसका लंड खड़ा हो गया था अगर उसकी मां इजाजत देती तो बैलगाड़ी में ही वह अपनी मां की अभी भी चुदाई कर देता क्योंकि राजू का मन अपनी मां के मादक सौंदर्य से भरा नहीं था और ना ही कभी भरने वाला था,,,, मधु के अंग अंग से मधुर रस टपकता था जिसका रस वह रात भर कभी अपने होठों से तो कभी अपने लंड से पीता रहा,,,,,
रात को जो कुछ भी हुआ था उससे मधु एकदम शर्मिंदा हो चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि रात को जो कुछ भी उन दोनों के बीच हुआ वह सही था या गलत इसका फैसला करने में वह बिल्कुल भी सक्षम नजर नहीं आ रही थी क्योंकि रात को जो कुछ भी हुआ था समाज की नजर में वह एक अपराध था रिश्तो को कलंकित कर देने वाला था लेकिन एक औरत के नजरिए से रात को जो कुछ भी हुआ था वह उन दोनों की अपनी अपनी जरूरत थी जिसमें दोनों अपनी जरूरत को पूरा करते हुए एक दूसरे को संपूर्ण संतुष्टि का अहसास दिला चुके थे और आज तक मधु ने इस तरह का सुख नहीं भोग पाई थी,,,, और इस अद्भुत सुख की प्राप्ति के एवज में उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे से घृणा करें या उसके इस उपकार के बदले अपना अस्तित्व पूरी तरह से उसके कदमों में रख दें ऐसे भी रात को वह अपने संपूर्ण अस्तित्व को अपनी जवानी को अपने बेटे के कदमों में निछावर कर चुकी थी जिसके बदले में उसके बेटे ने उसकी मादक अद्भुत खूबसूरती को अपनी बाहों में लेकर उसका रसपान किया था,,,,,,, मधु बीते हुए रात के बारे में सोच कर एक-एक पल के बारे में सोच कर पूरी तरह से फिर से मस्त हुए जा रही थी उसे सब कुछ सपना सा लग रहा था उसे लग रहा था कि वह एक बेहद खूबसूरत सपना देख रही थी लेकिन उसने सपने जैसी जिंदगी को जी चुकी थी अपने बेटे के लंड की लंबाई और मोटाई को अपनी बुर की गहराई में महसूस कर चुकी थी उसका हर एक धक्का वह अपने बच्चेदानी पर अच्छी तरह से महसूस कर चुकी थी,,,, अपने बेटे की मजबूत बाहों में आकर उसका संपूर्ण वजूद एक गुड़िया की तरह ही लग रहा था जिसे उसके बेटे ने जी भर कर प्यार किया था,,,। मधु कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाएगी,,, लेकिन कभी-कभी सोच से विपरीत और भी ज्यादा खूबसूरत होता है जैसा कि उसके साथ हुआ था,,,,, रात को अपने बेटे की आंखों के सामने बैठकर पेशाब करना उसकी आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाना यह सब मधु के लिए बिल्कुल नया था लेकिन बेहद अद्भुत सुख प्रदान करने वाला था किसी जवान लड़के के सामने कपड़े उतार कर देंगी होने में भी एक अपना मजा होता है जिसे वह अच्छी तरह से महसूस कर पाई थी वरना यह सुख उससे पूरी तरह से अधूरा ही था,,,,,, अपने बेटे की बाहों में नग्न अवस्था में सोना उसके बदन की गर्मी से वातावरण की ठंडक को दूर करना यह सब सोचकर मधु पूरी तरह से गर्म हुई जा रही थी,,,, रात भर चोदने के बाद जिस तरह से सुबह में दोनों खंडार के पीछे जाकर नहाए थे वह पल मधु के लिए बहुत खास था क्योंकि आज तक उसने खुले में कभी इस तरह से सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहीं आई थी और वह भी अपने बेटे के साथ मधु को अपनी खूबसूरत बदन पर अपनी जवानी पर गर्व होने लगा था कि इस उम्र के दौर में भी वह अपने जवान बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने में पूरी तरह से कामयाब हो चुकी थी और उसकी गर्म जवानी से उसके बेटे की प्यास बुझ ही नहीं रही थी जोकि रात भर उसे पेलता रहा,,, उस पल को याद करके मधु की आंखों में एक बार फिर से शर्म उतार आई जब वह खंडार के पीछे नंगी होकर नहा रही थी और उसका बेटा भी उसका साथ देने के लिए आ गया था अपने बेटे के खड़े लंड को अपनी गांड पर अपनी बुर पर महसूस करके वह खुद इतना ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और अपने बेटे के लंड को खुद ही पकड़ ली थी और घुटनों के बल बैठकर अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर उसे अद्भुत सुख प्रदान की थी,,, अपनी हरकत से अपने बेटे को एक बार फिर से गर्म करके वह अपने बेटे को खुद को चोदने पर मजबूर कर देते और उसका बेटा भी अपनी मर्दानगी की सारी ताकत दिखाता हुआ एक बार फिर से उसकी बुर में समा गया था,,,
यह सब ख्याल मधु को एक बार फिर से गर्म कर दिया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी के साथ शारीरिक संबंध के इस रिश्ते को आगे बढ़ाए यहीं खत्म कर दे क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह का सुख उसके बेटे ने उसे दिया था उस तरह का सुख उसे अब कभी नहीं मिलने वाला है बिना उसके बेटे का क्योंकि वह अपने पति की ताकत को अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि बरसो उन्हीं से चुदवाती आ रही थी,,,, समाज का डर उसके मन में भी था उसे भी इस बात का डर था कि अगर घर में किसी को इस बात की भनक लग गई तो क्या होगा उसकी इज्जत का क्या होगा उसके सम्मान का क्या होगा और अगर गांव में किसी को पता चल गया तब क्या होगा वह तो गांव में किसी को मुंह दिखाने के काबिल ही नहीं रह जाएगी यही सब सोचकर व थोड़ा परेशान भी हो रही थी कि तभी राजू बोला,.
रात को कैसा लगा मां,,,
(अपने बेटे के सवाल का जवाब देने के लिए वह तैयार नहीं थी आखिर वह अपने बेटे से क्या कहती कि उसे मजा आया उसके लंड से चोदने में उसे बहुत आनंद मिला ऐसा कहने में उसे शर्म भी महसूस हो रही थी इसीलिए वह खामोश रही उसकी ख़ामोशी को देखकर राजू फिर बोला)
बोलो ना बा कैसा लगा,,,, मुझे तो बहुत मजा आया क्योंकि दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत की चुदाई जो मैंने किया है सच कहूं तो तुम्हें चोदने की सिर्फ कल्पना ही कर सकता था मुझे नहीं मालूम था कि यह हकीकत में हो जाएगा अच्छा हुआ कि पिताजी ने दवा दिलाने के लिए तुम्हें मेरे साथ भेज दिए और यह तूफानी बारिश का तुम्हें अपने दिल से लाख-लाख बार शुक्रिया अदा करूंगा क्योंकि यह बारिश ना होती तो शायद हम दोनों एक ना होते,,,
बस राजू जो हो गया सो हो गया अब आगे बिल्कुल भी नहीं होगा,,,
ऐसे कैसे नहीं होगा मेरा लंड तो तुम्हारी एक बुर में जाने के लिए अभी भी तड़प रहा है तुम्हारी खूबसूरत जवानी का रस रात भर पीता रहा हूं लेकिन यह प्यास है कि बुझने का नाम नहीं ले रही है,,, कसम से मां इस उम्र में भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है मेरा तो लंड दर्द करने लगा,,,
तू भी तो तू कहां मान रहा था जब मन कर रहा था तब डाल दे रहा था यह भी नहीं सोचता था कि मुझे कैसा लग रहा है,,,
क्यों तुम्हें मजा नहीं आया क्या कसम से बताओ तुम्हें मेरी कसम,,,
अब क्या बताऊं,,,, मुझे भी बहुत मजा आया लेकिन डर लगता है कि किसी को यह बात पता चल गई तो क्या होगा,,,
क्या मां तुम भी पागलों जैसी बात करती हो हम दोनों के बीच की इस बात को भला कैसे लोगों को पता चलेगा यह तो तुम जानती हो और मैं जानता हूं और इस रात को घने जंगल में इस खंडार में अपने इस बेल के सिवा और कोई नहीं जानता और यह बेल है कि बोल नहीं पाएगा और ना जरूरी अपने मालिक को बता देता कि मालिक मालिक रात भर तुम्हारी बीवी की चुदाई तुम्हारा बेटा किया है,,,,।
(इतना सुनते ही मधु की हंसी छूट गई और वह खिलखिला कर हंसने लगी अपनी मां को इस तरह से हंसता हुआ देखकर राजू बोला)
देखना मां हंसते हुए तुम और ज्यादा खूबसूरत लगती हो,, तुम्हें हंसता हुआ देखकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया है,,, अगर इजाजत हो तो इसी समय बैलगाड़ी में तुम्हारी बुर में डाल दुं,,,,
चल चल रहने दे अब तेरा मुझे नहीं डलवाना है रात भर डाल डाल कर पूरा सुजा दिया है,,,,
क्या सुजा दिया है,,,,?(राजू सब कुछ जानते हुए भी जानबूझकर बोला क्योंकि वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था)
अरे वही जिसमें तू डाल रहा था,,,(मधु शर्माते हुए पूरी उसे मालूम था कि उसका बेटा उसके साथ शरारत कर रहा है और उसके शरारत में उसे भी मजा आ रहा था)
क्या मां ठीक ठीक से बोलो ना क्या सूज गया और मैं क्या डाल रहा था,,,
चल तुझे सब कुछ मालूम है,,,
हां वह तो है मुझे सब कुछ मालूम है लेकिन तुम्हारे मुंह से सुनने में मुझे बहुत मजा आएगा,,,
क्यों रात भर जो मजा लिया वह कम था क्या,,,
अरे पूछो मत वह मजा तो मेरी जिंदगी का सबसे अनमोल तोहफा था तुम्हारी तरफ से लेकिन अपने मुंह से अगर साफ साफ शब्दों में कहोगी तो मुझे और मजा आएगा,,,
क्या,,,?
वही कि क्या सोच गया और मैं क्या डाल रहा था,,,
(अपनी बेटे की बात सुनकर मधु को शर्म महसूस हो रही थी उसे शर्म भी आ रही थी और मजा भी आ रहा था वह भी अपने बेटे के सामने खुले शब्दों में बोलने में लाल आई तो थी और वैसे भी रात भर में उसके बेटे ने उसे खुद अपने हाथों से नंगी करके उसकी चुदाई भी किया था और उसे मजा भी दिया था तो ऐसे में अपने बेटे से शर्म करने का कोई मतलब नहीं था इसलिए वह शरमाते हुए बोली)
तू अपना लंड मेरी बुर में डाल डाल कर सुजा दिया है,,,
आहहह आहहरह क्या बात है कितनी मधुर आवाज है देखी तुम्हारे मुंह से यह शब्द कितने अच्छे लगते हैं बुर और लंड,,,
तुम मुझे सच में बेशर्म बनाता जा रहा है,,,
लेकिन बेशर्म बनने में कितना मजा है ना मां अगर तुम बेशर्म ना बनती तो मेरी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी ना होती मेरे सामने बैठकर पेशाब ना करती मेरे लंड को अपने मुंह में ले लेती और ना ही मुझे अपनी चूची पीने देती ना अपनी बुर का रस पिलाती और ना ही मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाने का अद्भुत सुख प्राप्त कर पाती,,,
(अपने बेटे की इन बातों को सुनकर मधु के तन बदन में फिर से आग लगने लगी थी अपने बेटे के लैंड की रबड़ को अभी भी अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों में महसूस कर पा रही थी)
बहुत बेशर्म हो चुका है तू,,,
क्या मा फिर से अभी-अभी तो तुम्हें बेशर्म होने का फायदा बताया हूं कहो तो थोड़ी और बेशर्मी दिखा दु,,,।
अब इससे ज्यादा बेशर्मी तू और क्या दिखाएगा,,,
अरे पूछो मत इससे भी ज्यादा बेशर्म बन्ना मुझे आता है अगर इससे भी ज्यादा बेशर्म बन गया ना तो कसम से यह सड़क पर इसी बैलगाड़ी में तुम्हें नंगी करके चोदना शुरू कर दूंगा,,,
हाय दैया,,, इतना हरामि हो गया है तू तेरे में जरा भी शर्म नहीं रह गई है,,,
तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत हो वीरान सड़क हो तो ऐसे में कोई भी मेरी तरह बेशर्म बन जाएगा कसम से तुम्हारे बदन की खुशबू मुझे और ज्यादा मस्त कर देती है,,,
चल अब रहने दे बैलगाड़ी को जल्दी आगे बढ़ा,,,,
देखो ना मां ,,,दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है और अभी भी गांव बहुत दूर है कहो तो यहीं पर एक बार और तुम्हारी चुदाई कर दुंं मेरा लंड पूरी तरह से तैयार है,,,,
लेकिन मेरी बुर बिल्कुल भी तैयार नहीं है,,,,(मधु हल्की सी मुस्कुराहट के साथ शरमाते हुए बोली)
ऐसा हो ही नहीं सकता तुम्हारी बुर भी एकदम तैयार है मुझे मालूम है तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही होगी यकीन ना आए तो हाथ लगा कर देख लो,,,
चल अब रहने दे बदतमीज इस तरह की बातें करेगा तो किसी की भी बुर पानी छोड़ने लगेगी,,,, तू बकवास बंद कर और जल्दी जल्दी चल,,,,,
सोच लो मां यहां पर जिस तरह का मौका मिल रहा है घर पर पता नहीं मौका मिलेगा कि नहीं वहां मेरे लंड के लिए तरस जाओगी अपनी बुर में लेने के लिए क्योंकि मुझे पूरा यकीन है कि अब तुम्हें पिताजी के लंड से बिल्कुल भी मजा नहीं आएगा,,,,
कोई बात नहीं तू अब अपना मुंह बंद रख,,,,,
(मधु फिर से शरमाते हुए बोली दोनों मां बेटे पूरी तरह से आपस में खुल चुके थे मधु बहुत खुश नजर आ रही थी बस उसे इस बात का डर था कि दोनों के बीच के संबंध के बारे में किसी को भनक ना लग जाए,,,, और राजू के इस बात पर भी वह गौर कर रही थी कि वास्तव में घर पर इधर की तरह उसे मौका नहीं मिल पाएगा अगर उसका मन बहक गया और उसे अपने बेटे का लैंड लेने की तड़प जाग गई तो वह क्या करेगी,,,, किसी तरह से वह अपने मन को समझा रही थी,,,,,,, घर पर पहुंचते-पहुंचते दोपहर हो चुकी थी रात को जिस तरह की तूफानी बारिश हो रही थी उसे देखते हुए मधु को ऐसा ही लग रहा था कि आज भी बारिश होगी लेकिन आसमान पूरी तरह से साफ हो चुका था धूप पूरी तरह से गर्मी भी खेल रही थी घर पर पहुंचकर राजू बैलगाड़ी को घर के सामने खड़ी कर दिया और वहीं पेड़ के सहारे बेल को बांध दिया,,,, राजू तुरंत बेल गाड़ी के पीछे आकर अपनी मां को उतरने में मदद किया और दोनों दरवाजे पर पहुंचे तो दरवाजा बंद था,,,,)
लगता है कोई घर पर नहीं है,,,,( मधु चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखते हुए बोली)
लगता है खेत में गए होंगे,,,,,
(घर पर कोई नहीं है इस बात का ख्याल आते ही राजू का शैतानी दिमाग फिर से दौड़ना शुरू कर दिया राजू के पजामे में हरकत होना शुरू हो गया मधु दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश की और पीछे पीछे राजू भी आ गया जिस तरह से हाथ में आई मौके का फायदा राजू और मधु पूरी तरह से उठाकर रात भर मस्ती किए थे उसी तरह से उन दोनों के घर से जाते ही हरिया और उसकी छोटी बहन आपस में जुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे और वह खेल लगातार जारी था रात भर और दिनभर की चुदाई के बाद हरिया और गुलाबी दोनों खेत में थोड़ा काम करने के लिए चले गए थे और घर पर कोई नहीं था घर में प्रवेश करते ही राजू ने तुरंत दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दिया था और अपनी मां को तुरंत वह कुछ समझ पाती उससे पहले अपनी गोद में उठा लिया था और गोद में उठाए हुए ही वह उसे उसके कमरे की तरफ ले जा रहा था,,,,)
अरे अरे राजू यह क्या कर रहा है छोड़ मुझे मैं गिर जाऊंगी नीचे उतार,,, अरे पागल हो गया क्या कोई देख लिया तो,,,
अरे यहां कोई देखने वाला नहीं है ना पिताजी और बुआ दोनों खेत पर काम करने गए हैं क्यों ना इस मौके का फायदा उठा लिया जाए,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी उसे समझते देर नहीं लगी कि राजू फिर से उसके साथ मनमानी करने पर उतारू हो चुका है लेकिन मधु उसे ऐसा करने से रोकती नहीं लेकिन वह माना नहीं हो अपनी गोद में उठाए हुए राजू अपनी मां को उसके ही कमरे में ले गया और खटिया पर ले जाकर पटक दिया,,,,)
अरे नहीं राजू पागल हो गया क्या तू तेरे पिताजी आ गए तो गजब हो जाएगा,,,
अरे जब तक वो लोग आएंगे तब तक अपना काम पूरा हो जाएगा और वैसे भी दरवाजा बंद है आने से पहले हमें भी पता चल जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां के साथ मनमानी करते हैं उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा मधु से रोकने की पूरी कोशिश करती रही लेकिन राजू नहीं माना और देखते ही देखते अपनी मां के ब्लाउज का सारा बटन खोल कर उसकी नंगी चूची को आजाद कर दिया,,,,)
नहीं पागल ऐसा मत कर अगर किसी ने देख लिया तो हम दोनों बदनाम हो जाएंगे,,,
कोई नहीं देखने वाला है मां,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां की दोनों चूची को अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से दबाता हुआ अपने प्यासे होठों को अपनी मां के लाल लाल होठों पर रखकर चुंबन करने लगा आखिरकार रात भर की जबरदस्त चुदाई के बाद एक बार फिर से मधु की बुर पानी छोड़ना शुरू कर दी थी,,, उसे अपनी बुर में दर्द महसूस हो रहा था लेकिन फिर भी राजू की हरकत ने उसे फिर से उत्तेजित कर दिया था देखते ही देखते राजू पूरी तरह से अपनी मां के होठों को अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया था और मधु की भी हालत खराब हो रही थी,,, राजू अपने मुंह को तुरंत अपनी मां के होठों से हटाकर उसकी चूची पर रख दिया और उसे पीना शुरू कर दिया राजू की हरकतें मधु के तन बदन में जवानी का जोश भर रही थी,,, राजू पर पूरी तरह से वासना का भूत सवार हो चुका था घर में किसी की मौजूदगी ना होने पर हुआ इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था और वह अपनी मां की नंगी जवानी पर पूरी तरह से टूट चुका था उसकी दोनों चूचियों को पकड़ पकड़ कर दबाते हुए उसे मुंह में लेकर पी रहा था आखिरकार मधु कब तक अपने सब्र को काबू में कर पाती वह भी अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से मदहोश होने लगी,,, उससे भी रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से यह अपने बेटे के खड़े लंड को टटोलने लगी वाकई में राजू का लैंड पूरी तरह से लोहे की छड़ की तरह हो गया था,,, जिसे अपनी हथेली में महसूस करके उसकी गुरबाणी फेंक रही थी,,,, पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए मधु बोली,,)
हाय दैया तेरा तो पूरा खड़ा हो गया है,,,
तुम्हारी बुर में जाने के लिए मचल रहा है,,,(इतना कहते ही राजू अपनी मां की साड़ी की गिठान को खोलने लगा उसकी साड़ी उतारने लगा तो उसे रोकते हुए मधु बोली)
नहीं साड़ी मत उतार कोई आ गया तो पहनने में दिक्कत हो जाएगी,,,
कुछ नहीं होगा वैसे भी चोदने का मजा पूरी तरह से नंगी करने के बाद ही आता है,,,
(मधु अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे की आगे अब उसकी एक भी चलने वाली नहीं है और राजू देखते ही देखते अपनी मां की साड़ी उतार कर पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे नीचे की तरफ एक झटके में ही खींच दिया और मधु भी अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी-भरकम गांव को ऊपर की तरफ उठाती थी ताकि उसका बेटा आराम से उसके पेटीकोट को उतार सके देखते-देखते मधु खटिया में एकदम नंगी हो गई राजू अपनी मां की नंगी जवानी को दिन के उजाले में देखकर और भी ज्यादा मस्त हो गया और तुरंत अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया अपने बेटे के खड़े लंड पर नजर पड़ते ही मधु के होश उड़ गए वह भी अपने बेटे के लंड को दिन के उजाले में देख रही थी और अंदर ही अंदर मचल रही थी,,, राजू इस बार अपनी मां की दोनों टांगों को फैलाने की जगह एक साथ पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया और साथ में पकड़े हुए ही जाकर उसकी छाती से उसके घुटने लगा दिया जिससे कमर के नीचे मधु की गोल गोल गाना मटके की तरह नजर आने लगी और राजू तुरंत अपने लंड को उसके गुलाबी छेद में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,,, मधु पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी मस्ती उसकी आंखों में साफ झलक रही थी इस तरह से दोनों टांगों को सता कर चोदने में राजू को और भी ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि इस तरह करने से पहले से ही मधु की बुर कसी हुई थी लेकिन इस स्थिति में उसकी बुर और ज्यादा सख्त और कसी हुई नजर आ रही थी जिससे राजू का लंड उसकी मां की बुर में थोड़ी दिक्कत के साथ लेकिन पूरा आनंद देते हुए अंदर बाहर हो रहा था,,,,।
मधु कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसके ही कमरे में उसके ही खटिया पर उसकी चुदाई करेगा दोनों पूरी तरह से नंगे थे दोनों के बदन की गर्मी दोनों के लावा को पिघलाने के लिए तैयार थी,,, तकरीबन इस अवस्था में 20-25 मिनट के घमासान चुदाई के बाद मधु की सांसें तेज चलने लगी और यही स्थिति राजू की भी थी राजू तुरंत अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर अपनी मां को अपनी बांहों में कस लिया और जोर जोर से धक्का लगाने लगा खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी मधु को इस बात का डर था कि कहीं राजू के तेज झटकों की वजह से खटिया ना टूट जाए लेकिन राजू पूरी तरह से मस्ती में चूर था वह धक्के पर धक्के लगा रहा था देखते ही देखते दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और दोनों एक साथ झड़ गए एक बार फिर से राजू ने अपनी मां की मदमस्त जवानी पर काबू पा लिया था मधु भी अपने बेटे की इस अफरा तफरी भरी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,
राजू तुरंत खटिया पर से उठा और अपने कपड़े पहन लिया मधु भी धीरे से खटिया पर से उठी और अपने कपड़ों को ढूंढने लगी उसे अपनी बुर में दर्द महसूस हो रहा था वह अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी बुर की स्थिति को देखी तो थोड़ा सा घबरा गई क्योंकि बुर सुजी हुई थी,,, जैसे तैसे करके वह अपने कपड़े पहन कर दुरुस्त हो गई थोड़ी ही देर में हरी और गुलाबी भी घर पर आ गए और उन दोनों को देखकर दोनों खुश हो गए हालांकि यह खुशी ऊपर से ही थी क्योंकि वह लोग और मजा करना चाहते थे वैसे तो गुलाबी को अपने भाई से ज्यादा राजू के साथ मजा आता था लेकिन क्या करें वह अपने भाई को भी पूरा मस्ती देना चाहती थी ताकि दोनों की चोरी पकडे जाने पर दोनों एक दूसरे पर उंगली ना उठा सके,,,,।
रात को सोते समय मधु हल्दी वाला दूध एक गिलास गट गटाकर पी गई क्योंकि वह जानती थी कि इससे उसके दर्द में राहत मिलेगी,,,, रात को जब हरिया ने मधु के कपड़े उतार कर लेंगी करने की कोशिश किया तो मधु ने उसे इंकार कर दी क्योंकि मैं तू जानती थी की सूजी हुई बुर अगर उसका पति देखेगा तो जरूर मन में शंका करेगा,,, थके होने और तबीयत खराब होने का बहाना करके मधु अपने पति को समझा कर सो गई और राजू भी पूरी तरह से थक चुका था इसलिए खटिया पर पडते ही सो गया,,,।
वाह क्या गजब का मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयावैध के घर के सामने बैलगाड़ी आकर रुक गई थी मधु अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि उसकी मंजिल आ गई थी वरना उसका बेटा अपनी बातों से एक बार फिर से उसका पानी झाड़ दिया होता लेकिन अपनी बातों से वह पूरी बुर चिपचिपी कर दिया था ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी अभी बारिश होकर बंद हो गई हो और जमीन पूरी गीली हो गई हो,,,,, राजू तुरंत बेल गाड़ी रोककर पीछे आया और अपनी मां को उतारने में मदद करने लगा,,,।
वैध के घर 10 लोग जैसे बैठे हुए थे जो दवा लेने के लिए आए थे यह बड़ा ही नामचीन वेध था,, इसीलिए तो लोग दूर-दूर से यहां दवा लेने के लिए अपना इलाज कराने के लिए आते थे,,, एक अच्छी सी साफ-सुथरी जगह देखकर,,, मधु बैठ गई थी और राजू कुछ देर तक वही अपनी मां के साथ बैठा रहा है लेकिन उसे इस तरह से बैठे हैं ना अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,।
लगता है यहां पर कुछ समय लग जाएगा मैं तब तक इधर-उधर घूम कर आता हूं,,,,
ठीक है लेकिन जल्दी आ जाना,,,
तुम चिंता मत करो मैं दूर नहीं जाऊंगा बस यही आस-पास ही हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू गांव का जायजा लेने के लिए इधर उधर घूमने लगा गांव कुछ खास बड़ा नहीं था सिर्फ इस वैद्य के वजह से गांव का नाम दूर-दूर तक माना हुआ था,,,, राजू इधर उधर घूमने लगा,,, घूमते घूमते हुए गांव के थोड़ा बाहर निकल आया ,,, गांव के बाहर बड़ा सा तालाब था और राजू बड़े से पत्थर पर बैठकर तालाब में धीरे-धीरे कंकड़ मारने लगा उसका समय गुजर नहीं रहा था वह जल्द से जल्द दवा लेकर वापस जाना चाहता था ताकि सफर में अपनी मां के साथ थोड़ी मस्ती कर सके अपनी गंदी बातों से उसका मन बहला सके,,,,,,,
राजू बड़े से पत्थर पर बैठकर पानी में कंकर मारता हुआ इधर उधर नजर दौड़ा कर देख रहा था चारों तरफ बड़ी-बड़ी साड़ियां होगी हुई थी और इस समय तालाब पर कोई भी नहीं था क्योंकि दोपहर का समय था लेकिन आसमान में रह-रहकर बादल उमड़ आते थे जो कि बारिश आने का अंदेशा दे रहे थे,,,,,, तभी झाड़ियों में थोड़ी सी हरकत हुई ऐसा लग रहा था कोई जंगली जानवर झाड़ियों के बीच में बैठा हुआ है लेकिन तभी उसके सोचने के विरुद्ध ही एक औरत जो कि लगभग 35 या 36 साल की लग रही थी वह झाड़ियों में से निकल कर बाहर आई और जैसे ही झाड़ियों से बाहर निकल कर आई राजू उसको देखकर एकदम से हक्का-बक्का रह गया क्योंकि वह औरत थोड़ा सा झुक कर और अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर धीरे-धीरे झुक कर ही चल रही थी वह तालाब के पानी के पास आ रही थी उसकी नजर अभी तक राजू पर बिल्कुल भी नहीं पड़ी थी लेकिन राजू की नजर उस पर पड़ चुकी थी और राजू को समझते देर नहीं लगी कि वह औरत सोच करके आ रही थी,,,,,,,,।
औरत को ऐसे हालात में देखकर एक अच्छे संस्कार इंसान को वहां से हट जाना चाहिए था लेकिन राजू अब संस्कारी बिल्कुल भी नहीं था औरतों के मामले में तो खास करके वह बेशर्मी दिखाता हुआ एकदम से वहीं बैठा ही रह गया लेकिन अभी तक उस औरत की नजर उस पर पड़ी नहीं थी और वह तालाब के किनारे बैठ कर पानी का इस्तेमाल करते हुए गांड धोने लगी,,, यह देखकर राजू का लंड एकदम से खड़ा हो गया हालांकि अभी तक राजू इतनी दूर से ना तो उस औरत की गांड देख पाया था और न ही उसकी बुर लेकिन फिर भी उसके बदन की बनावट देखकर समझ गया था कि उसकी बुर कितनी जानदार होगी,,,, वह औरत निश्चिंत होकर तालाब के पानी का उपयोग कर रही थी लेकिन उसे नहीं मालूम था कि उसके सामने बड़े से पत्थर पर बैठकर एक जवान लड़का उसकी हरकत को देख रहा है और जैसे ही उस औरत की नजर राजू पर पड़ी वह एकदम से हक्की बक्की रह गई,,,,,, वह तुरंत खड़ी हो गई लेकिन खड़ी होकर जब तक अपनी साड़ी को कमर से नीचे छोड़ती राजू की नजर उसकी घुंघराले बालों से गिरी हुई बुर पर पड़ गई और उसकी बुर देखकर गर्म आहहह भरने लगा,,,, वह औरत एकदम संस्कारी थी इसलिए वह राजू की हरकत पर सिर्फ गुस्सा करके रह गई और वहां से जाने लगी,,,, राजू अपने चारों तरफ नजर दौड़ाया वहां पर कोई भी नहीं था यह स्थान एकदम सुनसान था इसलिए वह इस मौके का फायदा उठाना चाहता था वह उस औरत से बात करना चाहता था उसके मन की हालत को समझना चाहता था इसलिए तुरंत घूम कर गया और वह और झाड़ियों से बाहर निकलती से पहले ही ठीक उसके सामने जाकर खड़ा हो गया,,, और मुस्कुराते हुए बोला,,,।
नमस्ते भाभी,,,, अपनी गलती के लिए शर्मिंदा हूं,,,
तुम अगर शर्मिंदा होते तो अपनी नजर को दूसरी तरफ फेर लेते,,,,(वह घुंघट मैं अपना मुखड़ा छुपा कर बोली)
मैं माफी चाहूंगा भाभी तुम जो कुछ भी कह रही हो वह बिल्कुल सच है अगर मैं शर्मिंदा हुआ होता तो मैं अपनी नजरों को घुमा देता लेकिन मैं एक बात कहना चाहूंगा कि तुम अगर खूबसूरत ना होती तो शायद मैं ऐसा जरूर करता था कि मैंने पहली बार ऐसी खूबसूरत औरत देखा हूं,,,,।
(राजू अपनी बातों का जाल बुनना शुरू कर दिया,,,, औरतों की कमजोरी को अच्छी तरह से जानती थी लेकिन यहां पर उसका पासा पलटना हुआ नजर आ रहा था क्योंकि वह बेहद सीधी-सादी औरत थी,,,, और हो राजू की बात सुनकर एकदम से घबराते हुए बोली,,)
यह क्या कह रहे हो मुझसे इस तरह की बात करते हुए तुम्हें शर्म आनी चाहिए,,,,,,
(उसकी ऐसी बात सुनकर राजू समझ गया कि सोच समझकर कदम उठाना होगा वह अपने चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था क्योंकि यह जगह गांव से थोड़ी दूर पर थी,,, राजू बात को संभालते हुए बोला,,,)
मुझे मालूम था भाभी कि तुम्हें मेरी बात बुरी लगेगी लेकिन मैं हकीकत कहने से पीछे नहीं होता जो बात सच होती है मैं उसे कहने से डरता नहीं बने चाहे कुछ भी हो जाए मैं जानता था कि तुम मुझसे नाराज हो जाओगी मेरी बात सुनकर तुम्हें गुस्सा भी आएगा लेकिन हकीकत को टाला तो नहीं जा सकता तुम खूबसूरत हो तो हो,,,,(राजू अपनी बातों को कह भी रहा था और अपनी आंखों से उसकी खूबसूरत बदन को ऊपर से नीचे तक टटोलते हुए उसके बदन का जायजा भी ले रहा था,,, तभी उसकी नजर उसके थोड़े से फटे हुए ब्लाउज पर गई ,, और उसका ब्लाउज जिस जगह से थोड़ा सा फटा हुआ था वहां से उसकी चूची का किसमिस नजर आ रहा था जिस पर नजर पड़ते ही राजू का लंड खड़ा होने लगा,,,,,, राजू उस औरत के लिए बिल्कुल अनजान था और राजू के लिए औरत बिल्कुल अनजान थी दोनों में किसी भी प्रकार की रिश्तेदारी है पहचान नहीं थी राजू उस औरत को पहली बार देख रहा था,,, शायद वह उसके पीछे आता भी नहीं लेकिन उसे साड़ी उठाकर झुके हुए चलते हुए देखकर उसकी काम इच्छा जाग गई थी,,, ऐसा नहीं था कि राजू की बातों से उसे गुस्सा आ रहा था उसे राजू की बात अच्छी भी लग रही थी क्योंकि,,,, उसे किस बात का एहसास हो रहा था कि किसी को तो वह खूबसूरत नजर आ रही है,,,,, उस औरत का रंग हल्का सा दबा हुआ था लेकिन बदन का भराव सुगठित था इसलिए वह खूबसूरत लग रही थी,,,,,, राजू अपनी बात खत्म करके कुछ देर तक नहीं खड़ा रहा लेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी और अपना काम करने लग गई थी वह पेड़ों से सूखी हुई लकड़ियां तोडकर इंधन जुटा रही थी ताकि खाना पका सके,,, उससे लकड़ियों का देर बांधा नहीं जा रहा था और वैसे भी आसमान में बादल देखकर वह कुछ ज्यादा ही लकड़ियां इकट्ठा कर ली थी ताकि अगर बरसात हो जाए तो दूसरे दिन के लिए इंधन के लिए इधर-उधर भटकना ना पड़े राजू उसके करीब ही खड़ा था और वह नीचे बैठकर लकड़ियां बांधने की कोशिश कर रही थी उससे ठीक से बंध नहीं रही थी इसलिए राजू बोला,,,।)
लाओ भाभी मैं बांध देता हूं तुमसे नहीं बंधेगी,,,,
(इतना कहने के साथ ही राजू उसके पास जाकर बैठ गया और उसके नानूकुर करने के बावजूद भी जबरदस्ती लकड़ियों को इकट्ठा करके बाद में लगा देखते ही देखते राजू दो गट्ठर बांध लिया था,,,, लकड़ियों के दो ढेर देखकर वह औरत को समझ में नहीं आ रहा था कि वह घर कैसे लेकर जाएगी जबकि घर उसका ठीक सामने ही था,,,, जब वह लकड़ियों को इकट्ठा करके उसे बांध रहा था तब वह औरत अपने मन में सोच रही थी कि यह जवान लड़का है कौन किसके घर आया है किसका रिश्तेदार है इससे पहले तो उसने कभी भी इसे गांव में देखी नहीं तो ही अनजान लड़का यहां क्या कर रहा है,,,, राजू को देखकर उस औरत के मन में ढेर सारे सवाल पैदा हो रहे थे और उसकी हरकत से वह थोड़ी सेहमी हुई भी थी,,, इन सब के बावजूद भी ना जाने क्यों उस औरत का राजू के प्रति अजीब सा आकर्षण होता जा रहा था राजू का भोला भाला चेहरा उसे भा रहा था,,, राजू आखरी बाोजे को कस के बांधता हुआ बोला,,,,)
अब तो ठीक है ना भाभी,,,।
हां अब ठीक है,,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह औरत जैसे ही लकड़ी के बोझ को उठाने के लिए नीचे झुकी उसके कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और उसकी जवानी से लबलबाती हुई चूचियां,,, आधे से ज्यादा,,, ब्लाउज में से बाहर झांकने लगी,,, ब्लाउज के ऊपरी हिस्से का बटन टूटा हुआ था इसलिए अपनी मचलती उफान मारती जवानी को खेत करने के लिए ब्लाउज में बटन का अंकुश नहीं था,,, अगर एक और बटन खुला होता तो शायद उसकी चूचियां बाहर छलक उठती,,,, राजू आंखें फाड़े उसकी मदहोश जवानी को छलकते हुए देख रहा था उसकी चुचियों को देखकर राजू समझ गया था कि चुचियों में बहुत रस भरा हुआ है,,,,,,, वह औरत को जैसे ही इस बात का आभास हुआ वह राजू की तरफ देखी तो शर्म से एकदम सहमत ही क्योंकि उसकी नजरें उसकी चुचियों पर जमी हुई थी और अपनी छातियों की तरफ देखी तो उसके होश उड़ गए,,, ब्लाउज का ऊपरी बटन टूटा हुआ था यह तो अच्छी तरह से जानती थी लेकिन झुकने पर उसकी आधे से ज्यादा चूचियां नजर आने लगेगी शायद इस बात का अंदाजा उसे बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह तुरंत खड़ी हो गई और अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक करने लगी,,,,,,,।
वह औरत गांव के आखिरी छोर पर अकेले ही रहती थी उसका पति कई कई दिन तक घर नहीं वापस आता था इधर उधर काम की तलाश में जो काम मिल जाए उसे करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था,,,, राजू की नजरों से वह शर्म का अनुभव कर रही थी,,, एक जवान लड़का प्यासी नजरों से उसकी चूची को ताड़ रहा था और तालाब के किनारे उसे गांड धोते हुए देख लिया था और वह उसकी मदद करने के लिए यहां तक पहुंच गया था वह औरत समझ नहीं पा रही थी कि राजू के मन में क्या चल रहा है अभी तक कुछ नहीं उसका नाम भी नहीं पूछी थी,,, लेकिन उसकी हरकतों से कुछ ठीक नहीं लग रही थी उसकी आंखों में जवानी चखने की प्यास एकदम साफ नजर आ रही थी,,,, वह खुद हैरान थी कि उसकी नजरों से उसे शर्म भी आ रही थी और ना जाने कि उसके तन बदन में हलचल सी भी हो रही थी,,,,, देखते ही देखते अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक करके वह वापस लकड़ियों का बोझ उठाने लगी लेकिन लकड़िया कुछ ज्यादा ही करती हो चुकी थी इसलिए वह ठीक से उठा नहीं पा रही थी यह देखकर राजू बोला,,,।
तुम रहने दो भाभी मैं उठा देता हूं तुमसे नहीं उठने वाला कुछ ज्यादा ही वजन है,,,
नहीं नहीं रहने दो मैं उठा लूंगी,,, तुम जाओ अपना काम करो,,,
अरे नहीं नहीं ऐसे कैसे मेरे होते हुए तुम लकड़ियों का इतना भारी बोझ उठाओ यह मुझसे देखा थोड़ी जाएगा,,, तुम खड़ी रहो मैं उठा देता हूं,,,,।
(राजू लकड़ियों को उठाने के लिए नीचे झुक गया था और लकड़ी उठाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह औरत उसे लकड़ीया उठाने नहीं दे रही थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि वह लड़का उसके पीछे पीछे उसके घर तक आए क्योंकि उसका नजरिया और इरादा दोनों ठीक नहीं लग रहा था लेकिन उठाने और नहीं उठाने के चक्कर में राजू ने अनजान बनते हुए ही जानबूझकर उसकी कलाई पकड़ लिया था और जैसे ही कलाई पकड़ा दोनों की नजरें आपस में टकरा गई राजू तो पूरी तरह से खेला खाया था और औरतों को कैसे अपने बस में किया जाता है इसका उन्हें अच्छी तरह से जानता था लेकिन वह औरत इन सब से अनजान थी वह अपने पति को छोड़कर अभी तक किसी गैर मर्द से इस तरह से नजर तक नहीं मिली थी इसलिए पहली बार एक जवान लड़के से नजर मिलते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,, खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति कुछ ज्यादा ही दयनीय नजर आ रही थी,,,, कुछ देर तक राजू उस औरत की कलाई को पकड़े रह गया खेतों में काम करने की वजह से उसकी कलाई मजबूत महसूस हो रही थी और राजू अपने मन ही मन सोच रहा था कि इस गठीले बदन वाली मजबूत बांहो वाली औरत को चोदने में कितना मजा आएगा,,,,, अपनी कलाई किसी गैर जवान लड़के के हाथ में पाकर उससे कुछ बोला नहीं जा रहा था वह आंखें फाड़े राजू को ही देख रही थी,,,, और राजू था कि उसकी आंखों की गहराई में उतर कर उसके दोनों टांगों के बीच की जगह पर अपना स्थान बनाना चाहता था,,,,, राजू की आंखों और उसकी हरकत ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था वह औरत कुछ बोल नहीं पा रही थी बस वह भी एकटक राजू को ही देखे जा रही थी इसलिए राजू मुस्कुराता हुआ उसकी हाथ की कलाई को छोड़ता हुआ बोलो,,,।
मैं उठा देता हूं भाभी तुम चिंता मत करो सिर्फ मुझे बता दो कहां लेकर जाना है,,,,।
(राजू की बात सुनकर उस औरत को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने घर पर उसे ले जाना उचित रहेगा या नहीं क्योंकि उसकी हरकतें बता रही थी कि उसका इरादा कुछ ठीक नहीं लग रहा था और वैसे भी वह गांव के आखिरी छोर पर रहती थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आता था चारों तरफ से खेत ही खेत थे अगर ऐसे में यहां उसके साथ जबरदस्ती करेगा तब वह क्या कर पाएगी,,, फिर भी ना चाहते हुए भी वह बोली)
वो रहा,(उंगली के निर्देश से उसे अपना घर बताते हुए,,, जो कि थोड़ी ही दूरी पर था) वह नीम के पेड़ के नीचे,,,
ठीक है मैं पहुंचा देता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू में लकड़ियों के ढेर का बोजा उठाकर अपने सर पर रख लिया,,, और दूसरे बोजे को एक हाथ से उठा लिया राजू की ताकत को देखकर वह औरत भी हैरान रह गई क्योंकि राजू बड़े आराम से इतने वजनदार लकड़ियों के बोझ को उठाया था ,,,, बोझ को तो उसने उठा लिया था लेकिन उस औरत की नजर ऐसी जगह पड़ी कि उसे देख कर उस औरत के होश उड़ गए,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,,,, क्योंकि उस औरत की मदहोश जवानी को देखकर राजू उत्तेजित हो चुका था,,, और उसकी उत्तेजना का तापमान थर्मामीटर बनकर उसका लंड नाप रहा था जो कि इस समय उत्तेजित अवस्था में था और पजामे के आगे वाले भाग में तंबू बनाया हुआ था यह देखकर उस औरत के होश उड़ गए थे उसकी दोनों टांगों के बीच की पत्नी दरार में अपने आप ही हलचल होना शुरू हो गया था,,,, एक खूबसूरत संस्कारी जवानी से भरी हुई औरत भले ही अपने आप को दुनिया की नजरों से बचा कर रखे लेकिन जब उसकी आंखों के सामने इस तरह के दृश्य नजर आ जाते हैं तो वह भी अपने आप को संभाल पाने में असमर्थ महसूस करने लग जाती है और यही उस औरत के साथ भी हो रहा था,,,, राजू की नजर उसकी नजरों पर ना पड़ जाए इसलिए वह तुरंत अपनी नजरों को दूसरी तरफ कर ली थी लेकिन इससे पहले राजू ने उसकी नजरों के निशान को अच्छी तरह से भांप लिया था और मन ही मन खुश हो रहा था,,,,,।
राजू चाहता था कि वह औरत आगे आगे चले ताकि वह उसके बदन की बनावट को पीछे से अपनी नजरों से नाप सके और वैसे भी उसकी अनुभवी आंखों ने आंखों ही आंखों में उस औरत के बदन के बनावट का हर जगह से नाप ले लिया था,,, लेकिन वह चाहता था कि वह औरत आगे आगे चले ताकि वह उसकी मटकती हुई गांड को देख सकें,,, उसकी कसी हुई जवानी को देख सके,,,, इसलिए वह उससे बोला,,,।
भाभी तुम आगे आगे चलो,,,,,
(राजू की बात वह इंकार नहीं कर पाई और वह दो कदम आगे हो गई और चलने लगी राजू यही चाहता ही था उसकी बलखाती कमर और कमर के नीचे की तौर पर वह कामुक गड्ढा जिसको देखकर ही मर्दों का मन मचल उठता था और पीठ के बीचो बीच की गहरी लकीर ,,,,, ऐसा लगता था कि कुदरत ने अपनी कलाकारी से उसकी मदहोश जवानी को अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया है ताकि एक साथ देखने पर कहीं मर्दों की सांस ना अटक जाए,,,, ऊंचे नीचे पगडंडी पर औरत आगे-आगे चल रही थी और उसके इस तरह से चलने पर उसकी भारी-भरकम गोल-गोल कहां पानी भरे गुब्बारों की तरह लहर मार रही थी,,,, जिसे देखकर राजू का पजामा और ज्यादा तनता चला जा रहा था,,,,। रह रहे करवा औरत ना चाहते हुए भी पीछे की तरफ देख ले रही थी और पीछे की तरफ देखने पर उसकी ज्यादातर निगाह राजू के पजामे की ओर चली जा रही थी जो कि पहले से कुछ ज्यादा ही बड़ा होता नजर आ रहा था वह अपनी मन में सोचने लगी थी बाप रे पजामे में क्या छुपाया है इस लड़के ने,,,, क्योंकि वह आज तक अपने पति के उत्तेजित अवस्था में भी पैजामा में इस तरह से तंबू नहीं देखी थी,,, इसलिए उसकी स्थिति खराब होती चली जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने आप पर काबू कैसे कर पाएगी,,,, और राजू था कि कसी हुई साड़ी में उसकी गांड के दोनों फांकों को देखकर उसमें जीभ डाल कर चाटने का उसका मन कर रहा था,,,,,।
देखते ही देखते राजू उसके घर पर पहुंच गया था,,,,
लकड़ियां कहां रखना है,,,।
(वैसे तो वह औरत लकड़ियों के ढेर को घर के पीछे रख दी थी लेकिन आसमान में बादल का जमावट देखकर उसे आशंका थी कि कभी भी बारिश हो जाएगी अगर ऐसे में वहां लकड़िया बाहर रखेगी तो लकड़िया भीग जाने का डर है और फिर खाना बनाने में दिक्कत आ जाएगी इसलिए वह राजू से बोली,,,)
रुक जाओ इसे घर में रखना है,,, बारिश का कोई ठिकाना नहीं है कभी भी आ जाएगी,,,,(और इतना कहने के साथ ही लकड़ियों के पट्टी से बने दरवाजे को वहां खोलकर अंदर आ गई और राजू को भी अंदर आने के लिए बोली,,,, उस औरत का मकान एकदम कच्चा था छत घास फूस के ढेर से बनाया गया था दीवारें मिट्टी से लिपी हुई थी,,,,,, उस औरत का इशारा पाते ही राजू लकड़ियों के ढेर को घर में लेकर जाने लगा और घर के बीचो बीच पहुंचकर वह चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा घर वैसे तो ठीक-ठाक ही था घर के किनारे पर चारपाई बिछी हुई थी और रस्सी पर बच्चों के भी कपड़े टंगे हुए थे जिसे देखकर समझ में आ रहा था कि इस औरत के बच्चे भी थे,,, इसलिए राजू लकड़ियों का ढेर सर पर लिए हुए ही बोला,,,)
बच्चे कहां हैं नजर नहीं आ रहे हैं,,,
होंगे यहीं कहीं खेल रहे होंगे,,
कितने हैं,,,?
दो बच्चे हैं,,,
(इतना सुनकर राजू अपने मन में सोचने लगा कि 2 बच्चे की मां हो गई है लेकिन जवानी का रस हर जगह से टपक रहा है बिल्कुल भी कोई कमी नहीं आई है,,, अपनी भावनाओं पर तो काबू कर सकने में किसी तरह से कामयाब हो जा रहा था लेकिन अपनी उत्तेजना के थर्मामीटर के पारा को काबू कर पाने में वह बिल्कुल भी समर्थ नहीं था इसलिए तो पैजामा में तंबू पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था जिस पर उस औरत की नजर पड़ते ही उसकी बुर अपने आप पानी छोड़ रही थी यह कैसे हो रहा है या उसे भी नहीं पता चल रहा था शायद 20 25 दिन हो गए थे वह पति से मिली नहीं थी उसका पति काम के सिलसिले में बाहर गया हुआ था शायद इसीलिए ही पति का सुख ना मिल पाने के कारण ही 1 जवान लड़के के पैजामा में बने तंबू को देखकर वह अंदर ही अंदर उत्तेजित हुए जा रही थी,,,।
अरे भाभी मेरे सर पर से बोझ तो उठाओ मेरा सर दर्द करने लगा है,,,
अरे हां,,, मैं तो भूल ही गई,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह औरत लकड़ियों का बोझ उठाने के लिए राजू के करीब पहुंच गई राजू की लंबाई उससे थोड़ा ज्यादा थी इसलिए वह बोझ उठाने के लिए जैसे अपना हाथ ऊपर कि उसे और करीब आना पड़ा और देखते ही देखते वह इतनी करीब आ गई कि उसकी मदमस्त पपैया जैसी तनी हुई चूची राजू की छाती पर घर्षण करने लगी उस औरत की पपाया जैसी चूची का स्पर्श अपनी छातियों पर महसूस करते ही राजू का लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, वह औरत अपने आप को राजू के बदन के स्पर्श से बचाना चाहती थी लेकिन लकड़ियों को उतारने के लिए उसे इतना करीब आना बेहद जरूरी था वरना वह लकड़ियों के ढेर को हाथ का सहारा देकर उतार नहीं सकती थी,,,,,, लेकिन उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी चुचियों का स्पर्श उस लड़के की छाती पर होने लगा था और इसीलिए वह कसमसा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,)
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अरे भाभी थोड़ा हाथ लगाओ मेरा सर और हाथ दोनों दुखने लगा है,,,।
(वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि वह बहाना कर रहा है और ज्यादा आगे बढ़ने का वरना वह इतने आराम से बोझ उठाकर लेकर आ गया था क्या बोझ उतार नहीं सकता था लेकिन वह कर भी क्या सकती थी थोड़ा सा हां तभी उसका पहुंचना बाकी था इसलिए वह थोड़ा सा हाथ और ऊपर पहुंचाने के लिए थोड़ा सा और आगे बढ़ी और अपने पैर के पंजों के सहारे ऊपर की तरफ खड़े होने लगी ऐसा करने पर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच कड़क चीज चूभती हुई महसूस होने लगी और उसे समझते देर नहीं लगी कि वह कड़क चुभती हुई चीज क्या है वह समझ गई कि उस लड़के का लंड उसकी दोनों टांगों के बीच स्पर्श हो रहा है ,, और पल भर में ही उसकी सांसे तेज होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अभी तक वह लकड़ियों के ढेरों तक अपने हाथ को पहुंचा नहीं पाई थी और उस जवान लड़की के लंड को अपनी बुर पर महसूस करने लगी थी यह एहसास राजू को सातवें आसमान पर ले जा रहा था वह औरत अपने आप को बचाने की कोशिश करते हुए अपने पैरों को अपने बदन को राजू से दूर करना चाहती थी लेकिन तभी उसका पैर फिसल गया और वह अपनी स्थिति को नियंत्रण में नहीं कर पाई और सीधे राजू के ऊपर गिरी और राजू भी पीछे की तरफ कितने लगा और अगले ही पल राजू नीचे जमीन पर गिरा हुआ था और वह औरत उसके ऊपर गिरी हुई थी और इस तरह गिरने की वजह से उसकी साड़ी पीछे से एकदम उठकर कमर तक आ गई थी उसकी बड़ी बड़ी गांड दम नंगी हो गई थी इस बात का आभास उसे बिल्कुल भी नहीं था उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी राजू की मजबूत बाहों में वह पूरी तरह से समाई हुई थी राजू ने उसे अच्छे से संभाल लिया था वरना उसे भी चोट लग जाती राजू तो इस पल के लिए बेताब था उसकी आंखों में चमक नजर आ रही थी राजू उस औरत की आंखों में देखने लगा औरत भी राजू की आंखों में डूबती चली जा रही थी अपनी छातियों को राजू की मजबूत छातियों पर रगडती हुई महसूस करके उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा था,,,,,,, राजू अपनी छातियों पर उस औरत की बड़ी बड़ी चूचीयो के दबाव को अच्छी तरह से ही महसूस कर रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे रूई को गोल गोल करके उसका गेंद बना कर उसकी छाती पर कोई दबा रहा हो राजू को बहुत मजा आ रहा था,,,, राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसके लिए यही अच्छा मौका था उस औरत के बदन से खेलने के लिए उसके बदन में उत्तेजना का बीज रोपने के लिए,,,, इसीलिए वह अपना दोनों हाथ उसकी चिकनी कमर पर रख दिया और फल कैसे उस पर दबाव देता हुआ बोला,,,।
ओहह भाभी क्या करती हो अभी तो तुम्हें चोट लग गई होती तो अच्छा हुआ कि तुम मेरे ऊपर गिरी हो वरना तुम अपनी हड्डीया तोड़वा लेती,,,,(इतना कहने के साथ ही उस औरत की पतली चिकनी कमर को अपने दोनों हाथों में लेकर दबा दिया था इस बात का एहसास कमर पर अनजान जवान हथेली का स्पर्श उस औरत के बदन में गर्मी पैदा कर रहा था वह राजू की बाहों में कसमसा रही थी,,,,,,, उस औरत से कुछ बोला नहीं जा रहा था वह मारे शर्म से घड़ी जा रही थी,,,, उसके गाल पल भर में लाल हो गए थे जिसे देखकर राजू समझ गया था कि यह उत्तेजित हो रही है और इसीलिए उसकी उत्तेजना का फायदा उठाते हुए राजू अपने दोनों हथेली को उसकी कमर से हटाकर,,, उसकी गांड पर रख दिया राजू को ऐसा ही था कि वह साड़ी के ऊपर से उसकी गाल को पकड़ रहा है लेकिन गिरने की वजह से उसकी साड़ी कमर तक उठ गई थी और उसकी गांड एकदम नंगी हो गई थी इसलिए उसकी गांड पर अपनी हथेली का स्पर्श पाते ही और उसकी नंगी चिकनी गांड महसूस करते ही राजू के तन बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से होने लगा ,,,, राजू को पूरी तरह से एहसास हो चुका था कि गिरने की वजह से उसकी साड़ी कमर तक उठ चुकी है और जैसे ही उस औरत ने राजू की हथेली को अपनी नंगी गांड पर महसूस की हुआ है एकदम से सिकुड़ गई शर्म के मारे वह पानी पानी होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, वह दोनों तरफ से पीस रही थी ऊपर से वह अपनी हथेली उसकी गांड का रखा हुआ था और नीचे से उसका खड़ा लंड पर जाने के ऊपर से ही सारी सहित उसकी बुर पर दस्तक दे रहा था एक मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर पर दस्तक देता महसूस करके,, उस औरत में उत्तेजना परम शिखर पर पहुंचने लगी वह कसमसाने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,।
दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे उस औरत की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी राजू अपनी दोनों हथेलियों का कमाल दिखाते हुए उसकी बड़ी-बड़ी गांड की दोनों फांकों को अपनी हथेली में लेकर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,,, उसकी उभरती हुई सांसो को देखकर राजू उसकी गांड को जोर-जोर से दबाता हुआ बोला,,,।
क्या हुआ भाभी,, तुम चिंता मत करो तुम्हें कुछ होने नहीं दूंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू उसकी गांड की फोटो के बीच अपनी पूरी हथेली ले जाकर अपनी उंगली को उसकी गुलाबी बुर पर रखकर दबा दिया,,, अभी तक की राजू की हरकतों की वजह से उस औरत में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था वह भी एकदम से चुदवासी हुए जा रही थी इसलिए उसकी बुर से मदन रस झड़ रहा था,,,। राजू की उंगली उसकी बुर से जैसे स्पर्श हुई ना चाहते हुए भी उस औरत के मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,)
सहहहससस ,,,,आहहहहहहह,,,,, यह क्या कर रहे हो,,,
कुछ नहीं भाभी देख रहा हूं कि तुम्हारी बुर बहुत पानी छोड़ रही है,,,,
तुम्हें शर्म नहीं आती इस तरह की बात करते हुए,,,(उस औरत के शब्दों में बिल्कुल भी गुस्सा नहीं था वह बड़े सहज रूप से बोल रही थी राजू समझ गया था कि वह औरत धीरे-धीरे लाइन पर आ चुकी है,,,)
तुम जैसी खूबसूरत औरत के सामने अगर मैं शर्म कर गया तो फिर मेरी मर्दानगी पर धिक्कार है,,, क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारा भी मन वही कर रहा है जो कि मेरा मन करने को कर रहा है तभी तो तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी बीच वाली उंगली को सीधे उसकी बुर के अंदर प्रवेश करा दिया,,,,)
आरहररह,,,, यह क्या किया,,,
जो तुम चाहती थी भाभी और एक जवान औरत के साथ जो करना था वही किया हूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपने प्यासे होठों को उसके लाल-लाल होठों पर रखकर चुंबन करना शुरू कर दिया यह उस औरत का पहला चुंबन था जब किसी मर्द ने उसके होंठों पर होठ रखकर चुंबन किया था,,,, एकदम से सिहर उठी उसके बदन में कंपन होने लगा और राजू उसको चुंबन करते हुए उसको अपनी बाहों में भर लिया और पलट कर उसे जमीन पर कर दिया और खुद पर आ गया,,,,, उस औरत के लिए यह पल बिल्कुल भी अपने आप को काबू में करने जैसा नहीं था वह मदहोशी के भावनाओं में बहती चली जा रही थी राजू ने एक औरत पर काबू पाने के सारे हथकंडे उस औरत पर आजमा चुके थे और उसका हथकंडा काम कर रहा था,,, उसकी बुर लगातार पानी छोड़ रही थी,,,,, और वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठाते हुए उस औरत का ब्लाउज का बटन खोलने लगा जो कि पहले से ही एक टूटा हुआ था ,,,, उसे ब्लाउज का बटन खोलने से वह औरत रोकते हुए बोली,,,।
यह क्या कर रहे हो कोई देख लेगा तो,,,,
कोई नहीं देखेगा वैसे भी तुम गांव के एकदम किनारे रहती हो यहां कोई आने वाला नहीं है,,,
दरवाजा खुला है,,,,।(वह औरत ने एकदम उत्तेजनात्मक स्वर में बोली,,,, जो कि उसकी तरफ से राजू को पूरी तरह से छूट मिलने का प्रमाण मिल चुका था राजू उसकी यह बात सुनकर एकदम से खुश हो गया था वह समझ गया था कि अब वह कुछ भी करेगा यह औरत कुछ भी बोलेगी नहीं बल्कि उसे मजा आ रहा था,,, इसलिए राजू उत्साहित होते हुए बोला,,)
रुक जाओ भाभी में दरवाजा बंद करके आता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू उठा और जाकर दरवाजे की कड़ी लगाने लगा,,,, राजू के पास ज्यादा समय नहीं था और वह औरत शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,जिंदगी में पहली बार वह किसी गैर मर्द के साथ वह जिस्मानी ताल्लुकात बनाने जा रही थी,,, इसलिए वह राजू से ठीक से नजर भी नहीं मिला पा रही थी वह उसी तरह से पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी साड़ी जांघो तक उठी हुई थी,,,। दरवाजे की कड़ी बंद करके राजू तुरंत पलटा और एक झटके में अपना पजामा उतार कर एक तरफ रख दिया,,,, कमर के नीचे राजू पूरी तरह से नंगा हो गया था उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड हवा में लहरा रहा था,,,, जिस पर नजर पड़ते ही वह औरत एकदम से सिहर उठी,,,,।
राजू तुरंत उसके पास आया और,,, उसकी दोनों टांगों को फैलाने लगा अभी तक राजू ने उस औरत की बुर नहीं देखा था,,, उसकी दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठकर राजू उसकी साड़ी को अपने हाथों से उसकी कमर तक उठाने लगा,,,, लेकिन उसकी साड़ी उसकी भारी-भरकम गांड के नीचे दबी हुई थी,,, यह पल उस औरत के लिए शर्म से गड़ जाने जैसा था क्योंकि वह पहली बार किसी अनजान जवान लड़के के सामने अपनी दोनों टांगे फैला रही थी उसे ठीक से जानती भी नहीं थी वह कौन है कहां से आया है कहां रहता है इस बात का उसे बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था लेकिन फिर भी उसकी हरकतों से विवश होकर औरत उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने को तैयार हो गई थी,,,, भारी भरकम गांड के नीचे दबी साड़ी को कमर तक ले जाने के लिए खुद उस औरत ने राजू का साथ देते हुए अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा दी,,, राजू उसकी साड़ी को कमर तक उठा दिया और राजू की आंखों के सामने उसकी दोनों टांगों के बीच घुंघराले बालों से गिरी हुई उसकी बुर मुझे आने लगी जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आने लगा उसे चाटने का अभी राजू के पास बिल्कुल भी समय नहीं था क्योंकि वह जानता था वह काफी देर से यहां पर है,,,, इसलिए उस औरत की बुर की तारीफ करते हुए उस पर हथेली रखकर जोर से दबाते हुए बोला,,,,।
वाह भाभी तुम्हारे पास कितनी खूबसूरत बुर है,,,, वाह आज तो मजा आ जाएगा और इतना कहने के साथ ही अपनी हथेली हटाकर राजू घुटनों के बल बैठ कर उसकी कमर पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर उसकी आधी गांड को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,, राजू की हरकत की वजह से उस औरत की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह काफी उत्तेजित हो गई थी देखते ही देखते राजू अपने मोटे लंड को उसकी बुर पर रखकर हल्के से धक्का लगाया,,, बुर पहले से ही पानी पानी हो चुकी थी इसलिए अंदर जाने में बिल्कुल भी तकलीफ नहीं हुई लेकिन उस औरत को इस बात का अहसास हो गया कि राजू का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है,,, और इसीलिए जैसे ही लंड का सुपाड़ा बुर के अंदर प्रवेश किया उस औरत के मुंह से आह निकल गई,,,, और देखते ही देखते राजू अपना पूरा लंड धीरे-धीरे करके उस औरत की बुर में डाल दिया,,,, और उसे चोदने से पहले उसके ब्लाउज के बाकी बटन को खोलते हुए बोला,,,।
हां भाभी दो दो बच्चों की मां हो गई हो लेकिन अभी भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है,,,,(राजू के मुंह से अपनी जवानी और अपनी बुर की तारीफ सुनकर वह औरत उत्तेजना और खुशी में एकदम गदगद हो गई क्योंकि इस तरह से उसके पति ने कभी भी उसकी तारीफ नहीं किया था,,,, जैसे ही राजू के हाथों में उसकी नंगी चूचियां आई वह उन्हें जोर जोर से दबाता हुआ अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,,,, थोड़ी ही देर में फच्च फच्च की आवाज से पूरा कमरा गुंजने लगा,,,, उस औरत की गर्म सिसकारी से माहौल पूरी तरह से गर्म आ चुका था उसके चेहरे को देखकर राजू समझ गया था कि उसे बहुत मजा आ रहा है राजू अपना पूरा लंड उसकी बुर की गहराई में डाल कर वापस निकाल कर फिर धक्का लगा रहा था और तगड़े तगड़े धक्के लगा रहा था हर धक्के के साथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारों की तरह छाती पर लौटने लगती थी जिसे राजू अपने हाथ में पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था,,,,, राजू अपने मन में सोच रहा था कि अगर उसके पास पर्याप्त समय होता तो इस औरत के साथ वह जी भर कर मजा लेता और रात भर इसकी चुदाई करता लेकिन उसके पास समय नहीं था,,,
कैसा लग रहा है भाभी,,,(अपने तेज धकको को जारी रखते हुए राजू बोला लेकिन उसकी बात सुनकर एकदम से शरमा गई और दूसरी तरफ मुंह फेर ली,,,, देखते ही देखते राजू के धक्के बड़े तेज होते जा रहे थे और उसकी सिसकारी भी तेज होती जा रही थी उसका बदन एकदम से अकड़ने लगा और वह कसके राजू को पकड़ ली राजू समझ गया कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए लगातार धक्के पर धक्का पैलने लगा ,,, और जैसे ही उसका पानी निकला राजू ने भी अपना लावा पूरी तरह से उसकी बुर में गिराना शुरू कर दिया और कसके उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया था वह इतनी जोर से उसे अपनी बाहों में पकड़ा था कि उस औरत को लगने लगा था कि उसकी हड्डियां चटक जाएंगी लेकिन उसे बहुत मजा आ रहा था राजू तब तक अपने लंड को उसकी बुर से बाहर नहीं निकाला जब तक कि पूरा पानी उसकी बुर में गिर नहीं किया और उसके ऊपर हांफने लगा,,,,,।
राजू के पास समय बहुत कम था वह थोड़ी देर में उसके ऊपर से उठा और अपने पजामे को पहनने लगा,,,,, उस औरत को राजू के साथ संभोग करके पूरी तरह से तृप्ति का एहसास हुआ था इसलिए उसे इस तरह से पैजामा पहनता देखकर ना चाहते हुए भी उसके मुंह से निकल गया,,,,
जा रहे हो,,,
हां मुझे जाना होगा,,,
फिर कब आओगे,,,
जरूर आऊंगा तुम्हारे साथ मुझे बहुत मजा आया है इसलिए आना ही पड़ेगा,,
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,,(इतना कहने के साथ ही वह घर से बाहर निकल गया और मुस्कुराता हुआ गांव की तरफ जाने लगा वह औरत उसी तरह से नीचे जमीन पर लेटी रह गई वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी थोड़ी देर में राजू गांव में पहुंच गया तो देखा उसकी मां बैलगाड़ी के पास खड़ी थी और तुरंत भागते हुए उसके पास गया और बोला,,,)
दवा ले ली,,,
हां हां अभी लेकर ही आ रही हूं और तू कहां चला गया था,,
बस ऐसे ही गांव की सैर करने गया था,,,
चल अब जल्दी कर देख बादल घेरता आ रहा है कभी भी बारिश होने लगेगी,,,
हां तुम सच कह रही हो मां हमें जल्दी निकलना पड़ेगा जल्दी से बैठो,,,।
थोड़ी देर में राजू बैलगाड़ी को गांव से बाहर ले कर आ गया वह भी जल्दी पहुंचना चाहता था क्योंकि बारिश कभी भी आ सकती थी,,,,,,,, शाम होने वाली थी और आसमान में बादल अपना रूप बदलते हुए नजर आ रहे थे किसी भी वक्त बारिश आ सकती थी,,,, बादलों को देखकर मधु को घबराहट हो रही थी क्योंकि अभी गांव बहुत दूर था अगर रास्ते में तेज बारिश आ गई तो वह लोग कहां रुकेंगे क्या करेंगे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,,
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Wah bhai maja aa gaya too much romantic update bro and continue storyshandaar ..... behad kamuk ...... kitana paani bahaonge .....
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाराजू बेल गाड़ी लेकर निकल तो गया था लेकिन,,,,, उसके मन में भी डर था कि कहीं अगर बारिश हो गई तो वह क्या करेगा काफी लंबा सफर तय करना था,,,,,
बैलगाड़ी अपने रास्ते पर चल पड़ी थी ,,, राजू का कुछ देर पहले का अनुभव ताकि जबरदस्त रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह से अनजान गांव में उसे एक खूबसूरत भाभी मिल जाएगी जो उसे अपनी जवानी से तृप्त करेगी,,,, राजू बैलगाड़ी को आगे बढ़ाते हुए अपने मन में ही सोच रहा था कि दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी बुर कितनी कसी हुई थी,,, अगर उसके पास समय होता तो जी भर कर उसकी जवानी से खेलता,,,, राजू समझ गया था कि उसने उस औरत को पूरी तरह से तृप्त कर दिया है तभी तो वह औरत उसे दोबारा कब आओगे इस तरह से सवाल कर रही थी,,,,,,,, दूसरी गांव में जाकर यह राजू का दूसरी बार का अनुभव था पहला अनुभव वह बगल वाले गांव में अशोक चाचा की बीवी के साथ रात भर जमकर चुदाई करके ले लिया था और यह दूसरा अनुभव गांव से काफी दूर आकर मिला था दोनों अनुभव जबरदस्त था,,,,,,,, लेकिन दोनों में से राजू को यह वाला अनुभव बेहद बेहतरीन लगा था क्योंकि इसमें पहले से कुछ तय नहीं था कि ऐसा कुछ हो जाएगा,,,,,,, राजू अपने मन में बेल गाड़ी चलाते समय कैसे-कैसे क्या हुआ उसके बारे में सोच रहा था उसका तालाब के किनारे आकर पत्थर पर बैठना और फिर उस औरत का झाड़ियों में से बाहर निकलना और वह भी अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए इतने से ही राजू के तन बदन में उस औरत को देखकर काम भावना जागरूक हो गई,,, और फिर उसके पीछे पीछे उसके करीब जाना और पहले ही उत्तेजना से भरे हुए उसके ब्लाउज में से झांकती उसकी चुचियों को देखें ब्लाउज के थोड़े से फटे होने की वजह से सूचियों का छोटा सा खजूर नजर आना और फिर लकड़ी उठाने के बहाने उसकी मदद करते हुए उसके घर तक पहुंचना,,,,, और उसके पास जो कुछ भी हुआ वह राजू के लिए बेहद अद्भुत और उत्तेजना आत्मकथा राजू को अपनी मर्दाना ताकत पर पूरा विश्वास था कि एक बार उस औरत को अपनी गिरफ्त में लेने के बाद उसे पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद ही वह छोड़ेगा और ऐसा ही हुआ था,,, वह औरत भी राजू के मर्दाना ताकत के आगे विवश हो चुके थे वरना आज तक वह किसी गैर मर्द को अपने बदन को छूने भी नहीं दी थी और एक बार उस औरत के कदम डगमगाने के बाद राजू ने उसे अच्छी तरह से संभाल लिया था और उसकी जमकर चुदाई किया था उस चुदाई से वह औरत पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,,।
यही सब सोचता हुआ राजू बेल गाड़ी लेकर आगे चला जा रहा था बादलों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा था,,, दोनों मां बेटों को पूरा यकीन हो गया था कि किसी भी वक्त बारिश पड़ सकती है इसलिए दोनों के मन में थोड़ी बहुत घबराहट थी क्योंकि सफर अभी काफी लंबा तय करना था,,,,,,। फिर भी राजू अपनी बातों से घबराहट को कम करने के लिए वह अपनी मां से बोला,,,।
क्या बोले वेद जी,,,
बोले कुछ नहीं बस दवाई दिए हैं और कहे हैं कि,,, दूध के साथ 3 बार लेना,,,,
बोले नहीं कब तक आराम हो जाएगा,,,,
दस 15 दिन लगेगा,,,, एकदम आराम हो जाएगा,,,
चलो तब तो परेशानी की कोई बात नहीं है,,,,
तुझे क्या परेशानी है,,, मेरी तबीयत को लेकर,,,
अरे कैसी बातें करते हो ना तुम्हारी तबीयत खराब हो गई तो क्या मुझे परेशानी नहीं होगी,,,,
वो कैसे,,,,?
(अपनी मां की बात सुनकर राजू समझ गया कि उसकी मां फिर से मसालेदार बातों को सुनना चाहती है इसलिए राजू बोला,,,)
देखो बात साफ है तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा अगर बीमार हो जाओगी तो,,,, जो तुम्हारा खूबसूरत बदन है ,,,अभी भी जो तुम्हारी जवानी बरकरार है धीरे-धीरे ढलने लगेगी,,(राजू जानबूझकर अपनी मां को उसकी जवानी की बात कर रहा था उसके सामने जवानी जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा था और यह सा सुनने में मधु को अच्छा भी लग रहा था,,,) तो तुम भी दूसरी औरतों की तरह हो जाओगी,,, तब तुम्हारे लोग वाकर से नहीं रह जाएगा जो इस समय है,,,
कैसा आकर्षण,,,?
अरे तुम्हारी जवानी का और कैसा आकर्षण,,,,
मैं कुछ समझी नहीं मैं भी तो दूसरी औरतों की तरह ही हूं फिर मेरे में ऐसा कौन सा आकर्षण है,,,(मधु को अपनी बेटी की बातें अच्छी लगने लगी थी इसलिए वह अपनी बेटी से और जानना चाहती थी अपने बारे में,,,,, वैसे भी औरतों को अपनी खूबसूरती के बारे में जितना पता होता है उससे ज्यादा मर्दों को उनकी खूबसूरती के बारे में ज्ञान होता है,,,,, राजू का दिल जोरो से उछल रहा था वह समझ गया था कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह अपनी खूबसूरती की तारीफ के साथ-साथ गंदी बातों को सुनना चाहती है और राजू को क्या चाहिए था अपनी मंजिल तक पहुंचने की यही सबसे अच्छा रास्ता भी था इसलिए वह अपनी बातों को नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)
क्या मा इतना भी नहीं समझती,,, आकर्षण का मतलब होता है तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारी जवानी,,, तुम्हारी लाजवाब गोल गोल चूचियां जोकि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी पके हुए पपाया की तरह बाहर आने के लिए मचलती रहती हैं,,,, पता है तुमको साड़ी से ढकने के बावजूद भी तुम्हारी चूची कितनी उभरकर साड़ी से बाहर आती है शायद यह तुमको पता नहीं होगा लेकिन देखने वालों के होश उड़ जाते हैं,,,(अपने बेटे की बातों को सुनकर एक बार फिर से मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा था) तुम्हें तो शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि तुम्हारी चुचियों को देखकर कितने लोग तड़प जाते हैं और लोगों का मन करता है कि तुम्हारी चूची को जोर जोर से पकड़ कर दबाने उन्हें मुंह में लेकर पीएं,,,,
यह क्या कह रहा है राजू,,,,(धड़कते दिल के साथ मधु बोली,)
तुम्हें झूठ लग रहा है ना मा लेकिन मैं जो कुछ भी कह रहा हूं सच कह रहा हूं बाजार में तुम शायद जवान लड़का और मर्दों की नजरों को नहीं देखी थी वरना तुम्हें खुद ही पता चल जाता कि वह लोग तुम्हारी चूची देखकर क्या सोच रहे होंगे और सबसे बड़ा आकर्षण तो तुम्हारी गांड का है बड़ी बड़ी गांड,,,,(ऐसा बोलते हुए खुद राजू का लंड टनटना गया,,, और मधु की तो हालत खराब होने लगी उसकी बुर फिर से गीली होने लगी,,,, उसका बेटा उसके अंगों के बारे में खुले शब्दों में बात कर रहा था जिसे सुनकर मधु के तन बदन में आग लग रही थी राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) जब तुम कमर से अपनी साड़ी को कस के बांधती होना तब तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड और भी ज्यादा बड़ी लगने लगती है ऐसा लगता है कि जैसे साड़ी के अंदर बड़े-बड़े तरबूज भर के रखी हो,,, सच में मैं तुम्हारी गांड देखकर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाता है,,, तुमने शायद इस बात पर भी बाजार में गौर नहीं की थी वरना तुम्हें तभी पता चल जाता कि तुम कितनी खूबसूरत हो तुम्हारे अंग तुम्हारी चूची तुम्हारी गांड कितनी आकर्षित करती है मर्दों को,,,।
बबब बाजार में क्या कह रहा था तु,,,
अरे मां यही कि बाजार में तुम्हें देखकर कितने मर्दों का लंड खड़ा हो गया था,,,।
ततत,, तुझे कैसे मालूम,,,(उत्तेजना में हक लाते हुए स्वर में बोली)
मैंने अपने कानों से सुना था तभी तो बता रहा हूं,,,
क्या सुना था तूने,,,,?(मधु धड़कते दिल के साथ आश्चर्य जताते हुए बोली,,, अपने बेटे के मुंह से अपने बारे में दूसरे मर्दों के मन में चल रही गंदी बातों को सुनने में मधु के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे सब कुछ अच्छा लग रहा था,,,, आखिरकार उसे अपने बदन पर गर्व होने लगा था कि इस उम्र में भी उसके में अभी भी पूरी जवानी बरकरार है वह किसी भी मर्द को जवान लड़के को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है जिसका जीता जागता सबूत उसका खुद का जवान बेटा था,,,,)
अरे मां मैंने जो अपने कानों से सुना था उसे सुनकर तो मैं भी दंग रह गया था तुम सुनोगी तो सही में मुझे तो लगता है कि तुम डर के मारे बाहर निकलना बंद कर दोगी,,,, या तो फिर अपनी बुर पर भी एक ताला लगा कर रखोगी,,,।
क्या,,,?(इस बार अपने बेटे के मुंह से ताला लगाने वाली बात पर मधु खिलखिला कर हंस दी)
हां मां में सच कह रहा हूं उन लोगों की बात ही कुछ ऐसी थी,,,
क्या कह रहे थे वह लोग,,,,
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अरे बहुत गंदा बोल रहे थे तभी तो मैं तुम्हें ढूंढ रहा था कि कहां चली गई मुझे डर था कि कहीं वह लोगों के हाथ तो नहीं लग गई,,,
धत्,,,,(मधु शरमाते हुए बोली)
हां मां मैं सच कह रहा हूं लोगों की बात सुनकर मैं घबरा गया था,,,
कह क्या रहे थे वह लोग,,,,
अरे जब तुम चूड़ी खरीदने के लिए दुकान के पास जा रही थी ना तो दो-तीन आदमी वहीं पास में बैठ कर बीड़ी पी रहे थे और उनमें से तो यह कह रहा था,,,।
बाप रे कितनी खूबसूरत औरत है कसम से इसकी गांड देखकर तो मेरा लंड खड़ा हो गया,,, और तभी दूसरा बोला
यार तू सच कह रहा है इससे पहले मैंने कभी इसे बाजार में नहीं देखा कौन है यह इतनी खूबसूरत एकदम गोरी चिट्टी ऐसा लगता है कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा है और गांड देखकर कैसे मटका कर चल रही है,,,
और तीसरा बोला,,,।
कसम से यार एक रात के लिए मिल जाए तो इसकी बुर में लंड डाल डाल कर इसकी बुर का भोसड़ा बना दु रात भर इसे सोने ना दु,,, शाली की बुर एकदम गुलाबी होगी,,,, तभी दूसरे ने बोला,,,
सच कह रहा है यार शादी की बुर के बारे में सोच कर ही मेरा लैंड खड़ा हो गया है इसकी चुची देखकर से खरबूजे जैसी है गोल गोल मन करता है कि मुंह में लेकर रात भर पीता रहुं,,,, तभी पहले वाले ने बोला
शाली जिस से भी चुदवाती होगी कितना किस्मत वाला होगा,,, यार अगर यह मेरे सामने कपड़े उतार कर खड़ी हो जाए तो इसको नंगी देखकर मुझे तो लगता है कि मेरा लंड ऐसे ही पानी फेंक देगा,,,,।
बाप रे मेरे बारे में इतनी गंदी गंदी बातें वह लोग कर रहे थे और तो कुछ बोल नहीं पा रहा था,,,
मेरा तो मन कर रहा था कि उन लोगों की टांग तोड़ दूं दांत तोड़ दूं लेकिन क्या करूं अगर सब लोग इकट्ठा हो जाते और पूछते तो क्या हुआ था तो मैं क्या कहता तुमको जो कुछ भी वह लोग कह रहे थे मुझे बताने में शर्म आती है और तुम्हारे बारे में इस तरह की बातें करने में मुझे बहुत गंदा लगता और सच कहूं तो अगर ऐसा कुछ हुआ होता तो दूसरे जो इकट्ठा होते वहां लोग भी तुम्हें उसी नजर से देखते जैसा कि वह तीनों देख रहे थे,,,।
थे कहां पर तीनो,,,
वहीं पर चूड़ी की दुकान के बगल में बैठे हुए थे,,,,,,
(अपने बेटे के मुंह से उन लोगों की इतनी गंदी गंदी बातें सुनकर मधु को गुस्सा भी लग रहा था और वह उत्तेजित भी हो चुकी थी उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और वह बार-बार साड़ी के ऊपर से ही अपने बुर के चिप चिपेपन को टटोल रही थी,,,, जो कुछ भी राजू ने बताया था ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था लेकिन अपनी मां के सामने स्तर की गंदी गंदी बातें करने में उसे एक अजीब सा सुख मिल रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका लंड औकात से बाहर एकदम टनटनाकर खड़ा था,,,, कुछ देर शांत रहने के बाद मधु बोली,,)
बाप रे तब तो मेरा इस तरह से बाजार में घूमना ठीक नहीं है,,,
ठीक नहीं है अरे बिल्कुल भी ठीक नहीं है अगर सोचो बाजार में घूमते हुए अगर थोड़ा बहुत अंधेरा हो जाए तो समझ लो कि वह लोग तो तुम्हें उठा कर ले जाए खेत में और फिर तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर तुम्हें नंगी करके तुम्हारी बुर में बारी-बारी से अपना लंड डालकर चोदे,,, तब तुम लोगों का कुछ कर भी नहीं पाओगी और वह लोग अपनी मनमानी कर के चले जाएंगे तुम्हारी जवानी का रस पीकर,,,,।
(राजू एकदम तमतमा कर उत्तेजित हो गया था अपनी मां के सामने इस तरह की से गंदी से गंदी बातें करने में उसे बहुत मजा आ रहा था और इस तरह की बातें सुनने में मधु को भी अच्छा लग रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने बेटे से इस तरह की बातें करेगी उसके मुंह से अपने बारे में इतनी गंदी-गंदी बातें सुन पाएगी लेकिन आज सब कुछ सोचने के विपरीत ही हो रहा,,, था,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह अपने मन में कल्पना करने लगे कि अगर वाकई में उसके बेटे के कहे अनुसार ऐसा हो जाए तो वह तीनों उठाकर उसे ही सच में खेत में ले जाएंगे और बारी-बारी से उसके नंगे बदन को नोचेंगे और बारी बारी से उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसे छोड़ देंगे जो कि आज तक किसी को भी अपने बदन को छूने नहीं देती अपने पति के सिवा,,,,, पल भर में उस तरह की कल्पना करके वह अपने बदन में झुरझुरी से महसूस करने लगी थी,,, जब जोर से बादल के गरजने की आवाज आई तब जाकर उसकी तंद्रा भंग हुई तब जाकर उसे होश आया कि वह तो बैलगाड़ी में सफर में है,,, अपने बेटे की बातों में इस कदर खो गई थी कि उसे पता ही नहीं चला था कि वह कहां पर है कहां जा रही है क्या समय हो रहा है बादलों की गर्जना की आवाज सुनते ही उसका ध्यान बैलगाड़ी से बाहर गया तो उसके होश उड़ गए चारों तरफ बादल ही बादल उमड़ रहे थे और अंधेरा छा गया था जबकि अभी शाम ढली भी नहीं थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे रात हो रही है और बरसात पढ़ना शुरू हो गई थी वह घबराते हुए राजू से बोली,,,,,।)
अरे राजू अब क्या होगा यह तो बारिश होने लगी,,
हम यह तो बहुत तेज बारिश हो रही है और हमें तो अभी बहुत दूर जाना है पता नहीं अब क्या होगा,,,
जल्दी-जल्दी बैलगाड़ी आगे बढ़ा हो सकता है बरसात बंद हो जाए,,,
मैं भी यही सोच रहा था लेकिन बादलों को देखकर लग नहीं रहा है कि बरसात बंद होने वाली है देख नहीं रही हो कितनी तेज हवा चलने लगी है आंधी के साथ बरसात हो रही है,,,,
हाय दैया ऐसे में तो मुसीबत हो जाएगी,,,
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मा मैं जरूर कुछ ना कुछ करता हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही हो बैलगाड़ी को जोर से ले जाने लगा,,,,, बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवा और तेज बारिश होना शुरू हो गई थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था हवा इतनी तेज थी कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें फिर भी वह बैलगाड़ी को जल्द से जल्द जितना हो सकता था आगे बढ़ा लेना चाहता था वह जानता था कि तेज बारिश में बैल का आगे बढ़ना नामुमकिन है और अगर पानी भर गया तो बेल एक कदम भी नहीं चल पाएंगे इसलिए वह जल्द से जल्द आगे बढ़ रहा था मधु के चेहरे पर घबराहट नजर आ रही थी क्योंकि वह सोच रही थी कि अगर ऐसी तेज बारिश में रुकना पड़ गया तो कहां रुकेंगे,,,,
मन में यही सोचते सोचते राजू काफी दूर तक ऐसे ही बैलगाड़ी को लेकर आ गया था लेकिन अब धीरे-धीरे पानी भरना शुरू हो गया था तेज हवाएं अपना असर दिखा रही थी बेल गाड़ी में बैठे होने के बावजूद भी मधु पर पानी की बौछारें पड़ रही थी जिसकी वजह से उसके कपड़े गीले हो रहे थे राजू तो धीरे-धीरे गीला ही हो गया था,,, राजू समझ गया था कि बारिश इतनी जल्दी रुकने वाली नहीं है उन्हें कहीं ना कहीं रुकना ही होगा लेकिन कहां उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, दूसरी तरफ वातावरण भयानक होता जा रहा था जिसे देखकर मधु भी घबरा रही थी,,,, तभी राजू की नजर एक खंडहर नुमा बड़े घर पर पड़े वह पूरी तरह से खंडार हो चुका था लेकिन उसमें बारिश से बचने का जुगाड़ नजर आ रहा था और उसे देखकर राजू के चेहरे पर मुस्कान आ गए और वहां अपनी मां को बताई भी ना जल्दी-जल्दी वहां पर पहुंच जाना चाहता था क्योंकि पानी भरना शुरू हो गया था अगर घुटनों तक पानी आ जाता तो बेल शायद आगे बढ़ने से इंकार कर देता,,,।
और थोड़ी ही देर में बादलों की गड़गड़ाहट और तेज हवाओं के साथ साथ घमासान बारिश के बीच से वह बैलगाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ उस खंडहर के सामने पहुंच गया और खुश होता हुआ अपनी मां से बोला,,,।
चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है बारिश से बचने का जुगाड़ हो गया है,,,
कहां,,,?(मधु आश्चर्य से इधर उधर देखते हुए बोली)
यह रहा,,,(खंडहर की तरफ हाथ दिखाते हुए राजू बोला तो उस खंडार की तरफ देखकर उस खंडार की हालत को देखकर मधु घबराते हुए बोली,,,)
इस खंडहर में बाप रे बाहर से इतना भयानक लग रहा है क्या इसमें जाना ठीक रहेगा मुझे तो भूत से बहुत डर लगता है,,,
क्या बात हम भी खामखा डरती हो मैं हूं ना तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,,,,।
Behtreen updateराजू की बैलगाड़ी घर की तरफ निकल पड़ी,,, राजू आज बहुत खुश था क्योंकि आज उसे वह मिल गया था जिसके बारे में सिर्फ कल्पना किया करता था ,,, राजू कैसा महसूस हो रहा था कि जैसे आज उसे दुनिया का सबसे बेशकीमती खजाना हाथ लग गया हो और अब वह उसका मालिक बन गया हो लेकिन मधु की हालत खराब थी रात भर की जमकर चुदाई करने के बाद उसे अपनी दोनों टांगों के बीच बुर में दर्द महसूस हो रहा था,,, ऐसा तो उसे अपनी सुहागरात पर भी दर्द नहीं हुआ था अपने बेटे की मर्दानगी को वहां रात भर में ही अच्छी तरह से देख चुकी थी और उसे अपने बेटे पर गर्व भी हो रहा था,,, जहां एक बार में ही उसका पति ध्वस्त हो जाता था वही उसका बेटा लगातार रात भर खुद भी जाता रहा और उसे भी जगह तरह ना खुद सोया ना उसे सोने दिया,,,,,,,, सुबह हो चुकी थी चारों तरफ सूर्य की रोशनी अपना उजाला फैला रही थी खेतों में पानी भरा हुआ था लेकिन कच्ची सड़क पर पानी नहीं था जिससे बेल गाड़ी आराम से आगे बढ़ रही थी ऐसी गजब की बारिश ना तो मधु ही देखी थी और ना ही राजू ही ऐसा लग रहा था कि यह बारिश शायद उन दोनों के मिलन के लिए ही बरस रही थी,,,, बेल गाड़ी चलाते समय भी रह-रहकर राजू अपनी मां की खूबसूरती में खो जाता था उसकी आंखों के सामने कभी उसकी मां का नंगा बदन उसकी नंगी चूचियां उसकी बड़ी बड़ी गांड तो उसकी बुर में घुसता हुआ अपना लैंड नजर आता था,,,, राजू इस बात से हैरान था कि दो दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी अभी भी उसकी मां की पूरे तुम कैसी हुई थी मानो कि जैसे जवान औरत इसीलिए तो वह रात भर अपनी मां को जमकर चोदे बिना नहीं रह पाया था और अपनी मां की मदमस्त जवानी देख कर बार-बार उसका लंड खड़ा भी हो जा रहा था,,,, अपनी मां के बारे में सोचते हुए अभी भी उसका लंड खड़ा हो गया था अगर उसकी मां इजाजत देती तो बैलगाड़ी में ही वह अपनी मां की अभी भी चुदाई कर देता क्योंकि राजू का मन अपनी मां के मादक सौंदर्य से भरा नहीं था और ना ही कभी भरने वाला था,,,, मधु के अंग अंग से मधुर रस टपकता था जिसका रस वह रात भर कभी अपने होठों से तो कभी अपने लंड से पीता रहा,,,,,
रात को जो कुछ भी हुआ था उससे मधु एकदम शर्मिंदा हो चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि रात को जो कुछ भी उन दोनों के बीच हुआ वह सही था या गलत इसका फैसला करने में वह बिल्कुल भी सक्षम नजर नहीं आ रही थी क्योंकि रात को जो कुछ भी हुआ था समाज की नजर में वह एक अपराध था रिश्तो को कलंकित कर देने वाला था लेकिन एक औरत के नजरिए से रात को जो कुछ भी हुआ था वह उन दोनों की अपनी अपनी जरूरत थी जिसमें दोनों अपनी जरूरत को पूरा करते हुए एक दूसरे को संपूर्ण संतुष्टि का अहसास दिला चुके थे और आज तक मधु ने इस तरह का सुख नहीं भोग पाई थी,,,, और इस अद्भुत सुख की प्राप्ति के एवज में उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे से घृणा करें या उसके इस उपकार के बदले अपना अस्तित्व पूरी तरह से उसके कदमों में रख दें ऐसे भी रात को वह अपने संपूर्ण अस्तित्व को अपनी जवानी को अपने बेटे के कदमों में निछावर कर चुकी थी जिसके बदले में उसके बेटे ने उसकी मादक अद्भुत खूबसूरती को अपनी बाहों में लेकर उसका रसपान किया था,,,,,,, मधु बीते हुए रात के बारे में सोच कर एक-एक पल के बारे में सोच कर पूरी तरह से फिर से मस्त हुए जा रही थी उसे सब कुछ सपना सा लग रहा था उसे लग रहा था कि वह एक बेहद खूबसूरत सपना देख रही थी लेकिन उसने सपने जैसी जिंदगी को जी चुकी थी अपने बेटे के लंड की लंबाई और मोटाई को अपनी बुर की गहराई में महसूस कर चुकी थी उसका हर एक धक्का वह अपने बच्चेदानी पर अच्छी तरह से महसूस कर चुकी थी,,,, अपने बेटे की मजबूत बाहों में आकर उसका संपूर्ण वजूद एक गुड़िया की तरह ही लग रहा था जिसे उसके बेटे ने जी भर कर प्यार किया था,,,। मधु कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाएगी,,, लेकिन कभी-कभी सोच से विपरीत और भी ज्यादा खूबसूरत होता है जैसा कि उसके साथ हुआ था,,,,, रात को अपने बेटे की आंखों के सामने बैठकर पेशाब करना उसकी आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाना यह सब मधु के लिए बिल्कुल नया था लेकिन बेहद अद्भुत सुख प्रदान करने वाला था किसी जवान लड़के के सामने कपड़े उतार कर देंगी होने में भी एक अपना मजा होता है जिसे वह अच्छी तरह से महसूस कर पाई थी वरना यह सुख उससे पूरी तरह से अधूरा ही था,,,,,, अपने बेटे की बाहों में नग्न अवस्था में सोना उसके बदन की गर्मी से वातावरण की ठंडक को दूर करना यह सब सोचकर मधु पूरी तरह से गर्म हुई जा रही थी,,,, रात भर चोदने के बाद जिस तरह से सुबह में दोनों खंडार के पीछे जाकर नहाए थे वह पल मधु के लिए बहुत खास था क्योंकि आज तक उसने खुले में कभी इस तरह से सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहीं आई थी और वह भी अपने बेटे के साथ मधु को अपनी खूबसूरत बदन पर अपनी जवानी पर गर्व होने लगा था कि इस उम्र के दौर में भी वह अपने जवान बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने में पूरी तरह से कामयाब हो चुकी थी और उसकी गर्म जवानी से उसके बेटे की प्यास बुझ ही नहीं रही थी जोकि रात भर उसे पेलता रहा,,, उस पल को याद करके मधु की आंखों में एक बार फिर से शर्म उतार आई जब वह खंडार के पीछे नंगी होकर नहा रही थी और उसका बेटा भी उसका साथ देने के लिए आ गया था अपने बेटे के खड़े लंड को अपनी गांड पर अपनी बुर पर महसूस करके वह खुद इतना ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और अपने बेटे के लंड को खुद ही पकड़ ली थी और घुटनों के बल बैठकर अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर उसे अद्भुत सुख प्रदान की थी,,, अपनी हरकत से अपने बेटे को एक बार फिर से गर्म करके वह अपने बेटे को खुद को चोदने पर मजबूर कर देते और उसका बेटा भी अपनी मर्दानगी की सारी ताकत दिखाता हुआ एक बार फिर से उसकी बुर में समा गया था,,,
यह सब ख्याल मधु को एक बार फिर से गर्म कर दिया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी के साथ शारीरिक संबंध के इस रिश्ते को आगे बढ़ाए यहीं खत्म कर दे क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह का सुख उसके बेटे ने उसे दिया था उस तरह का सुख उसे अब कभी नहीं मिलने वाला है बिना उसके बेटे का क्योंकि वह अपने पति की ताकत को अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि बरसो उन्हीं से चुदवाती आ रही थी,,,, समाज का डर उसके मन में भी था उसे भी इस बात का डर था कि अगर घर में किसी को इस बात की भनक लग गई तो क्या होगा उसकी इज्जत का क्या होगा उसके सम्मान का क्या होगा और अगर गांव में किसी को पता चल गया तब क्या होगा वह तो गांव में किसी को मुंह दिखाने के काबिल ही नहीं रह जाएगी यही सब सोचकर व थोड़ा परेशान भी हो रही थी कि तभी राजू बोला,.
रात को कैसा लगा मां,,,
(अपने बेटे के सवाल का जवाब देने के लिए वह तैयार नहीं थी आखिर वह अपने बेटे से क्या कहती कि उसे मजा आया उसके लंड से चोदने में उसे बहुत आनंद मिला ऐसा कहने में उसे शर्म भी महसूस हो रही थी इसीलिए वह खामोश रही उसकी ख़ामोशी को देखकर राजू फिर बोला)
बोलो ना बा कैसा लगा,,,, मुझे तो बहुत मजा आया क्योंकि दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत की चुदाई जो मैंने किया है सच कहूं तो तुम्हें चोदने की सिर्फ कल्पना ही कर सकता था मुझे नहीं मालूम था कि यह हकीकत में हो जाएगा अच्छा हुआ कि पिताजी ने दवा दिलाने के लिए तुम्हें मेरे साथ भेज दिए और यह तूफानी बारिश का तुम्हें अपने दिल से लाख-लाख बार शुक्रिया अदा करूंगा क्योंकि यह बारिश ना होती तो शायद हम दोनों एक ना होते,,,
बस राजू जो हो गया सो हो गया अब आगे बिल्कुल भी नहीं होगा,,,
ऐसे कैसे नहीं होगा मेरा लंड तो तुम्हारी एक बुर में जाने के लिए अभी भी तड़प रहा है तुम्हारी खूबसूरत जवानी का रस रात भर पीता रहा हूं लेकिन यह प्यास है कि बुझने का नाम नहीं ले रही है,,, कसम से मां इस उम्र में भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है मेरा तो लंड दर्द करने लगा,,,
तू भी तो तू कहां मान रहा था जब मन कर रहा था तब डाल दे रहा था यह भी नहीं सोचता था कि मुझे कैसा लग रहा है,,,
क्यों तुम्हें मजा नहीं आया क्या कसम से बताओ तुम्हें मेरी कसम,,,
अब क्या बताऊं,,,, मुझे भी बहुत मजा आया लेकिन डर लगता है कि किसी को यह बात पता चल गई तो क्या होगा,,,
क्या मां तुम भी पागलों जैसी बात करती हो हम दोनों के बीच की इस बात को भला कैसे लोगों को पता चलेगा यह तो तुम जानती हो और मैं जानता हूं और इस रात को घने जंगल में इस खंडार में अपने इस बेल के सिवा और कोई नहीं जानता और यह बेल है कि बोल नहीं पाएगा और ना जरूरी अपने मालिक को बता देता कि मालिक मालिक रात भर तुम्हारी बीवी की चुदाई तुम्हारा बेटा किया है,,,,।
(इतना सुनते ही मधु की हंसी छूट गई और वह खिलखिला कर हंसने लगी अपनी मां को इस तरह से हंसता हुआ देखकर राजू बोला)
देखना मां हंसते हुए तुम और ज्यादा खूबसूरत लगती हो,, तुम्हें हंसता हुआ देखकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया है,,, अगर इजाजत हो तो इसी समय बैलगाड़ी में तुम्हारी बुर में डाल दुं,,,,
चल चल रहने दे अब तेरा मुझे नहीं डलवाना है रात भर डाल डाल कर पूरा सुजा दिया है,,,,
क्या सुजा दिया है,,,,?(राजू सब कुछ जानते हुए भी जानबूझकर बोला क्योंकि वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था)
अरे वही जिसमें तू डाल रहा था,,,(मधु शर्माते हुए पूरी उसे मालूम था कि उसका बेटा उसके साथ शरारत कर रहा है और उसके शरारत में उसे भी मजा आ रहा था)
क्या मां ठीक ठीक से बोलो ना क्या सूज गया और मैं क्या डाल रहा था,,,
चल तुझे सब कुछ मालूम है,,,
हां वह तो है मुझे सब कुछ मालूम है लेकिन तुम्हारे मुंह से सुनने में मुझे बहुत मजा आएगा,,,
क्यों रात भर जो मजा लिया वह कम था क्या,,,
अरे पूछो मत वह मजा तो मेरी जिंदगी का सबसे अनमोल तोहफा था तुम्हारी तरफ से लेकिन अपने मुंह से अगर साफ साफ शब्दों में कहोगी तो मुझे और मजा आएगा,,,
क्या,,,?
वही कि क्या सोच गया और मैं क्या डाल रहा था,,,
(अपनी बेटे की बात सुनकर मधु को शर्म महसूस हो रही थी उसे शर्म भी आ रही थी और मजा भी आ रहा था वह भी अपने बेटे के सामने खुले शब्दों में बोलने में लाल आई तो थी और वैसे भी रात भर में उसके बेटे ने उसे खुद अपने हाथों से नंगी करके उसकी चुदाई भी किया था और उसे मजा भी दिया था तो ऐसे में अपने बेटे से शर्म करने का कोई मतलब नहीं था इसलिए वह शरमाते हुए बोली)
तू अपना लंड मेरी बुर में डाल डाल कर सुजा दिया है,,,
आहहह आहहरह क्या बात है कितनी मधुर आवाज है देखी तुम्हारे मुंह से यह शब्द कितने अच्छे लगते हैं बुर और लंड,,,
तुम मुझे सच में बेशर्म बनाता जा रहा है,,,
लेकिन बेशर्म बनने में कितना मजा है ना मां अगर तुम बेशर्म ना बनती तो मेरी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी ना होती मेरे सामने बैठकर पेशाब ना करती मेरे लंड को अपने मुंह में ले लेती और ना ही मुझे अपनी चूची पीने देती ना अपनी बुर का रस पिलाती और ना ही मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाने का अद्भुत सुख प्राप्त कर पाती,,,
(अपने बेटे की इन बातों को सुनकर मधु के तन बदन में फिर से आग लगने लगी थी अपने बेटे के लैंड की रबड़ को अभी भी अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों में महसूस कर पा रही थी)
बहुत बेशर्म हो चुका है तू,,,
क्या मा फिर से अभी-अभी तो तुम्हें बेशर्म होने का फायदा बताया हूं कहो तो थोड़ी और बेशर्मी दिखा दु,,,।
अब इससे ज्यादा बेशर्मी तू और क्या दिखाएगा,,,
अरे पूछो मत इससे भी ज्यादा बेशर्म बन्ना मुझे आता है अगर इससे भी ज्यादा बेशर्म बन गया ना तो कसम से यह सड़क पर इसी बैलगाड़ी में तुम्हें नंगी करके चोदना शुरू कर दूंगा,,,
हाय दैया,,, इतना हरामि हो गया है तू तेरे में जरा भी शर्म नहीं रह गई है,,,
तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत हो वीरान सड़क हो तो ऐसे में कोई भी मेरी तरह बेशर्म बन जाएगा कसम से तुम्हारे बदन की खुशबू मुझे और ज्यादा मस्त कर देती है,,,
चल अब रहने दे बैलगाड़ी को जल्दी आगे बढ़ा,,,,
देखो ना मां ,,,दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है और अभी भी गांव बहुत दूर है कहो तो यहीं पर एक बार और तुम्हारी चुदाई कर दुंं मेरा लंड पूरी तरह से तैयार है,,,,
लेकिन मेरी बुर बिल्कुल भी तैयार नहीं है,,,,(मधु हल्की सी मुस्कुराहट के साथ शरमाते हुए बोली)
ऐसा हो ही नहीं सकता तुम्हारी बुर भी एकदम तैयार है मुझे मालूम है तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही होगी यकीन ना आए तो हाथ लगा कर देख लो,,,
चल अब रहने दे बदतमीज इस तरह की बातें करेगा तो किसी की भी बुर पानी छोड़ने लगेगी,,,, तू बकवास बंद कर और जल्दी जल्दी चल,,,,,
सोच लो मां यहां पर जिस तरह का मौका मिल रहा है घर पर पता नहीं मौका मिलेगा कि नहीं वहां मेरे लंड के लिए तरस जाओगी अपनी बुर में लेने के लिए क्योंकि मुझे पूरा यकीन है कि अब तुम्हें पिताजी के लंड से बिल्कुल भी मजा नहीं आएगा,,,,
कोई बात नहीं तू अब अपना मुंह बंद रख,,,,,
(मधु फिर से शरमाते हुए बोली दोनों मां बेटे पूरी तरह से आपस में खुल चुके थे मधु बहुत खुश नजर आ रही थी बस उसे इस बात का डर था कि दोनों के बीच के संबंध के बारे में किसी को भनक ना लग जाए,,,, और राजू के इस बात पर भी वह गौर कर रही थी कि वास्तव में घर पर इधर की तरह उसे मौका नहीं मिल पाएगा अगर उसका मन बहक गया और उसे अपने बेटे का लैंड लेने की तड़प जाग गई तो वह क्या करेगी,,,, किसी तरह से वह अपने मन को समझा रही थी,,,,,,, घर पर पहुंचते-पहुंचते दोपहर हो चुकी थी रात को जिस तरह की तूफानी बारिश हो रही थी उसे देखते हुए मधु को ऐसा ही लग रहा था कि आज भी बारिश होगी लेकिन आसमान पूरी तरह से साफ हो चुका था धूप पूरी तरह से गर्मी भी खेल रही थी घर पर पहुंचकर राजू बैलगाड़ी को घर के सामने खड़ी कर दिया और वहीं पेड़ के सहारे बेल को बांध दिया,,,, राजू तुरंत बेल गाड़ी के पीछे आकर अपनी मां को उतरने में मदद किया और दोनों दरवाजे पर पहुंचे तो दरवाजा बंद था,,,,)
लगता है कोई घर पर नहीं है,,,,( मधु चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखते हुए बोली)
लगता है खेत में गए होंगे,,,,,
(घर पर कोई नहीं है इस बात का ख्याल आते ही राजू का शैतानी दिमाग फिर से दौड़ना शुरू कर दिया राजू के पजामे में हरकत होना शुरू हो गया मधु दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश की और पीछे पीछे राजू भी आ गया जिस तरह से हाथ में आई मौके का फायदा राजू और मधु पूरी तरह से उठाकर रात भर मस्ती किए थे उसी तरह से उन दोनों के घर से जाते ही हरिया और उसकी छोटी बहन आपस में जुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे और वह खेल लगातार जारी था रात भर और दिनभर की चुदाई के बाद हरिया और गुलाबी दोनों खेत में थोड़ा काम करने के लिए चले गए थे और घर पर कोई नहीं था घर में प्रवेश करते ही राजू ने तुरंत दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दिया था और अपनी मां को तुरंत वह कुछ समझ पाती उससे पहले अपनी गोद में उठा लिया था और गोद में उठाए हुए ही वह उसे उसके कमरे की तरफ ले जा रहा था,,,,)
अरे अरे राजू यह क्या कर रहा है छोड़ मुझे मैं गिर जाऊंगी नीचे उतार,,, अरे पागल हो गया क्या कोई देख लिया तो,,,
अरे यहां कोई देखने वाला नहीं है ना पिताजी और बुआ दोनों खेत पर काम करने गए हैं क्यों ना इस मौके का फायदा उठा लिया जाए,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी उसे समझते देर नहीं लगी कि राजू फिर से उसके साथ मनमानी करने पर उतारू हो चुका है लेकिन मधु उसे ऐसा करने से रोकती नहीं लेकिन वह माना नहीं हो अपनी गोद में उठाए हुए राजू अपनी मां को उसके ही कमरे में ले गया और खटिया पर ले जाकर पटक दिया,,,,)
अरे नहीं राजू पागल हो गया क्या तू तेरे पिताजी आ गए तो गजब हो जाएगा,,,
अरे जब तक वो लोग आएंगे तब तक अपना काम पूरा हो जाएगा और वैसे भी दरवाजा बंद है आने से पहले हमें भी पता चल जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां के साथ मनमानी करते हैं उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा मधु से रोकने की पूरी कोशिश करती रही लेकिन राजू नहीं माना और देखते ही देखते अपनी मां के ब्लाउज का सारा बटन खोल कर उसकी नंगी चूची को आजाद कर दिया,,,,)
नहीं पागल ऐसा मत कर अगर किसी ने देख लिया तो हम दोनों बदनाम हो जाएंगे,,,
कोई नहीं देखने वाला है मां,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां की दोनों चूची को अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से दबाता हुआ अपने प्यासे होठों को अपनी मां के लाल लाल होठों पर रखकर चुंबन करने लगा आखिरकार रात भर की जबरदस्त चुदाई के बाद एक बार फिर से मधु की बुर पानी छोड़ना शुरू कर दी थी,,, उसे अपनी बुर में दर्द महसूस हो रहा था लेकिन फिर भी राजू की हरकत ने उसे फिर से उत्तेजित कर दिया था देखते ही देखते राजू पूरी तरह से अपनी मां के होठों को अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया था और मधु की भी हालत खराब हो रही थी,,, राजू अपने मुंह को तुरंत अपनी मां के होठों से हटाकर उसकी चूची पर रख दिया और उसे पीना शुरू कर दिया राजू की हरकतें मधु के तन बदन में जवानी का जोश भर रही थी,,, राजू पर पूरी तरह से वासना का भूत सवार हो चुका था घर में किसी की मौजूदगी ना होने पर हुआ इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था और वह अपनी मां की नंगी जवानी पर पूरी तरह से टूट चुका था उसकी दोनों चूचियों को पकड़ पकड़ कर दबाते हुए उसे मुंह में लेकर पी रहा था आखिरकार मधु कब तक अपने सब्र को काबू में कर पाती वह भी अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से मदहोश होने लगी,,, उससे भी रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से यह अपने बेटे के खड़े लंड को टटोलने लगी वाकई में राजू का लैंड पूरी तरह से लोहे की छड़ की तरह हो गया था,,, जिसे अपनी हथेली में महसूस करके उसकी गुरबाणी फेंक रही थी,,,, पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए मधु बोली,,)
हाय दैया तेरा तो पूरा खड़ा हो गया है,,,
तुम्हारी बुर में जाने के लिए मचल रहा है,,,(इतना कहते ही राजू अपनी मां की साड़ी की गिठान को खोलने लगा उसकी साड़ी उतारने लगा तो उसे रोकते हुए मधु बोली)
नहीं साड़ी मत उतार कोई आ गया तो पहनने में दिक्कत हो जाएगी,,,
कुछ नहीं होगा वैसे भी चोदने का मजा पूरी तरह से नंगी करने के बाद ही आता है,,,
(मधु अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे की आगे अब उसकी एक भी चलने वाली नहीं है और राजू देखते ही देखते अपनी मां की साड़ी उतार कर पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे नीचे की तरफ एक झटके में ही खींच दिया और मधु भी अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी-भरकम गांव को ऊपर की तरफ उठाती थी ताकि उसका बेटा आराम से उसके पेटीकोट को उतार सके देखते-देखते मधु खटिया में एकदम नंगी हो गई राजू अपनी मां की नंगी जवानी को दिन के उजाले में देखकर और भी ज्यादा मस्त हो गया और तुरंत अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया अपने बेटे के खड़े लंड पर नजर पड़ते ही मधु के होश उड़ गए वह भी अपने बेटे के लंड को दिन के उजाले में देख रही थी और अंदर ही अंदर मचल रही थी,,, राजू इस बार अपनी मां की दोनों टांगों को फैलाने की जगह एक साथ पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया और साथ में पकड़े हुए ही जाकर उसकी छाती से उसके घुटने लगा दिया जिससे कमर के नीचे मधु की गोल गोल गाना मटके की तरह नजर आने लगी और राजू तुरंत अपने लंड को उसके गुलाबी छेद में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,,, मधु पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी मस्ती उसकी आंखों में साफ झलक रही थी इस तरह से दोनों टांगों को सता कर चोदने में राजू को और भी ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि इस तरह करने से पहले से ही मधु की बुर कसी हुई थी लेकिन इस स्थिति में उसकी बुर और ज्यादा सख्त और कसी हुई नजर आ रही थी जिससे राजू का लंड उसकी मां की बुर में थोड़ी दिक्कत के साथ लेकिन पूरा आनंद देते हुए अंदर बाहर हो रहा था,,,,।
मधु कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसके ही कमरे में उसके ही खटिया पर उसकी चुदाई करेगा दोनों पूरी तरह से नंगे थे दोनों के बदन की गर्मी दोनों के लावा को पिघलाने के लिए तैयार थी,,, तकरीबन इस अवस्था में 20-25 मिनट के घमासान चुदाई के बाद मधु की सांसें तेज चलने लगी और यही स्थिति राजू की भी थी राजू तुरंत अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर अपनी मां को अपनी बांहों में कस लिया और जोर जोर से धक्का लगाने लगा खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी मधु को इस बात का डर था कि कहीं राजू के तेज झटकों की वजह से खटिया ना टूट जाए लेकिन राजू पूरी तरह से मस्ती में चूर था वह धक्के पर धक्के लगा रहा था देखते ही देखते दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और दोनों एक साथ झड़ गए एक बार फिर से राजू ने अपनी मां की मदमस्त जवानी पर काबू पा लिया था मधु भी अपने बेटे की इस अफरा तफरी भरी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,
राजू तुरंत खटिया पर से उठा और अपने कपड़े पहन लिया मधु भी धीरे से खटिया पर से उठी और अपने कपड़ों को ढूंढने लगी उसे अपनी बुर में दर्द महसूस हो रहा था वह अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी बुर की स्थिति को देखी तो थोड़ा सा घबरा गई क्योंकि बुर सुजी हुई थी,,, जैसे तैसे करके वह अपने कपड़े पहन कर दुरुस्त हो गई थोड़ी ही देर में हरी और गुलाबी भी घर पर आ गए और उन दोनों को देखकर दोनों खुश हो गए हालांकि यह खुशी ऊपर से ही थी क्योंकि वह लोग और मजा करना चाहते थे वैसे तो गुलाबी को अपने भाई से ज्यादा राजू के साथ मजा आता था लेकिन क्या करें वह अपने भाई को भी पूरा मस्ती देना चाहती थी ताकि दोनों की चोरी पकडे जाने पर दोनों एक दूसरे पर उंगली ना उठा सके,,,,।
रात को सोते समय मधु हल्दी वाला दूध एक गिलास गट गटाकर पी गई क्योंकि वह जानती थी कि इससे उसके दर्द में राहत मिलेगी,,,, रात को जब हरिया ने मधु के कपड़े उतार कर लेंगी करने की कोशिश किया तो मधु ने उसे इंकार कर दी क्योंकि मैं तू जानती थी की सूजी हुई बुर अगर उसका पति देखेगा तो जरूर मन में शंका करेगा,,, थके होने और तबीयत खराब होने का बहाना करके मधु अपने पति को समझा कर सो गई और राजू भी पूरी तरह से थक चुका था इसलिए खटिया पर पडते ही सो गया,,,।