रंजीत सिंह ने जब से झुमरी के नंगे बदन को देखा था तब से उसकी आंखों में वासना की चमक उभर आई थी पहली नजर में ही झुमरी उसे भाग गई थी वह झुमरी के खूबसूरत बदन और उसके बनावट से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था वह किसी भी हालत में झुमरी को प्राप्त करना चाहता था और वह झुमरी के साथ अपनी मनमानी कर भी लेता अगर कैन मौके पर राजू ना आ गया होता तो लेकिन राजू के आ जाने से रंग में भंग पड़ गया था और उसके हाथों वह पीट भी चुका था,,,, राजू की हिम्मत और ताकत देखकर रंजीत सिंह समझ गया था कि उसकी दाल गलने वाली नहीं है इसलिए वह मन में सोच कर वहां से चला गया था लेकिन मन ही मन राजू से बदला लेने का वह मन में ठान चुका था और झुमरी को किसी भी हालत में प्राप्त करने के जुगाड़ में वह लग चुका था इसलिए तो दिन-रात झुमरी पर नजर रखने के लिए वह चोरी-छिपे उसकी दिनचर्या पर नजर रखे हुए था और ऐसे में ही उसे झुमरी राजू से चुदवाते हुए नजर आ गई थी,,,, राजू ने धीरे-धीरे एक-एक करके उसके बदन से सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर चुका था और नंगी हो चुकी झुमरी के नंगे बदन को देख कर तो रंजीत सिंह के यहां आंखों में वासना के डोरी नजर आ रहे थे वह किसी भी हालत में झुमरी को प्राप्त करना चाहता था झुमरी की नंगी गांड उसके दिल में बस गई थी रंजीत सिंह अपने लंड को झुमरी की बुर में डालकर अपनी प्यास बुझाना चाहता था लेकिन राजू के होते ऐसा मुमकिन बिल्कुल भी नहीं था वह दिन रात इसी सोच में डूबा रहता था कि कैसे झुमरी को प्राप्त किया जाए,,,।
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ऐसे ही 1 दिन वह विक्रम सिंह की हवेली के सामने के बगीचे में कुर्सी पर बैठकर झुमरी के ही ख्यालों में खोया हुआ था कि विक्रम सिंह जो कि रिश्ते में उसके चाचा थे वह हिसाब किताब मैं व्यस्त थे लेकिन रंजीत सिंह के रवैया को देखकर उन्हें चिंता होने लगी थी इसलिए वह हिसाब खाते की किताब को बंद करके रंजीत सिंह की तरफ देखते हुए बोले,,,।
क्या बात है रंजीत आजकल में देख रहा हूं कि तू बहुत खोया खोया है,,,, तबीयत तो ठीक है ना तेरी,,,,
(अपने चाचा की बात सुनकर रंजीत जैसे किसी ख्वाब से बाहर निकला हो इस तरह से हड़बड़ा कर अपने चाचा की तरफ देखने लगा पल भर की तो उसे लगा कि वह बात को बदलते लेकिन अपने चाचा से बात छुपाने का कोई फायदा नहीं था क्योंकि उसके चाचा ही एक ऐसे शख्स थे जो उसकी समस्या का हल निकाल सकते थे उसकी मुसीबत दूर कर सकते थे इसलिए वह बोला,,,)
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क्या बताऊं चाचा,,,, अब आपसे क्या छुपाना,,,, ,,, वो जो अपने लाला जी है ना,,, उनके गांव में एक लड़की है वह मुझे बहुत पसंद आ गई है,,,,
क्या बात कर रहा है,,,(एकदम खुश होता हुआ वह बोला)
हां चाचा मुझे तो वह बहुत पसंद है,,,,
शादी करना है क्या तुझे,,,
नहीं चाचा शादी नहीं करनी है बस मजा लेना है,,,
तो इंतजार किस बात का है जाकर उठा ला,,,, मैं भी तो देखूं उसकी खूबसूरती,,,,
जरूर चाचा लेकिन अभी सही समय का मुझे भी इंतजार है,,,,,
क्यों कोई बात है क्या,,,?
नहीं नहीं चाचा ऐसी कोई भी बात नहीं है आपके होते हुए कोई बात हो सकती है क्या यह तो मैं ही रुका हुआ हूं वरना अब तक तो वह लड़की मेरे नीचे होती,,,,
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शाबाश भतीजे,,,,, यह हुई ना मर्दों वाली बात,,,,
(रंजीत सिंह की बात को सुनकर विक्रम सिंह खुश होता हुआ उसे शाबाशी देने लगा,,,, असली बात को रंजीत छुपा ले गया था अपने चाचा को यह बिल्कुल भी बताना नहीं चाहता था कि वह गांव के ही लड़के से मार खाया था बड़ी बेइज्जती हुई थी अगर यह सब कुछ अपने चाचा को बता देता तो उसके चाचा उस पर खुद भड़क जाते,,,,, और वह किसी भी तरह से अपने चाचा को नाराज नहीं करना चाहता था इसलिए असली बात को छुपा ले गया था और उसके चाचा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले,,,)
जिस दिन भी उस लड़की को उठाना हो बता देना मैं भी उसकी खूबसूरती को देखना चाहता हूं आखिर उसमें ऐसी कौन सी बात है जिसे देखकर मेरा भतीजा एकदम पागल हुआ जा रहा है,,,
जी चाचा,,,,,।
(और विक्रम सिंह फिर से अपने काम में लग गया ,,, विक्रम और रंजीत दोनों चाचा भतीजा है दोनों में चाचा भतीजा का रिश्ता होने के बावजूद भी दोनों मित्र की तरह रहते थे दोनों के राज एक दूसरे जानते थे विक्रम सिंह कब किस औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाता था किस लड़की को अपने आदमी को भिजवा कर उठाकर अपने गोदाम पर लाता था और रात भर अपनी रात रंगीन करता था इन सब के बारे में रंजीत सिंह अच्छी तरह से जानता था क्योंकि रंजीत सिंह को भी बदले में एस करने को मिल जाता था औरत के साथ संबंध बनाने को मिल जाता था और वैसे भी मिल जाते थे इसलिए दोनों चाचा भतीजा कम दोस्त ज्यादा थे,,,,,।
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दूसरी तरफ सोनी भी अपने भाई को चिंतित देखकर समझ नहीं पाती थी कि क्या बात है वह बार-बार अपने भाई से पूछना चाहती थी कि आखिर क्या बात है जो वह चिंतित रहने लगा है,,,, ऐसे ही 1 दिन मौका देखकर जब लाला और सोनी दोनों भोजन कर रहे थे तो सोनी बात को छेड़ते हुए बोली,,,,।
भैया मैं पिछले कई दिनों से देख रही हूं जब से जमीदार विक्रम सिंह अपने घर पर आकर गए हैं तब से आप बहुत चिंतित रहने रखे हैं आखिर ऐसी कौन सी बातें मुझे भी तो बताइए,,,,
ऐसा कुछ भी नहीं है सोनी,,,,
नहीं कुछ तो बात है भैया अगर बताएंगे नहीं तो उसका हाल कैसे निकलेगा,,,,
मेरे बताने से भी कुछ नहीं होने वाला है क्योंकि मैं जानता हूं कि मेरी समस्या का हल है ही नहीं,,,, बस यह समझ लो सोने की सब कुछ,,,(हवेली को नजर उठाकर देखते हुए) बर्बाद होने वाला है मिट्टी में मिलने वाला है बरसों की बनाई इज्जत खाक में मिलने वाले हैं घर खेत खलियान गोदाम कारोबार सब कुछ डूबने वाला है,,,,
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यह आप क्या कर रहे हैं भैया आपकी तबीयत तो ठीक है,,,,
हां सोनी में बिल्कुल ठीक कह रहा हूं,,,, सब कुछ बर्बाद होने वाला है यह चमक-दमक सब मिट्टी में मिल जाने वाला है शायद तुम नहीं जानती कि कौन सी मुसीबत आ पड़ी है,
यह क्या कह रहे हो भैया मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है ,,, बोलना क्या चाह रहे हो साफ-साफ बताओ,,,,
सोनी,,,,,(एकदम उदास होते हुए) यह गाड़ी हवेली खेत खलियान गोदाम सबकुछ विक्रम सिंह के पिता जी के हाथों अपने पिताजी ने गिरवी रखा हुआ है,,,
क्या,,,, यह क्या कह रहे हो भैया,,,,,,,?(एकदम से हैरान होते हुए सोनी बोली,,,)
मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं सोनी,,,, अपना कुछ भी नहीं है,,,,
तो यह सब,,,,,
सब कुछ विक्रम सिंह का है,,,,,, और उसने कुछ दिनों की मोहलत दी है,,,,,
लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि पिताजी ने आखिर ऐसा किया क्यों,,,,
अपनी जमीदारी चलाने के लिए जो कि उस समय सब कुछ बर्बाद हो गई थी लेकिन विक्रम सिंह के पिताजी अपने पिता जी के बहुत अच्छे दोस्त थे और पिताजी के कहने पर उन्होंने हम लोगों की मदद की थी बदले में पिताजी भी व्यवहार निभाते हुए सारे कागजात उन्हें सौंप चुके थे लेकिन विक्रम सिंह के पिताजी ने अपनी दोस्ती निभाई है और सारे कागजात पिताजी को लौटा दिए लेकिन जो उधार की रकम थी,,,,, वह एक कागजात में लिखकर पिताजी के दस्तखत करवा कर विक्रम सिंह के पिताजी ने अपने पास रखे हुए थे,,,,, जिसमें साफ लिखा हुआ था कि निश्चित की हुई रकम ना चुकाने पर वह हम लोगों की हवेली कारोबार खेत खलियान गोदाम सब कुछ अपने हक में ले सकता है,,,,(सोनी बड़े ध्यान से अपने बड़े भाई की बात सुनती जा रही थी और हैरान होती चली जा रही थी,,,,) अभी तक तो सब कुछ ठीक चल रहा था बरसो गुजर गए लेकिन ना जाने कैसे वह कागजात विक्रम सिंह के हाथ लग गए और वह उसी कागज के बलबूते पर हमारा सब कुछ हथियाना चाहता है,,,,,
लेकिन भैया जो रकम पिताजी ने उधार लिए हैं उसे चुका कर दो मुसीबत को दूर किया जा सकता है,,,,
किया जा सकता है सोनी लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है उसकी नजर तो हमारी हवेली और गोदाम पर है वह सब कुछ ले लेना चाहता है और विक्रम सिंह की ताकत का तुम्हें अंदाजा नहीं है उसके आगे हम सब कुछ भी नहीं है इसीलिए तो मैं लाचार हूं,,,,,,,,
तो भैया क्या इसमें कोई हमारी मदद नहीं कर सकता,,,,,
ऐसा कोई भी नहीं है कि विक्रम सिंह से टक्कर ले सके उससे वह कागजात वापस ले सके,,,,,
अगर राजू से यह बात करके देखे तो,,,,
सोनी तुम पागल हो गई हो वह अभी बच्चा है भले जवान हो गया है लेकिन इतना बड़ा भी नहीं हो गया है और ताकतवर भी नहीं है कि विक्रम सिंह से टक्कर ले सके,,,,,
लेकिन भैया उसकी ताकत को आप देख चुके हैं,,,,,
वह बात कुछ और थी सोनी हम दोनों रंगे हाथ पकड़े गए थे इसलिए मैं कुछ कर नहीं सकता था लेकिन यहां पर हालात दूसरे हैं,,,,,,
लेकिन भैया राजू से एक बार बात तो करके देखे होते क्योंकि गांव में ऐसे बहुत से लड़के हैं जो उसकी बात मानते हैं देख रही हो गोदाम पर किस तरह से वह सब पर हुकम चलाता है और सब लोग उसका हुकुम बजाते भी हैं,,,,,
सोनी वह बात कुछ और है और जिस तरह की मुसीबत में हम लोग पडे हुए हैं उस मुसीबत से हमें भगवान के सिवा और कोई नहीं निकाल सकता,,,,
भैया अब तो मुझे भी डर लगने लगा है क्योंकि उस दिन विक्रम सिंह अपने घर पर आया था लेकिन उसकी गंदी नजर मुझ पर ही थी बड़ी गंदी नजर से वह मुझे देख रहा था मुझे तो उससे बहुत डर लग रहा था लेकिन मुझे क्या मालूम था कि उसकी गंदी नजर पिताजी की बनाई हुई इस जायदाद पर भी है,,,,
(सोनी की बात सुनकर लाला घबरा गया था क्योंकि वह विक्रम सिंह के चरित्र के बारे में अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि औरतों के मामले में उसका पैजामा बहुत ढीला है और वह उसके खुद के गांव की औरतों के साथ मनमानी कर चुका है इसलिए उसे इस बात का डर था कि कहीं विक्रम सिंह उसकी बहन के साथ भी कुछ गलत ना करना इसलिए लाला अपनी बहन को आश्वासन देते हुए बोला,,,,,,,।)
तुम चिंता मत करो सोनी इसका हल जरूर मैं निकाल लूंगा,,,,,
(लाला की तरफ से यह सोनी को झूठा आश्वासन था लाल अच्छी तरह से जानता था कि वह विक्रम सिंह का बाल भी बांका नहीं कर सकता है लेकिन फिर भी वह सोनी को चिंतित नहीं करना चाहता था,,,,,)
दूसरी तरफ अपनी विवाह के बात से ही गुलाबी,,, खोई खोई सी रहने लगी थी उसका किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था वह इस घर को छोड़कर जाना नहीं चाहती थी इस घर को नहीं बल्कि इस घर में मिलने वाली मस्ती को वह बिल्कुल भी छोड़कर जाना नहीं चाहती थी पहले उसे भी शादी की जल्दबाजी थी लेकिन जबसे राजू उसकी जिंदगी में आया था तब से वह शादी को लेकर बिल्कुल भी व्याकुल नहीं थी लेकिन,,,, अब उसे लगने लगा था कि बहुत ही जल्द उसके घर वाले उसकी शादी करके उसे उसके ससुराल भेज देंगे,,,, ऐसे ही 1 दिन दोपहर का समय था और भोजन करके मधु झाड़ू लगा रही थी और गुलाबी खटिया पर बैठकर किसी ख्यालों में खोई हुई थी तो झाड़ू लगाते लगाते मधु रुक गई और बोली,,,)
क्या बात है गुलाबी तू कुछ दिन से खोई खोई रहने लगी है,,,
मैं शादी नहीं करना चाहती हूं भाभी,,,,
लेकिन क्यों,,,,
मैं इस घर को तुमको भैया को राजू को छोड़कर नहीं जाना चाहती,,,,
अरे पगली,,,, लड़कियों की तो किस्मत यही है शादी करके उन्हें अपने घर जाना ही पड़ता है और वैसे भी हम लोगों को तेरी शादी कब से कर देना चाहिए लेकिन देर हो गई है बहुत अच्छा रिश्ता मिला है अब बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहती,,,,,, वैसे भी गुलाबी तेरी शादी की उम्र हो चुकी है पास पड़ोस वाले गांव वाले क्या कहते होंगे कि मां बाप नहीं है तो यह लोग गुलाबी की शादी भी समय पर नहीं कर रहे हैं और अपनी बेटी की शादी करके उसे ससुराल भेज चुके हैं,,,,
(अपनी भाभी की बात सुनकर गुलाबी रोने लगी उसकी आंखों से आंसू की धारा बहने लगी और उसे चुप कराने के लिए मधु अपनी जगह से उठी और उसके पास जाकर बैठ गई और उसे चुप कराने की कोशिश करने लगी और जोर से रोते-रोते गुलाबी उसके गले से लग गई उसके गले से लगते ही मधु को एक अजीब सा एहसास हुआ उसकी गोल-गोल चुचियां उसकी खुद की चुची से रगड़ खाने लगी और मधु के बदन में अजीब सा एहसास होने लगा,,,।