लाला की हालत खराब हो चुकी थी सोनी के चेहरे पर घबराहट के बादल अभी तक छाए हुए थे वह अपने आपको विक्रम सिंह की कैद में पाकर पूरी तरह से घबरा गई थी,,,, और विक्रम सिंह के जाते ही अपने भाई के गले से लग कर रोने लगी थी क्योंकि आज उसे लगने लगा कि कि आज उसकी इज्जत विक्रम सिंह के हाथों लूटने का है और ऐसे हालात में उसका भाई उसकी इज्जत बचाने में बिल्कुल भी सक्षम नहीं है इस बात को लाला भी अच्छी तरह से जानता था,,,, अपनी आंखों के सामने ही अपनी बहन की बेज्जती होते हुए वह बड़ी शर्मिंदगी से देख रहा था,,,, ऐसा नहीं था कि उसे गुस्सा नहीं आया था वह बहुत क्रोध में था लेकिन वह अपनी बहन को बचाने के लिए कुछ भी कर नहीं सकता था उसकी आंखों के सामने ही विक्रम सिंह उसकी बहन की नरम नरम चुचियों को दोनों हथेली में लेकर मजे लेकर दबा रहा था और उसके साथ ही इस नजारे को देखकर मन ही मन में उत्साहित और उत्तेजित हो रहे थे,,,,, लाल आप इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि अगर विक्रम सिंह चाहता तो उसकी आंखों के सामने ही हवेली के अंदर ही उसकी बहन की इज्जत लूट सकता था उसको चोद सकता था,,,,, लेकिन उसने ऐसा कुछ किया नहीं लेकिन अगर लाला ने जैसा वह कहता है वैसा नहीं किया तो जरूर विक्रम सिंह उसकी जमीन जायदाद तो लेगा ही लेगा और उसके घर की इज्जत उसकी बहन की इज्जत भी लूट लेगा इसीलिए तो लाला पूरी तरह से घबरा गया था ऐसे में उसकी सारी उम्मीद केवल राजू से ही थी राजू पर ही के घर की इज्जत टिकी हुई थी,,,,।
Ranjeet Singh apni chachi k sath ye karna chahta thA
अब क्या होगा भैया,,,, मुझे तो बहुत घबराहट हो रही है,,, अगर यह हवेली जमीन जायदाद कारोबार उसके नाम नाकिया के हाथों जैसा वह कह कर गया है वैसा करने में देर बिल्कुल भी नहीं लगेगी,,,,
मैं जानता हूं सोनी अब ऐसे में केवल राजू ही हमारी मदद कर सकता है,,,,, मैं अभी जाकर उससे मिलता हूं,,,,
(इतना कहने के साथ ही लाला हवेली से बाहर निकल गया राजू को बुला लाने के लिए उसके पास कोई आदमी नहीं था क्योंकि विक्रम सिंह के डर से सभी भाग खड़े हुए थे,,,,, लाला अच्छी तरह से जानता था कि इस समय राजू गोदाम पर ही होगा इसलिए वह बिना देर किए सीधा गोदाम पर पहुंच गया,,,,,, गोदाम पर पहुंचकर वह गोदाम में ना प्रवेश करके एक घने पेड़ के नीचे लगी कुर्सी पर बैठ गया और वहीं से आवाज देता हुआ अपने आदमी से बोला,,,,)
तुरंत जाओ राजू को बुलाकर लाओ,,,
जी मालिक,,,,(इतना कहने के साथ ही वह आदमी गोदाम में गया और थोड़ी देर बाद राजू को अपने साथ लेकर आया लाला जी को कुर्सी पर बैठा देखकर राजू बोला)
अरे लाला जी आप यहां अरे यहां आने की जरूरत नहीं थी गोदाम में संतरो को शहर भेजने का बंदोबस्त किया जा रहा है और काम अच्छा चल रहा है,,,।
(लाला राजू की बात पर गौर ना करते हुए दूसरे आदमी से बोला)
Ranjeetsingh apni chachi ko bhogne k liye tadap Raha tha
तुम जाओ अपना काम करो,,,,
(इतना सुनते ही वह आदमी वापस गोदाम में चला गया)
बात क्या है लाला जी आज आप कुछ ज्यादा ही परेशान लग रहे हैं,,,,।
(राजू की बात सुनते ही लाला की आंखों में आंसू भर गए और वह अपनी नजरों को नीचे झुका कर बोला)
क्या बताऊं राजू,,,,, आज तो सोनी की इज्जत जाते-जाते बची है,,,,
क्या कह रहे हो लाला,,,(राजू एकदम से चौकते हुए बोला,,)
विक्रम सिंह अपने आदमी सहित घर पर आया था और मेरे साथ मारपीट करने लगा उसी समय ना जाने कहां से सोनी भी आ गई और सोनी के साथ बदतमीजी करने लगा उसने सोनी के साथ,,,,,,,(इतना कहने के साथ ही लाला फफक कर रो पड़ा उसे रोता हुआ देखकर राजू इधर-उधर देखने लगा और उसे समझाते हुए बोला)
यह क्या कर रहे हैं लाला जी अगर आप इस तरह रोने लगोगे तो कोई देखेगा तो क्या कहेगा,,,,, इज्जत खराब हो जाएगी,,,,,
Ranjeet ki pyas apni Chachi Ko dekhkar Badhti ja rahi thi
इज्जत तो खराब होनी है,,, विक्रम सिंह मेरी आंखों के सामने मेरी बहन की नंगी चूचियों को अपने हाथ में लेकर जोर जोर से दबा कर मजे ले रहा था साथ में उसके आदमी भी जोर जोर से हंस कर मेरी बदतमीजी का मजा ले रहे थे,,,
क्या कह रहे हो लाला विक्रम सिंह ने सोनी के साथ इतना गलत किया,,,,
हां राजू और धमकी भी दिया है कि कल शाम तक अगर मैंने उसकी बात नहीं मानी तो वहां जमीन जा जात तो अपने नाम करवा ही लेगा और फिर सोनी को भी अपने साथ उठाकर ले जाएगा और अपनी रखेल बनाकर रखेगा,,,,,
क्या उस हरामजादे ने ऐसा क्या कर गया है,,,,,
हां राजू मुझे तो बहुत डर लग रहा है,,,,,
Vikram singh ki bibi
घबराओ मत लाला अब समय आ गया है इस पार या उस पार,,,,
तुम से ही उम्मीद है राजू,,,,, दरवाजे पर जो दरबान रखे थे वह तो भाग खड़े हुए,,,,,
चिंता मत करो गोदाम भर के संतरे पड़े हैं उन्हें शहर भेजना जरूरी है बस यह काम खत्म होते ही मैं खुद हवेली पर चलूंगा,,,, और हां अपने कुछ आदमियों को भी मैं तैयार कर देता हूं,,,,,,, विक्रम सिंह अपने इरादे में कभी कामयाब नहीं हो पाएगा,,,,,,,,,(क्रोध से अपनी दोनों मूट्ठीयों को बांधते हुए बोला,,,,) लाला आप घर जाइए मैं सब संभाल लूंगा,,,,,
देखो राजू हमारी आखिरी उम्मीद तुम ही हो इसीलिए मैंने अपनी जायदाद का बारिश तुम्हें बनाया हूं क्योंकि तुम ही पूरी तरह से सक्षम हो इसकी देखभाल करने के लिए,,,
Vikram singh apni biwi ko chodta hua
चिंता मत करो लाला मैं तुम्हारे विश्वास को बिल्कुल भी टूटने नहीं दूंगा और वादा करता हूं कि विक्रम सिंह जायदाद का जमीन का 1 इंची टुकड़ा भी नहीं ले सकता,,,,,,
मुझे तुमसे यही उम्मीद है राजू,,,,(इतना कहने के साथ ही लाला अपनी जगह से खड़ा हो गया,,,) जो कुछ भी करना जल्दी करना कल शाम तक का ही समय है,,,,
चिंता मत करो लाला,,,,,, घर जाओ मैं अपने आदमियों को इकट्ठा करता हूं,,,,,,,,,।
Ranjeetsingh or uski chachi
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(राजू की तसल्ली भरी बातें सुनकर लाला वहां से चला गया और राजू गोदाम में चला गया और सबसे पहले श्याम के पास जाकर उसे,,,,, अपने साथियों को जो कि दूसरे गांव में रहते थे उन्हें कल सुबह गोदाम पर चले आने के लिए बोला,,,,,, और फिर काम में लग गया,,,, राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर उस दिन मा ना रोकी होती तो उसी दिन विक्रम सिंह का काम तमाम कर दिया होता तो यह दिन देखना नहीं पड़ता,,,,, जबसे राजू ने बहादुरी दिखाते हुए बंदूक की गोली से दो डाकुओं को गिरा दिया था तब से उसका आत्मविश्वास और ज्यादा बढ़ गया था और फिर विक्रम सिंह को तो वह कुत्ते की तरह पीठ भी चुका था,,,, इसलिए उसे ऐसा ही लग रहा था कि वह विक्रम सिंह से जरूर टक्कर ले पाएगा लेकिन वह पूरी तरह से इस मामले में आत्मविश्वास से भरा हुआ नहीं था वह जानता था क्रम सिंह को उसके आदमियों को इसलिए दिमाग से काम ले रहा था,,,,,,,।
Vikram singh or uski bibi
जहां एक तरफ राजू लाला को दिलासा देकर उसे वापस हवेली भेज चुका था वहीं दूसरी तरफ रंजीत सिंह अपने चाचा के कान भरने में लगा हुआ था,,,।)
यह क्या किया चाचा जी मौका अच्छा था सब कुछ अपने नाम करवा लेना चाहिए था और साथ में उसकी बहन कितनी मलाई से भरी हुई लग रही थी अगर उसी समय उसे चोद दिए होते तो,,, मजा आ जाता देख नहीं रहे थे कैसे फड़फड़ा रही थी कबूतर की तरह तुम्हारे हाथों में,,,,, कसम से चाचा लाला की बहन एकदम मलाई लग रही थी कितनी गोरी चिट्टी थी मानो धरती पर चांद उतर आया हो,,,,,,,
सही कह रहा है रंजीत उसकी दोनों चुची को हाथ में पकड़ कर तो मुझे ऐसा लग रहा था कि मैंने अपने हाथों में आसमान के चांद को भर लिया है सच कहूं तो इतनी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा जबसे लाला की बहन को देखा हूं तब से उसे चोदने का मन कर रहा है,,,,
सही मौका तो था चाचा उसकी जमीन जायदाद भी ले लेते हो उसकी बहन की चुदाई भी कर देते देखे नहीं थे तुम जब उसकी चूची को जोर जोर से दबा रहे थे उसकी सूची एकदम लाल टमाटर की तरह हो गई थी मुझे तो देखकर ही मेरे मुंह में पानी आ रहा था,,,,,
Pahli bar Ranjeet apni Chachi Ko chudwate hue dekha tha
सही कह रहा है रंजीत,,,,, उसकी चूची की गर्मी अभी तक मेरी,,(दोनों हथेलियों को ऊपर की तरफ उठाकर उन्हें देखते हुए) हथेली में महसूस हो रही है,,,, मैं यह सोच रहा हूं कि जब उसकी चूची इतनी खूबसूरत है तो उसकी बुर कितनी लाजवाब होगी,,,,,
हां चाचा सही में अगर तुम उसकी साड़ी उतारकर उसे नंगी कर दी होते तो शायद उसकी खूबसूरती हमें भी देखने को मिल जाती हम भी तो देखते कि लाला अपने खजाने में इतना बेशुमार खजाना छुपाकर कैसे रखा है,,,,
तू चिंता मत कर रंजीत कल शाम को ही हम लाला की हवेली पर चलेंगे और उसकी बहन के साथ जी भर कर मजा करेंगे,,,
अरे धीरे से चाचा जी चाची सुन ली तो गजब हो जाएगा,,,(रंजीत कमरे के चारों तरफ खिड़की और दरवाजे की तरफ देखते हुए बोला और फिर आकर भरकर दरवाजे को धीरे से बंद कर दिया)
अरे छोड़ रंजीत तेरी चाची कहां देखने वाली है वह तो नाक बजाकर सो रही होगी,,,,
Pahli bar Apne chacha aur Chachi Ko is halat mein dekhkar Ranjeet Singh Dang rah gaya tha
लेकिन चाचा अब यह सब छोड़ देना चाहिए क्योंकि तुम बाहर खूबसूरत औरत को खोजते हो जबकि घर में ही चाची इतनी खूबसूरत है उनके जैसी खूबसूरत औरत तो अगल-बगल के 25 50 गांव में भी नहीं होगी,,,,,,,,,,(शराब की बोतल का ढक्कन खोल कर कांच के प्याले में शराब को डालते हुए रंजीत बोला,,,,, और फिर उसका आज के प्याले में शराब को भरकर उस प्याले को अपने चाचा को थमाते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) किसी दिन चाची को यह सब पता चल गया ना तुम्हारे रासलीला के बारे में तो गजब हो जाएगा,,,
अरे उस मादरचोद को,,,(रंजीत के हाथ में से शराब के प्याले को लेते हुए) कुछ भी पता है चलने वाला नहीं है एकदम बेवकूफ है वह नहीं तो इतने बरसों से मैं इतनी औरतों के साथ एश करते आ रहा हूं अब तक उसे भनक लग जाती,,,,,,,,,
इतने बरसों से मुझे तो लगा चाचा की दो 3 साल से ही यह सब चल रहा है,,,
अरे पागल जब मेरी शादी नहीं हुई थी सबसे चुदाई का खेल खेल रहा हूं तुझे पता है खेतों में काम करने औरतें आती थी,,, और मैं मन हुआ तो पैसे देकर वरना जबरदस्ती ही जो पसंद आ जाए उस औरत की चुदाई करता था,,,,,
क्या बात कर रहे हो चाचा,,,,
अरे मैं सही कह रहा हूं,,,(शराब की चुस्की लेते हुए रंजीत सिंह के द्वारा बनाया गया यह पांचवा प्याला था जिसे पीकर विक्रम सिंह एकदम नशे में हो चुका था और ऐसा वह जानबूझकर कर रहा था क्योंकि रंजीत सिंह अपनी चाची को अपने चाचा की असलियत दिखाना चाहता था अपनी चाची को वह अपने चाचा के मुंह से ही अपनी रंगरेलियां अपनी रासलीला ओं के बारे में सुनवाना चाहता था और उसकी चाची दरवाजे के पीछे खड़ी होकर अपने पति की कामलीला के बारे में उसके ही मुंह से सुन रही थी और रो रही थी वह अपने पति पर बहुत भरोसा करती थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी वह अपने कानों से सुन रही है वह हकीकत है या कोई ख्वाब है लेकिन यह ख्वाब बिल्कुल भी नहीं था,,, सब कुछ हकीकत था,,,, रंजीत जानबूझकर अपने चाचा से इस तरह की बातें कर रहा था ताकि उसकी चाची विक्रम सिंह के मुंह से ही उसके हकीकत के बारे में सुनें,,,)
क्या चाचा तुम तो बहुत रसिया किस्म के आदमी हो,,, तुम्हारी कामलीला को विवाह के बाद तो रोक देना चाहिए था क्योंकि इतनी सुंदर बीवी जो मिली थी,,,,
अरे बुद्धू जब चारों तरफ खूबसूरत औरत हो और जिसकी जब चाहे तब मिल जा रही हो फिर उसे क्या बीवी से मजा मिलेगा,,,,(शराब का पांचवा पहला भी खत्म करते हुए बोला और रंजीत से आगे बढ़कर उस खाली प्याले को ले लिया औरउसने फिर से शराब डालने लगा,,,,,और बोला,,,)
सही कह रहे हो चाचा लेकिन यह सब चाची के साथ तो धोखा ही है जिस दिन चाची को पता चलेगा उस दिन क्या होगा,,,
Is halat mein apni Chachi Ko dekhkar,,, uska husn Ranjeet Singh ke dimag per chha chuka tha
अरे भोसड़ा चोदी को कहां पता चलेगा,,, रंडी को कुछ आता ही नहीं है पति को कैसे खुश किया जाता है इसके बारे में पता ही नहीं है बस जब चोदने चलो बस दोनों टांगें खोलकर पड़ी रहेगी कुछ भी नहीं आता उसे मुंह में लेने के लिए बोलो तो कहे कि मुझे उल्टी आ जाएगी,,,, साली को अपने पति को खुश करना आता ही नहीं है जब देखो तब घर का कामकाज करती रहती है तुझे पता है रात को भी जब उसे चोदने के लिए कहो तो भी ,, थकान का बहाना बनाती है,,,,,।
लेकिन चाचा जी,,,(शराब के प्याले को फिर से विक्रम सिंह के हाथ में थमाते हुए ,,) मैंने देखा था तब तो चाची तो तुम्हारा बराबर साथ दे रही थी,,,,.
(रंजीत सिंह की यह बात सुनकर विक्रम सिंह मुस्कुराने लगा और मुस्कुराते हुए वह शराब के प्याले को अपने हाथ में लेकर बोला)
बड़ा हरामि है तू,,,(फिर सर आपको एक ही सांस में दटकते हुए वह गहरी सांस लेते हुए बोला,,,) अरे हरामि उस दिन भी तुझे देखने में धोखा हुआ था,,, उस दिन की तेरी चाची अपनी मर्जी से तैयार नहीं हुई थी बल्कि मैंने ही जबरदस्ती करते हुए उसे रंडी के सारे कपड़े अपने हाथों से उतार दिए थे और उसका ब्लाउज उतारने में तो उसका ब्लाउज भी फट गया था बेशक तेरी चाची की चूचियां बड़ी बड़ी है लेकिन उन्हें वह बात नहीं है जो लाला की बहन की चूची में थी,,,, साली फिर भी कितना नखरा दिखाती है तेरी चाची उसे जबरदस्ती नंगी करके जबरदस्ती घोड़ी बनाकर चोद रहा था वरना उस दिन भी मुझे प्यासा रहना पड़ता,,,,।
चाचा थोड़ा तो शर्म करो चाची के बारे में इस तरह की बातें करते हुए चाची को पता चल गया तो गजब हो जाएगा,,,
कुछ नहीं होगा साली कुछ नहीं जानती,,,, इतने बरसों में देखा औलाद पैदा नहीं कर पाई वह रंडी क्या गजब करेगी,,,,,।
(विक्रम सिंह की इस बात पर दरवाजे के पीछे छुप कर उसकी बात सुन रही उसकी बीवी के तो होश उड़ गए औलाद वाली बात सुनकर उसका कलेजा छलनी छलनी हो गया था)
मैं तो देखना तेरी चाची की गांड पर लात मारकर इस हवेली से निकाल दूंगा और फिर लाला की बहन को इस हवेली की रखेल बनाकर रखूंगा और उसे चोद चोद कर देखना इस हवेली का वारसदार पैदा करूंगा,,,,,,,
(इतना कहते हुए विक्रम सिंह एकदम से अपना होश खो बैठा और बिस्तर पर तुरंत गिर पड़ा रंजीत सिंह का काम बन चुका था वह तुरंत विक्रम सिंह को चादर ओड़ाते हुए बोला,,,)
अब सो जाओ चाचा तुम बहुत नशे में हो,,,,।
(और थोड़ी ही देर में जैसे ही विक्रम सिंह खर्राटा लेने लगा,,,, रंजीत सिंह मुस्कुराता हुआ दरवाजे के करीब गया और वहां पर एकदम से अपने चेहरे का भाव ऐसा बना लिया मानो कि जैसे दुनिया भर का दुख उसे ही हो वह जैसे ही दरवाजा खोला विक्रम सिंह की बीवी रोते हुए दूसरे कमरे की तरफ लगभग लगभग भागते हुए जाने लगी और रंजीत सिंह उसके पीछे पीछे चल पड़ा,,,,,, विक्रम सिंह की बीवी कमरे में दाखिल होते ही बीना दरवाजा बंद किए अपने बिस्तर पर जाकर गिर गई और रोने लगी,,,, दरवाजा खुला था तुरंत रंजीत सिंह कमरे में दाखिल हो गया और दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा दिया,,,,, रंजीत सिंह अपनी चाची के बिस्तर पर बैठ गया और अपनी चाची के कंधे पर हाथ रखकर उसे सांत्वना देते हुए बोला,,,,)
रोओ मत चाची मैं कहता था ना कि चाचा जी ठीक नहीं है वह सिर्फ तुम्हें धोखा दे रहे हैं,,,,(इतना सुनते ही विक्रम सिंह की बीवी और जोर से रोने लगी) रोने से कुछ होने वाला नहीं है चाचा आज तुम्हें चाचा जी का असली रूप समझ में आ गया ना वह तुमसे प्यार बिल्कुल भी नहीं करते हैं बस तुमसे रिश्ता निभा रहे हैं और जब,,,, बदन की गर्मी बढ़ जाती है तब तुम्हारे साथ संबंध बनाकर अपनी गर्मी शांत कर लेते हैं और बाकी असली प्यार तो दूसरी औरतों के साथ निभा रहे हैं,,,,।
(इतना सुनकर रोते हुए विक्रम सिंह की बीवी बिस्तर पर बैठ गई और आंसू बहाते हुए रंजीत सिंह से बोली)
रंजीत मेरे में कोई कमी है क्या,,,,?
नहीं चाची तुम्हारे में कोई कमी नहीं है कमी तो सिर्फ चाचा में है तुम बहुत खूबसूरत,,,, हो,,,(रोते हुए विक्रम सिंह की बीवी की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई थी खुले बाल में उसका गोल-गोल खूबसूरत चेहरा चांद का टुकड़ा लग रहा था जिसे रंजीत सिंह देखकर मन ही मन में उत्साहित और उत्तेजित हो रहा था,,, अपनी चाची के आंसू पहुंचने के बहाने उसके गोरे-गोरे गाल को स्पर्श करना चाहता था इसलिए अपने हाथ आगे बढ़ाकर वह अपनी चाची के आंसुओं को अपने हाथों से पोछते हुए बोला,,,)
चाची तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा लेकिन पता नहीं क्यों चाचा जी तुम्हारे साथ इस तरह का व्यवहार करते हैं सच कहूं तो चाचा बहुत गंदे हैं क्योंकि मैं उनके साथ दिन-रात रहता हूं और उनकी रंगरेलियो के बारे में सिर्फ मैं ही जानता हूं और कोई नहीं,,,,, तुम्हें पता है चाचा कुछ देर पहले ही हम लोग लाला के घर वसूली करने के लिए गए थे लेकिन वहां पर चाचा ने लाला की बहन को अपने हाथों में पकड़ लिया उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी चूची को जोर जोर से दबाने लगे उसे मजा लेने लगे और सच कहूं तो उसे इस हवेली में लेकर आना चाहते हैं चाचा को पता नहीं वह क्यों खूबसूरत लगती है जबकि मुझे ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता,,,,)
रंजीत तेरे चाचा अगर उस औरत को इस घर में लेकर आएंगे तो तुम्हें जीते जी मर जाऊंगी,,,,,
मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं होने दूंगा चाची,,,, सच कहूं तो चाचा तुम्हें रास्ते से हटाना चाहते हैं,,,,।
(इतना सुनते ही विक्रम सिंह की बीवी एकदम से चोदते हुए रंजीत की तरफ देखने लगी और बोली)
मतलब,,,,
मतलब यही कि चाची चाचा तुम्हें जान से मार देना चाहते हैं और फिर उस औरत को अपने घर में लाकर उससे विवाह करके अपनी बीवी बनाना चाहते हैं,,,,
नहीं यह झूठ है,,,,
अभी भी चाची तुम उस इंसान पर भरोसा कर रही हो,,,(रंजीत अपनी चाची से बातें जरूर कर रहा था लेकिन उसकी निगाहें अपनी चाची की भारी-भरकम छातियों पर थी जोकि रोते समय अपने आप ही ब्लाउज का पहला बटन खुल जाने की वजह से उसकी लाजवाब चूचियां बाहर निकलने के लिए तड़प रही थी और उसी को रंजीत सिंह प्यासी आंखों से देख रहा था वैसे तो जब से वह अपनी चाची को संपूर्ण रूप से नंगी देखा था अपने चाचा से चुदवाते हुए तब से रंजीत सिंह का लंड अपनी चाची के नाम से ही खड़ा हो जा रहा था,,,,) वह तुम्हें सच में रास्ते से हटाना चाहता है और उस औरत को इस घर में लेकर आना चाहता है तो नहीं जानती चाची चाचा ने इतनी औरतों के साथ संबंध बनाए हैं कि अगर गिनने लोगों की तो तुम्हारे होश उड़ जाएंगे,,,,,,,
अब मेरा क्या होगा रंजीत,,,, जिसे मैं देवता समझ कर पुजती रही वह तो राक्षस निकला,,,,
मैं चाची तुम्हें पहले ही बता देना चाहता था लेकिन मैं जानता था कि तुम मेरी बात पर विश्वास नहीं करोगी इसलिए मैं चाचा के मुंह से ही सारी हकीकत तुम्हें सुनाना चाहता था और तुमने अपने कानों से सुनी ना उस राक्षस की हैवानियत,,,,,,,,
तुम नहीं जानती चाची चाचा जी के जिस्मानी ताल्लुकात छोटी घर की औरतों से लेकर के हवेली की औरतों तक है असली प्यार वहां उन औरतों से ही करते हैं तुम्हें पता है पंद्रह पंद्रह दिन तक चाचा जी घर से क्यों गायब रहते थे वह दूसरी औरतों के साथ अपनी हवस मिटाने के लिए दिन गुजारते थे इसलिए घर पर नहीं आते थे,,,,,
(सुनते ही बिक्रम सिंह की औरत रंजीत के कंधे पर सर रखकर फफक फफक कर रोने लगी रंजीत सिंह तो यही चाहता ही था वह तुरंत अपनी चाची को सांत्वना देने के लिए अपने हाथ को उसकी चिकनी पीठ पर रख दिया और उसे सहलाते हुए बोला,,,,)
यह रोने का समय नहीं है चाची बल्कि अपने आप को संभालने का समय है अपने आप को इस मुसीबत से निकालने का समय है तो मैं भी वही करना चाहिए जो चाचा ने तुम्हारे साथ किया है,,,,