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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Herry

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sunoanuj

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Bahut hi behtarin updates they … ab agle update ka intezar nahin ho raha hai mitr … jaldi se next update bhi de do …👏🏻👏🏻😂😂
 

rohnny4545

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विक्रम सिंह को जब इस बात का पता चला कि उसका भतीजा ही उसके घर की इज्जत से खेल रहा है तब वह एकदम आग बबूला हो गया उसके दिमाग में बहुत कुछ चलने लगा पल भर में उसे ऐसा लगने लगा कि जैसे लाला नहीं बल्कि उसका भतीजा ही उसका सबसे बड़ा दुश्मन है और वह किसी भी तरीके से अपने भतीजे को रास्ते से हटा देना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि एक बार शुरुआत हो जाने के बाद कामक्रीड़ा का यह खेल कभी रुकने वाला नहीं था,,,, और विक्रम सिंह ऐसा कभी नहीं चाहता था कि दूसरों की इज्जत से खेलने वाले के घर में खुद कोई उसके इज्जत से खेलें जबसे अपने नौकर के मुंह से उसने अपनी बीवी और अपने भतीजे के बारे में सुना था तब से वह एकदम आग बबूला हो गया था उसकी आंखों में खून उतर आया था,,,,, और विक्रम सिंह अपने भतीजे रणजीत सिंह को मौत के घाट उतारने के लिए तैयार हो चुका था क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि रंजीत उसके साथ इतना बड़ा धोखा करेगा अपनी ही चाची के साथ शारीरिक संबंध बनाएगा,,,,।

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इसीलिए तो जो काम उसे कल करना था आज ही रात को वह काम तमाम कर देना चाहता था लाला के साथ-साथ वह रंजीत सिंह का भी पत्ता साफ कर देना चाहता था,,,,, इसलिए तो उसने रंजीत सिंह को अपने आदमियों के साथ लाला और उसकी बहन को उठाकर गोदाम पर ले आने के लिए बोला था और रंजीत भी खुशी-खुशी तैयार हो चुका था क्योंकि उसके मन में भी बहुत कुछ चल रहा था वह भी आज की रात अपने और अपनी चाची के रास्ते से अपने चाचा जी को हटा देना चाहता था उसके दिमाग में भी षड्यंत्र रचा हुआ था एक बार वह अपने रास्ते से विक्रम सिंह को हटा देता तो जमीन जायदाद का मालिक व खुद बन जाता है और अपनी चाची को रखेल बनाकर जिंदगी भर उसके साथ मौज करता हुआ जिंदगी काटता,,,,, रंजीत सिंह के दिमाग में ऐसा कुछ भी पहले नहीं आया था लेकिन जब से उसने अपनी चाची को संपूर्ण रूप से लग्न अवस्था में अपने चाचा जी से चुदवाती हुए देखा था तब से उसका गोरा बदन उसका मांसल देह उसकी आंखों में बस गया था उसकी मदहोश जवानी का रस पीने के लिए वह तड़प रहा था और अपनी चाची की मदहोश जवानी का रस का स्वाद चखने में वह कामयाब भी हो चुका था लेकिन वह जिंदगी भर के लिए अपनी चाची का साथ चाहता था जिसके लिए अपने चाचा जी को रास्ते से हटाना उसके लिए बेहद जरूरी था,,,,,,

विक्रम सिंह की बीवी को तो इस बात का एहसास तक नहीं था कि उसकी कामलीला के बारे में उसके पति को पता चल गया है इसलिए वह निश्चिंत होकर सहज रूप से घर का काम कर रही थी अगर उसे जरा भी अंदेशा होता कि उसकी कामलीला के बारे में उसके पति को पता चल गया है तो अब तक तो वह ना जाने क्या कर बैठती,,,,, क्योंकि वह इस तरह की औरत बिल्कुल भी नहीं थी वह संस्कार और मर्यादा में रहने वाली औरत थी,,,,,,, अपने पति को छोड़कर वह किसी दूसरे मर्द के बारे में सपने में भी कभी नहीं सोचती थी वह तो अपने भतीजे के बहकावे में आ गई थी और जो कुछ भी उसने अपने पति के मुंह से अपने कानों से सुनी थी उसे सुनकर वह पूरी तरह से टूट चुकी थी,,,, उसे अपने आप को संभालने के लिए करने की जरूरत थी और वह कंधा उसके भतीजे का था और उसके भतीजे ने अपनी चाची के भोलेपन का फायदा उठाते हुए उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे संतुष्टि प्रदान किया था जिसके चलते अनजाने में ही वह अपने भतीजे से पूरी तरह से तृप्त होकर उसके साथ संभोग का आनंद लूट चुकी थी,,,, अपने पति के बेवफाई के बारे में तो अच्छी तरह से जानती थी लेकिन उसकी खुद की बेवफाई क्या रंग लाती है इस बारे में उसे अंदेशा भी नहीं था,,,,।

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रंजीत सिंह और उसके आदमी लाला की हवेली के लिए निकल चुके थे,,,, और दूसरी तरफ जब से झुमरी की सगाई राजू के साथ हुई थी तब से झुमरी अपनी होने वाली सास के हर एक काम में हाथ बंटाती थी झुमरी को भी अच्छा लगता था और मधु को भी अपनी बहू के साथ समय बिताना अच्छा लगने लगा था और इसी तरह से‌ वह दोनों खेत में सब्जियां तोड़ रहे थे,,,, झुमरी प्रसन्नता बड़े भाव से अपनी सास से बातें कर रही थी,,,।

मा जी जब मैं विवाह करके तुम्हारे घर में बहू बनकर आ जाऊंगी तब देखना मैं तुम्हें घर का एक भी काम नहीं करने दूंगी सारा काम मैं ही करूंगी,,,,(सब्जियां तोड़ते हुए झुमरी बोली)

मुझे भी तेरी जैसी ही बहू चाहिए थी मेरे बेटे ने मेरे मन की इच्छा को पूरी कर दिया है ऐसे ही हमेशा बनी रहना हंसते खेलते रहना दूसरे बहुओं की तरह झगड़ा मार मेरे घर में नहीं चाहिए और वैसे भी तू अकेली ही घर में है इसलिए किसी बात की दिक्कत तो होनी नहीं चाहिए,,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मा जी मैं कभी भी शिकायत का मौका नहीं दूंगी,,,,,

बस यही चाहिए मुझे बहु,,,, गुलाबी कभी साथ में विवाह हो जाएगा वह अपने ससुराल चली जाएगी तब घर के कामकाज में घर गृहस्ती में तेरा ही सहारा बना रहेगा,,,,।
(इसी तरह से दोनों सब्जियां तोड़ते हुए बातें कर रहे थे शाम ढल चुकी थी धीरे-धीरे अंधेरा हो रहा था आने वाले खतरे से वह दोनों बिल्कुल अनजान थे,,,, वहीं दूसरी तरफ घोड़ों पर सवार होकर रणजीत सिंह और उसके आदमी लाला की हवेली पर पहुंच गए चार पांच घोड़ों को साथ में आता हुआ देखकर,,,, जो दूसरे दरबार रखे हुए थे वह भी भाग खड़े हुए,,,,,,, घोड़ों को वही हवेली के दरवाजे के पास खड़ा करके रंजीत और उसके आदमी हवेली में प्रवेश कर गए,,,,,, लाला इस बात से अनजान हुक्का गुड़गुड़ा रहा था,,,,, रंजीत सिंह और उसके आदमी को देखते ही लाला एकदम से घबरा गया और बोला,,,,।

तुम लोग इस समय यहां क्या करने आए हो,,,,,

अरे लाला चाचा जी ने बुलवाया है,,,,

चाचा जी लेकिन अभी क्यों कल तक की मोहलत थी ना,,,,


चाचा जी को पता नहीं क्या सो जा और सारी मोहब्बत खत्म कर दिया और तुम्हें और तुम्हारी बहन को गोदाम पर लेकर आने के लिए बोले हैं,,,,


गोदाम पर कौन से गोदाम पर,,,,(लाला आश्चर्य जताते हुए बोला)


अरे तुम्हारे गोदाम पर लाला और कहां,,,,,


देखो रंजीत यह गलत है वादे के मुताबिक कल तक का समय हम लोगों के पास है,,,,,


समय दिया भी तो था चाचा जी ने और दिया हुआ समय वापस भी ले लिया चाचा जी ने इसमें हम क्या कर सकते हैं चलना तो पड़ेगा ही आराम से या जोर-जबर्दस्ती से,,,,, आराम से चलोगे तो तुम्हारा फायदा है जोर जबरदस्ती से चलोगे तो तुम्हारा ही नुकसान है,,,, और हां,,,,(हवेली के चारों तरफ नजर घुमाकर देखते हुए) तुम्हारी वह खूबसूरत बहन कहां है,,,,, चिकनी मखमली बदन वाली खरबूजे जैसी चूची वाली जिसका मजा दबा दबा कर चाचा जी ने ले चुके हैं अब शायद तुम्हारी बहन का दूध पीना चाहते हैं इसीलिए आज ही बुलाए हैं,,,,।
(अपनी बहन के बारे में इस तरह की गंदी बातें सुनकर लाला एकदम से क्रोध से भर गया क्योंकि दोपहर में ही विक्रम सिंह ने उसकी बहन के साथ अभद्र व्यवहार किया था उसके अंगों से खेला था और इस समय उसका भतीजा उसकी बहन के बारे में अत्यधिक गंदी बातें कर रहा था इसलिए लाला से रहा नहीं गया हुआ एकदम से क्रोध से भर गया और जोर से चिल्लाया,,,,)


हरामजादे,,,, तेरी इतनी हिम्मत,,,, मेरी हवेली में खड़ा होकर मेरी बहन के बारे में गंदी बातें कर रहा है,,,,।
(लाला की बात सुनते ही रंजीत सिंह और उसके आदमी जोर-जोर से हंसने लगे,,,,और, रंजीत सिंह हंसते हुए बोला)

रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया सुबह में क्या हुआ था भूल गया ज्यादा हिम्मत देखने का शौक है तो बता देना इसी समय तेरी आंखों के सामने तेरी बहन को चोद डालूंगा और तू कुछ नहीं कर,, पाएगा समझा ऐसे भी तेरी बहन की जवानी पर मेरी भी नजर गड़ी हुई है लेकिन मैं देखना चाहता हूं कि चाचा जी क्या करते हैं उसके बाद जो करना होगा मैं करूंगा,,,,,,,,।
(लाला जानता था कि मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पाएगा इसलिए खामोश हो गया और रंजीत सिंह बोला,,)

चलो ले चलो इसको,,,,, मैं इसकी बहन को लेकर आता हूं,,,,,

नहीं रंजीत छोड़ दे उसे मुझे ले चल,,,, उसे कुछ भी मत करना,,,,।(लाला चिल्लाता है क्या लेकिन उसकी ठीक ना चली रंजीत सिंह के आदमी उसे पकड़ कर हवेली के बाहर लेकर जाने लगे,,,, और रंजीत सिंह लाला की बहन को ढूंढने लगा,,,,,,,, इधर-उधर ढुंढते हुए वह अंदर ही अंदर हवेली के पीछे की तरफ जाने लगा जहां पर रंजीत को लाला की बहन खाना बनाते हुए नजर आ गई और वह मुस्कुराने लगा उसे देखते ही लाला की बहन के हाथ पांव सूख गए ,,, वह एकदम से घबरा गई,,,, और लगभग लगभग चिल्लाते हुए बोली,,,)

तू यहां क्या कर रहा है,,,,

तुझे लेने आया हूं मेरी रानी,,,,


बकवास बंद कर जबान संभाल कर बोल,,,,

भाई बहन दोनों एक जैसे ही हैं,,,, तू भी अपनी भाई की तरह सुबह वाली बात भूल गई जब चाचा जी तेरी चूची को जोर जोर से दबा रहे थे तब तो तेरी अकड़ कहां खो गई थी,,,,

एक अबला नारी पर अपनी मर्दानगी दिखाते तुम चाचा भतीजा को शर्म नहीं आती,,,।

शर्म आती तो सुबह में चाचा जी तेरी चूची से मजा ना लिए होते हम लोगों का तो काम ही यही है,,,,, अब जल्दी से उठ चल मेरे साथ,,,,।

कहां मैं कहीं नहीं जाऊंगी,,,,

अरे तुझे अकेले नहीं ले जा रहे हैं तेरा भैया भी साथ में है,,,,


कहां ले जा रहे मेरे भाई को,,,,

चल देख लेना कहां ले जाते हैं,,,,,(इतना कहने के साथ ही रंजीत आगे बढ़ा और उसका हाथ पकड़कर उठाने लगा लेकिन वह इंकार करने लगी तो,,,, जबरदस्ती उसे अपनी बाहों में जकड़ कर उसी तरह से उठाकर हवेली के बीचो बीच लेकर आया लेकिन जिस तरह से रंजीत सिंह ने उसे उठाया था उसकी गोल गोल गांड रंजीत सिंह के लंड पर रगड़ खा रही थी जिससे रंजीत सिंह एकदम मस्त हुआ जा रहा था,,,,, और उठाने के बहाने वह आगे से ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को जोर जोर से दबा दे रहा था अरिजीत सिंह लाला की बहन को उठाकर ले जाने में मजा भी बहुत ले रहा था और वह चीख रही थी चिल्ला रही थी जिसका रंजीत सिंह पर बिल्कुल भी असर नहीं हो रहा था अगर उसके पास मौका होता तो इसी समय लाला की बहन को पटक कर चोद दिया होता,,,,, लेकिन रंजीत सिंह का ऐसा करना ठीक नहीं था क्योंकि रंजीत सिंह अच्छी तरह से जानता था कि उसके चाचा की नजर लाला की बहन पर है और लाला की बहन की जवानी से खेलना चाहता है अगर उसके पहले वह लाला की बहन के साथ जोर जबरदस्ती किया तो उसके चाचा को बुरा लग जाएगा,,,,, लाला की बहन रंजीत की पकड़ में बहुत तेज फड़फड़ा रही थी इसलिए रंजीत सिंह थोड़ा दम दिखाते हुए उसे उठा कर कंधे पर बोझे की तरह टांग लिया,,,,, और हवेली के बाहर आ गया जहां पर पहले से ही लाला खड़ा था रंजीत सिंह के कंधे पर अपनी बहन को देखकर वह फिर से उसे छोड़ देने की गुहार लगाने लगा लेकिन रंजीत सिंह कहां मानने वाला था वह जिस तरह से उठाया था वह लाला की आंखों के सामने ही साड़ी को उसकी कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड को दिखाते हुए बोला,,,,।


देख ले लाला अपनी बहन की गांड बिल्कुल भी चला कर दिखाने की कोशिश मत करना वरना एक एक करके तेरी बहन की गांड में लंड डालेंगे,,,,,

नहीं नहीं रंजीत ऐसा बिल्कुल भी मत करना जैसा तु कहता है मैं वैसा ही करूंगा,,,,।(रंजीत सिंह को आज राजू पर बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि जब जब मुसीबत की घड़ी आई थी तब तक राजू उस जगह पर गैरहाजिर देता था और आज भी यही हो रहा था रंजीत सिंह ने पहले ही राजू को तैयार रहने के लिए कह दिया था लेकिन राजू गायब था इसलिए उसे ऐसा लग रहा था कि राजू को अपने व्यापार और हवेली के साथ-साथ जमीदारी का बागडोर देना कहीं उसके लिए गलत साबित तो नहीं हो गया है,,,,, रंजीत का आदमी घोड़े पर बैठ चुका था और लाला भी उसके पीछे बैठ गया था रंजीत सिंह ने लाला की बहन सोनी को पहले उठाकर घोड़े पर बैठाया और फिर उसके पीछे बैठ गया उसके पीछे बैठने में घुसे अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था क्योंकि उसका लंड उसकी गांड से स्पर्श हो रहा था जिस तरह से वह पीछे से उसकी बाहों में भी थी लाला की आंखों के सामने ही वह उसके गर्दन पर अपने होंठ रख कर उसके बदन की खुशबू को अपने अंदर खींच रहा था और फिर अपने कुछ आदमियों को बोला,,,।)

तुम तीनों जाओ झुमरी को भी उठा कर ले आओ आज का दिन बहुत अच्छा है आज के दिन में अपने मन की इच्छा पूरी करूंगा और झुमरी को अपनी रखेल बनाकर रखूंगा,,,,,, राजू शादी करना चाहता है ना झुमरी से लेकिन उसके पहले झुमरी के साथ में सुहागरात मनाऊंगा,,,,।
(रंजीत की बात सुनते ही लाला और उसकी बहन एकदम से घबरा गए लेकिन कुछ बोल नहीं पाए और रंजीत के तीनों आदमी जी मालिक कहकर गांव की तरफ निकल गए और रंजीत घोड़े को आगे बढ़ा दिया घोड़े पर आगे लाला की बहन को बैठाने पर उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,,, रंजीत सिंह अपने आदमियों के साथ गोदाम की तरफ निकल गया था और कुछ आदमी गांव की तरफ जहां पर झुमरी और उसकी होने वाली सास अभी भी बातें कर रहे थे अंधेरा हो चुका था रंजीत सिंह अपने उसी आदमी को भेजा था जो दिन-रात झुमरी के पीछे साए की तरह लगा रहता था उसे मालूम था कि झुमरी कहां पर हो कि और देखते ही देखते वह खेतों में पहुंच गया था,,,,।

झुमरी और मधु एकदम से घबरा गए जब तीनों तरफ से घोड़े आकर उनके इर्द-गिर्द नाचने लगे तीनों के मुंह बांधे हुए थे मधु को ऐसा लगा कि शायद डाकू आ गए हैं बदला लेने के लिए और देखते ही देखते हैं उनमें से एक घोड़े से नीचे उतरा और झुमरी का हाथ पकड़कर उसे खींचने लगा हो तो उसे छुड़ाने की कोशिश करने लगे लेकिन मधु को एक धक्का मारा और मधु जाकर नीचे गिर गई,,,,,।

मा जी मुझे बचाओ यह लोग मुझे कहां ले जा रहे हैं,,,

छोड़ दे हरामजादे मेरी बहू को मैं तेरा खून पी जाऊंगी,,,,।
(लेकिन वह लोग बिना कुछ बोले एक बार फिर से मधु को धक्का मारा और वह फिर से नीचे जमीन पर गिर गई,,,, और झुमरी को जबरदस्ती घोड़े पर बैठा कर वह लोग भी गोदाम की तरफ निकल गए और मधु रोते हुए भागते हुए अपने घर की तरफ जाने लगी कि उसे रास्ते में ही श्याम और राजू दोनों मिल गए राजू अपनी मां की हालत देखकर एकदम से घबरा गया और,,,,, दोनों हाथों से उसे पकड़ कर बोला,,,)


यह क्या हो गया मां तुम ऐसे क्यों भाग रही हो,,,,

मैं लुट गई बेटा मेरी बहू को डाकू उठाकर ले गए,,,,,


क्या डाकू,,,,?(राजू एकदम से आश्चर्य जताते हुए बोला श्याम भी एकदम से घबरा गया था क्योंकि वह समझ गया था कि किसे उठाकर ले गए हैं,,,,,)

हां बेटा हम दोनों सब्जी तोड़कर खेत में से आ रहे थे तभी 3 घुड़सवार हम दोनों को तीनों तरफ से घेर लिया और उसमें से नीचे उतरा तीनों के मुंह पर कपड़ा बंधा हुआ था और मुझे धक्का देकर बहू को उठाकर ले गया,,,,,


कहां ले गया मा,,,,,

वही जो थोड़ा बहुत जंगल जैसा रास्ता है सीधा तेरे गोदाम की तरफ,,,,, कुछ कर बेटा नहीं तो गजब हो जाएगा,,,,


तुम चिंता मत करो मैं लेकिन यह बात गांव में किसी को भी मत बताना वरना बदनामी हो जाएगी,,,,, तुम घर जाओ मैं कुछ करता हूं,,,,

(मधु अपने घर की तरफ चली गई,,,, श्याम जोकी बहुत चिंतित था वह बोला,,,)

अब क्या करें राजू कौन ले गया होगा,,,,

यह डाकू का काम नहीं हो सकता अगर वह तीनों डाकू होते तो मां को भी उठाकर ले जाते यह जरूर रंजीत सिंह का काम है,,,,


रंजीत सिंह वह जमीदार विक्रम सिंह का भतीजा,,,,


हां भाई हराम ज्यादा उसकी नजर बहुत पहले से ही झुमरी पर है,,,,,

मैं उसका खून पी जाऊंगा राजू,,,,,

श्याम अब हम लोगों के पास समय भी नहीं है कि हम लोग अपने आदमियों को बुलाएं क्योंकि उन्हें तो कल आने के लिए खड़े हैं और आज ही यह सब कांड हो गया है हमें ही कुछ ना कुछ करना होगा,,,, तु यही रुक मैं अभी आता हूं,,,।

(इतना कहने के साथ ही राजू दौड़ता हुआ गया और थोड़ी ही देर में दो बंदूक लेकर आ गया एक शाम को पकड़ाते हुए बोला,,,।)

तू चला तो लेगा ना,,,


बिल्कुल श्याम आज तो इज्जत का सवाल है आज मैं किसी को भी नहीं छोडूंगा,,,,


चल पहले लाला के वहां चलते हैं,,,,, वहां पर दरवाजे पर पहरेदार होंगे उन्हें भी साथ में ले लेते हैं,,,।

तु ठीक कह रहा है श्याम,,,।
(दोनों लगभग भागते हुए हवेली की तरफ जाने लगे अंधेरा हो चुका था इसलिए किसी के भी द्वारा देखे जाने की गुंजाइश बिल्कुल भी नहीं थी,,,, किसी को कानो कान खबर नहीं थी कि झुमरी को डाकू उठा ले गए हैं सब लोग निश्चिंत होकर अपना अपना काम कर रहे थे लेकिन राजू के घर सन्नाटा छाया हुआ था क्योंकि मधु ने अपने पति और गुलाबी को इस बात के बारे में बता दी थी और वह दोनों भी एकदम चिंतित नजर आ रहे थे,,,,,,, धीरे-धीरे रात गहराने लगी थी राजू और श्याम दोनों बहुत चिंतित थे राजू अपने मन में सोच रहा था कि ना जाने वह हराम ज्यादा झुमरी के साथ क्या-क्या किया होगा,,,,, यह सब सोचते सोचते हो वह दोनों हवेली पर पहुंच गए लेकिन हवेली के दरवाजे पर पहुंचे तो पहरेदार गायब था दरवाजा खुला हुआ था हवेली की तरफ भाग कर अंदर गए तो हवेली के अंदर का भी दरवाजा खुला हुआ था उन दोनों को कुछ अजीब होने की गंध आ गई थी हवेली के अंदर जाकर देखे तो कहीं कोई भी नहीं था राजू को समझते देर नहीं लगी कि विक्रम सिंह ने अपना कारनामा कर दिया है,,,,, राजू एकदम गुस्से में था और वह दीवाल में सजावट के लिए रखी हुई धारदार कटार को ले लिया है कटार श्याम को दिया और एक अपने कमर में खोज दिया क्योंकि वह जानता था कि वहां पर इस तरह के हथियार की जरूरत पड़ेगी,,,, श्याम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था इसलिए वह बोला,,,।


राजू मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है हवेली में भी कोई नहीं है दरवाजे पर भी कोई नहीं है लाला और उसकी बहन गए कहां,,,,


तू नहीं जानता श्याम झुमरी की तरह लाल और उसकी बहन को भी विक्रम सिंह के आदमी उठा लिए हैं,,,,।

हे भगवान आज क्या गजब होने वाला है,,,(श्याम घबराहट भरे स्वर में बोला)

आज विक्रम और रंजीत दोनों की मौत आई है आज वह दोनों मेरे हाथ से बच नहीं पाएंगे,,,,,,
(और इतना कहने के साथ ही राजू और श्याम दोनों गोदाम की तरफ निकल गए,,,,,,,।
गोदाम का नजारा पूरी तरह से बदल चुका था जहां रात का सन्नाटा झींगुर की आवाज और जंगली जानवर की आवाज के साथ गुजरता था वहीं पर आज महफिल जमी हुई थी,,,,,,,, रंजीत सिंह के आदमी झुमरी को भी लेकर गोदाम में पहुंच चुके थे,,,,,,,,,।

गोदाम के बीचो बीच विक्रम सिंह बिछे हुए गद्दे पर आराम से बैठा हुआ था,,,, लाला के हाथ और पैर दोनों बैठे हुए थे और वह खड़ा होकर अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रहा था,,,, सोनी सहमी सी खड़ी थी जिसे देखकर विक्रम सिंह लार टपका रहा था,,,,, और वहीं पर झुमरी को रंजीत सिंह पीछे से दोनों हाथों को पकड़कर खड़ा था और वह सूखने की कोशिश कर रही थी जिसकी वजह से झुमरी की गोल-गोल गांड रंजीत सिंह का लंड पर स्पर्श कर जा रही थी जिसकी वजह से रंजीत सिंह का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और इस बात का एहसास झुमरी को भी बहुत अच्छी तरह से हो रहा था और वह बार-बार अपनी गांड को उसके लंड की पहुंच से दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन बार-बार रंजीत अपनी कमर को आगे की तरफ कर दे रहा था,,,,,

देख लाला तुझे मैंने इतनी इज्जत से समझाया लेकिन तू नहीं माना इसलिए मुझे जोर-जबर्दस्ती करना पड़ रहा है,,,, अगर तू बिना जोर-जबर्दस्ती के सब कुछ मेरे नाम कर दिया होता तो शायद यह दिन तेरे को देखना नहीं पड़ता और तेरी बहन भी सही सलामत रहती,,,,

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विक्रम सिंह में सब कुछ तेरे नाम करने को तैयार हूं लेकिन मेरी बहन को छोड़ दें,,,,,

तेरी बहन के साथ साथ आज भी नहीं चिड़िया भी हाथ लग गई है रंजीत तेरी पसंद भी बहुत लाजवाब है देख कैसी चिड़िया की तरह फड़फड़ा रही है,,,,,

चाचा जी बहुत दिनों से इसके ऊपर मेरी नजर थी आज जाकर हाथ में आई है,,,,

तो आज जी भर कर इसके साथ अपने अरमान पूरे कर लेना बाद में क्या हो किसको क्या पता,,,,,
(इशारे ही इशारे में विक्रम सिंह रंजीत सिंह के सामने अपनी मनसा दर्शा रहा था लेकिन रंजीत सिंह समझ नहीं पा रहा था और वह अपने चाचा की बात सुनकर उसकी हां में हां मिलाते हुए बोला,,,)

सही कह रहे हो चाचा इसीलिए तो मैं तुम्हारे लिए लाला की बहन और अपने लिए इस फुलझड़ी को लेकर आया हूं,,,,

इस फुलझड़ी का स्वाद पहले तू चकले ना उसके बाद में इसकी गुलाबी पत्तों को मसल लूंगा क्योंकि इसकी उम्र की गुलाब की कली से खेलने का मजा ही कुछ और है,,,,,


मुझे जाने दो मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं मैंने क्या बिगड़ा है तुम्हारा,,,,(उन दोनों की बात सुनकर झुमरी रोते हुए उन दोनों से बोली लेकिन इसका उन दोनों पर बिल्कुल भी असर नहीं पड़ रहा था बल्कि विक्रम सिंह झुमरी की बात सुनकर बोला)

तुम्हारा यही कसूर है कि तुम बहुत खूबसूरत हो और इस लाला की बहन की भी यही बदकिस्मती है कि यह एकदम मक्खन मलाई की तरह है जिस पर मेरा मन आ गया है,,,,,

नहीं विक्रम सिंह ऐसा बिल्कुल भी मत करना मैं सब कुछ तेरे नाम पर करने को तैयार हूं फिर तू ऐसा जुल्म क्यों कर रहा है,,,,,
Lala ki bahan soni


चल अच्छा ठीक है लाला तेरी बात मैं मान लेता हूं तो सब कुछ मेरे नाम पर कर दें और यहां से अपनी बहन को लेकर और इस फुलझड़ी को भी लेकर चले जा,,,,,

लाओ मैं दस्तखत कर देता हूं आज से मेरा इस गोदाम पर जमीन जायदाद पर बिल्कुल भी हक नहीं है,,,,

रंजीत कागजात लेकर आ और पेन लेकर आ,,,,

जी चाचा जी,,,,।
(और जल्दी से रंजीत सिंह कागजात और पेन लेकर आया जिस पर रंजीत सिंह एक-एक करके सभी पन्नों पर लाला के हस्ताक्षर ले लिया और अब लाला पूरी तरह से अपनी जमीन जायदाद हवेली गोदाम सब कुछ विक्रम सिंह के नाम कर चुका था जिसकी तसल्ली कर लेने के बाद मुस्कुराता हुआ रंजीत अपने चाचा के पास आया और उसे कागजात दिखाने लगा,,,, ताजा देखते ही विक्रम सिंह की आंखों में चमक आ गई और वह तुरंत रंजीत सिंह के हाथों से कागजात लेकर उसे गोल गोल घुमा कर अपने कुत्ते के अंदर डाल दिया,,,,)

अब लाला तुमने अच्छा काम किया है,,,,

अब हमें जाने दो विक्रम सिंह हम दोनों भाई बहन यह गांव छोड़कर बहुत दूर चले जाएंगे,,,,,,।

चले जाना अब तुम्हें मैं नहीं रोकूंगा,,,,, लेकिन अभी एक काम और मेरा रह गया है,,,,

क्या,,,,?

तुम्हारी बहन को अपनी रखेल बना कर रखना,,,,


विक्रम सिंह यह क्या बकवास है तेरे कहने के मुताबिक मैंने सब कुछ तेरे नाम पर कर दिया हूं फिर ऐसा क्यों,,,?

क्योंकि तेरी बहन पर मेरा दिल आ गया है और मैं जिंदगी भर इसे अपने साथ रखना चाहता हूं बहुत गर्म है तेरी बहन इसका अंग अंग मदहोश कर देने वाला कितना मजा आएगा जब मैं तेरी बहन की बुर में लंड डालूंगा,,,,
Lala ki bahan


हरामजादे कुत्ते,,,,,


रंजीत इसका हाथ फिर से बांध दें इसे लग रहा था कि सब कुछ मेरे नाम पर कर देगा तो भी मैं इसे जाने दूंगा ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता मैं अपने दुश्मन को कभी नहीं छोड़ता,,,,,।

सही कह रहे हो चाचा जी,,,,
(इतना कहने के साथ ही रंजीत आगे बढ़ा और लाला के हाथ को फिर से बांध दिया लाला की बहन सोनी एकदम से घबरा गई डर के मारे उसके पसीने छूटने लगे,,,,, दूसरी तरफ लगातार झुमरी जाने के लिए हाथ जोड़कर मना रहे थे लेकिन उसकी बात का किसी पर भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था क्योंकि उसे भी तो मस्ती करने के लिए उठाकर लाए थे इसलिए कैसे छोड़ देते हैं और विक्रम सिंह भी झुमरी की जवानी को देखना चाहता था उसके अंगों से खेलना चाहता था उससे जी भर कर मजा लेना चाहता था इसलिए अपने एक आदमी को आदेश दिया,,,,)

इसका भी दोनों हाथ बांध दो और मुंह भी बांध दो बहुत शोर मचाती है,,,,।
(विक्रम सिंह के आदेश पर झुमरी का भी हाथ और मुंह दोनों बांध दिया गया,,,,, और फिर विक्रम सिंह जोर से चिल्लाया,,,,)

मेरी जान,,,, अब जल्दी से अपने कपड़े उतारना शुरू कर दें वरना तेरे कपड़े उतारे नहीं जाएंगे फाड़े जाएंगे,,,

नहीं विक्रम सिंह ऐसा मत करो मेरी बहन को जाने दो,,,,

कैसे जाने देना ना तेरी बहन ने रातों की नींद हराम करके रखी है,,,, तू कपड़े उतार वरना तेरे भाई के सीने में गोली दाग दूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही विक्रम सिंह बंदूक को अपने हाथ में उठा लिया और उसका निशाना लाला के सीने पर लगा दिया,,,)

नहीं नहीं जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करने को तैयार हूं,,,


तो जल्दी से एक एक करके अपने कपड़े उतार अपनी जवानी दिखा वरना तेरा भाई चैन की नींद सो जाएगा,,,।
(सोनी एकदम से घबरा गई थी वह समझ गई थी कि विक्रम सिंह कुछ भी कर सकता है क्योंकि अपने वादे के मुताबिक वह जमीन जायदाद सब कुछ अपने नाम कर लेने के बावजूद भी उन दोनों को जाने नहीं दे रहा था,,,,, वह जल्दी से विक्रम सिंह के ठीक सामने आकर खड़ी हो गई थी तकरीबन दोनों के बीच 2 मीटर की दूरी थी वह अपने साड़ी का पल्लू अपने कंधे पर से नीचे गिरा दी थी जिससे उसका जोबन से भरा हुआ छाती एकदम से लहरा उठा था,,,,, लेकिन फिर वह झुमरी की तरफ देखी और बोली,,,,)

विक्रम सिंह मैं तो तुम्हारे पास हूं ना उस लड़की को जाने दो वह नादान है,,,,


तुझे नादान दिखती है पूरी जवानी से भरी हुई है और लड़कियों के मामले में तो मुझे समझाने की कोशिश मत कर तुझ से ज्यादा मुझे अनुभव है,,,,।
(सोनी अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसके किसी भी बात का विक्रम सिंह के पर असर पड़ने वाला नहीं है इसलिए वह उसकी बात मानते हुए अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी लाला से यह देखा नहीं जा रहा था और वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमा लिया था बाकी विक्रम सिंह के साथी इस नजारे को बड़े चाव से देख रहे थे,,,, और दूसरी तरफ राजू और श्याम दोनों गोदाम के पास पहुंच चुके थे गोदाम से थोड़ी दूरी पर उन्हें एक पायल मिली थी जो कि झुमरी की ही थी उस पागल को देखकर ही राजू दिन से आग बबूला हो गया था क्योंकि वह इस पायल को पहचानता था उसने कई बार झुमरी से प्यार करते हुए उसके पायल को भी चूमा था,,,, अपनी बहन के पायल को देखकर श्याम एकदम से क्रोधित हो गया और चिल्लाने वाला था कि उसे रोकते हुए राजू बोला)

शांति से कामले श्याम ,,,, तू इस तरह से चिल्लाएगा तो सारा काम बिगड़ जाएगा हमें दिमाग से काम लेना है क्योंकि वह लोग ज्यादा संख्या में है,,,,, आराम से एकदम आराम से और हां अपनी कटार हाथ में ले ले बंदूक का प्रयोग बिल्कुल भी मत करना हमें किसी भी तरह से गोदाम के अंदर दाखिल होना है,,,,,(इतना कहते हुए दोनों सीधे गोदाम के सामने पहुंच गए जहां ढेर सारी झाड़ियां थी उसे झाड़ियों के पीछे छुपकर देखने लगे गोदाम के बाहर 5 लोग पहरेदारी कर रहे थे उन्हें देखकर राजू सोच में पड़ गया और तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी,,,,)

दूसरी तरफ सोनी धीरे-धीरे करके अपने ब्लाउज का बटन खोल रही थी और आखरी बटन के खुलते ही उसके मदमस्त कर देने वाले दोनों खरबूजे हल्के हल्के नजर आने लगे जिस पर नजर पड़ते ही विक्रम सिंह की सांस ऊपर नीचे होने लगी और यह नजारा बाकी लोग भी देखकर उत्तेजित होने लगे लेकिन लाला शर्मिंदगी के एहसास से गड़ा जा रहा था और राजू को सब कुछ सपने के एवज में आज अपने आपको ही कोश रहा था,,,,,।

वह मेरी रानी तेरी जैसी चूचियां तो मैंने आज तक किसी की भी नहीं देखी इतनी कड़क खरबूजे जैसी तनी हुई देखकर ही मुंह में पानी आ जाता है जल्दी से ब्लाउज उतार कर फेंक दे,,,, मैं तुझे जल्द से जल्द नंगी देखना चाहता हूं,,,,,।
(सोनी अंदर ही अंदर क्रोध से चली जा रही थी लेकिन कुछ कर नहीं सकती थी इसलिए विक्रम सिंह की बात मानते भी अपने ब्लाउज को उतारने लगी,,,.

वहीं दूसरी तरफ राजू के घर में सन्नाटा मचा हुआ था उसकी मां उसके पिताजी उसकी बुआ तीनो लोग एकदम चिंतित थे कुछ समझ में नहीं आ रहा था तभी श्याम की मां झुमरी को खोजते हुए मधु के घर आ गई और दरवाजे पर दस्तक देने लगी दरवाजे पर हो रही दस्तक की आवाज सुनकर तीनों एकदम से घबरा गए लेकिन फिर तीनों को ऐसा लगा कि शायद राजू वापस आ गया होगा इसलिए मधु तुरंत उठ कर खड़ी हुई और भागते हुए गई दरवाजा खोल दी लेकिन दरवाजा के खुलते ही सामने श्याम की मां को देख कर मधु फिर से उदास हो गई ,,,,,,, और शयाम की मां चिंतित स्वर में मधु से बोली,,,,।

झुमरी आई है क्या यहां पर,,,,।
(इतना सुनकर मधु उदास हो गई और फिर से कमरे की तरफ जाने लगी तो हरीया बोला,,,)


श्याम की मां गजब हो गया है,,,, झुमरी को डाकु उठा ले गए,,,,

यह क्या कह रहे हो राजू के बापू,,,,,

मैं ठीक है रहा हूं राजू और श्याम उन्ही के पीछे गए हैं,,,,,
(इतना सुनते ही श्याम की मां जोर से रोने ही वाली थी एकदम से चुप कराते हुए बोली)

चुप रहो श्याम की मां बिल्कुल भी शोर मत मचाना अगर गांव जवार को पता चल गया तो कल को मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाएंगे,,,,


मैं तो जीते जी मर जाऊंगी राजू की मां,,,


हमारी भी तो इज्जत का सवाल है आखिरकार वह हमारे घर की होने वाली बहू है,,,,


चिंता मत करो भाभी जरूर कुछ ना कुछ जुगाड़ कर लेगा देखी नहीं थी डाकुओं को कैसे मार भगाया था,,,,

अब तो राजू से ही उम्मीद है,,,,(,,, राजू की मां श्याम की मां की तरफ देखते हुए बोली)


दूसरी तरफ राजू झुमरी के पायल को अपने हाथ में लेकर उसे झाड़ियों के अंदर बजाने लगा,,,, वह पहरेदारी कर रहे आदमियों का ध्यान अपनी तरफ भटका ना चाहता था और ऐसा ही हुआ पायल की आवाज सुनकर उन लोगों का ध्यान झाड़ियों में गया तो उन लोगों को कुछ समझ में नहीं आया जो कि राजू नीचे झुक कर देर तक बजाता रहा,,,, तभी उनमें से एक बोला,,,)

कहीं झाड़ियों में लड़की तो नहीं आई है जा जाकर देख तो सही हम लोगों का भी दिन बन जाए,,,,

अभी जा कर देखता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही 2 लोग झाडीयों की तरफ जाने लगे,,,, राजू धीरे-धीरे पायल बजाता हुआ पीछे की तरफ जा रहा था ताकि झाड़ियों में कुछ भी दिखाई ना दे और श्याम को उसी तरह से दुबक कर बैठने के लिए कहा था देखते ही देखते दोनों आदमी झाड़ियों के अंदर जाने लगे अंधेरा बहुत था और उन दोनों ने एक बेवकूफी की थी कि हाथ में लालटेन लेकर नहीं आए थे वह दोनों उसी तरह से पायल की आवाज की तरफ आगे बढ़ने लगे उन दोनों के मन में यह लालच थी कि शायद कोई औरत होगी और इसी लालच में हो दोनों आगे बढ़ते चले जा रहे थे जब राजू को लगने लगा कि उन लोगों का कद झाड़ियों से कम हो गया है तो राजू ने श्याम को इशारा किया और राजू खुद निकल कर बाहर आया और,,,, जैसे ही दोनों की नजर राजू और श्याम पर पड़ी वह दोनों कुछ बोल पाते इससे पहले ही एक तरफ से श्याम और दूसरी तरफ से राजू ने कटार का वार दोनों के गर्दन पर कर दिया और दोनों एक साथ नीचे गिर गए,,,,,,,,, और फिर दोनों को खींचकर थोड़ी दूर पर ले जाकर वापस अपनी जगह पर आकर पायल बजाने लगे,,,,।

दूसरी तरफ गोदाम के अंदर का नजारा मदहोशी से भरने लगा था कमर के ऊपर लाला की बहन सोनी एकदम नंगी हो चुकी थी उसकी मदमस्त कर देने वाली दोनों चूचियां अपनी जवानी की आबादी कह रही थी जिसे देखकर विक्रम सिंह के साथ-साथ रंजीत सिंह और उसके आदमी उत्तेजित हुए जा रहे थे,,, और इस बेशर्मी भरे नजारे को देखकर झुमरी अपनी आंखों को बंद कर ली थी उसे इस बात का डर था कि अब उसका भी नंबर आने वाला है वह लोग उसे छोड़ने वाले नहीं हैं,,,,।

वह मेरी रानी तेरी चूची पर तो पूरी सल्तनत लुटाने के लिए तैयार हूं इतनी कम सीन मदमस्त चूचियां मैंने आज तक नहीं देखा,,,(विक्रम सिंह की बातों को सुनकर लाला की बहन शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी लेकिन कुछ कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी और दूसरी तरफ लाला अपनी आंखों को दूसरी तरफ घुमा कर खून के आंसू रो रहा था और विक्रम सिंह अगला आदेश देते हुए बोला,,,)

अब अपनी साड़ी भी उतार मेरी जान,,,,,(और इतना कहने के साथ ही बंदूक को वापस लाला के छाती पर निशाना लगाते हुए मुस्कुराने लगा और फिर सोनी अपनी साड़ी के गीत हम जो की कमर से खोंश उसे खोलने लगी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को उतारने लगी एक औरत का अपने हाथों से साड़ी उतार कर मर्द को खुश करने का अदा ही कुछ और होता है जिसमें नशा ही नशा होता है लेकिन चारदीवारी के अंदर अगर औरत अपनी खुशी से किसी मर्द को खुश करने के लिए क्या करें तो चार चांद लग जाता है लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं था सोनी मजबूरी में विक्रम सिंह और उसके आदमियों के बीच अपने वस्त्र का त्याग करके नंगी होने जा रही थी इसलिए अंदर ही अंदर वह भी खून के आंसू रो रही थी ऐसा करना उसकी मजबूरी थी,,,, और देखते ही देखते वह अपने साड़ी को उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया और इस समय विक्रम सिंह की आंखों के सामने वह केवल पेटीकोट में ही थी,,,,,


दूसरी तरफ अपने दोनों आदमियों को वापस आता ना देख कर तीनों थोड़े चिंतित हो गए तो दो फिर से आगे बढ़ गए देखने के लिए कि आखिरकार दोनों गए कहां उन दोनों के मन में ऐसी शंका थी क्या नहीं दोनों वाकई में किसी औरत के साथ मस्ती तो नहीं करने लगे क्योंकि पायल की आवाज अभी भी लगातार आ रही थी इसलिए थोड़ी देर में वह दोनों भी उसी जगह पर पहुंच गए जहां पर राजू और श्याम छुपे हुए थे और राजू और सामने इन दोनों का भी वही हाल किया जो उन दोनों का किया था अब रह गया था अब रह गया था पांचवा,,,,,,, 4 लोगों को मौत के घाट उतार कर श्याम और राजू का आत्मविश्वास बढ़ चुका था वह लोग फिर से पायल को उसी तरह से बचाने लगे और पांचवा पहरेदार एकदम से परेशान हो गया उसके मन में डर भी था कि कहीं कुछ अजीब तो नहीं हो गया है और इस बात की उत्सुकता भी थी कि कहीं यह चारों औरत के पीछे तो नहीं चले गए,,,,, और इसीलिए वह भी धीरे से भी जगह की तरफ आगे बढ़ा लेकिन उसके हाथ में लालटेन थी वह थोड़ा चालाक था और जैसे ही झाड़ियों के पास पहुंचा लालटेन की रोशनी में राजू उसे नजर आ गया और वह शोर मचा था इससे पहले ही राजू ने अपनी कटार को खींचकर उसके ऊपर वार किया और कटार सीधे उसकी गर्दन में घुस गई और उसके शब्द उसके गले में ही घुट कर रह गए और वह तुरंत नीचे गिर गया राजू तुरंत आगे बढ़ा और उसके गले में से कटार को निकाल लिया,,,,


दूसरी तरफ सोनी को सिर्फ पेटीकोट में देखकर विक्रम सिंह की आंखों में हवस की चमक नजर आने लगी वह पूरी तरह से मदहोश हो गया और अपनी जगह से खड़ा होकर वह खुद सोनी के पास आ गया और उसके लाल-लाल होठों पर अपने हॉट रखते हुए बोला,,,,

आज सारी रात तेरे साथ मजे लूंगा ,,,(और इतना कहने के साथ ही,,,, अपना एक हाथ पेटीकोट की डोरी पर रखकर उसे तुरंत अपनी उंगलियों के बीच दबाया और झटके से साथ खींच दिया और अगले ही पल पेटीकोट सोनी की कमर से एकदम से ढीली हो गई और विक्रम सिंह ने अपने हाथ से उसे छोड़ दिया और पेटीकोट भर बनाकर उसके कदमों में जा गिरी और पल भर में ही सोनी सब लोगों की आंखों के सामने एकदम नंगी हो गई लालटेन की पीली रोशनी में उसकी नंगी जवानी पूरी तरह से आभा बिखेर रही थी उसकी जवानी तेज से भरी हुई थी जिसे देखकर अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो गया था,,,,,।

सोनी की खूबसूरत नंगी जवानी रणजीत सिंह भी पागल हो गया था और वह तुरंत सोनी के करीब आ गया था,,,,,, और वह अपने चाचा की आंखों के सामने ही सोने की गोल-गोल गांड पर हाथ रखकर हल्के से दबाते हुए अपने चाचा से बोला,,,,।

चाचा जी इसकी गांड एकदम मक्खन की तरह चीकनी है मेरी तो उंगलियां फिसल जा रही है,,,,।
(बस फिर क्या था विक्रम सिंह की आंखों में खून उतर आया था वह रंजीत की हरकत से कल्पना करने लगा था कि इसी तरह से रंजीत सिंह उसकी बीवी की गांड को भी अपनी हथेली में लेकर दबाया होगा उसकी चूचियों को दबा दबा कर अपनी मुंह में लेकर पिया होगा उसकी पूर्ण कर रस अपने होठों से चाटा होगा उसकी औरत बेशर्म बनकर अपने ही भतीजे के साथ मजा ली होगी,,,, यही सब सोच कर नसका दिमाग खराब हुआ जा रहा था उसके दिलो-दिमाग पर यह सभी दृश्यों के साथ एक दृश्य और छाया हुआ था कि उसकी बीवी अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी भतीजे के लंड को अपनी बुर में लेकर उसकी नंगी पीठ पर अपनी हथेलियां फिरा रही होगी और रंजीत अपनी चाची की बुर में अपना लंड डालकर जोर-जोर से अपनी कमर हिला रहा होगा यह सब सोचकर वह एक दम से आग बबूला हो गया और रंजीत की तरफ देखता हुआ बोला,,,)

एकदम मक्खन जैसी ना रंजीत,,,

हां चाचा जी बहुत मजा आएगा,,,,।

बहुत मजा आएगा ना,,,, हां बहुत मजा आएगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही गद्दे पर पड़ा चमड़े का पट्टा हाथ में ले लिया और रंजीत की तरफ गुस्से से देखते हुए बिना कुछ बोले उसकी पीठ पर वह चमड़े का पट्टा चला दिया,,,, और जैसे ही वह चमड़े का पट्टा रंजीत सिंह के पीठ पर पड़ा वह एकदम दर्द से चीख पड़ा,,,)

आहहह चाचा जी के क्या कर रहे हैं,,,,।
(इस नजारे को देखकर सब कोई हैरान हो गए विक्रम सिंह के गुस्से और अपने ही भतीजे पर पट्टा चलाना किसी को समझ में नहीं आ रहा था और फिर दूसरा वार करते हुए विक्रम सिंह बोला)

औरतों को नंगी देखने के बाद तेरा दिमाग काम नहीं करता ना,,,,(ऐसा कहने के साथ ही फिर से विक्रम सिंह ने उस पर चमड़ी के पट्टे का वार किया पल भर में ही रंजीत सिंह का कुर्ता एकदम से फट गया और उसकी पीठ पर लाल निशान पड़ गए जिसमें से खून बहने लगा,,,, विक्रम सिंह के आदमियों को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है और किसी की हिम्मत भी नहीं थी विक्रम सिंह से पूछने की,,,, विक्रम सिंह गुस्से में आकर पट्टे का वार पर वार करने लगा,,,, रंजीत सिंह को समझ में नहीं आ रहा था कि सब क्या हो रहा है वह पूछे जा रहा था कि आखिरकार उसका गुनाह क्या है तो गुस्से में विक्रम सिंह बोला,,,)

हरामजादे तुझे पता नहीं है कि तेरा गुनाह कौन सा है तूने क्या गुनाह किया है मेरी पीठ पीछे मेरे ही घर की इज्जत से खेल रहा था तू वह तो अच्छा हुआ कि नौकर ने बता दिया,,,,,, वरना तू,,,,(इतना कहने के साथ ही फिर से जोर से खींचकर पट्टा मारा और रंजीत सिंह के मुंह से चीख निकल गई रंजीत से समझ गया था कि अब उसका बचना असंभव है,,,, उसका वार उसी पर भारी पड़ गया था वह कुछ और सोच कर आया था लेकिन सब कुछ उल्टा पड़ गया था,,,,,, तभी वह विक्रम सिंह के वार से थोड़ी दूर जाकर गिरा और फिर अपने ही आदमी के हाथ से धारदार तलवार खींच लिया और विक्रम सिंह की तरफ चिल्लाता हुआ जोर से थोड़ा ही था कि विक्रम सिंह फुर्ती दिखाता हुआ बंदूक उठा लिया और गोली दाग दिया रंजीत सिंह के सीने में रंजीत सिंह हवा में ही लटक कर रह गया और तुरंत नीचे गिर गया,,,,, गोली की आवाज सुनकर विक्रम सिंह के आदमी भी एकदम से घबरा गए रंजीत सिंह का काम तमाम हो चुका था,,,,,,

यह गद्दार है हमारे साथ गद्दारी किया है इसकी यही सजा है तुम दोनों इसीलिए जाकर पीछे नदी में फेंक दो,,,,,।
(इतना सुनते ही दोनों आदमी रंजीत सिंह को उठाकर गोदाम के पीछे की तरफ ले जाने लगे और गोली की आवाज सुनकर बाहर खड़े राजू और श्याम एकदम से घबरा गए थे उन्हें कुछ अंदेशा होता हुआ महसूस होने लगा और वह लोग तुरंत धीरे से गोदाम का दरवाजा खोलकर गोदाम में प्रवेश कर गए और अनाज के बोरे के पीछे से सब कुछ देखने लगे,,,,, विक्रम सिंह की बात सुनकर इतना तो सब लोग समझ गए थे कि विक्रम सिंह के घर में ही रंजीत सिंह उनकी इज्जत से खेल रहा था,,, फिर भी पूरी तरह से नग्न अवस्था में खड़ी सोनी हिम्मत दिखाते हुए विक्रम सिंह से बोली,,,)

तुमने अपने ही भतीजे का खून क्यों कर दिया,,,,।
(इतना सुनते ही राजू और से हम समझ गए थे कि जो गोली की आवाज आई थी वह गोली रंजीत सिंह के लिए चली थी लेकिन ऐसा क्यों हो गया यह भी श्याम नहीं जानते थे)

हमारी नजर में गद्दारी की सजा यही है,,,,, उसने हमारे साथ गद्दारी किया था जिसका फल उसे मिल चुका है,,,,,,,।
(राजू और श्याम दोनों अनाज के बोरे के पीछे छिपकर सब कुछ देख रहे थे कहां कौन खड़ा है सब कुछ समझ रहे थे धीरे से वह लोग आगे बढ़े और एक-एक करके सारे आदमियों के सर पर वार करके धीरे से बेहोश कर दिया जिसके बारे में किसी को पता तक नहीं चला,,,, यह राजू के सूझबूझ का ही नतीजा था कि बिना गोली चलाई उन दोनों ने आधे से ज्यादा लोगों को चैन की नींद सुला दिए थे जिससे उन दोनों का आत्मविश्वास भी बढ़ गया था,,,,)

बस मेरी रानी अब बिल्कुल भी देर मत करो मुझसे रहा नहीं जा रहा है तुम्हारी जवानी से खेलने के बाद में इस हसीना की जवानी से भी खेलूंगा देखो तो सही इस उम्र में यह कितना पानी छोड़ती है,,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपने पर जाने की डोरी को खोलकर धीरे से उसे नीचे छोड़ दिया और अपने खड़े लंड को हाथ में लेकर खिलाते हुए वह सोनी के कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ बैठने के लिए इशारा करने लगा अभी तक किसी को भी कानो कान खबर तक नहीं हुई थी कि गोदाम में राजू और शयाम दोनों आ चुके हैं,,,,।
दूसरी तरफ मधु बहुत चिंतित थी वह अपने बेटे और बहू दोनों के लिए बहुत परेशान थी उसे रहा नहीं जा रहा था इतना तो उसे पता था कि वह लोग गोदाम की तरफ गए इनसे दूर किसी तरह से वह धीरे से अपने घर से बाहर निकली और गोदाम की तरफ चली गई आखिरकार वाह एक मां थी और अपने बेटे को मुसीबत में देखकर वह शांति से कैसे बैठ सकती थी,,,,।

सोनी का मन बिल्कुल भी नहीं था लेकिन विक्रम सिंह की बात माने बिना उसके पास कोई और चारा भी नहीं था वह धीरे मसे घुटनों के बल बैठ गई हो अपना हाथ आगे बढ़ाकर विक्रम सिंह के लंड को अपने हाथ में पकड़ ली,,,,, राजू और श्याम सब कुछ देख रहे थे अभी भी सामने की तरफ दो आदमी थे जो झुमरी की तरफ खड़े थे राजू और श्याम दोनों धीरे से दोनों तरफ से आगे बढ़े अनाज के बोरे की आड़ में अपने आप को छुपते छुपाते उन दोनों के पास पहुंचे और,,,, दोनों को मार गिराया दूसरी तरफ सोनी के नरम नरम हाथों में अपने मोटे लंड को महसूस करते हैं विक्रम सिंह उन्मादित स्थिति में अपनी आंखों को बंद कर लिया था इसलिए उसे कुछ पता नहीं चला,,,,, राजू तुरंत वहां से दौड़ते हुए विक्रम सिंह के पास आया सोनी उसके लंड को मुंह में भरती उससे पहले ही एक लात मार कर विक्रम सिंह को चारों खाने चित कर दिया,,,,, विक्रम सिंह तो मानो आसमान से सीधा नीचे गिर गया हो उसे कुछ समझ में नहीं आया जब आंख खोल कर देखा तो उसके सामने राजू खड़ा था और राजू हाथ में बंदूक लिए हुए जोर से चिल्लाया,,,,।

हरामजादे तेरा खेल खत्म हो गया है,,,,,।
(इतना सुनते ही झुमरी जो अब तक आंखों को बंद किए हुए थे वह तुरंत राजू की आवाज सुनते ही आंखों को खोल दी और जोर से चिल्लाते हुए बोली,,,,।)

राजु,,,,,, राजू तुम आ गए,,,,
(तब तक लाला की भी जान में जान आ गई थी वह देखा तो राजू खड़ा था उसकी आंखों में चमक आ गई और वह भी जोर से चिल्लाया)

राजू तू आ गया,,,,,,।
(सोनी को भी अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वह भी राजू को अपनी आंखों के सामने देख कर खुश होते हुए बोली)

राजू तुम आ गए,,,,,,।
(श्याम अपनी बहन का मुंह खोलने लगा जो कि बंदा हुआ था और वह ठीक से बोल नहीं पा रही थी वह तुरंत मुंह खोल कर उसके हाथ में बंधी रस्सी भी खोलने लगा,,,,, अपने भाई को देख कर खुश होते हुए बोली,,)

श्याम तू भी आ गया,,,,

कैसे नहीं आता बहना एक बहन मुसीबत में हो और भाई ना आए ऐसा कैसे हो सकता है,,,,।


हरामजादे बहुत रुला दिया तूने सबको अब तेरा समय आ गया है,,,(जोर से सीने पर लात मारते हुए राजू बोला,,,, अपनी बहन की रस्सी खोलने के बाद श्याम तुरंत गया और लाला की राशि खोलने लगा और जैसे ही लाला आजाद हुआ वह राजू के पास आ गया और बोला,,,,)

राजू तेरी अमानत यह कुर्ते में छुपा कर रखा है,,,,(इतना सुनते ही श्याम जी उधर आ गया और लाला की बात सुनकर विक्रम सिंह के कुर्ते में से कागजात निकालकर राजू की तरफ दिखाने लगा तो राजू बोला)

इसे जला डाल श्याम,,, और साथ में मैं इसे भी जला दूंगा,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही राजू विक्रम सिंह के सीने पर वार पर वार करने लगा विक्रम सिंह एकदम से आहत हो चुका था क्योंकि पहले बार में ही वह एकदम से ढेर हो चुका था,,,,,)

मुझे छोड़ दे राजू मैं हार गया हूं,,,

ऐसे कैसे छोड़ दूं हरामजादे तूने आज मेरी होने वाली बीवी को उठा कर लाया है तेरी गंदी नजर आवाज में उखाड़ फेंकुंगा,,,,
(और इतना कहने के साथ ही राजू उसके सीने पर लगातार पैरों से वार करता रहा और झुमरी और मारने के लिए बोलती नहीं लेकिन तभी जो रंजीत सिंह को गोदाम के पीछे नदी में फेंकने के लिए गए थे वह दोनों उधर आ गए और पासा पलट ता हुआ देखकर वह दोनों तुरंत आगे बढ़े और श्याम के सर पर लकड़ी का वार करके उसे वहीं ढेर कर दिया वह बेहोश होकर गिर गया ,,,,, और राजू को समझ पाता इससे पहले ही उन दोनों ने एक साथ राजू पवार किया और राजू के सिर में चोट लग गई और वह भी बेहोश हो गया,,,,,, झुमरी सहित लाला और सोनी एकदम से घबरा गए,,,, विक्रम सिंह के आदमी विक्रम सिंह को उठाकर खड़ा किया विक्रम सिंह एकदम क्रोध में का एक बार फिर से बाजी उसके हाथ में आ चुकी थी और वह फिर से चमड़े का पट्टा अपने हाथ में ले लिया और फिर राजू पर बरसाना शुरू कर दिया,,,,,,।

राजू पर चमड़ा का पट्टा बरसता हुआ देखकर झुमरी से रहा नहीं गया झुमरी रोते हुए दौड़ते हुए आए और राजू से लिपट गई विक्रम सिंह की आंखों में जुनून सवार था वहसीपन सवार हो चुका था उसे केवल राजू दिखाई दे रहा था और वह पट्टा बरसाए जा रहा था झुमरी के बदन से भी खून निकलने लगा था यह देखकर,,,, सोनी से भी रहा नहीं गया और वह उन दोनों के ऊपर लेट गई लेकिन विक्रम सिंह ने उसे भी नहीं छोड़ा सोनी को भी चार-पांच पट्टा जड़ दिया उसके भी बदन से खून आने लगा,,,,,, वह अभी पूरी तरह से नंगी थी,,,,,,।



हराम जादा ,,,,,,,,,,,,विक्रम सिंह से टक्कर लेने चला है,,,,,,
(एक बार फिर से रोना गाना शुरू हो गया था और विक्रम सिंह गद्दे के नीचे से रखा हुआ दूसरा कागजात निकाला और इस बार,,,,, सिर्फ लाला को अपनी आंख ही दिखाया था और वो डर के मारे वापस से कागजात पर हस्ताक्षर करने लगा एक बार फिर से बाजी पलटते ही लाला की सारी जमीन जायदाद विक्रम सिंह अपने नाम कर लिया था,,,,,,)

उठो राजू उठो,,,,,, तुम्हारी ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जा रही है,,,,,, अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं भी मर जाऊंगी,,,,,

(झुमरी की बात सुनकर जोर-जोर से विक्रम सिंह हंसने लगा और हंसते हुए बोला)

मर गया मादरचोद,,,,, अपने आपको तीस मार खान समझता था,,,,


हरामजादे अगर राजू को कुछ हो गया तो मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगी,,,,,,(झुमरी गुस्से में विक्रम सिंह पर गुर्राते हुए बोली,,,)

तु क्या अब मैं ही तुझे नहीं छोडूंगा तुम दोनों को अपनी रखेल बनाकर रखूंगा,,,,, और इस लाला को मरना ही होगा मैं अपने किसी दुश्मन को नहीं छोड़ता,,,,,,,।
(यह सब हो ही रहा था कि तभी मधु भी गोदाम पर पहुंच गई और,,, जोर से चिल्लाते हुए गोदाम में दाखिल होते हुए बोली,,,)

राजू कहां है ,,,,,राजू,,,,,,,,,, मेरा राजू कहां है,,,,,।
(अपनी मां की आवाज सुनते ही राजू के बदन में जान आने लगी वह धीरे से अपनी आंख खोला तो सामने उसकी मां नजर आई ,,,, अपनी मां की आवाज सुनते हैं और अपनी मां को देखते ही राजू में जैसे जान आ गई और दूसरी तरफ विक्रम सिंह राजू की मां को देखते ही पुराने अरमान जाग गए क्योंकि वह राजू की मां को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख चुका था और राजू के साथ ही इसी गोदाम में चुदवाते हुए,,, लेकिन इस बात को नहीं जानता था कि राजू और वह औरत के बीच मां बेटे का रिश्ता है लेकिन आज अपनी आंखों के सामने एक बार फिर से गोदाम में उसको देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई वह एकदम से प्रसन्न हो गया और बोला,,,,,)

अरे वाह आज भगवान मुझ पर पूरी तरह से मेहरबान है दो तो थी ही आज तीसरी भी आ गई इसे भी मैं अपनी हवेली पर लेकर जाऊंगा यह तो इन दोनों से भी ज्यादा नमकीन है,,,,, तुझे तो मैं अच्छी तरह से जानता हूं तू वही औरत है ना जो उस दिन इसी गोदाम पर,,,,, ईसी मादरर्चोद के साथ,,,,,(राजू समझ गया था कि अब जिस राज के बारे में आज तक किसी को कानों कान खबर नहीं पड़ा विक्रम सिंह आज सबके सामने वह राज उगल देगा राजू एकदम से घबरा गया वह नहीं चाहता था कि उसके और उसकी मां के बीच जिस तरह का संबंध है वह किसी को भी पता चले इसलिए जैसे उसकी जान में जान आ गई हो उसके हाथ के आगे ही कटार रखी हुई थी वह हाथ बढ़ा कर उसका कटार को थाम लिया ,,,,, मधु की अपनी आंखों के सामने अपनी बेटे का हाल देख कर और विक्रम सिंह को देखकर बुरी तरह से सहम गई थी वो एकदम से स्थिर हो गई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और विक्रम सिंह एक बार फिर से अपनी बात को दोहराते हुए बोला,,,,) तू वही औरत है ना जो उस दिन इस गोदाम पर,, इस मादरचोद के साथ,,,,, बस उसका इतना कहना था कि उसके मुंह से आगे के शब्द फूट नहीं पाए और राजू फुर्ती दिखाते हुए कटार खींचकर मारा और वह धारदार कटार सीधे जाकर विक्रम सिंह की गर्दन में घुस गया और विक्रम सिंह एकदम से तड़प उठा और वहीं गिर गया,,,,,,,,, मधु भी एकदम से घबरा गई थी उसे भी लग रहा था कि विक्रम सिंह उसकी हकीकत आज सबके सामने उगल देगा लेकिन जैसे ही वह नीचे गिर पड़ा वैसे ही वह दौड़ते हुए राजू से जाकर लिपट गई और रोने लगी,,,,,

विक्रम सिंह के खत्म होते हैं सब लोगों ने राहत की सांस ली झुमरी दौड़ते हुए गई और अपने भाई के चेहरे पर पानी का छिड़काव करने लगी उसे भी धीरे-धीरे होश आ गया,,,, श्याम के होश आते ही,,,, झुमरी खुशी के मारे उसे अपने गले लगा ली थोड़ी ही देर में श्याम की मां गुलाबी और हरिया भी वहां पर पहुंच गए लेकिन सब को सही सलामत देखकर सब ने राहत की सांस ली थोड़ा बहुत सभी लोग लहूलुहान हो चुके थे राजू धीरे से उठा और विक्रम सिंह के हाथ में से कागजात ले लिया और उसे फाड़ कर फेंक दिया आज लाला बहुत खुश था,,,, क्योंकि आज उसका सबसे बड़ा दुश्मन इस दुनिया से जा चुका था अब उसे परेशान करने वाला कोई नहीं था लेकिन फिर वह राजू से बोला,,,,।

राजू यहां पर इतना सारा खून खराबा हुआ है गांव वालों को क्या जवाब देंगे,,,,


गांव वालों को इतना कहना है कि डाकुओं ने अपना बदला लेने के लिए गोदाम पर हमला कर दिया और जो मिला उसे मार कर चले गए क्योंकि सब लोग यही जानते हैं कि डाकुओं पर हमला करने वाला में नहीं बल्कि लाला ही है और कह देंगे कि यहां पर महफिल जमने वाली थी किसी वजह से लाला देर से पहुंचे और तब तक डाकू अपना काम कर चुके थे,,,,


हां भैया राजू ठीक कह रहे हो किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगी कि यहां रात को क्या हुआ है,,,,,

और ऐसा ही हुआ सुबह यह खबर गांव में आग की तरह फैल गई सभी लोग इस कत्लेआम का जिम्मेदार डाकुओं को ही ठहरा रहे थे,,,,, जिससे राजू और लाला पूरी तरह से निश्चिंत हो गए थे,,,,, निश्चित की हुई तारीख के दिन गुलाबी और राजू और झुमरी की शादी की जिम्मेदारी लाला ने अपने सिर पर ले लिया और पूरे गांव के साथ-साथ हवेली को भी दुल्हन की तरह सजा दिया लाला ने अपनी जान पहचान रिश्तेदारों को सभी को इस विवाह में बुलाया और सभी के सामने राजू को अपना वारस दार घोषित कर दिया,,,,,,

विवाह के पश्चात खुशी-खुशी गुलाबी अपने ससुराल जा चुकी थी और राजू झुमरी को अपनी दुल्हन बनाकर अपने कमरे में नहीं आया था आज उसकी सुहागरात थी झुमरी दुल्हन के रूप में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी इस वजह से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी जिसे देखते ही राजू एकदम पागल हो गया था और बिस्तर पर बैठ कर उसका घूंघट उठाते हुए बोला,,,,।

झुमरी तुम बहुत खूबसूरत हो आज तो जी भर कर तुम्हारी जवानी से खेलूंगा,,,,, और इतना कहने के साथ ही राजू ने जैसे ही अपने प्यासे होठों को झुमरी कर लाल-लाल होठों की तरफ आगे बढ़ाया वैसे ही झुमरी हाथ आगे बढ़ाकर उसके होठों पर अपनी हथेली रखते हुए बोली,,,।

अरे यार इतनी जल्दबाजी भी क्या है पहले दरवाजा तो बंद कर लो,,,,

अरे बाप रे खुशी खुशी में मै तो भूल ही गया,,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू बिस्तर पर से उठा और दरवाजा बंद कर दिया)



,,,,,THE END,,,,,
 
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