normal_boy
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Mahoday Gulabi ki Gulabi chut ke sath bahut hi Anyay ho raha hai kripya Karke Gulabi ki Gulabi chut ke liye turant hi Kuchh lauda intejaam kiya jaaye Taki vah Apne Gulabi chut ko land se Thanda kar sake
bhut accheऐसे ही 1 दिन मधु रात के समय खाना बना रही थी,,,,, और मधु गुलाबी को घर के पीछे से इंधन के लिए लकड़ियां लाने के लिए बोली,,,,,, और गुलाबी जो की सब्जियां काट रही थी वह ,,,,बोली,,,।
जा रही हूं भाभी पहले सब्जियां काट लु तब जाती हुं,,,,(ऐसा कहते हुए वह सब्जियां काटती रही तो मधु बोली,,)
अरे गुलाबी देर हो रही है और यहां लकड़ियां खत्म हो गई है,,, तेरे भैया आ गए होंगे जल्दी जाकर लकड़िया ले आ मैं सब्जी काट देती हूं,,,,
ठीक है भाभी लो तुम सब्जी काट लो मुझे जोर की पेशाब भी लगी है,,,
अरे तुझे कितनी पेशाब लगती है खाना बनाने से पहले ही तो मेरे साथ गई थी और फिर से तुझे लग गई,,,,
हा भाभी पता नहीं क्यों मुझे बार बार जोरों की पेशाब लग जाती है,,,,
पता नहीं तेरी बुर में कितनी पेशाब भरी हुई है,,,
धत्,,, भाभी कैसी बातें करती हो,,,,(गुलाबी शरमाते हुए बोली)
अरे सच कह रही हूं तुझे चोर चोर की पेशाब लगती है ना बार-बार अब तुझे दूल्हे की जरूरत है,,,,
लो अब इसमें दूल्हा क्या करने वाला है,,,?(गुलाबी ईतरातें हुए बोलि,,,)
अरे पगली जब तेरा दूल्हा अपना मोटा लंड तेरी बुर में डाल कर रात भर चोदेगा तो खुद ही तेरे बदन की गर्मी चुदाई से निकल जाएगी,,,, फिर यह बार-बार मुतना बंद हो जाएगा,,,(मधु हंसते हुए बोली,,,)
क्या भाभी तुम भी लगता है भैया से शादी करने के बाद तुम्हारा भी बार-बार मुतना बंद हो गया,,,
हां रे तू सच कह रही है जब नई नई मैं इधर आई थी तो मुझे भी बार-बार पेशाब लग जाती है लेकिन तेरे भैया का लंड बुर में जाते ही तकलीफ दूर हो गई,,,,( मधु एकदम बेशर्म बन कर अपनी ननदसे बोली वैसे भी भाभी और ननद का रिश्ता ही हंसी मजाक का होता है और हंसी मजाक में कितनी गंदी बातें एक दूसरे को बोलते ही रहते हैं,,,)
मुझे इस तरह से तकलीफ दूर नहीं करवाना है,,,(इतना कहकर वह चलने लगी तो मधु पीछे से ही आवाज लगाते हुए बोली,,,)
अरे तू चाहे या ना चाहे शादी के बाद तेरा दूल्हा तेरी बुर में डालेगा ही डालेगा,,,,
(अपनी भाभी की बातें सुनकर गुलाबी शर्म से लाल हो गई थी और उत्तेजित भी हो गई थी,,, अपने भाई के मोटे तगड़े लंड को वह देख चुकी थी और उसे अपनी भाभी की बुर में अंदर बाहर होता हुआ भी देख चुकी थी और अपने भाई से भी ज्यादा दमदार लंड उसे अपने भतीजे राजू का लगा था,,,,भले ही वह अपने मुंह से बोल कर आई थी कि इस तरह से अपनी तकलीफ दूर नहीं करवाना है लेकिन एक मोटे गर्लफ्रेंड को अपनी बुर में लेने की उत्सुकता उसके चेहरे के हाव भाव से सांप पता चल रही थी,,,। लकड़ी लेने के लिए पेशाब करने के लिए घर के पीछे पहुंच गई थी जहां पर ढेर सारी सूखी लकड़ियां रखी हुई थी और पास में ही बेल के लिए घास फूस की झोपड़ी बनी हुई थी जिसमें रोज उसके भैया बैल को बांध दिया करते थे,,,,। गुलाबी सूखी सूखी लकड़ियों को उठाने लगी मन में यह सोच कर कि लकड़ी को भाभी के पास रखकर वह बाद में पेशाब करने आएगी लेकिन लकड़ी को उठाते हुए उसके पेट में जोड़ों का दर्द होने लगा जो कि पैसाब की वजह से ही हो रहा था वह समझ गई कि ज्यादा देर रुकना ठीक नहीं है,,,, इसलिए वह तुरंत लकड़ियों को नीचे पटक दि और दो कदम की दूरी पर जाकर अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी इस बात से अनजान की थोड़ी देर पहले ही उसका बड़ा भाई हरिया बेलगाडी को लेकर घर आ चुका था और बैल को उस घास फूस की झोपड़ी में बाधकर वहीं बैठ गया था और बीड़ी सुलगा कर पी रहा था जब वहां गुलाबी आई थी तो वह जानता था वह लकड़ी ले जाने में उसकी मदद करने के लिए झोपड़ी से बाहर आना चाहता था लेकिन बीड़ी का आखिरी तक खींचने के लिए वहीं बैठ गया था लेकिन इतनी देर में गुलाबी लकड़ियों को पटक कर दो कदम आगे जा चुकी थी और इसीलिए हरिया उत्सुकता वश बैठा रहा था यह देखने के लिए की आखिरकार वह लकड़ी को उठा कर क्यो नीचे फेंक दी,,,, उसे आवाज भी लगाने वाला था की लकड़ियों को क्यों पटक दी लेकिन जैसे ही पर दो कदम की दूरी पर जाकर अपने दोनों हाथों को अपने सलवार की डोरी पर ले जाकर उसे खोलने को हुई की हरिया का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि वह समझ गया था कि उसकी बहन गुलाबी क्या करने जा रहे हैं वह पीछे से आवाज लगाना चाहता था लेकिन लगा नहीं पाया उसे समझ में नहीं आ रहा कि वह क्या करें क्योंकि उसकी बहन ठीक उसके सामने खड़ी थी ऐसे में वह इधर उधर भी नहीं हो सकता था क्योंकि उसके इधर-उधर होने से आवाज आ सकती थी और उसकी बहन की निगाह उस पर पढ़ सकती थी और ऐसे हालात में उसका इस तरह से पकड़े जाना अपनी ही बहन के नजर में शायद शक के दायरे में खड़ा कर देना जैसा होता उसकी बहन को ऐसा ही लगता कि उसका भाई उसे पेशाब करते हुए देख रहा है हालांकि अभी गुलाबी पेशाब करना शुरू नहीं की थी बस अपनी सलवार की डोरी खोलने जा रही थी इतने से ही हरिया की हालत खराब हो गई थी,,,, हरिया दूसरे लोगों की तरह बिल्कुल भी नहीं था वह शर्म से गड़े जा रहा था क्योंकि वह जानता था कि कुछ ही देर में उसकी बहन अपने सलवार को नीचे सरका देगी और इस अवस्था में वह अपनी बहन को देखना गवारा नहीं समझ रहा था,,,,,,
और हरिया मन में उठ रही कशमकश को दबाते हुए नजर को दूसरी तरफ फेर लिया,,,,, हरिया एक काफी सुलझा हुआ इंसान था मान मर्यादा इज्जत उसके लिए सब कुछ थी,,,, मान मर्यादा संस्कार के मामले में वह खरा सोना था,,,,रिश्तो को वह अच्छी तरह से समझता था उसकी आंखों के सामने तो उसकी खुद की बहन गुलाबी थी,,,, लेकिन सारे रिश्ते नाते को ताक पर रखकर सबसे पहले वह एक मर्द था,,,,और उसकी आंखों के सामने ,,, 5 कदम की दूरी पर जो लड़की खड़ी थी वह हरिया की बहन से पहले एक औरत थी,,,, और दुनिया में मर्द और औरत के प्रति आकर्षण और खींचाव का रिश्ता कभी खत्म होने वाला नहीं था और इसीलिए एक मर्द होने के नाते हरिया अपने आपको लाख बनाने के बावजूद भी अपने मन को अपने वश में नहीं कर पा रहा था और उसकी नजर बार-बार उसकी बहन गुलाबी की तरफ चली जा रही थी जो कि अभी भी अपनी सलवार की डोरी को खोलने में उलझी हुई थी,,,,,,,
और बार-बार हरिया अपनी बहन गुलाबी की तरफ देख ले रहा था और फिर वापस नजर को दूसरी तरफ फेर ले रहा था,,,, ऐसा वह बार-बार कर रहा था,,,, काफी मेहनत करने के बाद गुलाबी आखिरकार सलवार की डोरी खोलने में कामयाब हो चुकी थी जो कि वह जल्दबाजी में कसकर बांध ली थी,,,,, उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी थी जो की इस बात से ही समझ में आ जा रहा था कि वह बार-बार अपने पैरों को पटक रही थी,,,।अपनी बहन को लाबी की हरकत और उसकी चलेगा जी को देखकर हरिया के तन बदन में अजीब सी उत्तेजना का एहसास हो रहा था और वह इस उत्तेजना से अपने अंदर में भी महसूस कर रहा था लेकिन वह अपने आप को रोक भी नहीं पा रहा था,,,
चारों तरफ अंधेरा छा चुका था लेकिन फिर भी चांदनी रात होने की वजह से हरिया को सब कुछ साफ नजर आ रहा था और वह इस बात के लिए भगवान को धन्यवाद भी दे रहा था जोकि अपने मन में चांदनी रात के लिए भगवान को धन्यवाद देते हुए वह शर्मिंदगी का अहसास भी कर रहा था,,,।देखते ही देखते गुलाबी सलवार एक झटके में अपने घुटनों तक सरकारी प्रेशर करते हुए वह आगे की तरफ से जो कभी गई थी जिसकी वजह से उसकी मदमस्त गोरी गोरी गदराई गांड आसमान में चमक रहे चांद की तरह नजर आने लगी,,,,,,अपनी बहन की गोरी गांड देखते ही हरिया के मुंह में पानी आ गया साथ ही उसकी धोती में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो,, गया,,,,,, उत्तेजना के मारे हरिया का गला सूखता चला जा रहा था और दूसरी तरफ गुलाबी इस बात से बेखबर कि ठीक उसके पीछे खड़ा होकर उसका बड़ा भाई उसकी मदमस्त गांड के दर्शन करके मस्त हो रहा है,,,,वह तो नीचे बैठते ही अपनी गुलाबी बुर से पेशाब की धार मारने लगी क्योंकि बड़ी तेज सीटी की आवाज के साथ घर के पीछे के वातावरण में पूरी तरह से घुलने लगा,,, और इस मधुर मादक दूर से निकल गई सीटी की आवाज सुनते ही हरिया का मन डोल उठाऔर वह ना चाहते हुए भी धोती के ऊपर से ही अपने लंड को हाथ में पकड़ कर मसलने लगा,,,।
हरिया के लिए यह पहला मौका था जब वह इंसान बहन की नंगी गांड को अपनी आंखों से देख रहा था और साथ ही उसे पेशाब करते हुए भी देख रहा था यह उसके लिए सोने पर सुहागा था कामोत्तेजना के परम शिखर पर पलभर में ही वह विराजमान हो चुका था इतनी उत्तेजना सहन कर पाना उसके पास में बिल्कुल भी नहीं था हालांकि एक खूबसूरत बीवी का पति होने के नाते वह रोज अपनी खूबसूरत बीवी की चुदाई करता था और उसमें तृप्त हो जाता था लेकिन मर्द तो आखिर मर्द ही रहता है घर की मुर्गी दाल बराबर का कथन उसके ऊपर बराबर बैठ रहा था क्योंकि उसकी बीवी मधु बेहद खूबसूरत औरत की और बेहद खूबसूरत मादक जिस्म की मालकिन भी थी जिसको जब चाहे वह भोग सकता था,,, और गुलाबी उसकी बीवी मधु से ज्यादा खूबसूरत बिल्कुल भी नहीं थी,,,,लेकिन मर्दों का आकर्षण हमेशा से औरतों के नंगे बदन खास करके उन की गोरी गोरी कांड उनकी बुर और उनकी चूची पर हमेशा टिकी रहती थी और उसी प्रचलन के चलते हरिया भी अपने आप को संभाल नहीं पाया था,,,,, वह अपनी उत्तेजना को संभालना सकने के कारण दूसरी बीडी को धीरे से सुलगा कर उसे फूक रहा था,,,। बीड़ी से ज्यादा अपनी बहन की नंगी गांड और उसे इस तरह से पेशाब करते हुए देख कर वह खुद सुलग रहा था,,,,।
बीड़ी पीते हुए हैं वह इस बात का शुक्रगुजार था कि अभी तक उसे खांसी नहीं आई थी वरना उसका भांडा फूट जाता और वह शर्मिंदा हो जाता,,,,,,, गुलाबी भी अपनी हरकतों से अपने बड़े भाई हरिया पर अनजाने में ही बिजलियां गिरा रही थी,,। वह बार-बार अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी गोरी गोरी गांड को ऐसे थाम ले रही थी मानो जैसे किसी खरबूजे को थाम ले रही हो,,,।,, यह देखकर हरिया का मन लालच जा रहा उसके मन मेंहो रहा था कि वह खुद आगे बढ़कर अपनी बहन की गांड को अपनी दोनों हथेली में भरकर जोर-जोर से दबाए,,,, लेकिन ऐसा करना उचित नहीं था,,,,
लेकिन आंखों के सामने का मादक दृश्य उसे पूरी तरह से मदहोश किए जा रहा था वह जोर-जोर से धोती के ऊपर से अपने लंड को दबा रहा था,,,,, उसे आज अपनी बहन की गांड देखकर अपना लंड कुछ ज्यादा ही फूला हुआ महसूस हो रहा था,,,। उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका पानी ना निकल जाए,,,,उसकी बहन की बुर से लगातार पानी की धार फूट रही थी और उसमें से मधुर संगीत रूपी सीटी की आवाज कानों में गूंज रही थी,,, पैसा नहीं था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देखना वह अपनी बीवी को बहुत बार पेशाब करते हुए देखकर मस्त भी हो चुका है और पेशाब करने की अपने अंदर जाग रही मदहोश माता पिता के पास होकर वह अपनी बीवी को पेशाब करते करते उसकी चुदाई भी किया है लेकिन आज की बात कुछ और थी आज उसकी आंखों के सामने उसकी बहन के साथ कर रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो गया था और अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,। उसका मन अपनी बहन को चोदने के लिए बहुत कर रहा था क्योंकि वह जानता था कि शुरू के दिनों में जब उसकी नई नई शादी हुई थी तब उसकी बीवी की बहुत ही टाइट और संकरी थी,,, जिसमें उसका लंड बड़ी मुश्किल से जाता था,,, इसलिए अपने मन में सोच रहा था कि इस समय उसकी बहन की भी बुर बहुत ही टाइट और उसकी गलियारी एकदम संकरी होगी जिसमें उसे लंड डालने में बहुत मजा आएगा,,,,, यह सोचकर वह अपने तन बदन में मदहोशी का रस घोल रहा था,,,,,,,, उसका मन आगे बढ़ने को कर रहा था वह इसी समय अपनी बहन को घर के पीछे ही चोदना चाहता था लेकिन उसके मन में यह डर भी था कि कहीं उसकी बहन इस बात से बुरा मान गई और अपनी भाभी को बता दी तो क्या होगा वह तो कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाएगा डूब मरने वाली बात उसके लिए होगी इसलिए काफी कशमकश के बाद वह अपने कदमों को वही टिका कर रखा था,,,,,
देखते ही देखते पेशाब की धार कमजोर पड़ने लगी और पेशाब करने के बाद गुलाबी उठ खड़ी हुई और अपनी सलवार को ऊपर कमर तक चढ़ाकर अपनी सलवार की डोरी बांधने लगी,,,।पेशाब करते समय अपनी भाभी के द्वारा कही गई बात को याद करके काफी उत्तेजना का अनुभव भी कर रही थी जिससे उसके तन बदन में अजीब सा एहसास हो रहा था अपनी भाभी की बातों को सुनकर उसका मन बहुत करता था अपनी बुर में लंड लेने के लिए लेकिन वह जानती थी कि उसकी बुर की किस्मत मे अभी लंड नहीं लिखा था,,,,।
इसलिए जल्दी-जल्दी अपने सलवार की डोरी बांधकर सूखी लकड़ियों को उठाकर वापस चली गई और हरिया अपनी बहन को जाते हुए देखता रह गया,,,, उसका ध्यान जब अपनी धोती पर गया तो वह हैरान रह गया क्योंकि धोती से कब उसका लंड बाहर आ गया और कब वह उसे पकड़कर हिलाना शुरू कर दिया था उसी को पता नहीं चला,,,, अपनी बहन की मादक गांड के उत्तेजना में वह इस कदर डूब गया कि अपनी बहन की कल्पना करते हुए अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया ,,,इसे अनुभव उसके लिए बिल्कुल नया था पहले भी वह लूटमार चुका था लेकिन तब उसके ख्यालों में उसकी खूबसूरती रहती थी और जब कभी भी वह मायके जाती थी तभी लेकिन आज उसके ख्यालों में उसकी खूबसूरत बहन गुलाबी थी जिसकी कल्पना करके वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रहा था,,,,
और थोड़ी ही देर में देखते ही देखते उसके लंड से पानी की पिचकारी छुट पड़ी,,,,,,, तब जाकर उसे शांति मिली,,,,,,,।
कुछ देर तक वह इधर-उधर घूमता रहा और थोड़ी देर बाद घर पहुंचा तो खाना तैयार था,,,वह गुलाबी सी नजर नहीं मिला पा रहा था,,,,कुछ देर पहले जो कुछ भी उसने देखा था और करा था उससे उसे शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था लेकिन गुलाबी को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं था कि उसे पेशाब करते हुए उसका भाई देख रहा था और अपना लंड हीला रहा था,,,, गुलाबी अपने हाथों से खाना परोस कर अपने भाई को खिला रही थी और अपनी भाभी को भी राजू भी पास में ही बैठा हूं थोड़ी देर बाद गुलाबी भी बैठ कर खाने लगी,,,,।
रात को सोते समय अपनी बहन की गांड और उसे पेशाब करता हुआ देखकर जो उत्तेजना का अनुभव से नहीं किया था वह सारी कसर अपनी बीवी से उसकी चुदाई करके उतार रहा था और गुलाबी दीवार के उसी छेद में से उस नजारे को देख रही थी और उत्तेजित हो रही थी सलवार उतार कर वह अपनी भाभी की बात को याद करके की शादी के बाद उसकी बुर में उसके दूल्हे का लंड जाएगा तब बार-बार पेशाब लगने वाली आदत छुट जाएगी,,, इस बात को याद करके और अपनी भैया भाभी की चुदाई बेटे करो पूरी तरह से फिट हो गई थी और अपनी बुर में उंगली डालकर अंदर बाहर कर रही थी,,,, थोड़ी देर में उसके भैया भाभी के साथ वो खुद शांत हो गई और खटिए पर आकर राजू के पास बिना सलवार पहने ही सो गई,,,,।