गुलाबी अपनी जवानी को संभाल पाने में धीरे-धीरे असमर्थ होती जा रही थी दिन-ब-दिन उसके बदन की प्यास उसे तड़पा रही थी,,,, उम्र के मुताबिक यह सब कुछ औपचारिक ही था क्योंकि गुलाबी उम्र के उस दौर से गुजर रही थी जिस दौर में लड़कियों की शादी हो जाएगा करती थी,,,, लेकिन गुलाबी अभी तक कुंवारी थी,,,, इसलिए तो उसकी बुर में ज्यादा खुजली हो रही थी,,,,। और इस उमर में गरमागरम नजारा देखकर उसकी इच्छा और ज्यादा प्रज्वलित होती जा रही थी,,,।,,, दीवार की दरार में से अपने भैया भाभी के कमरे में उन दोनों की घमासान चुदाई देखना उसकी आदत बन चुकी थी अपनी भाभी की गरमा गरम सिसकारियों की आवाज को सुनकर उसकी मादक जवानी को अपने लंड से रोंदता हुआ अपने बड़े भाई को देख कर इतना तो वह जानती होते कि इस खेल में बहुत ज्यादा मजा आता है,,,, इसलिए इस खेल को खेलने के लिए वह भी तड़प रही थी,,,।लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था क्योंकि ऐसा खेल खेलने के लिए उसे 1 साथी की जरूरत थी और वह साथी कौन होगा इस बारे में उसे भी बिल्कुल भी पता नहीं था,,,यह बात गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी कि बाहर इस तरह का खिलाड़ी खेलने में मजा तो आएगा ही लेकिन बदनाम होने का डर भी है इसलिए वह अपने कदम आगे बढ़ाना नहीं चाहते थे लेकिन बदन की जवानी की गर्मी उसके मन को विचलित कर रही इसीलिए तो अपने भैया भाभी की गरमा गरम जुदाई को देखकर भाई अपनी उंगली को अपनी पूर्व में पहन कर अपनी जवानी की गर्मी को शांत कर चुकी थी और अपने भतीजे के बगल में बिना सलवार पहने ही सो गई थी,,,,।
बड़े सवेरे ही जल्दी राजू की नींद खुल गई उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,, वह आलस को मारता हुआ खटिया पर उठ कर बैठ गया आंखों में नींद अभी भी छाई हुई थी,,,।
उठने का मन है उसका बिल्कुल भी नहीं कर रहा था वीडियो सोना चाहता था लेकिन जोरो की पेशाब लगी हुई थी इसलिए उठना जरूरी था,,। सुबह की पहली पहर होने की वजह से बाहर अभी भी अंधेरा छाया हुआ था,,, कमरे में लालटेन की रोशनी अपनी आभा बिखेर रही थी,,,, राजू खटिया पर से उठने ही वाला था कि उसकी नजर गुलाबी की टांग पर घुटनों के नीचे की तरफ पहले पड़ी,,,,
राजू को तो पहले सब कुछ सामान्य ही लगा उसे लगा कि साथ सलवार घुटनों तक चढ गई होगी लेकिन उत्सुकतावश अपनी नजरों को ऊपर की तरफ उठाने लगा तो जैसे जैसे उसकी नजर ऊपर की तरफ आ रही थी वैसे वैसे उसे अपनी बुआ की नंगी टांग और भी ज्यादा नंगी होती हुई नजर आने लगी जब उसकी नजर घुटने तक पहुंच गई फिर भी उसे सलवार की किनारी नजर नही आई तो उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा कि वहां क्या करें संस्कारी होने की वजह से वह अपनी बुआ की बहुत इज्जत करता था और उसकी नंगी टांगों को देखना भी उसके लिए गवारा नहीं था वह इसी कशमकश में था कि अपनी नजरों को और ऊपर उठाए या उसी तरह से बाहर चला जाए,,,,, उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था तभी उसे सुबह जो उसकी आंखों के सामने कमला चाची के अर्ध नग्न बदन के दर्शन हुए थे वह नजारा नजर आने लगा,,, उस दृश्य को याद करके उसके बदन में उत्तेजना की लहरें दौड़ने लगी,,,। अपने बदन में उत्तेजना की लहर को महसूस करके वह वहां से चला जाना चाहता था लेकिन अपने मन को बहलाने में वह नाकामयाब रहा अपने मन में सोचने लगा कि उसकी बुआ तो सो रही है अगर ऐसे में कुछ देख भी लेगा तो उसकी बुआ को कहां पता चलने वाला है इसलिए वह वहीं रुका रहा,,,, अपनी नजरों को ऊपर की तरफ धीरे-धीरे बढ़ाने लगा,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,
इस बात को लेकर कभी भी वह अपने वतन में उत्तेजना महसूस नहीं किया कि 1 जवान खूबसूरत लड़की जो कि उसकी बुआ ही है वह उसके साथ एक ही खटिया पर सोती है,,,,,,,,, लेकिन पलभर में ही उसे इस बात का एहसास होने लगा कि उसके बगल में जवानी से भरपूर उसकी बुआ सोती है,,,, धीरे-धीरे अपनी नजरों को ऊपर की तरफ ले जा रहा था लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था रात भर लालटेन इसी तरह से चलती रहती थी क्योंकि अंधेरे में राजू को नींद नहीं आती थी यह उसकी शुरु से आदत थी,,, गुलाबी की मक्खन जैसी चिकनी टांग देखकर राजू की हालत खराब हो रही थी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि आगे क्या होने वाला है वह धड़कते दिल से अपनी नजरों को उपर की तरफ ले जा रहा था,,,
और उसकी बुआ गुलाबी निश्चिंत होकर अपनी जवानी की गर्मी निकाल कर खटिया पर सोई हुई थी अपनी पुर की गर्मी शांत करने के बाद उसे इस बात का भी होश नहीं था कि वह सलवार नहीं पहनी है और वह उसी अवस्था में सो गई थी,,,,,।
राजू का दिल जोरो से धड़कना शुरू हो गया था क्योंकि उसकी नजर अपनी बुआ की इतनी मांसल जांघों पर पहुंच चुकी थी और जांघों वाला बदन भी नंगा ही था,,, अनायास उसके मन में यह ख्याल आ गया कि जिस अंग को वह सुबह कमला चाची को नहाते हुए नहीं देख पाया था शायद वह अभी देख ले,,,,, लेकिन यह ख्याल मन में आते ही राजू के तन बदन में हलचल सी होने लगी लेकिन एक मन उसका यह भी कह रहा था कि जो वह सोच रहा है वह गलत है अपनी बुआ के बारे में इस तरह के ख्याल लाना पाप है,,,, लेकिन एक मन की सद्बुद्धि वाली बातें उसके दिमाग के पल्ले नहीं पड़ रही थी लेकिन दूसरे मन की कुबुद्धि वाली विचार उसके मन को जकड़े हुए थी,,,, जिसके पास में वह पूरी तरह से हो गया था,,,,,
अपनी तो बुआ की चिकनी मांसल जांघों को देखकर उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी पेशाब भी रुक गई थी,,,, आखिरकार नजरों ने अपनी मंजिल को ढूंढ ही लिया था बस पहुंचना बाकी था और देखते ही देखते राजू अपनी नजरों को ऊपर की तरफ उठाते उठाते एकदम ऊपर पहुंच गया जहां का नजारा देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसके होश उड़ गए और पल भर में उसके चेहरे का रंग बदलने लगा,,,,
राजू की नजर इस समय उसकी पुकाकी दोनों टांगों के बीच टिकी हुई थी उसकी कुर्ती कमर से ऊपर थी,,,,और राजू को गुलाबी के बदन का वह अंग नजर आ रहा था जिसके बारे में उसने अभी तक कल्पना भी नहीं किया था उसकी सांसों की गति पलभर में ही तेज हो गई थी,,,। उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,,,वह एक नजर अपनी बुआ के चेहरे की तरफ जाना और वापस उसकी दोनों टांगों के बीच अपना ध्यान केंद्रित करने लगा उसकी बुआ अभी भी गहरी नींद में सो रही थी इस बात से बेखबर कि वह सलवार नहीं पहनी है उसकी कुर्ती ऊपर चढ़ी हुई है,,,,।
वह बड़े गौर से अपनी बुआ गुलाबी की पूरी देख रहा था जो कि एक पतली दरार की शक्ल में थी और उसके इर्द गिर्द वाली जगह तवे पर फुली हुई रोटी की तरह फुली हुई थी,,,,,,और उस पर हल्के हल्के रेशमी बाल उगे हुए थे जो कि उसकी खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा रहे थे,,,,, राजू अभी तक औरतों के इस अंग के भूगोल से पूरी तरह से अनजान था,,,,, इसलिए तो पहली बार अपनी बुआ की बुर देखते ही उसके तन बदन में मादकता भरे सितार बजने लगे थे,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा था,,,,,,, औरतों की भजन के भूगोल से पूरी तरह से अनजान राजू इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहता था आखिरकार वह भी एक मर्द था इसलिए तो औरत के खूबसूरत बुर जो कि वह बुर से बिल्कुल अनजान था फिर भी उसकी तरफ आकर्षित हुआ जा रहा था और होता भी क्यों नहीं आखिरकार मर्दों का औरतों के ईस अंग से जन्मो जन्म का नाता जो है,,,,।
राजू के मुंह में अपनी बुआ की कुल देखकर पानी आ रहा था साथ ही उसके लंड की अकड़ बढ़ती जा रही थी,,, वह अपनी औकात से ज्यादा फूल चुका था,,,राजू को अपना मोटा तगड़ा लंड बगावत करता हुआ महसूस होने लगा तो वह अपने हाथ से अपने पजामे के ऊपर से अपने लंड को पकड़ लिया,,,। राजू के लिए यह पहला मौका था जब वह किसी नंगी बुर को देखकर अपने लंड को पकड़े हुआ था,,।
राजू के लिए यह पल बेहद अद्भुत था,,,। राजू ने कभी सपने में भी नहीं देखा था कि वह कभी इस तरह से बुर के दर्शन कर पाएगा हालांकि एक मर्द होने के नाते इतना तो पता ही था कि औरतों के दोनों टांगों के बीच ही बुर होती है लेकिन किस तरह की होती है यह पहली बार देख रहा था और समझ रहा था,,,, उसे अपनी दुआ की बुर की बनावट बेहद मदहोश कर देने वाली लग रही थी केवल पतली दरार नजर आ रही थी अब वह दरार के अंदर कैसी है यह उसे पता नहीं था,,,,
सुबह का वक्त होने के बावजूद भी उत्तेजना के मारे उसके माथे से पसीना टपक रहा था,,,,वह अपनी बुआ की बुर को अपने हाथ से छूना चाहता था,,,, लेकिन ऐसा करने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी सुबह-सुबह कमला चाची उसे अपनी गांड चुची के साथ-साथ अपनी बुर भी दिखाना चाहती थी लेकिन बुर दिखा नहीं पाई थी जिसका मलाल कमला चाची को बहुत था,,,,लेकिन शायद राजू की किस्मत में कमला चाची की नहीं अपनी खूबसूरत और जवान बुर पहले देखना दिखा था इसीलिए तो आज उसे बिना किसी मशक्कत के बुर के दर्शन हो गए थे,,,।
राजू का दिमाग काम नहीं कर रहा था लंड पूरी तरह से अकड चुका था,,,। अब उसे पेशाब का जोर और बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था उससे वहां और ज्यादा देर ठहर पाना सहन नहीं हो पा रहा था और इसीलिए वह अपने आप पर गुस्सा भी कर रहा था क्योंकि वह इस नजारे को और देर तक देखना चाहता था जो कि लालटेन की रोशनी में साफ नजर आ रही थी,,,वह अपने मन में यह सोचने लगा कि अच्छा हुआ उसकी बुआ करवट लेकर नहीं सोई हुई थी वरना उसे आज अपनी बुआ की बुर के दर्शन नहीं हो पाते और वह औरत के इस खूबसूरत अंग के बारे में इतनी जल्दी जान नहीं पाता,,,। गुलाबी पीठ के बल लेटी हुई थी राजु उसके खूबसूरत चेहरे को देख रहा था तभी उसकी नजर उसकी चूचियों पर गई लेकिन वह कुर्ती पहनी हुई थी,,,।कुर्ती पहनी हुई थी तो कर राजू को निराशा हाथ लगी लेकिन फिर भी आज उसकी आंखों ने बहुत कुछ देख लिया था जोरो की पेशाब लगी हुई थी इसलिए बर्दाश्त नहीं हुआ,,,, वह खटिया से नीचे उतरने लगा खटिया से नीचे उतर कर एक बार फिर से वह अपनी बुआ की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार को देखने लगा और अपने लंड को जोकी पजामे में तंबू बनाए हुए था,,,, पजामे में बने तंबू को देखकर खुद राजू भी हैरान हो गया था,,,, क्योंकि एकदम खूंटे की तरह था और वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर इस पर कपड़े टांग दिया जाए तो आराम से टंगा रह जाएगा,,,,,मुझे सोच कर कमरे से बाहर निकलने ही वाला था कि उसके मन में ख्याल आया कि अगर उसकी बुआ जाग गई और उसे खटिया पर ना पाकर और अपनी स्थिति को देखकर यही समझेगी कि वह उसकी बुर को जरूर देख रहा होगा और वह ऐसा नहीं चाहता था इसलिए जाते जाते वहां लालटेन बुझा देना चाहता था ताकि कमरे में अंधेरा रहे और उसकी बुआ को यही लगेगी लालटेन अपने आप बुझ गई थी कमरे में धूप्प अंधेरे को देख कर उन्हें ऐसा ही लगेगा तो मैंने कुछ देखा नहीं हूं,,,, राजू अपने मन में यह सोचता हुआ लालटेन को बुझा दिया,,,, लेकिन बुझाने से पहले उसे दीवार के किनारे अपनी बुआ की सलवार नजर आई,,, तो अपने मन में सोचने लगा कि उसकी बुआ ने सलवार निकालकर इधर क्यो फेंकी हैं लेकिन इसे कोई समझ नहीं आ रहा था अपने मैंने उसे लगा कि शायद गर्मी ज्यादा होने की वजह से निकाल दी होंगी और वह घर से बाहर निकल गया,,,, पेशाब करने के बाद भी वह घर वापस नहीं गया क्योंकि धीरे-धीरे उजाला होने लगा था,,,,
लेकिन उजाला होने से पहले गुलाबी की नींद खुल गई थी कमरे में चारों तरफ अंधेरा था उसे ऐसा लगा कि राखी उसके पास सोया हुआ है इसलिए अपने बगल में हाथ रखकर टटोलने लगी तो वहां कोई नहीं था उसे तभी अपनी हालत का अहसास हुआ तो वह झट से उठ खड़ी हुई,,,,,,
उसे याद आ गया कि वह जल्दबाजी में सलवार पहनना भूल गई थी और बिना सलवार के भी सो रही थी और वह सोचने लगी कि उसका भतीजा राजू इससे पहले उठकर कमरे से चला गया था तो जरूर उसकी नजर उसकी बुर पर पड़ी होगी,,,,,लेकिन उसे इस बात का एहसास हुआ कि लालटेन बंद होने की वजह से कमरे में अंधेरा था वैसे मैं उसे कुछ नजर नहीं आया होगा क्योंकि वह अपनी तसल्ली के लिए कमरे के चारों तरफ और अपने आपको खुद को देखने की कोशिश कर रही थी लेकिन इतना ज्यादा दे रहा था कि उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था तो जाकर उसे इत्मीनान हुआ और वह तुरंत खटिया से नीचे उतर कर अपनी सलवार उठा कर पहनने लगी,,,, और अपने मन में सोचने लगी कि उसका भतीजा अगर उसे इस हाल में देख लेता तो क्या होता ,,,,,,,,, और ऐसा सोचते हुए वह कमरे से बाहर निकल गई और दिनचर्या में लग गई,,।